Crime Story: पुलिस वाले की खूनी मोहब्बत- भाग 2

अधिकारियों ने इस एंगल पर भी विचार किया कि स्वीटी का किसी दूसरे व्यक्ति से कोई प्रेम प्रसंग तो नहीं था. इस के लिए अजय सहित उस के मकान के आसपास के लोगों और रिश्तेदारों से पूछताछ की गई, लेकिन इस बात में कोई दम नजर नहीं आया.

पुलिस अपने तरीके से स्वीटी की तलाश में जुटी हुई थी. इस दौरान जुलाई के दूसरे सप्ताह में वडोदरा से कुछ दूर भरूच जिले के अटाली गांव के पास एक अधूरी पड़ी निर्माणाधीन बिल्डिंग के पिछवाड़े पुलिस को कुछ जली हुई हड्डियां मिलीं.

पुलिस ने फोरैंसिक विशेषज्ञों से उन हड्डियों की जांच कराई तो पता चला कि वह हड्डियां किसी इंसान की थीं.

जली हुई इंसानी हड्डियां मिलने पर स्वीटी के लापता होने में पुलिस अधिकारियों का शक इंसपेक्टर अजय पर गहरा गया. उस से सख्ती से पूछताछ की गई, लेकिन वह अपनी पत्नी के लापता होने की बात ही कहता रहा.

आखिर पुलिस अधिकारियों ने अजय के सच और झूठ बोलने का पता लगाने के लिए विभिन्न परीक्षण कराने का फैसला किया. इस के अलावा जली हुई हड्डियों का पता लगाने के लिए डीएनए टेस्ट कराने का भी निर्णय लिया गया.

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पुलिस ने सब से पहले गांधीनगर की विधि विज्ञान प्रयोगशाला में अजय की सीडीएस जांच कराई. इजरायल की विशेष रूप से स्थापित तकनीक सीडीएस जांच के जरिए विभिन्न सवालों के जरिए संदिग्ध व्यक्ति के पसीने और शरीर के तापमान के आधार पर सच्चाई का पता लगाया जाता है.

इस के बाद पुलिस ने उस के पौलीग्राफ टेस्ट और नारको टेस्ट के लिए अदालत से अनुमति मांगी.

स्वीटी के 2 साल के बेटे अंश का डीएनए टेस्ट कराया गया, ताकि यह पता लगाया जा सके कि बरामद हुई हड्डियां स्वीटी की हैं या नहीं.

इंसपेक्टर अजय का कराया पौलीग्राफ टेस्ट

बाद में अदालत से अनुमति मिलने पर पुलिस ने अजय का पौलीग्राफ टेस्ट भी कराया. पौलीग्राफ टेस्ट की प्रक्रिया 2 दिन तक चलती रही.

इस बीच, पुलिस को यह बात पता चली कि स्वीटी अपने बेटे से मिलने के लिए आस्ट्रेलिया जा सकती है. इस संभावना को देखते हुए पुलिस ने स्वीटी के पहले पति हेतस पांड्या और बेटे से औनलाइन पूछताछ की.

पुलिस ने हेतस पांड्या से स्वीटी के संपर्क में आने और इस के बाद दोनों के अलग होने के बारे में जानकारी ली.

इस पूछताछ में यह बात सामने आई कि स्वीटी ने अपने बेटे रिदम से कुछ महीने पहले आस्ट्रेलिया आ कर मिलने की बात कही थी, लेकिन स्वीटी आस्ट्रेलिया गई नहीं थी. हेतस पांड्या ने पूछताछ में यह भी बताया कि संभवत: स्वीटी के पासपोर्ट का नवीनीकरण नहीं हुआ है.

स्वीटी के लापता होने के बाद से उस के पहले बेटे रिदम ने आस्ट्रेलिया से ही सोशल मीडिया के जरिए अपनी मां की तलाश का अभियान छेड़ दिया था. तमाम तरह की तकनीकी और एफएसएल जांच कराने के बावजूद कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया था. कैलेंडर की तारीखें रोजाना बदलती जा रही थीं.

स्वीटी को लापता हुए करीब डेढ़ महीने का समय बीत गया था, लेकिन उस का कुछ पता नहीं चला था. यह भी पता नहीं चल सका था कि वह जीवित है या मर चुकी.

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क्राइम ब्रांच ने संभाली जांच

पुलिस की लगातार हो रही आलोचनाओं को देखते हुए गुजरात सरकार ने जुलाई के तीसरे सप्ताह में इस मामले की जांच अहमदाबाद क्राइम ब्रांच को सौंप दी. क्राइम ब्रांच के अफसरों ने नए सिरे से मामले की जांचपड़ताल शुरू की.

पुलिस अफसरों ने मीटिंग कर इस मामले में अब तक की जांच पर गहराई से विचारविमर्श किया. इस में यही बात सामने आई कि यह घरेलू मामला है. इस का राज उस के पति पुलिस इंसपेक्टर अजय से पूछताछ में ही निकल सकता है.

इस के लिए अजय की नारको टेस्ट कराने की अदालत से अनुमति मिल गई, लेकिन अजय ने अपनी मानसिक और शारीरिक स्थिति ठीक नहीं बताते हुए नारको टेस्ट देने में सक्षम नहीं बताया.

