सौतेली: भाग 3

दूसरा भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें… सौतेली भाग-2

रवानगी से पहली रात को शेफाली के कमरे में वंदना आई तो वह बहुत गंभीर थी. उस की तरफ देख कर वंदना बोली, ‘‘जाने से पहले मैं तुम को कुछ समझाना चाहती हूं. मेरी बात पर अमल करना, न करना तुम्हारी मर्जी होगी. जीवन के सच से मुंह मोड़ना और हालात का सामना करने के बजाय उस से दूर भागना समझदारी नहीं. जिस को तुम ने देखा नहीं, जाना नहीं, उस के लिए नफरत क्यों? नफरत इसलिए क्योंकि उस के साथ ‘सौतेली’ शब्द जुड़ा है. प्यार और नफरत करने का तुम को हक है. किंतु तब तक नहीं जब तक तुम किसी को देख या जान न लो. अगर तुम्हारे पापा ने किसी दूसरी औरत से शादी कर के तुम्हारा दिल दुखाया है तो इस का मतलब यह नहीं कि तुम अपने घर पर अपना हक छोड़ दो. तुम को परीक्षाएं देने के बाद अपने घर वापस जाना ही है. यह पक्का इरादा कर लो. अपनों पर नाराज हुआ जाता है, उन को छोड़ा नहीं जाता. रही बात तुम्हारे पापा के साथ शादी करने वाली दूसरी औरत, मेरा मतलब तुम्हारी सौतेली मां से है. एक बार उस को भी देख लेना. अगर वह सचमुच तुम्हारी सोच के मुताबिक बुरी हो तो उस को घर से बाहर का रास्ता दिखलाने का इंतजाम कर देना. इस के लिए तुम को अपने पापा से भी झगड़ना पडे़ तो कोई हर्ज नहीं.’’

जब वंदना अपनी बात कह रही थी तो शेफाली हैरानी से उस के चेहरे को देख रही थी. वंदना की बातों से उस को एक बल मिल रहा था.

शेफाली को लग रहा था वंदना ठीक कह रही है. वह अपना घर क्यों छोडे़. उस को हालात का सामना करना चाहिए था. फिर उस औरत से नफरत कैसी जिसे अभी उस ने देखा भी नहीं था.

अगले दिन सुबह वंदना चली गई.

कुछ भी नहीं होते हुए वंदना कुछ दिनों में ही अपनेपन का जो कोमल स्पर्श शेफाली को करवा गई थी उस को भूलना मुश्किल था. यही नहीं वह शेफाली की दिशाहीन जिंदगी को एक दिशा भी दे गई थी.

परीक्षाओं के शुरू होते ही शेफाली ने जानकी बूआ से घर जाने की बात कह दी और थोड़ाथोड़ा कर के अपना सामान पैक करना शुरू कर दिया.

परीक्षाएं खत्म होते ही शेफाली अपने घर को रवाना हुई तो जानकी बूआ खुद उस को अमृतसर जाने वाली बस में बैठाने के लिए बस अड्डे पर आई थीं.

बस जब चल पड़ी तो शेफाली के मन में कई सवाल बुलबुले बन कर उभरने लगे कि पापा उस का सामना कैसे करेंगे, उस का सौतेली मां से सामना कैसे होगा? वह कैसा व्यवहार करेंगी?

शेफाली जानती थी कि उस को बस में बैठाने के बाद बूआ ने फोन पर इस की सूचना पापा को दे दी होगी. शायद घर में उस के आने के इंतजार में होंगे सभी…

सामान का बैग हाथ में लिए घर के दरवाजे के अंदर दाखिल होते एक बार तो शेफाली को ऐसा लगा था कि किसी बेगानी जगह पर आ गई है.

पापा उस के इंतजार में ड्राइंगरूम में ही बैठे थे. उन के साथ मानसी और अंकुर भी थे जोकि दौड़ कर उस से लिपट गए.

उन को प्यार करते हुए शेफाली की नजरें पापा से मिलीं. चाह कर भी शेफाली मुसकरा नहीं सकी. उस ने केवल इतना ही कहा, ‘‘हैलो पापा, कैसे हैं आप?’’

‘‘अच्छा हूं. अपनी सुनाओ. सफर में कोई तकलीफ तो नहीं हुई?’’

‘‘नहीं…और होती भी तो अब कोई फर्क नहीं पड़ता. मुझ को कुछ समय से तकलीफें बरदाश्त करने की आदत पड़ चुकी है,’’ कोशिश करने पर भी अपने गुस्से और आक्रोश को छिपा नहीं सकी शेफाली.

इस पर पापा ने मानसी और अंकुर से कहा, ‘‘तुम दोनों जा कर जरा अपनी दीदी का कमरा ठीक करो, मैं तब तक इस से बातें करता हूं.’’

ये भी पढ़ें- सौतेली: भाग 1

पापा का इशारा समझ कर दोनों तुरंत वहां से चले गए.

‘‘मैं जानता हूं तुम मुझ से नाराज हो,’’ उन के जाने के बाद पापा ने कहा.

‘‘मुझ को बहाने के साथ घर से बाहर भेज कर मेरी ममी की जगह एक दूसरी ‘औरत’ को दे दी पापा और इस के बाद भी आप उम्मीद करते हैं कि मुझ को नाराज होने का भी हक नहीं?’’

‘‘यह मत भूलो कि वह ‘औरत’ अब तुम्हारी नई मां है,’’ पापा ने शेफाली को चेताया.

इस से शेफाली जैसे बिफर गई और बोली, ‘‘मैं इस रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करूंगी, पापा,’’

‘‘मैं इस के लिए तुम पर जोर भी नहीं डालूंगा, मगर तुम उस से एक बार मिल लो…शिष्टाचार के नाते. वह ऊपर कमरे में है,’’ पापा ने कहा.

‘‘मैं सफर की वजह से बहुत थकी हुई हूं, पापा. इस वक्त आराम करना चाहती हूं. इस बारे में बाद में बात करेंगे,’’ शेफाली ने अपने कमरे की तरफ बढ़ते हुए रूखी आवाज में कहा.

शेफाली कमरे में आई तो सबकुछ वैसे का वैसा ही था. किसी भी चीज को उस की जगह से हटाया नहीं गया था.

मानसी और अंकुर वहां उस के इंतजार में थे.

कोशिश करने पर भी शेफाली उन के चेहरों या आंखों में कोई मायूसी नहीं ढूंढ़ सकी. इस का अर्थ था कि उन्होंने मम्मी की जगह लेने वाली औरत को स्वीकार कर लिया था.

‘‘तुम दोनों की पढ़ाई कैसी चल रही है?’’ शेफाली ने पूछा.

‘‘एकदम फर्स्ट क्लास, दीदी,’’ मानसी ने जवाब दिया.

‘‘और तुम्हारी नई मम्मी कैसी हैं?’’ शेफाली ने टटोलने वाली नजरों से दोनों की ओर देख कर पूछा.

‘‘बहुत अच्छी. दीदी, तुम ने मां को नहीं देखा?’’ मानसी ने पूछा.

‘‘नहीं, क्योंकि मैं देखना ही नहीं चाहती,’’ शेफाली ने कहा.

‘‘ऐसी भी क्या बेरुखी, दीदी. नई मम्मी तो रोज ही तुम्हारी बातें करती हैं. उन का कहना है कि तुम बेहद मासूम और अच्छी हो.’’

‘‘जब मैं ने कभी उन को देखा नहीं, कभी उन से मिली नहीं, तब उन्होंने मेरे अच्छे और मासूम होने की बात कैसे कह दी? ऐसी मीठी और चिकनीचुपड़ी बातों से कोई पापा को और तुम को खुश कर सकता है, मुझे नहीं,’’ शेफाली ने कहा.

शेफाली की बातें सुन कर मानसी और अंकुर एकदूसरे का चेहरा देखने लगे.

उन के चेहरे के भावों को देख कर शेफाली को ऐसा लगा था कि उन को उस की बातें ज्यादा अच्छी नहीं लगी थीं.

मानसी से चाय और साथ में कुछ खाने के लिए लाने को कह कर शेफाली हाथमुंह धोने और कपडे़ बदलने के लिए बाथरूम में चली गई.

ये भी पढ़ें- सोने की चिड़िया: भाग-1

सौतेली मां को ले कर शेफाली के अंदर कशमकश जारी थी. आखिर तो उस का सामना सौतेली मां से होना ही था. एक ही घर में रहते हुए ऐसा संभव नहीं था कि उस का सामना न हो.

मानसी चाय के साथ नमकीन और डबलरोटी के पीस पर मक्खन लगा कर ले आई थी.

भूख के साथ सफर की थकान थी सो थोड़ा खाने और चाय पीने के बाद शेफाली थकान मिटाने के लिए बिस्तर पर लेट गई.

मस्तिष्क में विचारों के चक्रवात के चलते शेफाली कब सो गई उस को इस का पता भी नहीं चला.

शेफाली ने सपने में देखा कि मम्मी अपना हाथ उस के माथे पर फेर रही हैं. नींद टूट गई पर बंद आंखों में इस बात का एहसास होते हुए भी कि? मम्मी अब इस दुनिया में नहीं हैं, शेफाली ने उस स्पर्श का सुख लिया.

