‘कुंदनवीर’ भारत में जब कोई खिलाड़ी किसी इंटरनैशनल खेल इवैंट में मैडल जीतता है, तभी उस की कुछ पूछ होती है. परिवार वाले और कुछ संगीसाथी एयरपोर्ट पर ढोलनगाड़ों से उस का स्वागत करते हैं, नेता उस में अपनी जाति ढूंढ़ कर अपनी ही वाहवाही करते हैं और जनता सोशल मीडिया पर चंद अच्छीबुरी बातें लिख कर आगे निकल लेती है. फिर अगले कुछ साल के लिए उन्हें भुला दिया जाता है. दुख और हैरत की बात यह है कि इक्कादुक्का को छोड़ कर कोई भी ऐसे खिलाडि़यों की जद्दोजेहद के बारे में सपने में भी नहीं सोच पाता है.
हां, टांगखिंचाई करने में कोई पीछे नहीं रहता. हाल ही में इंगलैंड के बर्मिंघम में कौमनवैल्थ गेम्स हुए थे. 8 अगस्त, 2022 को जब ये गेम्स खत्म हुए, तब तक भारत ने 22 गोल्ड मैडल, 16 सिल्वर मैडल, 23 ब्रौंज मैडल जीत लिए थे और वह आस्ट्रेलिया, इंगलैंड और कनाडा के बाद चौथे नंबर पर रहा था. भारत की झोली में कुल 61 मैडल आए. मैडल का रंग कोई भी रहा हो, पर जिस खिलाड़ी ने उसे अपने गले में पहनने का गौरव हासिल किया, वह उस की सालों की कड़ी मेहनत का मीठा फल था. अगर सिर्फ गोल्ड मैडल जीतने वालों पर नजर डालें तो पता चलता है कि उन में से ज्यादातर खिलाड़ी ऐसे थे, जिन्होंने अपने हौसले, जज्बे और कड़ी मेहनत से साबित कर दिया कि भले ही गरीबी आप की राह में रोड़ा बन कर खड़ी हो जाए, पर अगर खुद पर भरोसा हो तो कोई भी बाधा पार करना मुश्किल नहीं है.
22 गोल्ड मैडल जीतने वाले इन ‘कुंदनवीर’ खिलाडि़यों के बारे में जान कर आप को यह बात समझ में आ जाएगी : मीराबाई चानू साल 2022 के कौमनवैल्थ गेम्स में 49 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्ड मैडल जीतने वाली इस जीवट महिला का जन्म 8 अगस्त, 1994 को भारत के मणिपुर राज्य की राजधानी इंफाल के नांगोपोक इलाके में हुआ था. एक नामचीन दैनिक अखबार (हिंदुस्तान) की खबर के मुताबिक, जब मीराबाई चानू अपने घर में जलाने के लिए लकड़ी लाती थीं, तो अपने भाई से भी ज्यादा वजन उठा लेती थीं. उस समय उन की उम्र महज 12 साल की ही थी. यह देखने के बाद मातापिता ने उन की इस प्रतिभा को पहचाना और उन्हें खेल में आगे बढ़ने को कहा. निजी जिंदगी में सिर पर लकड़ी ढोने और वेटलिफ्टिंग खेल में वजन उठाने में जमीनआसमान का फर्क होता है.
आज मुसकराती हुई मीराबाई चानू जब पोडियम पर गोल्ड मैडल को चूमती हैं, तो शायद ही किसी को उन के उस दर्द का एहसास होता होगा, जो उन्होंने यहां तक पहुंचने के लिए सहा है. मीराबाई चानू चर्चा में तब आई थीं, जब उन्होंने 2014 ग्लासगो कौमनवैल्थ गेम्स में 48 किलोग्राम भारवर्ग में सिल्वर मैडल जीता था. इस के बाद 2020 टोक्यो ओलिंपिक गेम्स में 49 किलोग्राम भारवर्ग में उन्होंने सिल्वर मैडल जीत कर भारत का मान पूरी दुनिया में बढ़ाया था. जेरेमी लालरिनुंगा महज 19 साल के जेरेमी लालरिनुंगा ने भारत को वेटलिफ्टिंग खेल के 67 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्ड मैडल दिलाया, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि वे अपने कैरियर की शुरुआत में एक मुक्केबाज बनना चाहते थे.
उन्होंने 4 साल तक मुक्केबाजी भी की, लेकिन छोटी कदकाठी का होने के चलते उन्होंने वेटलिफ्टिंग में आने का फैसला लिया. मिजोरम के रहने वाले जेरेमी लालरिनुंगा के पिता अपने समय के मुक्केबाज रहे हैं, लेकिन बाद में उन्होंने 8 लोगों के परिवार का भरणपोषण करने के लिए पीडब्लूडी महकमे में नौकरी करना स्वीकार किया था. जेरेमी लालरिनुंगा ने बताया, ‘‘मैं ने अपने गांव की एसओएस अकादमी में वेटलिफ्टिंग कैरियर की शुरुआत की थी. वहां कोच मुझ से बांस लाने को कहते थे और धीरेधीरे उठाने को कहते थे. वे बांस 5 मीटर लंबे और 20 मिलीमीटर चौड़े थे. उन पर कोई भार नहीं था, लेकिन वजन की तुलना में एक स्टिक उठाना असल में मुश्किल था, क्योंकि आप को यह जानना होगा कि इसे कैसे संतुलित किया जाए. ‘‘मैं ने दिनरात अभ्यास किया, बांस की बल्लियां उठा कर संतुलन बनाने की कला सीखी. इस के बाद मुझ से वेट लिफ्ट करने को कहा गया.’’ अचिंता शेउली 20 साल की उम्र के इस होनहार लड़के ने 73 किलोग्राम भारवर्ग में रिकौर्ड 313 भार उठा कर इतिहास रचा और गोल्ड मैडल अपने नाम किया. लेकिन इस मुकाम तक पहुंचने के लिए उन्हें बेहद ही मुश्किल सफर तय करना पड़ा है.
एक बड़े अखबार (इंडियन ऐक्सप्रैस) के मुताबिक, परिवार के हालात खराब होने की वजह से अंचिता शेउली को अच्छी डाइट नहीं मिलती थी और वे कई बार बीमार हो जाते थे. अंचिता शेउली के परिवार के एक सदस्य ने इस अखबार से बात करते हुए बताया, ‘‘हम उस की ज्यादा मदद नहीं कर पाते थे. जब वह नैशनल के लिए गया तो हम ने उसे 500 रुपए दिए थे और वह बेहद खुश था. जब वह पुणे में था, तो अपनी ट्रेनिंग का खर्चा उठाने के लिए किसी लोडिंग कंपनी में काम करता था.’’ लवली चौबे, नयन मोनी सैकिया, पिंकी और रूपा रानी तिर्की भारत के लिए एक अजूबे खेल लौन बाल्स में गोल्ड मैडल हासिल करने वाली इन 4 महिलाओं की जितनी तारीफ की जाए, कम है. 42 साल की लवली चौबे झारखंड के रांची से आती हैं.
