Bhojpuri एक्ट्रेस अक्षरा सिंह का हॉट साड़ी लुक हुआ वायरल, नए गाने की भी कर रही हैं तैयारी

भोजपुरी इंडस्ट्री की मशहूर अदाकार अक्षरा सिंह (Akshara Singh) का जलवा पर्दे से लेकर सोशल मीडिया पर छाया रहता है. उनका यह जलवा लॉकडाउन के बीच भी खूब देखने को मिल रहा है. तभी तो जब अक्षरा ने साड़ी वाली एक तस्वीर सोशल मीडिया में शेयर की, उनके फैंस की निगाहें थम गई. अक्षरा ने साड़ी वाले लुक की कई तस्वीरें शेयर की हैं, जिनमें वह बेहद हसीन दिखाई दे रही हैं.

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इतना ही नही जब पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में हैं और भारत में लॉकडाउन की वजह से सब कुछ बंद है. सिनेमा इंडस्ट्री भी थम सी गई है. ऐसे हालात में अक्षरा सिंह ने हाथ पर हाथ धर का बैठे रहना स्वीकार नही किया, बल्कि वह लगातार एक के बाद एक काम करती जा रही हैं. इसी के साथ वह लॉकडाउन के नियमों का पालन भी कर रही हैं

लाॅक डाउन शुरू होने के बाद अक्षरा सिंह ने कुछ संगीत एलबम निकालने शुरू किए, जिन्हे काफी पसंद किया गया. अब अक्षरा सिंह नए संगीत एलबम की तैयारी में जुट गई हैं, जिसका वीडियो उन्होंने अपने सोशल मीडिया में शेयर किया है. इस वीडियो में वह अपने नए अलबम के लिए रियाज करती नजर आयीं हैं. यह वीडियो काम के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है. जब पूरा भोजपुरी जगत अपने घर में है, तब भी अक्षरा सिंह की जीवटता उन्हें अपने फैंस के बीच लगातार लाकर खड़ी कर देती है.

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अक्षरा सिंह (Akshara Singh) की सबसे बड़ी की खासियत यह है कि वह अपना काम इमानदारी के साथ बखूबी पूरा करने के साथ साथ सामाजिक कार्यों को भी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से पूरा कर रही हैं. कोरोना के वैश्विक संकट के दौरान वह लोगों को इससे बचने के लिए जागरूक करती नजर आ चुकी हैं. वह लोगों को हाथ धोने के सही तरीके भी बता चुकी हैं.

इतना ही नही सड़क पर पैदल चल रहे प्रवासी मजदूरों और जरूरत मंद लोगों को मास्क व सेनेटाइजर भी बांटती रहती है.अक्षरा सिंह की यही खूबी उन्हें दूसरे फिल्म कलाकारो से अलग पहचान दिलाती है.अपनी अदाओं की वजह से अक्षरा इंस्टाग्राम के साथ ही टिक टौक (Tik Tok) पर भी काफी फेमस हैं. इंस्टाग्राम पर उनके 1.3 और टिक टौक पर भी लाखों फौलोअर्स हैं. वह टिक टौक (Tik Tok) पर खूब वीडियो बनाती है. अक्षरा सिंह भोजपुरी की कई फिल्मों में काम कर चुकी हैं.

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गहरी पैठ

कोरोना के कहर में तबलीगी जमात की नासमझी से जो समस्याएं बढ़ी हैं, उन्होंने केंद्र सरकार को फिर से हिंदू मुसलिम करने का कट्टर कार्ड थमा दिया है. देखा जाए तो देश की जनता को आराम से जीने का मौका देने का वादा दे कर जीतने वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार ने अपना एक और दांव, दंगे चला कर अब घरघर में दहशत का माहौल खड़ा कर दिया है. किसी को भी देश का गद्दार कहने का हक खुद ब खुद लेने के बाद अब उन्होंने जगहजगह गोली मारो गद्दारों को नारा गुंजाना शुरू कर दिया है. बिना सुबूत, बिना गवाह, बिना अदालत, बिना दलील, बिना वकील के किसी को भी गद्दार कह कर उसे मार डालने का हक बड़ा खतरनाक है.

न सिर्फ मुसलमानों को डराया जा सकता है, इस नारे से हर उस को डराया जा सकता है, जिस ने अपनी अक्ल लगा कर भगवा भीड़ की मांग को पूरी करने से इनकार कर दिया हो.

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आज देश का दलित, किसान, मजदूर, बेरोजगार युवा, बलात्कारों से परेशान लड़कियां, छोटे व्यापारी सरकारी फैसलों से परेशान हैं. दलितों के घोड़ी पर चढ़ कर शादी करने पर मारपीट ही नहीं हत्या कर दी जाती है और जिस ने भी उस के खिलाफ आवाज उठाई, उसे गद्दार कह कर गोली मारने का हक ले लिया गया है. अगर किसान कर्ज माफ करने के लिए सरकार के खिलाफ मोरचा खोलें तो उन्हें गद्दार कहा जा सकता है. अगर व्यापारी नोटबंदी, जीएसटी और बैंकों के फेल होने पर होने वाले नुकसान की बात करें तो उन्हें गद्दार कहा जा सकता है. नागरिकता कानून ?की फुजूल की बात करने वाले को गद्दार कहने का हक है. छोटीबड़ी अदालतों में वकीलों के झुंड मौजूद हैं जो अपने हकों को मांगने वालों को गद्दार कह कर जज के सामने तक नहीं जाने दे रहे. जजों को गद्दार कह कर उन का रातोंरात तबादला कर दिया जा रहा है.

सारे देश में सरकार डिटैंशन सैंटर बनवा रही है जो आधी जेल की तरह हैं जहां नाममात्र का खाना मिलेगा, नाममात्र के कपड़े मिलेंगे, पर बरसों रहना पड़ सकता है. उन को गुलाम बना कर उन से काम कराया जा सकता है. लड़कियों को बदन बेचने पर मजबूर किया जा सकता है. यह हिटलर ने जरमनी में किया था. स्टालिन ने रूस में किया था. माओ ने चीन में किया था. कंबोडिया में पोलपौट ने किया था.

