देखते ही देखते टेस्ट टीम की जान बनते जा रहे हैं मयंक अग्रवाल, डौन ब्रैडमैन को भी पीछे छोड़ा

क्रिकेट के सभी प्रारूपों में टेस्ट क्रिकेट एक ऐसा प्रारूप है जिसमें खिलाड़ी की असली क्षमता का पता चलता है. एकदिवसीय और टी-20 फॉर्मेट में तो खिलाड़ियों पर दवाब रहता है जल्दबाजी में रन बनाने की लेकिन टेस्ट में एक बल्लेबाज को रन भी बनाना होता है और विकेट भी बचाना होता है. टेस्ट में भारतीय टीम नंबर वन पोजीशन पर है. उसका कारण है कि इस टीम के पास कुछ ऐसे खिलाड़ी निखर के आए हैं जो लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं.

भारत के सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल ने बांग्लादेश के खिलाफ दोहरा शतक जड़ा. ये उनका दूसरा दोहरा शतक है. इसके साथ उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज डॉन ब्रैडमैन से भी आगे निकल गए. मयंक ने होल्कर स्टेडियम में बांग्लादेश के साथ जारी पहले टेस्ट मैच के दूसरे दिन छक्के के साथ अपने करियर का दूसरा दोहरा शतक पूरा किया. मयंक ने 12वीं पारी तक जाते-जाते दो दोहरे शतक लगा लिए हैं जबकि ब्रैडमैन ने दो दोहरो शतकों के लिए 13 पारियों का इंतजार किया था.

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रिकॉर्डों को अलग कर देखा जाए तो मयंक अग्रवाल इस वक्त टीम इंडिया के लिए तुरुप का इक्का बन चुके हैं. हम ये इसलिए नहीं कह रहे क्योंकि उन्होंने दोहरा शतक जड़ा है बल्कि ये बल्लेबाज हर दिन अपने खेल में सुधार कर रहा है. सहवाग के बाद टीम के पास कोई ऐसा ओपनर नहीं था जोकि लगातार रन बनाएं और विकेट भी न गंवाए. इस वक्त रोहित शर्मा और मयंक अग्रवाल जैसे दो दमदार खिलाड़ी टीम को बेहतरीन शुरूआत दे रहे हैं.

मयंक अग्रवाल ने अब तक आठ टेस्ट की 12 पारियों में 858 रन बनाए हैं. उनका बैटिंग एवरेज 71.50 का है. वहीं अगर स्ट्राइक रेट की बात करें तो 56.48 का है. मयंक ने तीन शतक, दो दोहरे शतक और तीन अर्धशतक जड़े हैं.

मयंक अग्रवाल की तकनीक, टेम्प्रामेंट और टाइमिंग लाजवाब है. हर मैच में मयंक के निखरते प्रदर्शन को देखकर कहा जा सकता है कि वो भी रोहित की तरह भारतीय टीम में एक दमदार ओपनर के तौर पर अपनी जगह पक्की करने के लिए अग्रसर हैं. आंकड़ों में अगर रोहित और मयंक की पिछली पांच पारियों के प्रदर्शन पर गौर करें तो आप चौंक सकते हैं। बतौर ओपनर रोहित ने पिछली पांच पारियों में 107 की शानदार औसत से 535 रन बनाए जिसमें तीन शतक भी शामिल है और इसमें एक दोहरा शतक भी हिटमैन के बल्ले से निकला.

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वहीं भारतीय टीम के दूसरे सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल पिछली पांच पारियों में 116.06 के शानदार औसत से 583 रन बनाए हैं. जिसमें मयंक ने तीन शतक औक दो दोहरे शतक लगातक अपनी ताकत दिखाई. सिर्फ इतना ही नहीं मयंक 2019 में 740 रन अपने खाते में जोड़कर भारत के लिए टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाकर विराट कोहली को पछाड़कर पहले नंबर पर आ चुके हैं.

मयंक न सिर्फ खुद को टीम में स्थापित कर चुके हैं बल्कि टीम इंडिया के लिए उनका योगदान अब जीत की शक्ल लेना शुरू कर चुका है. उनकी फॉर्म उनके शानदार आंकड़ों से साफ जाहिर है. कप्तान का विश्वास मयंक पर अडिग है तो फैंस के दिल में भी मयंक हीरो के किरदार में फिट हो रहे हैं.

दोहरे शतक के बाद मयंक अग्रवाल ने जो कहा वो दिल छू लेने वाली बात है. मयंक ने कहा कि असफलता के डर को पीछे छोड़ने से उनकी रन बनाने की भूख बढ़ गई. मयंक की पारी के दम पर टीम इंडिया खेल के दूसरे दिन बेहद मजबूत स्थिति में पहुंच गई.  मयंक अग्रवाल ने कहा कि ऐसा भी वक्त रहा है जब मैं रन नहीं बनाए हैं. इसलिए जब भी मैं क्रीज पर जम जाता हूं तो मेरी कोशिश रहती है कि मैं बड़ी पारी खेलूं. मानसिकता की बात करें तो असफलता के डर को पीछे छोड़ने से मुझे काफी फायदा हुआ. इसके बाद मेरी रनों की भूख काफी बढ़ी है.

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कैसे कैसे बेतुके वर्ल्ड रिकौर्ड

लेखक- रामकिशोर पंवार

इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश के राजेंद्र कुमार तिवारी उर्फ दुकानजीमकानजी की ही हरकतों को ले लीजिए. उन्होंने अपनी मूंछों पर जलती हुई मोमबत्तियों को नचा कर एक नया वर्ल्ड रिकौर्ड बनाया है.

हरियाणा के चंडीगढ़ शहर के रहने वाले गुप्ता बंधुओं ने किसी सामान के साथ मिलने वाली मुफ्त की चीजों को जमा करने का नया और अनोखा वर्ल्ड रिकौर्ड बनाया है.

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गुप्ता बंधुओं के पास मौजूदा समय में एक लाख रुपए से ज्यादा के गिफ्ट आइटम भरे पड़े हैं. इन गिफ्ट आइटमों को इकट्ठा करने में विश्व गुप्ता व विजय गुप्ता नामक इन दोनों भाइयों ने अपनी नौकरी की ज्यादातर तनख्वाह अपने इस शौक में फूंक डाली है.

नवां शहर, पंजाब के महल्ला सेरिया के बाशिंदे द्रविंद्र भिंडी ने अपने मुंह में सूई रखने का एक नया रिकौर्ड बनाने का दावा किया है. उन का कहना है कि वे 50 से भी ज्यादा सूइयों को हमेशा अपने मुंह में रखते हैं. खाना खाते, नहाते व सोते समय भी उन के मुंह में सूइयां रहती हैं.

अहमदाबाद, गुजरात के एक रैस्टोरैंट के मालिक ने 25 फुट लंबा डोसा बनाने का रिकौर्ड बनाया है. 15 रसोइयों की मदद से 25 फुट डोसा बनाने वाले कैलाश गोयल का नाम गिनीज बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड में दर्ज है.

कुरुक्षेत्र, हरियाणा की मल्लिका सेठ ने अपने शरीर को मधुमक्खियों के हवाले कर के एक नया रिकौर्ड बनाया है.