एक मिडिल क्लास फैमिली की लवली चौबे के पिता कोल इंडिया में मुलाजिम थे, जो अब रिटायर हो चुके हैं, जबकि उन की माता घरेलू औरत हैं. लवली चौबे अभी झारखंड पुलिस में सिपाही हैं. उन्होंने साल 2008 में पहली बार लौन बाल्स नैशनल्स में हिस्सा लिया था और गोल्ड मेडल जीता था. वे इस टीम की लीडर हैं असम के गोलाघाट में जनमी नयन मोनी सैकिया एक किसान की बेटी हैं. साल 2008 में उन्होंने वेटलिफ्टिंग में अपने प्रोफैशनल कैरियर की शुरुआत की थी, लेकिन पैर में लगी चोट की वजह से उन्हें यह खेल छोड़ना पड़ा. साल 2011 से ही वे असम के जंगल महकमे में नौकरी करती हैं. दिल्ली में जनमी पिंकी ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्पोर्ट्स डिगरी हासिल की है. वे दिल्ली के ही एक स्कूल में बतौर फिजिकल ऐजूकेशन टीचर के तौर पर काम करती हैं. दिल्ली पब्लिक स्कूल में जहां वे पढ़ाती हैं, उन्हें वहां पर ही लौन बाल्स के बारे में सब से पहले जानकारी मिली थी.
यहां कौमनवैल्थ गेम्स, 2010 के लिए इस को तैयार किया गया था. इसी के बाद पिंकी की दिलचस्पी इस खेल में आई और आज वे कौमनवैल्थ गेम्स में गोल्ड मैडल विजेता हैं. झारखंड के रांची से ताल्लुक रखने वाली रूपा रानी तिर्की राज्य सरकार में जिला स्पोर्ट्स अफसर हैं. वे भारत के लिए 3 कौमनवैल्थ गेम्स में हिस्सा ले चुकी हैं. जनवरी महीने में उन की शादी को एक महीना ही हुआ था, जब उन्हें कैंप के लिए बुला लिया गया था. उन के पति रोड कंस्ट्रक्शन के काम में हैं. सुधीर लाठ कौमनवैल्थ गेम्स में पैरा पावरलिफ्टिंग की हैवीवेट कैटेगरी में गोल्ड मैडल जीत कर इतिहास रचने वाले सुधीर लाठ बचपन में ही महज 5 साल की उम्र में पोलियो का शिकार हो गए थे. कुछ साल तो ऐसे ही बीत गए, लेकिन बाद में उन्होंने खुद को फिट रखने के लिए पावरलिफ्टिंग शुरू की. इस खेल ने उन्हें हौसला दिया और धीरेधीरे यह खेल उन के लिए नई जिंदगी बन गया. सुधीर लाठ 4 भाइयों में एक हैं. उन के पिता सीआईएसएफ जवान राजबीर सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं.
भाइयों के साथ परिवार में मां व चाचा हैं. सुधीर लाठ अपना दमखम बनाए रखने के लिए रोजाना 5 लिटर दूध के साथ ही चने व बादाम खाते हैं. बजरंग पूनिया इस भारतीय पहलवान ने कौमनवैल्थ गेम्स के 65 किलोग्राम भारवर्ग में कनाडा के लचलान मैकनीला को हरा कर गोल्ड मैडल जीता. बजरंग पूनिया के पिता और भाई भी पहलवानी करते थे, लेकिन घर की माली हालत ठीक न होने के चलते केवल बजरंग को ही पहलवानी में आगे बढ़ाया गया, पर पिता के पास बेटे को घी खिलाने के पैसे नहीं होते थे. लिहाजा, बस का किराया बचा कर उन के पिता अब साइकिल से चलने लगे थे. जो पैसे बचते, उसे वे अपने बेटे की डाइट पर खर्च करते थे. साक्षी मलिक इस महिला पहलवान पर सब की नजरें टिकी थीं. खुद साक्षी मलिक के लिए भी यह फाइनल मुकाबला खुद को बेहतर साबित करने का एक बेहतरीन मौका था. ऐसा हुआ भी और साक्षी मलिक ने 62 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में कनाडा की एना गोडिनेज गोंजालेज को बाय फाल के जरीए 4-4 से मात दी. पहले 3 मिनटों में 4 अंकों से पिछड़ रही 29 साल की साक्षी मलिक ने अगले 3 मिनट की शुरुआत में ही टेकडाउन से 2 अंक लिए और फिर बेहतरीन दांव लगाते हुए कनाडाई खिलाड़ी को पिन कर गोल्ड मैडल जीत लिया.
बाद में साक्षी मलिक ने कहा, ‘‘इस कौमनवैल्थ गेम को मैं आखिरी सोच कर लड़ी थी. साथ ही, खुद को मोटिवेट करने के लिए अभ्यास करती थी और कभी भी नैगेटिव नहीं सोचती थी.’’ दीपक पूनिया भारत के इस दमदार पहलवान ने 86 किलोग्राम भारवर्ग में पाकिस्तान के मुहम्मद इनाम को हरा कर गोल्ड मैडल जीता. हरियाणा के झज्जर जिले के गांव छारा में एक सामान्य परिवार से आने वाले दीपक पूनिया अपने गांव में और आसपास स्थानीय कीचड़ कुश्ती को देखते हुए बड़े हुए. उन के पिता और दादा अपने समय के स्थानीय पहलवान थे, इसलिए दीपक को भी महज 4 साल की उम्र से ही अखाड़े में उतार दिया गया था.
दीपक पूनिया के पिता सुभाष एक साधारण किसान हैं. उन्होंने अपने बेटे को खेतीबारी के साथसाथ दूध बेच कर एक अव्वल दर्जे का पहलवान बनाया है. रवि कुमार दहिया भारत के इस स्टार पहलवान ने फ्रीस्टाइल 57 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में नाइजीरिया के एबिकेवेनिमो विल्सन को 10-0 से हरा कर गोल्ड मैडल अपने नाम किया. टोक्यो ओलिंपिक गेम्स में सिल्वर मैडल जीतने वाले पहलवान रवि कुमार दहिया के पिता राकेश दहिया के पास खुद की 4 बीघा जमीन है. साथ ही, वे 20 एकड़ जमीन पट्टे पर ले कर खेती करते हैं और परिवार का पालनपोषण करते हैं. खेतों में काम करने वाले राकेश दहिया रोजाना गांव नाहरी से तकरीबन 70 किलोमीटर दूर दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में बेटे के लिए दूधमक्खन ले कर जाते थे. वे रोजाना सुबह साढ़े 3 बजे उठ जाते थे और 5 किलोमीटर पैदल चल कर रेलवे स्टेशन पहुंचते थे. दिल्ली के आजादपुर स्टेशन पर उतर कर 2 किलोमीटर का रास्ता पैदल तय कर वे छत्रसाल स्टेडियम में पहुंचते थे.
विनेश फोगाट एक ऐसी महिला पहलवान, जिस ने लगातार 3 कौमनवैल्थ गेम्स में गोल्ड मैडल जीत कर नया इतिहास बनाया है. उन्होंने महिलाओं के 53 किलोग्राम भारवर्ग में फाइनल मुकाबले में श्रीलंका की चामोडया केशानी को 4-0 से हराया. 24 अगस्त, 1994 को जनमी विनेश फोगाट ‘द्रोणाचार्य अवार्ड’ विजेता महावीर फोगाट की भतीजी और इंटरनैशनल पहलवान गीता फोगाट व बबीता फोगाट की चचेरी बहन हैं. महावीर फोगाट के भाई राजपाल यानी विनेश फोगाट के पिता की एक हादसे में मौत हो गई थी. इस के बाद महावीर फोगाट ने ही अपनी बेटियों के साथ विनेश और उन की बहन प्रियंका को अपनाया और उन्हें पहलवानी की ट्रेनिंग दी.
