Manohar Kahaniya: जब उतरा प्यार का नशा- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

मिली जानकारी के अनुसार सुरेंद्र सिंह नेमावर में एक अच्छे धमकदार परिवार का था. उस के दादा होकम सिंह के अलावा उस के पिता लक्ष्मण सिंह भी नामदार रहे हैं. कुछ साल पहले इस परिवार की जमीन हाइवे निर्माण के लिए शासन ने अधिग्रहीत कर ली थी. बदले में परिवार को मुआवजे की मोटी रकम मिली थी.

पैसा आने पर सुरेंद्र और उस के छोटे भाई वीरेंद्र का समाज में रौबरुतबा बढ़ गया था. दोनों भाई शराब की लत के लिए भी चर्चित हो गए थे.

पुलिस सुरेंद्र के बारे में हर स्तर की जानकारियां जुटाने में लगी हुई थी, जबकि लापता रूपाली, ममता, दिव्या, पवन और पूजा का डेढ़ महीने से अधिक समय गुजर जाने के बावजूद कुछ नहीं पता चल पाया था.

इंस्टाग्राम की पोस्ट ने बढ़ाया शक

एक दिन सुरेंद्र के बारे में एक नई जानकारी मिली. वह जानकारी सोशल मीडिया की तरफ से मिली थी. इंस्टाग्राम पर सुरेंद्र की मंगेतर को ले कर एक पोस्ट किया गया था. उस के जरिए रूपाली द्वारा आपत्ति जताई गई थी.

यह पोस्ट सुरेंद्र की शादी नसरूलागंज निवासी एक युवती के साथ तय होने के जवाब के तौर पर की गई थी. इस से स्पष्ट था कि सुरेंद्र के रूपाली से संबंध टूट गए थे.

इस जानकारी के आधार पर इंसपेक्टर शिवमुराद यादव ने रूपाली के लापता होने के मामले को सुरेंद्र की सगाई से जोड़ कर देखा. उन्होंने अपने सहकर्मियों को पता लगाने के लिए कहा कि जिस रोज रूपाली और उस के परिवार के दूसरे 4 सदस्य लापता हुए, उस रोज सुरेंद्र कहां था?

संयोग से उसी दौरान एक ऐसी घटना घटी, जिस से मामले में पूरी तरह से सुरेंद्र का हाथ होने का शक और मजबूत हो गया.

पुलिस ने पाया कि भारती और संतोष के मोबाइल पर बारबार रूपाली के मोबाइल से आने वाले मैसेज जांच की दिशा भटकाने के लिए किए जा रहे थे. 40 दिन बाद आए मैसेज को टारगेट कर इंसपेक्टर यादव ने मोबाइल की लोकेशन मालूम की, जो चोरल डैम के इलाके की थी.

चोरल डैम नेमावर से बहुत नजदीक नहीं तो बहुत दूर भी नहीं है. लोग वहां घूमने जाते हैं. पुलिस ने अब पूरा मामला एक बड़ी साजिश में उलझा हुआ महसूस किया. उस दिशा में नेमावर पुलिस ने अपनी जांच और भी तेज कर दी.

कुछ दिनों बाद ही पुलिस को एक ढाबे पर कुछ लोगों के द्वारा रूपाली के परिवार के गायब होने की बात करने की जानकारी मिली. उन में 2 लोग सुरेंद्र के खेत पर काम करते थे.

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पुलिस संदेह के आधार पर उन्हें थाने लाई. उन से पूछताछ के क्रम में सुरेंद्र के 2 करीबी दोस्तों विवेक तिवारी और राकेश के बारे में भी जानकारी मिली. उन्हें भी थाने बुलवा लिया गया. आखिर में पुलिस सुरेंद्र और उस के भाई वीरेंद्र को भी पूछताछ के लिए थाने ले आई.

इंसपेक्टर यादव ने दोनों भाइयों से अलगअलग पूछताछ की और उन के दोस्तों के बयान के साथ तार जोड़ा, तब यह समझते देर नहीं लगी कि लापता परिवार के पीछे इन्हीं लोगों का हाथ है.

उन पर जब सख्ती बरती गई और सच छिपाने एवं झूठे बयान देने की भी सजा का डर दिखाया गया, तब वे टूट गए.

उन से मिली अहम जानकारियों के आधार पर पुलिस के आला अधिकारी जेसीबी मशीन ले कर सुरेंद्र के खेत पर जा पहुंचे. तब तक गांव वालों की काफी भीड़ वहां जमा हो गई थी. कुछ ही देर में खेत की खुदाई शुरू की गई.

