Sidharth Shukla ने ऐसे सेलिब्रेट किया था अपना आखिरी बर्थडे, शहनाज गिल भी थीं साथ

टीवी इंटस्ट्री के जानेमाने अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला का 40 साल की उम्र में निधन हो गया है. खबरों के अनुसार एक्टर की हार्ट अटैक से मौत हुई है. बताया जा रहा है कि सिद्धार्थ शुक्ला को मुंबई के एक हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था जहां उन्होंने अंतिम सांस ली. बता दें कि मुंबई पुलिस ने आधिकारिक रुप से उनके मौत की जानकारी दी है. उनके पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम के लिए रखा गया है.

धूमधाम से मनाया था 40वां बर्थडे

कुछ महीने पहले ही एक्टर ने अपना 40वां जन्मदिन मनाया था. उन्होंने अपनी खास दोस्त शहनाज गिल और परिवार के साथ अपना स्पेशल डे सेलिब्रेट किया था. उन्होंने फैंस को अपने बर्थडे की झलक दिखाई थी. इस वीडियो में वीडियो में सिद्धार्थ शुक्ला की मां, परिवार के बाकी लोग भी नजर आये.

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आपको बता दें कि शहनाज गिल ने सिद्धार्थ को विश करते हुए अपने ऑफिशियल सोशल मीडिया अकाउंट पर वीडियो पोस्ट किया था. वीडियो में शहनाज, सिड लिए हैप्पी बर्थडे सॉन्ग गाती नजर आ रही थीं.

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सिद्धार्थ शुक्ला कुछ दिन पहले ही सोशल मीडिया पर एक छोटी सी बच्ची के साथ अपनी तस्वीर शेयर की थी जिसे खूब पसंद किया गया. उनके फैंस ये मानने को तैयार नहीं है कि एक्टर हमारे बीच नहीं रहे.

सिद्धार्थ शुक्ला बिग बॉस 13 में काफी पौपुलर रहे. सिडनाज की जोड़ी को बेहद पसंद किया गया. दोनों हाल ही में बिग बॉस ओटीटी में भी नजर आए थे. इसके अलावा सिद्धार्थ शुक्ला खतरों के खिलाड़ी सीजन 7 में भी नजर आए थे.

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Anupamaa: अनुपमा-अनुज का डांस देख वनराज को होगी जलन, देखें Video

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’  में अनुज कपाड़िया यानी गौरव खन्ना की एंट्री से कई ट्विस्ट एंड टर्न आने वाला है. अनुपमा की लाइफ में कई बड़े बदलाव आएंगे. शो में अब तक आपने देखा कि देविका, अनुपमा (Anupama) को रियूनियन पार्टी में ले जाने के लिए शाह परिवार से उलझ जाती है. वह कहती है कि अनुपमा अब आजाद है, वह अपनी मर्जी से कहीं भी आ-जा सकती है. जब अनुपमा तैयार होकर आती है, सब उसे देखते रह जाते हैं.  तो वहीं वनराज कहता है कि वह जाकर एंजॉय करे. काव्या ये देखकर जल जाती है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के नए एपिसोड के बारे में.

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अनुज अपने हाथों से अनुपमा को पहनाएगा सैंडल

 

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शो के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि पार्टी में अनुपमा (Anupama) के पैर से उसकी सैंडल निकल जाएगी और अनुज उसे अपने हाथों से सैंडल पहनाएगा. अनुपमा, अनुज को थैक्यू कहेगी. अनुपमा जैसे ही आगे बढ़ेगी वह उसे रोककर कहेगा कि वही अनुज कपाड़िया है.

 

अनुपमा समझेगी कि वो बिजनेसमैन अनुज कपाड़िया है. बाद में वह अनुपमा को बताएगा कि वह उसका क्लासमेट है. जो उसके प्यार में दीवाना है. इसी बीच वनराज-काव्या उसी पब में पहुंचेगे. दोनों वहां अनुपमा-अनुज को  डांस करते हुए देख चौंक जाएंगे. तो दूसरी तरफ जब वनराज को पता चलेगा कि अनुज अनुपमा का क्लासमेट है तो उसके पैरो तले जमीन खिसक जाएगी.

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दरअसल वनराज-काव्या भी उसी पब में अनुज कपाड़िया से मीटिंग के लिए पहुंचेंगे. जब वनराज सुनेगा कि अनुज अनुपमा को ‘अनु’ कहकर बुला रहा है. तो वह जल-भून जाएगा.  अब वनराज को वैसा ही अहसास होगा जैसे अनुपमा को पहले अहसास होता था. तो उधर वहीं देविका को लोन और फ्रॉड के बारे में पता चल जाएगा. ये बात सुनकर अनुपमा से वो कहेगी कि उसे अब किसी की मदद की जरूरत नहीं पड़ेगी.  वह इनडायरेक्टली कहना चाहेगी कि अब अनुज उसके लिए आ गया है.

