GHKKPM: पाखी को चौहान हाउस से नहीं जाने देगा विराट तो टूटेगा सई का दिल

नील भट्ट, ऐश्वर्या शर्मा और आयशा सिंह स्टारर सीरियल  ‘गुम है किसी के प्यार में’ (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) में नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. अब तक आपने देखा कि पाखी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रही है.

वह विराट की नजरों में सई को गिराने के लिए हर तरह की कोशिश कर रही है, जिससे दोनों का रिश्ता टूट जाए और सई विराट की जिंदगी से चली जाए. शो के नए एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं, शो के लेटेस्ट एपिसोड के बारे में.

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सई और अंजिक्य को एक कमरे में देखकर विराट का टूट जाता है दिल

 

शो में दिखाया जा रहा है कि पाखी ने सई और अंजिक्य की दोस्ती का इस्तेमाल करके विराट को भड़काने की कोशिश कर रही है. तो वहीं सई और अंजिक्य को एक कमरे में देखकर विराट का दिल टूट जाता है और सई से उसका भरोसा भी उठने लगा है.

 सई विराट के बदले स्वभाव को देखकर हो जाती है परेशान

 

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तो दूसरी तरफ सई भी विराट के बदले स्वभाव को देखकर परेशान हो जाती है. सई सोचती है कि आखिर विराट अंजिक्य से इतना जलता क्यों है.

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शो के अपकमिंग एपिसोड में ये दिखाया जाएगा कि चौहान परिवार का एक-एक सदस्य सई को प्यार और सम्मान देगा. तो उधर पाखी का दिल टूट जाएगा और वह चौहान हाउस छोड़ने का फैसला करेगी. पाखी किसी को बिना बताए घर छोड़कर जाएगी तभी लेकिन विराट उसे रोक लेगा.

 

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विराट पाखी से कहेगा कि वह उसे घर छोड़कर जाने नहीं देगा क्योंकि जब उसका भाई घर लौटेगा तो उसे ही जवाब देना होगा. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि पाखी क्या विराट के कहने से पाखी रुक जाएगी या फिर कोई नई बखेड़ा खड़ा करेगी.

राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद Shilpa Shetty ने बयां किया अपना दर्द, पढ़ें खबर

बॉलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी (Shilpa Shetty) के पति राज कुंद्रा को पोर्न फिल्में बनाने के मामले में मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है. राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद सोशल मिडिया पर सनसनी मच गई है. लोग शिल्पा शेट्टी को ट्रोल भी कर रहे हैं तो इस मामले को लेकर कई मिम्स भी वायरल हो रहा है. इसी बीच शिल्पा शेट्टी ने चुप्पी तोड़ी है.

दरअसल एक्ट्रेस ने पति की गिरफ्तारी के बाद पहला पोस्ट सोशल मीडिया पर शेयर किया है. इस पोस्ट के जरिये उन्होंने अपने दिल का हाल बयां किया है.

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शिल्पा शेट्टी ने  शेयर किया ये पोस्ट

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शिल्पा शेट्टी ने इंस्टाग्राम पर एक किताब की तस्वीर शेयर की है इसमें लिखा है कि कभी भी गुस्से में मुड़कर पीछे मत देखो या डर की वजह से आगे मत देखो, जागरूक रहो.

 

इस पोस्ट में आगे लिखा है कि हम गुस्से में पीछे मुड़कर देखते हैं उन लोगों को जो हमें चोट पहुंचा चुके हैं. जो निराशाएं हमने महसूस की है, दुर्भाग्य हमने सहा है. हमें हमेशा डर रहता है कि कहीं अपनी नौकरी ना खो दे. कहीं कोई बीमारी ना हो जाए.

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इस पोस्ट में ये भी लिखा है कि मैं एक गहरी सांस लेता हूं ये जानकर कि मैं जिंदा हूं और भाग्यशाली हूं. पहले भी मैंने कई चुनौतियों का सामना किया है और आगे भी इन चुनौतियों का सामना करना होगा. मुझे जिंदगी जीने से कोई नहीं भटका  सकता.

 

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राज कुंद्रा पुलिस पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं. वह अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार कर रहे हैं. लेकिन पुलिस का ये भी कहना है कि उनके पास राज कुंद्रा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं.

करण कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद खबर आई थी कि सुपर डांसर 4  से शिल्पा शेट्टी की छुट्टी हो चुकी है. नए जज के रूप में करिश्मा कपूर का नाम सामने आया है.

Satyakatha- खुद बेच डाला अपना चिराग

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

मांकी ममता ही ऐसी होती है कि वह अपने नवजात को अकसर सीने से लगाए रहती है. और तो और रात को जब वह सो जाती है तो बगल में सोए अपने बच्चे को बारबार छू कर देखती है कि कहीं उस के कपड़े गीले तो नहीं हो गए. पूजा देवी भी अपने 6 दिन के नवजात की इसी तरह देखभाल कर रही थी.

15 जून, 2021 की रात के करीब 11 बज रहे थे. पूजा नींद में ही टटोल कर यह देख रही थी कि कहीं उस के बच्चे ने सूसू तो नहीं कर दी. कमरे की लाइट बंद थी, इसलिए जब उस ने अपनी बाईं ओर हाथ बढ़ाया तो उस का हाथ सीधा सीमेंट के फर्श पर पड़ा. पूजा ने सोचा कि शायद वह बच्चे को गलत जगह देख रही है. उस ने उसी समय अपने दाईं ओर हाथ बढ़ाया तो उस का बच्चा उधर भी नहीं था.

पूजा की नींद अब भाग चुकी थी. वह उठ कर बैठ गई. उस ने इधरउधर देखा लेकिन उसे उस का बच्चा नहीं मिला तो वह घबरा गई. तभी उस ने पास में लेटे पति गोविंद को भी जगा दिया.

पूजा ने फटाफट उठ कर कमरे की लाइट जलाई. कमरे में रोशनी होने के बाद पूजा को अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हुआ. क्योंकि उस का बच्चा कमरे में नहीं था. बच्चा गायब होने पर गोविंद भी घबरा गया.

पूजा ने डबडबाई आंखों से अपने पति गोविंद की ओर देखा और बिना कुछ देखे कमरे से बाहर निकलते हुए जोरजोर से मुन्ना…मुन्ना चीखती हुई निकल गई. देखते ही देखते उस मकान में रहने वाले अन्य किराएदार जो अपनेअपने कमरों में आराम कर रहे थे, बाहर निकल आए और सब गोविंद से पूछने लगे, ‘‘क्या हुआ है?’’

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पूजा ने रोते हुए और जोर से चीखते हुए सब को बताया कि उस का मुन्ना नहीं मिल रहा है. किराएदार गोविंद और पूजा की बढ़ती बेचैनी को कम करने के लिए खुद उन के साथ सब के कमरों में घुसघुस कर चेक करने लगे. कुछ देर में हर किसी का कमरा खंगालने के बाद जब मुन्ना नहीं मिला तो पूजा फूटफूट कर रोने लगी और उस का नाम ले कर जोरजोर से चीखनेचिल्लाने लगी. गोविंद भी अपनी पत्नी का सिर अपने कंधे पर रख कर रोने लगा.

कुछ ही देर में यह बात आया नगर की पूरी गली में फैल गई कि पूजा का 6 दिन का बच्चा चोरी हो गया है. गोविंद और पूजा की यह हालत देख कर किसी ने उन्हें सुझाया कि उन्हें जल्द ही पुलिस को इस बारे में बताना चाहिए.