चरखी दादरी जिले के गांव बलाली की रहने वाली विनेश फोगाट की मां प्रेमलता को बच्चेदानी का कैंसर था. उसी समय रोडवेज विभाग में चालक प्रेमलता के पति राजपाल फोगाट की मौत हो गई थी. इस सब के बावजूद प्रेमलता ने विनेश को इस मुकाम तक पहुंचाया और आज खुद भी कैंसर से जंग जीत कर उन का हौसला बढ़ा रही हैं. नवीन मलिक कौमनवैल्थ गेम्स में सोनीपत के गांव पुगथला के रहने वाले नवीन मलिक ने 74 किलोग्राम भारवर्ग में गोल्ड मैडल जीत कर इतिहास रचा है. 3 साल की उम्र से पहलवानी सीख रहे नवीन मलिक ने फिलहाल 12वीं जमात के एग्जाम दिए हैं. उन के पिता किसान हैं और खुद भी पहलवानी करते थे, इसलिए उन्होंने अपने दोनों बेटों को पहलवानी की राह पर आगे बढ़ाया. नवीन मलिक के पिता धर्मपाल रोजाना नवीन के लिए घर से दूध ले कर जाते थे.
गांव से गाड़ी से गन्नौर जाते और वहां से ट्रेन से और फिर पैदल 10 किलोमीटर चल कर नवीन के अखाड़े में पहुंचते थे. जब नवीन मलिक अभ्यास करते थे, तो उस समय आधुनिक उपकरण कम ही थे. ऐसे में अपनी कलाई को मजबूत करने के लिए उन्होंने सीमेंट को बालटी में भर दिया था, जिस के सूखने के बाद उस से देशी जुगाड़ तैयार किया था. भाविना हसमुखभाई पटेल इन्होंने पैरा टेबल टैनिस महिला वर्ग 3-5 इवैंट में गोल्ड मैडल जीत कर इतिहास रचा है. गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर इलाके के एक छोटे से गांव में 6 नवंबर, 1986 को भाविना का जन्म हुआ था. महज एक साल की उम्र में उन्हें पोलियो हो गया था. परिवार की माली हालत इतनी अच्छी नहीं थी कि उन का इलाज कराया जा सके. गरीबी और पोलियो से जूझने के बावजूद भाविना ने कभी हार नहीं मानी. इस के बाद उन्होंने शौक और मनोरंजन के लिए टेबल टैनिस खेलना शुरू कर दिया.
ह्वीलचेयर पर बैठ कर टेबल टैनिस खेलते हुए उन्होंने इस में कैरियर बनाने की सोची, जिस में वे कामयाब हुईं. नीतू गंघास 21 साल की नीतू गंघास हरियाणा के भिवानी इलाके की रहने वाली हैं. उन्होंने मिनिमम वेट 45-48 किलोग्राम भारवर्ग के फाइनल में वर्ल्ड चैंपियनशिप 2019 की ब्रौंज मैडल विजेता रेस्जटान डेमी जैड को हरा कर गोल्ड मैडल अपने नाम किया. युवा भारतीय मुक्केबाज नीतू गंघास ने इस गोल्ड मैडल को अपने पिता जय भगवान को समर्पित किया, जिन्होंने अपनी बेटी के सपने को पूरा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. हरियाणा सचिवालय के कर्मचारी जय भगवान 2 बार की विश्व युवा चैंपियन नीतू को ट्रेनिंग देने के लिए पिछले 3 साल से अवैतनिक अवकाश पर हैं. अमित पंघाल भारतीय मुक्केबाज अमित पंघाल ने 48-51 किलोग्राम भारवर्ग में इंगलैंड के कियारन मैकडोनाल्ड को 5-0 से हरा कर गोल्ड मैडल जीता. अमित पंघाल का जन्म हरियाणा के रोहतक के मायाना गांव में 16 अक्तूबर, 1995 को हुआ था. इन के पिता का नाम विजेंद्र सिंह है,
जो एक किसान हैं. इन के बड़े भाई का नाम अजय है, जो खुद भी बौक्सिंग करने का शौक रखते हैं और इन के भाई ने अमित को बौक्सिंग करने के लिए प्रेरित किया, जिस से इन्हें बचपन से ही मुक्केबाजी का माहौल मिला. एल्डोस पौल पुरुषों के ट्रिपल जंप में एल्डोस पौल ने इतिहास रच दिया और वे कौमनवैल्थ गेम्स के ट्रिपल जंप इवैंट में भारत के लिए गोल्ड मैडल जीतने वाले पहले एथलीट बन गए. उन्होंने 17.03 मीटर लंबी छलांग लगाई और गोल्ड मैडल पक्का कर लिया. 7 नवंबर, 1996 को केरल के एर्नाकुलम में जनमे एल्डोस पौल ने बहुत छोटी उम्र में मां को खो दिया था. इस के बाद उन की दादी मरियम्मा ने ही उन्हें संभाला था. एल्डोस पौल बचपन में एथलीट बनने का सपना बिलकुल नहीं देखते थे. हां,
उन की कदकाठी एथलीट बनने के लिए अच्छी थी और वे फिट भी थे, लेकिन कोटामंगलम के मशहूर एमए कालेज में एडमिशन लेने के बाद एल्डोस पौल ने एथलैटिक्स में हाथ आजमाया, क्योंकि यह कालेज अपने ट्रैक ऐंड फील्ड कल्चर के लिए काफी मशहूर है. निखत जरीन वर्ल्ड चैंपियन भारतीय मुक्केबाज निखत जरीन ने महिला 50 किलोग्राम भारवर्ग मैच में बेलफास्ट की कार्ली मेकनौल को 5-0 से मात देते हुए कौमनवैल्थ गेम्स का गोल्ड मैडल अपने नाम किया. निखत जरीन का जन्म 14 जून, 1996 को तेलंगाना के निजामाबाद में हुआ था. उन के पिता का नाम मोहम्मद जमील अहमद है, जो खाड़ी देशों में एक सेल्सपर्सन थे और निखत के कैरियर के चलते अपनी नौकरी छोड़ कर वापस निजामाबाद आ गए थे. निखत जरीन की मां का नाम परवीन सुलताना है. निखत की 4 बहनें हैं, जिन में से बड़ी बहन अंजुम मीनाजी और उन से छोटी बहन अफनान जरीन दोनों डाक्टर हैं,
जबकि छोटी बहन बैडमिंटन खेलती हैं. अचंत शरत कमल भारत के इस दिग्गज टेबल टैनिस खिलाड़ी ने बर्मिंघम कौमनवैल्थ गेम्स में पुरुष एकल, पुरुष टीम इवैंट और मिक्स्ड डबल्स में गोल्ड मैडल जीता. अचंत शरत कमल का जन्म 12 जुलाई, 1982 को चेन्नई, तमिलनाडु में हुआ. इन के पिता श्रीनिवास राव और चाचा मुरलीधर राव ने अपने शुरुआती दिनों में टेबल टैनिस खेला था और फिर उन्होंने कोचिंग में हाथ आजमाया. अचंत शरत कमल ने 4 साल की उम्र में यह खेल खेलना शुरू किया था और 15 साल की उम्र में उन्हें एक मुश्किल फैसला करना पड़ा. इस दौरान वे या तो अपनी पढ़ाई जारी रख सकते थे या खेल में अपना कैरियर बना सकते थे. अब या तो उन के पास इंजीनियर बनने का मौका था या एक खिलाड़ी. आखिर में उन्होंने टेबल टैनिस को चुना. श्रीजा अकुला अचंत शरत कमल के साथ इस कौमनवैल्थ गेम्स का मिक्स्ड डबल गोल्ड मैडल जीतने वाली श्रीजा अकुला का जन्म 31 जुलाई, 1998 को हैदराबाद में हुआ था. वे न केवल टेबल टैनिस में ही अच्छी हैं, बल्कि स्कूल की भी टौपर रह चुकी हैं. साल 2017 में उन्होंने 12वीं जमात के इम्तिहान में 96 फीसदी अंक हासिल किए थे और रिजल्ट आने के कुछ ही दिन बाद वे वर्ल्ड टूर इंडिया ओपन के अंडर-21 वर्ग के क्वार्टर फाइनल में पहुंच गई थीं.