गद्दार कह कर कैसे सिर फोड़े जा सकते हैं. घरों को जला कर सजा दी जा सकती है. इस का नमूना दिल्ली में दिखा दिया गया. जिन्होंने किया वे आजाद घूम रहे हैं. जो शांति के लिए जिम्मेदार हैं, वे भड़काऊ भाषण देने में लगे हैं.

इस सब से मुसलमानों को तो लूटा जा ही रहा है, दलित और पिछड़े भी लपेटे में आ गए हैं. आज सरकारी नौकरियों में केवल ऊंचों को पद देने का हक एक बार फिर मिल गया है, क्योंकि या तो सरकारी काम ठेके पर दे दिए गए हैं या बंद कर दिए गए हैं. दहशत के माहौल की वजह से कोई बोल नहीं पा रहा. कन्हैया कुमार जो बिहार में भारी भीड़ जमा कर रहा था को अब दिल्ली की अदालतों में बुला कर परेशान करने की साजिश की जा रही है. चंद्रशेखर आजाद को बारबार लंबी जेल में भेज दिया जाता है. हार्दिक पटेल का मुंह बंद कर दिया गया है.

देश को अमन चाहिए, क्योंकि अगर पेट में आधा खाना ही हो, कपड़े फटे हुए हों तो भी अगर चैन हो तो जिंदगी कट जाती है. अब यह चैन भी गद्दार के नारे के नीचे दब रहा है.

पूरी दुनिया कोरोना की महामारी से जूझ रही है. लौकडाउन के बाद जरूरी कीमती सामान से लदे ट्रक जहां थे वहीं खड़े हैं. पहले भी हालात ट्रक ड्राइवरों के पक्ष में कहां थे. देखें तो देश के ट्रक ड्राइवरों की जिंदगी वैसे ही उबाऊ और खानाबदोशी होती है, उस पर हर नाके पर, हर सड़क पर बैठे खूंख्वारों से निबटना एक आफत होती है. सेव लाइफ फाउंडेशन का अंदाजा है कि ट्रक ड्राइवर हर साल तकरीबन 50,000 करोड़ रुपए रिश्वत में देते हैं. रिश्वत ट्रैफिक पुलिस वाले, टैक्स वाले, नाके वाले, चुंगी वाले, पोल्यूशन वाले तो लेते ही हैं, अब धार्मिक धंधे करने वाले भी जम कर लेने लगे हैं. धार्मिक धंधे वाले ट्रकों और टैक्सियों को रोक कर ड्राइवरों से उगाही करते हैं.

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कोई कह सकता है कि यह रिश्वत तो मालिक की जेब से जाती होगी, पर यह गलत है. बहुत से ट्रकों को लगभग ठेके पर दे दिया जाता है कि ट्रक पहुंचाओ, रास्ते में जो हो, भुगतो और एकमुश्त पैसा ले लो. ड्राइवर को ऐसे में अपने मुनाफे में कटौती नजर आती है. वह कानूनी, गैरकानूनी दोनों रोकटोक पर रिश्वत देने में हिचकिचाता है और अकसर झगड़ा हो जाता है और मारपीट तक हो जाती है तो नुकसान ट्रक ड्राइवर का ही होता है.

ड्राइवरों की जिंदगी वैसे ही बड़ी दुखद है. उन्हें 12 घंटे ट्रक चलाना होता है, इसलिए अकसर वे शराब और दवाओं का नशा करते हैं. देश की सड़कें बेहद खराब हैं जो ट्रक चलाने में ड्राइवर की हड्डीपसली दुखा देती हैं. आमतौर पर सड़कों पर लाइट नहीं होती. अंधेरे में चलाना मुश्किल होता है. भारत में अब तक सुरक्षित ट्रक नहीं बनने शुरू हुए हैं. ड्राइवरों के केबिन एयरकंडीशंड नहीं होते, उन ट्रकों के भी नहीं जिन में खाने के सामान या दवाओं के लिए रेफ्रीजरेटर लगे होते हैं, इसलिए बेहद गरमीसर्दी का मुकाबला करना पड़ता है. बहुत से ड्राइवरों को बदलते साथियों के साथ चलना होता है.

हमारे यहां ड्राइवरों को रास्ते में सोने के लिए ढाबों पर पड़ी चारपाइयां ही होती हैं, जिन पर न गद्दे होते हैं, न पंखे तक.

घरों से दूर रहने की वजह से ड्राइवर राह चलती बाजारू औरतों को पकड़ते हैं, पर वे लूटने की फिराक में रहती हैं. उन के गैंग अलग बने होते हैं जो परेशान करते हैं. ड्राइवरों को बीवियों की चिंता भी रहती है कि उन के पीछे वे औरों के साथ तो नहीं आंखें लड़ा रहीं.

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यही वजह है कि आज 1000 ट्रकों पर 400-500 ड्राइवर ही मिल रहे हैं. ट्रांसपोर्ट उद्योग को ड्राइवरों की कमी की वजह से भारी नुकसान होने लगा है. एक तरफ बेरोजगारी है, पर दूसरी तरफ ट्रेनिंग न मिलने की वजह से ड्राइवरों की कमी है. ट्रेनिंग तो आज सिर्फ जय श्रीराम कह कर मंदिर के धंधे कैसे चलाए जाएं की दी जा रही है.

दान के प्रचार का पाखंड

इतिश्हारी लत ने दीवाना बना दिया,

तसवीर खिंचाने का बहाना बना दिया.

खैरात से भी ज्यादा के ढोल बज गए,

लोगों ने गरीबी को फसाना बना दिया.

गरीबों की मदद के नाम पर बढ़ते प्रचार के बारे में ये लाइनें बड़ी मौजूं लगती हैं. दरअसल, गरीबी की समस्या हमारे देश में आज भी बहुत भयंकर है.

हालांकि आजादी के बाद से ‘गरीबी हटाओ’ का नारा व गरीबों के लिए चली सरकारी स्कीमों में पानी की तरह पैसा बहाया गया है, लेकिन हिस्साबांट के चलते गरीबी बरकरार है. साल 2016 में 37 करोड़ लोग गरीबी की रेखा से नीचे थे. गांव हों या शहर, गरीब लोग हर जगह बहुत बड़ी तादाद में मिल जाते हैं.

