सयाना इश्क: क्यों अच्छा लाइफ पार्टनर नही बन सकता संजय- भाग 1

इक्कीस वर्षीया पीहू ने जब कहा, ”मम्मी, प्लीज, डिस्टर्ब न करना, जरा एक कौल है,” तो नंदिता को हंसी आ गई. खूब जानती है वह ऐसी कौल्स. वह भी तो गुजरी है उम्र के इस पड़ाव से.

”हां, ठीक है,” इतना ही कह कर नंदिता ने पास में रखी पत्रिका उठा ली. पर मन आज अपनी इकलौती बेटी पीहू में अटका था.

पीहू सीए कर रही है. उस की इसी में रुचि थी तो उस ने और उस के पति विनय ने बेटी को अपना कैरियर चुनने की पूरी छूट दी थी. मुंबई में ही एसी बस से वह कालेज आयाजाया करती थी. पीहू और नंदिता की आपस की बौन्डिंग कमाल की थी. पीहू के कई लड़के, जो स्कूल से उस के दोस्त थे, के घर आनेजाने में कोई पाबंदी या मनाही नहीं रही. अब तक कभी ऐसा नहीं हुआ था कि नंदिता को यह लगा हो कि पीहू की किसी विशेष लड़के में कोई खास रुचि है. उलटा, लड़कों के जाने के बाद नंदिता ही पीहू को छेड़ती, ‘पीहू, इन में से कौन तुम्हें सब से ज्यादा अच्छा लगता है?’

पीहू अपनी बड़ी बड़ी खूबसूरत आंखों से मां को घूरती और फिर हंस देती, ‘आप क्यों पूछ रही हैं, मुझे पता है. जासूसी करने की कोई जरूरत नहीं. इन में से कोई मुझे अलग से वैसे पसंद नहीं है जैसे आप सोच रही हैं.’

नंदिता हंस पड़ती और बेटी के गाल पर किस कर देती.

इधर 6 महीनों से पीहू में अगर कोई बदलाव आता तो यह कैसे संभव होता कि उस की दोस्त जैसी मां नंदिता से छिपा रहता. नंदिता ने नोट किया था कि अब पीहू घर आने के बाद अपने फोन से चिपकी रहती है. कहीं भी फोन इधरउधर नहीं रखती है. पहले उस का फोन कहीं भी पड़ा रहता था. वह अपने काम करते हुए कभी फोन नहीं देखती थी. अब तो मम्मी, पापा से बात करते हुए भी वह अकसर फोन चैक करती रहती. हां, यह नया बदलाव था.

नंदिता पूरी तरह से समझ रही थी कि किसी लड़के से बात करती है पीहू और यह उन लड़कों में से नहीं है जो घर आते रहे हैं. पीहू के बचपन के दोस्त हैं क्योंकि पीहू बाकी सब से उस के पास बैठ कर भी फोन करती रहती पर यह जो नया फोन आता है, इस पर पीहू अलर्ट हो जाती है.

आजकल नंदिता को पीहू को औब्ज़र्व करने में बड़ा मजा आता. पीहू के कालेज जाने के बाद अगर नंदिता कभी उसे फोन करती तो वह हमेशा ही बहुत जल्दी में रख देती. विनय एक व्यस्त इंसान थे. नंदिता के मन में पीहू के साथ चल रहा यह खेल उस ने विनय को नहीं बताया था. कुछ बातें मां और बेटी की ही होती हैं, यह मानती थी नंदिता. नंदिता एक दिन जोर से हंस पड़ी जब उस ने देखा, पीहू नहाने जाते हुए भी फोन ले कर जा रही थी. नंदिता ने उसे छेड़ा, ‘अरे, फोन को भी नहलाने जा रही हो क्या? बाथरूम में भी फोन?’

पीहू झेंप गई, ‘मम्मी, गाने सुनूंगी.’ नंदिता को हंसी आ गई.

पीहू का फोन अकसर रात 9 बजे जरूर आता. उस समय पीहू अपने रूम में बिलकुल अकेली रहने की कोशिश करती. कभीकभी शरारत में यों ही नंदिता किसी काम से उस के रूम में जाती तो पीहू के अलर्ट चेहरे को देख मन ही मन नंदिता को खूब हंसी आती. मेरी बिटिया, तुम अभी इतनी सयानी नहीं हुई कि अपने चेहरे के बदलते रंग अपनी मां से छिपा लोगी. फोन किसी लड़के का ही है, यह बहुत क्लियर हो गया था क्योंकि पीहू के पास से निकलते हुए फोन से बाहर आती आवाज नंदिता को सुनाई दे गई तो शक की गुंजाइश थी ही नहीं.

एक दिन विनय भी औफिस की तैयारी कर रहे थे, पीहू के भी निकलने का टाइम था. उस ने जल्दीजल्दी में किचन में ही फोन चार्ज होने लगा दिया और नहाने चली गई. फोन बजा तो नंदिता ने नजर डाली और हंस पड़ी. नंबर ‘माय लव’ के नाम से सेव्ड था. फिर ‘माय लव’ की व्हाट्सऐप कौल भी आ गई. नंदिता मुसकरा रही थी. आज पकड़े गए, बच्चू, व्हाट्सऐप कौल पर लड़के की फोटो थी. नंदिता ने गौर से देखा, लड़का तो काफी स्मार्ट है, ठीक है पीहू की पसंद. इतने में भागती सी पीहू आई, तनावभरे स्वर में पूछा, ”मम्मी, मेरा फोन बजा क्या?”

”हां, बज तो रहा था.”

”किस का था?” पीहू ने चौकन्ने स्वर में पूछा. नंदिता समझ गई कि बेटी जानना चाह रही है कि मां को तो कुछ पता तो नहीं चला.

पीहू बेदिंग गाउन में खड़ी अब तक फोन चार्जर से निकाल चुकी थी. नंदिता ने अपनेआप को व्यस्त दिखाते हुए कहा, ”पता नहीं, टाइम नहीं था देखने का, रोटी बना रही थी. इस समय कुछ होश नहीं रहता मुझे फोनवोन देखने का.”

