नरेंद्र दामोदरदास मोदी के “आंसू”

आने वाले समय में शायद हमारे देश में एक कहावत प्रचलित हो जाएगी-” नरेंद्र मोदी के आंसू…”

बीते दिनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी डॉक्टरों से संवाद कर रहे थे इसी दरमियान एक बार पुनः आंसू बहाने लगे . मोदी के साथ विसंगति यह है कि अपने आप को चट्टान की तरह कठोर भी साबित करना चाहते हैं और खुद को 56 इंच का सीने वाला बताने में गर्व महसूस करते थे और आजकल उन्होंने आंसू बहा कर संवेदना का चोला पहन कर देश की जनता को यह बताने का प्रयास किया है कि वे बहुत ही नरम हृदय के स्वामी है.

कोरोना कोविड-19 के इस संक्रमण काल में देश के प्रधानमंत्री को मजबूती के साथ खड़े होने की आवश्यकता है जैसे देश के हालात बन गए हैं उसके लिए एक मजबूत और विवेकशील नेतृत्व की आवश्यकता है.

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मगर, दो नावों की सवारी से मोदी अपनी छवि जो देश के जनमानस पर गढ़ना चाहते हैं, उसमें स्वयं ही अपनी भद पिटवा कर देशभर में कौतुक और हास्य का विषय बन गए हैं.

प्रधानमंत्री कैसा हो?

सीधी सी बात है कि हर आदमी, देश का हर एक नागरिक चाहता है कि उसका नेतृत्व करने वाला प्रधानमंत्री विवेकशील और संवेदनशील हो. वह आम जनता के दुख, दर्द समस्या को महसूस करें और उसे दूर करने का ईमानदारी से प्रयास करें.

मगर आज कोरोना वायरस के इस समय में हमारे देश के प्रधानमंत्री की गतिविधि और व्यवहार से आम जनता संतुष्ट नजर नहीं आती. जिस तरीके से देश में ऑक्सीजन की कमी हुई क्या वह जायज है ? जिस तरीके से हॉस्पिटलों में लोगों के लिए बेड और चिकित्सा की व्यवस्था नहीं थी क्या वह जायज है? जिस तरीके से डॉक्टरों, प्रशासन का व्यवहार आम जनता के साथ देखा गया क्या वह जायज है? ऐसे ही कुछ और भी महत्वपूर्ण पहलू हैं जिन्हें देखकर के आम जनमानस में यह धारणा बनी है कि हमारे देश के नेतृत्व था प्रधानमंत्री आज पूरी तरीके से असफल हो गए हैं. दुनिया के लगभग 40 से ज्यादा देशों ने हमें ऑक्सीजन भेजा, हमें मदद की, छोटे-छोटे देशों ने आगे आकर मदद का आह्वान किया और बिना मांगे चिकित्सा रसद भेजी इन सब बातों से यह संदेश गया कि हमारा देश और हमारा नेतृत्व कितना कमजोर है. आज हमें हाथ पसारना पड़ रहा है हम विश्व गुरु बनने की दौड़ में है हम बड़ी-बड़ी बातें करते रहते हैं, हमारे प्रधानमंत्री इतना ऊंचा ऊंचा हांकते हैं कि लोग उनके मुरीद हो गए, लेकिन जमीनी हकीकत को देख कर के मानो धरती का सीना है फट गया.

अगर मोदी एक प्रधानमंत्री और मुखिया होने के नाते अपने आप को असहाय बताएंगे आंसू बहाने लगेंगे तो देश की जनता का क्या होगा… हमें अखिर कैसा प्रधानमंत्री चाहिए? 56 इंच के सीने के झूठे वादे के साथ चुनाव के दंगल में आप ने बाजी मार ली. मगर हकीकत यह है कि आप एक बहुत ही कमजोर प्रधानमंत्री के रूप में याद किए जाएंगे एक सीधा सा उदाहरण यह है कि संकट आने पर अगर घर का मुखिया आंसू बहाने लगेगा तो घर के दूसरे सदस्यों पर क्या बीतेगी. शायद इसीलिए कहा जाता है कहावत है कि घर के मुखिया को मजबूत होना चाहिए उसे आंसू नहीं बहाना चाहिए . मगर यह एक छोटी सी बात प्रधानमंत्री जी को शायद पता नहीं है.क्योंकि आप के आंसू आपकी कमजोरी भारत देश के इस परिवार को कमजोर बनाने वाली है.

आंसू, प्रधानमंत्री और प्रोटोकॉल!

शायद आने वाले समय में इतिहास में नरेंद्र दामोदरदास मोदी को एक आंसू बहाने वाले प्रधानमंत्री के रूप में याद किया जाएगा. शायद ही देश में कोई ऐसा प्रधानमंत्री हुआ हो जो इस तरह बात बेबात आंसू बहाने लगा हो. अभी तक जाने कितनी बार में अपने आंसू देश की जनता को दिखा चुके हैं और अब शायद आगे इस पर शोध भी होने लगेगा.

