बकरा: मालिक के चंगुल में मोहन

ठेले वाले ने चिल्ला कर कहा, ‘‘मोहन, माल आ गया है.’’ मोहन ने किराने की दुकान से झांक कर देखा. ठेले पर आटे, चावल और दाल की बोरियां रखी थीं.किराने की दुकान का मालिक दिलीप साव खाते का हिसाबकिताब करने में मशगूल था. उस ने खाते का हिसाब करते हुए कहा,

‘‘मोहन, माल उतार लो.’’दुकान पर 2-3 ग्राहक थे, जिन्हें निबटा कर मोहन बोरियां उतारने लगा. ठेले वाले ने भी बोरियां उतारने में उस की मदद कर दी.बड़ी सड़क के किनारे ही दिलीप साव की किराने की दुकान थी. मोहन उस की दुकान पर काम करता था. वह सीधासादा नौजवान था.

वह अपने काम से मतलब रखता था. दुकान से महीने की तनख्वाह मिल जाती थी. उस से वह गुजारा कर लेता था.दिलीप साव की किराने की दुकान अच्छी चलती थी, जिस से वह खुशहाल जिंदगी जी रहा था. एक साल पहले उस की शादी दीपा से हुई थी.दीपा बेहद खूबसूरत थी.

वह काफी गोरीचिट्टी थी. उस की आंखें हसीन थीं. उस की काली जुल्फें मदहोश कर देती थीं. उस के पतले होंठों पर मुसकान खिली रहती थी. वह एक ताजा कली के समान थी.दिलीप साव का एक छोटा भाई था सुजीत. वह कालेज में पढ़ता था.

दीपा का दिल उस से बहल जाता था. वह अपने देवर के साथ हंसीमजाक कर के मजे से दिन गुजार लेती थी.रात तो दीपा की अपनी थी ही. जब दुकान बढ़ा कर रात को दिलीप साव घर लौटता तब दीपा पति के साथ मौजमस्ती करती थी. वह भी दीपा जैसी पत्नी पा कर बेहद खुश था.

उस की तो मजे से जिंदगी कट रही थी.मोहन किराने की दुकान का काम खत्म कर के घर लौट रहा था. रास्ते में उस का एक दोस्त बिरजू मिल गया. बिरजू नाविक था.

वह सोन नदी में नाव चलाता था. सोन नदी इस इलाके से महज आधा किलोमीटर दूर बहती थी. बिरजू नाव से लोगों को सोन नदी पार कराने का काम करता था.मोहन ने पूछा, ‘‘कैसे हो बिरजू?’’‘‘ठीक हूं. तुम अपनी सुनाओ?’’ बिरजू ने कहा.‘‘कुछ खास नहीं, बस…’’ मोहन ने धीरे से कहा.‘‘कब तक सीधेसादे बने रहोगे. चलो, तुम्हें कोलकाता घूमा दूं,’’ बिरजू ने कहा.‘‘वहां क्यों?’’ मोहन ने पूछा.

‘‘अरे यार, मैं तुम्हें कोलकाता के सोनागाछी इलाके में ले चलूंगा. उस इलाके में खूबसूरत लड़कियां इशारे कर के बुलाती हैं. उन के नजदीक चले जाओ, फिर मजा ही मजा लूटो.’’मोहन झेंप कर बोला, ‘‘कभी और देखा जाएगा यार.’’‘‘हां, तब तक भोलाभाला बने रहो. देखना एक दिन औरतें और लड़कियां तुझे बुद्धू बना देंगी,’’ बिरजू ने झल्ला कर कहा.मोहन हंसते हुए घर चला गया.

दिलीप साव किराने की दुकान से रात को लौटा था. वह अपने कमरे के पलंग पर लेटा हुआ था. दीपा भी उस के साथ लेटी हुई थी. बत्ती बुझी हुई थी. कमरे में अंधेरा था. अंधेरे कमरे में वे दोनों एकदूसरे को चूमने लगे थे. बदन की आग धीमेधीमे सुलगने लगी थी.

दीपा के उभार उस पर कहर बरपा रहे थे. दोनों ने एकदूसरे को अपनी बांहों में जकड़ लिया था.दिलीप साव ने तकिए के नीचे से कंडोम निकाला और अपने अंग पर पहन लिया.‘‘आप कब तक बच्चा नहीं चाहते हैं?’’ दीपा ने धीमे से पूछा. ‘‘अभी तो हमारी शादी को एक साल ही हुआ है.

मुझे 3 साल के बाद बच्चा चाहिए,’’ दिलीप साव धीमे से बोला.‘‘आप तो परिवार नियोजन के पक्के हिमायती हैं.’’‘‘हां, बिलकुल हूं,’’ दिलीप साव ने कहा.दीपा ने प्यार से हलकी चपत उस के गाल पर लगाई. हलकी चपत लगते ही वे दोनों सैक्स करने लगे. कुछ देर में पतिपत्नी के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे. शरीर की भूख मिट जाने के बाद वे दोनों गहरी नींद में सो गए थे.

अगले दिन दिलीप साव के किराने की दुकान पर ग्राहकों की भीड़ थी. मोहन ने सारे ग्राहकों को जरूरत के मुताबिक सामान दे दिया था. दिलीप साव ने अभी गल्ले में रखे रुपयों की गिनती की थी.‘20,000 रुपए,’ दिलीप साव ने मन ही मन सोचा.‘‘ये लो 20,000 रुपए. मालकिन को जा कर दे दो,’’ दिलीप साव ने मोहन से कहा.मोहन रुपए का थैला ले कर मालकिन के पास जा पहुंचा और बोला, ‘‘ये 20,000 रुपए हैं. मालिक ने दिए हैं.’’‘‘ठीक है,’’ दीपा ने रुपए ले लिए और अपने कमरे में चली गई.

दीपा ने कमरे का परदा हटाया तो वहां से उस का देवर सुजीत अपने कमरे की तरफ भागा. मोहन को शक हुआ कि दीपा के कमरे में सुजीत क्या कर रहा है? उसे दाल में काला नजर आाया.अमूमन कालेज के लड़के अपने कमरे में पढ़ते हैं. भाभी के कमरे में जा कर वह कौन सी पढ़ाई पढ़ता है?

लेकिन मोहन चुप लगा गया. उसे दिलीप साव के किराने की दुकान पर नौकरी जो करनी थी. वह वहां से सीधा दुकान पर चला आया.जाड़े के दिन आ गए थे.

शाम को ठंड बढ़ जाती थी, जिस से दिलीप साव को दुकान पर ठंड लगती थी. उस ने घर के स्टोर में एक हीटर रखा हुआ था.‘‘मोहन, मालकिन से हीटर मांग कर लेते आओ. ठंड बढ़ गई है,’’ दिलीप साव ने कहा.‘‘अभी जा कर ले आता हूं,’’ कह कर मोहन हीटर लाने चला गया.

मोहन मालिक के घर पहुंचा. घर का दरवाजा दीपा ने अंदर से बंद कर रखा था. मोहन ने आवाज लगाई, ‘‘मालकिन, दरवाजा खोलिए. मालिक ने हीटर मंगाया है.’’लेकिन दीपा ने दरवाजा नहीं खोला. शायद उस ने सुना ही नहीं था. तब मोहन ने दरवाजे के सुराख से अंदर झांक कर देखा.दीपा के कमरे का दरवाजा खुला था. वह पलंग पर लेटी हुई थी.

सुजीत उसे बांहों में भर कर चूम रहा था. पलभर में दीपा ने अपने कपड़े उतार दिए. उस के उभार देख कर सुजीत उस पर झपट पड़ा और वे दोनों सैक्स करने लगे.मोहन यह देख कर हैरान रह गया. इस सीन में उसे भी मजा आने लगा था. कुछ देर तक दोनों देवरभाभी सैक्स का मजा लेते रहे, फिर संतुष्ट हो कर अलग हो गए.

दीपा ने झटपट कपड़े पहन लिए. अपने बिखरे बालों को ठीक किया. सुजीत अपने कमरे में जा कर किताबें उलटनेपुलटने लगा.

तब मोहन ने फिर से दरवाजा खटखटाया. इस बार दीपा ने दरवाजा खोल दिया.मोहन ने अभी जोकुछ देखा था, उस से वह अनजान ही बना रहा.

‘‘मालिक ने हीटर मांगा है,’’ मोहन ने कहा.‘‘अभी लाती हूं,’’ कह कर दीपा ने स्टोर से हीटर ला कर दे दिया. मोहन हीटर ले कर किराने की दुकान पर पहुंचा.

‘‘यह लीजिए हीटर,’’ कह कर मोहन ने दिलीप साव को हीटर दे दिया.मोहन किराने की दुकान पर ग्राहकों को सामान देने लगा. वह मन ही मन सोचता रहा कि दीपा और सुजीत की कारगुजारी दिलीप साव को नहीं बताएगा, नहीं तो वह उसे दुकान से निकाल देगा.जाड़े की कंपकंपाती ठंड पड़ रही थी.

आधी रात को दीपा दिलीप साव की बांहों में थी. दोनों में सैक्स की भूख जगी थी. सैक्स करने से पहले दिलीप साव ने तकिए के नीचे से कंडोम निकाल कर अपने अंग पर पहना.तब दीपा ने थोड़ा विरोध किया, ‘‘कब तक इसे पहनाते रहेंगे?’’‘‘अभी हम बच्चा नहीं चाहते हैं. प्यार ऐसे ही चलता रहेगा,

’’ दिलीप साव ने कहा.दीपा यह दिलीप साव जवाब सुन कर मुसकरा दी. वह कंडोम पहन कर ही सैक्स करने लगा. संतुष्ट होने के बाद थक कर दोनों सो गए.दिन बीत रहे थे. दीपा की सुजीत के साथ प्रेमलीला बददस्तूर जारी थी.

दीपा दिन में सुजीत के साथ और रात में दिलीप साव के साथ मजे ले रही थी.इस बीच एक दिन जब रात को दुकान बढ़ाने के बाद दिलीप साव घर लौटा, तब दीपा ने उसे खुशखबरी सुनाई, ‘‘मैं मां बनने वाली हूं.’’यह खुशखबरी सुनते ही दिलीप साव के पैरों के तले की जमीन खिसक गई.

‘‘मैं तो कंडोम इस्तेमाल करता था, फिर बच्चा कैसे ठहर गया?’’ दिलीप साव ने दीपा से पूछा.‘‘बच्चा आप का ही है. बेवजह शक मत कीजिए,’’ दीपा ने जोर दे कर कहा. दिलीप साव माथा पकड़ कर पलंग पर बैठ गया.‘‘मैं ने सोचा कि आप को पता चलेगा तो आप खुश होंगे, लेकिन यहां आप ही मुझ पर इलजाम लगाने लगे,’’ दीपा सुबक कर रोने लगी.दिलीप साव चुप लगा गया.

अगले दिन वह दुकान पर उदास बैठा था. उस के दिल और दिमाग में दीपा की बात गूंज रही थी, ‘मैं मां बनने वाली हूं.’‘आखिर यह किस की करतूत हो सकती है? मेरा भाई सुजीत तो ऐसा नहीं है,’ दिलीप साव गहरी सोच में डूबा था.मोहन ग्राहक को सामान देने में मशगूल था.

दिलीप साव के शक की सूई मोहन पर आ कर ठहर गई.‘‘हां, यही तो रुपए पहुंचाने दीपा के पास जाता था. मुझ से ही गलती हो गई. मैं ही मोहन को घर भेजता था,’’ दिलीप साव बड़बड़ाया.दिलीप साव को अब मोहन पर बेहद गुस्सा आ रहा था. शक की वजह से मोहन उसे बुरा लगने लगा था.‘क्यों नहीं मोहन को दुकान से निकाल दूं?’

दिलीप साव मन ही मन सोच रहा था.तभी मोहन ने कहा, ‘‘मालिक, मुझे 2,000 रुपए एडवांस चाहिए थे. मोबाइल खरीदना है.’’‘‘मोबाइल का क्या करोगे?’’ दिलीप साव ने गुस्से को दबाते हुए पूछा.‘‘मेरा दोस्त बिरजू है न, उस से बात करूंगा. मालकिन को भी घर पर कोई काम रहेगा तो वे मुझे फोन कर देंगी,’’ मोहन निश्छल भाव से बोला.दिलीप साव का शक और भी पुख्ता होने लगा.