पीहू ने सामान्य होते हुए छेड़ा, ”हां, हां, पता है, आप इस समय 2 टिफ़िन और नाश्ता बना रही हैं, बहुत बिजी हैं,” और नंदिता को किस कर के किचन से निकल गई. विनय और पीहू के जाने के बाद नंदिता अपने खयालों में गुम हो गई, ठीक है, अगर पीहू के जीवन में कोई लड़का आया भी है तो इस में कोई बुराई वाली बात तो है नहीं. उम्र है प्यार की, प्यार होगा ही, कोई अच्छा लगेगा ही. आखिरकार मैं ने और विनय ने भी तो प्रेम विवाह किया था. आह, क्या दिन थे, सब नयानया लगता था. अगर कोई लड़का पीहू को पसंद है तो अच्छा है. इस उम्र में प्यार नहीं होगा तो कब होगा. रात को सोते समय उस की ख़ास स्माइल देख विनय ने पूछा, ”क्या बात है?”

प्यार में खलल डालने वाली सीक्रेट वाइफ- भाग 3

उस के जाने के बाद काफी समय तक उस की उपस्थिति का एहसास नरसिंह को होता रहा. बातबात पर खनकती हंसी कानों में सुनाई देती रही. जब भी दुकान पर किसी औरत की आवाज सुनता, उसे लगता रितु ही बोल रही है. उस रोज नरसिंह के चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी.उसी दिन रात को वाट्सऐप मैसेज आया, ‘हैलो! गुड नाइट!!’’नरसिंह उसे अभी पढ़ ही रहा था कि एक और मैसेज आ गया, ‘स्वीट मीटिंग विद रेनी डे… यादगार बन गया!’नरसिंह समझ गया कि मैसेज किस ने भेजा है. उस ने भी रितु का नंबर ‘आर रेनीडे’ नाम से सेव कर लिया और उसे लव चिह्न का जवाबी मैसेज भी भेज दिया.

दूसरी प्रेमिका रानी से जलती थी रितु

प्रेम की पहली सफलता मिलने के बाद नरसिंह रितु के साथ अकेले में मिलने का मौका निकालने लगा. यहां तक कि उसे अपने घर पर भी बुलाने लगा. पत्नी से परिचय करवाया. उस के शादीशुदा होने पर पत्नी ने उन की मुलाकातों पर संदेह नहीं किया. दोनों बाहर भी मिलनेजुलने लगे.कुछ दिनों में ही दोनों ने महसूस किया कि उन को अपनेअपने जीवनसाथी से मिलने वाली खुशी इस नए प्रेम संबंध से मिल रही है.उन की प्रेम कहानी सरपट दौड़ती रही. कहीं कोई बाधा नहीं और न ही एकदूसरे से शिकायतें. किंतु उस में खलल तब पड़ गई, जब 3 साल पहले नरसिंह ने अपने मैडिकल स्टोर पर सीहोर की रानी नाम की युवती को सेल्सगर्ल के रूप में नौकरी पर रख लिया. वह मात्र 20 साल की कुंवारी थी. जबकि रितु की उम्र बढ़ने के साथसाथ उस की चंचलता और मादकता में कमी आ गई थी.

दुकान पर जब रितु ने एक बार रानी को नरसिंह से हंसहंस कर बातें करते देखा, तब उसे बहुत बुरा लगा. उस ने तुरंत इस का विरोध जताया कि उसे इस तरह से अपने स्टाफ से हंसीमजाक नहीं करनी चाहिए. उस समय नरसिंह कुछ नहीं बोला, लेकिन उसे रानी से हंसीमजाक करना या बातबात पर उसे छेड़ देना अच्छा लगता था. कारण, रानी उस की बातों का बुरा नहीं मानती थी.रसिकमिजाज नरसिंह किसी कमसिन लड़की को देखते ही उस पर फिदा हो जाता था. वह उसे अपने प्रेम जाल में फंसा कर ही छोड़ता था. न केवल उस के साथ रंगरलियां मनाने के सपने देखने लगता था, बल्कि उसे अपने अनुरूप भी बना लेता था. ऐसा ही उस ने रानी के साथ किया था. वह उस की भावना में आ गई थी. जबकि एक सच्चाई यह भी थी कि रानी पैसों की भूखी थी और बबलू उस पर पैसे खर्च करने लगा था.

शादीशुदा नरसिंह ने रानी से भी कर ली शादी

रानी एक गरीब परिवार से थी. उसे पैसे की जरूरत थी. नरसिंह उस की जरूरत को अच्छी तरह समझ गया था. एक दिन रानी के कहने पर वह उस के कमरे में ठहर गया. दोनों ने मरजी से सैक्स संबंध बनाए. अगले रोज रानी बिफरती हुई उसे शादी करने को बोली. नरसिंह के इनकार करने पर रानी ने उस पर रेप का मुकदमा करने की धमकी दी. आखिरकार नरसिंह ने रानी से गुपचुप शादी कर ली और उसे हर महीने पैसे भी देने लगा.उन्होंने कोरोना काल में लौकडाउन का भरपूर फायदा उठाया. मैडिकल की दुकानें खुली रहने के चलते रानी और नरसिंह का संपर्क बना रहा. सड़कें, गलियां और बाजार पसरे सन्नाटे का फायदा उठा कर नरसिंह अकसर रानी के कमरे पर समय गुजारने लगा.

दूसरी तरफ लौकडाउन में रितु की ज्वैलरी की दुकान बंद हो गई थी, जिस से उस का घर से निकलना नहीं हो पा रहा था. रितु का पति भी घर पर रहता था. नरसिंह से मिलने के लिए रितु की तड़प बढ़ती जा रही थी. मुलाकात का कोई रास्ता नहीं होने के कारण रितु परेशान थी, तो नरसिंह उस की कमी को रानी संग रातें रंगीन कर पूरी कर रहा था.कुछ दिनों बाद ही नरसिंह रितु समेत अपनी बीवी को भी भूल गया. उस की बीवी अपने पति की आशिकमिजाजी से वाकिफ थी, लेकिन रानी संग गुप्त शादी रचाने से अनजान थी. कोरोना के बाद जब बाजार पूरी तरह खुल गए, तब रितु का अपने आशिक नरसिंह से सामना हुआ.