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एक महत्वपूर्ण तथ्य हमें नहीं भूलना चाहिए कि एक बैठक में अभी हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रोटोकॉल बताया गया था. याद दिला कर कहा गया था कि प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए! तो क्या देश के प्रधानमंत्री के लिए प्रोटोकॉल का कोई नियम नहीं है, उन्हें भी तो स्वप्रेरणा से इस बात को महसूस करना चाहिए कि वह इस महान देश के एक प्रधानमंत्री हैं और उनका भी कुछ धर्म है, एक प्रोटोकॉल है. छोटी-छोटी बात पर उन्हें आंसू नहीं बहाना चाहिए इसका गलत संदेश देश की जनता में जाता है.

मगर, नरेंद्र दामोदरदास मोदी बारंबार अपने आप जनता की सपोर्ट प्राप्त करने के लिए देश की जनता की संवेदना और प्यार पाने के लिए आंसू बहाने लगते हैं.

जिस तरह एक अभिनेता का व्यवहार होता है आंसू बहाने के दृश्य को जीवंत बना करके तालियां बटोर लेता है, अपने आप को एक अच्छा महान अभिनेता सिद्ध करना चाहता है वैसे ही प्रधानमंत्री मोदी भी बड़ी ही चतुराई के साथ देश की जनता को भ्रमित करना चाहते हैं यही कारण है कि उनके आंसुओं को मगरमच्छ के आंसू जैसा बता करके उनका देश भर में खूब मजाक उड़ा है.

बंदर और मगरमच्छ की कहानी को याद किया है – शायद आपको भी मगरमच्छ और बंदर कहानी याद होगी. मगरमच्छ की पत्नी बंदर का मीठा कलेजा खाना चाहती है क्योंकि जिस पेड़ पर बंदर रहता है और जामुन खाता है तो उसका हृदय कितना मीठा होगा ? और पत्नी के दबाव दबाव में बंदर का कलेजा लेकर मगरमच्छ जब पानी में आगे बढ़ता है और बंदर चतुराई के साथ कहता है मेरा हृदय तो जामुन के पेड़ पर‌ ही रह गया. मगरमच्छ बंदर को वापिस पेड़ पर छोड़ देता है तो बंदर कहता है कि अरे मूर्ख तेरी मेरी दोस्ती आज से खत्म….!

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अब सवाल लाख टके का यह है कि देश की जनता को क्या कोरोंना संक्रमण काल की पीड़ा, त्रासदी से सबक सीखा है या फिर आंसुओं में बह जाती है.

आकांक्षा दुबे और समर सिंह का गाना ‘विस्फोट’ हुआ वायरल, देखें Video

भोजपुरी की ग्लैमरस अदाकारा आकांक्षा दुबे और देसी अभिनेता समर सिंह की जोड़ी की गर्मागर्म केमिस्ट्री का जादू इन दिनों दर्शकों के सिर चढ़कर बोल रहा है. और इसकी मूल वजह है ‘वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स भोजपुरी’’ म्यूजिक कंपनी पर रिलीज किया गया. बोल्ड गाना ‘‘विस्फोट’’ जिसे महज एक दिन में ही एक मिलियन से अधिक बार यूट्यूब पर देखा जा चुका है.

समर सिंह और आकांक्षा दुबे की जोड़ी पहले भी धूम मचाती रही है. लेकिन ‘विस्फोट’गाने के वीडियो में यह जोड़ी कुछ ज्यादा ही धमाल मचा रही है.इस गाने ने नाम के अनुसार ही बड़ा ‘‘विस्फोट‘‘ कर दिया है.

वर्ल्डवाइड रिकॉर्ड्स प्रस्तुत इस विस्फोटक गाने को समर सिंह ने अपनी खास शैली में गाया है, उनके साथ इस गीत को गायिका अंतरा सिंह प्रियंका ने भी गाया है. इस गीत के गीतकार कुंदन प्रीत, संगीतकार
आशीष वर्मा,वीडियो निर्देशक रवि पंडित,नृत्य निर्देशक राहुल यादव व एडिटर दीपक पंडित हैं.

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सभी को पता है कि समर सिंह और आकांक्षा दुबे के ब्लॉकबस्टर गीत ‘‘नमरिया कमरिया में खोंस देब’’ ने 28 मिलियन व्यूज पाने का रिकॉर्ड बनाया है.वहीं एक बार फिर समर सिंह और आकांक्षा दुबे के नए

गाने ‘विस्फोट‘ में दोनों सितारों की केमिस्ट्री लाजवाब नजर आ रही है. दोनों के जानदार नृत्य और बेबाक परफॉर्मेंस ने रोमांटिक गाने को नई बुलंदियों पर पहुंचा दिया है.

