Rani Chatterjee का नया गाना ‘मस्त रहो मस्ती में’ जमकर हुआ वायरल, देखें Video

भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) में हर समय सुर्खियों में रहनें वाली एक्ट्रेस रानी चटर्जी (Rani Chatterjee) फिल्मों के साथ-साथ सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी काफी एक्टिव रहती हैं जिस पर वह आए दिन अपनी फोटोज और वीडियो शेयर करती रहतीं हैं. रानी चटर्जी (Rani Chatterjee) की फैन फौलोविंग इस कदर है कि आए दिन उनके नए गाने आते ही वायरल हो जाते है.

अब रानी चटर्जी का नया गाना ‘मस्त रहो मस्ती में’ सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. फैंस इसे खूब पसंद कर रहे हैं.

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दरअसल रानी चटर्जी (Rani Chatterjee) और आदित्य ओझा (Aditya Ojha) स्टारर फिल्म ‘श्रीमन श्रीमती’ (Shriman Shrimati) के निर्माताओं ने फिल्म से एक नया गाना ‘मस्त रहो मस्ती में’ रिलीज किया गया है. इस गाने के वीडियो में आप देख सकते हैं कि रानी चटर्जी स्टाइलिश आउटफिट में अपना स्वैग दिखाती नजर आ रही हैं.

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एक्ट्रेस अपने डांस मूव्स से दर्शकों को दिल जीत रही हैं. आपको बता दें कि इस गाने का म्यूजिक आशीष वर्मा ने दिया है. गाने के बोल कुंदन प्रीत और फणीन्द्र राव ने लिखे हैं.

 

क्या Imlie को अपनाएगा त्रिपाठी परिवार? आएगा ये धमाकेदार ट्विस्ट

टीवी सीरियल इमली (Imlie) में लगातार कई ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. कहानी का ट्रैक एक नया मोड़ ले रही है. जिससे दर्शकों का भरपूर मनोरंजन हो रहा है. शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि मालिनी के पिता देव को कुणाल और उसके रिश्ते पर भरोसा नहीं हो रहा है. इस बारे में वह आदित्य से बात करता है. तो वहीं आदित्य देव को भरोसा दिलाता है कि  मालिनी और कुणाल एक साथ खुश हैं. शो के लेटेस्ट ट्रैक में खूब धमाल होने वाला है. आइए जानते हैं, आगे क्या होने वाला है शो में.

शो में दिखाया जा रहा है कि इमली पल्लवी और निशांत की बातों से समझ चुकी है कि आज भी वो दोनों एक-दूसरे से ही प्यार करते हैं. तो ऐसे में इमली ने फैसला लिया है कि वो निशांत की जिंदगी में पल्लवी को लाकर रहेगी.

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अब इमली को भी भरोसा हो चुका है कि मालिनी और कुणाल एक-दूसरे के साथ खुश हैं. ये देखकर इमली भी अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने की कोशिश कर रही है.

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शो के लेटेस्ट ट्रैक में इमली आदित्य से पहली बार अपने दिल की बात कहेगी. इमली आदित्य को  I love you कहेगी. तो वहीं त्रिपाठी परिवार को आदित्य और इमली की शादी का सच पता चल जाएगा. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या आदित्य के घरवाले इमली को अपनाएंगे?

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घर में फुलटाइम नौकरानी को लेकर काव्या और Anupamaa में होगी लड़ाई, अब क्या करेगा वनराज

स्टार प्लस का सुपरहिट सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में इन दिनों दर्शकों को एंटरटेनमेंट का डबल डोज मिल रहा है. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि बापू जी ने घर का बंटवारा कर दिया है तो ऐसे में वनराज-काव्या, अनुपमा, तीनों को एक ही घर में रहना पड़ रहा है.  तो वहीं काव्या, अनुपमा को हर वक्त ताने देती नजर आ रही है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के आगे की कहानी.

शो में दिखाया जा रहा है कि काव्या से शादी करने के बाद वनराज काफी परेशान नजर आ रहै है. उसके जिंदगी में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है.  सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. जी हां, राखी दवे शाह हासउ जाएगी और अपनी बेटी किंजल (Nidhi Shah) को काम करता हुआ देखकर बौखला जाएगी और बा को खूब खरी-खोटी सुनाएगी.

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एक तरफ राखी किंजल को समझाएगी कि इस समय घर में मेड का रहना बहुत जरूरी है. किंजल को राखी की बातें सही लगने लगेगी और जल्द ही वो घर में मेड को लाने का फैसला करेगी.

 

शो के अपकमिंग एपिसोड में आप ये भी देखेंगे कि वनराज काव्या से घर के कामों में हाथ बंटाने के लिए कहेगा. वनराज की बातें सुनकर काव्या काव्या फैसला लेगी कि वह घर में फुल टाइम मेड लेकर आएगी. ये सुनकर अनुपमा उसे ताना मारेगी.

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अनुपमा काव्या से कहेगी कि मुझे उम्मीद है कि वो अच्छी बहू जरूर बनेगी. अनुपमा की बातों को सुनकर काव्या को मिर्ची लगेगी और कहेगी कि अच्छी बहू बनने के लिए अच्छा कुक बनना जरूरी नहीं है.

