Manohar Kahaniya: बबिता का खूनी रोहन- भाग 2

इस दौरान इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक की टीम ने भीमराज की पत्नी बबीता से जब पूछताछ शुरू की तो पता चला की भीमराज ने चिराग दिल्ली गांव में अपना मकान बना रखा था, जहां वह अपनी पत्नी बबीता व 3 बच्चों के साथ रहता था.

भीमराज और बबीता के 3 बच्चों में 2 बेटी और एक बेटा था. बड़ी बेटी की उम्र करीब 19 साल थी, जबकि छोटी बेटी 15 साल की थी. उन के बीच 17 साल का एक बेटा था.

बबीता आई शक के दायरे में

42 साल की बबीता आकर्षक व तीखे नाकनक्श वाली महिला थी. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक को पूछताछ की शुरुआत में ही लगा कि बबीता को अपने पति के साथ हुई इस गंभीर वारदात का मानो कोई रंज नहीं है.

इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक के हर सवाल का बबीता इतने सहज भाव से जवाब दे रही थी, मानो कुछ हुआ ही नहीं था.

पुलिस की नौकरी करते करते हुए अनुभव में जितेंद्र मलिक ने इस तरह के कई हादसे देखे थे, जिस में मृत्यु की शैय्या पर पड़े पति के गम और आशंका में पत्नी का रोरो कर बुरा हाल हो जाता है और उसे कोई सुधबुध नहीं रहती. लेकिन बबीता न सिर्फ इंसपेक्टर मलिक के हर सवाल का सहजता से जवाब दे रही थी अपितु जब उन्होंने उस के लिए चाय मंगाई तो वह पूरी सहजता के साथ चाय भी पी गई.

किसी पीडि़त की पत्नी का ऐसा व्यवहार इंसपेक्टर मलिक को थोड़ा अटपटा लगा. हालांकि बबीता ने पूछताछ में यह बात साफ कर दी थी कि उस के पति की किसी से उस की दुश्मनी या रंजिश के बारे में उसे कोई जानकारी नहीं है.

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बबीता ने यह भी बताया कि उस के पति भीमराज की संगत ठीक नहीं थी. वह खानेपीने का शौकीन था और अकसर शराब पी कर घर आता था. उस ने बताया कि पति की कमाई से घर ठीक से नहीं चल पाता था, इसलिए वह खुद भी घरगृहस्थी चलाने में पति का हाथ बंटाती थी. बबीता ने साउथ एक्सटेंशन में किराए की दुकान ले कर उस में अपना ब्यूटीपार्लर खोल रखा था, जो ठीकठाक चलता था और उस से अच्छीखासी कमाई भी हो जाती थी.

एक तो बबीता का अटपटा व्यवहार और दूसरा उस का ब्यूटीपार्लर के पेशे से जुड़ा होना दोनों ऐसी बातें थीं, जिस के कारण इंसपेक्टर मलिक के लिए बबीता जिज्ञासा और जांचपड़ताल का केंद्रबिंदु बन गई. उन्होंने बातों ही बातों में भीमराज के अलावा बबीता और उस के तीनों बच्चों के मोबाइल नंबर नोट कर लिए.

सीसीटीवी फुटेज से मिला सुराग

बबीता से पूछताछ के बाद इंसपेक्टर मलिक ने तत्काल एसआई प्रमोद को  भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाने के लिए भेज दिया. इधर कई घंटे की मशक्कत और जांचपड़ताल के बाद पुलिस की अलगअलग टीमों ने 5 किलोमीटर के दायरे में जो सीसीटीवी फुटेज खंगाले थे, उन में से एक फुटेज में हुडको कालोनी के पास वही बाइक सवार पुलिस को एक बार उसी बाइक पर सवार नजर आया.

लेकिन यह फुटेज वारदात से करीब एक घंटा पहले की थी. उस वक्त बाइक सवार ने हेलमेट को हाथ में पकड़ा हुआ था और वह बाइक पर बैठा हुआ शायद किसी का इंतजार कर रहा था. इतना ही नहीं इस फुटेज में बाइक की नंबर प्लेट भी मुड़ी हुई नहीं थी, जिस से बाइक के नंबर भी स्पष्ट नजर आ रहे थे.

भीमराज के हमलावर तक पहुंचने के लिए पुलिस के हाथ यह बड़ी सफलता लगी थी. बाइक के उस नंबर को उसी शाम पुलिस ने ट्रेस कर के यह पता लगा लिया कि यह बाइक किस की है. भीमराज का हमलावर जिस बाइक पर सवार था वह महिंद्रा सेंटुरो बाइक थी. घटनास्थल से ले कर हुडको प्लेस में कालोनी के बाहर सीसीटीवी में दिख रही दोनों बाइक व उन पर वही लिबास पहने व्यक्ति एक ही था.

पुलिस ने परिवहन विभाग के पोर्टल से जब उस बाइक का इतिहास खंगाला तो पता चला कि कबीरनगर में रहने वाले प्रवीण के नाम पर यह बाइक पंजीकृत थी. पुलिस की एक टीम उसी रात प्रवीण के घर पहुंच गई और उसे हिरासत में ले लिया. फिर उस से पूछताछ शुरू हो गई.

