#coronavirus: कोरोना के कहर के बीच बदलते मौसम में रखें सेहत का ख्याल

मार्च से लेकर अप्रैल का पहला हफ्ता मौसम में बदलाव का होता है. इस महीनें में मौसम हल्का सर्द तो हल्का गर्म होता है. इस दौर में दिन में गर्माहट महसूस होती है, और सुबह-शाम हल्की नमी और ठंडक पड़ने लगती है. ऐसे में ज़रा सी लापरवाही आपके बीमार पड़ने का कारण बन सकती हैं. इन दिनों जुकाम, खांसी, बुखार, चेचक, खसरा,डायरिया, पेचिस जैसी स्वास्थ्य समस्याएं आम बात हैं. ऐसे में जब पूरी दुनियाँ कोरोना यानी COVID-19 के प्रकोप से दो-चार हो रही हैं तो और भी जरुरी हो जाता है की हम अपने सेहत को लेकर बेहद सचेत रहें. क्यों की इस मौसम में होनी वाली अधिकतर बीमारियों के लक्षण कोरोना के लक्षण से मिलते हैं. फिर कहीं ऐसा न हो की आप मौसमी बीमारियों के चपेट में आकर नाहक ही कोरोना के शक में अस्पतालों की ख़ाक छानने लगें. इस दशा में अगर हम बदलते मौसम में कुछ चीजों पर ध्यान दें तो मौसम के बदलाव से होने वाली बिमारियों से बच सकतें हैं.

ऐसे पहचानें मौसमी बिमारियों को – कहीं ऐसा न हो की आप को कोई मौसमी बिमारी हो और आप उसे कोरोना समझ बैठें. अगर ऐसा हुआ तो डर की वजह से आप के परिवार के लोग भी आप से किनारा कर सकतें हैं. क्यों की लोगों के सिर पर कोरोना का खौफ इस कदर चढ़ा हुआ है की हल्की सर्दी, खांसी जुकाम भी डराने के लिए काफी है. इस लिए जरुरी हो जाता है की हम कोरोना और मौसमी बीमारियों के लक्षण में अंतर करना जानें. जिससे हम सही देखभाल से मौसमी बिमारियों से निजात भी पा सकें. क्यों की इस संक्रमण के बीच अस्पतालों में जाना भी खतरे से खाली नहीं है और वैसे भी लॉक डाउन में सामान्य परिस्थियों में घर से बाहर नहीं निकला जा सकता है.

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मौसम के बदलाव के दौर में जो बीमारियाँ होती हैं उसका कारण है की इस मौसम में इस मौसम में विभिन्न प्रकार बैक्टीरिया और वायरस जो मौसम के बदलाव के दौर में काफी सक्रिय होतें हैं.और इनके पनपने की आशंका भी काफी होती है. यही बैक्टीरिया और वायरस कई तरह की बीमारियों का कारण बनते हैं. वहीँ दूसरी तरफ मौसम में होने वाला बदलाव हमारे शरीर के इम्यून सिस्टम में भी बदलाव ला रहा होता है. क्यों की शरीर को एक मौसम से दूसरे मौसम के काबिल बनाने की प्रक्रिया से गुजरता है.

यही वह दौरा होता है जब हमारा शरीर और वायरल, बैक्टीरियल और फंगल इम्फेक्शन के चपेट में आने के लिए सबसे मुफीद होता है. इस स्थिति में अगर आप को बदन तोड़ने वाले दर्द के साथ बुखार हो, खांसी, खांसी और  जुकाम हो या शरीर में दाने और खुजलाहट हो. तो यह सभी लक्षण मौसम में बदलाव में होने वाली बिमारियों के हो सकतें हैं. इस मौसम में एलर्जी, निमोनिया और फेफड़े के संक्रमण के बढ़ने की संभावनाएं भी ज्यादा होती हैं. ऐसे में कुछ सावधानियां बरत कर हम मौसमी बीमारियों से बच सकतें हैं.

खानपान की आदतों में लायें बदलाव – लॉक डाउन के चलते ज्यादातर लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल रहें हैं. ऐसे में लोगों के खान-पान में तली भुनी चीजें ज्यादा शामिल हो गई हैं. मौसमी बिमारियों को न्योता देने के लिए इस तरह की खाने-पीने की चीजें ज्यादा नुकसानदायक हो सकतीं है. इस लिए हमें चाहिए की हम अपने डेली रूटीन में खाने की ऐसी वस्तुएं शामिल करें जो बदलते मौसम में शरीर और सेहत के नजरिये से फायदेमंद हो. इस दशा में हम सुबह नाश्ते के पहले बादाम, पिस्ता ग्रीन टी या अदरक, तुलसी और काली मिर्च वाली एक कप गर्म चाय ले सकतें हैं. यह फेफड़े और इम्यून सिस्टम के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है. सर्दी-जुकाम से राहत पाने के लिए सूप का सेवन भी किया जा सकता है. आप सुबह उठकर एक गिलास ताजा पानी पीएं, यह स्किन को ड्राई होने से बचाता है. फिटनेस पर ध्यान दें, रोज जिम जाएं,और रोज आधा घंटे टहलें.

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खानपान में विटामिन-सी व कार्बोहाइड्रेट की मात्रा बढाने की जरूरत होती है यह डिप्रेशन से दूर रखता है और दिमाग को तरोताजा रखता है. हम खाने में टमाटर, सलाद, हरी पत्तेदार सब्जियां, हरी सब्जियां, चावल, गेहूं, सेब और ड्राइफ्रूट्स मात्रा भी बढ़ा कर मौसमी बिमारियों को कंट्रोल कर सकतें हैं. इसके अलावा हमें इस बात पर विशेष ध्यान देनें की जरूरत होती है की हम खाना खाने के एक घंटा पहले और खाना खाने के आधे घंटे बाद ही पानी पिएं कोशिश करें की खाने में खट्टी-मसालेदार, तली हुई चीजों, ठंडी चीजें जैसे आइसक्रीम, कोल्र्ड ड्रिंक से दूरी बना लें.

साफ़-सफाई का रखें विशेष ख्याल- कोरोना महामारी के इस दौर में लोगों में साफ-सफाई की आदतों में इजाफा हुआ फिर भी हमें मौसम के अनुकूल कुछ ज्यादा ही साफ़-सफाई पर ध्यान देनें की जरूरत है. इस दौर में हमें अपने हाथों की साफ़ –सफाई के साथ ही पहनें और ओढ़े जाने वाले कपड़ों की सफाई, घर की सफाई का भी विशेष ध्यान देनें की जरूरत होती है. हमें हाथों की सफाई पर विशेष सतर्कता बरतनें की जरूरत होती है इस लिए को कम से कम 20 सेकंड तक हथेली, उंगली, उंगली के टिप्स, हाथों के पीछे का हिस्सा और नाखून के आसपास के हिस्से को अच्छी तरह से साफ करना चाहिए. इसके अलावा आप सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर सकतें हैं. हम कोशिश करें की घर के फर्श को फिनाइल या किसी कीटनाशक से सफाई करें. क्यों की इससे बैक्टीरिया और वायरस के पनपने की शंका कम होती है जिससे यह शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं.