नरसिंह ने उस से ठीक तरह से बात तक नहीं की. इस का कारण समझने में रितु को जरा भी समय नहीं लगा. तब तक वह रानी और नरसिंह के संबंधों के बारे में अच्छी तरह पता चल चुका था.रितु को अपने प्यार के छिन जाने का गुस्सा था, लेकिन विवाहित होने के चलते कुछ कर भी नहीं सकती थी. उस ने नरसिंह की पहली पत्नी को सब कुछ बताने की सोची, लेकिन डर गई कि ऐसा होने से वह भी फंस जाएगी और उस के पति तक भी बात पहुंच जाएगी. दूसरी तरफ रितु ने जब नरसिंह से रानी से संबंध तोड़ने की बात कही थी, तब उस ने खुदकुशी करने की धमकी दे डाली थी.

स्वार्थ के लिए रानी को लगा दिया ठिकाने

रितु और नरसिंह जब भी मिलते, उन के बीच रानी को ले कर तकरार हो ही जाती थी. एक दिन तंग आ कर नरसिंह उर्फ बबलू ने रितु से कह दिया था कि वह घर और बाहर की किचकिच से काफी तंग आ चुका है. अगर उसे और परेशान किया तो किसी दिन नींद की गोलियां खा कर हमेशा के लिए सो जाएगा.
मौत की बात से रितु का दिमाग भन्ना गया था. मन बेचैन रहने लगा था. उस के बाद एक दिन उस ने ही निर्णय लिया कि प्रेमी के मरने के बजाय क्यों न उसी की मौत हो जाए, जिस ने उस का प्यार छीना है. इस बारे में उस ने नरसिंह से इशारेइशारे में कह भी दिया था.नरसिंह भी रितु के जिद्दी स्वभाव को जानता था. हालांकि एक सच्चाई यह भी थी कि वह खुद रानी से पीछा छुड़ाना चाहता था. रितु को रोकने के बजाय वह रानी को रास्ते से हटाने के लिए उकसाने लगा. वह रानी को ले कर ताने भी मारने लगा. एक दिन रितु ने अपने प्यार की राजदार सहेली प्रियंका से अपनी योजना बताई. उस से मदद मांगी तो वह तैयार हो गई.

प्रियंका ही वह लड़की थी, जो रितु और नरसिंह को एकांत में समय गुजारने के लिए जगह उपलब्ध करवाती थी. बदले में उसे पैसे मिल जाते थे. रितु ने उसे साथ देने के बदले में पैसे देने का वादा किया. उस के कहने पर 7 अगस्त, 2022 को रानी की हत्या की योजना में प्रियंका भी शामिल हो गई. दोनों एक साथ अखाड़ा रोड पर रानी के घर पहुंचीं.रितु से रानी पहले से परिचित थी. दरवाजे पर ही रितु ने कहा कि वह आपसी मतभेद मिटाने आई है. वह जैसा कहेगी, मानने के लिए तैयार है. रानी ने रितु और प्रियंका को कमरे में बैठाया और उन की आवभगत की तैयारी में लग गई. इसी दौरान मौका पा कर रितु और प्रियंका ने उस की चुन्नी को उसी के गले में लपेट कर वहीं गिरा दिया.

रानी अचानक हुए इस हमले से खुद को नहीं संभाल पाई. चुन्नी के एक सिरे को मजबूत बदन की प्रियंका और दूसरे सिरे को रितु ने जोर लगा कर खींच दिया. रानी छटपटा कर रह गई. कुछ समय में ही उस का दम घुट गया.उस के बाद रितु ने तुरंत नरसिंह को फोन मिलाया. उस से आधे मिनट के करीब बात की और प्रियंका को अपने घर भेज कर उस के घर चली गई. सब कुछ रानी को रास्ते से हटाने की योजना के अनुसार ही हो रहा था.

उधर नरसिंह दुकान पर रितु की सूचना आने का इंतजार कर रहा था. इस की जानकारी उसे घर से पत्नी ने दी कि उस की सेल्सगर्ल घर में बेहोश पड़ी हुई है. नरसिंह तुरंत रानी के कमरे पर गया और उसे ले कर अस्पताल के इमरजेंसी में ले गया.इस तरह से इस अनैतिक प्रेम कहानी में से एक ने तो दुनिया से विदा ले ली, लेकिन बाकी एक अपनी सहेली के साथ सलाखों के पीछे चली गई. प्रेमी नरसिंह पर भी साजिश रचने का आरोप लगा. इस का असर उस के परिवार पर भी हुआ.

फिल्म मिली के प्रचार के लिए आम इंसानों की जिंदगी से खिलवाड़..?

2019 में मलयालम फिल्मकार मथुकुट्टी झेवियर की मलयालम भाषा की रोमाचंक फिल्म ‘‘हेलन’’ने जबरस्त सफलता हासिल की थी. इस फिल्म को देखने के बाद फिल्म निर्माता बोनी कपूर ने अपनी बेटी व अभिनेत्री जान्हवी कपूर के अभिनय कैरियर को संवारने के लिए  ‘हेलन’ का हिंदी रीमेक ‘‘मिली’’ के बनाने का निर्णय कर मथुकुट्टी झेवियर से संपर्क किया.

उसके बाद मथुकुट्टी झेवियर ने ही हिंदी फिल्म ‘‘मिली’’ का निर्देशन किया. 4 नवंबर को प्रदर्शित हो रही फिल्म ‘‘मिली’’ में शीर्ष भूमिका जान्हवी कपूर ने निभायी है.इसके अलावा सनी कौशल व मनोज पाहवा के भी अहम किरदार हैं.फिल्म ‘मिली’ की कहानी के अनुसार 24 वर्षीय मिली नर्सिंग की स्टूडेंट है.एक दिन उसे साजिशन फ्रीजर में बंद कर दिया जाता है. अब मिली का जीवित रहने का संघर्ष शुरू होता है.