प्रवीण को जब पता चला कि उस पर एक व्यक्ति पर गोली चलाने का आरोप है और जिस के गोली लगी है, वह जिंदगी और मौत से जूझ रहा है तो उस के होश उड़ गए.

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जांच में आए नए तथ्य

उस ने बताया कि यह बाइक उस के नाम पंजीकृत जरूर है, लेकिन एक साल पहले उस ने यह बाइक लखन नाम के व्यक्ति को बेच दी थी, जिस ने शायद लौकडाउन के कारण इसे अपने नाम पर अभी ट्रांसफर नहीं कराया है.

पुलिस ने उस की बात पर विश्वास करने से पहले प्रवीण की वारदात वाले दिन की गतिविधियों का पता लगाया और उस के मोबाइल की लोकेशन चैक की तो पता कि वारदात के वक्त वह अपने घर में मौजूद था. लिहाजा पुलिस ने उस से लखन नाम के उस व्यक्ति का फोन नंबर व पता हासिल किया, जिसे उस ने अपनी बाइक बेची थी.

लखन गोविंदपुरी, दिल्ली का रहने वाला था. पुलिस ने उसे भी रात में ही दबोच लिया और थाने ले आई. जब लखन को पता चला कि जो बाइक उस ने प्रवीण से खरीदी थी, उस का इस्तेमाल किसी पर जानलेवा हमला करने में हुआ है तो लखन ने भी माथा पीट लिया.

जितेंद्र मलिक समझ गए कि कोई खास बात है, जो लखन ने ऐसी प्रतिक्रिया दी है. लिहाजा उन्होंने थोड़ा सख्ती के साथ लखन से पूछा, ‘‘लगता है तुम्हें पता है कि भीमराज को गोली किस ने मारी है.’’

‘‘नहीं सर, मुझे कुछ नहीं पता. मैं तो यह भी नहीं जानता कि आप किस भीमराज की बात कर रहे हो… सर मैं तो अपने भतीजे की बात कर रहा हूं, जिस को मैं ने पिछले कुछ महीनों से ये गाड़ी चलाने के लिए दी हुई थी. अब पता नहीं उस ने किस को ये गाड़ी दी थी कि जिस ने यह कांड किया है.’’

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पीपल बहुत महत्वपूर्ण पेड़ है लेकिन रात में ऑक्सीजन नहीं देता

– आपने कभी न कभी किसी न किसी को पीपल का गुणगान करते हुए यह जरूर सुना होगा कि पीपल दुनिया का एकमात्र ऐसा पेड़ है जो रात में भी ऑक्सीजन देता है. हिंदुओं के पूर्वज इसके महत्व को सदियों पहले से जानते थे. इसीलिए हिंदुओं में पीपल की पूजा होती है.

– आपने यह भी कभी न कभी सुना होगा कि पीपल के नीचे भूत प्रेत का साया होता है इसलिए इसके नीचे रात नहीं बितानी चाहिए.

वास्तव में इन कर्मकांडियों की वजह से कई ऐसे लोग भी जो पीपल के विशिष्ट गुणों के कारण उसे बहुत महत्वपूर्ण पेड़ मानते हैं, कई बार इसका विरोध करते पाये जाते हैं; क्योंकि कर्मकांडियों ने पीपल जैसे महत्वपूर्ण पेड़ के साथ अंधविश्वास जोड़ दिया है ताकि धार्मिक श्रेष्ठता साबित की जा सके. इसमें कोई दो राय नहीं कि पीपल वनस्पतिशास्त्रियों की नजर में धरती का एक बेहद खास वृक्ष है. लेकिन इस भ्रम को पहले ही दूर कर लें कि पीपल का पेड़ चैबीसों घंटे ऑक्सीजन देता है. जी नहीं, किसी भी दूसरे वृक्ष की तरह पीपल भी रात में ऑक्सीजन उत्पन्न नहीं करता है. सारे पेड़ सूर्य के प्रकाश की मौजूदगी में ही क्लोरोफिल के जरिये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते हैं, पीपल भी यही करता है. पीपल ऑक्सीजन को लेकर इस मायने में खास है; क्योंकि यह अपने विशाल आकार और पत्तियों की विशिष्ट संरचना के कारण अपनी ही कदकाठी के दूसरे पेड़ों के मुकाबले डेढ़ से दोगुना ज्यादा ऑक्सीजन बनाता है.

एक बात यह भी जान लीजिए कि पीपल सिर्फ पुण्य भूमि भारत में ही नहीं पाया जाता. यह नेपाल, भूटान, श्रीलंका, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया और कुछ लैटिन अमरीकी देशों में भी पाया जाता है. पीपल बरगद या गूलर की जाति का ही एक विशाल वृ़क्ष है, जिसे भारत में देववृक्ष भी कहा जाता है. प्रदूषण की रोकथाम करने और ग्लोबलवार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों का कहना है कि जहां जहां पीपल को सहजता से उगाया जा सकता है, वहां इसे ज्यादा से ज्यादा उगाया जाना चाहिए ताकि धरती पर एक विशेष किस्म के ‘वनस्पति एल्बिडो’ की सृष्टि की जा सके. माना जा रहा है कि इससे कार्बन डाईआक्साइड का अधिकाधिक मात्रा मे अवशोषण संभव हो सकेगा.