जैसेजैसे बड़े गड्ढे से मिट्टी निकलती गई, वैसेवैसे अपराधियों का कृत्य सामने आता चला गया. कुछ देर में ही जो मंजर सामने आया, सब की रूह कांप उठी. खेत में से एक के बाद एक कर सड़ेगले 5 लाशों के कंकाल निकाले गए.

उन की पहचान ममता, रूपाली, दिव्या, पूजा और पवन के रूप में हुई. पुलिस को हैरत हुई कि जिस के मोबाइल से लगातार मैसेज आ रहे थे, उस की मौत हो चुकी थी.

इस नृशंस हत्याकांड को ले कर पूरे मध्य प्रदेश में सनसनी फैल गई. सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों ने इसे दलित अत्याचार का रंग देने की कोशिश की.

हालांकि मामला कैसे अलग तरह का था, इस का खुलासा आरोपियों ने गहन पूछताछ के बाद किया. इस दिल दहला देने वाले सनसनीखेज हत्याकांड की कहानी इस प्रकार सामने आई—

रूपाली के पिता मूलरूप से खंडवा स्थित खलावा के रहने वाले थे. लेकिन पूरा परिवार काम की तलाश में देवास जिले के नेमावर के वार्ड नंबर 10 में आ कर बस गया था.

रूपाली के घर के बिलकुल नजदीक सुरेंद्र सिंह का मकान था. रूपाली के भाई संतोष से उस की दोस्ती थी. दोनों एक ही उम्र के थे. दोस्ती होने के कारण सुरेंद्र का रूपाली के घर आनाजाना लगा रहता था.

रूपाली किशोरावस्था की उम्र लांघ चुकी थी. वह काफी आकर्षक और सुंदर दिखने लगी थी. उस की सुंदरता को देख कर सुरेंद्र दंग था. मन ही मन वह उसे अपना दिल दे बैठा था. किसी न किसी बहाने से वह संतोष के घर जाने लगा था.

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कुछ समय बाद रूपाली की बड़ी बहन भारती, पिता और संतोष खराब आर्थिक स्थिति के चलते रोजगार के सिलसिले में पीथमपुर जा कर रहने लगे. जबकि रूपाली अपनी मां और बहन के साथ वहीं नेमावर में ही रहती थी.

सुरेंद्र के साथ लिवइन में रहने लगी रूपाली

संतोष के जाने के बाद सुरेंद्र ही एक तरह से उन की देखभाल करने वाला बन गया था. वह छोटीमोटी मदद भी कर दिया करता था

रूपाली भी सुरेंद्र के हावभाव को समझ गई थी. ऊपर से वह पैसे वाला संपन्न परिवार से था. रूपाली ने महसूस किया कि उस की मनमांगी मुराद पूरी होने वाली है.

अगले भाग में पढ़ें- सुरेंद्र को बदनाम करने लगी  रूपाली 

जरूरी हैं दूरियां पास आने के लिए- भाग 3: क्यों मिशिका को भूलना चाहता था विहान

लेखिका- डा. मंजरी अमित चतुर्वेदी

‘‘जानती हो, जब हम साथ पढ़ाई करते थे तब भी मैं टौपिक समझ न आने के बहाने से देर तक बैठा रहता. तुम मुझे बारबार समझतीं. पर, मैं नादान बना बैठा रहता सिर्फ तुम्हारा साथ पाने की चाह में. जब छुट्टियों में बच्चे बाहर अलगअलग ऐक्टिविटी करते तब भी मैं तुम्हारी पसंद के हिसाब से काम करता था ताकि तुम्हारा साथ रहे.’’

‘‘विहान…’’ मिशी ने अचरज से कहा.

‘‘अभी तुम बस सुनो मुझे और मेरे दिल की आवाज को. याद है मिशी, जब हम 12वीं में थे, तुम मुझ से कहतीं, ‘क्यों विहान, गर्लफ्रैंड नहीं बनाई, मेरी तो सब सहेलियों के बौयफ्रैंड हैं?’ मैं पूछता कि तुम्हारा भी है तो तुम हंस देतीं, ‘हट पागल, मुझे तो पढ़ाई करनी है एमबीए की, फिर मस्त जौब. पर विहान,  तुम्हारी गर्लफ्रैंड होनी चाहिए’ इतना  कह कर तुम मुझे अपनी कुछ सहेलियों की खूबियां गिनवाने लगतीं. मेरा मन करता कि तुम्हें  झकझर कर कहूं कि तुम हो तो, पर नहीं कह सका.

