गे संबंधों का लव ट्रायएंगल- भाग 3

16 फरवरी, 2022 की रात साढ़े 9 बजे नीरज घर पर खाना खा कर मोबाइल देख रहा था, तभी राजू की फोन काल देख कर उस का चेहरा खुशी से खिल उठा. राजू ने उसे खुला आमंत्रण देते हुए कहा, ‘‘आज मेरा मन तुम्हारे साथ कुछ करने का हो रहा है. जल्दी से आ जाओ.’’अंधा क्या चाहे 2 आंखें. नीरज ने हामी भरते हुए कहा, ‘‘मैं आता हूं तू चौक पर मिलना.’’

इतना कहते ही फोन डिसकनेक्ट कर उस ने घर से जूट के 2 बोरे स्कूटी की डिक्की में रखे और पत्नी से कुछ देर में आने की बोल कर घर से निकल पड़ा. करीब पौने 10 बजे राजू उसे चौक पर ही मिल गया.
नीरज उसे स्कूटी पर बिठा कर शगुन वाटिका मैरिज गार्डन के पीछे रेलवे स्टेशन के नजदीक सुनसान जगह पर ले गया. स्कूटी खड़ी कर अंधेरे का फायदा उठा कर झाडि़यों के बीच घुस कर अपने साथ लाए जूट के बोरे बिछा कर दोनों पास में बैठ गए.

अमावस्या की रात के स्याह अंधेरे का पूरा लुत्फ नीरज उठाना चाहता था, इसलिए अपने कपड़े घुटने के नीचे सरका कर वह राजू के साथ प्रेमालाप करने लगा. मगर उसे पता नहीं था कि आज वह राजू को नहीं, अपनी मौत को सुनसान जगह ले कर आया है.नीरज और राजू का सैक्स गेम चल ही रहा था कि मनोज उन का पीछा करते हुए दबेपांव वहां पहुंच गया. मनोज ने देखा कि नीरज राजू के ऊपर था, तभी उस ने पीछे से नीरज का गला पकड़ लिया.

नीरज कुछ समझ पाता, इस के पहले राजू भी मनोज का साथ देने लगा. दोनों पूरी ताकत से नीरज का गला दबाने लगे. कुछ ही देर में नीरज छटपटा कर ढेर हो गया. इस के बाद दोनों ने उस के हाथ की नस काट कर और गले को चाकूनुमा कटर से गोद कर इस बात की पूरी तसदीक कर ली कि नीरज जिंदा तो नहीं है.नीरज की हत्या करने के बाद मनोज और राजू ने उस के शव को उठा कर घनी झाडि़यों के बीच फेंक दिया और नीरज का मोबाइल ले कर उसी की स्कूटी पर सवार हो कर दोनों भाग खड़े हुए.
रात में ही दोनों होशंगाबाद पहुंचे, जहां वे मनोज की बहनबहनोई के घर पर रुके. सुबह होते ही मनोज अपनी बहन से बोला, ‘‘दीदी, हम लोग जरूरी काम से भोपाल जा रहे हैं.’’

स्कूटी वहीं छोड़ कर दोनों बस में सवार हो भोपाल पहुंच गए. दोनों भोपाल के नादिरा बस स्टैंड से कहीं दूर भागने की फिराक में थे, तभी औबेदुल्लागंज थाने के टीआई संदीप चौरसिया की टीम ने उन्हें दबोच लिया.पकड़े जाने पर उन के पास नीरज की हत्या कुबूल करने के अलावा कोई चारा नहीं था. दोनों ने नीरज की हत्या के पीछे यही कारण बताया कि नीरज उन के सैक्स संबंधों का वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर राजू को ब्लैकमेल कर बारबार संबंध बनाने का दबाव डाल रहा था. यह बात मनोज को नागवार गुजरी.

दोनों की निशानदेही पर नीरज की स्कूटी, मोबाइल और हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकूनुमा कटर भी बरामद कर लिया. पुलिस ने दोनों को भादंवि धारा 302,120बी के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से मनोज को जेल और राजू को बाल सुधार गृह भेज दिया गया.गे सैक्स के शौक ने एक शादीशुदा रईस कारोबारी नीरज को मौत की नींद सुला दिया तो मनोज और राजू जैसे नौजवानों को अपराध करने पर मजबूर
कर दिया. द्य
—कथा मीडिया रिपोर्ट और पुलिस सूत्रों पर आधारित

खोया हुआ आशिक : शालिनी के लौटने पर क्यों परेशान थी विनीता -भाग 2

‘‘अच्छा… मोबाइल स्विच औफ है? मैं ने देखा नहीं… शायद चार्ज करना भूल गई,’’ विनीता साफ झूठ बोल गई.

‘‘सुनो, मुझे दोपहर बाद टूअर पर निकलना है. ड्राइवर को भेज रहा हूं, मेरा बैग पैक कर के दे देना. घर नहीं आ पाऊंगा, जरूरी मीटिंग है,’’ जतिन ने जल्दबाजी में कहा.

जतिन के टूअर अकसर ऐसे ही बनते. मगर हर बार की तरह इस बार विनीता परेशान नहीं हुई, बल्कि उस ने राहत की सांस ली, क्योंकि वह इस समय सचमुच एकांत चाहती थी ताकि शालिनी से आने से बनी इस परिस्थिति पर कुछ सोचविचार कर सके.

‘क्या होगा अगर उस ने घर आने और मेरे पति से मिलने की जिद की तो? क्या कहूंगी मैं शालू से? क्या जतिन से शादी कर के मैं ने कोई अपराध किया है?’ इन्हीं सवालों के जवाब वह एकांत में अपनेआप से पाना चाहती थी. पूरा दिन वह मंथन करती रही. उस की आशंका के अनुरूप अगले ही दिन दोपहर में शालिनी का फोन आ गया. अब तक विनीता अपनेआप को इस स्थिति के लिए मानसिक रूप से तैयार कर चुकी थी.

‘‘यार विन्नी, तुम तो बड़ी छिपी रुस्तम निकली… मेरी ही थाली पर हाथ साफ कर लिया… मेरे आशिक को अपना पति बना लिया… मैं ने कल ही जतिन की फेसबुक आईडी देखी तो पता चला… क्या तुम्हारी पहले से ही प्लानिंग थी?’’ शालू का व्यंग्य सुन कर विन्नी गुस्से और अपमान से तिलमिला उठी.

‘‘नहीं शालू… थाली पर हाथ साफ नहीं किया, बल्कि जिस पौध को तुम कुचल कर खत्म होने के लिए फेंक गई थी मैं ने उसे सहेज कर फिर से गमले में लगा दिया… अब उस के फूल या फल, जो भी हों, वे मेरी ही झोली में आएंगे न… चल छोड़ ये बातें… तू बता क्या चल रहा है तेरी लाइफ में? कितने दिन के लिए इंडिया आई हो? अकेली आई हो या नितेश भी साथ है?’’ विन्नी ने संयत स्वर में पूछा.

‘‘अकेली आई हूं, हमेशा के लिए… हमारा तलाक हो गया.’’

‘‘क्यों? कैसे? वह तो तुम्हारे हिसाब से बिलकुल परफैक्ट मैच था न?’’

‘‘अरे यार, दूर के ढोल सुहावने होते हैं… नितेश भी बाहर से तो इतना मौडर्न… और भीतर से वही… टिपिकल इंडियन हस्बैंड… यहां मत जाओ… इस से मत मिलो… उस से दूर रहो… परेशान हो गई थी मैं उस से… खुद तो चाहे जिस से लिपट कर डांस करे… और कोई मेरी कमर में हाथ डाल दे तो जनाब को आग लग जाती थी… रोज हमारा झगड़ा होने लगा… बस, फिर हम आपसी सहमति से अलग हो गए. अब मैं हमेशा के लिए इंडिया आ गई हूं,’’ शालू ने बड़ी ही सहजता से अपनी कहानी बता दी जैसे यह कोई खास बात नहीं थी, मगर विनीता के मन में एक अनजाने डर ने कुंडली मार ली.

‘‘अगर यह हमेशा के लिए इंडिया आ गई है, तो जतिन से मिलने की कोशिश भी जरूर करेगी… कहीं इन दोनों का पुराना प्यार फिर से जाग उठा तो? कहते हैं कि व्यक्ति अपना पहला प्यार कभी नहीं भूलता… फिर? उस का क्या होगा?’’ विनीता ने डर के मारे फोन काट दिया.

विनीता के दिल में शक के बादलों ने डेरा जमाना शुरू कर दिया. उस का शक विश्वास में बदलने लगा जब एक दिन उस ने फेसबुक पर नोटिफिकेशन देखा, ‘‘जतिन बिकम्स फ्रैंड विद शालिनी.’’

‘‘जतिन ने मुझे बताना भी जरूरी नहीं समझा? हो सकता है शालिनी इन से मिली भी हो…’’ विनीता के दिल में शक के नाग ने फुफकार भरी. विनीता अपने दिल की बात किसी से भी शेयर नहीं कर पा रही थी. धीरेधीरे उस की मनोस्थिति उस पर हावी होने लगी. नतीजतन उस के व्यवहार में एक अजीब सा रूखापन आ गया. जतिन जब भी उसे हंसाने की कोशिश करता वह बिफर उठती.

