राजस्थान में जिस तरह से रेप के मामले सामने आ रहे हैं, उस से राज्य की नईनवेली सरकार की कलई खुल गई है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक महीने तक अपने बेटे को चुनाव जिताने में लगे रहे और प्रदेश की इज्जत लुट गई. इस दौरान सरकार तो सो ही रही थी, जिस राजस्थान पुलिस के जिम्मे प्रदेश की सुरक्षा है, वह भी पूरी तरह से नकारा निकली.

चुनाव का सहारा ले कर कोई केस दर्ज नहीं किया गया. थानागाजी में हुए गैंगरेप और वीडियो बना कर वायरल करने जैसी खौफनाक वारदातों को भी गंभीरता से नहीं लिया गया.

आंकड़ों की बात की जाए तो अप्रैलमई महीने में ही राज्य में गैंगरेप के 12 बड़े मामले सामने आए, जिन में अबलाओं के साथ कई दरिंदों ने एकसाथ दरिंदगी की. लेकिन राजस्थान सरकार और उस की पुलिस की नाकामी का आलम यह रहा कि केवल 3 मामलों में ही कार्यवाही हुई.

12 अप्रैल, 2019. बाड़मेर में एक महिला स्वास्थ्य कर्मचारी (एएनएम) के साथ रेप करने का मामला सामने आया, लेकिन चुनाव के चलते इस को दबा दिया गया और मुकदमा ही दर्ज नहीं किया गया.

12 अप्रैल, 2019. गुजरात से अजमेर घूमने आई एक औरत को रात में एक आटोरिकशा वाला रामगंज में अपने घर ले गया और उस के साथ गैंगरेप किया. इस मामले में शामिल 8 दरिंदों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.

18 अप्रैल, 2019. जैसलमेर के नोखा कसबे के पांचू थाना इलाके में 18 साल की एक लड़की को चाकू दिखा कर उठा लिया गया और उस का गैंगरेप कर डाला.

19 अप्रैल, 2019. नागौर की एक गौशाला के मालिक पर रेप का मामला दर्ज हुआ. बताया गया कि रेप के चलते पीडि़ता ने सुसाइड करने की कोशिश की. 26 अप्रैल, 2019. अलवर के थानागाजी में एक विवाहिता का उस के पति के सामने

5 दरिंदों ने गैंगरेप कर उस के 11 वीडियो वायरल किए गए. 6 दिन बाद मामला दर्ज हुआ और 6 मई, 2019 को वहां चुनाव निबटने के बाद राज्य सरकार को होश आया.

29 अप्रैल, 2019. जैसलमेर के ही नोखा कसबे में परिवार वाले वोट देने गए हुए थे कि एक 14 साल की नाबालिग से दरिंदों ने गैंगरेप कर डाला.

29 अप्रैल, 2019. दौसा जिले में महज 7 साल

की एक बच्ची को टौफी देने के नाम पर ले जा कर रेप

किया गया.

1 मई, 2019. चित्तौड़गढ़ में एक 5 साल की मासूम बच्ची को झाडि़यों में ले जा कर उस का रेप कर डाला.

1 मई, 2019. जोधपुर में बोरानाडा इलाके में

16 साल की एक किशोरी का सुनसान इलाके में रेप कर दिया.

2 मई, 2019. जोधपुर के बोरानाडा इलाके में एक विवाहिता से रेप किया गया. उस की बेटी से छेड़छाड़ की गई और बेटे का धर्म बदलने की कोशिश की गई.

7 मई, 2019. सीकर में रात को छत पर सो रही एक नवविवाहिता से उसी मकान में रंगरोगन करने वालों ने गैंगरेप कर डाला.

7 मई, 2019. जोधपुर में करवड़ इलाके में एक नाबालिग को घर से भगा कर ले गए और उस का देह शोषण किया गया.

7 मई, 2019. जयपुर के बगरू थाना क्षेत्र में छीतरोली में 14 साल की नाबालिग से रेप किया गया और उस का वीडियो बना कर ब्लैकमेल किया गया.