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लोगों की राय में हर बार की तरह इस बार भी वर्ल्डवाइड रिकॉर्डस भोजपुरी, समर सिंह और आकांक्षा दुबे की तिकड़ी ने एक बार फिर यूट्यूब पर विस्फोट कर दिया है. आकांक्षा दुबे इस वीडियो में बेहद आकर्षक कॉस्ट्यूम्स में बार्बी गर्ल की तरह लग रही हैं तो  समर सिंह ने अपने देसी लुक को इस वीडियो में भी बरकरार रखा है.

कोरोना काल में अनाथ बच्चों के नाथ बने योगी आदित्यनाथ

लखनऊ . उत्तर प्रदेश के मुखिया योगी आदित्यनाथ महामारी के समय एक ओर प्रदेशवासियों को कोरोना के प्रकोप से बचा रहे हैं तो दूसरी कठिन समय में अपनों के दूर चले जाने से मायूस बच्चों के लिए भी संवेदनशील हैं. कोरोना संक्रमण की चपेट में आए माता – पिता के बच्चे जो

18 साल से कम आयु वर्ग के हैं उनकी सुरक्षा, संरक्षण और पुनर्वास के लिए योगी सरकार प्रतिबद्ध है. कई बार सीएम योगी आदित्यनाथ का वात्सल्य रूप सभी को देखने को मिला है. ऐसे में योगी सरकार जल्द ही प्रदेश में एक नई कार्ययोजना पर काम कर रही है. जिससे सीधे तौर पर प्रदेश के ऐसे बच्चों को राहत मिलेगी जिन्होंने कोरोना काल में अपनों को खो दिया है.

प्रदेश में 555 ऐसे बच्चों को किया गया चिन्हित

महिला कल्याण विभाग के निदेशक मनोज कुमार राय ने बताया की प्रदेश में अब तक ऐसे करीबन 555 बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है. उन्होंने बताया कि महिला कल्याण विभाग ने प्रदेश के सभी जनपदों के डीएम को ऐसे सभी बच्चों की सूची तैयार कर भेजने के आदेश दिए हैं. जिससे ऐसे सभी बच्चों के संबंध में सूचनायें संबंधित विभागों, जिला प्रशासन को पूर्व से प्राप्त सूचनाओं, चाइल्ड लाइन, विशेष किशोर पुलिस इकाई, गैर सरकारी संगठनों, ब्लाॅक तथा ग्राम बाल संरक्षण समितियों, कोविड रोकथाम के लिए विभिन्न स्तरों पर गठित निगरानी समितियों और अन्य बाल संरक्षण हितधारकों के सहयोग व समन्वय किया जा रहा है.

सीएम जल्द देंगे इन बच्चों को बड़ा तोहफा

कोरोना काल में अपने माता पिता को खो चुके बच्चों के भरण पोषण, आर्थिक ,शिक्षा, काउंसलिंग, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी सहायता राज्य सरकार करेगी. ऐसे में एक बड़ी कार्य योजना के तहत सीएम ने महिला एवम बाल विकास को निर्देश जारी किए हैं. महिला कल्याण विभाग की ओर से जिसका प्रस्ताव तैयार कर सीएम योगी आदित्यनाथ को भेजा गया है.

अनीता हसनंदानी ने पति Rohit Reddy को मारा थप्पड़ तो यूजर्स ने दिया ये रिएक्शन, देखें Video

टीवी की मशहूर एक्ट्रेस अनीता हसनंदानी (Anita Hassanandani) इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह आए दिन अपने बेटे आरव और पति रोहित रेड्डी (Rohit Reddy) के साथ वीडियो और फोटोज फैंस के साथ शेयर करती हैं.

हाल ही में एक्ट्रेस ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट किया है, जिसमें वह पति को थप्पड़ मारती हुई नजर आ रही हैं. ये वीडियो सोशल मीडिया खूब वायरल हो रहा है.

दरअसल इस वीडियो में अनीता हसनंदानी पति रोहित रेड्डी के साथ प्रैंक करती हुई दिखाई दे रही हैं. वीडियो में आप देख सकते हैं कि रोहित को चेयर पर बैठे हुए हैं. और अनीता कहती हैं कि मेरे पास एक किसी ना दिखने वाला धागा है और इसे आपके इस कान में डालकर दूसरे कान से निकालूंगी.

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अनीता, रोहित से पूछती हैं कि आपको कुछ महसूस हुआ? रोहित कहते हैं, नहीं… तो ऐसे में रोहित के मना करने के बाद अनीता उनके थप्पड़ लगा देती हैं.

 

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आपको बता दें कि इस वीडियो के कैप्शन में लिखा है कि है, प्लीज इसे घर में ट्राई करें. इसके अलावा उन्होंने ये भी लिखा कि एक ऐसी मैजिक ट्रिक जो हर पत्नि को पसंद आएगी.

