Live-In Relationship : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अपनी एक खास टिप्पणी में कहा है कि समाज में 'लिवइन' संबंधों को मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन नौजवान पीढ़ी इन संबंधों की ओर खिंच रही है. अदालत के मुताबिक, अब समय आ गया है कि समाज में नैतिक मूल्यों को बचाने के लिए हमें कुछ रूपरेखा तैयार करनी चाहिए और समाधान निकालना चाहिए.
जस्टिस नलिन कुमार श्रीवास्तव ने कहा, "हम बदलते समाज में रहते हैं जहां परिवार, समाज या कार्यस्थल पर युवा पीढ़ी का नैतिक मूल्य और सामान्य आचरण बदल रहा है."
अदालत ने इस टिप्पणी के साथ वाराणसी जिले के आकाश केशरी को जमानत दे दी.
आकाश केशरी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत सारनाथ थाने में मामला दर्ज किया गया था.
अदालत ने कहा कि जहां तक 'लिवइन संबंध' का सवाल है, इसे कोई सामाजिक मंजूरी नहीं मिली है, लेकिन नौजवान लोग ऐसे संबंधों की ओर खिंचते हैं, क्योंकि वे अपने साथी के प्रति अपनी जिम्मेदारी से आसानी से बच सकते हैं.
लिवइन रिलेशनशिप एक तरह का ऐसा संबंध है, जहां 2 लोग एकसाथ रहते हैं और एक दूसरे के साथ भावनात्मक और शारीरिक संबंध बनाते हैं, लेकिन वे शादीशुदा नहीं होते हैं या उन में किसी भी तरह के औपचारिक संबंध में नहीं होते हैं. वे अपने संबंध को अपने तरीके से चलाते हैं और अपने फैसले लेते हैं.
लिवइन रिलेशनशिप के फायदे
-यह दोनों लोगों को अपने संबंध को अपने तरीके से चलाने की आजादी देता है.
-यह दोनों लोगों को एकदूसरे के साथ समय बिताने और एकदूसरे के साथ भावनात्मक और शारीरिक संबंध बनाने का मौका देता है.
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