लियो: आखिर जोया का क्या कुसूर था

राधा यश पर खूब बरसीं, धर्म, जाति, समाज की बड़ीबड़ी बातें कीं लेकिन जब यश भी उखड़ गया, तो रोने लगीं. ये कैसी मां हैं, क्या इन्हें अपने इकलौते व योग्य बेटे की खुशी पसंद नहीं? इंसानों ने अपनी खुशियों के बीच इतनी दीवारें क्यों खड़ी कर ली हैं? अपनों की खुशी इन दीवारों के आगे माने नहीं रखती क्या? राधा जोया को इतने अपशब्द क्यों कह रही हैं? आखिर, ऐसा क्या किया है उस ने?

अहा, जोया आ रही है. उस के परफ्यूम की खुशबू को मैं पहचानता हूं और वह मेरे लिए मटन ला रही है, मुझे यह भी पता चल गया है. अब आई, अब आई और यह बजी डोरबैल. यश लैपटौप पर कुछ काम कर रहा था, जिस फुरती से उस ने दरवाजा खोला, हंसी आई मुझे. प्यार करता है जोया से वह और जोया भी तो जान देती है उस पर. दोनों साथ में कितने अच्छे लगते हैं जैसे एकदूसरे के लिए ही बने हैं.

जैसे ही यश ने दरवाजा खोला, जोया अंदर आई. आते ही यश ने उस के गाल पर किस कर दिया. वह शरमा गई. मैं ने लपक कर अपनी पूंछ जोरजोर से हिला कर अपनी तरह से जोया का स्वागत किया. वह मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए नीचे ही बैठ गई. पूछा, ‘‘कैसे हो, लिओ? देखो, तुम्हारे लिए क्या लाई हूं.’’

मैं ने और तेजी से अपनी पूंछ हिलाई. फिर जोया ने आंगन की तरफ मेरे बरतनों के पास जाते हुए कहा, ‘‘आओ, लिओ.’’ मैं मटन पर टूट पड़ा, कितना अच्छा बनाती है जोया. उस के हाथ में कितना स्वाद है. राधारानी तो अपने मन का कुछ भी बनाखा कर अपनी खाली सहेलियों के साथ सत्संग, भजनों में मस्त रहती हैं. यश बेचारा सीधा है, मां जो भी बना देती है, चुपचाप खा लेता है. कभी कोई शिकायत नहीं करता. अच्छे बड़े पद पर काम करता है, पर घमंड नाम का भी नहीं. और जोया भी कितनी सलीकेदार, पढ़ीलिखी नरम दिल लड़की है. मैं तो इंतजार कर रहा हूं कि कब वह यश की पत्नी बन कर इस घर में आए.

यश के पापा शेखर भी बहुत अच्छे स्वभाव के हैं. घर में क्लेश न हो, यह सोच कर ज्यादातर चुप रहते हैं. राधा की जिदों पर उन्हें गुस्सा तो खूब आता है पर शांत रह जाते हैं. शायद इसी कारण से राधारानी जिद्दी और गुस्सैल होती चली गई हैं. यश का स्वभाव बिलकुल अपने पापा पर ही तो है. घर में मुझे प्यार तो सब करते हैं, राधारानी भी, पर मुझे उन का अपनी जाति पर घमंड करना अच्छा नहीं लगता. उन की बातें सुनता हूं तो बुरा लगता है. बोल नहीं पाता तो क्या हुआ, सुनतासमझता तो सब हूं.

मैं यश और जोया को बताना चाहता हूं कि राधारानी यश के लिए लड़कियां देख रही हैं, यह अभी यश को पता ही नहीं है. वह तो सुबह निकल कर रात तक ही आता है. वह घर आने से पहले जब भी जोया से मिल कर आता है, मैं समझ जाता हूं क्योंकि यश के पास से जोया के परफ्यूम की खुशबू आ जाती है मुझे. एक दिन जोया यश को बता रही थी कि उस का भाई समीर फ्रांस से यह परफ्यूम ‘जा दोर’ लाया था. जब घर में शेखर और राधा नहीं होते, यश जोया को घर में ही बुला लेता है. मैं खुश हो जाता हूं कि अब जोया आएगी, यश की फोन पर बात सुन लेता हूं न. जोया मुझे बहुत प्यार करती है, इसलिए हमेशा मेरे लिए कुछ जरूर लाती है.

यश जोया को अपने बैडरूम में ले गया तो मैं चुपचाप आंगन में आ कर बैठ गया. इतनी समझ है मुझ में. दोनों को बड़ी मुश्किल से यह तनहाई मिलती है. शेखर और राधा को, बस, इतना ही पता है कि दोनों अच्छे दोस्त हैं. दोनों एकदूसरे को बेइंतहा प्यार करते हैं, इस की भनक भी नहीं है उन्हें. मैं जानता हूं, जिस दिन राधारानी को इस बात का अंदाजा भी हो गया, जोया का इस घर में आना बंद हो जाएगा. एक विजातीय लड़की से बेटे की बाहर की दोस्ती तो ठीक है पर इस के आगे राधारानी कुछ सह न पाएंगी. धर्मजाति से बढ़ कर उन के जीवन में कुछ भी नहीं है, पति और बेटे की खुशी भी नहीं.

थोड़ी देर बाद जोया ने अपने और यश के लिए कौफी बनाई. फिर दोनों ड्राइंगरूम में ही बैठ कर बातें करने लगे. अब मैं उन दोनों के पास ही बैठा था.  कौफी पीतेपीते अपने पास बिठा कर मेरे  सिर पर हाथ फेरते रहने की यश की आदत है. मैं भी खुद ही कौफी का कप देख कर उस के पास आ कर बैठ जाता हूं. मुझे भी यही अच्छा लगता है. उस के स्पर्श में इतना स्नेह है कि मेरी आंखें बंद होने लगती हैं, ऊंघने भी लगता हूं. पर अचानक जोया के स्वर में उदासी महसूस हुई तो मेरे कान खड़े हुए.

जोया कह रही थी, ‘‘यश, अगर मैं ने अपने मम्मीपापा को मना भी लिया तो तुम्हारी मम्मी तो कभी राजी नहीं होंगी, सोचो न यश, कैसे होगा?’’

‘‘तुम चिंता मत करो जो, अभी टाइम है, सब ठीक हो जाएगा.’’

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जो, यश भी न. जोया के पहले से ही छोटे नाम को उस ने ‘जो’ में बदल दिया है, हंसी आती है मुझे. खैर, मैं यश को कैसे बताऊं कि अब टाइम नहीं है, राधारानी लड़कियां देख रही हैं. मैं ने अपने मुंह से कूंकूं तो किया पर समझाऊं कैसे. मुझे जोया के उतरे चेहरे को देख कर तरस आया तो मैं जोया की गोद में मुंह रख कर बैठ गया.

जोया की आंखें भर आई थीं, बोली, ‘‘यश, मैं तुम्हारे बिना जीने की कल्पना नहीं कर सकती.’’

‘‘ठीक है जो, मैं मम्मी से जल्दी ही बात करूंगा. तुम दुखी मत हो.’’

फिर यश अपने हंसीमजाक से जोया को हंसाने लगा. दोनों हंसते हुए कितने प्यारे लगते हैं. जोया की लंबी सी चोटी पकड़ कर यश ने उसे अपने पास खींच लिया था. वह हंस दी. मैं भी हंस रहा था. फिर जोया ने अपने फोन से हम तीनों की एक सैल्फी ली. वाह, ‘हैप्पी फैमिली’ जैसा फील हुआ मुझे. फिर जोया टाइम देखती हुई उठ खड़ी हुई, ‘‘अब आंटीअंकल के आने का टाइम हो रहा है, मैं चलती हूं.’’

‘‘हां, ठीक है,’’ कहते हुए यश ने खड़े हो कर उसे बांहों में भर लिया, फिर उस के होंठों पर किस कर दिया. मैं जानबूझ कर इधरउधर देखने लगा था.

जोया के जाने के 20 मिनट बाद शेखर और राधा आ गए. मैं ने सोचा, अच्छा हुआ, जोया टाइम से चली गई. जोया के परफ्यूम की जो खुशबू पूरे घर में आती रहती है, उसे शेखर और राधा महसूस नहीं करते. घंटों तक रहती है यह खुशबू घर में. कितनी अच्छी खुशबू है यह. पर आज शायद घर में मटन और परफ्यूम की अलग ही खुशबू राधारानी को महसूस हो ही गई, पूछा, ‘‘यश, कैसी महक है?’’

‘‘क्या हुआ, मम्मी?’’

‘‘कोई आया था क्या?’’

‘‘हां मम्मी, मेरे कुछ फ्रैंड्स आए थे.’’

शक्की तो हैं ही राधारानी, ‘‘अच्छा? कौनकौन?’’

‘‘अमित, महेश, अंजलि और जोया. जोया ही लिओ के लिए मटन ले आई थी.’’

शेखर ने जोया के नाम पर जिस तरह यश को देखा, मजा आ गया मुझे. बापबेटे की नजरें मिलीं तो यश मुसकरा दिया, वाह. बापबेटे की आंखोंआंखों में जो बातें हुईं, उन से मुझे मजा आया. दोनों का बढि़या दोस्ताना रिश्ता है. शेखर गरदन हिला कर मुसकराए, यश मुंह छिपा कर हंसने लगा. अचानक राधा ने कहा, ‘‘यश, अगले वीकैंड का कुछ प्रोग्राम मत रखना. फ्री रहना.’’

‘‘क्यों, मम्मी?’’

‘‘मैं ने तुम्हारे लिए एक लड़की पसंद की है, ज्योति, उसे देखने चलेंगे.’’

‘‘नहीं मम्मी, मुझे नहीं देखना है किसी को.’’

‘‘क्यों?’’ राधारानी के माथे पर त्योरियां उभर आईं.

‘‘बस, नहीं जाना मुझे.’’

‘‘कारण बताओ.’’

यश ने पिता को देखा, शेखर ने सस्नेह पूछा, ‘‘तुम्हारी कोईर् पसंद है?’’

यश साफ बात करने वाला सच्चा इंसान है. उसे लागलपेट नहीं आती, बोला, ‘‘मम्मी, मुझे जोया पसंद है, मैं उसी से मैरिज करूंगा.’’

जोया के नाम पर जो तूफान आया, पूरा घर हिल गया. राधा यश पर खूब बरसीं, धर्म, जाति, समाज की बड़ीबड़ी बातें कीं. जब यश भी उखड़ गया, तो रोने पर आ गईं. वैसा ही दृश्य हो गया जैसा फिल्मों में होता है. यश जब घर में कोई मूवी देखता है, मैं भी देखता हूं उस के साथ बैठ कर, ऐसा दृश्य तो खूब घिसापिटा है पर अब तो मेरे यश से इस का संबंध था तो मैं बहुत दुखी हो रहा था. मुझे बारबार जोया की आज की ही आंसुओं से भरी आंखें याद आ रही थीं.

मैं चुपचाप शेखर के पास बैठ कर सारा तमाशा देख रहा था और सोच रहा था, ये कैसी मां हैं, क्या इन्हें अपने इकलौते व योग्य बेटे की खुशी अजीज नहीं?

इंसानों ने अपनी खुशियों के बीच इतनी दीवारें क्यों खड़ी कर ली हैं? अपनों की खुशी इन दीवारों के आगे माने नहीं रखती? राधा जोया को इतने अपशब्द क्यों कह रही हैं? ऐसा क्या किया उस ने?

यश अपने बैडरूम की तरफ बढ़ गया तो मैं झट उठ कर उस के पीछे चल दिया. वह बैड पर औंधेमुंह पड़ गया. मैं ने उस के पैर चाटे. अपना मुंह उस के पैरों पर रख कर उसे तसल्ली दी. वह मुझे अपनी गोद में उठा कर वापस अपने पास लिटा कर एक हाथ अपनी आंखों पर रख कर सिसक उठा तो मुझे भी रोना आ गया. यश को तो मैं ने आज तक रोते देखा ही नहीं था. ये कैसी मां हैं? इतने में शेखर यश के पास आ कर बैठ गए.