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एक्ट्रेस के इस वीडियो को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं. एक यूजर ने कमेंट करते हुए लिखा, मैम आपकी आंखें बहुत प्यारी हैं. तो वहीं दूसरे ने लिखा,  ये वीडियो इतना कूल नहीं था लेकिन आप दोनों की जोड़ी सच में बहुत अच्छी है.

 

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Bhabi Ji Ghar Par Hai: क्या गोरी मेम शो छोड़ रही हैं, जानें पूरा मामला

छोटे पर्दे का मशहूर कमेडी शो लोकप्रिय शो ‘भाभीजी घर पर हैं’ की शूटिंग जल्द ही सूरत में शुरू होने जा रही है.  और ऐसे में खबर ये आ रही है कि गोरी मेम यानी नेहा पेंडसे शो छोड़ रही हैं. तो आइए जानते हैं इस मामले के बारे में.

इस खबर पर खुद नेहा पेंडसे ने अपनी चुप्पी तोड़ी हैं. खबरों के अनुसार एक्ट्रेस ने कहा है कि मैं इस तरह की खबरों से हैरान नहीं हूं. उन्होंने कहा कि मुझे आश्चर्य नहीं है कि इस तरह की अफवाहें चारों ओर फैल रही हैं. यह शायद इसलिए है क्योंकि मैं पिछले कुछ एपिसोड में दिखाई नहीं दे रही थी.

 

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जानकारी के अनुसार नेहा पेंडसे ने बताया कि दरअसल वे एपिसोड पुराने थे और उस दौरान मैं शूटिंग का हिस्सा नहीं थी. जब एपिसोड प्रसारित किए गए, तो कई लोगों ने मुझे यह कहते हुए मैसेज किया कि वे मुझे स्क्रीन पर मिस कर रहे हैं. मुझे उन्हें समझाना पड़ा कि मैं जल्द ही वापस आउंगी. मैं इस किरदार को निभाकर काफी खुश हूं.

 

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रिपोर्ट्स के अनुसार गोरी मेम ने कहा कि शुरू में लोग मेरी तुलना उस एक्ट्रेस (सौम्या टंडन) से करते थे जो मुझसे पहले भूमिका निभा रही थी और इस बारे में मुझे पहले से यकीन था कि ऐसा ही होगा. हालांकि अब लोगों ने मुझे इस भूमिका में अच्छी तरह से स्वीकार किया है और मैं भी इस रोल में अच्छी तरह से बस गई हूं.

कोरोना काल में बिखरते परिवारों को जोड़ेगा राज्य महिला आयोग

लखनऊ. कोरोना महामारी के बीच राज्य महिला आयोग यूपी के विभिन्न जनपदों से आने वाले दहेज उत्पीड़न, घरेलू हिंसा, महिलाओं के साथ छेड़छाड़, दुराचार के मामलों का निस्तारण करा रहा है. कोरोना काल में ही ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिनमें पारिवारिक कलह से टूटते परिवारों को वापास जोड़ने का काम आयोग की सदस्यों ने पूरी संजीदगी के साथ किया है. राज्य महिला आयोग ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पीड़ित महिलाओं की शिकायतों के निस्तारण के लिये ऑनलाइन सेवा की शुरुआत की है. तो पति-पत्नी, बेटा-बहू के बीच रिश्तों में आई कड़वाहट को भी दूर करने का काम निरंतर जारी है.

कोरोना काल में 15 मार्च  से 17 मई  तक राज्य महिला आयोग ने यूपी के विभिन्न जनपदों से आई 6258 शिकायतों पर सुनवाई की है. इनमें से 3204 महिलाओं को न्याय दिलाया जा चुका है. जबकि 3054 शिकायतों पर कार्रवाई कर जल्द निस्तारित करने में आयोग के सदस्य जुटे हैं. इसके अलावा लखनऊ और अन्य जिलों से सदस्यों के मोबाइल पर आने वाली शिकायतों का रोज संज्ञान लिया जा रहा है. जिन जिलों से शिकायतें आयोग की सदस्यों के पास आ रही हैं वहां के संबंधित अधिकारियों से बात कर मामलों का निस्तारित कराया जा रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग की सदस्य सुनीता बंसल बताती हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों पर कोरोना काल में यूपी में पीड़ित महिलाओं को न्याय मिल रहा है. आयोग की सभी 25 सदस्य इस काम में दिन- रात जुटीं हैं. गौरतलब है कि योगी सरकार महिलाओं की सुरक्षा और उन्हें समाज में बराबरी का दर्ज दिलाने के लिए विभिन्न योजनाएं चला रही है. इनसे निरंतर पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना संभव हुआ है.

यूपी में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में आ रही कमी

कोरोना महामारी के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर उत्तर प्रदेश की महिलाओं को घर बैठे न्याय दिलाने की पहल राज्य महिला आयोग ने की है. पीड़ित महिलाओं को मिल रहे न्याय के कारण उनपर होने वाले अपराधों की संख्या काफी घटी है. महिला आयोग की अध्यक्ष और सदस्य जमीनी स्तर पर ठोस कार्ययोजना बनाकर महिलाओं को सशक्त बनाने में जुटी हैं.