‘‘और तुम्हें जो अपने हर बर्थडे पर  जिस सरप्राइज का सब से ज्यादा इंतजार होता, वह देने वाला मैं ही था. बचपन में जब तुम को तुम्हारी फेवरेट टौफी तुम्हारे पैंसिल बौक्स में मिली, तुम बेहद खुश हुई थीं. अगली बार भी जब मैं ने तुम को सरप्राइज किया, तब तुम ने कहा था, ‘विहान, पता नहीं कौन है, मौम, डैड, दी या मेरी कोई फ्रैंड, पर मेरी इच्छा है कि मुझे हमेशा यह सरप्राइज गिफ्ट  मिले.’ तुम ने सब के नाम लिए, पर मेरा नहीं,’’ कहतेकहते विहान की आवाज लड़खड़ा सी गई, फिर भर आए गले को साफ कर वह आगे बोला, ‘‘तब से हर बार मैं यह करता गया. पहले पैंसिल बौक्स था, फिर बैग, फिर तुम्हारा पर्स और अब कूरियर.’’

सच जान कर मिशी जैसे सुन्न हो गई. वह हर बात विहान से शेयर करती थी. पर कभी यह नहीं सोचा कि विहान भी तो वह शख्स हो सकता है. उसे खुद पर बहुत गुस्सा आ रहा था.

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रात गहरा चुकी थी. चांद स्याह रात के माथे पर बिंदी बन कर चमक रहा था. तेज हवा और लहरों के शोर में मिशी के जोर से धड़कते दिल की आवाज भी मिल रही थी. विहान आज वर्षों से छिपे प्रेम की परतें खोल  रहा था.

वह आगे बोला, ‘‘मिशी, उस दिन तो जैसे मैं हार गया जब मैं ने तुम से कहा कि मुझे एक लड़की पसंद है. मैं ने बहुत हिम्मत कर अपने प्यार का इजहार करने के लिए यह प्लान बनाया था. मैं ने धड़कते दिल से तुम से कहा, दिखाऊं फोटो, तुम ने झट से मेरा मोबाइल छीना और जैसे ही फोटो देखा, तुम्हारा रिऐक्शन देख, मैं ठगा सा रह गया. मुझे लगा, यहां मेरा कुछ नहीं होने वाला. पगली से प्यार कर बैठा,’’ इतना कह कर उस ने मिशी से पूछा, ‘‘क्या तुम्हें याद है, उस दिन तुम ने क्या किया था?’’

‘‘हां, तुम्हारे मोबाइल में मुझे अपना फोटो दिखा तो मैं ने कहा, ‘वाओ, कब लिया यह फोटो, बहुत प्यारा है, सैंड करो’ और मैं उस पिक में खो गई, सोशल मीडिया पर शेयर करने लगी. तुम्हारी गर्लफ्रैंड वाली बात तो मेरे दिमाग से गायब ही हो गई थी.’’

‘‘जी, मैडमजी, मैं तुम्हारी लाइफ में  इस हद तक जुड़ा रहा कि तुम मुझे कभी अलग से फील कर ही नहीं पाईं. ऐसा कितनी बार हुआ, पर तुम अपनेआप में थीं, अपने सपनों में, किसी और बात के लिए शायद तुम्हारे पास टाइम ही नहीं था, यहां तक कि अपने जज्बातों को समझने के लिए भी नहीं,’’ विहान कहता जा रहा था. मिशी जोर से अपनी मुट्ठियां भींचती हुई अपनी बेवकूफियों का हिसाब लगा रही थी.

इस तरह विहान न जाने कितनी छोटीबड़ी बातें बताता रहा और मिशी सिर झकाए सुनती रही. मिशी का गला रुंध गया, ‘‘विहान, इतना प्यार कोई किसी से कैसे कर सकता है. और तब तो बिलकुल नहीं जब उसे कोई समझने वाला ही न हो. कितना कुछ दबा रखा है तुम ने. मेरे साथ की छोटी से छोटी बात कितनी शिद्दत से सहेज कर रखी है तुम ने.’’