दरअसल, अजय पुलिस इंसपेक्टर था. उसे कानून की खामियां और पुलिस की

सीमा रेखा भी पता थी. पुलिस नारको टेस्ट के लिए उस से जबरदस्ती नहीं कर सकती थी और न ही उस से सख्ती से पूछताछ कर सकती थी.

अजय की ओर से नारको टेस्ट कराने से इनकार करने पर क्राइम ब्रांच के अफसरों का शक उस पर गहरा गया. उन्होंने उस के शहर छोड़ कर जाने पर रोक लगा दी गई.

इस के साथ ही क्राइम ब्रांच के अफसरों ने अजय के मकान से जांच शुरू करने और अटाली गांव में एक बिल्डिंग के पीछे जहां इंसानी हड्डियां मिली थीं, वहां का मौकामुआयना करने का निर्णय किया.

क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने 23 जुलाई को अजय के प्रयोशा सोसायटी स्थित फ्लैट की जांचपड़ताल की.

इस में एक पुराने पुलिस वाले ने अपने अनुभव के आधार पर बाथरूम को कैमिकल से सफाई करवा कर देखा तो वहां खून के कुछ धब्बे मिले. इस के बाद पुलिस ने अपनी जांचपड़ताल तेज कर दी और कुछ जरूरी सबूत जुटाने के लिए अजय से फिर पूछताछ की.

आखिर पुलिस ने 49वें दिन स्वीटी के गायब होने की गुत्थी सुलझा कर 24 जुलाई, 2021 को इस मामले का परदाफाश कर दिया. स्वीटी पटेल की हत्या हो चुकी थी.

पुलिस ने स्वीटी की हत्या के मामले में उस के पति पुलिस इंसपेक्टर अजय देसाई और उस के दोस्त कांग्रेस नेता किरीट सिंह जडेजा को गिरफ्तार कर लिया. किरीट सिंह ने कांग्रेस टिकट पर पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था.

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अजय देसाई और किरीट सिंह जड़ेजा से पूछताछ और पुलिस की जांचपड़ताल में स्वीटी की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार है—

अजय देसाई से प्रेम विवाह करने के बाद स्वीटी खुश थी. किसी बात की कोई परेशानी नहीं थी. अजय से उस के एक बेटा भी हो गया था. वह पति और बेटे के साथ मौज की जिंदगी गुजार रही थी.

स्वीटी ने भले ही अपने पहले पति हेतस पांड्या से तलाक ले लिया था, लेकिन वह अपने पहले बेटे रिदम से बहुत प्यार करती थी. आस्ट्रेलिया में अपने पापा के साथ रहने वाले रिदम से स्वीटी लगभग रोजाना फोन पर बात करती थी. हेतस को इस में कोई ऐतराज नहीं था. हेतस के मन में स्वीटी के प्रति भी कोई कटुता नहीं थी.

इंसपेक्टर अजय ने कर ली थी दूसरी शादी

सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. पति अजय पुलिस इंसपेक्टर था. उस का अपना रौबदाब था. इसलिए स्वीटी को अजय पर फख्र भी था.

स्वीटी से प्रेम विवाह के कुछ दिनों बाद ही अजय ने अपने समाज की एक युवती पूजा से विधिवत शादी कर ली. अजय ने स्वीटी को यह बात नहीं बताई. स्वीटी को भी इस बात का पता नहीं चला. अजय ने अपनी दूसरी पत्नी पूजा को दूसरी जगह मकान दिलवा दिया.

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सिंदूरी मूर्ति- भाग 1: जब राघव-रम्या के प्यार के बीच आया जाति का बंधन

अभी लोकल ट्रेन आने में 15 मिनट बाकी थे. रम्या बारबार प्लेटफौर्म की दूसरी तरफ देख रही थी. ‘राघव अभी तक नहीं आया. अगर यह लोकल ट्रेन छूट गई तो फिर अगली के लिए आधे घंटे का इंतजार करना पड़ेगा’, रम्या सोच रही थी.

तभी रम्या को राघव आता दिखाई दिया. उस ने मुसकरा कर हाथ हिलाया. राघव ने भी उसे एक मुसकान उछाल दी. रम्या ने अपने इर्दगिर्द नजर दौड़ाई. अभी सुबह के 7 बजे थे. लिहाजा स्टेशन पर अधिक भीड़ नहीं थी. एक कोने में कंधे से स्कूल बैग लटकाए 3-4 किशोर, एक अधेड़ उम्र का जोड़ा व कुछ दूरी पर खड़े लफंगे टाइप के 4-5 युवकों के अलावा स्टेशन एकदम खाली था.

रम्या प्लेफौर्म की बैंच से उठ कर प्लेटफौर्म के किनारे आ कर खड़ी हुई तो उस का मोबाइल बज उठा. उस ने अपने मोबाइल को औन किया ही था कि अचानक किसी ने पीछे से उस की पीठ में छुरा भोंक दिया. एक तेज धक्के से वह पेट के बल गिर पड़ी, जिस से उस का सिर भी फट गया और वह बेहोश हो गई.

