भोजपुरी एक्ट्रेस Monalisa ने फ्रेंड के बर्थडे पर लगाए ठुमके, देखें Viral Video

भोजपुरी इंडस्ट्री की बोल्ड एक्ट्रेस मोनालिसा (Monalisa) सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह आए दिन फैंस के साथ फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं. अब उन्होंने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह हॉट मूव्स देते हुए नजर आ रही है.

वीडियो देखकर आप अंदाजा लगा सकते हैं कि एक्ट्रेस इन दिनों  अपने दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रही हैं.  दरअसल यह वीडियो उनके दोस्त की बर्थडे पार्टी का है. मोनालिसा इस पार्टी में नीले रंग की शॉर्ट ड्रेस में नजर आ रही हैं.

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इस वीडियो में आप देख सकते हैं कि मोनालिसा ने जलेबी बाई गाने पर जमकर डांस किया है. जो वीडियो फैंस के बीच लगातार वायरल हो रहा है. मोनालिसा का डांसिंग वीडियो देखने के बाद फैंस कमेंट कर रहे हैं कि हर एक लड़के को उम्मीद होती है कि उनकी दोस्त बर्थडे पार्टी में जबरदस्त डांस करेगी.

 

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बता दें कि मोनालिसा अब तक कई टीवी शोज में नजर आ चुकी हैं. एक्ट्रेस इन दिनों ‘नमक इश्क का’ में दिखाई दे रही हैं. मोनालिसा का निगेटिव किरदार फैंस को काफी पसंद आता है.

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Imlie के मुंह पर कालिख लगावगी अनु, सबके समाने पूछेगी ये सवाल

टीवी सीरियल ‘इमली’ की कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. कहानी में आए दिन नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो के बिते एपिसोड में दिखाया गया कि मालिनी इमली पर गुस्सा करती है कि वह और आदित्य लंबे समय से अपनी शादी की बात छिपाते आ रहे हैं. वह आगे कहती है कि किसी भी तरह घरवालों से सारी बात बता दो. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते है, क्या होगा शो के लेटेस्ट एपिसोड में.

शो में दिखाया जा रहा है कि अनु मालिनी बातें चोरी-छिपे सुन लेगी और उसे पता चल जाएगा कि आदित्य ने मालिनी को इमली की वजह से छोड़ा है. अभी तक अनु आदित्य और इमली पर शक ही करती थी लेकिन मालिनी की बातें सुनने के बाद उसका शक यकीन में बदल जाएगा.

 

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शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनु इमली को सबक सिखाने का नया प्लान बनाएगी. वह इमली के कॉलेज में जाएगी और वहां मीडिया बुलाएगी. मीडिया इमली को घेरकर कई सवाल पूछेगी. भीड़ देखकर इमली घबरा जाएगी.

 

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तो वहीं अनु की एंट्री होगी और सबके सामने वह इमली से पूछेगी क्या आदित्य के साथ उसका चक्कर चल रहा है?  इसके बाद वह इमली के मुंह पर कालिख भी लगवा देगी.

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शो के पिछले एपिसोड में आपने देखा कि आदित्य और मालिनी को पता चल गया है कि इमली मीठी और देव की नाजायज औलाद है. तो वहीं मालिनी चाहती है कि इमली को पिता का नाम मिले और वह इसके लिए देव से भी बहस करती दिखाई दी.

‘दिलीप कुमार’ की मौत से भावुक हुए अमिताभ बच्चन, Tweet किया ये इमोशनल पोस्ट

हिन्दी सिनेमा के दिग्गज एक्टर दिलीप कुमार ( Dilip Kumar) का निधन हो गया है. आज सुबह दिलीप कुमार ने आखिरी सांस ली. 98 साल की उम्र में एक्टर ने दुनिया को अलविदा कहा. दिलीप कुमार की मृत्यु की खबर से  बॉलीवुड इंडस्ट्री में  शोक की लहर छा गई है. तो वहीं फैंस भी उनके मृत्यु पर शोक व्यक्त कर रहे हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, दिलीप कुमार लम्बे समय से बीमार चल रहे थे. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. जिसके कारण उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन अब वे इस दुनिया में नहीं रहे. ऐसे में हर कोई उनके मृत्यु को लेकर शोक व्यक्त कर रहा है. तो वहीं  बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने भी दिलीप कुमार की मृत्यु पर इमोशनल पोस्ट किया है.

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अमिताभ बच्चन ने अपने ट्वीट करते हुए लिखा है कि सिनेमा का चलता-फिरता इंस्टीट्यूशन चला गया… जब भी भारतीय सिनेमा का इतिहास लिखा जाएगा, उसमें इस बात का जिक्र होगा कि भारतीय सिनेमा दिलीप कुमार से पहले कैसा था और दिलीप कुमार के बाद कैसा हो गया.

बिग बी ने आगे लिखा कि मैं अपनी ओर से दिलीप कुमार साहब की आत्मा के लिए प्रार्थना करता हूं. भगवान दिलीप साहब के परिवार को इस दुख की घड़ी में शक्ति दें.

बता दें कि दिलीप कुमार का पूरा नाम मोहम्मद यूसुफ खान था. एक्टर ने 1944 में ‘ज्वार भाटा’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था. लेकिन फिल्म ‘जुगनू’ से उन्हें इंडस्ट्री में खास पहचान मिली.

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दिलीप कुमार को लेकर एक दिलचस्प घटना अक्सर याद किया जाता है. बताया गया था कि दिलीप कुमार की किसी बात पर अपने पिता से बहस हो गई थी, जिसके बाद वह घर से भाग गए थे. उस वक्त दिलीप कुमार की उम्र सिर्फ 18 साल की थी. उन्होंने एक पारसी कैफे के मालिक की मदद से पुणे में एक सैंडविच का स्टॉल लगाया. और उन्होंने सैंडविच बेचकर 5 हजार से अधिक रुपये जमा किए.

Manohar Kahaniya- दुलारी की साजिश: भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

‘‘तुम बहुत समझदार हो. बहुत जल्द मेरी बात समझ गई. रुपए का इंतजाम कर के रखना, जल्द ही फोन कर के बताऊंगा कि पैसे कब और कहां पहुंचाने हैं.’’ इस के बाद दूसरी ओर से फोन कट गया.

स्क्रीन पर जिस नंबर को देख कर पिंकी की आंखों में चमक जागी थी, वह नंबर उस के पति का था. बदमाशों ने अनिल के फोन से काल कर के फिरौती की रकम मांगी थी. ताकि पुलिस उन तक पहुंच न सके.

खैर, पति के अपहरण की जानकारी पिंकी ने जैसे ही घर वालों को दी, उस की बातें सुन कर सभी स्तब्ध रह गए. किंतु उन्हें इस बात से थोड़ी तसल्ली हुई थी कि अनिल जिंदा हैं और बदमाशों के कब्जे में हैं. अगर उन्हें फिरौती की रकम दे दी जाए तो उन की सहीसलामत वापसी हो सकती है.

अनिल उरांव की मिली लाश

बदमाशों की धमकी सुन कर पिंकी और उस की ससुराल वालों ने पुलिस को बिना कुछ बताए 10 लाख रुपए का इंतजाम कर लिया और शाम होतेहोते बदमाशों के बताए अड्डे पर फिरौती के 10 लाख रुपए पहुंचा दिए गए.

बदमाशों ने रुपए लेने के बाद देर रात तक अनिल को छोड़ देने का भरोसा दिया था. पूरी रात बीत गई, लेकिन अनिल उरांव लौट कर घर नहीं पहुंचे तो घर वाले परेशान हो गए.

अनिल उरांव के फोन पर घर वालों ने काल की तो वह बंद आ रहा था. जिन दूसरे नंबरों से बदमाशों ने 3 बार काल की थी, वे नंबर भी बंद आ रहे थे. इस का मतलब साफ था कि फिरौती की रकम वसूलने के बाद भी बदमाशों ने अनिल उरांव को छोड़ा नहीं था. बदमाशों ने उन के साथ गद्दारी की थी. यह सोच कर घर वाले परेशान थे.

बात 2 मई, 2021 की सुबह की है. के. नगर थाने के झुन्नी इस्तबरार के डंगराहा गांव की महिलाएं सुबहसुबह गांव के बाहर खेतों में आई थीं. तभी उन्होंने खेत में जो दृश्य देखा, वह दंग रह गईं. किसी आदमी का एक हाथ जमीन के बाहर झांक रहा था. जमीन के बाहर हाथ देख कर महिलाएं उलटे पांव गांव की ओर भागीं और गांव पहुंच कर पूरी बात गांव के लोगों को बताई.

