Bigg Boss 13: सिद्धार्थ की एंट्री होते ही टूटा शहनाज का दिल, पारस ने की ऐसी हरकत

बिग बौस में कुछ दिनों पहले ही आपने देखा कि कंटेस्टेंट पारस छाबड़ा की धमाकेदार एंट्री के साथ साथ घर में खूब हंगामा भी हुआ जब धीरे धीरे पारस ने वापस आ कर सबकी असलीयत सामने रखी. बीते एपिसोड में घर के फैंस के सबसे चहीते शख्स की एंट्री हुई है जिसका नाम है सिद्धार्थ शुक्ला. दरअसल, सिद्धार्थ अपनी तबीयत को लेकर कुछ दिनो के लिए बिग बौस के घर से बाहर हो गए थे. सबसे पहले तो उन्हें बिग बौस ने सीक्रेट रूम में रखा जिससे की वे घर में हो रही सारी चीजों पर नजर रखे हुए थे लेकिन उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने के कारण उन्हें हौस्पीटल में शिफ्ट कर दिया गया.

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घर में हुई सिद्धार्थ की वापसी…

फैंस सिद्धार्थ शुक्ला को शो में वापसी देख कर काफी खुश हैं, और सबसे ज्यादा खुश तो पंजाब की कैटरीना कैफ यानी की शहनाज गिल हुईं जब उन्होनें सिद्धार्थ को देखा और देखते ही उन्हें अच्छे से गले लगा लिया. आखिर जब से सिद्धार्थ शुक्ला शो से गए थे तब से ही शहनाज काफी अकेला महसूस कर रही थीं और सिद्धार्थ को काफी याद भी कर रहीं थी.

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पारस ने लिया माहिरा का नाम…

आने वाले एपियोड में दर्शकों को फिर से घर में एक बड़ा धमाका देखने को मिलने वाला है. दरअसल बिग बौस ने सभी कंटेस्टेंट को कैप्टेंसी टास्क दिया है जिसका नाम है चूहा और बिल्ली टास्क. इस टास्क में घर के सभी सदस्य दो टीमों में बट जाएंगे, एक होगी रेड टीम और दूसरी होगी ब्लू टीम. इस टास्क में जब बारी आएगी कैप्टेंसी के दावेदारी के लिए नाम देने की तो पारस छाबड़ा अपनी करीबी दोस्त माहिरा का नाम देंगे जिस बात से शहनाज का दिल टूट जाएगा.

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पारस ने तोड़ा शहनाज का दिल…

शहनाज कैमरे के आगे ये कहती नजर आ रही हैं कि वे पारस को हमेशा सबसे आगे रखती हैं लेकिन पारस उन्हें हमेशा माहिरा के बाद ही रखते हैं. इसी दौरान सभी कंटेस्टेंट मिल कर पारस को समझाते हैं कि शहनाज उनसे प्यार करती है लेकिन पारस छूटते ही जवाब देते हैं कि वे माहिरा से प्यार करते हैं और उन्हें ही कैप्टन बनाएंगे.

इसी बात पर आज घर में काफी बड़ा हंगामा देखने को मिलने वाला है और देखने वाली बात ये भी होगी की कौन बनेगा घर का अगला कैप्टन.

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भला सा अंत: भाग 2

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लेखिका- रेणु दीप

एक दिन काली के झगड़े से परेशान रानी रोते हुए मेरे पास आई और मुझे बताने लगी कि काली कह रहे हैं, मैं अगर मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दूं तो वह कभी घर छोड़ कर नहीं जाएंगे और न ही कभी मुझ से झगड़ा करेंगे.

तब मैं ने रानी को समझाया, ‘देखो, तुम काली की बातों में कतई न आना तथा अपनी पढ़ाई छोड़ने की गलती भी न करना. काली की घर छोड़ कर भागने की आदत कोई नई तो है नहीं, इसलिए वह इस आदत को आसानी से छोड़ने वाला नहीं है. डाक्टर बनते ही तुम्हारी अपनी जिंदगी बिना काली के सहारे आराम से कट पाएगी. मैं ने उसे यह भी समझाया कि आत्मनिर्भर बनने का सुख बहुत सुकून देता है. जिंदगी काटने के लिए इनसान को किसी न किसी सहारे की जरूरत पड़ती है और एक ईमानदार पेशे से अच्छा हमसफर कोई और नहीं हो सकता.’

मेरी उन बातों से रानी को बहुत संबल मिला और उस के बाद उस का डाक्टर बनने का हौसला कभी कमजोर नहीं पड़ा था.

डाक्टर बनने के बाद रानी ने एम.एस. किया और शिशुरोग विशेषज्ञ बन गई. मैं भी एक शिशुरोग विशेषज्ञ था अत: रानी ने मेरे निर्देशन में प्रैक्टिस शुरू की. धीरेधीरे रानी की प्रैक्टिस में निखार आता गया और वह शहर की नामी डाक्टरों में गिनी जाने लगी. जैसेजैसे डाक्टर के रूप में रानी की शोहरत बढ़ती गई वैसेवैसे काली और रानी के बीच का फासला बढ़ता गया.

रानी के रोगियों की लंबी कतारें देख काली के तनबदन में आग लग जाया करती. पत्नी के डाक्टर बनने के बाद शुरू के 2 सालों में तो काली 2-3 बार घर आया था लेकिन वह रानी के डाक्टर बनने के बाद की बदली हुई परिस्थितियों से तालमेल नहीं बिठा पाया तो एक बार 6 सालों तक गायब रहा.

रानी अकसर रोगियों के उपचार से संबंधित सलाहमशविरा करने मेरे पास आ जाया करती. बातों के दौरान कभीकभी काली की चर्चा भी छिड़ जाया करती थी जिसे ले कर रानी बहुत भावुक हो जाया करती. एक बार उस ने काली के बारे में मुझ से कहा था, ‘भाई साहब, मैं काली को आज भी बहुत चाहती हूं लेकिन मेरा अकेलापन मुझे खाए जाता है. जिंदगी के सफर में अकेले चलतेचलते अब मैं टूट गई हूं.’

मैं ने उसे दिलासा दिया था कि कैसी भी परिस्थितियां क्यों न हों, उसे किसी हालत में कमजोर नहीं पड़ना है. उसे सभी चुनौती भरे हालात का डट कर मुकाबला करना है. और उस दिन वह मेरे कंधों पर सिर रख कर रो पड़ी थी.

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उस बार काली को घर छोड़े 6 वर्ष होने को आए थे. उस दौरान रानी की सास की मृत्यु हो गई और उन की मौत के बाद वह बिलकुल अकेली हो गई. सास की मौत के बाद रानी एक दिन मेरे घर आई और उस ने मुझ से कहा, ‘भाई साहब, मैं सोच रही हूं कि दोबारा शादी कर डालूं. मेरे मातापिता दूसरी शादी करने के लिए मुझ पर बहुत दबाव डाल रहे हैं. इन 6 सालों में काली ने एक बार भी मेरी खोजखबर नहीं ली है. मेरे मातापिता ने एक डाक्टर वर मेरे लिए पसंद किया है. उस की पत्नी की मृत्यु अभी पिछले साल कैंसर से हुई है. मैं सोचती हूं कि मातापिता की बात मान ही लूं.

‘भाई साहब, ये 6 साल अकेले मैं ने किस तरह काली की प्रतीक्षा करते हुए बिताए हैं, यह मुझे ही पता है. बस, अब मैं काली का और इंतजार नहीं कर सकती. उन्होंने मेरे निश्छल प्यार की बहुत तौहीन की है. अब अपने किए की कीमत उन्हें चुकानी ही पड़ेगी. एक निष्ठुर की वजह से मैं क्यों अपने दिन रोरो कर बिताऊं? मैं डाक्टर शेखर से मिल चुकी हूं. वह बहुत अच्छे स्वभाव के सुलझे हुए इनसान हैं. मेरे लिए हर तरह से उपयुक्त हैं. बस, भाई साहब, आप अपना आशीर्वाद दीजिए मुझे.’

रानी की बातें सुन कर मैं बहुत खुश हुआ था. मुझे इस बात का संतोष भी हुआ कि अब शेखर से विवाह के बाद वह एक सुखी वैवाहिक जीवन बिता पाएगी. मैं ने उस से कहा था, ‘हांहां रानी, मेरा आशीर्वाद सदा तुम्हारे साथ है. तुम्हारा यह फैसला बिलकुल सही है. डा. शेखर से विवाह करो और घर बसाओ.’

रानी का विवाह डा. शेखर से हो गया. डा. शेखर के साथ रानी बहुत खुश रहने लगी लेकिन शादी के डेढ़ साल बाद एक कार दुर्घटना में डा. शेखर की मृत्यु हो गई और रानी विधवा हो गई थी. सूनी मांग और सफेद लिबास में उसे देख मेरा कलेजा मुंह को आ गया था पर होनी को कौन टाल सकता है, यह सोच कर मैं ने अपनेआप को दिलासा दिया था.

डा. शेखर की मृत्यु के 1 साल बाद काली अचानक एक दिन घर वापस आ गया था. शेखर की मौत के बाद रानी काली के पैतृक घर में वापस आ गई थी क्योंकि काली की मां वह मकान रानी के नाम कर गई थी.

काली को घर वापस आया देख रानी ने उस से कहा था, ‘अब तुम्हारा और मेरा कोई रिश्ता नहीं. मैं डा. शेखर की विधवा हूं. मुझ से अब तुम कोई उम्मीद मत रखना.’

उत्तर में काली ने उस से कहा, ‘मुझे तुम से कोई शिकायत नहीं. तुम ने

डा. शेखर से विवाह किया, अच्छा किया लेकिन अब तुम मेरी पत्नी हो. हमारा रिश्ता तो आज भी पतिपत्नी का ही है. अब मैं ने निश्चय कर लिया है कि मैं घर छोड़ कर ताउम्र कहीं नहीं जाऊंगा क्योंकि जगहजगह की धूल फांक कर मैं समझ गया हूं कि तुम जैसी पत्नी का मिलना बहुत सौभाग्य की बात है.’

