Best of Crime Story: मोहब्बत दूसरी नहीं होती

लेखक- सुरेशचंद्र मिश्र 

कानपुर शहर में आवास विकास द्वारा निर्मित एक जगह है केशवपुरम. वहां के नागेश्वर अपार्टमेंट में फ्लैट नंबर 612 कोचिंग से करोड़पति बने मोहम्मद सहवान का था. अन्य दिनों की तरह बीती 30 अप्रैल को भी नौकरानी राधा सहवान के फ्लैट पर पहुंची तो दरवाजा बंद था. लेकिन चाबी लौक में फंसी हुई थी.  इस फ्लैट में सहवान अपनी दूसरी बीवी नमरा खान के साथ रहते थे. नौकरानी राधा ने पहले तो घंटी बजाई, लेकिन जब जवाब नहीं मिला तो वह दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुई. वहां फर्श पर खून से लथपथ नमरा का शव पड़ा देख कर उस की चीख निकल गई. वह उलटे पैर फ्लैट के बाहर आई और शोर मचाना शुरू कर दिया. राधा की आवाज सुन कर अन्य फ्लैटों में रहने वाले लोग बाहर आ गए. राधा ने उन्हें नमरा की हत्या की सूचना दी तो सभी अवाक रह गए. इसी नागेश्वर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 610 में सहवान का भाई इरफान रहता था. लोगों ने उसे जानकारी दी तो वह भी आ गया. इरफान ने राधा से कुछ सवालजवाब किए, फिर तत्काल मोबाइल फोन द्वारा थाना कल्याणपुर पुलिस को भाभी नमरा की हत्या की सूचना दे दी. इमरान ने ही मृतका के पिता शहंशाह खान तथा अपने अन्य परिजनों को यह खबर दी. इस के बाद तो कोहराम मच गया.

सुबह 10 बजे हत्या की सूचना पा कर थाना कल्याणपुर के इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय चौंके. उन्होंने महिला की हत्या की सूचना वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी, फिर पुलिस टीम के साथ केशवपुरम स्थित नागेश्वर अपार्टमेंट जा पहुंचे.बहुमंजिला अपार्टमेंट के बाहर भीड़ जुटी थी और लोग कानाफूसी कर रहे थे. इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय फ्लैट नंबर 612 पर पहुंचे, जहां महिला की हत्या किए जाने की सूचना मिली थी. फ्लैट के बाहर कुछ लोग बदहवास हालत में खड़े थे. पुलिस को देख कर एक युवक सामने आ कर बोला, ‘‘सर, मेरा नाम इरफान है. मैं ने ही आप को नमरा भाभी की हत्या की सूचना दी थी.’’

इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय ने एक नजर इरफान पर डाली, फिर उसे साथ ले कर फ्लैट के अंदर दाखिल हुए. कमरे के अंदर का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. खून में डूबी नमरा की लाश फर्श पर पड़ी थी. पलंग पर बिछी सफेद चादर पर भी खून लगा था. पलंग पर खून से सना चाकू, चश्मा तथा कान में लगाने वाली हैंड्सफ्री लीड पड़ी थी. शव के पास खून सना नया कुकर पड़ा था. देखने से लग रहा था कि कुकर से सिर पर प्रहार कर नमरा की हत्या की गई थी. बाथरूम में खून से सनी जींस हुक पर टंगी थी.

कमरे के अंदर नमरा की लाश तो पड़ी थी, लेकिन उस के शौहर मोहम्मद सहवान का कोई अतापता नहीं था. पूछने पर इरफान ने बताया कि भाईसाहब अपनी स्कोडा कार सहित घर से गायब हैं.वह कहां हैं, किस हालत में हैं, हम में से किसी को कुछ नहीं पता. मैं ने हर संभावित स्थान पर पता किया है, लेकिन उन की कोई जानकारी नहीं मिल रही है. इरफान की बात सुन कर इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय का माथा ठनका. वह सोचने लगे कि कहीं शौहर ही तो बीवी का कत्ल कर फ रार नहीं हो गया. इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय अभी जांचपड़ताल कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसएसपी अनंतदेव तिवारी, एसपी (पश्चिम) संजीव सुमन, एएसपी (ट्रेनिंग) आदित्य लांग्हे तथा सीओ (कल्याणपुर) अजय कुमार भी घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और पांडेय जी से कत्ल के बारे में जानकारी ली. फोरैंसिक टीम ने भी बड़ी बारीकी से जांच की. टीम ने घर का कोनाकोना छान मारा. इस टीम को रसोई में गैस चूल्हे पर भगौने में कौफी मिली जो उबल कर चूल्हे पर गिरी थी. गैस के पास ही एक कप रखा था. टीम ने उस कप की जांच की तो उस में जहर के अंश मिले. पुलिस टीम ने कुकर, चश्मा, खून सनी जींस, चाकू तथा कप जांच के लिए कब्जे में ले लिए. बाथरूम, वाश बेसिन तथा जींस पर मिले खून के धब्बों का भी परीक्षण किया गया. जांच में वाश बेसिन में खून सने हाथ धोने की पुष्टि हुई. जींस व बाथरूम में भी खून होने की पुष्टि हुई. इस के अलावा टीम ने अन्य साक्ष्य भी जुटाए.

डायरी के पन्नों पर बिखरा दर्द और कत्ल की हकीकत

पुलिस अधिकारियों ने भी पूरे घर की छानबीन की. इस छानबीन में सीओ अजीत कुमार को सहवान की एक डायरी मिली. उन्होंने डायरी के  पन्नों को पलटा तो 2 पेज का एक नोट मिला. इस में सहवान ने अपनी दूसरी शादी से ले कर आए दिन तकरार, बेटे से अलग होने का दर्द और दूसरी पत्नी नमरा की हत्या से ले कर अपनी आत्महत्या की मजबूरी बयां की थी. डायरी के अंश इस तरह थे.

‘बीवी (पहली) से मेरी लड़ाई थी. सितंबर 2016 में नमरा मेरी जिंदगी में आई. मैं ने इसे कई बार टोका, लेकिन नहीं मानी. अपने बच्चों के बारे में भी बताया फिर भी… इस के कहने पर मैं ने समराना को तलाक दे दिया. फिर हम दोनों ने 21 जुलाई, 2018 में शादी कर ली.

‘नमरा के घर वालों को पता चला तो वे लोग उसे घर ले गए. उन्होंने 27 सितंबर, 2018 को हमारी दोबारा शादी कराई. इस के घर वालों ने बहुत दबाव दे कर 20 करोड़ मेहर बंधवाया. शादी के बाद से ही इस ने मेरे बेटे को मारनापीटना शुरू कर दिया. फाइनली मुझे अपने बच्चे को दूर करना पड़ा. नमरा खुद दिन भर सोती थी और रात में मुझे सोने नहीं देती थी. सीने पर नोचती और इतनी गंदी तरह से बात करती कि मन करता मर जाओ या कहीं भाग जाओ. पता नहीं कैसेकैसे लड़कों से बात करती थी. आज मुझ से यह हो गया, अब मैं भी नहीं जी सकता.’

डायरी के पन्नों में बयां दर्द से स्पष्ट था कि मोहम्मद सहवान ने अपनी दूसरी बीवी नमरा का कत्ल किया और खुद भी जान देने के लिए अपनी कार से घर से निकल गया. लेकिन वह कहां है, किस हालत में है, इस की जानकारी पुलिस अधिकारियों को अभी तक नहीं थी. नागेश्वर अपार्टमेंट की बहुमंजिला इमारत में लगभग 60 सीसीटीवी कैमरे लगे थे. मोहम्मद सहवान के फ्लैट के बाहर भी कैमरा लगा था.

पुलिस अधिकारियों ने उस कैमरे को खंगाला तो पता चला कि वह 28 अप्रैल से बंद था, जिस से मोहम्मद सहवान के आनेजाने का पता नहीं चल सका. लेकिन नमरा की हत्या के बाद तथा सहवान के घर से जाने के बाद सीसीटीवी कैमरा चालू हो गया था.

कैमरा किस ने बंद और चालू किया, इस पर पुलिस को संदेह हुआ. पुलिस अधिकारियों ने वाचमैन रमेशचंद से पूछताछ की तो उस ने रजिस्टर चैक कर बताया कि 29 अप्रैल की रात पौने 9 बजे मोहम्मद सहवान अपने फ्लैट पर आए थे और रात 12.10 बजे अपनी कार से बाहर चले गए थे. तब से वापस नहीं आए.

पुलिस अधिकारी अभी जांच कर ही रहे थे कि थाना बिल्हौर पुलिस से सूचना मिली कि एक युवक ने जहर खा लिया है. उसे गंभीर हालत में हैलट अस्पताल में भरती कराया गया है. इस सूचना पर कल्यापुर के इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय इरफान को साथ ले कर हैलट अस्पताल पहुंचे. वहां भरती व्यक्ति को देख कर इरफान फफक कर रो पड़ा. उस ने भाई की मौत की सूचना घर वालों को भी दे दी.

थाना बिल्हौर पुलिस ने इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय को बताया कि धौरसलार रेलवे स्टेशन के पास जीटी रोड पर सड़क किनारे एक स्कोडा कार खड़ी थी. वहां से थोड़ी दूरी पर यह व्यक्ति सड़क किनारे अचेतावस्था में पड़ा मिला. यह सूचना श्याम मिश्रा नाम के व्यक्ति ने पुलिस को दी थी.

सूचना पर पहुंची पुलिस ने तत्काल इसे हैलट अस्पताल में भरती कराया, जहां इस ने दम तोड़ दिया. कार की जामातलाशी में प्रौपर्टी के कागजात, थाना कल्याणपुर को दिया गया एक प्रार्थनापत्र तथा सल्फास की 3 खाली पुडि़या बरामद हुई थी. कार में सीट पर उल्टी भी की गई थी.

आत्महत्या ही ठीक लगी सहवान को

चूंकि प्रार्थनापत्र में थाना कल्याणपुर का जिक्र था, अत: कल्याणपुर के सीओ को सूचना दी गई. इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय ने मोहम्मद सहवान के शव को मोर्च्युरी में रखवा दिया. फिर कार से बरामद कागजात व सल्फास की खाली पुडि़या अपने कब्जे में ले कर वापस लौट आए. पांडेय ने सारी जानकारी पुलिस के आला अधिकारियों को दी और कार से मिले कागजात उन्हें सौंप दिए. अधिकारियों ने निरीक्षण हेतु मृतक सहवान की स्कोडा कार यूपी 78सीबी 6040 को भी थाना कल्याणपुर मंगवा लिया.

अब तक घटनास्थल पर मृतका नमरा खान के पिता शहंशाह खान तथा मृतक सहवान की पहली पत्नी समराना भी आ गई थी. नौकरानी राधा तथा मृतक के भाई इरफान, इमरान तथा जिबरान पहले से ही पुलिस की निगरानी में थे.

पुलिस अधिकारियों ने सारे सबूत एकत्र कर मृतका नमरा खान के शव को पोस्टमार्टम के लिए हैलट अस्पताल भिजवा दिया. उधर इंसपेक्टर अश्वनी पांडेय ने हैलट अस्पताल की मोर्च्युरी में रखे मृतक सहवान के शव को पोस्टमार्टम हाउस भिजवा दिया.

दोनों शवों को पोस्टमार्टम हाउस भिजवाने के बाद पुलिस अधिकारियों ने मामले की तह तक जाने के लिए सब से पहले मृतक के भाई इरफान से पूछताछ की. इरफान ने अधिकारियों को बताया कि भैयाभाभी में आपस में नहीं बनती थी. उन में अकसर झगड़ा होता रहता था. उस से लड़ाईझगड़े की बात सहवान भाई बताया करते थे, लेकिन वह उन दोनों के बीच पड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पाता था.

इमरान ने बताया कि उस की पत्नी निदा गर्भवती थी. 2 दिन पहले वह उसे छोड़ने ससुराल मसवानपुर गया था और वहां से आज सुबह ही लौटा था. कोचिंग जाने के लिए निकला तो पार्किंग में सहवान भाई की कार न देख कर गार्ड से जानकारी ली. लेकिन वह सही जवाब नहीं दे पाया. इसी बीच अपार्टमेंट में हत्या का शोर मचा. लोगों ने बताया कि फ्लैट नंबर 612 में एक महिला की हत्या हो गई है. चूंकि यह फ्लैट उस के भाई का था, सो वह तुरंत वहां पहुंचा. नौकरानी राधा वहां बदहवास हालत में खड़ी थी. उस ने राधा से बातचीत की, फिर भाभी की हत्या की जानकारी थाना कल्याणपुर पुलिस को दी.