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खेत में लाश गड़ी होने की सूचना मिलते ही गांव वाले मौके पर पहुंच गए और इस की सूचना के. नगर थाने को दे दी.

सूचना मिलते ही थानाप्रभारी डंगराहा पहुंच गए और गड्ढे से लाश बाहर निकलवाई. शव का निरीक्षण करने पर पता चला कि हत्यारों ने मृतक के साथ मानवता की सारी हदें पार कर दी थीं. उन्होंने किसी नुकीली चीज से मृतक की दोनों आंखें फोड़ दी थीं और शरीर पर चोट के कई जगह निशान थे.

डंगराहा में एक अज्ञात शव मिलने की सूचना जैसे ही अनिल के घर वालों को मिली, वे भी मौके पर जा पहुंचे थे. उन्होंने लाश देखते ही पहचान ली. घर वाले चीखचीख कर प्रियंका उर्फ दुलारी के ऊपर हत्या का आरोप लगा रहे थे.

लोजपा नेता की लाश मिलते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई थी. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था. अपहर्त्ताओं ने धोखा किया था. रुपए लेने के बाद भी उन्होंने हत्या कर दी थी.

जैसे ही नेताजी की हत्या की सूचना लोजपा कार्यकर्ताओं को मिली, वे उग्र हो गए और शहर के हर खास चौराहों को जाम कर आग के हवाले झोंक दिया तथा पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. इधर पुलिस ने लाश अपने कब्जे में ले कर वह पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल भिजवा दी और आगे की काररवाई में जुट गए.

पुलिस ने मृतक के घर वालों के बयान के आधार पर उसी दिन दोपहर के समय मृतक की प्रेमिका प्रियंका उर्फ दुलारी को उस के घर से हिरासत में ले लिया और पूछताछ के लिए के. हाट थाने ले आई. प्रियंका ने पहले तो पुलिस को खूब इधरउधर घुमाया, किंतु जब उस की दाल नहीं गली तो उस ने पुलिस के सामने अपने घुटने टेक दिए.

प्रेमिका प्रियंका ने उगला हत्या का राज

अपना जुर्म कबूल करते हुए प्रियंका ने कहा, ‘‘इस कांड को अंजाम देने में मैं अकेली नहीं थी. 4 और लोग शामिल थे. घटना का मास्टरमांइड अंकित यादव है और उसी ने योजना के तहत इस घटना को अंजाम दिया था.’’

प्रियंका के बयान के बाद उस की निशानदेही पर पुलिस ने 2 बदमाशों मोहम्मद सादिक उर्फ राहुल और चुनमुन झा उर्फ बटेसर को धर दबोचा और थाने ले आई. घटना का मास्टरमाइंड अंकित यादव और उस का भांजा मिट्ठू कुमार यादव उर्फ मिट्ठू फरार थे.

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आरोपी मोहम्मद सादिक और चुनमुन झा ने भी अपने जुर्म कबूल कर लिए थे. पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के स्थान पर उपर्युक्त सभी को नामजद करते हुए भादंवि की धारा 302, 120बी, 364ए और एससी/एसटी ऐक्ट भी लगाया.

पुलिस ने गिरफ्तार तीनों आरोपियों प्रियंका उर्फ दुलारी, मोहम्मद सादिक उर्फ राहुल और चुनमुन झा उर्फ बटेसर को अदालत में पेश कर उन्हें जेल भेज दिया और फरार आरोपियों अंकित यादव और मिट्ठू कुमार यादव की तलाश में सरगर्मी से जुट गई थी. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में आरोपितों के बयान के आधार पर कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

35 वर्षीय अनिल उरांव मूलरूप से बिहार के पूर्णिया जिले के के. हाट थाना क्षेत्र स्थित जेपी नगर के रहने वाले थे. पिता जयप्रकाश उरांव के 2 बच्चे थे. बड़ी बेटी सीमा और छोटा बेटा अनिल. जयप्रकाश एक रिहायशी एस्टेट के मालिक थे.

विरासत में मिली अरबों की संपत्ति

पुरखों की जमींदारी थी. उन्हें अरबों रुपए की यह चलअचल संपत्ति विरासत में मिली थी. आगे चल कर यही संपत्ति उन के बेटे अनिल उरांव के नाम हो गई थी. क्योंकि

पिता के बाद वही इस संपत्ति का इकलौता वारिस था.

जयप्रकाश एक बड़ी प्रौपर्टी के मालिक थे. उन का समाज में बड़ा नाम था. उन के घर से कोई गरीब दुखिया कभी खाली हाथ नहीं जाता था. गरीब तबके की बेटियों की शादियों में वह दिल खोल कर दान करते थे.

गरीबों की दुआओं का असर था कि कभी घर में धन की कमी नहीं हुई. अगर यह कहें कि लक्ष्मी घर के कोनेकोने में वास करती थी तो गलत नहीं होगा.

यही नहीं, उन्होंने अपनी बिरादरी के लिए बहुत कुछ किया था, इसलिए लोग उन का सम्मान करते थे. बाद के दिनों में जब जयप्रकाश का स्वर्गवास हुआ तो उन्हीं के नाम पर उस कालोनी का नाम जेपी नगर रख दिया गया था.

बहरहाल, अनिल को यह संपत्ति विरासत में मिली थी, इसलिए उस की कीमत वह नहीं समझ रहे थे. पुरखों की यह दौलत अपने दोनों हाथों से यारदोस्तों पर पानी की तरह बहाने में जरा भी नहीं हिचकिचाते थे.

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समय के साथ अनिल की पिंकी के साथ शादी हो गई. गृहस्थी बसते ही वह 2 बच्चों प्रांजल और मोनू के पिता बने. अनिल की जिंदगी मजे से कट रही थी. खाने को अच्छा भोजन था, पहनने के लिए महंगे कपड़े थे और सिर ढकने के लिए शानदार और आलीशान मकान था.

कहते हैं, जब इंसान के पास बिना मेहनत किए दौलत आ जाए तो उस के पांव दलदल की ओर बढ़ने में देरी नहीं लगती है. अनिल के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था.

जमींदार घर का वारिस तो थे ही वह. अरबों की अचल संपत्ति तो थी ही उन के पास. धीरेधीरे उन्होंने उन जमीनों को बेचना शुरू किया. बेशकीमती जमीनों के सौदों से उन के पास रुपए आते रहे. जब उन के पास रुपए आए तो राजनीति की चकाचौंध से आंखें चौधियां गई थीं.

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Writer- Kadambari Mehra

अगले स्टेशन पर उतर कर वह झट से कार से पिछले स्टेशन पर लौट गया. पुलिस ने नासेर को एक टैक्सी में बैठते देखा था. पुलिस चुपचाप एक अन्य कार से उस का पीछा कर रही थी. क्रिस्टी भी कार से उस के पीछे लग गया.

नासेर ने सोचा, कहीं भागने से बेहतर वह वापस दुकान पर ही पहुंच जाए. आखिर उस के खिलाफ पुलिस के पास कोई सुबूत भी नहीं है. अत: वह वापस अपने ठिकाने लौट आया.

करीब आधे घंटे बाद क्रिस्टी सीधा उस की दुकान में दाखिल हो गया और अपना पुलिस बैज दिखा कर बोला, ‘‘अली नासेर, मुझे तुम से एक गुमशुदा लड़की फैमी के बारे में पूछताछ करनी है.’’

‘‘मैं इस नाम की किसी लड़की को नहीं जानता, तुम मेरा पीछा छोड़ दो.’’

‘‘तुम जानते नहीं हो तो लारेन को देख कर घबराए क्यों? तुम्हें उस ने पहचान लिया है, तुम्हारा एक नाम मुहम्मद है.’’

‘‘सब गलत, मुझे तंग मत करो.’’

‘‘ठीक है, तुम यहां नहीं तो पुलिस स्टेशन में अपनी सफाई दे देना, हमें अच्छी तरह पता है कि तुम और भी कई लड़कियों से संबंध रखते हो, इसलिए तुम ने 2-3 रोज पहले एक अंगरेज लड़की को भी फंसाने की कोशिश की थी. हम सब तुम्हारी बीवी साफिया को बताने वाले हैं, क्योंकि हम ने तुम्हारी बातचीत रिकौर्ड कर ली है.’’