फिर अचानक ही शेफाली को लगा कि हाथ का वह कोमल स्पर्श सपना नहीं यथार्थ है. कोई वास्तव में ही उस के माथे पर धीरेधीरे अपना कोमल हाथ फेर रहा था.

चौंकते हुए शेफाली ने अपनी बंद आंखें खोल दीं.

आंखें खोलते ही उस को जो चेहरा नजर आया वह विश्वास करने वाला नहीं था. वह अपनी आंखों को बारबार मलने को विवश हो गई.

थोड़ी देर में शेफाली को जब लगा कि उस की आंखें जो देख रही हैं वह सच है तो वह बोली, ‘‘आप?’’

दरअसल, शेफाली की आंखों के सामने वंदना का सौम्य और शांत चेहरा था. गंभीर, गहरी नजरें और अधरों पर मुसकराहट.

‘‘हां, मैं. बहुत हैरानी हो रही है न मुझ को देख कर. होनी भी चाहिए. किस रिश्ते से तुम्हारे सामने हूं यह जानने के बाद शायद इस हैरानी की जगह नफरत ले ले, वंदना ने कहा.

‘‘मैं आप से कैसे नफरत कर सकती हूं?’’ शेफाली ने कहा.

‘‘मुझ से नहीं, लेकिन अपनी मां की जगह लेने वाली एक बुरी औरत से तो नफरत कर सकती हो. वह बुरी औरत मैं ही हूं. मैं ही हूं तुम्हारी सौतेली मां जिस की शक्ल देखना भी तुम को गवारा नहीं. बिना देखे और जाने ही जिस से तुम नफरत करती रही हो. मैं आज वह नफरत तुम्हारी इन आंखों में देखना चाहती हूं.

‘‘हम जब पहले मिले थे उस समय तुम को मेरे साथ अपने रिश्ते की जानकारी नहीं थी. पर मैं सब जानती थी. तुम ने सौतेली मां के कारण घर आने से इनकार कर दिया था. किंतु सौतेली मां होने के बाद भी मैं अपनी इस रूठी हुई बेटी को देखे बिना नहीं रह सकती थी. इसलिए अपनी असली पहचान को छिपा कर मैं तुम को देखने चल पड़ी थी. तुम्हारे पापा, तुम्हारी बूआ ने भी मेरा पूरा साथ दिया. भाभी को सहेली के बेटी बता कर अपने घर में रखा. मैं अपनी बेटी के साथ रही, उस को यह बतलाए बगैर कि मैं ही उस की सौतेली मां हूं. वह मां जिस से वह नफरत करती है.

‘‘याद है तुम ने मुझ से कहा था कि मैं बहुत अच्छी हूं. तब तुम्हारी नजर में हमारा कोई रिश्ता नहीं था. रिश्ते तो प्यार के होते हैं. वह सगे और सौतेले कैसे हो सकते हैं? फिर भी इस हकीकत को झुठलाया नहीं जा सकता कि मैं मां जरूर हूं, लेकिन सौतेली हूं. तुम को मुझ से नफरत करने का हक है. सौतेली मांएं होती ही हैं नफरत और बदनामी झेलने के लिए,’’ वंदना की आवाज में उस के दिल का दर्द था.

‘‘नहीं, सौतेली आप नहीं. सौतेली तो मैं हूं जिस ने आप को जाने बिना ही आप को बुरा समझा, आप से नफरत की. मुझ को अपनेआप पर शर्म आ रही है. क्या आप अपनी इस नादान बेटी को माफ नहीं करेंगी?’’ आंखों में आंसू लिए वंदना की तरफ देखती हुई शेफाली ने कहा.

ये भी पढ़ें- हिजाब भाग-1: क्या बंदिशों को तोड़ पाई चिलमन?

‘‘धत, पगली कहीं की,’’ वंदना ने झिड़कने वाले अंदाज से कहा और शेफाली का सिर अपनी छाती से लगा लिया.

प्रेम के स्पर्श में सौतेलापन नहीं होता. यह शेफाली को अब महसूस हो रहा था. कोई भी रिश्ता हमेशा बुरा नहीं होता. बुरी होती है किसी रिश्ते को ले कर बनी परंपरागत भ्रांतियां.

अश्लीलता का अपराध!

पहला किस्सा

मोबाइल पर लगातार एक लड़की को परेशान  करने वाला नरेश, दुर्ग, छत्तीसगढ़ का रहवासी था जो युवती की शिकायत पर अंतत: पुलिस के हत्थे चढ़ा और जेल गया.

दूसरा किस्सा

व्हाट्सएप पर ग्रुप में अश्लील फोटो भेजना मैसेज भेजना एक अधेड़ को भारी पड़ा. मोहल्ले में पिटाई हुई और अंततः जेल जाना पड़ा. मामला बस्तर जगदलपुर का.

तीसरा किस्सा

फेसबुक पर मित्रता करके  निरंतर अश्लील मैसेज भेजना एक शख्स को पड़ा भारी. राजनांदगांव छत्तीसगढ़ पुलिस ने अंततः भेजा जेल.

ये भी पढ़ें- इश्क की फरियाद

आजकल सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर दिल फेकू किस्म के लोग अपनी भावना का एन केन प्रकारेण प्रक्षेपण करते हैं और देखते ही देखते अपनी बुरी गत बना लेते हैं .अश्लीलता का प्रदर्शन करते हुए यह लोग दरअसल मानसिक रूप से पीड़ित होते हैं मगर ऐसा कृत्य करके सीधे-सीधे वे आफत मोल लेते हैं जिससे कि उन्हें सीधे सीधे बचना चाहिए था. सोशल मीडिया का इस तरह  एक तरह से  निरंतर दुरुपयोग जारी है. लोग पहले जो काम चिट्ठी  पत्र लिखकर या इशारों से किया करते थे अब वह काम सोशल मीडिया पर जारी है  मगर यह लोग भूल जाते हैं कि यह सोशल मीडिया एक ऐसा प्लेटफार्म है जहां वे अपनी करतूतों के सबूत छोड़ जाते हैं और कानून की नजर में प्रथम दृष्टया ही अपराधी बन जाते हैं.

पत्नी के सोशल ग्रुप में किया कारनामा

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगर कोरबा में एक युवक को सोशल मीडिया में अश्लील मैसेज भेजने का बड़ा खामियाजा चुकाना पड़ा हुआ यह कि उसकी अपनी ही पत्नी के समक्ष जहां घोर बेइज्जती हुई वहीं वह पुलिस के हत्थे भी चढ़ा और चौराहे पर पिटाई भी हुई पुलिस के अनुसार मामला यह है कि युवक को वाट्सएप ग्रुप में अश्लील पोस्ट  किए जाने के पश्चात  मोहल्ले की महिलाओं की रिपोर्ट पर पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर युवक को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

कोतवाल दुर्गेश शर्मा बताते है-  दरअसल,  पति महाशय! शराब के नशे में अश्लील तस्वीरें खींचकर पोस्ट करने लगे, जब नशा उतरा तो पति को अपनी भूल का अहसास हुआ,  मगर  तब तक  पुलिस ने  मुहल्ले की महिलाओं की शिकायत पर जुर्म दर्ज कर उसे गिरफ्तार करने घर पहुंच चुकी थी.

मामला  छत्तीसगढ़ के कोरबा के कोतवाली थाना क्षेत्रान्तर्गत कोहड़िया बस्ती का है, जहां की मोहल्ले की महिलाओं ने आपसी चर्चा और मेल-जोल बनाये रखने के लिए एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया, ग्रुप में महिलाओं के साथ-साथ सभी के पति देव  को भी जोड़ गया  हैं. ग्रुप के एक सदस्या के पति चंदू महाशय  ने शराब के नशे में आपत्तिजनक तस्वीर खींचकर ग्रुप में पोस्ट कर दिया.

ये भी पढ़ें- पति, पत्नी और ‘वो’ के बीच तबाह हो गई जिंदगी

इस पोस्ट की जानकारी होने पर पत्नी ने पति पर अपनी कसर तो उतारी ही, ग्रुप की महिलाओं और पुरुषों सदस्यों ने भी आपत्ति जताते हुए इसकी शिकायत  थाने में की. मामले के जांच अधिकारी दुर्गेश शर्मा ने बताया कि आरोपित के विरुद्ध मोहल्ले की महिलाओं द्वारा की गई लिखित शिकायत और अश्लील पोस्ट संबंधी प्रमाण के बाद प्रथम द्ष्टया भादवि की धारा 292, 509(ख) तथा आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत अपराध घटित होना पाए जाने से पंजीबद्ध कर न्यायिक रिमांड पर जेल दाखिल करा दिया गया.