पीपल का वानस्पतिक नाम फाइकस रिलीजिओसा है. पीपल वृक्ष काफी विशाल और लंबी आयु वाला होता है. बोधगया में स्थित बोध-वृक्ष, जिसके नीचे तपस्या कर गौतम बुद्ध को संबोधिनी प्राप्ति हुई थी, उसकी उम्र करीब ढाई हजार साल मानी जाती है. हालांकि अब मूल वृक्ष सूख चुका है और उसकी शाखा से विकसित किया गया पीपल का दूसरा पेड़ लहलहा रहा है. मगर वनस्पतिशास्त्रियों के मुताबिक पीपल को धरती में अनुकूल परिस्थितियां मिलें तो पीपल सहजता से सैकड़ों साल तक खड़ा रहता है. क्योंकि इसकी जड़ें जमीन के नीचे बहुत गहराई तक पहुंचती हैं, जिस कारण ये भूमिजल को भी खींच लाती हैं. पर्यावरण की दृष्टि से तो पीपल के पेड़ का महत्व है ही, यह वृक्ष औषधीय गुणों से भी भरपूर है. इस वृक्ष की छाल, इसके फल, इसका दूध आदि सभी विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों में इस्तेमाल होते हंै.

पीपल के तने चिकने और मटमैले होते हैं. पतझड़ आने पर दूसरे वृक्षों की तरह पीपल भी अपनी पत्तियां गिरा देता है. इसकी पत्तियों के सिरे नुकीले होते हैं. पीपल के बीज कोमल और छोटे-छोटे होते हैं. ये बेहद संवेदनशील और अतीव उर्वर होते हैं. इनकी उर्वरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 90 प्रतिशत पीपल के पेड़ बिना उगाये अपने आप उगते हैं. चूंकि पीपल का बीज बेहद मीठा और मुलायम होता है इसलिए यह पक्षियों को बहुत पंसद है. पक्षी इसे खूब खाते हैं और इधर उधर उड़ते हुए जहां भी ‘बीट’ करते हैं, वहां उनकी बीट से नये  पीपल के पेड़ उग आते हैं. घरों की छतों में, मुंडेरों में, खंडहरों में, पीपल के पेड़ उगे दिखते हैं तो पक्षियों की बीट के कारण ही.

जंगलों में भी पीपल के अधिकांश वृक्ष इन पक्षियों के चलते ही उगते हैं. अप्रैल के महीने में पीपल के पेड़ में फूल आते हैं, फल जून तक पकता हैं जिन्हें चिड़िया बड़े शौक से खाती हैं. खासकर हरियल चिड़िया तो इसके फलों की दीवानी ही है, मई-जून के महीनों में वह इसी पेड़ पर ही बसेरा डालकर पड़ी रहती है.

भोजपुरी स्टार पवन सिंह के इस गाने ने मचाया तहलका, घंटेभर में मिले 5 लाख के करीब व्यूज

पावर स्टार पवन सिंह ने एक बार फिर अपने नए गाने से भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया है. पवन सिंह का नया गाना ‘पुदीना ऐ हसीना’ आज रिलीज हुआ है, जो रिलीज के साथ ही खूब वायरल भी हो रहा है. गाने को रिलीज हुए महज कुछ ही घंटे हुए, लेकिन इस बीच पवन के इस गाने को तकरीबन 5 लाख व्यूज मिल चुके हैं. यह गाना मशहूर म्यूजिक कंपनी वेब के ऑफिसियल यूट्यूब चैनल से रिलीज हुआ है.

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‘पुदीना ऐ हसीना’ एक शानदार गाना है, जिसका थीम बेहद रोमांटिक है. लॉक डाउन की वजह से एक प्रेमी यानी पवन सिंह की प्रेमिका घर में कैद हो जाती है. ऐसे में पवन उससे मिलने को बेताब रहते हैं. फिर पवन के दोस्त ने उसे अपनी प्रेमिका से मिलने की तरकीब बताया और दोनों ठेले पर पुदीना लेकर चल निकली. फिर जो हुआ वो देख कर आप भी दंग रह जायंगे. गाने में पवन ने इसी स्टोरी के जरिये एक प्रेमी की बेताबी का रखा है, जो लोगों को बेहद पसंद आ रहा है.