शो के पिछले एपिसोड में दिखाया गया था कि वनराज नौकरी की तलाश में दर-दर भटक रहा है. आने वाले एपिसोड में भी वनराज थक-हारकर घर वापस लौट आएगा, तो वहीं जब वह अनुपमा के मुंह से स्कूल में पहले दिन की कहानी सुनेगा तो वनराज काफी मायूस होगा.

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हकीकत: अब विदेशी इमदाद के भरोसे कोरोना का इलाज

विदेशी अखबारों ने भारत में कोरोना फैलने की वजहों को ले कर संपादकीय लेख छापे हैं व बदतर हालात का जिक्र कर के दुनिया को जानकारी दी है. इस के बाद दूसरे देशों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं.

‘बीबीसी वर्ल्ड’ ने लिखा है कि भारत के अस्पताल घुटनों के बल पड़े हैं, मरीजों का रैला लगा हुआ है.

‘टाइम्स मैगजीन’ ने लिखा कि यह नरक है. मोदी की नाकामियों के चलते भारत में कोरोना संकट गहराया है.

‘द गार्जियन’ ने अपने संपादकीय में लिखा है कि मोदी की गलतियों के चलते भारत में कोरोना बेकाबू हो कर विकराल हालात में आया है.

‘न्यूयौर्क टाइम्स’ लिखता है कि मजाकिया (हलके में लेने) और गलत फैसले की वजह से भारत में संकट गहराया है.

सभी अखबारों ने कुंभ में जुटी लाखों की भीड़ व 5 राज्यों में चुनावों की रैलियों को कोरोना फैलने की सब से बड़ी वजह बताया है.

गौरतलब है कि जिस सिस्टम की चर्चा भारतीय मीडिया कर रहा है, उस सिस्टम के मुख्य पदों पर पिछले 7 सालों में भगवाई और स्वयंसेवक संघ की बैकग्राउंड के लोगों को बिठाया गया व सिस्टम का मालिक यानी प्रधानमंत्री खुद संघ से आता है.

धर्म विशेष की राजनीति कर के सत्ता में आए लोगों से आपदा के समय वैज्ञानिक मैनेजमैंट की उम्मीद करना ही बेमानी है. यही वजह है कि मोदी सरकार के मंत्री औक्सीजन व बिस्तर का इंतजाम करवाने के लिए नारियल चढ़ाने या रामचरितमानस का पाठ पढ़ने की सलाह दे रहे हैं.

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उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना संकट के बीच अयोध्या जाने वाले हाईवे पर करोड़ों रुपए फूंकते हुए रामायणरूपी पौराणिक पात्रों की रंगोलियां बनवा रही है.

‘आस्ट्रेलियन फाइनैंशियल व्यू’ में एक कार्टून छपा है, जिस में मोदी को मरे हुए हाथी के ऊपर सिंहासन पर बैठा दिखाया गया है, जिन के एक हाथ को रैली की भीड़ का अभिवादन स्वीकार करते हुए व दूसरे हाथ में भाषण को लालायित माइक थामे दिखाया गया है. मरा हुआ हाथी विशालकाय भारत का स्वरूप है.

देशी लश्कर ए मोदी मीडिया द्वारा अंधभक्तों की आंखों की पुतली पर विदेशों में डंका बजने वाला जो रंग चढ़ाया गया था, वह अब पूरी तरह से उतर चुका है. विदेशी अखबारों में जो छप रहा है, वह बेहद शर्मनाक है. 7 साल से सिस्टम पर कुंडली मार कर बैठे लोगों ने दिल्ली समेत 700 बड़ेबड़े पार्टी दफ्तर बनाने के लिए अरबों रुपए फूंक डाले हैं.

ये पैसे पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मनरेगा में काम कर के नहीं कमाए थे, बल्कि पीएम केयर फंड, टैक्स चोरी  व क्रोनीकैपिटलिज्म द्वारा हासिल किए गए थे.

आप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फेसबुक के पेज का कमैंट बौक्स चैक कीजिए. औक्सीजन व बिस्तर मांगने वालों की प्रोफाइल चैक कीजिए. पता चलेगा कि ज्यादातर लोग ‘भूतपूर्व चौकीदार’ हैं. ये घर की चौकीदारी के बजाय देश की चौकीदारी करने निकले थे, लेकिन राष्ट्रीय चौकीदार ने इन को उस जगह पर ला खड़ा कर दिया है, जहां मदद के लिए कोई नहीं दिख रहा है.

गौरतलब है कि महाराष्ट्र, दिल्ली व मध्य प्रदेश में कोरोना का विकराल रूप चल रहा था, तब बेपरवाह लोग केंद्रीय चुनाव आयोग के सहयोग से पश्चिम बंगाल जीतने निकले थे. पूरे देश पर पाबंदियां थोपते रहे और खुद पश्चिम बंगाल में नंगा नाच करते रहे थे.

इन के द्वारा पैदा की गई भूलों के चलते जनता ने भी गंभीरता से नहीं लिया और नतीजतन आज लाशों के ढेर पर देश खड़ा है. पश्चिम बंगाल में अब टैस्ट करवा रहे लोगों में से हर दूसरा इनसान कोरोना पौजिटिव आ रहा है.