ऐसे में बहुत से लोग पुण्य लूटने की गरज से गरीबों की मदद करते हैं. गरीबों को मुफ्त सामान का लालच दे कर बुलाते व रिझाते हैं और उन्हें सामान देते हुए अपना फोटो खिंचाते हैं. इतना ही नहीं, उन फोटो का इस्तेमाल अपनी दरियादिली के प्रचार में करते हैं.

दरअसल, जिस दान में प्रचार खूब किया जाए वह पाखंड है, जो दानदक्षिणा का माहौल बनाने के लिए किया जाता है. इन में पंडितों के फोटो तो लिए नहीं जाते, क्योंकि पंडित अब दान नहीं लेता. वह तो उलटे दान देने वाले को पुण्य कमाने का मौका व पुण्य लाभ देता है.

ऐसे में दान देने वाला लाभार्थी हो जाता है. वक्त के साथ दान देने के तौरतरीके भी बदल गए हैं. ज्यादा से ज्यादा दान इकट्ठा करने की गरज अब तिरुपति बालाजी, वैष्णो देवी व काशी विश्वनाथ वगैरह बहुत से मंदिरों द्वारा भक्तों के लिए घर बैठे औनलाइन व ईवालेट से दान देने की सहूलियतें मुहैया कराई गई हैं.

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तिरुपति बालाजी जैसे कुछ मंदिरों ने तो अपने डीमैट खाते खोल लिए हैं, ताकि नकदी, सोना व हीरेजवाहरात के अलावा शेयर्स भी लिए जा सकें.

यह कैसी मदद

गरीबों के हक हड़प कर भ्रष्ट नेता, अफसर और मुलाजिम अमीर हो रहे हैं, इसलिए गरीब लोग उन के लिए दूध देने वाली गाय साबित हो रहे हैं.

ऐसे लोग गरीबों को आसान व कारगर औजार बना कर अपना मकसद पूरा करने में लगे रहते हैं. गरीबी से पार पाने के लिए टिकाऊ व मुकम्मल रास्ता दिखाने के बजाय उन्हें मुफ्तखोरी के लिए उकसाते रहते हैं, ताकि वे काम व कोशिश न करें और हाथ में कटोरा थामे पीढ़ी दर पीढ़ी गरीब ही बने रहें.

यही वजह है कि गरीबों की मदद के नाम पर उन की वक्ती जरूरतों की चीजें भोजन, कपड़े व बरतन बांटने की रस्मअदायगी की जाती है.

इस काम में सरकारें भी पीछे नहीं हैं, इसलिए मुफ्त का माल झपटने के चक्कर में अकसर जहांतहां हादसे होते रहते हैं. छीनाझपटी करते वक्त गरीब लोग एकदूसरे को कुचल देते हैं.

पिछले दिनों पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर शहर में सरकारी कंबल बांटते समय हुई ऐसी ही एक घटना में बहुत से लोग जख्मी हो गए थे.

समाजसेवा का डंका पीटने वाले चालाक लोग गरीबों की मदद के नाम पर थोड़ा पैसा खर्च कर अपना नाम चमकाने व मशहूर होने की जुगत में लगे रहते हैं. वे अकसर कुछ चीजें गरीबों को बांटते हैं और ज्यादा का दिखावा करते हैं, इसलिए हकीकत में काम कम व प्रचार ज्यादा होता है. अखबारों से सोशल मीडिया तक कंबल, खाना व कपड़े वगैरह बांटने वालों के फोटो सुर्खियों में छाए रहते हैं.

कहीं पर निगाहें कहीं पर निशाना

ज्यादातर मामलों में गरीबों को दान इनसानियत दिखाने या राहत पहुंचाने से ज्यादा वाहवाही लूटने व प्रचार पाने की गरज से किए जाते हैं. गरीबों की मदद करने को भी बहुत से लोगों ने अपना धंधा बना लिया है. बहुत सी कागजी संस्थाएं गलीमहल्लों में बढ़ रही हैं.

कई लोग खासकर छुटभैए नेता गरीबों की मदद व समाजसेवा के नाम पर बेहिसाब चंदा इकट्ठा करते हैं और अपना मतलब साधने में लगे रहते हैं. इस में फायदा उन का व नुकसान आम जनता का होता है. जो जना पंडितों के नाम पर गरीबों को थोड़ा सा दान करेगा, वह पंडितों के कहने पर पंडों और मंदिरों को तो मोटा दान करेगा ही.

इनसानियत के नाते मुसीबतजदा, जरूरतमंद अपाहिजों वगैरह की मदद करना सही व सब का फर्ज है. बेसहारा को इमदाद देना अच्छा है, लेकिन किसी मजबूर की असल मदद करना बेहतर है. जिस में दायां हाथ दे और बाएं हाथ को खबर न हो यानी कहीं कोई जिक्र न हो. बात जबान पर आने से लेने वाले को ठेस लगती है.

उस पर अहसान जताने व अपनी दरियादिली के ढोल बजाने से तो गरीब जीतेजी मर जाता है, लेकिन अमीरों को इस से कुछ फर्क नहीं पड़ता.

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वे गरीबों को दिए दान के प्रचार से नाम कमा कर एक तरह से अपने दान की कीमत वसूलते हैं और मुफ्त सामान पाने के लालच में गरीब यह खेल समझ ही नहीं पाते.

तिल का ताड़

गरीबों को दान देने वाले भूल जाते हैं कि दान को बढ़ाचढ़ा कर नहीं बताना चाहिए. दिए गए दान का बारबार बखान करने, अपनी शान व शेखी बघारने, ढिंढोरा पीटने से देने वाले में गुरूर बढ़ता है और लेने वाले का जमीर खत्म हो जाता है.

इस के बावजूद गरीबों की मदद के नाम पर तरहतरह से प्रचार के पाखंड रचे जाते हैं, ताकि समाज में नाम ऊंचा हो व दानवीरता के तमगे मिलें. आजकल यह दिखावा जंगल में आग की तरह फैल रहा है.

गरीबों को मुफ्त चीजें बांटने वाले लोग बड़ी ही बेशर्मी से हंसतेमुसकराते हुए गरदन ऊंची कर के इस तरह से अहसान जताते नजर आते हैं, जैसे कि उन्होंने गरीबों को जागीर सौंप दी हो. फिर गरीबों को सामान देते हुए फोटो खिंचाना, वीडियो बनाना व तारीफ हासिल करने के लिए ह्वाट्सएप और फेसबुक वगैरह पर पोस्ट करना तो आम बात है. इस के अलावा स्मारिकाओं में चिकने कागज पर दानदाताओं के रंगीन फोटो छापे जाते हैं.

