कोरोनावायरस: डराने वाली चिट्ठी

लौकडाउन के दौरान चिट्ठी ने मुझे बहुत डराया. आप शायद मुझे पागल समझ रहे होंगे, लेकिन मेरा फलसफा समझने की कोशिश करेंगे तो आप को लगेगा कि मैं गलत नहीं कह रहा. इस चिट्ठी को पढ़ते हुए मैं जिस भय से गुजर रहा हूं, आप शायद न समझें.

‘आदरणीय अंकल जी,

‘प्रणाम.

‘पिछले 5 दिनों से पुणे के अपने फ्लैट में अकेले पड़ेपड़े मैं ने काफी कुछ सोचा है. सोचा, आप को बता दूं. उम्मीद है पत्र पूरा पढ़ने के बाद आप मुझे पागल नहीं समझेंगे. लौकडाउन के चलते कंपनी में कामकाज ठप  पड़ा है. मैं घर से ही प्रोजैक्ट पूरा कर रहा हूं, लेकिन माहौल देखते काम में मन नहीं लग रहा है.

‘न जाने क्यों मुझे लग रहा है कि सबकुछ खत्म होने वाला है. अपनी 28 साल की छोटी सी जिंदगी में मैं ने ऐसी दहशत कभी नहीं देखी. हमारे अपार्टमैंट के सभी दरवाजे बंद हैं. लोग सन्नाटे में हैं. अधिकतर फैमिली वाले हैं लेकिन कोई गाने नहीं सुन रहा, फिल्में नहीं देख रहा. कभीकभी सामने वाले मालेगांवकर अंकल के फ्लैट से टीवी की आवाज कानों में पड़ जाती है. मुझे एक ही शब्द समझ आता है वह है कोरोना.

‘मैं मानता हूं कि पूरी दुनिया एक अजीब से संकट से घिर गई है जिस से उबरने की तमाम कोशिशें मुझे बेकार लगती हैं. यहां नौकरी जौइन करने के बाद मैं ने आप से और दूसरे रिश्तेदारों से कोई वास्ता नहीं रखा लेकिन जाने क्यों आज आप लोगों की याद बहुत आ रही है. मम्मीपापा भी खूब याद आ रहे हैं. मैं यह मानने में कतई नहीं हिचकिचा रहा कि मैं अव्वल दरजे का खुदगर्ज आदमी हूं. मम्मीपापा की रोड ऐक्सिडैंट में मौत होने के बाद से ही मुझे लगने लगा था कि अब मुझे अकेले ही जीना है.

‘जी तो लिया लेकिन अब सोच रहा हूं कि क्या इसी दिन के लिए जिया था. मेरे कोई खास दोस्त भी नहीं हैं. हकीकत में मेरा इस शब्द पर कभी भरोसा ही नहीं रहा. अब जब मेरे चारों तरफ तनहाई है तब मुझे लग रहा है कि मुझे मर जाना चाहिए.

इन डरेसहमे हुए लोगों के बीच जिंदा

रहने से तो बेहतर है शांति से मर

जाया जाए.

‘थोड़ीथोड़ी देर बाद मुझे महसूस होता है कि कोरोना ने मुझे और मेरे फ्लैट को घेर लिया है. करोड़ों की तादाद में ये वायरस मेरी तरफ बढ़ रहे हैं. कई तो वाशबेसिन पर रखा सैनिटाइजर पीते जोरजोर से हंस रहे हैं. मेरा मास्क उन्होंने कुतर डाला है और बहुत से पिंडली से रेंगते हुए मेरे मुंह की तरफ बढ़ रहे हैं.

‘मैं उन्हें झटकता हूं, फिर घबराहट में अपार्टमैंट के मेन गेट पर आ कर केबिन में सिक्योरिटी गार्ड के पास जा कर बैठ जाता हूं. उस का असली नामपता नहीं मालूम. लेकिन सभी उसे पांडूपांडू कहते हैं. वह भी डरा हुआ है, मेरी तरफ देखता है, फिर हथेली पर तंबाकू रगड़ने लगता है. मुझे लगता है इसे भी इन्फैक्शन है, इसलिए वह मुझ से दूर भागता है. मुझे उस पर दया आती है कि इस बेचारे को इलाज नहीं मिला, तो यह भी मर जाएगा और एकएक कर सारे लोग मर जाएंगे.

‘मैं फिर फ्लैट पर आ जाता हूं लेकिन लिफ्ट से नहीं बल्कि सीढि़यों से क्योंकि लिफ्ट में वायरस मुझे गिरफ्त में ले सकते हैं. 8वें माले पर हांफते हुए चढ़ता हूं, तो लगता है वायरस मेरा पीछा कर रहे हैं. वे कभी भी मुझे जकड़ सकते हैं.

‘आप को याद है पापा एक गाना अकसर गाते थे – ‘जीवन में तू डरना नहीं, सिर नीचा कभी करना नहीं, हिम्मत वाले हो मरना नहीं…

‘लेकिन मुझे लगता है डर से ज्यादा यह अकेलापन मुझे मार रहा है. इसी डर के चलते मैं लैपटौप और टीवी भी नहीं चला रहा क्योंकि उन में से कोरोना निकल कर घर में फैल जाएंगे. खानेपीने का बहुत सा सामान रखा है जो बाजू वाली सिंह आंटी दे गई थीं, लेकिन दूर से मानो मैं संक्रमित होऊं. वे, हालांकि, अच्छी महिला हैं लेकिन सनकी सी भी हैं. पड़ोसी होने के नाते उन का फर्ज बनता है कि वे मेरी खबर लेती रहें पर वे भी स्वार्थी हैं, सब स्वार्थी हैं और आप भी स्वार्थी हैं.

