फ्रॉड पकड़ने के लिए ‘अनुपमा’ ने बनाया मास्टर प्लान, मिला समर का साथ

रूपाली गांगुली और सुधांशु पांडेय स्टारर सीरियल अनुपमा में इन दिनों हाईवोल्टेज ड्रामा चल रहा है. अब तक आपने देखा कि शाह परिवार ने ढोलकिया का पर्दाफाश किया और किंजल उसके चंगुल से बचाया. तो उधर अनुपमा फ्रॉड का शिकार हो गई है. दरअसल वह लोन लेना चाहती है और उसने गलत कागजात पर साइन किया है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि अनुपमा को पैसे नहीं मिले है.  जब यह बात शाह परिवार को पता चलता है तो सब मिलकर अनुपमा को खूब खरी-खोटी सुनाते हैं. हर कोई उसे इस गलती का जिम्मेदार ठहराता है.

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तो वहीं समर और किंजल  अनुपमा के सपोर्ट करते नजर आएंगे. वे अनुपमा के  साथ खड़े  रहेंगे. शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि अनुपमा पूरी तरह टूट जाएगी. बा, काव्या, वनराज, सब उसे ताना मारेंगे. लेकिन किसी भी तरह अनुपमा खुद को संभालेगी. और वह इस फ्रॉड से बचने के लिए कोई तरकीब निकालेगी.

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शो में यह भी दिखाया जाएगा कि अनुपमा इस फ्रॉड से बचने के लिए डिटेक्टिव का काम करेगी.  वह खुद ही मास्टर प्लान बनाएगी. वह ठान लेगी कि किसी भी तरह परिवार को बेघर होने से बचाना है. अब देखना ये होगा कि अनुपमा क्या प्लान बनाती है और कैसे इस फ्रॉड्स को सबक सिखाती है.

 

शो में ये भी देखना दिलचस्प होगा कि अनुपमा के इस मास्टर प्लान में वनराज और काव्या साथ देते हैं या नहीं?

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आंखों में धूल झोंकने का नया ड्रामा!

ग्रामीण अंचल के सीधे साधे लोगों के अलावा शहर के पढ़े-लिखे लोग भी नटवरलाल बनकर घूमने वाले अपने आसपास के लोगों के शिकार हो रहे हैं. क्या है इसका मूल कारण और कैसे आप ठगी से बच सकते हैं, पढ़िए यह आलेख.

रूपए चार गुना करने के नाम पर ठगी  का  तरीका सामने आया है.  दरअसल, एक काले रंग के कपड़े में रुपए लपेट कर चार गुना करने का सपना दिखाकर 10 लाख रुपए की ठगी हो गई. पुलिस ने मामले में एक ढोंगी बाबा समेत 4 लोगों को  गिरफ्त में लिया है .  पूछताछ में फर्जी बाबा ने ठगे गए पैसे से ऐश करने शराब पीने और जमीन खरीदने की बात कबूल कर ली है.

ठगी के इस हैरतअंगेज मामले में प्रार्थी को पहले डेमो दिखाकर विश्वास जीत लिया गया. तरुण साहू ने ठगी का अहसास होने पर पुलिस में  एक शिकायत दर्ज कराई . उसने बताया   संतोष विश्वकर्मा ने अपने साथी संतराम जोशी और यादव बाबा के साथ मिलकर उसके साथ 10 लाख रुपए की ठगी की है. तरुण साहू ने बताया कि तीनों ने उसे पैसे को चार गुना करने का झांसा देकर उसे अपने मायाजाल में फंसाया. उन्होंने डेमो दिखाकर  उसका विश्वास जीत लिया . इसके बाद  जुलाई के अंतिम सप्ताह में  10 लाख रुपए को एक काले कपड़े में लपेटकर रकम चार गुना करने का दावा करने लगे, लेकिन जैसी ही पीड़ित किसी काम के लिए अपने कमरे में घुसा. वैसे ही आरोपियों  10 लाख रुपए लेकर गायब कर स्वयं भी नदारद हो गए.   पुलिस ने 24 घंटे के अंदर ही संतोष विश्वकर्मा और संतराम जोशी को गिरफ्तार कर लिया  था.इधर ढोंगी बाबा अपने साथियों को धोखा देकर भाग गया था दोनों ने पूछताछ में अपना अपराध स्वीकार कर लिया और पुलिस को बताया कि उन्होंने यादव बाबा के फेर में आ कर ठगी की घटना को अंजाम दिया था.

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मजे की बात यह है कि कथित यादव बाबा उन्हें भी गच्चा दे कर सारे रूपए लेकर रफूचक्कर हो गया था.

अब आगे पुलिस के समक्ष ढोंगी बाबा एक चुनौती के रूप में सामने थे और उस यादव बाब की  तलाश कर रही थी. पुलिस के अनुसार  उसका कुछ पता नहीं चल रहा था . भारी मशक्कत के बाद दूसरे जिले से पुलिस टीम ने उसे गिरफ्तार किया .इधर पुलिस ने  आरोपियों से 2 लाख 40 हजार नकद और अन्य सामग्री बरामद की  है. बताया जा रहा है बाकी रुपयों से ढोंगी बाबा ने मोह माया के चक्कर में जमीन खरीद ली है.

लालच से बचिए

अक्सर लालच में पड़कर आदमी अपनी गाढ़ी कमाई को लूटा बैठता है. ऐसी प्रतिदिन जाने कितनी घटनाएं देशभर में घटित हो रही हैं.

हमने इस संदर्भ में आपके लिए पुलिस अधिकारी विधि के जानकार लोगों से बातचीत करके यह आलेख तैयार किया है. जिसमें हम यह स्पष्ट रूप से बताना चाहते हैं कि आप किस तरह समाज में होने वाली ठगी और लूट से बच सकते हैं. आपकी थोड़ी भी लापरवाही और लालच आपको ठगी का शिकार बना सकती है.

इस महत्वपूर्ण सामाजिक त्रासदी पर हमने पुलिस की अधिकारी इंद्र भूषण सिंह से  चर्चा की उनके मुताबिक मेरे पुलिसिया कार्यकाल के लगभग 30 वर्षों के समय में अनेक मामले ठगी के  हमारे जांच में आते रहे हैं और अगर मैं इसका मूल स्रोत आपको बताऊं तो वह सिर्फ एक है, और वह है लालच.

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आमतौर पर गांव के सीधे-साधे ग्रामीण लोगों के अलावा शहर के चतुर चालाक समझे जाने वाले शिक्षित वर्ग के लोग भी रुपए पैसों की लालच में पड़कर के ढोंगी ठगों के शिकार बन जाते हैं.

हाईकोर्ट के अधिवक्ता अविनाश शुक्ला के मुताबिक समाज में हो रही ठगी की मामलों की जो बारीक समझ मैं आपके पाठकों को बताना चाहता हूं, वह यह है कि अगर कोई आपको यह कहे कि बिना श्रम के आपको यह रुपए मिलने वाले हैं तो आप समझ जाइए कि आगे आप ठगी का शिकार हो सकते हैं.

संगीत मनोविज्ञान के जानकार घनश्याम तिवारी एक शिक्षक हैं आपके मुताबिक रुपए पैसों की लालच में आकर के लोग ठगी का शिकार बन जाते हैं, आम लोगों को यह समझ लेना चाहिए कि अगर कोई आपको 1 का 4 गुना देने की बात कर रहा है तो फिर वह स्वयं अपना पैसा 4 गुना क्यों नहीं कर लेता.

इधर-उधर- भाग 2: अंबर को छोड़ आकाश से शादी के लिए क्यों तैयार हो गई तनु?

Writer- Rajesh Kumar Ranga

‘‘नारियल पानी पीना है?’’ तनु ने जोर से कहा.