त्रिपाठी परिवार में होगी आदित्य के डुप्लीकेट की एंट्री! अब क्या करेगी Imlie

स्टार प्लस का सीरियल इमली में इन दिनों कहानी एक दिलचस्प मोड़ ले रही है. शो में अब तक आपने देखा कि सत्यकाम ने आदित्य को जान से मार दिया है. वह इमली से कहता है कि आदित्य अब उसकी जिंदगी में कभी वापस नहीं आएगा. शो के अपकमिंग एपिसोड में धमाकेदार ट्विस्ट आने वाला है. आइए बताते हैं कहानी के नए ट्विस्ट के बारे में.

आदित्य की मौत से त्रिपाठी परिवार में मातम छाया हुआ है. तो वहीं इमली को कुछ भी समझ नहीं आ रहा कि वह आगे क्या करेगी. परिवार का हर सदस्य आदित्य की मौत का कसूरवार इमली को समझ रहा है. इस वजह से इमली और भी टूट चुकी है.

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आदित्य के हमशक्ल की होगी एंट्री

शो का अपकमिंग एपिसोड बेहद दिलचस्प होने वाला है. बताया जा रहा है कि आदित्य के हमशक्ल की एंट्री होने वाली है. जी हां, त्रिपाठी परिवार में आदित्य के डुपलीकेट की एंट्री होगी. इससे कहानी में कई बदलाव आने वाले हैं.  आदित्य के हमशक्ल के आने से सबको लगता है कि आदित्य अपनी मौत को मात देकर वापस लौटा है लेकिन जब उन्हें पता चलेगा कि आदित्य का हमशक्ल है तो त्रिपाठी परिवार को जबरदस्त झटका लगेगा.

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शो  में ये भी दिखाया जाएगा कि इमली आदित्य के हमशक्ल के पास्ट के बारे में जानने की कोशिश करेगी. ये देखना दिलचस्प होगा कि आदित्य के हमशक्ल के पिछे क्या राज है.

शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि मालिनी ने इमली की जिंदगी बर्बाद करने के लिए कई साजिशें रची ताकि वह आदित्य के दिल में अपनी जगह बना सके. लेकिन जब वह अपनी चाल में नाकाम रही तो उसने सत्यकाम को अपना मोहरा बना लिया और आदित्य को अपने जाल में फंसा लिया. जिस वजह से आदित्य को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा.

पोंगापंथ: खरीदारी और अंधविश्वास

कुछ लोग शनिवार के दिन नए जूते पहनने या खरीदने को अच्छा नहीं मानते हैं. अब ऐसे लोगों से पूछें कि क्या जूते की दुकानें शनिवार को बंद रहती हैं या वहां कोईर् खरीदारी नहीं होती? जूते खरीदने हों तो उस के लिए कोई दिन अच्छा या बुरा नहीं होता.

इसी तरह एक अंधविश्वास यह भी है कि शनिवार को तेल नहीं खरीदना चाहिए, फिर चाहे वह मूंगफली का हो या सरसों का या फिर सोयाबीन का. समझ में नहीं आता कि इस दिन खरीदे गए तेल में क्या जहर घुल जाता है? क्या शनिवार को खरीदे गए तेल में बना भोजन स्वादिष्ठ नहीं होता?

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होटल, ढाबे और ठेले वाले क्या दिन देख कर तेल खरीदते हैं? क्या इस दिन तेल मिलें बंद रहती हैं या उन में उत्पादन नहीं होता? जब शनिवार को तेल बन सकता है, तो खरीदने में क्या दिक्कत है?

एक रिवाज यह भी है कि शनिवार को नमक नहीं खरीदना चाहिए, क्योंकि इस से आदमी कर्जदार होता है. कर्जदार कर्ज लेने से होता है, नमक खरीदने से नहीं. वैसे भी नमक इतना महंगा नहीं है कि एक किलो नमक खरीदने के लिए किसी को कर्ज लेना पड़े. नमक तो खाने में इस्तेमाल होने वाली एक चीज है, उसे किसी भी दिन खरीद सकते हैं.

शनिवार को लोहा या लोहे से बनी चीजें खरीदने को भी अपशकुन माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन कैंची तक नहीं खरीदनी चाहिए.

लोहा खरीदने में शकुनअपशकुन का बंधन क्यों? लोहे से बनी छोटी आलपिन या कील से ले कर घर बनाने में काम आने वाले सरिए वगैरह खरीदने से कोई फर्क नहीं पड़ता है.

कुछ लोग शनिवार के दिन किसी भी तरह का ईंधन जैसे लकड़ी, कंडे, गैस सिलैंडर वगैरह तक खरीदना अच्छा नहीं समझते हैं. पता नहीं, इन्हें खरीदने से परिवार पर कौन सी बड़ी मुसीबत आ जाएगी? यह सब अंधविश्वास है.

हमारे यहां खास मौकों पर खास चीजें खरीदने को शुभ माना जाता है. किसी खास दिन जैसे धनतेरस को सोना, चांदी या बरतन खरीदने का अंधविश्वास?है. बहुत से लोग तो अपनी हैसियत से बाहर जा कर इस दिन खरीदारी करते हैं, जिस से उन का बजट गड़बड़ा जाता है.

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बरतन हो या सोनाचांदी, धनतेरस पर ही क्यों खरीदें? जब जरूरत हो तब क्यों नहीं? क्या धनतेरस को खरीदने पर दुकानदार कोई छूट देता है?

