फूल सी दोस्ती- भाग 3: क्यों विराट की गर्लफ्रैंड उसका मजाक बनाती थी

‘‘ओके बाबा… लो…अभी व्हाट्सऐप पर तुम्हारे लिए स्टेटस डालती हूं.’’ और रिया ने तभी सुंदर सी रेशमी डोर की इमेज वाला स्टेटस डाला, जिस पर एक गीत की पंक्ति लिखी थी, ‘‘ये मोहमोह के धागे, तेरी उंगलियों से जा उलझे…’’

स्टेटस पढ़ते ही विराट की खुशी का ठिकाना न रहा और उस ने रिया का हाथ पकड़ कर चूम लिया. मन ही मन वह मंजरी का धन्यवाद करना भी नहीं भूला. अगला दिन उस ने लोधी गार्डेन में सैलिब्रेशन डे के रूप में मंजरी के साथ मनाने का निश्चय किया. घर पहुंच कर विराट के कई बार काल करने पर भी जब मंजरी ने फोन नहीं उठाया तो एक छोटा सा मैसेज भेज कर वह सो गया. सुबह होते ही वह फिर मंजरी को फोन करने लगा, पर कोई उत्तर न मिला. व्हाट्सऐप पर भी उस का लास्ट सीन रात का ही था. शिशिर लंदन गए हुए थे, इसलिए मंजरी कहीं दूर भी नहीं गई होगी. विराट बेहद चिंतित था. इसी तरह काफी समय बीत गया. इधर रिया से मिलने का टाइम हो रहा था, उधर मंजरी को ले कर चिंता.

इसी बीच दोपहर के 2 बज गए. कुछ सोचते हुए वह अपनी कार की चाबी ले कर घर से निकला ही था कि मंजरी का फोन आ गया. उस ने बताया कि रात से उसे तेज बुखार है, सुबह से चक्कर भी आ रहे हैं. बिस्तर से उठने की हिम्मत ही नहीं हो रही उस की. ‘‘मैं अभी आता हूं,’’ कह विराट मंजरी के घर की ओर निकल पड़ा. रिया को फोन कर उस ने बता दिया कि आज वह नहीं आ पाएगा क्योंकि एक फ्रैंड की तबीयत ठीक नहीं है, वह उस के घर जा रहा है.

मंजरी के घर पहुंचते ही विराट उसे ले कर हौस्पिटल गया. वहां मंजरी को दवा दी गई. घर वापस आ कर भी विराट तब तक मंजरी के पास बैठा रहा जब तक उस का बुखार कम नहीं हो गया. घर लौटते ही उस ने रिया को फोन कर मंजरी के बारे में बताना शुरू किया. सुन कर रिया बोली, ‘‘तुम ने तो कहा था कि एक फ्रैंड की तबीयत खराब है.’’

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‘‘हां, मंजरीजी फ्रैंड हैं मेरी.’’ ‘‘क्या मतलब?’’

‘‘मतलब तुम भी यही सोचती हो कि एक मेल और फीमेल कभी फ्रैंड नहीं हो सकते?’’ ‘‘मैं क्या उस जमाने की लगती हूं तुम्हें? पर 50 की उम्र के पार की आंटी से फ्रैंडशिप? हाहाहा… आई कांट बिलीव इट.’’

‘‘तुम हंस क्यों रही हो?’’ विराट गुस्से से बोला. जवाब में रिया ने फोन काट दिया.

रात होतेहोते मंजरी की तबीयत में काफी सुधार आ गया. विराट को थैंक्स बोलने के लिए जब उस ने फोन किया तो ‘हैलो’ के साथ ही विराट की निराशा और गुस्से में भरी आवाज सुनाई दी, ‘‘आई हेट रिया.’’

‘‘क्यों क्या हुआ?’’ चिंतित सी मंजरी इतना ही बोल पाई. और विराट ने पूरी घटना उसे सुना दी.

‘‘विराट, इस में रिया की कोई गलती नहीं. हमें संस्कार ही ऐसे दिए जाते हैं कि हम भावनाओं को जीना जानते ही नहीं. अपनी संकीर्ण सोच से कुछ लोगों द्वारा बनाए गए नियमों के इर्दगिर्द ही घूमती रहती है हमारी पूरी जिंदगी. रिया को बस थोड़ा समझाने की जरूरत है. तुम परेशान मत होना, प्लीज…मैं देखती हूं अब क्या करना है.’’ मंजरी के कहने से विराट आश्वस्त हुआ और दोनों की बात वहीं समाप्त हो गई.

अगले दिन मंजरी ने बहुत सी चौकलेट्स खरीदीं और नेत्रहीन बच्चों के छात्रावास की ओर चल दी. वहां जा कर उस ने वे चौकलेट्स बच्चों में बांटने की इच्छा व्यक्त की. जैसा कि वह उम्मीद कर रही थी, उसे वहां की इंचार्ज यानी रिया के पास भेज दिया गया. गोरे रंग की लंबी, स्लिम बौडी की खूबसूरत रिया का फोटो भी विराट ने उसे अभी तक नहीं दिखाया था, क्योंकि वह दोनों को आमनेसामने मिलवाना चाहता था. मंजरी ने रिया को अपना नाम नहीं बताया. वह जानती थी कि चेहरे से रिया उसे नहीं पहचानती होगी.

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रिया के साथ वह ग्राउंड में खेल रहे बच्चों के पास पहुंच गई. उन सब की उम्र लगभग 5-10 वर्ष के बीच थी. रिया ने बताया कि उसे इन बच्चों से बहुत लगाव है. यहां इन के पढ़ने, रहने, खानेपीने और कपड़ों आदि का प्रबंध एक एनजीओ की मदद से होता है. ‘‘इन बच्चों का साथ मुझे हिम्मत, हौसला और जीने की नई ताकत देता है,’’ कह कर रिया मुसकराने लगी.

बच्चों के प्रति रिया का समर्पण मंजरी को बहुत अच्छा लगा. दोनों की बातचीत चल ही रही थी एक मासूम सा बच्चा मंजरी द्वारा दी गई चौकलेट रिया के पास ले कर आया और बोला, ‘‘आधी आप खाओ न मैम.’’ रिया ने थोड़ी सी चौकलेट तोड़ी और उस के गाल चूम कर उसे खेलने भेज दिया.

‘‘यह साहिल है. इस के मातापिता एक बम विस्फोट में मारे गए थे. साहिल भी उसी दुर्घटना के कारण अपनी आंखें गंवा बैठा. मुझे बहुत अच्छा लगता है साहिल. मैं इसे दुखी नहीं देख सकती और यह भी मुझे छू कर ही मेरा दुख समझ लेता है. जब कभी मैं उदास होती हूं तो मुझे खुश करने की कोशिश करता है.’’ ‘‘ओहो… बहुत दुखभरी है साहिल की कहानी. पर अच्छा हुआ कि उसे तुम्हारे जैसी दोस्त मिल गई.’’ मंजरी ने कहा.

‘‘आप इन भावनाओं को कितना समझती हैं… साहिल और मैं सचमुच एकदूसरे को बहुत प्यार करते हैं. वह मेरा प्यारा सा दोस्त है और मैं उस की,’’ मंजरी से सहमति जताती हुई रिया चहक उठी. ‘‘तो क्या तुम नहीं चाहोगी कि ये दोस्ती आज से 20-25 साल बाद भी ऐसी ही रहे? क्या तब तुम इसे इसलिए दोस्त नहीं कहोगी कि तुम 50 के पार हो जाओगी? क्या एक उम्र के बाद भावनाओं को दबा देना चाहिए? अगर उस समय साहिल आज की तरह ही तुम से लगाव महसूस करे तो क्या तब उम्र के अंतर को ध्यान में रखते हुए उसे तुम्हारे प्रति अपने प्यार को कम कर लेना होगा? या फिर तब रिश्ते का नाम दोस्ती से बदल कर कुछ और रखोगी? क्या नाम होगा उस रिश्ते का? शायद कोई नाम नहीं. तब क्या होगा रिया, बता सकती हो तुम?’’ रिया की ओर देख कर मंजरी लगातार मुसकराने की कोशिश कर रही थी.

‘‘प्यार तो ऐसा ही होगा शायद दोनों में. और नाम… नाम तो दोस्ती ही होगा रिश्ते का. अब भी. और तब भी…’’ सोचती हुई सी रिया बोली. ‘‘अगर साहिल और तुम्हारे रिश्ते को दोस्ती का नाम दिया जा सकता है, तो विराट और मंजरी के रिश्ते को क्यों नहीं…?’’ मंजरी के सब्र का बांध टूट गया और आंखों से झरझर आंसू बहने लगे.

रिया जैसे सोते से जागी हो, ‘‘आप मंजरीजी हैं न?’’ कह कर वह मंजरी से लिपट गई. उस की आंखों से भी आंसू निकल पड़े. कुछ देर तक दोनों चुपचाप बैठी रहीं. फिर चुप्पी तोड़ते हुए मंजरी बोली, ‘‘अब मैं चलती हूं रिया. कल तुम मेरे घर आना. विराट को भी वहीं बुला लूंगी. खूब बातें करनी हैं मुझे तुम दोनों से.’’

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रिया हामी में सिर हिला कर मुसकरा दी. आज रिश्तों का नया पाठ पढ़ा था रिया ने. सच ही तो है कि लगाव, परवाह, त्याग और प्यार जैसे शब्द मन की कोमल भावनाओं के नाम हैं और जब ये एकसाथ मिल जाएं तो बन जाती है दोस्ती. तो फिर दोस्ती का रिश्ता पूरी तरह मन का हुआ. और मन तो सदा एक सा ही रहता है… तो फिर दोस्ती क्यों हो उम्र की मुहताज?

अपने मन की बात विराट तक पहुंचाने के लिए रिया ने उसे व्हाट्सऐप पर मैसेज किया ‘‘विराट… रिश्तों की गहराई को मैं समझ नहीं पाई थीं. अपनेपन की सुगंध से भरे किसी भी रिश्ते को उम्र के अंतिम पड़ाव तक भी मुरझाना नहीं चाहिए. मेरी ख्वाहिश है कि तुम्हारी और मंजरीजी की दोस्ती हमेशा महकती रहे. सचमुच बहुत सुंदर है ये फूल सी दोस्ती.’’

Manohar Kahaniya: डिंपल का मायावी प्रेमजाल- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

इस बात से मेहताजी को पूरी तरह समझ में आ गया कि डिंपल का पूरा गैंग है, जो उस के माध्यम से लोगों को फांस कर रुपए ऐंठता है. सब कुछ जान कर भी वह कुछ कर नहीं पा रहे थे. वह पछता भी बहुत रहे थे. पर अब पछताने से क्या हो सकता था.

पुलिस से की शिकायत

इतने रुपए देने के बावजूद भी वह डर रहे थे कि फिर किसी बहाने से डिंपल उन से रुपए न मांग बैठे. आखिर उन का डर सच निकला. 15 दिन भी नहीं बीते थे कि मेहताजी के पास सूरत के थाना वारछा से फोन कर के धमकी दी गई कि अगर उन्होंने डिंपल को 15 लाख रुपए नहीं दिए तो उन पर डिंपल का जबरदस्ती गर्भपात कराने का मुकदमा दर्ज कर के जेल भेज दिया जाएगा.

जेल जाने और बदनामी के डर से मेहताजी ने जैसेतैसे कर के डिंपल को 15 लाख रुपए फिर दिए. इस के बाद फिर उन्हें धमका कर 50 हजार रुपए ले लिए गए.

इतने रुपए लेने के बाद भी मेहताजी को और रुपए देने के लिए धमकाया जाता रहा. जब मेहताजी को लगा कि डिंपल और उस के साथी उस का पीछा नहीं छोड़ने वाले तो वह थाना कोतवाली ऊंझा जा कर थानाप्रभारी एस.जे. वाघेला से मिले.

उन्हें पूरी आपबीती सुना कर कहा, ‘‘सर, किसी तरह मुझे इन लोगों के चंगुल से मुक्त कराइए. इन लोगों ने मुझे कंगाल तो कर ही दिया है, अब मेरी जान लेने पर तुले हैं.’’

इंसपेक्टर एस.जे. वाघेला ने मेहताजी से एक प्रार्थनापत्र ले कर डिंपल पटेल और उस के साथियों, मौलिक कुमार पटेल, एनसीपी नेता नटवर उर्फ नटुभाई ठाकोर निवासी महादेव उर्फ दिनेश चौधरी, अंकित कुमार पटेल और सनी कुमार पटेल के खिलाफ सामाजिक बदनामी और झूठी शिकायत कर फंसा देने सहित सोचीसमझी साजिश रच कर साढ़े 58 लाख रुपए ठगने का मुकदमा दर्ज करा दिया. सभी आरोपी ऊंझा के रहने वाले थे.

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मुकदमा दर्ज होते ही कोतवाली प्रभारी ने सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी की तैयारी शुरू कर दी. काररवाई करते हुए उन्होंने सभी के फोन सर्विलांस पर लगवा देने के साथ अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए ऊंझा एसओजी से भी मदद मांगी.

जांच के बाद पुलिस को आरोपियों के फोन नंबर मिल चुके थे, जिन्हें सर्विलांस पर लगा दिया गया था.

सर्विलांस के आधार पर कुछ ही घंटों में ऊंझा की एसओजी टीम ने 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर सभी को कोतवाली पुलिस को सौंप दिया. उन से पूछताछ के बाद अगले दिन यानी 7 अगस्त की सुबह कोतवाली पुलिस ने उनावा के पास से डिंपल को भी गिरफ्तार कर लिया.

ठग मंडली चढ़ गई पुलिस के हत्थे

गिरफ्तार लोगों से की गई पूछताछ में पता चला कि मौलिक पटेल और महादेव चौधरी के खिलाफ इस के पहले कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. जबकि ऊंझा के एनसीपी नेता नटवरभाई उर्फ नटुभाई ठाकोर के खिलाफ मारपीट, जुआ खेलने तथा आर्म्स एक्ट के तहत कई मुकदमे दर्ज थे.

सुजीत कुमार के खिलाफ 3 आपराधिक मुकदमे दर्ज थे तो अंकित और सनी के खिलाफ मारपीट और हत्या की कोशिश के मुकदमे दर्ज थे.

यही नहीं, जांच में यह भी पता चला है कि मेहताजी को हनीट्रैप में फंसा कर साढ़े 58 लाख रुपए ठगने वाले इस गैंग ने इस के पहले डिंपल के साथ मिल कर जिले के ही 3 अन्य लोगों को ठगा था. इन में 7 महीने पहले इसी तरह उनावा के रहने वाले एक मारवाड़ी को उस ने प्रेमजाल में फांस कर 2 लाख रुपए ऐंठ लिए थे.

इस के बाद ऊंझा के ही एक बुजुर्ग की एक लड़की से बात करा कर वड़नगर के एक गेस्टहाउस में बुला कर उस से 3 लाख रुपए वसूले थे. इसी तरह एक युवक की एक लड़की से बात करा कर विसनगर के एक गेस्टहाउस में बुला कर 15 लाख रुपए वसूले थे.