बीमार लोगों से बनाएं दूरी- कोरोना महामारी में आपके सामने एक नया शब्द बार-बार आ रहा है उसका नाम है सोसल डिस्टेसिन्ग. इसी को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा लॉक डाउन लगाया गया है. इसका सीधा मतलब है की कई बीमारियों का कारण आपसी संक्रमण भी होता है. क्यों की बीमार लोगों के संपर्क में आने से बैक्टीरिया और वायरस दूसरे व्यक्ति में प्रवेश कर जाते हैं. चूँकि मौसम के बदलाव में होने वाली अधिकाँश बीमारियाँ ही बैक्टीरिया और वायरस के चलते होती हैं. इस लिए किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आप न आयें इससे बचने के लिए आप भीड़ भाड़ वाले इलाके में न जाएं. अगर कोई व्यक्ति पहले से ही सर्दी-जुकाम या बुखार से पीड़ित है तो उससे हाथ मिलाने या गले मिलने से बचें. आप इस तरह से ऊपर बताये गए टिप्स को अपना कर बदलते मौसम में खुद को बीमारियों बचा कर रख सकतें हैं.

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#coronavirus: कोरोना कहर में भी बुजुर्ग क्यों नहीं टिक रहे घर में?

कोरोना बीमारी के बेतहाशा बढ़ने के चलते जब से लोगों को घर में रहने की सलाह दी गई है, मेरे 70 साल के पापा की बेचैनी बढ़ गई है. वे अब घर से मानो फरार होने के बहाने ढूंढ़ते हैं. कभी कहते हैं कि दूध ले आता हूं तो कभी अपनी दवा का बहाना बना कर मेडिकल स्टोर तक जाने की बात करते हैं. शाम होते ही उन के भीतर पार्क जाने की हूक उठ जाती है.

चूंकि मैं उन्हें कड़े शब्दों में झिड़क देता हूं तो वे मुझ से कटेकटे से रहते हैं. बच्चे एक बार भी बाहर निकलने की जिद नहीं करते, पर उन के दादा को कौन समझाए.

इस कोरोना कांड में यह तकरीबन हर घर की कहानी है. महल्ले का एक राउंड काट लीजिए, हर आंगन में बुढ़ाते सिर बाहर की ओर ऐसे ताकते दिख जाएंगे, जैसे वे घर के भीतर तिहाड़ जेल के कैदी हैं.

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मेरी एक फेसबुक फ्रेंड जन्या दीप्ति सिंह के पापा का भी यही हाल है. बाहर निकलने के लिए मना करो तो एकदम बेचारे से बन जाते हैं, पर उस लड़की की हिम्मत है कि उस ने अपने पापा पर लगाम लगा रखी है.

जन्या ने बताया, ‘पापा आज अपनी छत पर ही टहल कर आए हैं. कल मैं ने और भाई ने उन्हें भयंकर डांट लगाई थी. उस का असर है अब से बिलकुल बाहर नहीं जाना.

‘आज पापा कह रहे थे कि अपनी छत तो काफी बड़ी है. वे वहां उगाए टमाटर तोड़ कर लाए हैं. आगे बोले कि शाम को छत की सफाई करनी है. मैट ले कर ऊपर जाना है और चेयर और टेबल भी. कल से मैं अपनी चाय छत पर ही बनाऊंगा.’

चलो, हम तो आम आदमी हैं, साधारण परिवार के, जो अपने बुजुगों को एक हद तक समझा सकते हैं, पर अगर नामचीन लोगों के बड़े ऐसी बचकानी हरकतें करें तो वे क्या उपाय करेंगे?

फिल्म कलाकार अली फजल को तो आप सभी जानते ही होंगे. फिल्म ‘फुकरे’ की टीम के मजबूत खंभे. फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ वाले शर्मीले गुड्डू. उन के साथ भी यही दिक्कत हो सकती है. पर उन्हें अपने मातापिता को आइसोलेट करने का एक शानदार आइडिया मिल गया है.

हुआ कुछ ऐसे था कि ब्रिटिश ऐक्टर रिज अहमद ने ट्विटर पर एक सवाल किया था कि उन्हें अपने बुजुर्गों को कैसे समझाना चाहिए कि वे घर के भीतर ही रहें, जबकि उन के मातापिता कई सारे सवाल कर रहे हैं.

अली फजल ने इस का तोड़ निकाला और ट्वीट किया कि मैं तो उन से कहूंगा कि यह ‘वर्ल्ड वार 3’ है.

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हो सकता है यह बात मजाकिया लहजे में कह दी गई होगी, पर सच तो यह है कि अभी फिलहाल कोरोना वायरस का जो खौफ लोगों के मन में धीरेधीरे घर कर रहा है, उस की गंभीरता को देखते हुए इस बीमारी को सच में वर्ल्ड वार के रूप में देखना चाहिए. और हां, इस से बचाव ही इस का इलाज है. बेवजह घर से बाहर न निकलें.

यही वजह है कि अली फजल और रिचा चड्ढा ने अपनी शादी की तारीख को फिलहाल टाल दिया है. कोरोना महामारी ही इस की एकलौती वजह है.

#coronavirus: कोरोना का ताबीज बाला बाबा

पूरे देश और दुनिया में फैली कोरोना वायरस की दहशत पर देश भर में काटने बालों ने तबीयत से चांदी काटी और खूब अंधविश्वास भी फैलाये किसी ने गौ मूत्र को इसका बेहतर इलाज बताया तो कई तुलसी ,कपूर , लहसुन बगैरह के सेवन की सलाह देते रहे लेकिन इन गीदड़ भभकियों से कोरोना को नहीं डरना था सो वह नहीं डरा . गलती इन ठगों के साथ साथ हर आपदा और मर्ज का इलाज धार्मिक पाखंडों में ढूँढने बालों की भी है जिनके दिलो दिमाग में अंधविश्वासों और चमत्कारों के किस्से कहानियाँ इतने ठूंस ठूंस कर भर दिये गए हैं कि वे भेड़चाल चलते इन्हें ही सच मानते रहते हैं .

लोगों के डर और दिमागी दिवलियेपन का फायदा उठाने बालों में एक नाम लखनऊ के डालीगंज के बाबा अहमद सिद्दीकी का भी है जो महज 11 रु में एक ताबीज बेचते कोरोना वायरस दूर होने का दावा कर रहा था . इस बाबा ने बाकायदा अपनी दुकान के बाहर एक बोर्ड भी लगा रखा था जिस पर मोटे मोटे अक्षरों में लिखा कि,  कोरोना से बचने के लिए सिद्ध किया हुआ ताबीज यहाँ मिलता है . बक़ौल बाबा सिद्दीकी जो लोग मास्क नहीं पहन सकते वे इस ताबीज को पहन लें तो कोरोना उनके पास फटकेगा भी नहीं.