कोरोना ने मुझे सिखाया है कि इस दुनिया में कोई किसी का सगा नहीं है. सारे रिश्तेनाते, यारीदोस्ती खुदगर्जी पर टिकी है जिस का इम्तिहान अब हो रहा है और नतीजे भी सामने आ रहे हैं. सब के सब सभी के होते हुए अकेले हैं, जो कोरोना और डर दोनों से मरेंगे, मैं भी.

‘चारों तरफ सन्नाटा है, कोई हलचल नहीं है. सब बुजदिलों की तरह घरों में दुबके आहिस्ताआहिस्ता आती मौत का इंतजार कर रहे हैं. वे कितने भी हाथ धो लें, बचेंगे नहीं. मैं तो नहा भी नहीं रहा क्या पता शौवर से ही कोरोना बरसने लगें.

‘आप मेरी इन बातों को पागलपन समझ रहे होंगे लेकिन मेरा फलसफा समझने की कोशिश करें तो आप को लगेगा कि मैं गलत नहीं कह रहा था. मैं भगवानवगवान को नहीं मानता, मैं राजनीति के पचड़े में भी नहीं पड़ता. बीटैक और एमबीए करने के बाद से मैं नौकरी कर रहा हूं. औफिस जाता हूं. 12 घंटे मन लगा कर काम करता हूं, खाना खाता हूं, फिर सो जाता हूं.

‘फैमिली सिस्टम में रहने वाले भी इसी तरह रहते हैं लेकिन दिखावा ज्यादा करते हैं वे. बहुत शातिर और धूर्त होते हैं. जिंदगीभर एकदूसरे का शोषण करते हैं, एकदूसरे का इस्तेमाल करते हैं और इसी की कीमत का भी लेनदेन करते हैं. कोरोना इस की पोल खोल रहा है. अगर आज घर में वह किसी को लग जाए तो सभी संक्रमित से दूर भागेंगे जैसे कोढ़ के मरीज से भागते हैं.

‘आइसोलेशन के नाम पर उसे अलग पटक देंगे, छूना तो दूर की बात है, उस की तरफ देखने से भी सहमेंगे. मेरी भी हालत ऐसी ही है. मैं अपने इस फ्लैट में पड़ापड़ा यों ही मर भी जाऊं तो मेरी लाश से उठती दुर्गंध से लोगों को पता चलेगा.

फिर लोग डरेंगे, अपार्टमैंट छोड़ कर भागेंगे. सरकारी अमला पूरी बिल्ंिडग सैनिटाइज करेगा, टीवी वाले आएंगे सनसनी फैलाएंगे. मेरी जन्मपत्री खंगालेंगे. जब कुछ खास जानकारी हाथ नहीं लगेगी तो मुझे लावारिस घोषित कर किसी नई खबर की तरफ दौड़ पड़ेंगे. आप देखना, ये भी मरेंगे जो नाम और पेशे के लिए जान हथेली पर लिए घूम रहे हैं, बल्कि कहना चाहिए कि भटक रहे हैं.

‘खैर मुद्दे की बात यह कि मैं गंभीरतापूर्वक खुदकुशी करने की सोच रहा हूं. मुझ से पलपल की यह मौत सहन नहीं हो रही है. मुझे मालूम है आप मेरा मरा मुंह देखने या मिट्टी ठिकाने लगाने नहीं आएंगे. सही भी है, कोई क्यों यह सिरदर्दी मुफ्त में मोल ले.

‘हां, मैं अगर यह वसीयत कर जाऊं कि मेरे मरने के बाद एक करोड़ का यह फ्लैट और 20-25 लाख रुपए की सेविंग आप की होगी तो यकीन मानें आप सिर के बल दौड़ कर आएंगे. पुणे तक आने का कर्फ्यू पास हाथोंहाथ बनवा लेंगे, सरकारी अफसरों और पुलिस वालों के सामने घडि़याली आंसू बहाएंगे कि भतीजा मर गया है, आखिरी बार देखने और क्रियाकर्म करने जाने दीजिए.

‘आप सोच रहे होंगे, बल्कि तय ही कर चुके होंगे, कि मैं वाकई डिप्रैशन बरदाश्त न कर पाने के कारण पागल हो गया हूं, तो आप गलत सोच रहे हैं. दरअसल, मेरी चिंता असहाय मानव जीवन है. आदमी खुद को ताकतवर कहते गर्व से फूला नहीं समाता लेकिन आज एक मामूली से वायरस के सामने कितना असहाय नजर आ रहा है. सारी साइंस और टैक्नोलौजी महत्त्वहीन हो गई है. कहा यह जा रहा कि सब्र रखो, सब ठीक हो जाएगा. रिसर्च चल रही है.

‘मैं कहता हूं कुछ नहीं हो रहा. आदमी न दिखने वाले इन कीड़ेमकोड़ों की ताकत के सामने कुछ नहीं है. वह प्रकृति की सब से कमजोर कृति है. एक कोरोना नाम के वायरस ने हजारों मार दिए और भी मरेंगे, फिर जब कोरोना का प्रकोप खत्म हो जाएगा तो लैब से कोई दाढ़ी वाला वैज्ञानिक बाहर आएगा, उस के हाथ में कोरोना की एक दवा होगी. लेकिन यह अंत नहीं होगा, जल्द ही कोई नया वायरस पैदा होगा, फिर हाहाकार मचेगा, लौकडाउन होगा और मैं फिर कैद हो कर रह जाऊंगा.