संजय कुलकर्णी को ही ले लीजिए. पूना, महाराष्ट्र के संजय कुलकर्णी ने 2.6 किलोग्राम कांच खा कर वर्ल्ड रिकौर्ड बनाया है. यह नौजवान मजे के साथ बल्ब और कांच की बोतलों को ऐसे चबा जाता है, जैसे पापड़ खा रहा हो.

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मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पढ़ेलिखे नौजवान वकील महेंद्र सिंह चौहान ने लगातार 18 घंटे तक सिक्का घुमाने का एक नया रिकौर्ड बनाया है.

मध्य प्रदेश के सागर जिले के रहने वाले गिरीश शर्मा ने 55 घंटे, 35 मिनट खड़े रह कर एक नया वर्ल्ड रिकौर्ड बनाया है. इस नौजवान को बाद में पता चला कि लगातार 55 घंटे खड़े होने की वजह से उस के पैर की नस फट गई और खून बहने लगा.

इसी तरह का एक रिकौर्ड मंदसौर, मध्य प्रदेश के राधेश्याम प्रजापति ने बनाया है. यह नौजवान लगातार एक मुद्रा में 18 घंटे तक खड़ा रहा, जिस के चलते उस का नाम गिनीज बुक औफ वर्ल्ड रिकौर्ड में दर्ज किया गया.

इस वर्ल्ड रिकौर्ड में राधेश्याम प्रजापति को जितना समय खड़े रहने में लगा, अगर उतना समय वह अपनी नौकरी को ढूंढ़ने में लगाता, तो शायद उस के परिवार की दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो जाता.

वर्ल्ड रिकौर्ड बनाने के चक्कर में महाराष्ट्र की उपराजधानी नागपुर के एक बालक ने अपने दोनों हाथों में हथकड़ी लगा कर तैरने का वर्ल्ड रिकौर्ड बना डाला.

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पंजाब के फरीदकोट के तेलिया महल्ले के एक बाशिंदे पीके सेठी के पास भारत सरकार के ऐसे दुर्लभ नोट हैं जिन्हें नियमानुसार बैंकों में जमा कर देना चाहिए, पर इन सज्जन ने अपना रिकौर्ड बनाने के चक्कर में भारत के उन नोटों को जमा कर के रखा हुआ है, जो गलत छपे हुए हैं.

दुनिया में सब से लंबा और वजनी कलैंडर बनाने का रिकौर्ड वीरेंद्र सिंह बिरदी के नाम दर्ज है. उन्होंने इतना लंबा कलैंडर बनाया है कि 40,000 लोग उस पर एकसाथ खड़े हो सकते हैं.

तकरीबन 10,475 मीटर लंबे इस कलैंडर को उठाने में 3 लोगों की जरूरत पड़ती है.

गायत्री मंत्र सहित 23 भाषाओं में लिखा गया वीरेंद्र सिंह बिरदी का यह कलैंडर दुनिया का सब से लंबा कलैंडर भारत को क्या फायदा पहुंचा सकता है, इस बात से तो वीरेंद्र सिंह बिरदी भी अनजान हैं.

इन वर्ल्ड रिकौर्ड धारकों से अच्छे तो भोपाल के वे 2 साइकिल चालक हैं, जो अपंग होने के बावजूद बैंगलुरु से दिल्ली और दिल्ली से कन्याकुमारी तक देश में सांप्रदायिक एकता, भाईचारे को कायम करने के मकसद से 3,000 किलोमीटर की यात्रा पर निकले थे.

ऐसे वर्ल्ड रिकौर्ड धारकों में डाक्टर एमसी मोदी का नाम सुनहरे अक्षरों में लिखा जाना चाहिए, क्योंकि उन्होंने काम ही ऐसा किया था. उन्होंने मोतियाबिंद के 833  आपरेशन कर के सैकड़ों लोगों को आंखों की रोशनी दी.

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अब इंदौर, मध्य प्रदेश के ही अरविंद कुमार आगार को ले लीजिए. इन्होंने रक्तदान कर के वर्ल्ड रिकौर्ड बनाया है. दुनिया में सब से ज्यादा बार लोगों को खून दे कर उन की जान बचाने वाले अरविंद कुमार पर भारत को गर्व है.

केजी हनुमंत रेड्डी ने आज तक भारत सरकार के खिलाफ सब से ज्यादा मुकदमे दर्ज करने का एक अजीबोगरीब वर्ल्ड रिकौर्ड बना डाला है.

सरकार के खिलाफ जनहित के मामले दर्ज करना तो अच्छी बात है, पर सरकार को परेशान करने के लिए या फिर अपना नाम रिकौर्ड बुक में दर्ज कराने के लिए ऐसे मुकदमे दर्ज करने से क्या हनुमंत रेड्डी ने कोई नया तीर मारा है?

मिलिंद देशमुख की चर्चा करते हैं तो हमें पता चलता है कि उन्होंने 65 किलोमीटर की दूरी अपने सिर पर दूध की भरी बालटी रख कर तय कर के रिकौर्ड बुक में अपने नाम दर्ज कराया है.

मिलिंद देशमुख की तरह एक सज्जन अरविंद पंड्या भी हैं, जिन्होंने लौस एंजिल्स से न्यूयौर्क तक की दूरी पीछे की ओर दौड़ कर पूरी की है.

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यहां पर बाबा महेंद्र पाल की तारीफ करना बहुत जरूरी है, क्योंकि उन्होंने शारीरिक रूप से अपंग होने के बावजूद 7,360 मीटर ऊंची माउंट आबू की गामिन चोटी पर चढ़ाई कर के लोगों को प्रेरित किया है कि अपंगता किसी भी काम में बाधक साबित नहीं हो सकती.

जगदीश चंद्र नामक आदमी द्वारा 15 महीने तक रेंगते हुए 1,400 किलोमीटर की दूरी तय कर के बनाया गया रिकौर्ड समय की बरबादी ही कहा जा सकता है.

इसी तरह 9 साल के बालक चिराग शाह ने 72 घंटे तक 2 सीट वाले विमान को चला कर अपना नाम गिनीज बुक में दर्ज करवा लिया.

नागौर, राजस्थान के महेश प्रसाद ने एक साधारण साइकिल पर 21 छात्रों को 381 किलोमीटर का सफर करा कर वर्ल्ड रिकौर्ड बनाया है.

महेश प्रसाद का यह रिकौर्ड उन के दोस्तों के लिए प्रेरणादायी हो सकता है, पर इन रिकौर्डों से देश की जनता को क्या मिला, यह नहीं पता है.

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पश्चिम बंगाल के सुकुमार दास ने रिकौर्ड बनाने के लिए एक दिन में 50 किलो भोजन करने के 2 दिन बाद 62 किलो सब्जियां खा कर अपना

नाम शामिल कराने का दावा किया है.

सुकुमार दास ईंट, ट्यूबलाइट, नाई की दुकान से इकट्ठे किए गए बाल, फटेपुराने कपड़े तक खा जाते हैं.

