Manohar Kahaniya- पाक का नया पैंतरा: भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

गिरफ्तार तसकरों से मिली सूचनाओं पर एनसीबी ने पंजाब में औपरेशन इकाई को सतर्क कर दिया. तसकरों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए एनसीबी ओर बीएसएफ सहित विभिन्न खुफिया एजेंसियों ने पंजाब में तसकरों की घेराबंदी शुरू कर दी.

पंजाब में तसकरों की हुई तलाश

एनसीबी ने 7 जून को फिरोजपुर जिले में किचले गांव में काला सिंह के घर पर छापा मारा. घर पर उस के पिता जोगेंद्र सिंह मिले. उन से पूछताछ की गई, लेकिन कोई खास जानकारी नहीं मिली. 4 दिन की कड़ी पूछताछ के बाद एनसीबी के डीडीजी ज्ञानेश्वर सिंह के नेतृत्व में एक दल बीकानेर में गिरफ्तार किए दोनों तसकरों रूपा और हरमेश को ले कर 8 जून को पंजाब गया.

बीएसएफ का दल भी एनसीबी अधिकारियों के साथ पंजाब गया. दोनों एजेंसियों ने गिरफ्तार दोनों तसकरों की निशानदेही पर कई तरह की जांचपड़ताल की. दोनों के आपराधिक रिकौर्ड खंगाले गए. काला सिंह और बौस के बारे में भी जानकारी जुटाई गई. कई संदिग्ध लोगों से भी पूछताछ की गई.

पंजाब से लौट कर एनसीबी ने बीकानेर की खाजूवाला कोर्ट में हेरोइन के सैंपल पेश किए. एनसीबी के जौइंट डायरेक्टर उगमदान सिंह दोनों गिरफ्तार तसकरों और बरामद हेरोइन के सैंपल ले कर अदालत पहुंचे. इस दौरान बीएसएफ का दल भी उन के साथ था.

तसकरों की काल डिटेल्स के आधार पर नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने 12 जून को राजस्थान में सीमाई इलाकों में रहने वाले 3 युवकों को भी हेरोइन तसकरी के मामले में गिरफ्तार किया. इन युवकों ने पंजाब के तसकरों की मदद की थी.

तसकरों ने रावला स्थित 10 केएनडी के रहने वाले सुखप्रीत के सिमकार्ड का उपयोग बात करने में किया था. कड़ी पूछताछ के बाद सुखप्रीत और उस की निशानदेही पर उस के 2 साथियों को पकड़ा गया.

दूसरी ओर, एनसीबी ने पहले गिरफ्तार 2 तसकरों रूपा और हरमेश का 7 दिन का रिमांड पूरा होने पर 12 जून, 2021 को अदालत में पेश किया. अदालत ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया. इन दोनों से की गई पूछताछ और पंजाब में जा कर की गई पड़ताल में यह बात सामने आई कि पंजाब की जेल में बंद कुख्यात तसकर बलदेव और जोगेंद्र उर्फ समीर जेल से ही तसकरी का नेटवर्क औपरेट कर रहे हैं.

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बीकानेर सीमा पर हेरोइन तसकरी की वारदात में शामिल रहे काला सिंह और बौस इन के गिरोह के ही सदस्य हैं. बलदेव और जोगेंद्र वाट्सऐप काल के जरिए इन से संपर्क में रहते थे.

बीएसएफ और एनसीबी की जांचपड़ताल में सामने आया कि भारत में नारको टेरेरिज्म फैलाने की साजिश में जुटे पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान से भारत में बड़े पैमाने पर हेरोइन आती रही है. यह हेरोइन कई रास्तों से भारत में आती है.

ढाई साल पहले पुलवामा की घटना के बाद जम्मूकश्मीर सीमा पर सख्ती बढ़ने से तसकरी की गुंजाइश कम हो गई थी. इस के अलावा पंजाब से लगी पाकिस्तान सीमा के रास्ते भी तसकरी होती रही है. अब पंजाब सीमा पर भी सख्ती होने से तसकरों ने पिछले कुछ समय से राजस्थान से लगी सीमाओं को तसकरी के लिए सेफ पौइंट मान कर प्रयास शुरू किए हैं.

इस के लिए उन्होंने तारबंदी के बीच में से पीवीसी पाइप निकाल कर उस में से हेरोइन के पैकेट धकेलने का नया तरीका अपनाया है. यह सुखद रहा कि हेरोइन तसकरों को इस नए प्रयोग के दौरान सब से बड़ी मात खानी पड़ी. तारबंदी के बीच पीवीसी पाइप निकालने के दौरान खासी सावधानी भी रखनी पड़ती है, क्योंकि तारबंदी में एक कोबरा तार होता है, जिस में करंट प्रवाहित होता रहता है.

इसी साल फरवरी में राजस्थान के सीमांत इलाके में हिंदुमल कोट मदनलाल बीओपी क्षेत्र में पाकिस्तानी तसकरों ने 6 किलोग्राम हेरोइन सप्लाई की थी. इस में से केवल एक किलोग्राम हेरोइन बरामद हुई. बाकी 5 किलोग्राम हेरोइन भारतीय तसकर ले जाने में सफल हो गए थे. इस मामले में 5 तसकर पकड़े गए थे.

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नवंबर 2020 में गजसिंहपुर में 8 किलोग्राम हेरोइन पकड़ी थी. इस दौरान बीएसएफ की फायरिंग में एक पाकिस्तानी तसकर मारा गया था. भारतीय तसकर भाग गए थे. अप्रैल 2019 में इंद्रजीत सीमा चौकी इलाके में 18 किलोग्राम हेरोइन की तसकरी हुई थी. इस मामले में पंजाब के अबोहर निवासी छिंदा सिंह का नाम सामने आया था. बीकानेर बौर्डर पर पिछले साल अक्तूबर में पंजाब के एक तसकर से सेटेलाइट फोन मिला था.

भारत में कई रास्तों से हेरोइन आती है. अफगानिस्तान से जमीनी स्तर पर पाकिस्तान के रास्ते विभिन्न बौर्डरों से आती है. हवाई मार्ग से भी हेरोइन आती है. समुद्री रास्तों के जरिए भी हेरोइन भारत में पहुंचती है. इस के अलावा नेपाल के रास्ते भी हमारे देश में हेरोइन लाई जाती है.

विभिन्न रास्तों से भारत में आने वाली हेरोइन की सब से ज्यादा खपत पंजाब, मुंबई और दिल्ली में होती है. वैसे तो हेरोइन की खपत पूरे देश में है. बौलीवुड में भी बड़ी मात्रा में हेरोइन की चोरीछिपे खपत होती है.

बहरहाल, पाकिस्तान से जुड़े राजस्थान बौर्डर पर बीएसएफ ने अब तक की सब से बड़ी हेरोइन तसकरी की खेप पकड़ कर पाकिस्तानी तसकरों के नए रास्ते का भंडाफोड़ कर दिया है, लेकिन तसकरों के नेटवर्क को नेस्तनाबूद करना बीएसएफ और एनसीबी के लिए चुनौती है.

अटूट बंधन- भाग 2: प्रकाश ने कैसी लड़की का हाथ थामा

शालिनी को ऐसा लगा जैसे त्रिशा उस से कुछ छिपा रही थी. फिर भी त्रिशा को छेड़ने के लिए गुदगुदाते हुए उस ने कहा, ‘‘अब इतनी भी उदास मत हो जाओ, उन को याद कर के. जानती हूं भई, याद तो आती है, पर अब कुछ ही दिन तो बाकी हैं न.’’ त्रिशा अपनी आदत के अनुसार मुसकरा उठी. शालिनी को जरा परे धकेलते हुए बोली, ‘‘जाओ, मैं नहीं करती तुम से बात. जब देखो एक ही रट.’’