‘‘पूछ रही हैं या कह रही हैं?’’

‘‘कह रही हूं… तुम्हें पीना हो तो पी सकते हो…’’

अंबर ने फौरन मोटरसाइकिल घुमा दी. विपरीत दिशा से आती गाडि़यों के बीच मोटरसाइकिल को कुशलता से निकालते हुए दोनों नारियल पानी वाले के पास पहुंय गए.

अंबर ने एक ही सांस में नारियल पानी खत्म कर दिया और नारियल को एक ओर उछाल कर जेब से पर्स निकाल कर पैसे दे कर बोला, ‘‘मैं ने अपने नारियल के पैसे दे दिए, आप अपने नारियल के पैसे दे दीजिए.’’

तनु अवाक हो कर अंबर को ताकने लगी.

‘‘बुरा मत मानिएगा तनुजी, आप का और मेरा अभी कोई रिश्ता नहीं है, मैं क्यों आप पर खर्च करूं?’’

तनु हार मानने वालों में से नहीं थी. बोली, ‘‘और जो आप के मातापिता हमारे घर पर काजू, किशमिश और चायकाफी उड़ा रहे हैं उस का क्या?

‘‘बात तो सही है, हम दिल्ली वाले हैं. मुफ्त का माल पर हाथ साफ करना हमें खूब आता है…’’

अंबर ने हंसते हुए कहा, ‘‘चिंता न करें मैं दोनों के पैसे दे चुका हूं, नारियल वाला छुट्टा करवाने गया है.’’

यह सुन कर तनु भी हंसे बगैर नहीं रह पाई.

अंबर के जूते मिट्टी से सन गए थे. उस ने पौलिश वाले बच्चे से जूते पौलिश करवाए, तब तक नारियल वाला भी आ चुका था.

‘‘आप ने देशविदेश में कहां की सैर की है,’’ तनु ने पूछा.

अंबर के पास जवाबहाजिर था, ‘‘यह पूछिए कहां नहीं गया, नौकरी ही ऐसी है पूरा एशिया और यूरोप का कुछ हिस्सा मेरे पास है… आनाजाना लगा ही रहता है…’’

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‘‘क्या फर्क लगता है आप को अपने देश और परदेश में?’’

‘‘इस का क्या जवाब दूं, सभी जानते हैं, हम हिंदुस्तानी कानून तोड़ने में विश्वास करते हैं, नियम न मानना हमारे लिए फख्र की बात है… वहां के तो जानवर भी कायदेकानून की हद से बाहर नहीं जाते.’’

‘‘फिर क्या होगा अपने देश का?’’

‘‘फिलहाल तो यह सोचिए हमारा क्या होगा, आसमान पर बादल छा रहे हैं और मेरे 10 गिनने तक बरसात हमें अपने आगोश में ले लेगी.’’

‘घर तो जाना जरूरी है. मेरी दूसरी शिफ्ट भी है,’ तनु मन ही मन बुदबुदाई और फिर ऊंची आवाज में बोली, ‘‘चलते हैं और अगर भीग भी गए तो मुझे फर्क नहीं पड़ता, मुझे बरसात में भीगना पसंद है.’’

‘‘मुझे भी,’’ अंबर ने मोटरसाइकिल स्टार्ट करते हुए कहा, ‘‘मगर यों भीगने से पहले थोड़ा इंतजार करना अच्छा नहीं रहेगा? चलिए रेस्तरां में 1-1 कप कौफी हो जाए, यह मेरा रोज का सिलसिला है…’’

तनु ने मुसकरा कर हामी भर दी. अगले चंद ही मिनटों में दोनों रेस्तरां में थे. अंबर ने ऊंची आवाज में वेटर को आवाज दी और जल्दी से 2 कप कौफी लाने का और्डर दिया. कौफी खत्म कर के अंबर ने एक बड़ा नोट बतौर टिप वेटर को दिया और दोनों बाहर आ गए. बारिश रुकने के बजाय और तेज हो चुकी थी.

पूरे रास्ते तेज बरसात में भीगते हुए तनु को बहुत आनंद आ रहा था. घर पहुंचतेपहुंचते दोनों पूरी तरह भीग चुके थे. अंबर के मातापिता मानो उन का इंतजार ही कर रहे थे, उन के आते ही औपचारिक बातचीत कर के सभी वहां से चल पड़े.

‘‘कैसा लगा लड़का?’’ भाभी ने उतावलेपन से पूछा तो तनु ने भी स्पष्ट कर दिया, ‘‘भाभी दूसरे लड़के को मना ही कर दो, कह दो मेरी तबीयत ठीक नहीं है. मुझे अंबर पसंद है…’’

‘‘तनु, अब अगर वे आ ही रहे हैं तो आने दो. कुछ समय गुजार कर उन्हें रुखसत कर देना… कम से कम हमारी बात रह जाएगी.’’

‘‘लेकिन भाभी जब मुझे अंबर पसंद है, तो इस स्वयंवर की क्या जरूरत है?’’

ठीक 4 बजे एक लंबीचौड़ी गाड़ी आ कर रुकी. गाड़ी में से एक संभ्रांत उम्रदराज जोड़ा और एक नवयुवक उतरा. पूरे परिवार ने बड़े ही सम्मान से उन का स्वागत किया.

तनु ने एक नजर लड़के पर डाली और उस के मुंह से अनायास ही निकल गया, ‘‘आप सूटबूट में तो ऐसे आए हैं मानो किसी इंटरव्यू में आए हो.’’

जयनाथजी ने इशारे से तनु को हद में रहने को कहा.

जवाब में युवक ने एक ठहाका लगाया और फिर बिना ?िझके कहा, ‘‘आप सही कह रही हैं. एक तरह से मैं एक इंटरव्यू से दूसरे इंटरव्यू में आया हूं… दरअसल, हम यहां के कामा होटल को खरीदने का मन बना रहे हैं. अभी उन के निदेशकों से मीटिंग थी, जो किसी इंटरव्यू से कम नहीं थी और यह भी किसी इंटरव्यू से कम नहीं है…’’

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तनु इधरउधर की औपचारिक बातें करने के बाद मुद्दे पर आ गई. बोली, ‘‘अगर आप लोग इजाजत दें तो मैं और आकाश थोड़ा समय घर से बाहर…’’

‘‘हां जरूर,’’ लगभग सब ने एकसाथ ही कहा.

आकाश ने ड्राइवर से चाबी ली और तनु के लिए गाड़ी का दरवाजा खोल कर बैठने का आग्रह किया. तनु की फरमाइश पर गाड़ी ने एक बार फिर गेटवे औफ इंडिया का रुख किया.

‘‘यहां से एक शौर्टकट है. आप चाहें तो मुड़ सकते हैं 15-20 मिनट बच जाएंगे.’’

‘‘तनुजी आप भूल रही हैं कि इधर नो ऐंट्री है,’’ आकाश ने कहा. फिर मानो उसे कुछ याद आया, ‘‘अगर आप बुरा न मानें तो मैं रास्ते में सिर्फ 10 मिनट के लिए होटल कामा में रुक जाऊं… वहां के निर्देशकों का मैसेज आया है. वे मुझ से मिलना चाहते हैं.’’

तनु ने अनमने मन से हां कर दी. आकाश ने तनु को कौफी शौप में बैठ कर वेटर को आवाज दे कर कौफी और चिप्स का और्डर दिया और स्वयं पुन: माफी मांग कर बोर्डरूम की तरफ चला गया.