मनोवैज्ञानिक एवं कानूनी पक्ष

यहां बताना लाजमी होगा कि मीडिया के आधुनिक स्वरूप के रूप में तेजी से आगे बढ़ चुके सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर इन दिनों अश्लील पोस्ट की भरमार हो चली है.  इस संदर्भ में डॉक्टर जी आर पंजवानी बताते हैं दरअसल यह सारा मामला मन की आंतरिक घुटन का है.अवचेतन मन में जब सेक्स के मनोवेग, भाव उठते हैं तब चाहे कोई युवा वर्ग का हो  अधेड़ वृद्ध अपने अंतर्मन की व्यथा अथवा भाव को उजागर करना चाहता है और आजकल सबसे सरल उपाय लोगों को सोशल मीडिया नजर आता है डॉक्टर पंजवानी के अनुसार पूर्व में यह सब चिट्ठी लिखकर इशारे करके मानसिक रूप से पीड़ित अपनी भावना को व्यक्त करते थे जो अब रूपांतरित होकर सोशल मीडिया में दिखाई पड़ रहा है.

वहीं छत्तीसगढ़ बार काउंसिल के अनुशासन समिति के अध्यक्ष बीके शुक्ला के अनुसार सोशल मीडिया में जिस तरह से अश्लील सामग्री पोस्ट की जाती है वह सीधे-सीधे एक गंभीर अपराध कानून की दृष्टि में है.

ये भी पढ़ें- आखिरी मोड़ पर खड़ी पत्नी

इस तरह के प्रकरणों में आरोपी पर धारा 292 के तहत दोषसिद्धि पर दो वर्ष तक का कारावास और दो हजार रुपए आर्थिक दण्ड का प्रावधान है. यह एक जमानती और संज्ञेय अपराध है. इसमें समझौता करने का प्रावधान नहीं है.धारा 509(ख) में तीन वर्ष तक का साधारण कारावास ,आर्थिक दंड अथवा दोनों का प्रावधान है.

पति, पत्नी और ‘वो’ के बीच तबाह हो गई जिंदगी

कोरोना महामारी के बीच राजधानी दिल्ली में पतिपत्नी और ‘वो’ के बीच पिस कर एकसाथ कई जिंदगियां तबाह हो गई हैं.

कहते हैं वह घर ही खुशहाल रहता है जहां भरोसा कायम रहता है और दांपत्य की गाङी पतिपत्नी रूपी पहिए के रूप में साथ चलती है. जो संभल कर इस गाङी को चलाता है उस की जिंदगी आबाद रहती है, वहीं गाङी का एक पहिया भी अगर सङक से उतरा तो गाङी का पलटना तय है.

उड़ीसा का रहने वाला शरत दिल्ली आया तो उस के आंखों में भी सपने थे. जिंदगी खुशहाल थी. एकएक कर 2 बच्चे आए तो जिंदगी और हसीन हो गई. परिवार दिल्ली के जेलरवाला बाग इलाके में रहने लगा. उस ने घर के पास ही किराने की एक दुकान खोल ली. दुकान भी अच्छा चल निकला. मगर इसी बीच वह बुरी लत का शिकार भी हो गया.

ये भी पढ़ें- लिवइन पार्टनर की मौत का राज

शराब ने बिगाड़ी जिंदगी

दिनभर दुकान पर रहने के बाद लङखङाते कदमों से घर आने लगा तो बीवी रोकटोक करने लगी.

आएदिन घर में किचकिच होने लगी तो दोनों बच्चे अपने मामा के पास रहने लगे. घर में पतिपत्नी रहते तो दोनों में संवाद कम होता. पेटभर खाना तो दोनों खाते पर शारीरिक सुख से कोसों दूर रहते.

पति पास आने की कोशिश करता तो बीवी उसे अपने से दूर कर देती. धीरेधीरे दोनों के बीच दूरियां बढ़ने लगीं और घर सिर्फ एक दीवार और छत बन कर रह गया, जहां प्रेमप्यार दूरदूर तक नहीं होता.

बीवी जब पति की शारीरिक भूख शांत करने में दिलचस्पी न ले तो संबंध को बिखरते देर नहीं लगती.

शरत अब चिङचिङा रहने लगा और बीवी से आएदिन झगङने लगा. दोनों में मारपीट भी होने लगी.

पतिपत्नी के बीच आशिक की ऐंट्री

उधर बीवी को पति में दिलचस्पी कम हुई तो दोनों के बीच ‘वो’ की ऐंट्री ने रहीसही कसर भी पूरी कर दी.

उक्त शख्स यह जान चुका था कि पतिबीवी के बीच रिश्ता समान्य नहीं है तो वह महिला के करीब आने के लिए वह सब करने लगा जिस की महिला को जरूरत थी.

जल्दी ही दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी स्थापित हो गए.

ये भी पढ़ें- कहानी एक शिवानी की

उधर पति घर से दुकान निकलता तो इधर वह आशिक चुपके से उस के घर आ जाता. वह महिला को भरपूर जिस्मानी सुख देने लगा तो महिला धीरेधीरे पति को भूल उसी आशिक के लिए सपने देखने लगी. दोनों बाहर घूमने भी जाते और जब भी समय मिलता जिस्मानी सुख हासिल करने को तैयार रहते.

इश्क छिपता नहीं छिपाने से

मगर कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपता, चाहे जितना भी जतन कर लो.

दोनों की लवस्टोरी अब पति भी जान चुका था. इस बात को ले कर दोनों के बीच आएदिन मारपीट होने लगी. पति अब पहले से अधिक पी कर आने लगा और नशे में वह बीवी को और भी अधिक पीटने लगा. उस पर बंदिशें भी लगा दीं.

आजिज आ कर बीवी ने एक खतरनाक खेल खेलने का मन बनाया. उस ने सोचा कि क्यों न इस शराबी पति को ही रास्ते से हटा दिया जाए. मगर यह काम इतना आसान नहीं था, इस में उसे अपने कथित आशिक की जरूरत थी.

एक दिन उस ने आशिक से अपने मन की बात कह दी तो वह भी तैयार हो गया इस खतरनाक खेल को अंजाम तक पहुंचाने के लिए.

और फिर एक रात…

वह दिन जल्दी आ भी गया जब पति शराब के नशे में घर आया और सो गया. इस बीच महिला ने अपने आशिक को बुलाया और फिर दोनों ने मिल कर पति की गला दबा कर हत्या कर दी.

रातभर वह लाश के पास ही सोई रही और सुबह दहाङें मारमार कर पति की मौत की बात बता कर नाटक करने लगी.

कानून के हाथ लंबे होते हैं

मगर कानून के हाथ लंबे होते हैं. हुआ भी यही. पुलिस को महिला पर शुरू से ही शक था.

अशोक विहार के एसीपी के एन सुबुद्धि की देखरेख में पुलिस द्वारा पूरी तहकीकात की गई और जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आया तो पुलिस का शक यकीन में बदल गया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार हत्या गला दबा कर की गई थी.

ये भी पढ़ें- खून में डूबे कस्में वादे

अब पुलिस ने महिला से सख्ती से पूछताछ की. वह टूट गई और हत्या करने की बात कुबूल कर ली. पुलिस आशिक को भी गिरफ्तार कर उस से भी पूछताछ की तो उस ने भी गुनाह कुबूल कर ली. दोनों अब सलाखों के पीछे हैं.

बिखर गए सपने

शराब की लत, रिश्तों में धोखा ने एक हंसतेखेलते परिवार की खुशियां ही छिन लीं. पति शराबी बन गया तो बीवी के कदम भी बहक गए. दोनों को न परिवार की खुशियों से कोई मतलब था न बच्चों की बिगङते भविष्य की चिंता.

यह सही है कि जब पतिपत्नी में न बने, सुलह के सभी दरवाजे बंद हो जाएं तो दोनों को अलग रहने और जिंदगी जीने का हक है. कानून भी यह अधिकार देता है. मगर बीवी ने कानून की मदद लेने के बजाय कानून ही हाथों में ले लिए.

अब बच्चों को न मां का प्यार मिल सकेगा और पिता तो वहां चला गया जहां से कभी कोई लौट कर नहीं आता. मां और कथित आशिक अब सालों जेल में सङेंगे. कानून को हाथ में लेने से यही तो होता है.

आखिरी मोड़ पर खड़ी पत्नी: भाग 2

स्टोरी का पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- आखिरी मोड़ पर खड़ी पत्नी: भाग 1

वह अपने यारदोस्तों के साथ शराब पीने में मस्त रहता. अपनी सारी कमाई वह शराबखोरी में उड़ा देता था.

इतना ही नहीं, जब उस के पास पैसे खत्म हो जाते तो वह उधार ले कर दोस्तों के साथ पार्टी करता था, जिस से उस पर लाखों रुपए का कर्ज भी हो गया था. घर में खर्च के लिए भी परेशानी होने लगी थी.

पत्नी जब खर्च के पैसे मांगती तो वह अपने हाथ खड़े कर देता था. राजेश चिड़चिड़ा भी हो गया था. पत्नी से छोटीछोटी बातों पर झगड़े करता और नशे में दीपिका के साथ मारपीट शुरू कर देता. मारपीट के लिए आदमी को एक बहाना चाहिए, इसलिए वह पत्नी को चरित्रहीन बता कर उस की बुरी तरह पिटाई करता था.