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राघव जब तक उस तक पहुंच पाता, हमलावर नौ दो ग्यारह हो चुका था. चारों तरफ चीखपुकार गूंज उठी. रेलवे पुलिस ने तत्काल उसे सरकारी अस्पताल पहुंचाने का इंतजाम किया. रम्या के मोबाइल फोन से उस के पापा को कौल की. संयोग से वे स्टेशन के बाहर ही खड़े हो अपने एक पुराने परिचित से बातचीत में मग्न हो गए थे. वे उस रोज रम्या के साथ ही घर से स्टेशन तक आए थे. उन्हें चेंग्ल्पप्त स्टेशन पर कुछ काम था. इसीलिए वे बाहर निकल गए जबकि रम्या परानुरू की लोकल ट्रेन पकड़ने के लिए स्टेशन पर ही रुक गई. रम्या रोज 2 ट्रेनें बदल कर महिंद्रा सिटी अपने औफिस पहुंचती थी.

अचानक फोन पर यह खबर सुन कर रम्या के पिता की हालत बिगड़ने लगी. यह देख कर उन के परिचित उन्हें धैर्य बंधाते हुए साथ में अस्पताल चल पड़े.

रम्या को तुरंत आईसीयू में भरती कर लिया गया. घर से भी उस की मां, बड़ी बहन, जीजा सभी अस्पताल पहुंच गए. डाक्टर ने 24 घंटे का अल्टीमेटम देते हुए कह दिया कि यदि इतने घंटे सकुशल निकल गए तो बचने की उम्मीद है.

मां और बहन का रोरो कर बुरा हाल था. उन का दामाद, डाक्टर और मैडिकल स्टोर के बीच चक्करघिन्नी सा घूम रहा था.

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राघव सिर पकड़े एक कोने की बैंच पर  बैठ गया. वह दूर से रम्या के मम्मीपापा और बड़ी बहन को देख रहा था. क्या बोले और कैसे, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था. रम्या ने बताया था कि उस के परिवार के लोग गांव में रहते हैं. अत: वे तमिल के अलावा और कोई भाषा नहीं जानते थे जबकि वह शुरू से ही पढ़ाई में होशियार थी. इसीलिए गांव से निकल कर होस्टल में पढ़ने आ गई थी और फिर इंजीनियरिंग कर नौकरी कर रही थी वरना उस की दीदी का तो 12वीं कक्षा के बाद ही पास के गांव में एक संपन्न किसान परिवार में विवाह कर दिया गया था. सुबह से दोपहर हो गई वह अपनी जगह से हिला ही नहीं, अंदर जाने की किसी को अनुमति नहीं थी. उस ने रम्या की खबर उस के औफिस में दी तो कुछ सहकर्मियों ने शाम को हौस्पिटल आने का आश्वासन दिया. अब वह बैठा उन लोगों का इंतजार कर रहा था. वे आए तभी वह भी रम्या के मातापिता से अपनी भावनाएं व्यक्त कर सका.

पिछले 2 सालों से राघव और रम्या औफिस की एक ही बिल्डिंग में काम कर रहे थे. रम्या एक तमिल ब्राह्मण परिवार से थी, जो काफी संपन्न किसान परिवार था, जबकि राघव उत्तर प्रदेश के पिछड़े वर्ग के गरीब परिवार से था. उस का और रम्या का कोई तालमेल ही नहीं, मगर न जाने वह कौन सी अदृश्य डोर से उस की ओर खिंचा चला गया.

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उस की पहली मुलाकात भी रम्या से इसी चेंग्ल्पप्त स्टेशन पर हुई थी, जहां से उसे परानुरू के लिए लोकल ट्रेन पकड़नी थी. उस दिन अपनी कंपनी का ही आईडी कार्ड लटकाए रम्या को देख कर वह हिम्मत कर उस के नजदीक पहुंच गया. जब रम्या को ज्ञात हुआ कि वह पहली बार लोकल ट्रेन पकड़ने आया है तो उस ने उस से कहा भी था कि जब उसे पीजी में ही रहना है तो परानुरू की महिंद्रा सिटी में शिफ्ट हो जाए. रोजरोज की परानुरू से चेंग्ल्पप्त की लोकल नहीं पकड़नी पड़ेगी.

Crime Story: पीपीई किट में दफन हुई दोस्ती- भाग 1

21जून, 2021 की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे सचिन अपने घर पर सो रहा था, तभी उस के मोबाइल पर वाट्सऐप काल आई. सचिन उठा और जाने के लिए तैयार हुआ. लेकिन वह गया नहीं, कुछ देर बाद कपड़े उतार कर वह लेट गया. बिस्तर पर लेटे हुए वह कुछ सोचने लगा, तभी उसे भूख लगी तो उस ने मां अनीता से खाने के लिए कुछ देने को कहा. मां ने उसे सैंडविच बना कर दिया.