10 मिनट के बाद जब आकाश आया तो उस के चेहरे पर खुशी और विजय के भाव थे, ‘‘मेरा पहला इंटरव्यू कामयाब हुआ. यहां की डील फाइनल हो गई है… तनुजी आप हमारे लिए शुभ साबित हुईं…’’

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Crime- डर्टी फिल्मो का ‘राज’: राज कुंद्रा पोनोग्राफी केस- भाग 2

यही वजह रही कि कई बार पूछताछ के लिए बुलाने के बाद जब 19 जुलाई, 2021 को उसे पूछताछ के लिए बुलाया गया तो क्राइम ब्रांच ने पर्याप्त सबूत होने के कारण राज कुंद्रा को गिरफ्तार कर लिया.

मुंबई क्राइम ब्रांच राज कुंद्रा पर बिना पुख्ता सबूत के हाथ नहीं डालना चाहती थी. इसलिए क्राइम ब्रांच ने राज कुंद्रा के खिलाफ मामला दर्ज करने के बाद पूरे मामलें की कडि़यों को एक दूसरे से जोड़ना शुरू किया.

जिन लोगों के नाम सामने आते रहे उन के खिलाफ साक्ष्य एकत्र कर के पुलिस बारीबारी से उन्हें गिरफ्तार करती रही. ये साफ हो चुका था कि अश्लील फिल्मों का ये रैकेट एक पोर्न फिल्म प्रोडक्शन कंपनी की आड़ में चलाया जा रहा था. जहां फिल्मों में ब्रेक देने के बहाने युवा और जरूरतमंद लड़कियों के अश्लील वीडियो बनाए जाते थे.

क्राइम ब्रांच इस केस में 2 अभिनेता, एक लाइटमैन और 2 महिला फोटोग्राफर, वीडियोग्राफर, ग्राफिक डिजाइनर समेत कई लोगों को गिरफ्तार कर चुकी थी.

लेकिन इस मामले में उमेश कामत नाम के एक शख्स की गिरफ्तारी के बाद क्राइम ब्रांच के पास पहली बार ऐसे साक्ष्य हाथ लगे, जिस से राज कुंद्रा पर हाथ डाला जा सकता था.

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दरअसल, उमेश कामत यूके बेस्ड कंपनी केनरिन प्रोडक्शन हाउस का भारत में प्रतिनिधि था. उमेश कामत भारत में एक्ट्रेस गहना वशिष्ठ के साथ मिल कर अश्लील फिल्में बनाता था.

इन पोर्न फिल्मों की शूटिंग के बाद तैयार किए गए वीडियो भारतीय एजेंसियों से बचने के लिए एक एप्लिकेशन के जरिए यूके में केनरिन प्रोडक्शन हाउस भेजे जाते थे.

एडिटिंग के बाद पोर्न फिल्मों को हौट शौट एप्लिकेशन पर अपलोड किया जाता था. यूके में पोर्न फिल्मों पर कोई प्रतिबंध नहीं है, इसलिए ये काम यूके से किया जाता था.

उमेश की गिरफ्तारी के बाद क्राइम ब्रांच की पड़ताल और तेज हो गई. राज कुंद्रा से कई बार पूछताछ की गई. क्राइम ब्रांच की टीम पोर्न फिल्में बनाने वाले इस गैंग से राज कुंद्रा के सबंधों के सबूत जुटाने का भी काम करती रही.

उमेश कामत से पूछताछ में पता चला कि वह राज कुंद्रा के यूके में रहने वाले बहनोई प्रदीप बख्शी के साथ काम करता है. प्रदीप बख्शी यूके बेस्ड कंपनी केनरिन प्रोडक्शन हाउस का डायरेक्टर है.

केनरिन लिमिटेड़ कंपनी 16 साल से वजूद में है. इस में केवल एक एक्टिव डायरेक्टर है, वो हैं प्रदीप बख्शी. उन्हें पहली नवंबर 2008 को इस फर्म के डायरेक्टर के रूप में नियुक्त किया गया था. इस कंपनी में 10 से भी कम कर्मचारी हैं और इस कंपनी का टर्नओवर 2 मिलियन पाउंड है.

ये फर्म वीडियो प्रोडक्शन एक्टिविटीज और टेलिविजन प्रोग्रामिंग से जुड़ी थी. उमेश कामत से पता चला कि राज कुंद्रा इस कंपनी में प्रदीप बख्शी के साथ अप्रत्यक्ष तौर पर बिजनैस पार्टनर और निवेशक है.

उमेश कामत ने क्राइम ब्रांच को बताया कि केनरिन प्रोडक्शन हाउस भारत में मौजूद अलगअलग एजेंटों के जरिए पोर्नोग्राफी और पोर्नोग्राफी फंडिंग का भी बिजनैस करता था.

एडवांस पेमेंट मिलने के बाद गहना और कामत अश्लील फिल्में बनाने का काम करते थे और फिर ऐसे कंटेंट को कैनरिन प्रोडक्शन हाउस को भेजते थे.

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इसी बीच जांच के दौरान क्राइम ब्रांच को एक वाट्सऐप ग्रुप के बारे में भी पता चला. उस वाट्सऐप ग्रुप में पोर्न फिल्मों से जुड़े पूरे बिजनैस को ले कर चर्चा होती थी. उस वाट्सऐप ग्रुप का नाम ‘एच अकाउंट’ था, जिस में राज कुंद्रा समेत कुल 5 लोग शामिल थे.

इस ग्रुप का एडमिन भी राज कुंद्रा ही था. ग्रुप के सभी लोग पोर्नोग्राफिक कंटेंट बनाने के इस बिजनैस में शामिल थे.

जो वाट्सऐप चैट पुलिस को मिली उस में राज कुंद्रा इस बिजनैस की मार्केटिंग, सेल्स और मौडल्स की पेमेंट से जुड़े मसलों पर बात कर रहा था.

साथ ही किस तरह रेवेन्यू पर फोकस किया जाए, मौडल को कैसे पेमेंट दी गई है और किस तरह बिजनैस रेवेन्यू को बढ़ाया जाए. यही चैट होता था.

पुलिस की साइबर सेल राज कुंद्रा के उस ऐप का भी पता लगा चुकी थी, जिस पर पोर्न फिल्में अपलोड की जाती थी. ‘हौट हिट मूवी’ नाम के इस ऐप पर मूवी देखने वाले को ऐप डाउनलोड कर 200 रुपए का पेमेंट करना होता है.

कुल मिला कर पुलिस के सामने जब यह साफ हो गया कि मुंबई और इस के उपनगरों में पोर्न फिल्म बनाने का जो कारोबार चल रहा है, उस में राज कुंद्रा प्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा है, तब 19 जुलाई की रात 9 बजे क्राइम ब्रांच ने पूछताछ के लिए उसे बुलाया. कुछ देर पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

हालांकि राज कुंद्रा ने किसी भी ऐप और पोर्नोग्राफी फिल्मों के रैकेट से अपना संबध होने से साफ इंकार कर दिया. उस ने कहा कि वह सिर्फ इरोटिक फिल्में बनाते हैं. लेकिन पुलिस का दावा है कि कुंद्रा ही अश्लील फिल्मों के कारोबार का मास्टरमाइंड था.

कुंद्रा को गिरफ्तार कर उसे 7 दिन की रिमांड पर लिया. इस दौरान पुलिस ने कुंद्रा के औफिस पर छापेमारी की तो वहां छिपा कर रखी गई 51 आपत्तिजनक वीडियो बरामद हुईं.

गिरफ्तारी के बाद ही पुलिस ने राज कुंद्रा के मोबाइल फोन को जब्त कर लिया. जिसे साक्ष्य एकत्र करने के लिए फोरैंसिक लैब भेजा गया. इस के अलावा पुलिस ने कई ऐसे सबूत एकत्र किए जाने का दावा किया है, जिस के बाद जल्द ही इस केस में गहना वशिष्ठ की गिरफ्तारी हो सकती है.