इस के बाद भी पुलिस को आशंका है कि इस गैंग ने और लोगों को भी ठगा है. इसीलिए पुलिस ने इस गैंग के बारे में अखबारों में छपवा कर लोगों से आग्रह किया है कि जो लोग भी इस गैंग का शिकार हुए हैं, वे थाने आ कर अपनी शिकायत दर्ज कराएं. पुलिस उन की पहचान उजागर नहीं होने देगी.

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7 अगस्त को ही गिरफ्तार सभी अभियुक्तों का कोरोना टेस्ट कराया गया. रिपोर्ट निगेटिव आने पर सभी को अदालत में पेश किया गया, जहां से सभी को 6 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया.

पुलिस रिमांड के दौरान उन लोगों से संपर्क करने की कोशिश की जो इस गैंग द्वारा ठगे गए थे. पुलिस के लाख निवेदन पर भी लोग सामने नहीं आए. शायद बदनामी के डर से वे सामने नहीं आए. बदनामी के डर से ही तो उन लोगों ने इस गैंग को लाखों रुपए सौंप दिए थे.

रिमांड के दौरान पुलिस ने इस गैंग से 15 लाख 30 हजार रुपए बरामद किए थे. रिमांड खत्म होने पर पुलिस ने गिरफ्तार अभियुक्तों को दोबारा अदालत में पेश किया, जहां से सभी को जेल भेज दिया गया.

(मेहताजी की पहचान छिपाने के लिए नाम नहीं दिया गया है. गुजरात में मुनीम यानी एकाउंटेंट को मेहता कहते हैं.)

वेटिंग रूम- भाग 6: सिद्धार्थ और जानकी की छोटी सी मुलाकात के बाद क्या नया मोड़ आया?

Writer- जागृति भागवत 

सिद्धार्थ जानकी को होटल छोड़ कर घर चला गया. मन काफी भारी था और उदास भी. घर पहुंचा तो मां ने पूछा, लेकिन सिद्धार्थ ने बताया कि उस ने एक दोस्त के साथ बाहर खाना खा लिया है. सिद्धार्थ के चेहरे की उदासी उस के मन की जबान बन रही थी. मां ने उस से पूछा, ‘‘कौन दोस्त था तेरा?’’ सिद्धार्थ ने इस प्रश्न की कल्पना नहीं की थी. वह बस बोल गया, ‘‘मौम, आप नहीं जानतीं उसे,’’ और सिद्धार्थ अपने कमरे में चला गया. मां का शक पक्का हो गया कि सिद्धार्थ कुछ छिपा रहा है उस से. वे सिद्धार्थ के कमरे में गईं और पूछा, ‘‘आज तू पापा के साथ औफिस क्यों नहीं गया, इसी दोस्त के लिए?’’

सिद्धार्थ समझ नहीं पा रहा था कि मां इतना खोद कर क्यों पूछ रही हैं. वह बोला, ‘‘हां मौम, वह बाहर से आया है न, इसलिए उस का थोड़ा अरेंजमैंट देखना था.’’ 

‘‘तो क्या हो गया अरेंजमैंट?’’

‘‘अभी नहीं, मौम,’’ सिद्धार्थ बात को खत्म करने के लहजे में बोला. लेकिन मां तो आज ठान कर बैठी थीं कि सिद्धार्थ से आज सब जान कर रहेंगी.

‘‘फिर तू उसे घर क्यों नहीं ले आया? जब तक उस का कोई और इंतजाम नहीं हो जाता, वह हमारे साथ रह लेता,’’ मां ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

‘‘मौम, उसे हैजिटेशन हो रहा था, इसलिए नहीं आया,’’ सिद्धार्थ बात को जितना समेटने की कोशिश कर रहा था, मां उसे और ज्यादा खींच रही थीं.

‘‘अच्छा यह बता, पिछले 10-12 दिन से तो तू बहुत खुशखुश लग रहा था, आज सुबह दोस्त से मिलने गया तब भी बड़ा खुश था, अब अचानक इतना गुमसुम क्यों हो गया है. सच बताना, मैं मां हूं तेरी मुझ से कुछ मत छिपा, कोई समस्या हो तोबता, शायद मैं मदद कर सकूं,’’ कह कर अब तो मां ने जैसे मोरचा ही खोल दिया था. अब सिद्धार्थ के लिए बात को छिपाना मुश्किल लग रहा था. इतने कम समय में उस ने जानकी को बहुत अच्छी तरह से पहचान लिया था लेकिन इतना बड़ा फैसला लेने में घबरा रहा था. इस बारे में मां और पिताजी को समझाना उसे काफी मुश्किल लग रहा था. सब से बड़ी बात है कि जानकी अनाथालय में पलीबढ़ी थी. जमाना कितना भी आगे बढ़ जाए लेकिन ऐसे समय सभी खानदान और कुल जैसे भंवर में फंस जाते हैं. वह उच्च और रईस घराने से था, ऐसे में एक ऐसी लड़की जिस के न मातापिता का पता है न खानदान का. अनाथालय में पलीबढ़ी एक लड़की के चरित्र पर भी लोग संदेह करते हैं. ऐसे में वह क्या करे क्या न करे, फैसला नहीं ले पा रहा था.

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दूसरी तरफ उसे जानकी की चिंता सता रही थी. जब तक उस के रहने की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक उसे होटल में ही रुकना पड़ेगा जो उस के लिए बहुत खर्चीला होगा. वह कहां से लाएगी इतना पैसा? आखिर उस ने मां को सबकुछ बताने का फैसला किया. ‘‘मौम, आप बैठिए प्लीज, मुझे आप से कुछ बातें करनी हैं,’’ और उस ने मनमाड़ रेलवे स्टेशन के प्रतीक्षालय से ले कर आज तक की सारी बातें मां को बता दीं. सबकुछ सुनने के बाद मां कुछ देर चुप रहीं फिर बोलीं, ‘‘देखते हैं बेटा, कुछ करते हैं,’’ और उठ कर चली गईं.

अब सिद्धार्थ पहले से अधिक बेचैन हो गया. बारबार सोचता कि उस ने सही किया या गलत? फिर रात को पापा आए. सब ने साथ खाना खाया. खाने की टेबल पर पापा और सिद्धार्थ की थोड़ीबहुत बातें हुईं. पापा ने भी अनजाने में उस से पूछ लिया, ‘‘बेटा, तेरा वह दोस्त आया कि नहीं?’’

‘‘आया न पापा,’’ सिद्धार्थ ने मां की ओर देखते हुए कहा.

‘‘फिर उसे ले कर घर क्यों नहीं आया,’’ वही मां वाले सवाल पापा दुहराए जा रहे थे.

‘‘पापा, बाद में आएगा,’’ कह कर सिद्धार्थ ने बड़ी मुश्किल से जान छुड़ाई. खाना खा कर तीनों सोने चले गए. अगले दिन शाम को लगभग 4:30 बजे पिताजी ने औफिस में सिद्धार्थ को अपने कक्ष में बुला कर कहा, ‘‘तुम्हारी मौम का फोन था, वह आ रही हैं अभी, तुम्हारे साथ कहीं जाना है उन्हें. तुम अपना काम वाइंडअप कर लो.’’

कई वर्षों बाद ऐसा होगा जब सिद्धार्थ अपनी मौम के साथ कहीं जा रहा हो, वरना अब तक तो मां के साथ पिताजी ही जाते थे और सिद्धार्थ अपने दोस्तों के साथ. अचानक मां को उस के साथ कहां जाना है, वह समझ नहीं पा रहा था.

‘‘जी पापा,’’ इतना कह कर वह अपने कक्ष में आ गया. मां के आने तक सिद्धार्थ बेचैनी से घिरा जा रहा था. मां आईं और सिद्धार्थ उन के साथ गाड़ी में जा बैठा और पूछा, ‘‘मौम, कहां जाना है?’’

मां ने गंभीरता से पूछा, ‘‘जानकी किस होटल में रुकी है?’’ सिद्धार्थ अवाक् रह गया. बस, इतना ही मुंह से निकल पाया, ‘‘होटल शिवाजी पैलेस.’’

‘‘तो चलो,’’ मां बोलीं.

होटल पहुंच कर सिद्धार्थ ने सिर्फ इतना कहा, ‘‘मौम, वह मेरी भावनाओं से अनजान है.’’

‘‘मैं जानती हूं.’’

रिसैप्शन पर कमरा नंबर पता कर के दोनों उस के कमरे के बाहर पहुंचे. दरवाजे पर सिद्धार्थ आगे खड़ा था. दरवाजा खुलते ही जानकी बोली, ‘‘आप? अचानक?’’ ‘‘अंदर आने के लिए नहीं कहेंगी?’’ सिद्धार्थ ने स्वयं ही पहल की. लेकिन जानकी थोड़ा असमंजस में पड़ गई कि उसे अंदर आने के लिए कहे या नहीं. तभी सिद्धार्थ की मां सामने आईं और बोलीं, ‘‘मुझे तो अंदर आने दोगी?’’

‘‘मेरी मौम,’’ सिद्धार्थ ने मां से जानकी का परिचय करवाया.

जानकी ने दोनों को अंदर बुलाया. सिद्धार्थ और जानकी खामोश थे. खामोशी को तोड़ते हुए मां ने वार्त्तालाप शुरू की, ‘‘जानकी बेटा, मुझे सिद्धार्थ ने तुम्हारे बारे में बताया, लेकिन हमारे रहते तुम यहां होटल में रहो, यह हमें बिलकुल अच्छा नहीं लगेगा. तुम सिद्धार्थ के कहने पर नहीं आईं, मैं समझ सकती हूं, अब मैं तुम्हें लेने आई हूं, अब तो तुम्हें चलना ही पड़ेगा.’’ सिद्धार्थ की मां ने इतने स्नेह और अधिकार के साथ यह सब कहा कि जानकी के लिए मना करना मुश्किल हो गया. फिर भी वह संकोचवश मना करती रही. लेकिन मां के आग्रह को टाल नहीं सकी. मां ने सिद्धार्थ से कहा, ‘‘सिद्धार्थ, नीचे रिसैप्शन पर जा कर बता दे कि जानकी होटल छोड़ रही हैं और बिल सैटल कर के आना.’’ जानकी को यह सब काफी अजीब लग रहा था. उस ने बिल के पैसे देने चाहे लेकिन सिद्धार्थ की मां बोलीं, ‘‘यह हिसाब करने का समय नहीं है, तुम अपना सामान पैक करो, बाकी सब सिद्धार्थ कर लेगा.’’

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सामान बांध कर जानकी सिद्धार्थ के घर चली गई. सिद्धार्थ की मां ने आउटहाउस को दिन में साफ करवा दिया था. जानकी रात को पिताजी से भी मिली. पहली बार उस ने मातापिता के स्नेह से सराबोर घर को देखा था. जानकी बहुत भावुक हो गई. अगले दिन से उस ने कालेज जाना शुरू कर दिया. साथ ही साथ रहने की व्यवस्था पर गंभीरता से खोज करने लगी. एक हफ्ते में सिद्धार्थ ने ही एक वर्किंग वूमन होस्टल ढूंढ़ा. जानकी को भी पसंद आया. सिद्धार्थ के पिताजी की पहचान से जानकी की अच्छी व्यवस्था हो गई. रविवार के दिन वह होस्टल जाने वाली थी. इस एक हफ्ते में सिद्धार्थ के मातापिता को जानकी को समझनेपरखने का अच्छा मौका मिल गया. अपने बेटे के लिए इतनी शालीन और सभ्य लड़की तो वे खुद भी नहीं खोज पाते. शनिवार की रात सब लोग एक पांचसितारा होटल में खाना खाने गए. पहले से तय किए अनुसार सिद्धार्थ के पिताजी सिद्धार्थ के साथ बिलियर्ड खेलने चले गए. अब टेबल पर सिर्फ सिद्धार्थ की मां और जानकी ही थे. अब तक जानकी उन से काफी घुलमिल गई थी. इधरउधर की बातें करतेकरते अचानक मां ने जानकी से पूछा, ‘‘जानकी, तुम्हें सिद्धार्थ कैसा लगता है?’’

अब तक जानकी के मन में सिद्धार्थ की तरफ आकर्षण जाग चुका था लेकिन सिद्धार्थ की मां से ऐसे प्रश्न की उसे अपेक्षा नहीं थी. सकुचाते हुए जानकी ने पूछा, ‘‘क्या मतलब?’’

‘‘इस के 2 मतलब थोड़े ही हैं, मैं ने पूछा तुम्हें सिद्धार्थ कैसा लगता है? अच्छा या बुरा?’’ मां शरारतभरी मुसकान बिखेरते हुए बोलीं.

अब जानकी को कोई कूटनीतिक उत्तर सोचना था, वह चालाकी से बोली, ‘‘आप जैसे मातापिता का बेटा है, बुरा कैसे हो सकता है आंटी.’’

‘‘फिर शादी करना चाहोगी उस से?’’ मां ने बेधड़क पूछ लिया. आमतौर पर लड़की के सामने शादी का प्रस्ताव लड़का रखता है लेकिन यहां मां रख रही थी.

जवाब में जानकी खामोश रही. सिद्धार्थ की मां ने उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘बेटा, मैं जानती हूं कि तुम क्या सोच रही हो. रुपया, पैसा, दौलत, शोहरत एक बार चली जाए तो दोबारा आ सकती है लेकिन, रिश्ते एक बार टूट जाएं तो फिर नहीं जुड़ते, प्यार एक बार बिखर जाए तो फिर समेटा नहीं जाता और मूल्यों से एक बार इंसान भटक जाए तो फिर वापस नहीं आता. लेकिन तुम्हारी वजह से यह सब संभव हुआ है. यों कहो कि तुम ने यह सब मुमकिन किया है.‘‘सिद्धार्थ हमारा इकलौता बेटा है. पता नहीं हमारे लाड़प्यार की वजह से या कोई और कारण था, हम अपने बेटे को लगभग खो चुके थे. सिद्धार्थ के पिताजी को दिनरात यही चिंता रहती थी कि उन के जमेजमाए बिजनैस का क्या होगा? उस रात तुम से मिलने के बाद सिद्धार्थ में ऐसा बदलाव आया जिस की हम ने उम्मीद ही नहीं की थी. तुम ने चमत्कार कर दिया. तुम्हारी वजह से ही हमें हमारा बेटा वापस मिल गया. हम मातापिता हो कर अपने बच्चे को अच्छे संस्कार और मूल्य नहीं दे सके लेकिन तुम ने अनाथालय में पल कर भी वह सब गुण पा लिए. ‘‘जानकी बेटा, तुम्हारे दिल में सिद्धार्थ के लिए क्या है, मैं नहीं जानती, लेकिन वह तुम को बहुत पसंद करता है, साथ ही, मैं और सिद्धार्थ के पिताजी भी. अब बस एक ही इच्छा है कि तुम हमारे घर में बहू बन कर आओ. बोलो आओगी न?’’