‘‘अरे, पागल रोते नहीं. और यह किस ने कहा कि तुम मुझे समझती नहीं थीं. मैं तो हमेशा तुम्हारा सब से करीबी रहा. इसलिए प्यार का एहसास कहीं गुम हो गया था. और इस हकीकत को सामने लाने के लिए मैं ने खुद को तुम से दूर करने का फैसला किया. कई बार दूरियां नजदीकियों के लिए बहुत जरूरी हो जाती हैं. मुझे लगा कि मेरा प्यार सच्चा होगा, तो तुम तक मेरी सदा जरूर पहुंचेगी. नहीं तो, मुझे आगे बढ़ना होगा तुम को छोड़ कर.’’

‘‘मैं कितनी मतलबी थी.’’

‘‘न बाबा, तुम बहुत प्यारी तब भी थीं और अब भी हो.’’

मिशी के रोते चेहरे पर हलकी सी मुसकान आ गई. वह धीरे से विहान के कंधों पर अपना सिर टिकाने को बढ़ ही रही थी कि अचानक उसे कुछ याद आया. वह एकदम उठ खड़ी हुई.

‘‘क्या हुआ, मिशी?’’

‘‘यह सब गलत है.’’

‘‘क्यों गलत है?’’

‘‘तुम और पूजा दी…’’

‘‘मैं और पूजा….’’ कह कर विहान हंस पड़ा.

‘‘तुम हंस क्यों रहे हो?’’

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‘‘मिशी, मेरी प्यारी मिशी, मुझे जैसे ही पूजा और मेरी शादी की बात पता चली तो मैं पूजा से मिला और तुम्हारे बारे में बताया. सुन कर पूजा भी खुश हुई. उस का कहना था कि विहान हो या कोई और, उसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता. मांपापा जहां चाहेंगे, वह खुशीखुशी वहां शादी कर लेगी. फिर हम दोनों ने सारी बात घर पर बता दी. किसी को कोई प्रौब्लम नहीं है. अब इंतजार है तो तुम्हारे जवाब का.’’

इतना सुनते ही मिशी को तो जैसे अपने कानों पर यकीन ही नहीं हुआ. उस के चेहरे पर मुसकराहट तैर गई. अब न कोई शिकायत बची थी, न सवाल.

‘‘बोलो मिशी, मैं तुम्हारे जवाब का इंतजार कर रहा हूं,’’ विहान ने बेचैनी से कहा.

‘‘मेरे चेहरे पर बिखरी खुशी देखने के बाद भी तुम को जवाब चाहिए,’’ मिशी ने नजरें झका कर भोलेपन से कहा.

‘‘नहीं मिशी, जवाब तो मुझे उसी दिन मिल गया था जब मैं 10 महीने बाद  तुम्हारे घर आया था. पहले वाली मिशी होती तो बोलबोल कर, सवाल पूछपूछ कर, झगड़ा कर के मुझे भूखा ही भगा देती,’’ कह कर विहान जोर से हंस पड़ा.

‘‘अच्छा जी, मैं इतनी बकबक करती हूं,’’ मिशी ने मुंह बनाते हुए कहा.

‘‘हांजी, पर न तुम झगड़ीं, न कुछ बोलीं, बस देखती रहीं मुझे. ख्वाब बुनती रहीं. उसी दिन मैं समझ गया था कि जिस मिशी को पाने के लिए मैं ने उसे खोने का गम सहा, यह वही है, मेरी मिशी, सिर्फ मेरी मिशी,’’ विहान ने मिशी का हाथ पकड़ते हुए कहा.

मिशी ने भी विहान का हाथ कस कर थाम लिया हमेशा के लिए. वे हाथों में हाथ लिए चल दिए. जिंदगी के नए सफर पर साथसाथ कभी जुदा न होने के लिए. आसमां, चांदतारे, चांदनी और लहलहाता समुद्र उन के प्रेम के साक्षी बन गए थे.

कहीं दूर से हवा में संगीत की धुन उन के प्रेम की दास्तां बयां कर रही थी,  ‘मेरे हमसफर… मेरे हमसफर… हमें साथ चलना है उम्र भर…’

