- आपने कभी न कभी किसी न किसी को पीपल का गुणगान करते हुए यह जरूर सुना होगा कि पीपल दुनिया का एकमात्र ऐसा पेड़ है जो रात में भी ऑक्सीजन देता है. हिंदुओं के पूर्वज इसके महत्व को सदियों पहले से जानते थे. इसीलिए हिंदुओं में पीपल की पूजा होती है.

- आपने यह भी कभी न कभी सुना होगा कि पीपल के नीचे भूत प्रेत का साया होता है इसलिए इसके नीचे रात नहीं बितानी चाहिए.

वास्तव में इन कर्मकांडियों की वजह से कई ऐसे लोग भी जो पीपल के विशिष्ट गुणों के कारण उसे बहुत महत्वपूर्ण पेड़ मानते हैं, कई बार इसका विरोध करते पाये जाते हैं; क्योंकि कर्मकांडियों ने पीपल जैसे महत्वपूर्ण पेड़ के साथ अंधविश्वास जोड़ दिया है ताकि धार्मिक श्रेष्ठता साबित की जा सके. इसमें कोई दो राय नहीं कि पीपल वनस्पतिशास्त्रियों की नजर में धरती का एक बेहद खास वृक्ष है. लेकिन इस भ्रम को पहले ही दूर कर लें कि पीपल का पेड़ चैबीसों घंटे ऑक्सीजन देता है. जी नहीं, किसी भी दूसरे वृक्ष की तरह पीपल भी रात में ऑक्सीजन उत्पन्न नहीं करता है. सारे पेड़ सूर्य के प्रकाश की मौजूदगी में ही क्लोरोफिल के जरिये प्रकाश संश्लेषण की क्रिया करते हैं, पीपल भी यही करता है. पीपल ऑक्सीजन को लेकर इस मायने में खास है; क्योंकि यह अपने विशाल आकार और पत्तियों की विशिष्ट संरचना के कारण अपनी ही कदकाठी के दूसरे पेड़ों के मुकाबले डेढ़ से दोगुना ज्यादा ऑक्सीजन बनाता है.

एक बात यह भी जान लीजिए कि पीपल सिर्फ पुण्य भूमि भारत में ही नहीं पाया जाता. यह नेपाल, भूटान, श्रीलंका, चीन, इंडोनेशिया, मलेशिया और कुछ लैटिन अमरीकी देशों में भी पाया जाता है. पीपल बरगद या गूलर की जाति का ही एक विशाल वृ़क्ष है, जिसे भारत में देववृक्ष भी कहा जाता है. प्रदूषण की रोकथाम करने और ग्लोबलवार्मिंग की समस्या से निपटने के लिए वैज्ञानिकों का कहना है कि जहां जहां पीपल को सहजता से उगाया जा सकता है, वहां इसे ज्यादा से ज्यादा उगाया जाना चाहिए ताकि धरती पर एक विशेष किस्म के ‘वनस्पति एल्बिडो’ की सृष्टि की जा सके. माना जा रहा है कि इससे कार्बन डाईआक्साइड का अधिकाधिक मात्रा मे अवशोषण संभव हो सकेगा.

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