बीड़ी वाले का लड़का : भाग 2

शायद उस का स्वभाव ही ऐसा था कि वह जल्दी किसी से घुलतामिलता नहीं था. मुझ से दोस्ती होना या तो इत्तिफाक था या सिर्फ मेरी जरूरत. इत्तिफाक इसलिए कि उस का दाखिला मेरे ही स्कूल में करवा दिया गया था और मुझे जिम्मेदारी दी गई उसे साथ में स्कूल ले जाने और लाने की. शहर में नया होने की वजह से खो जाने का डर था और जरूरत इसलिए कि मेरा उस के घर आनाजाना था. उस के भैया से मैं गणित के सवाल हल करवाने जाता था. उस के भैया और मेरे भैया दोस्त थे और साथ में ही पढ़ते थे. उसी स्कूल में, जिस में हम दोनों पढ़ रहे थे.

मेरे भैया पढ़ाई की वजह से इस शहर से दूसरे शहर चले गए और उस के भैया तो गांव से शहर आए थे, फिर वे और कौन से शहर जाते, इसलिए वे इसी शहर में पढ़ाई के साथसाथ अपनी दुकान भी संभालने लगे थे. मेरे भैया के दूसरे शहर चले जाने के बाद मेरे अब्बू ने मुझे सख्त हिदायत दी थी उस के यहां न जाने की, पर गणित की वजह से मुझे वहां जाने का बहाना मिल ही जाया करता था. मैं उस से बातें करना चाहता था. मैं ने कभी गांव नहीं देखा था, इसलिए मैं उस की नजरों से गांव घूमना चाहता था, गांव के दोस्तों के बारे में जानना चाहता था, पर वह कभी मुझ से खुल कर बात ही नहीं करता था. मेरे अब्बू को उस के घर का माहौल बिलकुल पसंद नहीं था. उस के यहां तकरीबन 20 लोग हमेशा ऐसे रहते थे, जैसे कारखानों में रहते हैं. उसी तरह खानाबदोश जिंदगी.

10-15 लोग तो बीड़ी के कारीगर हुआ करते थे, जो उस की दुकान के लिए बीड़ी बनाया करते थे. वहां दिनभर गानाबजाना चलता था, उलटीसीधी बातें होती रहती थीं, कोई बीड़ी पी रहा होता था, तो कोई खैनी खा रहा होता था. इन्हीं सब वजहों से मेरे अब्बू खफा होते थे. उन्हें लगता था कि मेरी आदत भी खराब हो जाएगी. हालांकि मेरे अब्बू खुद सिगरेट पीते थे, जो कि उसी की दुकान से आती थी. महल्ले में सिर्फ उस के घर में ही चापाकल था. अगर कभी किसी दिन नगरनिगम की सप्लाई वाला पानी नहीं आता था, तो लोग उस के ही घर से पानी लाते थे. वह मुझे अब भी इसलिए याद है, क्योंकि हम दोनों की जिंदगी एकजैसी थी. मेरे अब्बू मुझे महल्ले वाले बच्चों से अलग रखना चाहते थे, क्योंकि उन की नजर में महल्ले में कोई भी हम लोगों के लायक नहीं था. सब अनपढ़, जाहिल या कम पढ़ेलिखे थे और उस की जिंदगी ऐसी हो गई थी कि महल्ले के बच्चे उस से दोस्ती नहीं करना चाहते थे, क्योंकि वह बीड़ी वाले का लड़का और देहाती था. जब भी हम स्कूल के लिए निकलते,

तो उस के साथ स्कूल बैग के अलावा दुकान पर देने के लिए बीड़ी या राशन लाने के लिए थैला जरूर रहता था, क्योंकि रास्ते में ही उस की दुकान पड़ती थी. हम लोग बीड़ी देते हुए स्कूल चले जाते थे. इसी बहाने उस के साथसाथ मुझे भी कुछ चौकलेट मिल जाती थीं. रास्तेभर वह कोई न कोई कविता गुनगुनाता रहता था. उस के इतने काम करने और कविता गुनगुनाने की वजह से मैं ने उस का नाम ‘कामधारी सिंह दिनकर’ रख दिया था. समय के साथ हमारी 10वीं जमात हो गई और फिर वहां से आगे का सफर. जैसे वह गांव से पढ़ने शहर आया था, वैसे ही मुझे आगे की अच्छी पढ़ाई करने के लिए इस शहर से किसी बड़े शहर या तो मेरे भैया के पास या फिर कहीं और, पर जाना तो तय था. 10वीं जमात के आखिरी इम्तिहान के बाद वह बहुत खुश था. जिस गांव से वह खुशीखुशी शहर आया था, इम्तिहान के बाद वह उसी शहर से अपने गांव रौकेट की रफ्तार से लौट जाना चाहता था.

जब तक इम्तिहान के नतीजे नहीं आ जाते, तब तक वह वहीं रहेगा या किसी बहाने से आएगा ही नहीं. मैं ने पूछा भी था, ‘‘क्यों…?’’ उस ने हमेशा की तरह छोटा सा जवाब दिया था, ‘‘ऐसे ही?’’ उस के 2 लफ्ज ‘ऐसे ही’ बोलने के अंदाज में लाखों राज छिपे थे. नतीजे आ गए, पर वह नहीं आया और मुझे मेरे भैया के पास भेजने की तैयारी जोरों पर थी. जाने से पहले मैं उस से एक बार मिलना चाहता था, जो बिलकुल भी मुमकिन नहीं था. यह उस जमाने की बात है, जब मोबाइल फोन या इंटरनैट नहीं हुआ करते थे. तब लोगों से जुड़ाव कायम करने का एक ही जरीया था खत. मैं ने उस के भैया से पूछा था, ‘‘कब आएगा वह?’’ जवाब में उन्होंने न जाने कितनी लानतें भेजी थीं उस पर… ‘बेवकूफ’, ‘बदकिस्मत’ और न जाने क्याक्या कहा था उसे. वे अपनी मिसाल देने लगे थे कि वे तो आगे पढ़ना चाहते थे, पर अब्बा की ख्वाहिश की वजह से दुकान को संभालना पड़ा और एक वह है, जिसे सब यहां शहर में पढ़ाना चाहते हैं, पर उसे गांव में ही रह कर पढ़ना है. उस के भैया के जवाब के बाद मैं ‘बदकिस्मत’ की परिभाषा ढूंढ़ने लगा कि आखिर ‘बदकिस्मत’ कहते किस को हैं? मेरा मानना था कि अगर किसी की कोई दिली तमन्ना, ख्वाहिश पूरी न हो, तो वह ‘बदकिस्मत’ हुआ,