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राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड अपने अदम्य साहस व शौर्य के लिए पूरे भारत में जाना जाता है : मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आजादी के अमृत महोत्सव के अन्तर्गत आज यहां ‘1090’ चैराहे पर ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (ब्लैक कैट कार रैली) को झण्डी दिखाकर रवाना किया. इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एन0एस0जी0) अपने अदम्य साहस व शौर्य के लिए पूरे भारत में जाना जाता है. भारत की सुरक्षा, स्वाभिमान व सम्मान को बनाये रखने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है. उन्होंने कहा कि एन0एस0जी0 ने सदैव संवेदनशील स्थिति में जब भी समाज में भय और असुरक्षा का माहौल रहा, तब वहां सुरक्षा व राहत देने का कार्य किया.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि 15 अगस्त, 2022 को जब देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहा होगा, तब प्रत्येक देशवासी के लिए वह अत्यन्त गौरव का वर्ष होगा. आजादी की क़ीमत क्या होती है, यह वर्तमान पीढ़ी को बताने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि आजादी अचानक नहीं मिली है. इसके लिए अनगिनत बलिदान दिये गये हैं.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व व मार्गदर्शन में आजादी के अमृत महोत्सव को पूरी भव्यता के साथ आयोजित किया जा रहा है. समाज का प्रत्येक वर्ग इससे जुड़ा है. देश को लम्बे संघर्ष और आन्दोलनों के बाद 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली. देश की स्वाधीनता को अक्षुण्ण बनाये रखने में पैरामिलिट्री, आम्र्ड फोर्स व सिविल पुलिस ने अपने-अपने क्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. उन्होंने कहा कि विगत दिनों सशस्त्र सेना बल (एस0एस0बी0) का एक दल प्रदेश आया था, जिसका उन्हें स्वागत करने का अवसर मिला था.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गृह मंत्री, भारत सरकार श्री अमित शाह जी द्वारा 02 अक्टूबर, 2021 को ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ का शुभारम्भ लाल किला, दिल्ली से किया गया. उन्होंने कहा कि यह रैली 03 अक्टूबर, 2021 को आगरा पहुंची. यह रैली आज लखनऊ से वाराणसी को प्रस्थान कर रही है.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश के अध्यात्मिक गौरव की वृद्धि में उत्तर प्रदेश का महत्वपूर्ण योगदान है. उत्तर प्रदेश भारत की स्वाधीनता आन्दोलन का प्रमुख केन्द्र बिन्दु भी रहा है. प्रदेश में प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम की अलख बलिया, गोरखपुर, मेरठ में जली थी. झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के संघर्ष को विस्मृत नहीं किया जा सकता है. मंगल पाण्डेय के नेतृत्व मंे वर्ष 1857 में प्रथम स्वातंत्र्य संग्राम का बिगुल बजाया गया था. उन्होंने कहा कि मेरठ में धनपाल सिंह कोतवाल के नेतृत्व में ब्रिटिश हुकूमत को चुनौती दी गयी थी.

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में चैरी-चैरा शताब्दी महोत्सव का आयोजन भी किया जा रहा है. 04 फरवरी, 1922 को जनपद गोरखपुर के चैरी-चैरा में देश की स्वाधीनता के लिए स्थानीय नागरिकों, किसानों व श्रमिकों ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक बड़ा आन्दोलन किया था. प्रदेश सरकार ने अमृत महोत्सव और चैरी-चैरा शताब्दी महोत्सव को एक साथ जोड़ते हुए यह व्यवस्था बनाई है कि इन दोनों आयोजनों से जुड़े प्रदेश के प्रत्येक शहीद स्थल व स्वाधीनता से जुड़े पवित्र स्थलों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाएं.

ज्ञातव्य है कि ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ कार रैली देश के 12 राज्यों के लगभग 18 शहरों से होते हुए 7500 किलोमीटर की यात्रा 29 दिनों (02 अक्टूबर से 30 अक्टूबर, 2021 तक) में तय करेगी. ‘सुदर्शन भारत परिक्रमा’ लखनऊ से वाराणसी, बोधगया, जमशेदपुर, कोलकाता, भुवनेश्वर, बेहरामपुर, विशाखापत्तनम, विजयवाड़ा, हैदराबाद, ओंगोल, चेन्नई, बंगलुरु, हुबली, मुम्बई, अहमदाबाद, जयपुर होते हुए नई दिल्ली वापस आएगी. यह रैली अपनी यात्रा के दौरान स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़े महत्वपूर्ण स्थलों का भ्रमण कर देशभक्तों को श्रद्धांजलि अर्पित करेगी.

इस अवसर पर पुलिस महानिदेशक श्री मुकुल गोयल व महानिदेशक एन0एस0जी0 श्री एम0ए0 गणपति सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे.