जानकी झेंप गई और बस इतना ही बोल पाई, ‘‘आंटी, आप मानसी चाची से बात कर लें,’’ और जानकी का चेहरा शर्म से लाल हो गया. सिद्धार्थ के मातापिता की तय योजना के अनुसार, जिस में अब जानकी भी शामिल हो गई थी, उस के पिताजी उसे ले कर वापस आए. अब चारों साथ बैठे थे. अब चौंकने की बारी सिद्धार्थ की थी. मां ने वही सवाल अब सिद्धार्थ से पूछा, ‘‘बेटा, क्या तुम जानकी के साथ शादी करना चाहोगे?’’ सिद्धार्थ कुछ क्षणों के लिए तो सब की शक्लें देखता रहा, फिर शरमा कर उठ कर चला गया. सिद्धार्थ का यह एक नया रूप उस के मातापिता ने पहली बार देखा था.

पिताजी जानकी से बोले, ‘‘जाओ बेटा, उसे बुला कर ले आओ.’’ जानकी सिद्धार्थ के पास जा कर खड़ी हुई, दोनों ने एकदूसरे को देखा और मुसकरा दिए. 2 माह बाद अनाथालय को दुलहन की तरह सजाया गया और जानकी वहां से विदा हो गई.

रिश्ते: अब तुम पहले जैसे नहीं रहे

आराधना की शादी टूटने की कगार पर है. महज 5 वर्षों पहले बसी गृहस्थी अब पचास तरह के  झगड़ों से तहसनहस हो चुकी है. आराधना और आशीष दोनों ही मल्टीनैशनल कंपनी में अच्छी पोस्ट पर कार्यरत हैं. हाइली एजुकेटेड हैं. बड़ी तनख्वाह पाते हैं. पौश कालोनी में फ्लैट लिया है. सबकुछ बढि़या है, सिवा उन दोनों के बीच संबंध के.

2 साल चले प्रेमप्रसंग के बाद आराधना और आशीष ने शादी का फैसला किया था. शादी से पहले तक दोनों दो जिस्म एक जान थे. साथसाथ खूब घूमेफिरे, फिल्में देखीं, शौपिंग की, हिल स्टेशन साथ गए, एकदूसरे को ढेरों गिफ्ट दिए, एकदूसरे की कंपनी खूब एंजौय की. ऐसा लगता कि इस से अच्छा मैच तो मिल ही नहीं सकता. इतना अच्छा और प्यारा जीवनसाथी हो तो पूरा जीवन खुशनुमा हो जाए.

लेकिन शादी के 2 ही वर्षों के अंदर सबकुछ बदल गया. शादी के बाद धीरेधीरे दोनों का जो रूप एकदूसरे के सामने आया, उस से लगा इस व्यक्तित्व से तो वे कभी परिचित ही नहीं हुए. एकदूसरे से बेइंतहा प्यार करने वाले आराधना और आशीष अब पूरे वक्त एकदूसरे पर दोषारोपण करते रहते हैं. छोटी सी बात पर गालीगलौच, मारपीट तक हो जाती है. फिर या तो आराधना अपने कपड़े बैग में भर कर अपनी दोस्त के यहां रहने चली जाती है या आशीष रातभर के लिए गायब हो जाता है.

दरअसल, शादी से पहले दोनों का अच्छा पक्ष ही एकदूसरे के सामने आया. मगर शादी के बाद उन की ऐसी आदतें और व्यवहार एकदूसरे पर खुले, जो घर के अंदर हमेशा से उन के जीवन का हिस्सा थे. शादी के बाद आशीष की बहुत सी आदतें आराधना को नागवार गुजरती थीं, खासतौर पर उस का गंदे पैर ले कर बिस्तर पर चढ़ जाना.

आशीष को घर में नंगे पैर रहने की आदत है. दिनभर जूते में उस के पैर कसे रहते हैं, लिहाजा, घर आते ही वह जूते उतार कर नंगे पैर ही रहता है. आराधना उस की इस आदत को कभी स्वीकार नहीं कर पाई. आराधना सफाई के मामले में सनकी है. कोई गंदे पैर ले कर उस के बिस्तर पर कैसे आ सकता है? शादी के पहले ही साल उस ने बैडरूम में लगे डबलबैड को 2 सिंगल बैड में बांट दिया. अपने बिस्तर पर वह आशीष को हरगिज चढ़ने नहीं देती है.

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कभी आशीष का मूड रोमांटिक हुआ और उस ने उस के बिस्तर में घुसने की कोशिश की तो वह उस के गंदे पैरों को ले कर चिढ़ी दिखती है और सारे मूड का सत्यानाश कर देती है. उन के रिश्ते में दरार बढ़ने की शुरुआत भी, दरअसल, यहीं से शुरुआत हुई एकदूसरे की नजदीकियां न मिलने से दूरियां बढ़ने की.

और भी कई आदतें आशीष की थीं जो आराधना को बरदाश्त नहीं थीं. नहाने के बाद भीगा तौलिया बाथरूम में ही छोड़ देना, धुलने वाले कपड़े वाशिंग मशीन में डालने की जगह इधरउधर रख देना, बिस्तर छोड़ने के बाद उस को तय कर के न रखना, खाने में हरी सब्जियों से परहेज, हर दूसरेतीसरे दिन नौनवेज खाने की फरमाइश, न मिलने पर बाहर से मंगवा लेना, ये तमाम बातें आराधना को परेशान करती हैं.

आराधना की भी आदतें आशीष को खटकती हैं. उस का जरूरत से ज्यादा सफाई पसंद होना, पूरी शाम फोन पर सहेलियों या अपने घर वालों से बातें करना, उस का डाइटिंग वाला खाना जो कभी भी आशीष के गले नहीं उतर सकता, अपने रूपरंग को बरकरार रखने के लिए ब्यूटीपार्लर में पानी की तरह पैसे बहाना, हर वीकैंड पर शौपिंग करना, फालतू की महंगी चीजें खरीद लाना और फिर गिफ्ट के तौर पर किसी सहेली को पकड़ा देना, कोई फ्यूचर प्लानिंग न करना, ऐसी उस की बहुतेरी बातें आशीष को खटकती हैं. इन्हीं पर दोनों के बीच  झगड़े होते हैं.

दोनों आर्थिक रूप से सक्षम हैं, लिहाजा, किसी के दबने का सवाल ही पैदा नहीं होता.  झगड़ा होता है तो दोनों कईकई दिनों तक एक छत के नीचे 2 अजनबियों की तरह रहते हैं. दोनों में से कोई सौरी नहीं बोलता. अब तो दोनों को ही यह लगने लगा है कि वे अलगअलग ही रहें तो बेहतर है. कम से कम औफिस से घर आने पर सुकून तो होगा. बेकार की बातों पर कोई खिचखिच तो नहीं करेगा. सात जन्मों तक साथ रहने की कसमे खाने वाले आराधना और आशीष 5 वर्षों में ही एकदूसरे से बुरी तरह ऊब चुके हैं.

कोई भी रिलेशनशिप आसानी से नहीं टूटती है. रिलेशनशिप में छोटीछोटी बातों का ध्यान रखना होता है. रिश्तों में धीरेधीरे दूरियां बढ़नी शुरू होती हैं और एक समय ऐसा आता है जब दूरियां इस कदर बढ़ जाती हैं कि रिलेशनशिप टूट जाती है.

अकसर रिलेशनशिप में देखा जाता है कि छोटीछोटी समस्याएं होती रहती हैं, जिन को अधिकतर हम नजरअंदाज कर देते हैं. परंतु इन समस्याओं को नजरअंदाज करने से आप के रिश्ते में दरार पड़ सकती है. इन समस्याओं को हमें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, हमें इन समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए.

रिलेशनशिप में कुछ समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और रिश्ते को बचाए रखने के लिए निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए :

स्वभाव में अंतर

अगर आप के और आप के पार्टनर के स्वभाव में काफी अंतर है तो यह अंतर बाद में रिलेशनशिप में समस्याएं पैदा कर सकता है. हर किसी का अपना अलग स्वभाव होता है. हो सकता है आप के पार्टनर को घूमने का शौक हो और आप घर पर रहना ही पसंद करते हों. हो सकता है आप के पार्टनर को बाहर जा कर पार्टी करने का शौक हो और आप घर पर ही पार्टी करने का शौक रखते हों. अलगअलग स्वभाव होने की वजह से भी रिलेशनशिप में दूरियां बढ़ने लगती हैं.

स्वभाव में अंतर होना आम बात है, पर इस अंतर को दूर किया जा सकता है. अगर आप चाहते हैं कि आप के रिश्ते में हमेशा प्यार बना रहे तो एकदूसरे के स्वभाव में ढलने का प्रयास करें. रिलेशनशिप को सफल बनाने के लिए पतिपत्नी दोनों को प्रयास करना होता है.

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अलग चाहतें

रिलेशनशिप में एकदूसरे को सम झना काफी महत्त्वपूर्ण होता है. अगर आप की और आप के पार्टनर की प्राथमिकताएं व चाहतें एकदूसरे से अलग हैं तो समय रहते इस बात पर ध्यान देना आप की रिलेशनशिप के लिए बेहतर रहेगा. अगर आप समय रहते इस बात पर ध्यान नहीं देंगे तो आप के रिश्ते में दूरियां बढ़ने लगेंगी.

रिलेशनशिप सिर्फ एक व्यक्ति के चाहनेभर से नहीं चल सकती. एक अच्छी रिलेशनशिप होने के लिए जरूरी है कि एकदूसरे की प्राथमिकताओं को सम झा जाए. जीवन में हर इंसान की कुछ न कुछ प्राथमिकताएं होती हैं. आप की और आप के पार्टनर की भी कुछ प्राथमिकताएं होंगी. आप एकदूसरे की प्राथमिकताओं को सम झने का प्रयास करेंगे तो आप की रिलेशनशिप में कोई भी समस्या नहीं आएगी.

उन के फैसले को तवज्जुह दें

अगर रिश्ते में छोटीछोटी बातों को ले कर तनाव होने लगे तो आप को सम झ जाना चाहिए कि रिलेशनशिप में समस्याएं आ रही हैं. एकदूसरे पर अधिकार जमाने के कारण या पार्टनर द्वारा सिर्फ अपने ही फैसलों को तवज्जुह देने के कारण रिश्ते में तनाव बढ़ने लगता है. तनाव बढ़ने के कारण रिश्ता टूट सकता है. अगर आप चाहते हैं कि आप के रिश्ते में कभी भी कोई भी परेशानी न आए तो एकदूसरे पर अधिकार जमाना छोड़ दें और हर काम में एकदूसरे का साथ निभाएं. रिलेशनशिप में प्यार से रहने से किसी भी तरह का कोई तनाव नहीं रहता. पार्टनर के साथ अधिक से अधिक समय बिताने का प्रयास करें.

भावनाएं साझा करें

एकदूसरे से बातचीत के जरिए अपनी भावनाओं को सा झा करें और कहां कमियां रह गई हैं, इस बात पर विचार करें. रिलेशनशिप में आपस में किसी को भी चलताऊ न लें. अगर आप का पार्टनर आप के लिए कुछ कर रहा है तो उसे अहमियत दें. अहमियत देने से रिश्ते और ज्यादा मजबूत होते हैं और आपसी प्यार भी बढ़ता है. अगर आप का पार्टनर आप के प्रति प्यार जता रहा है तो उस की भावनाओं की कद्र करें.

उन को सम्मान दें

एकदूसरे को सम्मान देने से ही प्यार बढ़ता है. बिना सम्मान के कोई भी रिश्ता नहीं चलता. इसलिए, हमेशा एकदूसरे को सम्मान दें, जम कर एकदूसरे की तारीफ करें. अगर आप से कोई गलती हुई है तो उसे फौरन स्वीकार कर लें. इस से आप का रिश्ता और ज्यादा मजबूत होगा और दरार नहीं आएगी. अकसर हम अपनी गलतियों को कभी नहीं मानते और दूसरे की गलती को स्वीकार कराने में ही पूरा वक्त लगा देते हैं. इस से रिश्ते कमजोर होते हैं. रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए एकदूसरे को भरपूर वक्त देने के साथ ही अपने शौकों को एकदूसरे के साथ सा झा करें.

कभी तंज न करें

हमेशा एकदूसरे पर तंज कसते रहने से रिश्ता कमजोर होने लगता है. गलतियां सब से होती हैं, परंतु अगर हम उन गलतियों के लिए बारबार अपने पार्टनर पर तंज कसते रहेंगे तो रिश्ता कमजोर होने लगेगा और रिलेशनशिप में दूरियां बढ़ने लगेंगी.

पुरानी गलतियां याद न करें

जीवन में हर किसी से गलतियां होती हैं. कुछ ऐसी बातें भी होती हैं जिन्हें आप का पार्टनर याद नहीं करना चाहता होगा. उन बातों को पार्टनर को याद न दिलाएं. अगर आप बारबार पार्टनर को उन बातों को याद दिलाएंगे तो आप के रिश्ते में दूरियां बढ़ने लगेंगी और रिश्ता कमजोर होने लगेगा.

कम्युनिकेशन गैप

अकसर कम्युनिकेशन गैप होने की वजह से भी रिश्ते में दूरियां बढ़ने लगती हैं. अगर आप चाहते हैं कि आप की रिलेशनशिप मजबूत रहे, तो अपने पार्टनर से बातचीत करते रहें. घरबाहर की बातें उन से शेयर करें. अपने पार्टनर से खुल कर बातें करें. रिलेशनशिप को मजबूत बनाने के लिए इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि आप को पार्टनर की बातों को अनसुना नहीं करना है.

एक्स की बात न करें

एक्स के बारे में बात करने से भी रिलेशनशिप टूटने का खतरा रहता है. बारबार एक्स के बारे में बात करने से रिश्ते में दूरियां बढ़नी शुरू हो सकती हैं. एक्स के बारे में बात करने से लड़ाई झगड़े भी अधिक होने की संभावना रहती है. इसलिए पुराने जख्मों को कभी न कुरेदें.

भरोसा पैदा करें

रिश्ते को मजबूत बनाने के लिए भरोसा बहुत जरूरी होता है. भरोसा किसी भी रिश्ते की नींव होता है. रिलेशनशिप में धोखा देने का मतलब है कि रिश्ते में दूरियां बढ़ना. पार्टनर को धोखा देने से,  झूठ बोलने से, बातें छिपाने से रिश्ता मजबूत नहीं होता. धोखा देने से रिलेशनशिप में कई तरह की समस्याएं आनी शुरू हो जाती हैं. 2 लोग एक छत के नीचे खुशीखुशी से तभी रह सकते हैं जब उन के व्यवहार में पारदर्शिता हो, एकदूसरे के लिए प्यार और सम्मान हो. दोनों में से किसी में किसी बात का अहंकार न हो बल्कि आपसी विश्वास मजबूत हो.