7 मई, 2019. जयपुर की एक लड़की, जो पुष्कर घूमने गई थी, के साथ गाइड ने ही होटल में ले जा कर रेप किया.

7 मई, 2019. नागौर जिले के मकराना क्षेत्र में कूकड़ोद में औरत के घर पहुंच कर 2 नौजवानों ने गैंगरेप किया. वीडियो भी बनाया गया. वायरल करने के बाद इस का खुलासा हुआ.

9 मई, 2019. जैसलमेर की नोखा तहसील में शौच करने के बाद लौट रही एक विवाहिता को कुछ दरिंदे उठा ले गए और उस के साथ सामूहिक बलात्कार कर डाला. उस के साथ कई शहरों में 4 दिनों तक गैंगरेप करने के बाद उस के पिता के घर पर पटक दिया गया.

10 मई, 2019. श्रीगंगानगर में स्कूल की गाड़ी चलाने वाले ने ही 6 साल की मासूम के साथ रेप करने की कोशिश की. बच्ची ने स्कूल जाने से मना किया, तब मामला सामने आया.

10 मई, 2019. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में रातानाड़ा में एक औरत के साथ एक आदमी ने रेप कर डाला. पुलिस ने मामला दर्ज ही नहीं किया.

इतना ही नहीं, इसी दौरान प्रदेश में ऐसे 40 मामले सामने आए, जिन में औरतों की इज्जत तारतार हो गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब अपने बेटे के लिए प्रचार कर ‘वैभव’ बचाने में लगे थे, तब थानागाजी में एक औरत की जिंदगी का ‘वैभव’ ही सरेराह लुट रहा था.

गंभीर बात यह है कि प्रदेश में पहले चरण की वोटिंग 29 अप्रैल को होने वाली थी, इसलिए पुलिस ने गैंगरेप की घटना में एफआईआर भी दर्ज नहीं की.

नेता हनुमान बेनीवाल और पूर्व आईपीएस पंकज चौधरी का दावा है कि गैंगरेप के जो मामले एसपी तक पहुंचते हैं, वे डीजीपी के भी ध्यान में होते हैं. इन दोनों ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफा देने की मांग की.

सब से बड़ी बात यह है कि रेप, गैंगरेप और अपहरण की सब से ज्यादा वारदातें प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अशोक गहलोत के गृह राज्य में हुई हैं. महज एक पखवारे में बलात्कार की 40 घटनाएं.

जिस तरह ऐसी चौतरफा घटनाएं हुई हैं, उस के हिसाब से लग रहा है कि प्रदेश पर वहशी दरिंदों का कब्जा हो गया है. सरकार बस नाम की है.

एक पखवारे में प्रदेश की 40 बेटियों की इज्जत लूटी गई तो क्या इस बारे में राजस्थान के मुख्यमंत्री की कोई नैतिकता नहीं बनती है? गृह मंत्रालय उन के पास है और नीचे से ऊपर तक पूरा तंत्र है जो हर घटना की रिपोर्टिंग करता है. साथ ही, सरकारी खुफिया तंत्र है जो गृह मंत्री व मुख्यमंत्री तक सूचनाएं पहुंचाता है. मामला गंभीर है और नीचे से ऊपर तक पूरी सरकार सवालों के घेरे में है.

दरअसल, अनुभव व ऊंची पढ़ाई के नाम पर इस देश के नौजवानों के साथ बहुत बड़ा खेल खेला गया है. सामाजिक तानेबाने के जानकार, जमीनी हकीकत की पहचान रखने वाले व रोजरोज

की समस्याओं से जूझ कर तपे हुए व व्यवस्था में बदलाव लाने का जोश रखने वाले नौजवानों को कभी सत्ता में नहीं आने दिया गया, इसलिए हजारों सालों से चली आ रही गुलामी की सोच में कोई बड़ा बदलाव नहीं आ सका है.