‘जबकि मैं काम करना चाहता हूं, जिंदा रहना चाहता हूं, खिलते हुए फूल देखना चाहता हूं, चहकतेखेलते हुए बच्चे देखना चाहता हूं, खूबसूरत युवतियों का अल्हड़पन देखना चाहता हूं, खूब सी बियर पीना चाहता हूं, सिगरेट के धुएं के छल्ले बनाना चाहता हूं, व्हाइट सौस के साथ पिज्जा खाना चाहता हूं, हिल स्टेशन जा कर छुट्टियां मनाना चाहता हूं, नएनए ब्रैंड के आफ्टर शेव ट्राई करना चाहता हूं, और तो और, मैं रेल की पटरियों के किनारे शौच करते हुए लोगों को भी देखना चाहता हूं.

‘मैं और भी बहुतकुछ करना चाहता हूं लेकिन यों कैद नहीं रहना चाहता, इसलिए मर जाने का यह बहादुरीभरा फैसला ले रहा हूं जिसे शातिर लोग बुजदिली कहते हैं. कोरोना मेरे दिमाग में आ गया है. मैं मजबूर हूं क्योंकि आधुनिकता की हकीकत मुझे समझ आ गई है.

‘इन क्षणों में मुझे उपदेशकों और आशावादियों पर तरस आ रहा है. ये लोग बहुत चालाक हैं जो चाहते हैं कि लोग जिंदा रहें, दुनिया चलती रहे और ये अपना भोंथरा ज्ञान बघारते रहें. ये खुद मरने से डरते हैं, इसलिए दूसरों को जिंदा रखना चाहते हैं. मेरी खुदकुशी इन के मुंह पर थप्पड़ मारेगी. यह जरूर आप दुनिया को बताएं, बाकी जिसे जो सोचना हो, सोचे. मुझे लग रहा है कोरोना दरवाजे के नीचे से दाखिल हो गया है और इस बार यह मन का वहम नहीं है.

‘चाची को प्रणाम और बच्चों को प्यार,

‘आप का भतीजा.’

Manohar Kahaniya: खोखले निकले मोहब्बत के वादे- भाग 4

सौजन्य- मनोहर कहानियां

गीता के परिजनों ने पुलिस को बताया था कि उस का पति मनोरंजन तिवारी उस के साथ लड़ाईझगड़ा करता था, इसलिए उन की बेटी डेढ़ साल से उस से अलग रह रही थी और खुद कमा कर अपना पेट पालती थी.

परिवार वालों ने यह भी बताया था कि मनोरंजन ने गीता को कई बार धमकी दी थी. गीता की हत्या के बाद जिस तरह मनोरंजन अपना घर व दुकान छोड़ कर भाग गया था, उस से साफ था कि गीता की हत्या में उसी का हाथ है.

लिहाजा पुलिस ने उस के फोन को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन उस का फोन स्विच्ड औफ हो चुका था.

काफी मशक्कत के बाद पुलिस को मनोरंजन तिवारी के ओडिशा स्थित घर का पता मिल गया. पुलिस की एक टीम वहां पहुंची तो पता चला कि वह अपने घर भी नहीं पहुंचा था. तब निराश हो कर पुलिस टीम ओडिशा से वापस लौट आई.

इस के बाद पुलिस ने काफी दिनों तक तिवारी को इधरउधर तलाश किया, लेकिन वह कहीं नहीं मिला. आखिर पुलिस ने उस के खिलाफ अदालत से कुर्की वारंट हासिल कर उस के ओडिशा स्थित घर की कुर्की कर ली.

बाद में पुलिस ने अदालत में प्रार्थना पत्र दे कर उसे भगौड़ा घोषित कर दिया. पुलिस ने पहले उस की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया. बाद में 2 साल बाद ईनाम की धनराशि 50 हजार रुपए कर दी.

पुलिस दल ने 2-3 बार मनोरंजन की तलाश में ओडिशा में छापे मारे, लेकिन वह कभी भी पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ा. वक्त तेजी से गुजरता रहा.

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इंदिरापुरम थाने में एक के बाद एक कई थानाप्रभारी बदल गए. हर अधिकारी आने के बाद गीता हत्याकांड के फरार आरोपी

मनोरंजन की फाइल देखता, एक नई पुलिस टीम का गठन होता और फिर उस की फाइल धूल फांकने लगती. इसी तरह 9 साल बीत गए.

जुलाई 2021 में इंदिरापुरम सर्किल में सीओ अभय कुमार मिश्रा और इंदिरापुरम थानाप्रभारी के रूप में इंसपेक्टर संजय पांडे की नियुक्ति हुई. दोनों ही अधिकारियों को पुराने मामलों को सुलझाने में महारथ हासिल थी.

उन्होंने जब गीता हत्याकांड की फाइल देखी तो उन्होंने इस बार फाइल को अलमारी में रखने की जगह इस मामले को चुनौती के रूप में ले कर फरार मनोरंजन तिवारी को गिरफ्तार करने की रणनीति बनाई.

दरअसल, सीओ अभय कुमार मिश्रा के एक परिचित अधिकारी जगतसिंहपुर जिले में तैनात हैं, जहां का मनोरंजन तिवारी मूल निवासी है.

अभय मिश्रा को अपराधियों के मनोविज्ञान से इतना तो समझ में आ रहा था कि इतना लंबा वक्त बीत जाने के बाद हो न हो, मनोरंजन तिवारी को अपने परिवार के साथ जरूर कुछ संपर्क होगा.

भले ही वह उन के साथ नहीं रहता हो, मगर उन से संपर्क जरूर करता होगा. अगर थोड़ा सा प्रयास किया जाए तो वह पकड़ में जरूर आ सकता है. लिहाजा अभय कुमार मिश्रा ने ओडिशा के जगतसिंहपुर में तैनात अपने परिचित अधिकारी को गीता हत्याकांड की सारी जानकारी दे कर मनोरंजन को गिरफ्तार कराने में मदद मांगी.