‘एक बार तो मोहन मुझे बेवकूफ बना चुका है, अब दीपा से बात कर के वह मजे लेता रहेगा,’ दिलीप साव कुछ सोच कर बोला, ‘‘2-3 दिन बाद रुपए दे दूंगा.’’‘‘अच्छा मालिक,’’ कह कर मोहन अपने काम में लग गया. 2-3 दिन में दिलीप साव एक खतरनाक साजिश का तानाबाना बुन चुका था.

उस समय किराना दुकान पर कोई ग्राहक नहीं था. मोहन इतमीनान से बैठा था. इधरउधर ताक कर दिलीप साव ने मोहन से कहा, ‘‘सोन नदी के उस पार के बाजार से 3-4 बोरियां बासमती चावल लाना है. वहां चावल सस्ता मिलता है. मुनाफा अच्छा मिलेगा.‘‘ये लो 7,000 रुपए हैं. 5,000 रुपए चावल के लिए और 2,000 तुम्हारे एडवांस के रुपए.’’मोहन ने 7,000 रुपए मालिक से ले लिए. वह एडवांस के रुपए पा कर खुश हो गया था. वह अब मोबाइल खरीद सकेगा.‘‘अच्छा, चलता हूं,’’

कह कर मोहन जाने लगा. मोहन जैसे ही जाने लगा तभी एक शख्स लुंगी और ढीलाढाला कुरता पहने किराने की दुकान पर आया.‘‘अरे, रुको मोहन,’’ दिलीप साव ने आवाज लगाई.मोहन रुक गया.‘‘यह माधव है. नाव चलाता है. नाव से तुम्हें सोन नदी पार करा देगा,’’ दिलीप साव ने उस शख्स का परिचय मोहन से कराया.मोहन ने नजर उठा कर ध्यान से माधव को देखा.

एक अनजान सा खुरदरा चेहरा, जिसे उस ने कभी इस इलाके में नहीं देखा था.‘‘अच्छा, हम लोग जाते हैं,’’ मोहन ने कहा. वे दोनों साथसाथ चल दिए. दिलीप साव के होंठों पर एक जहरीली मुसकान खेल गई.वे दोनों सोन नदी के किनारे पहुंचे. किनारे पर माधव की नाव लगी थी.

सोन नदी अपनी मस्त चाल में बह रही थी.‘‘बैठो,’’ माधव खूंटे से बंधी नाव की रस्सी खोलने लगा. मोहन नाव पर बैठ गया.माधव चप्पू के सहारे नाव आगे बढ़ाने लगा. नाव थोड़ी दूर आगे बढ़ी, तब केवल पानी ही पानी नजर आने लगा. पानी का बहाव भी तेज होने लगा.

माधव सधे नाविक की तरह नाव चला रहा था. मोहन सोन नदी के खूबसूरत नजारों में खोया नाव पर बैठा हुआ था.अब नाव सोन नदी के बीच में पहुंच गई थी. पानी के बहाव में और तेजी आ गई थी. माधव दबे पैर उठा और मोहन को जोर से धक्का दे दिया. मोहन सोन नदी की बहती धार में गिर गया. पानी में गिरते ही उस ने नाव को पकड़ना चाहा. लेकिन माधव ने चप्पू को तेज चला कर नाव को उस की पकड़ से दूर कर दिया.‘‘बचाओ… बचाओ…’’ डर के मारे मोहन चिल्लाने लगा.

माधव चप्पू को तेजी से चला कर नाव को भगाने लगा. मोहन से नाव दूर निकल गई.मोहन पानी में हाथपैर मार कर बचने की कोशिश करने लगा, लेकिन वह डूबने लगा था. तभी पानी के बहाव में उसे एक पेड़ की टहनी बहती हुई मिली. उस ने वह टहनी जोर से पकड़ ली और वह टहनी के साथ बहने लगा.

तभी कुछ दूर एक नाव उसे आती हुई दिखी.‘‘बचाओ… बचाओ…’’ मोहन जोर से चिल्लाने लगा. उस की आवाज सन्नाटे को चीरती हुई नाविक तक पहुंच गई. नाव चलाने वाला मोहन का दोस्त बिरजू था.किसी डूबते आदमी को बचाने के लिए उस ने नाव तेजी से चलाई.

वह जल्दी ही मोहन तक पहुंच गया.‘‘अरे, मोहन तुम…’’ बिरजू चिल्लाया. उस ने मोहन को पानी से नाव पर खींच लिया. मोहन बेहद डरा हुआ था.‘‘आखिर, तुम यहां कैसे आए?’’ बिरजू ने मोहन को झकझोरते हुए पूछा.‘‘मालिक ने नदी के उस पार के बाजार से मुझे बासमती चावल लाने भेजा था.

जिस नाव पर मैं सवार था, उसे माधव नाम का नाविक चला रहा था. बीच मझधार में उस ने मुझे धक्का दे कर नदी में गिरा दिया.‘‘मैं डूबने लगा था कि तभी पेड़ की एक टहनी को पकड़ कर कुछ दूर नदी के बहाव के साथ बहा, फिर अपनी ओर एक नाव को आते देखा.

‘‘अगर बिरजू तुम नहीं मिलते तो शायद…,’’ मोहन का गला रुंध गया. बिरजू चप्पू को तेज रफ्तार से चला कर नाव को किनारे तक ले आया.‘‘माधव को तुम पहचानते थे?’’ बिरजू ने पूछा. ‘‘नहीं, मेरा मालिक उसे जानता था,’’ मोहन ने कहा.‘‘अब समझा. माधव भाड़े का अपराधी था. मालिक के इशारे पर तुम्हें नदी में डुबो कर मारना चाहता था,’’ बिरजू ने कहा.‘‘लेकिन मालिक ने ऐसा क्यों किया?’’

मोहन ने मासूमियत से पूछा.‘‘शायद किसी बात के शक में उस ने यह खतरनाक कदम उठाया होगा,’’ बिरजू ने कहा.‘‘किस बात का शक? मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा है,’’ मोहन ने कहा.‘‘वह अपनी बीवी और तुम्हारे बीच नाजायज संबंध को ले कर शक कर रहा होगा,’’ बिरजू घटना की तह तक जाने लगा.‘‘मोहन, तुम दिलीप साव के घर जाते थे न? कोई नजदीकी आदमी ने उस की बीवी के साथ संबंध बनाया होगा.

उस की बीवी पेट से रह गई होगी और वह तुम पर शक कर बैठा,’’ बिरजू ने अंधेरे में तीर चलाया.‘‘अरे हां, मालिक का भाई सुजीत अपनी भाभी के साथ गलत संबंध बनाता था. मैं ने किवाड़ की सुराख से छिप कर देवरभाभी को मजे लेते अपनी आंखों से देखा था,’’

जैसे मोहन नींद से जागा हो.‘‘मोहन, तुझे दिलीप साव ने बलि का बकरा बना दिया,’’ बिरजू ने हंस कर कहा.‘‘अब हम क्या करें?’’ मोहन खौफ में था.‘‘मालिक को कुछ मत बताना, नहीं तो तबाही की सूनामी आ जाएगी.‘‘देखो, कोई बहाना बना देना. नाव से अचानक नदी में गिर गया था.

जान बच गई, बस,’’ बिरजू ने समझाया.‘‘और अपराधी माधव के बारे में?’’ मोहन ने आगे पूछा.‘‘कह देना कि माधव को पता नहीं चला कि मैं नदी में गिर गया था. वह नाव ले कर कहीं दूर निकल गया,’’ बिरजू बोला.‘‘अब मैं दिलीप साव के किराने की दुकान पर काम नहीं करूंगा,’’

मोहन ने अपना फैसला सुनाया.‘‘इस महीने तक काम कर लो, मगर मालिक से सावधान रहना. इस महीने की तनख्वाह ले कर काम छोड़ देना,’’ बिरजू ने कहा.‘‘उस के बाद मैं क्या करूंगा?’’ मोहन ने पूछा.‘‘मेरे चाचा का ढाबा कोलकाता में है. वहीं चले जाना.

ढाबे पर एक आदमी की जरूरत है,’’ बिरजू ने कहा.मोहन और बिरजू बातें करते हुए अपने घर चले गए.दूसरे दिन मोहन किराने की दुकान पर पहुंचा.

दिलीप साव उसे जिंदा देख कर घबरा गया. माधव ने तो उसे नदी में डुबा दिया था.दिलीप साव ने संभल कर पूछा, बासमती चावल का क्या हुआ?’’‘‘मैं नदी में गिर गया था. बस, जान बच गई. ये लीजिए, आप के 5,000 रुपए,’’ मोहन ने रुपए दे दिए.‘‘अरे बाप रे, बड़ी घटना घट जाती तो… चलो, जान तो बच गई,’’ दिलीप साव के बोल बड़े मीठे थे.

तब तक दुकान पर 1-2 ग्राहक आ गए थे. मोहन उन्हें सामान देने लगा.रात को दिलीप साव दुकान बढ़ा कर घर पहुंचा. वह पलंग पर दीपा के साथ लेटा हुआ था. वह सोना चाहता था, लेकिन उस की आंखों से नींद गायब थी. मोहन का जिंदा वापस लौट आना उस की चिंता का सबब था.दीपा ने बांहों में भर कर दिलीप साव को चूम लिया. ‘‘चलो हटो, मुझे सोने दो,’’ दिलीप साव ने बेरूखी से कहा.‘‘मुझ से नाराज लग रहे हैं,’’ दीपा ने उसे अपने ऊपर खींच लिया,

‘‘हां, अब तो अपना काम कर के सोओ,’’ उस ने प्यार से कहा.दिलीप साव ने इस बार तकिए के नीचे से कंडोम नहीं निकाला. अब इस की जरूरत ही कहां थी.

वह सैक्स करने लगा. दोनों संतुष्ट हो कर गहरी नींद में सो गए.महीना बीत चुका था. आज पहली तारीख थी. मोहन ने दिलीप साव से महीने की तनख्वाह मांगी.‘‘मालिक, आज एक तारीख है. महीने की तनख्वाह चाहिए थी,’’ मोहन ने मालिक से खुशामद की.

‘‘हांहां, क्यों नहीं,’’ दिलीप साव ने गल्ले से रुपए निकाल कर मोहन को दे दिए. उस ने अपनी तनख्वाह संभाल कर रख ली.‘‘मालिक, आज रात मेरी कोलकाता जाने की ट्रेन है. टिकट हो गया है,’’ मोहन ने कहा.‘‘तुम कोलकाता क्यों जा रहे हो?’’ मालिक ने पूछा.‘‘मेरी कोलकाता में नौकरी लगी है. कमाने जा रहा हूं.’’ मोहन ने कहा.‘‘तब यहां दुकान में कौन काम करेगा?’’

मालिक घबरा कर बोला.‘‘यह सब मैं क्या जानूं. यह अब आप को समझना है.’’इतना कह कर मोहन किराने की दुकान से बाहर निकल गया. मालिक ठगा सा उसे जाते देखता रह गया.रात में मोहन को रेलवे स्टेशन पर छोड़ने बिरजू आया था. कोलकाता जाने वाली टे्रन स्टेशन पर लगी हुई थी. थोड़ी देर में टे्रन ने जोरदार सीटी बजाई.ट्रेन धीमी रफ्तार से स्टेशन पर आगे बढ़ने लगी.

बिरजू ने ट्रेन की खिड़की के पास बैठे मोहन को समझाया, ‘‘कोलकाता में भोलाभाला बन कर मत रहना, नहीं तो कोई भी लड़की, औरत तुझे बुद्धू बना देगी. फिर बिरजू क्या करेगा…’’मोहन और बिरजू ठहाका लगा कर हंसने लगे.हंसतेहंसते बिरजू स्टेशन पर अकेला रह गया. ट्रेन स्टेशन से चली गई थी. वह उदास दिल से घर लौट आया.