यश के सिर पर हाथ फेरते हुए बोले,  ‘‘बेटा, तुम्हारी मां जोया को किसी सूरत में स्वीकार नहीं करेंगी.’’

‘‘और मैं उस के सिवा किसी और से विवाह नहीं करूंगा, पापा.’’

घर का माहौल अजीब हो गया था. अगले कई दिन घर का माहौल बेहद तनावपूर्ण रहा. राधा और यश दोनों अपनी बात पर अड़े थे. शेखर कभी राधा को समझा रहे थे, कभी यश को. यश कभी घर में खाता, कभी बाहर से खा कर आता और चुपचाप अपने कमरे में बंद हो जाता. वह जोया से तो बाहर मिलता ही था, मुझे तो जोया के परफ्यूम की खुशबू अकसर यश के पास से आ ही जाती थी.

मैं ने जोया को बहुत दिनों से नहीं देखा था. मुझे जोया की याद आती थी. यश का उदास चेहरा देख कर भी राधा का हठ कम नहीं हो रहा था और मेरा यश तो मुझे आजकल बिलकुल रूठारूठा फिल्मी हीरो लगता था.

एक दिन राधा यश के पास आईं, टेबल पर एक लिफाफा रखती हुई बोलीं, ‘‘यह रही ज्योति की फोटो. एक बार देख लो, खूब धनी व समृद्ध परिवार है.  ज्योति परिवार की इकलौती वारिस है. तुम्हारा जीवन बन जाएगा और एक बात कान खोल कर सुन लो, यह इश्क का भूत जल्दी उतार लो, वरना मैं अन्नजल त्याग दूंगी.’’

मैं ने मन ही मन कहा, झूठी. आप तो भूखी रह ही नहीं सकतीं. व्रत में भी आप का मुंह पूरा दिन चलता है. मेरे यश को झूठी धमकियां दे रही हैं राधारानी. झूठी बातें कर के यश को परेशान कर रही हैं, बेचारा फंस न जाए. अन्नजल त्यागने की धमकी से सचमुच यश का मुंह उतर गया.

अब मैं कैसे बताऊं कि यश, इस धमकी से डरना मत, तुम्हारी मां कभी भूखी नहीं रह सकतीं. जोया को न छोड़ना, तुम दोनों साथ बहुत खुश रहोगे. पिछली बार जो मेरे फेवरेट पौपकौर्न तुम मेरे लिए लाए थे, आधे तो राधारानी ने ही खा लिए थे. 4 अपने मुंह में डाल रही थीं तो एक मेरे लिए जमीन पर रख रही थीं. एक बार भी नहीं सोचा कि मेरे फेवरेट पौपकौर्न हैं और तुम मेरे लिए लाए थे. तुम ने जोया के साथ मूवी देखते हुए खरीदे थे और आ कर झूठ बोला था कि एक दोस्त के साथ मूवी देख कर आए हो. हां, ठीक है, ऐसी मां से झूठ बोलना ही पड़ जाता है. गपड़गपड़ सारे पौपकौर्न खा गई थीं राधारानी. ये कभी भूखी नहीं रहतीं, तुम डरना मत, यश.

फोटो पटक कर राधा शेखर के साथ कहीं बाहर चली गई थीं. यश सिर पकड़ कर बैठ गया था. मैं तुरंत उस के पैरों के पास जा कर बैठ गया. इतने दिनों से घर में तूफान आया हुआ था. यश के साथ मैं भी थक चुका था. मैं ने उसे कभी अपने मातापिता से ऊंची आवाज में बात करते हुए भी नहीं सुना था. उसे अपनी पसंद की जीवनसंगिनी की इच्छा का अधिकार क्यों नहीं है? इंसानों में यह भेदभाव करता कौन है और क्यों? क्यों एक इंसान दूसरे इंसान से इतनी नफरत करता है? मेरा मन हुआ, काश, मैं बोल सकता तो यश से कहता, ‘दोस्त, यह तुम्हारा जीवन है, बेकार की बहस छोड़ कर अपनी पसंद का विवाह तुम्हारा अधिकार है. राधारानी ज्यादा दिनों तक बेटे से नाराज थोड़े ही रहेंगी. तुम ले आओ जोया को अपनी दुलहन बना कर. जोया को जाननेसमझने के बाद वे तुम्हारी पसंद की प्रशंसा ही करेंगी.’ यश मुझे प्यार करने लगा तो मैं  भी उस से चिपट गया.

मैं बेचैन सा हुआ तो यश ने कहा, ‘‘लिओ, क्या करूं? प्लीज हैल्प मी. बताओ, दोस्त. मां की पसंद देखनी है? मुझे भी पता है तुम्हें भी जोया पसंद है, है न?’’

मैं ने खूब जोरजोर से अपनी पूंछ हिला कर ‘हां’ में जवाब दिया. वह भी समझ गया. हम दोनों तो पक्के दोस्त हैं न. एकदूसरे की सारी बातें समझते हैं, फिर उसे पता नहीं क्या सूझा, बोला, ‘‘आओ, तुम्हें मां की पसंद दिखाता हूं.’’

यश ने मेरे आगे उस लड़की की फोटो की. मुझे धक्का लगा, मेरे हीरो जैसे हैंडसम दोस्त के लिए यह भीमकाय लड़की. पैसे व जाति के लिए राधारानी इसे बहू बना लेंगी. छिछि, लालची हैं ये. यश को भी झटका लगा था. वह चुपचाप अपनी हथेलियों में सिर रख कर बैठ गया. उस की आंखों की कोरों से नमी सी बह गई. मैं ने उस के घुटनों पर अपना सिर रख कर उसे प्यार किया. मुंह से कुछ आवाज भी निकाली. वह थके से स्वर में बोला.

‘‘लिओ, देखा? मां कितनी गलत जिद कर रही हैं. बताओ दोस्त, क्या करना चाहिए अब?’’

मेरा दोस्त, मेरा यार मुझ से पूछ रहा था तो मुझे बताना ही था. राधारानी को पता नहीं आजकल के घर के दमघोंटू माहौल में चैन आ रहा था, यह तो वही जानें. यश की उदासी मुझे जरा भी सहन नहीं हो रही थी. मेरा दोस्त अब मुझ से पूछ रहा था तो मुझे तो अपनी राय देनी ही थी. क्या करूं, क्या करूं, ऐसे समय न बोल पाना बहुत अखरता है. मैं ने झट न आव देखा न ताव, उस फोटो को मुंह में डाला और चबा कर जमीन पर रख दिया. यश को तो यह दृश्य देख हंसी का दौरा पड़ गया. मैं भी हंस दिया, खूब पूंछ हिलाई. दोनों पैरों पर खड़ा भी हो गया. यश तो हंसतेहंसते जमीन पर लेट गया था. मैं भी उस से चिपट गया. हम दोनों जमीन पर लेटेलेटे खूब मस्ती करने लगे थे.

अब यश की हंसी नहीं रूक रही थी. मैं भांप गया था, अब यश जोया से दूर नहीं होगा. वह फैसला ले चुका था और मैं इस फैसले से बहुत खुश था. मुझ पर अपना हाथ रखते हुए यश कह रहा था, ‘‘ओह लिओ, आई लव यू.’’

‘मी टू,’ मैं ने भी उस का हाथ चाट कर जवाब सा दिया था.

बदला: सुगंधा ने कैसे लिया रमेश से बदला

‘‘सुगंधा, तुम बहुत खूबसूरत हो. तुम्हारी खूबसूरती पर मैं एक क्या कई जन्म कुरबान कर सकता हूं.’’ ‘‘चलो हटो, तुम बड़े वो हो. कुछ ही मुलाकातों में मसका लगाना शुरू कर दिया. मुझे तुम्हारी कुरबानी नहीं, बल्कि प्यार चाहिए,’’ फिर अदा से शरमाते हुए सुगंधा ने रमेश के सीने पर अपना सिर टिका दिया.

रमेश ने सुगंधा के बालों में अपनी उंगलियां उलझा दीं और उस के गालों को सहलाते हुए बोला, ‘‘सुगंधा, मैं जल्दी ही तुम से शादी करूंगा. फिर अपना घर होगा, अपने बच्चे होंगे…’’ ‘‘रमेश, तुम शादी के वादे से मुकर तो नहीं जाओगे?’’

‘‘सुगंधा, तुम कैसी बात करती हो? क्या तुम को मुझ पर भरोसा नहीं?’’ सुगंधा रमेश की बांहों व बातों में इस कदर डूब गई कि रमेश का हाथ कब उस के नाजुक अंगों तक पहुंच गया, उस को पता ही नहीं चला. फिर यह सोच कर कि अब रमेश से उस की शादी होगी ही, इसलिए उस ने रमेश की हरकतों का विरोध नहीं किया.

दोनों की मुलाकातें बढ़ती गईं और हर मुलाकात के साथ जीनेमरने की कसमें खाई जाती रहीं. रमेश ने शादी का वादा कर के सुगंधा के साथ जिस्मानी संबंध बना लिया और फिर अकसर दोनों होटलों में मिलते और जिस्म की भूख मिटाते. इस तरह दोनों जब चाहते जवानी का मजा लूटते.

रमेश इलाहाबाद के पास के एक गांव का रहने वाला था. उस के परिवार में मातापिता और एक छोटा भाई दिनेश था. छोटे से परिवार में सभी अपनेअपने कामों में लगे हुए थे. पिताजी पोस्टमास्टर के पद से रिटायर हो कर अब घर पर ही रह कर खेतीबारी का काम देखने लगे थे. छोटा भाई दिनेश दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमए कर रहा था.

लखनऊ में एक विदेशी फर्म में कैशियर के पद पर काम करने की वजह से रमेश लखनऊ में एक फ्लैट ले कर रह रहा था. चूंकि घरपरिवार ठीक था और नौकरी भी अच्छी थी, इसलिए उस की शादी भी हो गई थी. बीवी को वह साथ नहीं रखता था, क्योंकि मां से घर का काम नहीं होता था. रमेश जिस फर्म में काम करता था, उसी फर्म में सुगंधा क्लर्क के पद पर काम करने आई थी.

सुगंधा को देखते ही रमेश उस पर मोहित हो गया और डोरे डालना शुरू कर दिया. रमेश की शराफत, पद और हैसियत देख कर सुगंधा भी उसे पसंद करने लगी. रमेश ने सुगंधा को बताया कि वह कुंआरा है और उस से शादी करना चाहता है. अब चूंकि रमेश ने उस से शादी का वादा किया, तो वह पूरी तरह उस की बातों में ही नहीं, आगोश में भी आ गई.

समय सरकता गया. रमेश सुगंधा की देह में इस कदर डूब गया कि घर भी कम जाने लगा. वह घर वालों को पैसा भेज देता और चिट्ठी में छुट्टी न मिलने का बहाना लिख देता था. एक दिन पार्क में जब वे दोनों मिले, तो सुगंधा ने रमेश से कहा, ‘‘रमेश, अब हमें शादी कर लेनी चाहिए. अभी तक आप ने मुझे अपने घर वालों से भी नहीं मिलाया है. मुझे जल्दी ही अपने मातापिता से मिलवाइए और उन्हें शादी के बारे में बता दीजिए.’’

रमेश सुगंधा को आगोश में लेते हुए बोला, ‘‘अरी मेरी सुग्गो, अभी शादी की जल्दी क्या है? शादी भी कर लेंगे, कहीं भागे तो जा नहीं रहे हैं?’’ ‘‘नहीं, मुझे शादी की जल्दी है. रमेश, अब मुझे अकेलापन अच्छा नहीं लगता है,’’ सुगंधा ने कहा.

‘‘ठीक है, कल शाम को मेरे कमरे पर आ जाना. वहीं शादी के बारे में बात करेंगे,’’ रमेश ने सुगंधा के नाजुक अंगों से खेलते हुए कहा. ‘‘मैं शाम को 8 बजे आप के कमरे पर आऊंगी,’’ रमेश ने सुगंधा के होंठों का एक चुंबन ले कर उस से विदा ली.