चूंकि ब्रिटेन में पोर्नोग्राफी के खिलाफ कोई कानून नहीं है, इसलिए पुलिस यूके बेस्ड कंपनी केनरिन प्रोडक्शन हाउस के खिलाफ काररवाई को ले कर कानूनी राय ले रही है.

पुलिस का कहना है कि जिस ‘हौट हिट मूवी’ ऐप पर पोर्न फिल्में अपलोड की जाती थीं, उसे मेंटेन करने के लिए प्रतिकेश और ईश्वर नाम के 2 कर्मचारियों को विआन इंडस्ट्रीज लिमिटेड में पेरोल पर रखा था.

केनरिन कंपनी के ‘हौटशौट’ ऐप को मैनेज और मेंटेन करने के लिए ‘विआन इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ यानी राज की कंपनी हर महीने 3-4 लाख रुपए चार्ज करती थी. जांच में सामने आया है कि इस ऐप के जरिए राज कुंद्रा को एक दिन में कई बार 10 लाख से ज्यादा की कमाई भी होती थी.

लेकिन जो राज कुंद्रा आज केवल पोर्न फिल्मों के बिजनैस से 10 लाख रुपए प्रतिदिन कमाता है और अपने दूसरे कारोबार से 2700 करोड़ की संपत्ति का मालिक बन गया है, एक समय था जब वह दुबई से, नेपाल से पश्मीना शाल ला कर लंदन में बेचता था.

राज कुंद्रा का जीवन भी एक फिल्मी कहानी की तरह है. राज कुंद्रा का असली नाम है रिपुसूदन कुंद्रा. कुंद्रा के पिता बाल कृष्ण कुंद्रा लुधियाना के रहने वाले थे. लेकिन शादी के बाद वह युवावस्था में ही पत्नी को ले कर लंदन चले गए.

लंदन में पहले उन्होंने एक कौटन मिल में नौकरी की. उस के बाद वह बस में कंडक्टर के तौर पर नौकरी करने लगे. बाल कृष्ण न तो ज्यादा पढ़ेलिखे थे, न धंधा शुरू करने के लिए उन के पास बड़ी पूंजी थी.

अगले भाग में पढ़ें- 2005 में राज कुंद्रा की शादी कविता नाम की युवती से हुई थी

Manohar Kahaniya: नशा मुक्ति केंद्र में चढ़ा सेक्स का नशा- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

कहते हैं कि जो व्यक्ति जैसा होता है, उसे वैसे ही लोग मिलने लगते हैं. विद्यादत्त के साथ भी यही हुआ. नशा मुक्ति केंद्र में उस की मुलाकात विभा सिंह से हुई. विभा सिंह उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर की विष्णुपुरी कालोनी की रहने वाली थी. उसे भी शराब की लत थी. अपनी इस लत के कारण ही नशा मुक्ति केंद्र में भरती हुई थी.

विद्यादत्त और विभा के बीच अच्छी जानपहचान हो गई. एक दिन दोनों बैठे हुए थे तभी विद्यादत्त ने कहा, ‘‘मैं ने एक प्लान किया है.’’

‘‘क्या?’’ विभा ने पूछा.

‘‘हम दोनों अपना नशा मुक्ति केंद्र खोल लें तो कमाई अच्छी हो सकती है.’’

विद्यादत्त का आइडिया विभा को जम गया. उस ने तपाक से कहा, ‘‘चाहती तो मैं भी यहीं हूं, लेकिन क्या यह इतना आसान है.’’

‘‘बिलकुल हम दोनों कोशिश करेंगे तो हो जाएगा, वैसे हमें खुद रह कर इतना तो पता चल ही गया है कि नशा मुक्ति केंद्र कैसे चलाया जाता है. इस में कमाई भी अच्छी है.’’

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारे साथ हूं.’’ विद्या ने सहमति जताई.

संचालक और डायरेक्टर खुद भी थे नशेड़ी

इस के बाद दोनों बाहर आए और अपनी तैयारियों में जुट गए. उन्होंने प्रकृति विहार में एक कोठी किराए पर ली और जरूरी तैयारियां कर के फरवरी, 2021 में नशा मुक्ति केंद्र खोल कर उस का प्रचारप्रसार शुरू कर दिया.

विद्यादत्त खुद संचालक बना और विभा को डायरेक्टर बना दिया. समाज में कितने ही लोग अपने बच्चों के नशा करने से परेशान रहते हैं. ऐसे लोगों की ही दोनों को तलाश थी. जल्द ही उन के यहां लड़केलड़कियां आने शुरू हो गए. नशे के लती युवाओं के रहनेखाने की व्यवस्था कोठी में ही की गई थी.

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कोठी के एक हिस्से में लड़कियों को रखा जाता था जबकि दूसरे हिस्से में लड़कों को. निर्धारित समय पर उन की घरवालों से बात भी कराई जाती थी.

विद्यादत्त शातिरदिमाग व्यक्ति था. वह खुद नशेबाज था, इसलिए नशा करने वालों की तलब और उन की कमजोरियों को बखूबी जानता था. उस ने अपने यहां नशे का उपचार कराने के लिए रहने वाली लड़कियों को ही अपना शिकार बनाने की ठान ली.

उस ने सोचा था कि नशे के लालच में लड़कियां किसी से शिकायत नहीं करेंगी और यदि वह ऐसा करेंगी भी तो उन के परिवार वाले भरोसा नहीं करेंगे. हालांकि विद्यादत्त खुद 3 बेटियों का पिता था. उस का परिवार पौढ़ी गढ़वाल में रहता था. परिवार के पास वह आताजाता रहता था.

जो खुद भी बेटियों का पिता हो, वैसे तो उसे ऐसी बात सोचते हुए भी शर्म आनी चाहिए थी, लेकिन उस के दिमाग में बेशर्मी हावी हो चुकी थी. वह मौका देख कर लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने लगा.

लड़कियां विरोध करतीं, तो वह उन के साथ मारपीट करता था. एक लड़की नशे के लिए ज्यादा बेचैन हो जाती थी. वह ड्रग्स लेती थी. विद्यादत्त ने उसे ही अपना सौफ्ट टारगेट बनाने का मन बना लिया.

एक दिन उस ने काउंसलिंग के बहाने उसे अपने पास बुलवाया और बड़े प्यार से कहा, ‘‘देखो, मैं तुम्हारी परेशानी जानता हूं, नशे की आदतें एकदम नहीं छूटतीं.’’

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‘‘हां सर, बहुत बेचैनी होती है.’’

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारे लिए कुछ इंतजाम करता हूं.’’ इस के बाद विद्यादत्त ने उस लड़की के लिए नशे की पुडि़या का इंतजाम कर दिया. इस से लड़की खुश हो गई.

मन ही मन विद्यादत्त भी खुश हो रहा था. इस का नतीजा यह निकला कि लड़की की नशे की लिए बेचैनी और भी बढ़ गई.

एक दिन उस ने ज्यादा जिद की तो विद्यादत्त उसे अपने कमरे में ले गया और उस के सामने पुडि़या रखते हुए बोला, ‘‘यह तुम्हारी है, लेकिन तुम्हें एक शर्त माननी होगी.’’

‘‘क्या सर?’’ वह चौंकते हुए बोली.

‘‘मैं तुम्हें यह देता रहूंगा. बस, तुम्हें मुझे खुश करना होगा.’’ कहने के साथ ही बिना लड़की का जवाब सुने, वह उस पर हावी हो गया. लड़की ने विरोध किया, लेकिन विद्यादत्त मनमानी कर के ही माना. विद्यादत्त का असली रूप सामने आ चुका था. लड़की को उस से घृणा हो गई और उस ने उसे सबक सिखाने की ठान ली. उस ने डायरेक्टर विभा से इस हरकत की शिकायत की तो विभा ने लड़की की ही पिटाई कर दी.