इसी तरह कुछ खास दिनों पर गाड़ी खरीदना शुभ माना जाता है. जब गाड़ी (दोपहिया या चारपहिया) खरीदनी ही है तो उस के लिए इंतजार क्यों? जब जरूरत हो, जेब में पैसा हो, खरीदना चाहिए.

ऐसा नहीं है कि किसी खास दिन गाड़ी लेने से ही वह फलदायी होती है. पर गाड़ी बेचने वालों के यहां उस खास दिन खरीदारों की भीड़ देखी जा सकती है. कुछ को तो अपनी पसंद का रंग या मौडल तक नहीं मिलता है. इस के बावजूद भी उन्हें समझौता करना पड़ता है.

इसी तरह कुछ खास मौकों पर बहीचौपड़े या रजिस्टर वगैरह खरीदना शुभ माना जाता है. हैरत की बात तो यह है कि कंप्यूटर के जमाने में इन की जरूरत ही नहीं रह गई है, तो भी कारोबारी अंधविश्वास के चलते बहीचौपड़े खरीदते हैं और जो सालभर धूल खाते रहते हैं. अंधविश्वास की खातिर इन्हें खरीदने की क्या तुक है?

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तलाक के बाद- भाग 1: जब सुमिता को हुआ अपनी गलतियों का एहसास

Writer- Vinita Rahurikar

3 दिनों की लंबी छुट्टियां सुमिता को 3 युगों के समान लग रही थीं. पहला दिन घर के कामकाज में निकल गया. दूसरा दिन आराम करने और घर के लिए जरूरी सामान खरीदने में बीत गया. लेकिन आज सुबह से ही सुमिता को बड़ा खालीपन लग रहा था. खालीपन तो वह कई महीनों से महसूस करती आ रही थी, लेकिन आज तो सुबह से ही वह खासी बोरियत महसूस कर रही थी.

बाई खाना बना कर जा चुकी थी. सुबह के 11 ही बजे थे. सुमिता का नहानाधोना, नाश्ता भी हो चुका था. झाड़ूपोंछा और कपड़े धोने वाली बाइयां भी अपनाअपना काम कर के जा चुकी थीं. यानी अब दिन भर न किसी का आना या जाना नहीं होना था.

टीवी से भी बोर हो कर सुमिता ने टीवी बंद कर दिया और फोन हाथ में ले कर उस ने थोड़ी देर बातें करने के इरादे से अपनी सहेली आनंदी को फोन लगाया.

‘‘हैलो,’’ उधर से आनंदी का स्वर सुनाई दिया.

‘‘हैलो आनंदी, मैं सुमिता बोल रही हूं, कैसी है, क्या चल रहा है?’’ सुमिता ने बड़े उत्साह से कहा.

‘‘ओह,’’ आनंदी का स्वर जैसे तिक्त हो गया सुमिता की आवाज सुन कर, ‘‘ठीक हूं, बस घर के काम कर रही हूं. खाना, नाश्ता और बच्चे और क्या. तू बता.’’

‘‘कुछ नहीं यार, बोर हो रही थी तो सोचा तुझ से बात कर लूं. चल न, दोपहर में पिक्चर देखने चलते हैं,’’ सुमिता उत्साह से बोली.

‘‘नहीं यार, आज रिंकू की तबीयत कुछ ठीक नहीं लग रही है. मैं नहीं जा पाऊंगी. चल अच्छा, फोन रखती हूं. मैं घर में ढेर सारे काम हैं. पिक्चर देखने का मन तो मेरा भी कर रहा है पर क्या करूं, पति और बच्चों के ढेर सारे काम और फरमाइशें होती हैं,’’ कह कर आनंदी ने फोन रख दिया.

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सुमिता से उस ने और कुछ नहीं कहा, लेकिन फोन डिस्कनैक्ट होने से पहले सुमिता ने आनंदी की वह बात स्पष्ट रूप से सुन ली थी, जो उस ने शायद अपने पति से बोली होगी. ‘इस सुमिता के पास घरगृहस्थी का कोई काम तो है नहीं, दूसरों को भी अपनी तरह फुरसतिया समझती है,’ बोलते समय स्वर की खीज साफ महसूस हो रही थी.

फिर शिल्पा का भी वही रवैया. उस के बाद रश्मि का भी.

यानी सुमिता से बात करने के लिए न तो किसी के भी पास फुरसत है और न ही दिलचस्पी.

सब की सब आजकल उस से कतराने लगी हैं. जबकि ये तीनों तो किसी जमाने में उस के सब से करीब हुआ करती थीं. एक गहरी सांस भर कर सुमिता ने फोन टेबल पर रख दिया. अब किसी और को फोन करने की उस की इच्छा ही नहीं रही. वह उठ कर गैलरी में आ गई. नीचे की लौन में बिल्डिंग के बच्चे खेल रहे थे. न जाने क्यों उस के मन में एक हूक सी उठी और आंखें भर आईं. किसी के शब्द कानों में गूंजने लगे थे.