इमदाद लेने वाले मजबूर की गरदन तो पहले ही गुरबत, शर्म व अहसान के बोझ से झुकी रहती है, ऊपर से मदद लेते वक्त फोटो खिंचा कर उस की नुमाइश लगाने में उस गरीब की आंखें जमीन में गड़ जाती हैं.

देखा जाए, तो गरीबों को दान दे कर उस का प्रचार करना उन के लिए किसी दिमागी सजा से कम नहीं है. गरीबों को दान कर के अपना प्रचार करने की भूख उन करोड़ों की तरह होती है, जिन की मार गरीबों के बदन पर तो नहीं दिखती, लेकिन उन के भीतर उतर कर उन के यकीन को हिला देती है.

उत्तर प्रदेश के मेरठ शहर में गढ़ रोड पर रंगोली मंडप के पास एक मलिन बस्ती है. इस में आएदिन कई संगठनों के लोग गरीबों को फल, दूध, बिसकुट वगैरह खानेपीने व जूते, कपड़े वगैरह इस्तेमाल की चीजें बांटने के लिए आते रहते हैं. सामान देते वक्त ज्यादा जोर फोटो खिंचवाने पर लगा रहता है, इसलिए अगले दिन अखबारों में खबर के साथ फोटो छपते हैं.

एक संस्था के कर्ताधर्ता का कहना था, ‘‘जिस तरह से बुराइयों को देखसुन कर लोगों पर उन का खराब असर पड़ता है. बहुत से लोग उन्हें अपना लेते हैं, ठीक उसी तरह से लोगों पर नेकियों का अच्छा असर भी पड़ता है.

‘‘अच्छे काम होते देख कर भी लोग उन से सीख व सबक लेते हैं, इसलिए गरीबों की मदद करने वाले कामों का प्रचार करने से उन का सिलसिला आगे बढ़ता है.’’

गरीबों को दान दे कर उस के प्रचार का पाखंड रचने वाले लोग भले ही अपने हक में कितनी भी दलीलें दें, लेकिन सच यही है कि दान के प्रचार की लत हमारे समाज में नई नहीं है.

दान के प्र?????चार से ही तो दक्षिणा के लिए माहौल बनता है. नए चेले व चेलियां जाल में फंसते हैं. पुण्य का फायदा हासिल करने की गरज से सदियों से ऐसा होता रहा है. बरसों पुराने मंदिरों व धर्मशालाओं वगैरह में आज भी दीवारों व चबूतरों पर लगे पत्थरों पर दान देने वालों के नाम खुदे हुए देखे जा सकते हैं.

प्रचार की भूख में बहुत से लोग तो अपनी अक्ल को उठा कर ताक पर रख देते हैं. दुनिया से जा चुके अपने मांबाप की याद में फर्श पर लगवाए पत्थरों पर ही उन के नाम खुदवा देते हैं.

फर्श पर लगे पत्थरों के साथसाथ उन पर खुदे मांबाप के नामों पर भी लोग पैर रख कर आतेजाते रहते हैं व दान के चक्कर में फंस कर मांबाप का नाम ऊंचा होने की जगह मिट्टी में मिल जाता है.

सर्दियों के दौरान बड़े शहरों में सड़क किनारे पड़े गरीबों को रजाईकंबल बांटने वालों की बाढ़ सी आ जाती है. कई बार देखा है कि बहुत से गरीबों को दान में दिया गया सामान अगले ही दिन उन गरीबों के पास नहीं होता और वे फिर से अपनी उसी खराब हालत में दिखाई देते हैं, क्योंकि ज्यादातर गरीब बदहाल जिंदगी के आदी हैं, इसलिए कुछ भी मिलने के थोड़ी देर बाद ही वे दान में मिली चीजें औनेपौने दामों पर बाजार में बेच देते हैं. गरीबों को दी गई मदद भी उन के हालात बदलने में नाकाम साबित होती है.

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असली मदद

मुफ्त का खाना सिर्फ 5-6 घंटे को पेट भरता है. अगले वक्त फिर भूख लगती है. दान का कपड़ा भी चंद बरस चलता है, लेकिन अपनी मेहनत व दिमाग से आगे बढ़ने की राह ताउम्र काम आती है, इसलिए गरीबों को दान की बैसाखी देने से बेहतर है उन्हें खुद अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करना. अपनी कोशिश से ऊपर उठ कर जिंदगी संवर कर निखर जाती है. भीख का कटोरा व दूसरों की और ताकना छूट जाता है.

लिहाजा, गरीबों पर तरस खा कर, उन्हें दान दे कर दूसरों के रहमोकरम पर जीने का आदी बनाने से अच्छा है. उन की सच्ची व सही मदद करना, ताकि उन में खुद पर यकीन पैदा हो और वे खुद गरीबी से नजात पाने की कोशिश करें. यह मुश्किल नहीं है.

करोड़ों गरीबों व भिखारियों को कम ब्याज पर 10 अरब डौलर के छोटे कर्ज दिला कर रोजगार में लगाने वाले बंगलादेश के मोहम्मद यूनुस को साल 2006 में नोबल पुरस्कार मिला था. उसी का नतीजा है कि आज बंगलादेश भारत व पाकिस्तान से ज्यादा तेजी से आगे बढ़ रहा है.

माइक्रो फाइनैंसिंग के जरीए गरीबों की मदद करने व कामयाब मुहिम चला कर गरीबों को नई जिंदगी दे कर मिसाल बने मोहम्मद यूनुस का नाम आज दुनियाभर में जाना जाता है.

भारत में भी ऐसे काम होना लाजिमी है. साथ ही, गरीबों की तालीम, हुनर व काबिलीयत बढ़ा कर उन्हें ज्यादा पैसा कमाने के गुर सिखा कर भी निठल्लेपन व नशे जैसी बुराइयों से नजात दिलाना भी उन की मदद करने से कम नहीं है.