इरफान के भाई इमरान व जिबरान ने बताया कि वह मांबाप के साथ मछरिया नौबस्ता में रहते हैं. वे दोनों सहवान की काकादेव स्थित कोचिंग में पढ़ाते थे. उन दोनों को पढ़ाने के एवज में सहवान 40-40 हजार रुपए प्रतिमाह देते थे. उन की निजी जिंदगी के बारे में उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं थी. आज जब वे दोनों कोचिंग में थे, तभी इरफान भाई द्वारा नमरा की हत्या और सहवान भाई द्वारा आत्महत्या किए जाने की जानकारी मिली. इस के बाद दोनों यहां आ गए.

राधा ने बताया कलह के बारे में

नौकरानी राधा ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि साहब और मेमसाहब के बीच बहुत खराब रिश्ता था. दोनों अकसर मारपीट करते रहते थे. झगड़ा ज्यादातर रात में होता था. सुबह जब वह काम करने आती थी तो फर्श पर ग्लास या फूलदान टूटा मिलता था. एक दिन तो टीवी बिखरा पड़ा था. आज सुबह जब वह काम पर आई तो दरवाजा बंद था, लेकिन चाबी लौक में फंसी थी.

पहले तो उस ने घंटी बजाई लेकिन जब जवाब नहीं मिला तो वह दरवाजा खोल कर अंदर दाखिल हुई. फर्श पर मेमसाहब की खून से लथपथ लाश देख कर उस के मुंह से चीख निकल गई. तब वह बाहर आई और यह जानकारी लोगों को दी.

मृतक सहवान की पहली पत्नी समराना ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि सन 2007 में उस का निकाह मोहम्मद सहवान से हुआ था. शादी के बाद उस के 2 बच्चे भी हुए. वह शौहर के साथ खुशहाल जिंदगी गुजार रही थी. लेकिन उस के जीवन में ग्रहण लगा वर्ष 2016 में जब नमरा खान कोचिंग में पढ़ने आई.

पढ़ने के दौरान उस के और सहवान के बीच नजदीकियां बढ़ने लगीं, जो बाद में प्यार में तब्दील हो गईं. इस के बाद नमरा को ले कर उस के और शौहर सहवान के बीच झगड़ा होने लगा. फिर एक दिन नमरा के उकसाने पर सहवान ने उसे तलाक दे दिया. वह बेटी अंसरा के साथ मायके जा कर रहने लगी. फिर नमरा और सहवान ने शादी कर ली. नमरा उस के बेटे अयान को मारतीपीटती थी, जिस की वजह से सहवान ने बेटे को अपने मांबाप के पास छोड़ दिया था.

इस के बावजूद दोनों में लड़ाई होती थी. नमरा के व्यवहार से सहवान बहुत दुखी रहते थे. उस के और सहवान के बीच गुजाराभत्ता तथा उत्पीड़न का मुकदमा चल रहा था, फिर भी  वह उस से नजदीकियां बढ़ाने की कोशिश करने लगे थे. वह बेटी अंसरा से मिलने के बहाने घर आते थे. बेटी से वह फोन पर भी बात किया करते थे. उन्हें लगने लगा था कि नमरा से दूसरा निकाह कर के उन्होंने भारी भूल की है.

29 अप्रैल, 2019 की रात 8 बजे सहवान ने उसे फोन किया और बेटी अंसरा से बात कराने को कहा. उस ने अंसरा से उन की बात करा दी. सहवान ने अंसरा से कहा था कि बेटी मैं तुम को बहुत मिस करता हूं. आई लव यू.

अंसरा ने भी आई लव यू पापा कहने के साथ फल और कुछ सामान ले कर आने को कहा था. सहवान ने उसे जल्द आने का भरोसा दिया था. सहवान तो नहीं आए लेकिन आज उन की मौत की खबर जरूर आ गई. इतना कह कर समराना फफक पड़ी.

पुलिस अधिकारियों ने मृतका नमरा खान के पिता शहंशाह खान से पूछताछ की तो वह रो पड़े और बोले, ‘‘नमरा ने अगर उन की बात मानी होती तो वह जिंदा होती. नमरा छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय से बीटेक की पढ़ाई कर रही थी. वह काकादेव स्थित सहवान की कोचिंग में पढ़ाई करने जाती थी. पढ़ाई के दौरान ही नमरा को सहवान से मोहब्बत हो गई और दोनों ने शादी रचा ली. जब यह जानकारी उन्हें हुई तो वह नमरा को बांगरमऊ, उन्नाव स्थित अपने घर ले आए. उन्होंने नमरा को समझाया कि सहवान शादीशुदा और 2 बच्चों का पिता है. उम्र में भी वह उस से दोगुना बड़ा है. लेकिन सहवान के प्रेम में अंधी नमरा ने उन की बात नहीं मानी. मजबूर हो कर बेटी की जिद के आगे उन्हें झुकना पड़ा.’’

नमरा की हत्या की तसवीर तो साफ हो गई लेकिन कई सवाल खड़े हो रहे थे.

नमरा खान की हत्या की तसवीर अब तक काफी साफ हो चुकी थी. फिर भी पुलिस के मन में काफी आशंकाएं पनप रही थीं. जैसे सीसीटीवी कैमरा किस ने बंद किया और फिर किस ने चालू किया. नमरा की हत्या की सूचना थाना पुलिस को देर से क्यों दी गई. सहवान ने अगर घर में जहर पीया तो वह इतनी देर तक कैसे जिंदा रहा. क्या नमरा की हत्या में कोई और भी शामिल था, जो नमरा की हत्या कर सहवान को उतनी दूर तक ले गया था?

अभी तक पुलिस को दोनों मृतकों के मोबाइल फोन नहीं मिले थे. पुलिस को शक था कि दोनों मोबाइलों को सहवान ने कहीं फेंक दिया होगा. पुलिस ने दोनों मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस से पता चला कि रात 12.10 बजे अपार्टमेंट से निकलने के बाद सहवान कार से नवाबगंज क्षेत्र में घूमता रहा.

सुबह पौने 4 बजे उस की लोकेशन चिडि़याघर के पास मिली. 4 बजे रानीघाट तथा 4 बज कर 8 मिनट पर उस की लोकेशन गंगा बैराज के पास की थी. पुलिस को शक हुआ कि उस ने गंगा बैराज के पास ही दोनों मोबाइल तोड़ कर फेंक दिए होंगे.

नमरा के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स से पता चला कि उसने 28 अप्रैल की रात 3 बजे से 5 बजे के बीच लगातार एक नंबर पर बात की. उस के बाद उस के नंबर पर कोई बात नहीं हुई. नमरा ने जिस नंबर पर बात की थी, उस की लोकेशन उस समय दिल्ली से सटे नोएडा की थी.

पुलिस ने उस नंबर को डायल किया तो पता चला कि वह नंबर एक जिम ट्रेनर का था. वह जिम टे्रनर पहले कल्याणपुर में रहता था और एक जिम में ट्रेनर था. इस जिम में नमरा हर रोज तथा सहवान कभीकभी कसरत करने जाते थे. इसी जिम में नमरा की मुलाकात जिम ट्र्रेनर से हुई थी. बाद में अकसर दोनों के बीच बातचीत होने लगी थी. कुछ दिन पहले जिम ट्रेनर नौकरी छोड़ कर नोएडा चला गया था, तब भी नमरा की उस से बात होती रहती थी.

सीओ अजय कुमार ने जब इस जिम ट्रेनर से नमरा के बारे में जानकारी चाही तो उस ने बताया कि नमरा और सहवान का वैवाहिक जीवन सही नहीं चल रहा था. दोनों के विचारों में अहं और विरोधावास था. दोनों एकदूसरे के चरित्र पर शक करते थे. इस सब का जिक्र नमरा उस से फोन पर करती रहती थी. वह अपनी हर बात उस से शेयर करती थी.

जांचपड़ताल से पुलिस को यह भी पता चला कि सहवान ने पत्नी की हत्या करने के बाद चिडि़याघर पहुंचने पर पुलिस के 100 नंबर पर भी फोन किया था. उस ने कहा था कि मैं सहवान बोल रहा हूं. मैं ने अपनी पत्नी की हत्या कर दी है. उस की लाश केशवपुरम के फ्लैट नंबर 612 में पड़ी है.

इस सूचना पर पुलिस केशवपुरम तक गई थी लेकिन अपार्टमेंट का सही नाम मालूम न होने के कारण वापस लौट आई थी. पुलिस ने पलट कर वही नंबर डायल किया, लेकिन नंबर बंद मिला. पुलिस ने समझा कि किसी ने मजाक किया होगा क्योंकि पुलिस कंट्रोल रूम को आए दिन झूठी काल मिलती रहती हैं.

पुलिस टीम ने इस चर्चित हत्याकांड की तह तक पहुंचने के लिए एक सप्ताह से अधिक गहन जांचपड़ताल की. इस बीच पुलिस ने दरजनों लोगों से पूछताछ की. उन के मोबाइल की कालडिटेल्स भी खंगाली. सहवान की पहली पत्नी समराना से भी कई राउंड पूछताछ की गई. सीसीटीवी कैमरे से छेड़छाड़ की जांच भी हुई तथा श्याम मिश्रा का बयान भी दर्ज किया. उस ने ही सहवान को सब से पहले कार से नीचे उतरते समय तड़पते देखा था.

सिमराना ने पुलिस को वह रिकौर्डिंग भी सौंपी, जिस में सहवान ने कहा था कि यदि मुझे कुछ हो जाए तो सारी प्रौपर्टी तुम्हारी होगी. नौमिनी तुम ही हो. बच्चों को अच्छी तालीम देना. जांच के बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची कि नमरा की हत्या सहवान ने ही की थी. फिर बचाव का कोई रास्ता न देख कर स्वयं भी सल्फास खा कर आत्महत्या कर ली थी.

सहवान की पृष्ठभूमि

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर के नौबस्ता थानांतर्गत एक मोहल्ला है मछरिया. मुसलिम बाहुल्य मछरिया के सी ब्लौक में मोहम्मद रमजान सिद्दीकी अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी हाजरा खातून के अलावा 4 बेटे मोहम्मद सहवान सिद्दीकी, मोहम्मद इरफान, मोहम्मद इमरान, मोहम्मद जिबरान तथा एक बेटी नूरजहां थी. मोहम्मद रमजान सिद्दीकी एक्सपोर्ट कंपनी में नौकरी करते थे. उन्हें जो वेतन मिलता था, उसी से वह परिवार का भरणपोषण करते थे.

मोहम्मद रमजान सिद्दीकी खुद तो ज्यादा पढ़ेलिखे नहीं थे लेकिन वह अपने बच्चों को अच्छी तालीम देना चाहते थे. इस के लिए वह खानपान व अन्य घरेलू खर्चों में कटौती कर बच्चों की पढ़ाई पर खर्च करते थे. वैसे तो उन के चारों बच्चे पढ़ने में होशियार थे लेकिन बड़ा बेटा मोहम्मद सहवान पढ़ाई में कुछ ज्यादा ही तेज था.

मोहम्मद सहवान का सपना आईआईटी करना था. उस ने इस की तैयारी शुरू की. फलस्वरूप उस का चयन आईआईटी रुड़की में हो गया. उस ने जी जान से पढ़ाई की और सन 1998 में आईआईटी रुड़की से कंप्यूटर साइंस से बीटेक पास किया. यही नहीं वह अपने बैच का टौपर भी बना.

साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले मोहम्मद सहवान ने बीटेक करने के बाद सन 2003 में कोचिंग मंडी काकादेव में हार्वर लिमिट क्लासेज नाम से कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला. शुरुआत में उस के इंस्टीट्यूट में छात्रों की संख्या कम रही लेकिन बाद में बढ़ती गई. सहवान ने एक बार इस क्षेत्र में कदम रखा तो फिर आगे और आगे बढ़ता गया. अपने काम की बदौलत उसे इज्जत, शोहरत और नाम मिला. वह मैथ का जानामाना टीचर था.

कोचिंग इंस्टीट्यूट चल जाने के बाद उस का ध्यान अपने भाइयों की ओर गया. उस ने एक भाई इरफान को अपने इंस्टीट्यूट का मैनेजिंग डायरेक्टर बना दिया, जबकि अन्य 2 भाइयों इमरान व जिबरान को पहले एक प्राइवेट संस्थान से बीटेक कराया फिर अपने ही इंस्टीट्यूट में जौब दे दी. इमरान फिजिक्स पढ़ाता था जबकि जिबरान कैमिस्ट्री का टीचर था.

पूरी तरह सेटल होने के बाद मोहम्मद सहवान ने अगस्त 2007 में समराना से निकाह कर लिया. समराना रेडीमेड मार्केट बेकनगंज निवासी नासिर की बेटी थी. समराना पढ़ीलिखी व खूबसूरत थी. उस ने क्राइस्ट चर्च कालेज से एमएससी किया था. निकाह के बाद समराना मछरिया स्थित अपनी ससुराल में रहने लगी.