अनुष्का का गुस्सा जायज है! खिलाड़ियों के बेडरूम तक सीमित हो चुकी है खेल पत्रकारिता

“मनगढ़ंत और फर्जी खबरो-किस्सों से कैसे निपटा जाए, इस बारे में मेरी हमेशा यही राय रही कि आप चुप रहें और आलोचकों को बोलने दें. इस बात में विश्वास रखते हुए ही मैंने अपने करियर के 11 साल पूरे किए हैं. मैंने हमेशा अपनी चुप्पी की परछाई में अपने आत्मसम्मान और सत्य को मजबूती से खड़े पाया”.

“लेकिन वो कहावत है ना कि बार-बार एक झूठ को दोहराया जाए तो वो सच लगने लगता है, मेरे साथ वही हो रहा है. मेरी चुप्पी की वजह से मेरे खिलाफ बोए गए झूठ सच लगने लगे हैं लेकिन आज इसका अंत होगा. मैं उस वक़्त चुप रही जब कहा गया कि मेरी वजह से मेरे पति विराट कोहली का प्रदर्शन बिगड़ा. मैं उस बेबुनियाद के आरोप पर भी चुप रही जब कहा गया कि मैं भारतीय क्रिकेट से जुड़ी चीज़ों में शामिल हूं.”

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“मेरा नाम उन मनगढ़ंत किस्सों में भी शामिल किया गया जिनमें कहा गया कि मैं बंद कमरों में होने वाली क्रिकेट टीम की बैठकों में शामिल होती हूं और टीम की सलेक्शन प्रक्रिया को प्रभावित करती रही हूं. मैं चुप रही. मेरे नाम को गलत तरीके से उन दावों में भी इस्तेमाल किया गया जिनके अनुसार इंडियन टीम के विदेशी दौरे पर मैं अपने पति के साथ तय वक्त से ज्यादा समय के लिए रुकी. जबकि मैंने हमेशा सारे प्रोटोकॉल फॉलो किये. लोग कहते रहे, पर मैं चुप रही.”

“जब मुझसे एक हाई कमिश्नर की पत्नी ने ग्रुप फ़ोटो में आने की गुज़ारिश की और बड़े संकोच के साथ मैं उस तस्वीर के लिए तैयार हुई, तो भी बवाल खड़ा किया गया और कहा गया कि मैं उस इवेंट में ज़बरन शामिल हुई थी, जबकि मुझे आमंत्रित किया गया था. लेकिन क्रिकेट बोर्ड को इसे लेकर स्पष्टीकरण देना पड़ा और मैं चुप रही. इस कड़ी में जो सबसे नया झूठ फ़ैलाया जा रहा है वो ये है कि वर्ल्ड कप मुक़ाबलों के दौरान क्रिकेट टीम के चयनकर्ताओं ने मुझे चाय परोसी थी!”

“अगर आपको चयनकर्ताओं और उनकी योग्यता पर ही कोई टिप्पणी करनी है तो शौक से करें, पर अपने फ़र्ज़ी दावों में दम भरने के लिए और सनसनी पैदा करने के लिए मेरे नाम का इस्तेमाल ना करें. मैं ये नहीं होने दूंगी कि आप ऐसी घटिया कहानियों में मेरे नाम को घसीटें. ऐसा नहीं है कि इस अंतिम ‘ख़बर’ से ही मुझे सबसे अधिक तकलीफ़ हुई है और मैंने चुप्पी तोड़ी. हर बार मुझे उतना ही ख़राब लगता है, गुस्सा आता है.”

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“इसलिए मेरी इस चिट्ठी को उस एक कथित ख़बर का जवाब ना समझा जाए. मैंने आज बोलने का फ़ैसला किया क्योंकि मुझे लगा कि किसी के चुप रहने को उसकी कमज़ोरी ना समझ लिया जाए. आपको अपना एजेंडा चलाना है, किसी की आलोचना करनी है, भले ही मेरे पति की आलोचना क्यों ना करनी हो, वो आप तथ्यों और सबूतों के साथ करें. पर मेरे नाम को बख़्श दें.”

“मैंने सारी गरिमाओं का ध्यान रखते हुए अपने दम पर अपना करियर बनाया है. मैं इसे लेकर कोई समझौता नहीं कर सकती. कुछ लोगों को शायद ये बात हज़म नहीं होती होगी कि मैं अपनी मेहनत के दम पर सफ़ल होने वाली स्वतंत्र महिला हूँ जो एक क्रिकेटर की बीवी भी है….और रिकॉर्ड के लिए, मैं (चाय नहीं) कॉफी पीती हूँ.”

ये बात अनुष्का शर्मा ने कही. अनुष्का शर्मा ने केवल फारूक इंजीनियर को ही जवाब नहीं दिया बल्कि खिलाड़ियों के बेडरूम की बातें लिखकर फेमस होने वाले लोगों के ऊपर एक करारा तमाचा  है. हमेशा से ही मै इस बात का तरफदार रहा हूं कि खेल पत्रकारिता का स्तर ऐसा नहीं होना चाहिए जैसा कि हो रहा है. पहले खेल की बारीकियों, पर खिलाड़ियों के आंकड़ों और उनके प्रदर्शन पर चर्चाएं होती थी  लेकिन अब इन सब के अलावा सब पर चर्चा हो रही है. रोहित शर्मा की पत्नी ने अनुष्का की तरफ क्यों नहीं देखा. विराट कोहली की पत्नी अनुष्का शर्मा प्रेग्नेंट है कि नहीं. विराट कोहली अनुष्का को क्या गिफ्ट दे रहे हैं. दिनेक कार्तिक की पत्नी और मुरली विजय के बीच क्या चर रहा है.

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बार-बार ऐसी चीजों से खिलाड़ियों का मनोबल गिरता है. तभी हम देखते हैं कि किसी भी टूर्नामेंट के पहले खिलाड़ी मीडिया और सोशल मीडिया से दूरी बना लेते हैं. क्योंकि उनको पता होता है कि कुछ न कुछ उनको ऐसा दिख जाएगा जिसकी वजह से उनके खेल पर इफेक्ट हो जाएगा. अनुष्का को लेकर काफी मीम्स बनें और विराट कोहली के प्रदर्शन पर जब भी बात होती है तो उसमें बेवजह अनुष्का को घसीट लिया जाता है.

फारूक इंजीनियर के बयान से साफ था कि उनके निशाने पर सेलेक्टर्स थे लेकिन उन्होंने इसके लिए अनुष्का का सहारा लिया. अनुष्का ने भी इस बात का जिक्र किया था. उन्होंने कहा कि अगर आप को सेलेक्टर्स को कुछ कहना है कि आप मेरा सहारा मत लीजिए.

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सावधान! अगर आप भी हैं सचिन, धोनी के फैन तो हो सकता है वायरस अटैक

कई बार तो ऐसे वायरस हमारे डिवाइस में आ जाते हैं जिनसे हमारे डिवाइस खराब हो जाते हैं इससे भी ज्यादा खतरनाक ये होता है कि ये वायरस आपके फोन की गोपनीय सामाग्री भी चुरा सकते हैं. ऐसे वायरसों से सावधान रहना चाहिए. इसके अलावा एक और चौंकाने वाली रिपोर्ट आई है.

