रेटिंगः ढाई स्टार

निर्माता: सचित जैन व साक्षी जैन

निर्देषकः हेमंत शरण

कलाकारः राहुल देव,अभिषेक दुहान, अहम शर्मा, समीक्षा भटनागर, सिम्रिथी बठीजा, अतुल श्रीवास्तव, राहुल बग्गा, शुभांगी लतकर, आशीष दीक्षित, आर्यन बजाज,शैलेन व अन्य.

अवधिः दो घंटे 17 मिनट

भारतीय सिनेमा से लंबे समय से परिवार और रिश्ते गायब हो चुके थे.अब एक बार फिर फिल्मकार हेमंत शरण परिवार,रिश्ते, व पारिवारिक मूल्यों की बात करने वाली दो भाईयों के बीच प्यार को दर्शाती फिल्म ‘‘धूप छांव’’ लेकर आए हैं.चार नवंबर को प्रदर्शित यह फिल्म कमजोर पटकथा व निर्देशकीय कमजोरियों के चलते उस स्तर की नही बन सकी,जिस स्तर की उम्मीद की जा रही थी.

कहानीः

फिल्म ‘‘धूप छंव’’ की कहानी के केंद्र में शौर्य दीवान है.कहानी 1984 के सिख दंगे से शुरू होती है.इन सिख दंगों में दलजीत सिंह (राहुल देव ) अपनी बेटी सिमरन के साथ फंस जाते हैं.वह अपनी बेटी को एक जगह छिपने के लिए कहकर स्वयं कार चलाते हुए आगे बढ़ जाते हैं.जिस जगह सिमरन छिपती है,वहीं पर शौर्य भी छिपा हैं. कुछ देर बाद सिमरन,शौर्य के साथ अपने पिता को ढूढ़ने निकलती है.शौर्य घायल अवस्था में पड़े दलजीत को हाथ गाड़ी पर डालकर अस्पताल पहुॅचाता है.इधर शौर्य की मां घायल अवस्था में अस्पताल में पड़ी है.शौर्य का बड़ा भाई अमन भी मां के साथ ही है.पर डाक्टर शौर्य व अमन की मां का इलाज करने के लिए पहले पैसे मांग रहा है.शौर्य डाक्टर के पास जाकर अपनी मां को बचा लेने के लिए गिड़गिड़ाता है.

छोटे बच्चों के संग दुष्कर्म का आनंद लेने वाला डाक्टर शौर्य की मां का इलाज मुफ्त में करने के लिए उसके साथ दुश्कर्म करता है.यह दृश्य शौर्य का दोस्त सुंदर भी देख लेता है.मां तो ठीक हो जाती है,मगर शौर्य अपने साथ डाक्टर द्वारा  किए गए कर्म के चलते परेषान रहने लगता है. अब वह बड़ा आदमी बनना चाहता है.

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