5 महीनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं, दुनियाभर में चर्चा हुई, संयुक्त राष्ट्र संघ तक ने भारत सरकार को नसीहत दी, लेकिन निष्ठुर लोगों ने उस पर ध्यान देने के बजाय किसानों की मौतों का मजाक उड़ाया, संसद तक में खड़े हो कर ‘आंदोलनजीवी’ कहते हुए तंज कसते रहे.

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वहीं, सामाजिक चिंतक रामनारायण चौधरी कहते हैं, ‘‘जिन को कत्ल का हुनर देख कर चुना गया हो, उन से रहमदिल होने की उम्मीद नहीं की जा सकती. मुझे यकीन है कि विदेशी मीडिया की इन खबरों से भी इन के दिलोदिमाग पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. पश्चिम बंगाल में भयंकर रूप से फैले कोरोना व मरते लोगों की जिम्मेदारी भी ये नहीं लेंगे.

‘‘आपदा में अवसर का फायदा कालाबाजारी करने वाले उठा रहे हैं. भारत खुद को आत्मनिर्भर समझे और कोरोना से खुद लड़े, यह नसीहत पहले ही दे दी गई थी. जिस मिडिल क्लास ने पूंजीवाद की पूंछ पकड़ कर हरहर मोदी किया था, वह घरघर अर्थियां सजा रहा है. कुदरत उपहास उड़ाने वालों को उपहास का पात्र कब बना दे, कोई नहीं कह सकता.’’

रुह का स्पंदन- भाग 2

दक्षा मां से बातें कर रही थी कि उसी समय वाट्सऐप पर मैसेज आने की घंटी बजी. दक्षा ने फटाफट बायोडाटा और फोटोग्राफ्स डाउनलोड किए. बायोडाटा परफेक्ट था. दक्षा की तरह सुदेश भी अपने मांबाप की एकलौती संतान था. न कोई भाई न कोई बहन. दिल्ली में उस का जमाजमाया कारोबार था. खाने और ट्रैवलिंग का शौक. वाट्सऐप पर आए फोटोग्राफ्स में एक दाढ़ी वाला फोटो था.

दक्षा को जो चाहिए था, वे सारे गुण तो सुदेश में थे. पर दक्षा खुश नहीं थी. उस के परिवार में जो घटा था, उसे ले कर वह परेशान थी. उसे अपनी मर्यादाओं का भी पता था. साथ ही स्वभाव से वह थोड़ी मूडी और जिद्दी थी. पर समय और संयोग के हिसाब से धीरगंभीर और जिम्मेदारी भी थी.

दक्षा का पालनपोषण एक सामान्य लड़की से हट कर हुआ था. ऐसा नहीं करते, वहां नहीं जाते, यह नहीं बोला जाता, तुम लड़की हो, लड़कियां रात में बाहर नहीं जातीं. जैसे शब्द उस ने नहीं सुने थे, उस के घर का वातावरण अन्य घरों से कदम अलग था. उस की देखभाल एक बेटे से ज्यादा हुई थी. घर के बिजली के बिल से ले कर बैंक से पैसा निकालने, जमा करने तक का काम वह स्वयं करती थी.

दक्षा की मां नौकरी करती थीं, इसलिए खाना बनाना और घर के अन्य काम करना वह काफी कम उम्र में ही सीख गई थी. इस के अलावा तैरना, घुड़सवारी करना, कराटे, डांस करना, सब कुछ उसे आता था. नौकरी के बजाए उसे बिजनैस में रुचि ही नहीं, बल्कि सूझबूझ भी थी. वह बाइक और कार दोनों चला लेती थी. जयपुर और नैनीताल तक वह खुद गाड़ी चला कर गई थी. यानी वह एक अच्छी ड्राइवर थी.

दक्षा को पढ़ने का भी खासा शौक था. इसी वजह से वह कविता, कहानियां, लेख आदि भी लिखती थी. एकदम स्पष्ट बात करती थी, चाहे किसी को अच्छी लगे या बुरी. किसी प्रकार का दंभ नहीं, लेकिन घरपरिवार वालों को वह अभिमानी लगती थी. जबकि उस का स्वभाव नारियल की तरह था. ऊपर से एकदम सख्त, अंदर से मीठी मलाई जैसा.

उस की मित्र मंडली में लड़कियों की अपेक्षा लड़के अधिक थे. इस की वजह यह थी कि लिपस्टिक या नेल पौलिश के बारे में बेकार की चर्चा करने के बजाय वह वहां उठनाबैठना चाहती थी, जहां चार नई बातें सुननेसमझने को मिलें. वह ऐसी ही मित्र मंडली पसंद करती थीं. उस के मित्र भी दिलवाले थे, जो बड़े भाई की तरह हमेशा उस के साथ खड़े रहते थे.

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सब से खास मित्र थी दक्षा की मम्मी, दक्षा उन से अपनी हर बात शेयर करती थी. कोई उस से प्यार का इजहार करता तो यह भी उस की मम्मी को पता होता था. मम्मी से उस की इस हद तक आत्मीयता थी. रूप भी उसे कम नहीं मिला था. न जाने कितने लड़के सालों तक उस की हां की राह देखते रहे.