तभी अचानक त्रिशा का मोबाइल बज उठा. ‘‘उफ, कितनी लंबी उम्र है उन की. नाम लिया और फोन हाजिर,’’ शालिनी उछल पड़ी. ‘‘खूब इत्मीनान से जी हलका कर लो. मैं तो चली,’’ कहती हुई शालिनी कमरे से बाहर निकल गई.

दरअसल, बात यह थी कि कुछ ही दिनों में त्रिशा का प्रेमविवाह होने वाला था. डा. आजाद, जिन से जल्द ही त्रिशा का विवाह होने वाला था, लखनऊ विश्वविद्यालय में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक थे. त्रिशा और आजाद ने दिल्ली के एक स्पैशल स्कूल से साथसाथ ही पढ़ाई पूरी की थी. उस के बाद आजाद अपने घर लखनऊ वापस आ गए थे. वहीं से उन्होंने उच्च शिक्षा हासिल की और फिर अपनी रिसर्च भी पूरी की. रिसर्च पूरी करने के कुछ ही दिनों बाद उन्हें यूनिवर्सिटी में ही जौब मिल गई. ऐसा लगता था कि त्रिशा और आजाद एकदूसरे के लिए ही बने थे.

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स्कूल में लगातार पनपने वाला लगाव और आकर्षण एकदूसरे से दूर हो कर प्यार में कब बदल गया, पता ही नहीं चला. शीघ्र ही दोनों ने विवाह के अटूट बंधन में बंधने का फैसला कर लिया. दोनों के न देख पाने के कारण जाहिर है परिवार वालों को स्वीकृति देने में कुछ समय तो लगा, पर उन दोनों के आत्मविश्वास और निश्छल प्रेम के आगे एकएक कर सब को झुकना ही पड़ा.

त्रिशा के बेंगलुरु आने के बाद आजाद बहुत खुश थे. ‘‘चलो अच्छा है, वहां तुम्हें इतने अच्छे दोस्त मिल गए हैं. अब मुझे तुम्हारी इतनी चिंता नहीं करनी पड़ेगी.’’ ‘‘अच्छी बात तो है, पर इस बेफिक्री का यह मतलब नहीं कि आप हमें भूल जाएं,’’ त्रिशा आजाद को परेशान करने के लिए यह कहती तो आजाद का जवाब हमेशा यही होता, ‘‘खुद को भी कोई भूल सकता है क्या.’’

आज जब त्रिशा आजाद से बात कर रही थी तो आजाद को समझते देर न लगी कि त्रिशा आज उन से कुछ छिपा रही है, ‘‘क्या बात है, आज तुम कुछ परेशान हो?’’ ‘‘नहीं तो.’’

‘‘त्रिशा, इंसान अगर खुद से ही कुछ छिपाना चाहे तो नहीं छिपा सकता,’’ आजाद की आवाज में कुछ ऐसा था, जिसे सुन कर त्रिशा की आंखें डबडबा आईं. ‘‘मेरी तबीयत कुछ ठीक नहीं है. मैं आप से कल बात करती हूं,’’ यह कह कर त्रिशा ने फोन डिसकनैक्ट कर दिया. अगले दिन त्रिशा और प्रकाश के बीच औफिस में भी कोई बात नहीं हुई. ऐसा पहली बार ही हुआ था. प्रकाश का मिजाज आज एकदम उखड़ाउखड़ा था.

‘‘चलो,’’ शाम को उस ने त्रिशा के पास आ कर कहा. रास्तेभर दोनों ने कोई बात नहीं की. होस्टल आने ही वाला था कि त्रिशा ने खीझ कर कहा, ‘‘तुम कुछ बोलोगे भी कि नहीं?’’ ‘‘मुझे तुम्हारा जवाब चाहिए.’’

कितनी डूबती हुई आवाज थी प्रकाश की. 3 साल में त्रिशा ने प्रकाश को इतना खोया हुआ कभी नहीं देखा था. पिछले 2 दिन में प्रकाश में जो बदलाव आए थे, उन पर गौर कर के त्रिशा सहम गई. ‘क्या वाकई प्रकाश… क्या प्रकाश… नहीं, ऐसा नहीं हो सकता,’ त्रिशा का मन विचलित हो उठा. ‘मुझे तुम से कल बात करनी है. कल छुट्टी भी है. कल सुबह 11 बजे मिलते हैं. गुडनाइट,’’ कहते हुए त्रिशा गाड़ी से उतर गई.

जैसा तय था, अगले दिन दोनों 11 बजे मिले. बिना कुछ कहेसुने दोनों के कदम अनायास ही पार्क की ओर बढ़ते चले गए. त्रिशा के होस्टल से एक किलोमीटर की दूरी पर ही शहर का सब से बड़ा व खूबसूरत पार्क था. ऐसे ही छुट्टी के दिनों में न जाने कितनी ही बार वे दोनों यहां आ चुके थे. पार्क के भीतरी गेट पर पहुंच कर दोनों को ऐसा लगा जैसे आज असाधारण भीड़ उमड़ पड़ी हो. भीड़भाड़ और चहलपहल तो हमेशा ही रहती है यहां, पर आज की भीड़ में कुछ खास था. सैकड़ों जोड़े एकदूसरे के हाथों में हाथ डाले अंदर चले जा रहे थे. बहुतों के हाथ में गुलाब का फूल, किसी के पास चौकलेट तो किसी के हाथ में गिफ्ट पैक. पर प्रकाश का मन इतना अशांत था कि वह कुछ समझ ही नहीं सका.

हवा जोरों से चलने लगी थी. बादलों की गड़गड़ाहट सुन कर ऐसा मालूम होता था कि किसी भी पल बरस पड़ेंगे. मौसम की तरह प्रकाश का मन भी आशंकाओं से घिर आया था. त्रिशा को लगा, शायद आज यहां नहीं आना चाहिए था. तभी अचानक उस का मोबाइल बज उठा. ‘‘हैप्पी वैलेंटाइंस डे, मैडम,’’ आजाद की आवाज थी. ‘‘ओह, मैं तो बिलकुल भूल ही गई थी,’’ त्रिशा बोली.

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‘‘आजकल आप भूलती बहुत हैं. कोई बात नहीं. अब आप का गिफ्ट नहीं मिलेगा, बस, इतनी सी सजा है,’’ आजाद ने आगे कहा, ‘‘अच्छा, अभी हम थोड़ा जल्दी में हैं. शाम को बात करते हैं.’’ आज बैंच खाली मिलने का तो सवाल नहीं था. सो, साफसुथरी जगह देख दोनों घास पर ही बैठ गए. त्रिशा अकस्मात पूछ बैठी, ‘‘क्या तुम वाकई सीरियस हो?’’

‘‘तुम समझती हो कि मैं मजाक कर रहा हूं?’’ प्रकाश का स्वर रोंआसा हो उठा.

सेक्स लाइफ बेहतर बनाने के लिए करें ये आसान काम

हम अपना वजन कम करने के लिए क्या नहीं करते हैं. इसके लिए हम डाइटिंग भी करते है. जिससे लिए हम कम से कम खाना खाते हैं, लेकिन आप जानते हैं कि कम खाना खाने से कई फायदे हैं. इन्हीं में से एक फायदा है सेक्स लाइफ. कम खाना खाने से आपकी सेक्स लाइफ बेहतर रहती है. यह बात एक शोध में सामने आई.

अगर आप कैलोरी के प्रति सचेत हैं और अतिरिक्त वजन घटाने के लिए स्वास्थ्यवर्धक भोजन ग्रहण करते हैं तो आपके खुश होने का एक और बड़ा कारण मिल गया है. एक दिलचस्प शोध में यह पता चला है कि कम खाने से न सिर्फ लोगों को वजन कम करने में मदद मिलती है, बल्कि यह मूड को भी बेहतर बनाता है और तनाव को कम करता है, जिससे आपकी सेक्स लाइफ बेहतर होती है.