दिलीप साव अकेले किराने की दुकान संभालने लगा था. उस की परेशानी तब बढ़ जाती थी, जब वह ग्राहकों की भीड़ में घिर जाता था. तब उसे मोहन खूब याद आता था.इस तरह 9 महीने बीत गए. आज दिलीप साव के घर खुशियां लौटी थीं.

दीपा ने एक खूबसूरत बच्चे को जन्म दिया था.‘‘यह लीजिए, आप का खूबसूरत बेटा,’’ दीपा ने बच्चे को दिलीप साव के गोद में दे दिया. उस ने बच्चे को प्यार से चूम लिया. बच्चे का चेहरा उस के छोटे भाई सुजीत से हूबहू मिल रहा था.दिलीप साव के चेहरे पर एक अनकहा दर्द उभर आया.

उस ने मोहन पर बेवजह शक किया. यह तो सुजीत की करतूत निकली. दिलीप साव की आंखों में बेबसी के आंसू भर आए.सुजीत भाभी के साथ खुशियां मना रहा था. अब दिलीप साव कर भी क्या सकता था. वह भी बुझे मन से सब के साथ खुशियों में शामिल हो गया.

Neeraj Chopra का वीडियो मनु भाकर के साथ हुआ वायरल, अफवाहों का बाजार गरम 

ओलंपिक में सिल्वर मैडल जीतने वाले नीरज चोपड़ा का एक वीडियो वायरल हो रहा है, इस वीडियो में वह पैरिस ओलंपिक में दो कांस्य पदक लाने वाली मनु भाकर के साथ बातें करते दिखाई दे रहे हैं.

एक दूसरे वायरल वीडियो में नीरज चोपड़ा को मनु भाकर की मां से भी बातचीत करते देखा जा रहा है. इस वीडियो में मनु की मां ने नीरज के सिर पर हाथ भी रखा है. इस वीडियो की सभी जगह चर्चा हो रही है,  भारतीय शूटर मनु भाकर की मां और ओलंपिक में भाला फेंक कर सिल्वर पदक अपने नाम करने वाले नीरज चोपड़ा के वीडियो पर सोशल मीडिया यूजर्स ने लिखा है, रिश्ता पक्का हुआ, एक दूसरे यूजर ने लिखा है, बेटा, शादी मेरी बेटी से ही करना.  एक्स पर मनु भाकर और नीरज की फोटो पोस्ट करने वाले एक यूजर ने लिखा कि क्या लगता है ये दोनों आपस में क्या बातें कर रहे होंगे, कोई बता सकता है,  किसी ने नीरज चोपड़ा की मां की वीडियो पर लिखा है इंडियन आंटीज . कुल मिलाकर कहा जाए, तो इन मुलाकातों की वजह से नीरज और मनु दोनों को लेकर मजेदार बातें सोशल मीडिया पर चल रही है 

पैरिस ओलंपिक में मनु भाकर ने देश के लिए पहला ओलंपिक मैडल जीता. इस ओलंपिक में वह 10 मीटर एयर पिस्टल के साथ ही 10 मीटर एयर पिस्टल मिक्स्ड में भी ब्रौन्ज मैडल जीता, उधर नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक में सिल्वर मेडल जीता. इस ओलंपिक में भारत को एकमात्र सिल्वर मैडल मिला है.   

‘गलुरे लाल’ से लगी सपना चौधरी की लौटरी, चर्चा जोरों पर 

हरियाणवी डांसर और सिंगर सपना चौधरी की हर अदा ही निराली है. अपने डांस मूव्स और लटकेझटके के कारण मशहूर हुई सपना की फैन फौलोइंग का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उन का नया गाना ‘गलुरे लाल’ रिलीज होते ही वायरल हो गया है और चारों ओर इस की चर्चा हो रही है. इस गाने के वीडियो में सपना वाइट कलर के अनारकली सूट में नजर आ रही हैं.

दिल्ली में जनमी सपना के पिता उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के रहने वाले हैं.  सपना के ज्यादातर फैंस हरियाणवी या पंजाबी हो सकते हैं लेकिन उन के डांस और खूबसूरती का डंका उत्तर प्रदेश, बिहार में भी खूब बजता है.  अपने नए गाने को पोस्ट करने के बाद सपना ने उस के कैप्शन में लिखा है, ‘म्यूजिक में खो गई हूं.’

सपना चौधरी के स्टैज शो को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ती है. कुछ समय पहले सपना चौधरी का ‘लोरी’ वीडियो काफी वायरल हुआ था, जिस में उन का अंदाज डांसिंग क्वीन वाले अंदाज से बेहद अलग दिखा. वैसे सपना का सब से पौपुलर गाना ‘तेरी आंख्या का यू काजल…’ है.

साल 2018 में सपना चौधरीका नाम भारत की उन टौप 3  सैलिब्रिटीज में था, जिन्हें भारत में सब से अधिक सर्च किया गया था. वे म्यूजिक वीडियोज के साथसाथ पर्सनल लाइफ को ले कर भी चर्चा में रही हैं. ‘बिग बौस’ में आने के बाद उन के फैंस की लिस्ट और भी लंबी हो गई है. इस शो ने उन की पहचान को पूरे देश में पुख्ता करने में मदद की. अब वे स्टैज शो में कम ही नजर आती हैं और आजकल मदरहुड को एंजौय कर रही हैं.

सपना चौधरी केवल डांसिंग और सिंगिंग के कारण ही नहीं, बल्कि अपनी निजी जिंदगी की वजह से भी चर्चा में रही हैं. खबरों के अनुसार, उन्होंने सुसाइड करने की भी कोशिश की थी. वीर साहू से उन की शादी को ले कर भी कई तरह की बातें की गईं, लेकिन सपना चौधरी पर खुद से जुड़े विवादों का कम ही असर दिखा. वे अपना सारा ध्यान म्यजिक वीडियोज की ओर लगाती हैं और यही वजह है कि उन के वीडियोज आते ही हिट हो जाते हैं .

अगर गर्लफ्रैंड को बनाना चाहते हैं दुल्हन तो जानें, कोर्ट मैरिज के लिए जरूरी डौक्यूमेंट्स

एक लड़का एक लड़की से प्यार और उसे शादी तक ले जाना हो तो, उनके लिए एक ही रास्ता है वो है कोर्ट मैरिज. अब इसके लिए जरूरी है कि आपको कुछ डौक्यूमैंट्स की भी जरूरत पड़ सकती है.

कोर्ट मैरिज करने से पहले सबसे ज्यादा जरूरी शर्त होती है विवाह करने वाले जोड़ा अनमैरीड होना चाहिए. भारत का कानून साफ तौर पर दो विवाह करने अथवा एक पत्नी के रहते दूसरा विवाह करने की आजादी बिल्कुल भी नहीं देता है और इसे कानूनी तौर पर अपराध माना जाता है. इसलिए कोर्ट सबसे पहले यह छानबीन करता है कि क्या कोर्ट मैरिज करने की इच्छा रखने वाला यह कपल पहले से कहीं मैरीड तो नहीं है.

कोर्ट मैरिज करने का प्रोसेस होता है जिसे भारत के नियमों और कानूनों के माध्यम से पूरा किया जाता है. कोर्ट मैरिज का प्रभाव और इसकी मान्यता पूरे देश भर में होती है देश के किसी भी कोने में कोर्ट मैरिज द्वारा जारी किए गए मैरिज सर्टिफिकेट को मान्यता दी जाती है तथा इसके आधार पर महिला और पुरुष दोनो के भविष्य के हितों की रक्षा भी की जाती है.

इसलिए कोर्ट मैरिज करते समय अच्छी जांच और परख होती है और अच्छी जांच और परख के लिए अलगअलग तरग के डौक्यूमेंट की जरूरत होती है इसलिए कोर्ट मैरिज करने के लिए कुछ डाक्यूमेंट्स  जरूरी होते हैं. आज हम अपने इस आर्टिकल में इसपर बात करेंगे कि कोर्ट मैरिज करने के लिए कौन से डौक्यूमेंट बहुत जरूरी होते हैं. 6 ऐसे जरूरीरी डौक्योमेंट होते है. जो मैरीज के वक्त काम आते है.

एप्लीकेशन फौर्म

यह कोर्ट मैरिज करने का पहला स्टेप होता है. इसके माध्यम से आप विवाह के अधिकारी को अपनी कोर्ट मैरिज करने की इच्छा को जाहिर कर सकते हैं. इस फौर्म के लिए कुछ फीस भी रखी जाती है

पासपोर्ट साइज फोटो

ऐसे महिला और पुरुष जो कोर्ट मैरिज करना चाहते हैं, उनके पासपोर्ट साइज के चार फोटो होना पास जरूरी होता है. एप्लीकेशन फौर्म भरते समय भी एक एक फोटो लगते है तथा उसके साथ ही तीन और फोटो की जरूरत पड़ती है इसलिए कोर्ट मैरिज का प्रोसेस में शामिल होने वाले युवक और व्यक्तियों को चार फोटो जरूरी रूप से अपने साथ ले जाने चाहिए.

पहचान प्रमाण पत्र

कपल की पहचान सुनिश्चित करने के लिए कोर्ट को कोर्ट मैरिज के इच्छुक जोड़े के पहचान पत्र की आवश्यकता होती है. इसमें आधार, कार्ड, वोटर कार्ड शामिल होता है. अगर पहचान पत्र उपलब्ध न हो तब पहचान पत्र की जगह पर ड्राइविंग लाइसेंस अथवा पासपोर्ट को भी मान्यता मिलती है.

कोर्ट मैरिज की फीस

कोर्ट मैरिज करने के लिए हर राज्य में अलग-अलग फीस है यह फीस ₹500 से लेकर ₹1000 के बीच आपको कोर्ट मैरिज का चार्ज देना होता है.

मार्कशीट

कोर्ट मैरिज करने के लिए मार्कशीट का उपयोग बर्थ प्रूफ के ओप्शन के रूप में किया जाता है.  इससे शादी के इच्छुक कपल की लीगल ऐज का सही सही पता चलता है. इसलिए कोर्ट मैरिज करते समय 10वीं की मार्कशीट को वरीयता दी जाती है.

शपथ पत्र

कोर्ट मैरिज करने से पहले शादी के इच्छुक कपल को एक शपथ पत्र जमा करना होता है.

15 अगस्त पर राखी, उर्फी के कपड़ों ने मचाया बवाल, फोलो करें ये टिप्स

15 अगस्त अजादी का महोत्सव सभी के लिए खास दिन है. इस जश्न को कोई पतंग के साथ मनाता है तो कोई कपड़ो के साथ. आजकल फैशन का ट्रैंड है, तो टीवी स्टार्स इसे लेकर पीछे नहीं रहते है वह गुड लुक्स के साथ सोशल मीडिया पर अपनी फोटोज वीडियोज शेयर करते है. ऐसे ही कई टीवी स्टार्स है जो अपने कपड़ो को लेकर कभी ट्रोल हुए. जो 15 अगस्त पर अतरंगी ड्रैस कैरी कर लाइमलाइट में आ गए.

 

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मंदिरा बेदी की अतरंगी साड़ी ने मचाया था बवाल

एक्ट्रेस मंदिरा बेदी (Mandira Bedi) इंडियन फिल्म इंडस्ट्री का वो नाम और चेहरा है जिसने सिर्फ अपनी काबिलियत के दम पर दुनियाभर में एक खास मुकाम हासिल किया. मंदिरा अपनी एक्टिंग, खूबसूरती, पर्सनैलिटी, फिटनेस और बेबाक अंदाज की वजह से जानी जाती हैं. हालांकि, यही मंदिरा है जिनका विवादों से भी गहरा नाता है. एक बार तो एक्ट्रेस अपनी साड़ी की वजह से लोगों के निशाने पर आ गई थीं.