अब अली नासेर कुछ ढीला पड़ा, उस ने क्रिस्टी से कहा, ‘‘चलो, ऊपर चल कर इतमीनान से बातें करते हैं.’’

क्रिस्टी उस के साथ ऊपर फ्लैट में अकेला चला गया, मगर अपनी जेब में रखे अलार्म बटन को दबा कर उस ने एंडी और मौयरा को इत्तला दे दी.

‘‘इतनी अच्छी साजसज्जा कितने पैसों में कराई?’’

‘‘नहीं, यह सब तो मैं ने खुद किया है.’’

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फ्लैट बहुत शानदार ढंग से सजा था. हलके पीले रंग की दीवारें, सफेद रंग की खिड़कियां, दरवाजे, शानदार सफेद लैदर का सोफा उस पर हरेफीरोजी रंग के खूबसूरत कुशन. वैसे ही हरेफीरोजी परदे, बड़ीबड़ी पेंटिंग, हलके क्रीम रंग का गलीचा. सब बेहद साफसुथरा मगर क्रिस्टी की नजर सिटिंग रूम की बड़ी सी खिड़की पर अटक गई, जिस पर जाली का मेहराबदार परदा पड़ा हुआ था. उस के हरेफीरोजी परदे खुदबखुद मानो रंग बदलने लगे और नीले हो गए. सामने का सफेद सोफा काले रंग में बदल गया, जिस पर बैठी फैमी अपने बच्चे को गालों से सटाए मुसकराने लगी. क्रिस्टी मन ही मन उस तसवीर की असलियत को पहचान गया.

अली नासेर ने पूछताछ में इतना कबूल किया कि एक पेशा करने वाली मोरक्कन लड़की से उस के शारीरिक संबंध थे, क्योंकि उस की पत्नी उस से काफी बड़ी थी और दूसरा पति होने के नाते उस से उस की तृप्ति नहीं होती थी. उस औरत का नाम उसे नहीं मालूम, क्योंकि मोरक्कन होने के कारण वह अपना असली नाम नहीं बताती थी और न ही वह उस की असल जिंदगी के बारे में कुछ जानता था.

‘‘तो फिर तुम उसे कैसे बुलाते थे? अब वह कहां मिलेगी?’’

‘‘फोन नंबर था उस का. मगर वह कुछ महीनों पहले मोरक्को गई थी और अभी तक वापस नहीं आई.’’

‘‘तुम्हें कैसे पता कि वह अभी तक नहीं आई? तुम ने उसे उस के नंबर पर फोन किया? मुझे वह नंबर दो.’’

‘‘मेरे पास नहीं है. बेकार परेशान मत करो,’’ नासेर उठ कर जाने लगा तो क्रिस्टी ने कड़क कर उसे बैठ जाने को कहा. तभी एंडी भी ऊपर आ गया. नासेर के पास कोई चारा नहीं बचा था.

उस ने नासेर को पुलिस की हिरासत में लेने के लिए एक और सुबूत सामने रखा.

मौयरा स्कूल के हैडमास्टर की इजाजत और असिस्टैंट टीचर की मदद से अब्दुल को ले आई और उस से सब के सामने उस तसवीर के बारे में पूछा, बच्चा फिर रोने लगा और उस ने बताया कि वह आंटी थी. यह सब अली नासेर के सामने किया. बच्चे से पूछा कि क्या तुम्हारे डैड इसे जानते थे? उस ने कहा कि हां वह यहां आती थी और डैड के साथ घूमने जाती थी.

अब अली नासेर के पास कोई जवाब नहीं था. वह मान गया कि अब्दुल फैमी को जानता था. क्रिस्टी ने बच्चे को सुरक्षित घर भिजवा दिया और कड़क कर कहा कि मिस्टर अली नासेर फैमी गायब है. तुम उसे जानते थे और उस के साथ तुम्हारे शारीरिक संबंध थे. उस के गुम हो जाने में तुम्हारा हाथ है. तुम्हें हम गिरफ्तार करते हैं. तुम्हें जो कुछ कहना है अदालत में कहना.

नासेर गिरफ्तार हो गया और थोड़ी सख्ती के बाद उसे सब बताना पड़ा. उस ने फैमी को अपना असली नाम नहीं बताया था और मुहम्मद नाम से उसे फंसा रखा था.

इस देश में वह स्टूडैंट वीजा ले कर मोरक्को से आया था. यहां वह अपने दूर के भाई मुहम्मद जब्बार नासेर का पता ले कर आया था, मगर जब वह उस से मिलने गया तो पता चला कि वह 2-3 साल पहले मर चुका था और उस की विधवा पत्नी साफिया अपनी 3 बेटियों के साथ अकेली गृहस्थी और बिजनैस दोनों चला रही थी.

अली नासेर ने उस से हमदर्दी दिखाई और उस के बिजनैस में हाथ बंटाने का बहाना कर के उस का विश्वास जीत लिया. जल्द ही साफिया ने उसे अपना पेइंग गैस्ट बना लिया. अली हंसमुख जवान लड़का था. साफिया की बेटियां उसे अंकल कहने लगीं और एक दिन साफिया के बूढ़े मांबाप ने उस से पूछा कि वह क्या यहां बस जाना पसंद करेगा?

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अंधे को क्या चाहिए 2 आंखें. अली ने बताया कि वह एक अच्छे खातेपीते परिवार का लड़का है. बाप कपड़े का व्यापारी है. घर में सिलाई की दुकान है. मोरक्को से उस ने स्नातक क्रिमिनल ला में किया है और इधर आगे की पढ़ाई करना चाहता है.

साफिया के बाप ने उसे साफिया से शादी करने के लिए कहा और बताया कि मुहम्मद जब्बार अच्छाखासा पैसा छोड़ कर मरा है, इसलिए उस की बेटियां बेसहारा नहीं रहेंगी और वह शादी कर के यहां की नागरिकता पा जाएगा और घर व बिजनैस भी. अगर वह चारों तरफ से माली सुरक्षा पा जाएगा तो उसे पढ़ाई का खूब वक्त मिलेगा.

हालांकि साफिया उस से उम्र में 5-7 साल बड़ी थी, लेकिन उस ने उस से शादी कर ली. इस शादी से 2 बेटियां और पैदा हो गईं.

इधर अली को कालेज में फहमीदा मिल गई. एक ही देश के होने के कारण दोस्ती और फिर प्रेम होते देर न लगी. साफिया का पैसा तो उसे चाहिए था और उसी शादी की बिना पर उसे यू.के. में रहने का वीजा मिला था. भाई की बीवी से शादी करने पर उसे अपने और जब्बार नासेर दोनों के परिवारों से बहुत मानसम्मान मिला था. सब उसे ऊंचे खयालात का इज्जतदार शरीफ समझते थे. पारिवारिक रूप से जुड़े होने के कारण नासेर अपने भाई के बच्चों की जिम्मेदारी से मुंह नहीं चुरा सकता था.

इसलिए उस ने फैमी को अपना असली नाम व पता नहीं बताया. अपना नाम मुहम्मद अली बताया और अपनी शादी की बात छिपाए रखी. फहमीदा से वह मोरक्को जा कर शादी करने के वादे करता रहा. फिर उसे पता चला कि फैमी गर्भवती है. बस यहीं से उस की सचाई पकड़ी गई. पहले तो बहाने बना कर उस ने गर्भ गिरा देने की मांग की मगर फैमी अड़ी रही. उस की दलील थी कि बच्चे के रहते वह शादी क्यों नहीं कर सकता जबकि वह उन की पाक मुहब्बत का नतीजा था.

तब नासेर झुंझला गया और उस ने साफिया से अपनी शादी की बात बताई.

फैमी का दिल टूट गया. वह चुपचाप नौकरी छोड़ कर कहीं अज्ञात रूप से रहने लगी.  नासेर को इस बात का खौफ था कि कहीं वह उस का राज का परदाफाश न कर दे और पुलिस को न बता दे. वह उसे ढूंढ़ता रहा,

उस की सहेलियों से पूछता रहा फिर जब वह नहीं मिली तो उस के जानने वालों को उस के बारे में अनर्गल बातें बता कर उस का चरित्र हनन किया.

फैमी ने एक बेटे को जन्म दिया और अपनी प्रिय सहेली लारेन को बताया. मगर लारेन ने यह खबर मुहम्मद तक पहुंचा दी और उसे कानून से भी डराया.