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इस निष्कर्ष तक पहुंचने के लिए लुइसियाना के पेनिंगटन बॉयोमेडिकल रिसर्च सेंटर के शोधकर्ताओं ने 218 स्वस्थ वयस्कों का दो साल तक अध्ययन किया. उन्होंने उन लोगों को दो समूहों में बांटा. एक समूह को 25 फीसदी कम कैलोरी ग्रहण करने को कहा गया. वहीं, दूसरे समूह को अपने सामान्य भोजन को लेने को कहा गया.

शोधकर्ताओं में से एक कोर्बी मार्टिन ने पाया कि जिस समूह ने कम कैलोरी ली थी, उनकी सेक्स लाइफ बेहतर हो गई. कम कैलोरी ग्रहण करने वाले समूह के लोगों की नींद बेहतर हुई और उनका वजन भी घट गया. मोटापे के शिकार लोग अगर कम कैलोरी लें तो उनकी नींद और उनकी यौन प्रणाली बेहतर होती है. यह अध्ययन जामा इंटरनल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

शोधकर्ताओं का कहना है, “हमारे शोध से पता चला है कि अगर स्वस्थ लोग दो साल तक कम कैलोंरी लें तो इससे उनके लिए उल्टे नतीजे आते हैं अत: यह केवल मोटापे से ग्रस्त लोगों पर ही लागू होता है.”

हाल के एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग बेहद कम भोजन करने वाले/वाली जीवनसाथी के साथ रहते हैं, उनके मोटापा कम करने की संभावना ज्यादा होती है.

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न्यूसाउथवेल्स स्कूल ऑफ साइकोलॉजी विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के मुताबिक आपके साथ भोजन करने वाला कितना खाना खाता है, यह आप पर गहरा असर डालता है. इसलिए कम खाने वालों के साथ रहने पर आप अपना वजन घटा सकते हैं और जीवनसाथी के साथ संबंधों को बेहतर कर सकते हैं. यह प्रभाव पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं में ज्यादा देखने को मिला है.

सोशल इंफ्लूएंस जर्नल में प्रकाशित इस शोध के मुताबिक, “इसका कारण यह है कि महिलाओं को इस बात की ज्यादा परवाह होती है कि भोजन के दौरान दूसरे उनके बारे में क्या सोचते हैं.”

कमाल राशिद खान बदनामी से कमाया नाम

दशहरा त्योहार से पहले होने वाली गलीमहल्ले की रामलीला में भी आयोजक ऐसा रावण ढूंढ़ते हैं, जो अट्टहास अच्छा कर सके. जो हनुमान को ‘तुच्छ वानर’, ‘अदना सा मर्कट’ और रामलक्ष्मण को ‘निरीह प्राणी’, ‘दरदर भटकते वनवासी’ वगैरह कह कर अपनी भारी आवाज में हंसे, ताकि दर्शक डर जाएं.

आजकल ऐसा ही अट्टहास फिल्म दुनिया में गूंज रहा है. सब की नाक में दम करने वाले इस शख्स का नाम कमाल राशिद खान है, जो खुद तो डेढ़ पसली का है, पर अपनी बेलगाम जबान से सलमान खान जैसे सिक्स पैक एब्स वाले सुपरस्टार की नाक में दम कर देता है.

कमाल राशिद खान का इतिहास जानने से पहले सलमान खान और इस बड़बोले का नया  झगड़ा सम झ लेते हैं. दरअसल, कमाल राशिद खान यानी केआरके यूट्यूब पर नई फिल्मों, कलाकारों की निजी जिंदगी, उन के पहनावे, किस हीरो का टांका किस हीरोइन से भिड़ा हुआ है, किस कलाकार ने किस कलाकार से कब और कौन सी फिल्म छीनी जैसी हर खबर पर अपनी राय देते हैं. राय क्या देते हैं, सामने वाले की बखिया उधेड़ देते हैं.

हाल ही में आई सलमान खान की फिल्म ‘राधे’ का जो हश्र हुआ है, वह किसी से छिपा नहीं है. कोढ़ पर खाज यह कि केआरके ने इस फिल्म की अपने निराले अंदाज में समीक्षा कर डाली.

केआरके ने शुरुआत में ही कहा कि इस फिल्म की कहानी इनसानों की सम झ में आना तो बड़ा मुश्किल है, तो चलो ‘बावली’ कंगना से पूछते हैं कि फिल्म की कहानी क्या है… वे यहीं पर नहीं रुके और सलमान खान को ‘सल्लू दादू’ (बूढ़े दादा) कह डाला, जिस के बस का अब कुछ नहीं है. यह बात इसलिए भी कही गई, क्योंकि फिल्म हीरोइन दिशा पटनी उम्र के लिहाज से सलमान खान की पोती के बराबर है.

आखिर में तो उन्होंने कह दिया कि यह फिल्म उतनी ही खतरनाक है, जितना कोरोना. कोरोना फेफड़ों को डैमेज करता है और यह फिल्म दिमाग को डैमेज करती है.

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असली बवाल तो तब शुरू हुआ, जब सलमान खान की टीम ने इस सब पर रिऐक्शन लेते हुए केआरके पर मानहानि का केस दायर कर दिया.

केआरके ने इस केस की जानकारी खुद सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा, ‘सलमान खान ने ‘राधे’ के रिव्यू के लिए मेरे खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है.’

एक और ट्वीट में केआरके ने लिखा, ‘मैं कई बार कह चुका हूं कि अगर कोई प्रोड्यूसर या ऐक्टर मना करता है, तो मैं उन की फिल्म का कभी रिव्यू नहीं करूंगा. सलमान खान ने ‘राधे’ के लिए मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया है, इस का मतलब वे मेरे रिव्यू से काफी आहत हो रहे हैं, इसलिए मैं अब उन की फिल्म का कभी रिव्यू नहीं करूंगा…’

पर तब तक यह  झगड़ा कोरोना संक्रमण की तरह दूसरी जगह भी फैल चुका था. इस में गायक मीका सिंह भी कूद चुके थे. उन्होंने सलमान खान का पक्ष लेते हुए कहा कि वे केआरके पर कोई केसवेस नहीं करेंगे, बल्कि सीधा थप्पड़ मार देंगे. दरअसल, केआरके ने मीका सिंह को भी ‘चिरकुट सिंगर’ का तमगा दिया हुआ है.

एक वीडियो में मीका सिंह केआरके के तथाकथित घर के सामने धमकी देते हुए बोल रहे थे, ‘देख भाई, मैं तेरे घर के सामने खड़ा हूं, यहां पर. छाती चौड़ी कर के. तू जहां कहेगा वहां मिल लेता हूं. तू मेरा बेटा है और हमेशा बेटा ही रहेगा. तेरीमेरी कोई लड़ाई नहीं है. तू ने अपना यह घर बेच दिया. तेरे जितने और घर हैं वे मत बेचना, क्योंकि तेरीमेरी कोई निजी दुश्मनी नहीं है. मेरे से डर मत, मैं तेरे को मारूंगापीटूंगा नहीं. तेरे को सबक सिखाना था, लेकिन इतना बड़ा नहीं कि तू अपना घर बेच कर चला जाए, आखिरकार तू मेरा पड़ोसी है…’’

गायक मीका सिंह का यह भी कहना है कि वे ‘केआरके कुत्ता’ नामक एक नया एकल गीत बनाएंगे. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘‘मु झे लगता है कि केआरके गाने को ले कर खुश होंगे. वे लोकप्रियता चाहते हैं और मैं उन्हें सुपर पौपुलर बनाने जा रहा हूं. मैं अपने गाने के जरीए उन्हें करारा जवाब देने जा रहा हूं. गाने का शीर्षक ‘केआरके कुत्ता’ (केआरके द डौग) है.’’