श्रीजा अकुला ने हैदराबाद के बदरुका कालेज से ग्रेजुएशन किया है. वे पढ़ाई की इतनी शौकीन हैं कि खेल प्रतियोगिताओं के लिए देशदुनिया में भले ही कहीं भी जाएं, किताबें साथ ले जाती हैं. पीवी सिंधु शीर्ष भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने ब्रिटेन के बर्मिंघम में चल रहे कौमनवैल्थ गेम्स में कनाडा की मिशेल ली को हरा कर गोल्ड मैडल पर अपनी मुहर लगा दी थी. 5 जुलाई, 1995 को आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में पीवी सिंधु का जन्म हुआ था. उन के मातापिता पी. विजया और पीवी रमन्ना भी वौलीबाल के इंटरनैशनल खिलाड़ी रहे हैं. पीवी सिंधु बचपन के दिनों में रोजाना 56 किलोमीटर तक की दूरी अपने घर से कोचिंग कैंप आने तक के लिए तय करती थीं. वे रोजाना सुबह एकेडमी जाने के लिए 3 बजे उठती थीं, क्योंकि एकेडमी में सैशन साढ़े 4 बजे से शुरू होता था. वे वापस आते ही साढ़े 8 बजे स्कूल जाती थीं और वहां से आते ही फिर से एकेडमी के लिए जाना होता था. लक्ष्य सेन कौमनवैल्थ गेम्स 2022 के पुरुष सिंगल्स बैडमिंटन फाइनल में भारत के लक्ष्य सेन ने मलयेशिया के जे. योंग के खिलाफ शानदार प्रदर्शन करते हुए पहला गेम गंवाने के बावजूद आखिरी 2 सैट जीत कर मैच अपने नाम किया और अपने पहले कौमनवैल्थ गेम्स में गोल्ड मैडल जीत कर नया इतिहास रचा. उत्तराखंड के अल्मोड़ा में जनमे लक्ष्य सेन को बैडमिंटन विरासत में मिला है. उन के दादा सीएल सेन को अल्मोड़ा में ‘बैडमिंटन का भीष्म पितामह’ कहा जाता है.
लक्ष्य के पिता डीके सेन नैशनल लैवल पर बैडमिंटन खेल चुके हैं और कोच भी हैं. लक्ष्य सेन के बड़े भाई चिराग सेन भी बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. पिता डीके सेन ने अपने दोनों बेटों को बेहतर बैडमिंटन खिलाड़ी बनाने के लिए अल्मोड़ा तक छोड़ दिया था और उन्हें ले कर बैंगलुरु चले गए थे. सात्विक साईंराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी बर्मिंघम कौमनवैल्थ गेम्स में बैडमिंटन में पुरुष युगल में सात्विक साईंराज रंकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने गोल्ड मैडल अपने नाम किया. देश को पहली बार पुरुष डबल्स में गोल्ड मैडल मिला है. इस जोड़ी ने इंगलैंड के बेन लेन और सीन वेंडी की जोड़ी को हराया था. सात्विक साईंराज रंकीरेड्डी ने अपने पिता विश्वनाथम रंकीरेड्डी से प्रेरणा लेते हुए 6 साल की उम्र में बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था. उन के पिता भी स्टेट लैवल के बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुके हैं और उन के भाई रामचरण रंकीरेड्डी भी एक पेशेवर बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. सात्विक साईंराज रंकीरेड्डी ने एक इंटरव्यू में बताया था, ‘‘शुरुआत के समय में अकादमी की फीस ज्यादा थी और प्रायोजकों के बिना अपने दम पर टूर्नामैंट खेलना मेरे मातापिता के लिए एक मुश्किल समय था, लेकिन उन्होंने किसी तरह से इस तरह के मुद्दों के बारे में मुझे कभी नहीं बताया. ‘‘जब मैं ने भारत में टूर्नामैंट जीतना शुरू किया, तो वे खुद अंदर ही अंदर चुप रहे और मेरे लिए संघर्ष करते रहे, फिर अकादमी ने मुझ से आधी फीस देने को कहा…’
’ चिराग चंद्रशेखर शेट्टी का जन्म 4 जुलाई, 1997 को मुंबई में हुआ था. चिराग के पिता का नाम चंद्रशेखर शेट्टी और मां का नाम सुजाता शेट्टी है. चिराग की बहन आर्या शेट्टी भी एक बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. चिराग शेट्टी ने कम उम्र में ही बैडमिंटन खेलना शुरू किया था और अपने स्कूल में पढ़ाई के दौरान वे वहां के बैडमिंटन चैंपियन भी बने. चिराग शेट्टी के कैरियर की शुरुआत उदय पवार एकेडमी से हुई थी. उस के बाद अपने खेल को बेहतर बनाने के लिए वे गोपीचंद एकेडमी में एडमिशन लेने हैदराबाद चले गए थे.
पुलिस अधिकारियों को अब तक की जांचपड़ताल में मुसकान के दूसरे पति सोनू कश्यप का मोबाइल नंबर मिल गया था. अत: उन्होंने मुसकान की मौत की सूचना सोनू को दे दी थी और जल्द से जल्द सफीपुर आने को कह दिया था.
दोपहर बाद सोनू कश्यप मथुरा से सफीपुर आ गया. पुलिस कप्तान दिनेश त्रिपाठी तथा डीएसपी अंजनी कुमार राय ने उस से पूछताछ की. सोनू ने बताया कि मुसकान उस की पत्नी थी. 3 साल पहले उस ने मुसकान से कोर्ट मैरिज की थी. वह मथुरा में घर बनवा रहा है. इसलिए मुसकान के साथ कम ही रह पाता था. 8 दिन पहले ही वह सफीपुर आया था.
‘‘तुम्हारी पत्नी मुसकान की हत्या किस ने की?’’ एसपी दिनेश त्रिपाठी ने सीधे पूछा.
‘‘साहब, मुसकान की हत्या उस की चेलियों सलोनी, रूबी और अन्नू ने की है.’’ सोनू ने आरोप लगाया.
सोनू कश्यप ने पुलिस अधिकारियों को एक और चौंकाने वाली बात बताई. उस ने बताया, ‘‘साहब, मुसकान ने 2 शादियां की थीं. पहली शादी उस ने फतेहपुर निवासी वसीम के साथ की थी. वसीम अपराधी प्रवृत्ति का है. मुसकान की उस से नहीं पटी. वह मुसकान से नेग के पैसे व गहने छीन लेता था. मारपीट भी करता था. इसलिए 3 साल में ही उन का रिश्ता खत्म हो गया और वह अलग रहने लगी.
‘‘इस के बाद उस ने मुझ से शादी कर ली थी. दूसरी शादी करने से वसीम मुसकान से खफा हो गया था. वह उसे जान से मारने की धमकियां भी देने लगा था. वसीम पर भी उसे शक है. लेकिन वह मुकदमा अन्नू व उस के साथियों के खिलाफ दर्ज कराएगा. क्योंकि उन पर उसे ज्यादा शक है.’’पूछताछ के बाद पुलिस ने मुसकान के शव को पोस्टमार्टम के लिए उन्नाव के जिला अस्पताल भेज दिया. फिर थानाप्रभारी अवनीश कुमार सिंह ने अधिकारियों के आदेश पर सोनू कश्यप की तरफ से भादंवि की धारा 302, 394 के तहत सलोनी, रूबी व अन्नू के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली. तथा उन की तलाश में उन के मोबाइल फोन सर्विलांस पर लगा दिए. लेकिन उन तीनों के फोन बंद थे. जिस से उन की लोकेशन पता नहीं चल पा रही थी.