‘नहीं, मैं तुम से किसी तरह का कोई रिश्ता नहीं रखना चाहती. मैं किसी दूसरे मकान में चली जाऊंगी, यह तुम्हारा घर है, इस पर तुम्हारा अधिकार है. तुम आराम से इस में रहो.’

काली ने इस के बावजूद रानी की खुशामद करनी नहीं छोड़ी थी. वह जितना रानी के पास आने की कोशिश करता, रानी उतना ही उस से दूर भागने की कोशिश करती. एक अच्छे डाक्टर के रूप में रानी एक व्यस्त जीवन बिता रही थी.

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जब भी काली, रानी से कहता कि तुम्हारे हाथ की रेखाओं में लिखा है कि जीवन का एक बड़ा हिस्सा तुम मेरी पत्नी के रूप में बिताओगी तो वह गुस्से से भड़क पड़ती, ‘मैं एक डाक्टर हूं और तुम्हारी ज्योतिष विद्या को झूठा साबित कर के ही रहूंगी. मैं अब तुम्हें कभी पति के रूप में नहीं स्वीकार करूंगी.’

उन्हीं दिनों काली ने मुझ से कहा था, ‘यार, रानी को क्या हो गया है? पहले तो वह गाय जैसी सीधीसादी थी. अब डाक्टर बनने के बाद उस में बहुत गुरूर आ गया है. मेरी ज्योतिष विद्या को भी गलत साबित करने पर तुली हुई है. वैसे इतना तो मैं जानता हूं कि वह अब भी मुझे चाहती है. इस कमजोरी का फायदा मैं उस के साथ छल कर के उठाऊंगा और उस के सामने यह साबित कर दूंगा कि मेरा ज्योतिष ज्ञान कैसे शत प्रतिशत सही है.’

अपनी योजना के मुताबिक काली ने अपने कुछ विश्वासपात्र परिचितों से कहा कि एक दिन वे आधी रात को लाठियों से लैस हो कर उस पर आक्रमण करें और उसे रानी के सामने पीट कर जमीन में डाल दें.

योजना के अनुसार आधी रात में कुछ लोग काली पर जब लाठियां बरसा रहे थे, रानी घबरा कर उस से लिपट गई और उस ने उन लोगों से कहा कि उस के जीतेजी वे काली को हाथ तक नहीं लगा सकते. तब लठैतों ने धमकी दी कि डाक्टरनी आज घर में तो तू ने इसे बचा लिया लेकिन यह घर से बाहर निकल कर देखे, इस के तो हाथपैर हमें तोड़ने ही तोड़ने हैं.

लठैतों के जाने के बाद काली ने रानी को अपने से अलग नहीं होने दिया था और उस रात रानी को इतना प्यार किया था कि पिछली सारी कमी पूरी कर दी. इनसान हारता है तो अपनेआप से. आखिर रानी अपने ही दिल के हाथों हार गई थी और चुपचाप काली के आगोश में सिमट गई थी.

उस दिन के बाद रानी, काली के हृदय की रानी बन कर रह गई थी. काली फिर कभी घर छोड़ कर नहीं गया. रानी एक सुंदर, अति कुशाग्र बुद्धि के बेटे की मां बनी. बेटा आशीष बड़ा हो कर मां के नक्शेकदम पर चल कर अब डाक्टरी की पढ़ाई कर रहा है, जिसे देख कर रानी और काली फूले न समाते. अब रानी को यों सुखी देख कर मन में यही विचार आता है कि वह हमेशा ही सुखी और आबाद रहे.

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मकड़जाल में फंसी जुलेखा: भाग 2

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लेखक- अलंकृत कश्यप

मनमाफिक माहौल न पा कर वहां से जुलेखा का मन ऊबने लगा. देर रात तक कंपनी के औफिस के काम को निपटाना और रोजाना देर से घर पहुंचना उस की आदत सी हो गई थी. इस दिनचर्या से वह तंग आ चुकी थी.

जुलेखा की परेशानी अवधेश यादव से छिपी न रह सकी. एक दिन अवधेश ने संजय यादव के साले गुड्डू से जुलेखा को एकांत में बुलवा कर समझाया, ‘‘जुलेखा, तुम यहां कंप्यूटर टाइपिंग का जो काम करती हो, इस से तुम्हारा कैरियर नहीं बन पाएगा. तुम्हें बंधीबंधाई जो सैलरी मिलती है, उस से तुम क्याक्या कर सकती हो. यह बात तो तुम जानती ही हो कि रियल एस्टेट के काम में अच्छा पैसा है. तुम यहां कंपनी के प्लौट बुक कराने शुरू कर दोगी तो अच्छा कमीशन मिलेगा. साथ ही देर रात तक चलने वाले कंप्यूटर के काम से निजात मिल जाएगी.’’

इस के बाद कंपनी के मालिक संजय यादव ने भी जुलेखा को प्लौट बुकिंग से मिलने वाले कमीशन के बारे में बताया. संजय यादव की बात जुलेखा की समझ में आ गई. उस ने कंपनी के कई प्लौट बुक कराए. जब एक महीने में पहले की अपेक्षा ज्यादा कमाई हुई तो जुलेखा और ज्यादा मेहनत करने लगी.

जुलेखा ने काफी मेहनत से काम किया. वह हर महीने 2-3 प्लौट बिकवा देती थी, जिस से उस का अच्छा कमीशन बन जाता था.

जुलेखा को संजय यादव की रियल एस्टेट कंपनी में काम करते हुए लगभग एक साल हो चुका था. इसी बीच अगस्त, 2019 में फेसबुक के माध्यम से उस की श्रेयांश त्रिपाठी से दोस्ती हुई. बाद में उन की दोस्ती बढ़ी तो मिलनाजुलना भी शुरू हो गया. इस के बाद श्रेयांश भी जुलेखा के काम में हाथ बंटाने लगा.

वह भी प्लौट खरीदने वाले जरूरतमंदों को जुलेखा के पास लाता था. इस काम में संजय यादव उस की काफी मदद करता था. धीरेधीरे संजय यादव से जुलेखा के घनिष्ठ संबंध हो गए, जो अवैध संबंधों तक पहुंचे.

संजय यादव पर जुलेखा के करीब 25 लाख रुपए हो गए. यह रकम प्लौट की कमीशन की थी. जुलेखा जब भी उस से पैसे मांगती, वह टाल देता था. आशनाई की आड़ में वह जुलेखा की कमीशन की रकम हड़पना चाहता था.

संजय यादव के इरादे भांप कर जुलेखा अपने 25 लाख रुपए जल्द देने की जिद पर अड़ गई तो संजय परेशान हो गया. उस ने साफ कह दिया कि अभी उस के पास पैसे नहीं हैं. जबकि जुलेखा उस पर एक पाई भी नहीं छोड़ना चाहती थी. इस बात को ले कर उस का संजय यादव से काफी विवाद हुआ.

पैसे का विवाद बना बड़ा कारण

उसी समय अवधेश यादव वहां आ गया. उस के कहने पर संजय यादव ने 3 लाख रुपए का चैक बना कर जुलेखा को दे दिया. उस के 22 लाख रुपए बाकी रह गए थे. विरोध जताते हुए जुलेखा ने वह चैक लौटा दिया और उस से पूरी रकम देने को कहा.

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झगड़ा बढ़ने पर संजय यादव ने उसे धमकी दी कि जो पैसे मिल रहे हैं, उन्हें रख लो नहीं तो मुझे केवल 3-4 लाख रुपए खर्च करने पड़ेंगे. फिर तुम्हारा पता भी नहीं चलेगा कि कहां गई.

संजय यादव से हुए इस विवाद के बाद जुलेखा ने दूसरी कंपनी जौइन करने का मन बना लिया. उस ने संजय को धमकी दी कि वह कोर्ट के माध्यम से अपने पैसे ले कर रहेगी.

जुलेखा की इस धमकी से संजय यादव परेशान हो गया. उस ने अवधेश यादव, अजय यादव और अपने साले गुड्डू यादव के साथ मिल कर इस समस्या पर विचारविमर्श किया. इन लोगों ने फैसला लिया कि जुलेखा को हमेशा के लिए ही निपटाना सही रहेगा, वरना यह आगे चल कर परेशानी खड़ी करती रहेगी.

योजना के अनुसार 3 अगस्त, 2019 को अवधेश यादव ने जुलेखा से कहा, ‘‘संजय पर तुम्हारे जो 25 लाख रुपए बकाया हैं, वह मैं तुम्हें दिलवा दूंगा. लेकिन तुम यहां से नौकरी छोड़ कर मत जाओ.’’

अवधेश यादव के बुलाने पर जुलेखा घर से कंपनी औफिस जाने को निकली. उस ने रास्ते में अपने दोस्त श्रेयांश त्रिपाठी को फोन कर के बाइक से बारह विरवा बुला लिया. उस की बाइक पर बैठ कर जुलेखा अमित इंफ्रा हाइट्स प्रा.लि. कंपनी के औफिस जाने के लिए नहर से नीचे मुड़ी ही थी, तभी सामने से अजय यादव कार से आता दिखाई दिया. कार अजय यादव चला रहा था और पीछे की सीट पर अवधेश यादव बैठा था.

उसे देखते ही संजय ने कार रोक दी. अवधेश ने बाइक पर बैठी जुलेखा से कहा कि वह कार में बैठ जाए, जिस से वह संजय से उस का हिसाब करा सके.

लालच में जुलेखा कार में पीछे वाली सीट पर बैठ गई. उस ने अपने दोस्त श्रेयांश से कह दिया कि इन लोगों से बात करने के बाद वह बड़ी बहन रूबी के पास चली जाएगी. कुछ दूर तक श्रेयांश बाइक से कार के पीछेपीछे गया, तभी कार में बैठी जुलेखा ने उसे जाने का इशारा किया तो श्रेयांश अपने घर लौट गया.