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दुकान चल निकली लेकिन बात पुलिस तक पहुंची तो उसने इस बाबा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया . बक़ौल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विकास त्रिपाठी आरोपी खुद को कोरोना बाले बाबा बताता था और मासूम लोगों को धोखा दे रहा था उसे धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

बाबा तो छोटी मछली था इसलिए धरा गया लेकिन उन लोगों पर पुलिस कोई काररवाई नहीं कर पा रही जो समारोहपूर्वक कोरोना वायरस से बचने गौ मूत्र पार्टियां तक आयोजित कर रहे हैं . विज्ञान या कानून की किसी किताब में नहीं लिखा कि गौ मूत्र कोरोना वायरस का इलाज है फिर घेरे में ताबीज बेचने बाला बाबा ही क्यों , वे हिन्दूवादी क्यों नहीं जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तक को कोरोना से बचने गौ मूत्र पीने की न केवल सलाह दे रहे थे बल्कि भेजने की भी पेशकश भी कर रहे थे मानों अमेरिका की गायों की पेशाव में वो दम नहीं रहता जो भारतीय गायों के मूत्र में रहता है . बात साफ है कि सरकार हिंदुवादियों की है जो कुछ भी करें उनके गुनाह माफ हैं लेकिन मुस्लिम बाबा की दुकान नहीं चलने दी जाएगी जो रिश्ते में लगता तो इनका मौसेरा भाई ही है.

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#coronavirus: कोरोना पर हीलिंग से भी ठगी

कोरोना वायरस पहली आपदा है जिस पर भगवान और पंडे पुजारियों, ज्योतिषियों और तांत्रिकों वगैरह का भी जोर नहीं चल रहा है लिहाजा ये सभी फौरीतौर पर अपनी अपनी दुकानों के शटर गिराकर अंडर ग्राउंड हो गए हैं जिससे भक्तों मूर्खों और अंधविश्वासियों से मुंह छिपाया जा सके. जिस मर्ज का इलाज धर्म स्थलों में न हो और जिस पर कोई चमत्कार कारगर साबित न हो रहा हो बिलाशक उसने धर्म के दूकानदारों की पोल खोलकर रख दी है .

इसके बाद भी कुछ ठग कोशिश कर रहे हैं कि जैसे भी हो लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिशें न छोड़ी जाएँ . जब गौ मूत्र , गोबर , कपूर , लहसुन ,अदरक , गायत्री मंत्र , घंटे घड़ियाल ,तुलसी और गुड़हल के फूल जैसे टोटके नाकाम हो गए तो एक नई थेरेपी से दुकान चमकाने की कोशिश की जा रही है इस का प्राचीलित नाम हीलिंग है . यह उस वर्ग के लोगों में ज्यादा लोकप्रिय है जो शिक्षित और आभिजात्य है . पैसे बाले इस तबके के लोग नीबू मिर्ची जैसे परंपरागत टोटकों को गंवारपना करार देते हैं लेकिन हीलिंग के नाम पर ठगाए जाने एक पैर पर तैयार रहते हैं.

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हीलिंग कोई ऐसी वैसी थेरेपी नहीं है क्योंकि इसका संबंध सीधे आदि शक्ति से है इसलिए इसमें आध्यात्म का तड़का ठगों ने लगा रखा है . यह एक विचित्र सी प्रक्रिया है और फिर दोहराना जरूरी है कि पढ़े लिखे मूर्खों के लिए है . संक्षेप में समझें तो थ्योरी यह है कि आपके शरीर में ऊर्जा का एक ऐसा भंडार है जिसका कनेकशन भगवान , ॐ और ब्रह्मांड में बिखरी ऊर्जा से है . इसमें साधकों को यह बताया जाता है कि आपके शरीर में सात चक्र हैं अगर आपने इन्हें काबू कर लिया तो समझो आप दुनिया जीतकर सिकंदर बन गए फिर तुच्छ कोरोना वायरस की हैसियत क्या .

ऐसी ही एक आध्यात्मिक हीलर प्रिया कौल नाम की महमानव हैं जो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते अपनी दुकान चमका रही हैं . जिस वायरस से बचने और बचाने दुनिया भर के वैज्ञानिक दिन रात एक कर रिसर्च कर रहे हैं उन्हें प्रिया कौल की थेरेपी को ध्यान में रखते बेफिक्र हो जाना चाहिए . बक़ौल प्रिया कोरोना ने कोरोना ने हमारे सहस्त्र चक्र जो सिर के शिखर पर मौजूद रहता है को प्रभावित कर हमें आध्यात्मिक रूप से अवरुद्ध कर दिया है .

अपने इलाज में यह महिला बड़े अजीबोगरीब शब्दों का इस्तेमाल करते हुये कहती है कि आप 10 सेकंड सांस रोककर अपने मष्तिष्क के पीछे बिना किसी तकलीफ के गिनना शुरू करते हैं तो आप इससे प्रभावित नहीं हैं या नहीं होते हैं . ऐसा करने के लिए आप आँख बंद कर किसी शांत जगह पर बैठ जाएँ और कल्पना करें कि एक दिव्य शक्ति से प्रकाश आ रहा है जो आपके दिमाग से होता हुआ पूरे शरीर में फैल रहा है . अब आप इस दिव्य प्रकाश को अपने पैरों से बाहर निकलने दें और अपने चारों और खुद को घेर लें.

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अगर आप उच्च कोटि की इस मूर्खता और ठगी को सरलता से समझना चाहते हैं तो किसी हिन्दी फिल्म का ऐसा सीन याद करें जिसमें कोई हैरान परेशान आदमी मंदिर में आकर गिड़गिड़ा रहा है कि हे प्रभु तू अगर है तो चमत्कार दिखा और अस्पताल में मौत से जूझ रहे मेरे बेटे को बचा . बस इतना कहना होता है कि मूर्ति की हथेली या आँखों से एक रोशनी निकलकर सीधे अस्पताल जा पहुँचती है और दम तोड़ता बेटा हिलडुल कर कहता है माँ …. और फिर सारे पात्रों के मुंह से एक ही बात निकलती है … तेरा लाख लाख शुक्र है भगवान .

लगभग इसी थ्योरी पर आध्यात्मिक हीलिंग थेरेपी काम करती है जो कोरोना को मिनटों में भगा सकती है .