‘‘तुम्हें पता है शालिनी वापस लौट आई है?’’ एक दिन औफिस से आते ही जतिन ने विस्फोट किया.

‘‘हां, उस ने एक दिन मुझे फोन किया था. मगर तुम्हें किस ने बताया?’’ विनीता ने उस की आंखों में आंखें डाल कर पूछा. जतिन की आंखों में उसे जरा भी चोरी नजर नहीं आई, बल्कि उन में तो विश्वास भरी चमक थी.

‘‘अरे, उसी ने आज मुझे भी फोन किया था. उसे टाइम पास करने के लिए कोई जौब चाहिए. मुझ से मदद मांग रही थी.’’

‘‘फिर तुम ने क्या कहा?’’

‘‘1-2 लोगों से कहा है… देखो, कहां बात बनती है.’’

‘‘मगर तुम्हें क्या जरूरत है किसी पचड़े में पड़ने की?’’

‘‘अरे यार, इंसानियत नाम की भी कोई चीज होती है या नहीं… चलो छोड़ो, तुम बढि़या सी चाय पिलाओ,’’ कहते हुए जतिन ने बात खत्म कर दी.

मगर यह बात इतनी आसानी से कहां खत्म होने वाली थी. विनीता के कानों में रहरह कर शालिनी की चैलेंज देती आवाज गूंज रही थी. अब उस के पास शालिनी के फोन आने बंद हो गए थे. इस बात ने भी विनीता की रातों की नींद उड़ा दी थी.

‘‘अब तो सीधे जतिन को ही कौल करती होगी… मैं तो शायद कबाब में हड्डी हो चुकी हूं,’’ विनीता अपनेआप से ही बातें करती परेशान होती रहती. इन सब के फलस्वरूप वह कुछ बीमार भी रहने लगी थी.

‘‘मेरे कहने पर एक होटल में शालिनी को एचआर की जौब मिल गई. इस खुशी में वह आज मुझे इसी होटल में ट्रीट देना चाहती है… तुम चलोगी?’’ एक शाम जतिन ने घर आते ही कहा.

‘‘पूछ रहे हो या चलने को कह रहे हो?’’ विनीता भीतर ही भीतर सुलग रही थी.

‘‘आजकल तुम्हें बाहर का खाना सूट नहीं करता न, इसलिए पूछ रहा हूं,’’ जतिन ने सहजता से कहा.

विनीता कुछ नहीं बोली. चुपचाप हारे हुए खिलाड़ी की तरह जतिन को अपने से दूर जाते देखती रही.

धीरेधीरे उस ने चुप्पी ही साथ ली. उस ने जतिन से दूरी बढ़ानी शुरू करदी. उन के रिश्ते में ठंडापन आने लगा. वह मन ही मन अपनेआप को जतिन से तलाक के लिए तैयार करने लगी. वहीं जतिन इसे उस की बीमारी के लक्षण समझ कर बहुत ही सामान्य रूप से ले रहा था. हमेशा की तरह वह उसे घर आते ही औफिस से जुड़ी मजेदार बातें बताता था. इन दिनों उस की बातों में शालिनी का जिक्र भी होने लगा था. हालांकि शालू कभी उन के घर नहीं आई, मगर जतिन के अनुसार वह कभीकभार उस से मिलने औफिस आ जाती. वह भी 1-2 बार उस के बुलावे पर होटल गया था.

 

पिता का दोस्त : भाग 2

इश्कइश्क की अठखेलियां खेलती हुई कनिका पिता के दोस्त के साथ प्यार के अनोखे रिश्ते का जो धागा बुन रही थी, वह निहायत ही घटिया और बदबूदार रिश्तों का धागा था, जिस की कोई उम्र नहीं थी. उस में दोष कनिका का नहीं बल्कि उस की उम्र का था, जिस उम्र के दौर से वह गुजर रही थी.
पिता का दोस्त पिता जैसा ही होता है. कनिका ने इस रिश्ते की मर्यादा को तो भुला ही दिया था, इस से कमतर गुनहगार कनिका के पिता का दोस्त वेदप्रकाश आंतिल भी नहीं था. जो सामाजिक मानमर्यादा को ताख पर रख बेटी समान कनिका से इश्क की गोटियां खेल रहा था.

भ्रष्ट मानसिकता के उस कमबख्त इंसान ने यह भी नहीं सोचा कि जब उन के इश्क के परदे उठेंगे तो उन की समाज में कितनी बदनामी हो सकती है. लोग उन के बारे में कैसीकैसी धारणाएं रखेंगे. क्या सामाजिक तिरस्कार और बहिष्कार की मार से वे जिंदा रह सकेंगे. दोनों ने इस बारे में कभी नहीं सोचा, बस नीले आसमान के तले अपने प्यार की पींगें भरते रहे.बहरहाल, कनिका और वेदप्रकाश का रिश्तों की आड़ वाला यह खेल ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं रहा. आखिरकार, एक दिन विजयपाल के सामने यह भेद खुल ही गया. जब उस के सामने बेटी और वेदप्रकाश के बीच चल रहे नाजायज रिश्तों से परदा उठा तो उसे ऐसा लगा जैसे उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई हो.

वेदप्रकाश की हरकतों से उस के तनबदन में आग लग गई थी. वह इस सोच में डूब गया था कि माना बेटी नादान थी, नादानी में उस के पांव बहक गए लेकिन वह तो नादान नहीं था. बेटी को समझाने या ऊंचनीच का आईना दिखाने जैसा काम कर सकता था. फिर भी वह न मानती तो मुझ से आ कर कहता, मुझे बताता. मैं उस का सही तरीके से इलाज करता.बजाय इस के वह खुद उस पर लट्टू हो गया और उस से नाजायज रिश्ता जोड़ लिया. वेदप्रकाश ने ऐसी गिरी और घिनौनी हरकत कर के अच्छा नहीं किया. विजयपाल ने तय कर लिया कि वह उसे कभी माफ नहीं करेगा.

उस दिन के बाद से वेदप्रकाश का विजयपाल के घर आनाजाना बंद हो गया. कनिका पर विजयपाल और उस की पत्नी की चारों पहर नजर कड़ी हो गई थी. कनिका की मां ने सामाजिक मानसम्मान और नैतिकता की दुहाई दी लेकिन बेटी के दिलोदिमाग में वेदप्रकाश के प्यार का ऐसा रंग चढ़ गया था कि मां की सीख का रंग एकदम फीका पड़ गया था.भले ही मांबाप ने अपनी नजरों का पहरा बेटी पर बिठा दिया था, लेकिन वह छिप कर प्रेमी वेदप्रकाश से फोन पर बात कर लेती थी.

बात दिसंबर 2020 के पहले सप्ताह की है. जिस बात का डर मांबाप को सता रहा था, आखिरकार वह सच हो गया. घर वालों के मुंह पर कालिख पोत कर कनिका वेदप्रकाश के साथ घर से
भाग गई.बेटी की करतूतों से घर वालों का सिर शर्म से झुक गया. वे किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे. जवान बेटी का किसी पुरुष के साथ भाग जाना कितनी जगहंसाई वाली बात होती है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता.

बहरहाल, वेदप्रकाश और कनिका भाग कर मेरठ पहुंचे. वहां वेदप्रकाश का एक जानने वाला रहता था, वहीं उस के घर में दोनों ने शरण ली और 20 दिसंबर, 2020 को दोनों ने कोर्टमैरिज कर ली. कोर्टमैरिज करने के बाद वेदप्रकाश और कनिका अपने घर मुकीमपुर लौट आए.वेदप्रकाश और कनिका घर लौट तो आए लेकिन लेकिन गांव वालों ने उन्हें गांव में घुसने नहीं दिया. गांव में पंचायत बिठा कर पंचों ने कनिका को वेदप्रकाश से छीन कर उस के घर वालों के हवाले कर दिया और उस की शादी को अमान्य घोषित कर दिया.

यही नहीं, वेदप्रकाश को अपमानित कर के गांव से निकाल बाहर कर दिया था. गांव से निष्कासित किए जाने के बाद वेदप्रकाश अपना गांव छोड़ कर रोहतक जिले में किराए का कमरा ले कर रहने लगा.
पंचों के हुक्म से प्रेमी से पतिपत्नी बने दंपति को अलग तो कर दिया था, लेकिन एकदूसरे के दिलों में उन्होंने जो जगह बनाई थी, न तो उसे मिटा सके और न ही हटा सके. सामाजिकता के कड़े चाबुक की चोट से भले ही दोनों अलग हो गए थे, लेकिन उन के सीने में धड़कने वाला दिल एक था. दोनों अलग हो कर भी एक थे, उन्हें कोई जुदा नहीं कर सका था. उन के दिलों से और खयालों से भी.