इसी बीच दोबारा फोन आया तो फोन पर बात करने के बाद वह टीशर्ट और लोअर में ही सैंडविच खाते हुए चप्पलें पहने ही घर से जाने लगा. मां ने कहा, ‘‘बेटा, तुम ने अभी नाश्ता भी नहीं किया है, कहां जा रहे हो, पहले नाश्ता तो कर लो?’’

‘‘मां, बस अभी लौट कर आता हूं.’’  सचिन ने कहा और वह घर से चला गया.

काफी देर तक जब सचिन नहीं लौटा तो मां को चिंता हुई. वह उसे लगातार उसे फोन कर रही थीं, लेकिन सचिन काल रिसीव करने के बजाय बारबार फोन काट देता था. अनीता समझ नहीं पा रही थीं कि सचिन ऐसा क्यों कर रहा है. उस के आने के इंतजार में रात भी हो गई.

रात 11.37 बजे सचिन के पिता सुरेश चौहान के फोन की घंटी बजी. लेकिन नींद में होने के कारण वह फोन उठा नहीं सके. तब अनीता ने देखा तो वह मिस्ड काल उन के बेटे सचिन की ही थी. तब उन्होंने 11.55 बजे कालबैक की. मगर सचिन की जगह कोई और फोन पर बात कर रहा था. अनीता ने पूछा कौन बोल रहे हो? इस पर उस ने कहा, ‘‘मैं सचिन का दोस्त हूं.’’

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‘‘सचिन कहां हैं?’’ अनीता ने पूछा.

‘‘उस ने शराब ज्यादा पी ली है, इसलिए वह सो रहा है. वैसे सचिन इस समय नोएडा में है.’’ उस ने बताया.

‘‘नोएडा…वह वहां कैसे पहुंचा?’’ उन्होंने पूछा.

‘‘यह बात तो आप को सचिन ही बताएगा.’’

‘‘तुम मेरी सचिन से बात कराओ.’’

‘‘सचिन अभी बात करने की कंडीशन में नहीं है, आप सुबह बात कर लेना,’’ कहते हुए उस ने सचिन का फोन स्विच्ड औफ कर दिया.

उत्तर प्रदेश की ताजनगरी आगरा के थाना न्यू आगरा के दयालबाग क्षेत्र की जयराम बाग कालोनी निवासी कोल्ड स्टोरेज कारोबारी सुरेश चौहान के 25 वर्षीय इकलौते बेटे सचिन चौहान का घरवाले सारी रात बेचैनी से इंतजार करते रहे. लेकिन उस का फोन औन नहीं हुआ.

बेटे के बारे में कोई सुराग न मिलने पर दूसरे दिन मंगलवार को घर वालों ने आसपड़ोस के साथ ही रिश्तेदारी में तलाश किया. लेकिन सचिन का कोई सुराग नहीं मिला. पूरे दिन तलाश करने के बाद 22 जून की शाम तक जब सचिन नहीं लौटा और न उस का मोबाइल

औन हुआ, तब पिता सुरेश चौहान अपने पार्टनर लेखराज चौहान के साथ थाना न्यू आगरा पहुंचे.

उन्होंने थानाप्रभारी भूपेंद्र बालियान को बेटे के लापता होने के बारे में बताया. पुलिस ने उन की तहरीर पर सचिन की गुमशुदगी दर्ज कर ली. पुलिस ने उन से फिरौती के लिए फोन आने के बारे में पूछा. सुरेश चौहान ने इस पर इनकार कर दिया. फिरौती के लिए फोन न आने की बात पर पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. कह दिया कि यारदोस्तों के साथ कहीं चला गया होगा और 1-2 दिन में आ जाएगा.

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पुलिस के रवैए से असंतुष्ट सुरेश चौहान तब खुद ही अपने बेटे की तलाश में जुट गए. उन्होंने कालोनी में रहने वाले एक सेवानिवृत्त अधिकारी से भी मदद ली. उन्हें सीसीटीवी की एक फुटेज मिली, जिस में बाइक सवार 2 युवक नजर आ रहे थे. इन में से पीछे बैठा युवक भी हेलमेट लगाए था.

यह सचिन ही था. यह जानकारी उन्होंने पुलिस को दी. फुटेज देखने के बाद पुलिस ने कहा कि इस में अपहरण जैसी कोई बात नहीं है. इस में तो आप का बेटा सचिन खुद अपनी मरजी से बाइक पर बैठा नजर आ रहा है.

3 दिन तक जब सचिन का कोई सुराग नहीं मिला तो घर वाले परेशान हो गए. पुलिस भी उन से परिचितों व रिश्तेदारी में तलाश करने की बात कहती रही. सुरेश चौहान के बिजनैस पार्टनर लेखराज चौहान के एक रिश्तेदार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में तैनात थे. लेखराज ने उन्हें फोन किया.

फिर मुख्यमंत्री कार्यालय के हस्तक्षेप के बाद मामला उत्तर प्रदेश की एसटीएफ के सुपुर्द किया गया. एसटीएफ ने 23 जून को इस मामले में छानबीन शुरू कर दी. सब से पहले एसटीएफ ने सीसीटीवी वाली फुटेज देखी. जिस में सचिन बाइक पर पीछे हेलमेट लगाए बैठा था.

