पकड़ा गया 5 लाख का इनामी डौन : भाग 2

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(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

इस साजिश में उस ने पिंकी उर्फ मधु शर्मा को भी शामिल कर लिया. हरीश अरोड़ा ने मधु को मजबूर किया कि वह उस से शादी कर ले. यह शादी सिर्फ दिखावे के लिए होगी, क्योंकि शादी के कुछ दिनों बाद उसे रास्ते से हटा दिया जाएगा. इस के बाद उस की पूरी संपत्ति उन की हो जाएगी और जीवन भर दोनों पतिपत्नी की तरह एक साथ रहेंगे.

हालांकि मधु इस के लिए आसानी से राजी नहीं हुई थी. पर वह हरीश के दबाव में आ कर अपने प्यार की खातिर तैयार हो गई थी. योजना के मुताबिक, सन 1997 में मधु शर्मा उर्फ पिंकी की शादी ट्रांसपोर्टर अशोक शर्मा से हो गई. मधु अशोक की पत्नी बन तो गई, लेकिन उस की रगरग में हरीश अरोड़ा का प्यार दौड़ रहा था. पत्नीधर्म निभाते हुए मधु ने अशोक को शरीर तो सौंप दिया था, लेकिन उस की आत्मा हरीश में ही बसी थी. मधु हरीश को अपना वादा बारबार याद दिलाती रहती थी.

दोस्त ही बन गया जान का दुश्मन

हरीश अरोड़ा को अपना वादा अच्छी तरह याद था. रास्ते के कांटे अशोक शर्मा को हटाने के लिए वह ऐसी योजना बनाना चाहता था कि पुलिस को उस पर कभी शक न हो और पुलिस इसे व्यावसायिक प्रतिद्वंदिता में की गई हत्या मान कर उस के कारोबारी प्रतिद्वंदियों को गिरफ्तार कर ले.

हरीश अरोड़ा ने भाड़े के 2 शूटरों परमजीत सिंह और रणजीत चौधरी को अशोक शर्मा की हत्या की सुपारी दे कर उस की हत्या करा दी. यह सब कुछ इस तरह किया गया कि पुलिस का पूरा शक उस के व्यावसायिक साथियों अखिलेश सिंह, विक्रम सिंह, विजय कुमार सिंह उर्फ मंटू और बालाजी बालकृष्णन पर गया.

हुआ वही जो हरीश अरोड़ा चाहता था. इस के बाद हरीश अरोड़ा अशोक शर्मा की पत्नी और संपत्ति पर कब्जा करने में लग गया. लेकिन वह अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो पाया. अशोक की मां, बहन और भाई को हरीश अरोड़ा और पिंकी पर शक हो गया था कि दोनों के बीच कोई खिचड़ी पक रही है. उन्होंने मजिस्ट्रैट के सामने कुछ ऐसा बयान दिया कि दोनों शक के दायरे में आ गए.

फलस्वरूप केस की जांच थाने से ले कर सीआईडी को सौंप दी गई. अपनी जांच में सीआईडी ने अशोक शर्मा हत्याकांड का राजफाश कर दिया. उधर घटना का परदाफाश होने से पहले पुलिस अखिलेश सिंह को गिरफ्तार करने के लिए दिनरात उस के ठिकानों पर दबिश दे रही थी. बाद में पिता के दबाव में आ कर उस ने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था.

बहरहाल, 27 जून 2005 को अनिल कुमार आर्य के फास्टट्रैक कोर्ट (5) ने हरीश अरोड़ा को ट्रांसपोर्टर, पारिवारिक मित्र अशोक शर्मा की हत्या के लिए दोषी ठहराया. उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. जबकि पिंकी शर्मा उच्च न्यायालय झारखंड से जमानत ले कर फरार हो गई थी. उसे हरीश अरोड़ा के साथ मिल कर आपराधिक षडयंत्र रचने के लिए दोषी पाया गया था.

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अदालत ने अशोक शर्मा हत्याकांड के चारों आरोपियों अखिलेश सिंह, विक्रम शर्मा, विजय कुमार सिंह उर्फ मंटू और बालाजी बालकृष्णन को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया. भाड़े के 2 शूटर परमजीत सिंह और रंजीत चौधरी गिरफ्तार कर लिए गए थे. उन से हत्या में इस्तेमाल हथियार भी बरामद कर लिए गए थे.

शूटरों से बरामद हथियार जांच के लिए कोलकाता प्रयोगशाला भेजे गए. रिपोर्ट से पता चला कि उन से जो हथियार बरामद किए थे, गोली उन्हीं से चली थी. फलस्वरूप रंजीत और परमजीत दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

अशोक शर्मा हत्याकांड से बेदाग निकलने के बाद भी अखिलेश सिंह का बुरे वक्त ने पीछा नहीं छोड़ा. मोबाइल कारोबारी ओमप्रकाश काबरा अपहरण में नाम आने के बाद अखिलेश सिंह एक बार फिर चर्चाओं में आ गया. पुलिस उसे गिरफ्तार करने के लिए यहांवहां ढूंढ रही थी.

कभीकभी अपराध खुद भी मजबूर कर देता है गलत राह पर जाने को

28 जुलाई, 2001 को किए गए बिजनैसमैन ओमप्रकाश काबरा के अपहरण के मामले में अखिलेश सिंह ज्यादा दिनों तक पुलिस की पकड़ से नहीं बच पाया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. इस केस में अखिलेश सिंह के अलावा 5 और आरोपी विजय सिंह मंटू, संतोष तिवारी, रमन सिंह, लालचंद सिंह और अरविंद सिंह नामजद किए गए थे. यह मुकदमा थाना साकची में दर्ज था. गिरफ्तारी के बाद अखिलेश को दूसरी बार जमशेदपुर की घाघीडीह जेल जाना पड़ा.