 

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फिल्म की कहानी के इसी थीम पर फिल्म के प्रचार के लिए निर्माता ने मंुबई में अंधेरी के सिटी माल स्थित पीवीआर ई सी एक्स मल्टीप्लैक्स के प्रांगण में एक फ्रीजर रखा है.उनके लोग आम दर्शक से उस फ्रीजर के अंदर कुछ समय बंद रहकर रोमांच का अनुभव करने के लिए कहते हैं.जब कोई दर्शक तैयार हो जाता है,तो उससे एक कागज पर हस्ताक्षर कराते हैं,जिसके अनुसार वह अपनी मर्जी से ऐसा कर रहा है.फिर पांच सात मिनट बाद उस इंसान को फ्रीजर से बाहर निकाला जाता है और उसके अनुभव का वीडियो बनाया जाता है.

वहां मौजूद लोगों के अनुसार उन्हे नही पता था कि इस तरह जो वीडियो तैयार किए जा रहे हैं,उनका किस तरह उपयोग होगा.पर उनका मानना था कि इससे फिल्म का प्रचार हो रहा है.जो दर्शक फ्रीजर पर इस तरह का अनुभव ले रहे हैं,वह अपने रिश्तेदारों व दोस्तों को बताकर उनसे फिल्म देखने के लिए अवश्य कहेंगे.

मगर तमाम लोग इस तरह के प्रचार को आम इंसान की जिंदगी के संग खिलवाड़ बता रहे हैं.कईयों का मानना है कि फिल्म के प्रचार के लिए किसी भी निर्माता या फिल्मकार को दर्शक यानी कि आम इंसान की जिंदगी को संकट मंें डालने का हक नही बनता.लोगों की बात में दम है.क्योंकि हर इंसान के ठंड सहन करने की अलग अलग क्षमता होती है.

नाक में ठंड जाने के बाद कई तरह की बीमारियों व कई तरह के अन्य रोग उभर सकने की संभावना रहती है.ऐसे में यह रिस्क ही कहा जाएगा.इस बात से निर्माता पूरी तरह से वाकिफ हैं.तभी तो बगल में ही एम्बूलेंस भी खड़ी कर रही है.

 

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यहां अहम सवाल यह है कि फिल्म मंे दिखाए जाने वाले हर दृश्य का हकीकत मानने वाले आम इंसान को पता नही होता कि वह दृश्य कितना नकली या वीएफएक्स व अन्य तकनीक से परदे पर गढ़ा गया है.ऐसे में फिल्म प्रचार के इस हथकंडे को मान्यता नही दी जा सकती.
मगर इन दिनों हर फिल्मकार व कलाकार अपनी फिल्म के प्रचार के लिए इसी तरह के अलग अलग हथकंडे अपना रहा है.किसी भी कलाकार या निर्देशक के पास अपनी फिल्म के संदर्भ में पत्रकारों से बात करने के लिए वक्त ही नही है.फिल्म ‘‘मिली’’ के कलाकारों ने सिर्फ दो या तीन पत्रकारों से बात की.अन्यथा वह ‘भूसे में सुई की तरह गायब ही है.

सनी कौशल तो फिल्म के ट्ेलर लांच के अवसर पर भी मौजूद नही थे.मनोज पाहवा ने भी इस फिल्म के संदर्भ मंे किसी पत्रकार से बात नहीं की.फिल्म की नायिका और निर्माता की बेटी जान्हवी कपूर देश के कई षहरों के कालेजांे में जाकर ठुमके ेलगाकर फिल्म का प्रचार करती रही.

इतना ही नही जान्हवी कपूर तो दिल्ली जाकर सिनेमाघर के अंदर पत्रकारों को अपने हाथ से पाॅपकाॅर्न खरीदकर देती रही…क्या इससे फिल्म का प्रचार होता है,क्या इससे दर्शक के मन में फिल्म देखने की उत्सुकता जागृत होती है? इसका सही जवाब तो फिल्म के निर्माता,कलाकार व फिल्म के प्रचारक के पास ही है…????

धूप छांवः पारिवारिक रिश्तों की अहमियत को उकेरती फिल्म

रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माता: सचित जैन व साक्षी जैन

निर्देषकः हेमंत शरण

कलाकारः राहुल देव,अभिषेक दुहान, अहम शर्मा, समीक्षा भटनागर, सिम्रिथी बठीजा, अतुल श्रीवास्तव, राहुल बग्गा, शुभांगी लतकर, आशीष दीक्षित, आर्यन बजाज,शैलेन व अन्य.

अवधिः दो घंटे 17 मिनट

भारतीय सिनेमा से लंबे समय से परिवार और रिश्ते गायब हो चुके थे.अब एक बार फिर फिल्मकार हेमंत शरण परिवार,रिश्ते, व पारिवारिक मूल्यों की बात करने वाली दो भाईयों के बीच प्यार को दर्शाती फिल्म ‘‘धूप छांव’’ लेकर आए हैं.चार नवंबर को प्रदर्शित यह फिल्म कमजोर पटकथा व निर्देशकीय कमजोरियों के चलते उस स्तर की नही बन सकी,जिस स्तर की उम्मीद की जा रही थी.

कहानीः

फिल्म ‘‘धूप छंव’’ की कहानी के केंद्र में शौर्य दीवान है.कहानी 1984 के सिख दंगे से शुरू होती है.इन सिख दंगों में दलजीत सिंह (राहुल देव ) अपनी बेटी सिमरन के साथ फंस जाते हैं.वह अपनी बेटी को एक जगह छिपने के लिए कहकर स्वयं कार चलाते हुए आगे बढ़ जाते हैं.जिस जगह सिमरन छिपती है,वहीं पर शौर्य भी छिपा हैं. कुछ देर बाद सिमरन,शौर्य के साथ अपने पिता को ढूढ़ने निकलती है.शौर्य घायल अवस्था में पड़े दलजीत को हाथ गाड़ी पर डालकर अस्पताल पहुॅचाता है.इधर शौर्य की मां घायल अवस्था में अस्पताल में पड़ी है.शौर्य का बड़ा भाई अमन भी मां के साथ ही है.पर डाक्टर शौर्य व अमन की मां का इलाज करने के लिए पहले पैसे मांग रहा है.शौर्य डाक्टर के पास जाकर अपनी मां को बचा लेने के लिए गिड़गिड़ाता है.