गोविंद ने उन की बात मानते हुए तुरंत 100 नंबर पर फोन कर पुलिस को इस बारे में बताया. कुछ देर में पुलिस आया नगर में स्थित गोविंद के कमरे पर पहुंच गई. जिस के बाद गोविंद और पूजा ने पुलिस को पूरा घटनाक्रम बताया.
दक्षिणी दिल्ली में स्थित आया नगर फतेहपुर बेरी थाने के अंतर्गत आता है. इसलिए मामला थाने में दर्ज हो गया और पुलिस इस के बाद मामले की जांच में जुट गई.

बिहार के मुजफ्फरपुर के रहने वाले गोविंद कुमार को दिल्ली में आए बहुत ज्यादा समय नहीं हुआ था. वह 2014 में ही दिल्ली में आया था और मजदूरी करता था. जब जहां पर, जैसा भी काम मिल जाए, उसी के आसपास किराए पर कमरा ले कर रहने लगता था.

गोविंद की शादी 2017 में हुई थी. शादी के साल भर बाद वह अपनी पत्नी पूजा को अपने साथ दिल्ली ले आया था. उन का एक ढाई साल का बेटा
भी था.

गोविंद एक दिहाड़ी मजदूर था. जिस से उस के घर में हमेशा पैसों की किल्लत रहती थी. ऊपर से बीते साल कोरोना की वजह से लगे लौकडाउन ने तो उस के परिवार की मानो कमर ही तोड़ दी थी.

जब लौकडाउन लगा था, उस समय गोविंद और उस का परिवार दिल्ली से सटे हरियाणा के सिकंदरपुर में एक किराए के कमरे में फंस गया था. उस की आर्थिक हालत उन दिनों बेहद खराब हो गई थी.

इस से पहले उस की पत्नी पूजा उसे कई बार गांव में ही बस जाने के लिए कहा करती थी. लेकिन गोविंद पूजा की बात को नकार देता था और कहता था कि अगर गांव चले जाएंगे तो थोड़ाबहुत जितना भी पैसा यहां अपने बच्चे के लिए बचा पा रहे हैं, वह भी नहीं बचा पाएंगे. यह सुन कर पूजा पति को कुछ कह नहीं पाती थी, क्योंकि गोविंद की इस बात में कहीं न कहीं सच्चाई थी.

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मुजफ्फरपुर में गोविंद के गांव में भी उस की संपत्ति बहुत अधिक नहीं थी. खेती लायक जितनी जमीन थी, उस पर गोविंद के बड़े और छोटे भाई मिल कर खेती करते थे.

इधर गोविंद और पूजा के 6 दिन के बच्चे को ढूंढने की जिम्मेदारी थानाप्रभारी कुलदीप सिंह ने एएसआई बरमेश्वर को सौंप दी. एएसआई बरमेश्वर ने अपनी शुरुआती जांच में पाया कि जिस दिन गोविंद और पूजा ने अपने बच्चे के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी, ठीक उसी दिन गोविंद और उस का परिवार दिल्ली के आया नगर में शिफ्ट हुआ था.

इस बिंदु को ध्यान में रखते हुए पुलिस टीम ने गोविंद से पूछा कि कहीं उस की किसी से दुश्मनी तो नहीं है या फिर इस अपहरण के पीछे उसे किसी पर शक तो नहीं.

गोविंद ने पुलिस के इस सवाल का जवाब थोड़े नाटकीय अंदाज में घुमाफिरा कर दिया. उस ने कहा, ‘‘साहब, हम तो इस मकान में आज ही रहने के लिए आए थे. इस के पहले हम सिकंदरपुर में किराए पर रहते थे तो मेरे दोस्त हरिपाल सिंह ने मेरे परिवार को अपने घर चले आने के लिए कहा. क्योंकि पहले जहां रहते थे, वहां जगह बहुत छोटी थी. मुश्किल से हम 4 लोग जमीन पर सो पाते थे.’’
‘‘साहब, मुझे लगता है कि हरिपाल ने ही हमारे बच्चे का अपहरण किया है.’’ पूजा ने रोते हुए गोविंद की बात बीच में काटते हुए कहा. इस के बाद पुलिस टीम ने अन्य किराएदारों से हरिपाल सिंह के बारे में पूछताछ की.

हरिपाल सिंह हरियाणा के गुड़गांव में प्लंबर का ठेकेदार था और वह गोविंद को जानता था. दरअसल, हरिपाल गोविंद को दिहाड़ी मजदूरी के लिए अकसर बुला लिया करता था. पिछले 4-5 सालों से हरिपाल और गोविंद एकदूसरे को जानते थे और इस बीच वे दोस्त भी बन गए थे.

जब पूजा ने हरिपाल पर शक होने की बात कही तो पुलिस ने सब से पहले मकान मालिक हरिपाल को ढूंढने के लिए अपने सभी मुखबिरों को अलर्ट कर दिया. इस के बाद हरिपाल के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज इकट्ठी की गई और उन्हें एकएक कर बारीकी से देखा गया.

थाने में टैक्निकल टीम और अन्य जांच टीम की मदद से पुलिस ने यह पता लगा लिया कि हरिपाल आया नगर के ई-ब्लौक में कहीं मौजूद है.

यह सूचना मिलने के बाद थानाप्रभारी कुलदीप सिंह के नेतृत्व में पुलिस टीम ने आया नगर के ई-ब्लौक में, जिस मकान में हरिपाल के मौजूद होने का शक था, वहां एकाएक रेड डाली. हरिपाल सिंह उसी मकान में मिल गया. उसे हिरासत में ले कर टीम थाने लौट आई.

थाने में उस से बच्चे के बारे में पूछा. जिस के जवाब में हरिपाल ने कुछ ऐसा कहा, जिस के बारे में पुलिस ने बिलकुल भी नहीं सोचा था. हरिपाल ने डरते हुए पुलिस को बताया, ‘‘साहब, जिस बच्चे के अपहरण की बात आप लोग कर रहे हैं, उस का अपहरण नहीं हुआ. बल्कि गोविंद और पूजा की मंजूरी से ही उसे बेचा गया है.’’

यह सुनते ही पुलिस भी चौंक गई कि क्या कोई मांबाप अपना बच्चा बेच भी सकते हैं. गोविंद और पूजा से पूछताछ करने से पहले पुलिस कीपहली प्राथमिकता बच्चे को सहीसलामत बरामद करने की थी.

इसलिए पुलिस ने हरिपाल से पूछताछ जारी रखी. हरिपाल ने बताया, ‘‘साहब, बच्चा मांबाप की सहमति से ही खरीदने वाले दंपति को दिया गया है, जिस के लिए गोविंद और पूजा को 3 लाख 60 हजार रुपए दिए गए थे.’’

उस ने पुलिस को सच बताते हुए अपने दोस्त रमन यादव का नाम बताया, जिस के रिश्तेदार बच्चा खरीदने वाले विद्यानंद यादव और रामपरी देवी हैं. पुलिस ने हरिपाल से रमन यादव के बारे में तफ्तीश की और दिल्ली के संजय कैंप, मोती बाग के रहने वाले रमन को उस के घर से गिरफ्तार कर लिया.

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बच्चा खरीदने वाले दंपति विद्यानंद यादव (50) और रामपरी देवी (45) बिहार के मधुबनी जिले के इनरवा गांव के रहने वाले थे. विद्यानंद और रामपरी को शादी के कई सालों बाद भी जब कोई बच्चा नहीं हुआ तो समाज में उन्हें हेयदृष्टि से देखा जाने लगा था.