समराना अपने शौहर के प्रति पूर्णरूप से समर्पित थी और उस का हर तरह से खयाल रखती थी. मोहम्मद सहवान भी समराना को बहुत चाहता था. दोनों की जिंदगी खुशहाल थी. समय के साथ समराना एक बेटे अयान और एक बेटी अंसरा की मां बन गई.

समराना लकी चार्म थी सहवान की

समराना सहवान के घर साक्षात लक्ष्मी बन कर आई थी. जब से वह उस के घर आई थी, तभी से उस की आय, इज्जत और शोहरत बढ़ती गई. मोहम्मद सहवान ने अब तक हार्वर लिमिट क्लासेज कोचिंग को बंद कर ग्लोबल कैरियर एकेडमी के नाम से 3 कोचिंग सेंटर खोल लिए थे. इन में एक काकादेव, दूसरा गोविंदनगर तथा तीसरा साकेत नगर में था.

इन कोचिंग सेंटरों पर हजारों की संख्या में छात्रछात्राएं आते थे. बेहतरीन गणित पढ़ाने के चलते सहवान ने कोचिंग के क्षेत्र में बड़ा मुकाम हासिल कर लिया था. उस की कोचिंग आईआईटी, जेईई की तैयारी के लिए गणित के साथ ही फिजिक्स, कैमिस्ट्री ही नहीं एनडीए, सीडीएस, एसएसबी, नेवी, एयरफोर्स, एसएससी, बैंक आदि की तैयारी के लिए भी मशहूर थी.

मोहम्मद सहवान ने कोचिंग से बहुत पैसा कमाया. इस कमाई से उस ने कई फ्लैट, फार्महाउस, करोड़ों का बैंक बैलेंस और जगुआर, स्कोडा, एंडेवर, इंडिगो जैसी महंगी कारें खरीदीं. उस के पास जो जगुआर कार थी, उस की कीमत 1.31 करोड़ रुपए थी.

सहवान ने कानपुर की आवास विकास कालोनी केशवपुर के नागेश्वर अपार्टमेंट में 5 फ्लैट खरीदे. जिस में एक उस के भाई इरफान, दूसरा समराना तथा तीसरा खुद उस के नाम है. नागेश्वर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 612 में सहवान पत्नी सिमराना के साथ रहने लगा. फ्लैट नंबर 610 में उस का भाई इरफान अपनी पत्नी निदा के साथ रहता था. फ्लैट नंबर 309 जो समराना के नाम था, उस में ताला लगा दिया था.

समराना शौहर के साथ खुशहाल जिंदगी व्यतीत कर रही थी, लेकिन सन 2016 में उस की जिंदगी में एक ऐसा तूफान आया कि उस का सब कुछ तहसनहस हो गया. दरअसल सन 2016 में नमरा खान उस के शौहर सहवान की काकादेव स्थित ग्लोबल कैरियर एकेडमी में कोचिंग के लिए आई.

18 वर्षीया नमरा खान उन्नाव के बांगरमऊ कस्बा निवासी शहंशाह खान की बेटी थी. वह धनाढ्य परिवार की थी. नमरा के पिता शहंशाह खान सपा के दबंग नेता तथा चर्चित व्यापारी थे. नमरा के बाबा जुम्मन खान बांगरमऊ नगर पालिका के चेयरमैन रहे थे.

नमरा खान कानपुर के शारदा नगर स्थित गर्ल्स हौस्टल में रह कर बीटेक की पढ़ाई कर रही थी. वह छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय की छात्रा थी. साथ ही आईआईटी की भी तैयारी कर रही थी. इस के लिए उस ने कोचिंग जौइन की थी.

40 वर्षीय मोहम्मद सहवान अपने पहनावे, शारीरिक फिटनैस व लाइफस्टाइल के लिए छात्राओं के बीच चर्चित था. नमरा खान भी उस के लाइफस्टाइल से प्रभावित थी और मन ही मन अपने सहवान सर से मोहब्बत करने लगी थी.

नमरा की खतरनाक एंट्री

मोहम्मद सहवान के पास कुछ स्टूडेंट्स एक्स्ट्रा क्लास के लिए आते थे. इन में नमरा खान भी थी. एक रोज पढ़ने के बाद अन्य छात्रछात्राएं तो चले गए लेकिन नमरा खान नहीं गई. उस रोज उस ने हिम्मत जुटा कर सहवान से अपने प्यार का इजहार कर दिया. इतना ही नहीं, उस ने यह भी कह दिया कि वह उस से शादी करना चाहती है.

नमरा खान की बात सुन कर सहवान चौंक पडे़, ‘‘तुम यह कैसी बातें कर रही हो? मैं शादीशुदा और 2 बच्चों का बाप हूं. मेरी तुम्हारी उम्र में दोगुना का अंतर है. इसलिए तुम मुझे पाने का खयाल दिल से निकाल दो और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो. पहले कैरियर सुधारो फिर शादी की सोचना.’’

‘‘सर, मैं बहुत जिद्दी हूं. मैं ने आप को दिल में बसा लिया है तो हासिल कर के ही दम लूंगी.’’ वह बोली.

उस रोज के बाद नमरा सहवान के पीछे पड़ गई. इस के बाद सहवान के दिल में भी हलचल होने लगी. दरअसल 18 वर्षीय नमरा बेहद खूबसूरत व हंसमुख थी, जबकि उस की पत्नी समराना की उम्र ढल चुकी थी. नमरा के आगे वह उसे फीकी लगने लगी थी. सहवान ने नमरा के प्यार को स्वीकारा तो इस प्यार के चर्चे आम होने लगे.

नमरा और सहवान की मोहब्बत की जानकारी समराना को हुई तो उसे अपने पैरों तले से जमीन खिसकती नजर आई. समराना ने इस बेमेल मोहब्बत का विरोध किया तो पतिपत्नी में झगड़ा होने लगा. एक रोज झगड़े के दौरान ही सहवान ने समराना को 3 तलाक कह दिया.

इस के बाद मार्च, 2017 में समराना अपने मायके बेकनगंज चली गई. वह अपने साथ बेटी अंसरा को भी ले आई थी. समराना अपने बेटे अयान को भी साथ लाना चाहती थी लेकिन सहवान व उस के घर वालों ने बेटे को नहीं जाने दिया. मायके में रहते समराना ने शौहर सहवान, उस के मातापिता तथा भाइयों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न तथा घरेलू हिंसा का मुकदमा दर्ज करा दिया. साथ ही गुजारा भत्ता भी मांगा.

लेकिन सहवान ने मुकदमे की परवाह नहीं की और अपनी उम्र से आधी उम्र की नमरा खान से 21 जुलाई, 2018 को निकाह कर लिया. इस प्रेम विवाह की जानकारी जब नमरा के पिता शहंशाह खान को हुई तो उन्होंने बेटी को समझाया. लेकिन सहवान के प्यार में अंधी नमरा ने पिता की बात नहीं मानी.

निकाह के बाद नमरा और सहवान केशवपुरम स्थित नागेश्वर अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर 612 में रहने लगे. शादी के 4 महीने तो सब कुछ ठीक रहा लेकिन उस के बाद दोनों के बीच तनाव बढ़ने लगा. तनाव का पहला कारण बना सहवान का 8 वर्षीय बेटा अयान.

मासूम अयान नमरा के प्यार के क्षणों में दखल देता था सो वह उसे पीट देती थी. अयान को पीटना सहवान को खलता था. नमरा का अत्याचार जब ज्यादा बढ़ा तो सहवान ने अयान को मछरिया वाले घर में अपने मातापिता के पास छोड़ दिया.

तनाव का दूसरा कारण बना उम्र का अंतर. नमरा जवानी के उस दौर में थी, जहां उसे रात दिन शौहर का साथ चाहिए था. वह उसे नींबू की तरह निचोड़ना चाहती थी. लेकिन सहवान के पास वक्त नहीं था. उसे कोचिंग से ही फुरसत नहीं थी. यही कारण था कि जब सहवान रात को सोता तो वह उसे नोचतीखसोटती और हिंसक हो जाती. गुस्से में उसे जो भी सामान दिखता, तोड़ देती थी.

तनाव का तीसरा कारण था एकदूसरे पर शक करना. नमरा की कामेच्छा पूरी नहीं होती तो उसे शौहर पर शक होता कि उस का झुकाव कहीं और है. सहवान जब नमरा को गैरमर्दों से मोबाइल पर बात करते देखता तो उसे शक होता कि नमरा किसी अन्य के प्यार के जाल में फंसी हुई है.

नमरा और सहवान दोनों स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहते थे. दोनों जिम जाते थे. नमरा रोज जिम जाती थी. जबकि सहवान कभीकभी जाता था. जिम ट्रेनर हंसमुख और मृदुभाषी था. नमरा की उस से खूब पटती थी. वह अपनी परेशानी उस से साझा कर लेती थी. जब वह जिम से नौकरी छोड़ कर नोएडा चला गया तो नमरा ने भी जिम जाना छोड़ दिया. लेकिन उस से फोन पर बात करना बंद नहीं किया.

नमरा सहवान को नोचतीखसोटती ही नहीं थी, बल्कि भद्दी व गंदी गालियां भी बकती थीं. उस के इस व्यवहार से सहवान टूट चुका था. उसे लगता था कि वह या तो कहीं भाग जाए या फिर नमरा को ही सबक सिखा दे.

सहवान को अब आभास होने लगा था कि उस ने समराना को तलाक दे कर अच्छा नहीं किया. वह समराना से समझौते का प्रयास करने लगा था. बेटी से बात करने के बहाने वह उसे फोन करता था. उस ने एक रोज कहा था कि अगर उसे कुछ हो जाए तो सारी संपत्ति उसी (समराना) की होगी. नौमिनी वही है. बच्चों का खूब खयाल रखे और उन्हें पढ़ाएलिखाए.

नमरा खान तो दिन में सो लेती थी, लेकिन दिन में काम करने वाले सहवान को रात में सोने नहीं देती थी. वह उस के सीने पर सवार हो कर नोचती भद्दी गालियां देती तथा पानी उड़ेल देती थी. कभीकभी गुस्से में सहवान उसे पीट देता था. दोनों के बीच दिन पर दिन तनाव बढ़ा तो सहवान को लगने लगा कि अब उस का नमरा के साथ रहना संभव नहीं है.

खतरनाक स्थितियां नमरा ने ही बनाई थीं

28 अप्रैल, 2019 की रात सहवान की आंख खुली तो नमरा दूसरे कमरे में जिम ट्रेनर से बतिया रही थी. वह उस से प्रात: 5 बजे तक बतियाती रही. सुबह सहवान ने फोन पर बात करने के बारे में पूछा तो नमरा उस से भिड़ गई और हिंसा पर उतर आई. उस ने नाखूनों से सहवान का चेहरा, गरदन और पीठ नोच डाली.

गुस्से में सहवान गाड़ी ले कर घर से निकल गया. उस ने सोच लिया कि वह या तो नमरा को मार देगा या फिर खुद जहर खा कर मर जाएगा. यही सोच कर वह रावतपुर बीज भंडार पर गया और सल्फास की 4 पुडि़या खरीद कर ले आया. उस रोज वह कोचिंग भी नहीं गया. देर शाम उस ने बेटी अंसरा से बात की और फोन पर रोया भी.

रात पौने 9 बजे सहवान अपने फ्लैट पर लौट आया. कुछ देर बाद नमरा ने कौफी बनाई और सहवान से कौफी पीने के लिए पूछा लेकिन सहवान ने मना कर दिया. इस पर नमरा गुस्सा हो गई और अपशब्द बकने लगी. फिर वह पलंग पर आ कर बैठ गई. सहवान गुस्से में था ही, उस ने किचन में रखा नया कुकर उठाया और लपक कर नमरा के सिर पर वार कर दिया. भरपूर वार से नमरा का सिर फट गया और वह बेहोश हो कर पलंग के नीचे आ गिरी. कुछ ही पल में उस ने दम तोड़ दिया.

नमरा की हत्या के बाद सहवान घबरा गया. वह अपने बचाव का प्रयत्न करने लगा. वह रसोई से चाकू ले आया और हाथ की नस काटने का प्रयास किया पर हिम्मत नहीं जुटा पाया. कुछ देर वह नमरा के शव के पास बैठा रहा, फिर उस ने नमरा का मोबाइल अपनी जेब में रख लिया.

बचाव का कोई उपाय नहीं सूझा तो उस ने सल्फास की एक पुडि़या चाय वाले कप में पानी में घोली और किसी तरह आधीअधूरी पी ली. फिर रात 12.10 बजे वह स्कोडा कार से घर से निकला और नवाबगंज क्षेत्र में घूमता रहा. उस ने दोनों फोन तोड़ कर फेंक दिए. रात पौने 4 बजे उसने 100 नंबर डायल कर के पुलिस कंट्रोल रूम को पत्नी की हत्या की सूचना दे दी. लेकिन सही पता न होने से पुलिस वहां तक नहीं पहुंच पाई. प्रात: 5 बजे मोहम्मद सहवान धौरसलार रेलवे स्टेशन क्रौसिंग पहुंचा.