पर उस ने निश्चय कर लिया था कि कुछ भी हो, वह प्रेम विवाह नहीं करेगी. इसीलिए उस की मम्मी ने बुआ के कहने पर मेट्रोमोनियल साइट पर उस की प्रोफाइल डाल दी थी. जबकि अभी वह शादी के लिए तैयार नहीं थी. उस के डर के पीछे कई कारण थे.

सुदेश और दक्षा के घर वाले चाहते थे कि पहले दोनों मिल कर एकदूसरे को देख लें. बातें कर लें और कैसे रहना है, तय कर लें. क्योंकि जीवन तो उन्हें ही साथ जीना है. उस के बाद घर वाले बैठ कर शादी तय कर लेंगे.

घर वालों की सहमति से दोनों को एकदूसरे के मोबाइल नंबर दे दिए गए. उसी बीच सुदेश को तेज बुखार आ गया, इसलिए वह घर में ही लेटा था. शाम को खाने के बाद उस ने दक्षा को मैसेज किया. फोन पर सीधे बात करने के बजाय उस ने पहले मैसेज करना उचित समझा था.

काफी देर तक राह देखने के बाद दक्षा का कोई जवाब नहीं आया. सुदेश ने दवा ले रखी थी, इसलिए उसे जब थोड़ा आराम मिला तो वह सो गया. रात करीब साढ़े 10 बजे शरीर में दर्द के कारण उस की आंखें खुलीं तो पानी पी कर उस ने मोबाइल देखा. उस में दक्षा का मैसेज आया हुआ था. मैसेज के अनुसार, उस के यहां मेहमान आए थे, जो अभीअभी गए हैं.

सुदेश ने बात आगे बढ़ाई. औपचारिक पूछताछ करतेकरते दोनों एकदूसरे के शौक पर आ गए. यह हैरानी ही थी कि दोनों के अच्छेबुरे सपने, डर, कल्पनाएं, शौक, सब कुछ काफी हद इस तरह से मेल खा रहे थे, मानो दोनों जुड़वा हों. घंटे, 2 घंटे, 3 घंटे हो गए. किसी भी लड़की से 10 मिनट से ज्यादा बात न करने वाला सुदेश दक्षा से बातें करते हुए ऐसा मग्न हो गया कि उस का ध्यान घड़ी की ओर गया ही नहीं, दूसरी ओर दक्ष ने भी कभी किसी से इतना लगाव महसूस नहीं किया था.

सुदेश और दक्षा की बातों का अंत ही नहीं हो रहा था. दोनों सुबह 7 बजे तक बातें करते रहे. दोनों ने बौलीवुड हौलीवुड फिल्मों, स्पोर्ट्स, पौलिटिकल व्यू, समाज की संरचना, स्पोर्ट्स कार और बाइक, विज्ञान और साहित्य, बच्चों के पालनपोषण, फैमिली वैल्यू सहित लगभग सभी विषयों पर बातें कर डालीं. दोनों ही काफी खुश थे कि उन के जैसा कोई तो दुनिया में है. सुबह हो गई तो दोनों ने फुरसत में बात करने को कह कर एकदूसरे से विदा ली.

खेल: दिग्गज खिलाड़ी भी जूझते हैं तनाव से

कहते हैं कि खेलकूद आप के मानसिक तनाव को दूर करने में मददगार साबित होता है और शरीर से भी सेहतमंद रखता है. पर क्या हर बार ऐसा ही सच होता है? जी नहीं, तभी तो क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने यह कह कर सब को चौंका दिया है कि अपने 24 साल के क्रिकेट कैरियर के एक बड़े हिस्से को उन्होंने तनाव में रहते हुए गुजारा.

सचिन तेंदुलकर ने अपने खेल जीवन को ले कर एक बड़ी बात कही, ‘‘समय के साथ मैं ने महसूस किया कि खेल के लिए शारीरिक रूप से तैयारी करने के साथसाथ आप को खुद को मानसिक रूप से भी तैयार करना होगा. मेरे दिमाग में मैदान में जाने से बहुत पहले मैच शुरू हो जाता था. तनाव का लैवल बहुत ज्यादा रहता था.

‘‘मैं ने 10-12 सालों तक तनाव महसूस किया था. मैच से पहले कई बार ऐसा हुआ था, जब मैं रात में सो नहीं पाता था. बाद में मैंने यह स्वीकार करना शुरू कर दिया कि यह मेरी तैयारी का हिस्सा है.

‘‘मैं ने समय के साथसाथ इसे स्वीकार कर लिया कि मुझे रात में सोने में परेशानी होती थी. मैं अपने दिमाग को सहज रखने के लिए कुछ और करने लगता था. इस कुछ और में बल्लेबाजी की प्रैक्टिस, टैलीविजन देखना और वीडियो गेम खेलने के अलावा सुबह की चाय बनाना भी शामिल था.’’

इतना ही नहीं, सचिन तेंदुलकर ने आगे कहा कि खिलाड़ी को बुरे समय का सामना करना पड़ता है, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह उसे स्वीकार करे.

