Bigg Boss Ott फेम अक्षरा सिंह की फिल्म ‘जान लेबू का’ का फर्स्ट लुक हुआ वायरल

‘बिग बौस ओटीटी’ पर भोजपुरी भाषा की अस्मिता की लड़ाई लड़ते हुए हंगामा बरपा रही भोजपुरी अदाकारा अक्षरा सिंह की पांचों उंगलियां घी में हैं.उन्होने कोरोना काल की आपदा को अवसर बनाते हुए लगभग हर सप्ताह नया संगीत वीडियो ‘यूट्यूब’ चैनल पर पोस्ट करते हुए जमकर शोहरत बटोरी तो
वहीं राहत मिलने पर अपनी भोजपुरी फिल्मों की शूटिंग भी की.

इसी वजह से अक्षरा सिंह  दिनेशलाल यादव निरहुआ के साथ वाली भोजपुरी फिल्म ‘‘जान लेबू का’’ का फर्स्ट लुक बाहर आते ही वायरल हो गया. फिल्म ‘‘जान लेबू का’’की खासियत यह है कि काफी लंबे समय बाद दिनेश लाल यादव निरहुआ और अक्षरा सिंह लंबे समय बाद बड़े पर्दे पर नजर आने वाले हैं. फिल्म के पोस्टर में दोनों का अपियरेंस बेहद आकर्षक और भव्य है.

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मजेदार बात यह है कि अक्षरा सिंह इन दिनों करण जौहर के संचालन में प्रसारित हो रहे ‘बिग बाॅस ओटीटी’पर नजर आ रही हैं, जबकि दिनेश लाल यादव भी सलमान खान के संचालन में ‘बिग बाॅस’का हिस्सा रह चुके हैं और अब यह दोनों कलाकार फिल्म ‘‘जान लेबू का’’ में एक साथ नजर आने वाले हैं.

चर्चाएं हैं कि ‘बिग बाॅस ओटीटी’ की वजह से अक्षरा सिंह को जो शोहरत मिल रही है, उसी को भुनाने के लिए फिल्म‘‘जान लेबू का’’के निर्माता श्रेय श्रीवास्तव और निर्देशक दिनकर कपूर ने फिल्म का फस्ट लुक वायरल किया है.

फिल्म ‘जान लेबू का’ के निर्देशक दिनकर कपूर कहते हैं-‘‘हमारी यह फिल्म एक यथार्थ परक सामाजिक प्रेम कहानी पर आधारित है,जिसे हमने एकदम साफ सुथरे तरीके से और नए ट्रेंड के हिसाब से बनाया है.हमारी फिल्म हर वर्ग में दर्शकों को पसंद आने वाली है.फिल्म के गाने तो अभी से लोग पसंद कर रहे हैं.

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सबसे बड़ी बात यह कि हमारी यह फिल्म अक्षरा सिंह और दिनेषलाल यादव निरहुआ के प्रषंसकों के लिए एक तोहफा होगी. हम सभी के लिए गर्व की बात है कि अक्षरा सिंह,‘बिग बौस ओटीटी’पर भी भोजपुरी भाषा की अस्मिता को आंच नहीं आने दे रही हैं. हम और हमारी फिल्म की पूरी यूनिट की कामना है कि अक्षरा सिंह ‘बिग बौस’ जीत कर ही आएं.

इससे पहले हमारी फिल्म के हीरो दिनेशलाल यादव निरहुआ ने भी ‘बिग बॉस’में भोजपुरी के मान को बढ़ाने के साथ ही भोजपुरी कलाकारों के लिए ऐसे प्लेटफार्म के लिए रास्ता बनाया था.ऐसे दिग्गज कलाकार के साथ फिल्म ‘जान लेबू का’ का निर्माण हुआ है,जिसकी एक झलक अब सभी के सामने है.’’

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फिल्म‘‘जान लेबू’’में दिनेष लाल यादव निरहुआ और अक्षरा सिंह के साथ जोया खान, महिमा गुप्ता, मनोज टाइगर, दीपक भाटिया, नीलिमा पांडेय, इशा, जफर खान, शंकर मिश्रा और अरविंद वाहे की अहम भूमिकाएं हैं. फिल्म के कैमरामैन मनोज कुमार,एक्शन निर्देषक प्रदीप खड़गे,नृत्य निर्देशक संजय कोर्वे, कॉस्ट्यूम डिजायनर बादशाह और संवाद लेखक मांगेश केदार प्रवीन कुमार हैं.

Ghum Hai KisiKey Pyaar Meiin: सई करेगी विराट से प्यार का इजहार? आएगा ये ट्विस्ट

टीवी सीरियल ‘गुम है किसी के प्‍यार में’ में अब तक आपने देखा कि विराट (Neil Bhatt) का ट्रांसफर होने वाला है. जब सई और सम्राट को यह बात पता चलती है तो वो दोनों हैरान हो जाते हैं. उन्हें लगता है कि विराट उन दोनों की वजह से दूर जाना चाहता है. शो के अपकमिंग एपिसोड में बड़ा ट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए कहानी के बारे में.