‘तुम भी अपने मातापिता की इकलौती संतान हो सुमि और मैं भी. हम दोनों ही अकेलेपन का दर्द समझते हैं. इसलिए मैं ने तय किया है कि हम ढेर सारे बच्चे पैदा करेंगे, ताकि हमारे बच्चों को कभी अकेलापन महसूस न हो,’ समीर हंसते हुए अकसर सुमिता को छेड़ता रहता था.

बच्चों को अकेलापन का दर्द महसूस न हो की चिंता करने वाले समीर की खुद की ही जिंदगी को अकेला कर के सूनेपन की गर्त में धकेल आई थी सुमिता. लेकिन तब कहां सब सोच पाई थी वह कि एक दिन खुद इतनी अकेली हो कर रह जाएगी.

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कितना गिड़गिड़ाया था समीर. आखिर तक कितनी विनती की थी उस ने, ‘प्लीज सुमि, मुझे इतनी बड़ी सजा मत दो. मैं मानता हूं मुझ से गलतियां हो गईं, लेकिन मुझे एक मौका तो दे दो, एक आखिरी मौका. मैं पूरी कोशिश करूंगा कि तुम्हें अब से शिकायत का कोई मौका न मिले.’

समीर बारबार अपनी गलतियों की माफी मांग रहा था. उन गलतियों की, जो वास्तव में गलतियां थीं ही नहीं. छोटीछोटी अपेक्षाएं, छोटीछोटी इच्छाएं थीं, जो एक पति सहज रूप से अपनी पत्नी से करता है. जैसे, उस की शर्ट का बटन लगा दिया जाए, बुखार से तपते और दुखते उस के माथे को पत्नी प्यार से सहला दे, कभी मन होने पर उस की पसंद की कोई चीज बना कर खिला दे वगैरह.

Best of Manohar Kahaniya: जीजा साली के खेल में

सौजन्य- मनोहर कहानियां

मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के वारासिवनी थाने के टीआई कमल निगवाल को रात करीब 9 बजे किसी अज्ञात व्यक्ति ने फोन कर के सूचना दी कि क्षेत्र के गांव कायदी के बनियाटोला, वैष्णो देवी मंदिर के पास एक युवक ट्रेन से कट गया है. खबर मिलते ही टीआई थाने में मौजूद एएसआई विजय पाटिल व महिला आरक्षक लक्ष्मी के साथ घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए.

टीआई निगवाल ने घटनास्थल पर देखा कि एक युवक का शव रेल लाइनों पर बुरी तरह क्षतविक्षत हालत में पड़ा था. वहीं लाइनों के पास सड़क किनारे एक मोटरसाइकिल भी खड़ी थी. इस से टीआई ने अंदाजा लगाया कि युवक आत्महत्या करने के लिए ही अपनी मोटरसाइकिल से यहां आया होगा.न लाइनों पर टूटा हुआ मोबाइल भी पड़ा था. जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया. शव को देख कर उस की पहचान संभव नहीं थी, इसलिए पुलिस ने कपड़ों की तलाशी ली. तलाशी में मृतक की जेब में एक सुसाइड नोट मिला. पुलिस ने उस टूटे हुए मोबाइल फोन से मिले सिम कार्ड को दूसरे फोन में डाल कर जांच की. फलस्वरूप जल्द ही मृतक की पहचान हो गई, वह वारासिवनी के निकटवर्ती गांव सोनझरा का रहने वाला डा. संजय डहाके था.

पुलिस ने फोन कर के डा. संजय डहाके के सुसाइड करनेकी खबर उस के घर वालों को दे दी. खबर सुनते ही डा. संजय के घर में मातम छा गया. डा. संजय की पत्नी और भाई रोतेबिलखते वारासिवनी पहुंच गए. उन्होंने कपड़ों के आधार पर उस की शिनाख्त संजय डहाके के रूप में कर दी.

लाश की शिनाख्त हो जाने के बाद टीआई कमल निगवाल ने केस की जांच एएसआई विजय पाटिल को सौंप दी. दूसरे दिन मृतक का पोस्टमार्टम हो जाने के बाद पुलिस ने डा. संजय का शव उन के परिवार वालों को सौंप दिया. डा. संजय के अंतिम संस्कार के बाद एएसआई विजय पाटिल ने डा. संजय के परिवार वालों से पूछताछ की.  पता चला कि एमबीबीएस करने के बाद डा. संजय काफी लंबे समय से बालाघाट के अंकुर नर्सिंग होम में काम कर रहे थे. वह रोजाना अपनी बाइक से बालाघाट जाते और रात 8 बजे ड्यूटी पूरी कर बाइक से ही घर आते थे. घटना वाले दिन भी वह अपनी ड्यूटी पूरी कर बाइक से घर लौट रहे थे, लेकिन उस रोज उन के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था. इसलिए रास्ते में बाइक खड़ी कर के ट्रेन के आगे कूद गए.

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डा. संजय उच्चशिक्षित थे, इस के बावजूद ऐसी क्या वजह रही जो उन्होंने अपनी जीवन लीला खुद ही समाप्त कर ली. जेब में मिले सुसाइड नोट की जांच की गई तो आत्महत्या करने के पीछे की कहानी पता चल गई.