हमारे धर्मग्रंथ भी बलात्कारों से भरे पड़े हैं, मगर वे बहुतों के आदर्श भी हैं, क्योंकि उन को श्राप, नियोग वगैरह अलग नाम दिए गए थे और संविधान में हम ने बलात्कार लिख कर बहुत बड़ी क्रांति कर दी. ऐसा हमें सत्ता पर कब्जा कर के बैठे एलीट क्लास वालों ने बताया है इसलिए हम भी इस भ्रांति को क्रांति समझ बैठे हैं और जब भी ऐसी घटनाएं घटती हैं तो हम इन के सामने गिड़गिड़ाते नजर आते हैं और हमारे बीच से ही कुछ लोग इंसाफ दिलवाने की दुकान खोल कर इसी ग्रुप में जा कर शामिल हो जाते हैं.

हर जज, सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल समेत तमाम बड़े पदों पर बैठे लोगों के चरित्र की अगर ईमानदारी के साथ जांच की जाए तो जिस तरह आजकल बाबा जेलों में जा रहे हैं, उसी तरह से ऐसे 90 फीसदी लोग यौन शोषण करने या संरक्षण देने की एवज में जेलों की तरफ जाते नजर आएंगे.

भांग लोटे में नहीं, बल्कि पूरे कुएं में घुली हुई है और चंद ईमानदार लोगों को देख कर जनता खुश हो रही है कि इस देश में बराबरी का समाज बनाने की जंग लड़ी जा रही है.

देश के चीफ जस्टिस पर यौन शोषण के आरोप लगे और उसी पीठ ने महिला को बिना निष्पक्ष जांच के झूठा करार दे दिया और आप उम्मीद कर रहे हैं कि इन घटनाओं में इंसाफ मिलेगा.

भारत का पूरा इतिहास खंगाल कर देख लीजिए, राजशाही, धर्मशाही, लोकशाही वगैरह में कुछ हट कर नजर नहीं आएगा. पहले मंदिरों में देवदासियों के नाम पर शोषण होता था और अब जिस तरह इन धर्मगुरुओं की करतूतें सामने आ रही हैं, उस के हिसाब से तो अब गुफाओं में आशीर्वाद के नाम से शोषण हो रहा है.

एक आसाराम के खिलाफ बोलने या गवाही देने वाले कितने लोगों की हत्या कर दी गई, आप जानते ही होंगे. हर डाल पर आसाराम बैठा है, हर गांव में अपराध का टापू बना हुआ है. एक टापू या एक अपराध को ले कर इतने क्रांतिकारी मत बनिए कि सारी ताकत एक पर ही खत्म हो जाए. हमें बीचबीच में ऐसी इंसाफ वाली क्रांतियां करते रहना है, इसलिए पुलिस कौंस्टेबल व एसआई को कोस कर आगे बढि़ए.

अपने जुल्मी व गुलाम इतिहास को हम गौरवशाली बताते हैं. अपने कलंकित वर्तमान पर हमें शर्म आती नहीं है. हम पुरानी व्यवस्था को रौंद कर नई व्यवस्था खड़ी करने का माद्दा नहीं रखते हैं. हम रोज जलालत भरी जिंदगी जी रहे हैं. इनसान कीड़ेमकोड़ों की तरह मर रहे हैं.

3 साल की, 5 साल की, 8 साल तक की बच्चियों के साथ दरिंदगी होती है, मगर हमारा खून नहीं खौलता है. हम आजादी के 72 साल तक व्यवस्था के बदलाव को रोक कर बैठे सत्ताधारियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे हैं.

पूरे सिस्टम को ही जंग लगा हुआ है. चेहरे बदलने से कुछ नहीं होने वाला. जवाबदेही व पारदर्शिता के नारे के साथ सुशासन का पिटारा ले कर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुरसी पर बैठे हैं. आप खुद देख लीजिए इन की जवाबदेही व पारदर्शिता.

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