कार में बैठी जुलेखा अवधेश से बात कर रही थी. उसी समय रास्ते में अचानक बंगला बाजार पकरी के पास संजय यादव का साला गुड्डू यादव मिल गया. कार रुकते ही वह भी कार में बैठ गया. उसे देख कर वह भड़क गई. वह कार से उतर रही थी, तभी अवधेश ने उसे समझा कर रोक लिया. फिर गुड्डू भी जुलेखा के बगल में बैठ गया. वह अवधेश से अपने पैसों के बारे में बातें कर रही थी.

लाश लगा दी ठिकाने

उन की बातों में गुड्डू भी कूद पड़ा. बातों के दौरान गुड्डू और जुलेखा का वाकयुद्ध शुरू हो गया. अजय ने कार रोक दी, फिर अजय और गुड्डू ने जुलेखा के बाल पकड़ कर सीट पर झुका दिया और जुलेखा के ही दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया, जिस से उस की मृत्यु हो गई.

जुलेखा की लाश को ले कर वे तीनों रायबरेली के निकट हरचंद्रपुर में साई नदी के पास पहुंचे. उस समय रात के करीब 8 बज चुके थे. गुड्डू यादव और अजय यादव ने अवधेश के सहयोग से जुलेखा की लाश नदी में फेंक दी. उस के बाद टोल प्लाजा होते हुए वह लखनऊ लौट आए.

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जुलेखा की हत्या के बाद गुड्डू यादव, अवधेश यादव व अजय यादव पूरी तरह से निश्चिंत थे कि पुलिस उन तक नहीं पहुंचेगी. लेकिन वे पुलिस की गिरफ्त में आ ही गए.

गुड्डू यादव का कहना था कि जुलेखा ने उस के बहनोई संजय यादव से अवैध संबंध बना लिए थे, जिस की वजह से उस की बहन का घरपरिवार उजड़ रहा था.

दिनरात घर में कलह होती थी. इसी वजह से वह उस के दिमाग में खटक रही थी. इस बात को ले कर वह जुलेखा से रंजिश रखने लगा था. 3 अगस्त, 2019 को कार में हुए विवाद में जुलेखा की गला दबा कर हत्या कर दी गई.

अभियुक्त गुड्डू यादव और अजय यादव से पूछताछ के बाद उन्हें भादंवि की धारा 147, 364, 302, 201, 376, 34 के तहत गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया. इस के बाद पुलिस अन्य आरोपियों की तलाश में जुट गई.

थानाप्रभारी त्रिलोकी सिंह को सिपाही कृष्ण बंसल एवं हलका एसआई सुभाष सिंह के द्वारा सूचना मिली कि मुख्य आरोपी संजय यादव न्यायालय में आत्मसमर्पण करने के लिए पहुंचा है, तो थानाप्रभारी के नेतृत्व में गठित टीम ने 13 अगस्त, 2019 को संजय यादव को न्यायालय परिसर से गिरफ्तार कर लिया.

पूछताछ में संजय ने भी अपना जुर्म स्वीकार कर लिया. उसे भी पुलिस ने कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. अब एक अभियुक्त अवधेश यादव शेष बचा है. उस के ठिकानों पर भी पुलिस ने दबिश दी. जब वह 28 अगस्त को कोर्ट में आत्मसमर्पण करने जा रहा था, पुलिस ने उसे भी गिरफ्तार कर लिया. उस ने भी पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उसे भी जेल भेज दिया गया.

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कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

Bigg Boss 13: घर में दोबारा होगी सिद्धार्थ शुक्ला की एंट्री, ऐसे गले लगा लेगीं शहनाज गिल

बिग बौस 13 के फैंस पिछले कुछ वक्त से घर में सिद्धार्थ शुक्ला को काफी मिस कर रहे थे. वहीं घरवालों को भी सिद्धार्थ की कमी महसूस हो रही थी. अगर आप भी सिद्धार्थ के फैंस है तो हम आपके लिए एक गुड न्यूज लेकर आए है. जी हां, सिद्धार्थ आज रात ही बिग बौस के घर में दोबारा एंट्री लेने वाले हैं.

शो के नए प्रोमो में हुआ खुलासा…

कुछ देर पहले ही शो का नया प्रोमो सामने आया है जिसमें बिग बौस शहनाज गिल को कन्फेशन रुम में बुलाते है और वहां जाते ही शहनाज खुशी से झूम उठती है क्योंकि अंदर सिद्धार्थ मौजूद थे.

शहनाज हुईं खुश…

शहनाज यहां सिद्धार्थ को गले लगाती है और घर में उनका वेलकम करती है. इस दौरान शहनाज की खुशी देखने लायक होती है उन्हें यकीन ही नहीं होता कि सिद्धार्थ सच में घर में मौजूद है. कन्फेशन रुम के जरिए सिद्धार्थ जैसे ही घर में आते है, असीम रियाज भी काफी खुश दिखते है.


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रश्मि दिखीं नाखुश…

प्रोमो में रश्मि देसाई की झलक भी देखने को मिलती है जो सिद्धार्थ की वापसी नाखुश नजर आ रही हैं.

इसलिए हौस्पिटल में थे सिद्धार्थ शुक्ला

बता दें कि सिद्धार्थ को टायफाइड हो गया था, जिसके चलते पहले तो उन्हें सीक्रेट रुम में भेजा गया और जब उनकी हालत खराब होने लगी तो तुरंत ही उन्हें हौस्पिटल भेजा गया. बीती रात सलमान ने भी वीडियो कॉल के जरिए सिद्धार्थ का हालचाल लिया और उम्मीद की कि वह जल्द से जल्द ठीक हो जाए. अब देखना है कि सिद्धार्थ की घर में वापसी के बाद शो में क्या नए ट्विस्ट आते हैं.

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लुटियंस दिल्ली की ठंडक पर भारी पड़ा राहुल गांधी का भाषण, याद दिलाया मीडिया का दायित्व

आजादी के की अगर कुछ राजनीतिक घटनाएं याद की जाएं तो पोरो में गिन सकते हैं. 60 के दशक में कांग्रेस का विभाजन, देश में आपातकाल, पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार, 90 के दशक में पहली बार बड़े पैमाने पर आर्थिक बदलाव. इन सब के बाद अगर कुछ बड़ा हुआ तो वो था 2014 का आम चुनाव. वर्षों बाद किसी राजनीतिक दल को पूर्ण बहुमत मिला था. ये चुनाव कई मायनों पर खास था. एक मुख्यमंत्री का पीएम पद के लिए नाम आना फिर उस चुनाव की रणनीति. हाईटेक चुनाव, बेशुमार दौलत लगाया गया. उसके बाद कुछ तो था तो अब तक गुम लग रहा था. वो था देश का विपक्ष. वही विपक्ष जिसके बिना लोकतंत्र अधूरा रहता है. इस अधूरेपन को देश 2014 से महसूस कर रहा था लेकिन इसको पूरा किया शनिवार को.

शनिवार को कांग्रेस ने दिल्ली के रामलीला मैदान पर ‘भारत बचाओ’ रैली का आयोजन किया. इस रैली में गजब की भीड़ पहुंची. कांग्रेस ने इसको सफल बनाने के लिए प्रदेशों के मुखियाओं को पहले ही आदेश दे दिया था. फिर क्या था. राहुल गांधी के तेवर सातवें आसमान में थे. एक के बाद एक मुद्दे लाकर वो सरकार को घेर रहे थे. ऐसे मुद्दे जो वाकई में आम आदमी के थे. वो मुद्दे जिनसे हर रोज हमको-आपको जूझना पड़ता है.

राहुल गांधी ने कहा, “कल संसद में भाजपा के लोगों ने कहा कि आप अपने भाषण के लिए माफी मांगिए. लेकिन मैं आपको बता दूं कि मेरा नाम ‘राहुल सावरकर’ नहीं है, मेरा नाम ‘राहुल गांधी’ है. मर जाऊंगा, मगर माफी नहीं मांगूंगा. सच बोलने के लिए मैं माफी नहीं मांगूंगा. कांग्रेस का कोई व्यक्ति माफी नहीं मांगेगा.” राहुल ने कहा, “माफी (प्रधानमंत्री) नरेंद्र मोदी को मांगनी है इस देश से. उनके असिस्टेंट (गृहमंत्री) अमित शाह को देश से माफी मांगनी है,” क्योंकि उन्होंने देश को बर्बाद कर दिया है.

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राहुल का इशारा हिंदूवादी नेता दिवंगत विनायक दामोदर सावरकर द्वारा 14 नवंबर, 1913 को ब्रिटिश सरकार को लिखे गए माफी के पत्र की तरफ था, जिसे उन्होंने अंडमान के सेलुलर जेल में बंद रहने के दौरान लिखा था. उल्लेखनीय है कि राहुल गांधी ने झारखंड में एक चुनावी रैली के दौरान ‘रेप इन इंडिया’ टिप्पणी की थी, जिस पर भाजपा सदस्यों ने शुक्रवार को संसद में उनसे माफी की मांग की थी. राहुल की इस टिप्पणी को लेकर संसद में काफी हंगाम हुआ था.

राहुल ने आगे कहा, “इस देश की शक्ति, आत्मा यहां की अर्थव्यवस्था थी. पूरी दुनिया हमारी तरफ देखती थी और कहती थी कि यह हिंदुस्तान में क्या हो रहा है. अलग-अलग धर्मो का देश नौ प्रतिशत जीडीपी पर कैसे चल रहा है. पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था भारत और चीन पर निर्भर थी। इसे चिंडिया कहते थे.”