पुलिस ने जब रमन यादव को गिरफ्तार कर उस से पूछताछ की तो उस ने कहा, ‘‘साहब, विद्यानंद मेरा साढ़ू है और वह 50 साल का हो चुका है लेकिन उस की खुद की कोई औलाद नहीं है. गांव के लोग मेरे साढ़ू के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते हैं.

‘‘आसपास के किसी बच्चे के साथ जब कोई घटना हो जाती है या जब बच्चे खेलतेखेलते गिर जाते हैं और चोट लग जाती है तो लोग उस का इलजाम भी विद्यानंद और उस की पत्नी रामपरी पर लगाते हैं. लोग कहते हैं कि उन की बुरी नजर की वजह से गांव में बच्चों के साथ दुर्घटना होती है.

‘‘इतना ही नहीं गांव वाले यह तक कहते हैं कि विद्यानंद और उस की पत्नी गांव में बच्चों को बुरी नजर से देखते हैं. यहां तक कि कई लोग उस से अनायास ही झगड़ा करते हैं. यह सब मुझ से देखा नहीं जाता था.’’

पुलिस ने रमन यादव से पूछा कि अभी इस समय बच्चा कहां हैं तो रमन ने बताया, ‘‘विद्यानंद और रामपरी बच्चे को अपने साथ ले कर गांव के लिए रवाना हो गए हैं. रात को आनंद विहार रेलवे स्टेशन से मधुबनी के लिए निकल चुके हैं.’’

पुलिस की टीम ने जल्द ही बच्चे को सहीसलामत ढूंढने के लिए आनंद विहार से मधुबनी जाने वाली ट्रेन का पता लगाया और ट्रेन की लाइव लोकेशन का पता कर आगे की काररवाई तेजी से की.

पता चला कि ट्रेन कानपुर पहुंचने वाली है. देरी न करते हुए पुलिस की टीम ने रेलवे अधिकारियों से पैसेंजर की लिस्ट मंगवा कर कानपुर सेंट्रल के नजदीकी पुलिस थाने हरबंस मोहाल के थानाप्रभारी सत्यदेव शर्मा को मामले के बारे में सारी जानकारी दी.

सत्यदेव शर्मा ने तत्परता दिखाते हुए कानपुर रेलवे स्टेशन जा कर बताई गई ट्रेन के कोच और सीट नंबर पहुंच गए. एक बुजुर्ग दंपति उस ट्रेन में एसी डिब्बे में सफर कर रहे थे और रामपरी बच्चे को कंबल में लपेट कर उसे अपने हाथों में लिए चुपचाप बैठी थी.

जब पुलिस को आते हुए उस बुजुर्ग ने देखा तो तुरंत ट्रेन में दूसरी ओर जाने का प्रयास किया, लेकिन दूसरी तरफ से भी पुलिस उस की तरफ आ रही थी.
अंत में हार मानते हुए उन्होंने पुलिस के हाथों खुद को सरेंडर कर दिया और थानाप्रभारी की टीम ने आरोपी दंपति को पकड़ कर दिल्ली फतेहपुर बेरी थाने के प्रभारी कुलदीप सिंह को सूचना दे दी. जिस के बाद दिल्ली से एक टीम तुरंत कानपुर के लिए रवाना हो गई और सारी औपचारिकताएं पूरी कर विद्यानंद यादव, उस की पत्नी रामपरी व बच्चे को ले कर दिल्ली लौट आई.

पुलिस ने विद्यानंद ने पूछताछ की तब उस ने अपनी दुखभरी कहानी पुलिस को बताई, वह इस प्रकार थी.

बच्चे की लालसा में बुजुर्ग दंपति विद्यानंद यादव और रामपरी देवी लगातार अपने गांव में लोगों के उपेक्षित व्यवहार से परेशान थे. हालांकि विद्यानंद और रामपरी का परिवार पैसों के मामले में बहुत संपन्न नहीं था. खेती लायक बेहद कम जमीन थी, एक घर था वह भी आधा कच्चा और आधा पक्का. उन्हें बच्चा तो चाहिए था लेकिन लड़का ही.

यह बात उस के साढू रमन यादव को मालूम थी. रमन यादव गुड़गांव में पीओपी का काम किया करता था और वह हरिपाल को जानता था.

रमन और हरिपाल अकसर काम से निकलने के बाद घर जाने से पहले दारू पीते थे. ऐसे ही एक दिन जब रमन और हरिपाल दारू पी रहे थे तो रमन ने उसे अपने साढू विद्यानंद के बारे में बताया.

दारू पीते हुए रमन ने अपनी लड़खड़ाती जुबान में कहा, ‘‘यार, गांव में मेरा एक साढू है विद्यानंद. उस की कोई औलाद नहीं है. बेचारे को गांव में लोग बहुत जलील करते हैं. फालतू का झगड़ा करते हैं.’’

‘‘लेकिन ऐसा क्यों?’’ हरिपाल ने नशे की हालत में रमन से पूछा. ‘‘अरे यार, तुझे बताया तो, औलाद नहीं है बेचारों की. कोई भी कुछ भी बोलता है उन के बारे में. उन के घर के आंगन में लोग थूकते हैं.’’ रमन बोला.

‘‘कुछ करना चाहिए यार. कम से कम मरने से पहले उन्हें औलाद का सुख तो नसीब होना ही चाहिए.’’

हरिपाल अपने ऐसे ही एक दोस्त को जानता था, जिस के घर हालफिलहाल में बच्चा हुआ था. वह था गोविंद. उस ने रमन को नशे की हालत में वादा किया कि वह जरूर उस के साढू विद्यानंद के लिए कुछ करेगा.

8 जून, 2021 को गोविंद के घर में बच्चे की किलकारियां गूंजी थीं. उस के चौथे दिन ही हरिपाल गोविंद से मिला और उस से अपने बच्चे को बेचने के बारे में बात की.

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हरिपाल ने गोविंद के सामने डरसहम कर अपनी बात रखी. उस ने कहा, ‘‘गोविंद देख तेरी हालत के बारे में तुझ से बेहतर अभी कोई नहीं जानता. मुझे मालूम ह कि पिछले साल जब लौकडाउन लगा था तब तेरे परिवार ने किस तरह से गुजारा किया था. ये स्थिति सुधारने का एक उपाय है. अगर तू कहे तो मैं उस के बारे में बताऊंगा.’’

गोविंद ने बिना हिचकिचाए उस से इस के बारे में पूछा, ‘‘हां बताइए न, क्या तरीका है.’’हरिपाल ने अपनी आवाज में आत्मविश्वास पैदा किया और बोला, ‘‘देख, गुस्सा मत करियो. तेरे घर में जो बच्चा अभी पैदा हुआ है, उसे बेच दे. देख मैं जानता हूं कि इस बात से तुझे गुस्सा जरूर आएगा, लेकिन तू भी तो सोच जरा. ऐसे मजदूरी कर के क्या तू अपने परिवार को खुशी दे सकता है? क्या इस बढ़ती महंगाई के जमाने में तू अपनी बीवी समेत अपने दोनों बच्चों को पाल सकता है? मैं एक आदमी को जानता हूं, जो बच्चा खरीदने के लिए तैयार है. अब तू देख, तुझे क्या करना है.’’

हरिपाल के मुंह से यह सब सुन कर बेशक गोविंद के होश जरूर उड़ गए थे, लेकिन उस की बातों को कहीं न कहीं सच और ठीक जरूर मान रहा था. गोविंद हरिपाल को बिना कुछ कहे वहां से निकल गया और घर जा कर उस ने इस बारे में अपनी पत्नी पूजा से ठीक उसी अंदाज में बात की.