पर उस की दिली ख्वाहिश जो कि यह थी कि वह वापस शहर नहीं आएगा, पूरी हो गई थी. मेरी नजर में तो वह ‘खुशकिस्मत’ था. इस की एक वजह यह भी थी कि उस ने 10वीं जमात में ही खुद से एक फैसला लिया था और चाहे वजहें जो भी हों, सब ने वह फैसला मान भी लिया. फिर मैं खुद की किस्मत को कोसने लगा… शायद ‘बदकिस्मत’ तो मैं था. मैं भी दूसरे शहर जा कर पढ़ाई नहीं करना चाहता था, पर यह बात मैं अपने घर में फुसफुसाहट में भी नहीं कह सकता था, क्योंकि अब्बू तक यह खबर पहुंच गई, तो वे मेरा कीमा बना देते. यहीं पर मुझे लगा कि हम दोनों की जिंदगी एक सी नहीं है, क्योंकि मैं खुद से फैसला नहीं ले सकता था. वह शहर क्यों नहीं आना चाहता था? यह सिर्फ मैं जानता था. वह भी उस ने इम्तिहान के आखिरी दिन एक शर्त पर बताया था कि मैं किसी को नहीं बताऊं. उस दिन उस ने दिल खोल कर मुझ से बातें की थीं. घर वालों के फैसले पर जब वह शहर पढ़ने आया था, तो उस की खुद की एक खामोश वजह थी और वह वजह थी बिजली और टैलीविजन.

यहां शहर की रात की बिजली की चकाचौंध उसे बहुत भाती थी और किसी न किसी के घर में टैलीविजन देखने को तो मिल ही जाता था, जहां वह फिल्में और ‘शक्तिमान’ देख पाता था. गांव की लालटेन की धीमी रोशनी कुछ हद तक ही रोशन कर पाती थी. उस हद के बाद आसपास अंधेरा ही रहता था और अंधेरे उसे बहुत डराते थे. रात में उसे बाथरूम भी जाना होता था, तो वह अपनी अम्मी को साथ ले कर जाता था. गांव में वह अपनी अम्मी के साथ रात के 2 बजे ही जग जाया करता था, पर सूरज की रोशनी होने तक बिस्तर में ही दुबका रहता था. मैं ने पूछा था, ‘‘2 बजे ही क्यों?’’ वह बताना नहीं चाहता था, पर मेरे जोर देने पर उस ने बड़े फख्र से बताया था,

 

‘अनुपमा’ के डायलॉग पर जाह्नवी कपूर शानदार एक्टिंग, देखे वीडियो

स्टार प्लस के सीरियल अनुपमा की पॉपुलरिटी लगातार बढ़ती ही जा रही है, टीआरपी लिस्ट में वह लगातार बढ़ते जा रहे है, बॉलीवुड के सितारे भी अब अनुपमा के नक्शे कदम पर चलने लगे हैं, इस वीडियो में अनुपमा का नक्ल जाह्नवी कपूर कर रही हैं.

अपने लेटेस्ट वीडियो में जाह्नवी ने अनुपमा बनकर ज्ञान देती नजर आ रही है, वीडियो मे जाह्नवी कपूर को बता रही हैं कि मैं अपनी मर्जी से काम कर रही हूं,ऐसे में मुझसे कोई सवाल नहीं कर सकता है, लोग जाह्नवी कपूर को देखकर खूब हंस रहे हैं.

 

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कुछ फैंस यह कह रहे हैं कि लगता है कि रूपाली गांगुली ने जाह्नवी कपूर को अपना फैन बना लिया है, इस वीडियो को देखकर रणबीर कपूर भी रूपाली गांगुली की तारीफ कर रहे हैं. रणबीर कपूर ने बताया था कि उनके परिवार के लोग अनुपमा सीरियल को देखना पसंद करते हैं.

वहीं मिथुन चक्रवर्ती भी इस सीरियल अनुपमा के बहुत बड़े फैन हैं, बता दें कि इस सीरियल की टीआरपी हमेशा सबसे आगे रहती है. जाह्नवी कपूर भी इस सीरियल को देखना पसंद करते हैं, यह सीरियल टीआरपी लिस्ट में हमेशा बाकी  सभी सीरियल्स से आगे रहता है.

अनुपमा सीरियल में रूपाली गांगुली के किरदार को लोग खूब पसंद करते हैं, बता दें कि इससे पहले जाह्नवी कपूर ने नागिन का वीडियो शेयर किया था बना करके. जो लोगों को काफी ज्यादा पसंद आया था. फैंस जाह्नवी के नए अवतार को खूब पसंद कर रहे हैं.

अमिताभ बच्चन को हुआ कोरोना, ‘कौन बनेगा करोड़पति’ पर उठा सवाल

बॉलीवुड के महानायक अमिताभ बच्चन एक बार फिर से कोरोना के चपेट में आ गए हैं, अमिताभ बच्चन इन दिनों कौन बनेगा करोड़पति शो को होस्ट कर रहे हैं. कुछ वक्त पहले ही अमिताभ बच्चन ने बताया है कि वह कोरोना पॉजिटीव हैं.

अमिताभ बच्चन के ट्वीट को देखकर फैंस को काफी ज्यादा झटका लगा है, फैंस लगातार अमिताभ बच्चन को ठीक होने की दुआ कर रहे हैं तो वहीं कुछ लोग शो के होस्ट को ठीक होने की दिया कर रहे हैं.

बता दें कि अमिताभ बच्चन ने कोरोना वायरस पॉजिटीव होने पर ट्वीट करके बताया था, उन्होंने लिखा था कि मैं अभी- अभी कोरोना पॉजिटीव पाया गया हूं, जो भी मेरे संपर्क में आया है या आस पास है वह अपना टेस्ट जरुर करवाए, उनके इस ट्विट पर अभिनेता बिंदू दारा सिंह ने भी कमेंट किया है.