दरअसल, जो साड़ी मंदिरा ने पहनी उस साड़ी पर भारत के झंडे का प्रिंट सबसे नीचे बनाया गया था, जो उनके पैरों की तरफ आ रहा था. शो की ब्रौडकास्टिंग के समय जब मंदिरा क्रौस लेग करके बैठीं तो तिरंगा उनके तलवों की तरफ चला. यही बात भारतीयों को बिल्कुल रास नहीं आई और लोगों ने देशभर में मंदिरा की निंदा करते हुए खूब हंगामा शुरू कर दिया.

उर्फी ने जब पहन लिए पूरे कपड़े, सब हुए हैरान

स्वतंत्रता दिवस के मौके पर उर्फी जावेद ने एक पोस्ट शेयर की थी. इस पोस्ट में उर्फी जावेद हरे रंग का सूट पहने नजर आई. काफी समय बाद उर्फी जावेद पूरे कपड़े पहने नजर आईं थी. इस पोस्ट को शेयर करते हुए उर्फी जावेद ने फैंस को 15 अगस्त की बधाई भी दी थी.

बता दें, उर्फी हमेशा ही अपने अतरंगी फैशन के लिए जानी जाती है. वे ज्यादातर वेस्टर्न लुक में दिखाई देती है. इसलिए जब उर्फी ने 15 अगस्त के मौके पर सूट के साथ फोटो शेयर की तो उनके चाहने वाले हैरान रह गए.

बौलीवुड एक्ट्रेस और डांसर राखी आए दिन अपनी बोल्डनेस और कंट्रोवर्सीज को लेकर लाइमलाइट में रहती हैं. एक बार फिर से राखी ने सोशल मीडिया पर अपनी कुछ ऐसी तस्वीरें पोस्ट कर दी हैं जिनके कारण वो फिर से लाइमलाइट में आ गई हैं. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली राखी ने पाकिस्तान के झंडे के साथ पोज देते हुए फोटोज पोस्ट की हैं. इसी को लेकर यूजर्स उन्हें ट्रोल करते हुए काफी भला बुरा कह रहे हैं.

  • राखी ने लहरा दिया था पाकिस्तान का झंड़ा

बौलीवुड एक्ट्रेस और डांसर राखी सावंत अपनी बोल्डनेस और कंट्रोवर्सीज को लेकर लाइमलाइट में रहती हैं. राखी ने सोशल मीडिया पर अपनी कुछ ऐसी फोटोज शेयर की हुई है. जिसे वह विवादों के घेरे में आ गई. सोशल मीडिया पर एक्टिव रहने वाली राखी ने पाकिस्तान के झंडे के साथ पोज देते हुए फोटोज पोस्ट की हैं. इसी को लेकर यूजर्स उन्हें ट्रोल करते हुए काफी भला बुरा कहने लगे.

हालांकि, राखी ने अपनी इस पोस्ट को शेयर करते हुए साफ कह दिया है कि वो अपने देश भारत से प्यार करती हैं. दरअसल राखी वाली फिल्म धारा-370 की शूटिंग के दौरान यह फोटो शेयर की थी. पाकिस्तान के झंडे के साथ तस्वीर पोस्ट करते हुए राखी ने लिखा, “आई लव माई इंडिया लेकिन ये फिल्म धारा 370 में मेरा किरदार है.”

इन टिप्स को करें फोलो

स्वतंत्रता दिवस के खास मौके पर खुद को अलग लुक दें, ताकि ये दिन भी यादगार बन जाए और आप अपने साथियों कुछ अलग दिख सके. स्वतंत्रता दिवस पर बेस्ट दिखने के लिए अपनाएं ये फैशन टिप्स.

एथनिक कपड़ों का करें चयन स्वतंत्रता दिवस देश और खुशियों के त्योहार की तरह मनाया जाता है. इस दिन आजादी दिलाने वाले शहीदों और स्वतंत्रता सेनानियों को नमन कर याद किया जाता हैं. इसी के साथ हम सब भारतीय होने पर गर्व करते हैं. अगर आप स्वतंत्रता दिवस के मौके पर कोई परंपरागत भारतीय एथनिक कपड़ें पहनें. महिलाएं साड़ी और सूट पहन सकती हैं. वहीं पुरुष कुर्ता पैजामा या कुर्ता जींस कैरी कर सकते हैं. इस तरह का एथनिक आउटफिट आप को एक अलग लुक देगा.

कपड़ों के रंग का विशेष ध्यान स्वतंत्रता दिवस के मौके पर आप कपड़ों को पहनने से पहले उन के रंगो का चयन जरुर करें. जैसे आप तिरंगे के तीन रगों को मिलाकर मिला कर  आउटफिट कैरी कर सकते हैं या फिर तिरंगे के किसी एक रंग को अपने आउटफिट में शामिल कर सकते हैं. लड़कियां ट्राई कलर की साड़ी, केसरिया कर सकती हैं, या हरे या केसरिया रंग के कुर्ते पहन सकती हैं. वहीं लड़के फेद, हरे या केसरिया रंग के कुर्ते पैजामा पहन सकते हैं. इसी के साथ अपने लूक को अलग दिखाने के लिए स्टोल भी कैरी कर सकते हैं.

एक्सेसरीज बनाएंगे लुक बेहतर अगर आपके पास आउटफिट के साथ एक्सेसरीज भी हो तो आप के लूक में चार चांद लग जाते हैं. इसके लिए महिलाएं ऐसी चूड़ियां या ज्वेलरी पहन सकती हैं जिस में ट्राई कलर हो, और पुरुष हाथों में तिरंगा हैंडबैंड पहन सकते हैं. इसी के साथ बाजार में ट्राइकलर की एक्सेसरीज उपलभद हैं इसे आप अपने लुक को खास बना सकते हैं.

गुप्त रोग का इलाज अब असान नहीं!

सेक्स का जिक्र आते ही युवा मन में एक विशेष प्रकार की सरसराहट होने लगती है. मन हसीन सपनों में खो जाता है, क्योंकि यह प्रक्रिया है 2 जवां दिलों के आपसी मिलन की. रमेश का विवाह नेहा से तय हो गया था. रमेश नेहा की खूबसूरती देख पहली ही नजर में उस का दीवाना हो गया था. नेहा को ले कर उस ने हसीन सपने बुन रखे थे. बस, इंतजार था शादी व मिलन की रात का. रमेश ने पहले कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाए थे, इसलिए उस के लिए तो यह नया अनुभव था. मिलन की रात जब रमेश ने नेहा को अपने आगोश में लिया तो उस का धैर्य जवाब देने लगा. उस ने जल्दी से नेहा के कपड़े उतारे और सैक्स को तत्पर हो गया, पर अभी वे एकदूसरे में समा भी न पाए थे कि वह शांत हो गया.

नेहा अतृप्त रह गई. जिस आनंद के सपने उस ने संजो रखे थे सब धराशायी हो गए. रमेश अपने को बहुत लज्जित महसूस कर रहा था. रमेश जैसी स्थिति किसी भी युवा के साथ आ सकती है. अकसर युवा इसे अपनी शारीरिक कमजोरी या गुप्त रोग मान लेते हैं और उन्हें लगता है कि वे कभी शारीरिक संबंध स्थापित नहीं कर पाएंगे. बहुत से युवा अपने मन की बात किसी से संकोचवश कर नहीं पाते और हताशा का शिकार हो कर आत्महत्या तक कर लेते हैं. कुछ युवा नीमहकीमों के चक्कर में पड़ जाते हैं जो उन्हें पहले नामर्द ठहराते हैं और फिर शर्तिया इलाज की गारंटी दे कर लूटते हैं. युवाओं को समझना चाहिए कि ऐसी समस्या मानसिक स्थिति के कारण उत्पन्न होती है.प्रसिद्ध स्किन व वीडी स्पैशलिस्ट डा. ए के श्रीवास्तव का कहना है कि ‘पहली रात में सैक्स न कर पाना एक आम समस्या है, क्योंकि युवाओं को सैक्स की जानकारी नहीं होती. वे सैक्स को भी अन्य कामों की तरह निबटाना चाहते हैं, जबकि सैक्स में धैर्य, संयम और आपसी मनुहार अत्यंत आवश्यक है.

डा. श्रीवास्तव कहते हैं कि सैक्स से पहले फोरप्ले जरूरी है, इस से रक्त संचार तेज होता है और पुरुष के अंग में पर्याप्त कसाव आता है. कसाव आने पर ही सैक्स क्रिया का आनंद आता है और वह पूर्ण होती है. इसलिए युवाओं को सैक्स को गुप्त रोग नहीं समझना चाहिए. यदि फिर भी कोई समस्या है तो स्किन व वीडी विश्ेषज्ञ की राय लें.

आइए, एक नजर डालते हैं कुछ खास यौन रोगों पर :

शीघ्रपतन

अकसर युवाओं में शीघ्रपतन की समस्या पाई जाती है. यह कोई बीमारी नहीं है बल्कि दिमागी विकारों की वजह से ऐसा होता है. इस समस्या में युवा अपने पार्टनर को पूरी तरह से संतुष्ट करने से पहले ही स्खलित हो जाते हैं. यह बीमारी वैसे तो दिमागी नियंत्रण से ठीक हो जाती है, लेकिन अगर समस्या तब भी बनी रहे तो किसी योग्य चिकित्सक से परामर्श ले कर इस समस्या से छुटकारा मिल सकता है.

नपुंसकता

नपुंसकता एक जन्मजात बीमारी है. इस रोग से ग्रसित लोग स्त्री को शारीरिक सुख देने में सक्षम नहीं होते और न ही संतान पैदा कर पाते हैं. कुछ युवाओं में क्रोमोसोम्स की कमी भी नपुंसकता का कारण होती है. युवाओं को शादी से पहले पता ही नहीं चलता कि उन के क्रोमोसोम्स या तो सक्रिय नहीं हैं या उन में दोष है. कुछ युवा शुरू में नपुंसक नहीं होते पर अन्य शारीरिक विकारों की वजह से वे सैक्स क्रिया सही तरीके से नहीं कर पाते. इसलिए उन को नपुंसक की श्रेणी में रखा जाता है. आजकल तो इंपोटैंसी टैस्ट भी उपलब्ध हैं. अगर ऐसी कोई समस्या है तो इस टैस्ट को अवश्य कराएं.

पुरुष हारमोंस की कमी

पुरुषों में टैस्टेटोरोन नाम का हारमोन बनता है. यही हारमोन पुरुष होने का प्रमाण है. कभीकभी किन्हीं वजहों से टैस्टेटोरोन स्रावित होना बंद हो जाता है तो वह व्यक्ति गुप्त रोग का शिकार हो जाता है. 50 से 55 वर्ष की आयु के बाद इस हारमोन के बनने की गति धीमी पड़ जाती है इसलिए ऐसे व्यक्ति सैक्स क्रिया में जोश से वंचित रह जाते हैं.

सिफलिस

यह वाकई एक गुप्त रोग है जो किसी अनजान के साथ यौन संबंध बनाने से होता है. अकसर यह रोग सफाई न रखने या ऐसे पार्टनर से सैक्स संबंध कायम करने से होता है जो अलगअलग लोगों से सैक्स संबंध बनाता है. इस रोग में यौनांग पर दाने निकल आते हैं. कभीकभी इन दानों से खून या मवाद का रिसाव तक होता रहता है. यदि आप के यौन अंग पर ऐसे दाने उभरते हैं तो तुरंत त्वचा व गुप्त रोग विशेषज्ञ से राय लें और इलाज कराएं. इस का इलाज संभव है. जिस तरह पुरुषों में यौन या गुप्त रोग होते हैं, उसी तरह महिलाओं में भी गुप्त रोग हो सकते हैं. अकसर बहुत सी युवतियों की सैक्स में रुचि नहीं होती. सैक्स के नाम से वे घबरा जाती हैं ऐसी युवतियां या तो बचपन में किसी हादसे का शिकार हुई होती हैं या फिर किसी गुप्त रोग से पीडि़त होती हैं, यहां तक कि वे शादी करने तक से घबराती हैं.