दीपिका परेशान थी मारपीट से

दीपिका रोजरोज की मारपिटाई से तंग आ गई थी, इसलिए उस ने पति की हत्या की योजना बनाई. 18 जून, 2019 को उस ने अपनी चचेरी बहन पायल और पड़ोस में रहने वाली 16 वर्षीय सहेली को अपने घर बुला कर उन दोनों को अपनी योजना में शामिल कर लिया.

रात लगभग 11 बजे राजेश शराब के नशे में घर पहुंचा तो वह पायल और उस की सहेली के सामने ही उस से कपड़े उतारने की जिद करने लगा. लेकिन दीपिका ने तो कुछ और ही सोच कर रखा था.

पति की कपड़े उतारने की जिद करने पर दीपिका को गुस्सा आ गया, उस ने एक झटके में उस के गले में अपनी चुन्नी लपेटी और फिर तीनों ने गला घोंट कर उस की हत्या कर दी. राजेश की हत्या करने के बाद उन्होंने शव प्लास्टिक के एक बोरे में भर कर घर के एक कोने में टिका दिया.

इस के बाद दीपिका ने अपनी मां सुकराना को फोन कर घटना की जानकारी दे कर शव को ठिकाने लगाने में मदद के लिए जबलपुर आने को कहा. मां ने भी बेटी की मदद करने की हामी भर दी. वह सुबह 5 बजे मंडला से जबलपुर पहुंच गई.

15 घंटे तक राजेश की लाश घर में ही पड़ी रही. दूसरे दिन लगभग 2 बजे पायल और दीपिका लाश को एक्टिवा पर रख कर रांझी इलाके की झाडि़यों में फेंक आईं. जिस बोरे में वे लाश ले कर गई थीं, उस पर कोई मार्का लगा था.

मार्का के जरिए पुलिस उन के पास तक न पहुंच सके, इसलिए उन्होंने राजेश की लाश बोरे से निकाल कर झाडि़यों में डाल दी. उस बोरे को वह घर ले आईं. इस दौरान एक्टिवा पायल चला रही थी.

शाम को जब राजेश के साथी उस के बारे में पूछताछ करने उस के घर आए तो दीपिका ने बताया कि राजेश सुबह 15 हजार रुपए ले कर बेटे की फीस भरने के लिए स्कूल गए थे. उस के बाद घर नहीं लौटे.
इसी बीच उस ने अपने भाई सोनू सोनकर को फोन कर लाश को ठिकाने लगाने में मदद मांगी जिस की रिकौर्डिंग किसी तरह पुलिस को मिल जाने से पूरा मामला उजागर हो गया.

ये भी पढ़ें- भ्रष्ट पटवारी सब पर भारी

दीपिका, उस की मां सुकराना और नाबालिग सहेली से पूछताछ कर पुलिस ने उन की निशानदेही पर एक्टिवा, गला घोंटने में इस्तेमाल हुई चुन्नी और वह बोरा भी बरामद कर लिया, जिस में लाश भर कर ठिकाने लगाई गई थी.

पूछताछ के बाद सभी आरोपियों को अदालत में पेश कर जेल भेज दिया गया, जबकि नाबालिग सहेली को बालिका सुधारगृह भेजा गया.

एक अलग मोड़

इस के दूसरे दिन ही इस कहानी में नया मोड़ आ गया. संजय कालोनी रांझी में रहने वाले मृतक राजेश बेन के घर वालों ने एसपी अमित सिंह को एक शिकायती पत्र सौंप कर उचित जांच की मांग की. उन्होंने बताया कि यह सच है कि राजेश के ऊपर काफी कर्ज था, लेकिन उस ने यह कर्ज शराब पीने के लिए नहीं, बल्कि पारिवारिक जिम्मेदारियां निभाने के लिए लिया था. वह ब्याज के रूप में लाखों रुपए चुकता कर चुका था. लेकिन कर्ज देने वाले उस पर लगातार पैसे देने का दबाव बनाए जा रहे थे.

उन्होंने आरोप लगाया कि एक साहूकार युवक के साथ दीपिका के अवैध संबंध थे. वह साहूकार राजेश की गैरमौजूदगी में लगभग रोज दीपिका से मिलने उस के घर आता था. एक दिन राजेश ने दीपिका को उस के साथ रंगेहाथ पकड़ भी लिया था.

राजेश के परिजनों का आरोप था कि दीपिका के प्रेमी ने ही अपने प्रेमिका के साथ मिल कर राजेश की हत्या की थी. इन की योजना थी कि राजेश के मरने के बाद उस की पत्नी दीपिका को पुलिस में नौकरी मिल जाएगी.

साथ ही उस की मौत के बाद मिलने वाले पैसे से उस का कर्ज भी चुक जाएगा. एसपी अमित सिंह ने उस के घर वालों द्वारा लगाए गए आरोपों की गंभीरता से जांच करने के आदेश दे दिए.

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

ये भी पढ़ें- आधी अधूरी प्रेम कहानी: भाग 2

आखिरी मोड़ पर खड़ी पत्नी: भाग 1

बात 19 जून, 2019 की है. जबलपुर सिटी की रांझी थानाप्रभारी जे. मसराम को किसी व्यक्ति ने फोन
कर के सूचना दी कि खमरिया के पास झाडि़यों में किसी युवक की लाश पड़ी है. मामला हत्या का था, इसलिए थानाप्रभारी ने इस की सूचना तुरंत एसपी अमित सिंह और एसपी (सिटी) धर्मेश दीक्षित को दे दी. साथ ही खुद पुलिस टीम के साथ सूचना में बताई गई जगह के लिए रवाना हो गईं.

पुलिस जब मौके पर पहुंची तो वहां काफी लोग जमा थे. वहीं पर 30-32 साल के एक युवक का शव पड़ा था. थानाप्रभारी ने शव का निरीक्षण किया तो उस पर चोट का कोई निशान नहीं मिला. लेकिन उस के गले पर काले रंग का निशान जरूर नजर आ रहा था.

उस निशान को देख कर पुलिस को यकीन हो गया कि युवक की हत्या गला घोंट कर की गई होगी. इसी बीच एसपी अमित सिंह व एसपी (सिटी) धर्मेश दीक्षित भी मौके पर पहुंच गए. पुलिस अधिकारियों ने वहां मौजूद लोगों से मृतक के बारे में पूछताछ की, लेकिन उन में से कोई भी लाश की शिनाख्त नहीं कर सका.
आसपास सुराग तलाशने की कोशिश की गई, पर कोई भी ऐसा सुराग नहीं मिला, जिस से शव की शिनाख्त होने में मदद मिल पाती. काफी कोशिशों के बाद भी शव की शिनाख्त नहीं होने पर थानाप्रभारी ने घटनास्थल की काररवाई पूरी कर के शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

लाश की शिनाख्त जरूरी थी, इसलिए एसपी अमित सिंह ने जिले के सभी थानों में वायरलैस से अज्ञात युवक की लाश मिलने का मैसेज प्रसारित करा दिया. इस के अलावा सीमावर्ती जिलों के थानों को भी अज्ञात युवक की लाश मिलने की सूचना दे दी गई.

इसी दौरान मौके पर मौजूद लोगों ने मोबाइल फोन से मृतक के फोटो खींच कर सोशल साइट पर वायरल कर दिए. शाम होतेहोते जब ये फोटो मध्य प्रदेश के राज्य पुलिस बल (एसएएफ) की छठीं बटालियन में तैनात आरक्षक नवीन के पास पहुंचा तो वह चौंक गया. क्योंकि उस फोटो में मृतक की दाईं कलाई पर दुर्गा और बांह पर ओम का टैटू गुदा हुआ था. उस की बाईं बांह पर आरडी और बीपीओ अक्षर का टैटू था.
यह देख कर उसे अपने साथ काम करने वाले आरक्षक राजेश बेन की याद आ गई. क्योंकि ऐसे ही टैटू व निशान राजेश बेन ने अपनी दोनों कलाइयों पर बनवा रखे थे. मृतक का चेहरा और हुलिया भी राजेश से मिल रहा था.

नवीन ने सोचा कि कहीं झाडि़यों में मिली लाश राजेश बेन की ही तो नहीं है. अपनी यह शंका उस ने बटालियन के दूसरे साथियों के सामने जाहिर की तो सब मिल कर शाम को राजेश की खोजखबर लेने रांझी स्थित उस के घर जा पहुंचे.

ये भी पढ़ें- आधी अधूरी प्रेम कहानी: भाग 2

घर पर राजेश के दोनों बच्चों के साथ उस की पत्नी दीपिका मौजूद थी. नवीन और उस के साथियों ने दीपिका से राजेश के बारे में पूछा. दीपिका ने उन्हें बताया कि वह सुबह 9 बजे 15 हजार रुपए ले कर बेटे के स्कूल की फीस जमा करने गए थे, उस के बाद वापस नहीं लौटे.

उस समय राजेश का बेटा मोबाइल से खेल रहा था. इस का मतलब वह मोबाइल भी अपने साथ नहीं ले गया था. राजेश की पत्नी दीपिका ने बताया कि जब दोपहर तक वह नहीं लौटे तो हम ने सोचा कि शायद स्कूल में देर हो जाने के कारण वहां से सीधे ड्यूटी पर चले गए होंगे.