ये घर बहुत हसीन है: उस फोन कॉल ने आन्या के मन को क्यों अशांत कर दिया

आर्यन से चट मंगनी पट ब्याह कर वान्या हिमाचल प्रदेश के उस के घर में शिफ्ट हो गई. उसे आर्यन से शादी करना किसी सपने के सच होने जैसा लग रहा था. कि एक दिन एक फोन कौल ने उस के मन को अशांत कर दिया. किस की कौल थी वह…

ये घर बहुत हसीन है- भाग 1: उस फोन कॉल ने आन्या के मन को क्यों अशांत कर दिया

लेखक- मधु शर्मा कटिहा

‘‘वान्या,आज से तुम ही संभालना घर और मेरे इस अनाड़ी से भाई को. अगर फ्लाइट्स बंद नहीं हो रही होतीं तो मैं कुछ दिन तुम लोगों के साथ बिता कर जाती. वैसे ठीक ही है हमारा जल्दी जाना. बच्चे दादादादी को खूब तंग कर रहे होंगे कोलकाता में. बहुत चाह रहे थे बच्चे अपनी दुल्हन मामी से मिलना. जल्दबाजी में सब कुछ नहीं करना पड़ता तो सब को ले कर आती.’’ सुरभि अपनी नईनवेली भाभी वान्या को टैक्सी में पीछे की सीट पर बैठे हुए बता रही थी. वान्या मुसकराते हुए सिर हिला कर कभी सुरभि को देखती तो कभी पास ही बैठे अपने पति आर्यन को. सुरभि का बोलना जारी था, ‘‘शादी चाहे जल्दबाजी में हुई, लेकिन सही फैसला है. अब मुझे आर्यन की फिक्र तो नहीं रहेगी. कोविड-19 ने तो ऐसा आतंक मचाया है कि डर लगने लगा है. तुम लोग भी ध्यान रखना अपना. हो सके तो अभी घर पर ही रहना, घूमने के लिए तो उम्र पड़ी है…’’

‘‘बसबस… रहने दो. टीचर है भाभी तुम्हारी और हमारे साले साहब आर्यन भी बेवकूफ थोड़े ही हैं कि जब इंडिया में भी कोरोना अपने पैर फैला रहा है तब बिना सोचेसमझे चल देंगे कहीं घूमने. क्यों साले साहब?’’ ड्राईवर के साथ आगे की सीट पर बैठे सुरभि के पति विशाल ने सिर पीछे घुमा कर आर्यन पर मुसकराती दृष्टि डालते हुए कहा.

वान्या और आर्यन का विवाह दो दिन पहले ही हुआ था. जुलाई में डेट थी शादी की, लेकिन कोरोना के कारण आर्यन ने ही फैसला किया था कि सादे समारोह में केवल पारिवारिक सदस्यों के बीच विवाह जल्दी से जल्दी हो जाए. वान्या का घर दिल्ली में था, इसलिए विवाह का आयोजन वहीं हुआ था. आर्यन हिमाचल प्रदेश के बड़ोग शहर का रहने वाला था. परिवार के नाम पर आर्यन की एक बड़ी बहन सुरभि थी, जो कोलकाता में अपने परिवार के साथ रहती थी. पति के साथ विवाह में सम्मिलित होने सुरभि वहां से सीधा दिल्ली पहुंच गई थी. आज वे दोनों वापस जा रहे थे, वान्या को ले कर आर्यन भी अपने घर आ रहा था. दीदीजीजू को एअरपोर्ट छोड़ने के बाद उन को रेलवे स्टेशन जाना था. दिल्ली से कालका तक वे ट्रेन से जाने वाले थे, जो रात 11 बजे चल कर सुबह 4 बजे कालका पहुंचती. वहां से टैक्सी द्वारा उन्हें आगे का सफर तय करना था.

‘‘लो बातोंबातों में पता ही नहीं लगा और एअरपोर्ट आ भी गया.’’ सुरभि के कहते ही टैक्सी रुक गई. आर्यन सामान उतारने लगा और विशाल दौड़ कर ट्रौली ले आया. सुरभि विशाल हाथ हिला कर एअरपोर्ट के गेट की और चल दिए.

आर्यन और वान्या को ले कर टैक्सी रेलवे स्टेशन की ओर रवाना हो गई.

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ट्रेन अपने निर्धारित समय पर चली. रात सोते हुए कब बीत गई पता ही नहीं लगा. सुबह वे ट्रेन से उतर कर बाहर आए तो वान्या को ठंडी हवा के झोंके स्वागत करते प्रतीत हुए. ‘‘मार्च में भी इतना ठंडा मौसम?’’ वान्या पूछ बैठी.

‘‘यह कोई ठंड है? अभी तो पहाड़ पर चढ़ना है मैडम. ठंड से आप की मुलाकात तो होनी बाकी है अभी.’’ आर्यन ठहाका लगा कर हंसते हुए बोला, ‘‘अरे, डर गईं? बड़ोग में इस समय सिर्फ रातें ठंडी होंगी, दिन में तो मौसम सुहाना ही होगा. तुम कभी हिली एरियाज में नहीं गईं इसलिए पता नहीं होगा.’’

टैक्सी आई तो दोनों की बातचीत का सिलसिला टूट गया. चलती टैक्सी में

वान्या उनींदी आंखों से बाहर झांक रही थी. भोर के नीरव अंधेरे में जलते बल्लों की मध्यम रोशनी से पेड़ भी ऊंघते हुए लग रहे थे. कुछ देर बाद सूर्य उदय हुआ तो खिलती धूप से ऊर्जा पा कर वातावरण में नवजीवन संचरित हो उठा.

परवाणु आने तक वान्या प्रकृति की सुंदरता को मन में कैद करती रही, आगे का रास्ता तन में झुरझुरी बढ़ाने लगा था. एक ओर खाई तो दूसरी ओर ऊंचेऊंचे पहाड़ों पर घने दरख्त.

धरमपुर आ कर ड्राईवर ने चाय पीने के लिए टैक्सी रोकी. हवा की ताजगी वान्या भीतर तक महसूस कर रही थी. सड़क किनारे बने ढाबे में जा कर आर्यन चाय ले आया. वान्या की निगाहें चारों ओर के मनोरम दृश्य को अपनी आंखों में समेट लेना चाहती थीं. मौसम की खनक और आर्यन का साथ… वान्या के दिल में बरसों से छुप कर बैठे अरमान अंगड़ाई लेने लगे.

धरमपुर से बड़ोग अधिक दूर नहीं था. पाइनवुड होटल आया तो टैक्सी चौड़ी सड़क से निकल कर संकरे रास्ते पर चलती हुई एक घर के सामने रुक गई. बंगलेनुमा मकान देख वान्या ठगी सी रह गई. सफेद मार्बल से जड़ा उजला, धवल महल सा तन कर खड़ा मकान जैसे याद दिला रहा था कि वान्या अब हिमाचल प्रदेश में है. हिम का उज्जवल रंग आर्यन की तरह ही अब उस के जीवन का अभिन्न अंग बन जाएगा.

सामान निकाल कर आर्यन टैक्सी वाले का बिल चुका 2 सूटकेसों पर बैग्स रख पहियों के सहारे खींचता हुआ ला रहा था. वान्या भी अपना पर्स थामे कदम बढ़ाने लगी. पहाड़ में बनी चारपांच सीढि़यां चढ़ने पर वे गेट के सामने थे, जिसे किले का फाटक कहना उचित होगा. गेट के भीतर दोनों ओर मखमली घास कालीन सी बिछी थी. बंगले की ऊंची दीवारों के साथसाथ लगे लंबे पाइन के पेड़ सुंदरता में चारचांद लगा रहे थे.

आर्यन ने चाबी निकाल कर लकड़ी का नक्काशीदार भारीभरकम दरवाजा खोला और दोनों कमरे के भीतर दाखिल हो गए. कमरा क्या एक विशाल हौल था. लकड़ी के फर्श पर मोटा रंगबिरंगी आकृतियों के काम वाला तिब्बती कालीन बिछा था. बैठने के लिए सोफे के 3 सैट रखे थे. उन की लंबाई, चौड़ाई और ऊंचाई राजसी शोभा लिए थी. सोफों से कुछ दूरी पर एक दीवान बिछा हुआ था. उसे देख कर वान्या को म्यूजियम में रखे शाही तख्त की याद आ गई. तख्त के एक ओर हाथीदांत की नक्काशी वाली लकड़ी की तिपाही पर नीली लंबी सुराही रखी थी. नीचे जमीन पर पीतल के गमले में सेब का बोनसाई किया पौधा लगा था, जिस में लाललाल नन्हें सेब ऐसे लग रहे थे जैसे क्रिसमस ट्री पर बौल्स सजाई गई हों.

‘‘सामान अंदर के कमरे में रख देते हैं… फिर मैं चाय बना लेती हूं, किचन कहां है?’’ वान्या समझ नहीं पा रही थी कि ऐसे बंगले में रसाई किस ओर होगी? उसे तो लग रहा था जैसे वह किसी महल में खड़ी है.

‘‘आउटहाउस से नरेंद्र आता ही होगा. वह लगा देगा सामान… उस की वाइफ प्रेमा किचन संभालती है, तुम फ्रैश हो जाओ बस.’’ कहते हुए आर्यन ने खिड़कियां खोल मोटे परदे हटा दिए. जाली से छन कर कमरे में आ रही धूप ठंडे मौसम में सुकून दे रही थी.

‘‘यहां घर अधिकतर ऐसे बने होते हैं कि ठंड का असर कम से कम हो. यह मकान मेरे परदादा ने बनवाया था, मोटीमोटी दीवारें हैं और फर्श लकड़ी से बने हैं. छत ढलुआं है ताकि बरसात और बर्फ बिलकुल न ठहरे.’’ आर्यन बता रहा था कि डोरबैल बज गई. नरेंद्र और प्रेमा आए थे. दोनों ने घर का काम शुरू कर दिया.

‘‘अच्छा अब मैं नहा लेता हूं.’’ कह कर आर्यन चल दिया, वान्या भी उस के पीछेपीछे हो ली. कमरे से बाहर निकल लंबी गैलरी में नीले रंग के कारपेट पर चलते हुए पैरों की पदचाप खो गई थी. गैलरी के दोनों ओर कमरे दिख रहे थे. घर के बाकी कमरे भी बड़ेबड़े होंगे इस की वान्या ने कल्पना भी नहीं कि थी. एक कमरे में दाखिल हो आर्यन ने 10 फुट ऊंची महागनी की गोलाकार फ्रैंच स्टाइल में बनी अलमारी खोल कपड़े निकाले और बाथरूम में चला गया.

वान्या की आंखें कमरे का मुआयना करने लगीं. चौड़ी सिंहासन नुमा कुरसी को देख वान्या का दिल चाह रहा था कि उस पर बैठ आंखें मूंद रास्ते की सारी थकान भूल जाए, लेकिन पहले नहाना जरूरी है सोचते हुए वापस ड्राइंगरूम में जा अपना सूटकेस खोल कपड़े देखने लगी.

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अचानक तिपाही पर रखा आर्यन का मोबाइल बज उठा. ‘वंशिका कौलिंग’ देखा तो याद आया यह सुरभि दीदी की बेटी का नाम है. वान्या ने फोन उठा लिया. उस के हैलो कहते ही किसी बच्चे की आवाज सुनाई दी, ‘‘पापा कहां हैं?’’ दीदी के बच्चे तो बड़े हैं. यह तो किसी छोटे बच्चे की आवाज है, सोचते हुए वान्या बोली, ‘‘किस से बात करनी है आप को? यह नंबर तो आप के पापा का नहीं है. दोबारा मिला कर देखो, बच्चे.

‘‘आर्यन पापा का नाम देख कर मिलाया था मैं ने… आप कौन हो?’’ बच्चा रुआंसा हो रहा था.

Crime: करोड़ों की है यह ‘गंदी बात’

टिन की छत के बने तंबूनुमा बदबूदार देशी थिएटर के बाहर कुछ लोगों की भीड़ जमा थी. उन में अधेड़ उम्र के ऐसे लोगों की तादाद ज्यादा थी, जो बस्ती के पास के बड़े शहर में मजदूर थे या फिर रिकशा वगैरह चला कर अपना पेट पालते थे. कुछ ने तो दिन में ही शराब पी रखी थी.

उस वीडियो थिएटर में सीडी से बड़े टैलीविजन पर फिल्म दिखाई जाती थी. बाहर एक हिंदी फिल्म ‘बदले की आग’ का पोस्टर लगा था. बस्ती के बाहर की तरफ बने इस थिएटर में स्कूल से गुठली मार कर कुछ बच्चे भी फिल्म देखने चले आए थे.

जब थोड़ी भीड़ बढ़ी तो सब से पैसे ले कर उन्हें भीतर तंबू में बिठा दिया गया. फिल्म के शुरू होते ही वहां थोड़ी रोशनी हुई. पर यह क्या, फिल्म ‘बदले की आग’ न जाने कैसे ‘जिस्म की आग’ में बदल गई. हिंदी के बदले कोई इंगलिश फिल्म चालू हो गई और देखने वालों की बांछें खिल गईं.

चंद मिनट बाद ही फिल्म में एक गोरी विलायती औरत किसी अफ्रीकन मर्द के साथ बिस्तर पर थी. इस के बाद उन के बीच सैक्स का ऐसा खुला खेल चला कि देखने वालों का जिस्म भी  खुल गया.

सवा घंटे की उस फिल्म में मर्दऔरत के जिस्मानी रिश्तों का पलंगतोड़ मजा था कि वह थिएटर ही गरमा गया. मतलब, लोगों ने ब्लू फिल्म यानी पोर्न फिल्म का मजा लिया था और अपने पूरे पैसे वसूल किए थे.

दुनियाभर में इन पोर्न फिल्मों का बहुत बड़ा बाजार है. इन के कलाकार भी बहुत मशहूर हैं. हालिया चर्चा में रही मिया खलीफा और हिंदी फिल्मों में ऐंट्री कर चुकी सनी लियोनी ऐसी ही पोर्न स्टार रह चुकी हैं.

सवाल उठता है कि ये फिल्में बनती कैसे हैं? इस का जवाब है कि विदेश में इन्हें बनाने के लिए तगड़ा पैसा खर्च होता है. पोर्न कलाकारों के जिस्म और उन की अदाओं के मुताबिक पैसा मिलता है. इन की सेहत और शरीर की साफसफाई पर बड़ा ध्यान दिया जाता है.

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एक पोर्न फिल्म बनाने पर कई दिन भी लग जाते हैं. इन में भी आम फिल्मों की तरह पैसा लगाने वाले, डायरैक्टर, कैमरामैन, स्क्रिप्ट लिखने वाले के साथसाथ कलाकारों की टीम होती है. सीन को एकदम रीयल दिखाने के लिए कलाकारों को सीन सम?ाए जाते हैं. ऐसे में कुछ मुश्किलें भी सामने आती हैं, जैसे पूरी शूटिंग के दौरान कई घंटों तक पोर्न फिल्म के मर्द कलाकार का जोश में रहना जरूरी होता है.

लड़कियां भी काफी मेहनत करती हैं. शूटिंग के पहले उन्हें खाना खाने की मनाही होती है, ताकि शूटिंग के समय उन का पेट सपाट और सुडौल दिखे. पर चूंकि उन्हें पैसा अच्छा मिलता है, तो यह सब उन्हें करना पड़ता है.

आज जबकि ऐसी पोर्न फिल्मों का भारत भी एक बड़ा बाजार है और जब से वैब सीरीज के नाम पर यहां भी सैक्स सीन और गालियां दिखानेसुनाने की छूट मिली है, तब से इन की आड़ में देशी पोर्न फिल्में भी बनने लगी हैं, जो चोरीछिपे बनाई जाती हैं. जो काम चोरीछिपे होता है, वहां अपराध होने में कितनी देर लगती है.