डा. संजय ने अपने सुसाइड नोट में अपने साथ काम करने वाली 22 वर्षीय खूबसूरत नर्स सुधा पर ब्लैकमेल करने का आरोप लगाया था. उन्होंने नोट में लिखा था कि सुधा ने उन्हें अपने रूपजाल में फंसा कर संबंध बना लिए थे. इस के बाद अस्पताल के सामने स्थित एक मैडिकल स्टोर पर नौकरी करने वाले अपने 25 वर्षीय जीजा मनोज दांदरे के साथ मिल कर उन पर शादी करने का दबाव बना रही थी.

चूंकि डा. संजय पहले से ही शादीशुदा थे, इसलिए उन्होंने सुधा के साथ शादी करने से मना कर दिया तो वह अपने जीजा के साथ मिल कर उन्हें ब्लैकमेल करने लगी.

इस पत्र के आधार पर जांच अधिकारी एएसआई विजय पाटिल ने बालाघाट जा कर अंकुर नर्सिंग होम के दूसरे कर्मचारियों से पूछताछ की. पूछताछ में यह बात साफ हो गई कि डा. संजय और वहां काम करने वाली नर्स सुधा ठाकरे में काफी नजदीकियां थीं.

सुधा नौकरी के साथसाथ बीएससी की परीक्षा भी दे रही थी. इसलिए पढ़ाई के चलते कुछ समय पहले वह अस्पताल आती रहती थी. इस दौरान दोनों में कुछ विवाद होने की बात भी कर्मचारियों ने बताई. यह भी पता चला कि इस विवाद के बाद डा. संजय पिछले कुछ दिनों से काफी परेशान रहने लगे थे.

घटना वाले दिन वह कुछ ज्यादा ही परेशान थे. उस दिन उन्होंने अस्पताल में किसी से भी ज्यादा बात नहीं की थी और शाम को अपनी ड्यूटी पूरी कर अस्पताल से चुपचाप चले गए थे. इस के बाद अस्पताल वालों को दूसरे दिन सुबह उन के द्वारा अत्महत्या करने की खबर मिली.

एएसआई विजय पाटिल और उन की टीम ने वारासिवनी सिकंदरा निवासी सुधा ठाकरे और मरारी मोहल्ला, बालाघाट निवासी उस के जीजा मनोज से गहराई से पूछताछ की, जिस में उन दोनों के द्वारा डा. संजय को प्रताडि़त करने की बात समाने आई. सुधा ठाकरे और उस के जीजा मनोज दांदरे से की गई पूछताछ और अन्य सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कहानी कुछ इस तरह सामने आई—

एमबीबीएस करने के बाद डा. संजय बालाघाट स्थित एक प्रसिद्ध निजी नर्सिंग होम में नौकरी करने लगे थे. गांव सोनझरा से बालाघाट ज्यादा दूर नहीं था, इसलिए वे अपनी ड्यूटी पर रोजाना मोटरसाइकिल पर आतेजाते थे. अपनी योग्यता के चलते डा. संजय ने जल्द ही अच्छा नाम कमा लिया था.

इसी बीच करीब 2 साल पहले वारासिवनी के सिकंदरा इलाके की रहने वाली सुधा ठाकरे ने उसी अस्पताल में नर्स के रूप में काम शुरू किया, जिस में डा. संजय काम करते थे.

सुधा बेहद खूबसूरत थी. वह अपनी खूबसूरती का फायदा उठा कर नर्सिंग होम में सब से चर्चित डा. संजय के नजदीक आने की कोशिश करने लगी. बालाघाट में ही सुधा की बड़ी बहन की शादी हुई थी. उस का पति मनोज दांदरे इसी नर्सिंग होम के सामने स्थित एक मैडिकल स्टोर पर काम करता था. सुधा बालाघाट में अपनी बहन के साथ ही रहती थी. लेकिन साप्ताहिक छुट्टी पर वह अपने घर वारासिवनी चली जाती थी.

सुधा डा. संजय के नजदीक आने की पूरी कोशिश कर रही थी. लेकिन डा. संजय उस की तरफ ध्यान नहीं दे रहे थे. इसलिए सुधा ने एक चाल चली. करीब डेढ़ साल पहले एक रोज बारिश का मौसम था. उस ने डा. संजय से कहा कि वह घर जाते समय अपनी मोटरसाइकिल पर उसे भी वारासिवनी तक ले चलें. डा. संजय को भला इस पर क्या ऐतराज हो सकता था सो उन्होंने उसे अपनी मोटरसाइकिल पर लिफ्ट दे दी.

सुधा की योजना बहुत दूर तक की थी, इसलिए मोटरसाइकिल जैसे ही शहर से बाहर निकली वह डा. संजय से सट कर बैठ गई. डा. संजय को अजीब तो लगा लेकिन वे भी आखिर इंसान थे, खूबसूरत जवान लड़की का सट कर बैठना उन के दिल की धड़कन बढ़ाने लगा. संयोग से उस रोज मौसम ने सुधा का साथ दिया और कुछ ही दूर जाने के बाद अचानक तेज बारिश होने के कारण दोनों को मोटरसाइकिल खड़ी कर एक पेड़ के नीचे आश्रय लेना पड़ा. तब तक रात का अंधेरा भी फैल चुका था. अंधेरे में अपने साथ जवान लड़की को भीगे कपड़ों में खड़ा देख डा. संजय का दिल भी मचलने लगा था.

