मेरा पति सिर्फ मेरा है- भाग 1: अनुषा ने अपने पति को टीना के चंगुल से कैसे निकाला?

सुबहबह के 6 बज गए थे. अनुषा नहाधो कर तैयार हो गई. ससुराल में उस का पहला दिन जो था वरना घर में क्या मजाल कि कभी सुबह 8 बजे से पहले उठी हो.

विदाई के समय मां ने समझाया, ‘‘बेटी, लड़कियां कितनी भी पढ़लिख जाएं उन्हें अपने संस्कार और पत्नी धर्म कभी नहीं भूलना चाहिए. सुबह जल्दी उठ कर सिर पर पल्लू रख कर रोजाना सासससुर का आशीर्वाद लेना. कभी पति का साथ न छोड़ना. कैसी भी परिस्थिति आ जाए धैर्य न खोना और मुंह से कभी कटु वचन न निकालना.’’

‘‘जैसी आप की आज्ञा माताश्री…’’

जिस अंदाज में अनुषा ने कहा था उसे सुन कर विदाई के क्षणों में भी मां के चेहरे पर हंसी आ गई थी.

अनुषा ड्रैसिंग टेबल के आगे बैठी थी. बीती रात की रौनक उस के चेहरे पर लाली बन कर बिखरी हुई थी. भीगी जुल्फें संवारते हुए प्यारभरी नजरों से उस ने बेसुध भुवन की तरफ देखा.

भुवन से वैसे तो उस की अरेंज्ड मैरिज हुई थी, मगर सगाई और शादी के बीच के समय में वे कई दफा मिले थे. इसी दरमियान उस के दिल में भुवन के लिए प्यार उमड़ पड़ा था. तभी तो शादी के समय उसे महसूस ही नहीं हुआ कि वह अरेंज्ड मैरिज कर किसी अजनबी को जीवनसाथी बना रही है. उसे लग रहा था जैसे लव मैरिज कर अपने प्रियतम के घर जा रही है.

बाल संवार सिर पर पल्लू रख कर अनुषा सीढि़यों से नीचे उतर आई. सासससुर बैठकरूम में सोफे पर बैठे अखबार पढ़ते हुए चाय की चुसकियों का आनंद ले रहे थे. अनुषा ने उन को अभिवादन किया और किचन में घुस गई. उस ने अपने हाथों से सुबह का नाश्ता तैयार कर खिलाया तो ससुर ने आशीषस्वरूप उसे 5 हजार रुपए नोट दिए. सास ने अपने गले से सोने की चेन निकाल कर दी. तब तक भुवन भी तैयार हो कर नीचे आ चुका था.

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भुवन ने अनुषा को बताया था कि अभी औफिस में कुछ जरूरी मीटिंग्स हैं, इसलिए

2-3 दिन मीटिंग्स और दूसरे काम निबटा कर

अगले सप्ताह दोनों हनीमून के लिए निकलेंगे. इस के लिए भुवन ने 10 दिनों की छुट्टी भी ले रखी थी.

भुवन का औफिस टाइम 10 बजे का था. औफिस ज्यादा दूर भी नहीं था और जाना भी अपनी गाड़ी से ही था. फिर भी भुवन ठीक 9 बजे घर से निकल गया तो अनुषा को कुछ अजीब लगा. मगर फिर सामान्य हो कर वह खाने की तैयारी में जुट गई.

तब तक कामवाली भी आ गई थी. अनुषा को ऊपर से नीचे तक तारीफभरी नजरों से देखने के बाद धीरे से बोली, ‘‘शायद अब भुवन भैया उस नागिन के चंगुल से बच जाएंगे.’’

‘‘यह क्या कह रही हो तुम?’’ कामवाली की बात पर आश्चर्य और गुस्से में अनुषा ने कहा.

वह मुसकराती हुई बोली, ‘‘बस बहूरानी कुछ ही दिनों में आप को मेरी बात का मतलब समझ आ जाएगा… 2-3 दिन इंतजार कर लो,’’ कह कर वह काम में लग गई.

फिर अनुषा की तारीफ करती हुई बोली, ‘‘वैसे बहूरानी बड़ी खूबसूरत हो तुम.’’

अनुषा ने उस की बात अनसुनी कर दी. उस के दिमाग में तो नागिन शब्द घूम रहा था. उसे नागिन का मतलब समझ नहीं आ रहा था.

पूरा दिन अनुषा भुवन के फोन का इंतजार करती रही. दोपहर में भुवन का फोन आया. दोनों ने आधे घंटे प्यारभरी बातें कीं. शाम में भुवन को आने में देर हुई तो अनुषा ने सास से पूछा.

सास ने निश्चिंतता भरे स्वर में कहा, ‘‘आ रहा होगा… थोड़ा औफिस के दोस्तों में बिजी होगा.’’

8 बजे के करीब भुवन घर लौटा. साथ में एक महिला भी थी. लंबी, छरहरी, नजाकत और

अदाओं से लबरेज व्यक्तित्व वाली उस महिला ने स्लीवलैस वनपीस ड्रैस पहन रखी थी. होंठों पर गहरी लिपस्टिक और हाई हील्स में वह किसी मौडल से कम नहीं लग रही थी. अनुषा को भरपूर निगाहों से देखने के बाद भुवन की ओर मुखातिब हुई और हंस कर बोली, ‘‘गुड चौइस. तो यह है आप की बैटर हाफ… अच्छी है.’’

बिना किसी के कहे ही वह सोफे पर पसर गई. सास जल्दी से 2 गिलास शरबत ले आई, शरबत पीते हुए उस ने शरबती आवाज में कहा, ‘‘भुवन, जिस दिल में मैं हूं उसे किसी और को किराए पर तो नहीं दे दोगे?’’

उस महिला के मुंह से ऐसी बेतुकी बात सुन कर अनुषा की भंवें चढ़ गईं. उस ने प्रश्नवाचक नजरों से भुवन की ओर देखा और फिर सास की तरफ.

सास ने नजरें नीचे कर लीं और भुवन ने बेशर्मी से हंसते हुए कहा, ‘‘यार टीना तुम्हारी मजाक करने की आदत नहीं गई.’’

‘‘मजाक कौन कर रहा है? मैं तो हकीकत बयां कर रही हूं. वैसे अनुषा तुम से मिल कर अच्छा लगा. आगे भी मुलाकातें होती रहेंगी हमारी. आखिर मैं भुवन की दोस्त जो हूं. तुम्हारी भी दोस्त हुई न. बैटर हाफ जो हो तुम उस की.’’

वह बारबार बैटर हाफ शब्द पर जोर दे रही थी. अनुषा उस का मतलब अच्छी तरह समझ रही थी.

टीना ने फिर से अदाएं बिखेरते हुए कहा, ‘‘आज की रात तो नींद नहीं, चैन नहीं, है न भुवन.’’

5-10 मिनट रुक कर वह जाने के लिए खड़ी हो गई. भुवन उसे घर छोड़ने चला गया.

अनुषा ने सास से सवाल किया, ‘‘यह

कौन है मांजी जो भुवन पर इतना अधिकार जता रही है?’’

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‘‘देखो बेटा, अब तुम भुवन की पत्नी हो इसलिए इतना तो तुम्हें जानने का हक है ही कि वह कौन थी? दरअसल, बेटा तुम्हें उसे भुवन

की जिंदगी में स्वीकार करना पड़ेगा. हमारी मजबूरी है बेटा. हम सब को भी उसे स्वीकार करना पड़ा है बेटे.’’

‘‘पर क्यों सासूमां? क्या भुवन का उस के साथ कोई रिश्ता है?’’

‘‘ऐसा कोई रिश्ता तो नहीं बहू पर बस यह जान लो कि उस के बहुत से एहसान हैं हमारे ऊपर. वैसे तो वह उस की बौस है, मगर भुवन को इस मुकाम तक पहुंचाने में काफी मदद की है उस ने. अपनी पावर का उपयोग कर भुवन को काफी अच्छा ओहदा दिया है. बस भुवन पसंद है उसे और कुछ नहीं.’’

‘‘इतना कम है क्या सासूमां? वह तो पत्नी की तरह हक दिखाती है भुवन पर.’’

Crime Story: प्यार में जब खेला गया अपहरण का खेल

15 सितंबर, 2016 को अपने दोनों बेटों को स्कूल भेजने के बाद परमजीत कौर घर के  जरूरी काम निपटा कर बाजार चली गई थी. बाजार से लौटने में उसे दोपहर के 2 बज गए. बाजार से लाया सामान रख कर उस ने मां से पूछा, ‘‘बीजी, अभी बच्चे स्कूल से नहीं आए क्या?’’

‘‘थकीमांदी आई हो, आराम से एक गिलास पानी पियो. बच्चे आते ही होंगे, वे कहां जाएंगे, रास्ते में खेलने लग गए होंगे.’’

‘‘बीजी, गांव के सारे बच्चे आ गए हैं, मेरे ही बेटे कहां रह गए?’’ परेशान परमजीत

कौर ने कहा, ‘‘मैं जरा देख कर आती हूं.’’

परमजीत कौर घर से निकल रही थी, तभी घर के बाहर उस के पिता पाला सिंह मिल गए. बच्चों के स्कूल से न आने की बात सुन कर वह भी परेशान हो उठे. बच्चों की तलाश में परमजीत कौर के साथ वह भी चल पड़े. पाला सिंह और परमजीत कौर ने गांव के लगभग सभी बच्चों से अपने बच्चों के बारे में पूछा, पर कोई भी बच्चा उन के बारे में नहीं बता सका.