शो में  दिखाया जा रहा है कि सम्राट अपनी पत्‍नी पत्रलेखा (Aishwarya Sharma) को तलाक देना चाहता है तो उधर विराट का ट्रांसफर हो गया है जिससे वह भी सई से दूर जाने का फैसला करता है.

 

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विराट ने खुद ट्रांसफर के लिए रिक्वेस्ट की है. दूसरी तरफ सबके समझाने के बाद सम्राट अपनी पत्‍नी पत्रलेखा से बात करने जाता है. तो वहीं पत्रलेखा उससे  शिकायत करती है.

 

पत्रलेखा सम्राट से कहती है कि उसने उसे सफाई देने और अपनी बात रखने का मौका ही नहीं दिया. पत्रलेखा उससे चौहान हाउस रुकने के लिए कहती है लेकिन ये भी कहती है कि अगर वह तलाक देना चाहता है तो वह दे सकता है. पत्रलेखा ये भी कहती है कि अगर उसे तलाक मिला तो वह घर से चली जाएगी और सारे रिश्ते तोड़ देगी.

 

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तो दूसरी तरफ विराट सई से प्‍यार करता है लेकिन सई को लगता है कि विराट कभी उससे प्यार नहीं कर सकता. लेकिन शो के लेटेस्ट प्रोमो में दिखाया जा रहा है कि सई विराट के माथे पर किस करती है. प्रोमो के अनुसार क्‍या सई-विराट के बीच प्‍यार की शुरुआत है? शो में ये भी देखना दिलचस्प होगा कि क्या सई विराट को दूर जाने से रोक पायेगी?

मजाक: मिलावटी खाओ, एंटीबॉडी बढ़ाओ

लेखक- अशोक गौतम

इधर अखबार में जब से आईसीएमआर की स्टडी की यह रिपोर्ट हिलोरें मार रही है कि कोवैक्सीन और कोविशिल्ड को अगर एकसाथ मिला दिया जाए, तो इस का असर ज्यादा हो जाता है, तब से अपने शहर के नामीगिरामी मिलावट करने वालों की मूंछों की बिना तेल लगाए ही चमक देखने लायक है. भले की कानून के साथ मिलबैठ कर वे मिलावट का धंधा करते रहे हों, पर जनता की नजरों से छिपे रहते थे.

कल वही मिलावटी लाल सरजी मूंछों पर ताव देते सीना चौड़ा कर मेरे सामने पहाड़ से तन कर खड़े हो गए और मेरा रास्ता रोक दिया. उन्होंने सारे बदन पर गजब का इत्र लगाया हुआ था. उन का पूरा बदन उस समय किस्मकिस्म के असलीनकली मिलावटी इत्रों से महक रहा था.

मिलावटी लाल सरजी बोले, “देखो बबुआ, मिक्सिंग का कमाल. तुम लोग नाहक ही हमें तीसरे दर्जे का व्यापारी समझते हो तो समझते रहो, पर आज तो आईसीएमआर की स्टडी में ने भी मिक्सिंग पर अपनी मुहर लगा दी.

“बबुआ, जो सच है, वह सच है. जो सच था, वह सच था. जो सच है, वह सच ही रहेगा. उसे न तुम बदल सकते, न मैं, न कानून. कानून का डर दिखा कर झूठ को सच तो बनाया जा सकता है, पर सच को झूठ नहीं बनाया जा सकता. और सच यही है कि मिलावट के बिना जिंदगी जिंदगी नहीं, मिलावट के बिना इम्यूनिटी इम्यूनिटी नहीं.

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“हम मानें या न मानें, पर सच तो यही है कि है कि हम लोगों को बिना कौकटेल के कुछ भी पच नहीं सकता. शुद्ध खाने से हम सदियों से बीमार पड़ते रहे हैं. आज भी हम अपनी वही गलती दोहराने की वजह से बीमार पड़ रहे हैं और भविष्य में भी हम ने जो शुद्ध खाने की अपनी गलती नहीं सुधारी तो बीमार पड़ते रहेंगे. हमारी सारी इम्यूनिटी खत्म हो जाएगी, इसीलिए हमें न चाहते हुए भी जनहित में अपनी जान दिखाने को जोखिम में डाल आंखें मूंद जनता की जान बचाने के लिए, जनता की इम्यूनिटी का ग्राफ ऊपर की ओर बढ़ाए रखने के लिए शुद्ध देशी गाय के घी में चरबी मिलानी पड़ती है, असली दूध में नकली दूध मिलाना पड़ता है, चावल में जनता के हित के लिए कंकड़ मिलाने पड़ते हैं, इंगलिश शराब में देशी दारू मिलानी पड़ती है. दक्षिणपंथियों में वामपंथी मिलाने पड़ते हैं.