कनिका वेदप्रकाश से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकी. 3 जून, 2021 को वह फिर वेदप्रकाश के साथ घर से भाग गई. दोबारा घर से भाग कर कनिका ने मांबाप का नाम खाक में मिला दिया था.
बेटी के इस दुस्साहस से विजयपाल गुस्से से एकदम पागल हो गया. आलम तो यह था कि यदि सामने बेटी पड़ जाती तो उस के इतने टुकडे़ कर डालता, वह खुद नहीं जानता था. लेकिन करता भी क्या, वह तो अपनों से हारा था.

वक्त के सामने विजयपाल कुछ देर के लिए रुक गया था लेकिन वह टूट कर बिखरा नहीं था. सामाजिक रुसवाई का जो जख्म कनिका ने अपने बाप को दिया था, वह सूद समेत उसे लौटाने की योजना बना रहा था. इस योजना में उस ने इस बार अपनी बुआ के पोते वीरेंद्र को शामिल कर लिया था और दोनों सावधानी से आगे बढ़ रहे थे.विजयपाल की योजना बेटी कनिका को मौत के घाट उतार कर मानसम्मान बचाने और हत्या का सारा दोष नीच दोस्त वेदप्रकाश के सिर मढ़ उसे जेल भिजवाने की थी.

योजना के अनुसार, 5 जुलाई 2021 को विजयपाल ने बेटी कनिका को फोन किया, ‘‘हैलो बेटी कनिका, मैं तुम्हारा बदनसीब बाप बोल रहा हूं.’’ कराहते हुए विजयपाल बोला.
‘‘नमस्ते पापा,’’ कनिका असमंजस में डूबी आगे बोली, ‘‘आप कैसे हैं?’’‘‘और कैसा हो सकता हूं, जब से तुम घर से गई हो तब से मैं सदमे में पड़ा रहता हूं. तुम्हारे ऐसे चले जाने से घर काटने को दौड़ता है.’’ विजयपाल की बात सुन कर कनिका कोई उत्तर नहीं देती तो विजयपाल ने आगे कहा, ‘‘अच्छा, जो होना था सो हो गया. हम सब ने सोचा है कि अब हम तुम्हारी शादी को सामाजिक मान्यता दिला दें ताकि अपने पति के साथ सिर ऊंचा कर के तुम भी जी सको.’’

‘‘सच पापा?’’ पिता के मुंह से यह सुन कर कनिका खुशी से झूम उठी, ‘‘अभीअभी मेरे कानों ने जो सुना, क्या वह सच है पापा?’’‘‘हां बेटा, वो सब सच है. इसीलिए तो में ने 7 जुलाई, 2022 को अपने जन्मदिन पर एक शानदार पार्टी देने का फैसला किया है. दामादजी को साथ ले कर तुम घर आओगी तो मुझे और घर वालों को बड़ी खुशी होगी.’’

‘‘हां पापा, मैं उन्हें साथ ले कर आप के जन्मदिन पर घर जरूर आऊंगी.’’
‘‘अच्छा, अब मैं फोन रखता हूं.’’‘‘नमस्ते पापा.’’‘‘खुश रहो बेटा, घर जरूर आना मेरे जन्मदिन पर.’’
कह कर विजयपाल ने काल डिसकनेक्ट कर दी. विजयपाल ने अपनी भावनाओं का जाल फेंक कर बेटी को चंगुल में फांसने की कोशिश की थी और वह अपने खतरनाक इरादों में कामयाब भी हो गया.
कनिका ने जब ये सारी बातें पति वेदप्रकाश आंतिल से कही तो वह चौंक गया कि विजयपाल उन की शादी को सामाजिक मान्यता दिलाना चाहता है. तुरंत उस की छठी इंद्री जाग गई और उसे दोस्त से ससुर बने विजयपाल की बातों से साजिश की बू महसूस होने लगी थी.

कनिका की रगों में विजयपाल का खून दौड़ रहा था तो वह पिता की बात क्यों नहीं सुनती. वेदप्रकाश ने कनिका को बहुत समझाया कि वह अपने घर मुकीमपुर न जाए, उसे विजयपाल की नीयत पर भरोसा नहीं है. वह जहरीले सांप की तरह पलट कर कभी भी वार कर सकता है.

पति की बात सुन कर कनिका ने उसे विश्वास दिलाया कि वह हर घड़ी चौकस रहेगी. क्या पता मेरे वहां जाने से रिश्तों में फिर से बदलाव आ जाए, मांबाप का आशीर्वाद मिल जाए और हमारे जीवन की गाड़ी सुखमय चलने लगे.वेदप्रकाश का मन पत्नी को मायके भेजने का नहीं हो रहा था, लेकिन पत्नी की जिद के आगे उसे झुकना ही पड़ा. 7 जुलाई को जन्मदिन वाले दिन सुबह के समय कनिका ने अपने पिता विजयपाल को फोन कर के बताया कि वह अकेले घर आ रही है. राई थाने के पास आ कर वह उसे रिसीव कर लें.

अंधे को क्या चाहिए दो आंखें. जैसा उस ने सोचा था, ठीक वैसा ही हो रहा था. इधर जब वेदप्रकाश कनिका को गाड़ी में बैठा कर छोड़ने जा रहा था तो कनिका ने चालाकी करते हुए पति के मोबाइल फोन में अपना बयान रिकौर्ड कर लिया था. बयान में उस ने यह कहा था कि अगर मुझे कुछ होता है तो उस के लिए मेरे पिताजी विजयपाल और उन के 4 साथी दोषी होंगे जो बराबर उन के साथ मंडराते रहते हैं.
कनिका ने अपना बयान रिकौर्ड करने के बाद फोन वेदप्रकाश को दे दिया ताकि किसी अनहोनी पर भविष्य में काम आ सके. दोपहर एक बजे के करीब वेदप्रकाश राई थाने पहुंचा. थाने से थोड़ी दूर आगे विजयपाल कार लिए खड़ा था. वेदप्रकाश ने कनिका को वहीं उतार दिया तो कनिका बाप के पास पहुंच गई.

बेटी को देख कर विजयपाल के चेहरे पर कुटिल मुसकान फैल गई. उस ने कनिका को कार में पीछे वाली सीट पर बिठाया और खुद भी उसी के बगल में बैठ गया. गाड़ी वीरेंद्र चला रहा था. वेदप्रकाश ने पत्नी कनिका को विजयपाल के साथ कार में बैठते हुए देखा. कार जब वहां से चली गई तो वह निश्चिंत हो कर घर लौट आया था.सब कुछ योजना के मुताबिक चल रहा था. कनिका डरीसहमी बैठी मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि सब कुछ ठीक रहे और वह कुशल से मां के पास पहुंच जाए. कार के भीतर उसे खतरा महसूस हो रहा था.

राई थाने से 2-3 किलोमीटर कार आगे बढ़ी थी कि सुनसान जगह देख कर खेड़ी दमकन के पास विजयपाल ने वीरेंद्र से गाड़ी रोकने को कहा तो उस ने कार एक किनारे ले जा कर रोक दी. की अठखेलियां खेलती हुई कनिका पिता के दोस्त के साथ प्यार के अनोखे रिश्ते का जो धागा बुन रही थी, वह निहायत ही घटिया और बदबूदार रिश्तों का धागा था, जिस की कोई उम्र नहीं थी. उस में दोष कनिका का नहीं बल्कि उस की उम्र का था, जिस उम्र के दौर से वह गुजर रही थी.

पिता का दोस्त पिता जैसा ही होता है. कनिका ने इस रिश्ते की मर्यादा को तो भुला ही दिया था, इस से कमतर गुनहगार कनिका के पिता का दोस्त वेदप्रकाश आंतिल भी नहीं था. जो सामाजिक मानमर्यादा को ताख पर रख बेटी समान कनिका से इश्क की गोटियां खेल रहा था.भ्रष्ट मानसिकता के उस कमबख्त इंसान ने यह भी नहीं सोचा कि जब उन के इश्क के परदे उठेंगे तो उन की समाज में कितनी बदनामी हो सकती है. लोग उन के बारे में कैसीकैसी धारणाएं रखेंगे. क्या सामाजिक तिरस्कार और बहिष्कार की मार से वे जिंदा रह सकेंगे. दोनों ने इस बारे में कभी नहीं सोचा, बस नीले आसमान के तले अपने प्यार की पींगें भरते रहे.

बहरहाल, कनिका और वेदप्रकाश का रिश्तों की आड़ वाला यह खेल ज्यादा दिनों तक छिपा नहीं रहा. आखिरकार, एक दिन विजयपाल के सामने यह भेद खुल ही गया. जब उस के सामने बेटी और वेदप्रकाश के बीच चल रहे नाजायज रिश्तों से परदा उठा तो उसे ऐसा लगा जैसे उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई हो.

वेदप्रकाश की हरकतों से उस के तनबदन में आग लग गई थी. वह इस सोच में डूब गया था कि माना बेटी नादान थी, नादानी में उस के पांव बहक गए लेकिन वह तो नादान नहीं था. बेटी को समझाने या ऊंचनीच का आईना दिखाने जैसा काम कर सकता था. फिर भी वह न मानती तो मुझ से आ कर कहता, मुझे बताता. मैं उस का सही तरीके से इलाज करता.बजाय इस के वह खुद उस पर लट्टू हो गया और उस से नाजायज रिश्ता जोड़ लिया. वेदप्रकाश ने ऐसी गिरी और घिनौनी हरकत कर के अच्छा नहीं किया. विजयपाल ने तय कर लिया कि वह उसे कभी माफ नहीं करेगा.

