अब तक रामदास एग्रो इंडस्ट्री के पुरुषोत्तम जैन, प्रीति राइस मिल के पंकज कुमार, मौडर्न राइस मिल के राजेश लाल और पावापुरी राइस मिल के दिनेश गुप्ता की तकरीबन 8 करोड़ की जायदाद जब्त की जा चुकी है.

बिहार राज्य खाद्य आपूर्ति निगम हर साल चावल मिलों को चावल निकालने के लिए सरकारी धान देता है. निगम द्वारा दिए गए कुल धान से निकलने वाले चावल का 67 फीसदी चावल निगम को लौटाना होता है. आरोपी मिल मालिकों ने निगम को चावल नहीं लौटाया और खुले बाजार में उसे बेच दिया.

बिहार में चावल मिल मालिकों की धांधली पर रोक लगाने में सरकार नाकाम रही है. पिछले 5 सालों से चावल मिल मालिकों के पास बिहार राज्य खाद्य निगम के 1,200 करोड़ रुपए बकाया हैं. राज्य में 1,300 चावल मिलें ऐसी हैं, जिन्होंने धान ले कर सरकार को चावल नहीं लौटाया, इस के बाद भी धान कुटाई के लिए उन मिलों को दोबारा धान दिया जा रहा है.

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गौरतलब है कि पटना की 64 चावल मिलों पर 55.61, नालंदा की 84 मिलों पर 55.34, सीतामढ़ी की 52 मिलों पर 55.83, मुजफ्फरपुर की 33 मिलों पर 66.51, भोजपुर की 90 मिलों पर 72.05, पूर्वी चंपारण और पश्चिमी चंपारण की 153 मिलों पर 63, बक्सर की 152 मिलों पर 101, औरंगाबाद की 207 मिलों पर 62.15, कैमूर की 357 मिलों पर 220, रोहतास की 191 मिलों पर 111, गया की 49 मिलों पर 40, वैशाली की 25 मिलों पर 23.66, दरभंगा की 34 मिलों पर 39.83, शिवहर की 8 मिलों पर 17.78, नवादा की 23 मिलों पर 20.48 करोड़ रुपए की रकम बकाया है.

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