“किसलिए? इसलिए कि देश की इम्यूनिटी बढ़े, सरकार की इम्यूनिटी बढ़े. हम यह सब इसलिए नहीं करते कि ऐसा करने से हमारा मुनाफा बढ़ता है, बल्कि यह तो हम देश की रोग गतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए करते हैं. और हमारी कोशिशों के नतीजे तुम्हारे सामने हैं.

“कोई हमें चाहे कितना ही देशद्रोही क्यों न कहे, पर हमारे लिए जनता की इम्यूनिटी पहले है, अपना मुनाफा बाद में. पर तुम घटिया सोच वाले हमेशा सोचते उलटा ही हो.

“देशभक्तों को आज देश की चिंता भले ही न हो, पर हमें अपने मुनाफे से ज्यादा जनता की इम्यूनिटी की चिंता है. और ऊपर से एक तुम हो कि रोज सुबह उठ कर सब से पहले मिलावटी दूध की चाय की स्वाद लगा चुसकियां लेते हुए हम मिक्सिंग करने वालों को ही कोसते हो.

“भाई साहब, जो हम दूध में पानी न मिलाते, मसालों में लीद न मिलाते, हलदी में पीला रंग न मिलाते, सच में झूठ न मिलाते, धर्म में लूट न मिलाते, आटे में फाइबर के नाम पर लकड़ी का बुरादा न मिलाते, राग मल्हार में राग गंवार न मिलाते तो बुरा मत मानना भाई साहब, देश में एक भी केवल थाली बजाता, दिन में दीए जलाता कोरोना से कतई भी लड़ नहीं पाता. यह तो हमारी उस मिक्सिंग का ही चमत्कार है, जिस की वजह से इस समय भी देश की इम्यूनिटी सातवें आसमान पर है.

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“वैसे गलती से लाख ढूंढ़ने के बाद भी एक तो हमें आज शुद्ध मिलता ही नहीं, पर गलती से जो हम धोखे से शुद्ध खा ही जाते तो इस समय स्वर्ग की हवा खाते होते, क्योंकि शुद्ध खाने वालों में एंटीबौडीज उतने नहीं होते जितने मिक्सिंग किया खानेपीने वालों में होते हैं. यह बात हम बरसों से कह रहे थे, यह बात हम बरसों से जानते थे, पर कोई हमारी बात मानने को तैयार ही न था, घर का एमडी नीम हकीम जो ठहरा. अब आईसीएमआर कह रहा है तो मानना ही पड़ेगा.

“भाई साहब, गए वे दिन जब लापरवाही बढ़ती थी तो दुर्घटना के चांस बढ़ते थे. अब तो लापरवाही में ही सुरक्षा है.”

बलात्कारी की हार: भाग 1

लेखक- नीरज कुमार मिश्रा

‘‘बधाई हो आप को, बेटी का जन्म हुआ है,’’ नर्स ने बिस्तर पर लेटी हुई प्रीति से कहा.

प्रीति ने उनींदी आंखों से अपनी बेटी की तरफ देखा, उस के होंठों पर मुसकराहट तैर आई और आंखों से चांदी के दो छोटे गोले कपोलों पर ढुलक गए.

प्रीति ने एक लंबी सांस छोड़ी और आंखों को कमरे के एक कोने में टिका दिया. ‘‘नहीं सिस्टर नहीं, यह मेरी बेटी नहीं है. यह तो मेरी जीत है, मेरी जित्ती.’’ अचानक से कह उठी थी प्रीति. कमरे के एक कोने में टिकी आंखों ने यादों की परतों की पड़ताल करनी शुरू कर दी थी.

प्रीति का तबादला आगरा की ब्रांच में हुआ था. बैंक में उस का पहला दिन था और इसी उत्साह में उस ने एक घंटे पहले ही कैब मंगवा ली थी और नियत समय से 15 मिनट पहले ही अपने बैंक जा पहुंची.

10 बजतेबजते ही लगभग सारा स्टाफ आ गया था. आज इस बैंक में प्रीति एक नया चेहरा थी, इसलिए सब ने उस का स्वागत किया.

प्रीति की उम्र 25 वर्ष थी और इस ब्रांच का स्टाफ भी युवा ही था, इसलिए वह बहुत ही जल्दी सब में घुलमिल गई थी.

लंचब्रेक होने पर वह कैंटीन जाने के लिए उठने ही जा रही थी कि तभी एक आवाज ने उस का ध्यान भंग किया.

‘‘प्रीतिजी, मेरा नाम अमित है. अगर आप बुरा न मानें तो मेरे साथ लंच शेयर कर सकती हैं. मां के बनाए हुए ढोकले लाया हूं. साथ देंगी तो अच्छा लगेगा,’’ अमित ने कहा.

प्रीति ने चौंक कर देखा तो वह उस का सहकर्मी था जो कैश मैनेजर की पोस्ट पर था. एक अच्छा शरीर, चेहरे पर घनी मूंछ और आंखों पर हलके लैंस वाला चश्मा और उस की आयु 30 वर्ष के आसपास. कुल मिला कर प्रीति भी अपनेआप को अमित के प्रति आकर्षित होने से न रोक पाई थी.