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पवन सिंह के इस बेहतरीन गाना पुदीना ऐ हसीना में अनुपमा यादव ने भी अपनी आवाज दी है. लिरिक्स कुमार पांडेय और अर्जुन अकेला का है. म्यूजिक डायरेक्टर प्रियांशु सिंह हैं. वीडियो एडीटर रवि पंडित,पी आर ओ रंजन सिन्हा (Ranjan Sinha) हैं. आपको बता दें कि पवन सिंह का गाना हमेशा से भोजपुरी के ऑडियंस के लिए प्राथमिकता रही है, इसलिए जब भी उनका कोई गाना रिलीज होता है तो वो तुरंत वायरल हो जाता है. वैसे भी पवन के चाहने वाले पूरे देश में हैं. बॉलीवुड की भी नज़र पवन सिंह के काम पर रहता है, तभी वे भोजपुरी के साथ बॉलीवुड में भी पसंद किए जाने लगे हैं.

अक्षरा सिंह की ‘किट कैट जवानी’ ने चुराया फैंस का दिल, देखें Viral Video

भोजपुरी इंडस्ट्री की हरफनमौला अदाकारा व सिंगर अक्षरा सिंह एक बार फिर से चर्चे में आ गयी हैं. वजह है उनका नया गाना ‘किट कैट जवानी’, जिसने भोजपुरी म्यूजिक इंडस्ट्री में आग लगा दी है. गाने का टाइटल बेहद सेंसेशनल है और गाना भी उतना ही मजेदार है.

इस गाने में प्यार की मिठास चॉकलेट फ्लेवर में अक्षरा लेकर आयीं हैं, जो लोगों को पसन्द आना लाजमी था. अक्षरा का यह गाना नव भोजपुरी के यूट्यूब चैनल से रिलीज हुआ है.

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अक्षरा गाना ‘किट कैट जवानी’ को लेकर बेहद खुश हैं और जिस तरह से इस गाने को लोगों का प्यार मिल रहा है, वो कहती हैं कि यह गाना मनोरंजक और रोमांस वाला है. प्यार भले समझ से परे हो, लेकिन लोग करते हैं. किसी को चॉकलेट की मिठास इसमें मिलती है, तो किसी को कड़वाहट भी. लेकिन इस बार मेरा गाना प्यार वाले मिठास की है. आप जरूर देखिए और सुनिए. बेहद मजा आएगा. मैंने इस गाने को करते वक़्त खूब एन्जॉय भी किया है. आपको भी मजा आएगा.

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मालूम हो कि गाना ‘किट कैट जवानी’ को अक्षरा ने अपने सुमधुर आवाज में गाया है और इसके म्यूजिक वीडियो में भी उनका कमाल का परफॉर्मेंस है. इस गाने में लिरिक्स जाहिद अख्तर और म्यूजिक विनय विनायक का है. पीआरओ रंजन सिन्हा (Ranjan Sinha) और प्रोड्यूसर राकेश गुप्ता है. यह गाना फिलहाल वायरल हो चुका है और लोग इसे खूब पसंद भी कर रहे हैं.

‘कुमकुम भाग्य’ के रीबूट में सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल बनेंगे अभि-प्रज्ञा

बिग बॉस 13 फेम सिद्धार्थ शुक्ला (Sidharth Shukla) और शहनाज गिल (Shehnaaz Gill) की जोड़ी को फैंस काफी पसंद करते हैं. बिग बौस में सिडनाज का रोमांस फैंस आज भी नहीं भूले हैं. दोनों स्टार्स की सोशल मीडिया पर जबरदस्त फैन फॉलोइंग है.

अब खबर यह आ रही है कि सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल जल्द ही सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’ (Kumkum Bhagya) के अभि और प्रज्ञा बनने वाले है. जी हां, सही सुना आपने, बताया जा रहा है कि सीरियल ‘कुमकुम भाग्य’ के कास्टिंग डायरेक्टर शदमन खान ने कहा है कि शो के रीबूट में वो सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल को कास्ट करना चाहते हैं.

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एक इंटरव्यू में शदमन खान ने कहा है कि  अगर इस सीरियल का रीबूट शो बनता है तो मैं सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल को कास्ट करना चाहूंगा. सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल की पर्सनैलिटी अभि और प्रज्ञा के किरदार से काफी मिलती जुलती हैं.

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आपको बता दें कि शदमन खान अब तक ‘कहां हम कहां तुम’, ‘हॉफ मैरिज’, ‘लाल इश्क’ और ‘ये हैं चाहतें’ जैसे शो की कास्टिंग कर चुके हैं.

 

वर्कफ्रंट की बात करे तो सिद्धार्थ शुक्ला और शहनाज गिल ‘बिग बॉस 13’ के बाद 2 म्यूजिक वीडियोज में काम किया है. इन दोनों म्यूजिक वीडियोज को फैंस ने बहुत पसंद किया है.

काला बाजारियों के चंगुल में फंसे Popatlal, क्या फेल हो गया मिशन काला कौआ?

टीवी का मशहूर कमेडी शो तारक मेहता का उल्टा चश्मा(Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) को दर्शक खूब पसंद करते हैं. इस शो का हर किरदार  में घर-घर में अपनी पहचान बनाई हैं. शो में इन दिनों दिखाया जा रहा है कि पोपटलाल(Popatlal) काला बाजारियों के चंगुल में फंस गए हैं. तो आइए जानते हैं शो में पोपटलाल के साथ क्या होने वाला है.