गरीबों को माली इंतजाम के उपाय बता कर उन की फुजूलखर्ची घटाई जा सकती है. वे ज्यादा कमा कर बचत करना सीख सकते हैं. जागरूक हो कर धार्मिक अंधविश्वासों से छुटकारा पा सकते हैं. अपनी जेबें हलकी होने से बचा सकते हैं, इसलिए मुफ्त की चीजें देने से अच्छा है कि उन्हें साफसुथरा रह कर बेहतर व सुखी जिंदगी बिताने के तौरतरीके समझाए जाएं.

सही राह दिखाना ही गरीबों की सच्ची मदद करना है. इस से हमारे समाज में सदियों से चली आ रही गरीबी के कलंक से छुटकारा मिल सकता है.

Erotic Model पूनम पांडे ने गिरफ्तार होने की खबरों के चलते ये Video किया शेयर

फिल्म इंडस्ट्री की जानी मानी एक्ट्रेस और बोल्ड एरोटिक मौडल (Erotic Model) पूनम पांडे (Poonam Pandey) इन दिनों काफी सुर्खियों में बनी हुई हैं. पिछले दिनों ऐसी खबरें सुनने में आई थी कि लौकडाउन (Lockdown) के नियमों का उलंघन करने की वजह से एक्ट्रेस पूनम पांडे को मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने गिरफ्तार कर लिया है. खबरों की माने तो पूनम पांडे अपनी लग्जरी गाड़ी में लौकडाउन के दौरान घूमने निकली थी और उस दौरान उन्हें मुंबई पुलिस ने रोक लिया.

 

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Miami Vibes.

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इतना ही नहीं बल्कि मुंबई पुलिस ने तो उनकी लग्जरी गाड़ी तक सीज़ कर ली थी. लेकिन हाल ही में पूनम पांडे (Poonam Pandey) ने अपना एक वीडियो अपने औफिशियल इंस्टाग्राम अकाउंट (Official Instagram Account) पर शेयर किया है जिसमें वे अपने ऊपर लगे सभी इल्जामों को झुठला रही हैं.

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Guys I heard I got arrested, While I was having a movie marathon last night.

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जी हां एक्ट्रेस पूनम पांडे (Poonam Pandey) ने अपनी वीडियो में कहा कि वे बिल्कुल ठीक हैं और अपने घर पर ही हैं. उन्हें मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है. इसी के साथ ही एक्ट्रेस पूनम पांडे ने बताया कि,- “मैंने बीती रात बैक टू बैक 3 फिल्में देख डाली है. इसके बीच मेरे बारे में मीडिया में ये रिपोर्ट्स आईं है कि मुझे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन ऐसा नहीं है. मैं अपने घर पर हूं और पूरी तरह से ठीक हूं.” उन्होंने इसके साथ ही मीडिया से ये भी गुजारिश की वो उनके खिलाफ इस तरह की खबरें न लिखें.

 

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Don’t I have the longest tongue in the world?

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एक्ट्रेस पूनम पांडे अक्सर अपनी बोल्डनेस (Boldness) की वजह से तो कभी अपने इंस्टाग्राम पोस्टस् की वजह से चर्चाओं में घिरी रहती हैं, यही कारण है कि पूनम पांडे एक कंट्रोवर्शियल फिगर (Controversial Figure) है.

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मगरमच्छ के जबड़े से बची जान, भाई बना मददगार

मगरमच्छ को देख कर जहां अच्छेअच्छों की सिट्टीपिट्टी गुम हो जाती है, वहीं एक बकरीपालक को मगरमच्छ ने अपने जबडे़ में ऐसे जकड़ लिया मानो छोड़ने को तैयार न हो, पर वहां मौजूद लोगों की मदद से उस के भाई ने अपनी जान की बाजी लगा कर उस को नया जीवनदान दिया.

यह मामला राजस्थान के करौली में घूसई चंबल घाट पर देखने को मिला, जहां मगरमच्छ के हमले में एक बकरीपालक गंभीर रूप से घायल हो गया.

जानकारी के मुताबिक, करीलपुरा गांव का रहने वाला रामधन मीणा 3 मई की शाम प्यासी बकरियों को पानी पिलाने घूसई चंबल घाट पर गया था. वहां बकरियों को पानी पिलाने के दौरान पहले से ही घात लगा कर पानी में बैठे मगरमच्छ ने रामधन पर हमला कर दिया और अपने जबड़े में फंसा लिया.

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तभी मौके पर मौजूद रामधन के भाई और वहां मौजूद लोगों ने उसे छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन मगरमच्छ भी अपने शिकार को आसानी से छोड़ने वाला नहीं लग रहा था. किसी तरह मगरमच्छ के जबड़े से उस युवक को छुड़ाया गया.

इस हमले में रामधन मीणा के दोनों हाथों में गंभीर रूप से चोटें आईं. घायल को करणपुर अस्पताल पहुंचाया गया, जहां से गंभीर अवस्था में करौली रेफर कर दिया.

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वहीं इस से पहले दूसरी घटना पंजाब के मुक्तसर जिले के गिद्दड़बाहा के एक गांव गुरुसर के पास की है. वहां 21 अप्रैल को नहर के किनारे मगरमच्छ मिला. एक किसान ने इस की पूंछ पकड़ कर घुमाने की कोशिश की, पर वह जल्दी से नहर में घुस गया. नहर में मगरमच्छ के आने से गांव के लोगों में दहशत है. वैसे, गुरुसर गांव के लोग गरमी में इस नहर में नहाते हैं और दूसरी जरूरी चीजों के लिए पानी भी भरते हैं.

फिलहाल तो लॉकडाउन की वजह से लोग नहर की तरफ नहीं जा रहे हैं, फिर भी एहतियात के तौर पर नहर में मगरमच्छ की सूचना गांव वालों ने वन विभाग को दे दी है.

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भले ही चौकस रहते हुए बकरीपालक रामधन मीणा को उस के भाई ने मगरमच्छ के जबड़े से बचा लिया हो, पर ऐसे मौकों पर ज़्यादा जागरूक रहना चाहिए, तभी बच सकते हैं. वहीं खेतों में काम करने वाले किसानों के साथ ही साथ नदी, नाले व नहर के आसपास रहने वालों को घड़ियाल व मगरमच्छों से सावधान रहने की जरूरत है.