अमित ने अपना टिफिन आगे बढ़ाया तो सकुचाते हुए प्रीति ने एक ढोकला ले लिया और अमित को थैंक्स कहा.

‘‘जी मैं पिछले एक साल से इसी ब्रांच में काम कर रहा हूं. मैं ने देखा है इस ब्रांच में जो भी लोग आते हैं वे बहुत ही खूबसूरत होते हैं,’’ अमित ने प्रीति की आंखों में ?ांकते हुए कहा.

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अपने आखिरी के शब्द अमित ने कुछ इस तरह कहे थे कि प्रीति कुछ शरमा सी गई थी. अमित का बात करने का अंदाज कुछ ऐसा था कि उस ने पहली ही मुलाकात में प्रीति के बारे में काफीकुछ जान लिया और लोकल घर का पता भी पूछ लिया था.

‘‘अमितजी, मैं यहां पर सिविल लाइंस में एक घर में पेइंगगैस्ट के तौर पर रहती हूं,’’ प्रीति ने बताया.

‘‘ओह, सिविल लाइंस वह तो मेरे घर जाने के रास्ते में ही पड़ता है. अगर आप बुरा न मानें तो मैं कल आते समय आप को पिक कर लूं?’’

अमित ने कुछ ऐसे कहा कि प्रीति को इस में कोई बुराई नहीं नजर आई और उस ने हामी भर दी.

अब तो अमित रोज सुबह प्रीति को पिक करता और शाम को घर जाते समय उसे उस के कमरे पर छोड़ देता.

अमित अपनी बातों में बड़ा बेतकल्लुफ और बेपरवाह सा था. उस की यही बात प्रीति को सब से ज्यादा पसंद भी थी क्योंकि उसे गंभीरता ओढ़े, जिंदगी को गणित के ढंग से जीने वाले लोग पसंद नहीं थे.

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यही वजह थी कि कहीं न कहीं वह अमित में एक आदर्श जीवनसाथी देख चुकी थी.

अमित एक दिन प्रीति को उस के घर छोड़ने जा रहा था कि रास्ते में तेज आंधी और बारिश शुरू हो गई. बहुत मुश्किल से प्रीति का घर आया. बारिश और उग्र हो रही थी, इसलिए प्रीति ने अमित को थोड़ा ठहर कर जाने को कहा जिसे अमित ने सहर्ष मान लिया.

दोनों भीगे हुए थे.  प्रीति चाय बना लाई और दोनों चाय की चुस्कियां लेने लगे. अचानक से बिजली चली गई. प्रीति ने मोबाइल की लाइट जलाई तो महसूस किया कि अमित तो उस के पीछे खड़ा है.

‘‘प्रीति, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं और तुम से शादी करना चाहता हूं,’’ उस के हाथ प्रीति के जिस्म पर फिसल रहे थे.

पता नहीं क्यों अमित की इस हरकत का जवाब कुछ भी नहीं दे पाई प्रीति. उस के मौन को अमित ने उस की स्वीकृति सम?ा और अपने हाथों की गति को तेज कर दिया.

इंद्रधनुष के दो रंग आपस में घुल गए. प्रीति की आंखों में चांदनी उतर आई थी. दो दिलों के मिलने की खुशबू पूरे कमरे में फैल गई. अंदर का तूफान जब शांत हुआ तो दोनों ने देखा कि बाहर का तूफान भी शांत हो चुका था.

प्रीति जो अमित को अपने जीवनसाथी के रूप में मान चुकी थी, इसलिए वह अपने इस नए अनुभव पर शर्मिंदा न हो कर रोमांचित थी और यह रोमांच उस ने अपने तक नहीं रखा बल्कि अपने घर के लोगों के साथ भी बांटा. घर के लोग भी खुश हुए कि चलो अच्छा हुआ जो प्रीति को मनचाहा वर मिल गया.

जब इस रिश्ते को घर वालों से हरी ?ांडी मिल गई तो प्रीति और अमित ने कई बार अपने अंदर के तूफान को अनुभव किया जिस का परिणाम यह हुआ कि प्रीति को गर्भ ठहर गया.

‘‘अमित, सुनो, अब हमें जल्दी शादी कर लेनी चाहिए,’’ कौफीहाउस में अमित के हाथों को अपने हाथों में लेते हुए प्रीति ने कहा.

‘‘क्या… पागल तो नहीं हो गई हो तुम. अरे हम दोनों साथ में काम करते हैं, अगर तुम्हारे साथ थोड़ा एंजौय कर लिया तो तुम तो गले ही पड़ने लगीं,’’ अमित बौखला सा गया था.

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‘‘पर तुम ने तो कहा था कि प्यार करते हो मु?ा से, शादी करना चाहते हो,’’ प्रीति हकला सी गई.

‘‘अरे यार, ऐसे वादे तो खूबसूरत लड़कियों से करने के लिए ही तो होते हैं वरना वे हाथ ही कहां रखने देंगी,’’ अमित ने बेशर्मी दिखाई.