महिलाओं के कुछ खास गुप्त रोग

बांझपन

युवतियों में 12-13 वर्ष की उम्र से माहवारी आनी शुरू हो जाती है. कभीकभी यह 1-2 साल आगेपीछे भी हो जाती है पर ऐसी भी युवतियां हैं जिन के माहवारी होती ही नहीं. ऐसी युवतियां बांझपन का शिकार हो जाती हैं. स्त्री बांझपन भी पुरुष नपुंसकता की तरह जन्मजात रोग है. बहुतों में अनेक शारीरिक व्याधियों के चलते भी हो जाती है लेकिन वह अस्थायी होती है और इलाज से ठीक भी हो जाता है. अगर किसी किशोरी को माहवारी की समस्या है तो उसे तुरंत किसी योग्य स्त्रीरोग विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए.

जननांगों में खुजली

जब से समाज में खुलापन आया है युवा मस्ती में कब हदें पार कर देते हैं पता ही नहीं चलता. चूंकि इन्हें जननांगों की साफसफाई कैसे रखी जाए, यह पता नहीं होता इसलिए ये खुजली जैसे यौन संक्रमणों का शिकार हो जाते हैं. यदि बौयफ्रैंड को कोई यौन संक्रमण है तो गर्लफ्रैंड को इस यौन संक्रमण से बचाया नहीं जा सकता. अत: दोनों को ही शारीरिक संबंध बनाने से पहले अपने यौनांगों की अच्छी तरह सफाई कर लेनी चाहिए.

एंड्रोजन हारमोन का अभाव

जिस तरह पुरुषों में पुरुष हारमोन टैस्टेटोरोन होता है, उसी तरह युवतियों में एंड्रोजन हारमोन होता है. जिन युवतियों में इस हारमोन की कमी होती है, उन में सैक्स के प्रति उत्साह कम देखा गया है, क्योंकि यही हारमोन सैक्स क्रिया को भड़काता है. यदि कोई युवती एंड्रोजन हारमोन की कमी का शिकार है तो उसे तुरंत गाइनोकोलौजिस्ट से राय लेनी चाहिए. यह कोई लाइलाज रोग नहीं है.

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लिकोरिया

लिकोरिया गंदगी की वजह से होने वाला एक महिला गुप्त रोग है. इस रोग में योनि से सफेद बदबूदार पानी का स्राव होता रहता है, जिस से शरीर में कैल्शियम व आयरन की कमी हो जाती है. इस रोग से बचने के लिए युवतियों को अपने गुप्तांगों की नियमित सफाई रखनी चाहिए और किसी दूसरी युवती के अंदरूनी वस्त्र नहीं पहनने चाहिए. लिकोरिया की शिकार युवतियों को तुरंत लेडी डाक्टर से सलाह लेना चाहिए, वरना यह रोग बढ़ कर बेकाबू हो सकता है.

सैक्स में भ्रांतियां न पालें

सैक्स की अज्ञानता की वजह से अकसर युवकयुवतियां सैक्स को ले कर तरहतरह की भ्रांतियां पाल लेते हैं.

हस्तमैथुन

यह एक स्वाभाविक क्रिया है. अकसर युवकों को हस्तमैथुन की आदत पड़ जाती है. ज्यादा हस्तमैथुन करने वाले युवकों को लगता है कि उन का अंग छोटा या टेढ़ा हो गया है और वे विवाह के बाद अपनी पत्नी से शारीरिक संबंध बनाने में कामयाब नहीं होंगे. कई नीमहकीम भी युवकों को डरा देते हैं कि हस्तमैथुन से अंग की नसें कमजोर पड़ जाती हैं और वे अपनी पत्नी को खुश नहीं रख सकेंगे, पर वास्तव में ऐसा नहीं है. हस्तमैथुन शरीर की आवश्यकता है. शरीर में वीर्य बनने पर उस का बाहर आना भी जरूरी है. इस में किसी प्रकार की कोई बुराई नहीं है. युवक ही नहीं युवतियां भी हस्तमैथुन करती हैं. डाक्टरों का भी मत है कि हस्तमैथुन का कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता.

ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक

अकसर लोगों को यह कहते सुना जाता है कि ज्यादा सैक्स सेहत के लिए हानिकारक है पर ऐसा बिलकुल भी नहीं है. बल्कि सैक्स से महरूम रहना सेहत पर असर डालता है. सैक्स से मानसिक थकावट कम होती है, चित्त प्रफुल्लित रहता है जो सेहत के लिए अत्यंत जरूरी है.

मेरी बीवी पिछले 1 साल से मायके में रह रही है. मैं क्या करूं?

सवाल-

मेरी शादी को 5 साल हो गए हैं और मेरी एक बेटी भी है. मेरी बीवी पिछले 1 साल से मायके में रहती है. वह न मुझ से फोन पर बात करती है और न ही वापस आना चाहती है. मैं क्या करूं?

जवाब-

पहले घर वालों के जरीए बीवी के मायके में रहने की वजह मालूम करें और उसे दूर करने की कोशिश करें. इस पर भी वह न माने तो वकील और अदालत के जरीए उसे नोटिस दे सकते हैं.

बात न बने तो उसे तलाक दे कर किसी अच्छी लड़की से शादी कर लें, पर बेटी की जिम्मेदारी तो हर हाल में आप को उठानी पड़ेगी, इसलिए आप की पहली कोशिश बीवी की बेरुखी को जान कर उसे पूरी तरह दूर करने की होनी चाहिए.

घबराना क्या: जिंदगी जीने का क्या यह सही फलसफा था

‘‘देखो बेटा, यह जीवन इतना लचीला भी नहीं है कि हम जिधर चाहें इसे मोड़ लें और यह मुड़ भी जाए. कुछ ऐसा है जिसे मोड़ा जा सकता है और कुछ ऐसा भी है जिसे मोड़ा नहीं जा सकता. मोड़ना क्या मोड़ने के बारे में सोचना ही सब से बड़ा भुलावा देने जैसा है, क्योंकि हमारे हाथ ही कुछ नहीं है. हम सोच सकते हैं कि कल यह करेंगे पर कर भी पाएंगे इस की कोई गारंटी नहीं है.

‘‘कल क्या होगा हम नहीं जानते मगर कल हम क्या करना चाहेंगे यह कार्यक्रम बनाना तो हमारे हाथ में है न. इसलिए जो हाथ में है उसे कर लो, जो नहीं है उस की तरफ से आंखें मूंद लो. जब जो होगा देखा जाएगा. ‘‘कुछ भी निश्चित नहीं होता तो कल का सोचना भी क्यों?

‘‘यह भी तो निश्चित नहीं है न कि जो सोचोगे वह नहीं ही होगा. वह हो भी सकता है और नहीं भी. पूरी लगन और फ र्ज मेहनत से अपना कर्म निभाना तो हमारे हाथ में है न. इसलिए साफ नीयत और ईमानदारी से काम करते रहो. अगर समय ने कोई राह आप को देनी है तो मिलेगी जरूर. और एक दूसरा सत्य याद रखो कि प्रकृति ईमानदार और सच्चे इनसान का साथ हमेशा देती है. अगर तुम्हारा मन साफ है तो संयोग ऐसा ही बनेगा जिस में तुम्हारा अनिष्ट कभी नहीं होगा. मुसीबतें भी इनसान पर ही आती हैं और हर मुसीबत के बाद आप को लगता है आप पहले से ज्यादा मजबूत हो गए हैं. इसलिए बेटा, घबरा कर अपना दिमाग खराब मत करो.’’

ताऊजी की ये बातें मेरा दिमाग खराब कर देने को काफी लग रही थीं कि कल क्या होगा इस की चिंता मत करो, आज क्या है उस के बारे में सोचो. कल मेरा इंटरव्यू है. उस के बारे में कैसे न सोचूं. कल का न सोचूं तो आज उस की तैयारी भी नहीं न कर पाऊंगा. परेशान हूं मैं, हाथपैर फूल रहे हैं मेरे. ताऊजी के जमाने में इतनी परेशानियां कहां थीं. उन के जमाने में इतनी स्पर्धा कहां थी. आज का सच यह है कि ठंडे दिमाग से पढ़ाई करो. मन में कोई दुविधा मत पालो. अपनेआप पर भरोसा रखो उसी में तुम्हारा कल्याण होगा.

‘‘क्या कल्याण होगा? नौकरी किसी और को मिल जाएगी,’’ स्वत: मेरे होंठों से निकल गया. ‘‘तुम्हें कैसे पता कि नौकरी किसी और को मिल जाएगी. तुम अंतरयामी कब से हो गए. ‘‘किसे क्या मिलने वाला है उसी में क्यों उलझे पड़े हो. अपना समय और ताकत इस तरह बरबाद मत करो, पढ़ने में समय क्यों नहीं खर्च कर रहे?’’ इतना कहते हुए ताऊजी ने एक हलकी सी चपत मेरे सिर पर लगा दी.

‘‘कब से यही कथा दोहरा रहे हो. मिल जाएगी किसी और को नौकरी तो मिल जाए. क्या उस से दुनिया में आग लग जाएगी और सबकुछ भस्म हो जाएगा. ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, कुछ भी तो नहीं. यही दुनिया होगी और यही हम होंगे. संसार इसी तरह चलेगा. किसी दूसरी नौकरी का मौका मिलेगा. यहां नहीं तो कहीं और सही.’’

‘‘आप इतनी आसानी से ऐसी बातें कैसे कर सकते हैं, ताऊजी. अगर मैं कल सफल न हो पाया तो…’’ ‘‘तो क्या होगा? वही तो समझा रहा हूं. जीवन का अंत तो नहीं हो जाएगा, दो हाथ तुम्हारे पास हैं. हिम्मत और ईमानदारी से अगर तुम ओतप्रोत हो तो क्या फर्क पड़ता है. मनचाहा अवश्य मिल जाएगा.’’

‘‘क्या सचमुच?’’ क्षण भर को लगा, कितना आसान है सब. ताऊजी जैसा कह रहे हैं वैसा ही अगर सच में जीवन का फलसफा हो तो वास्तव में दुविधा कैसी, कैसी परेशानी. जो हमारा है वह हम से कोई छीन नहीं सकता. मेहनती हूं, ईमानदार हूं. मेरे पास अपनी योग्यता प्रमाणित करने का एक यही तो रास्ता है न कि मैं पूरी तरह इंटरव्यू की तैयारी करूं. जो मैं कर सकता हूं उसी को पूरा जोर लगा कर कर डालूं, न कि इस दुविधा में समय बरबाद कर डालूं कि अगर किसी और को नौकरी मिल गई तो मेरा क्या होगा?

ताऊजी की बातें मुझे अब शीशे की तरह पारदर्शी लगने लगीं. दूसरी शाम आ गई. 24 घंटे बीत चुके और मेरा इंटरव्यू हो गया. अपनी तरफ से मैं ने सब किया जो भी मेरी क्षमता में था. मेरे मन में कहीं कोई मलाल न था कि अगर इस से भी अच्छा हो पाता तो ज्यादा अच्छा होता. गरमी की शाम जब उमस गहरा गई तो सभी बाहर बालकनी में आ बैठे. ताऊजी ने पुन: चुसकी ली :

‘‘हमारे जमाने में आंगन हुआ करते थे. आज आंगन की जगह बालकनी ने ले ली है. हर दौर की समस्या अलगअलग होती है. हर दौर का समाधान भी अलगअलग होता है. ऐसा नहीं कि हमारे जमाने में हमारा जीवन आसान था. अपनी मां से पूछो जब मिट्टी के तेल का स्टोव जलाने में कितना समय लगता था. आज चुटकी बजाते ही गैस का चूल्हा जला लो. मसाला चुटकी में पीस लो आज. हमारी पत्नी पत्थर की कूंडी और डंडे से मसाला पीसा करती थी. अकसर मसाले की छींट आंख में चली जाती थी…क्यों राघव, याद है न.’’

ताऊजी ने मेरे पापा से पूछा और दोनों हंसने लगे. चाय परोसती मां ने भी नजरें झुका ली थीं. ‘‘क्यों शोभा, तुम ने क्या अपने बेटे को बताया नहीं कि उस के मांबाप को किस ने मिलाया था. अरे, इसी डंडेकूंडे ने. मसाले की छींट तुम्हारी मां की आंख में चली गई थी और तुम्हारा बाप पानी का गिलास लिए पीछे भागा था.’’