संबधित अधिकारी ने स्थानीय स्तर पर अपनी पुलिस को मनोरंजन तिवारी के गांव अछिंदा में घर के आसपास सादे लिबास में तैनात कर दिया.

वहां तैनात पुलिस टीम को पता चला कि पास के गांव में एक मंदिर का पुरोहित, जिस का नाम मनोज है, वह अकसर मनोरंजन तिवारी के घर आताजाता रहता है. लेकिन चेहरे मोहरे व हुलिए से वह एकदम मनोरंजन तिवारी जैसा है. जगतसिंहपुर पुलिस ने जब यह बात इंदिरापुरम सीओ अभय कुमार मिश्रा को बताई तो वे समझ गए कि हो न हो मनोरंजन तिवारी अपने गांव के आसापास ही कहीं वेशभूषा बदलकर रह रहा है.

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पुलिस ने 9 साल बाद ढूंढ निकाला मनोरंजन को अभय मिश्रा ने इंदिरापुरम थानाप्रभारी संजय पांडे को तत्काल एक टीम गठित कर ओडिशा रवाना करने का आदेश दिया. आदेश मिलते ही इंसपेक्टर संजय पांडे ने अभयखंड चौकीप्रभारी एसआई भुवनचंद शर्मा, नरेश सिंह और कांस्टेबल अमित कुमार की टीम गठित की.

टीम को आवश्यक दिशानिर्देश दे कर ओडिशा रवाना कर दिया गया, जहां पुलिस टीम ने जगतसिंहपुर में स्थानीय बालिंदा थाने की पुलिस से संपर्क साधा. सीओ अभय मिश्रा के परिचित अधिकारी के निर्देश पर स्थानीय पुलिस पहले ही मनोज पुरोहित के बारे में तमाम जानकारी जुटा चुकी थी.

25 जुलाई, 2021 को इंदिरापुरम थाने से गई पुलिस टीम ने बालिंदा थाने की पुलिस टीम की मदद से मनोरंजन तिवारी को दबोच लिया. वह मनोज तिवारी के नाम से मंदिर का पुरोहित बन कर रह रहा था और वेषभूषा बदलने के लिए उस ने दाढ़ी तक बढ़ा ली थी.

लेकिन जब उस ने अपने मातापिता के घर आनाजाना शुरू कर दिया तो लोगों को उस पर शक हो गया. हालांकि जब पुलिस टीम ने उसे पकड़ा तो उस ने पुलिस को बरगलाने का प्रयास किया. लेकिन थोड़ी सी सख्ती के बाद ही उस ने कबूल कर लिया कि वही मनोरंजन तिवारी उर्फ मनोज तिवारी है. आवश्यक लिखापढ़ी व कानूनी काररवाई के बाद पुलिस टीम अगले दिन गीता हत्याकांड के 9 साल से फरार चल रहे आरोपी मनोरंजन को गिरफ्तार कर गाजियाबाद ले आई.

इंसपेक्टर संजय पांडे और सीओ अभय कुमार मिश्रा के अलावा एसपी (सिटी हिंडन पार) के सामने मनोरंजन तिवारी ने कबूल किया कि उसी ने सोचसमझ कर गीता की हत्या की थी.

तिवारी ने बताया कि 2011 में उस के साथ विवाद के बाद जब गीता अलग हो कर किराए का कमरा ले कर रहने लगी और कहीं नौकरी करने लगी तो उस के संबंध सचिन यादव नाम के एक ठेकेदार से हो गए थे. जब उसे इस बात की खबर लगी तो वह मन मसोस कर रह गया.

भले ही गीता से उस का झगड़ा हो गया था और वह अलग रहता था लेकिन इस के बावजूद भी वह उस से मोहब्बत करता था. यह बात उसे मंजूर नहीं थी कि बिना तलाक लिए गीता किसी गैरमर्द के बिस्तर की शोभा बने.

मनोरंजन अकसर गीता पर नजर रखने लगा. उस ने गीता को एकदो बार समझाया भी कि अगर वह किसी गैर के साथ संबध रखेगी तो वह उस की जान ले लेगा. लेकिन गीता ने उस की बात को हंसी में उड़ा दिया. उस ने उलटा मनोरंजन को धमकी दी कि अगर वह उस के रास्ते में आएगा तो सचिन उसी का काम तमाम कर देगा.

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मनोरंजन समझ गया कि गीता पर गैरमर्द से आशिकी का भूत सवार हो चुका है. वह जानता था कि यादव बिरादरी के जिस शख्स से इन दिनों गीता की आशिकी चल रही है, वह न सिर्फ स्थानीय है बल्कि ऐसे लोगों के लिए खून कराना कोई बड़ी बात नहीं.

मनोरंजन की सचिन यादव से तो कोई दुश्मनी नहीं थी. इसलिए मनोरंजन ने तय कर लिया कि इस से पहले कि गीता अपने आशिक से कह कर उस पर वार कराए, वह उसी का काम तमाम कर देगा. मनोरंजन ने साजिश रची. गीता की हत्या के बाद गाजियाबाद से फौरन भागने की उस ने पूरी प्लानिंग बना ली.

29 सितंबर, 2012 की शाम को गीता जब अपने काम से घर लौट रही थी. मनोरंजन ने उसे रोक लिया और गोली मार दी. गोली गीता को ऐसी जगह लगी थी कि उस की मौके पर ही मौत हो गई. इत्मीनान होने के बाद मनोरंजन मौके से फरार हो गया.