किसी बात को ले कर अखिलेश सिंह जेलर उमाशंकर पांडेय को अपना दुश्मन मानने लगा था. कुछ दिन जेल में रहने के बाद वह जेल से फरार हो गया और 15 दिन बाद 12 फरवरी, 2002 को जेल कैंपस स्थित जेलर उमाशंकर के घर जा कर उन की गोली मार कर हत्या कर दी और फरार हो गया.

जेलर पांडेय मर्डर केस में न्यायाधीश आर.पी. रवि ने अखिलेश सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई. सजा सुनने के बाद अखिलेश ने 19 मार्च, 2008 को न्यायाधीश आर.पी. रवि के घर में घुस कर उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग की. अखिलेश सिंह जज रवि के फैसले से नाराज था. हालांकि बाद में उसे काबरा अपहरण केस से दोषमुक्त कर दिया गया था.

खैर, हमले में जज आर.पी. रवि बालबाल बच गए थे. इस घटना के बाद जमशेदपुर में अखिलेश सिंह को आतंक का पर्याय माना जाने लगा. जुर्म किए बिना अपराध की सजा पाने के बाद अखिलेश ने जुर्म को ही सब कुछ मान लिया. विक्रम शर्मा अंडरवर्ल्ड डौन के रूप में कुख्यात था. अखिलेश सिंह ने विक्रम की अंगुली पकड़ कर अपराध की दुनिया में पांव रखा और उसे अपना गुरु बना लिया.

विक्रम शर्मा ने उसे जुर्म का ककहरा सिखाया. धीरेधीरे अखिलेश सिंह जुर्म की आग में तप कर कुख्यात बन गया. वह एक के बाद एक जुर्म कर के अपराधों की फेहरिस्त में अपना नाम लिखाता गया. जमशेदपुर की पुलिस, सफेदपोश और व्यापारी उस के नाम से खौफ खाने लगे. जान की सलामती के लिए पुलिस के बड़ेबड़े अधिकारी और सफेदपोश अखिलेश सिंह को संरक्षण देने लगे.

वह शान से नेताओं की कार में घूमता था. किसी की मजाल नहीं थी कि उसे कोई रोके या उस से कोई सवाल पूछे. जो भी उस के रास्ते में रोड़ा बनने की कोशिश करता था, फिल्मी खलनायकों की तरह वह बेदर्दी से गोली मार कर उस की हत्या कर देता था. जमशेदपुर पुलिस के लिए जब वह सिरदर्द बन गया तो उस ने अपना एक गिरोह बना लिया और ठिकाना बनाया राजधानी रांची को.

राजधानी रांची में उस ने गैंग की कमान अपने दाहिने हाथ कहे जाने वाले नंदन यादव को सौंपी. आज भी नंदन यादव अखिलेश सिंह के आपराधिक साम्राज्य की कमान संभालता है. उस के सहारे वह आपराधिक घटनाओं को अंजाम देता है.

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नंदन यादव का नाम रांची में उस समय उछला, जब लोहारदगा के बाक्साइड कारोबारी ज्ञानचंद अग्रवाल को रातू रोड के गैलेक्सी मोड़ पर गोली मारी गई. इस मामले का मुख्य साजिशकर्ता नंदन यादव ही था. व्यवसाई अरविंद भाई पटेल ने नंदन यादव को ज्ञानचंद अग्रवाल के नाम की सुपारी दी थी. मामला 25 लाख में तय हुआ था और बतौर पेशगी 9 लाख रुपए दिए गए थे, बाकी पैसा काम हो जाने के बाद देना तय हुआ था.

बाद में नंदन यादव गिरफ्तार कर लिया गया और उसे जेल भेज दिया गया. जमानत पर रिहा होने के बाद उस ने अखिलेश सिंह का कारोबार संभाल लिया. सुपारी के रुपए अखिलेश के फरजी नामों वाले बैंक एकाउंट में जमा हो जाते थे.

बाद में ओमप्रकाश काबरा के अपहरण के मामले में जेल जाने की वजह से अखिलेश ने अपने सब से भरोसेमंद शूटर रंजीत चौधरी के साथ अपने खिलाफ गवाही देने वाले काबरा को उस के साकची स्थित कार्यालय पहुंच कर दिनदहाड़े गोली मार कर हत्या कर दी थी.

मैच के दिन लगा दिया हत्या का दांव, क्योंकि पुलिस वीआईपी मेहमानों की सेवा में थी

यह हत्या दिन में उस समय की गई थी, जब जमशेदपुर के कीनन स्टेडियम में भारत इंग्लैंड के बीच एकदिवसीय मैच हो रहा था. मैच के चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और कई अंतरराष्ट्रीय मेहमान शहर में मौजूद थे, जिस की वजह से पुलिस महकमा कीनन स्टेडियम की सुरक्षा में तैनात था. पुलिस सुरक्षा को धता बताते हुए अखिलेश ने इस घटना को अपने गुर्गों के साथ अंजाम दिया था.