उन्होंने कहा, “लेकिन आज प्याज की कीमत 200 रुपये (प्रति किलोग्राम) पर पहुंच गई है. नोटबंदी कर दिया. उस चोट से जो नुकसान हुआ वह आजतक ठीक नहीं हुआ. देश की अर्थव्यवस्था को नरेंद्र मोदी ने नष्ट कर दिया. इसलिए मोदी को देश से माफी मांगनी है.”

कांग्रेस नेता ने कहा, “उन्होंने आपसे झूठ कहा कि काले धन के खिलाफ लड़ाई है, काले धन, भ्रष्टाचार को खत्म करना है। माताओं, बहनों, युवाओं की जेब से पैसा निकाला और लाखों करोड़ रुपये अडानी और अंबानी के हवाले कर दिया. उसके बाद ‘गब्बर सिंह टैक्स’ (जीएसटी). (पूर्व प्रधानमंत्री) मनमोहन सिंह जी, (पूर्व वित्तमंत्री) चिदंबरम जी ने उनसे कहा कि बिना पायलट प्रोजेक्ट के इसे लागू मत कीजिए, लेकिन मोदी ने उनकी नहीं सुनी.”

बेरोजगारी के मुद्दे पर केंद्र की भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए राहुल ने कहा, “देश में आज 45 सालों की सबसे ज्यादा बेरोजगारी है. आज जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) नौ प्रतिशत से घटकर चार प्रतिशत पर आ गई है. उन्होंने जीडीपी मापने का तरीका बदल दिया, अगर आज पुराने तरीके से जीडीपी मापी जाए तो यह सिर्फ 2.5 प्रतिशत है.”

उन्होंने कहा कि दुश्मन चाहते थे और चाहते हैं कि देश की अर्थव्यवस्था नष्ट हो जाए और मोदी ने उसे कर दिया. राहुल ने प्रधानमंत्री मोदी पर चुनिंदा उद्योगपतियों को लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “मोदी ने अडानी को 50 कॉन्ट्रैक्ट दे दिए. एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के एयरपोर्ट्स पकड़ा दिए. बिना कॉन्ट्रैक्ट के दे दिए, इसे क्या चोरी, भ्रष्टाचार नहीं कहेंगे? कुछ दिनों पहले ही उन्होंने देश के 15-20 लोगों के 1.40 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिए.”

उन्होंने कहा, “हमने मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, पंजाब में किसानों के कर्ज माफ किए, क्योंकि किसान के बिना अर्थव्यवस्था आगे नहीं जा सकती. मनरेगा इसलिए दिया, क्योंकि मजदूर के बिना अर्थव्यवस्था आगे नहीं जा सकती. नरेंद्र मोदी ने ये पैसा छीन कर अपने दो-चार दोस्तों को दे दिया. आज हर रोज किसानों की आत्महत्या की खबरें आ रही हैं. मैंने संसद में सवाल किया कि कितने किसानों ने आत्महत्या की तो जवाब मिला कि उन्हें (केंद्र सरकार) नहीं मालूम, प्रदेशों से पूछो। इन्हें शर्म आनी चाहिए.”

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राहुल ने भाजपा सरकार पर लोगों को बांटने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “वे (भाजपा) एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाने का काम करते हैं. जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर, असम, मिजोरम, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश में देखिए मोदी ने क्या कर डाला है, जला दिया है उन प्रदेशों को, आग लगा दी है.”

राहुल ने मीडिया और सरकारी संस्थानों को उनके कर्तव्यों के प्रति सचेत किया. उन्होंने कहा, “मीडिया पर बहुत जिम्मेदारी है. हमारे शासनकाल में आप हम पर आक्रमण करते थे. लेकिन आज आप अपना काम भूल गए हैं. मैं हिंदुस्तान की सभी संस्थाओं, सरकारी कार्यालयों, मीडिया से आग्रह करता हूं कि जिम्मेदारी आपकी भी है. आज हमें डराया जा रहा है, लेकिन कांग्रेस पार्टी किसी से नहीं डरती. इस डर को हम सब मिलकर मिटा देंगे.”

भोजपुरी अवॉर्ड शो: सनी लियोनी के ठुमके पर झूमा सिंगापुर

याशी फिल्म्स प्रस्तुत इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड समारोह में सांसद मनोज तिवारी, रवि किशन, जरीन खान, कृष्णा अभिषेक, दिनेशलाल यादव निरहूआ, पवन सिंह, कीकू शारदा और विनय आनंद ने भी रंग जमाया.

भोजपुरी सिनेमा के शो मैन  कहे जाने वाले निर्माता अभय सिंहा की कंपनी याशी फिल्म्स द्वारा आयोजित भोजपुरी के पांचवें अंतराष्ट्रीय अवार्ड समारोह में सिंगापुर में खुब रंग जमा. यहां पर हिन्दी फिल्मों की जानी मानी अदाकारा सनी लियोनी के ठुमके और भोजपुरी मेगास्टार मनोज तिवारी के गाने और सांसद सनी दियोल के ढाई किलो के हाथ वाले डायलाग ने पूरे सिंगापुर को झूमने पर मजबूर कर दिया. इस अवार्ड समारोह में हिन्दी और भोजपूरी मनोरंजन जगत का संगम दिखा.

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स्टेज पर जब हिन्दी और भोजपुरी के कलाकारों ने एक साथ आकर भोजपुरी में डायलॉग बोला कि का हाल बा सिंगापुर तो हाल में मौजूद सिंगापुर में रहने वाले हजारों भोजपुरियों के साथ साथ दुनिया भर के भोजपुरियों को सीना गदगद हो गया. समारोह का संचालन करते हुये टीवीस्टार कृष्णा अभिषेक और विनय आनंद ने समा बांध दिया. यह आयोजन 6 दिसंबर को सिंगापुर में किया गया. इसके पहले याशी फिल्म्स ने  इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड समारोह मारिशस, दुबई, लंदन और मलेशिया में आयोजित किया था. 6 दिसंबर को यह इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड  समारोह सिंगापुर के सनटेक कंवेंशन सेंटर में आयोजित किया गया जिसमें हिन्दी और भोजपुरी फिल्मी दुनिया के सितारों और निमार्ता निर्देशकों के साथ साथ राजनीति के दिग्गजों का भी जमावड़ा लगा.

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याशी फिल्म्स प्रस्तुत इस इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड  समारोह के आयोजक हैं अभय सिन्हा तथा चैनल पार्टनर है बिग गंगा. इस इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड  समारोह में हिन्दी फिल्मों के जाने माने अभिनेता और सांसद सनी दियोल, अभिनेत्री सनी लियोनी, जरीन खान के साथ साथ भोजपुरी फिल्मों के मेगास्टार और सांसद तथा दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी , गोरखपुर के भाजपा सांसद और भोजपुरी फिल्मों के सुपरस्टार रविकिशन, भोजपुरी सुपरस्टार दिनेशलाल यादव निरहुआ, पवन सिंह, प्रदीप पांडे चिंटू, समीर आफताब,  मनोज टाईगर, रितेश पांडे, प्रमोद प्रेमी, अमित कुमार, राघव नय्यर के साथ साथ साथ टेलिविजन के जाने माने कलाकार कृष्णा अभिषेक, कीकू शारदा और विनय आनंद के साथ भोजपुरी फिल्मों की जानी मानी अभिनेत्री मधु शर्मा, आम्रपाली दुबे, काजल राघवानी, अंजना सिंह, निधि झा, शुभी शर्मा, रितू सिंह, शहर आफ्शा, सोनालिका प्रसाद, सपना गिल और अनारा गुप्ता के अलावा भोजपुरी फिल्मों के जाने माने निमार्ता निर्देशक राजकुमार आर पांडे, असलम शेख, टीनू वर्मा, रजनीश मिश्रा, निमार्ता अनंजय रघुराज. प्रदीप भईया, निशांत उज्जवल, रमेश नय्यर, शंकर रोहरा, कृष्णा कुमार भी इस समारोह में उपस्थित थे. इनके अलावा अन्य अतिथियों में विनोद गुप्ता, प्यारेलाल यादव कवि, ब्राईट के योगश लखानी तथा राजनीति के कई दिग्गज इस  इंटरनेशनल भोजपुरी फिल्म अवार्ड  समारोह  में मौजूद थे. इस अवार्ड समारोह का प्रसारण बिग गंगा चैनल पर 31 दिसंबर की रात नये साल के जश्न में डूब जाने के लिये किया जा रहा है.

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काश, आपने ऐसा न किया होता: भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- काश, आपने ऐसा न किया होता: भाग 1

मैं इतना क्षमावादी नहीं हूं जितने भैया और मां हैं. हो सकता है जरा सा बड़ा हो जाऊं तो मैं भी वैसा ही बन जाऊं.

भैया मुझ से 10 साल बड़े हैं. हम दोनों भाइयों में 10 साल का अंतर क्यों है? मैं अकसर मां से पूछता हूं.

कम से कम मेरा भाई मेरा भाई तो लगता. वह तो सदा मुझे अपना बच्चा समझ कर बात करते हैं.

‘‘यह प्रकृति का खेल है, बेटा, इस में हमारा क्या दोष है. जो हमें मिला वह हमारा हिस्सा था, जब मिलना था तभी मिला.’’

अकसर मां समझाती रहती हैं, कर्म करना, ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभाना हमारा कर्तव्य है. उस के बाद हमें कब कितना मिले उस पर हमारा कोई बस नहीं. जमीन से हमारा रिश्ता कभी टूटना नहीं चाहिए. पेड़ जितना मरजी ऊंचा हो जाए, आसमान तक उस की शाखाएं फैल जाएं लेकिन वह तभी तक हराभरा रह सकता है जब तक जड़ से उस का नाता है. यह जड़ हैं हमारे संस्कार, हमारी अपने आप को जवाबदेही.