‘‘पर तुम ने तो गलत किया मेरे साथ. यह तो सरासर धोखा है,’’ प्रीति की आवाज डूब रही थी.

ऑनलाइन वर्क: युवाओं में बढ़ता डिप्रेशन

कोरोना के बाद से वर्क फ्रौम होम और औनलाइन क्लासेज का कल्चर पूरे विश्व में बढ़ा है. इस कल्चर के जहां कुछ शुरुआती नफे दिखे, वहीं इस के उलट नुकसान भी दिखाई दे रहे हैं, खासकर, युवाओं को इन से अधिक जू झना पड़ रहा है.

वर्क फ्रौम होम और औनलाइन क्लासेज युवाओं की मैंटल हैल्थ को प्रभावित कर रहे हैं. आज साइकोलौजिस्ट के पास आने वालों में बड़ी संख्या युवाओं की है. वर्क फ्रौम होम और औनलाइन क्लासेज के साइड इफैक्ट्स युवाओं को बीमार बना रहे हैं.

कोरोना के चलते कालेज से ले कर औफिस तक में युवाओं की निर्भरता मोबाइल और नैटवर्क पर बढ़ गई है. शुरूआत के दिनों में इस सिस्टम की सभी ने तारीफ की. कुछ लोगों ने माना कि बढि़या व्यवस्था है. बिना औफिस और कालेज जाए काम चल रहा है. पेरैंट्स इस बात को ले कर खुश थे कि युवाओं की निगरानी नहीं करनी पड़ रही. खासतौर पर लड़कियां अगर घर में हैं तो पेरैंट्स एकदम से चिंतामुक्त थे. बड़े शहरों में काम करने वाले युवा अपने घर वापस आ गए थे और वर्क फ्रौम होम से काम करने लगे थे. शुरुआती दिनों में अच्छा लगने वाला यह माहौल धीरेधीरे मैंटल हैल्थ पर भारी पड़ने लगा.

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साइकोलौजिस्ट डाक्टर नेहा आनंद कहती हैं, ‘‘मेरी क्लीनिक में कई पेरैंट्स अपने युवा बच्चों को ले कर आ रहे हैं जो कालेज या यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले होते हैं या नईनई जौब में होते हैं. कुछ दिनों से या तो वे काफी गुस्से में रहने लगे हैं या फिर एकदम गुमसुम से हो गए हैं. कई में हाई ब्लडप्रैशर के लक्षण दिखने लगे हैं. उन से जब अच्छी तरह से बात की जाती है तो यह पता चलता है कि ‘वर्क फ्रौम होम’ और ‘औनलाइन क्लासेज’ की वजह से परेशानी बढ़ी है. ‘‘दरअसल, इन का उन के स्वास्थ्य पर ही प्रभाव नहीं पड़ रहा बल्कि उन के कार्य की क्षमता भी प्रभावित हो रही है और काम में गलतियां भी निकलने लगी हैं. सामान्य दिनों में अच्छी तरह से काम करने वाले लोग अब गलतियां करने लगे हैं.’’

बोझ बन गईं औनलाइन क्लासेज

ग्रेजुएशन में पढ़ रही वर्तिका बताती हैं, ‘‘शुरू में कुछ दिन तो औनलाइन क्लासेज अच्छी लगीं, लेकिन अब इस में दिक्कत आने लगी है. क्लास में क्या पढ़ाया जा रहा है सम झ नहीं आ रहा. नैटवर्क के कमजोर होने से कनैक्टिविटी सही नहीं होती. कोई जरूरी बात पूछनी हो तो समय निकल जाता है. कई युवा ऐसे होते हैं जो पढ़ाई को गंभीरता से नहीं ले रहे होते हैं. जिन की वजह से और दिक्कतें आती हैं. लगातार औनलाइन क्लासेज से आंखों पर जोर पड़ रहा है. इस के अलावा जब हम क्लासरूम में होते हैं तो केवल वहीं का ध्यान रखना पड़ता है. औनलाइन क्लासेज करते समय हमें पेरैंट्स और घर के दूसरे लोगों की बातें सुननी पड़ती हैं. बीचबीच में कुछ घर के काम भी मैनेज करने होते हैं. इन सब की वजह से अब औनलाइन क्लासें बो झ सी लगने लगी हैं.’’

क्लास ही नहीं, कोचिंग और ट्यूशन भी औनलाइन चल रहे हैं. कालेज और क्लासरूम में एकाग्रता बनी रहती थी. घर में पेरैंट्स की टोकाटाकी लगी रहती है. कालेज के दिनों में जब क्लासरूम में युवा होते थे तब उन का मोबाइल या तो बंद रहता था या फिर साइलैंट मोड पर होता था. औनलाइन क्लासों के समय मोबाइल खुला रहता है. इस वजह से तमाम मैसेज और नोटिफिकेशन आते रहते हैं. इस के कारण पढ़ाई से ध्यान भंग होता रहता है. एक ही जगह बंद रह कर काम करने से टैंशन और गुस्सा बढ़ने लगा है. जो डिप्रैशन और ब्लडप्रैशर को बढ़ाने का काम कर रहा है.