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इधर नासेर की अपनी बीवी साफिया से अनबन हो गई. साफिया 5 बेटियों की मां बन चुकी थी मगर अब उसे गर्भधारण करने में कठिनाइयां आने लगी थीं. हालांकि वह भी हर औरत की तरह एक पुत्र चाहती थी. पुत्र होने पर ही उसे अली नासेर का उत्तराधिकार मिल सकता था. नासेर उसे कई बार यह कह चुका था.

जब मुहम्मद को पता चला कि फैमी ने पुत्र को जन्म दिया है तो उस की नीयत डोल गई. यह उस का बच्चा था, कदाचित एकमात्र पुत्र, अत: उस ने फहमीदा को फिर से अपने प्रेमजाल में लपेट लिया. हजारों माफियां मांगी, कसमें खाईं और बच्चे के लिए उपहारों के ढेर लगा दिए. उस ने कसम खाई कि कभी वह अपने बेटे से अलग नहीं रहेगा और साफिया को कुछ भी पता नहीं होने देगा. वह फहमीदा को हर तरह से मदद करने लगा. ताकि वह बेटे की देखभाल ठीक से कर सके और उसे मदद के लिए कहीं भटकना न पड़े.

वह रोज बेटे से मिलने जाने लगा. फहमीदा उस के लाड़प्यार को देख कर आश्वस्त हो गई. कुछ दिन बाद नासेर ने पासा फेंका.

‘‘मुझ जैसा अभागा कौन है दुनिया में जो अपने बेटे को बेटा न कह सके.’’

इधर फहमीदा बदनामी के डर से घुली जा रही थी. वह न तो खुल्लमखुल्ला किसी से मिल सकती थी, न ही नौकरी कर सकती थी. न ही वह अपने देश वापस मां से मिलने जा सकती थी.

एक दिन नासेर ने साफिया को केवल बेटियां पैदा करने के लिए बहुत शर्मिंदा किया. कहा कि उस का पुश्तैनी हक का पैसा तो बिना वारिस के डूब ही जाएगा. साफिया बहुत रोईधोई. साफिया के बूढ़े मांबाप भी बहुत

दुखी हुए.

नासेर ने पासा फेंका, ‘‘मुझे लगता है कि अब बस यही सूरत है कि हम एक मोरक्कन बच्चा गोद ले लें.’’

साफिया डर गई कि कहीं नासेर उसेछोड़ कर दूसरी शादी न कर बैठे. हालांकि उसे पता था कि नासेर जैसा खुदगर्ज कभी भी उसे नहीं छोड़ेगा. वही तो उस की सोने का अंडा देने वाली मुरगी थी. एक तो मांबाप का पैसा, दूसरी अपने पहले पति की कमाई और तीसरी उस की खुद की कमाई. नासेर के पौबारह थे.

साफिया के मांबाप ने भी उसे समझाया कि अगर वह नासेर को रखना चाहती है तो उसे बात माननी पड़ेगी. पहले तो वह घबराई फिर रजामंदी दे दी. उस ने सोचा कौन सा कोई बच्चा हथेली पर उग रहा है. देखी जाएगी जब मिलेगा.

साफिया के हां कहते ही मुहम्मद ने फहमीदा को समझाना शुरू किया. उस ने कहा कि वह ऐसा इंतजाम करेगा कि फहमीदा बच्चे से मिल भी सकेगी और वह बाप के पास भी रह सकेगा.

जानबूझ कर नासेर ने फहमीदा को साफिया से नहीं मिलवाया. फहमीदा ने दूर से साफिया को देखा जरूर था मगर साफिया के तो सपने में भी कोई नासेर की चहेती नहीं थी. अकसर बीवियों से धोखा करने वाले ऊंचेऊंचे वादे करते हैं और अपने झूठे प्यार का इजहार करते हैं.

नासेर ने फहमीदा से भी झूठा नाटक खेला. उसे लालच दिया कि वह उसे

मोरक्को मां से मिलने जाने देगा. बस, वह बच्चा उस के पास छोड़ दे. फहमीदा राजी हो गई. उस का बच्चा अपने बाप के पास पलेगा. वह उस से मिलती रहेगी. उसे कोई कमी नहीं होगी कभी, न ही वह अवैध संतान कहलाएगा. वरना भविष्य में वह अपने ही बेटे को क्या जवाब देगी, अपनी मां को क्या जवाब देगी वगैरहवगैरह…

बच्चा 5-6 महीने का हो चला था. फहमीदा उसे बोतल से दूध पिलाने लगी थी. एक दिन मुहम्मद उसे साफिया को दिखाने ले गया. आंखों से आंसू भर कर फैमी ने उसे ले जाने दिया.

साफिया और उस की बेटियों ने जब गोलमटोल प्यारा सा बच्चा देखा तो वे उस की दीवानी हो गईं. नासेर ने बताया कि उस बच्चे की मां मोरोक्को की है. उस की उम्र अभी 20 वर्ष भी नहीं है, लेकिन उस का आदमी एक मोटरसाइकिल ऐक्सीडैंट में मर गया.

अगर साफिया बच्चा गोद ले लेती है, तो वह बेचारी दूसरी शादी कर लेगी या आगे पढ़ाई कर लेगी.

खेल का मैदान: कहीं जीता दिल, कहीं किया शर्मसार

शनिवार, 12 जून, 2021 को फुटबाल के ‘यूरो कप’ में अपने पहले मुकाबले में कमजोर फिनलैंड ने डैनमार्क को 1-0 से हरा दिया. पर इस फुटबाल मैच की जो सब से अहम घटना थी, वह डैनमार्क के शानदार खिलाड़ी क्रिश्चियन ऐरिक्सन से जुड़ी थी. दरअसल, मैच के हाफ टाइम से ठीक पहले वे मैदान में अचानक गिर कर बेहोश हो गए थे.

क्रिश्चियन ऐरिक्सन डैनमार्क के आक्रामक मिडफील्डर के तौर पर मशहूर हैं और उन्हें मैदान पर ऐसे पड़ा देख कर उन की टीम के सदस्य रोने लगे थे. डैनमार्क के फैन भी गमगीन थे.

यह हादसा देख कर अचानक खयाल आया कि 29 साल का इतना ज्यादा फिट इनसान देखतेदेखते कैसे उन हालात में जा सकता है कि उस के बचने की उम्मीद अचानक धुंधली पड़ती जाए? पर वहां मौजूद डाक्टरों की टीम ने कमाल का काम किया.

इसी बीच डैनमार्क के खिलाडि़यों ने घेरा बना कर जमीन पर पड़े ऐरिक्सन का मानो सुरक्षा कवच बना लिया था, हालांकि उन के चेहरे क्रिश्चियन ऐरिक्सन की विपरीत दिशा में थे.

डाक्टरों ने तो मानो अपना पूरा जोर लगा दिया था. उन्होंने क्रिश्चियन ऐरिक्सन की जोरजोर से छाती दबाई… और भी कई जरूरी तरीके अपनाए, पर डैनमार्क टीम के खिलाडि़यों के आंसू बता रहे थे कि हालात बेहद चिंताजनक हैं. लेकिन सब से अच्छी बात तो यह थी कि दर्शकों और मैदान पर जमा दूसरे लोगों ने घटनास्थल के पास कोई मजमा नहीं लगाया.

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वहां से थोड़ी दूर एक महिला भी मैदान पर थीं, जिन्हें डैनमार्क के कुछ खिलाड़ी दिलासा दे रहे थे. वे शायद क्रिश्चियन ऐरिक्सन की पत्नी थीं और रोए जा रही थीं. यह एक ऐसा सीन था, जिसे खेल के मैदान पर कोई नहीं  देखना चाहेगा.

उधर डाक्टरों की टीम अपने काम में जुटी हुई थी. चिकित्सा का पूरा ताम झाम डाक्टर ले आए थे, पर जब उन्हें लगा कि अब क्रिश्चियन ऐरिक्सन को अस्पताल ले जाना पड़ेगा, तो उन्होंने वही किया. तब तक क्रिश्चियन ऐरिक्सन बेहोश थे और मैडिकल इमर्जेंसी के चलते मैच को निलंबित कर दिया गया था.

काफी देर के बाद टूर्नामैंट के आयोजक यूईएफए ने जानकारी दी कि क्रिश्चियन ऐरिक्सन को होश आ गया है और उन की हालत फिलहाल ‘स्थिर’ है. यह खबर सुखद थी.

दोनों टीमों से बात कर के कुछ देर बाद मैच फिर से शुरू हुआ. पर तब तक शायद डैनमार्क के खिलाडि़यों की लय बिगड़ चुकी थी, जिस के चलते यह मैच फिनलैंड ने 1-0 से अपने नाम कर लिया.