व्यवसाई ओमप्रकाश काबरा की हत्या से बौखलाए कुख्यात परमजीत सिंह ने अखिलेश सिंह को हत्या की चुनौती दे दी. अखिलेश सिंह और परमजीत सिंह के बीच 36 का आंकड़ा था. दोनों एकदूसरे के जानी दुश्मन थे. परमजीत सिंह को अखिलेश के वर्चस्व को चुनौती देना महंगा पड़ा और दोनों के बीच गैंगवार छिड़ गई.

इस गैंगवार में अखिलेश और परमजीत दोनों के कई शूटर मारे गए. अखिलेश और परमजीत की गिरफ्तारी के बाद दोनों को घाघीडीह जेल में रखा गया. तब अखिलेश ने जेल में ही परमजीत सिंह की हत्या करवा दी. परमजीत की हत्या के लिए अखिलेश ने अपने भरोसेमंद गुर्गे कपाली को जेल में ही पिस्टल उपलब्ध करवा दी थी.

अब तक अखिलेश सिंह गैंगस्टर से डौन बन चुका था. झारखंड में उस के नाम का सिक्का चलने लगा था. उस के एक फोन से झारखंड के बड़ेबड़े व्यापारियों की तिजोरियां खुल जाती थीं. वे उसे मुंहमांगी रकम देने को तैयार रहते थे. पाप की कमाई से अखिलेश सिंह ने कई राज्यों में रीयल एस्टेट के धंधे में करोड़ों रुपए निवेश किए थे.

अपराध जगत में कदम रखने के बाद उस ने 500 करोड़ की अकूत संपत्ति अर्जित की थी. अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा उस ने ट्रांसपोर्ट, रीयल एस्टेट समेत अन्य कई बिजनैस में लगाया था. टाटा समेत कोल्हान की कई कंपनियों में भी उस का काम चलता था. झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, राजस्थान और हरियाणा में भी उस ने निवेश किया. सन 2007 में अखिलेश सिंह का अपना कानून चलता था. वह जहां खड़ा हो जाता था, अदालत वहीं लग जाती थी. उस के जबान से जो फरमान जारी हो जाता, कानून बन जाता था.

2 गज जमीन बनी श्रीलेदर के मालिक आशीष डे की हत्या का कारण

उन दिनों झारखंड के बड़े व्यवसायियों में एक श्रीलेदर के मालिक आशीष डे का नाम शुमार था. आशीष लेदर के जूतों के बड़े कारोबारी थे. आशीष डे का मकान जमशेदपुर के साकची स्थित आमबागान के बगल में था. उन के घर के पास 2 गज जमीन खाली थी, जोकि एक बंगाली परिवार की थी. वह परिवार आशीष डे को जमीन बेचना चाहता था और डे वह जमीन अपने एक परिचित बंगाली परिवार को दिलाने का प्रयास कर रहे थे.

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जानें आगे क्या हुआ अगले भाग में…

मोहब्बत में पिता की बली: भाग 1

चारों तरफ घुप अंधेरा था. आसमान में बादल छाए थे और हलकी बूंदाबांदी हो रही थी. रात के 10 बज चुके थे. गांव के अधिकांश लोग गहरी नींद में थे. चारों ओर सन्नाटा पसरा था. श्याम नारायण मिश्रा की बेटी रीना को छोड़ कर उन के घर के सभी सदस्य सो गए थे. लेकिन रीना की आंखों से नींद कोसों दूर थी. वह चारपाई पर लेटी बेचैनी से इधरउधर करवटें बदल रही थी.

जब रीना को इत्मीनान हो गया कि घर के सभी लोग सो गए हैं तो वह चारपाई से आहिस्ता से उठी और दबे पांव दरवाजे की कुंडी खोल कर घर के बाहर पहुंच गई. घर के पड़ोस में रहने वाला अक्षय कुमार उर्फ छोटू बाहर खड़ा उस का इंतजार कर रहा था. रीना उस के पास पहुंची तो वह मुसकराते हुए फुसफुसाया, ‘‘आज आने में बड़ी देर कर दी, मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रहा हूं.’’

रीना ने एकदम उस के करीब आ कर हौले से कहा, ‘‘घर के लोग जाग रहे थे, इसलिए घर से निकल नहीं सकी. सब के सो जाने के बाद आने का मौका मिला’’

‘‘मुझे तो लग रहा था कि आज तुम नहीं आओगी.’’ अक्षय ने रीना का हाथ पकड़ कर कहा.

‘‘ऐसा कैसे हो सकता है अक्षय कि तुम बुलाओ और मैं न आऊं. तुम्हारे लिए तो मैं अपनी जान भी दे सकती हूं.’’ रीना ने अपना सिर अक्षय के सीने पर सटा कर कहा.

‘‘ऐसी बातें मत करो रीना, हमें जिंदा रहना है और अपने प्यार की दास्तान भी लिखनी है.’’ कहते हुए अक्षय ने रीना को अपनी बांहों में कैद कर लिया.

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उत्तर प्रदेश के जिला आजमगढ़ के थाना पवई के अंतर्गत एक गांव है सौदमा पवई. आजमगढ़ जाने वाली सड़क के किनारे बसे इस गांव की आबादी मिलीजुली है. इसी सौदमा गांव में श्याम नारायण मिश्रा अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी सुमन के अलावा 3 बेटे रत्नेश, उमेश, पिंकू तथा एक बेटी रीना थी. श्याम नारायण किसान थे. उन के बेटे खेती के काम में उन की मदद करते थे. श्याम नारायण गांव में श्याम पंडित के नाम से मशहूर थे.