रमेश ने अभी तक शादी का वादा कर सुगंधा के साथ खूब मौजमस्ती की, लेकिन उस की शादी की जिद से उसे डर लगने लगा था. सच तो यह था कि वह सुगंधा से छुटकारा पाना चाहता था, क्योंकि एक तो सुगंधा से उस का मन भर गया था. दूसरे, वह उस से शादी नहीं कर सकता था. शाम को 8 बजने वाले थे कि रमेश के कमरे पर सुगंधा ने दस्तक दी. रमेश ने समझ लिया कि सुगंधा आ गई है. उस ने दरवाजा खोला और उसे बैडरूम में

ले गया. ‘‘हां, अब बताओ सुगंधा, तुम्हें शादी की क्यों जल्दी है? अभी कुछ दिन और मौजमस्ती से रहें, फिर शादी करेंगे,’’ रमेश ने उसे सीने से चिपकाते हुए कहा.

‘‘नहीं, जल्दी है. उस की कुछ वजहें हैं.’’

‘‘क्या वजहें हैं?’’ रमेश ने चौंकते हुए पूछा. तभी बाहर दरवाजे पर हुई दस्तक से दोनों चौंके. रमेश सुगंधा को छोड़ कर दरवाजा खोलने के लिए चला गया. सुगंधा घबरा कर एक तरफ दुबक कर बैठ गई.

इतने में रमेश को धकेलते हुए 3 लोग बैडरूम में आ गए.

‘‘अरे, तू तो कहता था कि यहां अकेले रहता?है. ये क्या तेरी बीवी है या बहन,’’ उन में से एक पहलवान जैसे शख्स ने कहा. ‘‘देखो, जबान संभाल कर बात करो,’’ रमेश ने कहा.

तभी एक ने रमेश के गाल पर जोर का थप्पड़ मारा और उसे जबरदस्ती कुरसी पर बैठा कर बांध दिया. तीनों सुगंधा की ओर बढ़े और उसे बैड पर पटक दिया. सुगंधा चीखतीचिल्लाती रही. उन से हाथ जोड़ती रही, पर उन्होंने एक न सुनी और बारीबारी से तीनों ने उस के साथ बलात्कार किया. उधर रमेश कुरसी से बंधा कसमसाता रहा.

जब सुगंधा को होश आया, तो वह लुट चुकी थी. उस का अंगअंग दुख रहा था. वह रोने लगी. रमेश उसे हिम्मत बंधाता रहा. फिर सुगंधा के आंसू पोंछते हुए रमेश ने कहा, ‘‘सुगंधा, इस को हादसा समझ कर भूल जाओ. हम जल्दी ही शादी कर लेंगे, जिस से यह कलंक मिट जाएगा.’’

सुगंधा उठी और अपने घर चली गई. वह एक हफ्ता की छुट्टी ले कर कमरे पर ही रही और भविष्य के बारे में सोच कर परेशान होती रही थी, लेकिन रमेश द्वारा शादी का वादा उसे कुछ राहत दे रहा था. सुगंधा हफ्तेभर बाद रमेश से मिली, तब बोली कि अब वह जल्द ही उस से शादी कर ले, क्योंकि वह बहुत परेशान है और वह उस के बच्चे की मां बनने वाली है.

‘‘क्या कहा तुम ने? तुम मेरे बच्चे की मां बनने वाली हो? सुगंधा, तुम होश में तो हो. अब तो यह तुम मुझ पर लांछन लगा रही हो. मालूम नहीं, यह मेरा बच्चा है या किसी और का,’’ रमेश ने हिकारत भरी नजरों से देखते हुए कहा. ‘‘नहींनहीं रमेश, ऐसा मत कहो. यह तुम्हारा ही बच्चा है. हादसे वाले दिन मैं तुम से यही बात बताने वाली थी,’’ सुगंधा ने कहा, पर रमेश ने धक्का दे कर उसे निकाल दिया.

सुगंधा जिंदगी के बोझ से परेशान हो उठी. जब लोगों को मालूम होगा कि वह बगैर शादी के मां बनने वाली है, तो लोग उसे जीने नहीं देंगे. अब वह जान दे देगी. अचानक रमेश का चेहरा उस के दिमाग में कौंधा, ‘धोखेबाज ने आखिर अपना असली रूप दिखा ही दिया.’

एक दिन जब सुगंधा बाजार जा रही थी, तो देखा कि रमेश किसी से बातें कर रहा था. उस आदमी का डीलडौल उसे कुछ पहचाना सा लगा. सुगंधा ने छिपते हुए नजदीक जा कर देखा, तो रमेश जिन लोगों से हंस कर बातें कर रहा था, वे वही लोग थे, जिन्होंने उस रात उस के साथ बलात्कार किया था.

अब सुगंधा रमेश की साजिश समझ गई थी. उस ने मन में ठान लिया कि अब वह मरेगी नहीं, बल्कि रमेश जैसे भेडि़ए से बदला लेगी. रमेश से बदला लेने की ठान लेने के बाद सुगंधा ने पहले परिवार के बारे में पता लगाया. जब मालूम हुआ कि रमेश शादीशुदा है, तो वह और भी जलभुन गई. उसे पता चला कि उस का छोटा भाई दिनेश दिल्ली में पढ़ाई कर रहा था. उस ने लखनऊ की नौकरी छोड़ दी.

दिल्ली जा कर सब से पहले सुगंधा ने अपना पेट गिराया, फिर उस ने वहीं एक कमरा किराए पर ले लिया, जहां दिनेश रहता था. धीरेधीरे उस ने दिनेश पर डोरे डालना शुरू किया. दिनेश को जब सुगंधा ने पूरी तरह अपने जाल में फांस लिया, तब उस ने दिनेश को शादी के लिए उकसाया. उस ने शादी की रजामंदी दे दी.

दिनेश ने रेलवे परीक्षा में अंतिम रूप से कामयाबी पा ली. अब वह अपनी मरजी का मालिक हो गया. उस ने सुगंधा से शादी के लिए अपने मातापिता को लिख दिया. लड़का अपने पैरों पर खड़ा हो गया है, इसलिए उन्होंने भी शादी की इजाजत दे दी. सुगंधा ने भी शर्त रखी कि शादी कोर्ट में ही करेगी. दिनेश को कोई एतराज नहीं हुआ.

जब दिनेश ने अपने मातापिता को लिखा कि उस ने कोर्ट में शादी कर ली है, तो उन्हें इस बात का मलाल जरूर हुआ कि घर में शादी हुई होती, तो बात ही कुछ और थी. अब जो होना था हो गया. उन्होंने गृहभोज के मौके पर दोनों को घर बुलाया. पूरा घर सजा था. बहुत से मेहमान, दोस्त, सगेसंबंधी इकट्ठा थे. रमेश भी उस मौके पर अपने दोस्तों के साथ आया था. दुलहन घूंघट में लाई गई.

मुंह दिखाई के समय रमेश और उस के दोस्त उपहार ले कर पहुंचे. रमेश ने जब दुलहन के रूप में सुगंधा को देखा, तो उस के पैरों के नीचे की जमीन ही खिसक गई. रमेश और उस के दोस्त जिन्होंने सुगंधा के साथ बलात्कार किया था, सब का चेहरा शर्म से झुक गया. इस तरह सुगंधा ने अपना बदला लिया.

मेरी एक फेसबुक फ्रैंड से गहरी दोस्ती हो गई है और मैं उस से बात किए बिना नहीं रह सकती, मैं क्या करूं?

सवाल-

32 वर्षीय विवाहित महिला हूं. 2 बच्चों की मां हूं. 11 साल हो गए शादी को. शुरुआत में सब ठीक नहीं रहा. सास बहुत प्रताडि़त करती थीं. झगड़े में पति ने कई बार हाथ भी उठाया. इन सब से अलग मेरी एक फेसबुक फ्रैंड से गहरी दोस्ती हो गई. हम लोग अलगअलग शहर में रहते हैं, बावजूद उस के मेरी लगातार चैटिंग और बातचीत होती रहती है.

उस से मेरी एक बार भी मुलाकात नहीं हुई पर हम आपस में बगैर बातचीत किए नहीं रह सकते. उस को कई बार ब्लौक भी किया पर फिर पहले जैसी स्थिति हो जाती है. कभीकभी मन कचोटता है कि पति से चीटिंग क्यों कर रही हूं? बताएं मैं क्या करूं?

जवाब-

आप किसी तरह के गिल्ट के चक्कर में न रहें. आप कोई गलत काम नहीं कर रही हैं. जब तक आप को मानसिक सुख घर में नहीं मिल रहा आप सुकून पाने के लिए फेसबुक फ्रैंड का सहारा ले रही हैं चाहे वह पुरुष हो या स्त्री, गलत नहीं है. नैतिकता के चक्कर में पड़ कर अपना मन खराब न करें. हां, एकदूसरे से मिलना हो तो उस से पहले 2 बार सोच लें कि जोखिम लेने लायक है या नहीं.

KISS को न करें मिस, होगें ये 9 फायदे

भारत में किस सिर्फ रील लाइफ में ही देखने को मिलता है, रियल लाइफ में नहीं. इस किस सीन को परदे पर देख कर हम खुश तो होते हैं, लेकिन जब इस पर अमल की बात आती है तो खुलेपन की बात तो छोडि़ए, बैडरूम में भी ज्यादातर दंपती एकदूसरे को सपोर्ट नहीं करते हैं. जबकि किस पर हुए कई सर्वे बता चुके हैं कि इस से कोई नुकसान नहीं, बल्कि फायदा ही होता है.

कई महिलाएं और पुरुष अकसर यह बहाने बनाते देखे जा सकते हैं कि सुनो न, आज मन नहीं है बहुत थक गया हूं/गई हूं. कल करेंगे प्लीज. जब आप अपने पार्टनर के साथ चंद प्यार भरे लमहे गुजारना चाहें और ऐसे में आप का पार्टनर कल कह कर बात टाल दे तो आप को बुरा लगना स्वाभाविक है. लेकिन क्या आप ने कभी यह सोचा है कि ऐसा कह कर आप अपना रिश्ता तो खराब नहीं कर रहे हैं? अगर ऐसा है तो सावधान हो जाएं. बहुत से ऐसे शादीशुदा जोड़े हैं, जो एकदूसरे की फीलिंग्स को इसी तरह हर्ट कर अपना रिश्ता बिगाड़ लेते हैं. सभी को प्यार को ऐक्सप्रैस करने का हक है. ऐसे में पार्टनर जब इस तरह से संबंध को रोकेगाटोकेगा तो इस से न सिर्फ आप का रिश्ता प्रभावित होगा वरन मन में भी खटास आएगी. इतना ही नहीं, ऐसा करना आप के शारीरिक व मानसिक संतुलन पर भी बुरा असर डालेगा. आप को मालूम होना चाहिए कि किस थेरैपी दे कर आप का पार्टनर पल भर में आप की सारी थकान को गायब कर सकता है. इसलिए इसे मना करने से पहले थोड़ा सोच लें. आइए, अब जानें किस की खूबियों को:

रिश्ता मजबूत बनाता है किस:

यह तो हम सभी जानते हैं कि लिपलौक करने से रिश्ता अधिक मजबूत बनता है. एकदूसरे के साथ लिपलौक करने से एकदूसरे के प्रति ऐक्स्ट्रा प्यार का एहसास मिलता है. ऐसा लगता है कि मेरा पार्टनर मुझ से बेहद प्यार करता है. किस करने से औक्सीटौसिन हारमोन बनता है, जो रिश्तों को ज्यादा मजबूत बनाता है.

सैक्सुअल प्लैजर को बढ़ाता है:

सैक्स करने से जहां दिनभर की थकान या किसी भी तरह का तनाव तो कम होता ही है, आप का रिश्ता भी ज्यादा स्ट्रौंग बनता है. लेकिन किसी भी किस के बिना आप की सैक्स ड्राइव अधूरी रहती है. सैक्स से पहले किस आप का सैक्सुअल प्लैजर बढ़ाता है. आसान शब्दों में कहें तो सैक्स करने से पहले अपने पार्टनर के साथ एक किस सैशन जरूर करें. ऐसा करना आप के प्लैजर को न सिर्फ बढ़ावा देगा, बल्कि आप के पार्टनर को भी पूरी तरह से संतुष्ट करेगा.