इसी अपराध की दुनिया बड़ी भयावह है और जल्दी से जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में लोग ऐसे काले काम कर देते हैं, जिन के बारे में सोच कर भी रोंगटे खड़े हो जाएं.

ऐसा ही एक मामला तब दुनिया के सामने आया, जब मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल ने 5 फरवरी, 2021 को पोर्न फिल्म बनाने वाली एक प्रोडक्शन कंपनी का परदाफाश किया. यह कंपनी फिल्मों में काम करने की चाहत रखने वाले लोगों से शौर्ट फिल्म में काम करने का एग्रीमैंट कराती थी, फिर शूटिंग के दौरान अगर कोई न्यूड शूट के लिए मना करता था तो करार तोड़ने पर जुर्माने की धमकी दे कर उसे ऐसे सीन करने के लिए मजबूर किया जाता था.

पुलिस ने इस सिलसिले में मालाड (पश्चिम) में मढ़ के ग्रीन पार्क बंगले  पर छापा मार कर 5 लोगों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तार आरोपियों में 40  साल की फोटोग्राफर यासमीन खान और ग्राफिक डिजाइनर प्रतिभा नलावडे भी शामिल थीं. प्रतिभा नलावडे पोर्न फिल्म की प्रोडक्शन इंचार्ज भी थीं.

पकड़े गए बाकी 3 लोगों में से मोनू जोशी कैमरामैन और लाइटमैन का काम करता था, जबकि भानु ठाकुर और मोहम्मद नासिर ऐक्टर थे.

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मुबंई पुलिस क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल के मुताबिक, इस गिरोह की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी ने ‘हौटहिट मूवीज’ नाम का एक एप भी बना रखा है, जिस में वे लोग अपनी पोर्न फिल्मों को अपलोड करते थे. इस एप के लिए वे देखने वाले से सबस्क्रिप्शन फीस लेते थे.

पुलिस ने इस गिरोह के पास से स्क्रिप्ट के साथ 6 मोबाइल फोन, एक लैपटौप, लाइट स्टैंड, नामी कंपनी के कैमरे समेत तकरीबन 5,68,000 रुपए का सामान जब्त किया. इस के अलावा पोर्न फिल्म के धंधे से कमाए गए 36,60,000 रुपए भी बरामद किए.

मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल ने एक मिडिलमैन उमेश कामत को भी गिरफ्तार किया, जिस का काम मुंबई में शूट की गई पोर्न फिल्मों को विदेशों से कब और कैसे अपलोड कराना है, यह सब देखना था.

मोटा है मुनाफा

प्रौपर्टी सैल के एक बड़े अफसर केदारी पवार ने बताया कि उन्हें ऐसी जानकारी मिली थी कि एक गिरोह मुंबई में इस धंधे से करोड़ों रुपए का मुनाफा कमा रहा है. जानकारी मिलने के बाद क्राइम ब्रांच ने एक टीम बना कर मालवणी मढ़ इलाके में बने ग्रीन विला नाम के बंगले पर दबिश दी और पोर्न मूवी की शूटिंग के दौरान 5 लोगों को गिरफ्तार किया और एक 23 साल की लड़की को उन के चंगुल से छुड़ाया.

केदारी पवार ने आगे बताया कि ये लोग ऐसे नौजवानों को टारगेट करते थे जो काफी स्ट्रगल कर रहे हैं. ये आरोपी उन लोगों को बौलीवुड, टैलीविजन सीरियल या फिर किसी बड़ी वैब सीरीज में अच्छा रोल दिलाने का सपना दिखाते थे और फिर उन्हें अपने साथ काम करने के लिए मना लेते थे.

आधी फिल्म तक ये लोग अच्छी कहानी बता कर शूट करते थे और उस के बाद सैकंड हाफ में बोल्ड सीन शूट के नाम पर पोर्न सीन शूट करने लगते थे.

पुलिस की मानें, तो पकड़ी गई  40 साल की फोटोग्राफर यासमीन खान खुद पहले फिल्मों और टैलीविजन सीरियल में छोटेमोटे रोल कर चुकी है. यही वजह है कि उस के पास ऐसी लड़कियों की लिस्ट है, जो लोग बौलीवुड या फिर टैलीविजन सीरियल में एक चांस मिलने को ले कर सालों से जद्दोजेहद कर रही हैं.

यासमीन खान इन लड़कियों को शौर्ट फिल्म के नाम पर औफर देती थी. इस के बाद वह इन स्ट्रगलर को  20 मिनट की फिल्म बनाने के हिसाब से एक स्क्रिप्ट सुनाती थी, लेकिन किसी भी न्यूड सीन की जानकारी नहीं देती थी. इस के बाद वह इस छोटी फिल्म की शूटिंग के लिए कलाकारों को 25,000 से 30,000 रुपए देने का वादा करती थी.

इस के बाद यासमीन खान इन कलाकारों से एक एग्रीमैंट पर दस्तखत कराती थी, जिसे उन्हें पूरा पढ़ने भी नहीं दिया जाता था. इस एग्रीमैंट पर दस्तखत मिलने के बाद उन कलाकारों को शूटिंग के लिए मालवणी मढ़ इलाके में बने किसी बंगले पर बुलाया जाता था, फिर जैसेजैसे शूटिंग आगे बढ़ती थी, वैसेवैसे उन कलाकारों को कपड़े निकालने को कहा जाता था.

अगर कोई कलाकार ऐसा करने से मना करता, तो उसे एग्रीमैंट दिखा कर और बात न मानने पर उस पर कानूनी कार्यवाही करने की धमकी दी जाती थी.

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एक और खुलासा

इस सनसनीखेज मामले में ?ारखंड की एक लड़की ने मुंबई पुलिस को बताया कि जब उस ने पोर्न फिल्म की शूटिंग करने से इनकार कर दिया, तो आरोपियों ने उसे धमकाया कि उस ने जो एग्रीमैंट किया है, उस में साफ लिखा हुआ है कि अगर वह ऐसा नहीं करेगी, तो उसे बतौर जुर्माना 10 लाख रुपए देने पड़ेंगे और साथ ही उस के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज की जाएगी.

वह लड़की झारखंड और कुछ दूसरे शहरों में मौडलिंग के कई कंपीटिशन में हिस्सा ले चुकी थी. 29 दिसंबर, 2020 को उस के पास संतोष नाम के एक आदमी का फोन आया था और उसे बताया गया कि उन लोगों ने उसे एक वैब सीरीज के लिए चुन लिया है, जिस की शूटिंग लोनावाला में है. एक दिन की शूटिंग के लिए उस लड़की को बतौर मेहनताना 25,000 से 30,000 रुपए  दिए जाएंगे.

संतोष से हुई बातचीत के बाद उस लड़की के पास अलीशा का फोन आया. उस ने बताया कि इस वैब सीरीज का प्रसारण ‘हौटहिट मूवीज’ पर होगा, जो एक पेड ओटीटी एप है.

झारखंड की उस मौडल लड़की ने बताया कि अगले दिन उस के पास फोन आया कि किसी वजह से लोनावाला की शूटिंग कैंसिल हो गई है, जो अब मालाड के मड आईलैंड में होगी. उसे वहां बुलाया गया और इंगलिश भाषा में लिखे हुए एक एग्रीमैंट पर उस से दस्तखत करवाए गए और हिंदी भाषा में मतलब भी सम?ाया गया.

लड़की ने बताया कि वैब सीरीज की शूटिंग शुरू होने के कुछ मिनट बाद उस पर गलत सीन करने का दबाव डाला गया. उस ने मना किया, तो उसे धमकाया गया. लड़की ने फिर वैसे ही सीन किए, जैसे उसे बताए गए थे.

उस लड़की ने बताया कि  31 दिसंबर, 2021 को अलीशा का फोन आया कि तुम्हारे अकाउंट में रकम ट्रांसफर नहीं हो रही है. लड़की ने फिर किसी परिचित का बैंक औफ बड़ौदा, लखनऊ ब्रांच का अकाउंट नंबर दिया. उस अकाउंट में रकम भेजी गई.

कहां है चूक

वैब सीरीज में जिस तरह एडल्ट सीन करने की छूट मिली हुई है, उसी के चलते पोर्न फिल्म या वीडियो बनाने वालों को हिम्मत मिलती है. नए कलाकार भी जब तक पकड़े नहीं जाते हैं, तब तक ऐसी फिल्मों में काम करते रहते हैं, क्योंकि उन्हें एकमुश्त अच्छा पैसा जो मिलता रहता है, जो उन्हें मुंबई में टिके रहने के लिए बहुत जरूरी है.

बहुत से नए कलाकार तो अपने खर्चे निकालने के लिए देह धंधे के बाजार में उतर जाते हैं. पोर्न फिल्मों में चूंकि लोग उन्हें स्क्रीन पर ऐसे सीन करते देखते हैं, तो बनाने वालों को भी मोटा मुनाफा मिल जाता है. इस लालच में वे ऐसे गंदे काम करते हैं. पुलिस की एक दबिश से या कुछ लोगों के पकड़े जाने से यह गोलमाल खत्म हो जाएगा, ऐसा दावा करना जल्दबाजी होगी.

गहना वशिष्ठ भी धरी गई. इस कांड में तब और ज्यादा दिलचस्प मोड़ आया, जब टैलीविजन हीरोइन और मौडल गहना वशिष्ठ को मुंबई क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सैल ने 6 जनवरी, 2021 की शाम को गिरफ्तार किया. आरोप था कि वैब सीरीज ‘गंदी बात’ में भी काम कर चुकी गहना वशिष्ठ नए कलाकारों को अच्छा रोल दिलाने का ?ांसा दे कर उन्हें पोर्न वीडियो में काम करने को कहती थी और फिर उस वीडियो को 2 अलगअलग वैबसाइटों पर अपलोड कर लाखों रुपए कमाती थी.

पुलिस के एक बड़े अफसर ने बताया कि गहना वशिष्ठ का ‘जीवी स्टूडियो’ नाम का एक प्रोडक्शन हाउस है, जिस के तहत वह ऐसे गंदे वीडियो शूट करती थी. पुलिस की मानें, तो साल 2019 से गहना वशिष्ठ इस तरह के वीडियो बनवा रही है. पुलिस को अब तक ऐसे तकरीबन 90 पोर्न वीडियो मिले हैं, जिसे गहना ने शूट कराया है.

क्राइम ब्रांच के एक अफसर ने बताया कि 3 फरवरी, 2021 को गहना वशिष्ठ के घर पर दबिश दी गई थी, जिस के बाद उस के घर से 3 मोबाइल फोन, एक लैपटौप और बैंक से संबंधित कुछ दस्तावेजों को जब्त किया गया.

पुलिस ने गहना वशिष्ठ से की गई जांच के दौरान पाया कि उस के पास 2 वैबसाइट हैं, जिन पर वह इस तरह के वीडियो अपलोड करती थी. उस के बनाए गए पोर्न वीडियो को देखने के लिए चैनल को सब्सक्राइब करना पड़ता है, जिस के लिए 2,000 रुपए लगते हैं.

छोटी छोटी खुशियां- भाग 5: शादी के बाद प्रताप की स्थिति क्यों बदल गई?

Writer- वीरेंद्र सिंह

सभी अपनेअपने काम में लग गए. प्रताप अपनी सीट पर अकेला रह गया तो विचारों में खो गया. उस के दिमाग में सुधा से कहासुनी से ले कर मैनेजर साहब को खरीखोटी सुनाने तक की एकएक घटना चलचित्र की तरह घूम गई. पैन निकालने के लिए उस ने जेब में हाथ डाला तो पुलिस द्वारा दी गई रसीद भी पैन के साथ बाहर आ गई. रसीद देख कर उस का दिमाग भन्ना उठा. मेज पर रखे पानी के गिलास को खाली कर के वह आहिस्ता से उठा. पैर में दर्द होने के बावजूद वह धीरेधीरे आगे बढ़ा. टैलीफोन मैनेजर साहब की ही मेज पर था. प्रताप उसी ओर बढ़ रहा था. प्रताप के गंभीर चेहरे को देख कर मैनेजर घबराए. उन की हालत देख कर प्रताप के होंठों पर कुटिल मुसकान तैर गई. मैनेजर साहब की ओर देखे बगैर ही वह उन के सामने पड़ी कुरसी पर बैठ गया. टैलीफोन अपनी ओर खींच कर पुलिस की ट्रैफिक शाखा का नंबर मिला दिया. दूसरी ओर से आवाज आई, ‘‘नमस्कारजी, मैं ट्रैफिक शाखा से हैडकौंस्टेबल ईश्वर सिंह बोल रहा हूं.’’

‘‘नमस्कार ईश्वर सिंहजी, आप ब्लूलाइन बसों के खिलाफ मेरी एक शिकायत लिखिए.’’

‘‘आप की जो शिकायत हो, लिख कर भेज दीजिए.’’

‘‘लिख कर भेजूंगा तो तुम्हें अपनी औकात का पता चल जाएगा…’’ प्रताप थोड़ा रोष में बोला, ‘‘फोन किसी जिम्मेदार अधिकारी को दीजिए.’’

‘‘औफिस में इस समय और कोई नहीं है. इंस्पैक्टर साहब और एसीपी साहब राउंड पर हैं.’’

‘‘एसीपी साहब के पास तो मोबाइल फोन होगा, उन का नंबर दो.’’

कौंस्टेबल ईश्वर सिंह ने जो नंबर दिया था, उसे मिलाते हुए प्रताप खुन्नस में था. उधर से स्विच औन होते ही वह बोला, ‘‘सर, मैं प्रताप सिंह बोल रहा हूं. मेरी एक शिकायत है.’’

‘‘बोलो.’’

‘‘आप के टै्रफिक के नियम सिर्फ स्कूटर वालों के लिए ही हैं क्या? सड़क पर जिस तरह अंधेरगर्दी के साथ ब्लूलाइन बसें दौड़ रही हैं, आप के स्टाफ वालों को दिखाई नहीं देतीं?’’ प्रताप की आवाज क्रोध में कांप रही थी.

‘‘देखिए साहब, जो पकड़ी जाती हैं, उन के खिलाफ कार्यवाही की जाती है.’’

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‘‘क्या कार्यवाही करते हैं आप लोग, वह सब मैं जानता हूं,’’ प्रताप काफी गुस्से में था इसलिए उस के स्वर में थोड़ा तल्खी थी. उसी तल्ख आवाज में वह बोला, ‘‘यहां आश्रम रोड पर आ कर थोड़ी देर खड़े रहिए. ड्राइवर बसें किस तरह बीच सड़क पर खड़ी कर के सवारियां भरते हैं, देख लेंगे. उस व्यस्त सड़क पर भी ओवरटेक करने में उन्हें जरा हिचक नहीं होती. आप के पुलिस वाले खड़े यह सब देखते रहते हैं.’’

‘‘देखिए प्रतापजी, डिपार्टमैंट अपनी तरह से काम करता है.’’