सड़क किनारे उस ने गाड़ी खड़ी की और सल्फास की तीनों पुडिया एक के बाद एक फांक कर पानी पी लिया. कुछ देर बाद ही जहर ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. उसे कार में ही उल्टियां होने लगीं. बेचैनी और घबराहट में सहवान गाड़ी से बाहर आ गया.

उसी समय श्याम मिश्रा नाम का युवक वहां से गुजरा. सहवान ने उसे भाई का मोबाइल नंबर बताया और फोन करने को कहा. लेकिन श्याम सही नंबर नोट नहीं कर पाया. तब तक सहवान बेहोश हो कर सड़क किनारे गिर गया था. इस पर श्याम मिश्रा ने थाना बिल्हौर जा कर सूचना दी. सूचना के बाद बिल्हौर पुलिस ने सहवान को हैलट अस्पताल में भरती कराया, जहां उस ने दम तोड़ दिया.

इधर नमरा की हत्या की जानकारी तब हुई जब नौकरानी राधा फ्लैट में काम करने आई. उस के बाद पुलिस को सूचना दी गई. थाना काकादेव पुलिस मौके पर आई और शव को कब्जे में ले कर जांच शुरू की. जांच में दोनों लोगों की मौत की वजह बेमेल विवाह निकला.

थाना काकादेव पुलिस ने मृतका नमरा के पिता शहंशाह खान को वादी बना कर भादंवि की धारा 302 के तहत मोहम्मद सहवान के विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज कर ली. लेकिन सहवान द्वारा स्वयं आत्महत्या कर लेने से पुलिस ने इस मामले में फाइनल रिपोर्ट लगा दी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

Manohar Kahaniya: नशा मुक्ति केंद्र में चढ़ा सेक्स का नशा- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

परिवार में मानो तूफान आ गया था. मातापिता अपने बच्चों को हमेशा अच्छी नजर से देखते हैं और उन्हें प्यार भी करते हैं, इसलिए जल्द शक नहीं कर पाते. यह अच्छी बात है, लेकिन बच्चों की संगत को भी नजरंदाज कर दिया जाए, यह लापरवाही है.

निधि का परिवार भी यह गलती कर चुका था. निधि अपने परिवार की इकलौती बेटी थी. मातापिता ने उसे समझाया. एकदो दिन तो वह घर पर ही रही, लेकिन फिर बाहर घूमने की जिद करने लगी. उस का स्वभाव भी बदल चुका था. वास्तव में नशे की तलब उसे बेचैन कर रही थी.

दरअसल, निधि ड्रग्स की बुरी तरह आदी हो चुकी थी. वह पहले जैसी कतई नहीं रही थी. पढ़ाई का रिजल्ट आया तो उस में भी वह फेल थी. एक समय ऐसा भी आया जब वह अपनी तलब पूरी करने को पैसे मांगती और न देने पर झगड़ा करती.

घर के हालात तनावपूर्ण थे. मातापिता की रातों की नींद उड़ चुकी थी, क्योंकि वह बेटी को समझा कर थक चुके थे, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं थी. बेटी के भविष्य को बचाना उन के लिए चुनौतीपूर्ण हो गया. वह हर सूरत में निधि को बुरी लत से निकालना चाहते थे.

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उन लोगों के सामने अब एक ही रास्ता था कि बेटी को किसी नशा मुक्ति केंद्र में छोड़ दिया जाए. देहरादून में ऐसे कई नशा मुक्ति केंद्र थे. ऐसे ही एक अच्छे सेंटर के बारे में नवीन को पता चला.

उस का नाम था ‘वाक एंड विन सोबर लिविंग होम एंड काउंसलिंग सेंटर’. यह नशा मुक्ति केंद्र थाना क्लेमेनटाउन के अंतर्गत टर्नर रोड पर प्रकृति विहार में स्थित था. एक आवासीय कोठी को नशा मुक्ति केंद्र का रूप दिया गया था.

नशा मुक्ति केंद्र में ऐसे लड़केलड़कियों को रखा जाता था, जो नशे के आदी थे. नशा छुड़ाने के बदले उन के परिजनों से महीने में तय फीस ली जाती थी. यह फीस 20 से 40 हजार रुपए होती थी.

बच्चों के भविष्य के लिए मातापिता खुशीखुशी फीस चुकाने को तैयार रहते थे. इस नशा मुक्ति केंद्र के संचालक विद्यादत्त रतूड़ी थे, जबकि डायरेक्टर विभा सिंह.

नवीन और प्रिया ने यहां अपनी बेटी के बारे में बताया और सभी बातें तय होने के बाद बेटी को वहां रहने के लिए छोड़ दिया. वह खुश थे कि बेटी वहां रह कर अब पूरी तरह ठीक हो जाएगी, लेकिन उस की फिक्र जरूर बनी रहती थी.

प्रिया के लिए बेटी का नशा मुक्ति केंद्र में जाना किसी बुरे सपने की तरह था. प्रिया अकसर बेटी के बारे में सोचती रहती थीं. उस दिन भी वह फोटो एलबम देखते हुए बेटी को याद कर रही थीं तभी पतिपत्नी उस के बारे में चर्चा करने लगे थे.

4 लड़कियां हुईं गायब

प्रिया फोन पर बेटी से बात कर लिया करती थीं तो एक दिन बेटी ने बताया था कि वहां सब कुछ ठीक नहीं है. इस बात ने उन्हें चिंतित किया था, लेकिन नवीन ने अपनी बातों से उन की चिंता को दूर कर दिया था. लेकिन उन की बेटी की बात तब सच साबित हुई, जब नशा मुक्ति केंद्र से एक हैरान कर देने वाली खबर निकली.

दरअसल, 6 अगस्त, 2021 के अखबारों में एक खबर सुर्खी बनी कि ‘नशा मुक्ति केंद्र से 4 लड़कियां फरार’. इस खबर ने लोगों को चौंका दिया. थाना क्लेमेनटाउन पुलिस को सूचना मिली कि नशा मुक्ति केंद्र से 5 अगस्त की शाम 4 लड़कियां वार्डन को चकमा दे कर भाग गईं.

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जातेजाते वह सेंटर का बाहर से ताला भी लगा गईं. इस से सेंटर में हड़कंप मच गया. जिस की सूचना नशा मुक्ति केंद्र की डायरेक्टर विभा सिंह की तरफ  से पुलिस को दी गई थी. थानाप्रभारी धर्मेंद्र रौतेला अपनी टीम के साथ सेंटर पहुंचे और पूछताछ की.

पूछताछ में पता चला कि चारों लड़कियां चकमा दे कर भागी थीं, लेकिन बड़ा सवाल यह था कि लड़कियां सेंटर से आखिर क्यों भागीं? इस का ठीक जवाब लड़कियां ही दे सकती थीं. पुलिस को इस की आशंका जरूर हुई कि वजह कोई बड़ी रही होगी. बहरहाल पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर ली.

किसी नशा मुक्ति केंद्र से लड़कियों का इस तरह से भाग जाना बेहद संवेदनशील था. एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत ने अधीनस्थों को तुरंत लड़कियों की तलाश करने के निर्देश दिए. एसपी (सिटी) सरिता डोभाल ने इस प्रकरण की मौनिटरिंग शुरू कर दी.

जिस के बाद एक पुलिस टीम का गठन कर दिया गया. सीओ अनुज कुमार के निर्देशन में इस टीम में थानाप्रभारी धर्मेंद्र रौतेला, एसआई शोएब अली, रजनी चमोली, आशीष रवियान, हैड कांस्टेबल राजकुमार, कांस्टेबल सुनील पंवार, हितेश, भूपेंद्र व पिंकी आदि को शामिल किया गया.

पुलिस ने सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की मदद ली, लेकिन तत्काल कोई सफलता नहीं मिली. 7 अगस्त को पुलिस ने चारों लड़कियों को एक होटल से खोज निकाला.

पुलिस ने लड़कियों से पूछताछ की तो उन्होंने नशा मुक्ति केंद्र के बारे में ऐसा सनसनीखेज खुलासा किया, जिसे सुन कर पुलिस भी चौंक गई. एक लड़की ने आगे बढ़ कर बताया, ‘‘सर, वह नशा मुक्ति केंद्र नहीं नरक केंद्र है.’’

‘‘मतलब?’’

‘‘वहां छेड़छाड़ की जाती है, मेरे साथ तो कई बार दुष्कर्म किया गया. मैं ने इस की शिकायत डायरेक्टर विभा से की तो उन्होंने उल्टा मेरे साथ मारपीट की.’’

लड़कियों के आरोप वाकई संगीन थे, ऐसे में तत्काल एक्शन लेना जरूरी था. पुलिस ने लड़की की तहरीर पर नशा मुक्ति केंद्र के संचालक विद्यादत्त रतूड़ी व डायरेक्टर विभा सिंह के खिलाफ  दुराचार, मारपीट, छेड़छाड़ व गालीगलौज की धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया.

डायरेक्टर हुई गिरफ्तार

पुलिस टीम नशा मुक्ति केंद्र पहुंची और वहां से डायरेक्टर विभा सिंह को गिरफ्तार कर लिया, जबकि संचालक फरार हो चुका था. डायरेक्टर विभा सिंह ने चौंकाने वाली बातें पुलिस को बताईं.

अगले दिन पुलिस ने उसे न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया. इस बीच लड़कियों को उन के परिजनों के हवाले कर दिया गया.

इस जांच में पुलिस को पता चला कि उक्त नशा मुक्ति केंद्र का संचालक विद्यादत्त रतूड़ी मूलरूप से पौड़ी गढ़वाल के उरमोला पट्टी गांव का रहने वाला था. पुलिस टीम उस के गांव रवाना हो गई, लेकिन वह वहां भी नहीं मिला. उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ  आ रहा था.

यह सनसनीखेज प्रकरण सुर्खियां बन चुका था. पुलिस उस की तलाश में जुटी रही. आखिर 9 अगस्त, 2021 को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया. वह श्यामपुर क्षेत्र के एक होटल में छिपा हुआ था.

पुलिस ने उस से गहराई से पूछताछ की तो संचालक, डायरेक्टर के साथ ही नशा मुक्ति केंद्र की ऐसी कहानी निकल कर सामने आई जिस ने न सिर्फ चौंका दिया, बल्कि नशा मुक्ति केंद्र का काला सच भी सामने आ गया.

दरअसल, विद्यादत्त रतूड़ी के पिता हर्ष मनी रतूड़ी एयरफोर्स में नौकरी करते थे. कई साल पहले उन की तैनाती कानपुर में थी. विद्यादत्त कम उम्र में ही बुरी संगत का शिकार हो गया और उसे शराब पीने की लत लग गई.

मातापिता ने बेटे को बहुत संभालने की कोशिश की, लेकिन वह हाथ से निकल चुका था. समय अपनी गति से चलता रहा. इस बीच उस का विवाह भी कर दिया गया. वह नशे का इतना आदी हो गया कि दिन में भी नशा करने लगा.

साल 2018 में उसे देहरादून के सरस्वती विहार स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में भरती कराया गया. वहां पर अपने नशे के इलाज के दौरान ही उस ने नशा मुक्ति केंद्र में स्टाफ के रूप में काम करना शुरू कर दिया. विद्यादत्त ने करीब 3 साल वहां काम किया.

अगले भाग में पढ़ें- संचालक हो गया अंडरग्राउंड

छाया : विनोद पुंडीर

Satyakatha- ऊधमसिंह नगर में: धंधा पुराना लेकिन तरीके नए- भाग 3

सौजन्य- सत्यकथा

इस सूचना पर काररवाई करते हुए इंसपेक्टर बसंती आर्या अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचीं. अपनी टीम के साथ चारों तरफ से कार को घेरते हुए उस कार से 3 लोगों को पकड़ा गया. उन में एक आदमी और 2 औरतें थीं.

जब वे पकड़े गए, तब उन की हरकतें बेहद आपत्तिजनक थीं. तीनों को अपनी कस्टडी में ले कर पूछताछ के लिए थाने लाया गया.

आदमी की पहचान उत्तर प्रदेश में बरेली जिले के बहेड़ी थाना के रहने वाले 29 वर्षीय भगवान दास उर्फ अर्जुन के रूप में हुई. महिला की पहचान 32 वर्षीया भारती के रूप में हुई.

उस ने बताया कि वह उत्तर प्रदेश में रामपुर जिले के अंतर्गत दिनकरी की रहने वाली है, लेकिन अब वह ऊधमसिंह नगर जिला में  सिडकुल ढाल ट्रांजिट कैंप में रहती है.