मैच खत्म होने के बाद डैनमार्क की टीम के हैड कोच कैस्पर हेजुलमैन ने कहा, ‘‘यह टीम के लिए बेहद मुश्किल शाम थी, जब हम सभी को इस बात का अहसास हुआ कि जिंदगी में सब से अहम चीज रिश्ते हैं. हम ऐरिक्सन और उन के परिवार के साथ हैं.’’

यूईएफए के अध्यक्ष एलैक्जैंडर चैफरीन ने कहा, ‘‘इस तरह के वाकिए आप को एक बार फिर जिंदगी के बारे में सोचने का मौका देते हैं. इस तरह के वाकिए बताते हैं कि फुटबाल खेल के परिवार में कितनी एकता है. मैं ने सुना दोनों टीमों के फैंस ऐरिक्सन का नाम ले रहे थे. ऐरिक्सन बेहतरीन खिलाड़ी हैं और बेहतरीन फुटबाल खेलते हैं.

‘‘पर, मैं साथ में उन डाक्टरों की टीम की तारीफ भी करूंगा, जिस ने बिना देरी किए ऐरिक्सन को बचाने के लिए हर मुमकिन तरीका अपनाया और एक बेहतरीन खिलाड़ी को नई जिंदगी दी.’’

पर एक और टीम खेल क्रिकेट में हुई एक घटना ने क्रिकेट प्रेमियों को शर्मिंदा कर दिया. हुआ यों कि क्रिकेट की ढाका प्रीमियर लीग में शुक्रवार, 11 जून, 2021 को खेले गए एक ट्वैंटी20 मैच के दौरान बंगलादेशी खिलाड़ी शाकिब अल हसन अंपायर से भिड़ पड़े थे और गुस्से में स्टंप्स पर भी लात मारते हुए दिखाई दिए थे.

इस घटना के गवाह एक वीडियो  में दिखा कि शाकिब अल हसन ने  दूसरी टीम के बल्लेबाज मुशफिकुर रहीम के खिलाफ अपनी गेंदबाजी पर एलबीडब्ल्यू की अपील की और जब अंपायर ने नौटआउट करार दिया, तो उन्होंने पहले स्टंप्स पर लात मारी और फिर अंपायर से भी भिड़ गए.

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लेकिन बाद में शाकिब हल हसन को ही यह सब करना भारी पड़ गया. उन के खराब बरताव के लिए उन्हें ढाका प्रीमियर लीग में 4 मैचों के लिए बैन कर दिया गया और 4 लाख रुपए से ज्यादा का जुर्माना भी लगाया गया.

हालांकि, शाकिब अल हसन ने अपने इस बरताव के लिए माफी मांगते हुए सोशल मीडिया पर लिखा था, ‘प्रिय फैंस और फौलोवर, मैं अपना आपा खोने और इस तरह से सभी से मैच को बरबाद करने के लिए माफी मांगता हूं, खासतौर पर उन लोगों से जो घर पर बैठ कर यह मुकाबला देख रहे थे.

‘मेरे जैसे एक अनुभवी खिलाड़ी को इस तरह का बरताव नहीं करना चाहिए, लेकिन कभीकभी दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से ऐसा हो जाता है. मैं टीमों से, मैनेजमैंट से, टूर्नामैंट के औफिशिल्स से और टूर्नामैंट के आयोजकों से इस भूल के लिए माफी मांगता हूं. उम्मीद है कि भविष्य में मैं इस तरह का बरताव फिर कभी नहीं करूंगा. धन्यवाद और सभी को प्यार.’

माना कि खेल के मैदान पर हारजीत के तनाव में खिलाड़ी आपा खो देते हैं, पर शाकिब अल हसन का गुस्सा होना और वह भी इस हद तक कि पहले विकेट पर लात दे मारी और फिर अंपायर पर ही चढ़ गए, कहीं से जायज नहीं था. उन का बाद में माफी मांगना यह साबित करता है कि उन की हरकत स्कूली क्रिकेट के किसी खिलाड़ी की तरह बचकानी थी, जो विकेट न मिलने पर ऐसा बरताव करे.

फुटबाल और क्रिकेट जैसे टीम खेल में अपने साथियों के साथसाथ विरोधी टीम के खिलाडि़यों और मैदान पर मौजूद अंपायर या रैफरी के साथ अच्छा बरताव करना बहुत जरूरी होता है.

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आपा खोया नहीं कि लेने के देने पड़ जाते हैं. अगर क्रिश्चियन ऐरिक्सन वाले मामले में डाक्टरों की टीम भी अपना आपा खो देती तो शायद वह एक उम्दा खिलाड़ी की जान नहीं बचा पाती, जो खेल जगत के लिए कभी न भर पाने वाला नुकसान होता.

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वे क्रोध से भनभना उठते. दिलदिमाग सब सुन्न हो जाते. किस मुंह से उन के आरोपों का खंडन करते, जबकि वे स्वयं जानते थे कि इंद्रा के चरित्र को ले कर शहरभर में जो चर्चाएं होती थीं वे नितांत कपोलकल्पित नहीं थीं. अकसर आधीआधी रात को, अनजान अपरिचित लोगों की गाडि़यां इंद्रा को छोड़ने आती थीं. एक से एक खूबसूरत और बढि़या साडि़यां उस के शरीर की शोभा बढ़ातीं, जिन्हें वह लोगों के दिए उपहार बताती. क्यों आते थे वे लोग? क्यों देते थे वे सब कीमती उपहार? किस मुंह से लोगों के व्यंग्य और तानों को काटने का साहस करते?

इंद्रा को वे समझाने का यत्न करते तो पत्थर की तरह झनझनाता स्वर कानों से टकराता, ‘दुनिया के पास काम ही क्या है सिवा बकने के. लोगों की बकवास से डर कर मैं अपना मानवसेवा का काम नहीं छोड़ सकती.’

‘तुम जिसे मानवसेवा कहती हो, इंद्रा, वह तुम्हारी नाम और प्रशंसा की भूख है. जिन के पास करने को कुछ नहीं होता, उन धनी लोगों के ये चोंचले हैं. हमारीतुम्हारी असली मानवसेवा है अपने विनोद, प्रमोद और अचला को पढ़ालिखा कर कर इंसान बनाना, उन्हें अपने पैरों पर खड़ा करना, उन्हें सभ्य और सुसंस्कृत नागरिक बनाना. पहले इंसान को अपना घर संवारना चाहिए. यह नहीं कि अपने घर में आग लगा कर दूसरों के घरों में प्रकाश फैलाओ.’

‘उफ, किस कदर संकीर्ण विचार हैं तुम्हारे, अपना घर, अपने बच्चे, अपना यह, अपना वह…तुम्हें तो सोलहवीं सदी में पैदा होना चाहिए था जब औरतों को सात कोठरियों में बंद कर के रखा जाता था. मुझे तो शर्म आती है किसी को यह बताते हुए कि मैं तुम जैसे मेढक की पत्नी हूं.’

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कुएं का मेढक, संकीर्ण विचार, मानवसेवा…जैसे वे बहरे होते जा रहे थे. उन की इच्छाएं, आकांक्षाएं, स्वाभिमान सब राख के ढेर में बदलते जा रहे थे.

घर, बाहर, दफ्तर कहीं एक पल के लिए चैन नहीं, शांति नहीं. कोई एक प्याला चाय के लिए पूछने वाला नहीं. तनमन से थकेटूटे सुरेंद्र होटलों के चक्कर लगाने लगे. एक प्याला गरम चाय और शांति से बैठ कर दो रोटी खाने की छोटीछोटी अपूर्ण इच्छाओं का दर्द शराब में डूबने लगा.

‘तुम होटल में बैठ कर गंदी शराब मुंह से लगाते हो? शर्म नहीं आती तुम्हें?’

पत्नी का अंगारा सा दहकता चेहरा सुरेंद्र शांतिपूर्वक देखते रहे थे. ‘जब तुम्हें आधीआधी रात तक पराए मर्दों के साथ घूमने में शर्म नहीं आती, तो मुझे ही लालपरी के साथ कुछ क्षण बिताने में क्यों शर्म आए? जिस का घर नहीं, द्वार नहीं, पत्नी नहीं, उस का यह सब से अच्छा साथी है. तुम अपने रास्ते चलो, मैं ने भी अपना रास्ता चुन लिया है. अब कोई किसी की राह का रोड़ा नहीं बनेगा. जब तुम मुझ से बंध कर न रह सकीं तो मैं ही तुम से बंधने को क्यों विवश होऊं?’ उन के चहेरे पर खेलती व्यंग्यात्मक मुसकान इंद्रा को अंदर तक सुलगा गई थी. पांव पटकती हुई वह बाहर निकल गई थी.