गीता की हत्या करने के फौरन बाद उस ने अपने परिवार वालों को इस बात की सूचना दे दी थी और उन्हें सतर्क कर दिया था कि पुलिस अगर उन तक पहुंचे तो वे उसके बारे में अंजान बने रहें.

कई महीनों तक इधरउधर रहने के बाद पुलिस की गतिविधियां जब शांत हो गईं तो वह एक रात अपने परिवार वालों से जा कर मिला. उस ने उन्हें बता दिया कि अब वह पड़ोस के ही गांव के मंदिर में नाम व वेशभूषा बदल कर पुरोहित के रूप में रहेगा और उन से अकसर मिलता रहेगा.

कहते हैं कि अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, कानून व पुलिस के हाथ एक दिन उस की गरदन तक पहुंच ही जाते हैं चाहे वह सात समंदर पार जा कर छिप जाए.

मनोरंजन तिवारी को इस बात का भ्रम था कि ओडिशा गाजियाबाद से इतनी दूर है कि 9 साल बीत जाने पर पुलिस बारबार उस की तलाश में न तो उस के गांव आएगी और न ही इतनी बारीकी से तहकीकात करेगी.

लेकिन यह उस की भूल साबित हुई. क्योंकि पुलिस चाहे किसी भी प्रदेश की हो, लेकिन कानून के गुनहगार को पकड़ने के लिए प्रदेश की दूरियां मिनटों में खत्म हो जाती हैं.

—कथा पुलिस की जांच, अभियुक्त से पूछताछ व परिजनों से मिली जानकारी पर आधारित

मालिनी अपने प्लान में होगी कामयाब, क्या टूट जाएगा Imlie और आदित्य का रिश्ता?

टीवी ‘सीरियल इमली (Imlie) में लगातार महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो में  दिखाया जा रहा है कि मालिनी (Malini) की चाल कामयाब हो रही है.  जिसके कारण इमली टूट चुकी है.  सीरियल (Serial) के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट देखने को मिलने वाला है.  आइए बताते हैं कहानी के नए एपिसोड के बारे में.

मालिनी चलेगी नई चाल

शो में दिखाया जा रहा है कि मालिनी के झूठ का पर्दाफाश करने के लिए इमली बहुत कोशिश कर रही है. और ऐसे में उसके हाथ एक बड़ा सबूत भी लगता है. जिसे वह कोर्ट में पेश करने वाली है. लेकिन आखिरी वक्‍त पर मालिनी की नई चाल की वजह से इमली मालिनी की झूठ नहीं साबित कर पाएगी.

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इमली की मदद करेगा कुणाल

दरअसल इमली मालिनी की साजिश का पर्दाफाश करने के लिए कुणाल की मदद लेगी. और इमली एक वीडियो के जरिए मालिनी की चाल का खुलासा करने वाली है और इस वीडियो में पता चलेगा कि मालिनी आदित्य को फंसा रही है.

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वीडियो डिलीट करेगा आदित्य

तो दूसरी तरफ मालिनी की बातों में आकर आदित्‍य ही वीडियो को डिलीट कर देगा. ऐसे में इमली सबसे बड़े सबूत से हाथ धो बैठेगी.

 

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कोर्ट में मिलेगी इमली को हार

वीडियो डिलीट होने की वजह से इमली कोर्ट में सबूत पेश नहीं कर पाएगी. वह हार जाएगी. तो वहीं मालिनी दोबारा अपने प्‍लान में कामयाब होती नजर आएगी. ऐसे में देखना दिलचस्‍प होगा कि मालिनी से मिली हार के बाद क्‍या इमली और आदित्य का रिश्ता टूट जाएगा?

Yeh Rishta Kya Kehlata Hai: धूमधाम से होगी सीरत की गोदभराई, आएगा ये ट्विस्ट

स्टार प्लस का सीरियल ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) की कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. शो में दिखाया जा रहा है कि सीरत (Sirat) मां बनने वाली है और ऐसे में उसे मीठा खाने को मन कर रहा है. तो वहीं सुवर्णा ने उसकी पसंदीदा मिठाई बनाई है. ये बात जानकर सीरत काफी खुश होती है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं कहानी के नए एपिसोड के बारे में.

शो के अपकमिंग एपिसोड में सीरत की गोदभराई का रस्म दिखाया जाएगा. जो काफी धूमधाम से होगा. बता दें कि शो का नया प्रोमो रीलीज किया गया है. प्रोमो के अनुसार, कायरव के साथ सीरत घर पर अकेली होगी और कार्तिक ऑफिस के काम के कारण बाहर होगा.

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इस दौरान सीरत की तबीयत खराब हो जाएगी. अब आगे क्या होगा, इसके लिए आपको ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’ का एपिसोड देखना होगा.

 

खबर ये भी आ रही है कि शो में जल्द ही लीप आने वाला है. इसके कारण शो की कहानी में बड़ा बदलाव आएगा. बताया जा रहा है कि कार्तिक-नायरा की जगह शो में अक्षरा और सीरत-कार्तिक की बेटी की कहानी दिखाई जाएगी.

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शो में आपने देखा कि सुवर्णा मनीष को समझाने की कोशिश करती है कि उसने जो कुछ भी किया वह केवल सीरत के लिए था  क्योंकि वह मिठाई खाना चाहती थी. सीरत कार्तिक से शीला को बस स्टैंड पर छोड़ने के लिए कहती है. वहीं शीला घर से जाने की बात से इनकार करती है और कार्तिक भी उसे रुकने के लिए कहता है.

तो उधर सुहासिनी सीरत को सोने की चूड़ियां देती है और उन्हें संभाल कर रखने को कहती है. तो वहीं  शीला चूड़ियों को देखती है और चुरा लेती है.