रीना मिश्रा 3 भाइयों के बीच अकेली बहन थी, सब से छोटी भी, इसलिए सभी उसे स्नेह देते थे. रीना ने बचपन का आंगन लांघ कर यौवन की दहलीज पर कदम रख दिया था. उस का रंग तो सांवला था लेकिन आकर्षण गजब का था. उम्र का 16वां साल पार करते ही उस के रूपलावण्य में जो निखार आया, वह देखते ही बनता था.

श्याम नारायण मिश्रा के घर के ठीक सामने उदयराज मिश्रा का मकान था. उदयराज मिश्रा के परिवार में पत्नी किरन के अलावा 2 बेटे अजय कुमार, अक्षय कुमार तथा बेटी गरिमा थी. बेटी की उन्होंने शादी कर दी थी. उदयराज भी किसान थे.

श्याम नारायण मिश्रा और उदयराज के परिवारों में निकटता थी. दोनों परिवार एकदूसरे के सुखदुख में भागीदार रहते थे. परिवार की महिलाओं व बच्चों का बेरोकटोक एकदूसरे के घर आनाजाना था. रीना और अक्षय की उम्र में 4 साल का अंतर था. रीना 17 साल की उम्र पार कर चुकी थी, वहीं अक्षय 22 साल का हो चुका था.

रीना कभी मां के साथ तो कभी अकेले अक्षय के घर जाती थी. वह जब भी अक्षय के घर आती, अक्षय से पढ़ाई से संबंधित बातें कर लेती थी. बातचीत करते दोनों हंसीठिठोली भी करते तथा एकदूसरे को चिढ़ाते भी थे.

रीना और अक्षय दोनों ही युवा थे. इस उम्र में मन कुलांचे भरता है. दिल में किसी की चाहत पाने की तमन्ना होती है अत: दोनों का रुझान एकदूसरे के प्रति हो गया. मन ही मन वे आपस में प्यार करने लगे.

एक दिन बात करतेकरते अक्षय का मन मचला. उस ने रीना का हाथ पकड़ लिया. वह कुछ नहीं बोली. अक्षय अपने स्थान से उठ कर रीना से सट कर बैठ गया. रीना तब भी मुसकराती रही.

अक्षय के हौसले को हवा मिली तो उस ने रीना का चेहरा हथेलियों में ले लिया. विरोध करने के बजाय रीना मुसकराती रही.

अक्षय ने उस के होंठों की ओर होंठ बढ़ाए तो रीना ने हया से नजरें झुका लीं. होंठों से होंठों का मिलाप हुआ तो रोमांचित हो कर रीना ने आंखें बंद कर लीं. अक्षय ने रीना के होंठों से अपने होंठ अलग किए, तो रीना ने आंखें खोलीं. शरारती अंदाज में होंठों पर जीभ फिराई और मुसकराने लगी.

रीना के इस कातिलाना अंदाज पर अक्षय सौसौ जान से न्यौछावर हो गया.

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दोस्ती बदल गई प्यार में

शुरू में अक्षय और रीना के बीच महज दोस्ती थी. लेकिन समय के साथ इस रिश्ते ने कब प्यार का रूप धारण कर लिया, इस का पता न तो अक्षय को लगा और न ही रीना को. दोनों उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच चुके थे, जहां महत्त्वाकांक्षाएं हिलोरें मारने लगती हैं. मन में कुछ नया करने की उत्सुकता जाग उठती है. अक्षय को अब रीना सिर्फ दोस्त ही नहीं, बल्कि और भी बहुत कुछ लगने लगी थी. इसलिए वह रीना से बातें करते समय बेहद संजीदा हो जाता था.

रीना भी अक्षय में आए बदलाव से अनभिज्ञ नहीं थी. उस की शोख निगाहें जब अक्षय की निगाहों से टकरातीं तो उस के दिल में गुदगुदी सी होने लगती थी. उस का भी मन चाहता था कि अक्षय इसी तरह प्यार भरी निगाहों से उसे निहारता रहे.

दोनों पर प्यार का ऐसा नशा चढ़ा कि उन्हें एकदूसरे के बिना सब कुछ सूना लगने लगा. दोनों घंटों बैठ कर भविष्य की योजनाएं बनाते रहते. साथ जीनेमरने की कसमें भी खाते.

एक रोज अक्षय को जानकारी मिली कि रीना के मातापिता कहीं रिश्तेदारी में गए हैं और भाई खेत पर काम कर रहा है. उचित मौका देख अक्षय पासपड़ोस के लोगों की नजरों से बचते रीना के घर पहुंच गया.

घर के अंदर पहुंचते ही उस ने मुख्य दरवाजा बंद किया और फिर रीना को अपनी बांहों में जकड़ लिया. रीना कसमसाई और बनावटी विरोध भी किया. लेकिन अक्षय ने उसे मुक्त नहीं किया.

आखिर रीना ने भी शरीर ढीला छोड़ कर उस का साथ देना शुरू कर दिया. इस के बाद उन्होंने अपनी हसरतें पूरी कीं. फिर तो यह सिलसिला चल निकला. मौका मिलते ही दोनों अपनी हसरतें पूरी कर लेते थे.