कामना करते हुए उन्हें ठीक होने की दुआ कि है, उन्होंने कहा है कि अमित जी जल्दी ठीक हो जाइए, वहीं विशाल ददलानी ने कमेंट करके लिखा कि उम्मीद करता हूं कि समस्या ज्यादा नहीं होगी आप जल्द ठीक होंगे. वहीं कुछ फैंस अमिताभ बच्चन के कोरोना पॉजिटीव होने पर शो को कैन होस्ट करेगा , इस पर सवाल कर रहे हैं,

हालांकि एक वक्त ऐसा था जब शाहरुख खान ने इस शो को संभालने की कोशिश की थी, लेकिन वह लोगों का दिल जीतने में नाकाम रहे थें, वहीं अमिताभ ने इस शो के जरिए काफी ज्यादा पहचान बनाई है, वहीं तो मेकर्स ने इस शो के बारे में कुछ खुलासा नहीं किया है. देखते हैं इस शो में आगे क्या होने वाला है.

भाई ही बने जोरू और जमीन के प्यासे- भाग 1

15जुलाई, 2022 को दिन के 11 बजे उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के थाना सुबेहा पुलिस को
112 नंबर द्वारा सूचना मिली कि शुकुलपुर गांव में एक युवक तमंचा ले कर अपनी छत पर खड़ा हुआ है.
इस सूचना के मिलते ही थानाप्रभारी शिवनारायण सिंह आननफानन में अपनी टीम के साथ गांव पहुंचे. जिस समय पुलिस गांव पहुंची, वह युवक हाथ में तमंचा लिए छत पर इधरउधर घूम रहा था. वह शुकुलपुर के राजनारायण शुक्ला का मंझला बेटा अखिलेश था.

घर के आसपास खड़े गांव के लोग उसे समझाने में लगे हुए थे. लेकिन अखिलेश का कहना था कि वह अब जीना नहीं चाहता, इसलिए वह अपनी जीवनलीला समाप्त करने वाला है.
पुलिस ने भी अखिलेश को समझाने की काफी कोशिश की. लेकिन वह किसी की भी सुनने को तैयार नहीं था. पुलिस ने अखिलेश से ऐसा करने की वजह पूछी तो उस ने पुलिस को जो बताया, वह चौंका देने वाला था.

अखिलेश ने अपनी दर्दनाक दास्तां सुनाते हुए बताया कि उस की जिंदगी में अब कुछ नहीं बचा. पत्नी ही उस का एकमात्र सहारा थी. 2 दिन पहले ही उस ने उस की भी हत्या कर दी. वह उसे बहुत प्यार करता था. वह उस के बिना जिंदा नहीं रह सकता.युवक की बात सुनते ही गांव में सनसनी फैल गई. इस का कारण था कि गांव में इतना बड़ा हादसा हो गया, लेकिन किसी को भी कानोंकान खबर तक नहीं लगी, न उस के घर वालों को और न ही किसी रिश्तेदार को.

पुलिस ने अखिलेश से पूछा कि उस ने अपनी पत्नी को क्यों मार डाला, तब उस ने बताया कि उस की पत्नी अंजलि का उस के छोटे भाई के साथ काफी समय से चक्कर चल रहा था.
उस ने उसे और अपने भाई दोनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन दोनों ने उस की एक न मानी. उन की इसी हरकत से तंग आ कर उस ने पत्नी को मौत के घाट उतार दिया. उस की लाश घर में पड़ी है.
अखिलेश के इस खुलासे के बाद गांव वालों के साथसाथ पुलिस भी हैरत में पड़ गई थी.
अखिलेश के हाथ में तमंचा था. पुलिस को डर था कि कहीं वह गोली मार कर सुसाइड न कर ले. पुलिस उसे बातों में उलझाना चाहती थी.
पुलिस ने इधरउधर के मकानों पर चढ़ने का रास्ता देखा, लेकिन उस छत का जीना घर के अंदर से ही था. छत पर जाने का रास्ता न होने के कारण लगभग 45 मिनट तक पुलिस उसे समझाती रही.
अखिलेश की हरकतें देख पुलिस ने मकान के दरवाजे को तोड़ने की कोशिश की. जब अखिलेश को लगा कि पुलिस उस के घर का दरवाजा तोड़ कर अंदर आने की कोशिश कर रही है तो उस ने अपने गले पर तमंचा सटा कर चेतावनी दी, ‘‘अगर किसी ने दरवाजा तोड़ कर मेरे पास आने की कोशिश की तो मैं गोली चला कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर लूंगा.’’

उसी दौरान अखिलेश ने 3 बार गोली चलाने की कोशिश की. लेकिन तीनों बार ही फायर मिस हो गया. चौथी बार में गोली चल गई. इस से पहले कि घर का दरवाजा टूटता, अखिलेश ने अपनी गरदन के पास गोली मार ली. गोली लगते ही वह बुरी तरह से घायल हो गया.अखिलेश के गोली चलाते ही घटनास्थल पर हाहाकार मच गया. वहां पर खड़े लोगों में खलबली मच गई. घर का दरवाजा टूटते ही पुलिस तेजी से घर के अंदर दाखिल हुई. लेकिन अंदर का जो दृश्य था, दिल को दहला देने वाला था. अंदर के दृश्य को देख कर पुलिस सन्न रह गई.

घर के अंदर अखिलेश के भाई अजय का रक्तरंजित शव पड़ा हुआ था. उस के पास बुरी तरह से घायल अवस्था में उस के पिता राजनारायण पड़े हुए थे. पुलिस ने दोनों की हालत बिगड़ती देख तुरंत हैदरगढ़ के ट्रामा सेंटर भेज दिया. घटना की जानकारी मिलते ही एसपी अनुराग वत्स, एएसपी मनोज पांडेय भी घटनास्थल पर पहुंच गए थे.अखिलेश और उस के पिता राजनारायण को ट्रामा सेंटर में भरती कराने के बाद पुलिस ने उस की पत्नी की तलाश शुरू की तो उस का शव घर के बगल वाली झोपड़ी में पौलीथिन व बोरी में छिपा मिला. अखिलेश ने अपनी बीवी अंजलि की हत्या 2 दिन पहले ही कर दी थी. इसी कारण उस के शव से बदबू भी आने लगी थी.