इसी तरह से दूसरी 21 वर्षीया युवती ने अपना नाम पूजा यादव बताया. उस ने कहा कि उस का पति उत्तर प्रदेश में बाराबंकी जिले के गांव सनसडा में रहता है. तीनों से गहन पूछताछ के बाद उन की तलाशी ली गई. तलाशी में उन के पास से 2 स्मार्टफोन बरामद हुए. मोबाइलों में तमाम अश्लील फोटो, वीडियो के साथ ही अनेक अश्लील मैसेज भी भरे हुए थे.

उन्हीं मैसेज से मालूम हुआ कि ये दोनों महिलाएं एक रात के 1000 से 1500 रुपए लेकर ग्राहकों की रातें रंगीन करती थीं.

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उन के साथ पकड़ा गया भगवान दास का काम ग्राहक तलाशना होता था. वह उन्हें ग्राहकों तक पहुंचाने का काम करता था. बदले में 500 रुपए वसूलता था. दास ने बताया कि वह ग्राहक की जानकारी होटलों में ठहरने वालों से जुटाता था.

इस के लिए अपने संपर्क में आई युवतियों को किसी एकांत जगह पर कार में बैठा कर रखता था और फिर वहीं से ग्राहकों के फोन का इंतजार करता था. जैसे ही किसी ग्राहक का फोन आता वह 10 से 15 मिनट में उस के बताए स्थान पर लड़की को पहुंचा देता था.

तीनों 21 जुलाई को ग्राहक का फोन आने का ही इंतजार कर रहे थे. उन की कोई सूचना नहीं मिल पाने के कारण वे आपस में ही हंसीमजाक करते हुए टाइमपास कर रहे थे. ऐसा करते हुए वे बीचबीच में अश्लील हरकतें भी करने लगे थे.

उस दिन भगवान दास ने दोनों को 1500-1500 रुपयों में तय किया था. लेकिन जब काफी समय गुजर जाने के बाद भी उसे कोई ग्राहक नहीं आया था. पुलिस मुखबिर की निगाह उन पर गई और उन्होंने पुलिस को इस की सूचना दे दी.

पूछताछ में भगवान दास ने कई मोबाइल नंबर दिए, जो देहव्यापार करने वाली महिलाओं के थे.

वे अपनी बुकिंग एक दिन पहले करवा लेती थीं. बुकिंग के आधार पर ही उन्हें होटल या किसी निजी घर पर ले जाया जाता था. उन्हें ले जाने वाला ही उन का सौदा पक्का कर देता था. औनलाइन पेमेंट आने के बाद ही बताए जगह पर पहुंचती थीं.

इस मामले को थाना ट्रांजिट कैंप में दर्ज किया गया. पकड़े गए व्यक्तियों पर  सार्वजनिक स्थान पर अश्लील हरकतें कर अनैतिक देह व्यापार करने के संबंध में रिपोर्ट दर्ज की गई.

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उन पर आईपीसी की धारा 294/34 लगाई गईं. इसी के साथ उन्हें अनैतिक देह व्यापार निवारण अधिनियम की धारा 5/7/8 के तहत काररवाई की गई.

3साल पहले यानी 2018 तक काशीपुर की अनाज मंडी भी इस धंधे के लिए काफी बदनाम थी. आज भी स्थिति कमोबेश वैसी ही बनी हुई है. हालांकि कोरोना काल की वजह से उस में थोड़े समय के लिए मंदी जरूर आई, फिर पहले जैसी स्थिति बन गई.

मंडी देह का फूलनेफलने की भी वजह है. फसल ले कर आने वाले किसानों के अनाज की साफसफाई के लिए आढ़तियों की दुकानों पर औरतें काम करती हैं. उन की संख्या वे 2 ढाई सौ के करीब है.

फसल के ढेर पर झाड़ू लगाने वाली अधिकतर औरतें बिजनौर जिले की रहने वाली हैं, लेकिन काशीपुर में ही किराए का कमरा ले कर रहती हैं.

वे औरतें सुबहसुबह सजसंवर कर मंडी पहुंच जाती हैं. अपनी खूबसूरती का जलवा दिखा कर किसानों और व्यापारियों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं. वह मजदूरों को भी अपने जाल में आसानी से फांस लेती हैं. यह सब उन की आमदनी का एक अतिरिक्त जरिया होता है.

जितने पैसे वे मंडी में अनाजों के ढेर पर झाड़ू लगा कर नहीं कमा पातीं, उस से कहीं ज्यादा पैसा उन्हें देह व्यापार के धंधे में मिल जाता है.

हालांकि वह सब उन को ठीक भी नहीं लगता. उन्हें न केवल परिवार और समाज की नजरों से छिप कर रहना पड़ता है, बल्कि पुलिसप्रशासन से बच कर भी रहना जरूरी होता है. ऊपर से बदनामी का भी डर लगा रहता है.

उन की कोशिश रहती कि वे किसी के साथ आपत्तिजनक स्थिति में नहीं पकड़ी जाएं. जबकि हमेशा उन के मन के अनुकूल स्थिति बनी रहना संभव नहीं होती. नतीजा पुलिस की छापेमारी में कुछ पकड़ी जाती हैं तो कुछ अड्डे से भागने में सफल हो जाती हैं.

देह व्यापार के धंधे में लगे रहने की उन की मजबूरी थी. एक अड्डा बंद होता है तो उन के द्वारा तुरंत नया ठिकाना बना लिया जाता है. वैसे अधिकतर औरतों के पति दिहाड़ी मजदूरी करने वाले या फिर रिक्शा चलाने वाले हैं. वह शाम तक जितना कमाते हैं, उस का बड़ा हिस्सा शराब में उड़ा देते हैं.

शाम को घर पहुंचने पर घर का खर्च बीवी से चलाने की उम्मीद करते हैं. घर चलाने के खर्च से ले कर कमरे का किराया, कपड़ेलत्ते, बच्चों की परवरिश आदि तक उन्हीं के कंधों पर रहती है.

उस के बावजूद शराबी पतियों की मारपीट भी झेलनी पड़ती है. यह उन की दिनचर्या में शामिल हो चुका है. इस तरह देह के धंधे को अपनाने की मजबूरी बन गई है.

किसान कानून में बदलाव आने का असर उन के धंधे पर भी हुआ. कारण इस कानून के लागू होने पर किसान अपनी फसल कहीं भी बेचने के लिए आजाद हो गए. इस वजह से उन का काशीपुर की मंडी में आनाजाना बहुत कम हो गया. इस का असर उन औरतों के धंधे पर भी हुआ.

अनाज की मंडियों का काम ढीला होने से पहले के मुकाबले वहां औरतें कम आने लगी हैं. मजबूरी में उन्होंने नया तरीका निकाला और अपने घरों में ही धंधा करना शुरू कर दिया. जबकि वह जानती हैं कि यह धंधा किसी भी सूरत में महफूज नहीं है.

यूपी में कोई नहीं रहेगा बेघर

लखनऊ . “अपना घर” का सपना संजोने वालों के लिए श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का शुभ अवसर यादगार हो गया. खास मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूबे के 02 लाख 853 लोगों को घर बनाने के लिए ₹1341.17 करोड़ की धनराशि सीधे उनके बैंक खाते में भेजी. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वर्ष 2022 तक “सबको आवास” का संकल्प दोहराते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में अब तक 40 लाख शहरी गरीबों के ‘घर’ का सपना पूरा हुआ है. यह काम तेजी से जारी है.

उन्होंने कहा कि प्रदेश में कोई भी परिवार बेघर नहीं रहेगा मुख्यमंत्री आवास पर आयोजित इस वर्चुअल कार्यक्रम में सूबे के 650 से अधिक नगरीय निकायों से 50 हजार से अधिक लोग जुड़े थे. कार्यक्रम में पीएम आवास योजना (शहरी) के अंतर्गत 98,234 लोगों को पहली क़िस्त, 34,369 को दूसरी और 68,250 लाभार्थियों को तीसरी क़िस्त मिली. सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में धनराशि भेजते हुए सीएम ने कहा कि एक समय था कि जब एक प्रधानमंत्री कहते थे कि वो दिल्ली से ₹100 भेजते हैं और आम आदमी को ₹15 मिलता है, लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी ने तकनीक की मदद से ऐसी व्यवस्था कर दी है, जिससे ₹100 के ₹100 लाभार्थी को मिल रहा है.

आवास के लिए पैसे चाहिए या व्यवसाय के लिए लोन, अगर आप अर्हता पूरी करते हैं तो बिना सिफारिश, बिना घूस, पूरी मदद मिलनी तय है. और अब तो बैंक जाने की भी जरूरत नहीं, गांव-गांव में बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट-सखी तैनात हैं.

पीएम आवास और स्वनिधि योजना में यूपी है नम्बर 01

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री से बातचीत करते हुए पीएम आवास और स्वनिधि योजना के लाभार्थियों ने भी बताया कि उन्हें कहीं भी किसी को भी घूस-सिफारिश को जरूरत नहीं पड़ी. मुख्यमंत्री ने कहा, पिछले साढ़े 04 साल में हमारी सरकार ने करीब 40 लाख लोगों को आवास उपलब्ध करवाए हैं. 2017 से पहले पीएम आवास योजना में यूपी का कोई स्थान नहीं था. 25 वें-27 वें नम्बर पर था. 2017 में सरकार आने के बाद पीएम आवास हो या स्वनिधि, यूपी सबमें नम्बर एक है. योगी ने कहा कि आज ठेले-खोमचे वाले व्यवसायियों को व्यापार के लिए पैसा मुहैया कराया जा रहा है.

प्रधानमंत्री मोदी से पहले कभी किसी ने भी स्ट्रीट वेंडर के हितों के बारे में नहीं सोचा. महिला स्वावलम्बन के लिहाज से स्वयं सहायता समूहों के कार्यों की सराहना की. कार्यक्रम में नगर विकास मंत्री आशुतोष टण्डन और राज्य मंत्री महेश गुप्ता ने भी अपने विचार रखे.

“घर ही नहीं, शौचालय, बिजली, राशन और मुफ्त इलाज भी मिला योगी जी”

वर्चुअली आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री से बातचीत करते हुए पीएम आवास योजना और स्वनिधि योजना के लाभार्थियों ने सीएम को धन्यवाद दिया. प्रयागराज की सुशीला हों, मीरजापुर की निर्मला या फिर झांसी की रेशमा, सबने बारी-बारी से सीएम को बताया कि उन्हें आवास के लिए धनराशि पाने में कहीं भी न तो घूस देना पड़ा न ही सिफारिश करनी पड़ी.

बाराबंकी की मंजू ने बताया कि आज उन्हें आवास की तीसरी क़िस्त मिली है. इससे पहले उन्हें मुफ्त बिजली और गैस कनेक्शन मिला,जनधन खाता खुला, आज महीने में दो बार राशन मिल रहा है. उन्होंने बताया कि उनके बच्चों की पढ़ाई भी फ्री में हो रही है. वहीं स्वनिधि योजना से लाभ लेकर आगरा शिल्पग्राम में चाय का ठेला लगाने वाले पवन और काशी में सब्ज़ी की दुकान लगाने वाली शीला देवी ने स्वनिधि योजना के माध्यम से मिले, रुपयों से उनके व्यापार में हुई बढ़ोतरी के लिए पीएम मोदी और सीएम योगी को धन्यवाद दिया.

ललितपुर के ओम प्रकाश ने बताया कि बीते 30 साल से कभी किसी सरकार ने उन्हें कुछ न दिया, आज सब मिल रहा है. मुख्यमंत्री ने ओमप्रकाश के मूक बघिर बेटे के इलाज के लिए सभी जरूरी प्रबंध के निर्देश भी दिए.

बॉक्स : प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) : अब तक

– स्वीकृत आवासों की संख्या (सभी घटकों सहित)- 17,15,816

– प्रारम्भ आवासों की संख्या (सभी घटकों सहित)- 8,65,174

– 2007 से 2017 तक मात्र 2.50 लाख आवास पूर्ण

– 2017 से आज तक 8.65 लाख आवास पूर्ण

– वर्ष 2019 के पीएमएवाई अवार्ड अन्तर्गत नगर पालिका परिषद श्रेणी में नगर पालिका परिषद मिर्जापुर को पूरे देश में उत्कृष्ट प्रदर्शन हेतु प्रथम स्थान प्राप्त

– वर्ष 2019 के पीएमएवाई अवार्ड अन्तर्गत नगर पंचायत श्रेणी में नगर पचायत मलीहाबाद को प्रथम एवं हरिहरपुर को तृतीय स्थान प्राप्त

– उत्तर प्रदेश राज्य पूरे देश में डीबीटी द्वारा फन्ड ट्रान्सफर में पहले स्थान पर.