क्रिकेट : बिना मैच खेले कैसे गंवाया भारत ने नंबर-1 का ताज

कोरोना वायरस महामारी की मार खेलों पर भी पड़ा है और चाहे क्रिकेट हो या फुटबौल, हौकी हो या बेसबौल या फिर कोई अन्य खेल, पूरी तरह बंद हैं. इस बीच खबर है कि आईसीसी क्रिकेट रैंकिंग के एक ताजा सर्वे में भारत बिना मैच खेले ही शीर्ष स्थान गंवा चुका है. यह ताज आस्ट्रेलिया ने भारत से छिन लिया है और वह शीर्ष स्थान पर पहुंच चुका है. भारत तीसरे स्थान पर खिसक गया है जबकि न्यूजीलैंड को दूसरा स्थान मिला है.

भारत 1 मई को आईसीसी टेस्ट क्रिकेट रैंकिंग में आस्ट्रेलिया से शीर्ष स्थान गंवा चुका है और अब तीसरे स्थान पर आ गया है. रैंकिंग में गिरावट इसलिए आई है क्योंकि 12 टेस्ट मैचों में भारत की जीत और 2016-2017 में सिर्फ 1 हार वार्षिक अद्यतन से समाप्त हो गई थी.

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नवीनतम अपडेट ने मई 2019 के बाद से खेले गए मैचों को 100% और पिछले 2 वर्षों के मैचों को 50% पर रेट किया है.

आईसीसी ने एक बयान जारी कर कहा,”भारत मोटे तौर पर सीढ़ी में गिरा क्योंकि 12 टेस्ट जीत और 2016-17 में सिर्फ 1 टेस्ट हार का रिकौर्ड हटा दिया गया था.”

कहां है विराट की टीम

कप्तान विराट कोहली की टीम उस अवधि के दौरान आस्ट्रेलिया और इंगलैंड के खिलाफ सभी 5 श्रृंखलाएं जीती थीं. दूसरी ओर आस्ट्रेलिया उसी अवधि में भारत के साथसाथ दक्षिण अफ्रीका से हार गया था.

नवीनतम अपडेट मई 2019 के बाद से खेले गए सभी मैचों को 100% और पिछले 2 सालों के 50% पर रेट करते हैं.

ऑस्ट्रेलिया न केवल टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर पहुंच गया, बल्कि पहली बार टी- 20 आईसीसी सूची में नंबर- 1 पर कब्जा कर लिया, जबकि इंगलैंड ने वार्षिक अद्यतन के बाद पुरुषों की वनडे रैंकिंग का नेतृत्व करना जारी रखा, जो 2016-17 के परिणामों को समाप्त करता है.

आस्ट्रेलिया के अब 116 अंक हैं और उस के बाद न्यूजीलैंड (115) और भारत (114) हैं.

केवल 2 अंकों के साथ उन्हें अलग करने के बाद यह शीर्ष 3 टीमों में से दूसरा निकटतम है, क्योंकि 2003 में टेस्ट रैंकिंग शुरू की गई थी.

दक्षिण अफ्रीका को 8 अंकों की सब से बड़ी रेटिंग में गिरावट का सामना करना पड़ा है, जो उन्हें श्रीलंका से छठे स्थान पर गिराता है.

उन्होंने इस अवधि में 3 सीरीज़ जीतीं, जबकि फरवरी 2019 के बाद श्रीलंका, भारत और इंगलैंड के खिलाफ खेलते हुए 9 में से 8 टेस्ट हारे.

वनडे टीम रैंकिंग में विश्व चैंपियन इंगलैंड (127) ने भारत पर अपनी बढ़त 6 से 8 अंक तक बढ़ा दी है.

भारत से 3 अंक पीछे न्यूजीलैंड तीसरे स्थान पर है. शीर्ष 10 रैंकिंग अपरिवर्तित बनी हुई हैं.

इस के विपरीत अद्यतन T20 टीम रैंकिंग में बहुत सारे बदलाव देखने को मिलते हैं. रैंकिंग पेश किए जाने के बाद पहली बार ऑस्ट्रेलिया (278) अंक के साथ शीर्ष पर है.

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पाकिस्तान जोकि जनवरी 2018 में शीर्ष स्थान पर पहुंचने के लिए न्यूजीलैंड से आगे निकल गया था और फिर वहां 27 महीने बिताए थे, अब 260 अंकों के साथ चौथे स्थान पर है.

इंगलैंड 268 अंकों के साथ दूसरे स्थान पर आ गया है, जबकि भारत 1 तीसरे स्थान पर है यानी सिर्फ 2 अंक पीछे.

अफगानिस्तान 7वें से 10वें स्थान पर है.

यह भी जानिए

  • आस्ट्रेलिया ने टेस्ट रैंकिंग में एक शीर्ष स्थान हासिल किया और साथ ही पहली बार टी 20 सूची में नंबर 1 स्थान हासिल किया.
  • इंगलैंड ने वार्षिक अद्यतन के बाद पुरुषों की एकदिवसीय रैंकिंग में अपनी बढ़त जारी रखी जो 2016-2017 के परिणामों को समाप्त कर दिया.
  • टेस्ट रैंकिंग में आस्ट्रेलिया 116 अंकों के साथ न्यूजीलैंड 115 अंकों के साथ भारत और 114 अंकों के साथ शीर्ष पर है.
  • केवल 2 अंकों के अंतर के साथ यह दूसरा निकटतम है कि शीर्ष टीमों को 2003 में टेस्ट रैंकिंग जारी की गई थी.
  • शीर्ष 3 टीमें जनवरी 2016 में निकटतम थीं जब भारत आस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका से 1 अंक से आगे चल रहा था
  • टेस्ट रैंकिंग में दक्षिण अफ्रीका को 8 अंकों की सब से बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा है और श्रीलंका के नीचे 6ठे स्थान पर छोड़ने का नेतृत्व किया.
  • दक्षिण अफ्रीका ने चयनित अवधि में 3 सीरीज़ जीती हैं और फरवरी 2019 के बाद से भारत, श्रीलंका और इंगलैंड के खिलाफ खेलते हुए 9 में से 8 टेस्ट हारे हैं.

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वनडे टीम रैंकिंग

  • वनडे टीम रैंकिंग में शीर्ष 10 रैंकिंग अपरिवर्तित रहे.
  • इंगलैंड ने वनडे टीम रैंकिंग में भारत पर अपनी बढ़त 6 से 8 अंक तक बढ़ा दी है.
  • न्यूजीलैंड अभी भी तीसरे स्थान पर है और भारत से 3 अंक पीछे है.