फिर एक दिन सुना था कि वे अपनी 17 वर्षीय अविवाहित बेटी अचला के होने वाले शिशु का नाना बनने वाले थे. सुन कर तनिक भी आश्चर्य नहीं हुआ था. वे जानते थे इंद्रा ने जिस खुली हवा में बच्चों को छोड़ा था वह एक दिन अवश्य रंग लाएगी. जबजब उन्होंने अचला को विनोद और प्रमोद के आवारा दोस्तों के साथ घूमनेफिरने से टोका था, वह अनसुना कर गई थी.

एक दिन इसी बात को ले कर उन पर बुरी तरह झल्ला उठी थी, ‘पापा, आप अपनी शिक्षा और उपदेश अपने पास ही रखिए. मैं अपना भलाबुरा खुद समझ सकती हूं. आप की तरह संकीर्ण विचारों वाली बन कर मैं दुनिया में जीना नहीं चाहती. जब मम्मी हम लोगों को कुछ नहीं कहतीं, फिर आप…’

15-20 दिनों के लिए मांबेटी कोलकाता गई थीं. जब वापस आईं तो अचला अपना लुटा कौमार्य फिर से वापस लौटा लाई थी, खुली हवा में और अधिक आजादी से घूमने के लिए.

कितनी सरलता से इंद्रा ने इतनी बड़ी समस्या से छुटकारा पा लिया था. ‘तुम समझते हो, हमारी अचला ने जैसे कोई अनहोनी बात कर डाली है. आएदिन मेरे पास ऐसे कितने ही मामले आते रहते हैं. मैं इन से निबटना भी अच्छी तरह जानती हूं. बच्चों से गलती हो जाती है. गलती नहीं करेंगे तो सीखेंगे कैसे?’

शराब की मात्रा और अधिक बढ़ गई थी. वे जानते थे, जिस रास्ते पर वे जा रहे थे वह उन्हें विनाश की ओर ले जा रहा था. मदिरा उन्हें कुछ क्षणों के लिए मानसिक तनाव से छुटकारा दिला सकती थी, उन के थके, टूटे तनमन को प्रेम से जोड़ नहीं सकती थी. स्नेह, विश्वास, शांति के अभाव ने आज उन्हें फूल की एकएक पंखुड़ी की तरह मसलकुचल कर 50 वर्ष की आयु में ही मौत के कगार पर ला पटका था.

डाक्टर कहते हैं, कुछ दिनों में ठीक हो कर वे फिर से घर जा सकेंगे. लेकिन वे जानते हैं, अब कभी घर नहीं लौट सकेंगे. लौटना भी नहीं चाहते. कौन है वहां जिस की ममता के बंधन उन्हें वापस लौटा लाने के लिए विवश करें? पत्नी, बेटे, बेटी? कौन?

दिल काबू से बाहर हुआ जा रहा था. सिर से पैर तक वे पसीने में नहा गए थे. ‘‘सिस्टर, सिस्टर,’’ उन्होंने घंटी पर हाथ मारा, ‘‘सिस्टर, पानी…’’

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अस्पताल से निकल कर इंद्रा ने तेजी से गाड़ी घर की ओर मोड़ दी. मन में जितना आक्रोश भरा था, उसी के अनुपात में गाड़ी का ऐक्सीलेटर तेज होता गया. इस व्यक्ति ने उसे कभी नहीं समझा, समझने की कोशिश ही नहीं की. ज्योंज्यों वह यश और प्रशस्ति के पथ पर बढ़ती चली गई, यह उन से कटता चला गया.

आज शहर में उस का कितना मान और आदर है. क्या नहीं है उस के पास? सरकारी गाड़ी, बंगला, महंगे मोबाइल? वह जिधर से गुजर जाती है, लोग उस की एक झलक देखने के लिए ठिठक कर रुक जाते हैं. शहर में कोई ऐसा आयोजन नहीं जहां उसे सम्मानपूर्वक आमंत्रित न किया जाता हो. मान और यश के इस उच्चतम शिखर पर पहुंचने के लिए उस ने कितना त्याग, कितना परिश्रम, कितना कठिन संघर्ष किया है? और यह व्यक्ति है कि घायल शेर की तरह उसे काटने को दौड़ता है.

घर आ गया था. गाड़ी गेट से होती हुई बरामदे के सामने जा कर रुक गई.

‘‘मम्मी, तुम आ गईं,’’ दौड़ती हुई अचला आ कर उस के गले से लिपट गई.

इंद्रा ने सिर से पैर तक सजीधजी बिटिया को देखा. वह पिता की नाजुक हालत की खबर पा कर आई थी.

‘‘कब आई?’’

‘‘यही कोई 4 साढ़े 4 बजे के करीब.’’

‘‘अकेली आई हो?’’

‘‘क्यों, अकेली क्यों आऊंगी? रमेश भी आए हैं साथ. अब कोई पापा का डर थोड़े ही है, जो न आते.’’ पापा के न होने की प्रसन्नता उस के चेहरे पर छलकीछलकी पड़ रही थी.

इंद्रा के गले में बांहें झुलाती हुई वह उसे ड्राइंगरूम में घसीट लाई. सालभर के बच्चे को पेट पर लिटाए रमेश सोफे पर पसरा पड़ा था. ‘‘उठो, रमेश, मम्मी आई हैं.’’

धोखाधड़ी: न्यूड वीडियो कालिंग से लुटते लोग

मध्य प्रदेश में ग्वालियर की शिंदे की छावनी में रहने वाले 32 साला जयराज सिंह तोमर (बदला हुआ नाम) अपने ह्वाट्सएप पर मैसेज देख रहे थे कि तभी उन के पास एक अनजान फोन नंबर से वीडियो काल आया.

क्या पता किस का होगा, यह सोचते हुए उन्होंने काल रिसीव किया, तो स्क्रीन का नजारा देखते ही उन के एकदम से पसीने छूट गए.

मोबाइल फोन की स्क्रीन पर तकरीबन 20-22 साल की एक खूबसूरत लड़की मदमस्त अंदाज में अपनी दोनों छातियों को मसलते हुए जीभ लपलपा रही थी और उन की तरफ फ्लाइंग किस भी दे रही थी.

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थोड़ी देर के लिए उस लड़की ने उभारों से अपने हाथ हटाए, तो जयराज सिंह तोमर पगला उठे. एक बार तो मन में आया कि हाथ बढ़ा कर स्क्रीन में ही उस सुंदरी को दबोच लें, लेकिन वह जिस अंदाज में आंधी की तरह आई थी, उस से भी बड़ा तूफान उन के दिलोदिमाग में मचा कर छू हो गई यानी उस ने फोन काट दिया.

यह सब कुल 20 सैकंड में हुआ. जयराज सिंह तोमर की कनपटियां तो इतने में ही गरम हो गई थीं और सांस धौंकनी की तरह चलने लगी थी.

लौकडाउन यानी फुरसत के दिन थे. उन की हार्डवेयर की दुकान बंद थी, लिहाजा दिन बड़ी मुश्किल से कट रहे थे. खाली समय में वे या तो यूट्यूब पर पोर्न साइटें खोज कर ब्लू फिल्में देख रहे थे या फिर नजदीकी दोस्तों की भेजी गई पोर्न फिल्मों के टुकड़े देख कर समय गुजार रहे थे.

कभीकभार तो अपने जोश में जयराज सिंह तोमर पत्नी के साथ हमबिस्तरी कर शांत हो लेते थे, लेकिन जाने क्यों ये फिल्में देख कर उन्हें सैक्स के नएनए तरीके आजमाने का मन करने लगा था, जिन में पत्नी को दिलचस्पी नहीं थी.

आज इस जवान और हसीन लड़की की मस्त अदाओं ने तो जयराज सिंह तोमर के दिल की धड़कनें बढ़ा दी थीं. बारबार वे अपने मोबाइल फोन की स्क्रीन और वह नंबर देख रहे थे मानो उस लड़की का वीडियो काल दोबारा आएगा और वह फिर से उन्हें जन्नत की मुफ्त सैर करवाएगी.