पूजा अपने परिवार के मौजूदा हालात को अच्छी तरह से जानती थी. वह गोविंद की बातों से नाराज नहीं हुई, बल्कि उस की इन बातों ने उसे सोच में डाल दिया था. उस रात वह सो भी नहीं पाई, बल्कि जमीन पर लेटे हुए करवट बदलबदल कर पूरी रात सोचती रही.

सुबह हुई तो उस ने गोविंद को बीती रात को हुई बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘‘हां तो क्या सोचा है तुम ने? क्या ये करना है?’’

गोविंद को एकपल के लिए हैरानी हुई. लेकिन उस ने तुरंत अपनी पत्नी के सवाल का जवाब दिया और बोला, ‘‘देखो, हमारे पास इस के अलावा और कोई रास्ता भी नहीं नजर आ रहा है. कम से कम जिसे अपना बच्चा देंगे उस को औलाद नसीब होगी, और जो पैसे हमें मिलेंगे उस से हमारा कुछ तो भला हो जाएगा. और हमारा एक सहारा तो है ही.’’ यह कहते हुए गोविंद और पूजा ने बच्चे की कीमत 4 लाख रुपए तय की और दोनों ने एकदूसरे को भरोसे के साथ देखा. यह बात गोविंद ने हरिपाल को मिल कर बताई कि वे दोनों इस काम के लिए तैयार हैं और बच्चे की कीमत उन्होंने 4 लाख रुपए रखी है. हरिपाल ने यह बात रमन को बताई और रमन ने यह बात आगे विद्यानंद तक पहुंचा दी.
विद्यानंद और रामपरी दोनों को बच्चा तो चाहिए था, लेकिन वे 4 लाख रुपए नहीं दे सकते थे. इसी तरह से फोन पर गोविंद और पूजा ने हरिपाल और रमन के जरिए विद्यानंद से बात कर आखिरी कीमत 3 लाख 60 हजार रुपए तय कर दी, जिस में दोनों पार्टी संतुष्ट हो गईं.

कीमत तय होने के बाद विद्यानंद को अब पैसों का जुगाड़ करना था क्योंकि उस के पास इतने पैसे नहीं थे. इस के लिए उस ने अपनी खेती की जमीन में से 3 कट्ठा जमीन तुरंत गांव में किसी खरीददार को 3 लाख रुपए में बेच दी. पैसे मिल जाने के बाद विद्यानंद और रामपरी दोनों हरिपाल और रमन से बात कर दिल्ली पहुंच गए.

बच्चा जिस दिन 6 दिनों का हुआ उस रात को विद्यानंद, रामपरी, गोविंद, पूजा और रमन हरिपाल के घर पर डील करने के लिए आ गए. गोविंद और पूजा ने दिन भर लग के अपना किराए का कमरा भी खाली कर दिया था और वे लोग हरिपाल के घर पर किराए पर शिफ्ट हो गए थे. क्योंकि इस से उन्हें डर था कि यदि पुराने किराएदार बच्चे को नहीं देखेंगे तो शक करेंगे.

विद्यानंद ने गोविंद को 2 लाख रुपए नकद दिए और 40-40 हजार के 4 चैक दिए. हरिपाल और रमन ने मिल कर गोविंद और पूजा से वहीं सहमति पत्र भी लिखवा लिया, जिस में उन्होंने उन के दस्तखत भी करवा लिए.

सारी डीलिंग हो गई तो रमन अपने साढू विद्यानंद, रामपरी और बच्चे को ले कर वहां से रवाना हो गया. रमन विद्यानंद को आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर छोड़ आया और खुद अपने घर चला गया.

उधर गोविंद और पूजा पैसे तथा चैक ले कर अपने कमरे की ओर चल दिए. जब वे अपने कमरे में पहुंच कर पैसे गिन रहे थे और चैक देख रहे थे तो चैक पर तारीख उस दिन के बजाय 18 जून की थी. यह देखते ही गोविंद को झटका लगा और उन दोनों को उस समय ठगा हुआ महसूस हुआ. उन्हें लगा कि एक तो उन्होंने अपना बच्चा भी दे दिया है और वहीं दूसरी ओर उन्हें पैसे भी पूरे नहीं मिले.

फिर अचानक से गोविंद की पत्नी पूजा के अंदर अपने बच्चे को ले कर ममता जाग उठी. एक तो उन्हें पैसे कम मिले थे और वहीं दूसरी तरफ पूजा के
मन में अपने बच्चे को ले कर उपजी चिंता ने उसे अंदर ही अंदर शर्मिंदगी महसूस करवा दी.

अंत में उस से रहा नहीं गया और वह अपने कमरे से निकल कर जोरजोर मुन्नामुन्ना पुकार कर रोने लगी. 100 नंबर पर फोन करने के बाद जब पुलिस आई तो पुलिस को गुमराह किया गया, लेकिन पुलिस की जांच से उन का झूठ जल्द ही उजागर हो गया. और इस मामले के सभी आरोपी पकड़े गए.

इस मामले के मुख्य सभी आरोपी जिस में बच्चे को जन्म देने वाली मां पूजा देवी, उस का पिता गोविंद कुमार, गोविंद का दोस्त हरिपाल सिंह, हरिपाल का दोस्त रमन यादव, रमन यादव का साढू और बच्चे को खरीदने का मुख्य आरोपी विद्यानंद यादव और उस की पत्नी रामपरी सब पुलिस की हिरासत में हैं.

मांबाप के भी जेल चले जाने के बाद पुलिस ने बरामद किए बच्चे को सरिता विहार स्थित शिशु गृह को सौंप दिया. जहां वह महफूज हाथों में है. द्य

Romantic Story in Hindi- रिश्तों की परख: भाग 1

लेखक- शैलेंद्र सिंह परिहार

हर रिश्ते की एक पहचान होती है. हर रिश्ते का अपना एक अलग एहसास होता है और एक अलग अस्तित्व भी. इन में कुछ कायम रहते हैं, कुछ समय के साथ बिखर जाते हैं. बस, उन के होने का एक एहसास भर रह जाता है. समय की धूल परत दर परत कुछ इस तरह उन पर चढ़ती चली जाती है कि वे धुंधले से हो जाते हैं. और जब भी कोई ऐसा रिश्ता अचानक सामने आ कर खड़ा हो जाता है तो इनसान को एक पल के लिए कुछ नहीं सूझता. उसे क्या नाम दें? कुछ ऐसी ही हालत मेरी भी हो रही थी. मैं ने सपने में भी नहीं सोचा था कि 7 वर्ष बाद वह अचानक ही मेरे सामने आ खड़ा होगा.

‘‘टिकट,’’ उस ने हाथ बढ़ाते हुए मुझ से पूछा था. उसे देखते ही मैं चौंक पड़ी थी. चौंका तो वह भी था किंतु जल्दी ही सामान्य हो खाली बर्थ की तरफ देखते हुए उस ने पूछा, ‘‘और आप के साथ…’’

मैं थोड़ा गर्व से बोली थी, ‘‘जी, मेरे पति, किसी कारण से साथ नहीं आ सके.’’

‘‘यह बच्चा आप के साथ है,’’ उस ने मेरे 5 वर्षीय बेटे की तरफ इशारा करते हुए पूछा.

‘‘मेरा बेटा है,’’ मैं उसी गर्व के साथ बोली थी.

वह कुछ देर तक खड़ा रहा, जैसे मुझ से कुछ कहना चाहता हो लेकिन मैं ने ध्यान नहीं दिया, उपेक्षित सा अपना मुंह खिड़की की तरफ फेर लिया. मेरे मन में एक सवाल बारबार उठ रहा था कि नायब तहसीलदार की पोस्ट को तुच्छ समझने वाला कमलकांत वर्मा टी.सी. की नौकरी कैसे कर रहा है?

