विदेशी अखबारों ने भारत में कोरोना फैलने की वजहों को ले कर संपादकीय लेख छापे हैं व बदतर हालात का जिक्र कर के दुनिया को जानकारी दी है. इस के बाद दूसरे देशों ने मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाए हैं.

‘बीबीसी वर्ल्ड’ ने लिखा है कि भारत के अस्पताल घुटनों के बल पड़े हैं, मरीजों का रैला लगा हुआ है.

‘टाइम्स मैगजीन’ ने लिखा कि यह नरक है. मोदी की नाकामियों के चलते भारत में कोरोना संकट गहराया है.

‘द गार्जियन’ ने अपने संपादकीय में लिखा है कि मोदी की गलतियों के चलते भारत में कोरोना बेकाबू हो कर विकराल हालात में आया है.

‘न्यूयौर्क टाइम्स’ लिखता है कि मजाकिया (हलके में लेने) और गलत फैसले की वजह से भारत में संकट गहराया है.

सभी अखबारों ने कुंभ में जुटी लाखों की भीड़ व 5 राज्यों में चुनावों की रैलियों को कोरोना फैलने की सब से बड़ी वजह बताया है.

गौरतलब है कि जिस सिस्टम की चर्चा भारतीय मीडिया कर रहा है, उस सिस्टम के मुख्य पदों पर पिछले 7 सालों में भगवाई और स्वयंसेवक संघ की बैकग्राउंड के लोगों को बिठाया गया व सिस्टम का मालिक यानी प्रधानमंत्री खुद संघ से आता है.

धर्म विशेष की राजनीति कर के सत्ता में आए लोगों से आपदा के समय वैज्ञानिक मैनेजमैंट की उम्मीद करना ही बेमानी है. यही वजह है कि मोदी सरकार के मंत्री औक्सीजन व बिस्तर का इंतजाम करवाने के लिए नारियल चढ़ाने या रामचरितमानस का पाठ पढ़ने की सलाह दे रहे हैं.

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उत्तर प्रदेश सरकार कोरोना संकट के बीच अयोध्या जाने वाले हाईवे पर करोड़ों रुपए फूंकते हुए रामायणरूपी पौराणिक पात्रों की रंगोलियां बनवा रही है.

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