भारत को दो बार विश्व खिताब दिलाने वाले देश के सबसे लोकप्रिय खिलाड़ियों में से एक महेंद्र सिंह धोनी मैकफे की मोस्ट डेंजरस सेलिब्रिटी सूची में पहले स्थान पर हैं. अपने 13वें संस्करण में मैकफे की शोध ने लोकप्रिय सेलिब्रिटीज की पहचान की है, जो सर्वाधिक जोखिमभरे सर्च परिणाम निर्मित करते हैं और जिनसे उनके फैंस को मैलिशियस वेबसाइट्स एवं वाइरस का खतरा रहता है.

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धोनी ने 2011 के विश्व कप में 28 सालों के बाद भारत के सर पर ताज का सेहरा बांधने के लिए टीम का नेतृत्व किया था. धोनी पूरी दुनिया में अपने धैर्य व स्थिर चित्त के लिए मशहूर हैं. उनकी अपार लोकप्रियता ने साइबर अपराधियों को उपभोक्ताओं को मैलिशियस वेबसाइट्स की ओर लुभाने का मौका दे दिया, जो मालवेयर इंस्टॉल कर व्यक्तिगत जानकारी एवं पासवर्ड चुरा सकते हैं.

सूची में दूसरे स्थान पर क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर हैं. सर्वाधिक जोखिमभरे सर्च परिणाम निर्मित करने वाली टॉप-10 हस्तियों में धोनी और सचिन के अलावा महिला क्रिकेट टीम की कप्तान हरमनप्रीत कौर, विश्व चैम्पियनशिप जीत चुकीं बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु और पुर्तगाल के महान फुटबाल खिलाड़ी क्रिस्टीयानो रोनाल्डो शामिल हैं.

साथ ही टौप-10 में रियल्टी टीवी शो-बिग बौस के विजेता गौतम गुलाटी, बौलीवुड अभिनेत्री सनी लियोन, पौप आइकौन बादशाह, अभिनेत्री राधिका आप्टे और श्रृद्धा कपूर भी शामिल हैं. मैकफे इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट ऑफ इंजीनियरिंग एवं मैनेजिंग डायरेक्टर वेंकट कृष्णापुर ने कहा, “इंटरनेट की आसान उपलब्धता एवं अनेक कनेक्टेड डिवाईसेस ने यूजर्स को पूरी दुनिया से कंटेंट प्राप्त करना आसान बना दिया है.

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जहां भारत में सब्सक्रिप्शन पर आधारित कंटेंट प्लेटफार्म बढ़ रहे हैं, वहीं नेटिजंस बड़ी स्पोटिर्ंग ईवेंट्स, मूवीज, टीवी शो एवं अपने चहेते सुपरस्टार की इमेजेस के लिए निशुल्क एवं पायरेटेड कंटेंट तलाशते हैं. दुर्भाग्य से उन्हें इस तरह का कंटेंट प्रदान करने वाली मैलिशियस वेबसाइट्स द्वारा उत्पन्न जोखिम का अनुमान नहीं होता.”

उन्होंने आगे कहा, “साइबर अपराधी इस अवसर का लाभ उठाकर उपभोक्ताओं की कमजोरियों पर सेंध लगाते हैं, क्योंकि वो सुविधा के बदले अपनी सुरक्षा से समझौता करते हैं. उपभोक्ताओं के लिए यह जरूरी है कि वो इन जोखिमों को समझें, क्लिक करने से पहले विचार करें और ऐसे संदेहास्पद लिंक्स पर न जाएं, जो उन्हें निशुल्क कंटेंट दिखाने के लिए लुभाता हो. ऐसे में मैकफे ने उपभोक्ताओं को ऑनलाइन सुरक्षित रखने में मदद करने के लिए कुछ सुझाव जारी किए हैं.

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  1. आप क्लिक करने से पहले सावधान रहें. एमएस धोनी से संबंधित कंटेंट मुफ्त में प्राप्त करने के इच्छुक यूजर्स सावधान रहें और केवल भरोसेमंद स्रोत से ही कंटेंट स्ट्रीम व डाउनलोड करें. सबसे सुरक्षित यह है कि आप मालवेयर युक्त थर्ड पार्टी वेबसाइट पर विजिट करने की बजाए ऑफिशल रिलीज का इंतजार कर लें.
  2. गैरकानूनी स्ट्रीमिंग साइट्स का उपयोग न करें। जोखिमभरे ऑनलाइन व्यवहार के मामले में गैरकानूनी स्ट्रीमिंग साइट्स का उपयोग आपकी डिवाइस के लिए उतना ही खतरनाक है, जितनी खतरनाक जंगल की आग होती है. कई गैरकानूनी स्ट्रीमिंग साइट्स पर पाइरेटेड वीडियो फाइल के रूप में मालवेयर या एडवेयर छिपे होते हैं. इसलिए वीडियो केवल प्रतिष्ठित स्रोत से ही स्ट्रीम करें.
  3. अपनी ऑनलाइन दुनिया को साइबर सिक्योरिटी समाधान की सुरक्षा दें. मैकफे टोटल प्रोटेक्शन जैसे विस्तृत सिक्योरिटी समाधान की मदद से मैलिशियस जोखिमों को अलविदा कर दें. इससे आप मालवेयर, फिशिंग के हमलों एवं अन्य जोखिमों से सुरक्षित रहेंगे.
  4. वेब रेप्युटेशन टूल का इस्तेमाल करें. वेब रेप्यूटेशन टूल, जैसे निशुल्क मैकफे वेब एडवाईजर का उपयोग करें, जो आपको मैलिशियस वेबसाईट के बारे में सचेत कर देता है.
  5. पैरेंटल कंट्रोल सॉफ्टवेयर का उपयोग करें. बच्चे भी सेलिब्रिटीज के फैन होते हैं, इसलिए डिवाइस पर अपने बच्चे के लिए लिमिट्स सुनिश्चित कर दें और मैलिशियस एवं अनुचित वेबसाइट्स से उनको सुरक्षित रखने के लिए पैरेंटल कंट्रोल सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करें.

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तकनीकि के युग में जहां हम बहुत तेजी से आगे बढ़ते जा रहे हैं. लेकिन तकनीकि की बारीक जानकारियां हमें नहीं होती जिसकी वजह से हम किसी बड़ी समस्या में फंस सकते हैं. हम अपने मोबाइल में तरह-तरह के मोबाइल एप डाउनलोड करते हैं. इन ऐप्स को जब आप इन्सटॉल करते हैं तो ये आपसे परमिशन मांगते हैं आपके मोबाइल के कॉन्टेक्ट, फोटोज, वीडियो, कैमरा आदि के एक्सेस का. हम आप बड़ी आसानी से उसको ओके कर देते हैं. हम जाने अनजाने में उस ऐप को ये एक्सेस दे देते हैं कि वो हमारी हर चीज को देख सके. इस तरह हम खुद ही अपनी प्राइवेसी को ऐप के हवाले कर देते हैं.