छोटे बच्चों के संग दुष्कर्म का आनंद लेने वाला डाक्टर शौर्य की मां का इलाज मुफ्त में करने के लिए उसके साथ दुश्कर्म करता है.यह दृश्य शौर्य का दोस्त सुंदर भी देख लेता है.मां तो ठीक हो जाती है,मगर शौर्य अपने साथ डाक्टर द्वारा  किए गए कर्म के चलते परेषान रहने लगता है. अब वह बड़ा आदमी बनना चाहता है.

सुदर उसे दलजीत सिंह के पास ले जाता है,जहां सिमरन,शौर्य को पहचान लेती है और अपने पिता से कहती है कि शौर्य ने ही उस दिन उनकी जिंदगी बचायीथी.अब दलजीत अपनी जिंदगी बचाने के एवज में शौर्य के लिए कुछ भी करने को तैयार है.मगर शौर्य कहता है कि वह अपनी मेहनत से बड़ा आदमी बनना चाहता है.अब शौर्य व सुदर दोनों दलजीत सिंह के कंस्ट्क्शन वाली इमारत में काम करने लगते हैं.उधर शौर्य अपने बड़े भाई अमन दीवान से पढ़ाई करने के लिए कहता है.दलजीत के कई गैर कानूनी ध्ंाधे भी हैं.बड़ा होकर षौर्य (अभिषेक दुहान) अपने दोस्त सुंदर राहुल बग्गा) के साथ मिलकर दलजीत राहुल देव) के सारे गैरकानूनी ध्ाधे संभालने लगता है.

शौर्य व सुदर दोनों बहादुर व बंदूक चलाने में माहिर हैं. शौर्य ने आलीशान मकान बना लिया है.शौर्य व सिमरन( सिम्रिथी बठीजा ) एक दूसरे से प्यार करते हैं.पर सिमरन नही चाहती कि उसका होने वाला पति गैर कानूनी धंधे व मारपीट में लिप्त हो.एक दिन सिमरन,शौर्य से कह देती है कि जिस दिन वह इमानदारी का काम करने लगेगा,उसी दिन वह उसके साथ रहना चाहेगी.इधर शौर्य के विपरीत अमन (अहम शर्मा )एक शालीन व इमानदार इंसान की जिंदगी जी रहा है.उसे नौकरी की तलाश है.

एक दिन दलजीत के व्यवसायी दुश्मन दलजीत पर जान लेवा हमला कर देते हैं.मरने से पहले दलजीत अपनी बेटी सिमरन और शौर्य से वादा लेते है कि वह दोनों शादी करके एक साथ हमेशा रहें.दलजीत की मौत के बाद शौर्य व सुदर भरी बाजार में दलजीत के गुनाहगार को गोलियों से भून देता है.यह बात मेघना ( समीक्षा भटनागर ) देखकर स्तब्ध रह जाती है. इसके बाद शौर्य को पता चलता है कि अमन एक लड़की मेघना से प्यार करता है.तब शौर्य व सुदर मेघना के घर उनके पिता (अतुल श्रीवास्तव) से मिलने जाते हैं,जहां इन दोनों को देखते ही मेघना अपने पिता से कहती है कि यह दोनो हत्यारे हैं.मेघना,अमन से कहती है कि वह शौर्य का साथ छोड़ दे.पर अमन कह देता है कि वह अपने छोटे भाई शौर्य को नहीं छोड़ेगा.

हालात के चलते शौर्य एक इमानदार पुलिस अफसर को सारे गैर कानूनी धंधों की जानकारी देकर एक इमानदार व सही नागरिक की तरह रहने का फैसला कर लेता है.अमन का मेघना से व शौर्य का सिमरन से व्याह हो जाता है .दोनों दो दो बच्चों के माता पिता बन जाते हैं. एक दिन शौर्य की जिंदगी बचाने के लिए अमन अपनी जिंदगी गंवा देता है.उसके बाद शौर्य हर किसी को एक साथ लेकर चलता है.कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं.सभी बच्चे भी बड़े हो जाते हैं.मगर फिर एक बार पूरे परिवार के इम्तहान से गुजरना पड़ता है.

लेखन व निर्देशनः

फिल्मकार हेमंत शरण ने अपनी फिल्म के माध्यम से उन सभी पारिवारिक मूल्यों व रिश्तों के बंधन को इस फिल्म में उकेरा है,जिनकी आज के समय में आवश्यकता है.फिल्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें पारिवारिक रिश्तों, पारिवारिक मूल्यों,पति पत्नी के रिष्तों, भाई भाई के रिश्तों को लेकर कहीं कोई आदर्शवादी या उपदेशात्मक भाषणबाजी नही है.

वर्तमान समय में इस तरह की कथा कहने वाली फिल्मों की जरुरत काफी है. मगर पहली बार स्वतंत्र निर्देशक के तौर पर काम करने वाले हेमंत शरण की निर्देशकीय कमजोरी व कमजोर पटकथा के चलते फिल्म प्रभावशाली नही बन पायी है.