बड़ी अजीब बात लग रही थी. कभी अपने उज्ज्वल भविष्य…अपनी जिद के लिए अपने प्यार को ठुकराने वाला, क्या अपनी जिंदगी से उस ने समझौता कर लिया है? क्या यह वही आदमी है जिसे मैं लगभग 17 वर्ष पहले पहली बार मिली थी…10 वर्षों का साथ…ढेर सारे सपने…और फिर लगभग 7 वर्ष पूर्व आखिरी बार मिली थी?

17 साल पहले मेरे पापा का तबादला जबलपुर में हुआ था. आयकर विभाग में आयकर निरीक्षक की पोस्ट पर तरक्की हुई थी. नयानया माहौल था. एक अजनबी शहर, न कोई परिचित न कोई मित्र. वह दीवाली का दिन था, अपने घर के बरामदे में ही मैं और मेरे दोनों छोटे भाई फुलझड़ी, अनार और चकरी जला कर दीवाली मना रहे थे कि गेट पर एक लड़का खड़ा दिखाई दिया. पहले तो मैं ने सोचा कि राह चलते कोई रुक गया होगा, लेकिन जब वह काफी देर तक वहीं खड़ा रहा तो मैं ने जा कर उस से पूछा था, ‘जी, कहिए…आप को किस से मिलना है?’

मुझे देख कर वह नर्वस हो गया था, ‘जी…वह आयकर विभाग वाले निगमजी का घर यही है…’

‘हां, क्यों?’ मैं ने उस की बात भी पूरी नहीं होने दी थी.

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‘जी…मैं ये प्रसाद लाया था…मुझे उन से…’ वह रुकरुक कर बोला था.

मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था, मैं ने पापा से ही मिलवाने में भलाई समझी. उस ने पापा को ही अपना परिचय दिया था. पापा के आफिस में कार्यरत वर्माजी का बेटा था वह. वर्माजी पापा के मातहत क्लर्क थे. वह लगभग 10 मिनट तक रुका था. मां ने उसे प्रसाद और मिठाइयां दीं लेकिन वह प्लेट को छू तक नहीं रहा था. मैं उस के सामने बैठी थी. उस का लजानासकुचाना बराबर चालू था. मैं ने मन ही मन कहा था, ‘लल्लू लाल.’

‘आप किस क्लास में पढ़ते हैं?’ मैं ने ही पूछा था.

‘जी…मैं…’ वह घबरा सा गया था, ‘जी हायर सेकंडरी में…’

उस के जाते ही मम्मीपापा में बहस शुरू हो गई थी

उस समय मैं हाईस्कूल में पढ़ रही थी. इस के बाद न तो मैं ने उस से कुछ पूछा और न ही उस ने मुझ से बात की. जातेजाते पापा से कह गया था, ‘अंकल, आप को पापा ने कल लंच पर पूरे परिवार के साथ बुलाया है.’

‘हूं…’ पापा ने कुछ सोचते हुए कहा था, ‘ठीक है, मैं वर्माजी से फोन पर बात कर लूंगा, पर बेटा, अभी कुछ निश्चित नहीं है.’

उस के जाते ही मम्मीपापा में बहस शुरू हो गई थी कि निमंत्रण स्वीकार करें या न करें. पापा को ज्यादा मेलजोल पसंद नहीं था. पापा ने ही बताया था कि वर्माजी बड़े ही ‘पे्रक्टिकल’ इनसान हैं. कलम भर न फंसे, शेष सब जायज है.

पापा ठहरे ईमानदार, ‘केरबेर’ का संग कैसे निभे? पापा के साथ वर्माजी की हालत नाजुक थी. पापा न तो खाते थे न ही वर्माजी को खाने का मौका मिलता था.

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पापा ने मां को समझाया, ‘देखो, यह निमंत्रण मुझे शीशे में उतारने का एक जरिया है.’ लेकिन मां के तर्क के सामने पापा के विचार ज्यादा समय के लिए नहीं टिक पाते थे.

‘इस अजनबी शहर में हमारा कौन है? आप तो दिन भर के लिए आफिस चले जाते हैं, बच्चे स्कूल और मैं बचती हूं, मैं कहां जाऊं? जब कहती थी कि कुछ लेदे कर तबादला ग्वालियर करा लीजिए तो उस समय भी यही ईमानदारी का भूत सवार था, मैं नहीं कहती कि ईमानदारी छोड़ दीजिए, लेकिन हर समय हर किसी पर शक करने का क्या फायदा? आफिस की बात आफिस तक रखिए, हो सकता है मुझे एक अच्छी सहेली मिल जाए.’

मम्मी की बात सही निकली. उन्हें एक अच्छी सहेली मिल गई थी. आंटी का स्वभाव बहुत ही सरल लगा था. हम बच्चों को देख कर तो वह खुशी से पागल सी हो रही थीं. मुझे अपनी बांहों में भरते हुए कहा था, ‘कितनी प्यारी बेटी है, इसे तो मुझे दे दीजिए,’ फिर उन की आंखों में आंसू आ गए थे, ‘बहनजी, जिस घर में एक बेटी न हो वह घर, घर नहीं होता.’

हम लोगों को बाद में पता चला कि उन की कमल से बड़ी एक बेटी थी जिस की 3-4 साल पहले ही मृत्यु हुई थी. आंटीजी ने मुझे अपने हाथ से कौर खिलाए थे.

‘मैं खा लूंगी न आंटीजी,’ मैं ने प्रतिरोध किया था.

और उन्होंने स्नेह से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा था, ‘अपने हाथ से तो रोज ही खाती होगी, आज मेरे हाथ से खा ले बेटी.’

अंकल और आंटीजी हमें छोड़ने गेट तक आए थे

हम लोग लगभग 2 घंटे तक उन के घर में रुके थे, इस बीच मुझे कमल की सूरत तक देखने को नहीं मिली थी. मैं ने सोचा था, हो सकता है घर के बाहर हो. जब हम लोग चलने लगे तो अंकल और आंटीजी हमें छोड़ने गेट तक आए थे.

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‘अब आप लोग कब हमारे यहां आ रहे हैं?’ मम्मी ने पूछा था.

‘आप को बुलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी बहनजी,’ आंटीजी ने हंसते हुए कहा था, ‘जब भी अपनी बेटी से मिलने का मन होगा, आ जाऊंगी.’

हमारा घर पास में ही था, अत: पैदल ही हम सब चल पड़े थे. अनायास ही मेरी नजर उन के घर की तरफ गई थी तो देखा कमल खिड़की से हमें जाते हुए देख रहा था. जब तक उस के घर में थे तो जनाब बाहर ही नहीं आए, और अब छिप कर दीदार कर रहे हैं. मेरे मुख से अचानक ही निकल गया था, ‘लल्लू कहीं का.’

फिर तो आनेजाने का सिलसिला सा शुरू हो गया था. दोनों घर के सदस्य एकदूसरे से घुलमिल गए थे. कमल का शरमानासकुचाना अभी भी पूरी तरह से नहीं गया था. हां, पहले की अपेक्षा अब वह छिपता नहीं था. सामने आता और कभीकभी 2-4 बातें भी कर लेता था. आंटीजी का स्नेह तो मुझ पर सदैव ही बरसता रहता था.