मुसकान के हत्यारों को पकड़ने के लिए एसपी दिनेश त्रिपाठी ने स्वाट, सर्विलांस व कोतवाली पुलिस की 3 टीमें गठित कीं. इस में इंसपेक्टर अवनीश कुमार सिंह, एसआई सुशील कुमार, सौरभ, ओम नारायण, राजकुमार भाटी, स्वाट प्रभारी प्रदीप कुमार, राजेश, रोहित, रवि, सुनील, अंकित बैसला, जब्बार तथा राधेश्याम को शामिल किया गया.गठित टीमों को मथुरा, झांसी तथा मुरादाबाद के लिए अलगअलग रवाना किया गया. एक अन्य टीम को वसीम की टोह में फतेहपुर भेजा गया.किन्नर समाज हो गया एकजुट.
मुसकान की हत्या की खबर जब अखबारों में छपी तो किन्नर समुदाय में गुस्से की लहर दौड़ गई. उन्नाव, बांगरमऊ, फतेहपुर, कानपुर तथा लखनऊ के किन्नर सफीपुर कोतवाली पहुंच गए. इन की अगुवाई के लिए कानपुर की पूर्व पार्षद काजल किरन, उन्नाव की कोमल तथा किन्नर समाज की प्रदेश अध्यक्ष सईदा हाजी भी कोतवाली पहुंच गईं.किन्नरों ने कोतवाली में जम कर हंगामा किया और मुसकान के हत्यारों को जल्द गिरफ्तार करने की मांग की. किन्नरों के प्रदर्शन से कोतवाली में अफरातफरी मच गई. उन्हें समझाने में पुलिस के अधिकारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी.
डा. विमल कुमार तथा डा. उमेंद्र कुमार के पैनल ने मुसकान के शव का पोस्टमार्टम किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार मुसकान की मौत गोली लगने से हुई थी.मुसकान दिखने में तो खूबसूरत लड़की लगती थी, लेकिन पोस्टमार्टम में डाक्टरों ने एक और चौंकाने वाला खुलासा किया. डाक्टरों को उस के शरीर में यूटरस (गर्भाशय) नहीं मिला. यानी वह गर्भधारण नहीं कर सकती थी. इस का मतलब मुसकान पुरुष किन्नर थी. उस ने प्लास्टिक सर्जरी के जरिए लिंग परिवर्तन कराया था और महिला का रूप धारण किया था.
पोस्टमार्टम के बाद मुसकान का शव लेने के लिए पोस्टमार्टम हाउस के बाहर किन्नरों में आपसी खींचतान व हंगामा शुरू हो गया. कानपुर की पार्षद किन्नर काजल किरन, उन्नाव की किन्नर कोमल तथा बांगरमऊ की किन्नर प्रदेश अध्यक्ष सईदा हाजी में शव लेने की होड़ लग गई.
तीनों ही किन्नर समुदाय के रीतिरिवाजों के अनुसार शव को दफनाना चाहती थी. तीनों की लड़ाई से पुलिस के हाथ पांवफूल गए. उन्हें समझाने के लिए किन्नर समुदाय के गुरुओं को बुलाया गया. उन के समझाने पर उलझ रहे किन्नर मान गए. इस के बाद मुसकान के शव को भारी पुलिस फोर्स के साथ शुक्लागंज के चंदन घाट पर ले जा कर दफन कर दिया गया.
इधर आरोपियों की तलाश में गईं 3 टीमों में से 2 टीमें झांसी और मुरादाबाद से खाली हाथ लौट आईं. लेकिन मथुरा गई टीम को सफलता मिल गई. टीम ने मथुरा के थाना शिवनगर के नरौली निवासी संदीप राजपूत उर्फ सलोनी किन्नर को उस के घर से 2 अगस्त, 2022 की रात को दबोच लिया. उसे गिरफ्तार कर थाना सफीपुर लाया गया.
लखनऊ , मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करते हुए शैक्षिक गुणवत्ता सुधार के सम्बंध में विविध दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नर्सिंग और पैरामेडिकल स्टाफ स्वास्थ्य एवं चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ हैं. कोरोना काल में हम सभी ने इनके व्यापक महत्व को देखा-समझा है। इस क्षेत्र में बेहतर कॅरियर की अपार संभावनाएं हैं.भविष्य की जरूरतों के दृष्टिगत नर्सिंग एवं पैरामेडिकल प्रशिक्षण में व्यापक परिवर्तन की आवश्यकता है. ऐसे में इस महत्वपूर्ण कार्य को अभियान के रूप में लेते हुए “मिशन निरामयाः’ के शुभारंभ किया गया है.
नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों को मान्यता दिए जाने से पहले निर्धारित मानकों का कड़ाई से अनुपालन किया जाना सुनिश्चित करें. मान्यता तभी दी जाए, जब शिक्षक पर्याप्त हों, संस्थान में मानक के अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चर हो. अधोमानक संस्थानों को कतई मान्यता न दी जाए. प्रदेश के सभी नर्सिंग/पैरामेडिकल संस्थानों में सेवारत शिक्षकों का आधार सत्यापन करते हुए इनका विवरण पोर्टल भी उपलब्ध कराया जाए.
संस्थानों में दाखिला परीक्षा की शुचिता पर विशेष ध्यान दें। ऐसी व्यवस्था हो कि परीक्षाओं में कक्ष निरीक्षक दूसरे संस्थान से हों. परीक्षाओं की सीसीटीवी से निगरानी भी की जानी चाहिए. इस दिशा में बेहतर कार्ययोजना के साथ काम किया जाए.
प्रदेश के कई संस्थान अच्छा कार्य कर रहे हैं, इनमें निजी क्षेत्र के संस्थान भी शामिल हैं। इन बेस्ट प्रैक्टिसेज को अन्य संस्थानों में भी लागू किया जाना चाहिए,इसके लिए मेंटॉर-मेंटी मॉडल को अपनाया जाना चाहिए,
बेहतर प्रशिक्षण के साथ-साथ हमें बेहतर सेवायोजन के लिए भी सुनियोजित प्रयास करना होगा, इसके लिए निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठित हॉस्पिटल से संवाद कर नीति तय की जाए. नर्सिंग का प्रशिक्षण ले रहे युवाओं के लिए प्रैक्टिकल नॉलेज बहुत आवश्यक है.
नर्सिंग और पैरामेडिकल सेक्टर में कॅरियर की बेहतर संभावनाओं के बारे में अधिकाधिक युवाओं को जागरूक किया जाने की जरूरत है. इसके लिए माध्यमिक विद्यालयों का सहयोग लिया जाना बेहतर होगा. चिकित्सा शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा विभाग इस संबंध में परस्पर समन्वय के साथ कार्य करें.
टीवी स्टार पारस कलनावत फिलहाल झलक दिखला जा में नजर आ रहे हैं, पारस ने झलक दिखला जा 10 के लिए अनपमा जैसे हिट सीरियल को लात मार दिया है, जैसे ही वह झलक दिखलाजा में एंट्री मारी है तबसे लगातार सुर्खियों में छाए हुए हैं.