पीड़ित महिलाएं व्हाट्सएप नम्बर 6306511708 पर भेज रही शिकायतें

प्रदेश के 75 जिलों में महिला आयोग की ओर से व्हाट्सएप नम्बर 6306511708 जारी किया गया है. उत्पीड़न की शिकार महिलाएं इसपर अपनी शिकायतें भेज रहीं है. अध्यक्ष और सदस्य अपने निजी ई-मेल पर भी शिकायत पत्र मंगा रहे हैं. जिससे पीड़ित महिलाओं की सुनवाई और शिकायतों का जल्द से जल्द निस्तारण किया जा सके.

न्याय के साथ बीमार महिलाओं को इलाज दिलाने में भी आयोग की सदस्य आगे

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकता प्रदेश की महिलाओं को सशक्त बनाना और अपराधों पर अंकुश लगाना है. उन्होंने राज्य महिला आयोग को अपनी भूमिका बढ़ाते हुए महिलाओं को अपने अधिकारों व सुरक्षा के बारे में जागरूक करने के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर टीम बनाकर काम करने के निर्देश दिये हैं . कोरोना काल में पीड़ित महिलाओं को न्याय ही नहीं, बीमार महिलाओं को अस्पतालों में भर्ती कराने के लेकर उनको इलाज दिलाने की मदद भी आयोग की महिला सदस्यों की ओर से किया जा रहा है.

Best of Crime Stories: शादी जो बनी बर्बादी- भाग 3

करीब 3 सालों तक दोनों की दोस्ती इसी तरह चलती रही. बाद में यह दोस्ती प्यार में बदल गई. उन्हें लगने लगा कि दोनों एकदूसरे के लिए ही बने हैं.

वे अपने प्यार को एक नाम देना चाहते थे. उन्होंने विवाह करने का फैसला कर लिया. लेकिन यह निर्णय उन के लिए आसान नहीं था. खासकर प्रतीक्षा के लिए.

धार्मिक प्रवृत्ति के थे प्रतीक्षा के घर वाले

क्योंकि वह यह अच्छी तरह जानती थी कि उस का परिवार धर्म, रीतिरिवाज में बहुत ज्यादा विश्वास रखता है. उस के घर वाले उसे इस बात की इजाजत नहीं देंगे. यह बात उस ने राहुल को बताई. राहुल ने उसे समझाया कि यह सब गुजरे जमाने की बातें हैं. अब वक्त  के अनुसार सभी को बदल जाना चाहिए. यह बात प्रतीक्षा की समझ में आ गई और 10 अक्तूबर, 2013 को श्रीदेव महाराज यशोदानगर की सामाजिक संस्था के सहयोग से उस ने राहुल से शादी कर ली और नोटरी से इस का प्रमाणपत्र भी हासिल कर लिया.

विवाह के बाद राहुल भड़ ने सिविल इंजीनियरिंग की डिग्री ले कर नागपुर में अपना ठेकेदारी का काम शुरू किया और प्रतीक्षा ने एमएससी की पढ़ाई पूरी कर ली. इस बीच समय निकाल कर दोनों मिलते भी रहे. लेकिन दोनों का यह सिलसिला अधिक दिनों नहीं चला. काफी सावधानियां बरतने के बावजूद भी उन का राज राज नहीं रहा.

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प्रतीक्षा के परिवार वालों को जब इस बात की खबर हुई तो उन के पैरों के नीचे की जैसे जमीन खिसक गई. उन्हें अपनी बेटी प्रतीक्षा से इस की आशा नहीं थी. उन्हें मानसम्मान, मर्यादा समाज के बीच सब खत्म होता नजर आया.

वह उस का विवाह अपने समाज के युवक से कराना चाहते थे, लेकिन वह सब उन के लाड़प्यार की आंधी में तिनके की तरह उउ़ता हुआ दिखाई दिया. मामला काफी नाजुक और संवेदनशील था. प्रतीक्षा के पिता तथा मामा ने उसे अच्छी तरह समझाया और कहा कि उस की और राहुल की कुंडली में दोष है, इसलिए उस का राहुल से मिलना ठीक नहीं है.

शादी कर के भी राहुल से कर लिया किनारा

प्रतीक्षा ने अपने घर वालों की बात मान ली और उस ने राहुल से मिलनाजुलना और बातचीत करना बंद कर दिया. प्रतीक्षा को अपने उठाए गए कदम पर आत्मग्लानि महसूस हुई. इस बात की खबर जब राहुल को हुई तो उसे प्रतीक्षा के परिवार वालों पर बहुत गुस्सा आया.