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उन्होंने बताया, ‘‘जब आप चोटिल होते हैं, तो डाक्टर या फिजियोथैरेपिस्ट आप का इलाज करते हैं. मानसिक स्वास्थ्य के मामले में भी ऐसा ही है. किसी के लिए भी अच्छेबुरे समय का सामना करना सामान्य बात है. इस के लिए आप को चीजों को स्वीकार करना होगा. यह सिर्फ खिलाडि़यों के लिए नहीं है, बल्कि जो उस के साथ है, उस पर भी लागू होती है.’’

सचिन तेंदुलकर, जिन्हें भारत में ‘क्रिकेट का भगवान’ कहा जाता है, जब वे इतनी गंभीर बात को इतनी आसानी से स्वीकार लेते हैं, तो समझ जाना चाहिए कि ऐसा समय हर किसी की जिंदगी में आता है, जब उस की रातों की नींद उड़ जाती है, फिर चाहे वह खिलाड़ी हो या कोई छात्र या फिर कोई और भी.

इसी सिलसिले में भारत के तेजतर्रार ओलिंपियन मुक्केबाज और ‘अर्जुन अवार्ड’ विजेता अखिल कुमार ने बताया, ‘‘मैं तो नाम के ‘खिलाड़ी’ की बात सुन कर हैरान रह जाता हूं, जो यह दावा करते हैं कि वे रात के साढ़े 7 बजे खाना खा कर 10 बजे से पहले सो भी जाते हैं. सचिन तेंदुलकर ने ईमानदारी से अपनी बात सब के सामने रखी है और हर खिलाड़ी के सामने यह समस्या आती ही होगी.

‘‘मैं खुद अपने गेम से पहले सो नहीं पाता था. यह कोई डर नहीं होता था कि अगले दिन सामने वाला मुक्केबाज मुझे हरा देगा, बल्कि मेरे खयालों में यही सब रहता था कि मुझे कैसे कल को अपना सब से बेहतर खेल दिखाना है. कौन सा खिलाड़ी सामने होगा और उस के आगे किस तरह की रणनीति अपनानी होगी.

‘‘मेरा मानना है कि सपने वे नहीं हैं, जो हम सोते हुए देखते हैं. सपने तो वे हैं, जो हमें सोने ही न दें. अगर कोई इनसान अपने जीवन में लक्ष्य ले कर चल रहा है, तो उस लक्ष्य को पूरा कर के ही वह चैन की नींद लेगा. पुराने समय में युद्ध में भी शाम होते ही उसे रोकने का बिगुल बजा दिया जाता था. पर इस का मतलब यह नहीं था कि राजा और उस के सेनापति चैन की नींद सो जाते थे. वे अगले दिन की योजनाएं बनाते थे.

‘‘हां, इतना जरूर है कि बतौर खिलाड़ी इस मानसिक तनाव को ज्यादा बढ़ने नहीं देना चाहिए. कुछ ऐसा करते रहना चाहिए, जिस से आप में पौजिटिविटी बढ़े, फिर वह कोई भी काम हो सकता है.’’

फिल्म ‘दंगल’ के लिए सुपरस्टार आमिर खान और दूसरे कलाकारों को कुश्ती सिखाने वाले ‘अर्जुन अवार्ड’ विजेता और टीम इंडिया के स्टार पहलवान रहे कृपाशंकर बिश्नोई, जो अब कोच और रैफरी भी हैं, ने बताया, ‘‘अकसर देखा गया है कि महान खिलाड़ी बेहतर खेल प्रदर्शन के दबाव में या नाम के मुताबिक अच्छा प्रदर्शन करने के बढ़ते दबाव के चलते डिप्रैशन में आ जाते हैं. यह तब ज्यादा होता है, जब खिलाड़ी की उम्र के साथसाथ उपलब्धियां भी बढ़ती जाती हैं और लोग उन से बहुत सारी उम्मीदें जोड़ लेते हैं.

‘‘इस बात का खिलाडि़यों को भी एहसास होता है. इस के साथ ही उन में तनाव बढ़ जाता है, जिस के चलते उन की नींद उड़ जाती है, जो उन के खेल प्रदर्शन को भी प्रभावित करता है. लिहाजा, तनाव को कम करने के लिए मनोचिकित्सक की मदद लेना बहुत जरूरी हो जाता है.’’

सचिन तेंदुलकर की बात से इत्तिफाक रखने वाली भारतीय हौकी टीम की सदस्य मोनिका मलिक का मानना है, ‘‘मुझे लगता है कि ज्यादातर खिलाडि़यों के सामने यह समस्या आती है, क्योंकि मैं खुद भी बड़े टूर्नामैंट के क्वार्टर फाइनल, सैमीफाइनल और फाइनल मैच को ले कर बहुत ज्यादा सोचती हूं और इसी चक्कर में मुझे नींद नहीं आती है.’’