Bigg Boss 15: सलमान खान ने प्रतीक सहजपाल को नेशनल टीवी पर किया Abuse! देखें Video

टीवी का विवादित शो बिग बॉस (Bigg Boss 15) में कंटेस्टेंट के बीच जमकर लड़ाई हो रही है. शो में दिखाया गया कि प्रतीक सहजपाल ने अपना आपा खो दिया. और उन्होंने गुस्से में वॉशरुम का ताला तोड़ दिया जब Vidhi Pandya उसी वाशरुम में नहा रही थी.

प्रतीक सहजपाल के इस हरकत के बाद सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है. हाल ही में प्रतीक सेहजपाल ने एक ग्लास पैनल तोड़ दिया था. जिसके बाद पूरा घर नॉमिनेट हो गया.

 

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तो वहीं विधि पांड्या बाहर आकर प्रतीक सहजपाल के इस हरकत के बारे में जय भानुशाली और दूसरे कंटेस्टेंट को बताती हैं. जिस पर तेजस्वी प्रकाश, करण कुंद्रा समेत सभी घरवाले प्रतीक सेहजपाल पर गुस्सा निकालते हैं. जबकि प्रतीक सेहजपाल कहते हैं कि उन्होंने ऐसा गेम के लिए किया और उन्हें इस पर कोई पछतावा नहीं है.

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शो से जुड़ा एक वीडियो सामने आया है. बिग बॉस 15 के आने वाले एपिसोड में यानी विकेंड के वार में सलमान खान, प्रतीक सेहजपाल की जमकर क्लास लगाने वाले हैं. वीडियो में आप देख सकते हैं कि  सलमान खान का गुस्सा का शिकार प्रतीक सेहजपाल होंगे. प्रोमो के अनुसार सलमान खान प्रतीक को सरेआम गाली देते नजर आ रहे हैं.

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सपना चौधरी के बेटे का नाम आया सामने, ट्रोल हो रहे हैं सैफ-करीना

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी अक्सर सुर्खियों में छाई रहती हैं. अब एक्ट्रेस के बेटे का नाम चर्चे में है. दरअसल  सपना चौधरी के बेटे 4 अक्‍टूबर को एक साल के हो गये. और इस खास मौके पर सपना चौधरी ने अपने बेटे का नाम सार्वजनिक कर दिया. बच्चे का नाम करीना कपूर और सैफ अली खान से जोड़ा जा रहा है. तो आइए जानते हैं सपना के बेटे का नाम करीन-सैफ से क्यों जुड़ा है.

दरअसल सैफ अली खान के बेटे का नाम तैमूर है तो वहीं सपना चौधरी के बेटे का नाम पोरस है. बता दें कि पोरस एक शासक था जिसने तैमूर और जहांगीर को धूल चटा दी थी. तैमूर एक क्रूर शासक था जिसने हिंदुओं पर बहुत अत्‍याचार किए थे. ऐसे में सपना चौधरी के बेटे के नाम को लेकर सभी जगह से अच्‍छी प्रतिक्रियांए आ रही हैं.

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फैंस सैफ अली खान और करीना कपूर को फिर से फैंस ट्रोल कर रहे हैं. सपना चौधरी के बेटे की पहली तस्‍वीर देखने के लिए भी फैंस को बेसब्री से इंतजार कर रहे थे. जैसे ही सपना के बेटे का फोटो सोशल मीडिया पर आया, यह फोटो वायरल होने लगी.

 

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सपना चौधरी और वीर साहू की शादी जनवरी 2020 में हुई थी. वीर को सपना पहली नजर में भा गई थी. सपना चौधरी के मां बनने की खबर आने के बाद फैंस ने उन्हें ट्रोल करना शुरू कर दिया था. सपना के पति वीर साहू ने ट्रोलर्स पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने केस भी दर्ज करवाई.

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इतना ही नहीं, वीर साहू ने कहा था कि सपना के खिलाफ बोलने वालों को मेरा खुला चैलेंज हैं जहां मिलना है वहां मिलकर मुझसे बात कर सकते हैं. खबरों की माने तो वीर साहू को जब रोहतक के महम चौबीसी के प्रचलित चबूतरे पर पहुंचने की चुनौती मिली तो वे एक लंबे काफिले के साथ वहां पहुंच गए थे.

आखिरी मुलाकात- भाग 2: क्यों सुमेधा ने समीर से शादी नहीं की?

Writer- Shivi Goswami

मैं उस का चेहरा देखे जा रहा था. वह मेरा बहुत अच्छा दोस्त बन गया था. शायद अब वह मेरे दिल की बात भी पढ़ने लगा था.