‘‘मेरी मां आप के घर कैसे चली आई थीं?’’ ‘‘तुम्हारी बूआ की सहेली थीं न. दोनों कपड़े बदलबदल कर पहना करती थीं. कदकाठी भी एक जैसी थी. राघव नौकरी पर रहता था. काफी समय बाद घर आया और अभी आंगन में पैर ही रखा था कि तुम्हारी मां को आंख पर हाथ रख कर भागते देखा. समझ गया, मसाला आंख में चला गया होगा. सो तुम्हारी बूआ समझ झट से पानी ले कर पीछे भागा. मुंह धुलाया, तौलिया ला कर मुंह पोंछा और जब शक्ल देखी तो हक्काबक्का. तभी सामने तुम्हारी बूआ को भी देख लिया. गलती हो गई है समझ तो गया पर क्या करता.’’

‘‘फिर?’’ सहसा पूछा मैं ने. ताऊजी हंसने लगे थे. पापा भी मुसकरा रहे थे और मेरी मां भी. ‘‘फिर क्या बेटा, कभीकभी गलती हो जाना बड़ा सुखद होता है. राघव बेचारा परेशान. जानबूझ कर तो इस की बांह नहीं पकड़ी थी न और न ही गरदन पकड़ कर जबरदस्ती जो मुंह पोंछा था उस में इस का कोई दोष था. तुम्हारी मां अब तक यही समझ रही थी कि तुम्हारी बूआ उस की आंखें धुला रही है.’’ हंसने लगे पापा भी.

‘‘यह भी सोचने लगी थी कि एकाएक उस के हाथ इतने सख्त कैसे हो गए हैं. बारबार कहने लगी, ‘इतनी जोर से क्यों पकड़ रही है. धीरेधीरे पानी डाल,’ और मैं सोचूं कि मेरी बहन की आवाज बदलीबदली सी क्यों है?’’ पहली बार अपने मातापिता के मिलन के बारे में जान पाया मैं उस दिन. आज भी मेरे पिता का स्वभाव बड़ा स्नेहमयी है. किसी की पीड़ा उन से देखी नहीं जाती. बूआ से आज भी बहुत प्यार करते हैं. बूआ की आंख में मसाले की छींट का पड़ जाना उन्हें पीड़ा पहुंचा गया होगा. बस, हाथ का सामान फेंक उन की ओर लपके होंगे. ताऊजी से आगे की कहानी जाननी चाही तो बड़ी गहरी सी मुसकान लिए मेरी मां को ताकने लगे.

‘‘बड़ी प्यारी बच्ची थी तुम्हारी मां. इसी एक घटना ने ऐसी डोरी बांधी कि बस, सभी इन दोनों को जोड़ने की सोचने लगे.’’ ‘‘आप दोनों की दोस्ती हो गई थी क्या उस के बाद?’’ सहज सवाल था मेरा जिस पर पापा ने गरदन हिला दी. ‘‘नहीं तो, दोस्ती जैसा कुछ नहीं था. कभी नजर आ जाती तो नमस्ते, रामराम हो जाती थी.’’ ‘‘आप के जमाने में इतना धीरे क्यों था सब?’’

‘‘धीरे था तो गहरा भी था. जरा सी घटना अगर घट जाती थी तो वह रुक कर सोचने का समय तो देती थी. आज तुम्हारे जमाने में क्या किसी के पास रुक कर सोचने का समय है? इतनी गहरी कोई भावना जाती ही कब है जिसे निकाल बाहर करना तुम्हें मुश्किल लगे. रिश्तों में इतनी आत्मीयता अब है कहां?’’ पुराना जमाना था. लोग घर के बर्तनों से भी उतना ही मोह पाल लेते थे. हमारी दादी मरती मर गईं पर उन्होंने अपने दहेज की पीतल की टूटी सुराही नहीं फेंकी. आज डिस्पोजेबल बर्तन लाओ, खाना खाओ, कूड़ा बाहर फेंक दो. वही हाल दोस्ती में है भई, जल्दी से ‘हां’ करो नहीं तो और भी हैं लाइन में. तू नहीं तो और सही और नहीं तो और सही.

‘‘जेट का जमाना है. इनसान जल्दी- जल्दी सब जी लेना चाहता है और इसी जल्दी में वह जीना ही भूल गया है. न उसे खुश रहना याद रहा है और न ही उसे यही याद रहता है कि उस ने किस पल किस से क्या नाता बांधा था. रिश्तों में गहराई नहीं रही. स्वार्थ रिश्तों पर हावी होता जा रहा है. जहां आप का काम बन गया वहीं आप ने वह संबंध कूड़ेदान में फेंक दिया.’’

ताऊजी ने बात शुरू की तो कहते ही चले गए, ‘‘मैं यह नहीं कहता कि दादी की तरह घर को कूड़ेदान ही बना दो, जहां घर अजायबघर ही लगने लगे. पुरानी चीजों को बदल कर नई चीजों को जगह देनी चाहिए. जीवन में एक उचित संतुलन होना चाहिए. नई चीजों को स्वीकारो, पुरानी का भी सम्मान करो. इतना तेज भी मत भागो कि पीछे क्याक्या छूट गया याद ही न रहे और इतना धीरे भी मत चलो कि सभी साथ छोड़ कर आगे निकल जाएं. इतने बेचैन भी मत हो जाओ कि ऐसा लगे जो करना है आज ही कर लो कल का क्या भरोसा आए न आए और निकम्मे हो कर भी इतना न पसर जाओ कि कल किस ने देखा है कौन कल के लिए आज सोचे.

‘‘तुम्हारे पापा की शादी हुई. शोभा हमारे घर चली आई. इस ने भी कोई ज्यादा सुख नहीं पाया. हमारी मां बीमार थीं, दमा की मरीज थीं और उसी साल मेरी पत्नी को ऐसा भयानक पीलिया हुआ कि एक ही साल में दोनों चली गईं. इस जरा सी बच्ची पर पूरा घर ही आश्रित हो गया. ‘‘इस से पूछो, इस ने कैसेकैसे सब संभाला होगा. जरा सोचो इस ने अपना चाहा कब जिया. जैसेजैसे हालात मुड़ते गए यह बेचारी भी मुड़ती गई. मेरी छोटी भाभी है न यह, पर कभी लगा ही नहीं. सदा मेरी मां बन कर रही यह बच्ची. जरा सी उम्र में इस ने कब कैसे सभी को संभालना सीखा होगा, पूछो इस से.

‘‘मेरे दोनों बच्चे कब इसे अपनी मां समझने लगे मुझे पता ही नहीं चला. तुम्हारे दादा और हम तीनों बापबेटे इसे कभी कहीं जाने ही नहीं देते थे क्योंकि हम अंधे हो जाते थे इस के बिना. इस का भी मन होता होगा न अपनी मां के घर जाने का. 18-20 साल की बच्ची क्या इतनी सयानी हो जाती है कि हर मौजमस्ती से कट जाए.’’ ताऊजी कहतेकहते रो पड़े. मेरे पापा और मां गरदन झुकाए चुपचाप बैठे रहे. सहसा हंसने लगे ताऊजी. एक फीकी हंसी, ‘‘आज याद आता है तो बहुत आत्मग्लानि होती है. पूरे 10 साल यह दोनों पतिपत्नी मेरे परिवार को पालते रहे. अपनी संतान का तब सोचा जब मेरे दोनों बच्चे 15-15 साल के हो गए. कबकब अपना मन मारा होगा इन्होंने, सोच सकते हो तुम?’’

मन भर आया मेरा भी. ताऊजी चश्मा उतार आंखें पोंछने लगे. ताऊजी के दोनों बेटे आज बच्चों वाले हैं. मुझ से बहुत स्नेह करते हैं और मां को तो सिरआंखों पर बिठाते हैं. बहुत मान करते हैं मेरी मां का. ‘‘क्या जीवन वास्तव में आसान होता है, बताना मुझे. नहीं होता न. मुश्किलें तो सब के साथ लगी हैं. प्रकृति ने सब का हिस्सा निश्चित कर रखा है. हमारा हिस्सा हमें मिलेगा जरूर. नौकरी के इंटरव्यू पर ही तुम इतना घबरा रहे थे. कल पहाड़ जैसे जीवन का सामना कैसे करोगे?’’ सुनता रहा मैं सब.

सच ही कह रहे हैं ताऊजी. मेरा बचपन तो सरलसुगम है और जवानी आराम से भरपूर. क्या स्वस्थ तरीके से बिना घबराए, ठंडे मन से मैं अपनी नौकरी के अलगअलग साक्षात्कार की तैयारी नहीं कर सकता? आखिर घबराने जैसा इस में है ही क्या? कल का कल देखा जाएगा पर ऐसी भी क्या बेचैनी कि जो सुखसुविधा आज मेरे पास है उस का सुख भी नकार कर सिर्फ कल की ही चिंता में घुलता रहूं. क्यों जीना ही भूल जाऊं?

जो मेरा है वह मुझे मिलेगा जरूर. मैं ईमानदार हूं, मेहनती हूं प्रकृति मेरा साथ अवश्य देगी. सच कहते हैं ताऊजी, आखिर घबराने जैसा इस में है ही क्या? कल क्या होगा देख लेंगे न. हम हैं तो, कुछ न कुछ तो कर ही लेंगे.

घोंसला: सारा ने क्यों शादी से किया था इंकार

साराआज खुशी से झम रही थी. खुश हो भी क्यों न पुणे की एक बहुत बड़ी फर्म में उस की नौकरी जो लग गई थी. अपनी गोलगोल आंखें घुमाते हुए वह अपनी मम्मी से बोली, ‘‘मैं कहती थी न कि मेरी उड़ान कोई नहीं रोक सकता.’’

‘‘पापा ने पढ़ने के लिए मुझे मुजफ्फरनगर से बाहर नहीं जाने दिया पर अब इतनी अच्छी नौकरी मिली है कि वह मुझे रोक नहीं सकते हैं.’’

सारा थी 23 वर्ष की खूबसूरत नवयुवती, जिंदगी से भरपूर, गोरा रंग, गोलगोल आंखें, छोटी सी नाक और गुलाबी होंठ, होंठों के बीच काला तिल सारा को और अधिक आकर्षक बना देता था. उसे खुले आकाश में उड़ने का शौक था. वह अकेले रहना चाहती थी और जीवन को अपने तरीके से जीना चाहती थी.

जब भी सारा के पापा कहते, ‘‘हमें तुम से जिंदगी का अधिक अनुभव है इसलिए हमारा कहा मानो.’’

सारा फट से कहती, ‘‘पापा मैं अपने अनुभवों से कुछ सीखना चाहती हूं.’’

सारा के पापा उसे पुणे भेजना नहीं चाहते थे पर सारा की दलीलों के आगे उन की एक न चली.

फिर सारा की मम्मी ने भी समझया, ‘‘इतनी अच्छी नौकरी है, आजकल अच्छी नौकरी वाली लड़कियों की शादी आराम से हो जाती है.

फिर सारा के पापा ने हथियार डाल दिए थे. ढेर सारी नसीहतें दे कर सारा के पापा वापस मुजफ्फरनगर आ गए थे.

सारा को शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई थी परंतु धीरधीरे वह पुणे की लाइफ की अभ्यस्त हो गई थी.

यहां पर मुजफ्फरनगर की तरह न टोकाटाकी थी न ही ताकाझंकी. सारा को आधुनिक कपड़े पहनने का बहुत शौक था जिसे सारा अब पूरा कर पाई थी. वह स्वच्छंद तितली की तरह जिंदगी बिता रही थी. दफ्तर में ही सारा की मुलाकात मोहित से हुई थी. मोहित का ट्रांसफर दिल्ली से पुणे हुआ था.

मोहित को सारा पहली नजर में ही भा गई थी. सारा और मोहित अकसर वीकैंड पर बाहर घूमने जाते थे. परंतु सारा को हरहाल में रात 9 बजे तक अपने होस्टल वापस जाना ही पड़ता था.