दोनों रीना और अक्षय ने लाख कोशिश की कि उन के प्रेम संबंधों की भनक किसी को न लगे, लेकिन प्यार की महक को भला कौन रोक पाया. वह तो स्वयं ही फिजा में तैरने लगती है. एक रोज गांव के एक युवक ने शाम के वक्त दोनों को गांव के बाहर बगीचे में हंसीठिठोली करते देख लिया. उस युवक ने यह बात रीना के पिता श्याम नारायण मिश्रा को बता दी.

पिता को उस की बातों पर एक बार को तो विश्वास नहीं हुआ. उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उन की बेटी कोई ऐसा कदम उठाएगी, जिस के कारण उन का सिर शर्म से झुक जाए. श्याम नारायण ने इस बारे में घर में किसी से कुछ नहीं कहा, लेकिन रीना की निगरानी करने लगे.

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पिता ने पकड़ा रंगेहाथों

एक दिन श्याम नारायण ने खुद रीना को अक्षय से एकांत में मिलते देख लिया. प्रेमी से मिलने के बाद रीना जब घर लौटी तो उन्होंने उसे न केवल जम कर लताड़ा, बल्कि उस की पिटाई भी कर दी. उन्होंने उसे हिदायत दी कि आज के बाद अगर उस ने अक्षय से मिलने की कोशिश की तो उस के लिए अच्छा नहीं होगा.

रीना की मां सुमन ने भी समाज का हवाला दे कर रीना को समझाया, ‘‘बेटी, अक्षय पड़ोसी है. हमारे ही खानदान का है. हम दोनों एक ही गोत्र के हैं. इस नाते तुम दोनों का रिश्ता भाईबहन का है. इसलिए तेरा उस से मेलजोल बढ़ाना ठीक नहीं है.’’

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

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मोहब्बत में पिता की बली: भाग 2

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जब दो प्रेमियों के बीच पाबंदियां लगीं तो वे बुरी तरह छटपटाने लगे. दरअसल रीना अक्षय के दिलोदिमाग पर नशा बन कर छा चुकी थी. उस की सांवली सूरत ने अक्षय पर जादू सा कर दिया था. वही हाल रीना का भी था. वह भी अक्षय से एक पल को भी जुदा नहीं होना चाहती थी.

दोनों की प्रेम लगन बढ़ती गई तो उन्होंने मिलने का एक अनोखा रास्ता खोज लिया. एक दिन अक्षय ने रीना को संदेश भिजवाया कि वह रात को 10 बजे के बाद घर के बाहर गली में उस का इंतजार करेगा.

ग्रामीण परिवेश के लोग रात को जल्द सो जाते हैं और सुबह जल्दी उठते हैं. रीना के घर वाले भी जब रात 10 बजे तक गहरी नींद सो गए तो वह दबे पांव कुंडी खोल कर घर के बाहर चली गई, जहां अक्षय उस का इंतजार कर रहा था.

दोनों ने गिलेशिकवे दूर किए और घर से कुछ दूरी पर स्थित सहकारी भवन में पहुंच गए. वहां किसी के आने या देख लेने की आशंका नहीं थी. अपनी हसरतें पूरी करने के बाद दोनों अपनेअपने घर चले गए. उन के आनेजाने की किसी को भनक तक नहीं लगी. इस के बाद तो उन का वहां मिलने का सिलसिला ही चल पड़ा.

अक्षय और रीना मिलने में भले ही सतर्कता बरतते थे, लेकिन इस के बावजूद वे पकड़े गए. दरअसल एक रात रीना ने जैसे ही दरवाजे की कुंडी खोली, तभी श्याम नारायण की आंखें खुल गईं. वह उठे तो उन्हें दरवाजे पर एक साया दिखाई दिया. वह उस जगह पहुंचे तो रीना खड़ी थी.

श्याम नारायण को समझते देर नहीं लगी कि रीना घर के बाहर जा रही थी. उन्होंने सामने गली की ओर नजर डाली तो वहां एक युवक खड़ा था. वह उस की ओर लपके तो वह वहां से भाग कर अंधेरे में गुम हो गया. श्याम नारायण को समझते देर नहीं लगी कि भागने वाला युवक अक्षय था.

श्याम नारायण का गुस्सा सातवें आसमान जा पहुंचा. उन्होंने रीना का हाथ पकड़ा और घसीटते हुए घर के अंदर ले आए. उन्होंने उस की जम कर पिटाई की. रीना रात भर कराहती रही.

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सुबह होते ही श्याम नारायण पड़ोसी उदयराज के घर जा पहुंचे. उन्होंने उदयराज को धमकाया कि वह अपने आवारा लड़के अक्षय को समझा लें, वह हमारी बेटी रीना को बरगला रहा है. जिस दिन वह रीना के साथ दिख गया, उस दिन बहुत बुरा होगा.

उदयराज सुलझा हुआ इंसान था. उस ने श्याम नारायण की शिकायत बेहद गंभीरता से ली और भरोसा दिया कि वह अक्षय को डांटडपट कर तथा समझा कर रीना से दूर रहने की नसीहत देगा. साथ ही उस ने श्याम नारायण को भी सलाह दी कि वह भी रीना को प्यार से समझाए कि वह अक्षय से बात न करे.

दोपहर बाद अक्षय घर आया तो उदयराज ने उसे आड़े हाथों लिया. उस ने अक्षय को डांटा तथा रीना से दूर रहने की नसीहत दी. इस पर अक्षय ने पिता को बताया कि वह रीना से प्यार करता है और रीना भी उसे चाहती है. वे दोनों शादी करना चाहते हैं.