दीपिका की बात सुन कर साथियों का शक गहरा गया कि रांझी में मिली लाश कहीं राजेश बेन की तो नहीं है. क्योंकि उस रोज बटालियन में भी किसी ने राजेश को नहीं देखा था, इसलिए उन्होंने खबर रांझी पुलिस को दे दी. जिस पर थानाप्रभारी मसराम ने दीपिका को साथ ले जा कर अस्पताल में रखा शव दिखाया तो वह उसे देखते ही जोरजोर से रोने लगी.

उस ने बताया कि शव उस के पति राजेश का ही है, जो आरक्षक के पद पर नौकरी करते थे. थानाप्रभारी ने दीपिका को सांत्वना दे कर चुप कराया और उस से उस के पति के बारे में पूछताछ की.

शक की सुई दीपिका पर

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राजेश की मौत का कारण गला घोंटना बताया गया. रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने अज्ञात के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर लिया. मामला पुलिस वाले की हत्या का था, इसलिए एसपी अमित सिंह ने इस केस को गंभीरता से लेते हुए जांच के लिए तुरंत एक टीम गठित कर दी, जिस से हत्यारे को जल्द से जल्द पकड़ा जा सके.

एसपी साहब के आदेश पर पुलिस टीम जांच में जुट गई. 20 जून की रात 11 बजे रांझी थाने में तैनात महिला आरक्षक आरती सोनकर ने एएसपी को एक फोन की रिकौर्डिंग भेजी. वह रिकौर्डिंग ऐसी थी, जिस से पुलिस को केस खोलने में आसानी हो गई और हत्यारे भी पुलिस की गिरफ्त में आ गए.

उस रिकौर्डिंग में मृतक राजेश बेन की पत्नी दीपिका अपने भाई सोनू सोनकर को फोन कर उस से पति का शव ठिकाने लगाने के लिए मदद मांग रही थी.

रिकौर्डिंग सुनने के बाद एसपी अमित सिंह के आदेश पर रात में ही महिला पुलिस की एक टीम दीपिका के घर पहुंच गई. पुलिस ने उस के घर पर ही उस से सख्ती से पूछताछ की तो दीपिका ने स्वीकार कर लिया कि उस ने मजबूरी में पति की हत्या की थी. हत्या में उस की चचेरी बहन पायल, मां सुकरानी और पड़ोस में रहने वाली नाबालिग सहेली शामिल थीं. पुलिस टीम ने रात में ही सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.
थाने ले जा कर आरोपियों से पूछताछ की गई तो आरक्षक राजेश बेन की हत्या की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली

ये भी पढ़ें- सावधान! कहीं आप भी न हो जाए औनलाइन ठगी का

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के मंडला कस्बे की रहने वाली दीपिका की शादी 12 साल पहले रांझी के राजेश बेन से हुई थी. राजेश एसएएफ में आरक्षक के पद पर नौकरी करता था. राजेश के पिता भी मध्य प्रदेश पुलिस में थे. उन की मौत के बाद उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी मिली थी.

शादी से पहले से ही राजेश को शराब पीने की लत थी. यहां तक कि सुहागरात के मौके पर भी वह न केवल शराब पी कर पत्नी के पास पहुंचा था बल्कि एक बोतल साथ में ले कर आया था.

स्टोरी के अगले और आखिरी भाग में पढ़िए क्यों पति से परेशान थी दीपिका?

कहानी सौजन्य- मनोहर कहानियां…

कहानी एक शिवानी की: भाग 2

पहला भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें- कहानी एक शिवानी की: भाग 1

वह अब पूरी तरह कालगर्ल बन चुकी थी, जो पैसों की जरूरत पूरी करने के लिए हर उस शख्स यानी ग्राहक का बिस्तर गर्म करने को तैयार रहती थी, जिस के पास उस के गिरोह के सदस्य ले जाते थे.

देखते ही देखते शिवानी के रंगढंग बदल गए. वह महंगी ड्रेस पहनने लगी. हाथ में 30 हजार रुपए का मोबाइल आ गया और सब से बड़ी बात ड्रग्स के लिए पैसों का जुगाड़ सहूलियत से होने लगा. इस धंधे में पूरी तरह उतरने के बाद उसे पता चला कि कई पुलिस वाले भी इस गिरोह के साथ हैं, जिन में से वह कुछ का बिस्तर गर्म भी कर चुकी थी.

अब शिवानी की जिंदगी में कुछ नहीं रह गया था. वह अपनी जवानी कैश करा रही थी तो सिर्फ नशे की खुराक के लिए, जिस के बगैर उस का दिमाग सनसनाने लगता था, शरीर सुन्न पड़ने लगता था. घबराहट और उलटियां भी होने लगती थीं. अब तो वह कई कई दिन बाहर रहने लगी थी.

फिर एक दिन…

देवानंद अभिनीत और निर्देशित 70 के दशक की चर्चित और हिट फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ की जीनत अमान बन चुकी शिवानी ने अपने रोल से समझौता कर लिया था कि वह सिर्फ नशे और मौजमस्ती के लिए पैदा हुई है, इस से आगे दुनिया में कोई सच नहीं है.

यह और बात है कि फिल्म की तरह उस का कोई भाई उसे गिरोह और नशे की दलदल से वापस निकालने नहीं आया क्योंकि यह हकीकत थी, फिल्म नहीं.

पूरी तरह गिरोह का हिस्सा बन जाने के बाद औरों की तरह शिवानी को भी पता नहीं चल पाया कि आखिरकार इस का कर्ताधर्ता कौन है. वह तो एक ऐसी कठपुतली बन गई थी, जो चिक्की के इशारों पर नाचती थी. उस के लिए सुकून देने वाली इकलौती बात यही थी कि चिक्की अब भी उसे चाहता था और शादी करने को भी तैयार था.

खुद फंसने के बाद उसे यह जरूर समझ आ गया था कि ये लोग कितनी चालाकी से शिकार चुनते हैं, फिर उसे फांसते हैं और उस से पैसा कमाते हैं. नशे की दुनिया के कारोबार के इस गोरखधंधे का उद्गम स्थल कहां है, यह भी उसे नहीं मालूम था और यह सब जानने की जरूरत या इजाजत उसे भी नहीं थी. उस की दुनिया तो एक खुराक में सिमट कर रह गई थी.

ये भी पढ़ें- मछलियों का शिकार बने मगरमच्छ

चिक्की खुद भी नशेड़ी था और एक बार इलाज के लिए उसे ग्वालियर के नशा मुक्ति केंद्र भी भेजा गया था, लेकिन वहां से वह भाग आया था और फिर नशे की दुनिया का हिस्सा बन गया था.

उस के पिता धर्मेंद्र पाठक शिवपुरी की जानीमानी शख्सियत हैं. जूली के बारे में उसे पता चला था कि जूली अपने पति को छोड़ चुकी है और रूबी हालांकि अपने परिवार के साथ रहती है, लेकिन यह रहना ठीक वैसा ही है, जैसा उस का दादी के साथ रहना.

इसी दौरान शिवानी को यह भी पता चला था कि ड्रग्स शिवपुरी की गलीगली में मिलती है और कई जगह तो बाकायदा इन की किट बिकती है, जिन में नशे के इंजेक्शन के साथ सीरींज वगैरह भी होती है. यह और ऐसे कई गिरोह खासतौर से युवाओं को कैसे फांसते हैं, इस की बेहतर मिसाल तो वह खुद ही थी.

पुलिस से की शिकायत

लक्ष्मीबाई की बूढ़ी आंखों से अब कुछ छिपा नहीं रह गया था. वह रूबी, जूली, चिक्की और गिरोह के बारे में काफी कुछ जान चुकी थीं कि इन्होंने ही उन की पोती को फंसा कर उस की जिंदगी नर्क बना दी है.

लिहाजा वह अपनी एक नजदीकी रिश्तेदार को ले कर एक दिन थाने जा पहुंचीं और फरियाद लगाई, जिस की कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्हें समझ आ गया कि इस गिरोह में पुलिस वाले भी शामिल हैं.

इधर ‘दम मारो दम मिट जाए गम…’ गाने की धुन पर झूमती शिवानी बीती 5 जुलाई को घर आई तो दादी को लगा कि वह रुकेगी, लेकिन शिवानी अपना आधार कार्ड और कुछ कपड़े ले कर वापस चली गई. तब उस के साथ जूली और रूबी के अलावा एक पुलिस वाला भी था. वह बेबसी से पोती को जाते देखती रहीं.

5 जुलाई, 2019 को कोई खास बात थी, जो शिवानी खूब सजीसंवरी थी. शाम होने तक वह नशे की 2 खुराक ले चुकी थी. दरअसल इस गिरोह के हाथ एक डील के तहत बड़ी रकम हाथ लगने वाली थी, जिस के लिए शिवानी को कई सफेदपोश लोगों को खुश करना था. शिवानी कहीं बीच में कुछ ऐसावैसा न बोल दे, इसलिए उसे तीसरी खुराक भी दे दी गई थी.