‘अर्जुन अवार्ड’ विजेता और ओलिंपिक खेलों में भारत की नुमाइंदगी कर चुके मुक्केबाज मनोज कुमार ने अपने अनुभव से बताया, ‘‘एक अच्छा मुक्केबाज, जो मानसिक तौर पर मजबूत है, टूर्नामैंट से पहले समय पर सोएगा और अगले दिन समय पर जागेगा, क्योंकि मुक्केबाज को एक नींद लेना जरूरी होता है, लेकिन ज्यादा देर तक सोने से मुक्केबाज का शरीर रिंग में स्लो भी हो सकता है.

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‘‘पर, यह भी सच है कि टूर्नामैंट के दौरान या मैच से पहले हर मुक्केबाज के मन में एक जोश रहता है. जब वह मुक्केबाजी के रिंग में जा रहा होता है, तब उस के दिमाग में बहुतकुछ चल रहा होता है. ऐसी ही बातों को सोच कर बहुत से खिलाड़ी खेल से पहले रात को सो नहीं पाते हैं.

‘‘लेकिन, अनुभव होने के साथसाथ हर खिलाड़ी अपने मन पर काबू पाना सीख लेता है. यही वजह है कि एक खिलाड़ी जो काम 18 साल की उम्र में नहीं कर पाता है, वही काम वह 25 साल की उम्र के बाद कर लेता है.

‘‘जहां तक मेरी बात है, तो बचपन में ही मेरे बड़े भाई और कोच राजेश कुमार राजौंद ने चाणक्य, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु जैसे महान लोगों के साथसाथ नैपोलियन, छत्रपति शिवाजी और महाराणा प्रताप जैसे राजाओं की कहानियों से मुझे प्रेरित किया, जिस से मैं मानसिक रूप से मजबूत बना.’’

भारत की मशहूर ‘बिकिनी एथलीट’ मधु झा ने इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहा, ‘‘मौजूदा दौर में खेल एक पेशा बन चुका है. सच कहा जाए, तो ओलिंपिक और पेशेवर एथलीट भी चिंता से घिरे हो सकते हैं. उन पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव तो होता ही है, मैदान के बाहर भी अपनी इमेज बनानी होती है.

‘‘खेल की डिमांड हर खिलाड़ी के शारीरिक और मानसिक दोनों स्वास्थ्य पर असर डालती हैं. देश की नुमाइंदगी, प्रदर्शन में निरंतरता, पेशेवर चुनौतियां और कामयाब होने का दबाव, ये चारों बातें खिलाडि़यों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं. कई बार इसे ‘पेशेवर जोखिम’ भी कहा जाता है, जो हर पेशे से जुड़ा होता है.

‘‘मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या से निबटने के लिए खिलाड़ी अपने परिवार, दोस्तों और खासतौर पर कोचों से लगातार चर्चा करें. कई बार मुश्किल समय में पेशेवर मनोवैज्ञानिक की मदद काफी कारगर साबित हो सकती है.

‘‘मानसिक दबाव और तनाव मौजूदा पेशेवर खेलों का हिस्सा बन चुका है. इस दबाव को झेलने और हैंडल करने के लिए हर खिलाड़ी का फार्मूला अलगअलग होता है. खुद एक एथलीट होने के नाते मैं ने नाकामी या चिंता के डर को दूर करने के लिए कुछ बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया है.

‘‘पहले तो खिलाड़ी के तौर पर यह समझें कि अंतिम डर क्या है. उदाहरण के लिए, क्या आप दूसरों को निराश करने से डरते हैं? दूसरा, अपने डर की तर्कसंगतता को चुनौती दें. साथ ही सीखें कि कंपीटिशन के दबाव को कैसे स्वीकार करें, न कि इस डर से कि आप नाकाम होंगे या निराश महसूस करेंगे.

‘‘इस के अलावा इस वजह को समझें कि आप हर हफ्ते ट्रेनिंग के घंटों में मजा लेते हैं और कंपीटिशन में अपने कौशल पर भरोसा करते हैं. इस से आप तनाव झेलने के लिए तैयार रहेंगे.’’

पहलवान और मोटिवेशनल स्पीकर संग्राम सिंह ने खिलाडि़यों में तनाव पर अपनी बात रखते हुए बताया, ‘‘सचिन तेंदुलकर ने एकदम सही बात कही है. जब खिलाड़ी का कोई खास मुकाबला होता है, तो वह उस से 1-2 महीना पहले अपनी तैयारियों को ले कर तनाव में रहता है. खिलाड़ी जितना बड़ा और मशहूर होता जाता है, उस पर अच्छा करने का दबाव और तनाव भी बढ़ता जाता है.

‘‘कुछ खिलाड़ी तो दबाव में ज्यादा अच्छा नहीं कर पाते हैं, पर कुछ बहुत अच्छा कर जाते हैं. अपने अनुभव से यह बात जरूर कहूंगा कि हर खेल के लिए खिलाड़ी का फिटनैस लैवल अलगअलग होता है.

‘‘मानसिक तनाव दूर करने के लिए अपनी मैंटल ताकत को बढ़ाना चाहिए. इस के लिए खुद में संयम लाना बहुत जरूरी है. इस के लिए अपनी डाइट अच्छी रखें और अनुशासन बरतें.