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वर्क फ्रौम होम ने बढ़ाए काम के घंटे

साइकोलौजिस्ट डाक्टर सोनल गुप्ता बताती हैं, ‘‘मैंटल हैल्थ की परेशानियों को ले कर आने वालों में सब से अधिक संख्या युवाओं की है. निजी कंपनियों में काम कर रहे युवा इस वजह से परेशान होते हैं कि उन के काम के घंटे खत्म हो गए हैं. वर्क फ्रौम होम में कंपनी यह मानती है कि हम घर से काम कर रहे हैं तो हमारे खर्चे घट गए हैं. उस ने तमाम तरह के इंसैंटिव खत्म कर दिए. सैलरी में कटौती कर दी. जब औफिस में काम करते थे तो काम के घंटे तय थे. अब सारे दिन और रात काम में लगे रहना पड़ता है. घरों में औफिस जैसा काम करने का माहौल नहीं है. ऐसे में काम करने में असुविधा होती है. औफिस में काम कई लोगों में बंट जाता था. कुछ सम झ नहीं आ रहा हो तो किसी सहयोगी से सलाह मिल जाती थी. अब ऐसा नहीं होता है, जिस की वजह से उन में तनाव बढ़ने लगा है.’’

यह सही है कि औफिस में काम करते समय दिनचर्या का रूटीन होता था. सुबह तैयार हो कर औफिस जाना, वहां दोस्तोंसहयोगियों से मिलना, रास्ते में शहर को देखते जाना आदि.

अब सुबह से शाम घर से ही काम करने में बोरियत होने लगी है. ऐसे में नौकरी के जाने, वेतन के कटने और दूसरी तमाम तरह की मुसीबतों से डिप्रैशन बढ़ने लगा है. यह युवाओं में तमाम तरह के हैल्थ इशू ले कर आ रहा है. हार्ट की बीमारियां ज्यादा बढ़ रही हैं.

दोस्त और सहयोगियों से दूरी

औफिस में तमाम ऐसे काम होते थे जो एकदूसरे की सलाह और सहयोग से पूरे हो जाते थे. वर्क फ्रौम होम में सारे काम खुद करने पड़ रहे हैं. ईमेल, व्हाट्सऐप, वीडियोकौल और जूम मीटिंग अब बोरियत का कारण होने लगे हैं. वर्क फ्रौम होम में घर वालों को लगता है कि अब तो औफिस भी नहीं जाना पड़ता है. औफिस वालों को लगता है घर से काम चल रहा है. ऐसे में युवा औफिस और घर दोनों की नजरों में काम नहीं कर रहा. औफिस से घर आने पर पहले स्वागत होता था. अच्छाअच्छा खाना मिलता था. अब ऐसा लग रहा जैसे खाना मांग कर अपराध कर रहे हों. घर के लोग भी ऐसे व्यवहार कर रहे हैं जैसे हम घर के काम न कर के केवल टाइमपास कर रहे हों.

वर्क फ्रौम होम में काम कर रहे हरीश नौटियाल कहते हैं, ‘‘घर और औफिस दोनों की नजरों में हम मेहनत नहीं कर होते हैं. इस से भी अधिक कमी हम दोस्तों, सहयोगियों के साथ चाय की चुस्कियों, उन के साथ हंसीखुशी के पलों, चुहलबाजियों और गौसिप को मिस कर रहे हैं. इस की वजह से हम तमाम तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. हमें रविवार की छुट्टी का रोमांच नहीं रह गया. हम वीकैंड की मस्ती को जी नहीं पा रहे. वर्क फ्रौम होम हमें युवावस्था में ही बुढ़ापे की तरफ ले कर जा रहा है.’’

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कैसे संभालें हालात

कोरोना का प्रभाव कम होने के साथ ही साथ हालात को धीरेधीरे पटरी पर लाने का प्रयास करना चाहिए.

वर्चुअल वर्क से ही काम नहीं चलेगा. ऐसे में वापस औफिस कल्चर पर आना चाहिए.

वर्क फ्रौम होम में काम के घंटे तय हों. ऐसे लोगों के प्रोत्साहन के लिए प्रयास किए जाएं.

आर्थिक हालात के लिए तमाम दूसरे कारण जिम्मेदार हैं. केवल कर्मचारियों को ही जिम्मेदार नहीं मानना चाहिए.

लौकडाउन के पहले जो स्टाफ था, अचानक उसे खराब बताना तार्किक नहीं है. आपसी सामंजस्य से ही हालात बेहतर होंगे.

युवाओं को अपनी डाइट और ऐक्सरसाइज पर ध्यान देना चाहिए. उन को अपने आत्मविश्वास को बनाए रखने की जरूरत है.

युवाओं को अपने दोस्तोंसहयोगियों से बात करते रहना चाहिए. सावधानी से खुली हवा में घूमना चाहिए.

