Love Story : अदालत में आज सुबह से ही काफी चहलपहल नजर आ रही थी. शहर के वकील और मीडिया के लोगों का जमावड़ा अदालत के आसपास लग गया था. वहां की चाय और पनवाड़ी की गुमटियों पर लोगों की जबान पर एक ही चर्चा थी.
दरअसल, आज के दिन एक अंतर्धार्मिक शादी को ले कर उपजे झगड़े का फैसला जो आने वाला था.
गोरखपुर के रहने वाले गुलजार ने अदालत में याचिका दाखिल कर यह गुहार लगाई थी कि उस की पत्नी आरती को उस के मांबाप बंधक बनाए हुए हैं.
पुलिस सिक्योरिटी के बीच अदालत में मौजूद गुलजार के मन में तरहतरह के खयाल आ रहे थे. उस ने जिस आरती से आज से 2 साल पहले प्यार की पेंगें बढ़ाई थीं, उसे वह हर कीमत पर अपना जीवनसाथी बनाए रखना चाहता था, पर मजहब की दीवार उसे ऐसा करने से रोक रही थी.
25 साल के मेकैनिक गुलजार को 2 साल पहले का वाकिआ याद आ गया था.
उस दिन गुलजार अपने गैराज में आई एक मोटरसाइकिल की मरम्मत का काम कर रहा था, थोड़ी दूर पड़ोस में रहने वाली 19 साल की आरती स्कूल बस के आने का इंतजार कर रही थी.
वैसे तो एक ही महल्ले में रहने के चलते वे एकदूसरे से अनजान नहीं थे, पर गुलजार का ध्यान गाड़ी की मरम्मत के बजाय आरती को देखने में ज्यादा लग रहा था.
उस दिन जब आधा घंटे से ज्यादा का वक्त निकल जाने के बाद भी आरती की बस नहीं आई, तो गुलजार से रहा नहीं गया. आखिरकार उस ने पूछ ही लिया, ‘‘आज तुम्हारी बस नहीं आई आरती?’’
‘‘हां गुलजार, बस नहीं आई. आज से ही तिमाही इम्तिहान शुरू हो रहे हैं. समझ नहीं आ रहा है कि मैं क्या करूं,’’ आरती ने जवाब दिया.
‘‘अगर कोई एतराज न हो, तो मैं तुम्हें मोटरसाइकिल से स्कूल छोड़ दूं?’’ गुलजार ने आरती से पूछा.
‘‘गुलजार, तुम अगर मुझे स्कूल छोड़ दोगे, तो मैं वक्त पर पहुंच कर इम्तिहान दे पाऊंगी.’’
गुलजार के मन की मुराद पूरी हो गई. आरती की ‘हां’ मिलते ही वह खुशी के मारे उछल पड़ा. उस दिन वह अपनी मोटरसाइकिल पर आरती को बिठा कर स्कूल छोड़ने चला गया.
मोटरसाइकिल पर आरती की छुअन पा कर गुलजार के शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई. स्कूल के गेट पर आरती को जैसे ही मोटरसाइकिल से उतारा, तो गुलजार की नजरें आरती से दोचार हुईं. बस, वह उसे देखता ही रह गया.
जवानी की दहलीज पर कदम रख रही आरती की खूबसूरती उसे पहली नजर में ही भा गई. आरती ने भी गुलजार को प्यारभरी नजरों से देख कर ‘थैंक्स’ कहा और ‘बाय’ करते हुए स्कूल गेट से भीतर चली गई.
गुलजार वैसे तो हाईस्कूल तक ही पढ़ा था, पर स्कूल आतेजाते बच्चों को देख कर वह बहुत खुश होता था. वह गाडि़यों की मरम्मत के काम के अलावा जरूरतमंद लोगों की मदद भी करता था. महल्ले के सब लोग उसे प्यार करते थे.
उस दिन आरती को स्कूल छोड़ कर आए गुलजार पर आरती के रूपरंग का नशा इस कदर छा चुका था कि वह अपनी सुधबुध खो बैठा. वह अब रोज आरती के स्कूल जाने के वक्त उस का दीदार करने समय से पहले ही गैराज पहुंचने लगा था.
आरती भी गुलजार की नजरों से अनजान नहीं थी. वह भी उस के मोहपाश में बंध चुकी थी.
एक दिन मौका पा कर गुलजार ने आरती से अपने प्यार का इजहार करते हुए कह दिया, ‘‘आरती, आई लव यू. मैं तुम से बेइंतिहा मुहब्बत करता हूं.’’