वनराज-काव्या की शादीशुदा जिंदगी में आएगी दरार? Anupamaa के सपनों को पूरा करेगा अनुज

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) में लगातार ट्विस्ट एंड टर्न देखने को मिल रहा है. जिससे दर्शकों की दिलचस्पी और भी ज्यादा बढ़ती जा रही है. शो में अब तक आपने देखा कि अनुपमा अपने सपनों को पूरा करना चाहती है और इसके लिए बापूजी उसके साथ है. तो वहीं अनुज (Anuj Kapadia) इस सफर को पूरा करने के लिए अनुपमा के हर कदम पर साथ देना चाहता है. वह अनुज के साथ मुंबई जाने वाली है. तो दूसरी तरफ पारितोष समर और किंजल को खूब सुनाता है. वह कहता है कि अनुज के साथ मम्मी अकेले नहीं जा सकती हैं. वो दोनों अनुपमा का साथ देकर बड़ी गलती कर रहे हैं.

शो में दिखाया जा रहा है कि अनुपमा बहुत खुश है. उसके सपने अब पूरे होने वाले हैं. वह बापूजी, किंजल, समर और पाखी को अपने बचपन के सपने सच होने के बारे में बताती है. वह कहती है कि मैं  हवाई जहाज में बैठना चाहती थी और समंदर देखना चाहती थी. मेरे ये सपने अब पूरे होने वाले हैं.

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तो दूसरी तरफ काव्या अनुपमा की तरक्की से जल-भून रही है. वह  वनराज से कहती है कि अनुपमा के कर्मों का फल उसे मिल रहा है. वह बहुत खुशकिस्मत है कि उसके पास अनुज है. वह उसके सपनों को सच कर रहा है. तो वहीं वनराज को अनुज और अनुपमा की नजदीकियों से जलन हो रही है.

 

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वनराज सोच रहा है कि अनुपमा उसकी पत्नी थी तो भी उसने उसे प्यार नहीं किया. और अब वह उसकी एक्स वाइफ है तो वह इतना इनसिक्योर क्यों फील कर रहा है.

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शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि वनराज इनसिक्योरिटी के बारे में काव्या को पता चल जाएगा. वह पूछेगी कि आखिर तुम्हारे और अनुपमा के बीच ऐसा क्या है, जो तुम दूर होकर भी उससे दूर नहीं हो रहे हो. वनराज उसके सवाल को अनदेखा कर चला जाएगा.

 

शो में आप ये भी देखेंगे अनुपमा ऑटो से एयरपोर्ट जाएगी. बीच रास्ते में ही अनुज उसे मिल जाएगा. और वह भी अनुपमा के साथ ऑटो से ही एयरपोर्ट जाएगा. अनुपमा सोचेगी कि इतना बड़ा आदमी होकर ऑटो में क्यों सफर कर रहा है.

 

बताया जा रहा है कि शो में अब जल्द ही वनराज और काव्या की शादीशुदा जिंदगी में उतार-चढ़ाव देखने को मिलने वाला है. अनुज-अनुपमा को साथ में देखकर वनराज का गुस्सा उसके चेहरे पर दिखा रहा है. वनराज के इस  रूप से काव्या भी हैरान होगी और उनके बीच अनुपमा के कारण लड़ाई शुरू होगी. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि काव्या- वनराज के रिश्ते में  कैसे दूरी आती है?

 

Manohar Kahaniya: बच्चा चोर गैंग- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

रेखा ने घटना के बारे में आगे बताया,  ‘‘उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी. तीनों मेरे पति को पकड़ कर ले जाने लगे. मैं रोती रही, विनती करती रही. नहीं माने, तब चीखपुकार करने लगी. राह चलते लोगों ने रुक कर मेरे पति को उन के चंगुल से छुड़ाया. फिर वे धमकी देते हुए अपनी कार से चले गए.’’

रेखा की बातों पर हुआ शक

इस के साथ ही रेखा ने थानाप्रभारी को बच्चे के गायब होने की भी कहानी सुनाई, ‘‘बाबूजी, इलाके में बच्चा चोरी की घटना पहले भी हुई है. इसलिए मैं वैसी ही अनहोनी की आशंका से डरी हुई थी. नींद आंखों से कोसों दूर थी. परिवार के सभी लोग सो गए थे. मुझे याद है कि अजान की आवाज आई. उस समय तक मैं जाग रही थी.

‘‘सुबह के 4 बजे होंगे. उस के कुछ देर बाद ही मेरी आंख लग गई. सुबह करीब 6 बजे आंख खुली तब मेरी बगल में सो रही 2 साल शिवानी गायब थी. यह देख कर मेरे होश उड़ गए.’’

‘‘फिर क्या हुआ?’’ थानाप्रभारी ने पूछा.

‘‘फिर क्या साहब, मैं ने झटपट पति को जगाया. वहीं जेठ लीलाधर और परिवार के दूसरे लोगों को आवाज दी. सभी बच्चे की खोज में जुट गए. घंटों तलाश करने के बाद भी बच्ची का कोई सुराग नहीं लगा. उसी दिन मैं अपने मरद के साथ आप के पास शिकायत लिखवाने आई थी. आप ने बच्चा खोजने का भरोसा दिया था और मैं अपने काम पर लग गई.’’ रेखा ने बताया.

साथ ही उस ने सवाल किया कि यदि मेरे लापता बच्चे के बारे में कोई जानकारी मिली हो तो बताइए साहब.

‘‘तुम्हारा चोरी बच्चा लड़का था या लड़की?’’ विनोद कुमार ने अचानक बात बदलते हुए पूछ दिया.

‘‘लड़का था साहब.’’ रेखा तपाक से बोल पड़ी.