रंगीन रात परवान चढ़ पाती, इस के पहले ही ड्रग्स के ओवरडोज के चलते शिवानी की हालत बिगड़ने लगी तो बाकी लोग घबरा उठे. उन्होंने पहले तो उस के चेहरे पर पानी के छींटे मार कर उसे होश में लाने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हुए तो उन्हें लगा कि शिवानी का बचना अब मुश्किल है.

6 जुलाई, 2019 की सुबह जब शिवपुरी की कृष्णापुरम कालोनी में लोग बाहर आए तो यह देख सन्न रह गए कि नामी कारोबारी जगदीश मंगल के चबूतरे पर एक जवान लड़की पड़ी है. लड़की ने जींस और गुलाबी रंग का टौप पहन रखा था. उस का एक हाथ चबूतरे के नीचे हवा में झूल रहा था और मुंह से झाग निकल रहा था.

साफ समझ आ रहा था कि वह युवती जिंदा नहीं, बल्कि लाश है. जमा भीड़ में से किसी ने 100 नंबर पर पुलिस को खबर कर दी तो सिटी कोतवाली के टीआई बादाम सिंह यादव टीम सहित घटनास्थल पर जा पहुंचे. आग की तरह युवती की संदिग्ध मौत की खबर शहर भर में फैली तो कुछ ही देर में एएसपी गजेंद्र सिंह कंवर भी पहुंच गए.

सामने आई सच्चाई

इसी बीच भीड़ में से ही किसी ने युवती की शिनाख्त भी कर दी कि वह नवाब साहब रोड  पर रहने वाली शिवानी शर्मा है. इस के बाद पुलिस को कोई खास मशक्कत नहीं करनी पड़ी, क्योंकि जिस चबूतरे पर लाश पड़ी थी, उस घर में सीसीटीवी कैमरे लगे थे.

इन कैमरों की रिकौर्डिंग देख पता चला कि पिछली रात कोई डेढ़ बजे एक आटोरिक्शा जगदीश मंगल के घर के सामने रुका था. थोड़ी देर खड़ा रहने के बाद उस में से एकएक कर 4 युवक उतरे और इधरउधर देखने के बाद उन्होंने आटोरिक्शा की पिछली सीट के पायदान से एक युवती को बाहर निकाल कर चबूतरे पर लिटा दिया और वापस चले गए.

ये भी पढ़ें- पहलवान का वार: भाग 1

इधर जैसे ही लक्ष्मीबाई को पोती की मौत की खबर लगी तो उन का रोरो कर बुरा हाल हो गया. हुआ वही, जिस का उन्हें अंदेशा था. रोरो कर उन्होंने पुलिस को बताया कि पिछले कुछ दिनों से शिवानी नशेडि़यों की संगत में पड़ गई थी. वह कुछ ऐसी लड़कियों के चंगुल में फंसी थी, जो ड्रग्स का कारोबार करती थीं. उन्होंने जूली उर्फ अपर्णा भार्गव और रूबी जाटव के नाम भी बताए.

लक्ष्मीबाई ने यह भी बताया कि शिवानी का प्रेम प्रसंग चिक्की पाठक से चल रहा था और दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन चिक्की के घर वाले इस के लिए राजी नहीं थे. इस के बाद भी दोनों ने छिप कर शादी कर ली थी. शिवानी पहली जुलाई को ही घर छोड़ कर चली गई थी और 5 जुलाई को थोड़ी देर के लिए घर आई थी. उन्होंने आरोप लगाया कि शिवानी की हत्या इन्हीं लोगों ने की है.

चूंकि सीसीटीवी से सच बाहर आ चुका था, इसलिए पुलिस ने आईपीसी की धाराओं 302, 201, 120बी और 34 का मामला दर्ज कर आरोपियों की धरपकड़ शुरू कर दी. इसी बीच पुलिस को एक मुखबिर ने खबर दी कि आरोपी शिवपुरी से भागने की फिराक में हैं और फतेहपुर रोड पर पुलिया के पास खड़े हैं.

मुखबिर की सूचना पर तुरंत दबिश दे कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. विकास सोनी, परमार सिंह, रूबी जाटव, गोलू रजक और जूली ने बताया कि शिवानी की मौत नशे के ओवरडोज के चलते हुई थी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी इस की पुष्टि हुई.

इस कांड से शिवपुरी में फैलते नशे और देह व्यापार के कारोबार की जम कर चर्चा हुई. कुछ पुलिस वालों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई, जिन्हें सस्पेंड कर दिया गया. चिक्की फरार हो चुका था, लेकिन 11 जुलाई, 2019 को एक पैट्रोल पंप के पास से उसे गिरफ्तार कर लिया गया.

इस तरह शिवानी की जिंदगी और कहानी दोनों खत्म हुए, लेकिन एक सबक छोड़ गई कि लोग अपने बच्चों को नशे के इन सौदागारों से बचा कर रखें, नहीं तो उन का अंजाम भी शिवानी जैसा हो सकता है.  तमाम हंगामों के बाद भी पुलिस इस गिरोह के सरगनाओं के गिरेहबानों तक नहीं पहुंच पाई तो साफ दिख रहा है कि प्यादे फंसे हैं वजीर और बादशाह तो बेखौफ और बदस्तूर अपने धंधे में लगे हैं और नए शिकार ढूंढ रहे हैं.

ये भी पढ़ें- मौत की छाया: भाग 1

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

कहानी एक शिवानी की: भाग 1

मध्य प्रदेश का शिवपुरी जिला कभी डकैतों की पनाहगाह हुआ करता था, जो ग्वालियर, भिंड और मुरैना जिलों से घिरा हुआ है. लेकिन अब वही शिवपुरी बदनाम है देह व्यापार और ड्रग्स के कारोबार के लिए. उड़ता पंजाब की तर्ज पर शिवपुरी को लोग उड़ता शिवपुरी कहने लगे हैं, क्योंकि यहां के गांवदेहातों तक में जिस्म के बाद जो चीज आसानी से जरूरतमंदों के लिए मिल जाती है, वह है ड्रग.

17 वर्षीय शिवानी शर्मा बेइंतहा खूबसूरत लड़की थी, जिस पर नजर डालने के बाद लोग पलक झपकाना भूल जाते थे. भरेपूरे और गदराए जिस्म की मालकिन इस युवती की जिंदगी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. जब वह बहुत छोटी थी, तब उस के पिता का निधन हो गया था. विधवा हो जाने के बाद उस की युवा मां को समझ आ गया था कि एक नन्ही बच्ची के साथ स्वाभिमान और और सम्मानपूर्वक तरीके से रह पाना किसी भी लिहाज से मुमकिन नहीं है.

फिर एक दिन वह अपने जिगर के टुकड़े को सास की गोदी में डाल कर चली गई. कहां गई, इस का ठीकठाक पता किसी को नहीं, लेकिन कुछ दिन बाद उड़तीउड़ती खबर यह आई कि उस ने दूसरी शादी कर ली है.

ये भी पढ़ें- पैसों की बेजा मांग, स्कूल संचालक की हत्या!

इस तरह शिवानी अपनी दादी लक्ष्मीबाई की गोद में पलीबढ़ी, जिन के पास नाम के मुताबिक लक्ष्मी कहने भर को भी नहीं थी. क्योंकि अपनी और नन्ही पोती की गुजर के लिए उन्हें दूसरों के घरों में काम करना पड़ता था, तब कहीं जा कर दो वक्त की रोटी नसीब होती थी.

अभावों में पलती शिवानी बड़ी होती गई, लेकिन इन 17 सालों में जो कई बातें उसे समझ आई थीं, उन में अहम यह थी कि गरीबी दुनिया का सब से बड़ा अभिशाप है. लक्ष्मीबाई ने अपनी तरफ से उस की परवरिश में कोई कमी नहीं छोड़ी थी. उस ने शिवानी को शिवपुरी के सरस्वती स्कूल में दाखिला दिला दिया था. पढ़ाई में औसत रही शिवानी को यह भी समझ आ गया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, उस की दरिद्रता दूर नहीं होने वाली है.

अपने मांबाप की कहानी उस ने दादी और कुछ रिश्तेदारों के मुंह से सुनी थी, जो कभीकभार दिखावे के लिए आ जाते थे. नहीं तो किसी को न तो उन से मतलब था और न ही फुरसत थी. बड़ी होती शिवानी को कभी किसी ने अपनी बाहों में झुला कर अपनी प्रिंसेस बिटिया या नन्ही परी नहीं कहा था. वह तो बस हैरानी से अपने आसपास की दुनिया देखते हुए बड़ी होती गई थी.

बूढ़ी दादी की आंखों से शिवानी की मनोदशा छिपी नहीं थी, लेकिन इस के बाद भी उन्हें उम्मीद थी कि पोती सुंदर है, एक न एक दिन उस के भी दिन फिरेंगे और कोई अच्छे खातेपीते घर का लड़का उसे ब्याह कर ले जाएगा.