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एक दिन वह प्रतीक्षा के घर पहुंच गया और उसे साथ चलने के लिए कहने लगा. परिवार वालों ने विरोध किया तो उस ने उन्हें अपनी और प्रतीक्षा की शादी का प्रमाणपत्र दिखाते हुए कहा, ‘‘मैं ने प्रतीक्षा से विवाह किया है. इसे अपने साथ ले जाने के लिए मुझे कोई नहीं रोक सकता.’’

परिवार वालों ने जब राहुल की इन बातों का विरोध किया तो राहुल प्रतीक्षा और उस के परिवार वालों को धमकी देते हुए अपने शादी के प्रमाणपत्र को सोशल मीडिया पर डालने की धमकी दी. उस ने ऐसा कर भी दिया. इस से प्रतीक्षा और उस के घर वालों की बड़ी बदनामी हुई. प्रतीक्षा के पिता मुरलीधर ने थाने में राहुल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी. यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है.

प्रतीक्षा के परिवार वालों के इस व्यवहार से राहुल और चिढ़ गया. अब राहुल उन्हें तरहतरह से परेशान करने के साथ धमकियां देने लगा. उस की धमकियों से परेशान हो कर मुरलीधर फ्रेजरपुरा पुलिस थाने में उस के खिलाफ 4 और गाड़गेनगर थाने में एक शिकायत दर्ज करवा दी. लेकिन राहुल के ऊपर इस का प्रभाव नहीं पड़ा, बल्कि उस के हौंसले और बढ़ गए.

उस ने प्रतीक्षा का बाहर आनाजाना मुश्किल कर दिया था. वह बारबार उसे धमकी देता था कि अगर वह उस की नहीं हो सकी तो किसी और की भी नहीं होगी. उस की इन धमकियों और किसी अनहोनी के भय से उन्होंने थाना राजापेठ में भी 22 नवंबर, 2017 को उस की शिकायत दर्ज करवा दी.

थाना राजापेठ पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राहुल भड़ के खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली. राजापेठ पुलिस उस पर कोई सख्त काररवाई करती, उस के पहले ही राहुल ने प्रतीक्षा के प्रति एक खतरनाक फैसला ले लिया और उसे दिनदहाड़े शहर के बीच मौत के घाट उतार दिया.

पश्चाताप में करनी चाही आत्महत्या

हुआ यह था कि अपने खिलाफ गाड़गेनगर और राजापेठ पुलिस थाने में शिकायत दर्ज होने की खबर पा कर वह बौखला उठा था. उसे इस बात का अहसास हो गया था कि अब बात नहीं बनेगी और न ही उसे प्रतीक्षा मिलेगी. उस ने तय कर लिया कि वह एक बार और प्रतीक्षा की राय जानेगा. यही सोच कर वह नागपुर से अमरावती पहुंच गया और प्रतीक्षा के बारे में रेकी करने लगा कि वह किस समय कहां जाती है और उस के साथ कौन जाता है.

उसे पता चला कि गुरुवार को वह साईंबाबा के मंदिर जरूर जाती है, इसलिए उस ने उस दिन योजना को अंजाम देने का फैसला कर लिया. 23 नवंबर, 2017 को सुबह 10 बजे के करीब प्रतीक्षा अपनी सहेली श्रेया के साथ साईं दर्शन कर के घर लौट रही थी, तभी उस ने रास्ता रोक लिया. जब प्रतीक्षा ने उस के साथ जाने से मना किया तो राहुल ने चाकू से गोद कर प्रतीक्षा की हत्या कर दी.

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प्रतीक्षा की हत्या करने के बाद वह अपनी स्कूटी से बड़नेरा पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले रेलवे स्टेशन गया. वहां वह अपनी स्कूटी पार्किंग में खड़ी कर के नागपुर जाने वाली ट्रेन का टिकट लिया.

वह ट्रेन के आने का इंतजार करने लगा. लेकिन यहां उसे पुलिस का खतरा अधिक लग रहा था, इसलिए वह स्टेशन से बाहर आया और अपनी स्कूटी से सीधे यवतमाल के मुर्तिजापुर रेलवे स्टेशन पहुंचा और ट्रेन का इंतजार करने लगा.

ट्रेन का इंतजार करते हुए उसे अपने अपराध का आभास और आत्मग्लानि हुई. उसे लगा कि जब उस की प्रेमिका ही नहीं रही तो उस का भी जीना बेकार है. यह सोच कर वह स्टेशन से बाहर आया और एक दवा की दुकान से कीटनाशक खरीद लाया. फिर उस दवा को पी कर स्टेशन के एक कोने में जा कर अपनी मौत की प्रतीक्षा करने लगा. इस के पहले कि उसे मौत दबोच पाती, उसे खोजती पुलिस वहां पहुंच गई.