‘देखो, मैं ने जानबूझ कर हां बोला है और मैं कोई बहाना बना कर कल नहीं आऊंगा. तुम दोनों मूवी देखने अकेले जाना. इस से तुम्हें एकसाथ वक्त बिताने का मौका मिलेगा और अपने दिल की बात कहने का भी.’

‘लेकिन…’

‘लेकिनवेकिन कुछ नहीं, तुम्हें अपने दिल की बात कल उस से कहनी ही होगी. वह आ कर तो यह बात बोलेगी नहीं.’

मैं ने नीलेश को गले लगा लिया,

‘धन्यवाद नीलेश…’

‘ओह रहने दे, तेरी शादी में भांगड़ा करना है बस इसलिए ऐसा कर रहा हूं,’ यह कह कर नीलेश हंसने लगा.

आज रविवार था और नीलेश का प्लान कामयाब हो चुका था. उस ने सुमेधा को फोन कर के कह दिया था कि उस की मौसी बिना बताए उस को सरप्राइज देने के लिए पूना से यहां उस से मिलने आई हैं. इसलिए वह मूवी देखने नहीं आ सकता. लेकिन हम उस की वजह से अपना प्लान और मूड खराब न करें. इस से उस को अच्छा नहीं लगेगा.

सुमेधा मान गई और न मानने का तो कोई सवाल ही नहीं था. मैं मन ही मन नीलेश के दिमाग की दाद दे रहा था.

मौल के बाहर मैं सुमेधा का इंतजार कर रहा था. सुमेधा जैसे ही औटो से उतरी मैं ने उस को देख लिया था. सफेद सूट में वह बहुत खूबसूरत लग रही थी. मैं उस को बस देखे जा रहा था. उस ने मेरी तरफ आ कर मुझ से हाथ मिलाया और कहा, ‘ज्यादा इंतजार तो नहीं करना पड़ा?

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‘नहीं, मैं बस 20 मिनट पहले आया था,’

मैं ने उस की तरफ देखते हुए कहा.

‘ओह, आई एम सौरी. ट्रैफिक बहुत है आज, रविवार है न इसलिए,’ उस ने हंसते हुए कहा.

हम दोनों ने मूवी साथ देखी. लेकिन मूवी बस वह देख रही थी. मेरा ध्यान मूवी पर कम और उस पर ज्यादा था.

मूवी के बाद हम दोनों वहीं मौल के एक रेस्तरां में बैठ गए. सुमेधा मूवी के बारे में ही बात कर रही थी.

‘मुझे तुम से कुछ कहना है सुमेधा,’ मैं ने सुमेधा की बात बीच में ही काटते हुए कहा.

‘हां, बोलो समीर…,’ सुमेधा ने कहा.

‘देखो, मैं ने सुना है कि लड़कियों का सिक्स सैंस लड़कों से कुछ ज्यादा होता है, लेकिन फिर भी मैं तुम से कुछ कहना चाहता हूं. अगर तुम को मेरी बात पसंद न आए तो तुम मुझ से साफसाफ बोल देना. और हां, इस से हमारी दोस्ती में कोई फर्क नहीं आना चाहिए.’

‘लेकिन बात क्या है, बोलो तो पहले,’ सुमेधा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा.

‘मुझे डर था कि कहीं अपने दिल की बात बोल कर मैं अपने प्यार और दोस्ती दोनों को ही न खो दूं. फिर नीलेश की बात याद आई कि कम से कम एक बार बोलना जरूरी है, जिस से सचाई का पता चल सके. मैं ने सुमेधा की तरफ देखते हुए अपनी पूरी हिम्मत जुटाते हुए कहा, ‘आई…आई लव यू सुमेधा. तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो.’

मेरी बात सुन कर सुमेधा एकदम अवाक रह गई. उस के चेहरे के भाव एकदम बदल गए.

‘सुमेधा, कुछ तो बोलो… देखो, अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो मैं माफी चाहूंगा. जो मेरे मन में था और जो मैं तुम्हारे लिए महसूस करता हूं वह मैं ने तुम से कह दिया और यकीन मानो आज तक यह बात न तो मैं ने कभी किसी से कही है और न ही कहने का दिल किया कभी.’

सुमेधा मुझे देखे जा रही थी और मेरी घबराहट उस की नजरों को देख कर बढ़ती जा रही थी. वह धीमी आवाज में बोली, ‘मैं तुम से नाराज हूं…’

मैं उस की तरफ एकटक देखे जा रहा था.