इंटरवल से पहले फिल्म काफी धीमी गति से आगे बढ़ती है,मगर इंटरवल के बाद फिल्म संभल जाती है.इंटरवल के बाद भावनाओं का सैलाब भी है.फिल्म के एक्शन दृश्य बहुत बनावटी लगते हैं.फिल्म को एडीटिंग टेबल पर कसे जाने की जरुरत थी. फिल्म का संगीत सशक्त पक्ष है.संगीतकार अमिताभ रंजन, नीरज श्रीधर और काशी रिचर्ड ने बेहतरीन संगीत परोसा है.तो वहीं कैलाश खार द्वारा स्वरबद्ध गगीत ‘हौसला..’ लोगों के दिलों में घर कर जाता है.इसके अलावा जावेद अली व भूमि त्रिवेदी द्वारा स्वरबद्ध गाने भी प्रभावशाली हैं.

अभिनयः

दलजीत सिंह के किरदार में मजे हुए अभिनेता राहुल देव का अभिनय ठीक ठाक ही कहा जाएगा.उन्हे पटकथा से कोई साथ नही मिल पाया.‘ब्लू अरेंजेस’ व ‘1962ः माई कंट्ी माई लैंड’जैसी फिल्मों व ‘महाभारत’ सहित कई सीरियलों में अभिनय कर चुके अहम शर्मा ने क्या सोचकर अमन दीवान के छोटे किरदार को निभाया,यह समझ से परे है.उनका अभिनय प्रभावशाली नही है.

‘तेरा सुरुर 2’,‘सुलतान’ और ‘पटाखा’ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का जलवा दिखा चुके अभिनेता अभिष् ोक दुहान ने शौर्य दीवान के किरदार को जीवंतता प्रदान की है.मगर कई दृश्यों में वह ख्ुाद को दोहराते भी नजर आए हैं.वेब सीरीज ‘दहानम’ के एक्शन दृश्यों में अभिषेक दुहान जमे थे,मगर इस फिल्म के एक्शन दृश्यों में वह नही जमे.

मेघना के किरदार में ‘एक वीरा की अरदारः वीरा’ सहित कई सीरियलों के अलावा ‘पोस्टर ब्वाॅयज’ व ‘कलेंडर गर्ल’ जैसी फिल्मों की अदाकारा  समीक्षा भटनागर का अभिनय प्रभावशाली नही है.शायद कमजोर पटकथा व कमजोर निर्देशन के चलते वह अपने अभिनय को उभार नही पायी.

सिमरन के किरदार में 2019 की ‘मिस इंडिया इंटरनेशनल’ का खिताब जीतने वाली  सिम्रिथी बठीजा पूरी फिल्म में काफी संुदर नजर आयी हैं. मगर अभिनय जगत मेंअपने पैर जमाने के लिए उन्हेअभी मेहनत करने की जरुरत है.अन्य कलाकार ठीकठाक रहे.

मार्मिक बदला : रौनक से कौनसा बदला लेना चाहती थी रागिनी

मेरा बीवी के साथ सेक्स करने का बहुत मन करता है लेकिन वो प्रेग्नेंट है, मैं क्या करूं?

सवाल

मेरी बीवी प्रेग्नेंट है और 7वां महीना चल रहा है. मेरा अपनी बीवी के साथ सेक्स करने का बहुत मन करता है, पर वे मना करती है. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब

आप को खुद पर काबू रखना चाहिए. ऐसी हालत में बिना बीवी की इच्छा के सेक्स करना बच्चे के भी लिए नुकसानदेह हो सकता है.

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प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स करने को लेकर अलग-अलग बातें या तर्क सामने आते है. प्रेग्नेंसी के दौरान कुछ ज्यादा सेक्स करना चाहते हैं जबकि दूसरी तरफ कुछ लोग इस दौरान सेक्स करने से डरते हैं. इसकी एक वजह यह भी है कि कुछ महिलाओं में प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स की इच्छा बढ़ जाती है.

कुछ औरतें इसलिए डरती हैं कि कहीं सेक्स करने से गर्भ में पल रहे बच्चे को खतरा न हो उत्पन्न हो जाए. प्रेग्नेंसी के दौरान सेक्स के बारे में कोई संदेह या डर हो तो अपने डॉक्टर से आपको खुल कर बातचीत करनी चाहिए. प्रेग्नेंसी के दौरान यौन संबंध बनाना नुकसानदेह नहीं होता. नॉर्मल प्रेग्नेंसी में आप प्रसव होने तक यौन संबंध बना सकते हैं. यह माना जाता है कि प्रेग्नेंसी के आखिरी कुछ हफ्तों में सेक्स नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे समय से पहले डिलीवरी हो सकती है या फिर बच्चे को नुकसान हो सकता है. लेकिन जानकारों के मुताबिक अगर इस दौरान पार्टनर या गर्भवती महिला को सेक्स में तकलीफ हो तो सेक्स करने से बचना चाहिए.

डॉक्टरों के मुताबिक जैसे-जैसे प्रेगनेंसी पीरियड बढ़ती जाती है आपको सावधानियां बरतनी चाहिए. गर्भवास्था में महिलाओं का पेट चौथे या पांचवें महीने के बाद पेट का आकार बढ़ता है और ऐसी स्थिति में सेक्स सहज नहीं रहता और उसमें तकलीफ होने की संभावना बनी रहती है.

आपका शरीर आपके बच्चे को गर्भावस्था के दौरान हर तरह से सुरक्षित रखने में सक्षम है इसलिए आपका बच्चा सेक्स के दौरान भी सुरक्षित ही है. कुछ जानकारों के मुताबिक प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स करने से यह बच्चे के जन्म से पहले पैदा होने के खतरे को कम करता है. हालांकि कुछ मामलो में प्रेगनेंसी के दौरान सेक्स करना नुकसानदायक हो सकता है. प्रेगनेंसी के दौरान ब्लीडिंग होने,पेट में दर्द होने, गर्भाशय के कमजोर होने की स्थिति में सेक्स हर्गिज नहीं करना चाहिए.

कहा भी न जाए, सहा भी न जाए

औरतों की कुछ तकलीफें तो ऐसी होती हैं, जिन्हें वे किसी से कह नहीं पाती हैं और उन्हें चुपचाप सहती रहती हैं या उन की पीड़ा भोगती रहती हैं. जब पीड़ा सहन के बाहर हो जाती है, तब वे अपने पति या परिवार वालों को बताती हैं. ऐसे में उन की समस्या इतनी बढ़ जाती है कि उसे ठीक होने में काफी वक्त लगता है या वह लाइलाज हो जाती है.