दिक्कत तो यह है कि इन शिक्षित आभिजात्य नीम हकीमों पर कोई काररवाई नहीं होती.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदेश दे रहे हैं कि जो लाक डाउन के नियम तोड़ता पाया जाये उसके खिलाफ एक्शन लिया जाये और राज्य सरकारें व पुलिस मुस्तैदी से ऐसा कर भी रहे हैं लेकिन इन हीलरों के खिलाफ कुछ नहीं हो रहा जो सरासर विज्ञान को तोड़मरोड़ कर चाँदी काट रहे हैं.

इस अजीब से कथित विज्ञान में अगर किसी को ( मनोरोगियों को छोडकर ) कोई दम नजर आता हो तो उसे सरकार से अपील करना चाहिए कि छोड़ो आइसोलेशन , सेनेटाइजेशन , सोशल डिस्टेडिंग और लाक डाउन बगैरह बस सब को हीलिंग दिलबा दो कोरोना भाग जाएगा और सरकार के करोड़ों अरबों रु बच जाएँगे , अर्थ व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी  , दहशत खत्म हो जाएगी , ज़िंदगी रूटीन पर आ जाएगी . उधर ऊपर तरफ की ऊर्जा व्यर्थ जा रही है और नीचे किसी को समझ नहीं आ रहा कि यह अटेक श्वसन तंत्र पर नहीं बल्कि क्राउन चक्र पर किया है और इसका भी तोड़ है आध्यात्मिक हीलिंग . अब जरूरत और इंतजार जनता हीलिंग का है या फिर ऐसे ठगों के खिलाफ कानूनी काररवाई का आप खुद तय कर लें.

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#coronavirus: भूख से तड़पते बच्चे

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में क्षेत्र में लौकडाऊन का असर साफतौर पर देखने को मिल रहा है. यहां में देशभर से आए लोग अपने परिवार सहित छतरपुर में फंस गए हैं. गाड़ियां न चलने की वजह से अपने बीबी-बच्चों के साथ छतरपुर के श्यामाप्रसाद मुखर्जी अन्तर्राजीय बस स्टैंड पर खुले में डेरा डाले हैं.

भूखे-प्यासे बच्चे, महिलायें, युवा, वृद्धजनों का बुरा हाल है यहां जनता कर्फ़्यू में बंद की वजह से लोगों को पानी, चाय, दूध, बिस्किट, फल, अन्य खाद्य सामग्री नहीं मिल पा रही है जिससे बच्चों का भूख से बुरा हाल है.

बस स्टैंड पर यात्री बच्चों की माँ रामकली और जानकी की मानें यहां तक तो तड़के सुबह आ गए पर अब गाड़ियां ने चलने की वजह से वह गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. और पिछले 12 घंटों से भूखे प्यासे हैं यहां पीने तक का पानी भी उपलब्ध नहीं है. जिससे इनके अबोध 2 दर्जन बच्चों का बुरा हाल है वह भूख से व्याकुल रो रहे हैं. कई बच्चे तो भूख से तड़फ रहे हैं जिससे उनकी माँओं की आंखों से आंसू निकल पड़े हैं.

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वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं (पार्वती आटा मढ़ती खानां बनाने वाली) महिलाओं से बात की तो उन्होंने बताया कि अपने साथ लिये आटे को गूंथकर बस स्टैंड पर ही ईंटों का चूल्हा बना फलों की पेटियों की लकड़ियां जलाकर रोटी बनाई और नमक रोटी खाई.

भूख से तड़फती और मानवता को झकझोर देने वाली इन तस्वीरों से वहां मौजूद लोगों की आंखें भर आईं. तो वहीं कुछ लोगों/बच्चों के बीमार होने पर उन्हें अस्पताल भी ले जाया गया.

यहां शासन ने बंद का यो ऐलान कर दिया पर जरूरत के इंतजाम नहीं किये यहां लोगों को भूखे-प्यासे तड़फना पड़ा. यहां से जिले के आला अधिकारी विचतं करते रहे पट इनके दर्द को किसी ने जाना. जो इनकीं व्यवस्था की पोल खोलता है.

लोगों से बात करने पर और भी कई खुलासे हुए. वहीं लोगों का कहना है कि वह कोरोना के डर से बड़े शहरों (दिल्ली, नोएडा, हरियाणा, पंजाब, चंड़ीगढ़ जम्मू, राजस्थान, जयपुर, आगरा, बनारस, इंदौर, भोपाल, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, सहित कई जगहों से अपने गृहनगर, गांव, घरों को वापस आए हैं. बड़े शहरों में कोरोनो के खौफ से काम बंद है. हम लोग रोज कमाते और खाते थे जिससे हम लोग भूखों मरने के कगार पर आ गए थे.

साथ ही कोरोना का डर भी सता रहा था तो हम लोग हर हाल में अपने घर, गांव, शहर वापस लौटना चाहते थे. वापस आने को हुए तो गाड़ियों में 4 गुना ज्यादा किराया देकर जानवरों से बदतर हालात में आए हैं. जहां बसों में 50-60 सवारियां बनती हैं. वहां 200 सवारियां आई हैं 2 लोगों के स्लीपर पर 10 लोग बैठकर आए हैं. अंदर नहीं बने तो बसों की छत पर बैठकर आए हैं. क्या करते हर हाल में हमें जाना जो था. इतना ही नहीं जब देर रात और तड़के सुबह यहां पहुंचे तो अब छतरपुर में आकर फंस गए हैं.

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अन्तर्राज्यीय बस स्टैंड पर कई सैकड़ों की संख्या में खुले में पड़े लोगों की हालत खराब है. उनका कहना है कि जैसे- तैसे छतरपुर तक तो पहुंच गए पर अपने घरों/गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यहां से गाड़ियां, टैक्सी, ऑटो, लोडर, वाहन, कुछ भी नहीं चल रहे. कुछ ऑटो वाले हैं जो 40 से 50 किलोमीटर दूरी तय करने का 10 गुना किराया वसूल रहे हैं. पूर्व किराए के मुताबिक 10 गुना पैसा लग रहा है. हम करें भी तो क्या हमें देना पड़ रहा है घर जो जाना है. जान से बड़ी कीमत तो नहीं है पैसों की. हमनें बाहर रहकर मेहनत मजदूरी कर जितना कमाया वह वापस आने में किराए में ही चला गया.

छतरपुर से अन्य शहरों पन्ना सतना, रीवा, दमोह, टीकमगढ़, महोबा, सागर, झांसी, जाने के लिये लोग इंतज़ार में है कि कोई वाहन किसी भी कीमत पर मिल जाये जिससे आने घर, शहर, नगर, जा सकें. पर बंद की वजह से नहीं मिल पा रहा.

मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि देश भर में लॉक डाउन लोगों की जान बचाने के लिए किया गया पर यहां शासन और उनके नुमाइंदों की बदइंतजामी की वजह से बच्चों की जान पर बन आई थी. वह तो गनीमत रही कि अब तक कोई अनहोनी नहीं हुई.