हिटमैन के बल्ले से निकला पहला दोहरा शतक, तोड़ा सर डौन ब्रैडमैन का रिकौर्ड

भारतीय टेस्ट क्रिकेट में शायद लंबे अर्से वक्त बाद ऐसा नजारा देखने को मिल रहा था. टेस्ट क्रिकेट में भारत के पास वो वीरेंद्र सहवाग नहीं था जो टेस्ट में भी 100 के स्ट्राइक रेट से रन बरसाता था. टीम इंडिया लगातार प्रयोगों के दौर से गुजर रही थी लेकिन इस समस्या का निदान टीम के भीतर ही था. लंबे वक्त के बाद टीम इंडिया अब उस समस्या से बाहर आ गई है. टीम इंडिया की ओपनिंग जब से रोहित शर्मा ने करनी शुरु की तब से वो रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं. हालांकि अभी तक उनके सभी टेस्ट शतक भारत की सरजमी पर ही आए हैं लेकिन ये भी कुछ कम नहीं है. रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में एक नई लकीर खींच दी है.

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भारतीय क्रिकेट टीम के सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा ने रांची में अपने टेस्ट करियर का पहला दोहरा शतक पूरा किया. इसके साथ ही रोहित शर्मा ने रिकॉर्डों की झड़ी लगा दी. रांची में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट के दूसरे दिन रोहित शर्मा ने 249 गेंदों में अपने टेस्ट करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 212 रन पूरे किए. इससे पहले रोहित ने उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 177 रन था, जो उन्होंने अपने डेब्यू टेस्ट में वेस्ट इंडीज के खिलाफ कोलकाता में नवंबर, 2013 में बनाया था. हालांकि अपने टेस्ट करियर में रोहित तीसरी बार 150 से अधिक का स्कोर बनाने में कामयाब हुए हैं.

रोहित शर्मा टेस्ट और वनडे इंटरनेशनल दोनों में 200+ का स्कोर करने वाले चौथे बल्लेबाज बन गए हैं. इससे पहले सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग और क्रिस गेल यह कारनामा कर चुके हैं. रोहित शर्मा ने मौजूदा टेस्ट सीरीज में अब तक 19 छक्के जड़े हैं. इससे पहले यह कीर्तिमान वेस्टइंडीज के शिमरॉन हेटमेयर के नाम था, जिन्होंने 2018-19 में बांग्लादेश के खिलाफ 2 टेस्ट मैचों की सीरीज में 15 छक्के लगाए थे. इतना ही नहीं हिटमैन ने दिग्गज खिलाड़ी औसत के मामले में सर डॉन ब्रैडमैन का रिकॉर्ड भी तोड़ा है. घरेलू मैदान पर रोहित शर्मा की बल्लेबाजी औसत 99.84 का है. जबकि सर डॉन ब्रैडमैन ने घरेलू मैदान पर 98.22 की औसत रन बनाए हैं.

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रोहित शर्मा ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ इस सीरीज में 100 से ज्यादा के औसत से तीन शतकों के साथ 529 रन पूरे कर लिए हैं. इसी के साथ वो तीन मैचों की टेस्ट सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले दूसरे खिलाड़ी बन गए हैं. रोहित से पहले वीरेंद्र सहवाग ने पाकिस्तान के खिलाफ साल 2005 में बतौर ओपनर 500 से ज्यादा रन बनाए थे, जिसमें एक तिहरा शतक भी शामिल था.

रोहित शर्मा एक टेस्ट सीरीज में 500 या उससे ज्यादा रन बनाने वाले पांचवे भारतीय ओपनर बन गए हैं. हिटमैन से पहले विनोद मांकड़, बुद्धी कुंदेरम, सुनील गावस्कर और वीरेंद्र सहवाग ने एक टेस्ट सीरीज में 500+ रन बनाए थे. गावस्कर ने ये कारनामा पांच बार किया है. उन्होंने पांच टेस्ट सीरीज में 500+ रन बनाए थे.

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सौरव गांगुली का बीसीसीआई अध्यक्ष बनना, बीजेपी की प. बंगाल में बैक डोर एंट्री है!

राजनीति में कोई भी दोस्त या दुश्मन नहीं होता. विलियम शेक्सपियर का एक मशहूर कोट है ‘Everything is Fair Love And War’. अब तो राजनीति के हालात हैं उसमें इस कोट को बदलकर Everything is Fair Love, War and Politics’. पिछले कुछ सालों में जिस तरह से बंगाल की राजनीति में बदलाव देखा गया वो बाकी अन्य राज्यों में देखने को नहीं मिला. भाजपा ने जिस तरह से बंगाल की राजनीति में एंट्री की है उसने ममता दीदी के माथे में चिंता की लकीरें खींच दी हैं. फिलहाल यहां हम बात करेंगे पूर्व क्रिकेटर और प्रिंस ऑफ कोलकाता कहलाने वाले सौरव गांगुली का. गांगुली ने बीसीसीआई अध्यक्ष पद की कमान संभाल ली है. भारतीय क्रिकेट के लिए तो ये एक स्वर्णिम वक्त है. लगभग 60-65 सालों के बाद कोई भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान इस पद पर बैठा है. लेकिन उनके इस पद से ममता दीदी काफी परेशान हैं. उनको लग रहा है कि अगर गांगुली बीजेपी के खेमे में गए तो ममता दीदी के हाथ से सत्तासुख छिन सकता है.

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गांगुली का केवल 10 महीने के लिए बीसीसीआई अध्यक्ष बनने के लिए तैयार होना भी कई सवाल भी खड़े कर रहे हैं. दरअसल, अध्यक्ष बनना गांगुली के लिए फायदा से ज्यादा नुकसान वाली डील है. अध्यक्ष बनने के बाद गांगुली को कमेंट्री और मीडिया कॉन्ट्रैक्ट से मिलने वाले करीब 7 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. जब वह बीसीसीआई अध्यक्ष बन जाएंगे तो ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे. इसके अलावा टीम इंडिया की कोचिंग का उनका सपना भी दूर की कौड़ी हो जाएगी. बता दें कि गांगुली कई मौकों पर कह चुके हैं कि वह भारतीय टीम का कोच बनने के ख्वाहिशमंद हैं. कहा जा रहा है कि गांगुली अध्यक्ष बनने के लिए इसलिए तैयार हुए हैं क्योंकि वह बंगाल में बीजेपी का मुख्यमंत्री का चेहरा बनने का ऑफर स्वीकार करेंगे. जबतक बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर उनका कार्यकाल खत्म होगा तबतक बंगाल में विधानसभा चुनाव करीब आ जाएंगे.

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देश के गृहमंत्री अमित शाह ने इन दिनों कई न्यूज चैनलों को इंटव्यू दिया है. इस इंटरव्यू में एक सवाल कॉमन रहा. वो सवाल था क्या सौरव गांगुली बीजेपी ज्वाइन कर लेंगे. शाह ने भी बड़ी ही चालकी से इस बात का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि अभी ऐसी कोई बात नहीं हुई है लेकिन आगे कुछ भी हो सकता है. कई पत्रकारों ने घुमा फिराकर इस सवाल को कई बार दागा लेकिन शाह का जवाब टस्स से मस्स नहीं हुआ. जब गांगुली से जब पूछा गया कि क्या वह 2021 में बीजेपी का बंगाल में चेहरा होंगे, गांगुली ने कहा, ‘कोई राजनेता मेरे संपर्क में नहीं है और यही हकीकत है. जहां तक ममता दीदी की बात है तो मैं उनका बधाई संदेश पाकर काफी खुश हूं.’ लेकिन एक हकीकत यह भी है कि गांगुली अमित शाह, अनुराग ठाकुर और हेमंत बिस्वा शर्मा से मिले हैं.