बच्चों ने सिर्फ यही बताया था कि स्कूल की छुट्टी होने पर उन्होंने उन्हें देखा तो था, लेकिन उस के बाद वे कहां चले गए, यह किसी को पता नहीं था. बच्चों के न मिलने से परमजीत कौर का बुरा हाल था. किसी अनहोनी के बारे में सोच कर वह फूटफूट कर रो रही थी. स्कूल के अध्यापक सतपाल और प्रिंसिपल जगदीश कुमार ने भी बताया था कि छुट्टी होने तक तो दोनों बच्चे साथसाथ दिखाई दिए थे. लेकिन स्कूल से निकलने के बाद वे किधर गए, उन्हें पता नहीं था.

परमजीत कौर के मन में एक ही सवाल बारबार उठ रहा था कि आखिर उस के बच्चे कहां चले गए? रोरो कर वह सब से पूछ भी यही रही थी. शाम करीब 4 बजे गांव के ही हरप्रीत से पता चला कि उस के दोनों बेटों अंकुशदीप और जशनदीप को एक आदमी अपनी मोटरसाइकिल पर बैठा कर ले गया था.

वह मोटरसाइकिल सवार कौन था, हरप्रीत यह नहीं बता सका था. उस ने बताया था कि वह अपने मुंह पर काला कपड़ा बांधे था, इसलिए वह उसे पहचान नहीं सका था. कोई अंजान आदमी अपनी मोटरसाइकिल पर दोनों बच्चों को बिठा कर ले गया था, इस का मतलब था कि उन का अपहरण हुआ था.

इतना जानने के बाद समय बेकार करना ठीक नहीं था, इसलिए पाला सिंह बेटी परमजीत कौर, स्कूल के प्रिंसिपल जगदीश कुमार और गांव के कुछ लोगों को साथ ले कर पुलिस को सूचना देने जिला फाजिल्का के थाना बहाववालापुरा की पुलिस चौकी वजीदपुर भीमा जा पहुंचे.

चौकीप्रभारी मुंशीराम ने उन लोगों की बातें ध्यान से सुनने के बाद थानाप्रभारी तेजेंद्रपाल सिंह के अलावा उच्चाधिकारियों को भी घटना की सूचना दे दी. इस के बाद उन्हीं के निर्देश पर 8 साल के अंकुशदीप सिंह और 6 साल के जशनदीप सिंह के अपहरण का मुकदमा अज्ञात के खिलाफ दर्ज कर काररवाई शुरू कर दी.

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मुकदमा दर्ज होते ही चौकीप्रभारी मुंशीराम ने शहर से बाहर जाने वाले सभी प्रमुख मार्गों पर नाके लगवा दिए. छोटीबड़ी हर गाड़ी की तलाशी ली जाने लगी. पुलिस अपनी काररवाई कर ही रही थी कि चौकी वजीदपुर भीमा के मुंशी के पास एक फोन आया, जिस में फोन करने वाले ने कहा, ‘‘मैं गुरजंट सिंह बोल रहा हूं. अपने साहब से कह दो कि जिन बच्चों को वे ढूंढ रहे हैं, उन के लिए वे परेशान न हों. बच्चे मेरे पास हैं. यह हमारा आपस के लेनदेन का मामला है, इसलिए आप लोगों को बीच में पड़ने की जरूरत नहीं है.’’

यही बात परमजीत कौर को भी फोन कर के कही गई थी. फोन करने वाले ने उस से कहा था, ‘‘मैं बच्चों का अंकल बोल रहा हूं. तुम ने मुझ से जो 20 हजार रुपए लिए थे, उन्हें दे जाओ और मुझ से शादी कर लो. अगर तुम ने मेरी बात मान ली तो मैं तुम्हारे दोनों बेटों को छोड़ दूंगा. अगर नहीं मानी तो उन के छोटेछोटे टुकड़े कर के कहीं फेंक दूंगा.’’

ये दोनों फोन एक ही नंबर से किए गए थे. पुलिस इस सोच में पड़ गई कि फोन करने वाला सनकी है या फिर बेहद चालाक? कहीं वह पुलिस को अपनी इन बातों में उलझा कर कोई नया खेल तो नहीं खेलना चाहता?

बहरहाल, बच्चों की सुरक्षा बेहद जरूरी थी. इसलिए मुंशीराम ने तुरंत उस नंबर की लोकेशन पता करवाई, जो शहर के बाहरी इलाके सीतोगुन्नो की मिली. सीतोगुन्नो जाने के लिए एक टीम तैयार की गई, जिस में थानाप्रभारी तजेंद्रपाल सिंह ने चौकीप्रभारी मुंशीराम, हैडकांस्टेबल सुखदेव सिंह, रमेश कुमार, दलजीत सिंह, कांस्टेबल सरवन, मक्खन और जगदीप सिंह को शामिल किया.

सीतोगुन्नो गांव के पास एक ऊंची पहाड़ी जैसी जगह थी, जिसे पुलिस टीम ने घेर लिया और गुरजंट की तलाश शुरू कर दी. तलाश करती पुलिस टीम जब एक टीले के पास पहुंची तो वहां झाड़ी के पास दोनों बच्चे जमीन पर अर्द्धबेहोशी की हालत में पड़े दिखाई दिए. दोनों बच्चों के हाथपैर और मुंह को बड़ी बेरहमी के साथ बांधा गया था.

मुंशीराम ने जल्दी से बच्चों के हाथपैर तथा मुंह खोला और उन्हें बहाववालापुरा के अस्पताल पहुंचाया. बाकी पुलिस टीम गुरजंट की तलाश में वहीं जमी रही. लेकिन गुरजंट भाग गया था, क्योंकि काफी तलाश के बाद भी वह वहां नहीं मिला था. इस की वजह यह थी कि वह काफी ऊंचाई पर था, जिस से उस ने पुलिस को आते देख लिया होगा.

बहरहाल, थोड़ी देखभाल के बाद दोनों बच्चे स्वस्थ हो गए थे. मुंशीराम ने अंकुशदीप और जशनदीप को सकुशल परमजीत कौर के हवाले कर दिया. अब उन्हें पता करना था कि गुरजंट कौन था और उस ने परमजीत कौर के बेटों का अपहरण क्यों किया था?

मुंशीराम ने गुरजंट की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए. आखिर उन की मेहनत रंग लाई और पैसों की कमी से परेशान हो कर अपने किसी दोस्त से पैसे लेने बसअड्डे के पास आए गुरजंट को मुखबिर की सूचना पर उन्होंने गिरफ्तार कर लिया. उस से और परमजीत कौर तथा उस के पिता पाला सिंह से की गई पूछताछ के बाद बच्चों के अपहरण की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार थी—

पाला सिंह जिला फाजिल्का के थाना बहाववालापुरा के गांव हिम्मतपुरा के रहने वाले थे. खेती कर के गुजरबसर करने वाले पाला सिंह की बेटी परमजीत कौर शादी लायक हुई तो उन्होंने सन 2006 में जिला बठिंडा के थाना भुचोमंडी के गांव खुइयां कोठी के रहने वाले रेशम सिंह से उस का विवाह कर दिया. शादी के बाद परमजीत कौर 2 बेटों अंकुशदीप सिंह और जशनदीप सिंह की मां बनी.

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भले ही परमजीत कौर की शादी हुए 8 साल हो गए थे और वह 2 बच्चों की मां बन गई थी, लेकिन उस की अपने पति रेशम सिंह से कभी नहीं पटी. वह कमाता तो ठीकठाक था, लेकिन न वह बीवी का खयाल रखता था और न बच्चों का. यही नहीं, शराब पी कर वह हैवान बन जाता था. छोटीछोटी बातों पर क्लेश करते हुए वह मारपीट के लिए उतारू हो जाता था.

रोज की इस क्लेशभरी जिंदगी से तंग आ कर परमजीत कौर अपने दोनों बेटों को ले कर करीब 3 साल पहले सन 2013 में पति का घर छोड़ कर पिता पाला सिंह के घर आ कर रहने लगी. मांबाप को बोझ न लगे, इस के लिए वह पास की ही एक फैक्ट्री में नौकरी करने लगी. नौकरी लगने के बाद उस ने सिविल कोर्ट में तलाक का मुकदमा कर दिया था. बच्चों के भविष्य को ध्यान में रख कर उस ने गांव के सरकारी स्कूल में उन का दाखिला करा दिया था.

सुबह नौकरी पर जाने के बाद बच्चे दोपहर को घर आते थे तो उस की अनुपस्थिति में उन का खयाल उस की मां अमरजीत कौर रखती थीं. परमजीत कौर को पिता के घर रहते लगभग 3 साल हो गए थे. पिछले साल उस की मुलाकात गुरजंट सिंह से हुई, जो जल्दी ही जानपहचान में बदल गई. गुरजंट सिंह भी वहीं काम करता था, जहां परमजीत कौर करती थी. एक साथ, एक ही जगह पर काम करते हुए ही दोनों में जानपहचान हुई थी.

इस के आगे परमजीत कौर ने न कभी कुछ सोचा था और न ही कुछ सोचने की स्थिति में थी. पति से तलाक के बाद आगे क्या करना है, यह उस के पिता को सोचना था. जबकि जानपहचान होते ही गुरजंट सिंह ने परमजीत कौर को ले कर बहुत आगे की सोच ली थी. वह उस से शादी करने के बारे में सोचने लगा था. एक दिन उस ने यह बात परमजीत कौर से कह भी दी.

परमजीत कौर नेक, शरीफ और धैर्यवान औरत थी. उस ने गुरजंट सिंह को प्यार से समझाते हुए कहा था, ‘‘हम एक साथ काम करते हैं, उठतेबैठते हैं और खातेपीते हैं, यह तो ठीक है? लेकिन रही शादी की बात तो यह न मुझे अच्छी लगती है और न मैं इस बारे में सोचना चाहती हूं.’’

‘‘तो क्या तुम पूरी जिंदगी बिना पति के गुजार दोगी?’’