एसटीएफ ने टेक्निकल रूप से जांच शुरू की. जांच शुरू की तो कड़ी से कड़ी जुड़ती चली गई और पुलिस केस के खुलासे के नजदीक पहुंच गई. पुलिस को पता चला कि सचिन का अपहरण कर लिया गया है.

27 जून की रात को पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि इस घटना में शामिल एक आरोपी वाटर वर्क्स चौराहे पर मौजूद है. समय पर पुलिस वहां पहुंच गई और एसटीएफ ने उसे धर दबोचा. पकड़ा गया आरोपी हैप्पी खन्ना था. पता चला कि वह फरजी दस्तावेज से सिम लेने की फिराक में था. लेकिन सिम लेने से पहले ही उसे गिरफ्तार कर लिया गया था. उस ने बताया कि फरजी सिम से सचिन के पिता से 2 करोड़ की फिरौती मांगी जाती.

हैप्पी ने पुलिस को बताया कि सचिन अब इस दुनिया में नहीं है, उस की हत्या तो किडनैप करने वाले दिन ही कर दी थी. यह सुनते ही सनसनी फैल गई. पुलिस ने गुमशुदगी की सूचना को भादंवि की धारा 364ए, 302, 201, 420 में तरमीम कर दिया.

हैप्पी से पूछताछ के आधार पर अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिए ताबड़तोड़ दबिशें दे कर पुलिस ने 4 अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया.

इन में मृतक के पिता के बिजनैस पार्टनर लेखराज चौहान का बेटा हर्ष चौहान के अलावा सुमित असवानी निवासी दयाल बाग,  मनोज बंसल उर्फ लंगड़ा व रिंकू  निवासी कमलानगर शामिल थे.

चौंकाने वाली बात यह निकली  कि अपने दोस्त सचिन की तलाश में पुलिस और एसटीएफ की मदद करने का दिखावा करने वाला हर्ष चौहान स्वयं भी इस साजिश में शामिल था.

अगले भाग में पढ़ें- रुपयों के लालच में हर्ष चौहान सुमित असवानी की बातों में आ गया

कोविड डस सकता है पर डरा नहीं सकता

यह इस देश के आम लोगों की हिम्मत ही कही जाएगी कि हर तरह के कोविड के खतरे के बावजूद जैसे ही लौकडाउन खुलता है लोग सड़कों, बाजारों, चौराहों पर जमा होने लगते हैं मानो कुछ नहीं हो रहा है या हो सकता है. कोविड 19 के खूनी पंजों से जो बच गया वह अपने को बिलकुल पहलवान समझ लेता है और बिना मास्क लगाए सटसट कर चलने का हक इस्तेमाल करने लगता है. हर शहर, राज्य में पुलिस के लिए कोविड के सिस्टम को लागू करे रखना मुश्किल हो रहा है और इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने न तो चारधाम यात्रा होने दी, न कांवड़ यात्रा.

यह पक्का था कि अगर ये होतीं तो प्रसाद में सारे देश में कोविड खुलेआम बंटता और लाखों फिर मरते. यह जानते हुए भी कि एकदूसरे को छूने और एकदूसरे की सांस के पास आने से कोरोना वायरस एक से दूसरे पर जा सकता है, लोग अपनी हिम्मत का खुला दरसन कराते हैं और कहते हैं कि कोविड उन का कुछ नहीं बिगाड़ सकता.

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वैसे भी इस देश की 80 फीसदी जनता हर कोविड जैसे खतरों में काम करती है. खेतों में सांपबिच्छू का डर रहता है. किसानों को हर समय बाढ़ व सूखे का डर रहता है. खेती के औजार खराब होने से मौतों का डर रहता है. पहाड़ों पर चढ़ते हुए फिसलने का डर रहता है. कुएं को खोदते हुए मिट्टी बहने का डर रहता है. मकान बनाते हुए दीवार गिरने या छत गिरने का डर रहता है.

गरीबों की रसोई भी बीमारियों से घिरी रहती है. खुले में खाना बनता है, खुले में रहता है. धूलमिट्टी तो होती है, पानी भी जो वे इस्तेमाल करते हैं, जहरीला हो सकता है. कपड़ों में बदबू रहती है. पैरों में चप्पल नाम की होती है. दस्ताने पहन कर काम करने का रिवाज हमारे यहां है ही नहीं. जहां पलपल मौत का सामना करने की आदत हो वहां आप चाहे जितने कागजी हंटर चला लें, कोई सुनेगा नहीं. तभी तो 24 मार्च, 2020 को लौकडाउन अनाउंस होते ही लाखों मजदूर पैदल ही 1000-2000 किलोमीटर चलने लगे कि अपने गांव पहुंच जाएं. वे जानते थे कि कौन रास्ते में मर जाएगा क्या पता.

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ऐसे लोगों को हाथ धोना, मास्क पहनना, दूरी बनाए रखना, भीड़ जमा न करना सिखाया ही नहीं जा सकता. जो जान को हर समय हथेली पर रख कर चलते हैं उन्हें कोविड डस सकता है पर डरा नहीं सकता.