समय आने पर मेरी नियुक्ति भी बंगलौर में हो गई. अब दोनों भाई एक ही शहर में हो गए और मांपापा दिल्ली में ही रहे. भैया और मैं मिल गए तो हमारा एक घर बन गया. मेरी वजह से भैया ने एक रसोइया रख लिया और सब समय पर खानेपीने लगे. बहुत गौर से मैं भैया के चरित्र को देखता, कितने सौम्य हैं न भैया. जैसे उन्हें कभी क्रोध आता ही नहीं.

‘‘भैया, आप को कभी क्रोध नहीं आता?’’

एक दिन मेरे इस सवाल पर वह कहने लगे, ‘‘आता है, आता क्यों नहीं, लेकिन मैं सामने वाले को क्षमा कर देता हूं. क्षमादान बहुत ऊंचा दान है. इस दान से आप का अपना मन शांत हो जाता है और एक शांत इनसान अपने आसपास काम करने वाले हर इनसान को प्रभावित करता है. मेरे नीचे हजारों लोग काम करते हैं. मैं ही शांत न रहा तो उन सब को शांति का दान कैसे दे पाऊंगा, जरा सोचो.’’

एक दोपहर लंच के समय एक महिला सहयोगी से बातचीत होने लगी. मैं कहां से हूं. घर में कौनकौन हैं आदि.

‘‘मेरे बड़े भाई हैं यहां और मैं उन के साथ रहता हूं.’’

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भैया और उन की कंपनी का नाम- पता बताया तो वह महिला चौंक सी गई. उसी पल से उस का मेरे साथ बात करने का लहजा बदल गया. वह मुझे सिर से पैर तक ऐसे देखने लगी मानो मैं अजूबा हूं.

‘‘नाम क्या है आप का?’’

‘‘जी विजय सहगल, आप जानती हैं क्या भैया को?’’

‘‘हां, अकसर उन की कंपनी से भी हमारा लेनदेन रहता है. सोम सहगल अच्छे इनसान हैं.’’

मेरी दोस्ती उस महिला के साथ बढ़ने लगी. अकसर वह मुझ से परिवार की बातें करती. अपने पति के बारे में, अपने बच्चों के बारे में भी. कभी घर आने को कहती, मेरे खानेपीने पर भी नजर रखती. एक दिन नाश्ता करते हुए उस महिला का जिक्र मैं ने भैया के सामने भी कर दिया.

‘‘नाम क्या है उस का?’’

अवाक् रह गए भैया उस का नाम सुन कर. हाथ का कौर भैया के हाथ से छूट गया. बड़े गौर से मेरा चेहरा देखने लगे.

‘‘क्या बात है भैया? आप का नाम सुन कर वह भी इसी तरह चौंक गई थी.’’

‘‘तो वह जानती है कि तुम मेरे छोटे भाई हो…पता है उसे मेरा?’’

‘‘हां पता है. आप की बहुत तारीफ करती है. कहती है आप की कंपनी के साथ उस की कंपनी का भी अच्छा लेनदेन है. मेरा बहुत खयाल रखती है.’’

‘‘अच्छा, कैसे तुम्हारा खयाल रखती है?’’

‘‘जी,’’ अचकचा सा गया मैं. भैया के बदले तेवर पहली बार देख रहा था मैं.

‘‘तुम्हारे लिए खाना बना कर लाती है या रोटी का कौर तुम्हारे मुंह में डालती है? पहली बार घर से बाहर निकले हो तो किसी के भी साथ दोस्ती करने से पहले हजार बार सोचो. तुम्हारी दोस्ती और तुम्हारी भावनाएं तुम्हारी सब से अमूल्य पूंजी हैं जिन का खर्च तुम्हें बहुत सोच- समझ कर करना है. हर इनसान दोस्ती करने लायक नहीं होता. हाथ सब से मिला कर चलो क्योंकि हम समाज में रहते हैं, दिल किसीकिसी से मिलाओ…सिर्फ उस से जो वास्तव में तुम्हारे लायक हो. तुम समझदार हो, आशा है मेरा इशारा समझ गए होगे.’’

‘‘क्या वह औरत दोस्ती के लायक नहीं है?’’

‘‘नहीं, तुम उसी से पूछना, वह मुझे कब से और कैसे जानती है. ईमानदार होगी तो सब सचसच बता देगी. न बताया तो समझ लेना वह आज भी किसी की दोस्ती के लायक नहीं है.’’

भैया मेरा कंधा थपक कर चले गए और पीछे छोड़ गए ढेर सारा धुआं जिस में मेरा दम घुटने लगा. एक तरह से सच ही तो कह रहे हैं भैया. आखिर मुझ में ही इतनी दिलचस्पी लेने का क्या कारण हो सकता है.

दोपहर लंच में वह सदा की तरह चहचहाती हुई ही मुझे मिली. बड़े स्नेह, बड़े अपनत्व से.

‘‘आप भैया से पहली बार कब मिली थीं? सिर्फ सहयोगी ही थे आप या कंपनी का ही माध्यम था?’’

मुसकान लुप्त हो गई थी उस की.

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‘‘नहीं, हम सहयोगी कभी नहीं रहे. बस, कंपनी के काम की ही वजह से मिलनाजुलना होता था. क्यों? तुम यह सब क्यों पूछ रहे हो?’’

‘‘नहीं, आप मेरा इतना खयाल जो रखती हैं और फिर भैया का नाम सुनते ही आप की दिलचस्पी मुझ में बढ़ गई. इसीलिए मैं ने सोचा शायद भैया से आप की गहरी जानपहचान हो. भैया के पास समय ही नहीं होता वरना उन से ही पूछ लेता.’’

‘‘अपनी भाभी को ले कर कभी आओ न हमारे घर. बहुत अच्छा लगेगा मुझे. तुम्हारी भाभी कैसी हैं? क्या वह भी काम करती हैं?’’

तनिक चौंका मैं. भैया से ज्यादा गहरा रिश्ता भी नहीं है और उन की पत्नी में भी दिलचस्पी. क्या वह यह नहीं जानतीं, भैया ने तो शादी ही नहीं की अब तक.

‘‘भाभी बहुत अच्छी हैं. मेरी मां जैसी हैं. बहुत प्यार करती हैं मुझ से.’’

‘‘खूबसूरत हैं, तुम्हारे भैया तो बहुत खूबसूरत हैं,’’ मुसकराने लगी वह.

‘‘आप के घर आने के लिए मैं भाभी से बात करूंगा. आप अपना पता दे दीजिए.’’

उस ने अपना कार्ड मुझे थमा दिया. रात वही कार्ड मैं ने भैया के सामने रख दिया. सारी बातें जो सच नहीं थीं और मैं ने उस महिला से कहीं वह भी बता दीं.

‘‘कहां है तुम्हारी भाभी जिस के साथ उस के घर जाने वाले हो?’’

भाभी के नाम पर पहली बार मैं भैया के होंठों पर वह पीड़ा देख पाया जो उस से पहले कभी नहीं देखी थी.

‘‘वह आप में इतनी दिलचस्पी क्यों लेती है भैया? उस ने तो नहीं बताया, आप ही बताइए.’’

‘‘तो चलो, कल मैं ही चलता हूं तुम्हारे साथ…सबकुछ उसी के मुंह से सुन लेना. पता चल जाएगा सब.’’

अगले दिन हम दोनों उस पते पर जा पहुंचे जहां का श्रीमती गोयल ने पता दिया था. भैया को सामने देख उस का सफेद पड़ता चेहरा मुझे साफसाफ समझा गया कि जरूर कहीं कुछ गहरा था बीते हुए कल में.

‘‘कैसी हो शोभा? गिरीश कैसा है? बालबच्चे कैसे हैं?’’

पहली बार उन का नाम जान पाया था. आफिस में तो सब श्रीमती गोयल ही पुकारते हैं. पानी सजा लाई वह टे्र में जिसे पीने से भैया ने मना कर दिया.

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‘‘क्या तुम पर मुझे इतना विश्वास करना चाहिए कि तुम्हारे हाथ का लाया पानी पी सकूं?

‘‘अब क्या मेरे भाई पर भी नजर डाल कुछ और प्रमाणित करना चाहती हो. मेरा खून है यह. अगर मैं ने किसी का बुरा नहीं किया तो मेरा भी बुरा कभी नहीं हो सकता. बस मैं यही पूछने आया हूं कि इस बार मेरे भाई को सलाखों के पीछे पहुंचा कर किसे मदद करने वाली हो?’’

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

हमसफर: भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- हमसफर: भाग 1

शादी में बस चंद दिन ही बचे थे तब राहुल ने पूजा को बताया कि वह एच.आई.वी. पोजिटिव है. एड्स से ग्रसित वह धीरेधीरे मौत के करीब जा रहा है. 2 वर्ष पहले एक एक्सीडेंट के बाद इलाज के दौरान डाक्टरों की लापरवाही से उसे संक्रमित खून चढ़ा दिया गया था.

पूजा राहुल को आश्वासन देती है कि वह सब असलियत जान कर भी शादी कर उस की हमसफर जरूर बनेगी और साथ ही राहुल से वचन लेती है कि अपनी बीमारी को घरवालों से राज रखेगा. राहुल के यह कहने पर कि बीमारी को लोगों से छिपाना आसान नहीं होगा, तो पूजा का जवाब था कि ‘शादी के बाद वह सब देखना मेरा काम होगा. लोगों को क्या जवाब देना है, यह भी मैं ही देखूंगी.’

एक सप्ताह बाद दोनों की शादी हो जाती है. इस शादी के पीछे का भयानक सच उन दोनों के अलावा शादी में शामिल कोई भी तीसरा नहीं जानता था. अग्नि के फेरे लेते हुए दोनों के मस्तिष्क में बहुत कुछ चल रहा था लेकिन वे चेहरे से एकदम सामान्य दिख रहे थे. अब आगे…

पूजा की डोली ससुराल आई.

ससुराल में आते ही पूजा औरतों

में घिर गई थी. शादी के बाद की रस्में जो पूरी की जानी थीं.

शादी के बाद राहुल और पूजा के पहले इम्तिहान की घड़ी सुहागरात थी.