ये भी पढ़ें- हिमानी का याराना: भाग 2

ड्रग्स से कर ली सगाई

ऐसा कुछ हुआ नहीं उलटे लक्ष्मीबाई कुछ महीनों पहले उस वक्त सन्न रह गई, जब उन्हें यह अहसास हुआ कि शिवानी ड्रग्स का नशा करने लगी है. उन्हें अपने सपने टूटते नजर आए. लेकिन इस के आगे क्याक्या होना है, इस का अंदाजा वे नहीं लगा पाईं और अगर लगा भी लिया होगा तो बेबसी के चलते कसमसा कर रह जातीं.

दरअसल, ड्रग्स तो शिवानी कई दिनों से ले रही थी लेकिन लत उसे अभीअभी लगी थी और इस तरह लगी थी कि स्मैक की एक पुडि़या के लिए वह अपना जिस्म तक परोसने के लिए तैयार रहने लगी थी.

हकीकत यह थी कि जवानी की सीढि़यों पर पहला कदम रखते ही शिवानी एक ऐसे गिरोह के चक्कर में फंस गई थी, जो षडयंत्रपूर्वक उन लड़कियों को फंसाता था, जिन पर कोई पारिवारिक नियंत्रण नहीं होता था. शिवानी इस काम के लिए ड्रग माफिया को बहुत सौफ्ट टारगेट लगी थी.

कुछ दिन पहले ही शिवानी के यहां एक युवक का आनाजाना शुरू हुआ था, जिस का नाम चिक्की पाठक था. ब्राह्मण होने के नाते दादी ने चिक्की के आनेजाने को असहज ढंग से नहीं लिया. दादी के पास बैठ कर उन से घंटों बतियाने वाला चिक्की असल में मोहरा था, जिसे शिवानी को फंसाने के लिए भेजा गया था.

उम्मीद के मुताबिक शिवानी जल्द ही चिक्की के प्रेमजाल में फंस गई. फिर वह उस के साथ बाहर घूमनेफिरने जाने लगी. आने वाली जिंदगी को ले कर वह सुनहरे सपने देखने लगी. चिक्की भी उस के सपनों को हवा देता रहा.

धीरेधीरे चिक्की उसे अपनी 2 परिचितों जूली भार्गव और रूबी जाटव के यहां ले जाने लगा. इन दोनों के घर और आजाद जिंदगी देख कर शिवानी भी ऐसी ही जिंदगी के ख्वाब देखने लगी, जिस में उस का अपना घर है, चिक्की है और रोमांस ही रोमांस है.

ये भी पढ़ें- डोसा किंग- तीसरी शादी पर बरबादी: भाग 3

भोलीभाली शिवानी तब इन सब की हकीकत नहीं जानती थी. जब भी वह चिक्की के साथ इन के यहां जाती थी तो जूली और रूबी उन दोनों को एकांत में छोड़ देती थीं. आग और बारूद आमनेसामने होंगे तो वर्जनाएं टूटने में देर नहीं लगती. यही शिवानी के साथ हुआ. धीरेधीरे ही सही, चिक्की ने कब उसे पूरी तरह अपना बना लिया, इस का उसे अहसास ही नहीं हुआ.

कच्चे उम्र की शिवानी ज्यादा दिनों तक खुद को रोके नहीं रख पाई और एक दिन पूरी तरह चिक्की की हो गई. फिर यह सुख रोजरोज नएनए तरीके से उसे मिलने लगा तो वह इसकी आदी हो गई. शिवानी नाम की अनछुई कली देखते ही देखते खिला हुआ फूल बन गई.

सेक्स की लत के बाद चरणबद्ध तरीके से चिक्की, रूबी और जूली ने उसे शराब और सिगरेट पिलानी शुरू कर दी. शिवानी ने महसूस किया कि ये दोनों चीजें न केवल रोमांस और सैक्स का बल्कि जिंदगी का भी असली लुत्फ देती हैं. लिहाजा वह बेहिचक शराब पीने लगी.

घर में कोई उसे रोकनेटोकने वाला नहीं था और जो बूढ़ी दादी थीं, शिवानी के लिए उन के वहां होने न होने से कोई खास फर्क नहीं पड़ता था. वह तो एक ऐसी दुनिया में जा पहुंची थी, जहां प्यार, रोमांस और सैक्स के अलावा कुछ नहीं होता था.

इसी दौरान चिक्की ने उस का परिचय अपने और दोस्तों यानी गिरोह के सदस्यों रजक, विकास, गोलू और परमार से भी करवा दिया था. ये चारों भी उसे रूबी और जूली की तरह भले लगे. फिर एक दिन उसे दुनिया के सब से हसीन नशे स्मैक की खुराक दी गई.

शिवानी को लगा कि यह नशा बड़ा अद्भुत है, जिसे ले कर आदमी अपने सारे रंजोगम और परेशानियां भूल जाता है. एक ऐसा नशा जिस की तलब उतरने के बाद से ही लगने लगती है.

ये भी पढ़ें- एक तीर कई शिकार: भाग 3

धीरेधीरे ग्रुप बना कर ये सभी लोग यह नशा करने लगे, जिस में कोई बंदिश नहीं थी. थी तो सिर्फ एक ऐसी आजादी जो हर युवा का सपना होती है. एक बार इन ड्रग्स की लत शिवानी को लगी तो फिर उस ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा. उस ने बूढ़ी दादी के बारे में भी कुछ नहीं सोचा, जिस ने अपना बुढ़ापा जला कर उसे बड़ा किया था.

आ गई देह व्यापार में

ऐसा नहीं कि अनुभवी लक्ष्मीबाई को कुछ समझ नहीं आ रहा था, लेकिन शिवानी की हालत अब उस उफनती बरसाती नदी की तरह हो गई थी, जिसे बांधे रखने में कम से कम कोई जर्जर बांध तो कतई कामयाब नहीं होता.

जवान बेटे को खो चुकी लक्ष्मीबाई अब जवान होती पोती का हाल देख रही थीं. लेकिन कुछ कर पाने में असमर्थ थीं, क्योंकि बेटे की तरह वह उस की अमानत को नहीं खोना चाहती थीं.

जिस मकसद से शिवानी को चिक्की ने फंसाया था वह पूरा हो चुका था. बिना ड्रग्स के अब वह एक दिन भी नहीं रह पाती थी और तलब लगने पर खुद उस के या दूसरे साथियों की तरफ खिंची चली आती थी.

यह सब इतने जल्दीजल्दी और सुनियोजित तरीके से हुआ था कि शिवानी को कुछ सोचनेसमझने का मौका ही नहीं मिला था और कभी मिला भी होगा तो उसे यह भी समझ आ गया होगा कि अब कुछ नहीं हो सकता.

जो एक बार ड्रग्स के नशे की राह पर चल पड़ता है, वह चाह कर भी वापस नहीं लौट सकता. यही हाल शिवानी का था. फिर एक दिन उसे बताया गया कि जिस मौजमस्ती की लत उसे पड़ चुकी है, वह मुफ्त नहीं मिलती है, इस के लिए दाम भी चुकाना पड़ता है.

ये भी पढ़ें- दगाबाज दोस्त, बेवफा पत्नी: भाग 3

दाम चुकाने के लिए शिवानी के पास फूटा धेला भी नहीं था, लेकिन इन्हीं लोगों ने उसे बताया कि उस के पास जो है, वह करोड़ोंअरबों का है. अगर वह चाहे तो दौलत पैरों में लोटने लगेगी.

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

खून में डूबे कस्में वादे: भाग 1

दोपहर के करीब 3 बजे थे. महाराष्ट्र के शहर अंबानगरी, जिसे लोग अब अमरावती के नाम से जानते हैं, की सड़कों पर काफी भीड़ थी. सड़क किनारे गोपाल प्रभा मंगल कार्यालय है, उस के सामने जानामाना शाह कोचिंग सेंटर है, जिस की क्लास छूटी थी.

सेंटर से बाहर निकलने वाले छात्रछात्राओं की वजह से भीड़ और बढ़ गई थी. सड़क की चहलपहल से अलग साइड में खड़ा एक युवक बड़ी बेसब्री से क्लास से निकलते छात्रछात्राओं को देख रहा था.

ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी का इंतजार कर रहा हो. थोड़ी देर बाद उस का इंतजार खत्म हो गया. सारे छात्र और छात्राओं के निकलने के कुछ देर बाद 2 छात्राएं बाहर निकलीं और आपस में बातें करते हुए बस स्टौप की ओर जाने लगीं. साइड में खड़ा युवक उन के पीछे लग गया.

इस के पहले कि दोनों छात्राएं बस स्टौप तक पहुंच पातीं, युवक ने आगे आ कर उन का रास्ता रोक लिया. उस ने जिन छात्राओं का रास्ता रोका था, वह उन में से एक छात्रा से बात करना चाहता था. उन में एक छात्रा का नाम अर्पिता था और दूसरी का अपर्णा. दोनों लड़कियां फ्रैंड थीं.

अचानक इस तरह सामने आए युवक को देख कर अर्पिता के दिल की धड़कन बढ़ गई. डरीसहमी अर्पिता ने एक बार अपनी फ्रैंड अपर्णा की तरफ देखा. फिर उस ने हिम्मत जुटा कर युवक की तरफ देखते हुए कहा, ‘‘तुषार, तुम यहां?’’