हालांकि अब देखना यह होगा कि शासन प्रशासन के जिम्मेदार इस गैरजिम्मेदाराना हरकत पर क्या सख़्त कदम उठाता है.

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(राजेश चौरसिया)

#coronavirus: जनता कर्फ्यू नहीं , मूर्खों का जश्न

प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर जनता कर्फ्यू के दिन शाम को शंखनाद , घंटे , तालियां , सबकी मधुर झंकार से जनता भावुक होकर एक श्रेष्ठ भारत के साक्षात दर्शन कर रही थी ,सबको लगा , वे सब सब साथ साथ कोरोना से जंग कर रहे हैं. जिन लोगों का आभार प्रकट करने के लिए यह करने का आदेश था , वही लोग जो अपनी जान की बाजी लगाकर इस इमरजेंसी में अपने रात दिन दे रहे हैं ,अपना सर पकड़ बैठ गए .मूर्ख , अंधभक्तों ने अति उत्साह में जश्न , शक्ति प्रदर्शन करते हुए जनता कर्फ्यू की इस पूरी संकल्पना का मजाक बना कर रख दिया , इस तरह संक्रमण बुरी तरह फ़ैल सकता है , क्या पता फैला भी हो .एक जगह तो डी  एम साहब भीड़ लेकर जुलूस की शकल में गाजे बाजे के साथ निकल पड़े , लोग थाली पीट रहे थे , कुत्ते , बिल्लियां घबराकर  यहाँ वहां भाग रहे थे , कुछ डर से दुबके पड़े थे .

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जनता अपनी मूर्खता का शिकार बेजुबानो को भी बना रही थी . लोगों ने घातक बीमारी को भी मनोरंजक समझकर जश्न मना लिया , कितनी मूर्खता , कितने बेतुके तर्क बुद्दिजीवी देते रहे . देश को तालियों , थालियों की इतनी जरुरत नहीं है जितनी टेस्टिंग किट्स, वेंटिलेटर्स , आइसोलेशन वार्डस और फ्री इलाज की है . पता नहीं कितने वीडियो देखने को मिले जिसमे लोग शाम को जश्न मनाने निकले . अहमदाबाद खादिया से  भी एक वीडियो सामने आया , उसमे भी इस कर्फ्यू का मजाक उड़ा कर रख दिया गया, भीड़ सड़कों पर उतर आयी , गाना बजाना हुआ , गरबा हुआ  और यह हुआ भी पी एम और एच एम के होम स्टेट में , इन मूर्खों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए . ये लोग खुद  समाज के ऐसे वायरस हैं जिनका इलाज बहुत जरुरी है , नहीं तो मेडिकल स्टाफ और डौक्टर्स की सारी मेहनत बेकार चली जाएगी .एक वीडियो में फिल्म  स्टार अक्षय कुमार अपनी पत्नी के साथ चीयर अप कर रहे हैं और लोग उनका वीडियो बना रहे हैं , सेलिब्रिटी को देखकर तो लोग वैसे ही पागल हो उठते हैं , यह सबको पता है , लोग इकठ्ठा न होते , ऐसा ही कुछ किया जाना था , पर बिलकुल उल्टा हुआ .

कितने ही बुद्धिजीवियों ने सोशल मीडिया पर बताया कि वे कितने भावुक हो गए थे , वे भारतीय संस्कृति पर गर्व कर रहे थे , उनकी आँखें भर आयी थी , और जो लोग इसे तमाशा कह रहे हैं , वे कितने पत्थरदिल हैं , उनके अंदर भावनाएं हैं ही नहीं  , उन्हें  देश की परम्पराओं , संस्कृति  पर गर्व नहीं , वे कैसे भारतीय हैं ! महामारी के समय देश को इस तमाशे और पागलपन में धकेलने के लिए देश से माफ़ी मांगी जानी चाहिए और फिर राष्ट्र को सम्बोधित करके बताना चाहिए कि इस बेवकूफी से , अंधभक्ति से कितना भारी नुकसान हुआ है.

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#coronavirus: कोरोना-अंधविश्वास और जागृति

अंधविश्वास हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या है, अब जब देश और दुनिया में कोरोना को लेकर विज्ञान सम्मत जानकारी देने की आवश्यकता है, ऐसे में चंद लोग अंधविश्वास प्रसारित करने का अपराध कर रहे हैं. जिसे समझने  और बचने की समझदारी भरी आवश्यकता है. अन्यथा होगा यह की इन अंधविश्वासों में पड़कर आप अपना और अपने आसपास के लोगों का जीवन मुसीबत में डाल देंगे.

दरअसल, हमें बहुत समझदारी से यह समझ लेना होगा कि कोरोना जैसी महामारी से बचाव सिर्फ “दो और दो पांच” करके नहीं किया जा सकता, इसके लिए ठोस पहल और समझदारी की आवश्यकता है. हमारा देश धर्म भीरु रहा है, परिणाम स्वरूप हर समस्या का हल धार्मिक आस्था के साथ जोड़कर, किये जाने की परंपरा रही है. यह तत्कालिक रूप से तो अच्छी लगती है मगर दीर्घकाल में जाकर नासूर बन जाती है. इस आलेख के माध्यम से हम आपको यह बताना चाहते हैं कि अब समय आंखें खोलने का और खुले दिमाग से सोचने का है. चाहे वह हमारे राष्ट्र नायक हों अथवा हमारे हाथ के मोबाइल में विभिन्न सोशल मीडिया, यहां जो भी तथ्य सामने आता है उसे हमें विज्ञान के कसौटी पर कस कर ही समझना और प्रयोग में लाना होगा, यही हमारे लिए हितकर है. अब जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने 22 मार्च रविवार को “जनता कर्फ्यू” के दरमियान शाम को 5 बजे, घंटी ताली बजाने की बात इस भाव से रखी थी कि यह आम जनता का कोरोना के मोर्चे पर डटे हुए, डॉक्टर वैज्ञानिक एवं अन्य लोगों के लिए उत्साहवर्धक होगा. मगर इसे भी धर्म और रूढ़िवादीता  से जोड़कर झूठ फैलाया गया कि घंटी और ताली बजाने से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा. यह कहना सीधे-सीधे सफेद झूठ के अलावा कुछ भी नहीं है.

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गोमूत्र और कोरोना

देश में गोमूत्र को लेकर खूब सलाह दी जाने लगी है जैसे ही कोरोना वायरस का संक्रमण काल हमारे देश में शुरू हुआ है, अंधविश्वास का पाखंड फैलाने वाले चंद लोग अपनी दुकान खोल कर बैठ गए हैं. और विभिन्न तरह के झूठ फैला रहे हैं जिनमें सबसे प्रमुख है गोमूत्र का सेवन करने से कोरोना वायरस के प्रभाव की समाप्ति. ऐसे झूठे दावों को सोशल मीडिया में पढ़कर बहुतेरे सहज सरल स्वभाव के लोग, अपना समय ही खोटा करते हैं.