‘‘यह मेरी समस्या है और इस का समाधान ढूंढना मेरे मातापिता की जिम्मेदारी है, इसलिए तुम्हें इस की चिंता करने की जरूरत नहीं है.’’ परमजीत कौर ने साफसाफ कह दिया.

कहने को तो परमजीत कौर ने गुरजंट को बड़े सभ्य तरीके से समझा दिया था, लेकिन वह अपनी आदत से बाज नहीं आया. वह जब भी परमजीत कौर से मिलता, शादी की ही बात करता. यही नहीं, अब वह आतेजाते परमजीत कौर से छेड़छाड़ भी करने लगा था.

बात जब हद से आगे बढ़ने लगी तो एक दिन परमजीत कौर ने सारी बातें अपने पिता पाला सिंह को बता कर गांव में पंचायत बुला ली. पंचायत ने गुरजंट और उस के पिता हरपाल सिंह को बुलवा लिया.

गुरजंट सिंह जिला श्रीमुक्तसर साहिब के थाना लंबी के गांव भाटीवाला का रहने वाला था. पंचायत ने जब गुरजंट सिंह को उस के पिता के सामने बहूबेटियों को छेड़ने के आरोप में सजा देने की बात की तो उस के पिता ने हाथ जोड़ कर माफी मांगी और वचन दिया कि भविष्य में गुरजंट कभी इस गांव के आसपास भी दिखाई नहीं देगा. उसी दिन हरपाल सिंह गुरजंट को ले कर गांव चला गया. यह जुलाई, 2016 की बात है.

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उस दिन के बाद गुरजंट सिंह परमजीत कौर को तो क्या, गांव के भी किसी आदमी को दिखाई नहीं दिया. 3 महीने बाद अचानक गांव आ कर उस ने बड़ी होशियारी से परमजीत कौर के दोनों बेटों का अपहरण कर लिया, ताकि उस पर दबाव डाल कर वह उस से शादी कर सके.

पूछताछ के बाद मुंशीराम ने इस मुकदमे में अपहरण के साथ षडयंत्र की धारा को जोड़ कर गुरजंट सिंह को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

इस के बाद गुरजंट के पिता हरपाल सिंह ने गांव में पंचायत बुला कर परमजीत कौर और गांव वालों से माफी मांगते हुए कहा कि वे एक बार फिर गुरजंट को माफ कर दें. लेकिन अब क्या हो सकता था. अब तो मामला पुलिस और न्यायालय तक पहुंच चुका था. उस ने जो किया था, उस की सजा तो उसे भोगनी ही पड़ेगी.

Top 10 Best Relationship Tips in Hindi: रिलेशनशिप से जुड़ी टॉप 10 खबरें हिंदी में

Top 10 Best Relationship Tips in Hindi: हर रिश्ते में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. क्योंकि हरेक के विचार और व्यवहार एक दूसरे से अलग होते हैं. कभी-कभी ऐसा होता है कि छोटी-छोटी बातों के कारण रिश्ता टूट भी जाता है. तो अगर आप अपने रिश्ते को मजबूत बनाना चाहते हैं तो पढ़िए सरस सलिल की Top 10 Best Relationship Tips in hindi. आप इन खास टिप्स को अपनाकर रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं.

  1. रिलेशनशिप में सेक्स का है बहुत महत्व, जानें कैसे

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संबंधों में एक-दूसरे का साथ बेहद जरूरी है. आपसी संबंधों में जहां एक साथी का दूसरे साथी से मानसिक जुड़ाव होता है ऐसे में शारीरिक देह को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. मानसिक जुडा़व के साथ-साथ शारीरिक जुड़ाव भी संबंधों में मधुरता लाता है. पति-पत्नी के संबंधों में सेक्स का अपना अलग महत्व है. न सिर्फ पति-पत्नी बल्कि वैवाहिक जीवन में सेक्स का महत्व बहुत अधिक होता है. इससे पति-पत्नी न सिर्फ एक-दूसरे के नजदीक रहते हैं बल्कि सेक्स संबंधों में खटास को भी दूर करता है. जिस प्रकार जीवन में भोजन की आवश्यकता होती है, ठीक उसी तरह से वैवाहिक जीवन में सेक्स की आवश्यकता होती है. आइए जानते हैं संबंधों में सेक्स के महत्व के बारे में.

सही मायने में सेक्स सिर्फ भौतिक सुख ही नहीं बल्कि मानसिक सुख भी देता है, इसके साथ ही ये तनाव दूर करने में भी बहुत कारगर है. सेक्स के माध्यम से ही पति-पत्नी के संबंधों में भावनात्मक जुड़ाव अधिक दिखाई देता है.

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2. पति की दूरी, आखिर कैसे बने नजदीकी

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शायद ही ऐसी कोई पत्नी होगी जो अपनी शादी पर 2-4 आंसू न बहाती हो. शादी के कुछ साल गुजरने के बाद पति में तो अपनी भावनाएं व्यक्त करने की काबिलीयत जैसे कुम्हला सी जाती है और पत्नी अपने पति को दिनबदिन नीरस बनता देखती रहती है, जिस से उस का मन व्यग्रता और हताशा से भरने लगता है. ये दूरियां एक ऐसी कशमकश पैदा करती हैं जिस की शिकायत पत्नियां बरसों से करती आई हैं, उन्हें रविवार की दोपहर को क्रिकेट मैच में, अखबार के पन्नों में या फिर चुप्पी में सिमटा या लिपटा पति मिलता है.

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3. जब पत्नी बहाना बनाए, नजदीक न आए

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महेंद्र की शादी को 10 साल हुए गए हैं. उस के दो बच्चे हैं. उसे हर रात को अपनी पत्नी का साथ चाहिए. प्यार की बरसात चाहिए. पर उस की पत्नी मोहिनी उसे गच्चा दे जाती है. वह कभी छोटी बेटी को सुलाने का बहाना बना देती है तो कभी घर का ज्यादा काम करने की वजह से बदन दर्द की शिकायत करते हुए मुंह फेर कर सो जाती है. कभी नजदीक आती भी है तो बेमन से.

महेंद्र इस बात से चिड़चिड़ा हो गया है. वह ऑफिस में भी खुश नहीं रहता है. कभीकभार तो वह अपने साथी कर्मचारियों से भी भिड़ जाता है. नतीजतन अब वह शराब पीने लगा है और कभीकभार किसी प्रोफेशनल लड़की को पैसे दे कर उस के साथ रात बिता लेता है. बहाना बनाता है ऑफिस के टूर का या नाईट शिफ्ट का.

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4. बारिश में इश्क की खुमारी!

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मानसून के मदमाते मौसम में तो उन का प्यार सावन के झड़ी बन कर एकदूसरे पर बरस जाता है. कल की ही बात है. दोनों सुबह ऑफिस जाने के लिए तैयार हो चुके थे. रीना साड़ी पहने हुई थी जबकि रंजन ने फॉर्मल पैंटशर्ट. इसी बीच बारिश ने अपना रंग दिखा दिया. पहले रिमझिम, उस के बाद तेज बरसात. रीना अपनी बालकनी में जा कर आसमान से बरसते पानी का लुत्फ़ लेने लगी. थोड़ी देर में वह भूल गई कि उसे ऑफिस जाना है. बेखयाली में वह थोड़ा सा भीग गई.

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5. सेक्स लाइफ बेहतर बनाने के लिए करें ये आसान काम

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हम अपना वजन कम करने के लिए क्या नहीं करते हैं. इसके लिए हम डाइटिंग भी करते है. जिससे लिए हम कम से कम खाना खाते हैं, लेकिन आप जानते हैं कि कम खाना खाने से कई फायदे हैं. इन्हीं में से एक फायदा है सेक्स लाइफ. कम खाना खाने से आपकी सेक्स लाइफ बेहतर रहती है. यह बात एक शोध में सामने आई.

अगर आप कैलोरी के प्रति सचेत हैं और अतिरिक्त वजन घटाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन ग्रहण करते हैं तो आपके खुश होने का एक और बड़ा कारण मिल गया है. एक दिलचस्प शोध में यह पता चला है कि कम खाने से न सिर्फ लोगों को वजन कम करने में मदद मिलती है, बल्कि यह मूड को भी बेहतर बनाता है और तनाव को कम करता है, जिससे आपकी सेक्स लाइफ बेहतर होती है.

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6. रिश्ता दिल से

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क्या प्यार की कोई सही उम्र होती है? क्या प्यार के लिए कोई छोटा और कोई बूढ़ा होता है? जी नहीं, प्यार की कोई उम्र, कोई सीमा नहीं होती. प्रसिद्ध लेखिका मारिया एजवर्थ ने कहा था कि इंसानी दिल किसी भी उम्र में उस दिल के आगे खुलता है जो बदले में अपने दिल का रास्ता खोल दे. तकरीबन 2 शतक पूर्व कही गई उन की बात आज भी सटीक साबित होती है. शायद इसी बात की मार्मिकता को समझते हुए गजल सम्राट जगजीत सिंह ने फिल्म ‘प्रेम गीत’ (1981) के एक गीत ‘होठों से छू लो तुम…’ की कुछ पंक्तियों में कहा है, ‘न उम्र की सीमा हो… न जन्मों का हो बंधन, जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन…’ चार दशक पहले लिखा यह गीत आज भी प्रासांगिक है. तब प्यार की जो नई परिभाषा कल्पना में पिरो कर शब्दों से सजाई गई थी, आज वह समाज की हकीकत बन गई है.