उस दिन के बाद से वेदप्रकाश का विजयपाल के घर आनाजाना बंद हो गया. कनिका पर विजयपाल और उस की पत्नी की चारों पहर नजर कड़ी हो गई थी. कनिका की मां ने सामाजिक मानसम्मान और नैतिकता की दुहाई दी लेकिन बेटी के दिलोदिमाग में वेदप्रकाश के प्यार का ऐसा रंग चढ़ गया था कि मां की सीख का रंग एकदम फीका पड़ गया था.भले ही मांबाप ने अपनी नजरों का पहरा बेटी पर बिठा दिया था, लेकिन वह छिप कर प्रेमी वेदप्रकाश से फोन पर बात कर लेती थी.

बात दिसंबर 2020 के पहले सप्ताह की है. जिस बात का डर मांबाप को सता रहा था, आखिरकार वह सच हो गया. घर वालों के मुंह पर कालिख पोत कर कनिका वेदप्रकाश के साथ घर से
भाग गई.बेटी की करतूतों से घर वालों का सिर शर्म से झुक गया. वे किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रहे. जवान बेटी का किसी पुरुष के साथ भाग जाना कितनी जगहंसाई वाली बात होती है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता.

बहरहाल, वेदप्रकाश और कनिका भाग कर मेरठ पहुंचे. वहां वेदप्रकाश का एक जानने वाला रहता था, वहीं उस के घर में दोनों ने शरण ली और 20 दिसंबर, 2020 को दोनों ने कोर्टमैरिज कर ली. कोर्टमैरिज करने के बाद वेदप्रकाश और कनिका अपने घर मुकीमपुर लौट आए.वेदप्रकाश और कनिका घर लौट तो आए लेकिन लेकिन गांव वालों ने उन्हें गांव में घुसने नहीं दिया. गांव में पंचायत बिठा कर पंचों ने कनिका को वेदप्रकाश से छीन कर उस के घर वालों के हवाले कर दिया और उस की शादी को अमान्य घोषित कर दिया.

यही नहीं, वेदप्रकाश को अपमानित कर के गांव से निकाल बाहर कर दिया था. गांव से निष्कासित किए जाने के बाद वेदप्रकाश अपना गांव छोड़ कर रोहतक जिले में किराए का कमरा ले कर रहने लगा.
पंचों के हुक्म से प्रेमी से पतिपत्नी बने दंपति को अलग तो कर दिया था, लेकिन एकदूसरे के दिलों में उन्होंने जो जगह बनाई थी, न तो उसे मिटा सके और न ही हटा सके. सामाजिकता के कड़े चाबुक की चोट से भले ही दोनों अलग हो गए थे, लेकिन उन के सीने में धड़कने वाला दिल एक था. दोनों अलग हो कर भी एक थे, उन्हें कोई जुदा नहीं कर सका था. उन के दिलों से और खयालों से भी.

कनिका वेदप्रकाश से ज्यादा दिनों तक दूर नहीं रह सकी. 3 जून, 2021 को वह फिर वेदप्रकाश के साथ घर से भाग गई. दोबारा घर से भाग कर कनिका ने मांबाप का नाम खाक में मिला दिया था.
बेटी के इस दुस्साहस से विजयपाल गुस्से से एकदम पागल हो गया. आलम तो यह था कि यदि सामने बेटी पड़ जाती तो उस के इतने टुकडे़ कर डालता, वह खुद नहीं जानता था. लेकिन करता भी क्या, वह तो अपनों से हारा था.वक्त के सामने विजयपाल कुछ देर के लिए रुक गया था लेकिन वह टूट कर बिखरा नहीं था. सामाजिक रुसवाई का जो जख्म कनिका ने अपने बाप को दिया था, वह सूद समेत उसे लौटाने की योजना बना रहा था. इस योजना में उस ने इस बार अपनी बुआ के पोते वीरेंद्र को शामिल कर लिया था और दोनों सावधानी से आगे बढ़ रहे थे.

विजयपाल की योजना बेटी कनिका को मौत के घाट उतार कर मानसम्मान बचाने और हत्या का सारा दोष नीच दोस्त वेदप्रकाश के सिर मढ़ उसे जेल भिजवाने की थी.
योजना के अनुसार, 5 जुलाई 2021 को विजयपाल ने बेटी कनिका को फोन किया, ‘‘हैलो बेटी कनिका, मैं तुम्हारा बदनसीब बाप बोल रहा हूं.’’ कराहते हुए विजयपाल बोला.
‘‘नमस्ते पापा,’’ कनिका असमंजस में डूबी आगे बोली, ‘‘आप कैसे हैं?’’

‘‘और कैसा हो सकता हूं, जब से तुम घर से गई हो तब से मैं सदमे में पड़ा रहता हूं. तुम्हारे ऐसे चले जाने से घर काटने को दौड़ता है.’’ विजयपाल की बात सुन कर कनिका कोई उत्तर नहीं देती तो विजयपाल ने आगे कहा, ‘‘अच्छा, जो होना था सो हो गया. हम सब ने सोचा है कि अब हम तुम्हारी शादी को सामाजिक मान्यता दिला दें ताकि अपने पति के साथ सिर ऊंचा कर के तुम भी जी सको.’’
‘‘सच पापा?’’ पिता के मुंह से यह सुन कर कनिका खुशी से झूम उठी, ‘‘अभीअभी मेरे कानों ने जो सुना, क्या वह सच है पापा?’’

‘‘हां बेटा, वो सब सच है. इसीलिए तो में ने 7 जुलाई, 2022 को अपने जन्मदिन पर एक शानदार पार्टी देने का फैसला किया है. दामादजी को साथ ले कर तुम घर आओगी तो मुझे और घर वालों को बड़ी खुशी होगी.’’‘‘हां पापा, मैं उन्हें साथ ले कर आप के जन्मदिन पर घर जरूर आऊंगी.’’
‘‘अच्छा, अब मैं फोन रखता हूं.’’‘‘नमस्ते पापा.’’‘‘खुश रहो बेटा, घर जरूर आना मेरे जन्मदिन पर.’’
कह कर विजयपाल ने काल डिसकनेक्ट कर दी. विजयपाल ने अपनी भावनाओं का जाल फेंक कर बेटी को चंगुल में फांसने की कोशिश की थी और वह अपने खतरनाक इरादों में कामयाब भी हो गया.
कनिका ने जब ये सारी बातें पति वेदप्रकाश आंतिल से कही तो वह चौंक गया कि विजयपाल उन की शादी को सामाजिक मान्यता दिलाना चाहता है. तुरंत उस की छठी इंद्री जाग गई और उसे दोस्त से ससुर बने विजयपाल की बातों से साजिश की बू महसूस होने लगी थी.

कनिका की रगों में विजयपाल का खून दौड़ रहा था तो वह पिता की बात क्यों नहीं सुनती. वेदप्रकाश ने कनिका को बहुत समझाया कि वह अपने घर मुकीमपुर न जाए, उसे विजयपाल की नीयत पर भरोसा नहीं है. वह जहरीले सांप की तरह पलट कर कभी भी वार कर सकता है.पति की बात सुन कर कनिका ने उसे विश्वास दिलाया कि वह हर घड़ी चौकस रहेगी. क्या पता मेरे वहां जाने से रिश्तों में फिर से बदलाव आ जाए, मांबाप का आशीर्वाद मिल जाए और हमारे जीवन की गाड़ी सुखमय चलने लगे.

वेदप्रकाश का मन पत्नी को मायके भेजने का नहीं हो रहा था, लेकिन पत्नी की जिद के आगे उसे झुकना ही पड़ा. 7 जुलाई को जन्मदिन वाले दिन सुबह के समय कनिका ने अपने पिता विजयपाल को फोन कर के बताया कि वह अकेले घर आ रही है. राई थाने के पास आ कर वह उसे रिसीव कर लें.
अंधे को क्या चाहिए दो आंखें. जैसा उस ने सोचा था, ठीक वैसा ही हो रहा था. इधर जब वेदप्रकाश कनिका को गाड़ी में बैठा कर छोड़ने जा रहा था तो कनिका ने चालाकी करते हुए पति के मोबाइल फोन में अपना बयान रिकौर्ड कर लिया था. बयान में उस ने यह कहा था कि अगर मुझे कुछ होता है तो उस के लिए मेरे पिताजी विजयपाल और उन के 4 साथी दोषी होंगे जो बराबर उन के साथ मंडराते रहते हैं.
कनिका ने अपना बयान रिकौर्ड करने के बाद फोन वेदप्रकाश को दे दिया ताकि किसी अनहोनी पर भविष्य में काम आ सके. दोपहर एक बजे के करीब वेदप्रकाश राई थाने पहुंचा. थाने से थोड़ी दूर आगे विजयपाल कार लिए खड़ा था. वेदप्रकाश ने कनिका को वहीं उतार दिया तो कनिका बाप के पास पहुंच गई.