गौमूत्र पहले से वायरस से संक्रमित लोगों को भी ठीक कर सकता है.  ऐसे में इस दावे पर भरोसा करते हुए एक नागरिक स्वयंसेवक ने भी गौमूत्र का सेवन कर लिया और वह बीमार पड़ गया. जिसके बाद उस शख़्स के विरुद्ध  पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई. गौमूत्र को कोरोना वायरस का रामबाण इलाज बताना दिमागी  दिवालियेपन की  निशानी  है. कई हिंदुत्ववादी संगठनों और बीजेपी के लोगों द्वारा दावा किया गया कि गौमूत्र के सेवन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है. लेकिन ये दावे  बेबुनियाद हैं, इसकी एक बानगी देश को देखने को मिली है.  कोलकाता में गौमूत्र पीने से एक नागरिक स्वयंसेवक बीमार पड़ गया. जिसके बाद गौमूत्र पिलाने वाले एक पार्टी के  कार्यकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया.

दरअसल,  उत्तरी कोलकाता में बीजेपी के एक कार्यकर्ता  ने एक गौशाला में गौमूत्र पार्टी का आयोजन किया.इस दौरान  कई लोगों को गोमूत्र ये कहकर पिलाया था कि इसके सेवन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है.

सरसों के तेल!

सोशल मीडिया मे सरसों तेल,नीम पत्ती के प्रयोग  भी बताए जा रहे हैं. अफवाह फैलाई जा रही है की सरसों का तेल किसी भी वायरस को नष्ट करने में समर्थ हैं.कोरोना वायरस एक श्वसन संबंधित बीमारी है जो नाक से सांस लेने पर किसी व्यक्ति की खांसी,छींक के साथ पानी के जो कण बाहर आकर वायु में मिलते हैं उन में वायरस मिला होता है उसी कोरोना प्रदूषित वायु को हम सांस के द्वारा नाक से अंदर लेते हैं और कोरोनावायरस से संक्रमित हो जाते हैं. यदि सुबह नहाने से पहले नाक के दोनों नथुनों के अंदर सरसों का तेल लगाने से कम-से-कम आठ घण्टे तक कोरोना. वायरस से बचाव हो सकता है क्योंकि सरसों तेल एक वायरस रोधी तेल है जिसमें वायरस नाक की दीवारों से चिपक कर मर,नष्ट हो जाता है और हमारे फेफड़ों को नुक्सान नहीं पहुंचा पाता है.आगे अपील है कि- सभी बंधुओं से दरख्वास्त है कि इस उपाय को फ़ौरन अपनायें और कोरोना वायरस से खुद को बचायें! मित्रों रिश्तेदारों को भी अवश्य बताएं!!

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अब ऐसे  दिमागी कसरत करने वाले जो घर बैठे  सलाह देते हैं  से अगर  आप  बचकर  नहीं  रहेंगे तो  निश्चित रूप से  अपना  नुकसान  करेंगे.शासन के लिए भी चुनोती बने ऐसे लोगों की पहचान व सख्त कार्यवाई निरापद है.

#coronavirus: कोरोना से लड़ने वाले लोगों को सपना ने ऐसे किया सैल्यूट, भर आई आंखे

जैसा कि हम सब जानते हैं कि कोरोना वायरस (Corona Virus) के चलते पूरे विश्व के हालात खराब हैं. ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने सभी भारत वासियों से ये अपील की थी कि 22 मार्च यानि की रविवार के दिन कोई भी व्यक्ति अपने घर से नहीं निकलेगा और जो कोरोना वायरस की लड़ाई लड़ने में दिन रात लगे हुए हैं जैसे कि डौक्टर्स, मीडिया कर्मी, पुलिस आदि, उनके लिए शाम 5 बजे सभी अपने घरों की बालकनी या फिर छतों से तालियां या फिर थालियां बजा कर धन्यवाद करेंगे.

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ईमोश्नल होती दिखाई दीं सपना चौधरी…

इस मौके पर हरियाणा कि डांसिंग क्वीन और दर्शकों की फेवरेट सपना चौधरी (Sapna Choudhary) ने अपनी एक वीडियो फैंस के साथ शेयर की जिसमें वे रोती हुईं और ईमोश्नल होती दिखाई दीं. इस वीडियो को उन्होनें अपने औफिशिल इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर किया है जिसके कैप्शन में लिखा है कि, “बूरे समय में भी कुछ अच्छाई होती है, गर्व है हमें एकता और अखंडता पर #emotionalmoments #indian #proudtobeindian #besafe #strongertogether #gocarona”.

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जनता कर्फयू के बाद भारत लौकडाउन…

इसी वीडियो में सपना चौधरी तालियां बजाते हुए रोती हुईं नजर आईं जिससे पता चलता है कि उन्हें अपने देश से कितना प्यार है. हालांकि वे एक ऐसा दृश्य था कि हर हिंदुस्तानी कि आंखें जरूर नम हुई होंगी. आज जो लड़ाई भारत कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ रहा है वे वाकई काबिल-ए-तारीफ है. रविवार के जनता कर्फयू के बाद सरकार ने भारत लौकडाउन का भी ऐलान कर दिया जिससे कि कोई भी व्यक्ति अपने घर से नहीं निकल सकता और इस समय किसी के भी संपर्क में आना खतरे से खाली नही है.

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इस शख्स से की थी सपना ने सगाई…

कुछ समय पहले सपना चौधरी को लेकर ऐसी खबरे आ रही थीं कि उन्होनें सगाई कर ली है. खबरो की माने तो सपना ने हरियाणा के मशहूर सिंगर और एक्टर वीर साहू (Veer Sahu) के साथ सगाई रचाई थी. हालांकि दोनों में से किसी ने भी इस खबर को लेकर औफिशियल अनाउंसमेंट नहीं की है. वीर साहू को कई लोग हरियाणा के बब्बू मान के नाम से भी जानते हैं.

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#coronavirus: देश के कई शहर लौकडाउन, क्या है लौकडाउन?

देश के कई शहर लौकडाउन(Lockdown) हो चुके हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि लौकडाउन का मतलब होता है क्या है? इसका मतलब ये है कि आप कहीं बाहर नहीं जाएंगे, कहीं भी आ -जा नहीं सकते हैं, पब्लिक ट्रांसर्पोट नहीं चलेंगे सारी दुकानें, मौल्स, छोटी-बड़ी सारी शौप बंद रहेगी केवल वही दुकानें खुलती हैं जो जरूरी हैं, जिससे की लोगों की रोजमर्रा की जो चीजें हैं वो ले सकें आम आदमी. इसे आप ऐसे समझें

क्या खुला रहेगा?   