रस्मों के पूरा होने के बाद हंसी- ठिठोली करती पूजा की ननद रेखा और उस की कुछ सहेलियों ने उन दोनों को सुहागरात वाले कमरे के अंदर धकेल दिया था.

अकेले पड़ते ही दोनों ने एकदूसरे को देखा.

सुहागरात का अर्थ दोनों ही समझते थे मगर उन दोनों को इस बात का भी एहसास था कि वह आम पतिपत्नियों जैसे नहीं थे.

सुहाग सेज पर गुलाब के फूलों की पंखडि़यां बिखरी हुई थीं. इन पंखडि़यों को सुबह तक वैसा ही रहना था, क्योंकि जिस उद्देश्य से उन को सेज पर बिखेरा गया था उस उद्देश्य की पूर्ति उन के लिए वर्जित थी.

‘‘तुम ने मेरे साथ शादी कर के अपने साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है,’’ अपनी कशमकश के बीच खालीखाली उदास नजरों से पूजा को देखते हुए राहुल ने कहा.

‘‘लेकिन मुझ को अपने फैसले पर कोई अफसोस नहीं,’’ पूजा ने कहा.

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‘‘क्या इस सुहागरात का हमारे लिए कोई मतलब है?’’

‘‘क्यों नहीं है? क्या एक दंपती के संपूर्ण जीवन का आधार केवल सेक्स ही है? क्या सेक्स के बगैर स्त्रीपुरुष के विवाहित संबंधों का कोई अर्थ नहीं रह जाता? मैं इस को नहीं मानती. सेक्स पतिपत्नी के रिश्ते का एक हिस्सा है. इस के बिना भी रिश्ते को निभाया जा सकता है, क्योंकि सेक्स से ही संपूर्ण रिश्ता नहीं बनता. जैसे शरीर के किसी एक अंग को अलग कर देने से इनसान मर नहीं जाता, उसी तरह पतिपत्नी के रिश्ते में से सेक्स को अलग करने से रिश्ते की मौत भी नहीं होती.

हम दोनों तो सच को जानते हुए ही इस रिश्ते में बंधे हैं. सेक्स संपर्क के बगैर भी हम इस रात को आनंदमय बनाएंगे. यह हम दोनों के लिए ही पहली परीक्षा है और हमें बिना किसी भय और निराशा के इस परीक्षा की अग्नि में से तप कर बाहर निकलना ही होगा.’’

यह कहते हुए शादी के लाल जोड़े में लिपटी हुई पूजा ने एड्स से पीडि़त अपने पति का सिर अपने सीने पर रख लिया. ऐसा करते हुए उस के चेहरे पर जरा सा भी डर और घबराहट न थी. मन को जिस आनंद की अनुभूति हो रही थी वह शरीर के आनंद से कम नहीं थी.

सुहागरात उन दोनों ने एकदूसरे से बहुत सी बातें करते हुए बिता दी. पतिपत्नी के बजाय एक दोस्त की तरह उन को एकदूसरे को अधिक जानने का मौका मिला.

पूजा राहुल के मस्तिष्क को मृत्युभय से मुक्त कर के उस के भीतर एक नया विश्वास जगाने में सफल रही.

सुबह की किरण फूटने से कुछ देर पहले ही दोनों की आंख लग गई.

पूजा की आंख खुली तो सुबह के 8 बज रहे थे. रोशनी काफी फैल चुकी थी. राहुल अभी भी सो रहा था.

पूजा दर्पण के सामने खड़ी हो खुद को निहारने लगी. उस का दुलहन वाला मेकअप वैसे का वैसा ही था. वस्त्रों पर सलवटें भी नहीं आई थीं. कलाइयों में पड़ी कांच की चूडि़यां भी वैसी की वैसी ही थीं.

कमरे के अंदर क्या हुआ था वह उन दोनों के बीच का राज था. मगर सब को ऐसा लगना तो चाहिए कि उन्होंने सुहागरात मनाई थी.

यह सोच कर पूजा ने पहले अपने बंधे हुए जूड़े को खोला और फिर उस को बेतरतीब से दोबारा बांधा. होंठों की लिपस्टिक की गाढ़ी लाल रंगत को फीका करने के लिए इस तरह से उस को साफ किया कि वह थोड़ी सी होंठों के इर्दगिर्द बिखर जाए. अपनी दोनों कलाइयों में पड़ी कांच की कुछ चूडि़यों को अपनी उंगलियों के दबाव से चटख कर तोड़ डाला. ऐसा करते वक्त एक चूड़ी का तीखा कांच उस की कलाई में चुभ भी गया.

पूजा ने टूटी कांच की चूडि़यों के टुकड़ों को बिस्तर पर बिखेर दिया, इतना ही नहीं, बिस्तर पर बिखरी फूलों की पत्तियों को भी उस ने हथेली से मसल डाला.

सब तरह से संतुष्ट होने के बाद पूजा कमरे का बंद दरवाजा खोल कर बाहर निकल आई.

कमरे से बाहर पूजा का सब से पहले सामना अपनी ननद रश्मि से हुआ. रश्मि की आंखों में अर्थभरी शरारत थी जोकि रिश्ते के हिसाब से स्वाभाविक थी.

‘‘गुडमार्निंग, भाभी,’’ रश्मि ने कहा, ‘‘आप की आंखें गुलाबी हो रही हैं, लगता है भैया ने काफी परेशान किया है रात को?’’

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ननद रश्मि के ऐसा कहने पर पूजा ने पहले तो लजाने का नाटक किया फिर प्यार से उस के गाल पर हलकी सी चपत लगाती हुई बोली, ‘‘चुप, बच्चे इस तरह के सवाल नहीं पूछते.’’

ननद रश्मि के साथ ही पूजा अपने सासससुर के कमरे में पहुंची और अपने सिर को साड़ी के पल्लू से ढकते हुए बारीबारी से उन दोनों के पांव छुए.

पांव छूने पर आशीर्वाद देती हुई पूजा की सास शकुंतला ने उस को अपने सीने से लगा लिया और बोलीं, ‘‘सुहागवती रहो, बहू. जल्दी ही तुम्हारी गोद भरे और मैं पोते की खुशी देखूं.’’

शादी के बाद दिन आगे को सरकने लगे. बीतने वाला हर लम्हा जैसे कीमती था.

राहुल के जीवन की डोर हर बीतते हुए लम्हे के साथ छोटी हो रही थी.

पूजा बीतते हर लम्हे को इतने सुख और खुशियों से भर देना चाहती थी कि आने वाली मौत की आहट राहुल को सुनाई न दे.

शारीरिक सुख के अलावा एक अच्छी पत्नी के रूप में जीवन के सारे सुख पूजा राहुल को देना चाहती थी. वह उस की इतनी सेवा करना चाहती थी कि बाद में किसी बात पर पछताना न पड़े.

पूजा की सेवा और समर्पण के भाव को राहुल खामोशी से देखता और कहता, ‘‘मेरी जिंदगी का सफर ज्यादा लंबा नहीं. इस में हमसफर बनते हुए गलती से भी मुझ से मोह मत कर बैठना, वरना बाद में बड़ी तकलीफ होगी.’’

‘‘मैं जानती हूं कि मैं क्या कर रही हूं और आगे क्या होने वाला है. किंतु इस तरह की बातें कर के मुझ को कमजोर मत बनाओ, राहुल.’’

शादी के 5 माह बाद अचानक ही राहुल की सेहत तेजी से गिरनी शुरू हो गई. राहुल का वजन कम हो रहा था. उस के चेहरे की जर्दी बढ़ रही थी और यह देख कर घर के लोग परेशान थे.

‘‘राहुल की सेहत लगातार खराब हो रही है बहू, पता नहीं क्या बात है. वह काफी लापरवाह किस्म का इनसान है. तुम ही उसे किसी अच्छे डाक्टर को दिखलाओ,’’ आखिर एक दिन सास शकुंतला ने पूजा को कह ही दिया. उस के कहने के अंदाज से पता चलता था कि वह बेटे की गिरती सेहत को स्त्रीपुरुष के सेक्स संबंधों से जोड़ कर देख रही थीं.

पूजा को इस से हैरानी नहीं हुई थी. वह जानती थी कि राहुल की गिरती सेहत को देख कर लोग ऐसा ही सोच सकते थे. अब किसी को क्या मालूम अधिक सेक्स तो एक तरफ, उन में तो सेक्स संबंध बना भी नहीं था.

अपने सारे मनोभावों को छिपाते हुए पूजा ने सास से कहा, ‘‘आप ठीक कह रही हैं मांजी, मैं कल ही इन्हें किसी अच्छे डाक्टर को दिखलाने ले जाऊंगी.’’

अगले दिन राहुल को साथ ले कर किसी डाक्टर के पास जाने का दिखावा करती हुई पूजा घर से बाहर निकली. किंतु किसी डाक्टर के यहां जाने के बजाय उन्होंने 2-3 घंटे एक मौल में बिताए.

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थकावट होने पर उन दोनों ने मौल के रेस्तरां में बैठ कर कोल्ड डिं्रक पी और साथ में हलका सा फास्ट फूड भी लिया.

रेस्तरां में बैठे थकीथकी आंखों से पूजा को देखते हुए राहुल ने कहा, ‘‘हम जो कर रहे हैं क्या वह अपनों के साथ धोखा नहीं?’’

‘‘नहीं, मैं नहीं मानती कि हम किसी को कोई धोखा दे रहे हैं,’’ पूजा ने जवाब दिया.

‘‘एड्स से रोजाना दुनिया में सैकड़ों लोग मरते हैं. अगर मैं भी मर जाऊंगा तो कौन सी अनोखी बात होगी? मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि तुम मेरी बीमारी को छिपा कर क्यों रखना चाहती हो? एकदम से मेरी मौत के सदमे को झेलने से बेहतर होगा कि हकीकत को जान कर मां, बाबूजी, रश्मि और दूसरे लोग मेरी मौत के सदमे को झेलने के लिए खुद को पहले से ही तैयार कर लें.’’ राहुल ने भारी आवाज में कहा.