Satyakatha: लॉकडाउन में इश्क का उफान- भाग 1

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- शाहनवाज

दिल्ली के करावल नगर की घटना एक ऐसे ही प्रेमी युगल की दास्तान है, जो वासना की भेंट चढ गया. करीब डेढ़ साल पहले दीपक दिल्ली में अपने चाचा रमेश के पास रहने गया था. वहां रह कर

वह कोई काम सीखना चाहता था, लेकिन इसी बीच मार्च 2020 में लौकडाउन लगने पर वह वापस अपने घर बागपत लौट आया था. इस साल मार्च में दोबारा दिल्ली जाने वाला ही था कि तभी दोबारा लौकडाउन लग गया.

अब वह यही सोच रहा था कि जितनी जल्द हो सके यह लौकडाउन खुले, जिस से वह दिल्ली जाए. जून में जब दिल्ली का लौकडाउन खुल गया तो वह दिल्ली जाने के लिए मां से जिद करने लगा, ‘‘मम्मी मैं दिल्ली जाऊंगा.’’

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‘‘क्यों बेटा अभी कोरोना खत्म नहीं हुआ है.’’ मां बोली.

‘‘लेकिन मम्मी, लौकाडाउन तो खत्म हो गया है.’’

‘‘वहां जा कर करेगा क्या?’’ मां ने पूछा.

‘‘कोई काम करूंगा. पैसे कमा कर लाऊंगा. वैसे भी यहां भी तो खाली हूं.’’

‘‘ठीक है, इस बारे में पहले मैं तेरे पापा से बात करूंगी,’’ मां बोली.

बागपत का रहने वाला दीपक अपनी मां से दिल्ली जाने की जिद पर अड़ा था. इस बारे में उस की मां ने अपने पति से बात की तो पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन मिन्नत करने पर वह  मान गए.

अपने मातापिता को मना कर दीपक 2 जुलाई, 2021 को दिल्ली के करावल नगर में रह रहे अपने चाचा रमेश के पास आ गया. उस के मातापिता भले ही समझ रहे थे कि उन का बेटा दिल्ली काम करने के लिए गया है, लेकिन उस के दिल्ली आने की वजह कुछ और ही थी.

रमेश करावल नगर में किराए के कमरे में अकेले रहते थे. उन के पास दीपक दिन में ही आ गया था. उस दिन वह अपने काम पर नहीं गए थे. क्योंकि उन की शिफ्ट बदल गई थी. अचानक दीपक को आया देख वह चौंक गए. परिवार में सब का हालचाल लिया, फिर सुबह जो कुछ खाना पकाया था, वह उसे खाने को दिया.

दीपक खाना खा कर अपने पुराने दोस्त से मिलने को कह कर निकल गया. उस के चाचा भी खानेपीने का सामान लाने बाजार चले गए.

दीपक सीधा अपनी प्रेमिका पूजा के पास गया. पूजा भी उसे अचानक आया देख चौंक गई. लंबे समय बाद दीपक को देख वह उस के गले लिपट गई. कुछ पलों बाद वह अलग हुई और अपना नया मोबाइल नंबर दीपक को देते हुए बोली, ‘‘दीपक, तुम अभी चले जाओ, अब शाम को मिलना. मैं फोन करूंगी. क्योंकि अभी पापा आने  वाले हैं.’’

‘‘ सब ठीक है न?’’ दीपक ने पूछा.

‘‘ हांहां, मैं ठीक हूं. ये मास्क लो, लगा लेना नहीं तो फाइन भरना पड़ेगा.’’ पूजा ने मास्क दिया.

‘ पापा अभी भी नाराज हैं?’’ दीपक ने पूछा.

‘‘ हां, लेकिन मैं उन्हें मना लूंगी. ये मोहल्ले वाले ही उन को हमेशा भड़काते रहते हैं.’’

‘‘ कोई बात नहीं, मैं अभी चलता हूं. फोन करूंगा. आज ही नया नंबर ले लूंगा.’’

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उस समय पूजा के पिता सत्यवीर सिंह घर पर नहीं थे. गलीमोहल्ले वाले दीपक को अच्छी तरह से पहचानते थे. वह उस के और पूजा के संबंधों के बारे में जानते थे. उन्हें यह भी पता था कि उस की वजह से पिछले साल गली में कितना हंगामा खड़ा हो गया था.

उस रोज भी दीपक का पूजा के घर जाना गली के अधिकतर लोगों ने देखा. उन्हीं में से एक ने सत्यवीर को दीपक के आने की जानकारी दे दी.

यह भी हिदायत दी कि उस की बेटी पूजा की करतूत अभी भी ठीक नहीं है. उसे संभालें, अच्छे से समझाएं. उस की हरकतों का असर उन के बच्चों पर भी पड़ेगा.

यह जान कर सत्यवीर अपनी बेटी पर आगबबूला हो गया था. उस ने पूजा को काफी डांटफटकार लगाई.