– देश में स्वीकृत 06 लाइट हाउस प्रोजेक्ट में से 01 लाइट प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश के शहर लखनऊ में स्वीकृत.

मैं हल्दीराम कंपनी से बोल रहा हूं…. ठगी के रंग हजार

अब आपको सावधान रहना है डिजिटल ठगी ट्रेंडिंग से. जी हां! आप अपने शहर में कोई दुकान चलाते हैं प्रतिष्ठित व्यवसायी हैं तो आपको सावधान रहने की दरकार है. क्योंकि अब ठगों ने देश की प्रतिष्ठित कंपनियों की डीलरशिप की लुभावनी लालच देकर के ठगने की एक नई योजना पर क्रियान्वयन करना शुरू कर दिया है.

इसी क्रम में रांची झारखंड में एक युवक से हल्दीराम नाम की स्नैक्स कंपनी के नाम पर 5 लाख रुपए ठग लिए गए.

हमारे संवाददाता ने इस संबंध में पुलिस अधिकारियों से चर्चा की तो उन्होंने जो जानकारियां दी वह चौंकाने वाली हैं .

पुलिस अधिकारी के मुताबिक दूसरी तरफ से कहा जाता है- हैलो, मैं हल्दीराम कंपनी से बोल रहा हूं आपके लिए एक अच्छा ऑफर आया है.

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हल्दीराम जैसी प्रतिष्ठित कंपनी के फोन को भला कोई छोटा मोटा व्यापारी कैसे इग्नोर कर सकता है. वह तो स्वयं को धन्य समझने लगता है और मुंगेरीलाल के सपनों में खो जाता है की हल्दीराम की मिलने के बाद कैसे लाखों रुपए कमा लूंगा.

सोशल मीडिया बड़ा माध्यम

छोटी पूंजी में कुछ बड़ा करने का सपना लिए अशोक नगर इलाके में रहने वाले अक्षर भारती नाम के युवक ने इंटरनेट पर कुछ सर्च किया. उसने सोचा कि हल्दीराम स्नैक्स कंपनी की एजेंसी लेकर काम शुरू भला कैसे किया जा सकता है और उसके बाद जो कुछ हुआ वह चौंकाने वाला है. अक्षर के मुताबिक मैंने एक वेबसाइट पर हल्दीराम फ्रेंचाइजी डिस्ट्रीब्यूटर के अप्लाय किया था वेबसाइट थी WWW. Franchiseidea.org इसके बाद  जुलाई के दूसरे पखवाड़े में  करण  नाम के आदमी ने मुझे अपने नंबर 7208612492 से कॉल किया.उसने कहा – मैं हल्दीराम कंपनी से बोल रहा हूं. मैं सेल्स मैनेजर हूं.

करण ने रजिस्ट्रेशन, प्रोसेसिंग और सिक्योरिटी मनी के तौर पर कुल 2 लाख 6 सौ रुपए मांग लिए. बातों में आकर अक्षर ने गूगल पे के जरिए रुपए करण के बताए खाते में जमा करवा दिए.

उसके बाद ठगी का खेल देखिए- Haldiram Foods International Pvt Ltd info@haldiram.online के ईमेल से कंपनी का कंन्फर्मेशन लेटर भी मिल गया. ठग ने नागपुर के भारतीय स्टेट  बैंक खाते में रुपए जमा करवाए.और  इसके बाद ठग करण से लुट चुके अक्षर का कोई संपर्क नहीं हो पाया. ठगी का शिकार हो चुके अक्षर को इंटरनेट से ही अक्षर को हल्दीराम कंपनी के कुछ और नंबर मिले. उसने आगे पूछताछ की तो  पता चला कि वहां करण वर्मा नाम का तो कोई आदमी काम ही नहीं करता.फिर टिकरा पारा थाने आकर अक्षर ने रपट दर्ज करवाई. कुल मिलाकर के दिन बीतते चले जा रहे हैं और अक्षर ठगी के बाद अपना सर पकड़े बैठा है क्योंकि उसे कोई राहत नहीं मिल पा रही इसलिए अच्छा है कि आप समझदारी से काम ले और किसी भी तरह की लेनदेन से पहले अच्छी तरीके से जानकारी एकत्र कर लें इसके पश्चात ही पैसों का निवेश करें.

किस्म किस्म के ठग

इन दिनों जहां सोशल मीडिया का प्रभाव बढ़ता चला जा रहा है. उसके साथ ही ठगी के प्रकरण भी तेजी से सामने आ रहे हैं. इसलिए इस आलेख के माध्यम से हम ऐसे तथ्य आपके समक्ष रख रहे हैं जिन्हें पढ़ समझ कर के आप ठगी से बच सकते हैं.

छत पर मोबाइल टावर लगाने का झांसा देकर ठगी के अनेक मामले लंबे समय से सामने आ रहे हैं जो अभी भी जारी है. बिहार के पटना के एक रेलकर्मी की पत्नी से मोबाइल टावर लगाने के नाम पर 5 लाख की ऑनलाइन ठग लिए गए. टीएस नारायण रेलकर्मी हैं. उनकी पत्नी के पास  जियो कंपनी के नाम से फोन कॉल आया कहा गया -आप भाग्यशाली हैं जियो ने मोबाइल टावर लगाने आपका घर चुना है. टावर लगेगा तो हर माह 40-50 हजार किराया मिलेगा. वह झांसे में आ गई और रुपए लुटा बैठी. इस तरीके के प्रकार सामने आ रहे हैं वह बताते हैं कि इतने चतुर सुजान हैं और ठगी के शिकार कितने भोले भाले. इस लेख में हम आपको ठगी से बचने के सहज रास्ते बता रहे हैं.

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दरअसल , साइबर सेल ने लोगों से अपील की है कि ऑनलाइल डेटिंग एप पर लड़के, लड़कियों से दोस्ती न करें, कोई लुभावनी स्कीम, बिजनेस प्रॉफिट वगैरह की बातों पर सरलता से  यकीन न करें, और किसी भी तरह  अपनी बैंक डिटेल किसी अनजान कॉलर को न दें. बहुत जरूरी ट्रांजेक्शन होने पर नजदीकी बैंक में जाकर खुद संपर्क करें. ऑनलाइन ठगी की घटना होने पर या फोन आने पर रायपुर साइबर सेल के नंबर पर कॉल करें. आप नजदीकी थाने पहुंचकर भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

सच्चा प्यार- भाग 3: जब उर्मी की शादीशुदा जिंदगी में मुसीबत बना उसका प्यार

Writer- Girija Zinna

ललित ने बिना किसी हिचकिचाहट के कहा, ‘‘उर्मी, मैं बातों को घुमाना नहीं चाहता हूं. मैं तुम से प्यार करता हूं. अगर तुम्हें भी मंजूर है, तो मैं तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

यह सुन कर मुझे सच में झटका लगा. मुझे जरा सा भी अंदाजा नहीं था कि ललित इस तरह मुझ से पूछेगा.

मैं ने ललित के बारे में बहुत सोचा. मुझे तब तक मालूम हो चुका कि मेरे पास जो पैसे हैं वे मेरी शादी के लिए बहुत कम हैं और फिर मेरी मां को भी अपनाने वाला दूल्हा मिलना लगभग नामुमकिन ही था. इस बारे में मेरे दिल ने नहीं दिमाग ने निर्णय लिया और मैं ने ललित को अपनी मंजूरी दे दी.

उस के बाद हर हफ्ते हम रविवार को हमारे घर के सामने वाले पार्क में मिलते. इसी बीच यकायक ललित 3 दिन की छुट्टी पर चला गया.

ललित चौथे दिन कालेज आया. उस का चेहरा उतरा हुआ था. शाम को हम दोनों पार्क में जा कर बैठ गए. मुझे मालूम था कि ललित मुझ से कुछ कहना चाह रहा, मगर कह नहीं पा रहा.

फिर उस ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘मुझे माफ कर दो उर्मी… मैं ने खुद ही तुम से प्यार का इजहार किया था और अब मैं ही इस रिश्ते से पीछे हट रहा हूं. तुम्हें मालूम है कि मेरी एक बहन है. वह किसी लड़के से प्यार करती है और उस लड़के की एक बिन ब्याही बहन है. उन लोगों ने साफ कह दिया कि अगर मैं उन की लड़की से शादी करूं तो ही वे मेरी बहन को अपनाएंगे. मेरे पास अब कोई रास्ता नहीं रहा.’’

मैं 1 मिनट के लिए चुप रही. फिर कहा, ‘‘फैसला ले ही लिया तो अब किस बात का डर… शादी मुबारक हो ललित,’’ और फिर घर चली आई.

1 महीने में ललित और उस की बहन की शादी धूमधाम से हो गई. अब ललित कालेज की नौकरी छोड़ कर अपनी ससुराल की कंपनी में काम करने लगा.

अब मनोहर से मेरी शादी हुए 1 महीना हो गया है. मेरी ससुराल वालों ने मेरे पति को मेरे साथ मेरे फ्लैट में रहने की इजाजत दे दी ताकि मेरी मां को भी हमारा सहारा मिल सके. इस नई जिंदगी से मुझे कोई शिकायत नहीं. मेरे पति एक अच्छे इनसान हैं. मुझे किसी भी बात को ले कर परेशान नहीं करते हैं. मेरी बहुत इज्जत करते हैं. औरतों को पूरा सम्मान देते हैं. उन का यह स्वभाव मुझे बहुत अच्छा लगा.

‘‘उर्मी जल्दी से तैयार हो जाओ. हमारी शादी के बाद तुम पहली बार मेरे दफ्तर की पार्टी में चल रही हो. आज की पार्टी खास है, क्योंकि हमारे मालिक के बेटे दिल्ली से मुंबई आ रहे हैं. तुम उन से भी मिलोगी.’’

जब हम पार्टी में पहुंचे तो कई लोग आ चुके थे. मेरे पति ने मुझे सब से मिलवाया. इतने में किसी ने कहा चेयरमैन साहब आ गए. उन्हें देख कर एक क्षण के लिए मेरी सांस रुक गई. चेयरमैन कोई और नहीं शेखर ही था.

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तभी सभी को नमस्कार कहते हुए शेखर मुझे देख कर 1 मिनट के लिए चौंक गया.

मेरे पति ने उस से कहा, ‘‘मेरी बीवी है सर.’’

शेखर ने हंसते हुए कहा, ‘‘मुबारक हो… शादी कब हुई?’’

मेरे पति उस के सवालों के जवाब देते रहे और फिर वह चला गया.

कुछ देर बाद शेखर के पी.ए. ने आ कर कहा, ‘‘मैडम, चेयरमैन साहब आप को बुला रहे हैं अकेले.’’ मैं ने चुपके से अपने पति के चेहरे को देखा. पति ने भी सिर हिला कर मुझे जाने का इशारा किया.

शेखर एक बड़ी मेज के सामने बैठा था. मैं उस के सामने जा कर खड़ी हो गई.

शेखर ने मुझे देख कर कहा, ‘‘आओ उर्मी, प्लीज बैठो.’’

मैं उस के सामने बैठ गई.

शेखर ने कहा, ‘‘मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं. मैं सीधे मुद्दे पर आ जाऊंगा… मैं हमारी पुरानी दोस्ती को फिर से शुरू करना चाहता हूं बिलकुल पहले जैसे. मैं तुम्हारे पति का दिल्ली में तबादला कर दूंगा. अगर तुम चाहती हो तो तुम्हें दिल्ली के किसी कालेज में लैक्चरर की नौकरी दिला दूंगा.’’

वह ऐसे बोलता रहा जैसे मैं ने उस की बात मान ली. मगर मैं उस वक्त कुछ नहीं कह सकी. चुपचाप लौट कर पति के सामने आ कर बैठ गई. कुछ भी नहीं बोली. टैक्सी से लौटते समय भी कुछ नहीं पूछा उन्होंने.

घर लौटने के बाद मेरे पति ने मुझ से कुछ भी नहीं पूछा. मगर मैं ने उन से सारी बातें कहने का फैसला कर लिया. पति ने मेरी सारी बातें चुपचाप सुनीं. मैं ने उन से कुछ नहीं छिपाया.

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मेरी आंखों से आंसू आने लगे. मेरे पति ने मेरा हाथ पकड़ कर कहा, ‘‘उर्मी, तुम ने कुछ गलत नहीं किया. हम सब के अतीत में कुछ न कुछ हुआ होगा. अतीत के पन्नों को दोबारा खोल कर देखना बेकार की बात है. कभीकभी न चाहते हुए भी हमारा अतीत हमारे सामने खड़ा हो जाता है, तो हमें उसे महत्त्व नहीं देना चाहिए. हमेशा आगे की सोच रखनी चाहिए. शेखर की बातों को छोड़ो. उस का रुपया बोल रहा है… हम कभी उस का मुकाबला नहीं कर सकते… मैं कल ही अपना इस्तीफा दे दूंगा. दूसरी नौकरी ढूंढ़ लूंगा. तुम चिंता करना छोड़ो और सो जाओ. हर कदम मैं तुम्हारे साथ हूं,’’ और फिर मुझे बांहों में भर लिया. उन की बांहों में मुझे फील हुआ कि मैं महफूज हूं. इस के अलावा और क्या चाहिए एक पत्नी को?