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7. ब्रेकअप से टूटता है पुरुषों का दिल भी

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समीर (बदला हुआ नाम) कुछ महीनों से काफी डिप्रैशन में रहने लगा है. हंसमुख मिजाज का और दूसरों को भी खुश रखने वाला समीर न तो अब किसी से ज्यादा बातें करता है और न ही कहीं आताजाता है. औफिस से आते ही वह अपने कमरे में बंद हो जाता है. कारण, कुछ महीने पहले उस का अपनी गर्लफ्रैंड से ब्रेकअप हो गया, जिस के कारण वह काफी डिप्रैस्ड रहने लगा है. समीर का कहना है जब उस की गर्लफ्रैंड से उस का ब्रेकअप हुआ तो लगा मानो उस की पूरी दुनिया ही उजड़ गई. वह अपने ब्रेकअप के दर्द से बाहर नहीं आ पा रहा है.

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8. पति-पत्नी के रिश्ते में कायम रखें रोमांस

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सुमित और पूजा के विवाह को हुए 10 साल बीत चुके हैं. लेकिन दोनों के बीच का प्यार देख कर लगता है जैसे कुछ ही अरसा हुआ है. दोनों का कहना है कि आज भी दोनों अपने रिश्ते में वही ताजगी और नयापन महसूस करते हैं जैसे शुरुआती दिनों में. दरअसल, उन्होंने अपने रिश्ते को बो िझल नहीं बनने दिया. एकदूसरे की खुशी का खयाल रखा. सिर्फ शारीरिक नहीं, भावनात्मक रिश्ता इतना मजबूत बनाया हुआ है कि उस में ‘मैं’ की भावना नहीं है. लेकिन हर पतिपत्नी सुमित और पूजा की तरह खुशमिजाज नहीं होते.

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9. क्या आपकी दोस्ती खतरे में है?

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एक रिश्ता है जो हम अपने व्यवहार से बनाते हैं, वह है दोस्ती. दोस्ती एकमात्र ऐसा रिश्ता है जो हम खुद जोड़ते हैं. दोस्त हम स्वयं चुनते हैं. लेकिन दोस्त की इस दोस्ती से कब व कैसे कट कर लिया जाए. आप भी जानिए.

संभव है कि किन्हीं कारणों से आप की दोस्ती अब पहले जैसी नहीं रह गई हो. आप के दोस्त के बरताव में आप कुछ बदलाव महसूस कर सकते हैं या आप में उस की दिलचस्पी अब न रही हो या कम हो गई हो. कुछ संकेतों से आप पता लगा सकते हैं कि अब यह दोस्ती ज्यादा दिन निभने वाली नहीं है और बेहतर है कि इस दोस्ती को भूल जाएं.

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10.जब पार्टनर हो शक्की

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‘‘इतनी लेट नाइट किस से बात कर रहे थे? मेरा फोन क्या नहीं उठाया? वह तुम्हें देख कर क्यों मुसकराई? मेरी पीठ पीछे कुछ चल रहा है क्या?’’ यदि ऐसे सवालों से आप का रोज सामना होता है तो आप ठीक समझे आप का पार्टनर शक्की है.

यदि आप इन सवालों से थक गए हैं और यह रिश्ता नहीं निभा सकते, पर अपने बौयफ्रैंड या गर्लफ्रैंड को प्यार भी करते हैं और उसे इस शक की आदत पर छोड़ना भी नहीं चाहते, तो ऐसे शक्की पार्टनर से निबटने के लिए इन टिप्स पर गौर करें:

द्य किसी भी रिश्ते में सब से बुरी चीज शक करना ही हो सकता है. इस से असुरक्षा, झूठ, चीटिंग, गुस्सा, दुख, विश्वासघात सब आ सकता है. रिश्ते की शुरुआत में एकदूसरे को समझने के लिए ज्यादा कोशिश रहती है. एकदूसरे पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. एक बार आप दोनों में बौंडिंग हो गई तो आप जीवन की और महत्त्वपूर्ण बातों की तरफ ध्यान देने लगते हैं. इस का मतलब यह नहीं होता है कि पार्टनर में रुचि कम हो गई है. इस का मतलब है कि अब वह आप की लाइफ का पार्ट है और आप अब उस के साथ कुछ और बातों में, कामों में अपना ध्यान लगा सकते हैं.

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Top 10 Social Story in Hindi: टॉप 10 सोशल कहानियां

Udaariyaan: इस वजह से रुक गया तेजो और फतेह का तलाक, अब जैस्मिन चलेगी नई चाल

कलर्स टीवी (Colors Tv) का सीरियल उडारियां (Udaariyaan) इन दिनों टीआरपी लिस्ट में शामिल है. शो की कहानी दर्शकों को खूब पसंद आ रही है. शो में अब तक आपने देखा कि तेजो ने फतेह (Ankit Gupta) से कहा है कि वह उसे तलाक दे देगी और घरवावलों से कह देगी कि वह अपनी जिंदगी में मूव ऑन करना चाहती है. तो वहीं जेल से बाहर आते ही तेजो घरवालों से कहती है कि वह फतेह को तलाक देगी और वह तलाक के पेपर पर साइन कर देती है  और वह दोनों कोर्ट जाते हैं लेकिन जज दोनों को 6 महीने तक साथ रहने की बात कह देती है. इससे दोनों का तलाक रुक जाता है. और तेजो फतेह के घर वापस आ जाती है. तेजो को देखकर जैस्मिन का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. आइए जानते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

जैस्मिन चलेगी नई चाल

 

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शो के आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि जैस्मिन तेजो के साथ एक नई चाल चलेगी. दरअसल फतेह की फैमिली तेजो से बहुत प्यार करती है और ऐसे में जैस्मिन कुछ ऐसा करेगी कि तेजो वीर परिवार की नजरों में गिर जाये.

 

शो में आपने देखा कि तेजो के साइन करने के बाद फतेह भी तलाक के पेपर्स पर साइन कर देता है लेकिन फतेह को बहुत बुरा लगता है तो वहीं जैस्मिन काफी खुश होती है. उडारियां में ये भी दिखाया गया कि तलाक के लिए तेजो और फतेह की कोर्ट में पेशी होगी. इस दौरान जज दोनों से सवाल करती है. वह पूछती है कि क्या फतेह और तेजो सच में तलाक लेना चाहते हैं या उनको एक और मौका चाहिए. ये बात सुनकर खुशबीर कहता है कि वह तेजो और फतेह के तलाख के खिलाफ है.

 

खुशबीर ये भी कहता है कि वह इस तलाक को नहीं मानता है. तेजो हमेशा उसके घर की बहू रहेगी. खुशबीर काफी गुस्से में दिखाई देता है.

Anupamaa: राखी को धक्के मारकर निकालेगी अनुपमा, घमंड होगा चकनाचूर

टीवी सीरियल अनुपमा (Anupamaa) में इन दिनों लगातार महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो की कहानी अनुज-अनुपमा, वनराज-काव्या (Vanraj-Kavya) के इर्द-गिर्द घुम रही है. अनुपमा खुद की सम्मान के लिए सबका मुंहतोड़ जवाब देती नजर आ रही है.  शो में ये भी दिखाया गया कि नशे में अनुज ने वनराज से कह दिया कि वह अनुपमा से प्यार करता है. लेकिन होश में आने के बाद वनराज-अनुज भूल जाते हैं कि उनके बीच क्या बात हुई. तो वहीं बा अनुपमा को कॉल करती है पर अनुपमा पिक नहीं करती है, इस वजह से बा अनुपमा से नाराज है और उसे खूब कोसती है. शो के अपकमिंग एपिसोड में महाट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं, शो के नए ट्विस्ट एंड टर्न के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि वनराज अनुज से माफी मांगता है और कहता है कि उसकी वजह से उसका मुंबई ट्रिप खराब हो गया. वनराज अपनी आदतों से बाज नहीं आता है, वह अनुपमा को ताना मारता है और कहता है कि अगर वह नहीं होता तो अनुपमा-अनुज के लिए कल की रात यादगार होती.

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वनराज की बात को सुनकर अनुपमा और अनुज चौंक जाते हैं. तो वहीं अनुपमा वनराज से कहती है वह अपने काम से मतलब रखें. अनुपमा के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि राखी शाह हाउस आकर खूब हंगामा करेगी. तो दूसरी तरफ अनुपमा और वनराज देखेंगे कि घर में राखी दवे, बा के झूले पर बैठी है. उसके सामने ही मामाजी, बा और बापूजी घुटनों के बल बैठकर टूटी हुई माला के मोती समेट रहे हैं. राखी अपने पैसे भी मांग रही है.

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ये सब देखकर अनुपमा और वनराज का का खून खौल उठेगा. अनुपमा राखी दवे को पैसे वापस कर देगी. वह वनराज को भी इसे लेकर ताना देगी क्योंकि अनुपमा के दिए हुए चेक पर अनुज का साइन होगा.

 

शो में आप ये भी देखेंगे कि वनराज-अनुपमा राखी दवे को घर से बाहर निकालेंगे और दरवाजा बंद कर देंगे. राखी का घमंड चकनाचूर हो जाएगा. राखी मन ही मन इस बेइज्जती का बदला लेने की ठानेगी. शो में अब ये देखना होगा कि राखी अनुपमा से कैसे बदला लेती है.

ये घर बहुत हसीन है- भाग 2: उस फोन कॉल ने आन्या के मन को क्यों अशांत कर दिया

लेखक- मधु शर्मा कटिहा

वान्या का मुंह खुला का खुला रह गया. इस से पहले कि वह कुछ और बोलती आर्यन बाथरूम से आ बाहर आ गया. ‘‘किस का फोन है?’’ पूछते हुए उस ने वान्या के हाथ से मोबाइल ले लिया और तोतली आवाज में बातें करने लगा.

निराश वान्या कपड़े हाथ में ले कर बाथरूम की ओर चल दी. ‘किस ने किया होगा फोन? आर्यन भी जुटा हुआ है उस से बातें करने में. क्या आर्यन की पहले शादी हो चुकी है? हां, लगता तो यही है. तलाक हो चुका है शायद. मुझे बताया भी नहीं… यह तो धोखा है.’ वान्या अपनेआप में उलझती जा रही थी.