बेटे की यह बात सुनकर उदयराज ने उसे  बहुत लताड़ा. उन्होंने साफ कह दिया कि दोनों का गोत्र एक है, इसलिए उन की शादी नहीं हो सकती.

उधर रीना और अक्षय प्यार के उस मोड़ पर पहुंच गए थे, जहां से उन का वापस आना नामुमकिन था. इसलिए घर वालों की नसीहत का उन पर स्थाई असर नहीं हुआ. चोरीछिपे दोनों मिलते रहे. उन्हें जब जैसे घरबाहर जहां भी मौका मिलता, मिल लेते.

घर वालों की सतर्कता रह गई धरी की धरी

लेकिन सतर्कता के बावजूद एक रात वे दोनों फिर पकड़े गए. हुआ यह कि श्याम नारायण और उन के बेटे रिश्तेदारी में एक शादी समारोह में शामिल होने मीरजापुर गए थे. घर पर सुमन और रीना ही रह गई थी.

शाम को रीना ने खाना बनाया. उस ने पहले मां को खाना खिलाया फिर खाना खा कर घर का काम निपटाया. इस के बाद वह मां के साथ चारपाई पर लेट गई. सुमन तो कुछ देर बाद सो गई लेकिन रीना की आंखों से नींद कोसों दूर थी. उसे रहरह कर प्रेमी अक्षय की याद आ रही थी.

रीना की जब बेचैनी बढ़ी तो वह छत पर पहुंच कर टहलने लगी. उसी समय उस की निगाह अक्षय पर पड़ी. वह भी अपनी छत पर चहलकदमी कर रहा था. उसे देखते ही रीना की उस से मिलने की कामना बढ़ गई. उस ने एक कंकड़ फेंक कर अक्षय का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया. जब अक्षय ने उस की तरफ देखा तो उस ने उसे अपनी छत पर आने का इशारा किया.

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इशारा पाते ही अक्षय अपनी छत से नीचे उतर आया. इस के बाद रीना छत से उतर कर नीचे आई और दरवाजे की कुंडी खोल कर अक्षय को अपनी छत पर ले गई. वहां दोनों मौजमस्ती में लग गए.

उसी दौरान रीना की मां सुमन की आंखें खुलीं. चारपाई पर रीना को न देख कर उस का माथा ठनका. उस ने रीना की घर में खोज की. जब वह नहीं दिखी तो वह छत पर पहुंची. छत का दृश्य देख कर सुमन आश्चर्यचकित रह गई. छत पर रीना और अक्षय आपत्तिजनक अवस्था में थे.

सुमन को देख कर अक्षय तो जैसेतैसे कपड़े लपेट कर अपने घर चला गया, पर रीना कहां जाती. सुमन उस के बाल पकड़ कर खींचते हुए छत से नीचे लाई. फिर उस के गाल पर 4-5 तमाचे जड़ दिए और खूब खरीखोटी सुनाई.

सुमन शब्दों के तीर से रीना का सीना छलती करती रही और रीना अपराधबोध से सब सहती रही. सुबह मांबेटी में इतनी नफरत भर गई कि दोनों ने एकदूसरे का मुंह देखना तक मुनासिब नहीं समझा.

दोनों ही अलगअलग कमरे में पड़ी रोती रहीं. उस रोज घर में खाना भी नहीं बना. दूसरे दिन श्याम नारायण अपने बेटों के साथ वापस घर आ गए. घर में कलह न हो इसलिए सुमन ने पति को यह जानकारी नहीं दी.

सुमन अब रीना पर पैनी नजर रखने लगी थी. दिन की बात तो छोडि़ए, रात को भी वह उस की निगरानी रखती थी. लेकिन शातिर रीना मां की आंखों में धूल झोंक कर प्रेमी से मिल ही लेती थी. परंतु अपनी निगरानी से सुमन यह समझने लगी थी कि रीना और अक्षय का मेलजोल अब बंद हो गया है.

23 जून, 2019 को पड़ोस के गांव में एक यज्ञ का आयोजन था. श्याम नारायण तथा उन के बेटे इस आयोजन में शामिल होने के लिए रात 8 बजे अपने घर से चले गए. सुमन भी खाना खा कर चारपाई पर पसर गई. कुछ देर बाद वह गहरी नींद में सो गई.

रीना ने उचित मौका देखा और अपने प्रेमी अक्षय को घर बुला लिया. इस के बाद वह कमरे में जा कर प्रेमी के साथ मौजमस्ती में लग गई.

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इसी बीच श्याम नारायण यज्ञ आयोजन से घर वापस आ गया. दरअसल उन्हें नींद आ रही थी. घर पहुंच कर उन्होंने दरवाजे पर दस्तक दी तो दरवाजा खुल गया. कमरे के अंदर का दृश्य देख कर श्याम नारायण का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया.

कमरे के अंदर रीना और अक्षय आपत्तिजनक स्थिति में थे. श्याम नारायण ने अक्षय को जोर से लात जमाई तो वह लड़खड़ा कर उठा और वहां से अर्धनग्न अवस्था में ही वहां से भाग गया. इस के बाद उन्होंने रीना की जम कर पिटाई की और भद्दीभद्दी गालियां दीं.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

मोहब्बत में पिता की बली: भाग 3

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बाप की पिटाई ने आग में घी डालने जैसा काम किया. रीना के मन में अब बाप के प्रति नफरत की आग भड़क उठी. उस ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि वह प्रेमी की मदद से बाप को सबक जरूर सिखाएगी. उस ने यह भी निश्चय कर लिया कि यदि दोबारा बाप ने हाथ उठाया तो वह मुंहतोड़ जवाब देगी.