T20 टीम रैंकिंग

  • 278 अंक के साथ आस्ट्रेलिया पहली बार सूची में शीर्ष पर है.
  • पाकिस्तान जो जनवरी 2018 में शीर्ष स्थान पर पहुंच गया था और न्यूजीलैंड से आगे निकल गया था, अब 260 अंकों के साथ चौथे स्थान पर आ गया है.
  • 268 अंकों के साथ इंगलैंड दूसरे स्थान पर आ गया है जबकि भारत 1 स्थान ऊपर तीसरे स्थान पर है, जो सिर्फ 2 अंक पीछे है.
  • अफगानिस्तान 7 वीं से 10वीं रैंकिंग में गिर गया है.

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कोरोना वायरस: बीमारी को शोषण और उत्पीड़न का जरिया बनाने पर आमादा सरकार

देश मे आर्थिक इमरजेंसी लगाने की बाते करना भाजपा सरकार की जरूरत हो सकती है, लेकिन देश की जरूरत कतई नही है. सरकार कोरोना वायरस को शोषण का जरिया बनाने पर आमादा है.

जिनकी मदद करनी थी, उनसे ही मदद मांग रहे है, किसानों से,छात्रों से, कर्मचारियो से अर्धसैनिक बलों से मदद मांग रहे है.

जो पीड़ित है, और बीमारों का इलाज करने में लगे हुए है, उनका वेलफेयर फ़ंड मांग रहे है. बेशर्मी के तमाम रिकॉर्ड ही तोड़ दिए है.

कर्मचारियो का डी ए जुलाई 2021 तक फ्रीज कर दिया है, 4 %  जो जनवरी ड्यू था वह नही दिया और आगे को तीन बार का डीए नही मिलेगा यानि कुल मिलाकर वेतन का 15 % के आस पास डीए कट जाएगा. इनकमटैक्स कट ही चुका है. अब भी कट ही रहा है.

टीए न देने का आदेश कर ही चुके है, एक दिन का वेतन एक वर्ष तक काटकर पीएम केयर फ़ंड में देने के आदेश कर दिये है.

निजी कंपनियों को तो उपदेश दिए जाते हैं कि किसी का वेतन न रोकें पर उनके बकाए भुगतान को भी रोका जा रहा है और खुद कर्मचारियों के वेतन काटे जा रहे हैं.

कर्मचारी संगठनों ने इस कटौती का विरोध किया है पर जब तक पंडे पूजारी और उनके इशारे पर चलने वाले टीवी हैं, सरकार को डर नहीं. फिर भाजपा का आईटी सैल भी रात-दिन एक कर मोदी के गुणगान में लगा है ताकि धर्म और उससे चल रहे जातीय भेदभाव बना रहे.

रिटायर्ड फौजी सुप्रीम कोर्ट चले गए है. रिटायर्ड फौजियों का डीए काटना घोर अनर्थ है. उन्होंने कोर्ट में चुनौती दी है. इन्हीं फौजियों का नाम लेकर चुनाव जीते जाते हैं पर अब हाल में चुनाव नहीं हो रहे तो उन्हें कुर्बान कर दिया गया है.

कर्मचारी संगठन, किसान संगठन, मजदूर संगठन और छोटे दुकानदारों के संगठन मिलकर अडानी अम्बानी की सेवक सरकार का खुलकर विरोध कभी नहीं कर पाएंगे क्योंकि उनके नेता ऊंची जातियों के ही हैं.

Lockdown में पत्नी अंकिता के साथ रोमांटिक पल बिता रहे हैं मिलिंद सोमन, देखें Photos

साल 1988 में मौडलिंग (Modelling) से अपने करियर की शुरूआत करने वाले एक्टर और प्रोड्यूसर मिलिंद सोमन (Milind Soman) अपने फैंस के बीच काफी पौपुलर हैं. मिलिंद एक मौडल और प्रोड्यूसर होने के साथ साथ एक बेहतरीन फिटनेस प्रोमोटर (Fitness Promoter) भी हैं. इस उम्र में भी मिलिंद इतने फिट हैं कि उन्हें देख कोई भी हैरान हो जाए और सबसे बड़ी बात उनकी इस फिटनेस का राज है उनकी पत्नी अंकिता कंवर.

मिलिंद की पर्सलन लाइफ की बात करें तो उन्होनें साल 2006 में एक फ्रेंच एक्ट्रेस (French Actress) से शादी की थी पर उनकी ये शादी ज्यादा सफल ना हो पाई और साल 2008 में उन दोनों ने अपने – अपने रास्ते एक दूसरे से अलग कर लिए. 22 अप्रैल 2018 में मिलिंद ने अंकिता कंवर (Ankita Konwar) नाम की लड़की से शादी की और इन दोनों की जोड़ी को लोगों ने काफी पसंद किया.

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ऐसे वक्त में जब हर कोई अपने अपने घरवालों के साथ समय बिता रहा है तो वहीं मिलिंद भी अपनी पत्नी अंकिता के साथ काफी रोमांटिक (Romantic) पल बिता रहे हैं. मिलिंद का इंस्टाग्राम (Instagram) अकाउंट देखा जाए तो उनकी फोटोज देख ऐसा लगता है कि अंकिता और मिलिंद के बीच काफी अच्छा और गहरा रिश्ता है. मिलिंद अक्सर अंकिता के साथ एड्वैंचरस ट्रिप्स (Adventurous Trips) पर जाते दिखाई देते हैं.

मिलिंद और अंकिता अपनी फिटनेस का काफी ध्यान रखते हैं और दोनों साथ ही रनिंग (Running) और जिमिंग (Gyming) करते नजर आते हैं. मिलिंद अक्सर अपनी और अपनी पत्नी अंकिता की रोमांटिक फोटोज अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर शेयर करते रहते हैं जिसे उनके फैंस काफी प्यार देते हैं और साथ ही उनकी तारीफ कर खूब सारे कमेंट्स करते हैं.