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केंद्रीय गृह मंत्री ने यह भी साफ कर दिया कि बंगाल में बीजेपी का चेहरा कौन होगा यह अभी तय नहीं है. इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है. लेकिन जनता ने यह तय कर लिया है कि ममता बनर्जी सरकार को हटाना है. बता दें कि बीजेपी बंगाल में सरकार बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है. 2016 में हुए विधानसभा चुनाव में भी पार्टी ने काफी कोशिश की थी लेकिन ममता बनर्जी विजेता बनकर उभरीं थी. 2019 लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 42 में से 18 सीटें जीती थीं. अब 2021 में बंगाली में विधानसभा होने जा रहे हैं. बीजेपी इन चुनावों में ममता सरकार को गिराने के लिए गांगुली का सहारा ले सकते हैं.

पश्चिम बंगाल में 42 संसदीय सीटें हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में तृणमूल उनमें से 34 सीटें हासिल कर लोकसभा में तीसरी सबसे पार्टी बनी थी. ऐसे में 2019 लोकसभा चुनाव में अगर तृणमूल इससे अच्छा कुछ करती है तो किंगमेकर होने के साथ ममता की पीएम उम्मीदवारी भी मजबूत होगी, लेकिन 2011 विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा यहां मुख्य विपक्षी दल बन कर उभरी. 2014 लोकसभा चुनाव में स्थिति और मजबूत हुई. पहली बार भाजपा को पश्चिम बंगाल से दो सीटें मिलीं. अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने 2019 चुनाव के लिए बंगाल से 23 सीटों का लक्ष्य तय किया था लेकिन भाजपा ने यहां 18 सीटें जीती थी और कई सीटें मामली अंतर से हारी थी.

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1954 के बाद पहली बार कोई भारतीय कप्तान बना BCCI का अध्यक्ष, ये होंगी चुनौतियां

आखिरकार सौरव गांगुली विश्व के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई के अध्यक्ष बन गए. वैसे तो बीसीसीआई स्वतंत्र संस्था है जिसपर किसी की भी हस्तक्षेप नहीं रहा लेकिन राजनीति से ये कभी अछूती नहीं रही. चाहे हो जगमोहन डालमिया हो या फिर अनुराग ठाकुर हों या श्रीनिवासन.

लेकिन इस बार एक अच्छी बात ये है कि 1954 के बाद पहली बार कोई भारतीय क्रिकेट टीम का कप्तान इस अहम पद पर बैठने जा रहा है. गांगुली पर जिम्मेदारी भी बहुत है क्योंकि अगले साल ही टीम को टी-20 विश्व कप और एशिया कप खेलना है. साथ ही सीओए के साथ तालमेल बैठाना भी बड़ी जिम्मेदारी होगी.

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मुंबई में क्रिकेट संघों की कई राउंड मीटिंग के बाद सौरव गांगुली के नाम पर सहमती बनी थी क्यूंकि उन्होंने साफ तौर पर बता दिया था की अध्यक्ष पद के अलावा उनका किसी और पद में कोई रूचि नहीं है. माना जा रहा है कि गांगुली को भारत सरकार के मंत्री अनुराग ठाकुर का भी समर्थन प्राप्त था. अध्यक्ष पद खोने के बाद बृजेश पटेल ने आईपीएल का चेयरमैन बनने पर सहमति दे दी. गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को सचिव जबकि अरुण सिंह ठाकुर, जो अनुराग ठाकुर के छोटे भाई है, को कोषाध्यक्ष बनाए जा सकते हैं.

चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पूर्व भारतीय कप्तान का कार्यकाल 10 महीने का होगा. फिलहाल गांगुली के लिए ये एक छोटा कार्यकाल होगा क्योंकि नए नियमों के तहत जुलाई 2020 से उनकी कूलिंग ऑफ़ अवधि शुरू हो जाएगी. वह पिछले पांच वर्षों करीब दो महीने से क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल में पद संभाल रहे हैं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित लोढ़ा कमेटि के नियमों के मुताबिक एक प्रशासक केवल छह साल के अंतराल पर सेवा दे सकता है.

गांगुली, जिन्होंने अपनी आक्रामक कप्तानी के साथ भारतीय क्रिकेट में एक नए युग की शुरुआत की, वो बोर्ड के शीर्ष पद संभालने वाले दूसरे भारतीय कप्तान होंगे. बीसीसीआई के अध्यक्ष बनने वाले एकमात्र अन्य भारतीय कप्तान विजयनग्राम या विज्जी के महाराजकुमार थे, जिन्होंने 1936 में इंग्लैंड दौरे के दौरान 3 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था.

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वे 1954 में बीसीसीआई के अध्यक्ष बने थे. गांगुली कभी भी नेतृत्व की भूमिका निभाने से कतराते नहीं हैं. विश्व क्रिकेट में सबसे सफल कप्तानों में से एक के रूप में अपना करियर खत्म करने के बाद, उन्होंने बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन डालमिया के संरक्षण में सीएबी में प्रशासन में प्रवेश किया.

जब गांगुली ने 2000 में भारत के कप्तान के रूप में पदभार संभाला था, तो भारतीय क्रिकेट गर्त में था. मैच फिक्सिंग कांड के बाद बोर्ड की आईसीसी में दबदबा काफी कम हो गया था. बतौर कप्तान उन्होंने भारतीय क्रिकेट को विश्वास दिलाया कि भारत विदेशों में भी जीत सकता है.

गांगुली के सामने अब कई चुनौती होंगी. उन्हें सीओए के साथ कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट को भी सुधारना होगा. नामांकन दाखिल करने के बाद गांगुली ने पत्रकारों से कहा था, ‘‘हितों का टकराव का मुद्दा बड़ा है. और मुझे यह नहीं पता है कि मैं सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटरों की सेवाएं ले पाऊंगा या नहीं क्योंकि उनके पास दूसरे विकल्प भी मौजूद होंगे.’’

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गांगुली ने साफ किया कि ‘एक व्यक्ति एक पद’ के मौजूदा नियम क्रिकेट के पूर्व दिग्गजों को प्रशासन में आने से रोकेगा क्योंकि उन्हें अपनी आजीविका कमाने की भी जरूरत होगी. इसके साथ ही फर्स्ट क्लास क्रिकेट पर भी गांगुली का ध्यान होगा. गांगुली के सामने टी-20 विश्व कप के समय तक टीम को बेहतरीन बनाना भी बड़ा मुद्दा है. क्योंकि टी-20 में अभी भी भारतीय टीम को सुधार करने की बड़ी जरूरत है.