 

Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah में दिखाया जा रहा है कि  पोपटलाल की सच्चाई काला बाजारियों को पता चली तो उन्हें और उनकी साथी भारती को किडनैप कर लिया है. एक तरफ रिसोर्ट में पोपटलाल को जिस रिसेप्शनिस्ट संजना पर सबसे ज्यादा भरोसा था वही काला बाजारियों से मिली हुई निकली.

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जी हां, काला बाजारियों ने पोपटलाल को बहला फुसला कर अपने जाल में फंसा लिया और अब उन लोगों ने पोपटलाल को किडनैप कर कहीं दूर लेकर चले गए हैं.

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तो वहीं जेठालाल, बाघा और बापूजी, तीनों जान चुके हैं कि पोपटलाल का किडनैप हो चुका है.  लेकिन कोई नहीं जानता है कि वो कहां है. अब पोपटलाल पर मौत का खतरा मंडरा रही है.

 

शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. अब ये देखना दिलचस्प होगा कि जेठालाल, बाघा और बापूजी पोपटलाल को काला बाजारियों से कैसे बचाते हैं.

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अस्तित्व- भाग 1: क्या तनु ने प्रणव को अपने अस्तित्व का एहसास करा पाई?

लेखिका- नीलमणि शर्मा

तनु ने हमेशा झूठे अहम में डूबे प्रणव की भावनाओं का सम्मान किया. लेकिन बदले में प्रणव ने उसे दिया कदमकदम पर अपमान का कटु दंश. और एक दिन तो हद ही हो गई, जब प्रणव ने जीवन भर के इस रिश्ते को ताक पर रख दिया. उम्र भर पति के ताने सहन करती आई तनु क्या प्रणव को अपने अस्तित्व का एहसास करा पाई?

कालिज पहुंचते ही तनु ने आज सब से पहले स्टाफ क्वार्टर के लिए आवेदन किया. इतने साल हो गए उसे कालिज में पढ़ाते हुए, चाहती तो कभी का क्वार्टर ले सकती थी पर इतना बड़ा बंगला छोड़ कर यों स्टाफ क्वार्टर में रहने की उस ने कभी कल्पना भी नहीं की थी. फिर प्रणव को भी तनु के घर आ कर रहना पसंद नहीं था. उन का अभिमान आहत होता था. उन्हें लगता कि वहां वह  ‘मिस्टर तनुश्री राय’ बन कर ही रह जाएंगे. और यह बात उन्हें कतई मंजूर न थी.

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आज सुबह ही प्रणव ने उसे अपने घर से निकल जाने को कह दिया जबकि तनु को इस घर में 30 साल गुजर चुके हैं. कहने को तो प्रणव ने उसे सबकुछ दिया है, बढि़या सा घर, 2 बच्चे, जमाने की हर सुखसुविधा…लेकिन नहीं दिया तो बस, आत्मसम्मान से जीने का हक. हर अच्छी बात का श्रेय खुद लेना, तनु के हर काम में मीनमेख निकालना और बातबात पर उस को  ‘मिडिल क्लास मानसिकता’ का ताना देना, यही तो किया है प्रणव ने शुरू से अब तक. पलंग पर लेटेलेटे तनु अपने ही जीवन से जुड़ी घटनाओं का तानाबाना बुनने लगी.

इतने वर्षों से तनु को लगने लगा था कि उसे यह सब सहने की आदत सी हो गई है पर आज सुबह उस का धैर्य जवाब दे गया. जैसेजैसे उम्र बढ़ रही थी प्रणव का कहनासुनना बढ़ता जा रहा था और तनु की सहनशीलता खत्म होती जा रही थी.

तनु जानती है कि अमेरिका में रह रहे बेटे के विवाह कर लेने की खबर प्रणव बरदाश्त नहीं कर पा रहे हैं, बल्कि उन के अहम को चोट पहुंची है. अब तक हर बात का फैसला लेने का एकाधिकार उस से छिन जो गया था. प्रणव की नजरों में इस के  लिए तनु ही दोषी है. बच्चों को अच्छे संस्कार जो नहीं दे पाई है…यही तो कहते हैं प्रणव बच्चों की हर गलती या जिद पर.

जबकि वह अच्छी तरह जानते हैं कि बच्चों के बारे में किसी भी तरह का निर्णय लेने का कोई अधिकार उन्होंने तनु को नहीं दिया. यहां तक कि उस के गर्भ के दौरान किस डाक्टर से चैकअप कराना है, क्या खाना है, कितना खाना है आदि बातों में भी अपनी ही मर्जी चलाता. शुरू में तो तनु को यह बात अच्छी लगी थी कि कितना केयरिंग हसबैंड मिला है लेकिन धीरेधीरे पता चला यह केयर नहीं, अपितु स्टेटस का सवाल था.