Manohar Kahaniya:10 साल में सुलझी सुहागरात की गुत्थी- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

एएसआई जयवीर की टीम बारबार अलवर में कमल सिंगला और शकुंतला की तलाश करने के लिए जाती. लेकिन उन दोनों का कोई सुराग नहीं मिल रहा था.

क्राइम ब्रांच की इस टीम में एक कांस्टेबल हरेंद्र संयोग से राजस्थान का ही रहने वाला था. उस की मदद से पुलिस टीम को स्थानीय स्तर पर ऐसे लोगों की मदद मिलने लगी, जिस से कमल व शकुंतला के बारे में छनछन कर जानकारियां सामने आने लगी थीं. लेकिन इस पूरी कवायद में कई महीने गुजर गए.

इसी बीच एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट के एसीपी सुरेंद्र गुलिया ने रवि के अपहरण की जांच करने वाले इंसपेक्टर अमलेश्वर राय और एसआई करमवीर सिंह, एएसआई जयवीर सिंह, नरेश कुमार तथा कास्टेबल हरेंद्र से जांच में तेजी लाने के लिए कहा. तब तक पुलिस टीम को कमल सिंगला के मोबाइल का नंबर हासिल हो चुका था.

कमल के फोन नंबर की मौनिटरिंग शुरू हो गई और उस की काल डिटेल्स खंगालने का काम शुरू कर दिया गया. रवि के अपहरण में कमल की भूमिका होने की पुष्टि हो चुकी थी, इसलिए पुलिस ने उस के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट हासिल कर लिया.

लेकिन जब वह कहीं नहीं मिला तो उसे भगोड़ा घोषित कर के उस के ऊपर 50 हजार का ईनाम दिल्ली पुलिस ने घोषित कर दिया.

इस दौरान पुलिस ने उस के घर की कुर्की के वारंट भी जारी करवा लिए. पुलिस की एक टीम ने स्थाई रूप से अलवर में ही डेरा डाल दिया.

मोबाइल की लोकेशन और उस से बात करने वाले हर शख्स की जानकारी अलवर में बैठी पुलिस टीम को मिल रही थी. लेकिन इसे संयोग कहें या कमल की किस्मत कि पुलिस टीम के पहुंचने से पहले ही वह मौजूद जगह से निकल जाता था.

लेकिन पुलिस जब किसी को पकड़ने की ठान लेती है तो देर से ही सही, चालाक अपराधी भी पुलिस के चंगुल में फंस ही जाता है.

आखिरकार 27 सितंबर, 2019 को कमल सिंगला (27) को अलवर की शालीमार कालोनी से गिरफ्तार कर लिया गया. यहां भी उस का एक घर था, जहां छिप कर वह रह रहा था. हालांकि शकुंतला उस के साथ नहीं थी. लेकिन कमल का पकड़ा जाना भी पुलिस के लिए बड़ी उपलब्धि थी.

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दिल्ली ला कर जब पुलिस टीम ने उस से पूछताछ शुरू की तो वह हमेशा की तरह पुलिस को अपने झूठ के जाल में उलझाने की कोशिश करता रहा.

लेकिन इस बार जांच दल के पास उस के खिलाफ ब्रेनमैपिंग टेस्ट की रिपोर्ट से ले कर बबली से अदालत में शकुंतला की शादी से जुड़ा गलत शपथपत्र दिलाने जैसे कई ठोस सबूत मौजूद थे. जिन का उस के पास कोई उत्तर नहीं था.

पुलिस टीम ने थोड़ी सख्ती की तो कमल सिंगला सब कुछ तोते की तरह बताने लगा. पूछताछ में पता चला कि रवि का अपहरण कर उस की हत्या कर दी गई थी और इस काम में उस की मदद उस के ड्राइवर गणेश महतो ने की थी. गणेश को उस ने 2012 में ही नौकरी से हटा दिया था, जिस के बाद वह बिहार चला गया.

कमल यह तो नहीं बता सका कि ड्राइवर गणेश किस गांव का है और उस का फोन नंबर क्या है, लेकिन दिल्ली में रहने वाले उस के जीजा अनिल का नंबर पुलिस को कमल से मिल गया.

पुलिस टीम ने उसी दिन अनिल से संपर्क किया और गणेश महतो के बारे में जानकारी हासिल कर ली. अनिल को साथ ले कर पुलिस टीम तत्काल बिहार के समस्तीपुर में करवां थानांतर्गत चकमहेशी गांव पहुंची, जहां से गणेश महतो पुत्र सुरेश महतो (31) को गिरफ्तार कर लिया गया. उस ने शुरुआती पूछताछ में ही अपना गुनाह कुबूल कर लिया.

पुलिस टीम गणेश को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली ले आई. इस के बाद कमल व गणेश से आमनेसामने बैठा कर पूछताछ की गई, फिर उन से हुई पूछताछ का मिलान किया गया.

पुलिस टीम दोनों को ले कर टपूकड़ा गई, जहां स्थानीय पुलिस की मदद से कमल के औफिस के सामने एक खाली प्लौट की जेसीबी मशीनों से खुदाई करवाई, जिसमें करीब 25 मानव अस्थियां बरामद हुईं, जिन्हें जांच के लिए फोरैंसिक लैब भेज दिया गया.

इश्क में अंधा हुआ कमल

ये अस्थियां रवि कुमार की थीं या नहीं, यह पुष्टि करने के लिए पुलिस ने 10 अक्तूबर, 2019 को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में डीएनए जांच के लिए जयभगवान और उन की पत्नी के ब्लड सैंपल लिए.

रवि कुमार के अपहरण व हत्या के मामले की जांच जितनी पेचीदा थी, उस के अपहरण व हत्या की कहानी उस से कहीं ज्यादा चौंकाने वाली है. जिस से पता चलता है कि प्रेम में अंधा एक आशिक किस तरह शातिर अपराधी की तरह न सिर्फ अपने गुनाह को अंजाम देता रहा बल्कि 8 साल तक चली जांच में पुलिस की आंखों में भी धूल झोंकता रहा.

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2010 में टपूकड़ा में रहने वाली शकुंतला अचानक कमल सिंगला के संपर्क में आई थी. कमल का ट्रांसपोर्ट और बिल्डिंग मटीरियल सप्लाई का कारोबार था. उस के कुछ ट्रक, टैक्सियां और मैटाडोर भी किराए पर चलते थे. इस के अलावा कमल प्लौट ले कर उन में फ्लैट बना कर बेचने का भी काम करता रहता था.

साल 2010 में कमल ने शकुंतला के पड़ोस में एक एक खाली प्लौट ले कर उस में फ्लैट निर्माण का काम कराया तो इसी दौरान बगल के मकान में रहने वाली शकुंतला पर उस की नजर पड़ी.

कमल उन दिनों ठीक से बालिग भी नहीं हुआ था, जबकि तीखे नाकनक्श और गदराए बदन वाली शकुंतला जवानी की दहलीज पर पहले ही कदम रख चुकी थी.

यहीं पर दोनों की एकदूसरे से आंखें लड़ीं और कमल ने किसी तरह शकुंतला के घर में आनाजाना शुरू कर दिया. दोनों का इश्क परवान चढ़ने लगा और नाजायज रिश्ते बन गए. जबकि परिवार बेटी की इस करतूत से अंजान था.

इसी बीच 8 फरवरी, 2011 को परिवार ने शकुंतला की शादी समालखा के रवि से करा दी. कमल को जब  शकुंतला के रिश्ते की भनक लगी तो उस ने शकुंतला से इस का विरोध किया.

उस पर दबाव बनाया कि वह अपने परिवार वालों से इस रिश्ते के लिए मना कर दे. लेकिन लोकलाज और मातापिता के डर से शकुंतला ऐसा न कर सकी. इसी असमंजस में उस के हाथ में किसी और के नाम की मेहंदी लग गई.  लेकिन कमल सिंगला ने तय कर लिया था कि वह शकुंतला को किसी और की होने नहीं देगा. उस के मन में एक साजिश पलने लगी.

इसी साजिश के तहत रवि को देखने जाने के लिए जब शकुंतला के परिवार वाले पहली बार गए तो कमल खुद अपनी गाड़ी में परिवार के लोगों को ले कर गया था.

शकुंतला की शादी होने तक जितनी बार भी उस का परिवार के रवि के घर गया, हर बार कमल ही उन्हें अपनी गाड़ी से ले कर दिल्ली गया.

सुहागरात पर नहीं छूने दिया शरीर

जैसेतैसे शादी हो गई. लेकिन ससुराल जाने से पहले ही कमल ने शकुंतला से वादा ले लिया कि वह ससुराल जा तो रही है लेकिन वह किसी भी कीमत पर अपना तन अपने पति को न सौंपे.

शकुंतला तो खुद ये शादी मजबूरी में कर रही थी. इसलिए उस ने भी कमल से वादा कर लिया कि ऐसा ही होगा. लेकिन तुम को मुझे अपनी बनाना है तो जल्द ही कुछ करना होगा.

शादी के बाद उस ने इसी साजिश के तहत बहाने बना कर रवि को अपना शरीर छूने तक नहीं दिया.

इस दौरान कमल के दिमाग में रवि को रास्ते से हटाने की साजिश तैयार हो चुकी थी. साजिश के मुताबिक 20 मार्च, 2011 को रवि अपनी ससुराल टपूकड़ा, अलवर पहुंचा तो कमल भी दोस्त की तरह उस से मिला और दोस्त की तरह घुमायाफिराया.

अगले भाग में पढ़ें- रवि कुमार हत्याकांड का पटाक्षेप हो गया

गृहप्रवेश- भाग 3: किसने उज्जवल और अमोदिनी के साथ विश्वासघात किया?

4-5 महीने की भागदौड़ और कुछ दोस्तों की सहायता से मु झे एक प्राइवेट कालेज में परमानैंट नौकरी मिल गई थी. स्नेह और सारा का स्कूल 3 बजे समाप्त हो जाता था. बसस्टैंड से मोहिनी दोनों बच्चों को अपने घर ले जाती. उज्जवल चाहता था कि स्नेह मोहिनी को अपना ले हालांकि मोहिनी और स्नेह दोनों ही इस प्रबंध से नाखुश थे. शाम को कालेज से लौटते हुए मैं स्नेह को अपने साथ ले आती थी.

परिवर्तन इस बार भी सभी के जीवन में आया था. अपनी पीड़ा को पीछे छोड़ कर मैं स्वावलंबी हो रही थी. मोहिनी को अब 2 बच्चों को संभालना पड़ रहा था, जो उस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं था. दीपक की कंपनी ने उस का स्थानांतरण स्पेन कर दिया था. और उज्जवल, उस के ऊपर तो अब 3 घरों की जिम्मेदारी आ गई थी.

स्नेह और मोहिनी के अतिरिक्त, इकलौता बेटा होने के कारण उस के ऊपर अपनी मां की जिम्मेदारी भी थी. पति की मृत्यु के बाद उज्जवल की मां मेरठ में अपने संयुक्त परिवार के साथ रहती थीं. लेकिन छुट्टियों में उन का इंदौर आनाजाना लगा रहता था. उज्जवल के इस निर्णय से वे भी खुश नहीं थीं. वैसे, इस के पीछे का कारण मेरे प्रति कोई लगाव नहीं, बल्कि वर्षों पुराना रोग कि ‘क्या कहेंगे लोग’ था.

लेकिन इस सब में सब से अधिक नुकसान दोनों बच्चों का हुआ था. उन की तो पूरी दुनिया बदल गई थी. उन की बालसुलभ जिज्ञासा को उत्तर ही नहीं मिल रहा था. जहां सारा को उज्जवल का उस के घर रहना पसंद नहीं था, वहीं स्नेह को मोहिनी के घर जाना.

मैं स्नेह की उधेड़बुन सम झ रही थी. धीरेधीरे मैं ने उसे परिस्थिति से अवगत कराना शुरू किया. अपने पिता से अलगाव उस के लिए सरल नहीं था. लेकिन मेरा बेटा मु झ से भी अधिक सम झदार था. वह घटनाओं को देखने के साथसाथ सम झने लगा और उन का आकलन भी करने लगा था. अब इस विषय पर हमारे बीच खुल कर बातें होने लगी थीं.