आधुनिक सुखसुविधाओं से लैस कमरे के आकार का बाथरूम जिस के वह सपने देखती थी, उस की निराशा को कम नहीं कर रहा था. एअर फ्रैशनर की भीनीभीनी खुशबू, हलकी ठंड और गरम पानी से भरा बाथटब, जी चाह रहा था कि अभी आर्यन आ जाए और अठखेलियां करते हुए उसे कहे कि ‘फोन उस के लिए नहीं था, किसी और आर्यन का नंबर मिलाना चाहता था वह बच्चा. मुझे पापा कब बनना है, यह तो तुम बताओगी…’ वान्या फूटफूट कर रोने लगी.

बाहर आई तो डायनिंग टेबल पर नाश्ते के लिए आर्यन उस की प्रतीक्षा कर रहा

था. ऊंची बैक वाली गद्देदार काले रंग की कुरसियां वान्या को कोरी शान लग रही थीं. वान्या के बैठते ही आर्यन उस के बालों से नाक सटा कर लंबी सांस लेता हुआ बोला, ‘‘कौन सा शैंपू लगाया है? कहीं यह खुशबू तुम्हारे बालों की तो नहीं? महक रहा हूं अंदर तक मैं.’’

वान्या को आर्यन की शरारती मुसकान फिर से मोहने लगी. सब कुछ भूल वह इस पल में खो जाना चाहती थी. ‘‘जल्दी से खा लो. अभी प्रेमा सफाई कर रही है. उसे जल्दी से वापस भेज देंगे… अपना बैडरूम तो तुम ने देखा ही नहीं अब तक. कब से इंतजार कर रहा है मेरा बिस्तर तुम्हारा,’’ आर्यन का नटखट अंदाज वान्या को मदहोश कर रहा था.

नाश्ता कर वान्या बैडरूम में पहुंच गई. शानदार कमरे में कदम रखते ही रोमांस की खुमारी बढ़ने लगी. ‘‘मुझे जरूर गलतफहमी हुई है, आर्यन के साथ कोई हादसा हुआ होता तो वह प्यार के लम्हों को जीने के लिए इतना बेताब न दिखता. उस का इजहार तो उस आशिक जैसा लग रहा है, जिसे नईनई मोहब्बत हुई हो.’’ सोचते हुए वान्या बैड पर लेट गई. फोम के गद्दे में धंसेधंसे ही मखमली चादर पर अपना गाल रख सहलाने लगी. प्रेमा और नरेंद्र के जाते ही आर्यन भी कमरे में आ गया. खड़ेखड़े ही झुक कर वान्या की आंखों को चूम मुसकराते हुए उसे अपने बाहुपाश में ले लिया.

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‘‘कैसा है यह मिरर? कुछ दिन पहले ही लगवाया है मैं ने?’’ बैड के पास लगे विंटेज कलर फ्रेम के सात फुटिया मिरर की ओर इशारा करते हुए आर्यन बोला.

दर्पण में स्वयं को आर्यन की बाहों में देख वान्या के चेहरे का रंग भी आईने के फ्रेम सा सुर्ख हो गया.

प्रेमासिक्त युगल एकाकार हो एकदूसरे की आगोश में खोएखोए कब नींद की आगोश में चले गए, पता ही नहीं लगा.

शाम को प्रेमा ने घंटी बजाई तो उन की नींद खुली. ग्रीन टी बनवा कर अपनेअपने हाथों में मग थामे दोनों घर के पीछे की ओर बने गार्डन में रखी बेंत की कुरसियों पर जा कर बैठ गए. वहां रंगबिरंगे फूल खिले थे. कतार में ऊंचेऊंचे पेड़ों की शाखाएं हवा चलने से एकदूसरे के साथ बारबार लिपट रहीं थीं. सभी पेड़ों पर भिन्न आकार के फल टक रहे थे, रंग हरा ही था सब का. वान्या की उत्सुक निगाहों को देख आर्यन बताने लगा, ‘‘मेरे राइट हैंड साइड वाले 4 पेड़ आलूबुखारे के और आगे वाले 3 खुबानी के हैं. अभी कच्चे हैं, इसलिए रंग हरा दिख रहा है. दीदी की बेटी को बहुत पसंद हैं कच्ची खुबानी. हमारी शादी में नहीं आ सकी, वरना खूब ऐंजौय करतीं.’’

‘‘अपने बच्चों को साथ क्यों नहीं लाईं दीदी? वे दोनों आ गए तो बच्चे भी आ सकते थे. दीदी की बेटी का नाम वंशिका है न? सुबह इसी नाम से कौल आई तो मैं ने अटेंड कर ली, पर वह तो किसी और का था. किस बच्चे का साथ बात कर रहे थे तुम?’’ वान्या का मस्तिष्क फिर सुबह वाली घटना में जा कर अटक गया.

‘‘तुम्हें देखते ही शादी को मन मचलने लगा था मेरा. दीदी से कह दिया था कि कोई आ सकता है तो आ जाए, वरना मैं अकेले ही चला जाऊंगा बारात ले कर. सब को लाना पौसिबल नहीं हुआ होगा तो जीजू को ले कर आ गईं देखने कि वह कौन सी परी है जिस पर मेरा भाई लट्टू हो गया.’’

आर्यन का मजाक सुन वान्या मुसकरा कर रह गई.

‘‘एक मिनट… शायद प्रेमा ने आवाज दी है, वापस जा रही होगी, मैं दरवाजा बंद कर अभी आया.’’ वान्या की पूरी बात का जवाब दिए बिना ही आर्यन दौड़ता हुआ अंदर चला गया.

कुछ देर तक जब वह लौट कर नहीं आया तो वान्या उस बच्चे के विषय में सोच

कर फिर संदेह से घिर गई. व्याकुलता बढ़ने लगी तो बगीचे से ऊपर की ओर जाती हुई सफेद रंग की घुमावदार लोहे की सीढि़यों पर चढ़ गई. ऊपर खुली छत थी, जहां से दूर तक का दृश्य साफ दिखाई दे रहा था. ऊंचीऊंची फैली हुई पहाडि़यों पर पेड़ों के झुरमुट, सर्प से बलखाते रास्ते और छोटेबड़े मकान, मकानों की छतों का रंग अधिकतर लाल या सलेटी था. सभी मकान एकदूसरे से कुछ दूरी पर थे. ‘क्या ऐसी ही दूरी मेरे और आर्यन के बीच तो नहीं? साथ हैं, लेकिन एक फसाला भी है. क्या राज है उस फोन का आखिर?’ वान्या सोच में डूबी थी. सहसा दबे पांव आ कर आर्यन ने अपने हाथों से उस की आंखें बंद कर दीं.

‘‘तुम भी न आर्यन… कब आए छत पर?’’

‘‘हो सकता है यहां मेरे अलावा कोई और भी रहता हो और तुम्हें कानोंकान खबर भी न हो.’’ आर्यन शरारत से बोला.

‘‘और कौन होगा?’’ वान्या घबरा उठी.

‘‘अरे कितनी डरपोक हो यार… यहां कौन हो सकता है?’’ वान्या की आंखों से हाथों को हटा उस की कमर पर एक हाथ से घेरा बना कर आर्यन ने अपने पास खींच लिया. ‘‘चलो, छत पर और आगे. तुम्हें यहां से ही कुछ सुंदर नजारे दिखाता हूं.’’

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आर्यन से सट कर चलते हुए वान्या को बेहद सुकून मिल रहा था. उस की छुअन और खुशबू में डूब वान्या के मन में चल रही हलचल शांत हो गईं. दोनों साथसाथ चलते हुए छत की मुंडेर तक जा पहुंचे. देवदार के बड़ेबड़े शहतीरों को जोड़ कर बनाई गई मुंडेर की कारीगरी देखते ही बनती थी. ‘काश, इन शहतीरों की तरह मैं और आर्यन भी हमेशा जुड़े रहें,’ वान्या सोच रही थी.

कोरोनावायरस: यौन संबंध बनाने से पहले इन बातों का रखें ध्यान

सैक्स में खुलापन जरूरी है. जितना इसे मन के अंदर दबाएंगे उतना ही यह उभर कर सामने आएगा. लेकिन सैक्स भी अब संभल कर करना होगा. सैक्स करने से पहले अपने को तैयार करना जरूरी होता है. लेकिन सैक्स के बाद भी आप को कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. उन में सब से अहम है सैक्सुअल आइसोलेशन. अकसर हमारे देश में अपने प्राइवेट पार्ट के बारे में लोग नहीं सोचते. आइसोलेशन का महत्त्व नहीं समझते. उन का ध्यान उस तरफ नहीं जाता, क्योंकि ये बातें बचपन में भी नहीं सिखाई जातीं. लेकिन अब वक्त बदल रहा है. ऐसे में आप को सैक्सुअली आइसोलट होना बहुत जरूरी है. पूरा विश्व इस समय कोरोना महामारी की चपेट में है. सोशल डिस्टैंसिंग पर जोर दिया जा रहा है. ऐसे में सैक्स करते समय कैसे सुरक्षित रहें इस पर ध्यान देने की जरूरत है. अगर मैं सैक्स करता हूं तो क्या मुझे कोरोना हो जाएगा? आप के जेहन में यह बात कई बार आई होगी, लेकिन आप शर्मिंदगी के डर से यह पूछ नहीं पा रहे हैं तो आइए हम आप को बताते हैं कि कैसे बचें कोरोना से सैक्स करते समय.

रिलेशनशिप पर असर

अगर आप रिलेशनशिप में हैं और किसी शख्स के साथ रह रहे हैं तो थोड़ी दूरी बना कर रहिए. अगर आप में से किसी को भी कोरोना के लक्षण दिख रहे हैं तो अपने को आइसोलेट कर लेना चाहिए. इस में पार्टनर को बुरा नहीं मानना चाहिए. इस से दोनों सुरक्षित रहेंगे. ध्यान रहे सैक्स का मजा तभी ले पाएंगे जब आप बचे रहेंगे.