विद्यादत्त ने अपनी मनमानी को एक सिलसिला बना लिया. अन्य लड़कियों के साथ भी उस ने छेड़छाड़ की. विद्यादत्त वास्तव में लड़कियों की जिंदगी को बरबाद कर रहा था.

नशा मुक्ति केंद्र के अंदर क्या हो रहा था, बाहर इस बारे में किसी को कुछ नहीं पता था. उस का शिकार लड़की अपने घर फोन करती थी तो विद्यादत्त और विभा डंडा ले कर उस के पास खड़े हो जाते थे.

पिटाई के डर से वह कुछ बोल नहीं पाती थी. इस मजबूरी में वह कुछ बता नहीं पाती थी. मातापिता खुश होते थे कि उन की बेटी का नशा छूट जाएगा, लेकिन वहां दूसरा ही खेल चल रहा था.

सभी लड़कियां विद्यादत्त से परेशान थीं. अपनी इज्जत का उन्हें खतरा सताने लगा था. उन्हें नशा मुक्ति केंद्र से छुटकारा पाना भी मुश्किल लग रहा था. दुष्कर्म का शिकार हुई लड़की के लिए जिंदगी बोझिल सी हो गई. उस के दिल में आत्महत्या का खयाल भी आता था. जिस के बाद उन्होंने वहां से भागने की प्लानिंग की.

5 अगस्त को 4 लड़कियों को मौका मिल गया और वहां से भाग कर वह एक होटल में जा कर छिप गईं. जहां से पुलिस ने उन्हें बरामद किया.

विद्यादत्त की करतूत ने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या नशा मुक्ति केंद्रों में यह सब भी होता है. जांचपड़ताल के दौरान पता चला कि नशा मुक्ति केंद्र में

कोई एक्सपर्ट डाक्टर भी नहीं था, जो वहां भरती युवकयुवतियों की काउंसलिंग कर सके.

विद्यादत्त और विभा खुद ही एक्सपर्ट बन जाया करते थे जबकि वह खुद नशे के आदी रहे थे. वैसे उन का अतीत कोई जानता भी नहीं था. उन का मकसद केवल पैसा कमाना था. वह मारपीट के जरिए युवाओं को सुधारना चाहते थे.

संचालक हो गया अंडरग्राउंड

लड़कियों के भागते ही विद्यादत्त तनाव में आ गया. उसे यही डर था कि लड़कियां उस की हरकतों के बारे में किसी को बता न दें. जब अगले दिन उसे यह पता लगा कि उन लड़कियों को पुलिस ने बरामद कर लिया है, तो लग गया कि उस की पोल खुलेगी और फिर पुलिस उसे नहीं छोड़ेगी.

इस से बचने के लिए उस ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर दिया और होटल में जा कर छिप गया, लेकिन वह बच नहीं सका. प्रकरण सामने आने के बाद मातापिता लड़केलड़कियों को नशा मुक्ति केंद्र से अपने घर ले गए. प्रिया व नवीन की बेटी निधि भी इन में से एक थी.

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नशा छुड़ाने के चक्कर में उन की बेटी कलंक से बच गई. निधि अब खुद भी सबक ले कर सुधार की तरफ है.

पुलिस ने मुख्य आरोपी विद्यादत्त रतूड़ी को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. कथा लिखने तक पुलिस मामले की और भी बारीकी से जांच कर रही थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में कुछ पात्रों के नाम परिवर्तित हैं

छाया : विनोद पुंडीर

भोजपुरी सुपर स्टार खेसारीलाल यादव की फिल्म ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’ का फर्स्ट लुक हुआ वायरल

निर्देशक रजनीश मिश्रा और सुपर स्टार खेसारीलाल यादव की जोड़ी एक बार फिर से भोजपुरी बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचाने को तैयार है. आज इनकी फ़िल्म ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’ का फर्स्ट लुक आउट हो चुका है, जो वायरल हो रहा है. फ़िल्म का फर्स्ट लुक बेहद शोबर है, जिसके निर्माता अभय सिन्हा, शिवांशु पांडेय और निशांत उज्ज्वल हैं. इस फ़िल्म का निर्माण यशी फिल्म्स और नेबुला फिल्म्स लि. ने मिलकर किया है. इस फ़िल्म में खेसारीलाल यादव के साथ साउथ की खूबसूरत अदाकारा सहर अफ़सा नज़र आने वाली हैं.

फ़िल्म ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’ साफ सुथरी और एक रोमांटिक फिल्म है, जिसे लंदन के शानदार लोकेशन, ऑक्सफ़ोर्ड, हावर्ड, कैम्ब्रिज, लंदन आई, लंदन ब्रिज, विंडसर पैलेश, लंदन सेंट्रल पर शूट किया गया है. यह फ़िल्म के पोस्टर में नज़र भी आ रहा है. फ़िल्म में संगीतकार, रायटर और निर्देशक रजनीश मिश्रा ने दावा किया कि उनकी यह फ़िल्म भोजपुरी में रोमांटिक फिल्मों के लिए ट्रेंड सेट करेगी. फ़िल्म में दर्शकों को नयापन लगेगा. भोजपुरी समाज के लोग आज दुनिया भर में रह रहे हैं, तो कहानी भी हमारी ग्लोबल होगी. यह लाजमी है. आज हम नए कॉन्सेप्ट के साथ उसी ग्लोबल कहानी को लेकर एक बेहतरीन फ़िल्म बनाने की कोशिश की है. उम्मीद है सबों को पसंद आएगी.

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गौरतलब है कि पिछले 3 सालों में खेसारीलाल यादव की जितनी बड़ी फिल्‍में आयीं हैं, मेंहदी लगना के रखना 3 हो, दुल्‍हन वही जो पिया मन भाये हो. इन बड़ी और सुपर हिट फिल्‍मों में निर्माता अभय सिन्‍हा और निशांत उज्‍जवल जुडे रहे हैं. तो लोगों की उम्‍मीद भी इस फिल्‍म से ज्‍यादा हो रही है.  इस बार खेसारीलाल यादव, अभय सिन्‍हा और निशांत उज्‍जवल के साथ राजनीश मिश्रा भी नजर आ रहे हैं. रजनीश मिश्रा और खेसारीलाल यादव मेंहदी लगना के रखना 1, मैं सेहरा बांध के आउंगा, डमरू, मेंहदी लगना के रखना 3 जैसी सफल फिल्‍में दे चुकी हैं. और अब दोनों फिल्‍म  ‘चोरी चोरी चुपके चुपके’ में नजर आने वाले हैं, जिसका गीत – संगीत भी भव्य होने वाला है. इस फ़िल्म के गीतकार रजनीश मिश्रा खुद हैं, जिनके साथ प्यारे लाल यादव और आशुतोष तिवारी ने भी फ़िल्म के लिए लीरिक्स तैयार किया है. पीआरओ रंजन सिन्हा (Ranjan Sinha) और सर्वेश कश्यप हैं. कोरियोग्राफर रिकी गुप्ता हैं. आर्ट अनिल कुमार सिंह का है. डीओपी महेश शर्मा हैं.

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सामाजिक कुरीति पर कुठाराघाट करने आ रहा है सीरियल ‘‘नथ: जेवर या जंजीर’’

राजस्थान सहित कुछ राज्यों के ग्रामीण अंचल में सदियों से ‘नथ उतराई’प्रथा चलती आ रही है.यह प्रथा हर लड़की व औरत के मान सम्मान पर चोट के साथ ही उनकी आजादी का भी हनन करती है.हम 21वीं सदी में पहुंच गए हैं,मगर यह प्रथा पूरी तरह से बंद नही हुई है.