स्पिट स्वैपिंग भगाए बीमारी:

चुंबन करते समय जब तक स्पिट स्वैपिंग न हो तब तक किस करना बेमानी सा है. किस या लिपलौक करते समय अपने पार्टनर के साथ बेझिझक हो पूरा मजा लें और स्पिट यानी थूक आने पर पोंछें नहीं, बल्कि उस की स्वैपिंग करें, क्योंकि यह कई संक्रमणों को दूर करता है. सैक्स के दौरान किए जाने वाले किस से इम्यूनिटी भी बढ़ती है.

मिलती हैं जहां की खुशियां:

एकदूसरे को बारबार किस करने से पार्टनर की आप के प्रति सैक्स के प्रति इच्छा कितनी है, का भी पता चलता है. ज्यादातर केसेज में अधिकतर महिलाएं सैक्स के प्रति बड़ी रिजर्व रहती हैं. वे पार्टनर क्या सोचेगा सोच कर सैक्स में खुल कर सपोर्ट नहीं कर पातीं. ऐसा करना न सिर्फ आप को सैक्स के प्रति रूखा दिखाएगा, बल्कि आप के पार्टनर को भी जिस्मानी तौर पर संतुष्ट नहीं कराएगा. किस करते वक्त एंडोफिंस नाम का तत्त्व निकलता है जो आप को खुश रखने में मदद करता है. अगर आप टैंशन में हैं या गहन सोचविचार में तो पार्टनर को किस करना आप के लिए दवा का काम करेगा.

दवा का काम करे किसिंग सैशन:

हौट किसिंग सैशन के दौरान आप का शरीर एक ऐड्रेनलीन हारमोन रिलीज करता है, जो किसी भी तरह के दर्द को कम करने में मददगार होता है. अब दर्द को कम करने के लिए भी आप यह सैशन कई बार ट्राई कर सकते हैं. अगर आप के सिर में दर्द है तो लिपलौक जरूर ट्राई करें और इस का असर देखें और फिर इस का कोई साइड इफैक्ट भी नहीं होता है.

तनाव भगाए किस:

दिन के ढलतेढलते इंसान भी काफी थकाथका सा महसूस करने लगता है, इसलिए सिर्फ अपने काम का दबाव या अपने हारमोनल बदलावों को ब्लेम करना गलत होगा. थके होने पर आप घर जा कर बस अपने पार्टनर के साथ एक किस थेरैपी लीजिए. यकीन मानिए, आप की थकान पलक झपकते छूमंतर हो जाएगी और आप फ्रैश महसूस करेंगे. दरअसल, किसिंग करने से कार्टिसोल नामक हारमोन लैवल कम होता है और आप के इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है. एंडोक्राइन सिस्टम से दिमाग भी स्वस्थ रहता है.

ऐक्स्ट्रा कैलोरीज करता है कम:

अपनी हैल्थ के प्रति सचेत लोग अपनी अति कैलोरी को कम करने के लिए या तो ट्रेडमिल पर रनिंग करते हैं या फिर डाइट पार्ट फौलो करते हैं. अगर आप कभी जिम जाना भूल जाएं या पार्टी का मौका देख डाइट चार्ट को एक दिन के लिए फौलो न कर पाएं तब भी आप अपने पार्टनर के साथ किसिंग सैशन कर के अपनी कैलोरी बर्न कर सकते हैं. जी हां, जितनी कैलोरी आप की जिम सैशन में कम नहीं होगी उतनी आप की किसिंग सैशन में हो जाएगी. इतना ही नहीं, कैलोरी बर्न करने के अलावा किस करने से आप के चेहरे की भी ऐक्सरसाइज होती है. किस आप की स्किन मसल्स को भी टाइट करता है, जिस से आप दिखेंगे जवांजवां.

ऐलर्जी से छुटकारा:

किस न सिर्फ तनावग्रस्त लोगों को सहज करता है, बल्कि कई बार ऐलर्जी जैसे खुजली आदि होने को भी दूर करता है.

डैंटिस्ट को भी रखे दूर:

किस मुंह, दांतों और मसूड़ों की बीमारी से भी आप को दूर रखता है. मुंह में लार कम बने तो भी किसिंग फायदेमंद हो सकता है.

एक बहन की चिट्ठी शहीद भाई के नाम

हमारे प्रिय भैया,

आप मेरी चिट्ठी की बड़ी बेताबी से राह देखा करते हैं, यह मुझे मालूम है, क्योंकि लौटने पर आप ने खुद कहा था, ‘इस बार मेरे दोस्तों ने जब तक मुझ से पार्टी नहीं ले ली, मुझे तेरी राखी नहीं दी.’

उस नादान उम्र में भी मैं सोचा करती थी कि इस एक राखी ने भैया का कितना खर्च करवा दिया. पर, मैं जानती थी कि राखी बंधवाने की खुशी में आप कितने चहक उठते हैं.

जब आप यहां होते थे, तो राखियां और तोहफे भी आप ही ले आते थे. आप के चेहरे पर खिलखिलाती खुशी उस वक्त मेरी समझ से परे थी, पर आज उन्हीं पलों की याद में आंखों से आंसू निकल पड़ते हैं.

आप कुछ दिनों की छुट्टी लेकर आए थे. आप ने जिद की थी, ‘चल, तेरी राखी की नई ड्रैस ले लें.’

तब मैं ने कहा था, ‘भैया, आप लौट आइए, फिर दिलवा देना.’

आप को पुलिस कमांडो की पोस्ट के लिए अकोला का ट्रांसफर और्डर मिल चुका था. हम बहुत खुश थे कि बस कुछ ही दिनों में आप फिर से हमारे साथ होंगे.

भैया, आप का चुलबुला स्वभाव सारे घर को हिला देता था. आप के आने पर सारा घर खुशी से झूम उठता था. आप ने कई पुरस्कार जीते थे. आप की दमदार आवाज में वह रचना तो मेरे दिलोदिमाग में बस सी गई है, जिस पर तालियों की आवाज गूंज उठी थी, ‘तन समर्पित, मन समर्पित, जीवन का कणकण समर्पित, चाहता हूं देश की धरती, तुझे कुछ और भी दूं…’

देश पर कुरबान होने की चाह कई बार आप के मुंह से निकल जाया करती थी और आप की वह चाह पूरी भी हुई.

हम उन 13 दिनों का इंतजार कर रहे थे, जब आप लौट कर आने वाले थे. यही सोच कर मैं ने आप को चिट्ठी भी नहीं लिखी कि आप आने वाले ही तो हैं. पूरे घर में आप का पलपल इंतजार हो रहा था. आप के लौट आने में सिर्फ 2-3 दिन बाकी थे.

उस दिन सुबहसुबह आप के छोटे भाई घर आए और अब्बू की गोद में सिर रख कर रोने लगे. हमें लगा कि आप के घर पर कुछ हुआ है, शायद आप की मां या बाबूजी… पर, उन की भर्राई आवाज निकली, ‘राजू अब इस दुनिया में नहीं रहा,’ कानों पर यकीन नहीं हो रहा था, पर वे रोतेरोते कहे जा रहे थे.

गढ़चिरोली के अहेरी में पुलिस चौकी के उद्घाटन के लिए जाते समय सुरंग लगा कर नक्सलवादियों ने आप के ग्रुप की 3 जीपों को उड़ा दिया था, जिन में शहीद हुए 7-8 जवानों में से एक आप भी थे.

भैया, मैं तो आप की धर्म बहन हूं, आप के दोस्त की बहन. जब इन 20-22 सालों में हम आप को नहीं भुला पाए, तो सोचिए कि आप के बिना आप के मांबाबूजी की क्या हालत रही होगी? फर्ज की सूली पर चढ़ कर आप की आरजू पूरी हो गई… लेकिन, आप के साथ जीने की हमारी आरजू का क्या?

भैया, हमें नाज है कि आप ने अपने वतन की खातिर अपनी जान कुरबान की. उन लोगों को कौन समझए, जो इस तरह किसी की जान से भी प्यारों को बिना किसी गुनाह के अपनों से दूर कर देते हैं? क्यों उन्हें एहसास नहीं होता कि किसी अपने के चले जाने के बाद उस के परिवार वालों की हालत क्या होती होगी?

सच कहती हूं भैया, याद आप की बहुत आती है. छलक पड़ते हैं आंखों से आंसू, जब कोई बात आप की याद आती है.

आप की बहन,

अर्जिन.

साली बनी घरवाली : क्या बहन का घर उजाड़ पाई आफरीन

आफरीन बहुत ही मजाकिया और चंचल लड़की थी. उस का जीजा अरमान जब भी अपनी बीवी राबिया के साथ ससुराल आता, तो आफरीन उन से ऐसेऐसे मजाक करती कि अरमान शर्म से पानीपानी हो जाता था.

राबिया की शादी 2 महीने पहले अरमान से हुई थी. अरमान एक सौफ्टवेयर कंपनी में काम करता था और अच्छाखासा कमा लेता था. साथ ही, अरमान देखने में भी लंबाचौड़ा और काफी हैंडसम था, जिसे पा कर राबिया बहुत खुश थी.

राबिया एक सीधीसादी घरेलू लड़की थी. वह अपने शौहर के साथ प्यार करने तक में हिचकिचाती थी और बहुत ही सादगी भरी जिंदगी गुजारती थी. नोएडा जैसे शहर में रहने के बावजूद उस का रहनसहन बिलकुल गंवारों वाला था.

अरमान राबिया को देख कर यह तो समझ गया था कि वह सीधीसादी और शौहर की प्रति वफादार है, क्योंकि रात को बिस्तर पर जब वह उस के साथ होती थी, तो काफी शरमाती थी.

लेकिन, राबिया जितनी सीधीसादी थी, उस की छोटी बहन आफरीन उतनी ही चंचल और हंसमुख थी, जो अपने जीजा अरमान से काफी घुलीमिली रहती थी और मस्तीमजाक करती रहती थी. यही वजह थी कि अरमान का ससुराल में काफी दिल लगता था.

आफरीन मौडर्न खयाल के साथसाथ रंगीनमिजाज लड़की थी, जो अकसर टाइट जींस और कसी हुई टीशर्ट पहनती थी, जिस में छाती झांकती थी. यह देख कर अरमान मन ही मन रोमांचित हो उठता था.

ऐसा नहीं था कि अरमान को साली आफरीन से डर लगता था, वह तो बस उस मौके की तलाश में था, जो उसे अकेले में मिलना चाहिए था.

एक रात की बात है. राबिया और अरमान कमरे में लेटे हुए थे कि तभी आफरीन वहां आ गई और अपने जीजा से बोली, ‘‘मुझे भी आप के पास सोना है. मैं भी तो आप की साली हूं और साली आधी घरवाली होती है.’’

यह सुन कर अरमान शरमा गया और कुछ बोलने की हिम्मत नहीं जुटा पाया, क्योंकि पास में ही उस की बीवी राबिया लेटी थी.

राबिया आफरीन से बोली, ‘‘यह कैसा मजाक कर रही है तू. अपने शौहर के पास जा कर सोना, जब तेरी शादी हो जाए.’’

आफरीन ने कहा, ‘‘क्या बाजी, तुम तो जानती ही हो कि साली आधी घरवाली होती है. तुम तो अकसर इन के पास सोती हो, आज मुझे भी सोने दो. मेरा भी तो कुछ हक है अपने जीजा के पास सोने का.’’

राबिया उठते हुए बोली, ‘‘तू बहुत बातें बनाने लगी है. अभी अम्मी को बताती हूं.’’

आफरीन कमरे से भागते हुए बोली, ‘‘अरे बाजी, मैं तो जीजाजी से मजाक कर रही थी. देखा, इन की कैसे सिट्टीपिट्टी गुम हो गई और मेरे सोने की बात सुन कर पसीनापसीना हो गए.’’

राबिया अरमान की तरफ देख कर हंसते हुए बोली, ‘‘आप तो वाकई आफरीन के छोटे से मजाक से घबरा कर एकदम पसीनापसीना हो गए.’’