Satyakatha- सोनू पंजाबन: गोरी चमड़ी के धंधे की बड़ी खिलाड़ी- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

लेखक- सुनील वर्मा  सोनू

सीमा आंटी ने करीब एक साल तक जबरन प्रीति से जिस्मफरोशी का धंधा कराने के बाद उसे एक दिन साउथ दिल्ली में रहने वाली सोनू पंजाबन के सुपुर्द कर दिया.

सोनू ने सीमा को कितने नोट दिए ये तो नहीं पता, लेकिन सोनू पंजाबन ने 3 महीने तक प्रीति को अपने कई ग्राहकों के पास भेजा और उस की मोटी कीमत वसूली. लेकिन 3 महीने बाद वह उसे अपने साथ लखनऊ ले गई. यहां उस ने लाला नाम के एक कालगर्ल सरगना के हवाले कर दिया.

लाला ने 2 साल तक न जाने कितने लोगों से उस के जिस्म का सौदा किया. लाला ने इस के बाद प्रीति को दिल्ली में रहने वाली मधु आंटी को बेच दिया.

वहीं पर प्रीति की मुलाकात हरियाणा के रहने वाले सतपाल व राजपाल हुई दोनों रिश्ते में सगे भाई थे. लेकिन दोनों ही जिस्मफरोशी के धंधे के दलाल थे.

एक दिन राजपाल उसे मधु आंटी के चंगुल से मुक्त कराने का झांसा दे कर अपने साथ अपने गांव पानीपत ले गया, जहां 60 साल के राजपाल ने उस से जबरन शादी कर के अपनी बीवी के रूप में घर में रख लिया.

राजपाल पहले से शादीशुदा था. परिवार में 3 बेटियां और 2 बेटे थे. एक बेटे और 2 बेटियों की शादी हो चुकी थी. इस बीच प्रीति गर्भवती हो गई तो राजपाल ने शहर ले जा कर उस का जबरन गर्भपात करवा दिया. अपने गर्भपात के बाद प्रीति के मन में राजपाल के लिए भी खटास भर गई.

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बस इसी के बाद एक दिन प्रीति राजपाल की गैरमौजूदगी में उस के घर से निकल भागी और पानीपत से दिल्ली जाने वाली बस में बैठ कर नजफगढ़ पहुंच गई. यह 28 अगस्त, 2014 की बात है जब नजफगढ़ पुलिस ने प्रीति को बदहाल हालत में बरामद किया और मदद करने के लिए उसे थाने ले आई.

वहीं पर प्रीति ने पुलिस को 3 साल में अपने साथ हुए उत्पीड़न की सारी कहानी सुनाई.

नजफगढ़ पुलिस ने प्रीति के बयान पर आईपीसी की धारा 363, 366, 342, 370, 370, 372, 373, 376, 34, 120बी और पोक्सो एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज कर लिया.

प्रीति के बयान मजिस्ट्रैट के सामने दर्ज कर पुलिस ने उसे वूमन शेल्टर होम भेज दिया, जहां उस की काउंसलिंग होने लगी. इधर प्रीति के बयान के आधार पर जब पुलिस पड़ताल शुरू हुई तो पता चला कि 2011 में पूर्वी दिल्ली के हर्ष विहार थाने में उस की गुमशुदगी दर्ज कराई गई थी.

सुराग लगातेलगाते पुलिस प्रीति के परिजनों तक पहुंच गई और बाद में उसे कोर्ट के आदेश से उस के मातापिता को सौंप दिया गया.

पिछले 4 सालों में प्रीति जिस्मफरोशी की दुनिया में रहने के कारण नशे की आदी हो चुकी थी. इसलिए परिवार के बीच आ कर बंदिशों में रहने के कारण जल्द ही उस का दम घुटने लगा. अगस्त, 2014 में ही एक दिन प्रीति अपने घर से किसी को बिना कुछ बताए फिर से गायब हो गई.

बेटी के दोबारा गायब होने से परिवार परेशान हो गया. प्रीति के पिता ने नजफगढ़ पुलिस से संपर्क कर जब प्रीति के फिर से गायब होने व उस के किडनैप होने की आशंका जताई.

इस के बाद नजफगढ़ पुलिस ने अपहरण का मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी. लेकिन पुलिस की तमाम कोशिशों के बाद भी प्रीति का कोई सुराग नहीं मिला.

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वक्त धीरेधीरे गुजरने लगा और प्रीति का रहस्यमय ढंग से गायब हो जाना एक मिस्ट्री बन गया. अगस्त 2017 में 3 साल बीत जाने के बाद तत्कालीन पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ने इस मामले की जांच अपराध शाखा को सौंप दी.

जिस के बाद साइबर सेल के एसीपी संदीप लांबा की देखरेख में एक टीम बनाई गई. टीम में इंसपेक्टर उपेंद्र सिंह और लेडी सबइंसपेक्टर पंकज नेगी को शामिल किया गया.

इस टीम ने लंबी कवायद की और 23 नवंबर, 2017 को प्रीति को पानीपत के उस पार्लर से बरामद कर लिया, जहां वह नौकरी करती थी.