यह कुप्रथा अभी भी चल रही है.इस कुप्रथा के अनुसार गाॅंव के गरीब परिवार की कुंवारी लड़की को शादी से पहले ठाकुर परिवार के पुरूष के साथ सोना पड़ता था,जिसके एवज में उसे अच्छी खासी रकम मिलती है. यह रकम उस लड़की के गरीब परिवार के लिए मदद के स्वरुप होती है.इसी प्रथा को ‘नथ उतराई’कह जाता है.

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नथ यानी कि नथुनी वह जेवर  है, जिसे हर औरत अपनी नाक में पहनती है.इसी पर चोट करने के साथ ही लोगों के बीच जागरूकता लाने के मकसद से ‘‘दंगल ’’टीवी चैनल 23 अगस्त से एक विचारोत्तेजक सीरियल ‘‘नथः जेवर या जंजीर’’का प्रसारण शुरू करने जा रहा है. यह ‘दंगल’टीवी की उसी नीति का हिस्सा है,जिसके चलते उसने दर्शकों को मनोरंजन के साथ नए काॅन्सेप्ट वाले रोचक सीरियल प्रसारित करना शुरू किया है.

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Chahat-Pandey

यह कहानी है एक गांव की जहां अक्सर पैसों की तंगी से मजबूर होकर लोग समाज के ठेकेदारों से कर्ज लेते हैं और बदले में उनके घर की कुंवारी बेटियां ‘नथ उतराई’ कुप्रथा का शिकार बनती हैं. ऐसे ही एक गरीब व मजबूर परिवार की लड़की है महुआ(चाहत पांडेय). जहां उसके पैदा होते ही उसकी जिंदगी का सौदा गांव के आर्थिक व हर तरह से संपन्न ठाकुर परिवार से कर दिया जाता है.

ठाकुर परिवार की मुखिया दुर्गा( प्रतिमा कानन )हैं.बचपन से तेज तर्रार और पढ़ाई में अव्वल नम्बर लाने वाली महुआ को जवानी तक इस ‘नथ उतराई’ के व्यवसाय से अंजान रखा गया.लेकिन अब ‘नथ उतराई ’के लिए ठकुराईन दुर्गा (प्रतिमा कानन)की हवेली जाने जाने के लिए महुआ से कहा जाता है.खुद ठकुराईन दुर्गा,महुआ को लेने आती हैं.यहीं से महुआ का संघर्ष शुरू होता है.अब सवाल है कि क्या महुआ इस प्रथा को तोड़ पाएगी? क्या वह बिना इस प्रथा के शिकार हुए अपने परिवार को बचा पाएगी?

Pratima-Kanan

एकता कपूर निर्मित ‘‘पवित्र बंधन’’ और ‘‘सावधान इंडिया’’जैसे सीरियलों में अभिनय कर चुकी अदाकारा चाहत पांडेय के लिए सीरियल ‘‘नथःजेवर या जंजीर’’ चुनौतीपूर्ण है.वह कहती हैं-‘‘मेरे लिए इस सीरियल का किरदार सर्वाधिक चुनौतीपूर्ण है.मेरी राय मेें नथ उतराई ऐसी कुप्रथा है,जिसका इस आधुनिक समाज में अस्तितव कंलक है.यह औरत की स्वतंत्रता पर प्रहार करती है.’’

जबकि प्रतिमा कानन ने कहा-‘‘सच कहॅूं तो मुझे नही पता था कि अभी भी हमारे देश में औरतों के साथ गुलामों से भी बदतर ढंग से व्यवहार किया जाता है.मैं तो इस तरह की कुप्रथा को जड़ से नष्ट करने के पक्ष में हॅूं.’’

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भारतीय महिला की एक दिल दहला देने वाली समस्या को उजागर करने वाला सीरियल ‘‘नथः जेवर या जंजीर’का प्रसारण ‘दंगल टीवी’ पर 23 अगस्त से हर सोमवार से शनिवार रात दस बजे होगा.इस सीरियल में प्रतिमा कनन,रवि गोसाईं,पियोमरी मेहता,अर्जित तनेजा, अनुराग शर्मा,अंजना सिंह,आँचल टंकवाल,राधिका छाबड़ा,चाहत पांडेय, वैभवी कपूर व रिया भट्टाचार्जी की अहम भूमिकाएं हैं.

Top 10 Best Raksha Bandhan Story in Hindi: टॉप 10 बेस्ट रक्षा बंधन कहानियां हिंदी में

हर भाई- बहन को  ‘रक्षाबंधन’ का बेसब्री से इंतजार होता है. यह भाई-बहन के अटूट बंधन को दर्शाने वाला फेस्टिवल है.  भाई-बहन का रिश्ता बेहद प्यारा होता है. इस रिश्ते में इमोश्न्स के साथ-साथ कई सीक्रेट्स भी होते हैं. तो इस खास मौके पर हम आपके लिए लेकर आये हैं सरस सलिल की  टॉप 10  रक्षाबंधन स्पेशल कहानियां. अगर आप कहानियां पढ़ने के शौकिन हैं तो यहां पढ़िए Top 10 Raksha Bandhan Story in Hindi.

  1.  तृप्त मन- राजन ने कैसे बचाया बहन का घर?

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अमेरिका में स्थायी रूप से रह रहे राजन के ताऊ धर्म प्रकाश को जब खबर मिली कि उन के भतीजे राजन ने आई.टी. परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है तो उन्होंने फौरन फोन से अपने छोटे भाई चंद्र प्रकाश को कहा कि वह राजन को अमेरिका भेज दे…यहां प्रौद्योगिकी में प्रशिक्षण के बाद नौकरी का बहुत अच्छा स्कोप है.

चंद्र्र प्रकाश भी तैयार हो गए और बेटे को अमेरिका के लिए पासपोर्ट, वीजा आदि बनवाने में लग गए. लेकिन उन की पत्नी सरोजनी के मन को कुछ बहुत अच्छा नहीं लगा. कुल 2 बच्चे राजन और उस से 5 साल छोटी 8वीं में पढ़ रही राशी. अब बेटा सात समुंदर पार चला जाएगा तो मां को कैसे अच्छा लगेगा. उस ने तो पति से साफ शब्दों में मना भी किया.

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2. ज्योति- क्यों सगे भाईयों से भी बढ़कर निकले वो तीनों लड़के?

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‘‘हां मां, खाना खा लिया था औफिस की कैंटीन में. तुम बेकार ही इतनी चिंता करती हो मेरी. मैं अपना खयाल रखता हूं,’’ एक हाथ से औफिस की मोटीमोटी फाइलें संभालते हुए और दूसरे हाथ में मोबाइल कान से लगाए सुमित मां को समझाने की कोशिश में जुटा हुआ था.

‘‘देख, झूठ मत बोल मुझ से. कितना दुबला गया है तू. तेरी फोटो दिखाती रहती है छुटकी फेसबुक पर. अरे, इतना भी क्या काम होता है कि खानेपीने की सुध नहीं रहती तुझे.’’ घर से दूर रह रहे बेटे के लिए मां का चिंतित होना स्वाभाविक ही था, ‘‘देख, मेरी बात मान, छुटकी को बुला ले अपने पास, बहन के आने से तेरे खानेपीने की सब चिंता मिट जाएगी. वैसे भी 12वीं पास कर लेगी इस साल, तो वहीं किसी कालेज में दाखिला मिल जाएगा,’’ मां उत्साहित होते हुए बोलीं.

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3. सत्य असत्य- क्या निशा ने कर्ण को माफ किया?

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कर्ण के एक असत्य ने सब के लिए परेशानी खड़ी कर दी. जहां इसी की वजह से हुई निशा के पिता की मौत ने उसे झकझोर कर रख दिया, वहीं खुद कर्ण पछतावे की आग में सुलगता रहा. पर निशा से क्या उसे कभी माफी मिल सकी?