कौन हो सकती है वह लड़की और क्यों उस ने उन्हें काल किया? इन सवालों के जवाब खोजतेखोजते कुछ देर बाद उन्होंने कांपते हाथों से वह नंबर डायल किया और एक घंटी दे कर काट दिया.

कुछ सैकंड बाद ही उसी नंबर से मैसेज आया, जिस में लिखा था, ‘और देखोगे बाबू?’

‘हां…’ जयराज सिंह तोमर ने बिना देरी किए जवाब भेज दिया.

‘तो बाथरूम में जाओ और अपना अंग दिखाओ,’ वहां से दोबारा मैसेज आया.

जयराज सिंह तोमर चाबी भरे खिलौने की तरह बाथरूम में तो चले गए, लेकिन अपने कपड़े उन्होंने नहीं उतारे. बाथरूम जाने की एक वजह यह भी थी कि वहां किसी के आ जाने का डर नहीं था.

फिर वीडियो काल आया और वही लड़की अपने उभारों को पहले की तरह ही मसलते, उछालते और दबाते दिखी, तो वे तो पगला उठे. लड़की कुछ बोल नहीं रही थी. एक बार वह अपना हाथ इस अंदाज में अंडरवियर तक ले गई मानो उसे भी उतार फेंकेगी.

दुनियाजहान भूलभाल कर जयराज सिंह तोमर नजरें गड़ाए उस के संगमरमरी बदन और अदाओं में खोए हुए थे कि फिर मैसेज आया, ‘अपना दिखाओ…’

अब तक जयराज सिंह तोमर इतने जोश में आ चुके थे कि मैसेज न भी आता तो खुद कपड़े उतारने वाले थे, पर अब तो उन्हें यह ज्ञान भी हासिल हो

गया था कि अगर लड़की से उस का अंडरवियर उतरवाना  है, तो पहले खुद का उतारना पड़ेगा.

एक हाथ में मोबाइल फोन पकड़े जयराज सिंह तोमर ने गजब की फुरती  से दूसरे हाथ से लुंगी की गांठ खोली और फिर अंडरवियर भी निकाल दिया. उधर लड़की ने भी मानो उन की नकल की, फिर तो जयराज सिंह तोमर बेकाबू  हो गए.

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उस लड़की के बदन पर एक भी बाल नहीं था और वह तरहतरह से ऐसी अदाएं दिखा रही थी कि जयराज सिंह तोमर को होश नहीं रहा और वे हस्तमैथुन करने लगे.

जब होश आया तो…

कोई 4 मिनट बाद काल बंद हो गया, तो जयराज सिंह तोमर भी कपड़े पहन कर बाहर आ गए. बिस्तर पर आ कर ऐसे गिरे जैसे मीलों दौड़ कर आए हों. कितना अच्छा हो अगर वह लड़की रोजरोज ऐसा ही करे, यह सोच ही रहे थे कि उसी नंबर से एक वीडियो आया.

उन्हें लगा कि उस लड़की ने एक और खास वीडियो उन के लिए भेजा है. लेकिन जैसे ही वीडियो चलाया तो उन के हाथों के तोते उड़ गए, क्योंकि वीडियो लड़की का नहीं, बल्कि उन्हीं का था जिस में वे बेकाबू होते अपने बाथरूम में हस्तमैथुन करते नजर आ रहे थे.

चंद सैकंड में ही दिमाग की बत्तियां जलीं, तो जयराज सिंह तोमर के हाथपैर कांपने लगे. लड़की की मंशा उन्हें सम झ आ गई थी. आगे कुछ और सोचसम झ पाते, इस के पहले ही मैसेज आया, ‘2 घंटे के अंदर 5,000 रुपए हमारे खाते में डाल दो, नहीं तो यह वीडियो तुम्हारी पत्नी और तमाम रिश्तेदारों को भेज दिया जाएगा.’

मैसेज में ही बैंक एकाउंट के डिटेल्स दिए हुए थे. जयराज सिंह तोमर ने खूब सोचा और फिर भलाई इसी में सम झी कि बदनामी और जगहंसाई से बचना है, तो बिना किसी चूंचपड़ के पैसे दे दिए जाएं यानी ब्लैकमेल हो जाया जाए.

पैसे ट्रांसफर करने से पहले हिम्मत जुटाते हुए उन्होंने लड़की के नंबर पर काल किया तो घंटी जाती रही. मैसेज किया तो वह डिलीवर ही नहीं हुआ. थकहार कर उन्होंने वौइस काल किया तो नंबर नौट रीचेबल आने लगा. ट्रूकौलर पर चैक किया, तो किसी पूनम रानी का नाम आया.

सोचनेसम झने के लिए अब कुछ खास नहीं बचा था सिवा इस के कि 5,000 रुपए खाते में डाल दिए जाएं, नहीं तो इज्जत का पंचनामा बन जाएगा.

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हालांकि मन में खटका यह भी आया कि अब तो वह लड़की कभी भी ब्लैकमेल करेगी, लेकिन हालफिलहाल 2 घंटे की मीआद से बचना जरूरी था, सो उन्होंने पैसे ट्रांसफर कर दिए और लुटेपिटे से बैठे अपनी बाथरूम वाली बेवकूफी को कोसते रहे, जो बहुत ज्यादा महंगी पड़ी थी.

एक ढूंढ़ो मिलते हैं हजार

अच्छा तो यह रहा कि दोबारा उस कमबख्त पूनम रानी का मैसेज नहीं आया, जिस के बाबत जयराज सिंह तोमर सरीखे लोग हलकान हैं, क्योंकि उन से भी  झांसे या सैक्सी नजारे देखने के लालच में वही गलती की थी, जो जयराज सिंह तोमर से हुई थी.

ऐसे लोगों की ठीकठाक तादाद तो शायद ही कोई बता पाए, लेकिन एक अंदाजे के मुताबिक यह हजारों में नहीं, बल्कि लाखों में हो सकती है. इस का अंदाजा अभी तक पकड़े गए ब्लैकमेलर्स के बयानों से भी लगता है, जो बाकायदा गिरोह बना कर काम करते हैं.

ऐसा ही एक गिरोह बीते दिनों भोपाल में पकड़ा गया था, जिस के सरगना थे पेशे से ठेकेदार यादराम और एमए में पढ़ रहा पुरुषोत्तम मीणा, जिन्हें यह काम वसीम नाम के एक दोस्त ने सिखाया था. इन दोनों ने सैकड़ों लोगों से लाखों रुपए की रकम उन के न्यूड वीडियो बना कर ऐंठी थी.

इन लोगों ने बताया था कि वे हर महीने साढ़े 5 लाख रुपए तक इस अनूठे धंधे से कमा रहे थे. ये लोग एक शिकार से 20,000 रुपए से ले कर 60,000 रुपए तक वसूलते थे. दिलचस्प बात यह कि एक बार जिस से पैसे ले लेते थे, उसे दोबारा तंग नहीं करते थे, जिस से कि  वह शिकायत ले कर पुलिस में रिपोर्ट  न लिखवाए.

वसीम को फिरोजपुर के  िझरका से और पुरुषोत्तम और यादराम को राजस्थान के अलवर से गिरफ्तार किया था.

मई और जून के महीने में अकेले मुरैना में 72 लोगों को एक और गिरोह ने चूना लगाया था. आम तो आम खास लोग भी इन से या सैक्सी लड़कियों के नंगे बदन और अदाएं देखने की हसरत  से खुद को बचा नहीं सके थे. इन के शिकारों में मुरैना का एक नामी नेता और कई बड़े बिजनैस में भी शामिल हैं.

मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के कांग्रेसी विधायक नीरज दीक्षित को भी एक गिरोह ने ब्लैकमेल किया था.

ऐसे कितने गिरोह देशभर में ब्लैकमेलिंग की वारदात को अंजाम दे रहे हैं, इस की गिनती भी कोई नहीं कर सकता, क्योंकि बैठेबिठाए मुफ्त के इस धंधे से इन दिनों हर कोई चांदी काट रहा है.

ग्वालियर में ही एक कृषि अधिकारी और एक बड़े व्यापारी से ऐसे गिरोह ने लाखों रुपए  झटके थे. पिछले साल सितंबर महीने में रायपुर में भी एक ऐसे गिरोह की शिकायत भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन यानी एनएसयूआई के छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष आकाश शर्मा ने की थी.

आकाश शर्मा ने इन के  झांसे में न आ कर पुलिस में शिकायत कर दी थी. यह गिरोह उत्तर प्रदेश के नोएडा का था, जिस में किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई थी. हां, ठगने की कोशिश जयराज सिंह तोमर की तर्ज पर की गई थी.