26 जून, 2019 की सुबह जब पिता व भाई खेत पर काम करने चले गए और मां खाना बनाने में लग गई तब रीना दबे पांव घर से निकली और बिना किसी डर के उस ने गली के मोड़ पर खड़े अक्षय से मुलाकात की. वह गंभीर हो कर बोली, ‘‘अक्षय, मैं तुम से बेहद प्यार करती हूं और तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रहना चाहती. लेकिन मेरा बाप हम दोनों के प्यार में रोड़ा बन रहा है. मैं चाहती हूं कि…’’

‘‘क्या चाहती हो तुम?’’ अक्षय उस की बात पूरी होने से पहले ही बोल पड़ा.

‘‘यही कि इस रोड़े को हमेशा के लिए हटा दो ताकि हमारी मुलाकात में कोई अड़चन न आए.’’ वह बोली.

‘‘तुम ठीक कह रही हो रीना. मैं तुम्हारा साथ जरूर दूंगा. मैं भी उस की लात अभी तक भूला नहीं हूं. जो उस ने मेरी पीठ पर जमाई थी.’’ अक्षय ने कहा.

इस के बाद रीना और अक्षय ने मिल कर श्याम नारायण की हत्या की योजना बनाई. योजना के तहत अक्षय पवई गया और एक मैडिकल स्टोर से नींद की गोलियां ला कर रीना को दे दीं.

योजना के तहत रीना ने 27 जून, 2019 की शाम खाना बनाने के बाद नशीली गोलियां खाने में मिला दीं. इस के बाद उसे छोड़ कर परिवार के सभी सदस्यों ने खाना खाया और अलगअलग चारपाई पर जा कर सो गए.

श्याम नारायण मिश्रा घर के बाहर मड़ई (झोपड़ी) में सोने चले गए. वह वहीं सोते थे. थोड़ी देर बाद नींद की गोलियों के असर से परिवार के लोग गहरी नींद में चले गए. लेकिन रीना की आंखों में नींद नहीं थी. वह तो प्रेमी के आने का इंतजार कर रही थी.

रात करीब 12 बजे अक्षय रीना के घर के बाहर आया. रीना को संकेत देने के लिए उस ने रीना के घर के बाहर सड़क किनारे लगा हैंडपंप चलाया. रीना हैंडपंप की आवाज सुन कर बाहर निकल आई और अक्षय को घर में ले गई. अक्षय ने रीना से पूछा कि मर्डर किस हथियार से करना है. इस पर रीना घर से फावड़ा व खुरपी ले आई.

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फिर दोनों श्याम नारायण की चारपाई के पास पहुंचे. रीना ने गहरी नींद में सो रहे पिता पर एक नजर डाली, फिर दोनों श्याम नारायण पर टूट पड़े. अक्षय ने फावड़े से श्याम नारायण के सिर, चेहरे व शरीर के अन्य हिस्सों पर प्रहार किया. वहीं रीना ने खुरपी से बाप के गले पर प्रहार कर जख्मी कर दिया. श्याम नारायण के लहूलुहान होने पर खून के छींटे दोनों के कपड़ों पर भी पडे़. कुछ देर तड़पने के बाद श्याम नारायण ने दम तोड़ दिया.

हत्या कर शव लगाया ठिकाने

हत्या करने के बाद रीना और अक्षय ने लाश ठिकाने लगाने की सोची. रीना के घर के बगल में एक संकरी गली थी, जिस के बीच नाली थी. दोनों ने इसी नाली में लाश छिपाने की योजना बनाई. योजना के तहत रीना ने दोनों हाथ तथा अक्षय ने दोनों पैर पकड़े और शव संकरी गली में बनी नाली में फेंक दिया. शव के ऊपर उन्होंने खरपतवार डाल दी, जिस से शव न दिखे.

शव ठिकाने लगाने के बाद रीना व अक्षय ने खून सना फावड़ा व खुरपी घर के अंदर भूसे की कोठरी में छिपा दी तथा घटनास्थल से खून आदि साफ कर दिया. रीना ने पिता का मोबाइल, चार्जर तथा चुनौटी (तंबाकू, चूना रखने की डब्बी) रसोई में ले जा गैस के पास रख दी. फिर बाथरूम में खून सने कपड़े उतारे और हाथों में लगा खून साफ किया. कपड़े उस ने घर में ही छिपा दिए और चारपाई पर जा कर लेट गई.

उधर अक्षय ने हैंडपंप से खून सने हाथ साफ किए तथा खून सने कपड़े उतार कर दूसरे पहन लिए. खून सने कपड़े उस ने गांव के बाहर झाडि़यों में छिपा दिए. इस के बाद वह इत्मीनान से घर के बाहर पड़ी चारपाई पर आ कर सो गया.

सुबह अलसाई आंखों से सुमन देर से जागी. वह चाय बनाने रसोई में पहुंची तो वहां पति का मोबाइल, चार्जर व चुनौटी रखी थी. सामान देख कर वह असमंजस में पड़ गई, फिर सोचा कि शायद वह भूल गए होंगे.

चाय बना कर वह बाहर आई तो देखा पति चारपाई पर नहीं हैं. उस ने घर के अंदर सो रहे बेटों तथा बेटी रीना को उठाया और बताया कि उन के पापा पता नहीं कहां चले गए हैं? कुछ ही देर बाद श्याम नारायण मिश्रा के गायब हो जाने का हल्ला पूरे गांव में मच गया.