इसी बीच केआरके ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर सलमान खान को ले कर लिखा, ‘और तू एक बात बता यार, तू कैसे बौलीवुड का मालिक गुंडा भाई है कि एक बौलीवुड वाला तेरी सपोर्ट में नहीं आया. तु झे इन चिरकुट ‘बिग बौस’ के नल्लों को अपने सपोर्ट में लाना पड़ा. क्या इज्जत है तेरी बौलीवुड में यार. तुम सच में बौलीवुड के दो पैसे के इनसान हो.’

यह कोई पहला मामला नहीं है, जब कमाल आर. खान ने फिल्म इंडस्ट्री वालों से पंगा लिया है. वे मुंहफट हैं और बड़बोले भी. ऐसा बताते हैं कि वे ऐक्टर बनने का सपना ले कर अपना घर देवबंद, उत्तर प्रदेश छोड़ कर मुंबई चले आए थे, जहां उन्होंने फिल्म ‘देशद्रोही’ से अपने कैरियर की शुरुआत की थी, जो बौक्स औफिस पर औंधे मुंह गिरी थी. इस के बाद उन्होंने अपना रुख भोजपुरी फिल्मों की ओर कर लिया था.

जिस ‘बिग बौस’ को आज केआरके नल्लों का जमावड़ा कहते हैं, कभी वे खुद भी उसी टैलीविजन रिऐलिटी शो का हिस्सा रह चुके हैं. वहां भी वे दूसरों के साथ तूतड़ाक करने और गाली देने से बाज नहीं आते थे.

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वे यह भी जताने की कोशिश करते थे कि ‘बिग बौस’ के घर में सब से अमीर आदमी वही हैं. तब वे दावा करते थे कि उन के घर में जो चाय बनती है, उस के लिए दूध हौलैंड से, पानी फ्रांस से और चायपत्ती लंदन से आती है.

केआरके तो ‘टिकटौक’ पर छाए लड़केलड़कियों को भी नहीं बख्शते हैं. अपने एक वीडियो में उन्होंने ब्यूटी खान नाम की एक लड़की के बारे में कहा कि अगर इन को आप पर्सनली मिल लें, तो फिर आप को लड़की नाम से नफरत हो जाएगी.

इस के बाद केआरके ने रियाज नाम के लड़के को धो डाला. उन्हें ‘मीठा’ कहा और बोले कि अगर कोई पठान इन्हें देख ले तो अपने घर ले जाए और एक हफ्ते तक न छोड़े. फिर उन्होंने एक और लड़के फैसु को भी ‘मीठा’ करार दिया.

केआरके ने टिकटौक वालों की अजीब सी पहचान बताई कि उन के बाल नीलेपीले होते हैं, बालों की एक पहाड़ी इस तरफ तो दूसरी पहाड़ी उस तरफ होती है, लालपीले जूते, लालपीली ड्रैसें… भूत भी एक बार देख ले तो सोचे कि भूत वह है या ये…

आप को याद होगा कि अपने आखिरी समय में जब ऋषि कपूर अस्पताल में भरती हुए थे, तब केआरके ने ट्वीट किया था, ‘ऋषि कपूर एचएन रिलायंस अस्पताल में भरती हुए हैं. और मु झे उन से कहना है कि सर ठीक हो कर वापस आना. निकल मत लेना, क्योंकि दारू की दुकानें बस 2-3 दिन के बाद खुलने ही वाली हैं.’

इस के पहले केआरके ने ट्वीट कर के लिखा था, ‘मैं ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कोरोना कुछ फेमस लोगों को लिए बिना नहीं जाएगा. मैं ने उन के नाम नहीं लिखे थे, क्योंकि फिर लोग मु झे गालियां देने लगते. लेकिन मु झे पता था कि इरफान और ऋषि कपूर जाएंगे. मु झे यह भी पता है कि अगला नंबर किस का है.’

ऐसी क्या वजह है कि खुद केआरके की शक्ल कुछ खास नहीं है, ऐक्टिंग में वे जीरो हैं, कदकाठी भी न के बराबर है, फिर भी वे हर किसी से पंगा ले लेते हैं? इस की खास वजह यह है कि केआरके को लोगों की दुखती रग का पता होता है और वे वहीं चोट करते हैं, जहां ज्यादा दर्द होता है. वीडियो में जो भी उन की स्क्रिप्ट लिखता है, वह जानबू झ कर ऐसे शब्द इस्तेमाल करता है, जिस से बवाल हो जाए.

सलमान खान अब बूढ़े हो रहे हैं और जिस तरह फिल्म ‘राधे’ में उन्होंने डांस या ऐक्शन सीन करने की कोशिश की है या फिर वीएफएक्स से खुद को बांका जवान बनाया है, उस में वे कामयाब नहीं हुए हैं. केआरके ने तभी उन्हें हीरोइन का ‘दादा’ कह दिया. मीका को नाक से गाने वाला भी उन्होंने ही कहा था.

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पर यह साफगोई ऐसे बेहूदा शब्दों में लिपटी होती है कि जिस पर निशाना साधा जाता है, वह तिलमिला कर रह जाता है. बदले में वह कुछ बकवास कहता है, तो केआरके और ज्यादा फूहड़ हो जाते हैं.

लेकिन इस तरह के विवादों से यह भी साफ हो जाता है कि फिल्म इंडस्ट्री में जिस की खबर ज्यादा होती है, वही मशहूर भी ज्यादा कहलाता है, फिर चाहे उस का नाम कमाल राशिद खान ही क्यों न हो.

Sapna Chaudhary इस फिल्म में ग्लैमरस अंदाज से जीतेंगी फैंस का दिल, देखें Photos

हरियाणवी सेंशेसन के रूप में मशहूर नृत्यांगना,गायिका व अभिनेत्री सपना चैधरी हमेशा अपने कार्यों की वजह से चर्चा में बनी रहती हैं. इन दिनों वह निर्देशक अभय निहलानी की निर्माणाधीन फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ की मुंबई में शूटिंग करने में व्यस्त हैं.

वास्तव में इन दिनों मुंबई में नृत्य निर्देशक लोंगजी फर्नान्डिस फिल्म ‘‘लव यू लोकतंत्र’’ के लिए खास गाने का फिल्मांकन कर रहे हैं और यह गाना खास तौर पर सपना चौधरी पर फिल्माया जा रहा है,जो बेहद धमाकेदार गाना माना जा रहा है.फिलहाल इस गाने के फिल्मांकन के लिए स्टूडियो में सपना चौधरी दो दिनों तक ठुमके लगाएंगी, वहीं सपना चैधरी के ठुमके देखकर सेट पर मौजूद हर क्रू मेंबर मदमस्त हो रहा है.

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इस फिल्म की एक खासियत यह भी है कि लंबे समय बाद मशहूर लेखक संजय छैल ने इस फिल्म को लिखा है. सपना चैधरी एक ऐसा नाम बन चुका है, जिसकी मांग हर जगह है. फिर चाहे वह स्टेज शो हो या बॉलीवुड या भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री.

इतना ही नही दर्शक भी सपना चैधरी के नृत्य को देखने के लिए प्राथमिकता देते हैं. यही वजह है कि इस गाने में भी सपना चैधरी ही पहली पसंद बनकर उभरी और आज वह पूरी शिद्दत के साथ इस गाने शूटिंग में लगी हुई हैं.

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सेट पर सपना चौधरी ने कहा- ‘‘फिल्म ‘लव यू लोकतंत्र’’ एक बेहतरीन फिल्म बन रही है. इसका यह गाना इतना मजेदार है कि हर वर्ग के दर्शक इसे अवश्य देखना पसंद करेंगे. इस फिल्म के टीम के साथ जुड़कर बेहद मजा आया. उम्मीद करती हूं सभी को मेरी परफॉर्मेंस, मेरा नृत्य और फिल्म बहुत पसंद आएगी.’’