ये भी पढ़ें- खुद का कत्ल, खुद ही कातिल: भाग 1

‘‘गनीमत है, तुम ने मुझे पहचाना तो. मैं तो समझा था कि तुम मुझे भूल गई होगी. मैं यहां क्यों आया हूं, यह बात तुम अच्छी तरह जानती हो.’’ तुषार के होंठों पर कुटिल मुसकान तैर गई.

‘‘बेकार की बातें छोड़ो और हट जाओ हमारे रास्ते से. हमारी बस निकल जाएगी.’’ अर्पिता ने रोष में कहा.

‘‘बसें तो आतीजाती रहेंगी. यह बताओ कि तुम मेरे पास कब आओगी? मेरी इस बात का जवाब दिए बिना तुम यहां से नहीं जाओगी. तुम मुझ से कटीकटी क्यों रहती हो? तुम्हारे घर वाले मुझे तुम से नहीं मिलने देते. आखिर मेरी गलती क्या है, हम दोनों ने एकदूसरे से प्यार किया है, शादी की है.’’ तुषार ने अर्पिता को विनम्रता से समझाने की कोशिश की.

‘‘वह सब हमारी नादानी और बचपना था. अब उन बातों का कोई मतलब नहीं है. मैं सब भूल चुकी हूं, तुम भी भूल जाओ.’’ कह कर अर्पिता उस के बगल से हो कर निकलने लगी. लेकिन तुषार ने उसे निकलने नहीं दिया. वह उस के सामने अड़ कर खड़ा हो गया.

‘‘ऐसे कैसे भूल जाऊं, मैं तुम्हें प्यार करता हूं. तुम्हें अपनी पत्नी मानता हूं. भले ही हमारी शादी घर वालों की मरजी से न हुई हो लेकिन मंदिर में ही सही, हुई तो है. तुम मेरी पत्नी हो और पत्नी ही रहोगी.’’ तुषार ने अर्पिता से कड़े शब्दों में कहा.

‘‘देखो तुषार, तुम मेरी बातों को समझने की कोशिश करो. मैं अपना कैरियर देख रही हूं. तुम अपना कैरियर देखो, उसी में हमारी भलाई है. तुम मुझे अपने दिल से निकाल कर हकीकत की दुनिया में आ जाओ, यही दोनों के लिए अच्छा है.’’

अर्पिता की सहेली अपर्णा ने भी तुषार को समझाने की कोशिश की कि वह उसे भूल जाए. अर्पिता और अपर्णा की बातों से परेशान हो कर तुषार का चेहरा क्रोध से तमतमा उठा.

‘‘तो क्या यह तुम्हारा आखिरी फैसला है?’’ तुषार ने अर्पिता की आंखों में आंखें डाल कर पूछा.

‘‘हां, यही मेरा आखिरी फैसला है. मैं अपने परिवार और समाज के खिलाफ नहीं जा सकती. मेरा परिवार जो कह रहा है, मुझे वही करना होगा.’’ अर्पिता ने कहा.

उस का स्पष्ट जवाब सुन कर तुषार आपा खो बैठा और उस ने कपड़ों के अंदर छिपा कर लाया चाकू बाहर निकाल लिया. उस के हाथों में चाकू देख कर अर्पिता और अपर्णा दोनों बुरी तरह घबरा गईं.

इस के पहले कि वे दोनों कुछ बोल पातीं, तुषार ने अर्पिता के पेट, सीने और गले पर लगभग 18 वार कर दिए. अपर्णा ने जब अपनी फ्रैंड अर्पिता की मदद करने की कोशिश की तो तुषार ने उसे भी बुरी तरह जख्मी कर दिया. तुषार के इस हमले से दोनों जमीन पर गिर पड़ीं और मदद के लिए चीखनेचिल्लाने लगीं.

अर्पिता और अपर्णा की चीखपुकार से आनेजाने वाले लोगों के कदम रुक गए. कुछ मिनटों तक तो किसी की समझ में नहीं आया कि माजरा क्या है. लोग मूक बने खून में डूबी लड़कियों को देखते रहे. जब समझ में आया तो लोग अर्पिता और अपर्णा की मदद के लिए आगे बढ़े. लोगों को अर्पिता और अपर्णा की मदद करते देख तुषार समझ गया कि अब उस का वहां रुकना ठीक नहीं है.

ये भी पढ़ें- खुद का कत्ल, खुद ही कातिल: भाग 2

वह चाकू घटनास्थल पर फेंक कर भागने की कोशिश करने लगा. लेकिन उस के कारनामों से क्रोधित कुछ लोग उस के पीछे पड़ गए. वहां मौजूद कुछ लोगों ने आटो रोक कर अर्पिता और अपर्णा को स्थानीय अस्पताल पहुंचाया, जहां डाक्टरों ने अर्पिता को मृत घोषित कर दिया और घायल अपर्णा के उपचार में जुट गए.

दूसरी तरफ तुषार का पीछा कर रहे लोगों ने उसे ईंटपत्थरों से घायल कर के दबोच लिया. उन्होंने उस की जम कर पिटाई की. गुस्साए लोग उसे छोड़ने को तैयार नहीं थे.

इस घटना की खबर थोड़ी दूरी पर स्थित राजापेठ पुलिस थाने की पुलिस को लगी तो वह तुरंत हरकत में आ गई. थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने सब से पहले लोगों की गिरफ्त में फंसे तुषार को अपनी कस्टडी में लिया. थानाप्रभारी ने इस मामले की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों के साथसाथ पुलिस कंट्रोल रूम को भी दे दी.

थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी ने अपने सहयोगियों के साथ घटनास्थल का निरीक्षण किया. घटनास्थल पर पड़े रक्तरंजित चाकू और रक्त सनी मिट्टी का नमूना ले कर उसे सील कर दिया गया. इस के बाद पुलिस ने वहां मौजूद प्रत्यक्षदर्शियों के बयान लिए. वहां से वह सीधे अस्पताल चले गए.

यह घटना 9 जुलाई, 2019 की थी. कुछ ही मिनटों में दिल दहलाने वाली इस वारदात की खबर पूरे शहर में फैल गई. मामले की जानकारी पा कर अमरावती के सीपी संजय वाबीस्कर, डीसीपी जोन-2 शशिकांत सातव और एसीपी (राजापेठ) बलिराम डाखरे भी पुलिस टीम के साथ अस्पताल पहुंच गए.

अस्पताल पहुंच कर उन्होंने वहां के डाक्टरों से मिल कर बात की और मृत अर्पिता और घायल अपर्णा का सरसरी निगाह से निरीक्षण किया. फिर थानाप्रभारी किशोर सूर्यवंशी को जरूरी निर्देश दे कर लौट गए.

थानाप्रभारी ने अपनी टीम के साथ मृतका अर्पिता की फ्रैंड अपर्णा का विस्तृत बयान लिया. इस के बाद हत्या का केस नामजद दर्ज कर के अर्पिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भेज दिया. पुलिस ने थाने लौट कर इस घटना की जानकारी अर्पिता और अपर्णा के घर वालों को दी. साथ ही केस की जांच की जिम्मेदारी इंसपेक्टर संभाजी पाटिल व दत्ता नखड़े को सौंप दी.

इस घटना की खबर मिलते ही अर्पिता के परिवार वाले रोतेपीटते राजापेठ पुलिस थाने पहुंचे. जांच अधिकारियों ने उन्हें सांत्वना दे कर उन से पूछताछ की. अर्पिता के घर वालों ने बताया कि तुषार उन की बेटी अर्पिता से एकतरफा प्यार करता था और उस पर शादी के लिए दबाव बनाता रहता था. वह सालों से उन की बेटी के पीछे पड़ा था.

ये भी पढ़ें- पैसो का चक्कर, किन्नर की हत्या, किन्नर के हाथ!

उन्होंने बताया कि तुषार अर्पिता को अकसर छेड़ता और परेशान करता था. साथ ही धमकियां भी देता था. उस ने अर्पिता से शादी का एक फरजी वीडियो भी तैयार कर रखा था, जिसे वह सोशल मीडिया पर डालने की धमकी देता था.

दोनों के परिवारों की अपनीअपनी कहानी

उन लोगों ने इस की शिकायत वडनेरा पुलिस थाने में भी की थी. लेकिन पुलिस ने उस पर कोई काररवाई नहीं की. पुलिस ने उस से वह वीडियो डिलीट करवाया और माफीनामा ले कर छोड़ दिया था.

तुषार के परिवार वालों ने भी अर्पिता पर कुछ इसी तरह का आरोप लगाया था. उन के अनुसार अर्पिता ने तुषार से प्यार किया था, उसे सपना दिखाया था. यहां तक कि दोनों ने मंदिर में जा कर शादी भी कर ली थी. तुषार का कोई कसूर नहीं था. अर्पिता ने उसे अपने प्रेमजाल में फंसा कर धोखा दिया था, जिस से हताश हो कर उस ने इस तरह का कदम उठाया.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

अनलिमिटेड कहानियां-आर्टिकल पढ़ने के लिएसब्सक्राइब करें