प्रेम मात्र शरीर का समर्पण नहीं है, बल्कि भावनाओं के समंदर में निस्वार्थ भाव से खुद को समर्पण करने का नाम भी है. प्रेम में एक साथी की कमी को दूसरा साथी पूर्ण करता है. प्रेम शक्ति का स्रोत है और मोह व दुर्बलता का सागर. प्रेम स्वतंत्रता का भाव है जबकि मोह उल झनों से भरा हुआ बंदिश का स्वरूप. प्रेम कुछ मांगता नहीं है और मोह मांगना छोड़ता नहीं है. प्रेम का कोई अस्तित्व मिल नहीं सकता जबकि मोह का कोई अस्तित्व होता ही नहीं.

मोहिनी उज्जवल से मोहित थी. लेकिन अभावग्रस्त सम्मोहन के साथ जीने के लिए समर्पित नहीं थी. उस की गलती भी नहीं थी. वह एक धनी परिवार की बेटी थी. विवाह के पश्चात भी उस का जीवन सुखसुविधाओं से पूर्ण रहा था. दीपक की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी थी. मोहिनी ने उज्जवल से भी यह ही अपेक्षा की थी. एक प्रेमी के रूप में सुदर्शन उज्जवल उस के हृदय के सिंहासन पर बैठ गया था, लेकिन जब उसी प्रेमी की कमजोर पौकेट का उसे पता चला, प्रेम भाप बन कर उड़ने लगा.

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उज्जवल की हालत भी इस से भिन्न नहीं थी. प्रेयसी के नखरे उठाने का आनंद उस की जेब पर भारी पड़ रहा था. अब वह सम झ रहा था जिस मुसकान और जिंदादिल व्यक्तित्व से वह अपनी प्रेमिका के हृदय पर शासन कर पाया था, उस के पीछे का कारण उस की पत्नी का समर्पण था. मैं ने जिस चतुराई से घर को संभाल रखा था, उसी ने उज्जवल को एक तनावरहित जीवन प्रदान किया था. समय के साथ उन दोनों का मोहभंग होना शुरू हो गया था. उन की लड़ाइयां बढ़ गई थीं.

मैं ने कालेज के नजदीक एक घर किराए पर ले लिया और स्नेह को किसी अप्रिय परिस्थति से बचाने के लिए उस का उज्जवल के घर जाना बंद करा दिया था.

मैं ने यों तो पुराने जीवन की कड़वी यादों को उस मकान के साथ ही त्याग दिया था लेकिन अब भी कुछ शेष था. इसलिए, मेरा शरीर तो इस घर में आ गया, लेकिन मेरा मन पुरानी चौखट पर खड़ा इंतजार कर रहा था.

‘‘आप सो गईं मम्मी?’’

कुछ पता ही नहीं चला यादों की गाड़ी पर सवार हो कर कितनी दूर निकाल आई थी. स्नेह पुकारता नहीं, तो कुछ देर यों ही यादों की सैर करती रहती.

‘‘नहीं बेटा, बस आंखें बंद कर कुछ सोच रही थी. क्या हुआ,  तुम तो बाहर खेल रहे थे?’’

‘‘बाहर पापा खड़े हैं.’’

‘‘पापा?’’

‘‘हां.’’

‘‘तुम अपने कमरे में टौयज लगाओ, मैं पापा से मिल कर आती हूं.’’

एक साल, 2 महीने 5 दिन और 4 घंटे बाद उज्जवल मेरे सामने बैठ कर अपनी गलती की माफी मांग रहा था. उस की प्रेमिका अपने रिश्ते को एक और मौका देने अपने पति के पास स्पेन चली गई थी. पराजित प्रेमी अपनी त्यक्त पत्नी के पास वापस चला आया, इस आशा के साथ कि वह इसे अपना अच्छा समय सम झ उस की बांहों में समा जाएगी. भटकना पुरुष का स्वभाव है और प्रतीक्षा स्त्री की नियति. समाज भी सोचता है कि परित्यक्ता पत्नी को फिर से पति का सान्निध्य प्राप्त हो जाए, तो उस के लिए इस से बड़ी खुशी और क्या होगी.

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‘‘अमोदिनी.’’

‘‘हां.’’

‘‘मु झे माफ कर दो.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘मेरे अपराध के लिए.’’

‘‘तुम जानते हो कि तुम्हारा अपराध क्या है?’’

‘‘मैं मोहिनी के जाल में फंस गया था.’’

उज्जवल की बात सुन कर मैं जोर से हंस पड़ी थी. वह अचंभित हो कर मु झे देखने लगा.

‘‘इस पुरुषसत्तात्मक समाज के लिए कितना सरल है स्त्री को दोषी कह देना. कदम दोनों के भटकते हैं, मन दोनों का चंचल होता है, लेकिन चरित्रहीन स्त्री हो जाती है. स्त्री को अपराधी बना तुम खुद फिर से पवित्र हो जाते हो. मोहिनी ने तुम्हें नहीं, तुम दोनों ने एकदूसरे को छला है. प्रेम तुम दोनों का अपराध नहीं है, विश्वासघात है.’’

‘‘दीपक और मोहिनी अपने रिश्ते को एक और मौका दे रहे हैं.’’

‘‘उन के रिश्ते में रिश्ता कहने लायक कुछ शेष होगा.’’

‘‘तुम अब भी मु झ से नाराज हो?’’

‘‘बिलकुल नहीं, मैं तो तुम्हारी आभारी हूं. मेरे स्वाभिमान पर, मेरे विश्वास पर मारे गए तुम्हारे एक थप्पड़ ने मेरा परिचय मेरी त्रुटियों से करा दिया. आज मैं यह सम झ पाई हूं कि किसी भी प्रेम और रिश्ते से ऊपर होता है मनुष्य का खुद के प्रति सम्मान और प्रेम. इसीलिए हर स्त्री को अपना आर्थिक प्रबंध रखना चाहिए. समय और रिश्ता बदलते देर नहीं लगती. स्त्री के लिए विधा का उपार्जन और धन का संचय आवश्यक है. एक खूबसूरत सपने में रहना अच्छा लगता है. लेकिन इतना ध्यान रहे कि सपना टूट भी सकता है. मूसलाधार प्रलय से बचने के लिए हर स्त्री को एक रेनकोट तैयार रखना ही चाहिए.’’

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‘‘स्नेह के लिए ही मुझे माफ कर दो.’’

‘‘हर रिश्ता प्रेम और विश्वास पर टिका होता है. प्रेम तो मैं तुम से करती नहीं और विश्वास इस जीवन में कभी कर नहीं पाऊंगी. यदि स्नेह के लिए हम साथ होते भी हैं तो आगे चल कर यह रिश्ता कड़वाहट और छल को ही जन्म देगा. ऐसे विषैले माहौल में न हम खुश रह पाएंगे और न स्नेह.’’

‘‘अमोदिनी, काश कि मैं तुम्हारे योग्य हो पाता,’’ यह कह कर उस ने अपना सिर  झुका लिया.

‘‘कल सही समय पर कोर्ट पहुंच जाना,’’ मैं ने कहा और आगे बढ़ गई.

आज मैं ने घर की चौखट लांघ गृहप्रवेश कर लिया था अपने घर में, जिस में उज्जवल की कोई जगह नहीं थी.

Crime- डर्टी फिल्मों का ‘राज’: राज कुंद्रा पोनोग्राफी केस- भाग 1

20जुलाई, 2021 की सुबह का सूरज ठीक से उदय भी नहीं हुआ था, उस से पहले ही दिन फिल्म इंडस्ट्री  की पटाखा गर्ल कही जाने वाली अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के मुंबई में सब से पौश इलाके जुहू बीच पर बने आलीशान बंगले के बाहर मीडिया का जमावड़ा होना शुरू हो चुका था.

हर कोई बीती रात की कहानी के बारे में शिल्पा की प्रतिक्रिया लेना चाहता था. शिल्पा शेट्टी और उन के पति राज कुंद्रा अपने दोनों बच्चों बेटा विहान राज कुंद्रा और बेटी शमिषा कुंद्रा  के साथ समुद्र किनारे बने बंगले में रहते थे. समुद्र किनारे बने ‘किनारा’ नाम के इस बंगले के बाहर उस दिन मीडिया के लोगों की जो भीड़ उमड़ी थी उस ने शिल्पा शेट्टी को असहज कर दिया था. क्योंकि एक दिन पहले यानी 19 जुलाई की रात को शिल्पा के पति राज कुंद्रा को मुंबई के भायखला से क्राइम ब्रांच की टीम ने गिरफ्तार कर लिया था.

दरअसल क्राइम ब्रांच की साइबर सेल की टीम अश्लील फिल्में बनाने वाले गैंग की जांच कर रही थी. जिस की जांच करते हुए खुलासा हुआ कि इस गैंग का मास्टरमाइंड राज कुंद्रा ही था. पूरी मुंबई और बौलीवुड हस्तियों तक रात में ही राज कुंद्रा की गिरफ्तारी की खबर जंगल की आग की तरह फैलते हुए पहुंच गई. इसी का नतीजा था कि अगली सुबह शिल्पा और राज कुंद्रा के बंगले के बाहर मीडिया के लोगों की भारी भीड जमा थी.

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राज कुंद्रा को जिस मामले में गिरफ्तार किया गया था, उस में लगे आरोप इतने घिनौने और संगीन थे कि शिल्पा शेट्टी के लिए उन आरोपों से जुड़े सवालों का जवाब देना मुमकिन नहीं था. इसलिए उन्होंने मीडिया से दूरी बना ली.

दरअसल, राज कुंद्रा की गिरफ्तारी की पटकथा इसी साल फरवरी में लिखी गई थी. मुंबई क्राइम ब्रांच की प्रौपर्टी सेल को एक गुप्त सूचना मिली थी कि मलाड वेस्ट के मडगांव में एक किराए के आलीशान बंगले में अश्लील फिल्म की शूटिंग चल रही है.  इसी सूचना के आधार पर सेल के एपीआई लक्ष्मीकांत सालुंखे ने अपनी टीम के साथ उस बंगले पर छापेमारी की.

टीम ने मौके पर देखा कि एक न्यूड वीडियो की शूटिंग चल रही थी. वहां 2 लड़कियों समेत कुल 5 लोग थे, जिन्हें  हिरासत में ले लिया गया.

पूछताछ व छानबीन शुरू हुई तो पता चला कि यह शूटिंग मोबाइल एप्लिकेशन के लिए की जा रही थी, जिस पर अश्लील वीडियो अपलोड किए जाते हैं. इन वीडियोज को देखने के लिए पैसा दे कर मोबाइल एप्लिकेशन की सदस्यता लेनी पड़ती है.

जिस लड़की की अश्लील फिल्म  शूट की जा रही थी, उस के साथ पुलिस ने रौनक नाम के कास्टिंग डायरेक्टर, रोवा नाम की एक महिला वीडियोग्राफर तथा इस अश्लील फिल्म में काम कर रहे लीड एक्टर भानु और रोवा की दोस्त प्रतिभा को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

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जांच में पता चला है ये गिरोह मोबाइल एप्लिकेशन के अलावा कुछ ओटीटी प्लेटफार्म के लिए भी ओटीटी फिल्म बनाते हैं. ऐप के बारे में पड़ताल शुरू हुई तो राज कुंद्रा का नाम भी सामने आया.

जब मुंबई क्राइम ब्रांच ने इस मामले का खुलासा किया तो सामने आया कि इस गिरोह से जुड़े आरोपी अश्लील वीडियो बना कर उन के ट्रेलर इंस्टाग्राम, ट्विटर, टेलीग्राम, वाट्सऐप और अन्य सोशल मीडिया साइटों पर भी जारी करते थे.

इस खुलासे के बाद 4 फरवरी 2021 को मुंबई के क्राइम ब्रांच ने  मालवानी थाने में राज कुंद्रा समेत गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ मुकदमा अपराध संख्या 103/2021 दर्ज  कराया था.

जिस में उन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 292, 293, 420, 34 और आईटी एक्ट की धारा 67, 67ए व अन्य संबंधित धाराएं भी एफआईआर में लगाई थीं.

मुकदमा तो फरवरी में दर्ज हो गया था, लेकिन मुंबई क्राइम ब्रांच को तलाश थी एक ऐसे पुख्ता सबूत की, जो राज कुंद्रा को बेनकाब कर सके. क्योंकि उन पर अश्लील फिल्में बनवाने से ले कर कुछ ऐप्स के जरिए उन्हें प्रसारित और शेयर करने का इलजाम था.

छानबीन में मुंबई क्राइम ब्रांच को जो सबूत हाथ लगे वो राज कुंद्रा की तरफ मुख्य साजिशकर्ता होने का इशारा कर रहे थे.

अगले भाग में पढ़ें- एडवांस पेमेंट मिलने के बाद गहना और कामत अश्लील फिल्में बनाने का काम करते थे 

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