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फिल्म‘‘लव यू लोकतंत्र’’ के निर्माता एडवोकेट अमित मेहता और राज प्रेमी, प्रोडक्शन हेड अखिलेश राय, कैमरामैन नरेंद्र जोशी, नृत्य निर्देशक लोंगजी फर्नान्डिस, लेखक संजय छैल और
संगीतकार जतिन ललित हैं.

इस फिल्म के मुख्य कलाकार है रवि किशन ,स्नेहा उल्लल, ईशा कोपिकर राज प्रेमी, मनोज जोशी, अली असगर, दयाशंकर पांडेय, देव सिंह, अमित मेहता, बॉबी खन्ना और सुधीर पांडेय है.

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कलर्स टीवी का मशहूर सीरियल ‘बालिका वधू’ जल्द ही अपने नए सीजन के साथ दस्तक देने वाला है. खबर यह आ रही है कि ‘बालिका वधू’ के दूसरे सीजन की नई आनंदी और जगिया की तलाश कर ली गई है.

जी हां, एक रिपोर्ट की मानें तो चाइल्ड आर्टिस्ट वंश स्यानी (Vansh Sayani) सीरियल ‘बालिका वधू’ में जगिया का किरदार निभाने वाले हैं. तो वहीं श्रेया पटेल छोटी आनंदी का रोल प्ले करने वाली हैं.

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आपको ‘बालिका वधू’ के दूसरे सीजन में आनंदी के किरदार में श्रेया पटेल और जगिया के किरदार में वंश स्यानी नजर आएंगे. खबरों की मानें तो सीरियल ‘बालिका वधू’ के सीजन 2 की शूटिंग भी शुरू की जा चुकी है. शो की शूटिंग इन दिनों राजस्थान में की जा रही है.

 

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आपको बता दें कि सीरियल ‘बालिका वधू’ के पहले सीजन में अविका गौर (Avika Gor) ने आनंदी और अविनाश मुखर्जी (Avinash Mukherjee) ने जगिया का रोल प्ले किया था. अविका गौर और अविनाश मुखर्जी के अलावा सीरियल ‘बालिका वधू’ में सुरेखा सीकरी, शशांक व्यास, विक्रांत मेसी और सिद्धार्थ शुक्ला जैसे सितारे भी नजर आए थे.

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इस सीरियल  में अविका गौर नन्ही आनंदी के किरदार में काफी मशहूर हुईं. ‘बालिका वधू’ के नए सीजन में सुप्रिया शुक्ला, सीमा मिश्रा, संनी पंचोली, रिद्धि नायक शुक्ला जैसे कालाकार नजर आएंगे.

गोदभराई में दुल्हन बनीं टीवी एक्ट्रेस किश्वर मर्चेंट, पति Suyyash Rai ने यूं लुटाया प्यार

टीवी एक्ट्रेस किश्वर मर्चेंट इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. आए दिन वह अपनी फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं. फैंस को भी उनके पोस्ट का बेसब्री से इंतजार रहता है. एक्ट्रेस जल्द ही मां बनने वाली हैं. वह अपनी प्रेग्नेंसी के दिनों को खूब इंजॉय कर रही हैं.

जी हां, एक्ट्रेस के घर जल्द ही नया मेहमान दस्तक देने वाला है. हाल ही में एक्ट्रेस की गोद भराई की रस्म हुई,  इस रस्म की फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रही हैं. इन फोटोज में पति Suyyash Rai किश्वर मर्चेंट पर खूब प्यार लुटा रहे हैं.

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इन तस्वीरों में किश्वर मर्चेंट पिंक कलर के शानदार ड्रेस में नजर आ रही हैं. इस पिंक कलर की ड्रेस के साथ किश्वर मर्चेंट ने मैचिंग फ्लोरल ज्वैलरी कैरी की है. वहीं एक वीडियो में किश्वर मर्चेंट लाल रंग का दुपट्टा ओढ़े नजर आ रही हैं.

दूसरी वीडियो में सुयश राय अपने डॉगी के साथ किश्वर मर्चेंट का मन बहलाते नजर आ रहे हैं. सुयश राय की हरकतें देखकर किश्वर मर्चेंट के चेहरे पर भी मुस्कान आ गई.

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गोद भराई में एक्ट्रेस बिल्कुल दुल्हन की तरह नजर आ रही हैं. आपको बता दें कि इस रस्म के लिए किश्वर मर्चेंट ने अपने हाथ पर एक बच्चे की तस्वीर बनवाई है.

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 टीवी का मशहूर सीरियल अनुपमा फेम सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) ने  एक फैन को खो दिया है, जिससे वह काफी दुखी है. उन्होंने  फैन की मौत पर शोक जताई है. एक्टर ने फैन की मौत को लेकर इंस्टाग्राम स्टोरी पर पोस्ट किया है.

अनुपमा के वनराज ने अपने फैन की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए अपनी इंस्टाग्राम स्टोरी पर पोस्ट किया है. दरअसल एक्टर ने फैन के इंस्टाग्राम अकाउंट का स्क्रीनशॉट शेयर किया है. इसमें आप देख सकते हैं कि इस स्क्रीनशॉट में रूपाली गांगुली के बहुत बड़े फैन होने का दावा किया गया था.

anupama

सुधांशु पांडे ने इंस्टाग्राम स्टोरी पर फैन के इंस्टाग्राम पेज का एक स्क्रीनशॉट शेयर करते लिखा है कि @anupama_sparkale के परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना. हमने एक रॉयल फैन और उनका आशीर्वाद खो दिया है.

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आपको बता दें कि कुछ दिनों से रूपाली गांगुली और सुधांशु पांडे के बीच अनबन की खबरे आ रही है. बताया जा रहा था कि दोनों के बीच कोल्ड वार चल रहा है. इतना ही नहीं ये भी खबर आई थी कि सेट पर दो ग्रुप बनाए गए हैं. लेकिन इसी बीच सुधांशु पांडे ने अफवाहों पर चुप्पी तोड़ी. एक्टर ने कहा कि रूपाली और मैं अच्छे को-एक्टर्स और दोस्त भी हैं. हमारे बीच कुछ भी गलत नहीं है.

 

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उन्होंने आगे कहा कि कई बार दो एक्टर्स के बीच मतभेद होना बहुत कॉमन है और ये चीजें किसी भी दिन हो सकती हैं. अक्सर ऐसा होता है जब आप ‘किसी बात पर सहमत न हों और थोड़ा परेशान हो जाएं लेकिन फिर बात खत्म हो गई. उन्होंने ये भी कहा कि ऐसा न केवल सेट पर काम करने वाले एक्टर्स के साथ होता है, यह घर पर भी दो व्यक्तियों के बीच होता है.

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अनुपमा सीरियल के लेटेस्ट ट्रैक में दिखाया जा रहा है कि काव्या, अनुपमा को घर से निकालने के लिए कुछ भी  करने को तैयार है. अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि किंजल अनिपमा के खिलाफ होगी. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या काव्या का प्लान सक्सेस होगा?

Crime: ओलिंपियन सुशील कुमार गले में मेडल, हाथ में मौत

आज सुशील कुमार जिस मुकाम पर हैं, उन का नाम एक बड़े अपराध से जुड़ना वाकई दुखद है और सवाल खड़ा करता है कि क्यों किसी नामचीन पहलवान ने ऐसी वारदात को अंजाम दिया, जो उस की जिंदगी को पूरी तरह बरबाद कर सकती है?