फिर एक दिन मोहित ने यों ही सारा से कहा, ‘‘सारा, तुम मेरे फ्लैट में शिफ्ट क्यों नहीं हो जाती हो. चिकचिक से छुटकारा भी मिल जाएगा और हमें यों ही हर वीकैंड पर बंजारों की तरह घूमना नहीं पड़ेगा. सब से बड़ी बात तुम्हारा होस्टल का खर्च भी बच जाएगा.’’

सारा छूटते ही बोली, ‘‘पागल हो क्या, ऐसे कैसे रह सकती हूं तुम्हारे साथ? मतलब मेरातुम्हारा रिश्ता ही क्या है?’’

मोहित बोला, ‘‘रहने दो बाबा, मैं तो भूल ही गया था कि तुम तो गांव की गंवार हो. छोटे शहर के लोगों की मानसिकता कहां बदल सकती हैं चाहे वह कितने ही आधुनिक कपड़े पहन लें.’’

सारा मोहित की बात सुन कर एकदम चुप हो गईं. अगले कुछ दिनों तक मोहित सारा से खिंचाखिंचा रहा.

एक दिन सारा ने मोहित से पूछा, ‘‘मोहित, आखिर मेरी गलती क्या हैं?’’

मोहित बोला, ‘‘तुम्हारा मुझ पर अविश्वास.’’

‘‘बात अविश्वास की नहीं है मोहित, मेरे परिवार को अगर पता चल जाएगा तो वे मेरी नौकरी भी छुड़वा देंगे.’’

‘‘तुम्हें अगर रहना है तो बताओ बाकी सब मैं हैंडल कर लूंगा.’’

घर पर पापा के मिलिटरी राज के कारण सारा का आज तक कोई बौयफ्रैंड नहीं बन पाया था, इसलिए वह यह सुनहरा मौका हाथ से नहीं छोड़ना चाहती थी. अत: 1 एक हफ्ते बाद मोहित के साथ शिफ्ट कर गई. घर पर सारा ने बोल दिया कि उस ने एक लड़की के साथ अलग से फ्लैट ले लिया है क्योंकि उसे होस्टल में बहुत असुविधा होती थी.

यह बात सुनते ही सारा के मम्मीपापा ने जाने के लिए सामान बांध लिया था. वे देखना चाहते थे कि उन की लाड़ली कैसे अकेले रहती होगी.

सारा घबरा कर मोहित से बोली, ‘‘अब क्या करेंगे?’’

मोहित हंसते हुए बोला, ‘‘अरे देखो मैं कैसा चक्कर चलाता हूं,’’

अगले रोज मोहित अपनी एक दोस्त शैली को ले कर आ गया और बोला, ‘‘तुम्हारे मम्मीपापा के सामने मैं शैली के बड़े भाई के रूप में उपस्थित रहूंगा.’’

सारा के मम्मीपापा आए और फिर मोहित के नाटक पर मोहित हो कर चले गए.

सारा के मम्मीपापा के सामने मोहित शैली के बड़े भाई के रूप में मिलने आता. सारा के मम्मीपापा को अब तसल्ली हो गई थी और वे निश्तिंत हो कर वापस अपने घर चले गए.

सारा और मोहित एकसाथ रहने लगे थे. सारा को मोहित का साथ भाता था परंतु अंदर ही अंदर उसे अपने मम्मीपापा से झठ बोलना भी कचोटता रहता था. एक दिन सारा ने मोहित से कहा, ‘‘मोहित, तुम मुझे पसंद करते हो क्या?’’

मोहित बोला, ‘‘अपनी जान से भी ज्यादा?’’

सारा बोली, ‘‘मोहित तुम और मैं क्या इस रिश्ते को नाम नहीं दे सकते हैं?’’

मोहित चिढ़ते हुए बोला,’’ यार मुझे माफ करो, मैं ने पहले ही कहा था कि हम एक दोस्त की तरह ही रहेंगे. मैं तुम पर कोई बंधन नहीं लगाना चाहता हूं और न ही तुम मुझ पर लगाया करो. और तुम यह बात क्यों भूल जाती हो कि मेरे घर पर रहने के कारण तुम्हारी कितनी बचत हो रही है और भी कई फायदे भी हैं,’’ कहते हुए मोहित ने अपनी आंख दबा दी.

सारा को मोहित का यह सस्ता मजाक बिलकुल पसंद नहीं आया. 2 दिन तक मोहित और सारा के बीच तनाव बना रहा परंतु फिर से मोहित ने हमेशा की तरह सारा को मना लिया. सारा भी अब इस नए लाइफस्टाइल की अभ्यस्त हो चुकी थी.

सारा जब मुजफ्फरनगर से पुणे आई थी तो उस के बड़ेबड़े सपने थे परंतु अब न जाने क्यों उस के सब सपने मोहित के इर्दगिर्द सिमट कर रह गए थे.

आज सारा बेहद परेशान थी. उस के पीरियड्स की डेट मिस हो गई थी. जब उस ने मोहित को यह बात बताई तो वह बोला, ‘‘सारा ऐसे कैसे हो सकता है हम ने तो सारे प्रीकौशंस लिए थे?’’

‘‘तुम मुझ पर शक कर रहे हो?’’

‘‘नहीं बाबा कल टैस्ट कर लेना.’’

सारा को जो डर था वही हुआ. प्रैगनैंसी किट की टैस्ट रिपोर्ट देख कर सारा के हाथपैर ठंडे पड़ गए.

मोहित उसे संभालते हुए बोला, ‘‘सारा टैंशन मत लो कल डाक्टर के पास चलेंगे.’’

अगले दिन डाक्टर के पास जा कर जब उन्होंने अपनी समस्या बताई तो डाक्टर बोली, ‘‘पहली बार अबौर्शन कराने की सलाह मैं नहीं दूंगी… आगे आप की मरजी.’’

घर आ कर सारा मोहित की खुशामद करने लगी, ‘‘मोहित, प्लीज शादी कर लेते हैं. यह हमारे प्यार की निशानी है.’’

मोहित चिढ़ते हुए बोला, ‘‘सारा, प्लीज फोर्स मत करो… यह शादी मेरे लिए शादी नहीं बल्कि एक फंदा बनेगी.’’

सारा फिर चुप हो गई थी. अगले दिन चुपचाप जब सारा तैयार हो कर जाने लगी तो मोहित भी साथ हो लिया.

रास्ते में मोहित बोला, ‘‘सारा, मुझे मालूम है तुम मुझ से गुस्सा हो पर ऐसा कुछ

जल्दबाजी में मत करो जिस से बाद में हम

दोनों को घुटन महसूस हो. देखो इस रिश्ते में

हम दोनों का फायदा ही फायदा है और शादी के लिए मैं मना कहां कर रहा हूं, पर अभी नहीं कर सकता हूं.’’

डाक्टर से सारा और मोहित ने बोल दिया था कि कुछ निजी कारणों से वे अभी बच्चा नहीं कर सकते हैं.

डाक्टर ने उन्हें अबौर्शन के लिए 2 दिन बाद आने के लिए कहा. मोहित ने जब पूरा खर्च पूछा तो डाक्टर ने कहा, ‘‘25 से 30 हजार रुपए.’’

घर आ कर मोहित ने पूरा हिसाब लगाया, ‘‘सारा तुम्हें तो 3-4 दिन बैड रैस्ट भी करना होगी जिस कारण तुम्हें लीव विदआउट पे लेनी पड़ेगी. तुम्हारा अधिक नुकसान होगी, इसलिए इस अबौर्शन का 50% खर्चा मैं उठा लूंगा.’’

सारा छत को टकटकी लगाए देख रही थी. बारबार उसे ग्लानि हो रही थी कि वह एक जीव हत्या करेगी. बारबार सारा के मन में खयाल आ रहा था कि अगर उस की और मोहित की शादी हो गई होती तो भी मोहित ऐसे ही 50% खर्चा देता. सारा ने रात में एक बार फिर मोहित से बात करने की कोशिश करी, मगर उस ने बात को वहीं समाप्त कर दिया.

मोहित बोला, ‘‘तुम्हें वैसे तो बराबरी चाहिए, मगर अब फीमेल कार्ड खेल रही हो. यह गलती दोनों की है तो 50% भुगतान कर तो रहा हूं और यह बात तुम क्यों भूल जाती हो कि तुम्हारा वैसे ही क्या खर्चा होता है. यह घर मेरा है जिस में तुम बिना किराए दिए रहती हो.’’

मोहित की बात सुन कर सारा का मन खट्टा हो गया.

जब से सारा अबौर्शन करा कर लौटी थी वह मोहित के साथ हंसतीबोलती जरूर थी, मगर उस के अंदर बहुत कुछ बदल गया था. पहले जो सारा मोहित को ले कर बहुत केयरिंग और पजैसिव थी अब उस ने मोहित से एक डिस्टैंस बना लिया था.

शुरूशुरू में तो मोहित को सारा का बदला व्यवहार अच्छा लग रहा था परंतु बाद में उसे सारा का वह अपनापन बेहद याद आने लगा.

पहले मोहित जब औफिस से घर आता था तो सारा उस के साथ ही चाय लेती थी परंतु आजकल अधिकतर वह गायब ही रहती थी.

एक दिन संडे को मोहित ने कहा, ‘‘सारा कल मैं ने अपने कुछ दोस्त लंच पर बुलाए हैं.’’

सारा लापरवाही से बोली, ‘‘तो मैं क्या

करूं, तुम्हारे दोस्त हैं तुम उन्हें लंच पर बुलाओ या डिनर पर.’’

‘‘अरे यार हम एकसाथ एक घर में रहते हैं… ऐसा क्यों बोल रही हो.’’

सारा मुसकराते हुए बोली, ‘‘बेबी, इस घोंसले की दीवारें आजाद हैं… जो जब चाहे उड़ सकता है. कोई तुम्हारी पत्नी थोड़े ही हूं जो तुम्हारे दोस्तों को ऐंटरटेन करूं.’’

मोहित मायूस होते हुए बोला, ‘‘एक दोस्त के नाते भी नहीं?’’

‘‘कल तुम्हारी इस दोस्त को अपने दोस्तों के साथ बाहर जाना है.’’

मोहित आगे कुछ नहीं बोल पाया.

सारा ने अब तक अपनी जिंदगी मोहित

के इर्दगिर्द ही सीमित कर रखी थी. जैसे ही उस

ने बाहर कदम बढ़ाए तो सारा को लगा कि वह कुएं के मेढक की तरह अब तक मोहित के

साथ बनी हुई थी. इस कुएं के बाहर तो बहुत

बड़ा समंदर है. सारा अब इस समंदर की सारी सीपियों और मोतियों को अनुभव करना

चाहती थी.

एक दिन डिनर करते हुए सारा मोहित से बोली, ‘‘मोहित, तुम्हें पता नहीं है तुम कितने अच्छे हो.’’

मोहित मन ही मन खुश हो उठा. उसे लगा कि अब सारा शायद फिर से प्यार का इकरार करेगी.

मगर सारा मोहित की आशा के विपरीत बोली, ‘‘अच्छा हुआ तुम ने शादी करने से मना कर दिया. मुझे उस समय बुरा अवश्य लगा परंतु अगर हम शादी कर लेते तो मैं इस कुएं में ही सड़ती रहती.’’

अगले माह मोहित को कंपनी के काम से बैंगलुरु जाना था. उसे न जाने क्यों अब सारा का यह स्वच्छंद व्यवहार अच्छा नहीं लगता था. उस ने मन ही मन तय कर लिया था कि अगले माह सारा के जन्मदिन पर वह उसे प्रोपोज कर देगा और फिर परिवार वालों की सहमति से अगले साल तक विवाह के बंधन में बंध जाएंगे.

बैंगलुरु पहुंचने के बाद भी मोहित ही सारा को मैसेज करता रहता था परंतु चैट पर बकबक करने वाली सारा अब बस हांहूं के मैसेज तक सीमित हो गई थी.