अंजलि की हत्या की पुष्टि होते ही पुलिस ने मृतका के मायके वालों को भी इस की खबर दे दी थी. बेटी की हत्या की खबर सुनते ही उस के मायके वाले तुरंत शुकुलपुर पहुंच गए.
अंजलि के मायके वालों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई पूरी कर दोनों शवों (अंजलि और अखिलेश के भाई अजय) का पंचनामा कर पोस्टमार्टम हेतु भिजवा दिया.

पोस्टमार्टम के बाद अंजलि का अंतिम संस्कार उस के मायके वालों ने शहर के ही श्मशान घाट पर कर दिया था. जबकि अजय का शव देर रात शुकुलपुर गांव में ही लाया गया था. जबकि अजय के पिता राजनारायण शुक्ला की बिगड़ती हालत के कारण वह उस के दाह संस्कार में शामिल नहीं हो पाए थे.
इस मामले को ले कर पुलिस ने घायल राजनारायण शुक्ला की हालत में सुधार होने पर उन से गहन जानकारी ली. पुलिस पूछताछ में पता चला कि उस के 4 बेटे राघव शरण, अजय, अखिलेश और अनिल सभी अलगअलग रहते थे. राजनारायण शुक्ला बेटे अखिलेश के साथ ही रहते थे.

कुछ समय पहले ही अखिलेश ने अपने घर के सामने ही अपने पैसों से कुछ जमीन खरीदी थी. उस के तीनों बेटे उस पर भी अपना अधिकार मान रहे थे. जिसे ले कर चारों भाइयों में मनमुटाव चल रहा था.
अखिलेश ने 15 जुलाई की सुबह अपने बड़े भाई अजय व छोटे भाई अनिल को अपने घर बुलाया. तीनों राजनारायण के सामने ही जमीन बंटवारे की बात करने लगे. उसी दौरान अखिलेश ने अपने छोटे भाई अनिल को कोल्डड्रिंक लाने दुकान पर भेज दिया.

अनिल के जाते ही अखिलेश अजय से मारपीट पर उतर आया और घर में रखे बांके से उस ने अजय पर हमला बोल दिया. बांके के ताबड़तोड़ प्रहार से अजय की मौके पर ही मौत हो गई. अजय के बचाव में पिता राजनारायण सामने आए तो अखिलेश ने उन्हें भी घायल कर दिया.अखिलेश ने अपने बड़े भाई अजय की हत्या जमीन विवाद के कारण ही की होगी. लेकिन इस मामले में एक अहम सवाल उठ रहा था कि अखिलेश ने आत्महत्या करने की कोशिश के दौरान बताया था कि उस की पत्नी का उस के भाई के साथ चक्कर चल रहा था, जिस के कारण उस ने उसे मौत के घाट उतार दिया था. उस का सब से बड़ा दुश्मन तो उस का छोटा भाई अनिल ही था, जिस के कारण उस ने सुसाइड करने की कोशिश की थी.
अनिल भी जमीन में बंटवारे को ले कर विवाद कर रहा था. फिर उस ने अनिल को छोड़ कर अजय को ही मौत के घाट क्यों उतारा. यह बात पुलिस के गले नहीं उतर रही थी.

भाई ही बने जोरू और जमीन के प्यासे

पति की गर्लफ्रेंड से पीछा छुड़ाने के लिए आजमाएं ये 13 टिप्स

रायपुर में एक महिला ने अपने एएसआई पति पर अपनी बहन के साथ दुष्कर्म का आरोप  लगाया . पत्नी ने इस की शिकायत डीडी नगर थाने में दर्ज कराई. पत्नी की शिकायत पर पुलिस द्वारा पति के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई.

महिला ने पुलिस को बताया कि उस का पति राजेंद्र बर्मन यातायात विभाग में एएसआई के पद पर कार्यरत है और उसवह खुद भी दूसरे शहर में जॉब करती है. इस वजह से उस ने अपनी ममेरी बहन को बच्चों की देखभाल के लिए बुला रखा था. कुछ दिन पहले उस ने अपने पति और बहन को आपत्तिजनक हालत में देखा तो अपनी बहन से पूछताछ की. तब बहन ने बताया कि राजेंद्र बर्मन कई साल से उस के साथ गलत काम करता रहा है और विरोध करने पर बदनाम करने की धमकी देता है.

किसी भी शादी में तरहतरह की समस्याएं आती हैं. कई दफा पतिपत्नी वैवाहिक रिश्ते से बाहर संबंध तलाश करते हैं या फिर पति बद्तमीज और गलत आदतों का शिकार हो सकता है. वह दुष्कर्मी और शराबी भी हो सकता है. ऐसे में स्त्री का जीवन जीना मुहाल होने लगता है.ये गंभीर मसले है और परिवार के साथसाथ समाज के लिए भी ठीक नहीं है.

चीन में लवर फेडिंग का ट्रेंड

चीन में एक नया व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है जो पतिपत्नियों को उन के लवर यानी प्रेमी या प्रेमिका से अलग करने के लिए काम करता है. इसे ‘लवर फेडिंग’ यानी लवर को दूर भगाना कहा जाता है. यहां कई लोग अपनी ज़िंदगी से अपने कथित दुश्मन को निकाल फेंकने के लिए हज़ारों डॉलर खर्च करने को तैयार हैं.

मिंग ली, शू ज़िन के साथ मिल कर बीते 18 सालों से लव अस्पताल नाम से यह ख़ास अस्पताल चला रहे हैं. अब तक उन के पास लाखों लोग मदद के लिए आ चुके हैं. मदद मांगने वालों में महिलाएं अधिक होती हैं.

अस्पताल की सहसंस्थापक मिंग ली मदद मांगने वाली महिलाओं को सफल शादी के राज़ और अपने पति का ध्यान नहीं भटकने देने के लिए क्या करना चाहिए इस बारे में सलाह देती हैं.