कितना चाहा था तनु ने कि बेटी कला के क्षेत्र में नाम कमाए पर उसे डाक्टर बनाना पड़ा, क्योंकि प्रणव यही चाहते थे. बेटे को आई.ए.एस. बनाने की चाह भी तनु के मन में धरी की धरी रह गई और वह प्रणव के आदेशानुसार वैज्ञानिक ही बना, जो आजकल नासा में कार्यरत है.

ऐसा नहीं कि बच्चों की सफलता से तनु खुश नहीं है या बच्चे अपने प्राप्यों से संतुष्ट नहीं हैं लेकिन यह भी सत्य है कि प्रणव इस सब से इसलिए संतुष्ट हैं कि बच्चों को इन क्षेत्रों में भेजने से वह और तनु आज सोसाइटी में सब से अलग नजर आ रहे हैं.

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पूरी जिंदगी सबकुछ अपनी इच्छा और पसंद को ही सर्वश्रेष्ठ मानने की आदत होने के कारण बेटे की शादी प्रणव को अपनी हार प्रतीत हो रही है. यही हार गुस्से के रूप में पिछले एक सप्ताह से किसी न किसी कारण तनु पर निकल रही है. प्रणव को वैसे भी गुस्सा करने का कोई न कोई कारण सदा से मिलता ही रहा है.

प्रणव यह क्यों नहीं समझते कि बेटे के इस तरह विवाह कर लेने से तनु को भी तो दुख हुआ होगा. पर उन्हें उस की खुशी या दुख से कब सरोकार रहा है. जब बेटे का फोन आया था तो तनु ने कहा भी था,  ‘खुशी है कि तुम्हारी शादी होगी, लेकिन तुम अगर हमें अपनी पसंद बताते तो हम यहीं बुला कर तुम्हारी शादी करवा देते. सभी लोगों को दावत देते…वहां बहू को कैसा लगेगा, जब घर पर नई बहू का स्वागत करने वाला कोई भी नहीं होगा.’

‘क्या मौम आप भी, कोई कैसे नहीं होगा, दीदी और जीजाजी आ रहे हैं न. आप को तो पता है कि अपनी पसंद बताने पर पापा कभी नहीं होने देते यह शादी. दीदी की बार का याद नहीं है आप को. डा. सोमेश को तो दीदी ने उस तरह पसंद भी नहीं किया था. बस, पापा ने उन्हें रेस्तरां में साथ बैठे ही तो देखा था. घर में कितने दिनों तक हंगामा रहा था. दीदी ने कितना कहा था कि डा. सोमेश केवल उन के कुलीग हैं पर कभी पापा ने सुनी? उन्होंने आननफानन में कैसे अपने दोस्त के डा. बेटे के साथ शादी करवा दी. यह ठीक है कि  जीजाजी भी एकदम परफेक्ट हैं.

‘सौरी मौम, मेरी शादी के कारण आप को पापा के गुस्से का सामना करना पडे़गा. रीयली मौम, आज मैं महसूस करता हूं कि आप कैसे उन के साथ इतने वर्षों से निभा रही हैं. यू आर ग्रेट मौम…आई सेल्यूट यू…ओ.के., फोन रखता हूं. शादी की फोटो ईमेल कर दूंगा.’

तनु बेटे की इन बातों से सोच में पड़ गई. सच ही तो कहा था उस ने. लेकिन वह गुस्सा एक बार में खत्म नहीं हुआ था. पिछले एक सप्ताह से रोज ही उसे इस स्थिति से दोचार होना पड़ रहा है. सुबह यही तो हुआ था जब प्रणव ने पूछा था, ‘सुना, कल तुम निमिषा के यहां गई थीं.’

‘हां.’

‘मुझे बताया क्यों नहीं.’

‘कल रात आप बहुत लेट आए तो ध्यान नहीं रहा.’

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‘‘ध्यान नहीं रहा’ का क्या मतलब है, फोन कर के बता सकती थीं. कोई काम था वहां?’

‘निमिषा बहुत दिनों से बुला रही थी. कालिज में कल शाम की क्लास थी नहीं, सोचा उस से मिलती चलूं.’

‘तुम्हें मौका मिल गया न मुझे नीचा दिखाने का. तुम्हें शर्म नहीं आई कि बेटे ने ऐसी करतूत की और तुम रिश्तेदारी निभाती फिर रही हो.’

‘निमिषा आप की बहन होने के साथसाथ कालिज के जमाने की मेरी सहेली भी है…और रही बात बेटे की, तो उस ने शादी ही तो की है, गुनाह तो नहीं.’

‘पता है मुझे, तुम्हारी ही शह से बिगड़ा है वह. जब मां बिना पूछे काम करती है तो बेटे को कैसे रोक सकती है. भूल जाती हो तुम कि अभी मैं जिंदा हूं, इस- घर का मालिक हूं.’

‘मैं ने क्या काम किया है आप से बिना पूछे. इस घर में कोई सांस तो ले नहीं सकता बिना आप की अनुमति के…हवा भी आप से इजाजत ले कर यहां प्रवेश करती है…जिंदगी की छोटीछोटी खुशियों को भी जीने नहीं दिया…यह तो मैं ही हूं कि जो यह सब सहन करती रही….’