कुछ देर बाद ठंड लगने के बहाने सुधा उन के पास आ कर खड़ी हुई तो डा. संजय ने उस की कमर में हाथ डाल दिया. सुधा को तो मानो इस पल का इंतजार था. वह एकदम से उन के सीने से लग कर गहरी सांसें लेने लगी.

बारिश काफी देर तक होती रही और उतनी ही देर तक दोनों एकदूसरे के दिल की धड़कनें सुनते हुए पेड़ के नीचे खड़े रहे. इस के बाद सुधा और डा. संजय एकदूसरे से नजदीक आ गए, नतीजतन कुछ ही समय बाद उन के बीच शारीरिक संबंध बन गए. फिर ऐसा अकसर होने लगा.

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सुधा ने अपने जीजा के कहने पर बिछाया जाल

डा. संजय शादीशुदा थे, यह बात सुधा पहले से ही जानती थी. लेकिन उसे इस से कोई फर्क नहीं पड़ता था. क्योंकि उस की योजना कुछ और ही थी. वैसे सुधा के अवैध संबंध अपने जीजा मनोज से भी थे. मनोज काफी चालाक किस्म का इंसान था.

मैडिकल पर काम करते हुए उसे इस बात की जानकारी थी कि डा. संजय को नर्सिंग होम से तो बड़ा वेतन मिलता ही है, इस के अलावा भी उन्हें कई दवा कंपनियों से कमीशन मिलता है. इसलिए उस के कहने पर ही सुधा ने साजिश रच कर संजय को अपने जाल में फंसा लिया था.

कुछ समय बाद जब सुधा को लगने लगा कि डा. संजय अब पूरी तरह से उस के कब्जे में आ चुके हैं तो उस ने उन पर शादी करने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. डा. संजय ने शादी करने से मना किया तो सुधा का जीजा मनोज सामने आया और डा. संजय को बदनाम करने की धमकी देने लगा. इस से डा. संजय परेशान हो गए. वे जानते थे कि यदि ऐसा हुआ तो उन की नौकरी जाने में एक पल भी नहीं लगेगा और पूरे इलाके में बदनामी होगी सो अलग. इसलिए उन्होंने सुधा और मनोज को समझाने की कोशिश की तो दोनों उन से चुप रहने के बदले पैसों की मांग करने लगे. जिस से डर कर डा. संजय ने अलगअलग किस्तों में सुधा और मनोज को 8 लाख रुपए दे भी दिए. लेकिन सुधा जहां उन पर लगातार शादी के लिए दबाव बना रही थी, वहीं मनोज चुप रहने के बदले कम से कम 5 लाख रुपयों की और मांग कर रहा था.

इसी बीच सुधा ने नौकरी छोड़ दी और डा. संजय को धमकी दी कि एक महीने के अंदर अगर उन्होंने उस के संग शादी नहीं की तो वह अपने संबंधों का ढिंढोरा पूरे बालाघाट में पीट देगी.

इस बात से डा. संजय काफी परेशान रहने लगे थे. जब उन्हें इस परेशानी से बचने का कोई रास्ता नहीं सूझा तो उन्होंने नर्सिंग होम में ही सुसाइड नोट लिख कर अपनी जेब में रख लिया.

वह सुसाइड करने का फैसला ले चुके थे. अपने गांव सोनझरा लौटते समय रात लगभग 8 बजे वह बनियाटोला स्थित वैष्णो देवी मंदिर के पास पहुंचे. उन्होंने अपनी मोटरसाइकिल वहीं खड़ी कर दी और बालाघाट की ओर से कटंगी जाने वाली ट्रेन के सामने कूद कर आत्महत्या कर ली.

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पुलिस ने सुधा और उस के जीजा मनोज को भादंवि की धारा 306/34 के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जेल भेज दिया गया.

हताश जिंदगी का अंत- भाग 3: क्यों श्यामा जिंदगी से हार गई थी?

विपिन की चाहत पूरी नहीं हुई तो उस ने श्यामा के जीवन को बरबाद करने का निश्चय कर लिया. शाम होते ही विपिन रामभरोसे को ठेके पर ले जाता, उसे जम कर शराब पिलाता. फिर श्यामा के विरुद्ध भड़काता. इस के बाद रामभरोसे नशे में धुत हो कर घर पहुंचता. बातबेबात श्यामा से उल झता, फिर उसे जानवरों की तरह पीटता. बेटियां बचाने आतीं तो उन्हें गला दबा कर मारने की धमकी देता. पासपड़ोस के लोग चीखपुकार सुन कर श्यामा को बचाने आते, तो वह उन से भी भिड़ जाता. उन को भद्दीभद्दी गालियां बकता और वापस जाने को कहता.

रामभरेसे जब अधिक शराब पीने लगा और रातदिन नशे में धुत रहने लगा तो गैराज मालिक ने उसे नौकरी से निकाल दिया. विपिन ने भी अब उसे मुफ्त में शराब पिलाना बंद कर दिया था. वह शराब की जुगत के लिए कभी रिक्शा चलाता तो कभी ढाबों पर जा कर बरतन मांजता. शराब पीने के बाद कभी वह घर आता तो कभी ढाबे पर ही सो जाता. उसे अब न पत्नी की चिंता रह गई थी और न ही बेटियों की.