छमाही परीक्षा में गणित में मेरे बहुत कम अंक आए थे. पापा कुछ परेशान से थे कि कहीं मैं सालाना परीक्षा में गणित में फेल न हो जाऊं. यह बात जब आंटीजी तक पहुंची तो उन्होंने कहा था, ‘इसे कमल गणित पढ़ा दिया करेगा, वह गणित से ही तो हायर सेकंडरी कर रहा है और वैसे भी उस की गणित बहुत अच्छी है. देख लीजिए, यदि स्नेह की समझ में न आए तो फिर किसी दूसरे को रख लीजिएगा.’

‘लेकिन बहनजी, उस की भी तो बोर्ड की परीक्षा है, उसे भी तो पढ़ना होगा?’ पापा ने अपनी शंका जताई थी पर दूसरे दिन ठीक 6 बजे कमल मुझे पढ़ाने के लिए हाजिर हो गया था. मैं भी अपनी कापीकिताब ले कर बैठ गई. 3-4 दिन तक तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया था कि वह क्या पढ़ा रहा है. कोई सवाल समझाता तो ऐसा लगता जैसे वह मुझे नहीं बल्कि खुद अपने को समझा रहा है. लेकिन धीरेधीरे उस की भाषा मुझे समझ में आने लगी थी. वह स्वभाव से लल्लू जरूर था लेकिन पढ़ने में होशियार था..

Hamariwali Good News की नव्या ने छोड़ा शो, मेकर्स को लेकर कही ये बात

जी टीवी का सीरियल ‘हमारीवाली गुड न्यूज’ (Hamariwali Good News) को टीआरपी नहीं मिल पा रही है. शो के मेकर्स भी अपना बेस्ट करने की कोशिश कर रहे हैं. इसी बीच खबर आ रही है कि शो में नव्य का किरदार निभाने वाली सृष्टि जैन ने शो छोड़ दिया है. आइए बताते है कि सृष्टि जैन ने शो में काम करने से क्यों मना किया.

रिपोर्ट के मुताबिक इस शो में जूही परमार (Juhi Parmar) की बहू का रोल निभाने वाली एक्ट्रेस सृष्टि जैन ने रातों रात अपने पेपर्स डाल दिए हैं. रिपोर्ट के मुताबित सृष्टि जैन ने ‘हमारीवाली गुड न्यूज’ को छोड़ने का मन बना लिया है.

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बताया जा रहा है कि नव्या यानी सृष्टि जैन इस शो में अपने रोल से खुश नहीं थी और इस समय वो अपना नोटिस पीरियल सर्व कर रही हैं.

 

खबर ये भी आ रही है कि सृष्टि ने इस शो की पैरलर लीड नव्या के रोल को साइन किया था लेकिन लीप के बाद मेकर्स सिर्फ जूही परमार पर ही फोकस कर रहे थे, इसलिए उन्होंने शो छोड़ने का फैसला लिया.

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इस शो में जल्द ही बड़ा ट्विस्ट आएगा. सृष्टि जैन का रोल खत्म होते ही मेकर्स जूही परमार के डबल रोल संग कुछ एक्सपेरिमेंट करने वाले हैं.

 

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TMKOC की रीटा रिपोर्टर ब्रा स्ट्रेप दिखाने पर हुईं ट्रोल, पति ने लगाई ट्रोलर्स की क्लास

टीवी का मशहूर कमेडियन शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (TMKOC ) की रीटा रिपोर्टर यानी प्रिया आहूजा अपनी तस्वीरों को लेकर सुर्खियों में छाई रहती हैं. हाल ही में उन्होंने अपनी एक हॉट तस्वीर इंस्टाग्राम पर शेयर की थी.

इस तस्वीर में एक्ट्रेस ब्रा स्ट्रेप दिखाती नजर आ रही थीं. इस वजह से उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा.

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प्रिया के पति ने लगाई यूजर की क्लास

प्रिया की तस्वीर पर एक यूजर ने बहुत ही भद्दा कंमेंट किया था. जिसे देखकर मालव रजदा भड़क गए.  और उस यूजर को जमकर सुनाया. ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के डायरेक्टर मालव रजदा यानी प्रिया के पति ने उस यूजर को मुंहतोड़ जवाब दिया. उन्होंन लिखा कि अपनी मां-बहन को भी बोलकर देख… देख जरा क्या रिएक्ट करते हैं.

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फैन्स ने भी किया प्रिया का सपोर्ट

मालव के इस जवाब के बाद कई फैन्स भी प्रिया का सपोर्ट किए. उन्होंने मालव की तारीफ करते हुए कहा कि अच्छा किया जो उस ट्रोलर की बोलती बंद करवा दी.

 

आपको बता दें कि प्रिया आहूजा और डायरेक्टर मालव रजदा को शो के दौरान एक-दूसरे से प्यार हो गया था. इसके बाद दोनों ने शादी कर ली.

 

प्रिया आहूजा प्रेग्नेंसी की वजह शो से दूरी बना ली थी. फिलहाल वह अपने बेटे के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रही हैं.

Crime Story in Hindi: सोने का घंटा- भाग 3: एक घंटे को लेकर हुए दो कत्ल

प्रस्तुति : शकीला एस. हुसैन

उस से पहले ही मैं चौधरी श्याम सिंह और उस के भाई को गिरफ्तार कर चुका था. क्योंकि मुझे खतरा था कि लहना सिंह के बयान के बाद वह फरार हो जाएगा. चौधरी ने अपना जुर्म कबूल नहीं किया और मुझे धमकियां दे रहा था. लहना सिंह के बयान के बाद चौधरी श्याम सिंह के खिलाफ केस मजबूत हो गया. अस्पताल के सर्जिकल वार्ड के बिस्तर पर लेटेलेटे लहना सिंह ने बहुत कमजोर आवाज में अपना बयान कलमबंद करवाया.

‘‘साहब, रंजन सिंह का कातिल चौधरी श्याम सिंह ही है. उस ने अपने बदमाश जोरा सिंह के जरिए उसे कत्ल करवाया है. मैं उस रोज थाने में यही खबर देने के लिए आप के पास आया था, पर बदकिस्मती से आप से बात नहीं हो सकी. आप अपने काम में बहुत मसरूफ थे.

‘‘मैं बैठेबैठे थक गया था. सोचा घर का एक चक्कर लगा लूं. मैं घर के पीछे पहुंचा ही था कि श्याम सिंह के बंदों ने मुझ पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया. फिर उठा कर ले गए और कुएं वाले कमरे में बंद कर दिया. बाकी जो कुछ हुआ वह आप के सामने है.’’

मैं ने पूछा, ‘‘रंजन सिंह को कत्ल करने की कोई ना कोई वजह होगी. उस ने कत्ल क्यों किया? तुम निडर हो कर बोलो. तुम्हारा एकएक शब्द श्याम सिंह के खिलाफ गवाही बनेगा.’’

‘‘बड़ी खास वजह थी जनाब, रंजन सिंह के पास सोने का एक घंटा था. इस घंटे का वजन करीब 3 सेर था. जिस के पास 3 सेर खालिस सोना हो उसे कोई भी जान से मार सकता है. चौधरी श्याम सिंह को इस सोने का पता चल गया था. उस ने रंजन का कत्ल करवा कर सोना हड़प लिया. यह सोना चौधरी के पास ही है. उसे जूते पड़ेंगे तो सब सच बक देगा.’’

लहना सिंह की खबर बहुत सनसनीखेज थी. 3 सेर सोना उस वक्त भी लाखों रुपयों का था. मैं ने लहना सिंह से फिर पूछा, ‘‘यह घंटा रंजन को मिला कहां से था?’’