ICC ने हटाया वो नियम, जिसने इंग्लैंड को बनाया था पहली बार क्रिकेट का विश्व कप

उस दिन लगा कि अब फाइनल मुकाबला क्या देखना जब भारत लड़ाई में है ही नहीं. लेकिन विश्व कप का फाइनल इंग्लैंड और न्यूजीलैंड के बीच ऐसा हुआ जो सदियों तक याद रखा जाएगा. 2019 में इंग्लैंड ने पहली बार खिताब जीता और न्यूजीलैंड ने दिखा दिया कि आखिरकार टूर्नामेंट में क्यों उस टीम को फेवरेट बताया जा रहा था. हालांकि न्यूजीलैंड खिताब जीतते रह गया और इसमें विलन बना था आईसीसी का वो नियम जो अब इतिहास बन गया.

विश्व कप का फाइनल मुकाबला लौर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान में खेला गया था. इस मुकाबले का नतीजा बाउंड्री काउंट के आधार पर निकला था, लेकिन आईसीसी ने अब इस नियम को हटा लिया है. आईसीसी के सुपर ओवर में बाउंड्री नियम की वजह से इंग्लैंड पहली बार खिताब जीतने में कामयाब तो हो गया लेकिन वहीं शानदार प्रदर्शन करने वाली न्यूजीलैंड की टीम खिताब से चूक गई थी. आईसीसी ने कहा कि ग्रुप स्टेज में अगर सुपर ओवर टाई रहता है तो इसके बाद मुकाबला टाई रहेगा.

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वहीं सेमीफाइनल और फाइनल में अगर सुपर ओवर होता है तो ऐसे में जो भी टीम ज्यादा रन बनाती है वो विजेता घोषित होगी. सेमीफाइनल और फाइनल मुकाबले में सुपर ओवर तब तक जारी रहेगा जब तक एक टीम दूसरी टीम से ज्यादा रन नहीं बना लेती. उदाहरण के तौर पर, अगर ग्रुप स्टेज में दो टीमें 50 ओवर में एक ही स्कोर बनाती हैं तो ऐसे में मैच के नतीजे के लिए सुपर ओवर होगा. लेकिन अगर सुपर ओवर में भी स्कोर बराबर रहता है तो ऐसे में मैच का नतीजा टाई होगा और दोनों टीमों को बराबर अंक मिलेंगे. लेकिन सेमीफाइनल और फाइनल में ऐसा नहीं होगा.

14 जुलाई को ऐतिहासिक लौर्डस मैदान पर खेले गए फाइनल मैच में इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को सुपर ओवर में हरा दिया था. इस रोमांचक खिताबी मुकाबले में न्यूज़ीलैंड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 241 रन बनाए और इंग्लैंड को वर्ल्ड चैंपियन बनने के लिए 242 रनों की जरूरत थी, लेकिन मेजबानी टीम भी 50 ओवर में 241 रन ही बना सका और मैच टाई हो गया.

इस टाई मैच का नतीजा निकालने के लिए सुपर ओवर कराया गया था. इंग्लैंड ने एक ओवर में 15 रन बनाए और बाद में न्यूज़ीलैंड भी15 रन ही बना पाया. इसलिए मैच यहां भी टाई हो गया. यहां तक भी जब कोई नतीजा नहीं निकला तो मैच में किस टीम की ओर से बाउंड्री ज्यादा (बाउंड्री काउंट) लगी उसके आधार पर मैच का नतीजा निकला.

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इंग्लैंड ने अपनी पारी में कुल 26 बाउंड्री लगाई और न्यूजीलैंड ने कुल 17. इस आधार पर इंग्लैंड को विजेता घोषित किया गया, लेकिन आईसीसी ने अब बाउंड्री काउंट नियम को रद्द कर दिया है.

सोमवार को हुई आईसीसी की बोर्ड की बैठक के बाद जारी बयान में कहा गया कि आईसीसी क्रिकेट समिति, मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (सीईसी) की समिति की सिफारिश के बाद यह सहमति बनी कि सुपर ओवर का उपयोग आईसीसी के मैचों में जारी रहेगा. इसे तब तक किया जाएगा जब तक टूर्नामेंट का परिणाम स्पष्ट तरीके से नहीं निकल जाए.

बयान में कहा गया कि इस मामले में क्रिकेट समिति और सीईसी दोनों सहमत थे कि खेल को रोमांचक और आकर्षक बनाने के लिए एकदिवसीय और टी-20 वर्ल्ड कप के सभी मैचों में इसका इस्तेमाल किया जाएगा. ग्रुप स्टेज पर अगर सुपर ओवर के बाद भी मैच टाई रहता है तो उसे टाई माना जाएगा लेकिन सेमीफाइनल और फाइनल में सुपर ओवर तब तक कराया जाएगा जब तक एक टीम ज्यादा रन नहीं बना लेती.

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क्यों की जा रही वीरेंद्र सहवाग और रोहित शर्मा की तुलना?

आपको याद होगा रोहन गावस्कर की. रोहन महान खिलाड़ी सुनील गावस्कर के बेटे हैं. मीडिया और फैंस ने उनकी तुलना गावस्कर से कर दी. लोगों की उम्मीदें उनसे बढ़ गईं. रोहन ने 2012 में क्रिकेट के हर फॉर्मेट को अलविदा कह दिया.

हालांकि इस खिलाड़ी का घरेलू करियर अच्छा रहा और उन्होंने 117 फर्स्ट क्लास मैच में 6938 रन बनाए लेकिन इसके बावजूद भी वो अंतरराष्ट्रीय करियर आगे नहीं बढ़ा सके. ऐसा बिल्कुल नहीं था कि रोहन गावस्कर का खेल बहुत बुरा था लेकिन बस उनकी तुलना और उम्मीदों ने पूरा करियर तबाह कर दिया.

आईसीसी रैंकिंग में भारतीय टीम विश्व की नंबर 1 टीम है. इस मैच में सबकी नजरें टिकी थीं रोहित शर्मा पर. उसका कारण था कि वो पहली बार टेस्ट टीम की अगुवाई करने जा रहे थे. मौका भी अच्छा था अपनी ही धरती पर मेहमानों को पटखनी देने का. दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ विशाखापत्तनम टेस्ट मैच में पहली बार ओपनिंग करने उतरे रोहित शर्मा ने शानदार 176 रनों की पारी खेली. वनडे क्रिकेट में ओपनिंग की जिम्मेदारी संभालने के बाद दमदार प्रदर्शन करने वाले रोहित शर्मा ने टेस्ट क्रिकेट में भी मिले मौके को पूरे तरीके से भुनाया.

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रोहित शर्मा की टेस्ट ओपनर के तौर पर 176 रनों की दमदार पारी के बाद कई पूर्व क्रिकेटरों ने उनकी तुलना और वीरेंद्र सहवाग से की. हालांकि, रॉबिन उथप्पा इस राय से इत्तिफ़ाक़ नहीं रखते। रोहित शर्मा और वीरेंद्र सहवाग की टेस्ट ओपनर के रूप में तुलना किए जाने पर रॉबिन उथप्पा ने कहा, ‘दोनों की तुलना करना सही नहीं है, उनकी बल्लेबाजी की अपनी शैली है. सहवाग और रोहित दोनों आक्रामक हैं और यही एक कॉमन बात है. सहवाग गेंद पर ज्यादा आक्रामण करते थे वहीं रोहित इसे सम्मान देते हैं. जिस तरह से रोहित शर्मा शॉट खेलते हैं वह सहवाग से काफी अलग है.’