बेटी को देख कर विजयपाल के चेहरे पर कुटिल मुसकान फैल गई. उस ने कनिका को कार में पीछे वाली सीट पर बिठाया और खुद भी उसी के बगल में बैठ गया. गाड़ी वीरेंद्र चला रहा था. वेदप्रकाश ने पत्नी कनिका को विजयपाल के साथ कार में बैठते हुए देखा. कार जब वहां से चली गई तो वह निश्चिंत हो कर घर लौट आया था.

सब कुछ योजना के मुताबिक चल रहा था. कनिका डरीसहमी बैठी मन ही मन प्रार्थना कर रही थी कि सब कुछ ठीक रहे और वह कुशल से मां के पास पहुंच जाए. कार के भीतर उसे खतरा महसूस हो रहा था.
राई थाने से 2-3 किलोमीटर कार आगे बढ़ी थी कि सुनसान जगह देख कर खेड़ी दमकन के पास विजयपाल ने वीरेंद्र से गाड़ी रोकने को कहा तो उस ने कार एक किनारे ले जा कर रोक दी.

जैस्मिन भसीन ने सिद्धार्थ शुक्ला को लेकर कही थी ये बात, देखें वीडियो

दिवंगत अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला ने टीवी से लेकर फिल्मों में तक काम किया था, जिसमें उनके अभिनय को खूब सराहा गया था, सिद्धार्थ के एक्टिंग कैरियर की खूब तारीफ होती थी. अगर कोई सिद्धार्थ शुक्ला के बारे में गलत कहे तो उनके फैंस को यह बात बर्दाश्त नहीं होती है.

एक बार राहुल वैद्य और उनकी पत्नी दिशा परमार डिनर डेट पर गए थें जहां पर उन्हें अली गोनी और जैस्मिन मिल गए थें सभी ने मिलकर कुछ ऐसी बातें की थीं, जिससे वह ट्रोलर्स के निशाने पर आ गई थीं. ये बात तब की है जब सिद्धार्थ शुक्ला जिंदा थें.

 

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2 सितंबर 2021 को सिद्धार्थ शुक्ला का हार्ट अटैक से निधन हो गया, दरअसल, डिनर डेट के दौरान दिशा परमार अली गोनी से पूछती हैं कि सिद्धार्थ क्या हर सीजन में आएगा, इस पर जैस्मिन भसीन कहती हैं कि जबतक मनीषा रहेगी तब तक आते रहेगा, बता दें कि मनीषा वॉयकम 18 की चीफ ऑफिसर हैं जो सिद्धार्थ की करीबी दोस्त हैं.

यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर ट्रोल हुआ था, सोशल मीडिया पर यह वीडियो खूब वायरल हुआ  था, एक यूजर ने कहा था कि ये लोग फेम कमाने के लिए सिद्धार्थ शुक्ला का नाम लेती है, जैस्मिन भसीन ने यह वीडियो देखने के  बाद से इस पर सफाई भी दी थी,

भसीन ने ट्विट करते हुए कहा था कि ऐसा कुछ भी नहीं है, उन्होंने ये भी कहा था कि यह पूरी तरह से गलतफहमी है. हम सिड से जुड़ी बात नहीं करते हैं. हम अपने काम में ज्यादातर व्यस्त रहते हैं. सिद्धार्थ मेरे अच्छे दोस्त हैं. हम उनके खिलाफ नहीं बोल सकते थें.

अक्षरा सिंह का नया गाना हुआ आउट, सोशल मीडिया पर मचा बवाल

भोजपुरी सिनेमा की लोकप्रिय अदाकारा अक्षरा सिंह अपने बोल्ड अंदाज के लिए जानी जाती हैं, वह अपने म्यूजिक वीडियो के लिए चर्चा में बनी रहती हैं. हाल ही में अक्षरा सिंह का नया गाना झूलनियां लॉच हुआ है, जिसमें अक्षरा सिंह का नया अंदाज देखने को मिल रहा है.

इस गाने में अक्षरा सिंह बहुत ज्यादा ग्लैमरस और स्टाइलिश नजर आ रही हैं, इस गाने में अक्षरा सिंह के साथ करण खन्ना हैं, जिनके साथ इनकी क्यूट कैमेस्ट्री लोगों को खूब पसंद आ रही है. बता दे कि इस गाने को खुद अक्षरा सिंह ने खुद गाया है.

म्यूजिक आर्या शर्मा ने दिया है, जबकी इसके बोल विजय चौहान ने लिखे हैं, 22 अगस्त को रिलीज हुए इस गाने के व्यूज अभी तक यूट्यूब पर 473, 718 हो चुके हैं, इससे पहले भी अक्षरा सिंह अपने कई सारे गाने को लेकर काफी ज्यादा पसंद की गई हैं, अक्षरा सिंह का ये गाना एकबार फिर से लोगों के दिलों में जगह बना लिया है. फैंस अक्षरा सिंह को खूब प्यार करते हैं.

अक्षरा सिंह अपने फैंस के बीच में अपने नए लुक और अंदाज को लेकर मशहूर हैं, बता दें कि अक्षरा सिंह का नाम भोजपुरी इंडस्ट्री के जाने माने अभिनेता पवन सिंह के साथ भी जुड़ चुका है, अक्षरा और पवन कई सालों तक रिलेशन में थें, लेकिन अपने निजी कारणों की वजह से दोनों ने ब्रेकअप कर लिया था.

बता दें कि अक्षरा और पवन सिंह का ब्रेकअप काफी ज्यादा चर्चा में भी रहा था, अक्षरा सिंह अपने ब्रेकअप के बाद से पवन सिंह पर इल्जाम भी लगाई थीं, जो काफी ज्यादा चर्चा का विषय बना था.

कुछ वक्त पहले अक्षरा अपनी मां के साथ तस्वीर को लेकर चर्चा में बनी हुई थी, जिसे लोगों ने खूब पसंद किया था, अक्षरा की मां नीलिमा भी पेशे से एक्टर हैं.

दिल्ली: सीबीआई और मनीष सिसोदिया के बहाने भाजपा का सच

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदियाजिन के पास शिक्षा व आबकारी विभाग हैंआजकल भारतीय जनता पार्टी के निशाने पर हैं. जी हांसीबीआई जांच के साथ ही जिस तरह उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को भारतीय जनता पार्टी के विभिन्न बड़े नेताओं द्वारा निरंतर निशाना बनाया जा रहा हैउस से साबित हो जाता है कि भाजपा की मंशा क्या है. 

मगर कहते हैं न, ‘चोर की दाढ़ी में तिनका’. सीबीआई जांच कर रही है और भाजपा के सारे नेता आक्रामक हो गए हैं. इस का सीधा सा संदेश देश की जनता में यही जा रहा है कि जिस तरह कौरवों ने चक्रव्यूह बना कर अभिमन्यु को मार डाला थाआज की भाजपा भी आप पार्टी के खिलाफ चक्रव्यूह रच रही है.

देश और दुनिया का एक सब से निष्पक्ष कहा जाने वाला मीडिया संस्थान बीबीसी है. इस में जब मनीष सिसोदिया के सीबीआई जांच की रिपोर्टिंग प्रसारित की गईतो आश्चर्यजनक तरीके से मनीष सिसोदिया के पक्ष में कमैंट्स देखे गएजिस में लोगों ने उन का साथ दिया और भाजपा को लताड़ा.

इस समाचार बुलेटिन में कमैंट के रूप में बहुत सारे लोगों ने मनीष सिसोदिया को ईमानदार और एक काम करने वाला नेता माना और उन्होंने भाजपा की कटु निंदा की. यह एक उदाहरण हैजिस के माध्यम से आप पार्टी पर कसा जाने वाला सीबीआई का शिकंजा और उस की कथा उजागर हो गई.

न्यूयौर्क टाइम्स’ में तारीफ

एक आश्चर्यजनक घटना घटित हुई. दुनिया के नामचीन मीडिया संस्थानों में से एक न्यूयौड्डर्क टाइम्स’ में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की तारीफ की गई. यही नहींयह भी सच है कि देशभर में आज दिल्ली के स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था और चिकित्सा व्यवस्था पर जोरदार चर्चा चल रही हैजिस से भारतीय जनता पार्टी चिंतित दिखाई देती है.

इधरअमेरिकी अखबार न्यूयौर्क टाइम्स’ ने दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था पर अपनी स्टोरी को निष्पक्ष और जमीनी रिपोर्टिंग’ पर आधारित बताते हुए पेड न्यूज’ के आरोपों को खारिज कर दिया.

सीबीआई ब्यूरो द्वारा दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर छापेमारी के बाद अखबार के आलेख को ले कर भाजपा और आप के बीच वाकयुद्ध शुरू हो गया था. आप सरकार की आबकारी नीति को तैयार करने और इस की अनियमितताओं को ले कर सीबीआई ने यह कार्यवाही की.