जब मोहित बैंगलुरु से वापस पुणे पहुंचा तो देखा सारा वहां नही थी. उस ने फोन लगाया तो सारा की चहकती आवाज आई, ‘‘अरे यार मैं गोवा में हूं, बहुत मजा आ रहा है.’’

इस से पहले कि मोहित कुछ बोलता सारा ने झट से फोन काट दिया.

3 दिन बाद जब सारा वापस आई तो मोहित बोला, ‘‘बिना बताए ही चली गईं, एक बार पूछा भी नही.’’

सारा बोली, ‘‘तुम मना कर देते क्या?’’

मोहित झेंपते हुए बोला, ‘‘मेरा मतलब यह नहीं था.’’

मोहित को उस के एक नजदीकी दोस्त ने बताया था कि सारा अर्पित नाम के लड़के के साथ गोवा गई थी. मोहित को यह सुन कर बुरा लगा था, मगर उसे समझ नहीं आ रहा था कि सारा से क्या बात करे? उस ने खुद ही अपने और सारा के बीच यह खाई बनाई थी.

मोहित सारा को दोबारा से अपने करीब लाने के लिए सारे ट्रिक्स अपना चुका था परंतु अब सारा पानी पर तेल की तरह फिसल गई थी.

अगले हफ्ते सारा का जन्मदिन था. मोहित ने मन ही मन उसे सरप्राइज देने की सोच रखी थी. तभी उस रात अचानक मोहित को तेज बुखार हो गया. सारा ने उस की खूब अच्छे से देखभाल करी. 5 दिन बाद जब मोहित पूरी तरह से ठीक हो गया तो उसे विश्वास हो गया कि सारा उसे छोड़ कर कहीं नहीं जाएगी. मोहित ने सारा के लिए हीरे की अंगूठी खरीद ली. कल सारा का जन्मदिन था. मोहित शाम को जल्दी आ गया था. उस ने औनलाइन केक बुक कर रखा था.

न जाने क्यों आज उसे सारा का बेसब्री से इंतजार था.

जैसे ही सारा घर आई तो मोहित ने उस के लिए चाय बनाई. सारा ने मुसकराते हुए चाय का कप पकड़ा और कहा, ‘‘क्या इरादा है जनाब का?’’

मोहित बोला, ‘‘कल तुम्हारा जन्मदिन है, मैं तुम्हें स्पैशल फील कराना चाहता हूं.’’

‘‘वह तो तुम्हें मेरे घर आ कर करना पड़ेगा.’’

‘‘तुम क्या अपने घर जा रही हो जन्मदिन पर.’’

‘‘मैं ने अपने औफिस के पास एक छोटा सा फ्लैट ले लिया है. मैं अपना जन्मदिन वहीं मनाना चाहती हूं. अब मैं अपना खर्च खुद उठाना चाहती हूं… यह निर्णय मुझे बहुत पहले ही ले लेना चाहिए था.’’

मोहित बोला, ‘‘मुझे मालूम है तुम मुझ से अब तक अबौर्शन की बात से नाराज हो. यार मेरी गलती थी कि मैं ने तुम से तब शादी करने के लिए मना कर दिया था.’’

‘‘अरे नहीं तुम सही थे, मजबूरी में अगर तुम मुझ से शादी कर भी लेते तो हम दोनों हमेशा दुखी रहते.’’

‘‘सारा मैं तुम से प्यार करता हूं और तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘मोहित पर मैं तुम से आकर्षित थी… अगर प्यार होता तो शायद आज मैं अलग रहने का फैसला नहीं लेती.’’

सारा सामान पैक कर रही थी. मोहित के अहम को ठेस लग गई थी, इसलिए उस ने अपना आखिरी दांव खेला, ‘‘तुम्हारे नए बौयफ्रैंड को पता है कि तुम ने अबौर्शन करवाया था. अगर तुम्हारे घर वालों को यह बात पता चल जाएगी तो सोचो उन्हें कैसा लगेगा? मैं तुम पर विश्वास करता हूं, इसलिए मैं तुम से शादी करने को अभी भी तैयार हूं.’’

‘‘पर मोहित मैं तैयार नहीं हूं. बहुत अच्छा हुआ कि इस बहाने ही सही मुझे तुम्हारे विचार पता चल गए. और रही बात मेरे परिवार की, तो वे कभी नहीं चाहेंगे कि मैं तुम जैसे लंपट इंसान से विवाह करूं. मोहित तुम्हारा यह घोंसला आजादी के तिनकों से नहीं वरन स्वार्थ के तिनकों से बुना हुआ है. अगर एक दोस्त के नाते कभी मेरे घर आना चाहो तो अवश्य आ सकते हो,’’ कहते हुए सारा ने अपने नए घोंसले का पता टेबल पर रखा और एक स्वच्छंद चिडि़या की तरह खुले आकाश में विचरण करने के लिए उड़ गई.

सारा ने अब निश्चय कर लिया था कि वह अपनी मेहनत और हिम्मत के तिनकों से अपना घोंसला स्वयं बनाएगी. तिनकातिनका जोड़ कर बनाएगी अब वह अपना घोंसला… आज की नारी में हिम्मत, मेहनत और खुद पर विश्वास का हौसला.

मृगतृष्णा: क्या विजय और राखी की शादी हुई

लौकडाउन में काम छूट जाने के चलते लखन अपने परिवार समेत पैदल ही दिल्ली से अपने गांव मीरपट्टी लौट आया था.

लखन के परिवार में उस की पत्नी के अलावा एक बेटी और बेटा थे. बेटी का नाम राखी और बेटे का नाम सूरज था.

दिल्ली में राखी अपनी मां के साथ दूसरों के घरों में चौकाबरतन का काम करती थी. सूरज अभी छोटा था और सरकारी स्कूल में पढ़ने जाता था. लखन कपड़े की एक फैक्टरी में मजदूर था.

लखन गांव के जमींदार चौधरी साहब का पुराना कारिंदा था, इसलिए चौधरी साहब ने तरस खा कर उसे खेत और बगीचे की देखभाल के लिए रख लिया.

लखन की पत्नी और बेटी राखी चौधरी साहब के घर में महरी का काम करने लगीं. इस तरह परिवार की गुजरबसर का इंतजाम हो गया.

राखी 17 साल की थी और गजब की खूबसूरत थी. कदकाठी लंबी, गोरी छरहरी काया, बड़ीबड़ी आंखें, मासूम चेहरा और चंचल स्वभाव के चलते वह किसी की भी नजरों में चढ़ जाती थी.

राखी को अपनी खूबसूरती का एहसास था. वह उस के प्रदर्शन में कोई कोताही नहीं बरतती थी. उस का प्रेमी जुगल दिल्ली में राजमिस्त्री का काम करता था. लौकडाउन के चलते वह भी गांव वापस आ गया था.

गांव में जुगल को कोई काम नहीं मिल रहा था. वह दिल्ली लौटने के बारे में सोच रहा था. गांव में उसे राखी से मिलने का कभीकभार ही मौका मिलता था.

चौधरी साहब का सब से छोटा बेटा विजय पटना में रह कर पढ़ाई कर रहा था. छुट्टी में वह घर आया हुआ था और लौकडाउन हो जाने के चलते वहीं फंस गया था.

विजय ने एक दिन राखी को दालान में काम करते देखा, तो देखता ही रह गया. राखी की बिखरी हुई लटें, उभरी हुई छाती और कसा बदन देख कर विजय बेचैन हो उठा. वह उस से दोस्ती बढ़ाने की जुगत बैठाने लगा.

मौका देख कर विजय ने राखी से अपने मन की बात रखी, ‘‘राखी, मैं तुम्हें पसंद करता हूं और तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

‘‘छोटे मालिक, आप बड़े लोग हैं. और, आप मु?ा जैसी गरीब लड़की से शादी करेंगे…?’’ राखी ने अंगड़ाई लेते हुए पूछा.

‘‘राखी, जमाना बदल गया है. अब कोई बड़ाछोटा नहीं है…’’ विजय ने कहा.

राखी विजय के ?ांसे में आ तो गई, पर फिर भी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि वह इस परिवार की बहू भी बन सकती है. उस ने यह बात जुगल को बताई.

जुगल ने समझते हुए कहा, ‘‘विजय बाबू शादी का ?ांसा दे कर तेरी जवानी को भोगना चाहते हैं. वे पढ़ेलिखे अमीर लोग हैं. किसी गरीब, 5वीं जमात पढ़ी लड़की से कभी शादी नहीं करेंगे.’’

जुगल के सम?ाने पर राखी सम?ा गई. एक दिन विजय ने अकेले में राखी को खेत के मचान पर बैठा कर बहलानेफुसलाने वाली बातें कीं, तो वह फिर से उस के ?ांसे में आ गई.

विजय राखी को यह यकीन दिलाने में कामयाब रहा कि जुगल को राखी की किस्मत देख कर जलन हो रही है. लालच में पड़ कर राखी ने विजय को हां कह दी और पलभर में जुगल के प्यार को भुला बैठी.

‘‘क्या सोच रही हो मेरी जान, आओ न रोमांस करें,’’ राखी के उभारों को सहलाते हुए विजय ने कहा, तो राखी का तनमन मचल उठा.

विजय ने अपने होंठ राखी के दहकते होंठ पर रख दिए और हाथों से उस के बदन को सहलाने लगा. राखी तड़प कर विजय से लिपट गई. दोनों ने जी भर कर अपनी प्यास बु?ाई.

अब विजय का जब भी मन करता, वह राखी के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाता था.

राखी भी अब जुगल से मिलने से कतराने लगी थी. जुगल सम?ा गया कि राखी विजय के चंगुल में फंस गई है. उस ने राखी को कई बार सम?ाने की कोशिश की, लेकिन वह जुगल से बात ही नहीं करना चाहती थी.

इसी बीच लौकडाउन खुल गया. मजदूर वापस काम पर जाने लगे थे. जुगल दिल्ली लौट आया. लखन को भी उस की फैक्टरी से काम पर आने का फोन आया. फैक्टरी का मालिक पहले से ज्यादा तनख्वाह देने के लिए तैयार था.

गांव में बस किसी तरह गुजरबसर हो रही थी, इसलिए लखन भी दिल्ली आने की सोच रहा था. यह बात राखी ने विजय को बताई.

‘‘मेरा भी कालेज शुरू होने वाला है.  मैं भी यहां से चला जाऊंगा. तुम भी अपने पिताजी के साथ दिल्ली चली जाओ. समय आने पर मैं शादी के लिए घर में बात करूंगा. ध्यान रहे कि समय से पहले किसी को इस की भनक न लगे,’’ विजय ने राखी को चूमते हुए सम?ाया.

राखी अपने पापा के साथ दिल्ली चली आई. विजय पटना चला गया. पहले तो उन दोनों में फोन पर बात होती रहती थी, पर धीरेधीरे विजय ने पढ़ाई का हवाला दे कर बात करना बंद कर दिया. राखी को विजय का यह बरताव अजीब लग रहा था.

एक दिन जुगल ने राखी को फोन कर के मिलने की गुजारिश की. राखी ने हां कर दी. वे एक पार्क में मिले. इधरउधर की बात करने के बाद जुगल ने जो बात बताई, वह सुन कर राखी का कलेजा धक से रह गया.

जुगल ने बताया, ‘‘राखी, विजय बाबू ने धूमधाम से अपनी जाति की एक पढ़ीलिखी लड़की से शादी कर ली है.’’

राखी का मन जुगल की बात मानने को तैयार नहीं था. जुगल ने राखी को अपने मोबाइल फोन में विजय की शादी की तसवीर दिखाई. राखी को लगा कि जैसे आसमान उस के सिर पर गिर गया हो. वह जुगल को पकड़ कर रोने लगी.

‘‘चुप कर पगली, हर वादा सच्चा नहीं होता. जो भरम था उसे भूल जाना बेहतर है. मैं हूं न तेरे साथ,’’ राखी के माथे को सहलाते हुए जुगल ने प्यार से कहा.

राखी कुछ बोल नहीं पाई. बस, जुगल की गोद में मुंह छिपा कर रोती रही.

लेखक- सुजीत सिन्हा

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