‘‘मैं भी ऐसा ही चाहूंगी. मगर तुम को एड्स है, मैं ऐसा कभी जाहिर नहीं होने दूंगी. ऐसी दूसरी लाइलाज बीमारियां भी तो हैं जिन से इनसान की मौत यकीनी होती है, जैसे कैंसर. किंतु कैंसर की मौत एड्स से होने वाली मौत से कहीं अधिक सम्मानजनक है. कैंसर डरावना है और एड्स बदनाम. एड्स के बारे में लोगों में अनेक गलतफहमियां हैं. इसलिए कैंसर से तो केवल इनसान मरता है लेकिन एड्स से मरने वाले इनसान के परिवार की उस के साथ ही सामाजिक मौत हो जाती है.

एड्स से मरने वाले इनसान के परिवार को लोग शक और घृणा की नजरों से देखते हुए एक तरह से उस का सामाजिक बहिष्कार कर देते हैं. मैं नहीं चाहती कि तुम्हारे बाद तुम्हारे अपनों के साथ कुछ ऐसा हो. एक एड्स संक्रामक व्यक्ति की पत्नी होने के कारण समाज में मेरी क्या स्थिति होगी इस की शायद तुम ठीक से कल्पना भी नहीं कर सकते. हमारे विवाहित जीवन के अंदरूनी सच को दुनिया तो नहीं जानती. मैं एक शापित जीवन बिताऊं, ऐसा तो तुम भी नहीं चाहोगे,’’ राहुल का हाथ अपने हाथ में लेते हुए पूजा ने कहा.

राहुल की समझ में आने लगा था कि पूजा उस की बीमारी को किन कारणों से छिपा कर रखना चाहती थी. उस की सोच में केवल आज नहीं, आने वाला कल भी था.

जैसेजैसे वक्त करीब आ रहा था राहुल अंदर से टूट रहा था. अपने प्यार से पूजा टूट रहे राहुल को सहारा देने की कोशिश करती.

डाक्टर को दिखलाने की बात कह कर पूजा राहुल को साथ ले कर घर से बाहर जाती. किसी पार्क या रेस्तरां में 2-3 घंटे बिता कर दोनों वापस आ जाते. राहुल एड्स की दवाएं ले रहा था, मगर वे बेअसर हो रही थीं.

ऐसी स्थिति बन रही थी कि पूजा को लग रहा था कि उस को राहुल की बीमारी को ले कर एक और झूठ बोलना ही होगा.

एक रोज मांजी ने पूजा को हाथ से पकड़ अपने पास बिठा लिया और बोलीं, ‘‘राहुल की यह कैसी बीमारी है बहू जो ठीक होने का नाम ही नहीं ले रही? तुम जरूर मुझ से कुछ छिपा रही हो. मुझ को किसी धोखे में मत रखो. मैं राहुल की बीमारी का सच जानना चाहती हूं.’’

‘‘मैं आप से कुछ भी छिपाना नहीं चाहती, मांजी, लेकिन सच बड़ा ही निर्मम और कठोर है. आप सुन नहीं सकेंगी. आप के बेटे को कैंसर है,’’ हिम्मत कर के पूजा को जो कहना था उस ने कह दिया.

उस के शब्द जैसे बम बन कर मांजी के सिर पर फूटे. सदमे में अपना माथा पकड़ते हुए वह सोफे पर लुढ़क सी गईं.

उधर सच को छिपाने के लिए पूजा ने जो झूठ बोला उस का चेहरा छिपाए गए सच से कम डरावना नहीं था.

पूजा के द्वारा राहुल की बीमारी को कैंसर बतलाने के बाद घर का सारा माहौल ही गमगीन और मातमी हो गया था.

मांजी, बाबूजी और रश्मि की आंखों में से बहने वाले आंसू जैसे थम नहीं रहे थे. कोई ठीक से खा नहीं रहा था. कैंसर का भी दूसरा नाम मौत ही तो था. जब मौत का पहरा बैठ गया हो तो किसी को चैन कैसे आ सकता था?

अंत शायद बहुत करीब था. राहुल का शरीर इतना कमजोर हो गया था कि कई बार बाथरूम तक जाने के लिए उसे पूजा के सहारे की जरूरत पड़ती.

पूजा किसी तरह भी कमजोर नहीं पड़ना चाहती थी. हालांकि राहुल की बातें कभीकभी उस को कमजोर करने की कोशिश जरूर करती थीं.

मांजी और बाबूजी बेटे की हालत देख उस को किसी अस्पताल में दाखिल कराने की बातें करते.

लेकिन पूजा इस से मना कर देती.

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‘‘इस से कोई फायदा नहीं होगा क्योंकि कैंसर अपने अंतिम स्टेज में है. अस्पताल में रेडियो थेरैपी से इन की जिंदगी और ज्यादा कष्टपूर्ण हो जाएगी. मैं ऐसा नहीं चाहती,’’ पूजा उन से कहती.

राहुल की अंदर को धंसती निस्तेज आंखें और पीला चेहरा खामोश जबान में बतलाने लगे थे कि उस के जीवन की टिमटिमाती लौ किसी भी घड़ी बुझ सकती थी.

एक रात अचानक राहुल ने पूजा के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए वे शब्द कहे तो पूजा को लगा वह घड़ी कुछ फासले पर ही है.

‘‘शायद मेरा वक्त आ गया है मेरे हमसफर. मेरी जिंदगी के उदास सफर में हमसफर बनने के लिए शुक्रिया. दुनिया और समाज कुछ भी समझे, मगर हम दोनों जानते हैं कि हमारे बीच में पतिपत्नी नहीं, दो इनसानों का रिश्ता है. इसलिए मेरे मरने के बाद कभी अपनेआप को विधवा मत मानना. अपने लिए जो भी विकल्प ठीक लगे उसी को चुनना.’’

राहुल के उक्त शब्द पूजा के मर्म को चीर गए.

बड़ी मुश्किल से उस ने खुद को संभाला था.

राहुल ने पूजा से कमरे की खिड़की खोलने का अनुरोध किया और यह भी कहा कि वह उस के पास बैठी रहे.

खिड़की के बाहर चांद चमक रहा था. रात ढल रही थी.

राहुल की बेचैनी भी लगातार बढ़ रही थी.

पूजा हौसला देने वाले अंदाज से बीचबीच में उस के ललाट पर अपना हाथ फेर देती थी. डाक्टर के बताए अनुसार उस ने राहुल को दवा दी तो उस ने आंखें बंद कर लीं.

बैठेबैठे ही न जाने कब पूजा को कुछ मिनटों के लिए नींद की झपकी आ गई.

झपकी जब टूटी तो सब खत्म हो चुका था. राहुल की खुली आंखें पथरा चुकी थीं.

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कुंवारा था, कुंवारा ही रह गया: भाग 2

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लेखक- आर.के. राजू

उन्होंने बाहर आ कर देखा तो सब सुनसान था. उन्होंने नीचे कमरे में सो रहे अपने ससुर वीरू सैनी को जगाते हुए कहा कि मेनगेट खुला पड़ा है, क्या कोई बाहर गया हुआ है?

दुलहन पूजा ने खेला खेल

वीरू सैनी ने संजय के कमरे में आवाज दी तो कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. फिर उन्होंने संजय को जोरजोर आवाजें लगाईं तो संजय तो नहीं उठा लेकिन पिता की आवाज से ऊपर के कमरे में सोया उन का छोटा बेटा प्रदीप जरूर जाग गया.

वह नीचे उतर कर आया और संजय के कमरे में जा कर देखा, संजय बेसुध अवस्था में सोया हुआ था. उस ने उसे उठाना चाहा तो वह नहीं उठा. वह बेहोशी की हालत में था.

घर से नईनवेली दुलहन पूजा व उस की मौसी आशा गायब थीं. दूसरे कमरे में संजय की बहनें व भांजेभांजियां भी बेहोशी की हालत में थे. इस के बाद तो पूरे घर में कोहराम मच गया. शोर सुन कर आसपड़ोस के लोग भी जाग गए थे.

उसी समय 100 नंबर पर फोन कर के पुलिस कंट्रोल रूम को भी सूचना दे दी गई. थोड़ी देर में पुलिस कंट्रोल रूम की गाड़ी वहां पहुंच गई.

पुलिस वालों को मामला समझने में देर नहीं लगी और वे घर में बेहोशी की हालत में पड़े संजय, उस की बहनें मंजू व लक्ष्मी तथा उन के बच्चों चंचल व अंकित को अपनी गाड़ी से दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल ले गए.

अस्पताल में भरती सभी 5 लोगों की हालत नाजुक बनी हुई थी. डाक्टर उन के इलाज में जुटे थे. सूचना पा कर थाना सिविल लाइंस के प्रभारी शक्ति सिंह व क्षेत्राधिकारी राजेश कुमार भी अस्पताल पहुंच गए. अगले दिन उन्हें होश आया तो थानाप्रभारी ने उन से पूछताछ की.

संजय सैनी ने उन्हें बताया कि उस की नईनवेली पत्नी पूजा ने उसे खाना खिलाया. खाना खाने के बाद उसे बेहोशी सी छाने लगी थी. इस के बाद उसे पता नहीं रहा. आंखें खुलीं तो उस ने खुद को अस्पताल में पाया. तब घर वालों ने बताया कि पूजा और उस की मौसी घर का कीमती सामान ले कर लापता हो चुकी हैं.

इस के बाद संजय के बहनोई और मोहल्ले के लोग पूजा और उस की मौसी को ढूंढने के लिए रेलवे स्टेशन, बसअड्डा आदि जगहों पर चले गए. लेकिन उन दोनों में से कोई भी नहीं मिला. निराश हो कर वे घर लौट आए.