वह लगातार अपनी प्रोफेसनल और पर्सनल लाइफ को लेकर चर्चा में बने रहते हैं, पारस ने ये भी बताया वह आजतक किस वजह से सिंगल है. वह झलक दिखलाजा 10 को जीतने के लिए लगातार मेहनत कर रहे हैं.
उन्हें जमकर डांस प्रैक्टिस करते देखा जा रहा है, हालांकि वह अपने फैंस के साथ भी जुड़े हुए हैं, लगातार उन्हें लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं. वह अपने फैंस का जवाब भी देते नजर आ रहे हैं.
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पारस कलनावत से जब पूछा गया कि आखिर अभी तक आप सिंगल क्यों है तो उन्होंने कहा कि उन्होंने कहा कि मैं कैजुअल रिलेशनशिप पर भरोसा नहीं करता हूं, मैं किसी ऐसे इंसान की तलाश कर रहा हूं कि जिसके साथ मैं पूरी जिंदगी बिताना चाहता हूं.
उन्होंने कहा कि मेरी एक्स भी मुझे बहुत प्यार करती थी, हालांकि ब्रेकअप के बाद से उसने मुझे मिस ट्रीट किया था, आखिरकर मुझे हार मारनी पड़ी थी. गौरतलब है कि इस शो का हिस्सा बनने से पहले वह उर्फी जावेद को डेट कर रहे थें.
भोजपुरी सिनेमा की टॉप एक्ट्रेस अक्षरा सिंह इन दिनों लगातार सुर्खियों में बनी हुई हैं, फैंस अक्षरा सिंह की खूबसूरती की तारीफ कर रहे हैं. अक्षरा सिंह सिर्फ एक क्षेत्र में नहीं बल्कि हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुकी हैं.
वह सोशल मीडिया पर लगातार अपने फैंस के साथ जुड़ी रहती हैं, वह लगातार अपने फैंस को रिप्लाई भी देती रहती हैं, वह आएं दिन अपने फैंस के साथ कोई न कोई तस्वीर शेयर करती रहती हैं, जिससे वह सोशल मीडिया पर लगातार चर्चा में बनी रहती हैं.
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दरअसल, कुछ दिनों पहले एक एमएमएस वायरल हुआ है जिससे वह खूब चर्चा में बनी हुई हैं, दरअसल वायरल हो रहे वीडियो में लड़की अक्षरा सिंह जैसी नजर आ रही है. अक्षरा सिंह ने इस वीडियो को देखने के बाद कहा कि वह जानती हैं कि इस हरकत को किसने किया है लेकिन वह कुछ करना नहीं चाहती है.
लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है, अक्षरा सिंह के फैंस लगातार इस वीडियो का समर्थन करते दिख रहे हैं, अक्षरा ने साफ कह दिया है कि मुझे इन सभी बातों से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है. मेरे पास काम करने के लिए बहुत कुछ है. इस बार अक्षरा एमएमएस लीक होने के बाद सुर्खियों में आईं हैं.
डेटिंग पर जाना जिंदगी का एक खूबसूरत पल होता है कुछ लोग इस पल को यादगार बनाते हैं तो कुछ लोग एकदम से नर्वस हो जाते हैं. तो आज हम आपको सरस सलिल के टॉप 10 डेटिंग टिप्स के बारे में बताएंगे.
सब से पहले जगह चुनें कि कहां मिलना उपयुक्त होगा. ऐसी जगह चुनें जो बहुत न सही थोड़ी तो रोमांटिक हो और एकदम सुनसान या फिर ज्यादा भीड़भाड़ वाली न हो. शहर के बाहर की तरफ के पार्क, रैस्टोरैंट या फिर रिजौर्ट इस के लिए बेहतर होते हैं. लेकिन देख लें कि वह आप के बजट के मुताबिक हो.
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2. Dating Tips: क्यों जरूरी है डेटिंग
ऐसे में अगर आप अपनी डेट को यादगार बनाना चाहती हैं, तो जानिए कुछ खास बातें जो न सिर्फ आप के प्यार को परवान चढ़ाएंगी वरन चंद मुलाकातों में ही नजदीकियां भी बढ़ जाएंगी.
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3. जब आपका प्रेमी सहेली के साथ पकड़ा जाए
वह सहेली चाहे बरसों से आप की कितनी भी अच्छी दोस्त क्यों न रही हो, लेकिन अब आप के साथ उस ने जो किया उस के बाद आप की जिंदगी में उस की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. ऐसी दोस्त बनाने से अच्छा है आप अकेली ही रह लें.
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4.परखिए अपने हमसफर का अपनापन
एक शख्स, जिस की खातिर मन जमाने से बगावत करने पर उतर आता है. हर आहट में उसी का खयाल आने लगता है. उसे पाने की हसरत जिंदगी का मकसद बन जाती है, बस, यही है मुहब्बत. आप का किसी को पूरी शिद्दत से चाहना ही काफी नहीं होता, जरूरी है कि वह भी आप के खयालों में गुम हो.
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5. 50+पुरुष डेटिंग के वक्त फिर से घर बसाने की नहीं सोचता!
महिला 50 साल बाद भी यदि अपनी जिंदगी को नए सिरे से शुरुआत करती हैं तो वह कोशिश करती है कि किसी के साथ सेटेल हो. जबकि 50+का पुरुष मौज मस्ती और जिंदगी जीने पर यकीन रखता है. इसमें कोई दो राय नहीं है कि 25 वर्षीय युवा और 50 वर्षीय अधेड़ पुरुषों की सोच में अच्छा खासा पफर्क होता है.
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6. लव बाइट को गायब करने के असरदार नुस्खे
इरफान खान भले ही इस दुनिया से चले गए, लेकिन आज भी सभी उनकी बातें याद कर रहे हैं. इरफान अपने बच्चों के काफी क्लोज थे और वह उनके साथ काफी फ्रैंक थे. अब इरफान का एक इंटरव्यू वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने अपने बच्चों को लेकर बात की थी.
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7. डेटिंग ऐप्स में सेक्स तलाशते युवा
एक सच्चा दोस्त और प्यार किसी डेटिंग ऐप्स में इतनी आसानी से मिल जाए, यह जरूरी नहीं. हालांकि, कई बार अजनबी भी हमारे अपनों से ज्यादा मददगार साबित होते हैं. फेसबुक ने भी हाल ही में ऐलान किया है कि वह जल्द ही अपनी डेटिंग सर्विस शुरू करेगा. आज युवा इन ऐप्स के जरिए प्यार और सेक्स की चाहत पूरी करना चाहते हैं. लेकिन प्यार की तलाश आसान नहीं है.
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8.होने वाले पति के साथ डेटिंग पर जरूर जाएं
अमूमन युवतियां वुडबी से डेटिंग कर उस के व उस के स्वभाव के बारे में ही पूछती हैं जबकि आप को विवाह के बाद परिवार में भी रहना है इसलिए वुडबी से उस के परिवार के बारे में जानें. मातापिता का स्वभाव, खानपान, आदतें, पसंदनापसंद आप को पता होनी चाहिए. यह भी देखें कि परिवार धार्मिक कर्मकांडों को मानने वाला व दकियानूस तो नहीं है.
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9. समझें प्रेमी के इशारे ताकि न मिले धोखा
कालेज में नजर पड़ने पर भी जब वह आप को इग्नोर करे और खाली पीरियड में आप के साथ टाइम स्पैंड करने के बजाय अपने दोस्तों के साथ हंसीमजाक में व्यस्त रहने लगे. आप के बारबार पास आने पर चिपकू कहे, तो समझ लीजिए अब बात आप की सैल्फ रिस्पैक्ट पर आ गई है.
