अगर हम यह कहें कि छत्तीसगढ़ मे कांग्रेस की भूपेश सरकार ने प्रदेश की चरमरा चुकी आर्थिक व्यवस्था के मद्देनजर मदिरा दुकानों से लाॅक डाउन हटा लिया है इस तरह छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने एक तरह से "आ बैल मुझे मार" की कहावत चरितार्थ कर दी है.

दरअसल, भारत सरकार  ने तीसरे लाॅक डाउन में ग्रीन जिलों सहित आरेंज जिलों में बहुतेरी सुविधाओं के साथ शराब यानी मदिरा के जाम छलकाने की आजादी दे कर सिरे से गलत  निर्णय लिया  है.

और जैसा कि होना था संपूर्ण देश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में भी मदिरालय के सामने मदिरा प्रेमियों का मद चढ़ता हुआ दिख रहा हैं. सारी सोशल डिस्टेंसिंग,नियम कायदे कोरोना महामारी का भय, ध्वस्त होता हुआ दिखाई दे रहा  है .छतीसगढ में  जो ठोले (पुलिस) पहले घर से निकलने पर लाठियां भांजते  थे, वहीं पुलिस शराब भट्ठियों  में लाठी लेकर व्यवस्था संभालते हुए दिखी. सरकार की इस गैर जिम्मेदारी पूर्ण नीति के कारण देश और प्रदेश में जैसा  कोरोना महामारी संक्रमण काल का माहौल था लोगों में एक अच्छी  जागरूकता का संचार हो चुका था. वह लोगों के  इस मदिरालय पहुंचने और मेला लगाने के कारण  ध्वस्त हो गया. वहीं सरकार की नीति और नियत भी उजागर हो गई की चंद पैसों की खातिर सरकार अपनी आवाम को शराब जैसी बीमारी बेचने को  तैयार है.

ये भी पढ़ें- गांव पहुंचे लोग हो रहे भेदभाव का शिकार

शर्मनाक! शराब की होम डिलीवरी

आपको आश्चर्य होगा कि जो काम कभी नहीं हुआ अर्थात शराब की होम डिलीवरी, कोरोना महामारी के इस भयंकर समय में छत्तीसगढ़ सरकार ने यह काम भी करने का निर्णय लिया है. यह आश्चर्य है कि गरीब जनता की हमदर्द कहलाने वाली संवेदनशील

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...