‘‘कुछ नहीं करता, साहब, आप का पूरा का पूरा डिपार्टमैंट बेकार है. आप के पुलिसकर्मी घूस लेने में लगे रहते हैं. बस वालों से हफ्ता लेते हैं, ऐसे में उन के खिलाफ कैसे कार्यवाही करेंगे?’’

‘‘माइंड योर लैंग्वेज. आप अपनी शिकायत लिख कर भेज दीजिए. दैट्स आल,’’ दूसरी ओर से फोन काट दिया गया.

‘लिखित शिकायत करूंगा…जरूर करूंगा?’ बड़बड़ाता हुआ प्रताप अपनी सीट पर आ कर बैठ गया. पैन उठाया और जिस तरह तोप में गोला भरा जाता है, उसी तरह ठूंसठूंस कर पूरे पेज में एकएक बात लिखी. होंठ भींचे वह लिखता रहा. उस का आक्रोश अक्षर के रूप में कागज पर उतरता रहा. शिकायत का पत्र पूरा हुआ तो उस ने संतोष की सांस ली. पूरे कागज पर एक नजर डाल कर उसे मोड़ा और डायरी में रख लिया. डायरी हाथ में ले कर वह उठ खड़ा हुआ. घुटने में अभी भी दर्द हो रहा था. मगर उस की परवा किए बगैर वह बैंक से बाहर आया. बैंक के सामने ही पीसीओ में फैक्स की सुविधा भी थी. वह सीधे पीसीओ पर पहुंचा. सामने बैठे पीसीओ के मालिक लालबाबू के हाथ में कागज और एक चिट पकड़ाते हुए कहा, ‘‘चिट में लिखे नंबरों पर इसे फैक्स करना है.’’

लालबाबू उन सभी नंबरों के बगल में लिखे नामों को देख कर प्रताप को ताकने लगा. मुख्यमंत्री, राज्यपाल, गृहमंत्री से ले कर पुलिस कमिश्नर तक के नंबर थे वे. उस चिट में शहर के प्रमुख अखबारों के भी फैक्स नंबर थे. अपनी ओर एकटक देख रहे लालबाबू से उस ने कहा, ‘‘सभी नंबरों पर इसे फैक्स कर दीजिए.’’

‘‘जी,’’ उस ने प्रताप द्वारा दिए कागज को फैक्स मशीन में इंसर्ट किया. फिर एकएक नंबर डायल करता रहा. फैक्स मशीन में कागज एक तरफ से घुस कर, दूसरी ओर से निकलने लगा. प्रताप खड़ा इस प्रक्रिया को ध्यान से देख रहा था. सारे फैक्स ठीक से हो गए हैं, इस के कन्फर्मेशन की रिपोर्ट की कौपी लालबाबू ने प्रताप के हाथ में पकड़ाने के साथ ही बिल भी थमा दिया. पैसे दे कर सभी कन्फर्मेशन रिपोर्ट्स प्रताप ने डायरी में संभाल कर रखी और पीसीओ से बाहर निकल आया. अब प्रताप के दिमाग की तनी नसें थोड़ी ढीली हुईं. जिस से उस ने स्वयं को काफी हलका महसूस किया. कितने दिनों से वह इस काम के बारे में सोच रहा था. आखिर आज पूरा हो ही गया.

फैक्स सभी को मिल ही गया होगा. अब मजा आएगा. फैक्स जैसे ही मिलेगा, मुख्यमंत्री गृहमंत्री से कहेंगे. उन्हें भी फैक्स की कौपी मिल गई होगी. राज्यपाल के यहां से भी सूचना आएगी. सब की नाराजगी पुलिस कमिश्नर को झेलनी पड़ेगी. फिर वे एसीपी ट्रैफिक को गरम करेंगे. उस के बाद नंबर आएगा कौंस्टेबलों का. एसीपी एकएक कौंस्टेबल का तेल निकालेगा. बैंक में आ कर वह अपनी सीट पर बैठ गया. अब उसे बड़े भाई की याद आ गई. पिछली रात वे पैसे के लिए उस से किस तरह गिड़गिड़ा रहे थे. उसी क्षण उस की आंखों के सामने सुधा का तमतमाया चेहरा नाच गया. मन ही मन उसे एक साथ 4-5 गालियां दे कर वह कुरसी से उठ खड़ा हुआ. बैंक के कर्मचारियों की के्रडिट सोसायटी बहुत ही व्यवस्थित ढंग से चल रही थी. सोसायटी के सैके्रटरी नरेंद्र नीचे के फ्लोर पर बैठते थे. वह लिफ्ट से नीचे उतरा. नरेंद्र अपनी केबिन में बैठे थे. उन की मेज के सामने पड़ी कुरसी खींच कर वह बैठ गया. लोन के लिए फौर्म ले कर उस ने भरा और नरेंद्र की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘नरेंद्र साहब, बड़े भाई थोड़े गरीब हैं. उन्हें मकान की मरम्मत करानी है. यदि मरम्मत नहीं हुई तो बरसात में दिक्कत हो सकती है. इसलिए मैं आग्रह करता हूं कि मेरी अर्जी पर विशेष ध्यान दीजिएगा.’’

‘‘नरेंद्र साहब ने अत्यंत मधुर स्वर में कहा, ‘‘इस महीने खास दबाव नहीं है, इसलिए आप का काम आराम से हो जाएगा. आप को 80 हजार रुपए चाहिए न?’’

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प्रताप ने स्वीकृति में सिर हिलाया. नरेंद्र साहब ने फौर्म में लगी रसीद फाड़ कर प्रताप की ओर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘अपने भाईसाहब से कहना कि वे

सारी व्यवस्था करें. 3 तारीख को पैसा मिल जाएगा.’’

‘‘थैंक्स,’’ प्रताप ने सैक्रेटरी साहब का हाथ थाम कर कहा, ‘‘थैंक्यू वैरी मच.’’

नरेंद्र द्वारा दी गई रसीद जेब में रख कर प्रताप खड़ा हुआ. उस की एक बहुत बड़ी टैंशन खत्म हो गई थी. पैसा पा कर बेचारा बड़ा भाई खुश हो जाएगा. यदि भैया हर महीने आ कर अपनी किस्त दे जाएंगे तो कोई परेशानी नहीं होगी. सुधा को इस बात का पता ही नहीं चलेगा. सुधा की याद आते ही उस की मुट्ठियां भिंच गईं.

उस की विचारयात्रा आगे बढ़ी. यदि उसे पता चल भी जाएगा तो क्या कर लेगी? ज्यादा से ज्यादा झगड़ा करेगी. जब तक कान सहन करेंगे, सहता रहूंगा. उस के बाद अपने हाथों का उपयोग करूंगा. एक बार उलटा जवाब मिल जाएगा तो उस का दिमाग अपनेआप ही ठिकाने पर आ जाएगा.

सुधा के विचारों से मुक्त होना प्रताप के लिए आसान नहीं था. फिर भी उस ने औफिस की फाइलों में मन लगाने का प्रयास किया. बैंक की बिल्ंिडग के गेट के पास जो मैकेनिक था, प्रताप ने स्कूटर की चाबी दे कर उसे लाने के लिए भेज दिया था. साथ ही, यह भी कह दिया था कि शाम तक वह स्कूटर बना कर तैयार कर देगा.

शाम को प्रताप बैंक से निकला तो मैकेनिक ने स्कूटर बना कर तैयार कर दिया था. वह स्कूटर स्टार्ट कर ही रहा था कि उस के कंधे पर किसी ने हाथ रखा. उस ने पलट कर देखा, दीपेश बैग टांगे खड़ा था. उस के साथ आकाश और दीपक भी थे. दीपेश ने कहा, ‘‘यार, मैं तुझ से मिलने तेरे बैंक आया हूं और तू घर भागने की तैयारी कर रहा है? लगता है, भाभी से बहुत डरता है?’’

‘‘यार, सुबहसुबह ऐक्सिडैंट हो गया था, जिस में यह देखो घुटना छिल गया है,’’ प्रताप ने पैर उठा कर फटे पैंट के नीचे घुटना दिखाते हुए कहा, ‘‘परंतु अब जब तुम तीनों मिल गए हो तो

सारी तकलीफ दूर हो गई है. हम

चारों अंतिम बार कब मिले थे? मेरे खयाल से साल, डेढ़ साल तो हो ही गए होंगे?’’

‘‘नहीं, भाई, पूरे 2 साल हो गए हैं,’’ दीपक ने कहा, ‘‘यहीं मिले थे. फिर सामने वाले होटल में सब ने रात का डिनर किया था. अरे हां यार प्रताप, वह तेरा साथी पान सिंह नहीं दिखाई दे रहा है.’’

‘‘दिखाई कहां से देगा, आजकल कभी उस की सब्जी नहीं पकती तो कभी बेचारे को बासी रोटी मिलती है.’’

‘‘क्या मतलब? तेरी मजाक करने

की आदत अभी भी नहीं गई,’’ आकाश ने कहा.

‘‘सच कह रहा हं. जानते हो, एक दिन मैं बिग बाजार गया. एक किलोग्राम जीरा और कुछ सामान खरीदा. वहां मुझे एक कूपन मिला, जिस से मेरा समान फ्री हो गया. जब से इस बात का पता पान सिंह की बीवी को चला है, वह रोज सुबह उसे लंच में बासी रोटी बांध देती है.’’

‘‘चल, बहुत हो गया. अब उस का ज्यादा मजाक मत उड़ा,’’ दीपेश ने टोका.

दीपेश तो उस के साथ ही देहरादून में बोर्डिंग में रहता था. आकाश और दीपक भी उस के क्लास में साथ ही थे. पान सिंह उस के गांव का ही रहने वाला था, जिस की अनुपस्थिति में वह उस का मजाक उड़ा रहा था. कालेज लाइफ में पांचों की मित्रता सगे भाइयों जैसी थी. 2 साल बाद चारों इकट्ठा हुए थे. फिर चारों बैठ कर बातें करने लगे. बातें करते रात के 9 बज गए. तब दीपेश ने कहा, ‘‘यार, अब तो भूख लगी है, खाने के लिए कुछ करो.’’

‘‘सामने अभी हाल ही एक नया रैस्टोरैंट खुला है, वहां वाजिब दाम में बढि़या खाना मिलता है,’’ प्रताप ने बड़े ही आत्मविश्वास के साथ कहा.

वह अपने तीनों मित्रों के साथ रैस्टोरैंट की ओर बढ़ रहा था, तब भी उस के दिमाग में विचार चल रहे थे. हर बुधवार को मूंग की दाल बनाने का भूत सुधा के दिमाग से निकालना ही पड़ेगा. आने वाले बुधवार को वह मूंग की दाल खाने से साफ मना कर देगा और यहां आसपास तमाम होटल हैं, जा कर खा लेगा. उस ने पक्का निर्णय कर लिया कि कुछ भी हो, इस बार बुधवार को वह मूंग की दाल बिलकुल नहीं खाएगा.

चारों रैस्टोरैंट में जा कर एक मेज पर बैठ गए. इधरउधर निगाहें डाल कर आकाश ने कहा, ‘‘यार प्रताप, रैस्टोरैंट तो अच्छा है. आज की पार्टी मेरी ओर से. पिछले महीने पुत्ररत्न प्राप्त हुआ है, उसी की खुशी में.’’

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फिर तो सभी ने उसे बधाई दी. पुरानी यादों को ताजा करते हुए हंसतेखिलखिलाते उन्होंने खाना खाया. खाना अच्छा था. खाना खाने के बाद उठते हुए प्रताप

ने कहा, ‘‘आज तुम लोग मिले, बहुत अच्छा लगा. रोजाना तो बैंक से सीधे घर.’’

‘‘औफिस से सीधे घर, यही लगभग सभी पुरुषों की कहानी होती है,’’ दीपक ने कहा, ‘‘कालेज लाइफ के भी क्या मजे थे, यार.’’

‘‘अब वे दिन कहानी बन गए हैं. जरा भी देर हो जाती है तो पत्नी हिसाब मांगने लगती है,’’ दीपेश बोला.

खापी कर डकार लेते हुए चारों रैस्टोरैंट से बाहर निकले. प्रताप के तीनों मित्र विदा हो गए तो उस ने भी अपना स्कूटर स्टार्ट किया. 10 बजने में मात्र 20 मिनट बाकी थे. घर पहुंचतेपहुंचते साढ़े 10 तो बज ही जाएंगे. सुधा लालपीली हो रही होगी. दरवाजे पर ही कुरसी डाले बैठी होगी. वर्षों बाद आज पुराने दोस्त मिले थे, उन के साथ भी तो बैठना जरूरी था. स्कूटर की गति के साथसाथ उस के विचारों की गति भी बढ़ती जा रही थी. देर होने पर सुधा अवश्य बवाल करेगी. वह लड़ने को भी तैयार होगी. इस बात का उसे पूरा आभास था. वह होंठों ही होंठों में मुसकराते हुए बड़बड़ाया, ‘मुझे पता है वह झगड़ा करेगी. लेकिन यदि आज उस ने झगड़ा किया तो मैं उस का वह हश्र करूंगा जिस की उस ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी.’

प्रताप घर पहुंचा. उस के घर में घुसते ही सुधा ने जलती नजरों से पहले प्रताप की ओर, फिर घड़ी की ओर देखा. उस के बाद कर्कश स्वर में बोली, ‘‘अब तक कहां थे? किस के साथ घूम रहे थे?’’

‘‘तुम्हारी बहन के साथ घूम रहा था,’’ दांत भींच कर प्रताप ने कहा.

प्रताप ऐसा जवाब देगा, सुधा को उम्मीद नहीं थी. उस ने आंखें फाड़ कर प्रताप की ओर देखा. फिर आगे बढ़ कर प्रताप की आंखों में आंखें डाल कर चीखते हुए बोली, ‘‘क्या कहा तुम ने?’’

‘‘जो तुम ने सुना,’’ प्रताप ने दृढ़ता और आत्मविश्वास के साथ कहा.

‘‘बेशर्म, कुछ लाजशर्म है या नहीं?’’ सुधा ने प्रताप का कौलर पकड़ कर झकझोरते हुए कहा, ‘‘नीच कहीं के, इस तरह की बात कहते शर्म नहीं आती?’’

‘‘पहले तुम अपने बारे में सोचो,’’ प्रताप ने सुधा से कौलर छुड़ाते हुए शांति से कहा, ‘‘घर से बाहर निकलने पर रास्ते में बीस तरह की परेशानियां आती हैं. पति को घर आने से जरा सी देर हो जाए तो शांति से पूछना चाहिए. वह जो कहे उसे सुनना चाहिए. ऐसा करने के बजाय तुम रणचंडी बन जाती हो. मेरी समझ में यह नहीं आता कि हमेशा तुम उलटा ही क्यों सोचती हो?’’

‘‘तुम्हारे उपदेश मुझे नहीं सुनने,’’ सुधा की आंखों से आग बरस रही थी. वह तेज स्वर में बोली, ‘‘तुम ने जो कहा है वह मैं मम्मीपापा को फोन कर के बताऊंगी.’’

