10 जनवरी, 2018 को बकरवाल समुदाय से ताल्लुक रखने वाली 8 साला बच्ची का अपहरण किया गया. इस के बाद 17 जनवरी को उस की लाश कटीफटी बरामद हुई थी. कठुआ में इस बच्ची को ड्रग्स दे कर दरिंदगी की जाती रही. बच्ची को ड्रग्स के नशे में इसलिए रखा गया, ताकि वह दर्द के मारे चिल्ला भी न सके.

यह खुलासा जम्मूकश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच की उस 15 पन्नों की चार्जशीट में हुआ है जो पठानकोट की अदालत में पेश की गई.  इस बच्ची को मन्नार कैंडी यानी गांजा और एपिट्रिल 0.5 एमजी जैसी दवाएं दी गईं. ड्रग्स की बहुत ज्यादा मात्रा के चलते वह रेप और हत्या का विरोध नहीं कर पाई.

बच्ची को आरोपियों ने 11 जनवरी, 2017 को जबरदस्ती 0.5 एमजी की क्लोनाजेपाम की 5 गोलियां दीं जो सुरक्षित डोज से ज्यादा थीं. बाद में भी उसे और गोलियां दी गईं.

अपने फैसले में जज ने बस इतना ही कहा कि इस केस में तथ्य बहुत हैं लेकिन सच एक ही है- एक आपराधिक साजिश के तहत एक बेकुसूर 8 साला मासूम का अपहरण किया गया, उसे नशीली दवाएं दी गईं, रेप किया गया और आखिर में उसे मार दिया गया.

इस तरह 8 साला मासूम को 17 महीने यानी 380 दिन बाद पठानकोट जिला एवं सत्र न्यायालय से इंसाफ मिल गया. मुख्य आरोपी सांझी राम एक स्थानीय मंदिर का पुजारी था, जहां बच्ची को कैद कर के रखा गया था. सांझी राम और उस के दोस्त परवेश कुमार व स्पेशल पुलिस अधिकारी दीपक खजुरिया को रणबीर पैनल कोड यानी आरपीसी की धारा 302 (हत्या), 376 (रेप) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत कुसूरवार पाया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई. साथ ही, अपराध के पहलुओं से संबंधित कई दूसरी सजाएं भी दी गईं जो आजीवन कारावास के साथ ही चलती रहेंगी. तीनों पर एकएक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया, वहीं 3 पुलिस वालों सबइंस्पैक्टर आनंद दत्ता, स्पैशल पुलिस अधिकारी सुरेंदर वर्मा और हेड कांस्टेबल तिलक राज को आरपीसी की धारा 201 (सुबूतों को मिटाना) के तहत कुसूरवार पाया गया. इन्हें 5 साल की सजा दी गई और 50,000 रुपए जुर्माना लगाया गया.

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