राहुल भड़ ने अपना गुनाह स्वीकार कर लिया था. पूछताछ करने के बाद इंसपेक्टर दुर्गेश तिवारी ने उस के खिलाफ मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

इस मामले की जांच पूरी होने के बाद अमरावती पुलिस कमिश्नर दत्तात्रय मंडलिक ने तत्काल प्रभाव से फ्रेजरपुरा पुलिस थाने के इंसपेक्टर राहुल अठावले, कांस्टेबल गौतम धुरंदर, ईशा खाड़े को निलंबित कर दिया. बाकी उन अधिकारियों के विरुद्ध जांच बैठा दी, जिन्होंने समय रहते काररवाई नहीं की थी.

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इस मामले में गृहराज्यमंत्री रणजीत सिंह पाटिल ने मृतक के परिवार वालों से मिल कर उन्हें सांत्वना देते हुए दोषियों के खिलाफ कठोर काररवाई का भरोसा दिया.

कोरोना में आईपीएल तमाशे का क्या काम

जब भारत में कोरोना की दूसरी लहर जोर मार रही थी, तब सब के खासकर क्रिकेट प्रेमियों के दिमाग में यही बात चल रही थी कि इस बार का इंडियन प्रीमियर लीग का आयोजन होगा या नहीं? स्टेडियम दर्शकों से भरेंगे या खाली कुरसियों पर सिर्फ परिंदे पर मारते नजर आएंगे?

पर चुनावी रैलियों की तरह यह ‘किरकिटिया तमाशा’ कैसे बंद किया  जा सकता था… वही हुआ भी. लेकिन जैसेजैसे कोरोना की तबाही सुनामी में बदलती दिखी, उस का असर आईपीएल पर भी साफ नजर आया.

आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी एंड्रयू टाय के बाद उन्हीं के हमवतन एडम जांपा और केन रिचर्डसन भी आईपीएल को बीच में ही छोड़ कर आस्ट्रेलिया वापस चले गए.

इस से पहले भारतीय फिरकी गेंदबाज रविचंद्रन अश्विन ने भी यह कहते हुए टूर्नामैंट बीच में छोड़ दिया कि वे अपने परिवार की मदद करने के लिए आईपीएल से ब्रेक ले रहे हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर बताया, ‘मेरा परिवार और रिश्तेदार कोविड 19 से जंग लड़ रहे हैं और मैं ऐसे मुश्किल समय में उन का साथ देना चाहता हूं… अगर सबकुछ सही रहा, तो मैं जल्द ही खेल के मैदान में लौट सकूंगा.’

इसी तरह से राजस्थान रौयल्स टीम के लिए खेलने वाले एंड्रयू टाय सिडनी लौट गए. उन्होंने इस के लिए ‘बायोबबल में रहने के चलते पैदा हुए तनाव’ और ‘आस्ट्रेलिया की सीमा बंद होने की चिंताओं’ को वजह बताया.

34 साल के एंड्रयू टाय मुंबई से दोहा होते हुए आस्ट्रेलिया पहुंचे. उन्होंने बताया, ‘जब लोगों को पता चला कि मैं वापस जा रहा हूं, तो कई लोगों ने मु झ से बात की. कई लोग तो यह भी जानना चाहते थे कि मैं किस रूट से वापसी कर रहा हूं.’

खिलाड़ी तो खिलाड़ी अंपायरों में भी कोरोना का खौफ दिखा. नतीजतन, अंपायर नितिन मैनन और पौल रीफेल भी आईपीएल से हट गए. बताया जा रहा है कि इंदौर के रहने वाले नितिन मैनन की पत्नी और मां कोरोना संक्रमित हो गई हैं. ऐसे में उन्होंने आईपीएल के बायोबबल से बाहर निकलने का फैसला किया.

इसी तरह पौल रीफेल ने भारत में कोविड 19 के ज्यादा बढ़ते मामलों और आस्ट्रेलिया के द्वारा यात्रा प्रतिबंध  को देखते हुए आईपीएल से हटने का फैसला किया.

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यह वह दौर है, जब देश में दूसरे खेलों का होना पूरी तरह से बंद है. हकीकत तो यह है कि छोटेमोटे खेल संघों के पास इतना बजट नहीं है कि वे अपने खिलाडि़यों और दूसरे लोगों के लिए बायोबबल बना सकें.

इस के उलट बीसीसीआई दुनिया का सब से अमीर बोर्ड है. इस वजह से वह आईपीएल का आयोजन कर पा रहा है. पर सवाल उठता है कि क्या इस समय ऐसा आयोजन कराना जरूरी है, जब देश कोरोना के चलते तबाही के कगार पर खड़ा है?

सब से बड़ी बात तो यह है कि आईपीएल क्रिकेट का कोई ऐसा आयोजन नहीं है, जिस का रिकौर्ड खिलाडि़यों के किसी काम का हो. यहां तो उन की नीलामी लगती है और कई महाअमीरों ने अपनीअपनी टीमें बना रखी हैं और उन्हें आपस में भिड़ा दिया जाता है.