‘क्या सहन कर रही हो तुम, जरा मैं भी तो सुनूं. ऐसा स्टेटस, ऐसी शान, सोसाइटी में एक पहचान है तुम्हारी…और कौन सी खुशियां चाहिए?’

अस्तित्व: क्या तनु ने प्रणव को अपने अस्तित्व का एहसास करा पाई?

“बस्तर गर्ल” की एवरेस्ट फतह !

नैना सिंह धाकड़ एक ऐसा नाम है जो आज रातों रात, किसी परिचय का मोहताज नहीं रहा. प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राज्यपाल सुश्री अनुसुइया उइके सहित देश प्रदेश के गणमान्य विभूतियां नैना सिंह को बधाई दे रही है. दरअसल नैना सिंह धाकड़ नामक इस युवती ने छत्तीसगढ़ जैसे आदिवासी प्रदेश और बस्तर जैसे दुर्गम नक्सलवाद से गिरे हुए अंचल से जो ऐतिहासिक काम किया है उसे देखकर सभी आवाक, अचंभित हैं कि यह कैसे हो गया.

आइए! आज आपको नैना सिंह धाकड़ के उस संघर्ष से परिचय कराते हैं जिसकी बदौलत आज वह लोगों की जुबां पर है और देश का सम्मान बन गई है.

वस्तुत: छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध इंद्रावती नदी की तरह..जिस प्रकार कोई नदी दुर्गम पथरीली पहाड़ियों से गुजरते हुए अपना रास्ता सुगम बनाकर हम सब के लिए जीवनदायिनी बन जाती है, ठीक उसी प्रकार आज की ये नैना सिंह छत्तीसगढ़ की एक मात्र महिला पर्वतारोही  है जिसके नाम दुनिया की सबसे ऊँची पर्वत चोटी माउंट एवरेस्ट(8848.86 मीटर) और विश्व की चौथी सबसे ऊँची चोटी लोत्से (8516 मीटर ) को फ़तह करने का गौरव दर्ज हो गया है, उनकी यह उपलब्धि स्वर्णिम अक्षर में 1 जून 2021 को  इतिहास के पन्नों में अंकित हो गई. नैना को बस्तर गर्ल के नाम से भी जाना जाता है.

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सतत श्रम का परिणाम

नैना सिंह बताती हैं कि यह उपलब्धि कोई एक दिन की नहीं है. यह उनका बचपन का एक ख्वाब था कि उन्हें दुनिया की ऊंची चोटी को छूना है और देश का तिरंगा लहराना है.

इसके लिए उन्होंने अथक मेहनत की. प्रारंभिक चरण में जाने कितनी कठिनाइयां आई मगर नैना रूकी नहीं, आगे बढ़ती चली गई  आखिरकार अपने जीवन के लक्ष्य को प्राप्त कर लिया.

नैना सिंह की इस उपलब्धि पर मुख्यमंत्री बघेल जी द्वारा बधाई दी साथ ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा नैना ने अपने दृढ़ संकल्प, इच्छाशक्ति तथा अदम्य साहस से यह कर दिखाया है नैना की इस  सफलता से प्रदेश का गौरव बढ़ गया है.

माउंट एवरेस्ट को फतह करने के लिए जिस साहस, संघर्ष और अदम्य इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है हुआ निसंदेह बस्तर की इस बिटिया नैना सिंह में समाया हुआ है यही कारण है कि 60 दिनों में तय की गई ये दूरी नैना के 10 साल के अथक प्रयास का परिणाम है!

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अगर हम आज बात करे नैना सिंह धाकड़ की तो ये खबर और खास इसलिए भी हो जाती है कि ये जहां की  है वो बस्तर अंचल आज पूर्ण रूप से नक्सली प्रभावित क्षेत्र है, नैना जगदलपुर जिला मुख्यालय से करीब 10 किमी दूर स्थित एक्टा गुड़ा गाँव में पैदा हुईं और शिक्षा दीक्षा प्राप्त की. यह सच है कि इस तरह के इलाके अल्पसुविधाओं से युक्त होते है. जीविका के साधन के रूप में यहाँ के निवासी बहुतायत में तेंदूपत्ता ,महुआ को बेचना,चाय बेचना, छोटी मोटी दुकाने, ग्राम उद्योग जैसी सीमित अर्थ धन उपलब्ध कराने वाले संसाधन पर निर्भर होते है‌ जो दुनिया जानती है. इन विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वहाँ की बालिका अगर सारी विषमताओं को दरकिनार कर अपने जोश और जुनून से अपने लक्ष्य को हासिल करती है,तो निश्चित रूप से ये उसके साथ- साथ देश के लिए बहुत बड़ी ऐतिहासिक उपलब्धि  है.

ढेर सारी खामियां, फिर भी खिलता है कमल

छतीसगढ राज्य के लिए यह पहला अवसर नहीं है जब यहाँ की बेटी ने घर की चार दिवारी से निकलकर पूरे देश मे व देश से बाहर हमारे देश का परचम फहराया है.