आरती गुलजार की सादगी पर फिदा हो चुकी थी. वह भी मन ही मन गुलजार से प्यार करने लगी थी.
जब गुलजार ने अपने प्यार का इजहार किया, तो आरती भी अपनेआप को रोक न सकी और उस ने भी शरमाते हुए इजहार का जवाब देते हुए कह दिया, ‘‘आई लव यू टू.’’
इस के बाद तो उन दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. जब भी मौका मिलता, वे दोनों शहर के एक बड़े पार्क में बैठ कर अपने दिल की बातें कहते और एकदूसरे के साथ जीनेमरने की कसमें खाते.
मगर गुलजार और आरती का प्यार जमाने की नजरों से ज्यादा दिन छिप नहीं सका. उन के प्यार की कहानी आरती के घर वालों को पता चल गई, तो उस पर नजर रखी जाने लगी.
अब आरती छिपछिप कर गुलजार से मिलने लगी. दोनों शादी तो करना चाहते थे, मगर मजहब की दीवार उन के प्यार में सब से बड़ी रुकावट बन रही थी. हर वक्तहिंदूमुसलिम का राग अलापने वाले समाज के कुछ लोगों की नजर में उन का प्यार लव जिहाद के अलावा कुछ नहीं था. आरती के पापा को भी यह रिश्ता किसी भी हालत में मंजूर नहीं था.
घर वालों की तमाम बंदिशों के बावजूद भी गुलजार और आरती का मिलना बंद नहीं हो पाया, तो घर वालों ने आरती की स्कूल की पढ़ाई ही बंद करा दी. स्कूल जाना बंद होने की वजह से आरती अपने ही घर में कैद हो कर रह गई. दोनों बेचैन रहने लगे.
मौका मिलते ही वे कभी छिप कर मिल लेते, तो कभी मोबाइल फोन पर बातचीत कर तसल्ली कर लेते. जब कभी आरती के घर वालों को इस बात का पता चलता, तो वे उस की जम कर पिटाई करते.
अपने परिवार का सब से लाड़ला गुलजार खान अपने अब्बू और अम्मी के साथ रहता है. घर में बड़े भाई जावेद के अलावा एक छोटी बहन भी थी. बड़े भाई के निकाह के बाद अब्बू गुलजार के निकाह के लिए लड़की तलाश रहे थे, तभी उन के कानों तक भी गुलजार और आरती के इश्क की कहानी आ गई.
अब्बा ने गुलजार को समझाने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘देख बेटा, आजकल हालात वाकई ठीक नहीं हैं. अलगअलग मजहब के लड़कालड़की की शादी को ‘लव जिहाद’ का नाम दे कर बहुत सख्ती की जा रही है.
‘‘अगर तू ने उस लड़की से निकाह कर लिया, तो हमारे परिवार को लोग छोड़ेंगे नहीं. तेरी छोटी बहन का निकाह भी तो मुझे करना है.’’
अब्बा की समझाइश का गुलजार पर कोई असर नहीं हुआ. उस ने साफसाफ कह दिया, ‘‘मैं हर हाल में आरती से ही शादी करूंगा.’’
बेटे के तेवर देख कर अब्बा ने गुलजार को आरती के साथ निकाह करने की बेमन से इजाजत दे दी थी, मगर आरती के घर वालों की मंजूरी मिलने की उन्हें कोई उम्मीद नहीं थी.
मन मार कर एक दिन गुलजार के अब्बा आरती के पापा राकेश के पास शादी की बात करने गए, तो राकेश ने उन्हें भलाबुरा कहा और सख्त हिदायत देते हुए कहा, ‘‘अपने बेटे को समझ लो, वरना उस के हाथपैर तोड़ देंगे.’’
गुलजार के अब्बा खून का घूंट पी कर घर आ गए. गुलजार ने शहर के वकील से मिल कर सलाह ली और आरती के साथ एक प्लान बना कर शादी करने का फैसला कर लिया.
वे दोनों कोर्टमैरिज के लिए अर्जी देने एसडीएम कोर्ट पहुंचे, लेकिन वहां पर आरती के पापा के दोस्त सोनू ने उन्हें देख लिया.
घर आ कर सोनू ने राकेश को यह बात बता दी. आरती की इन हरकतों की वजह से समाज में राकेश की बदनामी हो रही थी. वे एक सरकारी दफ्तर में मुलाजिम थे. उन का संयुक्त परिवार था, जिस में पत्नी, एक बेटा, 2 बेटियां, मातापिता की जिम्मेदारी उन के कंधों पर थी. उन की जातिबिरादरी में लवमैरिज करना बड़ी बात तो नहीं थी, पर एक विधर्मी लड़के से शादी करना बहुत बड़ा गुनाह था.