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किस पर पाबंदी लगाएं

अब आप को किस करने से पहले सोचना पड़ेगा. पहले तो किस को प्यार की निशानी माना जाता था. लेकिन अब यह एक भयानक बीमारी का रास्ता भी हो सकता है. इस का मतलब यह नहीं कि आप किस करें ही न. किस करें लेकिन वो सांकेतिक होना चाहिए. हां अगर आप में खांसीजुकाम के लक्षण दिखाई देते हैं और आप जानते हैं कि आप ने हाल में ही किसी को किस किया है तो आप को उन्हें यह बात बता देनी चाहिए. अगर आप ने किसी ऐसे को किस किया है जिस में अब लक्षण दिख रहे हैं तो आप को खुद को सैल्फ आइसोलेशन में डाल लेना चाहिए. अगर आप किसी के जननांग छूते हैं तो यह मुमकिन है कि आप ने उसे किस भी किया हो. आप को मालूम है कि यह वायरस सलाइवा से फैलता है. अत: किस करना जोखिम भरा है. ऐसे में जिस पार्टनर के साथ आप रह नहीं रहे हैं उन के साथ कौंटैक्ट मत रखिए.

अच्छी सैक्स लाइफ जीएं

इस महामारी ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि एक अच्छी सैक्स लाइफ क्या है. इस बीमारी के कारण जो लोग आइसोलेशन में हैं वे इस मौके और दूरी का फायदा उठा रहे हैं. वे क्रिएटिव हो गए हैं. अगर आप और आप के पार्टनर को एक ही घर में आइसोलेशन में रहना पड़ रहा है तो इस दौरान आप अपने पार्टनर के बारे में काफी कुछ जान सकते हैं. एकदूसरे की पसंदनापसंद को समझ सकते हैं. दूर रहिए लेकिन दिल को जोड़े रखिए.

इंटर कोर्स में सावधानी बरतें

कोरोना किसी को पहचानता नहीं. वह तो बस एक रास्ता खोजता है. इंटरकोर्स की वजह से किसी भी तरह के इंफैक्शन का खतरा न रहे इस के लिए आप को सतर्क रहना पड़ेगा. यानी साफसफाई से जुड़ी कुछ बातों को अपनी आदत में शुमार कर लेना चाहिए. सैक्स लाइफ में सैक्सुअल हाइजीन उतनी ही जरूरी है जितना कि हमारे जीवन में साफसफाई. एक सेहतमंद दांपत्य जीवन के लिए यौन संबंधों से पहले और बाद में सफाई रखना जरूरी है. अकसर लोग सैक्सुअल हाइजीन के बारे में कम ही ध्यान देते हैं जिस से यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इंफैक्शन का खतरा दोनों ही पार्टनर को बना रहता है. इसलिए साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए. सैक्स के बाद आप दोनों को कितनी ही नींद क्यों न आ रही हो लेकिन अगर आप हाइजीन से समझौता करेंगे तो आप को इंफैक्शन होने की आशंका बढ़ जाएगी. यहां यह भी ध्यान देना होगा कि आप को या आप के पार्टनर को सर्दीजुकाम तो नहीं हुआ है. ऐसे में आप को आइसोलेट करना ही होगा क्योंकि थोड़े से मजे के लिए जीवन को खतरे में नहीं डाल सकते.

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सैक्सुअल वाशिंग

सैक्स से पहले और सैक्स के बाद अच्छी तरह से हैंड वाश करना भी बेहद जरूरी है, क्योंकि बैक्टीरिया और कीटाणु आमतौर पर हमारे हाथों से ही फैलते हैं. सैक्स के दौरान अकसर हम अपना या पार्टनर का जैनिटल एरिया पेनिट्रेट करने के लिए हाथों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में अगर आप के हाथ गंदे होंगे तो प्राइवेट पार्ट में बैक्टीरिया ट्रांसफर होने का खतरा बना रहेगा. लिहाजा सैक्स से पहले और इंटरकोर्स के बाद हाथों को अच्छी तरह से रगड़ कर करीब 20 सैकेंड तक साफ करें. यौन संबंध बनाने से पहले और बाद में अपने जननांगो को अच्छी तरह साफ जरूर करें.

संक्रमित प्राइवेट पार्ट

सैक्स के बाद अपने प्राइवेट पार्ट की सफाई करना भी बेहद जरूरी है. किसी भी तरह के बैक्टीरिया को फैलने से रोकने के लिए बेहद जरूरी है कि इंटरकोर्स के बाद पानी से प्राइवेट पार्ट की सफाई की जाए. आप चाहें तो पानी के साथ माइल्ड साबुन का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. लेकिन अगर आप की स्किन सैंसिटिव है तो आप को इरिटेशन की समस्या हो सकती है. प्राइवेट पार्ट की सफाई के लिए फैंसी लोशन या परफ्यूम का इस्तेमाल करने की बजाए कुनकुने पानी से इसे धोएं. पार्टनर संग इंटरकोर्स के बाद जब आप बाथरूम में क्लीनिंग के लिए जाएं तो टौयलेट करना न भूलें. इस का मकसद यह है कि आप का ब्लैडर खाली होना चाहिए क्योंकि अगर सैक्स के दौरान किसी तरह का बैक्टीरिया आप के यूरेथा तक पहुंच गया होगा तो टौयलेट के दौरान वह शरीर से बाहर निकल जाएगा. सैक्स के बाद एक गिलास पानी पी कर मन को शांत कर सकते हैं.

कौंडम ही बचाव है

कोरोना वायरस के कारण दुनिया के कई देशों में लौकडाउन है. कौंडम बनाने वाली कंपनियां भी इस से अछूती नहीं हैं. ऐसे में कौंडम की सप्लाई कम हो रही है दुनियाभर में इस की भारी कमी हो गई है, जिस से बाजार में लोगों को यह नहीं मिल पा रहा है. अगर आप भी इस स्थिति से गुजर रहे हैं तो कामेच्छा पर काबू रखें. लाइफ पार्टनर से खुल कर इस विषय पर बात करें. दोनों मिल कर रास्ता ढूंढ़ें. अगर आप सैक्सुअल अर्ज को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हैं तो वह कई तरह से इस पर नियंत्रण पाने में आप की मदद कर सकती हैं. अपने विचारों पर काबू करने की कोशिश करें. हर बार यौन संबंधों के बारे में सोचेंगे तो आप की कामेच्छा को काबू करना नामुमकिन हो जाएगा. बेहतर यही है कि जब भी ऐसा कोई खयाल आए तो दिमाग को तुरंत किसी और थौट की ओर डायवर्ट करने की कोशिश करें. सैक्सुअल ऊर्जा को किसी क्रिएटिव कार्य में लगा दें. रोमांस और प्यार का मतलब सिर्फ यौन संबंध ही नहीं होता है.

मोटे पुरुष और महिला दूर ही रहें

कुछ दिनों पहले हुई एक स्टडी से पता चलता है कि पुरुष जिन का वजन अधिक होता है वे ज्यादा सैक्स करते हैं. ऐंगलिया रस्किन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों और अनुसंधानकर्ताओं ने ब्रिटेन के करीब 5 हजार सैक्सुअली ऐक्टिव पुरुषों का विश्लेषण किया है और फिर इस नतीजे पर पहुंचे कि मोटे पुरुष, दुबलेपतले पुरुषों की तुलना में ज्यादा सैक्स करते हैं. सिर्फ पुरुषों में ही नहीं बल्कि महिलाओं में भी यही बात देखने को मिली. अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि ओवरवेट महिलाओं ने भी कम वजन वाली महिलाओं की तुलना में 16 प्रतिशत ज्यादा सैक्स किया. कोरोना के प्रकोप से बचे रहें इसलिए मोटे लोग सैक्स विचारों से बचें.

मेरी खातिर- भाग 1: झगड़ों से तंग आकर क्या फैसला लिया अनिका ने?

‘‘निक्कीतुम जानती हो कि कंपनी के प्रति मेरी कुछ जिम्मेदारियां हैं. मैं छोटेछोटे कामों के लिए बारबार बौस के सामने छुट्टी के लिए मिन्नतें नहीं कर सकता हूं. जरूरी नहीं कि मैं हर जगह तुम्हारे साथ चलूं. तुम अकेली भी जा सकती हो न. तुम्हें गाड़ी और ड्राइवर दे रखा है… और क्या चाहती हो तुम मुझ से?’’

‘‘चाहती? मैं तुम्हारी व्यस्त जिंदगी में से थोड़ा सा समय और तुम्हारे दिल के कोने में अपने लिए थोड़ी सी जगह चाहती हूं.’’

‘‘बस शुरू हो गया तुम्हारा दर्शनशास्त्र… निकिता तुम बात को कहां से कहां ले जाती हो.’’

‘‘अनिकेत, जब तुम्हारे परिवार में कोई प्रसंग होता है तो तुम्हारे पास आसानी से समय निकल जाता है पर जब भी बात मेरे मायके

जाने की होती है तो तुम्हारे पास बहाना हाजिर होता है.’’

‘‘मैं बहाना नहीं बना रहा हूं… मैं किसी भी तरह समय निकाल कर भी तेरे घर वालों के हर सुखदुख में शामिल होता हूं. फिर भी तेरी शिकायतें कभी खत्म नहीं होती हैं.’’

‘‘बहुत बड़ा एहसान किया है तुम ने इस नाचीज पर,’’ मम्मी के व्यंग्य पापा के क्रोध की अग्निज्वाला को भड़काने का काम करते थे.

‘‘तुम से बात करना ही बेकार है, इडियट.’’

‘‘उफ… फिर शुरू हो गए ये दोनों.’’

