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भोपाल में जब उस के घर पुलिस गई तो वह नदारद मिला. इस से सारी दाल काली नजर आने लगी. राजेश की आत्महत्या का राज अब कोई खोल सकता था तो वह निहाल था, बशर्ते वह जिंदा हो. पुलिस को एक आशंका यह थी कि कहीं मृतक निहाल ही न हो.

इसी दौरान एक महत्त्वपूर्ण सुराग पुलिस के हाथ यह लगा कि राजेश जिंदा है और अपने नजदीकी दोस्तों को फोन कर पैसे उधार मांग रहा है. इस से मामले में सस्पेंस और बढ़ने लगा. राजेश के एक साथी नामी बदमाश ने पुलिस को बताया था कि राजेश ने उस से फोन पर 60 हजार रुपए मांगे थे. इस से यह बात तो साफ हुई कि लाश उस राजेश परमार की नहीं थी जिस ने खुदकुशी की थी या फिर जिस की हत्या हुई थी.

काररवाई आगे बढ़ाते हुए पुलिस ने निहाल के मोबाइल की पड़ताल की तो उस की लोकेशन गुजरात के अहमदाबाद की मिली. निहाल को दबोचने के लिए इतना काफी था. पुलिस ने गुजरात जा कर उसे पकड़ा तो उसने कोई हीलाहवाली न कर हकीकत बता दी. जिसे सुन पुलिस वाले हैरान रह गए कि राजेश कितना शातिर दिमाग अपराधी है.

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क्राइम सीरियल देख बनाई योजना

कहानी अब शीशे की तरह साफ थी कि राजेश ने क्राइम सीरियल देख कर योजना बना ली थी कि वह भी अपनी कदकाठी के किसी आदमी को ढूंढ कर उस की हत्या को आत्महत्या का रूप दे देगा.  इस बाबत उसने निहाल से बात की तो पहले तो निहाल साथ देने से मुकर गया लेकिन जैसे ही राजेश ने उसे एक लाख रुपए देने का लालच दिया तो वह तैयार हो गया.

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