ऐसा होने पर कानून के साथसाथ उन के धर्म के लोग उन का समाज में जीना मुश्किल कर देते. यही सोच कर वे आरती को समझा रहे थे, मगर वह यह सब समझने को तैयार नहीं थी.
आरती के घर वालों का एकएक दिन तनाव में गुजर रहा था. उस दिन आरती के पापा आगबबूला हो गए और गुस्से में आरती को जमीन पर धकेल दिया.
आरती को चोट लगने के चलते उठनेबैठने में दिक्कत होने लगी, तो उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां पर ऐक्सरे रिपोर्ट में पता चला कि आरती की कमर की हड्डी में फ्रैक्चर आ गया है.
आरती अस्पताल में महीनेभर भरती रही और उसे पूरी तरह ठीक होने में 6 महीने का समय लग गया. आरती के दादादादी सामाजिक रीतिरिवाजों का वास्ता दे कर उसे खूब समझाते, मगर उस पर इस का कोई असर नहीं पड़ता था. वह तो अपने मनमंदिर में गुलजार के प्यार का दीया जलाए बैठी थी.
एक दिन गुलजार ने आरती को फोन पर कहा, ‘‘आरती, यहां हमारी शादी मुमकिन नहीं है.’’
‘मगर, क्यों गुलजार?’ आरती ने चिंता जाहिर करते हुए पूछा.
‘‘मध्य प्रदेश की सरकार ने एक कानून बनाया है, जिस के तहत शादी के लिए धर्म परिवर्तन करना कानूनन अपराध माना गया है,’’ गुलजार ने आरती को समझाते हुए कहा.
‘मतलब, मुहब्बत भी सरकार से पूछ कर करनी होगी…’ आरती ने नाराजगी के साथ कहा.
‘‘लेकिन आरती, तुम चिंता मत करो. मैं ने इस का भी हल निकाल लिया है,’’ गुलजार बोला.
‘कैसा हल निकाला है? मुझे तो अब डर लगने लगा है,’ आरती बोली.
‘‘हम दोनों भाग कर मुंबई चलते हैं, वहां पर कोर्ट में शादी कर लेंगे. धीरेधीरे सब ठीक हो जाएगा, तो वापस जबलपुर आ जाएंगे,’’ गुलजार ने कहा.
एक साल की लंबी जद्दोजेहद में आरती और गुलजार बुरी तरह टूट चुके थे. दोनों यह बात अच्छी तरह समझ चुके थे कि जबलपुर में शादी करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
इसी दौरान गुलजार ने एक पत्रिका में मुंबई के यूथ इंडिया ग्रुप के बारे में पढ़ा, तो ग्रुप से जुड़े वकील सुभाष के बारे में जानकारी हुई. उस ने सुन रखा था कि यूथ इंडिया गु्रप इस तरह की शादी कराने में मदद करता है.
उम्मीद की किरण दिखते ही उन दोनों ने मुंबई जाने का प्लान बनाया और एक दिन ट्रेन के जरीए जबलपुर से मुंबई के लिए भाग निकले.
गुलजार और आरती ने मुंबई पहुंच कर यूथ इंडिया ग्रुप के वकील सुभाष को अपनी पूरी कहानी सुनाई.
दोनों की कहानी सुन कर सुभाष ने अपने ग्रुप की एडवाइजर कंचन को उन की मदद करने को कहा.
कंचन की मदद से उन दोनों ने बांद्रा कोर्ट में पहुंच कर शादी कर ली. बाकायदा बीएमसी में शादी का रजिस्ट्रेशन कराया और शादी करने की जानकारी स्पीड पोस्ट के जरीए घर वालों के अलावा अपने शहर के पुलिस थाने में भेज दी गई.
इधर आरती के घर से भाग जाने से उस के घर वालों की अपने इलाके में बदनामी हो रही थी. लिहाजा, घर वालों ने शहर के पुलिस स्टेशन में उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी.
आरती के घर वालों ने एक संगठन हिंदू सेना के जरीए पुलिस पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. यह संगठन अपने को धर्म का हिमायती बता कर एक हिंदू लड़की से मुसलिम लड़के की शादी को लव जिहाद का नाम दे कर नए कानून की दुहाई दे रहा था.
प्रेम विवाह की राह कांटों से भरी हुई थी. परेशानियां अभी तक उन का पीछा नहीं छोड़ रही थीं.