पति की नशेबाजी से घर की आर्थिक स्थिति डांवांडोल हो चुकी थी. जब बेटियों के भूखे मरने की नौबत आ गई तब श्यामा नौकरी की तलाश में जुटी. 8वीं पास श्यामा को भला अच्छी नौकरी कहां मिलती. उस ने महल्ले में ही स्थित निरंकारी बालिका इंटर कालेज की प्रधानाचार्या से संपर्क किया और अपनी व्यथा बताते हुए जीवनयापन करने के लिए काम मांगा. प्रधानाचार्या ने श्यामा पर तरस खाते हुए रसोइया की नौकरी दे दी. इस के बाद श्यामा 2 हजार रुपए वेतन पर मिडडे मील बनाने का काम करने लगी.

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नौकरी पाने के बाद श्यामा किसी तरह अपनी बेटियों का पालनपोषण करने लगी. श्यामा की बड़ी बेटी पिंकी अब तक निंरकारी बालिका इंटरकालेज से इंटर मीडिएट की परीक्षा पास कर बीए (प्रथम वर्ष) में पढ़ने लगी थी. उस की अन्य 3 बेटियां प्रियंका, वर्षा और रूबी निरंकारी बालिका में ही पढ़ रही थीं. वह उन्हें सुबह अपने साथ ले जाती और फिर छुट्टी होने के बाद साथ ही ले आती थी. मिडडे मील का बचा भोजन भी वह अपने साथ लाती जो शाम को उस की बेटियां खा लेती थीं.

नशेड़ी पति की दहशत से श्यामा व उस की बेटियां डरीसहमी रहती थीं. जब वह ज्यादा नशे में होता तो श्यामा दरवाजा नहीं खोलती थी. तब वह दरवाजा तोड़ने का प्रयास करता और खूब गालियां बकता. श्यामा के कमरे के सामने जगह पड़ी थी. उस ने इस खाली जगह पर घासफूस का एक छप्पर रखवा दिया था और एक चारपाई डलवा दी थी ताकि नशेड़ी पति कमरे के बजाय इसी छप्पर के नीचे सो जाए.

श्यामा की बड़ी बेटी  पिंकी अब तक 19 वर्ष की अवस्था पार कर चुकी थी. वह महल्ले के कुछ बच्चों को ट्यूशन पढ़ा कर अपना व अपनी पढ़ाई का खर्च भी निकालने लगी थी. पिंकी की एक सहेली पूजा थी. वह उस के साथ ही पढ़ती थी. वह उस से कहती थी कि मां के हौसले से ही वह जिंदा है. पहले वह छोटी बहनों को पढ़ा कर पैरों पर खड़ा करेगी. उस के बाद ही वह अपनी शादी करेगी. मां का हैसला टूटने नहीं देगी. उस की छोटी बहन 14 वर्षीया प्रियंका कक्षा 9 व 13 वर्र्षीया वर्षा कक्षा 7 और

10 वर्षीया रूबी कक्षा 5 में पढ़ रह थी.

रामभरेसे पक्का शराबी था. उस के पास जिस दिन शराब पीने को पैसे नहीं होते उस दिन वह श्यामा से मांगता. न कहने पर उसे मारतापीटता और बक्से में रखे पैसे निकाल लेता. पैसा न मिलने पर वह घर का सामान बरतन, अनाज व कपडे़ उठा कर ले जाता और बेच कर शराब पी जाता. बेटियों की गुल्लक तक को तोड़ कर पैसे निकाल लेता.

नशेड़ी पति की हरकतों से परेशान श्यामा की हसरतें अधूरी रह गई थीं. उस के हौसले टूटने लगे थे और वह मानसिक तनाव में रहने लगी थी. वह अपना दर्द सहयोगी कर्मी तारावती से कभीकभी बयां करती थी. वह उस से कहती थी कि बड़ी बेटी पिंकी के ब्याह की चिंता सता रही है. घर की माली हालत खराब है. ऐसे में उस की शादी कैसे होगी. पिंकी के अलावा उस की 3 अन्य बेटियां भी हैं. जो सालदरसाल बड़ी हो रही हैं. उन की चिंता भी उसे सता रही है.

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30 जनवरी की शाम 4 बजे रामभरोसे घर आया. उस समय श्यामा व उस की चारों पुत्रियां घर पर थीं. रामभरोसे ने आते ही श्यामा से शराब पीने को पैसे मांगे. श्यामा ने पैसे देने से मना किया तो उस ने पास में रखा डंडा उठाया और श्यामा को पीटने लगा. मां को क्रूर पिता की मार से बचाने उस की बड़ी बेटी पिंकी आई तो वह उसे भी पीटने लगा. प्रियंका और रूबी शोर मचाने लगीं तो रामभरोसे ने उन्हें भी पीटना शुरू कर दिया. मांबेटी अपनी जान बचा कर भागीं तो उस ने उन का पीछा किया. किसी तरह रामशरण के घर में घुस कर मांबेटियों ने जान बचाई. गुस्से से लाल रामभरोसे घर आया. उस ने घर का सामान तहसनहस कर दिया. घर के बाहर पड़ा छप्पर उलट दिया. फिर तांडव करने के बाद शराब ठेके पर शराब पीने पहुंच गया.