इस के बाद क्राइम ब्रांच ने एकएक कर उन लोगों को गिरफ्तार करने का सिलसिला शुरू किया जो प्रीति की जिंदगी को बरबाद करने के जिम्मेदार थे. पुलिस ने इस मामले में 2018 में सोनू पंजाबन के साथ संदीप बेदवाल को गिरफ्तार किया. उस के बाद राजपाल व सतपाल को गिरफ्तार किया.

बाद में लखनऊ से लाला नाम के दलाल की गिरफ्तारी की गई. इसी मामले में तेजी से सुनवाई करते हुए द्वारका कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए सोनू पंजाबन को 24 साल की सजा सुनाई.

देरसबेर सोनू पंजाबन अपनी सजा के खिलाफ अपील के बाद अदालत से जमानत ले कर सलाखों से बाहर आ ही जाएगी, लेकिन उस के बाद जिस्मफरोशी के कारोबार में उस की क्या भूमिका होगी, यह देखना होगा.

लुधियाना के होटल में बिकता जिस्म

शहर में चल रहे जिस्मफरोशी के धंधे पर लगातार लुधियाना पुलिस शिकंजा कस रही है, लेकिन बारबार ऐसे मामले सामने आ ही जाते हैं. ऐसे ही एक मामले में एक मकान पर छापेमारी कर एक महिला को गिरफ्तार किया. वह ग्राहकों और लड़कियों को अपने घर पर ही बुलाती थी.

जबकि दूसरे मामले में 2 सितंबर, 2021 को पुलिस ने लुधियाना के बस स्टैंड के पास स्थित होटल पार्क ब्लू में रेड कर के वहां पर चल रहे देह व्यापार के अड्डे पर छापेमारी की. मौके पर पहुंची पुलिस पार्टी और सीआईए-2 टीम ने वहां पर ऐशपरस्ती कर रहे 6 युवक व 6 युवतियों को गिरफ्तार किया. मौका देख कर होटल का मालिक व मैनेजर पुलिस को गच्चा दे कर फरार हो गए.

घटना 2 सितंबर को शाम करीब पौने 8 बजे की है. थाना डिवीजन नंबर 5 व सीआईए-2 टीम बस स्टैंड के आस पास स्थित होटलों में रुटीन जांच करने पहुंची थी. उस दौरान पुलिस ने कई होटलों में जा कर चैकिंग की.

वहां रह रहे लोगों का रिकौर्ड चैक किया. इसी बीच पुलिस की टीम जब होटल पार्क ब्लू में पहुंची तो उस के अलगअलग कमरों में 6 जोड़े आपत्तिजनक स्थिति में पाए गए. जिन्हें साथ में आई महिला पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

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करीब एक साल पहले भी इसी होटल में पुलिस ने दबिश दे कर वहां रंगरलियां मना रहे कई जोड़ों को गिरफ्तार किया था. लुधियाना ही नहीं पंजाब के जालंधर व अन्य शहरों में भी देह व्यापार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

लुधियाना पुलिस ऐसे मामलों में काफी तेजी से काररवाई कर रही है लेकिन जालंधर पुलिस ऐसे मामलों में ढीली साबित हो रही है. जालंधर में कई होटलों, गेस्ट हाउसों व अन्य स्थानों पर ऐसे गलत धंधे चल रहे हैं, पर पुलिस मूकदर्शक बनी तमाशा देखती रहती है.

Anupamaa: वनराज देगा अनुपमा का साथ तो 40 लाख के बदले राखी करेगी डिमांड

स्टार प्लस का सीरियल अनुपमा की कहानी में नया मोड़ देखने को मिल रहा है. अब तक आपने देखा कि अनुपमा लोन चुकाने के लिए एक नयी मुसिबत में फंस जाती है. इसी वजह से शाह परिवार अनुपमा को खूब खरी-खोटी सुनाता है. तो उधर बा ये सोच-सोचकर परेशान हो जाएगी कि आखिर किस तरह से वो लोग 40 लाख का कर्ज उतारेंगे. बा की हालत देखकर वनराज का गुस्सा सातवें आसमान पर होगा. वह अपना आपा खो बैठेगा और वो अनुपमा को खूब सुनाएगा. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए कहानी के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि काव्या अनुपमा को सुनाने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहती है. वह उसे भला-बुरा कहती नजर आ रही है. तो वहीं समर और किंजल अनुपमा का साथ दे रहे हैं.

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शो के अपकमिंग एपिसोड में कुछ ऐसा होने वाला है, जिसे देखकर दर्शक हैरान हो जाएंगे. जी हां, शाह परिवार को कर्ज से मुक्त करने के लिए पहली बार अनुपमा, वनराज और राखी एक साथ खड़े होंगे.

 

शो के अपकमिंग एपिसोड में अनुपमा को घर के कुछ सदस्यों से मदद मिलेगी. खबरों की माने तो शो में दिखाया जाएगा कि वनराज अनुपमा की मदद करने का फैसला लेता है.

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वनराद काव्या से कहता है कि तलाक के बाद भी अनुपमा ने हर मुश्किल घड़ी में उसका साथ निभाया है. और आज जब अनुपमा पर मुसीबत आई है तब वह उसे अकेला नहीं छोड़ सकता है.