अरमान ने कहा, ‘‘नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है. दरअसल, वह मजाक इस ढंग से करती है कि सामने वाले के होश ही उड़ जाते हैं. मै तो उस की बातें सुन कर घबरा गया था कि वह तुम्हारे सामने कैसी जिद कर रही है.’’

राबिया ने कहा, ‘‘ दरअसल, वह है ही बड़ी नटखट. हंसीमजाक करने में बड़ी माहिर है.’’

एक रात की बात है. ठंड का महीना था. सब लोग गहरी नींद में सोए थे. अरमान खुद बड़ी मुश्किल से कंपकंपाता हुआ बाहर निकला था. उस ने जैसे ही आफरीन के कमरे में झांक कर देखा, तो आहट पा कर आफरीन तेज आवाज में बोली, ‘‘कौन है?’’

अरमान ने कहा, ‘‘कोई नहीं, मैं हूं. पानी पीने के लिए उठा था मैं. तुम्हारे कमरे की लाइट जली देखी, तो अंदर झांकने लगा.’’

‘‘अरे जीजू, आप भी बस. इतना शरमाते हो. लगता है, आप भी मेरी दीदी की तरह शरमीले हो. आओ बैठो. मैं आप को ऐसी फिल्म दिखाऊंगी कि आप के होश उड़ जाएंगे.’’

अरमान ने कहा, ‘‘नहीं बाबा. बहुत ठंड है. मैं तो अपने कमरे में जा रहा हूं.’’

आफरीन ने कहा, ‘‘तो मैं कोई आप को जमीन पर थोड़े ही बैठने को कह रही हूं, जो आप को ठंड लग जाएगी. आओ, कंबल में आ जाओ. ऐसी गरमी दूंगी कि आप पसीनापसीना हो जाएंगे और याद करेंगे कि किस से पाला पड़ा है.’’

अरमान ने धीमे से कहा, ‘‘नहीं, अगर कोई आ गया तो क्या कहेगा. मुझे डर लगता है.’’

‘‘अरे जीजू, आप भी बड़े डरपोक हो. ऐसी ठंड में कौन अपने बिस्तर से बाहर निकलने की हिम्मत करेगा. और राबिया बाजी तो एक बार सो गईं, तो सीधे सवेरे ही उठेंगी.

‘‘आओ न यार, कभी साली का भी खयाल कर लिया करो. वैसे भी साली आधी घरवाली होती है.’’

अरमान ने कहा, ‘‘नहीं, मैं चलता हूं. तुम आराम करो या फिल्म देखो.’’

आफरीन अपने बिस्तर से उठते हुए बोली, ‘‘आप भी पता नहीं कौन सी सदी में जी रहे हो. यह जिंदगी मजे लेने के लिए है. यों शरमाने से काम नहीं चलने वाला.’’

इस से पहले कि अरमान वहां से जाता, आफरीन ने उसे खींच लिया और अपने पास बैठाते हुए बोली, ‘‘एक ऐसी फिल्म दिखाती हूं, जो शायद आप ने कभी न देखी हो.’’

आफरीन ने अपने मोबाइल पर एक इंगलिश फिल्म चला दी और बोली, ‘‘जीजू, जब तक आप यह सब नहीं देखेंगे, तब तक आप की जिंदगी रंगीन नहीं बन सकती. देखो, इस में कैसे जिंदगी के मजे लिए जाते हैं.’’

अरमान ने फिल्म में चल रहे पोर्न सीन को देख कर कहा, ‘‘तुम भी क्या बकवास देखती हो? तुम्हें शर्म नहीं आती…’’

आफरीन ने अदा दिखाते हुए कहा, ‘‘मेरे साथ रहोगे तो आप भी शर्म नहीं करोगे, बल्कि खुशगवार जिंदगी जिओगे.’’

इतनी देर में मोबाइल में चल रही फिल्म के सैक्सी सीन देख कर अरमान के बदन में मानो आग लगने लगी.

आफरीन ने मामला भांपते हुए कंबल के अंदर अरमान का हाथ पकड़ लिया और कहा, ‘‘क्या जीजू, कुछ गरमी आई या अभी तक ठंडे पड़े हो…’’

अरमान समझ चुका था कि आज की रात उस की जिंदगी की रंगीन रात बनने वाली है.

आफरीन अपने हाथों से अरमान के बदन में गरमी भर ही रही थी कि वह बेकाबू हो गया और उस ने आफरीन को भींच लिया.

आफरीन अरमान की इस हरकत से और ज्यादा रोमांटिक हो गई और अपनी टीशर्ट खुद ही उतारते हुए बोली, ‘‘आज की फिल्म हम खुद बनाएंगे,’’ कहते हुए उस ने मोबाइल एक तरफ रख दिया.

इस के बाद वे दोनों एकदूसरे के जिस्म को ऐसे चूम रहे थे, जैसा उन्होंने अभी कुछ देर पहले फिल्म में देखा था. दोनों एकदूसरे में समाने के लिए बेताब हो रहे थे. खूब मौजमस्ती के बाद दोनों संतुष्ट हो गए और एकदूसरे से अलग हो गए.

आफरीन बोली, ‘‘जीजू, आप ने तो कमाल ही कर दिया. मेरे रोमरोम को ऐसे भर दिया, जिस के लिए मैं कब से बेचैन थी. आप तो बड़े ही रोमांटिक निकले.’’

अरमान ने कहा, ‘‘तुम ने भी आज मुझे वह मजा दिया है, जो मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था.’’

आफरीन बोली, ‘‘लगता है कि आप दीदी से खुश नहीं हैं. दरअसल, दीदी बहुत सीधीसादी हैं. उन्हें क्या पता कि जिंदगी कैसे जी जाती है. आप मेरा साथ दोगे, तो मैं आप को वे खुशियां दूंगी, जो आप ने कभी सोची भी नहीं होंगी.’’

अरमान ने कहा, ‘‘तुम ने सही कहा. तुम्हारी दीदी में सैक्स को ले कर कोई फीलिंग है ही नहीं, वह तो बस नौर्मल ढंग से सैक्स करती है और जल्दी सो जाती है. उस के साथ रह कर मेरी जिंदगी बोर हो गई है.’’

आफरीन बोली, ‘‘आप चिंता न करें. जो खुशियां दीदी नहीं दे पाईं, वे साली देगी.’’

अब दोनों को जब भी मौका मिलता, वे एकदूसरे से खूब मजे लेते. कभी अरमान अपनी सुसराल आ कर आफरीन के जिस्म को भोगता, तो कभी आफरीन अपनी दीदी राबिया के घर जा कर अरमान के साथ मजे लेती.

धीरेधीरे वे एकदूसरे से प्यार कर बैठे और अब मियांबीवी बन कर जिंदगी गुजारना चाहते थे.

लेकिन, राबिया उन के रास्ते का रोड़ा बनी हुई थी, क्योंकि जब तक वह रास्ते से नहीं हटती, तब तक दोनों कानूनन एक नहीं हो सकते थे.

आफरीन और अरमान ने एक प्लान बनाया, जिस के तहत अरमान ने धीरेधीरे राबिया से लड़ाई झगड़े शुरू कर दिए. वह बातबात पर उसे ताने देता और कभीकभी उस पर हाथ भी उठा देता.

अरमान की इस हरकत से राबिया परेशान हो उठी और उस ने अपने अम्मीअब्बा से अरमान से अलग होने की बात कही.

राबिया के अम्मीअब्बा ने उन दोनों को बैठा कर समझाने की काफी कोशिश की, पर अरमान इस जिद पर अड़ गया कि वह एक गंवार और सीधीसादी औरत के साथ जिंदगी नहीं गुजार सकता. यह खुद तो मैलीकुचैली रहती है, साथ ही इस के अंदर वे जज्बात नहीं, जो एक शौहर को चाहिए. उस के आने से पहले सो जाती है और जब अरमान उस से अपनी ख्वाहिश जाहिर करता है, तो शरमाती है.

राबिया के अम्मीअब्बा सम?ा गए कि राबिया बहुत ही कम रोमांटिक है और वह अपने शौहर को वह जिस्मानी सुख नहीं दे पाती, जिस की उसे जरूरत है. लिहाजा, उन्होंने राबिया और अरमान के अलग होने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई और दोनों खुशीखुशी एकदूसरे से अलग हो गए.

अरमान अब नोएडा के अपने घर में रह रहा था. उस की चाल कामयाब हो चुकी थी. उसे राबिया से आसानी से छुटकारा मिल गया था.

आफरीन भी नौकरी करने के बहाने नोएडा पहुंच गई. दोनों ने वहां निकाह कर लिया और निकाह होते ही अरमान की साली आफरीन उस की घरवाली बन गई. दोनों एकसाथ रह कर जिंदगी के मजे लेने लगे.

इस शादी से अरमान भी बहुत खुश था, तो आफरीन भी कम खुश न थी. उसे उस का मनपसंद जीवनसाथी मिल चुका था, जो उस के साथ उस की मरजी के मुताबिक सैक्स करता और उसे पूरा मजा देता.

अरमान को भी आफरीन के रूप में अब एक ऐसी जीवनसाथी मिली, जो बिस्तर पर भी और जिंदगीभर उस का पूरा साथ देती और उस की हर जरूरत पूरा करने को हर समय तैयार रहती.

कुछ महीने बाद राबिया और उस के घर वालों को भी यह पता चल गया कि आफरीन ने अरमान से निकाह कर लिया है और वह उस के साथ उस के घर पर रह रही है और वे दोनों बहुत खुश हैं.

राबिया अब यह सोचने पर मजबूर हो गई थी कि इन दोनों ने मिल कर उस के खिलाफ साजिश रची, ताकि वे आपस में एकसाथ मिल कर रह सकें. उसे अफसोस था तो बस इतना कि उसी की बहन ने उस के शौहर को अपने हुस्न के जाल में फंसा कर अपना कब्जा जमा लिया और साली से उस की घरवाली बन गई.

शिष्टाचार : रिकशा वाले ने सिखाया सबक

लखविंदर प्लेटफार्म से बड़ी जल्दबाजी में निकलने की फिराक में था. वह तेजतेज कदमों से सीढि़यां उतरने लगा. प्लेटफार्म की आखिरी 2 सीढ़ियों से वह कुछ जल्दी में उतर जाना चाहता था. उस की टैक्सी स्टेशन के बाहर खड़ी थी. पता नहीं, ड्राइवर रुके या न रुके, आजकल सब को जल्दी है.

बेतरतीबी में अचानक से लखविंदर 2 सीढ़ियां एकसाथ उतर गया था और गिरतेगिरते बचा था. प्लेटफार्म की आखिरी सीढ़ी पर कोई सोया हुआ था.

लखविंदर अचानक से उस पर बरस पड़ा, ‘‘तुम लोगों को सोने के लिए और कोई जगह नहीं मिलती है क्या… यह स्टेशन तुम्हारे बाप का है क्या… आखिर सीढ़ियों के पास कौन सोता है.

‘‘तुम लोग शुरू से ही जाहिल और गंवार किस्म के लोग रहे हो. तुम्हें पता नहीं है कि मेरी टैक्सी बाहर खड़ी है और मैं तुम्हारी वजह से ही अभी गिरतेगिरते बचा हूं.’’

वह नौजवान अब उठ कर बैठ गया था. मैलेकुचैले कपड़ों में वह कोई मजदूर मालूम पड़ता था. सिरहाने रखे कंबल को तह कर के वह एक ओर रखते हुए बोला, ‘‘बाबूजी, दिनभर रिकशा खींचता हूं. प्लेटफार्म के किनारे इसलिए नहीं सोता कि लोग दिनभर बैग टांग कर इस प्लेटफार्म से उस प्लेटफार्म पर भागते रहते हैं और वहां आपाधापी मची रहती है.

‘‘खैर, हम गरीबों को नींद भी कहां आ पाती है. एक ट्रेन जाती नहीं कि दूसरी आ जाती है. वैसे, कायदे से जब हम किसी से टकराते हैं या किसी को गलती से हमारा पैर लग जाता है, तो हम सामने वाले को छू कर प्रणाम करते हैं. इस को शायद मैनर्स कहा जाता है. हिंदी में शिष्टाचार, लेकिन आपाधापी में हम शिष्टाचार भूलने लगे हैं…’’

वह नौजवान थोड़ा रुका, फिर बोला, ‘‘सौरी सर, मैं आप के रास्ते में आकर प्लेटफार्म पर सो गया था. बाबूजी, एक बात बोलूं… आदमी को खाना कम मिले, चल जाता है, लेकिन नींद पूरी मिलनी चाहिए. लेकिन देखिए, हमारी जिंदगी में नींद भी ठीक से नहीं मिल पाती है.