शादीशुदा औरतों में कइयों को तो जिस्मानी संबंध बनाने के दौरान अंग में तेज दर्द होता है, लेकिन पति के सुख में बाधा न पहुंचे, इसलिए वे दर्द को चुपचाप बरदाश्त करती हैं. अपने चेहरे के हावभाव से भी दर्द को जाहिर नहीं होने देतीं और सेक्स में पति का साथ देती हैं, ताकि वह संतुष्ट रहे.

माना कि पति की सेक्स संतुष्टि का ध्यान रखना चाहिए, लेकिन जब इस में दर्द हो तो संतुष्टि एकतरफा ही होगी, जबकि वह संतुष्टि दोनों को मिलनी चाहिए. पति तो चरम सुख हासिल करता है और औरत उस की पीड़ा सहती रहती है, यह तो कोई बात नहीं हुई.

जिस्मानी संबंध बनाने के दौरान होने वाली तकलीफ के लिए मर्द द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कंडोम या औरत द्वारा लगाई गई कौपर टी भी जिम्मेदार होती है.

कुछ मर्द सेक्स के दौरान अपनी मर्दानगी को साबित करने की कोशिश करते हैं जो किसी बलात्कार से कम नहीं होता, जबकि सेक्स में ताकत दिखाने के बजाय प्यार का प्रदर्शन करना चाहिए.

एक उम्र के बाद यानी 45 साल से 50 साल की उम्र के बीच औरतों की माहवारी बंद हो जाती है, जिसे मेनोपोज कहते हैं. इस से हार्मोन में बदलाव आता है और औरतों की सेक्स में दिलचस्पी धीरेधीरे खत्म होने लगती है. अंग में पहले जैसी नमी नहीं रहती है, वह नमी सूख जाती है. इस से सेक्स के दौरान दर्द होने लगता है या इस में मजा नहीं आता.

बेहतर होगा कि औरतें इस बारे में अपने पति को बताएं. वह कभी नहीं चाहेगा कि सेक्स के दौरान आप को दर्द हो. वह सेक्स का तरीका बदलेगा या सब्र का परिचय देगा.

इस के बावजूद भी अगर समस्या बनी रहती है, तो आप को महिला रोग विशेषज्ञ से पूरी जांच करानी चाहिए, ताकि असली वजह का पता चल सके. इलाज के बाद दर्द दूर हो जाएगा और सेक्स दोनों के लिए सुखद व मजा देने वाला होगा.

कुछ औरतों में माहवारी के दौरान बहुत ज्यादा खून बहता है या काफी दर्द होता है. ऐसे में उन्हें संकोच छोड़ कर महिला रोग विशेषज्ञ को बताना चाहिए.

हां, माहवारी में कुछ तकलीफें होना आम बात है, जैसे स्तनों में दर्द या भारीपन होना, पेट के निचले हिस्से में दर्द होना या भारीपन रहना वगैरह. ये लक्षण 1-2 दिन में अपनेआप ठीक हो जाते हैं.

औरतों को चाहिए कि वे माहवारी के दिनों में रोज नहाएं और साफ पैड का इस्तेमाल करें. नहाने के दौरान अपने अंगों की अच्छी तरह साफसफाई भी करें.

कुछ औरतों के अंग में घाव या छोटीछोटी फुंसियां हो जाती हैं. ये काफी जलन पैदा करती हैं, जो बरदाश्त के बाहर होती हैं. इसी तरह बहुत सी औरतों के अंग के आसपास खुजली रहती है. खुजलाने में शर्म भी आती है, लेकिन खुजलाना पड़ता है.

ये सब यौन संक्रमण हैं. इन को गंभीरता से लेना चाहिए और अपना इलाज कराना चाहिए. औरतों के निचले हिस्से में फंगल इंफैक्शन भी हो सकता है.

औरतों के अंग से थोड़ाबहुत पानी का रिसाव सा होना कुदरती है. इस से उस में नमी बनी रहती है. लेकिन अगर यह रिसाव असामान्य पीला, हरा, गाढ़ा, बदबू वाला हो तो चिंता की बात है.

आमतौर पर औरतें इस की अनदेखी करती हैं. नतीजतन, उन की यह समस्या गंभीर हो जाती है. इस में शर्म,  िझ झक छोड़ कर महिला डाक्टर को बताना जरूरी है. बेहतर होगा कि अंदरूनी अंग और कपड़ों के प्रति साफसफाई बरतें.

अगर शादीशुदा औरतों को कोई गुप्त रोग है, तो उसे बेझिझक अपने पति को बताना चाहिए. ऐसे में पति को भी अपनी जांच करानी होगी, क्योंकि इस का जिम्मेदार वह भी हो सकता है.

दूसरी बीमारियों की तरह गुप्त रोग भी एक बीमारी है और इस का इलाज मुमकिन है. इस में न तो घबराने की जरूरत है, न शरमाने की. जितनी जल्दी इस का इलाज शुरू होगा, उतनी ही जल्दी बीमारी ठीक हो सकती है.

गुप्त रोग की हालत में पतिपत्नी दोनों का इलाज किया जाता है. इस के लिए गुप्त रोग विशेषज्ञ के पास जाना होगा. दवाओं की कुछ खुराक लेने के बाद लक्षण गायब होने लगते हैं, लेकिन

दवा का पूरा कोर्स करना चाहिए, वरना बीमारी दोबारा हो सकती है. जब तक गुप्त रोग का इलाज पूरा न हो जाए, तब तक सेक्स से दूरी बनाए रखना होगा.

कुछ औरतों को पेशाब के दौरान कंट्रोल न रहने की समस्या भी होती है. हंसते, खांसते, छींकते समय पेशाब की अनचाही कुछ बूंदें निकल जाती हैं, जिस से उन के भीतरी कपडे़ खराब हो जाते हैं. उन्हें शर्मसार होना पड़ता है, सो अलग.