अस्पताल, मेडिकल स्टोर, मेडिकल लैब, सब्जी, राशन की दुकान, कुछ राज्यों में पेट्रोल-पंप, दूध सेंटर, डेयरी ये सब खुले रहेंगे.

अब क्याक्या बंद रहेगा?

पैसेंजर ट्रेन, मेट्रो सेवा, मौल, बाजार, सरकारी और निजी दफ्तर, गो एयर फ्लाइट्स इन सब पर होता है प्रतिबंध.

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अब जानिए की लौकडाउन में कौन बाहर निकल सकता है?

डौक्टर, पुलिस, फायर सर्विस, बिजलीकर्मी, मीडिया कर्मी, पानी वाले ये सभी व्यक्ति बाहर निकल सकते हैं क्योंकि इनका निकलना जरूरी होता है लेकिन इसके अलावा किसी को भी बाहर निकलने की मनाही होती है.

अब वो सेवाएं जो जारी रहेंगी, तो जल विभाग, दमकल विभाग, बिजली विभाग, पुलिस प्रशासन, राशन की दुकानें, गैस सिलेंडर सर्विस, पेट्रोल-सीनजी पंप, मेडिकल से जुड़ी सेवाएं, अस्पताल ये सारी सेवाएं नहीं बंद होती हैं

अब जानिए की आम नागरिक कब बाहर निकल सकता है?

मरीजों को अस्पताल जाने के लिए और दूध, सब्जी राशन, जरूरत की चीजें लाने के लिए लेकिन इसमें भी जरूरी कागजात अपने साथ रखें क्योंकि पुलिस कभी भी मांग सकती है.

अब आप समज गए होंगे कि लौकडाउन क्या होता है और ये इसलिए भी जरूरी होता ताकि जो संकट देश पर आया है उससे निपटा जा सके और सब कुछ सामान्य हो सके और इस वक्त कोरोना वायरस (Corona Virus) भयंकर खतरा बना हुआ है देश पर. इसके बावजूद भी लोगों ने लौक डाउन का मजाक बनाकर रख दिया है, खुले आम लौकडाउन का उल्लंघन कर रहे हैं. लोग अपने घरों से निकल रहे हैं, घर पर रहेंगे तो इस महामारी से बच पाएंगे ये बात तो जैसे उन्हें समझ ही नहीं आ रही है.

बिहार से तो बेहद ही हैरान कर देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं, लोग बसों में भर-भर कर एक जगह से दूसरी जगह जा रहा हैं. तो वहीं दिल्ली नोएडा बौर्डर बंद होने के चलते लोग पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल रहे हैं, कह रहे हैं की मजबूरी है हमारी, हालांकि कुछ हर जगह पर ऐसा नहीं हो रहा है क्योंकि लोग नियम का पालन कर रहे हैं. लौकडाउन को लेकर केंद्र सरकार ने राज्यों को कड़े निर्देश दिए हैं राज्य सरकारों को कहा गया है कि नियमों का पालन नहीं करने वालों पर सख्त कार्रवाई होगी. प्रधानमंत्री मोदी ने खुद लोगों को सख्त नसीहत दी है.  पीएम ने लोगों से लौकडाउन के दौरान घरों में रहने की अपील की है लेकिन अभी भी लौकडाउन को कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं जिसके चलते लौकडाउन पर पीएम ने दोबारा से ट्वीट कर दुख जताया है और ट्वीट में कहा है कि “लौकडाउन को अभी भी कई लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. कृपया करके अपने आप को बचाएं, अपने परिवार को बचाएं, निर्देशों का गंभीरता से पालन करें. राज्य सरकारों से मेरा अनुरोध है कि वो नियमों और कानूनों का पालन करवाएं.” इससे प्रधानमंत्री की नाराजगी का साफ पता चल रहा है.

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देश में कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़कर 396 हो गई है, जिसके बाद देशभर के करीब 22 राज्यों में कोरोना वायरस के खौफ के बीच लौकडाउन कर दिया गया है, झारखंड, दिल्ली, हरियाणा,  आंध्र प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, चंडीगढ़, समेत कई राज्यों को लौकडाउन कर दिया गया है. दरअसल, देश के कई हिस्सों में लोग लौकडाउन को हल्के में ले रहे हैं जो की कहीं से भी सही नहीं है. दिल्ली नोएडा एक्सप्रेस वे को भी लौकडाउन कर दिया गया है. यूपी के 16 जिले लौकडाउन कर दिए हैं. कोरोना वायरस के बढ़ते कहर को देखते हुए दिल्ली को 31 मार्च तक लौकडाउन कर दिया गया है.

आज लौकडाउन के पहले दिन दिल्ली के कई इलाकों में दूध की दुकानों पर लंबी कतारे देखने को मिलीं तो कहीं सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा, दिल्ली की सभी सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बंद करने का फैसला लिया गया है, मेट्रो, टैक्सी, ई-रिक्शा, सब कुछ बंद है इसके अलावा, दूसरे राज्यों से सटी दिल्ली की सभी सीमाएं भी पूरी तरह से सील हो गई हैं. महाराष्ट्र और जम्मू भी लौकडाउन है. अब इसका असर कितना होगा ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा लेकिन इससे काफी हद तक कोरोना मरीजों की संख्या कम हो सकती है.

#coronavirus: कोरोना: मै धृतराष्ट्र हूं 

आजकल जाने क्यों महाभारत का एक पात्र, धृतराष्ट्र मेरे सपने में आता है . धृतराष्ट्र दुर्योधन का पिता- श्री सौ कौरवों का जन्माध पिता . मुनि वेदव्यास रचित दुनिया के एक महानतम धार्मिक ग्रंथ का अजब गजब पात्र . कभी-कभी ऐसा लगता है धृतराष्ट्र का व्यवहार हम स्वयं भी करते हैं. मगर धृतराष्ट्र को घृणा ही मिली .

मैं जैसे  ही सोता हूं, थोड़ी देर बाद धृतराष्ट्र दिखने लगता है . हीरे, स्वर्ण जड़ित मुकुट, वस्त्रआभूषण, राज सिंहासन पर बैठा,मेरी ओर उन्मुख. मै डर जाता हूं भागता हूं और नींद टूटने से पहले उनकी आवाज कर्ण  विवृत्त में गर्म शीशे की तरह प्रविष्ट होती है- देश की संसद स्थगित हो गई क्या, राज्य की विधानसभा स्थगित है क्या…नींद टूटते ही मैं मस्तिक पर आए पसीने को पोछता हूं . उठ कर बैठ जाता हूं और सपने का निहितार्थ मन ही मन ढूंढता हूं . सोचता हूं, आजाद हिंदुस्तान के 73 वर्ष व्यतीत हो गए हैं और मैं अपने मन की चैन की नींद भी नहीं सो पा रहा हूं . इस आजादी का क्या अभिप्राय है ? गांधी जी ने कहा था-  स्वराज्य में हर आंख से आंसू पोछा जाएगा. मगर आंसू पोछने तो क्या कोई आता, गाल पर सूखकर पपड़ी में तब्दील  हो गए हैं . इधर उधर की सोचता  और मन को बहला कर फिर निंद्रा देवी की गोद में जाने बिस्तर पर लेट जाता हूं. यह सोचकर कि अब धृतराष्ट्र किसी और भारतीय के स्वपन में चला गया होगा और मर्माहत  उसी से अपनी जिज्ञासा शांत कर रहा होगा . मैं तो मधुर नींद की झपकियों का आनंद ले लूंगा .