‘‘बाबूजी, आप को कहीं लगी तो नहीं न? पैर में कुछ मोचवोच तो नहीं आ गई? लाइए, मैं आप के टखने दबा देता हूं,’’ वह लड़का लखविंदर के पैर पकड़ कर दबाने लगा.

सचमुच 2 सीढ़ियों से एकसाथ उतरने से लखविंदर की एड़ी में मोच आ गई थी.

‘‘नहीं, ठीक है. रहने दो,’’ लखविंदर जल्दी में था. उस की टैक्सी जो छूटने वाली थी.

लखविंदर टैक्सी में बैठा, तो उसे उस नौजवान की बातें याद आने लगीं. आदमी आखिर है क्या? वक्त के हाथों की कठपुतली. बातचीत के लिहाज से वह लड़का बिहारी लग रहा था. यहां चडीगढ़ में वह रिकशा खींचता होगा. स्टेशन के बाहर जहां वह सोया हुआ था, उस से थोड़ी दूरी पर एक रिकशा खड़ा था.

लखविंदर याद करने लगा अपने पुराने दिन. वह भी तो चंडीगढ़ छोड़ कर चेन्नई चला गया था, अपने काम के सिलसिले में. वहीं स्टेशन के बाहर बस डिपो के पास उस की भी तो कई रातें ऐसे ही बीती थीं.

लखविंदर के पास तो उन दिनों खाने तक के पैसे नहीं होते थे. कई दिनों तक तो कई बस कंडक्टरों और ड्राइवरों ने उसे खाना खिलाया था. तब उन लोगों ने तो ऐसा बरताव उस के साथ नहीं किया था. उस ने उस रिकशे वाले को कितना सुनाया.

आखिर कौन परदेश में परदेशी नहीं है. अपनी जगह कोई जानबूझ कर तो नहीं छोड़ता है. सब पेट के चलते ही तो देशनिकाला हो जाते हैं, नहीं तो किस को अपना मुल्क छोड़ने का जी करता है.

आज सब जल्दबाजी में हैं, एकदूसरे को कुचल कर आगे बढ़ने की फिराक में हैं. सब को जल्दी है, भले ही वे दूसरों का हक छीन लें. बंद एसी कार में भी लखविंदर को पसीना आने लगा. उस ने खिड़की खोल ली.

ड्राइवर ने कार धीमी कर दी, फिर बैक मिरर से देखते हुए लखविंदर से पूछा ‘‘सर, आप ठीक तो हैं न?’’

लखविंदर ने कोई जवाब नहीं दिया.

‘‘सर, आप कार का शीशा बंद कर दीजिए. एसी काम नहीं करेगा.’’

लखविंदर फिर चुप रहा.

‘‘सर, क्या हुआ?’’

‘‘सुनो, कार को वापस स्टेशन की तरफ मोड़ लो,’’ लखविंदर ने कहा.

‘‘वापस क्यों सर?’’

‘‘बस, ऐसे ही.’’

‘‘सर, आप का घर अब मुश्किल से आधा किलोमीटर ही दूर है. रात बहुत हो गई है, सर. मेरे बच्चे मेरा घर पर इंतजार कर रहे हैं.’’

‘‘नहीं, तुम स्टेशन तक फिर से वापस चलो. एक जरूरी सामान… शायद अपना बैग मैं प्लेटफार्म 6 नंबर पर ही भूल गया हूं,’’ लखविंदर झूठ बोल गया.

‘‘ओह, लेकिन अब बैग मिलेगा नहीं, आप बेकार ही जा रहे हैं. स्टेशन पर छूटी हुई चीजें चोरी हो जाती हैं, कभी नहीं मिलतीं.’’

‘‘कोई बात नहीं, फिर भी चलो.’’

‘‘भाड़ा डबल लगेगा. बोलो, आप को मंजूर है?’’ ड्राइवर ने कहा.

‘‘मंजूर है,’’ लखविंदर बोला.

रास्तेभर लखविंदर यही सोचता रहा कि किसी तरह वह लड़का उसे उसी जगह फिर से मिल जाए.

रात और खाली सड़क होने की वजह से कार हवा से बातें कर रही थी. आधेपौने घंटे बाद लखविंदर फिर से चंडीगढ़ के उसी स्टेशन पर था.

लखविंदर की बेचैनी बहुत बढ़ गई थी. उसे पता नहीं ऐसा क्यों लग रहा था कि वह नौजवान, जिसे उस ने अपनी गलती की वजह से बहुत बुराभला कहा था, वह उस प्लेटफार्म पर नहीं मिलेगा.

लखविंदर 6 नंबर प्लेटफार्म पर था, लेकिन सचमुच में लखविंदर ने जैसा सोचा था, ठीक वैसा ही हुआ. लड़का उस प्लेटफार्म पर नहीं था, लेकिन लखविंदर भी बहुत ही आत्मविश्वासी था. वह बारीबारी से सभी प्लेटफार्म को अच्छी तरह चैक कर आया था, लेकिन लड़का नदारद था.

लखविंदर का दिल बैठ गया. वह वापस स्टेशन से बाहर निकलने को हुआ कि तभी रास्ते में उसी शक्लसूरत का एक शख्स उस से जा टकराया. यह वही लड़का था, जो 6 नंबर प्लेटफार्म के नीचे सब से आखिरी वाली सीढ़ी पर सोया था.

लखविंदर को संकोच हुआ. पता नहीं, यह वही शख्स है या कोई और है. इन कुलियों और रिकशे वाले की शक्ल भी तो एकजैसी दिखती हैं.

अपनी झिझिक को परे धकेलते हुए लखविंदर बोला, ‘‘भाई, तुम वही रिकशे वाले हो न, जिस को मेरे टखने से चोट लगी थी?’’

‘‘जी नहीं, मैं तो अभीअभी आया हूं,’’ वह नौजवान साफसाफ झूठ बोल गया. दरअसल, वह रिकशे वाला लखविंदर का इम्तिहान ले रहा था.

‘‘ओह, माफ करना भाई. आप की तरह का ही एक नौजवान रिकशे वाला था, जिसे पता नहीं मैं घंटाभर पहले बहुत भलाबुरा कह आया था. बहुत अफसोस है यार मुझे इस बात का. एक तो मैं उस के ऊपर चढ़ा और उस को ही बहुत भलाबुरा भी कह दिया.

‘‘बेचारे उस लड़के की कोई गलती नहीं थी. मैं ही शिष्टाचार भूल गया था. आप भी तो रिकशा चलाते हैं न… क्या आप जानते हैं उसे, जो 6 नंबर प्लेटफार्म पर सोता है?’’

‘‘कौन भीखू, जो 6 नंबर प्लेटफार्म पर रोज रात को सोता है? वही न? हां, मैं उसे जानता हूं.’’

‘‘आप का कुछ चुराया है उस ने क्या?’’ उस लड़के ने पूछा.

‘‘अरे नहीं भाई. वह तो बड़ा सज्जन आदमी है. अकड़ू तो मैं हूं. पता नहीं, उसे मैं गुस्से में क्याक्या कह गया.’’

‘‘ठीक है, मिलेगा तो कह दूंगा. उस को कुछ कहना है क्या? उस का नाम भीखू ही है.’’

‘‘हां, वही लड़का… भीखू.’’

‘‘भाई, इस खत में मैं ने अपना सब हाल लिख दिया है. भीखू मिले तो उसे दे देना,’’ लखविंदर ने कहा.

लखविंदर के दिमाग में इस बात का एहसास पहले से था. उस ने कार में ही अपने औफिस के पैड पर एक खत उस लड़के के नाम लिख दिया था :

प्रिय भाई,

पता नहीं, यह कैसा संयोग है कि एक अनपढ़ आदमी ने मुझ जैसे पढ़ेलिखे आदमी का घमंड चकनाचूर कर दिया है. आप जहां सोए थे, वैसी जगह पर मैं ने भी अपने गरीबी भरे दिन बिताए थे.

गुरबत के दिन मैं ने भी देखे हैं. मेरे घर में भी कईकई दिनों तक  चूल्हा नहीं जला था, लेकिन मैं अपने पुराने दिन भूल गया.

आज जब मैं आप के ऊपर गिरा, तो कायदे से मुझे आप से माफी मांगनी चाहिए थी, लेकिन यह काम भी आप ही कर गए.

आप के कहे अलफाज आज अभी मेरे दिल में कांच की किरचों की तरह चुभ रहे हैं. मैं चुल्लू भर पानी में डूब मरने लायक भी नहीं हूं.

खैर, आज मैं अपनी ही नजरों में जितना जलील हुआ हूं कि आप को बता नहीं सकता. हालांकि, माफी मांग लेने भर से मेरा काम खत्म नहीं हो जाता, फिर भी मैं अपने बरताव पर बहुत शर्मिंदा हूं.

फिर भी मुझे अपना बड़ा भाई समझ कर माफ कर देना. मैं अभी चंडीगढ़ में ही हूं. अगर आप को यह खत मिलता है, तो इस में मैं अपना पूरा नाम, पता, मोबाइल नंबर लिख कर दे रहा हूं. आप को कभी भी किसी मदद की जरूरत हो, तो बेहिचक हो कर इस पते पर या अमुक दिए गए मोबाइल नंबर पर संपर्क करें.

मैं वैसे तो चेन्नई में काम करता हूं, लेकिन मेरे घर पर मेरे अलावा मेरे मातापिता, 2 बड़े भाई, मेरी पत्नी और बच्चे सभी लोग रहते हैं. आप को कभी काम हो या किसी चीज की जरूरत हो, तो बेझिझक हो कर मिल लेना या दिए गए मोबाइल नंबर पर फोन कर लेना.

आप का भाई लखविंदर सिंह उस लड़के ने खत अपने हाथ में रख लिया, फिर वह बोला, ‘‘अगर भीखू नहीं मिला तो…?’’

‘‘भाई, उस के पते पर डाक में डाल देना, वरना मैं अपनेआप को कभी माफ नहीं कर पाऊंगा या ऐसा करो कि उस का पता भी इस छोटी डायरी में लिख दो.’’

लखविंदर ने जेब से एक छोटी डायरी निकाल कर दी और उस से कहा, ‘‘इस में उस का पता लिख दो भाई.’’

उस लड़के ने डायरी हाथ में लेते हुए कहा, ‘‘पता तो मैं आप को लिख कर दे रहा हूं, लेकिन उसे आप घर जा कर ही पढ़ना. ठीक है?’’

लखविंदर ने ‘हां’ में सिर हिलाया.

लखविंदर स्टेशन से बाहर निकला, तो देखा कि कार का ड्राइवर कार में ही ऊंघ रहा था.

लखविंदर ने कार में बैठते ही ड्राइवर से चलने को कहा .

ड्राइवर ने पूछा, ‘‘आप का छूटा हुआ बैग प्लेटफार्म पर मिला क्या?’’

‘‘नहीं,’’ लखविंदर ने कहा.

‘‘मैं ने तो पहले ही कहा था कि बैग नहीं मिलेगा. बेकार ही

हम वापस आए. इतने समय में मैं घर पहुंच गया होता.’’

लखविंदर को भी अफसोस हो रहा था कि उस के चक्कर में बेचारा ड्राइवर भी रात को परेशान हुआ.

‘‘भाई, सौरी यार. तुम्हें इतनी रात को परेशान किया.’’

‘‘अरे, कोई बात नहीं सरदारजी.’’

रास्ते में लखविंदर सोचता जा रहा था कि वह बेकार ही स्टेशन गया. उस लड़के से मुलाकात भी नहीं हो पाई.