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10. क्या करें जब बहकने लगें उन की निगाहें
जब तक वे दोनों होटल के कमरे में रहते, तब तक तो सब ठीक रहता. पर जब भी वे कहीं घूमने जाते, तो नीता हमेशा पाती कि उस से बातें करते समय राजेश का ध्यान आसपास घूमती अन्य स्त्रियों पर चला जाता है. नईनवेली होने के कारण वह राजेश से कुछ न कह पाई.
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अमूमन जब हम किसी से प्यार करते हैं तो बदले में उस व्यक्ति से भी प्यार पाना चाहते हैं, तब भी जब उसे हममे कोई भी रूचि नहीं होती. वैज्ञानिकों ने हाल में किये कुछ शोधों के आधार पर पांच तरह के एकतरफा प्यार का खुलासा किया है और बताया है कि यह सच्चे प्यार से किस तरह अलग होता है.
आप और आपकी दोस्त एक दूसरे को तीन सालों से जानते हैं. आप अपनी दोस्त के प्रति इतने ज्यादा आकर्षित हैं कि आपके दोस्त उसे आपकी गर्लफ्रेंड ही मानने लगे हैं. काश यह सच होता. आप पूरी तरह उसके प्यार में हैं और आप हर वक्त उसी के बारे में सोचते रहते हैं. लेकिन आपको यह अच्छे से पता है कि वो आपसे प्यार नहीं करती है क्योंकि जब भी कोई उससे आपके बारे में पूछता है तो वह बताती है कि आप दोनों महज दोस्त हैं. इसका मतलब यह है कि आप एकतरफा प्यार में हैं.
जब आपको मालूम है कि उसको आपमें कोई दिलचस्पी नहीं है, तो आपको क्यों लगता है कि एक दिन उसका दिल पसीज जाएगा. आप उस व्यक्ति के साथ एक ऐसे एकतरफा प्यार में हैं जिसके लिए सिर्फ आपके दिल में रोमांटिक ख्याल आ रहे हैं लेकिन वह आपकी तरह कुछ भी महसूस नहीं कर रही है. दुःख की बात यह है कि एकतरफा प्यार के किस्से काफी आम हैं.
ऐसी स्थिति में क्या एकतरफा प्यार में भी वैसा महसूस करने की संभावना है जैसा कि लोग दोतरफा प्यार में महसूस करते हैं.
इसका जवाब ढूंढने के लिए अमेरिकी शोधकर्ताओं ने पांच तरह के एकतरफा प्यार पर अध्ययन किया. उन्होंने पता लगाया कि जिस व्यक्ति को आप प्यार करते हैं और उसे हासिल करना चाहते हैं, वह आपको किस तरह प्रभावित करता है और आप एक दूसरे के जीवन में क्या महत्व रखते हैं. अपने शोध के आधार पर उन्होंने पांच तरह के एकतरफा प्यार का जिक्र किया है. आइये उनके बारे में जानते हैं:
सेलेब्रिटी या हीरो से प्यार
आपको किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार है जिसे आप व्यक्तिगत रूप से नहीं जानते हैं ना ही कभी जानने की संभावना है, जैसे फिल्म स्टार, रौकस्टार या एथलीट. किशोरावस्था में कई लड़के फिल्म अभिनेत्रियों के प्रति ऐसा प्यार महसूस करते हैं उन्हें लगता है कि उनसे ज्यादा इस हीरोइन को प्यार करने वाला दूसरा कोई नहीं.
बहुत करीब फिर भी बहुत दूर
किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति प्यार जिसे आप अच्छी तरह जानते हैं लेकिन किसी वजह से आप उससे अपने मन की बात नहीं कह पाते हैं. ऐसा कई लड़के लड़कियों के साथ होता है कि उन्हें अपने क्लासरूम या औफिस में कोई पसंद होता है, लेकिन वे किसी डर या किसी अन्य वजह से उससे कुछ कह नहीं पाते. यह भी एकतरफा प्यार का एक टाइप है.
प्यार पाने की पूरी कोशिश करना
एक ऐसा रिश्ता जिसमें आप किसी व्यक्ति को बहुत प्यार करते हैं, लेकिन बदले में आपको उस व्यक्ति का प्यार हासिल नहीं हो पाता है.
पुराना प्रेम संबंध
कोई ऐसा प्रेम संबंध जो किसी कारणवश खत्म हो चुका हो, लेकिन आपके दिल में अभी भी उसके प्रति प्यार बना हो लेकिन अब उसके पास लौटने की कोई गुंजाइश न हो.
बेदर्द प्यार
आप अपने की तुलना में उससे ज़्यादा प्यार करते हैं और उसके प्रति ज़्यादा वफ़ादार हैं. ऐसे रिश्तों में ताजगी बनाए रखने के लिए आप अपने पार्टनर से ज्यादा प्रयत्न करते हैं.
शोधकर्ताओं ने तीन सौ हाईस्कूल और विश्वविद्यालय के छात्रों पर अध्ययन किया और पिछले दो वर्षों में उनके एकतरफा प्यार के अनुभवों के बारे में पूछा. शोधकर्ताओं ने यह भी जानने का प्रयत्न किया कि भावनात्मक रूप से एक से सात तक के पैमाने उनकी भावनाएं कितनी चरम पर थीं.
शोधकर्ताओं ने 450 छात्रों पर दूसरा अध्ययन किया और उनसे पूछा कि एकतरफा प्यार में जूनून और वफादारी के अलावा अन्य सकारात्मक पहलू क्या होते हैं.
शोधकर्ताओं ने पाया कि छात्रों को दोतरफा प्यार की तुलना में एकतरफ़ा प्यार चार गुना अधिक होता है. करीब नब्बे प्रतिशत लोग उनके लिए रोए थे जो पिछले दो सालों में अपने प्यार को किसी मुकाम पर नहीं पहुंचा पाए.
शोध में पाया गया कि किसी ऐसे व्यक्ति के प्रति गहरा आकर्षण जिसे आप जानते हैं लेकिन उससे अपने दिल की बात कह नहीं सकते, एकतरफा प्यार में होने वाली सबसे आम घटना है. दो प्यार करने वालों के बीच एक दूसरे के प्रति बराबर प्यार ना होना भी आम पाया गया.
स्टडी में पाया गया कि हर तरह के एकतरफा प्यार में दोतरफा प्यार की अपेक्षा कम गहराई होती है. दो लोगों के बीच प्रेम संबंध जूनून, अंतरंगता और एक दूसरे का ख्याल रखने से ही प्रगाढ़ होता है.
लेकिन जिस व्यक्ति को आप प्यार करते हैं उसके प्रति आपकी भावनाएं कितनी गहरी हैं यह इस पर निर्भर करता है कि आप किस तरह के एकतरफा प्यार में हैं. किसी फिल्म स्टार के प्रति गहरे आकर्षण की तुलना आपकी पुराने गर्लफ्रेंड से नहीं की जा सकती है जिसके साथ आप फिर से जुड़ना चाहते हैं.
रिसर्च ने इस सिद्धांत को खारिज कर दिया है कि एकतरफा प्यार किसी भी तरह दोतरफा प्यार के कुछ सकारात्मक पहलुओं को प्रदान करता है, जैसे उस व्यक्ति के लिए पागलपन, उससे अंतरंगता और शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा और रिश्ते में बिना किसी उतार चढ़ाव के उसके साथ रहने की इच्छा. एकतरफा प्यार असुविधाजनक और निश्चित रूप से असंतुष्ट स्थिति है.