‘‘इस के अलावा अपने खेल को ऐंजौय करें. सोचें कि यह जो मुझे इतना बड़ा मौका मिला है, उस का भरपूर मजा लेना है. अपने परिवार, समाज और देश के लिए बेहतर करना है. अपनी ऊर्जा को तनाव में नहीं, बल्कि उत्साह में बदल दें.’’

मानसिक तनाव पर इन नामचीन खिलाडि़यों की राय से एक बात तो साबित होती है कि इन के लिए खेल का हर दिन नई चुनौतियों से भरा होता है. उस तनाव से निकल कर ये सब अपना सौ फीसदी खेल में झोंक देते हैं,  तभी देश के लिए तमगे और ट्रौफियां जीतते हैं.

Father’s Day Special: मोहूम सा परदा

Satyakatha: मकान में दफन 3 लाशें- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

अहसान पूरी तरह आश्वस्त हो गया कि वे गहरी नींद में गए हैं. फिर क्या था, यही सही मौका था उसे अपने मंसूबों को अंजाम देने का. उस ने पहले पत्नी नाजनीन, उस के बाद सोहेल और अंत में साजिद की गला घोंट कर हत्या कर दी और धारदार चाकू से तीनों का गला रेत दिया और एक कमरे में तीनों की लाशें रख कर दरवाजे पर बाहर से ताला जड़ दिया ताकि उस कमरे में कोई और न जा सके.

अगले दिन शहर से एक मजदूर बुला कर अहसान ने मकान के बाहरी दालान में सैफ्टी टैंक बनवाने के लिए एक बड़ा और गहरा गड्ढा खुदवाया. फिर रात में तीनों लाशें बारीबारी से उस में डाल दीं.

सबूत मिटाने के लिए उस ने हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल चाकू भी उसी गड्ढे में डाल दिया. उस के बाद ऊपर से मिट्टी डाल कर उन्हें दफना दिया. फिर मिट्टी के ऊपर सीमेंट का घोल फैला कर रातोंरात उस पर पक्का फर्श तैयार कर दिया और चैन की नींद सो गया.

पड़ोसी जब कभी अहसान से उस की पत्नी और बेटों के बारे में पूछते तो वह बहाना बना कर कर कह देता कि पत्नी बेटों के साथ जगदीश नगर में किराए के कमरे में रहती है. मैं भी कभीकभी रात में वहीं रुक जाया करता हूं.

नाजनीन और उस के दोनों बेटों सोहेल और साजिद की हत्या किए एक साल बीत गया था. साल 2017 में अहसान की पहली पत्नी नूरजहां छोटे बेटे शाकिर के साथ पानीपत एक रिश्तेदार के यहां शादी में आई तो पति से मिलने शिवनगर कालोनी भी आई.

जब उस ने पति से दूसरी पत्नी और उस के दोनों बेटों के बारे में पूछा तो अहसान सकपका गया और घबराहट के मारे उस के मुंह से सच्चाई बाहर निकल आई कि उस ने तीनों की हत्या कर दी है और लाशों को इसी घर में दफना दिया है.

उस ने पत्नी को लालच दिया, ‘‘नूरजहां, मुझे नाजनीन से काफी रुपए मिले हैं, उन पैसों से मैं तुम्हारे लिए एक प्लौट खरीदूंगा. इतना ही नहीं, मैं तुम्हें घर के सारे कीमती सामान जैसे फ्रिज, वाशिंग मशीन, कूलर, एलईडी, ट्राली बैग आदि भी खरीद कर दूंगा. तुम अब मौज करोगी. लेकिन तुम यह बात किसी से नहीं कहना.’’

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रुपए और सामान के लालच में पति के गुनाहों को नूरजहां ने अपने सीने में दफन कर लिया और किसी से कुछ नहीं बताया. सारे सबूत मिटाने के लिए अहसान ने नाजनीन की चैकबुक, पासबुक, एटीएम कार्ड, फोटो आदि दस्तावेज जला कर नष्ट कर दिए ताकि पुलिस उस तक किसी कीमत पर न पहुंच सके.

इस के बाद सन 2018 में अहसान ने शुगर मिल कालोनी के रहने वाले पवन कुमार को 5 लाख रुपए में वह मकान बेच दिया. फिर उन रुपयों से पहली पत्नी नूरजहां के लिए मुजफ्फरनगर में एक प्लौट खरीदा. उस के बाद वह मुजफ्फरनगर से भदोही चला गया और किराए का कमरा ले कर रहने लगा.

शादी डौटकौम के जरिए वह एक नए शिकार की तलाश में जुट गया. उसे जल्द ही एक लखपति बीवी फिर से मिल गई. उस ने उस से मंदिर में शादी कर ली और फिर उस के साथ मौज से जीवनयापन करने लगा.

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अहसान सैफी के अपराध का घड़ा भर गया था. जिस मकान में पवन रह रहा था, उस के दालान में बड़ी संख्या में चींटियां लग रही थीं. चींटियों से त्रस्त हो कर पवन ने जब दालान का फर्श तुड़वाया तो सालों से उस के नीचे दफन हत्या का राज खुल गया और शातिर अहसान जेल की सलाखों के पीछे जा पहुंचा.