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पुलिस ने जब वीरू सैनी से गायब सामान के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि दुलहन पूजा और उस की मौसी घर से 16 हजार रुपए नकद, सोने की चेन, सोने के कुंडल, पेंडल समेत अन्य जेवर और कीमती कपड़े ले गई हैं.

वीरू सैनी की तहरीर पर पुलिस ने पूजा और उस की मौसी आशा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस हरकत में आ गई.

मुरादाबाद के एसएसपी अमित पाठक ने लुटेरी दुलहन और उस के गैंग के लोगों को गिरफ्तार करने के लिए एसपी (सिटी) अंकित मित्तल के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में थानाप्रभारी शक्ति सिंह, हरथला पुलिस चौकी इंचार्ज वीरेंद्र कुमार राणा आदि को शामिल किया गया.

राजपाल नाम के जिस बिचौलिए के मार्फत संजय की शादी कराई गई थी, पुलिस ने उस का फोन मिलाया लेकिन फोन स्विच्ड औफ मिला. साथ ही पूजा की मौसी का फोन भी नहीं लग रहा था.

इसी बीच थानाप्रभारी शक्ति सिंह का ट्रांसफर हो गया. उन की जगह इंसपेक्टर नवल मारवाह ने थाने का कार्यभार संभाला. वह इस केस की जांच में जुट गए. पुलिस ने आरोपियों के फोन सर्विलांस पर लगा दिए. इस के अलावा मुखबिरों को भी सक्रिय कर दिया.

इस काररवाई के आधार पर पुलिस ने 30 अगस्त, 2019 को बरेली के कस्बा बहेड़ी के मोहल्ला महादेवपुरा से अभियुक्त पूजा को गिरफ्तार कर लिया. पूजा के घर से पुलिस को एक अन्य युवती भी मिली. उस का नाम जयंती था.

जयंती से पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह जिला ऊधमसिंह नगर के कस्बा सितारगंज के शक्ति फार्म की निवासी है. वह एक बेटी की मां है. अपने पति को उस ने छोड़ रखा है. उस ने बताया कि वह भी पूजा की तरह शादी करने के बाद लोगों को लूटती है. यह काम वह मौसी आशा के इशारे पर करती है. पुलिस पूजा और जयंती को गिरफ्तार कर मुरादाबाद ले आई.

थाने ला कर उन से पूछताछ की गई तो जयंती ने बताया कि मौसी आशा ने जन्माष्टमी से 2 दिन पहले 22 अगस्त, 2019 को अरुण नामक युवक से मंदिर में उस की शादी करवाई थी. इस शादी के बदले आशा ने उसे 10 हजार रुपए देने का वादा किया था.

शादी के बाद घूमने के बहाने वह और उस का कथित पति अरुण व मौसी आशा के साथ ऊधमसिंह नगर के एक होटल में आ कर ठहरे थे. वहां पर आशा ने अरुण से और पैसों की मांग की. अरुण के पास उस समय पैसे नहीं थे. उस ने कहा कि वह पैसे कल दे देगा. जब अरुण सो गया तो आशा मौसी और वह उसे सोता छोड़ कर भाग गए थे.

जयंती भी शामिल थी इस गिरोह में

जयंती ने बताया कि वह मूलरूप से पश्चिम बंगाल की रहने वाली है. उस की शादी एक जेल वार्डन के बेटे से हुई थी. समस्या यह थी कि ससुराल में नौनवेज कोई नहीं खाता था, जबकि जयंती मीट, मछली खाने की शौकीन थी. यह बात उसने अपने पति से बताई तो उस ने भी कह दिया कि यहां नौनवेज खाना तो दूर, पकाने तक पर भी प्रतिबंध है.

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ऐसी हालत में जयंती का वहां रहना मुश्किल था, लिहाजा वह वहां से रिश्ता तोड़ कर चली आई और किसी के जरिए आशा मौसी के संपर्क में आई. फिर आशा ने उसे अपने गिरोह में शामिल कर लिया.

जयंती के पास से पुलिस को 2 जोड़ी पाजेब, नाक का एक फूल, सोने की एक अंगूठी मिली. अभियुक्त पूजा उर्फ कविता की शादी पीलीभीत में हुई थी. पूजा का 6 साल का एक बेटा भी है, जो पिता के पास ही रहता है.

पुलिस छानबीन में पता चला कि उक्त गिरोह में 6 लोग शामिल हैं, जोकि लोगों को ठगी का शिकार बनाने के लिए अलगअलग शहरों में किराए का मकान ले कर ऐसे परिवारों के सदस्य का पता लगाते थे, जिस की शादी नहीं हो पा रही हो.

ये लोग ऐसे लोगों को अपने जाल में फंसा कर पहले लड़की दिखाते हैं. लड़की पसंद आने के बाद इस गिरोह का मास्टरमाइंड बरेली का एक कथित ठेकेदार राम सिंह एडवांस में मोटी रकम ऐंठ लेता है. वही शादी की तारीख देता है. तय समय में शादी हो जाती थी.

जब बहू विदा हो कर ससुराल जाती थी तो इन की कथित मौसी आशा बहू के साथ रह जाती थी. वही कन्यादान भी करती थी. रात के खाने में नशीला पदार्थ मिला कर परिवार के लोगों को खिलाया जाता. फिर जब सब नशे में बेहोश हो जाते तो दोनों जेवर, रुपए व कीमती कपड़े ले कर फरार हो जातीं.

अभी तक पुलिस को इस गिरोह के 6 लोगों का पता चला है. पुलिस ने 30 अगस्त, 2019 को दोनों लुटेरी दुलहनों पूजा उर्फ कविता और जयंती को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जिला जेल भेज दिया गया.

मामले की विवेचना मौजूदा थानाप्रभारी नवल मारवाह कर रहे हैं. कथा लिखने तक पुलिस अन्य आरोपियों की सरगरमी से तलाश रही थी.

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कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

‘रेप कैपिटल’ और ‘रेप इन इंडिया’ पर हुआ बवाल

वैसे तो संसद में हंगामा होना आम बात है.किसी न किसी मुद्दे पर हंगामें होते रहते हैं.लेकिन आज लोकसभा में राहुल गांधी के रेप इन इंडिया जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने को लेकर स्मृति ईरानी सहित कई महिला सांसदों ने जमकर हंगामा किया.जैसा कि मालूम हो अभी-अभी देश कुछ ऐसी घटनाओं से गुजरा है जिसे देश की जनता कभी भूल नहीं पाएगी.प्रियंका रेड्डी का केस तो अभी भी ताजा है.निर्भया के दोषियों को अभी भी फांसी की सजा नहीं हुई है.उन्नाव पीड़िता की मौत हो चुकी है.अभी तो देश प्रियंका रेड्डी की मौत को भूला भी नहीं हैं वहीं दूसरी ओर संसद में रेप जैसी वारदात पर सियासत है कि खत्म होने का नाम भी नहीं ले रही है.सभी अपनी सियासी रोटियां सेकनें के लिए तैयार बैठे रहते हैं.आपको बता दूं कि झारखंण्ड रैली में राहुल गांधी ने एक बात कही थी कि प्रधानमंत्री मोदी मेक इन इंडिया की बात करते हैं और जहां देखो रेप इन इंडिया हो रहा है.बस इसी बात को लेकर संसद में हंगामा शुरू हो गया.लोकसभा में स्मृति ईरानी ने कहा कि राहुल गांधी कहते हैं आओ और रेप करो उनकी सोच कितनी घटिया है.कुछ ऐसी ही तीखी बातों के साथ संसद में हंगामा शुरू हो गया.

इधर राहुल गांधी ने साफ-साफ माफी मांगने से इनकार कर दिया है.राहुल गांधी ने कहा कि “नार्थ-इस्ट को जला दिया,बेरोजगारी और मंदी से ध्यान भटकाने के लिए मेरे बयान को यहां मुद्दा बनाया जा रहा है.मै माफी नहीं मांगूंगा…क्योंकि नरेंद्र मोदी ने भी दिल्ली को रेप कैपिटल कहा था मैंने तो सिर्फ इतना कहा है कि प्रधानमंत्री मेक इन इंडिया की बात करते हैं और यहां पर तो रेप इन इंडिया बन चुका है”

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मतलब साफ-साफ यही है कि राहुल गांधी यही कहना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने भी गलत कहा था फिर उनके बयान पर हंगामा क्यों नहीं.मेरी बात पर हंगामा क्यों हो रहा है.इसलिए मैं बिल्कुल माफी नहीं मांगूंगा.इतना ही नहीं राहुल गांधी ने एक ट्वीट भी किया है जिसमें उन्होंनें साफ-साफ लिखा है कि- Modi should apologise. For burnimng the north East,for destroying India’s economy.मतलब ये कि मोदी को माफी मांगी चाहिए नार्थ-ईस्ट को जलाने के लिए और भारतीय अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए.साथ ही एक वीडियो भी अपलोड किया मोदी की स्पीच का.जिसमें मोदी ने कह रहे हैं कि आज जिस प्रकार दिल्ली को आपने रेप कैपिटल बना दिया है जिसके कारण पूरे दुनिया में हिन्दुस्तान की बेज्जती हो रही है.इसी बात पर राहुल गांधी ने कहा कि जब खुद देश के प्रधानमंत्री ऐसी बातें बोल रहे हैं तो फिर मेरे ‘रेप इन इंडिया’ बोलने पर मैं माफी नहीं मागूंगा.लेकिन यहां सवाल ये है कि क्या इसी तरह सियासत रेप जैसी वारदात से गर्माती रहेगी और ये सियासी लोग अपनी रोटियां पकाते रहेंगे? क्या ये देश सच में ऐसा ही होता जा रहा है जहां रेप जैसे वारदात रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं? आखिर सरकार इस पर क्या कड़ा रुख अपनाएगी? और कितनी निर्भया को बलिदान देगा होगा सरकार की आंखे खोलने के लिए?

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