पुलिस की जांच में यह खुलासा हुआ था कि यह गिरोह सैकड़ों लोगों से लाखों रुपए वसूल चुका है, क्योंकि ज्यादातर लोग डर और बदनामी के चलते रिपोर्ट दर्ज नहीं कराते. पुलिस को शक है कि कुछ लोगों ने घबरा कर खुदकुशी भी कर ली.

उत्तर प्रदेश के ही  झांसी से साइबर क्राइम पुलिस ने 14 जून को इंजीनियरिंग के 3 छात्रों अशफाक खान, जावेद खान और मोहम्मद शोएब को गिरफ्तार किया था.

इन की शिकायत अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी के एक सीनियर और इज्जतदार प्रोफैसर ने की थी, जिन से ये तीनों 3 लाख रुपए  झटक चुके थे और फिर पैसों की मांग कर रहे थे. तंग आ कर प्रोफैसर साहब ने इन की शिकायत अलीगढ़ पुलिस को की थी.

पूछताछ में इन तीनों ने माना था कि वे उत्तर प्रदेश के अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में कई लोगों को ब्लैकमेल कर चुके हैं.

ऐसे फंसते हैं लोग

जैसे ग्वालियर के जयराज सिंह तोमर और अलीगढ़ के प्रोफैसर साहब फंसे, वैसे ही लड़कियों की न्यूड वीडियो देखने के तमाम शौकीन फंसते हैं. जान कर हैरानी होती है कि इन गिरोहों  में लड़कियां न के बराबर होती हैं.

दरअसल, गिरोह वाले मोबाइल फोन चालू होते ही पहले से रिकौर्ड वीडियो की क्लिप चला देते हैं. देखने वाले को लगता है कि वे लड़की को लाइव देख रहे हैं, इस से उन का जोश और बढ़ जाता है.

शिकार फांसने के लिए ये गिरोह सोशल मीडिया का सहारा लेते हैं, खासतौर से फेसबुक का जिस पर किसी खूबसूरत लड़की की फर्जी प्रोफाइल बना कर ये शिकार को फ्रैंड रिक्वैस्ट भेजते हैं और धीरेधीरे सैक्सी बातें करना शुरू कर देते हैं.

सामने लड़का है या लड़की, यह शिकार को तब पता चलता है, जब वह पूरी तरह इन के जाल में फंस जाता है. फेसबुक पर ही ये शिकार का ह्वाट्सएप नंबर लेते हैं और फिर न्यूड वीडियो दिखा कर बाथरूम या अकेले में जाने के लिए उकसाते हैं. इस के बाद ये मैसेज के जरीए जैसा करने के लिए कहते हैं, शिकार वैसा ही करने लगता है, जिस की ये लोग रिकौर्डिंग कर लेते हैं.

नया हथकंडा है सैक्स्टौर्शन

जब लोग फंसने लगे, तो इन ब्लैकमेलर्स ने सैक्स्टौर्शन का हथकंडा भी अपनाना शुरू कर दिया. जैसा कि रायपुर के आकाश शर्मा के साथ करने की कोशिश की थी.

सैक्स्टौर्शन को आसान जबान में सम झें, तो इस में वीडियो कालिंग के दौरान काल करने वाला काल उठाने वाले की रिकौर्डिंग कर लेता है. इस के बाद उस का चेहरा किसी मिलतीजुलती कदकाठी वाले शख्स के नंगे वीडियो में जोड़ दिया जाता है.

यह काम इतनी सफाई से किया जाता है कि शिकार खुद चकरा उठता है कि वीडियो में दिख रहा शख्स वही है. फिर यह वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर उसे निचोड़ा जाता है. बदनामी के डर से शिकार इन्हें पैसे दे देता है.

सैक्स्टौर्शन का मकसद नंगे वीडियो दिखाना कम शिकार की रिकौर्डिंग करना ज्यादा होता है, जिस से बाद में इतमीनान से उस में हेरफेर और ऐडिटिंग कर पोर्न वीडियो की शक्ल में उसे तबदील कर लिया जाए.

इस टैक्निक को अमल में लाने वाले ज्यादातर गांवदेहात के तेज दिमाग वाले नौजवान होते हैं. इन्हीं लोगों ने हकीकत में कोरोना के लौकडाउन की आपदा को अवसर में बदलते खूब मौज की और धड़ल्ले से अभी भी कर रहे हैं.

ऐसे बचें इन चालबाजों से

यह तो बिना सम झाए सम झने वाली बात है कि न्यूड वीडियो कालिंग और सैक्स्टौर्शन से बचने का बड़ा कारगर तरीका अनजान नंबर से आए वीडियो काल को रिसीव नहीं करना चाहिए, जिस से न रहेगा बांस और न बजेगा आप का बैंड, लेकिन इस के अलावा  भी ये एहतियात हमेशा बरतनी चाहिए, जिस से आप इन ब्लैकमेलर्स का शिकार न बनें :

* अपने फेसबुक एकाउंट पर किसी भी अनजान को न जोड़ें. उस की फ्रैंड रिक्वैस्ट रिजैक्ट कर दें.

* अपनी फेसबुक प्रोफाइल लौक कर के रखें. यह सहूलियत सैटिंग्स में जा कर आसानी से मिल जाती है.

* मोबाइल फोन पर कोई भी अनजान वीडियो काल अटैंड करते समय फ्रंट कैमरा बंद कर दें या अंधेरे में जा कर उठाएं.

* अपने जज्बातों और मुफ्त की नग्न होती लड़की को देखने की ख्वाहिश को काबू में रखते हुए बाद के नतीजों पर गौर कर लें.

* अपने घरपरिवार की जानकारी सोशल मीडिया पर सा झा न करें.

* इस के बाद भी फंस ही जाएं, तो ब्लैकमेल होने के बजाय पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराएं. इस से ब्लैकमेलर्स के हौसले पस्त पड़ते हैं.

एक अंदाजे के मुताबिक, लौकडाउन के दौरान यह धंधा 500 फीसदी तक बढ़ा है और अभी भी लगातार बढ़ ही रहा है. इस की एक बड़ी वजह वे लोग भी हैं, जिन्होंने बजाय पुलिस में जाने के ब्लैकमेल होने का रास्ता चुना.

‘साथ निभाना साथिया’ की ‘कोकिला बेन’ हुईं अस्पताल में भर्ती, पढ़ें खबर

टीवी इंडस्ट्री की मशहूर एक्ट्रेस रूपल पटेल (Rupal Patel) ने अपनी एक्टिंग के बदौलत घर-घर अलग पहचान बनाई हैं. टीवी सीरियल ‘साथ निभाना साथिया’ (Saath Nibhaana Saathiya) से वह ज्यादा पॉपुलर हुईं. एक्ट्रेस को लेकर एक बड़ी खबर आई है. बताया जा रहा है कि एक्ट्रेस अस्पताल में भर्ती हुई हैं.

जी हां, रिपोर्ट के अनुसार कोकिला मोदी यानी रूपल पटेल की तबियत खराब है. और वह अस्पताल में भर्ती हुई हैं. खबर ये भी आ रही है कि एक्ट्रेस को कोई गंभीर समस्या नहीं है. इस खबर को सुनने के बाद रूपल पटेल के फैंस उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए दुआ कर रहे हैं.

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‘साथ निभाना साथिया’ में कोकिला बेन का किरदार काफी मशहूर हुआ. इसमें उनका किरदार एक सख्त सास का था. जिससे वह खूब चर्चे में रहीं. हालांकि सीजन 2 में भी कुछ दिनों बाद उनके किरदार को खत्म कर दिया गया था.

 

एक इंटरव्यू के अनुसार, रूपल पटेल ने कहा था  कि जब मुझे साथ निभाना साथिया के सीक्वल के लिए संपर्क किया गया तो यह केवल एक महीने के लिए था. अब जब एक महीना पूरा हो गया है, तो मैं उस शो से बाहर हो गई हूं. उन्होंने ये भी बताया था कि मैंने इस शो में इस छोटे से सफर के लिए सिर्फ इसलिए हां कहा क्योंकि यह कोकिलाबेन और रूपल पटेल के सभी प्रशंसकों का आभार है.

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शो से जुड़ा एक  मीम सोशल मीडिया पर जबर्दस्त तरीके से वायरल हुआ था जिसमें कोकिला बेन गोपी बहू से पूछती है कि ‘रसोड़े में कौन था?’.

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