‘‘तुम्हें जिस से भी कहना हो, कह देना,’’ प्रताप ने कंधे उचका कर कहा, ‘‘साथ ही तुम ने जो पूछा है वह भी बता देना. और हां, देर क्यों हुई, यह जरूर बता देना,’’ कह कर प्रताप ने अपना दाहिना पैर आगे बढ़ाया. घुटने पर फटी पैंट और खून के दाग स्पष्ट दिखाई दे रहे थे. उस ने पैंट उठा कर घुटने पर बंधी पट्टी दिखाते हुए कहा, ‘‘लहूलुहान हो कर भी घर पहुंचो, तब भी तुम्हारे दिमाग में उलटीसीधी बातें ही आती हैं.’’

प्रताप के पैर में लगी चोट देख कर सुधा चुप रह गई. वह गरदन झुका कर कुछ सोचने लगी तो उंगली से इशारा कर के प्रताप थोड़ा ऊंचे स्वर में बोला, ‘‘तुम्हारे पास बुद्धि है. कभी उस का भी उपयोग कर लिया करो. हमेशा तुम्हारा व्यवहार एक जैसा ही रहता है. आदमी के साथ कभी भी, कुछ भी हो सकता है.’’

प्रताप के पैर में लगी चोट देख कर सुधा सहम सी गई थी. एक तो प्रताप को चोट लग गई थी. फिर 4 साल में पहली बार प्रताप ने इस तरह सुधा को जवाब दिया था. वह आश्चर्य से आंखें फाड़े प्रताप को ही ताक रही थी. प्रताप ने उसे हिकारतभरी नजरों से देखा. आज वह अपने मन की भड़ास निकाल रहा था, ‘‘तुम अपने व्यवहार को सुधारो, स्वभाव को बदलो और इंसान की तरह रहना सीखो. नहीं सीखा तो फिर मैं सिखा दूंगा.’’

सुधा आंखें फैलाए, होंठ भींचे प्रताप की बातें सुनती रही. प्रताप का आज जो मन हो रहा था, बके जा रहा था. सुधा से सहन नहीं हुआ तो वह मारे गुस्से के पैर पटकते हुए रसोई में चली गई.

प्रताप ने बैडरूम में जा कर कपड़े बदले और लेट गया.

सवेरे उठ कर वह बहुत खुश था. शरीर की थकान एक ही रात में उतर गई थी. फटाफट फ्रैश हो कर वह अखबार ले कर पढ़ने बैठ गया. एक जागरूक नागरिक ने टै्रफिक पुलिस को नींद से जगाया, हैडिंग के साथ उस का समाचार छपा था. उस के द्वारा फैक्स किए गए पत्र का मुख्य अंश भी छपा था. वह खुशी से झूम उठा. होंठों को गोल कर के सीटी बजाते हुए बाथरूम में घुसा.

सुधा आश्चर्य से प्रताप की प्रत्येक अदा को ध्यान से देख रही थी. प्रताप खाने के लिए बैठा तो सुधा उस की बगल में आ कर खड़ी हो गई. पिछली रात प्रताप ने उस के साथ जो व्यवहार किया था उस की नाखुशी अभी भी उस के चेहरे पर साफ झलक रही थी. वह भी कोई कच्ची मिट्टी की नहीं बनी थी. क्रैडिट सोसायटी से रुपए ले कर बड़े भाई को देने वाली बात अभी भी उस के दिमाग में घूम रही थी. प्रताप के चेहरे पर नजरें जमा कर आहिस्ता से बोली, ‘‘भैया को फोन कर दिया था न?’’ सुधा ने यह बात आज जिस तरह कही थी, उस में कल जैसी उग्रता नहीं थी. सुधा को शांति से बात करते देख प्रताप को आश्चर्य हुआ था.

मुंह में निवाला डाल कर प्रताप ने सिर हिला दिया. सुधा का चेहरा खिल उठा था. सुधा के चेहरे पर एक निगाह डाल कर प्रताप मन ही मन बड़बड़ाया, ‘उन्हें तो मैं इस तरह पैसा दूंगा कि तुझे पता ही नहीं चलेगा.’

जूते पहन कर प्रताप ने स्कूटर की  चाबी ली और दरवाजा बंद कर  के बाहर आ गया. सीढि़यों से उतर कर स्कूटर के पास पहुंचा तो देखा तंबाकू और गुटखे के पाउच स्कूटर पर पड़े थे. सब्जी का कुछ कचरा स्कूटर की सीट पर तो कुछ फुटरैस्ट पर पड़ा था. यह देख कर प्रताप की सांस तेज हो गई. उस ने ऊपर की ओर देखा. संयोग से तीसरी मंजिल पर रहने वाले दंपती बालकनी में खड़े थे. प्रताप ने चीख कर कहा, ‘‘अरे ओ जंगलियो,’’ प्रताप इतने जोर से चीखा था कि अगलबगल फ्लैटों में रहने वाले लोग बाहर आ गए थे. सभी की आंखों में आश्चर्य था. मारे गुस्से के प्रताप कांप रहा था.

प्रताप ने अपने दाहिने हाथ की उंगलियां बालकनी की ओर उठा कर कहा, ‘‘मैं तुम से ही कह रहा हूं. कोई कुछ कहता नहीं है तो इस का मतलब यह तो नहीं हुआ कि गंदगी करने का ठेका तुम्हें मिल गया है. नीचे भी आदमी रहते हैं, जानवर नहीं. इस तरह कचरा फेंकने में आप लोगों को शर्म भी नहीं आती?’’

प्रताप जिस तरह चीखचीख कर अपनी बात कह रहा था, उस से सभी पड़ोसी स्तब्ध रह गए थे. दरवाजे पर खड़ी सुधा की आंखों में भी आश्चर्य था. प्रताप दांत पीस कर बोला, ‘‘सुन लो, आज के बाद यदि कचरा नीचे आया तो सारा कचरा समेट कर मैं तुम्हारे घर में फेंक दूंगा.’’

सभी की नजरें तीसरी मंजिल की बालकनी पर खड़े दंपती पर जम गई थीं. जबकि पतिपत्नी नीचे खड़े प्रताप को एकटक ताक रहे थे. प्रताप ने जो कहा था, उस का असर झांक रहे लोगों पर क्या पड़ा, यह देखने के लिए प्रताप ने चारों ओर नजरें दौड़ाईं. सभी लोग तीसरी मंजिल पर खड़े पतिपत्नी को हिकारत भरी निगाह से देख रहे थे. फिर उस ने विजेता की तरह गर्व के साथ स्कूटर में किक मारी. स्कूटर स्टार्ट हुआ तो सवार हो कर सड़क पर आ गया. आज सड़क पर बसें कायदे से खड़ी थीं. ट्रैफिक पुलिस भी चौराहे पर मुस्तैदी से खड़ा था. इस का मतलब उस की कार्यवाही का असर हुआ था. परंतु यह सब कितने दिन चलने वाला था.

उस ने बैंक में जैसे ही प्रवेश किया, सामने बैठे मैनेजर साहब ने पूछा, ‘‘भई प्रताप, तुम्हारा पैर कैसा है?’’

‘‘ठीक है, बैटर दैन यस्टरडे,’’ खुश होते हुए प्रताप ने कहा. उस ने अपनी सीट की ओर बढ़ते हुए सोचा, बेटा लाइन पर आ गया. सिधाई का जमाना नहीं रहा. एक बार आंखें लाल कर दो, सभी लाइन पर आ जाते हैं. उस दिन उस ने बैंक में काफी हलकापन महसूस किया. मैनेजर साहब का चमचा दिनेश 2 बार उस की मेज पर आ कर हालचाल पूछ गया था. उस ने चाय भी पिलाई थी. शाम को बैंक से घर जाते हुए वह काफी खुश था. स्कूटर खड़ा करते हुए उस ने देखा, आज पूरा मैदान साफ था. वह स्कूटर खड़ा कर रहा था, तभी सामने वाले फ्लैट में रहने वाले सुधीर ने उस के पास आ कर शाबाशी देते हुए कहा, ‘‘सुबह आप ने बहुत अच्छा किया. ऐसे लोगों के साथ ऐसा ही करना चाहिए. यदि आदमी होंगे तो अब ऐसा कुछ नहीं करेंगे.’’

प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी गरीबों को पक्के मकान

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज यहां इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान में देश की आजादी के अमृत महोत्सव पर ‘न्यू अर्बन इण्डिया थीम’ के साथ केन्द्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय तथा नगर विकास विभाग, उ0प्र0 के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय आजादी@75 कॉन्फ्रेन्स-कम-एक्सपो का शुभारम्भ किया. इस अवसर पर प्रधानमंत्री जी ने डिजिटल रूप से प्रधानमंत्री आवास योजना-शहरी (पी0एम0ए0वाई0-यू) के तहत बनाये गये आवासों की चाबी उत्तर प्रदेश के 75 जिलों के 75 हजार लाभार्थियों को सौंपी. उन्होंने इस योजना के तहत लाभान्वित आगरा की श्रीमती विमलेश, कानपुर की श्रीमती रामजानकी पाल तथा ललितपुर की श्रीमती बबिता से संवाद भी किया.

प्रधानमंत्री जी ने स्मार्ट सिटी मिशन के अन्तर्गत आगरा, अलीगढ़, बरेली, झांसी, कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, सहारनपुर, मुरादाबाद एवं अयोध्या में इंटीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कन्ट्रोल सेन्टर, इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेन्ट सिस्टम एवं नगरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर तथा अमृत मिशन के अंतर्गत प्रदेश के विभिन्न शहरों में उत्तर प्रदेश जल निगम द्वारा निर्मित पेयजल एवं सीवरेज की कुल 4,737 करोड़ रुपए की 75 विकास परियोजनाओं का लोकर्पण/शिलान्यास किया. साथ ही, उन्होंने जनपद लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, झांसी, प्रयागराज, गाजियाबाद और वाराणसी के लिए 75 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का डिजिटल फ्लैग ऑफ भी किया. उन्होंने आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय के विभिन्न प्रमुख मिशनों के तहत क्रियान्वित 75 परियोजनाओं के ब्यौरे वाली एक कॉफी-टेबल बुक भी जारी की. प्रधानमंत्री जी ने लखनऊ के बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय में श्री अटल बिहारी वाजपेयी पीठ का डिजिटल शुभारम्भ किया. उन्होंने कार्यक्रम के दौरान प्रदर्शित की गयी दो लघु फिल्मों का अवलोकन भी किया.

इस अवसर पर अपने सम्बोधन में प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी गरीबों को बड़ी संख्या में पक्के मकान उपलब्ध कराए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि वंचित वर्गाें के लोगों को पक्का आवास उपलब्ध कराने की यह विश्व की सबसे बड़ी योजना है. इस योजना के तहत निर्मित 80 प्रतिशत घरों की रजिस्ट्री महिलाओं के नाम पर की जा रही है या वे उसकी संयुक्त स्वामी हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि पहले की तुलना में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित घरों की संख्या में अत्यधिक वृद्धि हुई है. उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरों में 01 करोड़ 13 लाख से ज्यादा घरों के निर्माण को मंजूरी दी है. इसमें से 50 लाख से ज्यादा घर बनाकर, उन्हें गरीबों को सौंपा भी जा चुका है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मेरे जो साथी, झुग्गी-झोपड़ी में जिंदगी जीते थे, उनके पास पक्की छत नहीं थी, ऐसे तीन करोड़ परिवारों को लखपति बनने का अवसर मिला है. प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित आवासों में बिजली, पानी, शौचालय इत्यादि की सुविधा दी जा रही है. उज्ज्वला योजना के तहत परिवार को निःशुल्क रसोई गैस कनेक्शन भी उपलब्ध कराया जा गया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब तक देश में लगभग 03 करोड़ घर बनाए गये हैं. इनकी कीमत करोड़ों रुपये में है. एक मकान की कीमत लाखों रुपये में है. इस प्रकार यह मकान पाने वाले लोग अब लखपति बन गये हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि मौजूदा सरकार से पहले, उत्तर प्रदेश की पहले की सरकारों ने योजनाओं को लागू करने के लिए अपने पैर पीछे खींचे थे. उन्होंने कहा कि पिछली उत्तर प्रदेश सरकार को 18,000 से अधिक घरों को मंजूरी दी गई थी, किंतु उस समय 18 घरों का निर्माण भी नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ जी की वर्तमान सरकार के सत्ता में आने के बाद, 9 लाख से अधिक आवास इकाइयां शहरी गरीबों को सौंप दी गईं और 14 लाख इकाइयां निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं. ये घर आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित हैं.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि वर्ष 2014 से पूर्व गरीबों के लिए निर्मित किये जाने वाले घरों के आकार की कोई स्थायी नीति नहीं थी. वर्ष 2014 में केन्द्र में नई सरकार बनने के बाद गरीबों के लिए निर्मित किये जाने वाले आवासों के आकार के सम्बन्ध में एक स्पष्ट नीति बनायी गयी. इस नीति में यह निर्धारित किया गया कि गरीबों के लिए बनाए जाने वाले घरों का आकार 22 वर्गमीटर से कम नहीं होगा. आज गरीबों को अपना घर निर्मित करने और उसका डिजाइन अपने ढंग से बनाने की आजादी है. उन्होंने कहा कि वर्तमान केन्द्र सरकार के कार्यकाल के दौरान पी0एम0ए0वाई0 के तहत 01 लाख करोड़ रुपये की धनराशि गरीबों के बैंक खातों में ट्रांसफर की गयी है. उन्होंने कहा कि शहरों में मजदूरों को किराए के आवास उपलब्ध कराने की दिशा में भी कार्यवाही की गयी है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि शहरी मिडिल क्लास की परेशानियों और चुनौतियों को भी दूर करने के लिए केन्द्र सरकार ने काफी महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं. रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानि (रेरा) कानून ऐसा एक बड़ा कदम रहा है. इस कानून ने पूरे हाउसिंग सेक्टर को अविश्वास और धोखाधड़ी से बाहर निकालने में बहुत बड़ी मदद की है, सभी हितधारकों की मदद की है तथा उन्हें सशक्त बनाया है.