चूंकि उन टीमों में तकरीबन हर देश के खिलाड़ी होते हैं, जिन्हें अच्छाखासा पैसा मिलता है, इसलिए वे जनता को खुश करने और अगले साल लगने वाली नीलामी में अपने दाम बढ़वाने की खातिर अच्छा खेलते हैं. क्रिकेट प्रेमियों को भी 3 घंटे का मनोरंजन मिल जाता है, इसलिए वे भी टैलीविजन से चिपके रहते हैं. स्टेडियम में तो जा नहीं सकते न.

पर जब से क्रिकेट के नाम पर यह ट्वैंटी20 का मसाला तैयार किया गया है, तब से सट्टेबाजों और जुआ खेलने वालों की भी पौबारह हो गई है. अब तो ऐसे गेमिंग एप आ गए हैं, जिन में अपनी क्रिकेट की टीम बनाओ और पैसा जीतो.

बड़ेबड़े खिलाड़ी उन गेमिंग एप के इश्तिहारों में दिखाई देते हैं और लोगों को खेलने और पैसा जीतने के लिए उकसाते हैं. हालांकि बाद में उस एप के जोखिम इश्तिहार में बता दिए जाते हैं, पर उन की परवाह करता कौन है.

हालांकि सट्टेबाजी दूसरी बीमारी है आईपीएल को ले कर. अगर एक राज्य से ही सम झें, तो उत्तर प्रदेश के कई जिलों में आईपीएल मैच शुरू होते ही सटाकिंग का औनलाइन खेल शुरू हो जाता है. सट्टे का यह खेल तब तक चलता है, जब तक मैच खत्म नहीं हो जाता है. इस बीच जो लोग सट्टा खेल कर हार जाते हैं, उन को बड़ा माली नुकसान हो चुका होता है.

उदयपुर, राजस्थान में आईपीएल क्रिकेट सीजन में सट्टा कारोबार चलाने वाले एक गिरोह के सदस्यों को पुलिस ने 27 अप्रैल की रात को गिरफ्तार किया था. यह गिरोह उदयपुर के मीरा नगर में बने एक कौंप्लैक्स से सट्टा कारोबार चला रहा था.

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इन आरोपियों के कब्जे से तकरीबन 8 करोड़ रुपए का हिसाब, 40 मोबाइल फोन, लैपटौप, पेटी मशीन और काफी उपकरण बरामद किए थे. आरोपी उदयपुर में बैठ कर मंदसौर, नीमच, रतलाम, इंदौर जैसी कई जगहों के लोगों से सट्टे पर दांव लगवा रहे थे.

लिहाजा, आईपीएल का यह मायावी खेल वह धीमा नशा है, जो बहुतों को अपनी चपेट में ले चुका है. जब खिलाड़ी पैसा कमाने वाले लोगों के बारे में बताते हैं कि फलां आदमी ने इस गेमिंग एप से कुछ समय में ही लाखों रुपए कमा लिए हैं, तो सवाल उठता है कि जो समाज जुआरियों को इज्जत दे रहा है, क्या वह तरक्की कर सकता है? बिलकुल नहीं. द्य

फिलहाल टल गया आईपीएल

जिस बात का डर था वही हुआ. आईपीएल का आयोजन कराने वाले इसे बड़ा सेफ मान रहे थे और बोल रहे थे कि कोरोना का इस पर कोई बुरा असर नहीं पड़ेगा, पर बायोबबल में कोरोना वायरस की ऐंट्री के बाद इस लीग को फिलहाल स्थगित कर दिया गया है. अब यह दोबारा कब होगा, कहां होगा, होगा भी या नहीं, इस बारे में बीसीसीआई ने कुछ संकेत दिए हैं कि आईपीएल के बाकी बचे मैचों का आयोजन ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप से पहले भारत में ही हो सकता है.

याद रहे कि कि आईपीएल, 2021 में कुछ खिलाडि़यों के कोरोना पौजिटिव पाए जाने के बाद आईपीएल के बाकी मैच रोक दिए गए हैं. पर अब लगता है कि इस साल सिंतबरअक्तूबर में ही भारत में ट्वैंटी20 वर्ल्ड कप का आयोजन होना है. उस समय सभी विदेशी टीमें भारत में ही होंगी. अगर सितंबर में बीसीसीआई को मौका मिल जाता है, तो आईपीएल का आयोजन तब मुमकिन हो सकता है.

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भविष्य में क्या होगा, यह तो कह नहीं सकते, पर अभी देश में जो हालात हैं, वे कोरोना महामारी का विकराल रूप दिखा रहे हैं. खिलाडि़यों को भी इस बीमारी से बच कर रहना चाहिए और बहुत से विदेशी खिलाड़ी तो अपने परिवार की खातिर बीच में ही आईपीएल छोड़ कर चले गए थे. जो खिलाड़ी बायोबबल तकनीक के बावजूद कोरोना की चपेट में आ गए हैं, उन का ध्यान रखना बीसीसीआई की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए.

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