यह सवाल उठने की एक वजह यह भी है कि सुशील कुमार ने कुश्ती में जो कारनामे किए हैं, वह कोई हंसीखेल नहीं है, वरना साल 2008 से पहले चंद खेल प्रेमियों को छोड़ दें तो बहुत से लोगों को यह भी नहीं पता था कि सुशील कुमार, योगेश्वर दत्त, अखिल कुमार और विजेंदर सिंह में से कौन मुक्केबाज है और कौन पहलवान.

लेकिन भारत ने साल 2008 में चीन में हुए बीजिंग ओलिंपिक खेलों में जो ऐतिहासिक प्रदर्शन किया था, उस में कुश्ती में सुशील कुमार और मुक्केबाजी में विजेंदर सिंह ने कांसे का तमगा जीता था. तब से सुशील कुमार ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और वे न केवल साल 2010 में वर्ल्ड चैंपियन बने, बल्कि साल 2012 में इंगलैंड के लंदन ओलिंपिक में कांसे के तमगे का रंग बदलते हुए उसे चांदी का कर दिया था.

देश की जनता और सरकार ने भी सुशील कुमार को प्यार और तोहफे देने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. खेल जगत का हर बड़ा अवार्ड तो मिला ही, उन्हें नौकरी भी ऐसी दी गई कि वे भविष्य के पहलवानों को अपनी निगरानी में तराश सकें. इतना ही नहीं, 1982 में दिल्ली में हुए एशियाई खेलों के गोल्ड मेडलिस्ट और सुशील कुमार के गुरु महाबली सतपाल ने उन्हें अपना दामाद बनाया.

एक मुलाकात में मैं ने महाबली सतपाल से पूछा था कि उन्होंने सुशील को ही अपनी बेटी सवी के लिए क्यों चुना? तब अपने चिरपरिचित अंदाज में मुसकराते हुए उन्होंने मु झ से ही सवाल कर दिया था कि क्या आज की तारीख में मेरी बेटी के लिए सुशील से योग्य वर तुम्हें कोई दूसरा दिखता है?

सवी से शादी हुई और सुशील कुमार जुड़वां बेटों के पिता बने. इतना ही नहीं, उन्होंने अपने छोटे भाइयों का भी खास खयाल रखा. नजफगढ़ में उन्होंने ‘सुशील इंटरनैशनल’ नाम से एक स्कूल खोला, जिसे उन के भाई संभालते हैं.

फिर ऐसा क्या हुआ कि एक गरीब ड्राइवर के बेटे सुशील कुमार को यह तरक्की और जनता का प्यार रास नहीं आया और उन के साथ धीरेधीरे ऐसे विवाद जुड़ते गए, जो उन्हें अर्श से फर्श तक ले आए?

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जितना मैं ने सुशील कुमार को जाना और सम झा है, साल 2008 उन की जिंदगी का टर्निंग पौइंट था. बीजिंग ओलिंपिक में मेडल जीतते ही दिल्ली देहात का एक लड़का अचानक सुर्खियों में आ गया था. तब उन की उम्र 25 साल थी और उन्होंने अपनी जिंदगी के तकरीबन 12 साल उस छत्रसाल स्टेडियम में गुजार दिए थे.

पर अब चूंकि सुशील कुमार ओलिंपिक मैडल विजेता थे, तो लोग उन्हें अपने कार्यक्रमों में बतौर मुख्य अतिथि न्योता देने लगे थे. पर तब उन के सामने एक बड़ी समस्या यह आती थी कि वे अपनी बात को उतनी आसानी और रोचक ढंग से लोगों के सामने नहीं रख पाते थे. उन की यह  िझ झक बहुत दिनों के बाद दूर हो पाई थी, वरना बहुत सी बार तो उन के कोच ही मीडिया के सवालों के जवाब दे दिया करते थे.

ऐसे ही एक समारोह में मैं ने सुशील कुमार का पहली बार इंटरव्यू किया था और वह भी ठेठ हरियाणवी भाषा में. यह भाषा उन के लिए सहज थी, तो वे भी हरियाणवी में बोलना शुरू हो गए थे. मेरे सवालों का जवाब देते हुए उन के चेहरे पर गजब का आत्मविश्वास दिखा था.

इस के बाद हम बहुत बार मिले. ज्यादातर दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में या फिर सोनीपत के पास बहालगढ़ स्पोर्ट्स अथौरिटी औफ इंडिया के कौंप्लैक्स में, जहां वे एक अलग अंदाज में रहते थे. इन दोनों जगहों पर वे अपने साथियों के साथ जमीन पर गद्दे लगा कर सोते थे और अपना खाना खुद बनाते थे.

जहां तक मु झे याद है, साल 2008 में ओलिंपिक मैडल जीतने के बाद सुशील कुमार के बहालगढ़ वाले कमरे में पहला एयरकंडीशनर लगा था, वरना मैं ने उन्हें मई की चिलचिलाती गरमी में तंबू में बिना पंखे के घोड़े बेच कर सोते देखा है. तब वे इस कहावत को सच साबित कर देते थे कि किसी सोते हुए पहलवान को नहीं जगाना चाहिए, क्योंकि मेहनत करने के बाद जब वह सोता है तो मुरदे के समान बेसुध हो जाता है.

चूंकि दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ज्यादातर पहलवान हरियाणा या दिल्ली देहात के होते थे, तो उन का हंसीमजाक भी उसी देशीपन से भरा होता था. वे सब तूतड़ाक की भाषा बोलते थे और जो पहलवान कसरत कम कर के खाने पर ज्यादा जोर देता था, उसे दूसरे पहलवान ‘चून’ (आटा) कह कर चिढ़ाते थे.

वैसे भी कुश्ती या पहलवानी से ऐसे बच्चों का नाता ज्यादा रहता है, जो पढ़ाईलिखाई में फिसड्डी ही होते हैं. घर के लोग उन से परेशान हो कर अखाड़े में भेज देते हैं, जहां से बहुत कम ही आगे की ट्रेनिंग के लिए बड़े शहर जा पाते हैं. उन में से भी कोई विरला ही सुशील कुमार बन पाता है.

कहने का मतलब यह है कि सुशील कुमार साल 2008 के बाद अपनी कड़ी मेहनत और कुश्ती के दांवपेंच से देश की शान तो बनते जा रहे थे, पर जिस स्टेडियम वाली जिंदगी से वे प्यार करते थे, वहां खेल की बारीकियां तो सिखा दी जाती थीं, लेकिन शिष्टाचार सिखाने वाले की बेहद कमी थी.

वैसे तो आप किसी भी क्षेत्र में हों, आप का शिष्टाचारी होना अच्छे इनसान होने की निशानी है, लेकिन खिलाडि़यों से भी इसी गुण की डिमांड ज्यादा रहती है. पर अफसोस, बड़े से बड़े खिलाड़ी शिष्टाचार के मामले में मात खा जाते हैं.

दुनियाभर में बहुत से खिलाड़ी पैसे से भले ही मालामाल हुए, पर शिष्टाचार के मामले में फुस निकले. हर कोई सचिन तेंदुलकर और अभिनव बिंद्रा की तरह सौम्य और शिष्टाचारी नहीं  बन पाया.

किसी खिलाड़ी का शिष्टाचारी होना क्यों जरूरी है? क्या शिष्टाचार खिलाड़ी में संयम बनाए रखता है? सरकार और खेल फैडरेशन वाले इस तरफ ध्यान

क्यों नहीं देते हैं? क्या अब समय आ गया है कि फैडरेशन वाले खिलाडि़यों  को शिष्टाचार सिखाने के लिए टीचर बहाल करें?

इन सब सवालों के जवाब महिला फुटबाल की कप्तान रह चुकी सोना चौधरी ने दिए, जो अब मोटिवेशनल स्पीकर भी हैं और कई सरकारी संस्थाओं के मुलाजिमों को जीवन जीने की कला के टिप्स देती हैं.