आंदोलनकारियों के दबाव में शहर की पुलिस आरती के भाई को ले कर मुंबई पहुंच गई. कागजी कार्यवाही पूरी कर पुलिस दोनों को वापस ले आई.
ट्रेन में सफर के दौरान ही पुलिस आरती के बयान नोट करती रही और आरती का भाई गुलजार को रास्तेभर धमकाता रहा.
शहर के पुलिस स्टेशन पहुंचने पर आंदोलन कर रहे कुछ लोगों के साथ आरती के घर वालों ने भी गुलजार और आरती को खूब डरायाधमकाया, मगर आरती और गुलजार अपनी बात पर कायम रहे.
आरती के भाई ने उन से कोर्टमैरिज से संबंधित सभी कागजात छीन लिए और आरती को अपने घर ले गया.
इधर पुलिस स्टेशन में पुलिस ने गुलजार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया. पुलिस स्टेशन के दारोगा गुलजार से बोले, ‘‘यह इश्कमुहब्बत का चक्कर छोड़ो और आरती को उस के हाल पर छोड़ दो, वरना जेल में सड़ते रहोगे.’’
लेकिन प्यार के रंग में डूबे गुलजार ने दारोगा से साफसाफ कह दिया, ‘‘सर, मैं आरती से बेपनाह मुहब्बत करता हूं. उस से मैं ने शादी भी की है. मैं किसी भी कीमत पर उस से जुदा नहीं हो सकता.’’
दारोगा ने 2 बेंत गुजलार की पीठ पर जमाते हुए कहा, ‘‘जब तुम्हें गांजा रखने के झूठे केस में जेल भेज देंगे, तब तुम्हारी अक्ल ठिकाने आ जाएगी और यह प्यार का भूत भी उतर जाएगा.’’
गुलजार ने जब दारोगा की बात मानने से इनकार कर दिया, तो उसे पुलिस स्टेशन में बुरी तरह से पीटा गया, जिस से वह बेहोश हो गया. बाद में उसे अस्पताल में भरती करा दिया गया.
जब गुलजार की तबीयत ठीक हो गई, तो पुलिस ने इस ताकीद के साथ उसे छोड़ दिया कि वह अब आरती और उस के घर का रुख भूल कर भी न करे.
पुलिस ने जैसे ही आरती को उस के घर वालों को सौंपा, तो उन्होंने आरती को खूब डरायाधमकाया, मगर आरती ने भी बेफिक्र हो कर कह दिया, ‘‘हम दोनों अपनी जान दे देंगे, मगर एकदूसरे के बिना नहीं रह सकते.’’
जब घर वालों को लगा कि आरती उन की बात मानने वाली नहीं है, तो उन्होंने उसे ननिहाल भेज दिया.
आरती का ननिहाल उत्तर प्रदेश के एक गांव में था, जहां पहुंचना इतना आसान नहीं था. ननिहाल में भी उस के मामा आरती पर कड़ी नजर रखते थे. मोबाइल फोन पापा ने पहले ही छीन लिया था. ऐसी सूरत में आरती और गुलजार का हाल बुरा था.
गुलजार को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे और क्या न करे. गुलजार और आरती का इश्क इतने कड़े इम्तिहान ले रहा था, मगर दोनों हार मानने को तैयार नहीं थे.
तकरीबन एक हफ्ते बाद आरती ने मौका मिलते ही मामा के फोन से गुलजार को फोन कर के बताया, ‘‘मुझे यहां पर बंधक बना कर रखा गया है. मौत भी मुझे गले लगाने को तैयार नहीं है. एक दिन फांसी का फंदा लगाने की भी कोशिश की, मगर मामा ने दरवाजा तोड़ कर मुझे बचा लिया.’’
यह सुन कर गुलजार का दिल दहल गया. उस ने आरती को हिम्मत देते हुए कहा, ‘आरती, तुम ने यह कदम उठाने से पहले यह क्यों नहीं सोचा कि मेरा क्या होगा. मैं तुम्हारे बगैर जी नहीं सकता. थोड़ा सब्र करो आरती.’
गुलजार ने एक बार फिर यूथ इंडिया ग्रुप के सुभाष से मदद की गुहार लगाई. सुभाष ने गुलजार के शहर के एक नामी एडवोकेट के जरीए कोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (हैबियस कोर्पस रिट) लगाने का सुझाव दिया.
हैबियस कोर्पस कानून में ऐसा इंतजाम है, जिस के तहत कोई भी किसी को गैरकानूनी ढंग से बंधक बनाए जाने की शिकायत कर सकता है.
