लेखक- हरमिंदर खोजी

मनप्रीत कौर सालों के बाद मामा के घर आई थी. गुरप्रीत सिंह और उस की पत्नी ने मनप्रीत की खूब खातिरदारी की. मामामामी और मनप्रीत के बीच खूब बातें हुईं. बातोंबातों में मनप्रीत ने गुरप्रीत से पूछा, ‘‘मामाजी, बड़े मामा जागीर सिंह के क्या हालचाल हैं. उन से मुलाकात होती है या नहीं?’’

‘‘नहीं, हम 5 साल पहले मिले थे अनाजमंडी में. जागीर उस समय परेशान भी था और दुखी भी. गले लग कर खूब रोया. उस ने बताया कि भाभी (मंजीत कौर) के किसी कुलवंत सिंह से संबंध हैं और दोनों मिल कर उस की हत्या भी कर सकते हैं.’’

गुरप्रीत ने यह भी बताया कि उस ने जागीर सिंह से कहा था कि वह भाभी का साथ छोड़ कर मेरे साथ मेरे घर में रहे. लेकिन उस ने इनकार कर दिया. वजह वह भी जानता था और मैं भी. उस ने मुझे समझाने के लिए कहा कि वह भाभी को अपने ढंग से संभाल लेगा. बस उस के बाद जागीर सिंह मुझे नहीं मिला.

‘‘वाह मामा वाह, बड़े मामा ने तुम से अपनी हत्या की आशंका जताई और आप ने 5 साल से उन की खबर तक नहीं ली?’’

‘‘खबर कैसे लेता, भाभी ने तो लड़झगड़ कर घर से निकाल दिया था. मैं उस के घर कैसे जाता? जाता तो गालियां सुननी पड़तीं.’’ गुरमीत ने अपनी स्थिति साफ कर दी.

बात चिंता वाली थी. मनप्रीत ने खुद ही बड़े मामा जागीर सिंह का पता लगाने का निश्चय किया. उस ने मामा के पैतृक गांव से ले कर गुरमीत द्वारा बताई गई संभावित जगह रेलवे बस्ती, गुरु हरसहाय नगर तक पता लगाया. उस की इस छानबीन में जागीर सिंह का तो कोई पता नहीं लगा, पर यह जानकारी जरूर मिल गई कि जागीर सिंह की पत्नी मंजीत कौर रेलवे बस्ती में किसी कुलवंत सिंह नाम के व्यक्ति के साथ रह रही है.

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