सोना चौधरी ने इस मुद्दे पर बताया, ‘‘हर खिलाड़ी में साहस होना चाहिए, पर साथ ही उसे होश भी नहीं खोना चाहिए. एक मुकाम पर पहुंच कर हर खिलाड़ी को यह फैसला करना होता है कि उसे समाज में कैसी इमेज बनानी है. उसी हिसाब से आप अपना रोल मौडल भी चुनते हैं, फिर जरूरी नहीं है कि वह रोल मौडल नामी खिलाड़ी ही हो.

‘‘जब मैं फुटबाल खेलती थी, तब मैं मदर टैरेसा की बहुत बड़ी फैन थी. एक बार कोलकाता में हम ने उन से मिलने का समय भी ले लिया था, पर किसी वजह से मिलना मुमकिन नहीं हो पाया था.

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‘‘कहने का मतलब है कि आप जिन गुणों को आत्मसात करना चाहते हैं, उसी मिजाज के लोगों से मिलते हैं या मिलने की कोशिश करते हैं.

‘‘जब आप किसी बड़े मुकाम पर पहुंच जाते हैं, तो आप का निजीपन खो जाता है. आप की समाज और देश के प्रति जवाबदेही बढ़ जाती है. उस रुतबे को बरकरार रखने के लिए और भी ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है.

‘‘हर कदम सोचसोच कर रखना पड़ता है, हर शब्द सोचसोच कर बोलना पड़ता है, क्योंकि किसी सार्वजनिक प्लेटफार्म पर आप जो भी बोलते हैं, उसे बहुत से लोग सुनते हैं और अपनी जिंदगी में ढालने की कोशिश करते हैं.

‘‘खिलाड़ी को अपने शिष्टाचार का बहुत ध्यान रखना चाहिए. इस से उस की इमेज बनती है. सरकार और खेल फैडरेशन को अलगअलग फील्ड के माहिर लोगों को बुला कर खिलाड़ी की हर तरह से इमेज डवलप करानी चाहिए. इस के लिए कौंट्रैक्ट पर भी लोगों को रखा जा सकता है.

‘‘लेकिन यह एक बार की ट्रेनिंग से मुमकिन नहीं है, बल्कि यह तो बारबार होना चाहिए, 15 दिन में या महीने में जरूर. तभी कोई खिलाड़ी अच्छा इनसान भी बनता है.

‘‘याद रखिए कि कोई खिलाड़ी बड़ी मुश्किल से ऊंचे मुकाम तक पहुंच पाता है, पर अच्छा इनसान उस से भी मुश्किल से बनता है.

‘‘मेरा मानना है कि शिष्टाचार किसी को डराने की प्रेरणा नहीं देता है, बल्कि यह तो दूसरों को भी गलत राह पर जाने से रोकता है.’’

जहां तक खिलाडि़यों और अपराध के संबंध की बात है, तो रोहतक, हरियाणा के एक वकील नीरज वशिष्ठ का कहना है, ‘‘सभ्य समाज में ऐसे अपराध की कोई जगह नहीं है और जब अपराध खेल जगत में अपने दबदबे के लिए दस्तक देने लगे तो हमें जरूर सोचना चाहिए. जिस खेलकूद से हम अपने बच्चों का भविष्य जोड़ कर देखते हैं, उस में अगर ‘‘मैं ही सबकुछ’’ की जिद हावी हो जाती है तो उस से न केवल खेल, बल्कि उस में शामिल सभी का नुकसान ही होता है.

‘‘हम सब को इस आपराधिक सोच को रोकना होगा, नहीं तो खेल जगत में जो नाम हमारे देश ने हासिल किया है, उसे धूल में मिलते देर नहीं लगेगी.’’

देशदुनिया में इतना नाम मिलने के बावजूद आज अगर सुशील कुमार इस हालत में हैं, तो कानून को भी बारीकी से उन सभी पहलुओं पर गौर करना होगा, जो उन के अपराधी बनने में मददगार साबित हुईं. सागर धनखड़ को तो वापस नहीं लाया जा सकता, पर सुशील कुमार जैसे बड़े खिलाड़ी को अपराध की राह पर जाने से रोका जा सकता है.

कानून का काम केवल सजा दिलाना ही नहीं है, बल्कि अपराधी को अच्छा इनसान बनने की प्रेरणा देना भी कानून का ही फर्ज है.

बात थोड़ी फिल्मी है, पर साल 1971 में आई राजेश खन्ना की फिल्म ‘दुश्मन’ में उन के निभाए गए किरदार से शराब के नशे में गाड़ी चलाते हुए एक आदमी रामदीन की मौत हो जाती है, जिस के बाद कानून उस किरदार को रामदीन के परिवार की देखभाल करने की अनोखी सजा देता है.

लेकिन रामदीन का परिवार उस के साथ दुश्मन जैसा बरताव करता है. लेकिन राजेश खन्ना का किरदार न केवल उस परिवार के पालनपोषण की जिम्मेदारी उठाता है, बल्कि दुश्मन से दोस्त बन जाता है.

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क्या गुनाह साबित होने के बाद सुशील कुमार को भी ऐसी कोई सजा मिल सकती है, जो भारतीय समाज को फिल्म ‘दुश्मन’ जैसा ही संदेश दे जाए? ऐसी सजा जिस में किसी अपराधी को अच्छा इनसान बनने का मौका मिले और अगर वह नामचीन खिलाड़ी है, तो फिर ऐसा करना ज्यादा जरूरी हो जाता है.

सुशील कुमार की इस पैरवी की एक बड़ी वजह यह भी है कि अगर उन्हें आदतन अपराधी मान कर कड़ी सजा दी जाती है, तो यह उन नए पहलवानों का मनोबल तोड़ देगी, जो सुशील कुमार को गुरु मान कर अखाड़े में उतरे हैं.

आज सुशील कुमार को दुनिया के सामने तौलिए के पीछे मुंह छिपाने पर उन की खिल्ली उड़ाने वालों या उन्हें ‘गैंगस्टर’, ‘डौन’ कहने वालों को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि इस पहलवान ने दुनिया के मंच पर तिरंगे को फख्र से लहराने का काम कई बार किया है. अब तक आगामी टोक्यो ओलिंपिक में भारत के 8 पहलवानों ने अपना टिकट पक्का कर लिया है, उन में से ज्यादातर के आदर्श सुशील कुमार ही हैं.       द्य

और भी कांड हुए हैं

* हरियाणा के रोहतक में शुक्रवार, 12 फरवरी की शाम हुए एक हत्याकांड में 5 लोगों की मौत हो गई थी. मरने वालों में 2 कोच और एक महिला पहलवान शामिल थी. इस हत्याकांड को अंजाम देने का आरोप अखाड़े में ट्रेनर का काम करने वाले सुखविंदर पर लगा था.

* इसी तरह साल 2019 के नवंबर महीने में हरियाणा की रहने वाली नैशनल लैवल की ताइक्वांडो खिलाड़ी सरिता जाट को कुश्ती के एक खिलाड़ी सोमवीर जाट ने गोली मार दी थी.

सोमवीर जाट सरिता से प्यार करता था और उस से शादी करना चाहता था, पर सरिता के मना करने पर वह बहुत ज्यादा गुस्सा हो गया था और उस ने सरिता की मां के सामने ही उस की छाती में गोली ठोंक दी थी.

इस वारदात के तकरीबन एक साल बाद आरोपी सोमवीर जाट को पुलिस ने राजस्थान के दौसा इलाके से गिरफ्तार किया था.

* साल 2015 में रोहतक के कबड्डी खिलाड़ी रह चुके सन्नी देव उर्फ कुक्की के सिर भी एक खून का इलजाम लगा था. कुक्की नैशनल लैवल का कबड्डी खिलाड़ी था. विरोधी पक्ष के हत्थे जब कुक्की नहीं लगा तो उस ने कुक्की के छोटे भाई और नैशनल लैवल के कबड्डी खिलाड़ी सुखविंदर नरवाल को गोलियों से भून डाला था.