गुलजार की तरफ से वकील ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दाखिल की. इस के बाद अदालत ने आरती को पेश करने का निर्देश शहर के एसपी को दे दिया. आननफानन ही पुलिस ने आरती के घर वालों को उसे जल्द कोर्ट में पेश करने को कहा.
आखिरकार कोर्ट के आदेश पर आरती को उस के ननिहाल से शहर लाया गया. कोर्ट में पेश होने के पहले की रात आरती ने पुलिस स्टेशन में भी गुलजार के साथ ही रहने की बात कही, मगर पुलिस ने रात होने पर आरती को उस के पापा के दोस्त के घर भेज दिया.
वहां पर भी आरती को फिर से डराधमका कर बयान बदलने के लिए काफी दबाब बनाया गया. दूसरे दिन सुबह आरती को पुलिस की कस्टडी में कोर्ट में पेश किया गया.
‘और्डर… और्डर…’ अदालत की कार्यवाही शुरू की जाए.
जैसे ही गुलजार के कानों में जज की कुरसी पर बैठी मजिस्ट्रेट की आवाज गूंजी, तो वह यादों के सफर से वापस लौट आया.
अदालत में सुनवाई के दौरान सरकारी वकील इस शादी का विरोध कर रहे थे. उन का कहना था कि यह शादी गैरकानूनी है. गुलजार ने आरती को बहलाफुसला कर धर्म परिवर्तन करने पर मजबूर किया है. लिहाजा, आरती को उस के मातापिता को सौंप दिया जाए.
गुलजार के वकील ने अदालत से दरख्वास्त की, ‘‘मी लौर्ड, आरती को अपनी बात कहने की इजाजत दी जाए.’’
‘‘इजाजत है.’’
अदालत का आदेश मिलते ही थोड़ी ही देर में आरती कठघरे में खड़ी हो गई. सब की नजरें उसी पर टिकी हुई थीं.
गुलजार का दिल भी जोरों से धड़क रहा था. उसे डर था कि आरती इस समय उस के घर वालों की कैद में है. ऐसे में वह अपने बयान से मुकर गई, तो उस के सपने शीशे की तरह टूट जाएंगे.
गुलजार इस बात से भी चिंतित था कि मध्य प्रदेश में लव जिहाद से संबंधित कठोर कानून बना है. मध्य प्रदेश देश के उन राज्यों में से एक है, जहां पर धर्म परिवर्तन को ले कर कानून बनाया गया है, जिस के मुताबिक शादी और किसी दूसरे कपट से भरे तरीके से किए गए धर्मांतरण के मामले में 10 साल की कैद और एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है.
आरती ने अपने दिल को मजबूत करते हुए अदालत को बताया, ‘‘मैं अब 21 साल की हूं और मैं ने गुलजार से अपनी मरजी से शादी कर इसलाम धर्म कबूल किया है. मुझे कभी भी धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर नहीं किया गया. मैं ने जो भी कदम उठाया है, वह अपनी मरजी से उठाया है.
‘‘मेरे घर वाले मुझे जबरदस्ती ननिहाल ले गए थे. वहां मुझे सताया गया और बंधक बना कर रखा गया. मैं पूरे होशोहवास में आप के सामने कह रही हूं. मैं गुलजार के साथ ही रहूंगी.’’
मजिस्ट्रेट ने आरती की बात को ध्यान से सुना और कुछ देर बाद कोर्ट ने कहा, ‘‘आरती ने अपने बयान में साफ कर दिया है कि उस ने याचिका लगाने वाले से शादी की थी और वह हर हाल में उस के साथ रहना चाहती है. उस की उम्र को ले कर भी किसी तरह का कोई विवाद नहीं है. अंतर्धार्मिक जोड़े को विवाह या लिवइन रिलेशनशिप में रहने का हक है.’’
मजिस्ट्रेट ने आरती और गुलजार को एकसाथ रहने का अपना फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘पुलिस इस जोड़े को प्रोटैक्शन दे और घरपरिवार के लोग भी उन के इस फैसले का सम्मान करें.’’
अदालत का फैसला आते ही गुलजार की आंखें खुशी से नम हो गईं. उस ने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए अदालत का शुक्रिया अदा किया.
समाज ने जिस प्रेमी जोड़े को दरदर की ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया था, अदालत के इस फैसले ने साबित कर दिया कि प्यारमुहब्बत में धर्म की दीवार बाधक नहीं बन सकती.
इस फैसले के बाद जैसे ही आरती गुलजार के करीब आई, तो दोनों एकदूसरे के गले लग गए और उन की आंखों से बरबस आंसू निकल आए.