पति को तलाक नहीं देना चाहती

45 साल की रूपा देवी अपनी धीमी और थोड़ी कांपती सी आवाज़ में बताती हैं कि वे पति से अलग होना नहीं चाहती थी मगर पति के जीवन में आई कम उम्र की प्रेमिका ने सब खराब कर दिया . उन के और उन के पति के बीच खराब हो चुके संबंध अब बेहतर हैं और पहले के मुक़ाबले काफ़ी मज़बूत भी हो गये हैं. यह संभव हुआ रिलेशनशिप एक्सपर्ट की मदद से.

वह बताती हैं कि उन्होंने कई सप्ताह तक मैराइटल थेरपी ली और इस दौरान सकारात्मक सोच बनाने के बारे में सीखा. उन्होंने जाना की कैसे एक बेहतर और आकर्षक पत्नी बना जा सकता है.

उन्होंने पहले फैसला लिया था कि वह अपने पति की प्रेमिका को उन से दूर करने के लिए कितने भी पैसे खर्च कर देंगी.  इस के लिए किसी एजेंट को हायर कर उसे अपने पति की 25 साल की खूबसूरत और स्टाइलिश सेक्रेटरी के पास भेजने की योजना थी ताकि वह पति की प्रेमिका के पास जा कर यह बताये कि अपने से दोगुने उम्र के किसी  पुरुष की बजाय जीवन में बेहतरी की उम्मीद करनी चाहिए और किसी अच्छे हमउम्र जीवनसाथी की तलाश करनी चाहिए .

जल्द ही उन्हें अहसास हो गया कि इस चक्कर में हजारों खर्च कर भी उन्हें सुकून हासिल नहीं हो रहा है. वह पति को तलाक़ देने के लिए भी अपने मन को तैयार नहीं कर पा रही थीं.

वह कहती हैं, “हम लोगों ने साथ में मुश्किल वक़्त का सामना किया है. मैं इतनी जल्दी हार नहीं मान सकती. मैं दूर होने को वैसे भी कभी सही नहीं मानती और फिर मैं जल्द 50 साल की हो जाऊंगी. मेरे जैसी महिलाओं के लिए घर से निकल कर बाहर काम करना आसान नहीं.”

यदि आप भी इस तरह की किसी समस्या से ग्रस्त हैं तो आइये जानते हैं कुछ संभावित उपायों के बारे में.

  1. यदि आप का जीवनसाथी किसी और के साथ इन्वौल्व होने लगा है तो आप पति की उस प्रेमिका से बात कर और अपने वैवाहिक रिश्ते की दुहाई दे कर इस बात के लिए राज़ी कर सकती हैं कि वह उस के पति से दूर चली जाए और आप के वैवाहिक जीवन में आग न लगाए. किसी और की तलाश कर ले. इस के लिए बातचीत बहुत कायदे से और मनोवैज्ञानिक ढंग से करनी होगी.

2. पति के बौस को राजी करना होगा कि वह किसी अन्य शहर में उन का ट्रांसफर कर दें,

3. अपने मातापिता या दोस्तों से डिस्कस कर कोई रास्ता निकालें. कोई योजना बनाएं

4. पति के चरित्र के बारे में गंदी बातें कर के यानी उन्हें बदनाम कर के भी आप पति की प्रेमिका से पीछा छुड़ाने की बात पर विचार कर सकती हैं.

5. वंशानुगत बीमारी बता कर उन की प्रेमिका को उन से नफ़रत करने के लिए बाध्य कर सकती हैं.

6. आप बिना लड़ेझगड़े चुपचाप कुछ समय के लिए उन की जिंदगी से जा कर देख सकती हैं. संभव है उन्हें आप की अहमियत का अहसास हो जाए.

7. आप खुद को सुधारने और संवारने का रास्ता भी चुन सकती हैं. इस से जहाँ आप का आत्मविश्वास बढ़ेगा वहीँ पति के भी वापस आप के पास लौटने की सम्भावना बढ़ जायेगी.

8. कभीकभी जो काम लड़ाईझगड़े नहीं कर पाते वह प्यार कर जाता है. सो एक बार प्यार के सहारे उन्हें अपनी ओर खींचने की भरपूर कोशिश करें.

9. आप प्रेमिका को दूर भगाने से संबंधित सेवाएं मुहैया करने वाली कंपनी या प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी से एजेंट्स भी हायर कर सकती हैं. ये एजेंट्स प्रेमिका से दोस्ती करते हैं और उन की आपत्तिजनक तस्वीरें लेते हैं. फिर उसे मदद मांगने आई महिला को देते हैं. जब पति को पता चलता है कि उस की प्रेमिका उस के प्रति वफादार नहीं है तो अधिकतर मामलों में पति अपनी पत्नी और परिवार के पास लौट आते हैं

10. यदि पति आप की सहेली या बहन के साथ आप के आगे ही गलत हरकतें कर रहा है तो तुरंत उसे टोकिये और सावधान कीजिये की वह आइंदा ऐसा करने की सोचे भी नहीं. आप कानून का सहारा भी ले सकती हैं. पति जिस के साथ गलत करने का प्रयास कर रहा है उसे पति की नजरों से हमेशा के लिए दूर करने का प्रयास करें.

11. यदि पति के जीवन में एक प्रेमिका के जाते ही दूसरी आ जाती है और यह सिलसिला समाप्त नहीं होता तो समझ जाइये कि ऐसे लोग कभी संभल नहीं सकते. वे अपनी आदत से कभी बाज नहीं आएंगे और आप कभी खुश नहीं रह पाएंगी. ऐसे में पति को तलाक देना ही एक बेहतर ऑप्शन होगा.

12. इसी तरह पति एक गलत काम के बाद बिना किसी शर्मिंदगी के वैसे काम ही दोहराते रहते हैं तो आप को बिना किसी पश्चाताप या अफ़सोस के तुरंत उन्हें छोड़ने का फैसला ले लेना चाहिए. क्यों कि ऐसे शख्स कभी नहीं बदलते और आप नाहक ही उन के बदलने का इन्तजार करतेकरते आप अपनी जिंदगी तबाह कर डालेंगी.

13. पति की प्रेमिका किसी ट्यूमर की तरह होती है  और पहली चीज़ जो करनी चाहिए वह है उस से छुटकारा पाना. इस के बाद वैवाहिक रिश्ता खुद ही धीरेधीरे स्वस्थ और मज़बूत हो जाता है.