लहना सिंह ने गहरी सांस ले कर कहा, ‘‘यह तो पक्का पता नहीं, पर रंजन अपनी दुकान पर पुराना सामान ले कर भी पैसे दिया करता था. सोने का वह घंटा भी किसी को जमीन में से मिला था. टूटाफूटा, मिट्टी में सना हुआ. उस का रंग भी काला था.

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कोई देहाती बंदा उसे पीतल का समझ कर रंजन को कुछ सौ रुपए में बेच गया था. घंटे के साथ आधा किलो की एक जंजीर भी थी. रंजन बहुत चालाक आदमी था. उस ने लाहौर जा कर पता किया तो वह असली सोना निकला. उस ने जंजीर बेच दी और यह हवेली खरीदी. साथ ही शहर में अनाज की आढ़त का काम शुरू कर दिया. धूमधाम से बेटी की शादी की. फिर अपने लिए रिश्ता ढूंढने लगा.’’

मैं ने लहना सिंह से पूछा, ‘‘तुम्हें इन सारी बातों का कैसे पता चला?’’

उस ने एक लंबी कराह लेते हुए कहा, ‘‘उन दिनों मेरी और श्याम सिंह की अच्छी दोस्ती थी. वह सब बातें मुझे बताता था. उसे अपने किसी मुखबिर के जरिए पता लग चुका था कि रंजन के पास सोने का घंटा है. 3 सेर सोना कोई छोटी बात नहीं थी. उसने सोच लिया था कि रंजन का कत्ल कर के सोने पर कब्जा कर लेगा. यह बात उस ने मुझे खुद बताई थी.

‘‘उस वक्त वह शराब के नशे में था. जब 2 हफ्ते पहले रंजन का कत्ल हुआ तो मेरा ध्यान फौरन श्याम सिंह की तरफ गया. मुझे पूरा यकीन था रंजन को मार कर घंटा उसी ने गायब किया है. थानेदार साहब, मैं ने आप से वादा किया था झूठ नहीं बोलूंगा. मैं ने सारा सच बता दिया है, अब श्याम सिंह को फांसी के तख्ते पर पहुंचाना आप का काम है.’’

मैं ने ध्यान से उस का बयान सुना फिर पूछा, ‘‘उस ने तुम्हें मारने की कोशिश क्यों की?’’

वह सिसकी ले कर बोला, ‘‘साहब, मैं ने श्याम सिंह से कहा था कि सोने के घंटे में से मुझे भी हिस्सा दे, नहीं तो मैं यह बात पुलिस को बता दूंगा. पहले तो वह मुझे टालता रहा. जब मैं ने धमकी दी तो उस ने मेरा यह हाल कर दिया. उस दिन मैं आप को यही बात बताने आया था.’’

मैं ने पूछा, ‘‘तुम्हारे खयाल में अब वह घंटा कहां है?’’

‘‘साहब, उस ने उस घंटे को हवेली में ही कहीं छुपा कर रखा है. हो सकता है कहीं गायब भी कर दिया हो.’’

मैं ने लहना सिंह को तसल्ली दी और अमृतसर से फौरन ढाब के लिए रवाना हो गया. ढाब पहुंचते ही हम ने चौधरी श्याम सिंह की हवेली पर धावा बोल दिया. चौधरी श्याम सिंह और उस का एक भाई गिरफ्तार थे. इसलिए खास विरोध नहीं हुआ. सारी हवेली की बारीकी से तलाशी ली गई. काफी मेहनत के बाद चावल के ड्रम में से सोने का घंटा बरामद हो गया.

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घंटे को देख कर लगता था कि वह काफी दिन तक जमीन में गड़ा रहा था. निस्संदेह वह या तो किसी मंदिर का घंटा था या फिर किसी राजा महाराजा के हाथी के गले में सजता होगा. घंटे को जब्त कर के थाने में हिफाजत से रखवा दिया गया. उस जमाने में भी उस की कीमत करीब छह लाख होगी.

कोई बदनसीब उस घंटे को रंजन को 2-3 सौ में बेच गया था. इतना कीमती घंटा देख कर कई लोगों के ईमान डोलने लगे, पर मैं इमान का पक्का था. घंटे की बरामदगी बाकायदा दर्ज की गई.

फिर उसे हिफाजत से कस्बे के चौराहे पर नुमाइश के लिए रख दिया गया. इस का नतीजा बहुत अच्छा निकला. एक घंटे के बाद एक आदमी ने मेरे पास आ कर कहा, ‘‘थानेदार साहब, मैं इस घंटे को पहचानता हूं. यह मैं ने सुगरा के आदमी नजीर के पास देखा था.’’

मैं भौंचक्का रह गया. फौरन पूछा, ‘‘तुम ने इसे उस के पास कब देखा था?’’

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Family Story in Hindi: विश्वास- भाग 1: क्या अंजलि अपनी बिखरती हुई गृहस्थी को समेट पाई?

फोन पर ‘हैलो’ सुनते ही अंजलि ने अपने पति राजेश की आवाज पहचान ली.

राजेश ने अपनी बेटी शिखा का हालचाल जानने के बाद तनाव भरे स्वर में पूछा, ‘‘तुम यहां कब लौट रही हो?’’

‘‘मेरा जवाब आप को मालूम है,’’ अंजलि की आवाज में दुख, शिकायत और गुस्से के मिलेजुले भाव उभरे.

‘‘तुम अपनी मूर्खता छोड़ दो.’’

‘‘आप ही मेरी भावनाओं को समझ कर सही कदम क्यों नहीं उठा लेते हो?’’

‘‘तुम्हारे दिमाग में घुसे बेबुनियाद शक का इलाज कर ने को मैं गलत कदम नहीं उठाऊंगा…अपने बिजनेस को चौपट नहीं करूंगा, अंजलि.’’

‘‘मेरा शक बेबुनियाद नहीं है. मैं जो कहती हूं, उसे सारी दुनिया सच मानती है.’’

‘‘तो तुम नहीं लौट रही हो?’’ राजेश चिढ़ कर बोला.

‘‘नहीं, जब तक…’’

‘‘तब मेरी चेतावनी भी ध्यान से सुनो, अंजलि,’’ उसे बीच में टोकते हुए राजेश की आवाज में धमकी के भाव उभरे, ‘‘मैं ज्यादा देर तक तुम्हारा इंतजार नहीं करूंगा. अगर तुम फौरन नहीं लौटीं तो…तो मैं कोर्ट में तलाक के लिए अर्जी दे दूंगा. आखिर, इनसान की सहने की भी एक सीमा…’’

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अंजलि ने फोन रख कर संबंधविच्छेद कर दिया. राजेश ने पहली बार तलाक लेने की धमकी दी थी. उस की आंखों में अपनी बेबसी को महसूस करते हुए आंसू आ गए. वह चाहती भी तो आगे राजेश से वार्तालाप न कर पाती क्योंकि उस के रुंधे गले से आवाज नहीं निकलती.

राजेश से मिली तलाक की धमकी के बारे में जान कर वंदना ने उसे दिया आश्वासन 

शिखा अपनी एक सहेली के घर गई हुई थी. अंजलि के मातापिता अपने कमरे में आराम कर रहे थे. अपनी चिंता, दुख और शिकायत भरी नाराजगी से प्रभावित हो कर वह बिना किसी रुकावट के कुछ देर खूब रोई.

रोने से उस का मन उदास और बोझिल हो गया. एक थकी सी गहरी आस छोड़ते हुए वह उठी और फोन के पास पहुंच कर अपनी सहेली वंदना का नंबर मिलाया.