‘‘मम्मा व्हाट द हैल इज दिस? आप लोग सुबहशाम कुछ देखते नहीं… बस शुरू हो जाते हैं,’’ आंखें मलते हुए अनिका ने मम्मी से कहा.

‘‘हां, तू भी मुझे ही बोल… सब की बस मुझ पर ही चलती है.’’

पापा अंदर से दरवाजा बंद कर चुके थे, इसलिए मुझे मम्मी पर ही अपना रोष डालना पड़ा था.

अनिका अपना मूड अच्छा करने के लिए कौफी बना, अपने कमरे की खिड़की के पास जा खड़ी हो गई. उस के कमरे की खिड़की सामने सड़क की ओर खुलती थी, सड़क के दोनों तरफ  वृक्षों की कतारें थीं, जिन पर रात में हुई बारिश की बूंदें अटकी थीं मानो ये रात में हुई बारिश की चुगली कर रही हों. अनिका उन वृक्षों के हिलते पत्तों को, उन पर बसेरा करते पंछियों को, उन पत्तियों और शाखाओं से छन कर आती धूप की उन किरणों को छोटी आंखें कर देखने पर बनते इंद्रधनुष के छल्लों को घंटों निहारती रहती. उसे वक्त का पता ही नहीं चलता था. उस ने घड़ी की तरफ देखा 7 बज गए थे. वह फटाफटा नहाधो कर स्कूल के लिए तैयार हो गई. कमरे से बाहर निकलते ही सोफे पर बैठे चाय पीते पापा ने ‘‘गुड मौर्निंग’’ कहा.

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‘‘गुड मौर्निंग… गुड तो आप लोग मेरी मौर्निंग कर ही चुके हैं. सब के घर में सुबह की शुरुआत शांति से होती पर हमारे घर में टशन और टैंशन से…’’ उस ने व्यंग्यात्मक लहजे में अपनी भौंहें चढ़ाते हुए कहा.

‘‘चलिए बाय मम्मी, बाय पापा. मुझे स्कूल के लिए देर हो रही है.’’

‘‘पर बेटे नाश्ता तो करती जाओ,’’ मम्मी डाइनिंग टेबल पर नाश्ता लगाते हुए बोली.

‘‘सुबह की इतनी सुहानी शुरुआत से मेरा पेट भर गया है,’’ और वह चली गई.

अनिका जानती थी अब उन लोगों के

बीच इस बात को ले कर फिर से बहस छिड़

गई होगी कि सुबह की झड़प का कुसूरवार

कौन है. दोनों एकदूसरे को दोषी ठहराने पर तुल गए होंगे.

शाम को अनिका देर से घर लौटी. घर जाने से बेहतर उसे लाइब्रेरी में बैठ कर

पढ़ना अच्छा लगा. वैसे भी वह उम्र के साथ बहुत एकांतप्रिय और अंतर्मुखी बनती जा रही थी. घर में तो अकेली थी ही बाहर भी वह ज्यादा मित्र बनाना नहीं सीख पाई.

‘‘मम्मी मेरा कोई छोटा भाईबहन क्यों नहीं है? मेरे सिवा मेरे सब फ्रैंड्स के भाईबहन हैं और वे लोग कितनी मस्ती करती हैं… एक मैं ही हूं… बिलकुल अकेली,’’ अनगिनत बार वह मम्मी से शिकायत कर अपने मन की बात कह चुकी थी.

‘‘मैं हूं न तेरी बैस्ट फ्रैंड,’’ हर बार मम्मी यह कह कर अनिका को चुप करा देतीं. अनिका अपने तनाव को कम करने और बहते आंसुओं को छिपाने के लिए घंटों खिड़की के पास खड़ी हो कर शून्य को निहारती रहती.

घर में मम्मीपापा उस का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. दरवाजे की घंटी बजते ही दोनों उस के पास आ गए.

‘‘आज आने में बहुत देर कर दी… फोन भी नहीं उठा रही थी… कितनी टैंशन हो गई थी हमें,’’ कह मम्मी उस का बैग कंधे से उतार कर उस के लिए पानी लेने चली गई.

‘‘हमारी इन छोटीमोटी लड़ाइयों की

सजा तुम स्वयं को क्यों देती हो,’’ ?पापा ने उस के सिर पर हाथ फेरते हुए कहा, ‘‘किस के मम्मीपापा ऐसे होंगे, जिन के बीच अनबन न रहती हो.’’

‘‘पापा, इसे हम साधारण अनबन का नाम तो नहीं दे सकते. ऐसा लगता है जैसे आप दोनों रिश्तों का बोझ ढो रहे हो. मैं ने भी दादू, दादी, मां, चाची, चाचू, बूआ, फूफाजी को देखा है पर ऐसा अनोखा प्रेम तो किसी के बीच नहीं देखा है,’’ अनिका के कटाक्ष ने पापा को निरुत्तर कर दिया था.

‘‘बेटे ऐसा भी तो हो सकता है कि तुम अतिसंवेदनशील हो?’’

पापा के प्रश्न का उत्तर देने के बजाय उस ने पापा से पूछा, ‘‘पापा, मम्मी से शादी आप ने दादू के दबाव में आ कर की थी क्या?’’

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पापा को 20 साल पहले की अपनी पेशी याद आ गई जब पापा, बड़े पापा और घर के अन्य सब बड़े लोगों ने उन के पैतृक गांव के एक खानदानी परिवार की सुशील और पढ़ीलिखी कन्या अर्थात् निकिता से विवाह के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. घर वालों ने उन का पीछा तब तक नहीं छोड़ा था जब तक उन्होंने शादी के लिए हां नहीं कह दी थी.

पापा ने मुसकराते हुए कहा, ‘‘नहीं बेटे ऐसी कोई बात नहीं है… 19-20 की जोड़ी थी पर ठीक है. आधी जिंदगी निकल गई है आधी और कट ही जाएगी.’’

‘‘वाह पापा बिलकुल सही कहा आपने… 19-20 की जोड़ी है… आप उन्नीस है और मम्मा बीस… क्यों पापा सही कहा न मैं ने?’’

Crime Story: दो गज जमीन के नीचे

लेखक- रविंद्र शिवाजी दुपारगुडे

लेकिन जब यह बात सुनील की पत्नी तक पहुंची तो स्थिति बदल गई. अंतत: सुनील ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर…

लड़की जब शादी योग्य हो जाती है तो वह अपने भावी जीवन को ले कर सपने बुनने लगती

हैं, कुछ भावी पति के बारे में, कुछ घरपरिवार के बारे में और कुछ अपने लिए. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर मांबाप बचपन से ही बेटी के मन में यह बात बैठाना शुरू कर देते हैं कि शादी के बाद वह पराई हो जाएगी. कौन लड़की कैसे सपने बुनती है, यह उस की व्यक्तिगत और पारिवारिक स्थिति पर निर्भर करता है.

मुंबई के मानखुर्द की रहने वाली रोहिणी गुलाब मोहिते ने भी अपने जीवनसाथी को ले कर तरहतरह के सपने संजोए थे. पिता ने जब उस का विवाह मुंबई के ही अभिजीत घोरपड़े के साथ कर दिया तो अपने दिल में वह तमाम उमंगें लिए ससुराल चली गई.

रोहिणी को मनमुताबिक पति मिला, जिस से वह हर तरह खुश थी. अभिजीत उसे बहुत प्यार करता था. उन की गृहस्थी हंसीखुशी से चल रही थी. इसी दौरान रोहिणी एक बच्चे की मां भी बन गई. परिवार में बच्चे के आने से उन की खुशी और बढ़ गई.

लेकिन उन की इस खुशी की उम्र बहुत कम निकली. बच्चा अभी अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पाया था कि अभिजीत की मृत्यु हो गई. पति की मौत के बाद रोहिणी की जिंदगी में अंधेरा छा गया. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या करे. कुछ नहीं सूझा तो वह अपने बच्चे को ले कर मायके आ गई.

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पति की मौत के गम में वह दिन भर सोचती रहती. उसे न खाने की चिंता रहती न पीने की. वह हर समय गुमसुम रहती थी. घर वालों और अन्य लोगों के समझाने पर रोहिणी ने घर से बाहर निकलना शुरू किया. बाहर निकलने से रोहिणी धीरेधीरे सामान्य होती गई. किसी के सहयोग से उसे वाशी नवी मुंबई के एक अस्पताल में कौन्ट्रैक्ट पर नौकरी मिल गई.

वह रोजाना मानखुर्द से वाशी तक लोकल ट्रेन से अपडाउन करती थी. उसी दौरान रोहिणी के गांव के रहने वाले रामचंद्र तुकाराम जाधव के माध्यम से उस की मुलाकात सुनील शिर्के से हुई. सुनील भी उसी अस्पताल में नौकरी करता था, जिस में रोहिणी काम करती थी.

रोहिणी और सुनील अकसर साथसाथ ट्रेन से आतेजाते थे. रोजाना साथ आनेजाने से उन की अच्छी दोस्ती हो गई. सुनील से दोस्ती के बाद रोहिणी खुश रहने लगी थी, क्योंकि वह उस से अपने मन की बात कह लेती थी. उसे सुनील का व्यवहार बहुत अच्छा लगता था. धीरेधीरे दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई.

रोहिणी ने सुनील को अपने अतीत के बारे में सब कुछ बता दिया था. तब सुनील ने उसे भरोसा दिया कि वह उस से शादी कर के जीवन भर उस का साथ निभाएगा. कई सालों तक उन का प्यार उसी तरह चलता रहा.

इस बीच रोहिणी ने उस से कई बार शादी करने को कहा लेकिन वह बातें बना कर उसे टाल देता था. वक्त के साथ 5-6 साल बीत गए लेकिन सुनील ने उस से शादी नहीं की. रोहिणी समझ गई कि वह उस के साथ सिर्फ मौजमस्ती कर रहा है, लिहाजा वह सुनील पर शादी के लिए दबाव डालने लगी.