बीड़ी वाले का लड़का : भाग 3

‘‘मेरी अम्मी 2 बजे उठ कर लालटेन को रोशनी में चश्मा लगा कर बीड़ी बनाने के लिए पत्ते काटती हैं और पत्ते काटतेकाटते फज्र की नमाज का समय हो जाता है. फिर वह पत्ते काट कर उसे जमने के लिए सुतली वाले बोरे में बांध कर नमाज पढ़ने चली जाती है.’’ मैं ने फिर पूछा था, ‘‘यह जमना क्या होता है?’’ ‘‘जमना मतलब मुलायम होना, ताकि पत्तों को बीड़ी के जैसे लपेटने में आसानी हो,’’ उस ने बताया था. मैं उस की बात नहीं समझ पाया था, यह उस ने मेरे चेहरे से जान लिया तो फिर उस ने मुझे ठीक वैसे ही समझाया जैसे उस के भैया मुझे गणित समझाते थे. ‘‘इसे ऐसे समझो कि पत्ते काटने के बाद उसे और भी मुलायम होने के लिए मतलब एक बीड़ी वाले की जबान में इसे पत्ते का जमना कहते हैं. सुतली वाले बोरे को एक खास तरीके से बस्ता बना कर उसे पानी से हलका भिगो कर बांधा जाता है. पानी भी एक जरूरत के हिसाब से ही देना होता है.

कम पानी देने से पत्ते रूखे रह जाते हैं और ज्यादा पानी देने से पत्ते में चित्ती लग जाती है मतलब फफूंद लग जाती है.’’ उस के इस तरह बताने से पता चल रहा था कि बीड़ी का कारोबार उस के खून में है. मैं ने फिर पूछा था, ‘‘इतनी सवेरे जाग कर तुम क्या करते थे?’’ ‘‘मैं वहीं पर लेट कर कहानियों की किताबें पढ़ कर अपनी अम्मी को सुनाया करता था,’’ यह कहतेकहते वह उदास हो गया था, मानो जैसे अब रो ही देगा. ‘‘तुम तो वापस उसी अंधेरे वाली दुनिया में जा रहे हो और अब आओगे भी नहीं,’’ मैं आज बस उसे ही सुनना चाहता था. ‘‘हां दोस्त…’’ पहली बार उस ने मुझे दोस्त कह कर बुलाया था. फिर एक गहरी सांस ले कर वह कहने लगा था, ‘‘जिस वजह से मैं यहां आया था, वह तकरीबन पूरी तो हो गई है, पर…’’ ‘‘पर क्या…?’’ उस ने फिर बात अधूरी छोड़ दी तो मैं ने पूछा था.

‘‘पर, अम्मी छूट गई यार, मेरी कहानियां सुनने वाला यहां कोई नहीं है,’’ वह अपने आंसू छिपाने की कोशिश करते हुए बोला था, ‘‘पता है, मेरी नींद अब भी 2 बजे खुल जाती है, पर कमरे के बाहर नहीं निकलता, क्योंकि इस चकाचौंध रोशनी के रहते हुए भी मुझे डर लगता है. तब मुझे समझ में आया कि डर तो मेरे अंदर अब भी है, पर यहां मैं बाथरूम जाने के लिए किसी को गहरी नींद से जगा नहीं सकता, साथ नहीं ले जा सकता. ‘‘भला कोई मेरे लिए अपनी नींद क्यों खराब करेगा और किसी को साथ चलने के लिए जगाने में मुझे खुद भी शर्म आती है, क्योंकि उन की नजर में मैं बहुत बड़ा हो गया हूं, पर अपनी अम्मी की नजर में…’’ कहतेकहते वह खामोश हो गया था. ‘‘पर, यहां टैलीविजन देखने को तो मिलता है न…?’’ मैं चाहता था कि किसी बहाने से वह गांव से वापस आ जाए. ‘‘वह तो तुम्हारे यहां ही देखता हूं…’’ इस से ज्यादा उस ने कुछ नहीं कहा था, क्योंकि बाकी बातें मैं खुद समझ गया था. मेरे अब्बू को उस का मेरे यहां आना बिलकुल भी पसंद नहीं था. ‘‘तुम्हें पता है कि मुझे यहां हर चीज पूछ कर करनी पड़ती है. तुम्हारे यहां टैलीविजन देखने जाने के लिए भी कितनी डांट सुननी पड़ती है, तब जा कर इजाजत मिलती है और फिर तुम्हें वहां मेरे लिए दरवाजा खोलने की वजह से डांट सुननी पड़ती है.’’ उस की इस बात से मैं चौंक पड़ा था कि इसे तो सबकुछ पता है.