यह सुन कर विनोद कुमार मुसकराते हुए बोले, ‘‘…लेकिन अभी थोड़ी देर पहले तुम ने बताया कि गायब बच्चा शिवानी है. वह लड़का है या लड़की?’’

यह सुनते ही रेखा सकपका गई. एकदम चुप हो गई. मुंह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी.

‘‘अच्छा छोड़ो इस बात को, ये बताओ कि जिन से तुम्हारे पति का झगड़ा हुआ, उन्हें पहले से तुम जानती थी या राजा उसे जानता था?’’ थानाप्रभारी ने फिर बात बदल दी.

‘‘रेखा इस सवाल का भी कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाई. कभी उस ने कहा कि उन्हें उस ने पहली बार देखा था. कभी उस ने कहा कि वे राजा के पास पहले भी कई बार आ चुके थे.’’

थानाप्रभारी के सवालों और बातों में उलझी रेखा ने जो भी बताया अकबकाहट में कहा. उस की बातों से साफ पता नहीं चल पाया कि उस रोज आखिर तीनों युवकों का राजा के साथ झगड़ा किस बात को ले कर हुआ था. वे सभी राजा पर इतने आक्रामक क्यों बन गए थे. थानाप्रभारी विनोद कुमार को इतना जरूर अंदाजा लग गया कि रेखा बहुत कुछ छिपा रही है या फिर उस की जानकारी आधीअधूरी है. उन्होंने सहज भाव से कहा, ‘‘रेखा, देखो, घबराने की कोई बात नहीं है. तुम्हारा बच्चा जल्द मिल जाएगा. उसे चुराने वाले का पता चल चुका है.  कल अपने पति राजा के साथ दिन में ठीक 11 बजे आ जाना.’’

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इसी के साथ थानाप्रभारी ने चेतावनी भी दी कि वह अपने घर से कहीं न जाए. अगर उस ने ऐसा किया तो उस की खैर नहीं है, क्योंकि उस पर पुलिस के आदमी सादे कपड़ों में नजर रखे हुए हैं.

अगले दिन 26 जुलाई, 2021 को पुलिस द्वारा तय समय पर रेखा और राजा थाने में आ गए. संयोग से तब तक थानाप्रभारी विनोद नहीं आए थे. दोनों को एक सिपाही ने वहीं इंतजार करने को कहा.

थानाप्रभारी विनोद कुमार के आने में डेढ़ घंटे की देरी हो गई थी. पुलिस पेट्रोलिंग गाड़ी से थानाप्रभारी विनोद उतरे. उन के साथ 2 कांस्टेबल 3 युवकों को पकड़े हुए थे. उन की कमर में रस्सियां एक साथ बंधी हुई थी.

दोनों कांस्टेबल रस्सी के दोनों छोर को मजबूती से हाथ में लपेटे हुए थे. युवकों के चेहरे गमछे से बंधे हुए थे. उन्हें खींच कर थाने के भीतर लाया गया. यह सब रेखा और राजा गौर से देख रहे थे.रेखा पर जैसे ही थानाप्रभारी की नजर पड़ी उस ने हाथ जोड़ कर नमस्ते किया. साथसाथ राजा ने भी वैसा ही किया. थानाप्रभारी कोई जवाब दिए बगैर अपने केबिन में चले गए. उन के पीछेपीछे कांस्टेबल रस्सी में बंधे तीनों युवकों को भी खींचते हुए ले गया.

एक थप्पड़ ने खोला राज थोड़ी देर में विनोद कुमार ने रेखा को बुलाया. राजा को बाहर ही रुकने को कहा. थानाप्रभारी ने रेखा की ओर गुस्से से देखते हुए कहा, ‘‘राजा तुम्हारा कौन है?’’

‘‘क्या पूछ रहे हैं साब, राजा मेरा मरद है.’’ रेखा का यह बोलना था कि वहीं पास खड़ी एक लेडी कांस्टेबल ने रेखा के गाल पर जोरदार थप्पड़ मारा. थप्पड़ खाते ही वह गिर पड़ी, उठते ही उस महिला सिपाही को गुर्रा कर देखा. तभी विनोद कुमार बोल पड़े, ‘‘उसे मत देखो, वह हमारी पुलिस है और मेडल जीतने वाली महिला पहलवान भी है. तुम सचसच बताती हो या और थप्पड़ खाने हैं.’’

‘‘क्या सच बताऊं साहब, राजा ही तो मेरा मरद है. मैं ने अपने बच्चा चोरी की शिकायत लिखाई है.’’ रेखा बिफरती हुई बोली.

इतना कहना था कि विनोद ने पास खड़े एक युवक के चेहरे पर लिपटा गमछा एक झटके में हटा दिया. चीखते हुए बोले, ‘‘तो फिर ये कौन है?’’

युवक का चेहरा देखते ही रेखा के चेहरे का रंग फीका पड़ गया. विनोद बोले, ‘‘बच्चा चोरी की घटना के दिन राजा के साथ झगड़ा इसी के साथ हुआ था न.’’

रेखा को काटो तो खून नहीं. वह हां…ना कुछ बोल नहीं पा रही थी. विनोद ने बाहर बैठे राजा को बुलवाया. उस से पूछा, ‘‘तुम्हारा चोरी हुआ बच्चा लड़का था या लड़की?’’

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‘‘लड़का, उस दिन शिकायत में लिखवाया तो था.’’ राजा बोला.

‘‘लेकिन, रेखा तो कहती है तुम्हारे घर से शिवानी गायब हुई थी,’’ विनोद बोले.