मनीष सिसोदिया के पास शिक्षा और आबकारी विभाग की भी जिम्मेदारी है. आप ने कहा कि जब न्यूयौर्क टाइम्स’ ने शिक्षा के दिल्ली मौडल पर सकारात्मक खबर छापी तो नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार ने सीबीआई को मनीष सिसोदिया के घर भेज दियावहीं भाजपा ने खिसियानी बिल्ली खंभा नोंचे की तर्ज पर कहा कि यह एक पेड’ आलेख है.

सवाल है कि बिना सुबूतों और जांच के आप यह कैसे कह सकते हैं कि यह पेड न्यूज है?

न्यूयौर्क टाइम्स’ की बाह्य संचार निदेशक निकोल टायलर ने एक ईमेल में लिखा, ‘दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के प्रयासों के बारे में हमारी रिपोर्ट निष्पक्षजमीनी रिपोर्टिंग पर बनी है.

इस के साथ यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था की चर्चा देशभर के गलीकूचे में हो रही है. जैसा कि हम जानते हैं सच को छिपाया नहीं जा सकतावह धीरेधीरे लोगों तक पहुंच ही जाता है.

सीबीआई क्या बोली

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की प्राथमिकी में कहा गया है कि मनोरंजन और इवैंट मैनेजमैंट कंपनी ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायरपरनोड रिकौर्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज रायब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल और इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्र अनियमितताओं में शामिल थे.

गुड़गांव में बड़ी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ादिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगी’ हैं और आरोपी लोकसेवकों के लिए शराब लाइसैंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे.

दिनेश अरोड़ा द्वारा प्रबंधित राधा इंडस्ट्रीज को इंडोस्पिरिट्स के समीर महेंद्र से एक करोड़ रुपए मिले. अरुण रामचंद्र पिल्लईविजय नायर के माध्यम से समीर महेंद्र से आरोपी लोकसेवकों को आगे स्थानांतरित करने के लिए अनुचित धन एकत्र करता था.

अर्जुन पांडे नाम के एक आदमी ने विजय नायर की ओर से समीर महेंद्र से  तकरीबन 2-4 करोड़ रुपए की बड़ी नकद राशि एकत्र की. सनी मारवाह की महादेव लिकर्स को योजना के तहत एल-1 लाइसैंस दिया गया था.

यह भी आरोप है कि दिवंगत शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की कंपनियों  के बोर्ड में शामिल मारवाह आरोपी लोकसेवकों के निकट संपर्क में था.

 

 

गे संबंधों का लव ट्रायएंगल- भाग 2

23 साल का मनोज कटारे बरखेड़ा पुलिस चौकी क्षेत्र के पिपलिया गांव का रहने वाला है. वह रेलवे स्टेशन रोड पर स्थित एक नमकीन की दुकान पर काम करता है. इसी दुकान पर 17 साल का राजू भी काम करता था. राजू देखने में गोरा, चिकना और लड़कियों की तरह शरमीला था.दुकान पर काम के दौरान खाली समय में मनोज राजू को पकड़ कर उस के शरीर के नाजुक अंगों को छूने की काशिश करता तो राजू को अजीब सा लगता. राजू किशोरावस्था की दहलीज पर था, उसे अच्छेबुरे का ज्यादा इल्म नहीं था.

मनोज के इस तरह छूने से उसे अच्छा लगता. मनोज तो राजू का दीवाना हो गया था, उसे छूते ही मनोज को कुछ इस तरह का अहसास होता था जैसे वह किसी लड़की के बदन को छू रहा हो. जब दोनों के बीच दोस्ती हो गई तो मनोज राजू को अपने घर ले जाने लगा.
एक दिन काम से छुट्टी मिलने पर अपने ही घर में दोपहर के समय एकांत पा कर मनोज ने राजू से कहा, ‘‘राजू, तू बहुत खूबसूरत है. यदि तू लड़की होता तो मैं तुझ से ही शादी कर लेता.’’
इतना कह कर मनोज ने राजू को चूमना शुरू कर दिया. मनोज के हाथ कभी उस के गालों पर, कभी उस की छाती पर तो कभी उस के प्राइवेट पार्ट को टच करने लगे. राजू के पूरे शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई.
उसे मनोज का इस तरह छूना अच्छा लग रहा था. लिहाजा राजू ने भी मनोज पर प्यार जताते हुए कहा, ‘‘मनोज, तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो. जी चाहता है जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहूं.’’
मनोज ने धीरेधीरे राजू के बदन से कपड़े उतारने शुरू कर दिए और राजू का हाथ अपने निजी अंग पर ले जा कर रख दिया. और राजू से बोला, ‘‘राजू, तू हमेशा इसी तरह मेरे साथ रहे तो मैं किसी लड़की से कभी शादी नहीं करूंगा.’’
मनोज की बात सुन कर राजू ने भी मनोज से वादा किया कि वह हमेशा जीवनसाथी बन कर उसी के साथ रहेगा.
धीरेधीरे राजू ने भी मनोज के कपड़े उस के शरीर से हटाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते दोनों निर्वस्त्र हो कर अप्राकृतिक सैक्स का आनंद लेने लगे. दोनों के संबंध इतने मजबूत हो गए थे कि एक दिन भी दोनों का एकदूसरे के बिना रहना मुश्किल हो गया था.
दोनों के बीच गे रिलेशनशिप अब रोज की बात हो गई थी. दुकान से छूटते ही जब भी उन्हें मौका मिलता, वे आनंद के सागर में डूब कर गोता लगाते.

दोनों गे सैक्स का भरपूर आनंद लेने के लिए बदलबदल कर प्रेमीप्रेमिका की भूमिका निभाते थे. कभी राजू मनोज की प्रेमिका का रोल निभाता तो कभी मनोज राजू की प्रेमिका बन कर उस से संबंध बना कर उसे भी खुश कर देता.
एक दिन नीरज कोठारी शाम के वक्त नमकीन लेने उन की दुकान पर आया था, तभी राजू और मनोज के बीच हंसीमजाक देख कर उस का ध्यान राजू की तरफ गया. राजू लड़कियों की शक्लसूरत जैसा खूबसूरत लड़का था.
कुछ ही दिनों में नीरज को इस बात का पता चल गया कि मनोज और राजू के बीच समलैंगिक संबंध हैं. इस के बाद तो नीरज राजू से मिलने को बेताब हो उठा.
दरअसल, नीरज भी गे सैक्स का शौकीन था. नीरज इसी फिराक में रह कर किसी भी तरह वह राजू से नजदीकियां बढ़ाना चाहता था, मगर राजू मनोज के प्रेम में इस तरह पागल था कि वह नीरज को भाव नहीं दे रहा था.
एक दिन नीरज ने राजू और मनोज को संबंध बनाते देख लिया और अपने मोबाइल फोन से वीडियो बना ली. इस के बाद वह राजू को वीडियो दिखा कर धमकाने लगा.

राजू डर के मारे नीरज के फैलाए जाल में फंस गया. नीरज अकसर ही नमकीन की दुकान पर आने लगा. वह राजू को स्कूटी पर घुमाने के बहाने अपने साथ ले जाने लगा. राजू को मनोज के साथ रहते गलत कामों की लत पड़ चुकी थी, ऐसे में नीरज की संगत पा कर उसे भी वही मजा मिलने लगा.
धीरेधीरे राजू और नीरज रोजरोज ही मिलने लगे. वे आपस में एकदूसरे को चूमते तो कभी मोबाइल से फोटो लेते. नीरज राजू से उम्र में काफी बड़ा था. राजू को मनोज के साथ संबंध बनाने में जो मजा आता था, वह नीरज के साथ नहीं आता था. यही वजह थी कि वह नीरज से दूरियां बनाने लगा था.
मगर नीरज वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर उस से बारबार संबंध बनाने की जिद करता था. किसी लव ट्रायंगल फिल्मी स्टोरी की तरह राजू के नीरज के साथ घूमनेफिरने से मनोज के अंदर शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा.

मनोज ने जब एक दिन राजू से नीरज के साथ नजदीकियों के बारे में पूछा तो नीरज की हरकतों की सच्चाई राजू ने मनोज को बता दी, ‘‘नीरज मुझे खेत पर बुला कर जबरन संबंध बनाता है और मना करने पर हम दोनों का वीडियो वायरल करने की धमकी देता है.’’
यह सुन कर मनोज का खून खौल उठा. जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका का किसी गैर से संबंध बरदाश्त नहीं कर पाता, वैसे ही मनोज के दिल में नीरज के प्रति नफरत की आग जलने लगी.
मनोज को जब पता चला कि नीरज उस के दोस्त राजू को ब्लैकमेल कर रहा है और जबरदस्ती संबंध बना रहा है तो उस ने नीरज को रास्ते से हटाने की सोची.
नीरज के पास उन का अश्लील वीडियो था, इस वजह से मनोज को डर था कि उस की दोस्तों में बदनामी हो जाएगी. चारों तरफ से निराश हो कर मनोज ने नीरज की हत्या करने की योजना बनाई. मनोज की बनाई योजना के मुताबिक, राजू ने 16 फरवरी की रात साढ़े 9 बजे नीरज को फोन कर के मिलने को बुलाया.
नीरज यूं तो करोड़पति बाप का इकलौता बेटा था, मगर अपने हमउम्र लड़कों के साथ अवैध संबंध रखने के शौक की वजह से वह किशोरास्था में ही बदनाम हो गया था.
नीरज के जवान होते ही उस के पिता ने उस की शादी कर दी. वक्त गुजरने के साथ नीरज का बेटा भी 15 साल का हो गया था, मगर नीरज का लड़कों से सैक्स संबंध बनाने का शौक खत्म नहीं हुआ था.