राजेश से मिली तलाक की धमकी के बारे में जान कर वंदना ने उसे आश्वासन दिया, ‘‘तू रोनाधोना बंद कर, अंजलि. मेरे साहब घर पर ही हैं. हम दोनों घंटे भर के अंदर तुझ से मिलने आते हैं. आगे क्या करना है, इस की चर्चा आमने- सामने बैठ कर करेंगे. फिक्र मत कर, सब ठीक हो जाएगा.’’

वंदना उस के बचपन की सब से अच्छी सहेली थी. उस का व उस के पति कमल का अंजलि को बहुत सहारा था. उन दोनों के साथ अपने सुखदुख बांट कर ही पति से दूर वह मायके में रह रही थी. अपना मानसिक संतुलन बनाए रखने के लिए अंजलि जो बात अपने मातापिता से नहीं कह पाती, वह इन दोनों से बेहिचक कह देती.

राजेश से फोन पर हुई बातचीत का ब्योरा अंजलि से सुन कर वंदना चिंतित हो उठी तो उस के पति कमल की आंखों में गुस्से के भाव उभरे.

‘‘अंजलि, कोई चोर कोतवाल को उलटा नहीं धमका सकता है. राजेश को तलाक की धमकी देने का कोई अधिकार नहीं है. अगर वह ऐसा करता है तो समाज उसी के नाम पर थूथू करेगा,’’ कमल ने आवेश भरे लहजे में अपनी राय बताई.

‘‘मेरी समझ से हमें टकराव का रास्ता छोड़ कर राजेश से बात करनी चाहिए,’’ चिंता के मारे अपनी उंगलियां मरोड़ते हुए वंदना ने अपने मन की बात कही.

‘‘राजेश से बातचीत करने को अगर अंजलि उस के पास लौट गई तो वह अपने दोस्त की विधवा के प्रेमजाल से कभी नहीं निकलेगा. उस पर संबंध तोड़ने को दबाव बनाए रखने के लिए अंजलि का यहां रहना जरूरी है.’’

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‘‘अगर राजेश ने सचमुच तलाक की अर्जी कोर्ट में दे दी तो क्या करेंगे हम? तब भी तो अंजलि

को मजबूरन वापस लौटना पडे़गा न.’’

‘‘मैं नहीं लौटूंगी,’’ अंजलि ने सख्त लहजे में उन दोनों को अपना फैसला सुनाया, ‘‘मैं 2 महीने अलग रह सकती हूं तो जिंदगी भर को भी अलग रह लूंगी. मैं जब चाहूं तब अध्यापिका की नौकरी पा सकती हूं. शिखा को पालना मेरे लिए समस्या नहीं बनेगा. एक बात मेरे सामने बिलकुल साफ है. अगर राजेश ने उस विधवा सीमा से अपने व्यक्तिगत व व्यावसायिक संबंध बिलकुल समाप्त नहीं किए तो वह मुझे खो देंगे.’’

वंदना व कमल कुछ प्रतिक्रिया दर्शाते, उस से पहले ही बाहर से किसी ने घंटी बजाई. अंजलि ने दरवाजा खोला तो सामने अपनी 16 साल की बेटी शिखा को खड़ा पाया.

अंजलि  का  व्यवहार अचानक बदल गया

‘‘वंदना आंटी और कमल अंकल आए हुए हैं. तुम उन के पास कुछ देर बैठो, तब तक मैं तुम्हारे लिए खाना लगा लाती हूं,’’ भावुकता की शिकार बनी अंजलि ने प्यार से अपनी बेटी के कंधे पर हाथ रखा.

‘‘मेरा मूड नहीं है, किसी से खामखां सिर मारने का. जब भूख होगी, मैं खाना खुद ही गरम कर के खा लूंगी,’’ बड़ी रुखाई से जवाब देने के बाद साफ तौर पर चिढ़ी व नाराज सी नजर आ रही शिखा अपने कमरे में जा घुसी.

अंजलि को उस का अचानक बदला व्यवहार बिलकुल समझ में नहीं आया. उस ने परेशान अंदाज में इस की चर्चा वंदना और कमल से की.

‘‘शिखा छोटी बच्ची नहीं है,’’ वंदना की आंखों में चिंता के बादल और ज्यादा गहरा उठे, ‘‘अपने मातापिता के बीच की अनबन जरूर उस के मन की सुखशांति को प्रभावित कर रही है. उस के अच्छे भविष्य की खातिर भी हमें समस्या का समाधान जल्दी करना होगा.’’

‘‘वंदना ठीक कह रही है, अंजलि,’’ कमल ने गंभीर लहजे में कहा, ‘‘तुम शिखा से अपने दिल की बात खुल कर कहो और उस के मन की बातें सहनशीलता से सुनो. मेरी समझ से हमारे जाने के बाद आज ही तुम यह काम करना. कोई समस्या आएगी तो वंदना और मैं भी उस से बात करेंगे. उस की टेंशन दूर करना हम सब की जिम्मेदारी है.’’

उन दोनों के विदा होने तक अपनी समस्या को हल करने का कोई पक्का रास्ता अंजलि के हाथ नहीं आया था. अपनी बेटी से खुल कर बात करने के  इरादे से जब उस ने शिखा के कमरे में कदम रखा, तब वह बेचैनी और चिंता का शिकार बनी हुई थी.

‘‘क्या बात है? क्यों मूड खराब है तेरा?’’ अंजलि ने कई बार ऐसे सवालों को घुमाफिरा कर पूछा, पर शिखा गुमसुम सी बनी रही.

‘‘अगर मुझे तू कुछ बताना नहीं चाहती है तो वंदना आंटी और कमल अंकल से अपने दिल की बात कह दे,’’  अंजलि की इस सलाह का शिखा पर अप्रत्याशित असर हुआ.

‘‘भाड़ में गए कमल अंकल. जिस आदमी की शक्ल से मुझे नफरत है, उस से बात करने की सलाह आज मुझे मत दें,’’  शिखा किसी ज्वालामुखी की तरह अचानक फट पड़ी.

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‘‘क्यों है तुझे कमल अंकल से नफरत? अपने मन की बात मुझ से बेहिचक हो कर कह दे गुडि़या,’’ अंजलि का मन एक अनजाने से भय और चिंता का शिकार हो गया.

‘‘पापा के पास आप नहीं लौटो, इस में उस चालाक इनसान का स्वार्थ है और आप भी मूर्ख बन कर उन के जाल में फंसती जा रही हो.’’

‘‘कैसा स्वार्थ? कैसा जाल? शिखा, मेरी समझ में तेरी बात रत्ती भर नहीं आई.’’

‘‘मेरी बात तब आप की समझ में आएगी, जब खूब बदनामी हो चुकी होगी. मैं पूछती हूं कि आप क्यों बुला लेती हो उन्हें रोजरोज? क्यों जाती हो उन के घर जब वंदना आंटी घर पर नहीं होतीं? पापा बारबार बुला रहे हैं तो क्यों नहीं लौट चलती हो वापस घर.’’

शिखा के आरोपों को समझने में अंजलि को कुछ पल लगे और तब उस ने गहरे सदमे के शिकार व्यक्ति की तरह कांपते स्वर में पूछा, ‘‘शिखा, क्या तुम ने कमल अंकल और मेरे बीच गलत तरह के संबंध होने की बात अपने मुंह से निकाली है?’’

‘‘हां, निकाली है. अगर दाल में कुछ काला न होता तो वह आप को सदा पापा के खिलाफ क्यों भड़काते? क्यों जाती हो आप उन के घर, जब वंदना आंटी घर पर नहीं होतीं?’’

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