‘मैं तुम से नाराज हूं इसलिए क्योंकि तुम ने यह बात कहने में इतना समय लगा दिया और मुझे लगता था कि मुझे ही प्रपोज करना पड़ेगा.’

उस की बात को सुन कर मुझे लगा कि कहीं मेरे कानों ने कुछ गलत तो नहीं सुन लिया था. कहीं यह सपना तो नहीं? लेकिन वह कोई सपना नहीं हकीकत थी.

मैं ने लंबी सांस लेते हुए कहा, ‘तुम ने मुझे डरा दिया था सुमेधा. मुझे लगा कहीं प्यार की बात बोल कर मैं अपनी दोस्ती न खो दूं.’

‘अच्छा… और अगर न बताते तो शायद अपने प्यार को खो देते,’ सुमेधा ने कहा.

उस दिन से ज्यादा खुश शायद मैं पहले कभी नहीं हुआ था. जब एम.ए. में फर्स्ट क्लास आया था तब भी और जब नौकरी मिली थी तब भी. एक अजीब सी खुशी थी उस दिन.

सुमेधा और मैं घंटों मोबाइल पर बात किया करते थे और मौका मिलते ही एकदूसरे के साथ वक्त बिताते थे.

उस दिन के बाद एक दिन सुमेधा ने मुझे बहुत खूबसूरत सा हार दिखाते हुए बाजार में कहा, ‘देखो समीर, कितना प्यारा लग रहा है.’

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मैं ने कहा, ‘तुम से ज्यादा नहीं.’

वह बोली, ‘जनाब, यह मेरी खूबसूरती को और बढ़ा सकता है.’

उस वक्त मन तो था कि मैं उस को वह हार दिलवा कर उस की खूबसूरती में चार चांद लगा दूं, लेकिन मेरी सैलरी इतनी नहीं थी कि उस को वह हार दिलवा सकता.

सुमेधा समझ गई थी. उस ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, ‘इतना भी खूबसूरत नहीं है कि इस हार की इतनी कीमत दी जाए. लगता है अपने शोरूम के पैसे भी जोड़ दिए हैं. चलो समीर चाय पीते हैं.’

मुझे सुमेधा की वह बात अच्छी लगी. वह खूबसूरत तो थी ही, समझदार भी थी.

वक्त बीतता गया. सुमेधा चाहती थी कि मैं शादी से पहले अपने पैरों पर अच्छे से खड़ा हो जाऊं ताकि शादी के बाद बढ़ती हुई जिम्मेदारियों से कोई परेशानी न आए. बात भी सही थी. अभी मेरी सैलरी इतनी नहीं थी कि मैं शादी जैसी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी को निभा सकूं.

हमारे प्यार को 1 साल से ज्यादा हो गया था. वक्त कैसे बीत गया पता ही नहीं चला.

आज सुमेधा औफिस नहीं आई थी. मैं ने सुमेधा को फोन किया, लेकिन पूरी रिंग जाने के बाद भी उस ने मोबाइल नहीं उठाया.

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हो सकता है वह व्यस्त हो किसी काम में. क्या हुआ होगा, जो सुमेधा ने मुझे नहीं बताया कि आज वह छुट्टी पर है. पूरा दिन बीत गया लेकिन सुमेधा का कोई फोन नहीं आया. मुझे बहुत अजीब लग रहा था. क्या आज वह इतनी व्यस्त है कि एक बार भी फोन या मैसेज करना जरूरी नहीं समझा?

ऑनलाइन क्लास से लिखने की आदत छूट गई है, मैं क्या करूं?

सवाल

मैं 12वीं क्लास का छात्र हूं. कोरोना के चलते इस बार स्कूल तो बिलकुल ठप हो गया है. औनलाइन क्लास तो होती है, पर उस से लिखने की आदत बिलकुल छूट गई है. अगर कल को बोर्ड के इम्तिहान होंगे तो उन में लिखना तो पड़ेगा न. इसी बात को सोचसोच कर मैं तनाव में रहता हूं. मु झे सही
सलाह दें.

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जवाब

यह आप की ही नहीं, बल्कि करोड़ों छात्रों की समस्या है कि कोरोना के चलते पढ़ाईलिखाई डगमगा गई है. आप औनलाइन पढ़ाई के बाद बचे वक्त में लिखने की प्रैक्टिस करते रहें. इस से इम्तिहान में लिखने की परेशानी नहीं आएगी.

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अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
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