यह समस्या लाइलाज नहीं है, बशर्ते शर्म छोड़ कर डाक्टर के पास जाया जाए. डाक्टर दवाएं देगा और कुछ कसरत बताएगा, जिस से इस समस्या पर काबू पाया जा सकता है.

औरतों में पेशाब के रास्ते में इंफैक्शन होना एक आम बीमारी है. इस की कई वजहें हो सकती हैं, जैसे पब्लिक टौयलेट का इस्तेमाल, माहवारी के दौरान सफाई न रखना वगैरह. इस से उन्हें बुखार भी आ सकता है. इस का इलाज कराना बहुत जरूरी है, वरना इस का बुरा असर शरीर के कई अंगों पर पड़ता है. अगर इलाज को अधूरा छोड़ा, तो यह इंफैक्शन बारबार होता रहेगा.

इस संक्रमण को यूटीआई के नाम से जाना जाता है. शरीर की बीमारियों से लड़ने की कूवत कम होने से बैक्टीरिया बहुत जल्दी हमला बोल देते हैं. योनि और गुदा मार्ग की ठीक से सफाई न होना भी इस की वजह है.

बारिश के मौसम में इस का खतरा बढ़ जाता है. बचाव के लिए जरूरी है कि पानी खूब पीएं, पेशाब को न रोकें, सेक्स के पहले व बाद में पेशाब जरूर करें और सही मात्रा में विटामिन सी लें.

औरतों में बवासीर की शिकायत भी देखी गई है. इस में शौच के दौरान उन्हें काफी पीड़ा होती है. खूनी बवासीर में खून भी निकलता है. समस्या जब बढ़ जाती है, तो औरत का उठनाबैठना मुश्किल होने लगता है.  िझ झक के चलते वे यह बात अपने पति तक को नहीं बताती हैं और खुद पीड़ा सहती रहती हैं.

बवासीर की तरह ही फिस्टुला यानी भगंदर की समस्या भी हो सकती है. इस बीमारी में गुदा मार्ग के अलावा मल निकलने का एक दूसरा रास्ता बन जाता है. यह काफी तकलीफदेह होता है. मरीज को उठनेबैठने में परेशानी होती है, लेकिन औरतें इस की पीड़ा चुपचाप सहती रहती हैं.

बवासीर हो या फिस्टुला, गुदा मार्ग से जुड़ी इन बीमारियों का आपरेशन ही एकमात्र उपाय है. औरतों को चाहिए कि वे इसे सहने के बजाय इस का उपचार करा कर पीड़ामुक्त जिंदगी जिएं.

औरतों में स्तन कैंसर और गर्भाशय कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं. जहां तक स्तन कैंसर की बात है, औरतें इसे अपने पति तक को नहीं बतातीं. स्तनों में आई गड़बड़ी, गांठ, स्राव की वे अनदेखी करती हैं. वे लेडी डाक्टर को बताने में भी संकोच करती हैं. जब दर्द बरदाश्त से बाहर हो जाता है तब बताती हैं, लेकिन तब तक कैंसर काफी फैल चुका होता है.

औरतों को चाहिए कि वे अपनी कोई भी निजी समस्या सब से पहले अपने पति, सास या मां को बताएं और समस्या की शुरुआत में ही माहिर डाक्टर से इलाज कराएं. इसी में भलाई है.

गांवदेहात में स्वास्थ्य सुविधाएं कम हैं. माहिर डाक्टर भी नहीं होते हैं. ऐसे में उन्हें शहरों में आ कर अपना इलाज कराना चाहिए.

भाई-भाभी चारु असोपा और राजीव सेन के विवाद से क्यों दूर हैं सुष्मिता सेन

चारु असोपा और राजीव सेन के तलाक का ड्रामा एक बार फिर से चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि दोनों अलग होने के बाद एक-दूसरे के उपर ही आरोप लगा रहे है. चारु ने आरोप लगाया कि राजीव का उसकी गर्भावस्था के दौरान विवाहेतर संबंध था, उन्होंने यह भी दावा किया कि राजीव ने उसे धोखा दिया और इसके बावजूद भी वह उसके साथ रिश्ते में रही.

वहीं राजीव ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट होना चाहिए क्योंकि चारु बहुत बकवास बातें कर रही हैं. इस मुद्दे पर कौन सही और गलत हो सकता है, इन दोनों के फैंस भी आपस में बंटे हुए हैं.

जबकि इस सब के बीच सुष्मिता सेन की चुप्पी ने लोगों का ध्यान खींचा, क्योंकि उनके सुलह पर प्रतिक्रिया देने वाली पहली थीं. उन्होंने चारु की पोस्ट में उनके एक साथ वापस आने पर खुशी व्यक्त की. चारु ने हाल ही में सुष्मिता और राजीव के बिना अपनी बेटी ज़ियाना का पहला जन्मदिन मनाया. सुष्मिता सेन समारोह में शामिल नहीं होगी, इसकी जानकारी चारू ने पहले ही दी थी.

इस बात की भी चर्चा है कि सुष्मिता, चारु और राजीव के अलग होने के बारे में सार्वजनिक रूप से कभी क्यों नहीं बोलेंगी, दरअसल सुष्मिता सेन इस विवाद में नहीं पड़ना चाहतीं, हालंकि उन्होंने दोनों के फिर से मिलने पर प्रतिक्रिया दी, लेकिन अभी के लिए, वह खुद को इससे दूर रख रही हैं. क्योंकि वह जानती है कि उसकी एक प्रतिक्रिया केवल आग में और अधिक डालेगी, इसलिए उन्होंने खुद को दूर करने का फैसला किया.

हालांकि ऐसा नहीं है कि उसे अपने भाई या चारु की परवाह नहीं है. खबरों की माने तो सुष्मिता का चारु के साथ हमेशा अच्छा संबंध रहा है. क्योंकि, इससे पहले रेनी ने जियाना को उसके पहले जन्मदिन पर बधाई भी दी थी.

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