 

शो में ये भी दिखाया जाएगा कि अनुपमा राखी से मदद मांगेगी. तो वहीं राखी अनुपमा की मदद करने के लिए एक चाल चलेगी. राखी अनुपमा से एक डील करेगी.  अब ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या अनुपमा राखी की डील मानेगी?

South Star राशी खन्ना इस एक्टर के साथ वेब सीरीज में कर रही हैं वापसी

तमिल व तेलगू फिल्मों की चर्चित गायिका व अदाकारा राशी खन्ना ने यूं तो सर्वप्रथम 2013 में जाॅन अब्राहम के संग हिंदी फिल्म ‘‘मद्रास कैफे’’में अभिनय कर बौलीवुड में कदम रखा था. इस फिल्म में उन्होने राॅ के अफसर(जाॅन अब्राहम) की पत्नी रूबी सिंह का किरदार निभाया था.

इसके बाद तेलगू फिल्म‘‘ओहालू गुसागुसालडे’से तेलगू इंडस्ट्री में कदम रखा. इस फिल्म में उनके अभिनय की काफी तारीफ हुई.फिर उन्हे तेलगू फिल्म ‘जोरू’में अभिनय करने के साथ ही पाश्र्वगायन का भी अवसर मिला. जबकि 2017 में फिल्म ‘विलेन’ से मलयालम सिनेमा में कदम रखा था.

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महज सात वर्ष के कैरियर में उन्होने तमिल, तेलगू व मलयालम भाषाओं की 20 फिल्में की.इन दिनों दक्षिण भारतीय सिनेमा में वह तुगलक दरबार’,‘भ्रमम’,‘पक्का कमर्शियल’, थैंक यू’ ‘सरदार’,मेथावी;,‘शैतान का बच्चा’जैसी फिल्में कर रही हैं.

लेकिन अब पूरे आठ वर्ष बाद राशी खन्ना ने हिंदी में पुनः वापसी की है.इन दिनों वह अजय देवगन के साथ निर्देशक राजीव मापुस्कर के निर्देशन में वेब सीरीज ‘‘रूद्रा:द एज आफ डार्कनेस’’ की शूटिंग कर रही है जो इदरिस अल्बा निर्देशित ब्रिटिश सीरियल ‘‘लूथर’’का भारतीय करण है.

इस वेब सीरीज में राशी खन्ना के साथ अजय देवगन और अतुल कुलकर्णी भी हैं. यह वेब सीरीज ‘डिज्नी हाॅटस्टार’ के लिए खास तौर पर बन रही है. आठ वर्ष बाद हिंदी फिल्म उद्योग में वापसी की चर्चा चलने पर राशी कहती हैं-

‘‘हकीकत में कालेज दिनों में मैं आईएएस अफसर बनने का सपना देख रही थी,मैने कभी भी माॅडलिंग या अभिनेत्री बनने की बात सपने में भी नहीं सोची थी.पर तकदीर ने मुझे अभिनेत्री बना दिया.मुझे पहली हिंदी फिल्म ‘‘मद्रास कैफे’’ में जाॅन अब्राहम संग काम करने का अवसर मिला था.

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इस फिल्म में मेरे अभिनय की तारीफ के चलते मुझे तेलगू,तमिल व मलयालम फिल्मों में सशक्त व चुनौती पूर्ण किरदार निभाने के अवसर मिलते गए.मैंने दक्षिण भारतीय फिल्मों में अभिनय करने के साथ ही गीत गाए. जबकि मुझे हिंदी फिल्मों में महज नाच गाने वाले किरदार ही मिल रहे थे,इसलिए मैं नही कर रही थी.

मगर अब जब मुझे ‘रूद्रा:द एज आफ डार्कनेस’में चुनौतीपूर्ण किरदार निभाने का अवसर मिला,तो मैंने तुरंत इसे स्वीकार कर लिया.अब मैने इसकी शूटिंग पूरी कर ली है.यह मेरी खुशकिस्मती है कि पहली हिंदी फिल्म में स्टार कलाकार जाॅन अब्राहम के साथ काम करने का अवसर मिला था और अब पुनः वापसी करने पर स्टार व सफलतम कलाकार अजय देवगन के साथ काम किया है.अब मैं पुनः चेन्नई जाकर मिथरन जवाहर के निर्देशन में धनुष के साथ तेलगू फिल्म की शूटिंग करने वाली हॅू.’’

राशी आगे कहती हैं-‘‘ अपने करियर में आज जहां हूं,वहां पहुंचने के लिए मैंने बहुत मेहनत की है और इसके परिणामस्वरूप उत्तर और दक्षिण मनोरंजन उद्योग में मुझे दिलचस्प अवसर मिले हैं.हर तीन चार दिन में अलग अलग शहरों में यात्रा तय करना आसान नहीं है,पर मुझे इस बात की बिलकुल भी शिकायत नहीं है.क्योंकि मैं होनहार लोगों के साथ काम करना चाहती हूं. इससे मेेरे अंदर कला के प्रति जुनून बरकरार रहता है.‘‘

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