लखविंदर को सिगरेट पीने की तलब हुई. उस ने जेब टटोल कर सिगरेट का पैकेट ढूंढ़ना शुरू किया. सिगरेट का पैकेट तो नहीं मिला, लेकिन वह डायरी मिली, जिस में उस ने भीखू का पता उस लड़के को नोट करने को दिया था. उस में पता तो नहीं था, अलबत्ता एक खत जरूर था :

बड़े भैया,

मैं आप को देखते ही पहचान गया था. आप का चेहरा देख कर मुझे लगा कि आप मुझे ही ढूंढ़ रहे हैं, लेकिन मैं डर गया था कि कहीं आप मुझे और भी भलाबुरा न कहने लगें. लिहाजा, मैं आप को अपना परिचय नहीं दे पाया.

दरअसल, मैं वही लड़का हूं, जो 6 नंबर प्लेटफार्म पर सोता हूं. मेरा ही नाम भीखू है, जो अभीअभी आप से मिला था. दूसरी बात यह भी थी कि मैं आप को अपने सामने शर्मिंदा होते नहीं देख सकता था. इसी संकोच के चलते मैं आप से कुछ न कह सका. मैं आप को छोटा नहीं दिखाना चाहता था, इसीलिए अपना परिचय छिपाया.

खैर, कभी इस लायक हुआ तो आप से मिलने आप के घर या दफ्तर जरूर आऊंगा.

आप का छोटा भाई भीखू.

खत पढ़ कर लखविंदर की आंखों से आंसू बहने लगे. सचमुच भीखू के अंदर भरे शिष्टाचार के सामने लखविंदर बहुत छोटा था.

थैंक यू मैट्रो : क्या था मनोलिसा के फोन का राज

विकास दलित था. उस का नाम विकास रखने पर गांव के दबंगों ने उस के परिवार को बहुत बड़ी सजा दी. विकास दिल्ली आ गया और यहां एक शबनम मौसी ने उसे पाला. एक दिन विकास को मैट्रो में एक खूबसूरत लड़की मिली, जो ऐसा काम करती थी, जिसे सुन कर विकास हैरान रह गया.

रोजाना सुबह औफिस के लिए मैट्रो पकड़ना और देर शाम को वापस लौटना, यही विकास की दिनचर्या थी. वह पिछले 4 साल से नोएडा में नौकरी कर रहा था. यह तो अच्छा है कि उस के औफिस से हौजखास ज्यादा दूर नहीं है, इसलिए मैट्रो स्टेशन से उतर कर आटोरिकशा पकड़ कर औफिस पहुंचने में उसे बहुत ज्यादा समय नहीं लगता है.

मैट्रो में लोगों की भीड़ तो बहुत होती है, पर कोई किसी से ज्यादा बातचीत नहीं करता, हालचाल भी नहीं पूछता. हर कोई अपने में ही बिजी है और शायद मस्त भी है.

ज्यादातर लोग तो अपने मोबाइल में ही बिजी रहते हैं. किसी ने कानों पर ईयरफोन लगा रखा है, तो कोई किसी से मोबाइल पर बात कर रहा है. यह सब देख कर विकास को अपने गांव की याद आ गई.

विकास एक दलित परिवार में पैदा हुआ था. उस के बाबूजी बड़े लोगों के खेतों में मजदूरी करते थे और बदले में मिले पैसों से उन का घर चलता था, पर फिर भी बाबूजी और अम्मां यही चाहते थे कि विकास गांव से निकल कर शहर जा कर कुछ पढ़ाई करे और अपनी जिंदगी अच्छी तरह से बसर करे, पर उस समय 10 साल के विकास को कुछ पता नहीं था कि पढ़ाई की अहमियत क्या होती है या पढ़ाई करने के लिए क्या करना पड़ता है.

हां, इतना जरूर याद है कि गांव के लोग अकसर उस से उस के नाम का मतलब पूछा करते थे, जिस के बदले में विकास यही कहता कि ‘बाबूजी नाम धरे हैं, मुझे नहीं पता मतलबवतलब’.

पर, उस दिन गांव के एक बड़े आदमी का बेटा, जो शहर से पढ़ कर आया था, बाबूजी को गालियां देने लगा और जब बाबूजी बाहर निकले, तो उस ने पूछा कि उन्होंने अपने लड़के का नाम विकास क्यों रखा है?

बाबूजी हाथ जोड़ते हुए बोले थे, ‘‘मालिक, जब इस की मां पेट से थी, तब नेता लोग आ कर ‘विकासविकास’ चिल्लाते थे. यह नाम अच्छा लगा तो हम ने इस का नाम विकास रख दिया.’’

बाबूजी की इस बात पर उस लड़के ने अपने साथियों के साथ उन की पिटाई कर दी. विकास की अम्मां बहुत चिल्लाईं, पर उन सब ने बाबूजी को बहुत मारा था.

बाद में विकास ने जाना कि वे लोग ऊंची जाति के थे, जो एक दलित के द्वारा ऊंची जाति जैसा नाम रख लिए जाने से नाराज थे.

उस दिन के बाद से गांव में किसी ने विकास को विकास नाम से नहीं पुकारा था.

विकास को अम्मां की याद भी है. उस दिन अम्मां जंगलपानी के लिए खेत की तरफ गई थीं, पर फिर कभी वापस नहीं आई थीं.

लोगों ने बताया कि कुछ लोगों ने विकास की अम्मां के साथ गलत काम किया है. उस के बाद विकास की अम्मां कहां गई थीं, किसी को पता नहीं चला. शायद उन्होंने खुदकुशी कर ली थी.

अम्मां के साथ हुए गलत काम और उन की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाने के लिए विकास के पिता थाने गए थे, पर रिपोर्ट नहीं लिखी गई. अलबत्ता, वापस आने पर गांव के दबंगों ने विकास के पिता को तब तक पीटा था, जब तक कि वे मर नहीं गए.

विकास ने यह सब अपनी आंखों से देखा था और वह इतना डर गया था कि तुरंत ही गांव से शहर जाने वाली सड़क पर नंगे पैर भागने लगा था. सिर पर सूरज चमक रहा था, पर वह तब तक भागा, जब तक भाग सकता था और फिर बेहोश हो कर सड़क पर गिर गया था.

जब विकास को होश आया, तब वह एक घर में था. एक ऐसा घर, जहां पर अजीब से दिखने वाले लोग थे. न वे मर्द जैसे दिख रहे थे और न ही औरतों की तरह दिख रहे थे. वहां की मुखिया को लोग ‘शबनम मौसी’ कह कर बुलाते थे और उन की बहुत इज्जत करते थे.

विकास को उन्होंने अपने पास रखा, पालापोसा और पढ़ायालिखाया. इस लायक बनाया कि वह बड़े शहर में जा कर नौकरी कर सके और अपनी अम्मां और बाबूजी का सपना पूरा कर सके.

विकास आज भी शबनम मौसी को फोन करता है और उन से अपना दुखदर्द बांटता है.

मैट्रो में कभीकभी ऐसा हो जाता है कि रोजाना चढ़ने वाले लोग आप को और आप उन को पहचानने लगते हैं. भले ही एकदूसरे से बोलचाल न हो, पर एक अनकहा रिश्ता तो कायम हो ही जाता है.

पिछले एक हफ्ते से विकास देख रहा था कि एक खूबसूरत सी मौडर्न लड़की उसे अकसर मैट्रो में दिख जाती है, जो एक जगह से चढ़ती तो है, पर उस के उतरने का स्टेशन कभी फिक्स नहीं रहता. कभी वह कहीं उतरती है, तो कभी कहीं और.

आज भी वह लड़की मैट्रो के अंदर आई और तीर की तरह विकास के पास पहुंच गई. दोनों चुपचाप खड़े रहे. अगले स्टेशन पर जब बैठने की जगह बनी, तो विकास ने इशारे से उसे बैठ जाने को कहा.

‘‘थैंक यू वैरी मच,’’ उस लड़की ने बैठते हुए कहा और कुछ देर बाद अपने नाश्ते का टिफिन विकास की तरफ बढ़ा दिया. उस में कुछ कटलेट और सौस था.

विकास ने भी बेतकल्लुफी से एक टुकड़ा उठा लिया. हालांकि वह नाश्ता कर के आया था, पर लड़की के उस की तरफ टिफिन बढ़ाने में इतना प्यार झलक रहा था कि वह मना न कर सका था.

‘‘बहुत टैस्टी है. थैंक यू,’’ विकास बोला, तो बदले में वह लड़की सिर्फ मुसकरा भर दी.

इस के बाद विकास ने लड़की के चेहरे पर एक भरपूर नजर डाली. कितनी खूबसूरत थी वह. गोरा रंग, होंठ थोड़े से मोटे, पर गुलाबी चमक लिए हुए और सुराहीदार गरदन, जिस पर बाईं तरफ एक काला तिल था, जो उस की गरदन को और खूबसूरत बना रहा था.

तभी लड़की का मोबाइल बजा. वह शांत हो कर किसी से बात करने लगी और फिर अगले स्टेशन पर ही वह लड़की उतर गई.

विकास को लगा कि जाते समय वह लड़की मुसकराएगी या कुछ बोलेगी, पर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ था, बल्कि लड़की जब उतरी तो उस के चेहरे पर हलका सा तनाव था और जबड़े भी भिंचे हुए थे.

अगले 2 दिन तक वह लड़की मैट्रो में नजर नहीं आई. विकास को उस की कमी तो नहीं खल रही थी, पर अगर उस लड़की का नाम और मोबाइल नंबर उसे पता होता, तो फोन कर के उस का हालचाल ही पूछ लेता.

एक दिन की बात है, जब प्लेटफार्म पर ही वह लड़की विकास को दिख गई. विकास उस से बातचीत करने को बेताब था, वह लपक कर उस के पास पहुंच गया.

‘‘हैलो… तुम कहां थीं इतने दिन? बीमार थीं क्या?’’ विकास एकसाथ सबकुछ जान लेना चाहता था, पर इतने सारे सवालों के बदले में लड़की ने सिर्फ एक हलकी सी मुसकराहट के साथ उसे बताया कि वह किसी काम में बिजी थी.

‘‘क्या काम करती हो तुम? कहां है तुम्हारा औफिस और तुम ने अभी तक अपना नाम क्यों नहीं बताया?’’ विकास ने सब पूछ डाला, जिस के बदले में लड़की ने सिर्फ इतना जवाब दिया, ‘‘मेरा नाम मोनालिसा है और मेरा औफिस… यों सम?ा लो कि मैं औनलाइन काम करती हूं.’’

अब दोनों की मुलाकात हुए तकरीबन 2 महीने हो गए थे और इन 2 महीनों में विकास समझ चुका था कि उसे मोनालिसा से प्यार है, पर वह अपने बारे में कुछ और बातें साझ नहीं कर रही है, जैसे वह कहां काम करती है? कहां रहती है? उस के मांबाप कहां रहते हैं? आदि.

पर, अब विकास इन सवालों के जवाब अपने ढंग से जान कर रहेगा और उस ने यही किया. हर दिन की तरह विकास मोनालिसा से आज भी मैट्रो में मिला. मोनालिसा ने उसे नाश्ता खिलाया.

कुछ देर बाद जब मोनालिसा के मोबाइल पर फोन आया, तब वह मैट्रो से उतर कर जाने लगी.

विकास ने आज पहले से ही ठान रखा था कि वह मोनालिसा का औफिस देख कर रहेगा. वह मोनालिसा की नजर बचा कर उस का पीछा करने लगा.

मोनालिसा मैट्रो स्टेशन से बाहर निकल कर एक छाया वाली जगह पर रुक गई और फिर किसी से मोबाइल पर बात करने लगी. तकरीबन 20 मिनट के बाद वहां पर एक काले रंग की शानदार कार रुकी और मोनालिसा उस में बैठ गई.

इतनी शानदार कार में मोनालिसा को बैठते देख विकास को भी थोड़ा अचरज लगा, पर उस ने सोचा कि हो सकता है कि औफिस के किसी साथी की कार में मोनालिसा ने लिफ्ट मांग ली हो, पर अगले दिन जब मोनालिसा मैट्रो से किसी और स्टेशन पर उतर गई, तब विकास को थोड़ा शक हुआ कि किसी भी इनसान का औफिस किसी एक तय जगह पर होता है, पर मोनालिसा तो अलगअलग जगह पर उतरती है. यह कैसा काम? यह कैसा औफिस?