मुझे अपनी पत्नी से बातें करने या उस की बातें सुनने में दिलचस्पी नहीं रही, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 30 वर्षीय पुरुष हूं. मेरी शादी 22 वर्ष में ही हो गई थी. मेरे 2 बच्चे हैं जो अभी छोटे हैं. मेरी पत्नी गृहिणी है और घर में ही उस की जिंदगी बंधी हुई है. मैं एक मल्टीनैशनल कंपनी में नौकरी करता हूं. अपनी सोच और समझ से मेल खाती लड़कियों के बीच रहता हूं. ऐसा नहीं है कि मेरी पत्नी अच्छी नहीं है या मैं उस से प्यार नहीं करता, लेकिन मैं उस से ऊबने लगा हूं. मुझे उस का आलिंगन पसंद है, परंतु मुझे उस से बातें करने या उस की बातें सुनने में दिलचस्पी नहीं रही.

मैं ने उसे प्रत्यक्ष रूप से कह दिया है कि वह गंवार है, पर मुझे यह कहना अच्छा नहीं लगा. अब वह दुखी रहने लगी है. मैं समझ नहीं पा रहा कि उस की खुशी उसे कैसे वापस दूं?

जवाब-

आप की बातें सुन कर यह तो स्पष्ट है कि आप अपनी पत्नी की, अपनी सहकर्मियों से तुलना कर रहे हैं, जो सही नहीं है. आप की पत्नी का अपना एक अस्तित्व है जो अपनेआप में विशेष है. आप का उन्हें गंवार कहना किसी भी पृष्ठभूमि पर सही नहीं बैठता. वे आप से यदि आप की सहकर्मियों की तरह या आप की नजर में जो समझदारी की बातें हैं, नहीं करतीं तो इस का स्पष्ट कारण है कि वे उस माहौल में नहीं रहतीं जिन में आप या आप की सहकर्मी रहती हैं.

वे आप के 2 बच्चों को संभालती हैं, पूरे घर की देखरेख करती हैं और यहां तक कि आप का खयाल भी रखती हैं जबकि बदले में आप उन्हें गंवार की संज्ञा दे रहे हैं. आप उन्हें प्यार से यदि यह कहते कि वे भी सुबह अखबार पढ़ें, बाहर घूमेंफिरें, नए लोगों से मिलें और मौडर्न रहें तो शायद वे आप की अपेक्षाओं पर खरी उतरतीं.

अब आप के पास माफी मांगने के अलावा कोई रास्ता नहीं है. आप उन्हें यकीन दिलाएं कि आप अपने किए पर शर्मिंदा हैं और एक नई शुरुआत करना चाहते हैं. अपनी पत्नी के साथ घूमेंफिरें, उन्हें समय दें. उन्हें नईनई पत्रिकाएं और किताबें ला कर दें और साथ बैठ कर अच्छी फिल्में देखें. इस सब के बाद वे आप की मौडर्न सोच वाली सहेलियों से आप को बेहतर लगेंगी. फिर धीरेधीरे सबकुछ सामान्य होने लगेगा.

कांग्रेसी नेता का शक बना नासूर

6जून, 2022 का वाकया है. रात के तकरीबन 3 बजे थे. थाटीपुर के अत्यंत पौश इलाके रामनगर में सन्नाटा पसरा हुआ था. गरमी के चलते लोग घरों के भीतर एसी, कूलर चला कर गहरी नींद में सोए हुए थे. इन्हीं में एक परिवार कृष्णकांत भदौरिया का भी था, जो एक आलीशान कोठी में रहता था. इसी कोठी में उन का बेटा ऋषभ, पुत्रवधू भावना अपने 2 मासूम बच्चों के साथ रहती थी.

परिवार संपन्न और खुशहाल था, घर में किसी चीज की कोई कमी नहीं थी. कोई बड़ी डिग्री न होने के कारण ऋषभ को कोई अच्छी नौकरी नहीं मिल सकी थी, अत: वह कांग्रेस पार्टी की सदस्यता ले कर नेतागिरी करने लगा था. इस के साथ ही जोड़जुगत बैठा कर पार्टी का प्रदेश प्रवक्ता तक बन बैठा था.
इस के अलावा वह वक्त गुजारने और पैसा कमाने के मकसद से प्रौपर्टी की खरीदफरोख्त का काम भी करने लगा था, इसलिए दिन में उस का वक्त घर के बाहर ही गुजरता था. ऐसी स्थिति में घर की सारी जिम्मेदारियां उस की पत्नी भावना निभाती थी. दोनों बच्चों को स्कूल भेजने के बाद घर पर भावना दिन भर अकेली रहती थी, जिस से उसे बोरियत सी होने लगी थी.

टाइम पास करने के लिए उस की सहेली ने उसे मोबाइल पर रिश्तेदारों और सहेलियों से बातचीत कर वक्त बिताने की सलाह दी. यह सलाह भावना को बेहद पसंद आई.अब भावना का ज्यादातर समय मोबाइल फोन पर बातचीत में बीतने लगा. कभीकभी वह मोबाइल फोन पर बातचीत में इतना खो जाती कि उसे पति ऋषभ की भी चिंता नहीं रहती. पति का फोन आता तो कई बार वह उठाती ही नहीं.
उधर बारबार फोन करने पर भी जब भावना काल रिसीव नहीं करती तो ऋषभ के दिल की धड़कनें बढ़ जातीं. उसे लगता कि कहीं भावना कौशलेंद्र से तो बात नहीं कर रही. यही सोच कर वह परेशान हो उठता. शहर के हर्षनगर में रहने वाला कौशलेंद्र ऋषभ के बचपन का दोस्त था.

काफी देर बाद जब वह पति को फोन लगा कर बताती कि मैं अपने पिताजी से बात कर रही थी, इसलिए आप का फोन नहीं उठा सकी तब कहीं जा कर ऋषभ को तसल्ली मिलती. ऋषभ ने भावना से स्पष्ट तौर पर कह रखा था कि 1-2 घंटी बजने के बाद वह उस का फोन जरूर उठा लिया करे, क्योंकि फोन नहीं उठने पर उसे घबराहट होने लगती है.लेकिन भावना ने ऋषभ की इस बात पर कतई ध्यान नहीं दिया. वह अपनी सहेलियों और नातेदारों से मोबाइल पर घंटों बातें करने में मशगूल रहती. इस बीच जब कभी ऋषभ का फोन आता, वह उसे कबाब में हड्डी सा लगता.

भावना की इस हरकत से ऋषभ को शक हो गया कि भावना उस से छिपा कर किसी और से बतियाती है. ऋषभ को भावना का इस तरह मोबाइल पर बतियाना जरा भी अच्छा नहीं लगता था, लेकिन भावना पति की नसीहत को जरा भी अहमियत नहीं देती थी.वह पति की बात को एक कान से सुन कर दूसरे से निकाल देती थी. वैसे भी शक की फांस बहुत खतरनाक होती है, इसे जल्द ही दूर न किया जाए तो वह मजबूत से मजबूत दांपत्य जीवन में भी दरार पैदा कर देती है.

भावना अपने दांपत्य में लगी इस फांस को गंभीरता से नहीं ले रही थी, जिस का नतीजा यह निकला कि इस बात को ले कर उस की पति से अकसर नोकझोंक होने लगी. इस की वजह यह थी कि ऋषभ घर से बाहर होने पर जब कभी भी पत्नी के मोबाइल पर फोन लगाता, हर बार उस का फोन व्यस्त ही मिलता था.

ऐसा अनेक बार होने पर ऋषभ के मन में शक बैठ गया कि वह जरूर उस के बचपन के जिगरी दोस्त कौशलेंद्र से बतियाती होगी. बाद में जब घर लौट कर ऋषभ भावना से मोबाइल फोन के बिजी होने की वजह पूछता तो वह कह देती कि सहेली से बात कर रही थी. इस तरह ऋषभ के मन में शक की जो फांस लगी थी, वह नासूर बनती जा रही थी.

धीरेधीरे भावना और ऋषभ के बीच दूरियां बढ़ती चली जा रही थीं, जिस की वजह से ऋषभ उखड़ाउखड़ा सा रहता था. इस तनाव की वजह से पतिपत्नी के बीच शारीरिक संबंध नाममात्र के थे. दूरियां बढ़ने की अहम वजह सिर्फ इतनी थी कि ऋषभ अपनी पत्नी पर शक करने लगा था कि उस का झुकाव कहीं उस के बचपन के मित्र कौशलेंद्र की ओर है.इसी शक के चलते उसे जब भी मौका मिलता, वह पत्नी के मोबाइल की काल हिस्ट्री चैक करता रहता था. कोई भी नंबर उसे अनजान लगता तो वह उसे ले
कर भावना के साथ झगड़ा और मारपीट करता था.