‘‘उसे क्या पता साहब,’’ राजा का यह कहना था कि थानाप्रभारी ने उसे भी एक थप्पड़ मारते हुए कहा, ‘‘उसे कैसे मालूम होगा, वह तुम्हारी बीवी जो नहीं है.’’

थानाप्रभारी विनोद कुमार राजा और रेखा से मुखातिब हुए. उन्होंने कहा, ‘‘तुम लोग अब आंखों में धूल झोंकना बंद करो. न तो तुम्हारा कोई बच्चा गायब हुआ है और न ही तुम दोनों पतिपत्नी हो. उलटे तुम लोगों ने बच्चा चुरा कर कहीं और बेचने की कोशिश की है.’’

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संगृहीत नहीं होता वीर्य, इसके तमाम पहलुओं को युवाओं को समझना जरूरी है

आलोक के सासससुर व मातापिता परेशान हो गए. आलोक की बीवी उस के घर आने को तैयार नहीं थी. उसे बहुत समझाया, मगर वह मानी नहीं. इस की पूरी पड़ताल की गई. तब सचाई का पता चला कि आलोक अपनी बीवी के साथ हमबिस्तरी करने से दूर भागता था, इस कारण उस की बीवी उस के पास रहना नहीं चाहती थी.

आलोक के दोस्तों से बात करने पर पता चला कि आलोक अपनी ताकत नहीं खोना चाहता था. इस कारण वह अपनी बीवी से दूर भागता था.

उस का कहना था, ‘‘वीर्य बहुत कीमती होता है. उसे नष्ट नहीं करना चाहिए. इस के संग्रह से ताकत बढ़ती है.’’ यह जान कर आलोक के मातापिता ने अपना सिर पीट लिया.

ऐसे कई उदाहरण मिल जाएंगे जिन में हमें इस बात का पता चलता है कि यह भ्रम कितनी व्यापकता से फैला हुआ है, इस भ्रम की वजह से कई खुशहाल परिवार उजड़ जाते हैं. इन उजड़े हुए अधिकांश परिवारों के व्यक्तियों का मानना होता है कि वीर्य संगृहीत किया जा सकता है. क्या इस के संग्रह से ताकत आती है? क्या वाकई यह भ्रम है या यह हकीकत है. हम यहां इस को समझने का प्रयास करते हैं.

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आलोक के मातापिता समझदार थे. वे आलोक को डाक्टर के पास ले गए. डाक्टर यह सुन कर मुसकराया. उन्होंने आलोक से कहा, ‘‘तुम्हारी तरह यह भ्रम कइयों को होता है.’’

डाक्टर ने आलोक को कई उदाहरण दे कर समझाया तब उस की समझ में आया कि उस ने वास्तव में एक भ्रम पाल रखा था, जिस के कारण उस का परिवार टूटने की कगार पर पहुंच गया था. उस के परिवार और उस की खुशहाल जिंदगी को डाक्टर साहब और उस के मातापिता ने अपनी सूझबूझ से बचा लिया. नतीजतन, वह आज अपनी बीवी और 2 बच्चों के साथ खुशहाल जिंदगी जी रहा है.

शरीर विज्ञान और प्राकृतिक विज्ञान के अपने नियम हैं. उन के अपने सिद्धांत हैं. वे उन्हीं का पालन करते हैं. नियम कहता है कि वीर्य को संगृहीत नहीं किया जा सकता है. जिस तरह एक भरे हुए गिलास में और पानी नहीं भरा जा सकता है वैसे ही वीर्यग्रंथि में एक सीमा के बाद और वीर्य नहीं भरा जा सकता है. यदि शरीर में वीर्य बनना जारी रहा तो वह किसी न किसी तरह शरीर से बाहर निकल जाता है.

वीर्य का गुणधर्म है बहना

वीर्य शरीर से बहने और बाहर निकलने के लिए शरीर में बनता है. वह किसी न किसी तरह बहेगा ही. यदि आप हमबिस्तरी कर के पत्नी के साथ आनंददायक तरीके से बहा दें तो ठीक से बह जाएगा, यदि ऐसा नहीं करोगे तो वह स्वप्नदोष के जरिए बह कर निकल जाएगा.

वीर्य का कार्य प्रजनन चक्र को पूरा करना होता है. बस, वहीं उस का कार्य और वही उस की उम्र होती है. उस में उपस्थित शुक्राणु औरत के शरीर में जाने और वहां अंडाणु से मिल कर शिशु उत्पन्न करने के लिए ही बनते हैं. उन की उम्र 2 से 3 दिन के लगभग होती है. यदि उस दौरान उन का उपयोग कर लिया जाए तो वे अपना कार्य कर लेते हैं अन्यथा वे मृत हो जाते हैं.

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मृत शुक्राणु अन्य शुक्राणु को मारने का काम भी करते हैं. इसलिए इस को जितना बहाया जाए, शरीर में उतने स्वस्थ शुक्राणु पैदा होते हैं. शरीर मृत शुक्राणुओं को शरीर से बाहर निकालता रहता है. इस से शरीर की क्रिया बाधित नहीं होती है.

शरीर को ताकत यानी ऊर्जा वसा और कार्बोहाइड्रेट से मिलती है. हम शरीर की मांसपेशियों को जितना मजबूत करेंगे, हम उतने ताकतवर होते जाएंगे. यही शरीर का गुणधर्म है. इसी वजह से शारीरिक मेहनत करने वाला 40 किलो का एक हम्माल 100 किलोग्राम की बोरी उठा लेता है जबकि 100 किलोग्राम का एक व्यक्ति 40 किलोग्राम की बोरी नहीं उठा पाता. इसलिए यह सोचना कि वीर्य संग्रह से ताकत आती है, कोरा भ्रम है.

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