उस ने कभी सोचा नहीं था कि उस की फूलप्रूफ योजना पर मामूली सी चींटी पानी फेर देगी और जीवन सलाखों के पीछे कटने के लिए विवश हो जाएगा. कथा लिखे जाने पुलिस ने नाजनीन के सारे सामान नूरजहां के घर (मुजफ्फरनगर) से बरामद कर लिए थे. इसी आधार पर पुलिस ने नूरजहां और उस के बेटे शाकिर को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था.

कथा लिखे जाने तक तिहरे हत्याकांड के तीनों आरोपी अहसान सैफी, पहली पत्नी नूरजहां और उस का बेटा शाकिर जेल की सलाखों के पीछे कैद थे. अब अहसान को अपने किए का पश्चाताप हो रहा था.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

वागीशा झा के गीत ‘चुटकी भर सिंदूर’ पर लोगों ने खूब लुटाया प्यार, व्यूज 1 मिलियन के पार

कई देवी गीत,भक्ति गीत, आरतियां गाने के अलावा ‘चहिला तोहके’व अन्य गीतों को अपनी सुमधुर आवाज में गाकर अपनी एक अलग व खास पहचान बना चुकी वागीशा झा इन दिनों विवाह गीत ‘‘चुटकी
भर सिंदूर’’को स्वरबद्ध कर हंगामा बरपा रही हैं.

जी हाॅ!इस विवाह गीत को अब तक एक मिलियन व्यूज मिल चुके हैं.और हर दिन इस गीत के म्यूजिक वीडियो को देखने और इसे सराहने वालों की संख्या में तेजी से इजाफा होता जा रहा है. गीत ‘‘चुटकी भर सिंदूर’’को पारंपरिक विवाह गीतों के संकलनकर्ता के रूप में मशहूर भोजपुरी संगीत कंपनी ‘‘विजय लक्ष्मी
म्यूजिक’’ही ‘विजय लक्ष्मी भोजपुरी ट्यून यूट्यूब चैनल पर बाजार में लेकर आयी है. यह गीत इन दिनों शादी व विवाहोत्सव में खूब सुना जा रहा है. इस वजह से गाने के व्यूज लगातार बढ़ रहे है.

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बेजोड़ गायिका वागीशा झा की आवाज में इस गीत का जादू दर्शकों पर खूब देखने को मिल रहा है. वागीशा झा इस गीत को मिले एक मिलियन व्यूज को लेकर खुशी जाहिर करते हुए कहती हैं-‘‘यह गाना मेरे दिल के सबसे करीब है. हिंदू धर्म में माना गया है कि सिंदूर दान के पश्चात ही विवाह की पूर्णता होती है.

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महिलाओं में माथे पर कुमकुम (बिंदी) लगाने के अतिरिक्त मांग में सिंदूर भरने की प्रथा अति प्राचीन है.यह उनके सुहागिन होने का प्रतीक तो तो है ही, साथ ही इसे मंगलसूचक भी माना जाता है. इसी चीज को हमने इस गीत में पिरोया है, जो लोगों को खूब पसंद आ रहा है.’’

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सिंदूरदान गीत ‘‘चुटकी भर सिंदूर‘’ के गीतकार तरुण पांडेय, संगीतकार लार्ड जी,वीडियो निर्देशक रंजीत कुमार सिंह तथा इसके म्यूजिक वीडियो में आनंद मोहन पांडेय, नेहा सिद्दीकी, राजेश मिश्रा, रूपा सिंह, सागरिका, राजेश कुशवाहा आदि ने अभिनय किया है.

सपना चौधरी फिर से बनने वाली हैं मां! Viral हुई बेबी बम्प फोटो

हरियाणवी डांसिंग क्वीन सपना चौधरी अपने डांस मूव्स के जरिये करोड़ों दिलों पर राज  करती हैं. सोशल मीड्कया पर उनके करोड़ो फौलोअर्स हैं. वह जितना यूट्यूब पर देखीं जाती हैं उससे कहीं ज्यादा सोशल मीडिया पर उनको फौलो करने वालों की संख्या है.

इसका एक बड़ा कारण उनके सोशल मीडिया पेज पर शेयर किये जाने वाले हॉट अंदाज. तो अब सपना चौधरी की एक तस्वीर सामने आया है, जो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. आइए बताते है, सपना चौधरी की इस तस्वीर के बारे में.

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इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि सपना चौधरी एक महिला के साथ खड़ी है. तस्वीर की खास बात यह है कि सपना चौधरी का बेबी बम्प नजर आ रहा है. इस तस्वीर को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि सपना फिर से मां बनने वाली हैं.

 

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जी हां, फैंस में खुशी की लहर दौड़ गई है कि उनकी पसंदीदा कलाकार फिर से मां बनने वाली है. तो वहीं कुछ लोगों का कहना है कि यह पुरानी तस्वीर है. हालांकि सपना चौधरी ने अभी तक प्रेग्नेंसी की खबरों पर चुप्पी नहीं तोड़ी है.

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वर्कफ्रंट की बात करे तो वह लगातार सुपरहिट हरियाणवी गाने रिलीज कर रही है. सपना चौधरी की अदाओं का ही जादू है कि लोग उनके गाने देखने के लिए बेसब्री से इंतजार करते हैं.

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