एक समय ऐसा आता है जब हम किसी व्यक्ति के साथ रोमांस करने को तरसते हैं लेकिन हम जिससे प्यार करते हैं उसे हममें कोई दिलचस्पी ही नहीं होती है. यह जानते हुए भी हम उसकी सभी बातें आसानी से बर्दाश्त कर लेते हैं.
प्यार का एहसास होना अच्छा है
आप किसी ऐसे व्यक्ति से प्यार करते हैं जिसे आपमें रूचि नहीं है लेकिन आप उससे वह प्यार हासिल करना चाहते हैं जो दोस्ती के रिश्ते में आप कभी नहीं पा सकते हैं. उदाहरण के लिए एकतरफा प्यार और वास्तविक प्यार दोनों में किसी के लिए पागल होना आम बात है. किसी के साथ रिश्ता जुड़ने का ख्याल और उसका होने का सपना देखना भावनात्मक रूप से अच्छा है बजाय इसके कि कोई ख्याल ही ना आए.
खुद को जानने का मौका
एकतरफा प्यार आपके जीवन का एक ऐसा अनुभव है जो एक समय में गलत साबित जरूर हो सकता है लेकिन इससे आपको यह जानने में सहायता मिलती है कि आप कैसे हैं और आपको किस तरह के पार्टनर की जरूरत है.
जीत इसी में है
अंत में, शोधकर्ताओं का कहना है कि एकतरफ़ा प्यार देरी से मिलने वाले किसी मुनाफ़े जैसा है. हालांकि यह थोड़ी देर के लिए बेचैन कर देता है लेकिन भविष्य में रिश्ते जुड़ने की संभावना भी इसी से बनती है.
15अगस्त, 2022 देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन था, क्योंकि सारा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा था. इस दिन लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री द्वारा देश को संबोधित करने की परंपरा रही है. ऐसे में सारे देश की निगाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर टिकी हुई थी. मगर जैसा कि होता रहा है नरेंद्र मोदी एक बार फिर चूक गए.
अमृत महोत्सव के इस ऐतिहासिक मौके पर देश को एक नई दिशा देने का समय था. एक ऐसा संबोधन, जो देश की जनता में एक ऊर्जा, एक असर पैदा कर देता, मगर प्रधानमंत्री ने इस खास मौके पर जो कुछ कहा वह विवादित हो गया. क्योंकि यह समय परिवारवाद और भ्रष्टाचार जैसे मसले पर चर्चा करने का कतई नहीं कहा जा सकता. स्वतंत्रता दिवस मौका था, दुनिया के सामने भारत की उन उपलब्धियों को सामने रखने का, जिसे देश ने पाया है. आज मौका था देश की जनता को देश के लिए एक बार फिर समर्पित कर दिखाने का. सच तो यह है कि हमारे बाद जो देश आजाद हुए, वह आज हम से काफी आगे निकल गए हैं.
भारत में इतनी जनसंख्या और इतने संसाधन हैं कि वह सचमुच दुनिया का नेतृत्व कर सकता है, मगर इस दिशा में भाषण सिफर रहा और संसद में या किसी सामान्य रूप से देश को संबोधित करने कर मौके जैसा भाषण दे कर नरेंद्र मोदी ने इस से देश को निराश किया. सब से अहम मसला जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रखा, वह था परिवारवाद और भ्रष्टाचार. यकीनन, यह एक बड़ी समस्या है, मगर समस्या को बता देना ही पर्याप्त नहीं होता. महानता और मनुष्यता तो इसी में है कि अगर हमें यह पता है कि समाज में यह खामियां हैं, तो सब से पहले हम अपनेआप को ठीक करें,
अपने आसपास को ठीक करें. ऐसे में नरेंद्र मोदी के पास आज यह मौका था कि वे अपनी भारतीय जनता पार्टी और केंद्र सरकार को इस के लिए प्रतिबद्ध करते. मगर बड़े ही खेद की बात है कि नरेंद्र मोदी जो कहते हैं, वह दूसरों के लिए बड़ीबड़ी बातें कहते हैं, ज्ञान की ऐसी बातें कि लोग तालियां बजाएं. मगर खुद पर कभी लागू नहीं करते. ऐसे में उस का असर खत्म हो जाता है. परिवारवाद और भ्रष्टाचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं जब परिवारवाद की बात करता हूं, तो लोगों को लगता है कि सिर्फ राजनीति की बात करता हूं. लेकिन ऐसा नहीं है, मैं जब परिवारवाद की बात करता हूं, तो यह सभी क्षेत्रों की बात होती है. मगर सच तो यह है कि भारतीय जनता पार्टी आज देश की सब से बड़ी पार्टी है, दुनिया की सब से बड़ी पार्टी है, जो वह गर्व के साथ कहती है,
तो यह भी सच है कि वह परिवारवाद का एक बड़ा कटोरा भी है. यही नहीं, दूसरी पार्टी के बड़े नेताओं को भाजपा में प्रवेश दिया गया और उन्हें बड़ी रेवडि़यों से नवाजा गया. यह भी तो आखिर राजनीतिक भ्रष्टाचार और परिवारवाद का नमूना कहा जा सकता है, फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निगाह इस ओर क्यों नहीं जाती? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि 25 साल का एक समय तय कर के इन समस्याओं को दूर किया जाए. यह सब से बड़ी खोखली बात है. 25 साल किस ने देखे हैं? आप आज ही से अपनेआप में बदलाव क्यों नहीं करते? अपनी पार्टी में बदलाव क्यों नहीं करते? अपने आसपास बदलाव क्यों नहीं करते? दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी,
आप को 5 साल के लिए देश की जनता चुनती है और आप बड़ी ही चतुराई के साथ 25 साल और समय मांगने का खेल खेलते हैं. क्या आप यह समझते हैं कि आप को 25 साल तक यह देश प्रधानमंत्री पद पर निर्वाचित करता रहे? आप अपने इस समय काल की भीतर की योजना बनाएं और उसे देश को जागृत कर के दिखाएं, वरना बाकी सब बातें तो लफ्फाजी ही हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहले खेलों में भी भाईभतीजावाद चलता था, पर आज नहीं है. हमारे खिलाड़ी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. परिवारवाद से केवल परिवार का फायदा होता है, देश का नहीं. भाईभतीजावाद को ले कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह हर संस्था में देखने को मिलता है. ऐसा कई संस्थाओं में है, जिस के कारण नुकसान उठाना पड़ता है. यह भी भ्रष्टाचार का कारण बन जाता है.
इस परिवारवाद और भाईभतीजावाद से हमें बचना होगा. राजनीति में भी परिवारवाद देखने को मिलता है. परिवारवाद से केवल परिवार का फायदा होता है, देश का नहीं. उन्होंने भ्रष्टाचार और भाईभतीजावाद का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इन दोनों चीजों से हमें बचना चाहिए. भ्रष्टाचार से हर हाल में लड़ना होगा. पिछली सरकारों में बैंकों को लूट कर जो भाग गए, उन्हें पकड़ने का काम जारी है. बैंकों को लूटने वालों की संपत्तियां जब्त की जा रही हैं. जिन्होंने देश को लूटा, उन्हें वह लौटाना होगा. सौ टके की बात यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह चाहते हैं कि 2024 में भी देश की जनता उन्हें भारी वोट दे कर प्रधानमंत्री बनाए, इसीलिए आप के भाषणों में आमतौर पर भविष्य के लिए बातें कही जाती हैं. ‘वर्तमान’ और ‘आज की बात’ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिक्शनरी में नहीं हैं. वे हमेशा ही कहते हैं कि ऐसा करना है, ऐसा हो गया, ऐसा हो रहा है. मगर यह नहीं कहते कि देश में उन की सरकार यह करेगी या कर रही है.