दूसरी ओर सुनील रोहिणी से इसलिए शादी नहीं कर रहा था, क्योंकि वह पहले से ही शादीशुदा था. उस के 2 बच्चे भी थे. उस की पत्नी को इस बात की भनक तक नहीं थी कि सुनील के किसी दूसरी महिला से अवैध संबंध हैं.

शादी की बात को ले कर सुनील और रोहिणी के बीच झगड़े होने लगे थे. किसी तरह सुनील की पत्नी को पति के अवैध संबंधों की जानकारी मिल गई तो वह घर में क्लेश करने लगी. इस से सुनील दोनों तरफ से घिर गया था. एक ओर पत्नी थी तो दूसरी ओर रोहिणी. दो नावों की सवारी उस के लिए आसान नहीं थी.

सुनील रोहिणी से शादी करना चाहता था लेकिन पत्नी के रहते रोहिणी को घर लाना संभव नहीं था.

दूसरी ओर रोहिणी भी आसानी से मानने वाली नहीं थी. शादी के नाम पर सुनील पिछले 5-6 सालों से उस का शोषण करता आ रहा था. अंतत: उस ने रोहिणी से छुटकारा पाने का फैसला किया. इस संबंध में उस ने अपने दोस्तों रामचंद्र तुकाराव जाधव और विजय सिंह से बात की.

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तीनों ने जब इस मुद्दे पर विचारविमर्श किया तो रोहिणी से छुटकारा पाने का एक ही उपाय नजर आया कि उस की हत्या कर दी जाए. लिहाजा तीनों ने उस की हत्या का फैसला कर लिया. इतना ही नहीं, हत्या कर लाश कहां ठिकाने लगानी है, इस की भी उन्होंने योजना तैयार कर ली.

योजना के अनुसार, 13 नवंबर 2018 को सुनील मुंबई से 129 किलोमीटर दूर रायगढ़ स्थित अपने मूल गांव सिरसाल गया. वहां उस ने अपने घर के करीब एक गहरा गड्ढा खोदा और मुंबई लौट आया.

अब उसे किसी बहाने से रोहिणी को वहां ले जाना था. इसलिए उस ने रोहिणी से कहा, ‘‘रोहिणी, लड़तेझगड़ते बहुत दिन हो गए. अब मैं ने तुम से शादी करने का फैसला कर लिया है. एक वकील मेरे जानकार हैं. हमें उन के पास चलना होगा. वह सारी कानूनी काररवाई कर देंगे. इस के बाद हम दोनों के साथ रहने में कोई समस्या नहीं होगी.’’

सुनील की बात सुन कर रोहिणी खुश हो गई. उस ने सुनील के साथ जाने के लिए हामी भर दी. 14 नवंबर, 2018 को रोहिणी सहेली की शादी में जाने का बहाना कर के अपने घर से निकल गई. सुनील उसे निर्धारित जगह पर मिल गया. उस के साथ रामचंद्र जाधव और विजय सिंह भी थे, जो एमएच23बी के4101 नंबर की कार ले कर आए थे. रोहिणी खुशीखुशी उस कार में बैठ गई.

इस कार से सब लोग 129 किलोमीटर दूर रायगढ़ पहुंचे. गांव पहुंच कर सुनील ने रोहिणी से शादी के बारे में बात की तो वह शादी करने की जिद पर अड़ी रही. सुनील ने उसे समझाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मानी. मानती भी क्यों, सुनील उसे शादी का झांसा दे कर ही तो लाया था.

इस मुद्दे पर बात बढ़ी तो रोहिणी ने यह तक कह दिया कि अब वह चुप नहीं बैठेगी और पुलिस से शिकायत कर देगी. उसे जिद पर अड़ी देख रामचंद्र जाधव ने रोहिणी के सिर पर फावड़े के डंडे से जोरदार प्रहार किया.

प्रहार तेज था, जिस से रोहिणी जमीन पर गिर गई. विजय सिंह मोरे ने उस के दोनों हाथ पकड़ लिए और सुनील व रामचंद्र ने रोहिणी की साड़ी से ही उस का गला घोंट दिया.

रोहिणी की मौत हो जाने के बाद तीनों ने उस की लाश पहले से खोदे गए गड्ढे में दबा दी. लाश ठिकाने लगा कर वे लोग अपने घर लौट आए.

14 नवंबर को रोहिणी सहेली की शादी में जाने की बात कह कर घर से निकली थी. जब वह घर नहीं पहुंची तो उस के घर वाले परेशान हो गए. उन्होंने अपने सभी परिचितों से रोहिणी के बारे में पूछा. जब कोई पता नहीं चला तो अगले दिन उस के भाई राजेंद्र गुलाब ने उस अस्पताल में जा कर पूछताछ की, जहां रोहिणी काम करती थी.

वहां से पता चला कि पिछले दिन रोहिणी अपनी ड्यूटी पर आई ही नहीं थी. यह जान कर राजेंद्र और ज्यादा परेशान हो गया. अंतत: 16 नवंबर, 2018 को राजेंद्र थाना मानखुर्द पहुंचा और बहन के लापता होने की बात पुलिस को बता दी.

राजेंद्र गुलाब घोरपड़े की शिकायत पर मानखुर्द पुलिस थाने के सीनियर पीआई नितिन बोबड़े ने 28 वर्षीय रोहिणी की गुमशुदगी दर्ज कर के जरूरी काररवाई करनी शुरू कर दी. उन्होंने रोहिणी के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई, लेकिन उस से कोई खास जानकारी नहीं मिली. जिस अस्पताल में रोहिणी काम करती थी, पुलिस ने वहां जा कर भी जांच की. वहां पता चला कि रोहिणी के उसी अस्पताल में नौकरी करने वाले सुनील शिर्के नाम के युवक से संबंध थे.

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पुलिस ने वक्त न गंवा कर सुनील को पूछताछ के लिए थाने बुला लिया. उस से पूछताछ करने पर भी रोहिणी के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो पुलिस ने उसे छोड़ दिया.

इस के बाद पुलिस ने रोहिणी के रिश्तेदारों आदि से भी पूछताछ की, लेकिन पुलिस को कहीं से भी रोहिणी के बारे में कोई क्लू नहीं मिल रहा था. पुलिस ने रोहिणी के बैंक खातों की जांच की तो पता चला कि रोहिणी के एसबीआई के खाते से एटीएम द्वारा 15 और 16 नवंबर, 2018 को 65 हजार रुपए निकाले गए थे.

ये पैसे किस ने निकाले, जानने के लिए पुलिस ने एटीएम के सीसीटीवी कैमरे को खंगाला तो फोटो पहचानने में नहीं आया. रोहिणी 14 नवंबर को घर से निकली थी, जबकि पैसे 16 नवंबर को निकाले गए थे.

इस से पुलिस को यही लगा कि या तो वह पैसे निकाल कर किसी के साथ भाग गई होगी या फिर उस के साथ कुछ गलत हुआ होगा. पुलिस फिर से एटीएम के सीसीटीवी की उसी धुंधली तसवीर की जांच करने लगी.

पुलिस ने वह तसवीर उस अस्पताल के कर्मचारियों को दिखाई, जहां रोहिणी नौकरी करती थी. इस जांच में पुलिस को नई जानकारी मिली. लोगों ने सीसीटीवी के उस फोटो की पहचान सुनील के दोस्त रामचंद्र तुकाराव जाधव के रूप में की.

पुलिस ने रामचंद्र के बारे में पता किया तो जानकारी मिली कि वह महाराष्ट्र के सतारा जिले से करीब 60 किलोमीटर दूर वानरवाडी गांव का रहने वाला है और मुंबई में आचरेकर नामक केबल औपरेटर के यहां नौकरी करता है.

पुलिस टीम केबल औपरेटर आचरेकर के औफिस पहुंच गई. आचरेकर से रामचंद्र के बारे में पूछताछ की गई, तो उस ने बताया कि रामचंद्र काफी दिनों पहले अपने गांव जाने की बात कह कर गया था और अभी तक नहीं लौटा है. पुलिस उस के गांव पहुंच गई. रामचंद्र गांव में मिल गया. उसे हिरासत में ले कर पुलिस थाना मानखुर्द लौट आई. इस के साथ ही पुलिस ने सुनील को भी हिरासत में ले लिया.

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पुलिस ने उन दोनों से सख्ती से पूछताछ की तो दोनों ने रोहिणी की हत्या की बात स्वीकार कर ली. उन्होंने यह भी बता दिया कि उन लोगों ने अपने तीसरे साथी विजय सिंह मोरे के साथ मिल कर रोहिणी की हत्या की थी और उस की लाश रायगढ़ जिले के सिरसाल गांव में दफना दी थी.

सीनियर पुलिस इंसपेक्टर नितिन बोबड़े अपने सहयोगी इंसपेक्टर चंद्रकांत लोडगे, एसआई तुकाराम घाडगे, प्रताप देसाई, कृष्णात माने आदि के साथ तीनों आरोपियों को उस जगह ले गए, जहां उन्होंने रोहिणी का शव दफनाया था. माणगांव के तहसीलदार की मौजूदगी में रोहिणी की लाश गड्ढे से निकलवाई गई.

राजेंद्र ने लाश की पहचान अपनी बहन रोहिणी के रूप में की. पुलिस ने जरूरी काररवाई कर लाश पोस्टमार्टम के लिए भायखला के सर जे.जे. अस्पताल भेज दी.

इस के बाद पुलिस ने हत्यारोपी सुनील शिर्के, रामचंद्र तुकाराव जाधव और विजय सिंह मोरे से विस्तार से पूछताछ कर के उन्हें 6 फरवरी, 2019 को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.

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