हालांकि सत्यवीर की डांट और चेतावनी का असर पूजा पर कुछ भी नहीं हुआ. इस का कारण भी था, वह दीपक से बेइंतहा प्यार करती थी. काफी समय से उस से मिलने को बेचैन थी. उस के मन में दीपक के लिए प्यार दबा हुआ था. उस के प्यार का उफान पिता की डांट से कहां थमने वाला था.

दीपक की हालत उस से कहीं अधिक बेचैनी वाली थी. अब जा कर उसे मिलने का मौका मिला था. उस ने तुरंत एक सैकंडहैंड स्मार्टफोन खरीदा और अपने चाचा की आईडी से नया सिम कार्ड ले लिया.

उस के एक्टिवेट होते ही सब से पहली काल उस ने प्रेमिका पूजा को कर के अपना नया नंबर सेव करने के लिए कहा.

उन की बातें फोन पर लगातार होने लगीं. पूजा ने फिलहाल उसे घर आने से मना किया था. इसी तरह 4-5 दिन निकल गए. दीपक पूजा से फिर मिलने को बेचैन हो गया था.

उसे लग रहा था कि पास आ कर भी वह पूजा से दूर क्यों है? दीपक के मन में पूजा के लिए दबी कुंठाएं अब दबने का नाम ही नहीं ले रही थीं. ऐसा ही हाल पूजा का भी था.

अगले भाग में पढ़ें-  दीपक को जरा भी आभास नहीं था कि वह इस बार पकड़ा जाएगा

भोजपुरी एक्टर Khesari Lal Yadav ने लाइव के दौरान मिलाया अपनी धोखेबाज गर्लफ्रेंड से, देखें Video

भोजपुरी के सुपरस्टार  खेसारी लाल यादव (khesari lal yadav) सोशल मीडिया पर इन दिनों काफी एक्टिव रहते हैं. वह अक्सर फैंस के साथ फोटोज और वीडियो शेयर करते रहते हैं. फैंस को भी खेसारी लाल यादव के पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है. सोशल मीडिया पर एक्टर फैंस के साथ लाइव भी करते हैं.

हाल ही में एक्टर ने फैंस के सवालों का जवाब दिया और उनसे ढेर सारी बातें की.  दरअसल रक्षाबंधन के मौके पर खेसारी लाल यादव फैंस के साथ लाइव किये. इस दौरान उन्होंने फैंस से अपनी ‘धोखेबाज गर्लफ्रेंड’ से मुलाकात करवाई.

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दरअसल, खेसारी लाल यादव अपने नए गाने ‘बस कर पगली’ के प्रमोशन के लिए आए. इस गाने के वीडियो में  खेसारी के साथ मेघा शाह भी नजर आ रही हैं.  उन्होंने लाइव वीडियो के जरिए अपने गाने के बारे में बताया.

 

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वीडियो में एक्टर ये कहते हुए दिखाई दिये कि ‘मेरा आज लाइव जरूरी काम से आया हूं,  मेरा नया गाना ‘बस कर पगली’ रिलीज हुआ है. इसे बिहार की कंपनी SRK म्यूजिक भोजपुरी द्वारा रिलीज किया गया है.

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खेसारी लाल यादव ने ये भी कहा कि ‘हम तो सिर्फ आप लोगों के लिए प्यार भरे गाने गाते हैं,  हमारा तो इधर-उधर कोई चक्कर नहीं है.  एक्टर ने लाइव के दौरान एक्ट्रेस मेघा शाह (Megha Shah) से भी मुलाकात करवाई. उन्होंने भी फैंस से बातचीत की.

‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ के कार्तिक की होने वाली है छुट्टी! पढ़ें खबर

स्टार प्लस का सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ ( Yeh rishta kya kehlata hai) में हाल ही में कार्तिक और सीरत की जिंदगी में खुशियों ने दस्तक दी है. वो दोनों एक हो चुके हैं. इसी बीच खबर आ रही है कि शो से कार्तिक यानी मोहसिन खान (Mohsin Khan) की छुट्टी होने वाली है.

जी हां, सही सुना आपने. दरअसल शो के मेकर्स कहानी में बड़ा बदलाव करने वाले हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मोहसिन खान जल्द ही सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है को अलविदा कहने वाले हैं.

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रिपोर्ट के अनुसार मोहसिन खान बीते साढ़े पांच साल से ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ में काम कर रहे हैं. बताया जा रहा है कि मोहसिन खान ने शो छोड़ने का फैसला किया है.

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शो में जल्द ही जनरेशन लीप आने वाला है. ऐसे में कार्तिक का किरदार एक उम्रदराज आदमी क हो जाएगा. खबरों के अनुसार मोहसीन यह किरदार नहीं निभाना चाहते हैं इसलिए उन्होंने छोड़ने का फैसला किया है.

 

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खबरो की माने तो मोहसिन खान और ये रिश्ता क्या कहलाता है के मेकर्स के बीच बातचीत चल रही है. हालांकि मोहसीन खान ने इस खबर पर मुहर नहीं लगाई है.

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