‘‘ऐसा नहीं है कि मेरे गांव में टैलीविजन नहीं है. वहां भी है, पर वहां इतनी बंदिशें नहीं हैं. अगर किसी ने अपना दरवाजा बंद भी कर लिया तो हम सब बस दीवार फांद कर उस के घर में घुस जाते हैं, कोई कुछ नहीं कहता है, सब को देखने दिया जाता है. ‘‘हमारे यहां बिजली नहीं है, तो हम लोग बैटरी पर देखते हैं… या तो खुद की बैटरी को पास के बाजार से चार्ज करा कर या भाड़े पर ला कर.’’ उस की बातों को सुन कर मैं अंदर से शर्मिंदा हो रहा था. कुछ चीजें ऐसी थीं, जो मेरे बस में नहीं थीं. उन में से एक थी, उसे देख कर मेरे अब्बू का दरवाजा बंद कर लेना. थोड़ी देर सन्नाटा पसरा रहा, फिर उस ने आगे कहना शुरू किया था, ‘‘वहां तो हंसनेरोने के लिए भी कभी सोचना नहीं पड़ता है. झूठमूठ रो कर अपनी जिद मनवा लेता हूं और फिर जिद पूरी होने पर हंस देता हूं. यहां तो हर चीज के लिए वजह ढूंढ़नी पड़ती है. तुम्हें पता है, तुम्हारे साथ जा कर मैं जितनी बार भी दवाएं लाया था, वे मैं ने कभी खाई ही नहीं थीं.’’ मैं फिर हैरान था और झट से पूछ लिया था, ‘‘क्यों?’’ ‘‘क्योंकि मुझे कभी पेट या सिरदर्द हुआ ही नहीं. घर या अम्मी की याद आ जाती थी और रो पड़ता था. आंसू की वजह बताने के लिए यही 2 दर्द ऐसे थे, जिन के लिए किसी सुबूत की जरूरत नहीं पड़ती है. गांव में तो अम्मी बुखार भी छू कर जान जाती थी, यहां तो बस थर्मामीटर…’’ मैं खामोश था. शायद मैं भी अब रो पड़ता. एक 10वीं के लड़के के अंदर कितना कुछ भरा था. ऐसा लगा कि उस के अंदर का बच्चा यहां आ कर मर रहा था. ‘‘मैं ने तो अब सोच लिया है कि बीड़ी की दुनिया से मुझे बाहर निकलना है खासकर अम्मी को तो बिलकुल भी नहीं बनाने दूंगा,’’ उस ने कहा था. ‘‘क्यों?’’ ‘‘बहुत सी बातें हैं, तुम्हें कैसे बताऊं…’’ ‘‘बता भी दो, आज पहली बार तुम ने मुझे दोस्त कहा है.’’ ‘‘इतनी मेहनत है इस काम में, पर उस के एवज में मिलता कुछ भी नहीं है.

बीड़ी, जिसे तुम देशी सिगरेट भी कह सकते हो, उस को बनाने से पहले उस के बहुत से पड़ाव हैं. आसान नहीं है बीड़ी बनाना और उसे आम लोगों तक पहुंचाना. हस्तकला की हर कदम पर जरूरत पड़ती है मानो हम जैसे कोई दुलहन सजा रहे हों. ‘‘इतनी मेहनत करने के बाद अगर पूरे दिन में एक हजार बीड़ी बन गईं, वह भी अगर आप की बनाने की स्पीड ज्यादा है तो मुश्किल से 40 से 50 रुपए मजदूरी मिलेगी. लेडीज हाथ की बीड़ी के लिए तो और भी कम मजदूरी है,’’ उस ने बीड़ी बनाने के तरीके को पूरी तफसील में समझाया था मानो उस ने बीड़ी बनाने की कला में पीएचडी कर रखी हो. ‘‘लेडीज हाथ की बीड़ी की मजदूरी कम क्यों?’’ मैं ने फिर पूछा था और बस मेरे इसी एक सवाल का जवाब उस के पास नहीं था और इस का जवाब शायद आज भी किसी के पास नहीं है, पर इस भेदभाव की वजह से उस के अंदर गुस्सा बहुत था. ‘‘पता नहीं यार, और सब से ताज्जुब वाली बात तो यह है कि दुकानदार यानी मेरे अब्बा दोनों बीड़ी को एक ही दाम पर बेचते हैं. ग्राहक से लेडीज हाथ की बीड़ी बता कर कम पैसे नहीं लिए जाते हैं. पता नहीं यह भेदभाव क्यों है? ‘‘मेरी अम्मी या कोई औरत अलग या किसी आसान तरीके से बीड़ी थोड़े न बनाती हैं. मेहनत तो दोनों की बराबर ही लगती है. ‘‘घर को संभालना औरतों के हाथ में है, बच्चे पैदा कर उन की अच्छी परवरिश करना भी उन्हीं के हाथों में है, उन के हाथ का खाना अच्छा होता है, पर यहां… बस यहां उन के हाथ का कोई मोल नहीं, तभी तो लेडीज के हाथ की बीड़ी बोल कर उन्हें कम मजदूरी दी जाती है…’’ कितनी सचाई थी उस की बातों में. कुछ देर के लिए तो मुझे ऐसा लगा कि हमारे स्कूल के गुप्ता सर महिला सशक्तीकरण पर भाषण दे रहे हैं. ‘‘अब हमें घर चलना चाहिए,’’ मैं ने कहा. हालांकि मैं चाहता तो था कि हमारी बातें यों ही चलती रहें, पर…

‘‘हां, वरना तुम्हें अब्बू से फिर डांट पड़ेगी.’’ वह बचपन की दोस्ती की आखिरी शाम मेरी जिंदगी की सब से हसीन शाम थी, पर मैं ने यह नहीं सोचा था कि इस के बाद मैं उस से कभी मिल नहीं पाऊंगा. समय के साथ उस का चेहरा मेरे जेहन में धुंधला तो हो गया, पर उस की बातें हमेशा रोशन रहीं. उस की वे आखिरी एक दिन की बातें मुझे अपनी जिंदगी में हर दिन दिखाई देती थीं. उस ने कहा था, ‘‘अपना घर छोड़ते ही आप की पहचान में फर्क आ जाता है. अपनी पहचान खो जाती है. अच्छाखासा नाम रहते हुए भी तुम्हें उस नाम से कोई नहीं बुलाएगा.’’ कितनी हकीकत थी उस की इस बात में और यह तब समझ में आया, जब मैं ने घर छोड़ा. घर छोड़ने के बाद मेरी पहचान ‘बंटी का भाई’, ‘जूनियर’, ‘सीनियर’, ‘फ्रैशर’, ‘ऐक्सपीरियंस्ड’, ‘दैट इंडियन गाय’… कुछ ऐसा ही होता चला गया, ठीक उसी तरह जिस तरह उस का भी एक नाम था, पर यहां इस शहर में उस का एक ही नाम था ‘बीड़ी वाले का लड़का’.

आशा नेगी को इस खास अंदाज में ऋत्विक धानजानी ने किया बर्थ डे विश

टीवी की मशहूर एक्ट्रेस आशा नेगी ने अपना 33वां जन्मदिन मनाया है, उनके जन्मदिन पर फैंस से लेकर कई सारे सितारों ने उन्हें खूब बधाइंया दी हैं, बता दें कि आशा ने सीरियल पवित्र रिश्ता से अपनी पहचान बनाई थीं.