विकास आज भी उस का पीछा कर रहा था. पर, आज मोनालिसा किसी शानदार कार में नहीं, बल्कि एक टैक्सी में बैठ कर कहीं गई.

विकास की बेचैनी अब और भी बढ़ गई थी. उस ने तुरंत ही मोनालिसा को फोन लगाया, पर मोनालिसा ने फोन काट दिया. विकास महसूस कर रहा था कि उसे प्यार हो गया है और अब वह जल्द से जल्द शादी के बंधन में बंध जाना चाहता था, पर मोनालिसा और उस का राज गहराता जा रहा था.

रात के 9 बजे विकास ने एक बार फिर मोनालिसा को फोन लगाया, तो मोनालिसा ने उसे लड़खड़ाती आवाज में बताया कि उस ने इस समय एक महंगी वाली शराब पी हुई है, इसलिए वह उस से बात नहीं कर सकती. वह कल मैट्रो में उस से बात करेगी.

मोनालिसा शराब पीती है… पर, शराब तो आजकल सभी मौडर्न लड़कियां पीती हैं और वैसे भी विकास शराब को बुरा नहीं समझता था.

अगली सुबह जब मोनालिसा विकास से मिली, तो उस की आंखें गुलाबी हो रही थीं. यह शायद थकान के चलते था या नशे का खुमार अभी भी बाकी था.

आज वे दोनों ही एकसाथ एक ही प्लेटफार्म पर उतर गए और खाली पड़ी बैंच पर जा कर बात करने लगे.

थोड़ी देर की बातचीत के बाद मोनालिसा का कौफी पीने का मन करने लगा, इसलिए वे दोनों एक रैस्टोरैंट में गए, जहां पर कोने में खाली पड़ी टेबल पर बैठ गए.

विकास ने सीधेसीधे सवाल दागा, ‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं और तुम से शादी करना चाहता हूं. क्या तुम शादी करोगी मुझ से?’’

मोनालिसा विकास का यह सवाल सुन कर सन्न रह गई, पर फिर उस ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘काश, मैं शादी कर सकती.’’

‘‘क्यों नहीं कर सकती? ’’ विकास ने पूछा.

‘‘तुम अभी मेरे बारे में कुछ नहीं जानते विकास, क्योंकि अगर जानते होते तो मुझे शादी का प्रस्ताव कभी न देते.’’

‘‘तो बताओ न अपने बारे में… कुछ बताती क्यों नहीं?’’ विकास ने तकरीबन चीखते हुए कहा.

मोनालिसा ने विकास की आंखों में देखते हुए बताना शुरू किया, ‘‘तो जान लो विकास कि मैं अपनी जिंदगी चलाने के लिए जिस्म का धंधा करती हूं… और इतना ही नहीं, मुझे एड्स भी है… बोलो, अब शादी करोगे मुझ से?’’

मोनालिसा का यह जवाब सुन कर विकास के हाथपैर सुन्न से होने लगे, उस की जबान सूख गई. इतनी खूबसूरत लड़की धंधेवाली कैसे हो सकती है? और उस के बाद यह एड्स जैसी जानलेवा बीमारी… कैसे हुआ यह सब?

‘‘क्या हुआ? मेरे बारे में जान कर तुम चुप क्यों हो गए? शादी करने का नशा कहां काफूर हो गया?’’ मोनालिसा ताना मारने वाले लहजे में कह रही थी.

विकास चुप रहा और तकरीबन 2 मिनट की चुप्पी के बाद उस ने बोलना शुरू किया, ‘‘पर, रोजीरोटी के लिए और भी बहुतकुछ किया जा सकता था. तुम ने जिस्म बेचना क्यों शुरू कर दिया?’’

इस सवाल के बदले मोनालिसा ने विकास को बताया कि उस के बौयफ्रैंड ने मोनालिसा के साथ रेप किया था, जिस से उसे एड्स हो गया था. उस के बाद जिंदगी में ज्यादा कुछ बाकी नहीं रह गया था, बस वह मर्दों से बदला लेना चाहती थी और उसे यही तरीका समझ आया.

मोनालिसा की बात सुन कर विकास ने बोलना शुरू किया, ‘‘मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि तुम शराब पीती हो या तुम्हें किसी मजबूरी के चलते अपना जिस्म बेचना पड़ रहा है और तुम अलगअलग लोगों के साथ सोती हो. तुम ने अपने बारे में यह सब बता कर ईमानदारी दिखाई है.

‘‘अगर तुम न बताती तो मैं कभी नहीं जान पाता. और फिर आजकल शहर तो शहर, गांव में भी सैक्स संबंध बनाना आम होता जा रहा है. मुझ प्यार है तुम से और सच्चा प्यार यह सब नहीं देखता.’’

‘‘पर, तुम ने मेरी बीमारी के बारे में नहीं सुना क्या?’’ मोनालिसा बोली.

‘‘सुना भी और समझ भी कि तुम किसी और की गलती के चलते इस बीमारी से संक्रमित हो गई हो, पर लगता है कि तुम ने मेरे प्यार को पहचाना नहीं. सच्चा प्यार सिर्फ एकदूसरे के जिस्म को भोगते रहने का नाम नहीं है, बल्कि प्यार तो आशिक की कुरबानी मांगता है. अगर तुम से शादी करने के बाद मुझे एड्स हो भी जाता है तो क्या हुआ… हम साथ जी न सकेंगे तो कोई बात नहीं, एकसाथ मर तो सकेंगे.’’

विकास मानो आगे भी बहुतकुछ कहना चाह रहा था, पर उस की इतनी बातें मोनालिसा को यह यकीन दिलाने के लिए काफी थीं कि विकास उस से बहुत प्यार करता है.

मोनालिसा की जिंदगी में बहुत से ऐसे मर्द आ चुके थे, जिन्होंने उस से शादी का वादा तो किया था, पर उस की बीमारी के बारे में जान कर उस से दूर हो गए थे.

विकास और मोनालिसा की पिछली जिंदगी दुख से भरी हुई थी, जिस में कड़वापन तो था, पर प्यार के लिए जगह नही थी. आज दोनों के खालीपन को प्यार ने लबालब भर दिया था.

मोनालिसा जानती थी कि भायानक बीमारी के चलते वह ज्यादा समय तक जिंदा नहीं रह पाएगी. एक दिन वह गुमनामी में मर जाएगी, पर अब मरने से पहले वह जीभर कर जी लेना चाहती थी अपने प्यार विकास के साथ.

मोनालिसा ने विकास पर नजर दौड़ाई, जो शबनम मौसी को फोन लगा कर अपने प्यार के बारे में बता रहा था.

एक मैट्रो मोनालिसा के सामने से तेजी से गुजर रही थी और यह देख उस के मुंह से बरबस ही निकल पड़ा, ‘‘थैंक यू मैट्रो.’’

लड़कों को गर्लफ्रैंड से भी ज्यादा प्यारी अपनी बाइक्स, ये सितारे भी हैं दीवाने

भारत में बाइक लवर्स बहुत है. बौलीवुड में भी बाइक के दीवाने एक्टर है. इनमें कुछ क्रिकेटर्स भी है जो बाइक चलाने का शौक रखते है. ऐसा हाल ही में हुआ जब बौलीवुड के किंग खान ने एक्टर जौन अब्राहम को बाइक गिफ्ट की. भारत में एक से बढ़कर एक शानदार बाइक है. जिनकी कीमत और फीचर्स बहुत ही शानदार है.

 

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किंग खान कहे जाने वाले शाहरुख खान की फिल्म पठान की सक्सेस पार्टी रखी गई थी. इस खास मौके पर पठान के सारे कास्ट और क्रू मेंबर पहुंचे थे. हालांकि फिल्म के विलेन जौन ने इस पार्टी से दूरी बनाकर रखी थी और इस वजह से किंग खान ने उन्हें आभार करते हुए एक सुपर बाइक तोहफे में दी थीं और जौन ने हाल ही में इसके बारे में एक इंटरव्यू में बताया. बता दें, कि शाहरुख खान ने 17 लाख की सुजुकी हायाबुसा बाइक गिफ्ट की. जो कि एक सुपर बाइक है. इसके फीचर भी कमाल के है. भारत में इस बाइक को चाहने वाले बहुत है. इस लिस्ट में और भी ऐसे अन्य बाइक्स है.

Hero Motors

देश-दुनिया में सबसे ज्यादा बिकने वाली मोटरसाइकल हीरो स्प्लेंडर प्लस टौप सेलिंग मोटरसाइकल है. इस बाइक का खरीदने वाले 2,50,786 है. स्प्लेंडर सीरीज मोटरसाइकल की एक्स शोरूम प्राइस 75,141 रुपये से शुरू होती है.

Honda Shine

पौपुलर कम्यूटर बाइक होंडा शाइन भी सबकी पसंद की जाने वाली बाइक है. जो बेस्ट सेलिंग बाइक रही है. जिसे 1,55,943 लोगों ने खरीदा. इसके फीचर भा काफी अच्छे है.

Bajaj Pulsar

बजाज पल्सर सीरीज बाइक्स भी सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक में से एक है और इसे 1,30,403 लोगों ने खरीदा है.

Bajaj Platina

बजाज ओटो की सस्ती और अच्छी प्लैटिना सीरीज बाइक्स को 60,607 लोगों ने खरीदा है. इसकी कीमत की शुरुआत 60,000 रुपए से होती है.

इन बाइक के अलावा क्रिकेट के जानें मानें खिलाड़ी महेन्द्र सिंह धोनी भी बाइक लवर है. धोनी गैराज में सबसे महंगी बाइक कौन्फेडरेट हेलकैट एक्स132 है. जिसकी कीमत 47 लाख रुपये है. इसके अलावा महंगी बाइक्स में Ducati 1098 जिसकी कीमत 35 लाख रुपये है. Kawasaki Ninja H2 की कीमत 36 लाख रुपये है, Harley-Davidson Fat Boy की कीमत 22 लाख रुपये है और Suzuki Hayabusa  की कीमत 16.50 लाख रुपये है.

फेसबुक के जरिए कालेज के लड़के से दोस्ती की, फिर हमने सैक्स किया, अब मैं क्या करूं?

सवाल

मैंने फेसबुक के जरिए अपने ही कालेज के 3rd ईयर के एक स्टूडेंट से दोस्ती की. फिर वह मुझे रोज विश करने लगा. कुछ समय बाद हम कालेज में भी मिलने लगे और हमारे बीच रिलेशन बन गया, मैंने उसके साथ सैक्स किया. लेकिन उस के बाद उस की दिलचस्पी मुझ में कम दिखने लगी. मैं उसे मिलने को कहूं तो पढ़ाई का बहाना बनाता है. फोन करूं तो उठाता नहीं. खुद मिलने जाऊं तो भी ज्यादा देर बात नहीं करता, जबकि मैं सब लुटा कर भी उसे नहीं पा सकी, क्या करूं समझ नहीं आता?

जवाब

आप का प्यार शुरू से ही एकतरफा रहा है, जिसे आप प्यार समझ रही हैं वह तो सिर्फ वासना है. आप ने अपनी तरफ से पहल की क्योंकि आप के मन में उस के प्रति आकर्षण था लेकिन उसे समझ नहीं पाईं कि उस के मन में क्या है. जाहिर है उस के मन में आप के शरीर के प्रति आकर्षण था जिसे आप के एकतरफा प्यार ने हवा दी. अब इसी कारण वह आप से दूर जाता रहता है. अब भी देर नहीं हुई है, संभल जाइए. अपना मन पढ़ाई में लगाइए व खुद को इस प्रेम से अलग कर लीजिए. अगर फिर भी बात न बने तो दूसरा साथी ढूंढ़िए. हां, भूल कर भी तनाव में न आएं व खुदकुशी आदि की तरफ न बढ़ें. कैरियर व कंपीटिशन की तरफ रुख करेंगी. इस ओर से ध्यान हटेगा. सुनहरा कैरियर बनेगा तो उस जैसे हजारों पलकें बिछाए खड़े मिलेंगे.

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