एल0ई0डी0 स्ट्रीट लाइट के उपयोग का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री जी ने कहा कि इनके लगने से शहरी निकायों के हर साल करीब 1000 करोड़ रुपये बच रहे हैं. उन्होंने कहा कि अब ये राशि विकास के दूसरे कार्यों में उपयोग में लाई जा रही है. उन्होंने कहा कि एल0ई0डी0 ने शहर में रहने वाले लोगों का बिजली बिल भी बहुत कम किया है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि भारत में पिछले 6-7 वर्षों में शहरी क्षेत्र में बहुत बड़ा परिवर्तन प्रौद्योगिकी से आया है. उन्होंने कहा कि देश के 70 से ज्यादा शहरों में आज जो इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर चल रहे हैं, उसका आधार टेक्नोलॉजी ही है. उन्होंने अपनी संस्कृति के लिए मशहूर लखनऊ शहर का उल्लेख करते हुए कहा कि लखनऊ की ‘पहले आप पहले आप’ की तहजीब की तर्ज पर आज हमें ‘प्रौद्योगिकी पहले’- टेक्नोलॉजी फर्स्ट’ कहना होगा.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों को, स्ट्रीट वेंडर्स को बैंकों से जोड़ा जा रहा है. इस योजना के माध्यम से 25 लाख से ज्यादा लाभार्थियों को 2,500 करोड़ रुपये से अधिक की मदद दी गई है. इसमें भी उत्तर प्रदेश के 07 लाख से ज्यादा लाभार्थियों ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना का लाभ लिया है. कोरोना काल के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में स्ट्रीट वेण्डर्स को इस योजना का भरपूर लाभ मिला. प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के तहत आज उत्तर प्रदेश के 02 जनपद लखनऊ एवं कानपुर देश में टॉप पर हैं. उन्होंने डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए वेण्डरों की सराहना की.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि आज मेट्रो सर्विस का देश भर के प्रमुख शहरों में तेजी से विस्तार हो रहा है. वर्ष 2014 में, मेट्रो सेवा 250 किलोमीटर से कम रूट की लंबाई पर चलती थी, आज मेट्रो लगभग 750 किलोमीटर रूट की लंबाई में चल रही है. उन्होंने कहा कि देश में अभी लगभग 1,050 किलोमीटर से ज्यादा मेट्रो ट्रैकों पर काम चल रहा है. उत्तर प्रदेश के 06 शहरों में मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो रहा है.

प्रधानमंत्री जी ने कहा कि लखनऊ ने पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के रूप में एक विजनरी, मां भारती के लिए समर्पित राष्ट्रनायक देश को दिया है. उन्होंने कहा कि आज उनकी स्मृति में, बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी में अटल बिहारी वाजपेयी पीठ की स्थापना की जा रही है. उन्होंने कहा कि अटल जी ने देश के त्वरित विकास के लिए अवस्थापना एवं सड़कों के विकास पर विशेष बल दिया. उनकी अवधारणा थी कि प्रदेश के सभी जनपदों को अच्छे सड़क मार्गाें से जोड़ा जाए.

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सम्बोधन में कहा कि देश की सबसे बड़ी आबादी के राज्य उत्तर प्रदेश के लिए शहरीकरण बहुत ही महत्वपूर्ण है. प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में प्रदेश में गतिमान विभिन्न विकास योजनाओं से शहरी परिवेश को बदलने एवं प्रत्येक नागरिक के जीवन में व्यापक सकारात्मक परिवर्तन लाने में सफलता प्राप्त हुई है. प्रदेश सरकार ने विगत साढ़े चार वर्षाें में शहरीकरण की दिशा में कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में नए भारत का नया उत्तर प्रदेश अपनी पहचान स्थापित कर रहा है. प्रदेश सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरी क्षेत्रों के विकास पर निरन्तर बल दे रही है. मार्च, 2017 से पूर्व उत्तर प्रदेश में 654 नगरीय निकाय थे. प्रदेश सरकार ने 25 हजार से अधिक आबादी के राजस्व ग्रामों को नगरीय क्षेत्र में शामिल करते हुए नगरीय निकायों की संख्या बढ़ाकर 734 कर दी है. ताकि अधिक से अधिक जनसंख्या को शहरी विकास की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो सकें.

वर्ष 2014 से प्रारम्भ स्वच्छ भारत मिशन नारी गरिमा की रक्षा के साथ ही स्वस्थ भारत की परिकल्पना को साकार करने में मील का पत्थर साबित हुआ है. स्वच्छ भारत मिशन के तहत राज्य सरकार ने युद्धस्तर पर कार्य किये हैं. प्रदेश के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में 02 करोड़ 61 लाख से अधिक व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण हुआ है. इसके परिणामस्वरूप उत्तर प्रदेश शत-प्रतिशत ओ0डी0एफ0 हो गया. केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा 6,73,649 व्यक्तिगत घरेलू शौचालय तथा 51,524 सामुदायिक/सार्वजनिक शौचालय निर्मित किये गये. वर्ष 2017 के पूर्व प्रदेश में ओ0डी0एफ0 शहरों की संख्या मात्र 15 थी. जबकि वर्तमान में 652 नगरीय निकाय ओ0डी0एफ0, 595 नगरीय निकाय ओ0डी0एफ0 प्लस तथा 30 नगरीय निकाय ओ0डी0एफ0 प्लस-प्लस घोषित किये जा चुके हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आजादी के बाद हर गरीब का यह सपना था कि उसका खुद का एक पक्का मकान हो. प्रधानमंत्री जी की संवेदनशीलता व उनके नेतृत्व का परिणाम है कि आज देश में गरीब व्यक्ति बिना भेदभाव के पारदर्शी व्यवस्था के साथ पक्के मकान प्रदान किये जा रहे हैं. प्रदेश सरकार ने केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश के ग्रामीण व शहरी क्षेत्र के 42 लाख परिवारों को निःशुल्क पक्के आवास उपलब्ध कराये हैं. प्रदेश के शहरी क्षेत्र के 17 लाख परिवारों को पक्के आवास की स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है, जिसमें 09 लाख आवास पूर्ण हो चुके हैं और आज प्रधानमंत्री जी की उपस्थिति में 75 हजार आवासों में गृह प्रवेश कराया गया है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा दिखाने वाली लाइट हाउस परियोजना के लिए देश के 06 चयनित नगरों में प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी शामिल है. लाइट हाउस परियोजना के तहत नवीन तकनीक से सस्ते व अच्छे आवास निर्मित कराये जा रहे हैं. लखनऊ में गतिमान लाइट हाउस परियोजना के कार्याें को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जा रहा है. इस परियोजना के ज्यादातर आवासों को आवंटित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि अमृत योजना के तहत 60 नगरीय निकायों में 11,421 करोड़ रुपए से अधिक की परियोजनाएं स्वीकृत की जा चुकी हैं.

इसके तहत पेयजल, सीवरेज, हरित क्षेत्र और पार्क विकसित किये गये हैं. इन परियोजनाओं से एक बड़ी शहरी आबादी को सुगम एवं अच्छे जीवन स्तर को प्राप्त करने में मदद मिलेगी. केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश के 17 नगर निगमों में से 10 नगर निगमों को स्मार्ट सिटी मिशन में चयनित किया गया है. शेष 07 नगर निगमों को प्रदेश सरकार स्मार्ट सिटी बनाने का कार्य कर रही है. इस प्रकार प्रदेश के सभी 17 नगर निगमों में स्मार्ट सिटी मिशन के कार्य क्रियान्वित किये जा रहे हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व एवं प्रभावी मार्गदर्शन में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी को प्रदेश सरकार ने राज्य में नियंत्रित किया है. वैश्विक जगत ने आपके कोरोना नियंत्रण एवं प्रबन्धन की भूरि-भूरि प्रशंसा की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में अब तक 11 करोड़ लोगों को कोरोना वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं और लगभग 08 करोड़ लोगों के कोविड टेस्ट सम्पन्न कर चुके हैं. प्रदेश सरकार ने आत्मनिर्भर भारत के तहत प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना से 07 लाख से अधिक स्ट्रीट वेण्डर्स को बैंकों से लोन उपलब्ध कराने में सफलता प्राप्त की है. आने वाले समय में 1.5 लाख स्ट्रीट वेण्डर्स को और जोड़ा जाएगा. इस योजना के लाभार्थियों के चयन तथा उन्हें ऋण उपलब्ध कराने में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी की सदैव यह मंशा रही है कि देश में सार्वजनिक परिवहन की व्यवस्था बेहतर हो. इसी क्रम में, प्रधानमंत्री जी के कर कमलों से आज प्रदेश के 07 जनपदों के लिए 75 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बस के परिचालन की शुरुआत की गयी है. इस प्रकार, प्रदेश में वर्तमान में 115 स्मार्ट इलेक्ट्रिक बसों का संचालन किया जा रहा है. आने वाले दिनों प्रदेश के 14 नगरीय निकायों में 700 इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की कार्यवाही आगे बढ़ायी जाएगी. उन्होंने कहा कि मेट्रो रेल सार्वजनिक परिवहन का एक महत्वपूर्ण माध्यम है. आज प्रदेश के 04 बड़े शहरों-लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा में मेट्रो का संचालन हो रहा है. कानपुर में नवम्बर, 2021 तक मेट्रो का संचालन हो जाएगा. आगरा मेट्रो का निर्माण कार्य भी युद्धस्तर पर जारी है. रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम के तहत प्रदेश में दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर का निर्माण प्रगति पर है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बड़े नगरीय निकायों के विकास के साथ-साथ छोटे नगरीय निकायों में भी अवस्थापना सुविधाओं का समुचित विकास किया जा रहा है. छोटे नगर निकायों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 2018 में ‘पं0 दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत योजना’ की शुरुआत की गयी है. नगरीय क्षेत्रों में अल्पविकसित तथा मलिन बस्तियों में आधारभूत संरचनाओं को सुदृढ़ करने के लिए ‘मुख्यमंत्री नगरीय अल्पविकसित व मलिन बस्ती विकास योजना’ संचालित की जा रही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रयागराज कुम्भ-2019  की दिव्यता एवं भव्यता को देश व दुनिया ने देखा है. प्रयागराज कुम्भ ने स्वच्छता, सुरक्षा व सुव्यवस्था का एक मानक प्रस्तुत किया है. प्रयागराज कुम्भ को सफलतापूर्वक सम्पन्न कराने में नगर विकास विभाग, उत्तर प्रदेश ने प्रमुख भूमिका निभायी थी. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से प्रयागराज में कुम्भ के दौरान इण्टीग्रेटेड कमाण्ड एण्ड कण्ट्रोल सेण्टर को विकसित करते हुए वहां की ट्रैफिक व्यवस्था को सुव्यवस्थित करने का काम किया गया. इससे 24 करोड़ श्रद्धालुओं को सुव्यवस्था प्राप्त हुई.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने 01 अक्टूबर, 2021 को स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) एवं अमृत योजना के द्वितीय चरण का शुभारम्भ किया है. द्वितीय चरण में नगरीय क्षेत्रों को कचरे से पूरी तरह मुक्त रखा जाए. प्रदेश के नगरों को पूरी तरह कचरामुक्त करने, शहरों को जल सुरक्षित बनाने और यह सुनिश्चित करने कि कहीं भी सीवेज का गन्दा नाला नदियों में न गिरे, इसके लिए प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में प्रदेश सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ मिशन मोड पर कार्य करेगी.

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने न्यू इण्डिया का जो सपना देखा है, उसे पूरा करने के लिए वे मिशन मोड में कार्य कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि शहरी क्षेत्रांे के समन्वित विकास के लिए प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप कार्य किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि शहरों का नियोजित नगरीय विकास भारत की प्राचीन परम्परा है. आज समय की मांग के अनुसार देश के नगरों का तेजी से विकास हो रहा है. लोगों को ईज ऑफ लिविंग और ईज ऑफ डुइंग बिजनेस का लाभ नगरीय विकास के कारण मिल रहा है.

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री श्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि देश को आत्मनिर्भर बनाने में स्वच्छ भारत मिशन तथा अमृत योजना महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. वर्ष 2015 से 2021 में नगरीय विकास के क्षेत्र में निवेश 07 गुना तक बढ़ा है. केन्द्र सरकार द्वारा लोगों को बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्वच्छ भारत मिशन 2.0 तथा अमृत 2.0 प्रारम्भ किये गये हैं. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी का विस्तार हुआ है. आज उत्तर प्रदेश में 08 हवाई अड्डे काम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हवाई अड्डों के विकास के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 2,000 करोड़ रुपये की धनराशि का प्राविधान किया गया है.

इस अवसर पर राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, केन्द्रीय भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्री डॉ0 महेन्द्र नाथ पाण्डेय, केन्द्रीय आवास एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री श्री कौशल किशोर, उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य एवं डॉ0 दिनेश शर्मा, नगर विकास मंत्री श्री आशुतोष टण्डन, नगर विकास राज्य मंत्री श्री महेश चन्द्र गुप्ता, मुख्य सचिव श्री आर0के0 तिवारी, अपर मुख्य सचिव नगर विकास डॉ0 रजनीश दुबे, अपर मुख्य सचिव सूचना एवं एम0एस0एम0ई0 श्री नवनीत सहगल, अपर मुख्य सचिव गृह श्री अवनीश कुमार अवस्थी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

स्‍ट्रीट वेंडरों का संबल बनी है पीएम स्‍वनिधि योजना

इंदिरा गांधी प्रतिष्‍ठान में न्‍यू अर्बन इंडिया कॉन्‍क्‍लेव के उद्धाटन पर पीएम मोदी ने मंच से एक बार फिर सीएम योगी आदित्‍यनाथ के कामों को सराहा . उन्‍होंने कहा कि सीएम योगी के प्रयासों से कोरोना काल में गरीबों को संबल देने वाली पीएम स्‍वनिधि योजना के क्रियान्‍वयन में उत्‍तर प्रदेश देश में प्रथम स्‍थान पर है. उन्‍होंने कहा कि जिन तीन शहरों ने इस योजना में उत्‍कृष्‍ट काम किया है. उसमें यूपी के दो शहर लखनऊ व कानपुर शामिल है. योजना के तहत यूपी के 7 लाख से अधिक स्‍ट्रीट वेंडर को इसका सीधा लाभ मिला है, जो बड़ी उपलब्धि है. पीएम ने कहा कि रेहड़ी, पटरी व ठेला कारोबारियों को सीधे बैंक से जोड़ने का काम किया जा रहा है.

कोरोना काल में लॉकडाउन के दौरान देश भर के स्‍ट्रीट वेंडरों को सबसे अधिक परेशानी का सामना करना पड़ा था. इनका कारोबार लगभग बंद हो गया था. दोबारा कारोबार शुरू करना इनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. ऐसे में केन्‍द्र सरकार की पीएम स्‍वनिधि योजना स्‍ट्रीट वेंडर के लिए बड़ा सहारा बनी. कोरोना काल के बाद दोबारा काम शुरू करने के लिए इस योजना के जरिए स्‍ट्रीट वेंडरों को दस हजार रुपए तक लोन दिया गया. ताकि वह दोबारा अपना काम शुरू कर सकें. लोन की प्रक्रिया को काफी आसान रखा गया. इस योजना के तहत शहरी क्षेत्रों के रेहड़ी-पटरी वालों को एक साल के लिए 10,000 रुपये का ऋण बिना किसी गारंटी के उपलब्ध कराया गया.

लखनऊ व कानपुर आगे

पीएम मोदी ने स्‍ट्रीट वेंडरों को ऋण देने में लखनऊ व कानपुर के स्‍थानीय निकायों की तारीफ की. पीएम ने कहा कि प्रधानमंत्री स्‍वनिधि योजना के क्रियान्‍वयन में यूपी अव्‍वल है. खासकर देश के तीन शहरों के स्‍थानीय निकायों ने इसमें उल्‍लेखनीय काम किया है. उसमें यूपी के दो शहर लखनऊ व कानपुर शामिल हैं. वहीं, यूपी केन्‍द्र सरकार की 41 योजनाओं के क्रियान्‍वयन में देश के सभी राज्‍यों में अव्‍वल है.

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