उनके जन्मदिन पर उनके एक्स बॉयफ्रेंड ऋत्विक धनजानी ने भी उन्हें पोस्ट शेयर कर बधाई दी है. इससे साफ पता चल रहा है कि ऋत्विक अभी तक आशा को भूल नहीं पाएं हैं. आशा के तस्वीर को शेयर करते हुए ऋत्विक ने उन्हें गॉड चाइल्ड बताया है. ऋत्विक की यह पोस्ट ,सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है.

 

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जिसमें उन्होंने लिखा है कि बप्पा तेरी ख्वाहिश हर दिन पूरी करें. तू ही मुस्कुराती रहे, तुम हर जगह प्यार बांटती रहो. बता दें कि इस पोस्ट पर आशा नेगी का कोई रिएक्शन नहीं आया है. साझा कि गई तस्वीर में आशा नेगी खूब एक्साइटेड नजर आ रही हैं, फैंस भी उन्हें बधाई दे रहे हैं. फैंस ने ऋत्विक के पोस्ट को शेयर करते हुए लिखा है कि इस बर्थ डे विश का ज्यादा इंतजार था.

बता दें कि आशा नेगी और ऋत्विक धनजानी की मुलाकात पवित्र रिश्ता के सेट पर हुई थी, जहां से दोनों का रोमांस शुरू हुआ था, उनका रिलेशनशिप करीब सात साल तक चला था, लेकिन साल 2021 में आशा नेगी और ऋत्विक धानजानी ने अपने- अपने रास्ते अलग कर लिए थें.

लोकेश कुमारी के नए लुक के दीवाने हुए फैंस, किया ये कमेंट

बिग बॉस 10 काफी ज्यादा चर्चा में रहा था, क्योंकि उसमें एक साथ सेलिब्रिटी और कॉमनर नजर आएं थें, इस सीजन की कंटेस्टेेंंट रह चुकी लोकेश कुमारी को हर कोई जानता है, लोकेश ने इस शो में बेशक इस शो में बहुत ज्यादा दिन नहीं बिताएं थें, लेकिन चर्चा में बनी हुई थींं.

वह अपने मस्त अंदाज की वजह से सभी लोगों के बीच में छाई रहती थीं, आए दिन लोकेश की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है, लेकिन इस बार खास बात यह है कि लोकेश पहले से ज्यादा बदली हुई नजर आ रही हैं,

 

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बता दें कि लोकेश कुमारी दिल्ली के साधारण परिवार से आती हैं, उन्होंने बिग बॉस 10 से अपना नाम बनाया है, वह लोगों की पसंदीदा कंटेस्टेंट में से थी, बता दें कि लोकेश बिग बॉस के बाद से शो में और सीरियल में भी नजर आ चुकी हैं,

बिग बॉस से बाहर आने के बाद लोकेश ने खुद को काफी ज्यादा बदल लिया है, वह सोशल मीडिया पर अपनी तस्वीर शेयर करती रहती हैं, लोकेश को देखकर फैंस काफी ज्यादा हैरान हैं,

बिग बॉस के होस्ट सलमान खान ने लोकेश को फिगर बनाने की सलाह दी थी, वह जल्द ही एक्सरसाइज शुरू कर दें. जिसके बाद से लोकेश अपने आप को चेंज करने का श्रेय सलमान को देती हैं. अब लोकेश को नए लुक में देखकर फैंस काफी ज्यादा खुश रहते हैं. लोकेश अक्सर अपने स्लिम बॉडी से फैंस को दीवाना बनात रहती हैं. फैंस उनकी खूब तारीफ करते हैं.

हमारे बीच पति-पत्नी का जो रिश्ता होना चाहिए वो नहीं है, मैं क्या करूं?

सवाल-

मैं 35 वर्षीया विवाहित महिला हूं. मेरे 2 बच्चे हैं, बेटी 14 वर्ष की और बेटा 7 वर्ष का है. पति की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी है. वे अच्छा कमाते हैं परंतु कंजूस हैं. बच्चों को कहीं खाना खिलाने या घुमाने नहीं ले जाते, कहीं खिलाने का प्लान बने भी तो घर पर ही उन्हें सब खिला कर ले कर जाते हैं ताकि बाहर जाएं तो पेट भरा होने पर कुछ खाएं नहीं.

दिक्कत यह है कि मेरे साथ उन का बरताव ऐसा है कि वे मेरी और बच्चों की जरूरतें पूरी कर रहे हैं. लेकिन पतिपत्नी का जो रिश्ता होना चाहिए, इमोशनल और समझदारी का, वह हमारा नहीं है. मैं इस रिश्ते से खुश नहीं हूं. क्या मेरी जिंदगी ऐसी ही चलेगी. कुछ समझ नहीं आ रहा है कि क्या करूं?

जवाब-

35 वर्ष की उम्र समझौता कर जीने के लिए बहुत छोटी है. आप के सामने आप के बच्चे हैं जिन के प्रति आप की कुछ जिम्मेदारियां हैं. आप पहले पूरी ईमानदारी से इन जिम्मेदारियों को निभाएं. आप का कहना है कि बच्चों की जरूरतें और आप की जरूरतें वे पूरी कर रहे हैं. यह अच्छी बात है.

पर आप दोनों के बीच दूरियां बढ़ रही हैं, इस का कारण जानने की कोशिश करें. हमेशा पत्नी ही सही हो, जरूरी नहीं. आप पहले अपनी कमियों को ढूंढ़ने का प्रयास करें कि आखिर क्यों वे आप से कटेकटे रहते हैं. खुशनुमा माहौल रखने के लिए आप को उन्हें खुश रखना पड़ेगा. घर में भी आप बनठन कर रहें. कभीकभी पति को छेड़ें और सैक्स में अरुचि न दिखाएं.

उन के मतलब की बातचीत करतेकरते आप अपनी समस्या को उन के सामने रखें और बातों को सीरियस न बनाएं. उन्हें प्यार से समझाने का प्रयास करें. उन्हें बताएं कि इस का असर बच्चों पर पड़ सकता है. आप की समस्या का समाधान आपसी बातचीत से ही हो सकता है. वैसे कंजूसी बुरी आदत नहीं, फुजूलखर्ची है. कंजूस तो पैसा अपने बच्चों के लिए जोड़ कर जाता है जिस पर बाद में बच्चे गर्व करते हैं.

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