इन सब के पीछे एक खास वजह यह भी थी कि वह यह भी समझ चुका था कि उस की हकीकत पत्नी के सामने खुल चुकी है. यानी वह उस की आपराधिक छवि को भी जान चुकी है.भावना को जैसे ही पता चला कि उस का पति आपराधिक छवि का है तो उस के दिल को काफी ठेस पहुंची. उस ने पति को समझाने की भरसक कोशिश की कि वह गुनाह के रास्ते छोड़ कर अच्छे रास्ते पर चले, पर वह भावना की बात को महत्त्व नहीं देता था. जब भावना यही बात बारबार कहती तो वह उस की पिटाई कर देता.
भावना पति के तुनकमिजाज और शक्की स्वभाव से आजिज आ कर अकसर गुस्से में दोनों बच्चों को ले कर मायके चली जाती थी और अपने पिता महेश सिंह को सारी बात बता देती थी.

बेटी की बात सुन कर महेश सिंह को काफी आघात पहुंचता था, तब महेश सिंह नाराज होते हुए दामाद ऋषभ को कड़ी फटकार लगाते थे. ऐसा कई बार हुआ था. हालांकि इस के बाद भी महेश सिंह 10-15 दिन बाद ही बेटी को समझाबुझा कर ससुराल भेज देते थे.6 जून, 2022 की रात को भी ऋषभ और भावना के बीच कहासुनी हुई. भावना ने पति को समझाने की भरसक कोशिश की, लेकिन ऋषभ उस पर कुछ ज्यादा ही भड़क गया. उन दोनों के बीच तकरार इतनी ज्यादा बढ़ गई कि उसी दौरान ऋषभ ने पत्नी पर पिस्टल तान दी.

भावना समझ गई कि पति के सिर पर खून सवार है, वह बचने के लिए बैडरूम से बाहर निकल कर लान की तरफ भागी. वह चीखती, उस के पहले ही ऋषभ ने उस के सिर को निशाना बना कर फायर कर दिया. वह इतना ज्यादा गुस्से में था कि रिश्तों की गहराई और परिवार की मर्यादा को भूल कर एक के बाद एक 3 गोलियां पत्नी के सिर में मार दीं.गोलियां लगने से भावना लान में ही ढेर हो गई. इस के बाद वह हथियार और अपनी जरूरत का सामान ले कर वहां से फरार हो गया. ऋषभ ने अनायास ही एक ऐसी घटना को अंजाम दे डाला, जिसे देख कर हर किसी का कलेजा कांप उठा.

रात 3 बजे जब इलाके के सभी लोग सो रहे थे, तभी चीखनेचिल्लाने के शोर से लोगों की आंखें खुल गईं. शोरगुल सुन कर घबराए लोग अपनेअपने घरों से बाहर आए तो कृष्णकांत भदौरिया को बदहवास हाल में रोतेबिलखते देख कर हैरान रह गए.वह ऋषभ के दोनों मासूम बच्चों की अंगुली पकड़े हुए जोरजोर से रोते हुए कह रहे थे, ‘‘मेरी मदद करो, मेरे बेटे ऋषभ ने अपनी पत्नी भावना की गोली मार कर हत्या कर दी है.’’

कृष्णकांत भदौरिया जो कुछ कह रहे थे, उसे सुन कर लोगों के होश उड़ गए.इसी दौरान किसी ने पुलिस को इस घटना की सूचना दे दी. कुछ देर में वहां थाना थाटीपुर पुलिस भी आ गई. पुलिस के आने पर कुछ लोग हिम्मत कर के उन की आलीशान कोठी में दाखिल हुए तो वहां की स्थिति देख कर उन सभी की आंखें हैरत से फटी रह गईं. भावना की लाश कोठी में कमरे के बाहर लान में खून से लथपथ पड़ी हुई थी.
हत्या का मामला था, अब तक पूरी रामनगर सोसाइटी के लोग घटनास्थल पर एकत्रित हो चुके थे. इस बीच ऋषभ के पिता कृष्णकांत भदौरिया ने घटना की सूचना अपने समधी महेश सिंह को दे दी.

मामला शहर के पौश इलाके रामनगर के रहने वाले बहुचर्चित कांग्रेसी नेता से जुड़ा हुआ था, जिस में उस ने अपनी पत्नी भावना की गोली मार कर निर्मम हत्या कर दी थी. हत्या कर के वह फरार हो गया था. सीएसपी ऋषिकेश मीणा और टीआई पंकज त्यागी घटनास्थल पर जांच कर रहे थे.
थोड़ी देर बाद ही एडिशनल एसपी (क्राइम) राजेश दंडोतिया फोरैंसिक एक्सपर्ट व डौग स्क्वायड की टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए थे.

पुलिस अधिकारियों ने भी घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और क्राइम सीन को समझा. पुलिस टीम के पहुंचने तक रामनगर के बाशिंदे काफी बड़ी संख्या में भदौरिया के घर के सामने जुट गए थे. सभी लोग भावना के मासूम बच्चों के बारे में सोचसोच कर परेशान थे.
इधर हत्यारे के पिता कृष्णकांत भदौरिया की हालत सदमे के कारण कुछ ज्यादा ही खराब हो रही थी. पड़ोसी उन्हें सांत्वना दे कर जैसेतैसे संभाल रहे थे.

पुलिस ने घटनास्थल की औपचारिक काररवाई निपटाने के बाद लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.
पुलिस को यह तो पता लग ही चुका था कि भावना की हत्या उस के पति ऋषभ ने की है. इसलिए ऋषभ के खिलाफ उस के सुसर महेश सिंह की तहरीर पर थाना थाटीपुर में धारा 302 भादंवि के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली.मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने हत्यारोपी कांग्रेसी नेता ऋषभ पर 10 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया. इस के बाद पुलिस ने उस की तलाश शुरू कर दी थी.

इसी बीच एसपी अमित सांघी को मुखबिर के जरिए सूचना मिली कि पत्नी की हत्या के मामले में फरार चल रहे ऋषभ भदौरिया को उत्तर प्रदेश के जिला मैनपुरी के बेवर कस्बे में देखा गया है.यह सूचना मिलने के बाद एसपी ने बिना देर किए एडिशनल एसपी (क्राइम) राजेश दंडोतिया के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई. टीम में क्राइम ब्रांच इंसपेक्टर संतोष यादव व थाटीपुर टीआई पंकज त्यागी को शामिल किया गया. उन्होंने टीम मैनपुरी रवाना कर दी.

आखिर पुलिस टीम द्वारा ऋषभ भदौरिया को हत्या के 21 दिन बाद उस के ही रिश्तेदार के घर से हिरासत में ले लिया गया. वह अपने रिश्तेदार के घर पर रह कर फरारी काट रहा था.उस ने बताया कि पुलिस द्वारा उस की गिरफ्तारी पर 10 हजार का ईनाम घोषित किए जाने के बाद से उसे एनकाउंटर का भय सता रहा था. पुलिस टीम उसे बेवर से ग्वालियर ले आई. उस की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पिस्टल व खून से सने कपड़े भी बरामद कर लिए.

इस के अलावा पुलिस ने उस के पास से वह क्रेटा कार भी बरामद कर ली, जिस में बैठ कर वह पत्नी की हत्या के बाद फरार हुआ था.प्रारंभिक जांच में ही पुलिस को पता चला कि 10 मई, 2022 की रात को भी ऋषभ ने अपने बचपन के जिगरी दोस्त कौशलेंद्र कुशवाहा पर 5 राउंड फायर किए थे. ऋषभ के खौफ के चलते वह थाने में रिपोर्ट लिखवाने का साहस नहीं जुटा सका था. लेकिन जैसे ही ऋषभ अपनी पत्नी को मार कर फरार हुआ और उस पर ईनाम घोषित हुआ तो हर्ष नगर निवासी कौशलेंद्र कुशवाहा थाने में रिपोर्ट लिखवाने पहुंच गया था.

हत्या के आरोपी कांग्रेसी नेता ऋषभ भदौरिया पर पहले से हत्या व हत्या के प्रयास सहित 14 मामले दर्ज हैं.उस के खिलाफ 2 बार जिला बदर की काररवाई भी की गई थी. अब पुलिस उस पर एनएसए लगाने की तैयारी में लगी हुई थी.ऋषभ को सुंदर और सुशील पत्नी मिली थी. सुसराल भी अच्छी थी. 2 सुंदर बच्चे भी थे. लेकिन शक के नासूर ने उस की बसीबसाई गृहस्थी को उजाड़ कर रख दिया. पत्नी को मार कर वह जेल चला गया, जिस से उस के मासूम बच्चे अनाथ हो गए.

ऋषभ के अपराध स्वीकार करने के बाद पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक ऋषभ भदौरिया के
दोनों बच्चे अपने नाना महेश सिंह के
पास थे.

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