रोहित शर्मा की पारी को देखकर क्रिकेट के भगवान भी अपना मत देने से रोक नहीं पाए. सचिन तेंदुलकर ने कहा कि ‘रोहित ने मिले मौके को भुनाया है और उन्हें अब यहां से अपने परफॉर्मेंस को आगे ले जाना है. इसके साथ-साथ सचिन ने कहा कि रोहित शर्मा प्रैक्टिस मैच में बिना कोई रन बनाकर आउट हुए थे लेकिन उन्होंने उस पारी को भुलाकर इस मैच में आए और कमाल की पारी खेली.

इसके साथ-साथ सहवाग और रोहित की तुलना पर सचिन ने कहा कि, दोनों की तुलना करना गलत है. रोहित शर्मा का अपना खेलने का स्टाइल है. सचिन ने कहा कि किसी भी खिलाड़ी की तुलना किसी दूसरे खिलाड़ी से होना बिल्किुल गलत है.

सचिन तेंदुलकर ने आगे रोहित शर्मा के बारे में कहा कि अपनी बल्लेबाजी के दौरान जिस रणनीति के साथ रोहित ने वर्नन फिलेंडर जैसे तेज गेंदबाज का सामना किया वो दर्शाता है कि वो बल्लेबाजी करने आने से पहले अपनी बल्लेबाजी रणनीति बनाकर मैदान पर उतरे थे.

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रोहित शर्मा और सहवाग के बारे में कई दिग्गजों की टिप्पणी आई हैं. इन दोनों खिलाड़ियों की कोई तुलना नहीं हो सकती है क्योंकि दोनों अपना स्वभाविक खेलते हैं. सहवाग के क्षमता थी कि वो पहली गेंद को बाउंड्री पर पहुंचा सकते थे. वो क्रीज पर ज्यादा वक्त नहीं जाया करते. गेंदबाज पहली गेंद से ही सोच लेता था कि ये खिलाड़ी डिफेंस नहीं करेगा. रोहित शर्मा के साथ बिल्कुल उल्टा है.

शर्मा को क्रीज में वक्त लगता है. गेंदबाज शुरुआत में ही उनको आउट करने का प्रयास करते हैं और कई बार वो ऐसा करने में सफल हो जाते हैं. रोहित शर्मा के शॉट्स सेलेक्शन और सहवाग के शाट्स सेलेक्शन में भी फर्क है. सहवाग क्रीज पर खड़े होकर भी बड़े शॉट्स खेलते हैं. लेकिन रोहित शर्मा फिलहार अभी ऐसा खेल नहीं दिखा पाए.

धोनी मामले में बड़ा खुलासा, पीठ दर्द की समस्या के कारण नहीं हैं टीम का हिस्सा

धोनी इस वक्त टीम का हिस्सा नहीं हैं लेकिन उनकी खबरें हमेशा से ही सुर्खियों में बनी रहती हैं. हाल ही में हुए हुई दो महत्वपूर्ण सीरीज पहली वेस्टइंडीज और दूसरी साउथ अफ्रीका के साथ खेली गई लेकिन इसमें धोनी टीम का हिस्सा नहीं थे. विश्व कप के बाद से ही टीम का हिस्सा नहीं है. हर बार चयनकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने अपने आपको अनुपलब्ध बताया है. विश्व कप के बाद धोनी ने परिवार संग कुछ वक्त बिताया और फिर वो सेना के साथ पैरा कमांडोंज की ट्रेनिंग करने लगे थे. इस दौरान भारत ने वेस्टइंडीज और साउथ अफ्रीका के साथ सीरीज खेली थी लेकिन इस वक्त धोनी टीम का हिस्सा नहीं थे. अब खबर आ रही है कि धोनी के पीठ में दर्द की शिकायत है जिसकी वजह से वो टीम से बाहर चल रहे हैं.

धोनी के टीम से बाहर होने पर तरह-तरह की बातें की जा रहीं थी. कोई कह रहा था कि धोनी की खराब प्रदर्शन के कारण उनको टीम में जगह नहीं मिली कोई कह रहा था कि वो सीधे अगले साल ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप में दिखेंगे लेकिन अब जो खुलासा हो हुआ है वो वाकई चौंकाने वाला है. रिपोर्ट्स की मानें, तो बीसीसीआई सूत्रों ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा है कि धोनी के नवंबर तक फिट हो जाने की उम्मीद है. धोनी की उम्र 38 साल की है और वो हमेशा से ही उनकी गिनती फिट खिलाड़ियों में की जाती है लेकिन इस वक्त धोनी पीठ दर्द की समस्या से गुजर रहे हैं इस वजह से धोनी टीम का हिस्सा नहीं है.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक धोनी पीठ में दर्द की शिकायत के साथ वर्ल्ड कप खेलने गए थे. और उनके पीठ का दर्द वर्ल्ड कप के दौरान और बढ़ गया. इसके अलावा विश्व कप के दौरान उन्हें कलाई में भी चोट लगी थी. टीम इंडिया के वर्ल्ड कप से बाहर हो जाने के बाद धोनी ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से ब्रेक ले लिया. धोनी वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारत के सीमित ओवरों के स्क्वॉड से बाहर रहे. उन्होंने इस दौरान टेरिटोरियल आर्मी यूनिट के साथ कश्मीर में 15 दिन बिताए. वह दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ हाल ही में संपन्न तीन मैचों की घरेलू टी-20 इंटरनेशनल सीरीज में भी नहीं खेले.

धोनी पीठ की चोट से पिछले सीजन में भी परेशान रहे थे. पिछले साल मोहाली में किंग्स इलेवन पंजाब के खिलाफ आईपीएल मैच में उन्होंने नाबाद 79 रन बनाए थे. मैच के बाद चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान धोनी ने अपनी चोट के बारे में बात की थी. उन्होंने कहा था, ‘यह बुरा है. यह कितना बुरा है, मैं नहीं जानता.’ इस साल (2019) आईपीएल के दौरान भी धोनी ने अपनी चोट का जिक्र किया था और माना था कि वर्ल्ड कप आ रहा है और यह उनके लिए बेहद अहम है.

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इस बीच भारतीय टीम प्रबंधन ने संकेत दिया कि पूर्व कप्तान को ‘बाहर’ मानकर नहीं चला जा सकता. धर्मशाला में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टी-20 मैच से पहले विराट कोहली ने कहा था, ‘उनके (धोनी) बारे में एक बड़ी बात यह है कि वह भारतीय क्रिकेट के लिए सोचते हैं. और जो भी हम (टीम प्रबंधन) सोचते हैं, वह भी वही सोचते हैं. ‘ कोहली ने कहा था कि युवा खिलाड़ियों को तैयार करने और उन्हें अवसर देने के बारे में उनकी जिस तरह की मानसिकता थी, वह आज भी है.

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