मैं सो गया . स्वपन में क्या देखता हूं, धृतराष्ट्र पुनः  सामने खड़े हैं . मैं घबराया . पीछे मुड़ा और भागने का प्रयत्न करने लगा . मगर धृतराष्ट्र कोई छोटी मोटी हस्ती तो थी नहीं . महाराज ! के इशारों पर सैनिकों ने भालों की नोक पर मुझे पकड़ महाराज के समक्ष पेश किया .मेरे चेहरे से हवाइयां उड़ रही थी- महाराज ! क्षमा . मैं क्षमा चाहता हूं, एक बार गलती मुआफ करें .

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‘मूर्ख ! उनका शेर की मानिंद स्वर गूंजा- ‘तू बार-बार धोखा देकर भाग जाता था . लोग हमारे बुलावे का इंतजार करते हैं, महाराज धृतराष्ट्र बुलाएं ! और तुम भाग जाते हो, क्यों ? क्या हम हस्तिनापुर के महाराज !  इतने गए गुजरे हैं….

‘ मैं अज्ञानी हूं महाराज ! सोचा कहीं आप से सामना हुआ और मैं प्रोटोकॉल के मुताबिक सम्मान ना दे सका . कुछ बहकी बहकी कह गया तो आपके एक ही इशारे पर मेरा सर कही धड़… कहीं- सो मैं भयभीत हो गया .

‘ देखो चतुराई पूर्ण बातें सुनने के हम आदी नहीं हैं . हमें साफ-साफ जो पूछे दुनिया का हाल बताओ . बस यही हमारा आदेश है . धृतराष्ट्र ने राजदंड को हाथों में घुमाते हुए कहा .

अब तो मैं फंस गया था . सोचता, क्या यह स्वपन है या सच ! अगर सब सच है तो फंस गया! मैंने हाथ जोड़कर परिस्थिति के अनुरूप कहा- ‘महाराज ! दुनिया का हालो हवाल भला मैं अज्ञानी क्या बताऊंगा .

‘ हमे संसद का हाल सुनाओ.. कोरोना  का सच्चा हाल बताओ . बताओ कोरोना के भय का क्या होगा ? कोरोना से विधानसभा  मे क्या  कठिनाइयां आ रही हैं ? प्रदेश के नेता  इतना घबराये हुए  काहे है ? ऐसे ही छोटे-छोटे प्रश्न हैं बस…. धृतराष्ट्र ने मिठास भरे स्वर में पूछा .

‘ महाराज मैंने हाथ जोड़कर कहा –  ‘ महाराज ! आप यह सब कुछ संजय से क्यों नहीं पूछते ? महाभारत में तो युद्ध के समय उन्होंने एक-एक पल की खबर आपको दी थी . उनको क्या हो गया है ?

‘ मूर्ख ! हमारा एक एक मिनट कीमती है . उनके चेहरे पर क्रोध था और स्वर में खींझ- तू क्या अपने को क्या समझता है… संजय होता तो क्या मैं तुझे परेशान करता . इतने बड़े महा युद्ध के समय उसने मुझे एक-एक क्षण की जानकारी दी थी तो क्या आज खबरें नहीं देता . तो महाराज ! एक अदद टीवी ऑन कर बैठ जाइए न राष्ट्रीय हो या लोकल टीवी पर तो सब कुछ दिखाया जा रहा है … सब कुछ दिखाया जा रहा है महाराज ! आप को बड़ी सुविधा रहेगी . मैं ने गिड़गिड़ा कर कहा- लेकिन हम तुम्हारे मुख से पल-पल की जानकारी सुनना चाहते हैं लोकल टीवी या नेशनल टीवी सब हमारे लिए बेकार हैं . जब हम देख ही नहीं सकते तो टेलीविजन के समक्ष क्यों बैठे .

मैं हक्का-बक्का धृतराष्ट्र की ओर आंखें फाड़ कर देख रहा था . उनके प्रश्न की काट नहीं थी मेरे पास मगर हठ पूर्वक कहा- टीवी नही तो समाचार पत्र मंगा कर पढ़ लीजिए .

धृतराष्ट्र ने आत्मभिमान के साथ घूर कर देखा .

‘ फिर बकवास ! तुम्हें पता नहीं हम जन्माध हैं . कैसे समाचार पत्र पढेंगे .

‘ महाराज ! मैं तो…जो आपको सत्य जानकारी टीवी और समाचार पत्रों से मिलेगी वह मैं कहां दे पाऊंगा . मैं ने गिड़गिड़ा कर चेहरे पर मासूमियत का भाव चिपका कर कहा .

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‘ तुम आखिर यह क्या नौकरी कर रहे हो . हमारा… हमारा आदेश मानने से इनकार ? इतना साहस ? क्या हमारे क्रोध से नावाकिफ हो या हमारे अत्याचार के संदर्भ में तुम्हें खबर नहीं है .

‘ महाराज ! शायद आपको पता नहीं, हमारे भारतवर्ष में आजकल क्या हो रहा है ?

‘ क्या हो रहा है मूर्ख . उन्होंने दहाड़ कर पूछा .

‘ महाराज मै, हमारा राष्ट्र आपको आदर्श मानकर धृतराष्ट्र बना हुआ है महाराज ! जुबान तालू से चिपक गई है . इसलिए मैं कुछ देखता हूं ना सुनता हूं . मैं स्वयं धृतराष्ट्र बन गया हूं .

‘ तो यह मेरी बढ़ाई है या बुराई वत्स ! धृतराष्ट्र ने चिंतित स्वर में अपने राज सिंहासन पर बैठते हुए कहा .

‘ महाराज ! यह तो समय तय करेगा मगर मैं इतना बता सकता हूं संसद, विधानसभा, मीडिया, अफसर, सरकार सभी आप को आदर्श मानते हैं . ‘तभी मोबाइल की कर्कश ध्वनि ने निंद्रा तोड़ी में स्वप्न से बाहर आ गया . सोचने लगा धृतराष्ट्र की मूर्ति चौराहे पर लगनी चाहिए .

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