* हरियाणा के लिए क्रिकेट खेल चुका सुरजीत रंगदारी के मामले में पुलिस के हत्थे चढ़ा था. वह रंगदारी से पैसा इकट्ठा कर के फिर से क्रिकेट खेलना चाहता था, लेकिन पैसे कमाने का उस का यह तरीका उसे जुर्म की राह पर ले गया.

* दिल्ली का जितेंद्र उर्फ गोगी वौलीबाल का नैशनल लैवल का खिलाड़ी था. उस का उठनाबैठना बदमाशों के साथ हो गया और उस ने खेल छोड़ कर दिल्ली, सोनीपत, पानीपत व दूसरी कई जगहों पर वारदात करनी शुरू कर दी थी.

Satyakatha: दो नावों की सवारी- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

धीरेधीरे समय बीतता रहा. पूजा गर्भवती हो गई. वह बच्चे को ले कर बेहद संजीदा थी. पूजा ने एक दिन रात में पति को फोन पर किसी औरत से बात करते सुन लिया. जब उस ने पति से पूछा कि इतनी देर रात को किस से बात कर रहे हो तो उस की बात सुन कर वह एकदम से हड़बड़ा गया और उस के माथे पर पसीने छूट गए थे. फिर वह बातें बनाते हुए औफिशियल बात कह कर टाल कर चुपचाप सो गया.

न जाने क्यों पूजा को जितेंद्र पर संदेह हो गया था कि वह उस से कुछ छिपा रहा है. उस दिन के बाद से पूजा पति पर नजर रखने लगी. आखिरकार पूजा के सामने जितेंद्र की सच्चाई खुल कर आ ही गई.

पूजा को पता चल गया कि जितेंद्र की जिंदगी में कोई दूसरी औरत है. वह औरत कोई और नहीं, उस की पहली बीवी है. यानी जितेंद्र पहले से शादीशुदा था और उस ने इतनी बड़ी बात उस से छिपा कर रखी थी.

उस के प्यार और विश्वास के साथ उस ने इतना बड़ा धोखा किया. पूजा को ऐसा लगा जैसे काटो तो खून नहीं. वह सिर पकड़ कर धम्म से गिर गई और कोख के ऊपर हाथ फेरते हुए सुबकने लगी थी.

उस की आंखों के सामने जैसे अंधेरा छा गया था. पलभर के लिए जैसे सोच नहीं पा रही थी कि वह करे तो क्या करे, कहां जाए, किस के कंधे पर सिर रख कर रो ले, ताकि उस का दुख थोड़ा कम हो जाए.

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पूजा इतनी आसानी से जितेंद्र को छोड़ने वाली नहीं थी. क्योंकि उस ने उसे धोखे में रख कर उस की जिंदगी बरबाद की थी. औरत सब कुछ बरदाश्त कर सकती है, लेकिन अपने सुहाग को हिस्सों में बंटता कभी नहीं देख सकती. पहली औरत यानी सौतन को ले कर पूजा और जितेंद्र के बीच खूब झगड़ा हुआ.

उस ने जितेंद्र से सवाल किया कि मेरी जिंदगी को क्यों बरबाद किया, जब पहले से शादीशुदा थे, तो धोखा क्यों दिया? बताया क्यों नहीं उस के बच्चे भी हैं, जो कहीं और रहते हैं.

पूजा चुप बैठने वालों में से नहीं थी. एक दिन उस ने पति की पहली पत्नी अन्नू को फोन कर के सारी असलियत बता दी. पति की सच्चाई जान कर अन्नू बिफर गई और सौतन को ले कर दोनों में खूब झगड़ा हुआ. अन्नू ने पति को धमकी दी कि अगर उस ने सौतन पूजा से संबंध नहीं तोड़ा तो वह बच्चों के साथ आत्महत्या कर लेगी.

पत्नी की आत्महत्या कर लेने की धमकी से जितेंद्र बुरी तरह डर गया और अगले दिन धार पत्नी के पास पहुंच गया. जितेंद्र ने जो गलती की थी, उस का तो परिणाम यही होना था.

2 नावों पर सवार जितेंद्र अस्के की जिंदगी अब डगमगाने लगी थी. वह किसे छोड़े और किसे अपनाए, इसी ऊहापोह में डूबा हुआ था. दोनों पत्नियों के बीच जितेंद्र पिस कर रह गया था. मंझधार में अटका जितेंद्र किनारे की तलाश में भटक रहा था, लेकिन उसे वह किनारा मिल नहीं रहा था.

बात 22 अप्रैल, 2021 की है. जितेंद्र धार में पहली पत्नी अन्नू के साथ था. दोनों पत्नियों को ले कर महीनों से घर में महाभारत छिड़ी थी. बात नातेरिश्तेदारों तक पहुंच गई थी. चारों ओर जितेंद्र की थूथू हो रही थी.

अब पानी सिर के ऊपर से बहने लगा था. 2 दिन पहले ही जितेंद्र का छोटा भाई राहुल अस्के, जो मध्य प्रदेश पुलिस में एसआई था. उस की तैनाती छिंदवाड़ा में थी. उस समय वह घर आया था. राहुल की मौसी का बेटा नवीन भी वहां आया था.

उसी दौरान दोपहर के समय अन्नू के मोबाइल पर पूजा का फोन आया. पति के सामने फोन पर दोनों सौतनों के बीच खूब झगड़ा हुआ. पूजा ने पति को भी खूब खरीखोटी सुनाई.

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बड़े भाई का अपमान राहुल देख नहीं पाया. उस के तनबदन में आग लग गई थी. उसी वक्त राहुल और नवीन ने जितेंद्र के सामने उस की सहमति से पूजा की हत्या की बात कही तो जितेंद्र ने अपनी ओर से उसे हरी झंडी दे दी. क्योंकि पूजा के रोजरोज के झगड़े से वह ऊब चुका था.

भाई की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद 23 अप्रैल की शाम राहुल और नवीन इंदौर के लिए रवाना हो गए. 24 अप्रैल को दोपहर में दोनों इंदौर के मल्हारगंज स्थित रामदुलारी अपार्टमेंट पहुंच गए. देवरों को देख कर पूजा खुश हुई थी. उसे क्या पता था कि जिन्हें देख कर वह खुश हो रही है, वह मेहमान के रूप में साक्षात यमदूत हैं, राहुल और नवीन को आते पड़ोसन सीमा ने देख लिया था.

खैर, पूजा देवरों को अंदर लाई और उन्हें कमरे में बिठाया और खुद उन के लिए चाय बनाने किचन में चली गई. थोड़ी देर बाद 3 प्याली में चाय और एक प्लेट में नमकीन ले कर आई. तीनों ने एक साथ बैठ कर चाय पी.

जैसे ही पूजा खाली प्याली समेट कर किचन की ओर बढ़ी, तभी पीछे से राहुल और नवीन उस पर टूट पड़े. नवीन ने भाभी पूजा के दोनों पैर पकड़ लिए और राहुल ने गला घोंट कर उसे मार डाला. उस के बाद दोनों ने उस की लाश ले जा कर ऐसे सुला दी, जैसे वह बिस्तर पर सो रही हो. फिर दोनों फरार हो गए. तीनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक पूजा अस्के उर्फ जाह्नवी के तीनों हत्यारोपी कंपनी कमांडर जितेंद्र अस्के, एसआई राहुल अस्के और नवीन अस्के जेल की सलाखों के पीछे कैद थे. पूजा की मौत का जितेंद्र को जरा भी गम नहीं था. द्य

—कथा में सीमा परिवर्तित नाम है. कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

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