इधर श्यामा पति की हैवानियत से इतनी ऊब गई कि उस ने आत्महत्या करने का निश्चय कर लिया. वह बाजार गई और बीज बेचने वाली दुकान से क्विक फौस के

?7 पाउच खरीद लाई. यह दवा गेहूं को कीडे़घुन से बचाने के लिए गेहूं भंडारण में रखी जाती है. दवा लाने के बाद श्यामा ने चारों बेटियों को अपने सामने बिठाया और बोली, ‘तुम्हारे नशेड़ी बाप की हैवानियत से मैं टूट चुकी हूं. उस के जुल्म अब सह नही पाऊंगी. इसलिए मैं ने आत्महत्या करने का निश्चय कर लिया है.’

पिंकी बोली, ‘मां आप तो मेरी संबल हैं. आप के हौसले से ही हम जिंदा हैं. जब आप ही नहीं रहेंगी तो हम जी कर क्या करेंगी. हम सब एकसाथ ही मरेंगे.’

शायद तुम ठीक कहती हो. क्योंकि मेरे न रहने पर वह नशेड़ी अपनी नशापूर्ति के लिए या तो तुम सब को बेच देगा या फिर घर को देहव्यापार का अड्डा बना देगा. इसलिए उस के जुल्मों से बचने के लिए आत्महत्या करना ही बेहतर रहेगा.

श्यामा की जब चारों बेटियां एक राय हो कर श्यामा के साथ आत्महत्या को राजी हो गईं तब श्यामा ने कमरे की अंदर से कुंडी बंद की, फिर जहर की 7 में से 4 पुडि़यां खोलीं और आटे में मिला कर भगोने में डाल कर घोल बनाया. इस के बाद दिल को कड़ा कर के बारीबारी से चारों बेटियों को घोल पिला दिया, फिर स्वयं भी घोल पी लिया. कुछ देर बाद ही जहरीले घोल ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया. सभी मूर्च्छित हो कर आड़ीतिरछी एकदूसरे पर पसर गईं. फिर उन के प्राणपखेरू कब उड़ गए, किसी को पता ही नहीं चला.

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लगभग 33 घंटे बाद घटना की जानकारी तब हुई जब निरंकारी बालिका की छात्रा प्रीति श्यामा के घर आई. उस ने  दरवाजा न खोलने की जानकारी श्यामा के ससुर रामसागर को दी. रामसागर ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने दरवाजा तोड़ा तब मां व उस की 4 बेटियों द्वारा आत्महत्या किए जाने की जानकारी हुई. पुलिस ने शवों को कब्जे में ले कर जांच शुरू की तो नशेड़ी पति की हैवानियत से ऊब कर आत्महत्या करने की घटना प्रकाश में आई.

दिनांक 3 फरवरी, 2020 को थाना सदर कोतवाली पुलिस ने अभियुक्त रामभरोसे को फतेहपुर की जिला अदालत में पेश किया. जहां उसे जिला जेल भेज दिया गया. कथा संकलन तक उस की जमानत स्वीकृत

काजल राघवानी ने Khesari Lal Yadav को किया प्रपोज, देखें Video

भोजपुरी इंडस्ट्री के सुपरस्टार  खेसारीलाल यादव (Khesari lal yadav) और काजल राघवानी (Kajal Raghwani) की जोड़ी को खूब पसंद किया जाता है. स्क्रीन पर इनकी केमेस्ट्री को दर्शक खूब पसंद करते हैं. दोनों के बीच विवाद की भी खबर आई थी. लेकिन अब खेसारीलाल यादव- काजल राघवानी की अपकमिंग फिल्म ‘बाप जी’ सुर्खियों में छाई है.

दरअसल ‘बाप जी’ (Baapji) का नया गाना ‘तू झूठी तेरा प्यार झूठा’  यूट्यूब पर रिलीज किया गया है. जिसे फैंस खूब पसंद कर रहे हैं.  इस गाने को काफी कम टाइम में 2,291,164 व्यूज मिल चुके हैं. इस गाने को खेसारीलाल यादव और खुशबू तिवारी ने आवाज दी हैं.

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इस फिल्म में खेसारी और काजल के अलावा मनोज टाइगर, रितु सिंह, , प्रकाश जैसे अन्य कलाकार अहम भूमिकाओं में नजर आएंगे. आपके बता दें कि खेसारीलाल यादव और काजल राघवानी का विवाद के बाद भी कई गाने रिलीज किए जा चुके हैं.

 

खेसारी लाल यादव ने काजल राघवानी को लेकर कहा था कि उन्होंने धोखा दिया है. इस पर काजल ने भी करारा जवाब दिया था. एक्ट्रेस ने कहा था कि मैंने कोई धोखा नहीं दिया है. वो पहले से ही शादीशुदा और दो बच्चे के पिता हैं. दोनों के बीच काफी टाइम तक तक जुबानी जंग चली थी.

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