इसके पहले भी इसी तरह से नक्सल प्रभावित क्षेत्र बीजापुर से सॉफ्टबॉल खिलाड़ी अरुणा और सुनीता, कोरबा से शूटिंग में एक मात्र महिला श्रुति यादव( गोल्डन गर्ल) ,राजनांदगांव से रेणुका यादव एक मात्र महिला हॉकी ओलंपिक  चैंपियन आदि ऐसी छतीसगढ़ की बहुत सी महिला विभूतियाँ है जिन्होंने समय समय पर पूरे देश मे छत्तीसगढ़ राज्य का प्रतिनिधित्व किया है.

पर्वतारोही नैना सिंह ने अपने इस ऐतिहासिक सफलता के बाद कहा है उनके सामने और भी कई लक्ष्य है जिन्हें वह शीघ्र ही पूरा करने का प्रयास करेंगी.

प्रदेश में अल्पसुविधाओं के बावजूद अगर  राज्य की बेटियाँ स्वयं को सिद्ध करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा देती है तो सम्पूर्ण सुविधा मिलने पर इनका विकास स्तर कहाँ तक जा सकता है ये विचारणीय है.

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इसी कड़ी में अगर बात करें यहाँ की सरकार की तो छत्तीसगढ़ सरकार  दूरदराज़ दुर्गम क्षेत्रों में खेल ,संस्कृति,शिक्षा,संरक्षण ,पोषण से संबंधित सुविधाओं को ध्यान में रखकर विशिष्ट पहल करे  इसे पूरा करने हेतू बहु-क्षेत्रीय योजनाओं और सहयोगात्मक कार्यों को अंजाम देना आवश्यक है, जिससे प्रतिभाशाली बच्चों को बैद्धिक ज्ञान के साथ- साथ तकनीकी ज्ञान भी पर्याप्त रूप से मिल सके, और ऐतिहासिक उपलब्धियों की निरंतरता बनी रहे.

भोजपुरी सिंगर नीतू श्री के इस ‘दहेज गीत’ को मिले 4 लाख से अधिक व्यूज, देखें Video

‘‘विजय लक्ष्मी भोजपुरी ट्यून’’ से रिलीज गीत ‘‘दहेज की आग’’ को लेकर उत्साहित आनंद मोहन कहते हैं-‘‘यह गाना एक अच्छे मकसद के लिए बना है, इसलिए इसे लोग पसंद कर रहे हैं. हमारे यहां आज भी हमारी बेटियां, दहेज लोभियों की शिकार हो रही हैं. इस गाने में ऐसी ही एक दहेज पीड़िता का अपने पिता के साथ संजीदा संवाद है, जो आपके दिल को भी छू लेगा.’’

जबकि गायिका नीतू श्री ने कहा- ‘‘यह गाना मेरे लिए बेहद खास था. दहेज की आग गाने को आप खुद सुने और अपने आसपास के लोगों को भी सुनवाए और उन्हें दहेज प्रथा से दूर होने के लिए प्रेरित करें. यही इस गाने की सफलता होगी. क्योंकि दहेज की आग में बेटियां जलती हैं, जिन्हें हम लक्ष्मी भी कहते हैं. अगर कोई अपनी घर की लक्ष्मी को आग लगा सकता है, तो जिंदगी में उसके घर  कभी खुशियां नहीं आ सकती.इस बात को समझने के लिए हमारा यह गाना बेहद खास है.’’

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गीत ‘‘दहेज की आग’’ के गीतकार अमन अलबेला,संगीतकार लार्ड जी और इसके वीडियो के कलाकार हैं-आनंद मोहन पांडेय, नेहा सिद्दीकी, सारिका, निशा तिवारी और राजनंदनी हैं.वीडियो निर्देशक व कैमरामैन रंजीत कुमार सिंह हैं.

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दहेज एक सामाजिक अभिशाप है. दहेज उन्मूलन को लेकर सरकार कई वर्षों से प्रयासरत है, कई कड़े कानून बनाए जा चुके हैं. हम अत्याधुनिक होने का दावा भी करते हैं. इसके बावजूद 21वीं सदी में भी दहेज प्रथा के मामले सामने आते रहते हैं और दहेज की कमी के आरोपों के साथ महिलाएं हिंसा की शिकार भी होती रहती हैं.समाज की इसी कुरीति को उजागर कर समाज में जागरूकता लाने के मकसद से ‘विजय लक्ष्मी म्यूजिक’ एक गाना ‘‘दहेज की आग’’रिलीज किया, जिसे काफी पसंद किया जा रहा है.

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‘‘दहेज की आग’’एक पारंपरिक शादी गीत ही है, जिसे अभिनेता आनंद मोहन ने नीतू श्री के साथ मिलकर गाया है.इस गाने को सुनकर लोग इसकी तरफ खिंचे चले आ रहे हैं. अब तक इस गाने को 3 दिन में 429,200 व्यूज मिल चुके हैं.

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