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Day 6. Plain, simple, slightly warmed up, coconut oil for my hair 🤓

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Bhojpuri एक्ट्रेस अंजना सिंह ने Lockdown के दौरान बांटा गरीबों में राशन, देखें Photos

कोरोना वायरस (Corona Virus) की समस्या ना सिर्फ एक देश की है बल्कि यह संकट पूरे विश्व पर आया है और अब जब ये समस्या सबके ऊपर आई है तो ऐसे में हर कोई अपनी अपनी तरफ से इसमें योगदान दे रहा है फिर चाहे वे पैसो की मदद करके हो, राशन बांट के हो या फिर अपने अपने घरों में रह कर ही हो. ऐसे में बौलीवुड (Bollywood) से लेकर भोजपुरी इंडस्ट्री (Bhojpuri Industry) के कलाकार सामने आ रहे हैं और गरीबों की मदद कर रहे हैं.

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इसी बीच भोजपुरी सिनेमा (Bhojpuri Cinema) की पौपुलर एक्ट्रेस अंजना सिंह (Anjana Singh) भी सामने आई है और इसी के चलते मंगलवार के दिन उन्होनें गरीबों में राशन बांट कर लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) कर कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने की गुजारिश की है. खबरों की माने तो अंजना सिंह (Anjana Singh) ने लखनऊ के इंदिरा नगर इलाके में पुलिस कर्मियों के साथ 200 से भी ज्यादा गरीब परिवारों की राशन बांट कर मदद की.

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लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing) की गुजारिश करने के साथ साथ अंजना सिंह व पुलिस कर्मियों ने भी सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करते हुए राशन का सामान बांटा. ऐसे में एक्ट्रेस अंजना सिंह ने कहा, “इस घड़ी में हम सब का दायित्व है कि हम सभी एक दूसरे के साथ खड़े रहे और कोरोना की जंग को साथ मिलकर लड़ें.”

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अंजना सिंह (Anjana Singh) का कहना है कि दूसरों कि मदद करने से जो दिल और आत्मा को सुकून मिलता है, वे एक लाजवाब एहसास होता है. उन्होंने आम लोगों से भी एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आने की अपील की.

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Lockdown के बीच ऐक्ट्रेस एली एवराम नें डांस कर मचाया धमाल, देखें Video

इन दिनों लौकडाउन (Lockdown) के चलते सेलेब्रेटीज के इन्स्टाग्राम पर फोटोज और वीडियोज की भरमार सी हो गई है. कुछ लोग अपने डेली रूटीन से जुड़े फोटोज और वीडियोज शेयर कर रहें है तो कुछ पहले से शूट कराये गए फोटोज और वीडियोज शेयर कर रहें हैं. इसी कड़ी में कपिल शर्मा (Kapil Sharma) की को-स्टार रह चुकीं एली एवराम (Elli Avram) ने बौलीवुड के पुराने गानों पर डांस करते हुए का वीडियो अपने इन्स्टाग्राम एकाउंट पर शेयर किया है. बौलीवुड ऐक्ट्रेस एली एवराम (Elli Avram) स्वीडिश-ग्रीक मूल की हैं.

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एली एवराम (Elli Avram) के एक्टिंग करियर की शुरुआत ‘मिक्की वायरस’ (Mickey Virus) से हुई थी. इसके बाद साल 2013 में ‘बिग बौस 7’ (Bigg Boss 7) में इन्होने अपनी मौजूदगी दर्ज कराई थी. जहां से इनके फैंस की संख्या में काफी इजाफा हुआ और इनकी लोकप्रियता काफी बढ़ गई. इसके बाद वह कपिल शर्मा के साथ फिल्म ‘किस किसको प्यार करूं’ (Kis Kisko Pyaar Karoon) में भी नजर आई थीं.

एली एवराम (Elli Avram) ने हाल ही में 90 के दशक ‘जिसका मुझे था इंतजार’ (Jiska Mujhe The Intezar) और ‘चुरा लिया है तुमने जो दिल को’ (Chura Liya Hai Tumne Jo Dil Ko) जैसे गानों पर फ्रीस्टाइल डांस करते हुए का वीडियो अपने इन्स्टाग्राम पर शेयर करते हुए उसके कैप्शन हिंदी में लिखा है,- “Jab poochte hai, Elli ji aap ghar pe akele kya karthe ho? Main: FREESTYLE… #oldisgold #ElliAvrRam #yourstruly #freestyle #lol”

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एली के हिंदी गाने पर डांस पर उनके फैन्स नें कमेन्ट बौक्स में सवाल पूंछे तो एली नें अपने फैन्स को हिंदी में जबाब दिया शुभम नाम के एक यूजर नें पूंछा की “एली जी आप ओल्ड सौंग सुनती हो” तो एली नें लिखा “जी” एक यूजर सैफ ने पूछा की “आपने के बाल का नेचुरल कलर क्या है?” तो एली का जबाब था “एस ब्राउन”. एक ने लिखा की “कुछ दिन ये कोरोना और रह गया तो पागल हो जायेंगी आप” तो इस पर एली नें बड़ा ही फनी जबाब दिया और लिखा की “मै बचपन से ही ऐसी हूं”

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एली एवराम (Elli Avram) नें हाल ही में फिल्म ‘मलंग’ (Malang) में काम किया है. यह फिल्म मोहित सूरी (Mohit Suri) के निर्देशन में बनी है. फिल्म में एली के साथ आदित्य रौय कपूर (Aditya Roy Kapur), दिशा पटानी (Disha Patani), अनिल कपूर (Anil Kapoor) और कुणाल खेमू (Kunal Khemu) नें मुख्य भूमिकाएं निभाई थी.

बेली डांस कर लोगों को झूमने को किया मजबूर

एली नें बौलीवुड के पुराने गानों पर डांस के अलावा अपने टीनएज के पसंदीदा गानों पर बेली डांस कर लोगों को झूमनें पर मजबूर कर दिया उन्होंने इसके कैप्शन में लिखा की, “#throwbackthursday kilililililililiiiiiii. Song: Aah W Noss by @nancyajram have been my favorite since my teenage days. PS. We had a Persian night theme, therefor I wore that hat…lol all Iranians will understand eeee Saalaaam khobi #ElliAvrRam #bellydance #freestyle #yourstruly” फिलहाल इन दोनों डांस वीडियो को उनके फैन्स तीन लाख से ज्यादा बार देख चुकें हैं और इसमें लगातार इजाफा भी होता जा रहा है.

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