घर की तामीर चाहे जैसी हो, इस में रोने की कुछ जगह रखना.’ कागज पर लिखी चंद पंक्तियां निशा के हाथ में देख मैं हंस पड़ी, ‘‘घर में रोने की जगह क्यों चाहिए?’’

‘‘तो क्या रोने के लिए घर से बाहर जाना चाहिए?’’ निशा ने हंस कर कहा.

‘‘अरे भई, क्या बिना रोए जीवन नहीं काटा जा सकता?’’

‘‘रोना भी तो जीवन का एक अनिवार्य अंग है. गीता, अगर हंसना चाहती हो तो रोने का अर्थ भी समझो. अगर मीठा पसंद है तो कड़वाहट को भी सदा याद रखो. जीत की खुशी से मन भरा पड़ा है तो यह मत भूलो, हारने वाला भी कम महत्त्व नहीं रखता. वह अगर हारता नहीं तो दूसरा जीतता कैसे?’’

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4.  दागी कंगन- क्या निहाल अपनी बहन को उस दलदल से निकाल पाया

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‘‘मुन्नी, तुम यहां पर कैसे?’’ ये शब्द कान में पड़ते ही मुन्नी ने अपनी गहरी काजल भरी निगाहों से उस शख्स को गौर से देखा और अचानक ही उस के मुंह से निकल पड़ा, ‘‘निहाल भैया…’’

वह शख्स हामी भरते हुए बोला, ‘‘हां, मैं निहाल.’’

‘‘लेकिन भैया, आप यहां कैसे?’’

‘‘यही सवाल तो मैं तुम से पूछ रहा हूं कि मुन्नी तुम यहां कैसे?’’

अपनी आंखों में आए आंसुओं के सैलाब को रोकते हुए मुन्नी, जिस का असली नाम मेनका था, बोली, ‘‘जाने दीजिए भैया, क्या करेंगे आप जान कर. चलिए, मैं आप को किसी और लड़की से मिलवा देती हूं. मुझ से तो आप के लिए यह काम नहीं होगा.’’

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5. भाईदूज – राधा ने मोहन को कैसे बनाया भाई

 

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‘‘मेरे सामने तो तुम उसे राधा बहन मत बोलो. मुझे तो यह गाली की तरह लगता है,’’ मालती भड़क उठी.

‘‘अगर उस ने बिना कुछ पूछे अचानक आ कर मुझे राखी बांध दी, तो इस में मेरा क्या कुसूर? मैं ने तो उसे ऐसा करने के लिए नहीं कहा था,’’ मोहन बाबू तकरीबन गिड़गिड़ाते हुए बोले.

‘‘हांहां, इस में तुम्हारा क्या कुसूर? उस नीच जाति की राधा से तुम ने नहीं, तो क्या मैं ने ‘राधा बहन, राधा बहन’ कह कर नाता जोड़ा था. रिश्ता जोड़ा है, तो राखी तो वह बांधेगी ही.’’

‘‘उस का मन रखने के लिए मैं ने उस से राखी बंधवा भी ली, तो ऐसा कौन सा भूचाल आ गया, जो तुम इतना बिगड़ रही हो?’’

‘‘उंगली पकड़तेपकड़ते ही हाथ पकड़ते हैं ये लोग. आज राखी बांधी है, तो कल को भाईदूज पर खाना खाने भी बुलाएगी. तुम को तो जाना भी पड़ेगा. आखिर रिश्ता जो जोड़ा है. मगर, मैं तो ऐसे रिश्तों को निभा नहीं पाऊंगी,’’ मालती ने अपने मन का सारा जहर उगल दिया.

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6.  स्लीपिंग पार्टनर- मनु की नजरों में अनुपम भैया

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मनु को एक दिन पत्र मिलता है जिसे देख कर वह चौंक जाती है कि उस की भाभी यानी अनुपम भैया की पत्नी नहीं रहीं. वह भैया, जो उसे बचपन में ‘डोर कीपर’ कह कर चिढ़ाया करते थे.

पत्र पढ़ते ही मनु अतीत के गलियारे में भटकती हुई पुराने घर में जा पहुंचती है, जहां उस का बचपन बीता था, लेकिन पति दिवाकर की आवाज सुन कर वह वर्तमान में लौट आती है. वह अनुपम भैया के पत्र के बारे में दिवाकर को बताती है और फिर अतीत में खो जाती है कि उस की मौसी अपनी बेटी की शादी के लिए कुछ दिन सपरिवार रहने आ रही हैं. और सारा इंतजाम उन्हें करने को कहती हैं.

आखिर वह दिन भी आ जाता है जब मौसी आ जाती हैं. घर में आते ही वह पूरे घर का निरीक्षण करना शुरू कर देती हैं और पूरे घर की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले लेती हैं. पूरे घर में उन का हुक्म चलता है.

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7.  कड़वा फल- क्या अपनी बहन के भविष्य को संवार पाया रवि?

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अपने मम्मी पापा की शादी की 10वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुई भव्य पार्टी की यादें आज भी मेरे दिलोदिमाग में तरोताजा हैं. वह पार्टी लंबे समय तक हमारे परिचितों के बीच चर्चा का विषय बनी रही थी.

पार्टी क्लब में हुई थी. करीब 500 मेहमानों की आवभगत वरदीधारी वेटरों की पूरी फौज ने की थी. अपनीअपनी रुचि के अनुरूप मेहमानों ने जम कर खाया, और देर रात तक डांस करते रहे. इतने सारे गिफ्ट आए कि पापा को उन्हें कारों से घर पहुंचाने के लिए अपने 2 दोस्तों की सहायता लेनी पड़ी.

मेरे लिए वे बेहद खुशी भरे दिन थे. हम ने एक बड़े घर में कुछ महीने पहले शिफ्ट किया था. मेरी छोटी बहन शिखा और मुझे अपना अलग कमरा मिला. मम्मी ने उसे बड़े सुरुचिपूर्ण ढंग से सजाया था.

अपने नए दोस्तों के बीच मेरी धाक शुरू से ही जम गई. मेरी साइकिल हो या जूते, कपड़े हों या स्कूल बैग, हर चीज सब से ज्यादा कीमती और सुंदर होती.

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8.  कितने अजनबी- क्या रश्मि अपने भाई-बहन के मतभेद को खत्म कर पाई?

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हम 4 एक ही छत के नीचे रहने वाले लोग एकदूसरे से इतने अजनबी कि अपनेअपने खोल में सिमटे हुए हैं.

मैं रश्मि हूं. इस घर की सब से बड़ी बेटी. मैं ने अपने जीवन के 35 वसंत देख डाले हैं. मेरे जीवन में सब कुछ सामान्य गति से ही चलता रहता यदि आज उन्होंने जीवन के इस ठहरे पानी में कंकड़ न डाला होता.

मैं सोचती हूं, क्या मिलता है लोगों को इस तरह दूसरे को परेशान करने में. मैं ने तो आज तक कभी यह जानने की जरूरत नहीं समझी कि पड़ोसी क्या कर रहे हैं. पड़ोसी तो दूर अपनी सगी भाभी क्या कर रही हैं, यह तक जानने की कोशिश नहीं की लेकिन आज मेरे मिनटमिनट का हिसाब रखा जा रहा है. मेरा कुसूर क्या है? केवल यही न कि मैं अविवाहिता हूं. क्या यह इतना बड़ा गुनाह है कि मेरे बारे में बातचीत करते हुए सब निर्मम हो जाते हैं.

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9. राखी का उपहार

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इस समय रात के 12 बज रहे हैं. सारा घर सो रहा है पर मेरी आंखों से नींद गायब है. जब मुझे नींद नहीं आई, तब मैं उठ कर बाहर आ गया. अंदर की उमस से बाहर चलती बयार बेहतर लगी, तो मैं बरामदे में रखी आरामकुरसी पर बैठ गया. वहां जब मैं ने आंखें मूंद लीं तो मेरे मन के घोड़े बेलगाम दौड़ने लगे. सच ही तो कह रही थी नेहा, आखिर मुझे अपनी व्यस्त जिंदगी में इतनी फुरसत ही कहां है कि मैं अपनी पत्नी स्वाति की तरफ देख सकूं.

‘‘भैया, मशीन बन कर रह गए हैं आप. घर को भी आप ने एक कारखाने में तबदील कर दिया है,’’ आज सुबह चाय देते वक्त मेरी बहन नेहा मुझ से उलझ पड़ी थी. ‘‘तू इन बेकार की बातों में मत उलझ. अमेरिका से 5 साल बाद लौटी है तू. घूम, मौजमस्ती कर. और सुन, मेरी गाड़ी ले जा. और हां, रक्षाबंधन पर जो भी तुझे चाहिए, प्लीज वह भी खरीद लेना और मुझ से पैसे ले लेना.’’

‘‘आप को सभी की फिक्र है पर अपने घर को आप ने कभी देखा है?’’ अचानक ही नेहा मुखर हो उठी थी, ‘‘भैया, कभी फुरसत के 2 पल निकाल कर भाभी की तरफ तो देखो. क्या उन की सूनी आंखें आप से कुछ पूछती नहीं हैं?’’

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10. बड़े भैया- क्यों स्मिता अपने भाई से डरती थी?

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बड़े भैया ने घूर कर देखा तो स्मिता सिकुड़ गई. कितनी कठिनाई से इतने दिनों तक रटा हुआ संवाद बोल पाई थी. अब बोल कर भी लग रहा था कि कुछ नहीं बोली थी. बड़े भैया से आंख मिला कर कोई बोले, ऐसा साहस घर में किसी का न था.

‘‘क्या बोला तू ने? जरा फिर से कहना,’’ बड़े भैया ने गंभीरता से कहा.

‘‘कह तो दिया एक बार,’’ स्मिता का स्वर लड़खड़ा गया.

‘‘कोई बात नहीं,’’ बड़े भैया ने संतुलित स्वर में कहा, ‘‘एक बार फिर से कह. अकसर दूसरी बार कहने से अर्थ बदल जाता है.’’

स्मिता ने नीचे देखते हुए कहा, ‘‘मुझे अनिमेष से शादी करनी है.’’

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Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin: विराट को दूर जाने से रोकेगा सम्राट, अब क्या करेगी सई

स्टार प्लस का पॉपुलर सीरियल ‘गुम है किसी के प्‍यार में’ अब तक आपने देखा कि सई के कारण सम्राट चौहान हाउस वापस आया है. सम्राट पूरे परिवार के सामने पाखी और विराट को एक्सपोज कर रहा है. वह विराट पर धोखा देने का आरोप लगा रहा है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है.  आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि विराट का ट्रांसफर नागपूर से दूर हो जाएगा. और ऐसे समय में विराट का ट्रांसफर हो रहा है जब सम्राट ने उस पर धोखा देने और सच छिपाने का आरोप लगाया है.

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तो दूसरी तरफ सम्राट और सई को विराट के ट्रांसफर की बात खटकेगी. घरवाले पाखी को समझाते हैं कि वह विराट को भूल जाये और इस बात को एक्सेप्ट कर ले कि विराट अपनी जिंदगी में आगे बढ़े चुका है.

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शो में ये भी दिखाया जाएगा कि विराट खुद सई को अपने ट्रांसफर के बारे में बताएगा और कहेगा कि उसे दो दिन में निकलना है. तो उधर सम्राट सई से कहेगा कि विराट इसलिए दूर जा रहा है कि ताकि उसे सम्राट का सामना ना करना पड़े. सई को लगेगा कि कहीं विराट उसके कारण तो दूर तो नहीं जा रहा.

 

शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि एक साल बाद सम्राट घर वापस आया है. उसने आते ही घरवालों को पत्रलेखा और विराट के अफेयर के बारे में बताया. सम्राट ने ये भी कहा कि वह पाखी को तलाक देने के लिए आया है.

Raksha Bandhan Special: मुंहबोले भाई से ऐसे निभाएं रिश्ता

रिश्ता मांबेटे का हो या भाईबहन का, हर रिश्ते की अपनी गरिमा होती है और मांग भी. जब कोई प्यारा सा रिश्ता हमारी अनजानी गलतियों की वजह से टूट जाता है तब हमें एहसास होता है कि शायद कहीं कोई कमी रह गई थी. ऐसे में बात जब मुंहबोले भाई की हो तो शिष्टाचार कुछ ज्यादा ही महत्त्व रखता है, क्योंकि यह रिश्ता आप बहुत सोचसमझ कर बनाते हैं. इस रिश्ते का शिष्टाचार कायम रहे इस के लिए कुछ बातों को ध्यान में रखें.

मिल कर कुछ नियम बनाएं

मुंहबोले भाईबहन का रिश्ता जितना प्यार भरा है यह उतना ही नाजुक भी होता है. ऐसे में कुछ मर्यादित नियम बनाइए, जिस से शिष्टता झलके. हमेशा दूरी बना कर रखें. इस रिश्ते में ज्यादा निकटता लोगों को खटकती है. अगर आप को एकदूसरे से मिलना है तो एकदूसरे के घर में या पब्लिक प्लेस में ही मिलें. बातचीत भी ऐसी करें जिस से फूहड़ता या अश्लीलता न झलके. साथ ही समय का ध्यान जरूर रखें. हो सके तो दिन में ही मिलें.

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छोटीछोटी बातों का बुरा मत मानिए

अगर मुंहबोला भाई आप को कुछ कहता भी है जैसे कि आप ऐसा न करो, यहां मत जाओ, वहां मत जाओ, इस से बात मत करो आदि तो उस की बातों का बुरा न मानें, उस से गुस्से में बात न करें, क्योंकि हर भाई अपनी बहन का खयाल रखने के लिहाज से उस से ऐसा कहता है. इस से उस के प्यार और स्नेह का पता चलता है. उस की बातों को नैगेटिव न लेते हुए उस से शिष्ट हो कर ही बात करें.

सौरी बोलना सीखिए

हर भाईबहन के बीच लड़ाईझगड़ा होता रहता है लेकिनकुछ देर बाद वे सब भूल भी जाते हैं. अगर आप से कोई गलती हो भी गई है तो सौरी बोल कर अपनी गलती मान लीजिए. ऐसा करने से आप भाई की नजर में अच्छी बहन बन जाएंगी.

कमियां मत निकालिए

अपने मुंहबोले भाई की बातबात में कमियां निकालना अच्छी बात नहीं. अगर आप उसे सचमुच अपना भाई मानती हैं तो कोई भी बात सही ढंग से समझाएं न कि गुस्से से.

अच्छे गुणों की कद्र करें

आप अपने मुंहबोले भाई के अच्छे गुणों की कद्र करें, क्योंकि हर इंसान में अच्छाई व बुराई दोनों ही होती हैं. उस की कमियों को औरों के सामने उजागर न करें.

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विश्वास जीतें

अपने मुंहबोले भाई का विश्वास जीतने की कोशिश करें. इस के लिए आप दोनों को एकदूसरे को समझना बहुत जरूरी है. बिना एकदूसरे को समझे रिश्ते को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता.

पर्सनल बातों में दखलंदाजी न करें

हर किसी की अपनी पर्सनल लाइफ होती है, ऐसे में आप कभी भी मुंहबोले भाई की पर्सनल लाइफ में बिना उस से पूछे अपनी राय न दें. हो सकता है आप का दखल उसे पसंद न हो.

इन सब बातों का ध्यान रख आप मुंहबोले भाई से शिष्ट और मधुर रिश्ता बनाए रख सकती हैं.

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