श्याम नारायण मिश्रा की तलाश शुरू हुई तो उसी खोजबीन में किसी ने उन की लाश घर के बगल में संकरी गली में नाली में पड़ी देखी. लाश के ऊपर जो घासफूस डाली गई थी, जो पानी में बह गई थी.

लाश मिलते ही घर में कोहराम मच गया. सुमन मिश्रा दहाड़ें मार कर रोने लगी. परिवार के अन्य सदस्य भी रोनेपीटने लगे. इसी बीच गांव के किसी व्यक्ति ने थाना पवई पुलिस को सूचना दे दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी संजय कुमार पुलिस टीम के साथ सौदमा गांव आ गए.

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उन्होंने घटना की सूचना पुलिस अधिकारियों को भी दे दी, फिर शव को नाली से बाहर निकलवाया. श्याम नारायण मिश्रा की हत्या बड़ी बेरहमी से की गई थी. उन के शरीर पर किसी धारदार हथियार से प्रहार कर मौत के घाट उतारा गया था. उन के सिर, चेहरा व शरीर के अन्य भागों पर एक दरजन से अधिक चोटें थीं.

थानाप्रभारी अभी निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एसपी त्रिवेणी सिंह, एसपी (यातायात) मोहम्मद तारिक तथा सीओ (फूलपुर) शिवशंकर सिंह आ गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया तथा परिजनों से पूछताछ की. अधिकारियों ने थानाप्रभारी को आदेश दिया कि वह शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजें और घटना का जल्द खुलासा करें.

आदेश पाते ही थानाप्रभारी ने शव को पोस्टमार्टम हेतु भिजवाया और मृतक की पत्नी सुमन, बेटी रीना तथा बेटों रत्नेश, रमेश व पिंकू से पूछताछ की. सभी ने हत्या से अनभिज्ञता जाहिर की.

इसी बीच थानाप्रभारी को पता चला कि मृतक की बेटी रीना और पड़ोसी युवक अक्षय के बीच प्रेम संबंध हैं, जिस का श्याम नारायण विरोध करते थे. हत्या का रहस्य इन्हीं दोनों के पेट में छिपा है. यदि दोनों से सख्ती से पूछताछ की जाए तो भेद खुल सकता है.

दोनों प्रेमी हुए गिरफ्तार

यह जानकारी मिलते ही पहली जुलाई, 2019 को थानाप्रभारी संजय कुमार ने रीना और उस के प्रेमी अक्षय को हिरासत में ले लिया. थाना पवई ला कर जब दोनों से श्याम नारायण की हत्या के संबंध में सख्ती से पूछा गया तो दोनों टूट गए और हत्या का जुर्म कबूल कर लिया.

रीना की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में प्रयुक्त फावड़ा, खुरपी तथा खून सने कपड़े बरामद कर लिए.

अक्षय की निशानदेही पर पुलिस ने उस के खून से सने कपड़े बरामद कर लिए जिन्हें उस ने झाडि़यों में छिपा दिया था. मृतक का मोबाइल, चार्जर, चुनौटी भी पुलिस ने बरामद कर ली. बरामद सामान को पुलिस ने साक्ष्य के तौर पर जाब्ते में शामिल कर लिया.

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चूंकि अभियुक्तों ने हत्या का जुर्म कबूल कर लिया था, अत: थानाप्रभारी संजय कुमार ने मृतक की पत्नी सुमन मिश्रा की तरफ से रीना और अक्षय के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत मुकदमा दर्ज कर उन्हें बंदी बना लिया.

अभियुक्तों से एसपी त्रिवेणी सिंह ने भी पूछताछ की और उन्हें मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा किया. 2 जुलाई, 2019 को थाना पवई पुलिस ने अभियुक्त रीना व अक्षय को आजमगढ़ कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया, जहां से उन्हें जिला कारागार भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

पहलवान का वार: भाग 1

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

11अगस्त, 2019 को सुबह करीब साढ़े 5 बजे का वक्त था. मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बसंतपुर तिगेला गांव के लोग खेतों की तरफ जा रहे थे, तभी उन्हें गांव के कच्चे रोड पर किसी व्यक्ति की डैडबौडी पड़ी दिखी. किसी ने इस की सूचना फोन द्वारा चंदला थाने को दे दी.

सुबहसुबह लाश मिलने की सूचना मिलते ही टीआई वीरेंद्र बहादुर सिंह घटनास्थल की तरफ रवाना हो गए. जब वह घटनास्थल पर पहुंचे तो कच्ची सड़क पर एक आदमी का खून से लथपथ शव पड़ा था. इस की सूचना टीआई ने एसपी (छतरपुर) तिलक सिंह को दे दी. टीआई वीरेंद्र बहादुर सिंह ने लाश का मुआयना किया तो उस के शरीर पर गोलियों के घाव दिखे. मृतक की उम्र 40-45 साल के बीच रही होगी.

चूंकि वहां मौजूद लोगों में से कोई भी उसे नहीं पहचान सका, इसलिए लगा कि उसे कहीं दूसरी जगह से ला कर यहां मारा गया था. पहनावे से वह मुसलमान लग रहा था. पुलिस ने इस की पुष्टि के लिए उस के कपड़े हटा कर देखे तो साफ हो गया कि मृतक मुसलिम ही है.

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तलाशी लेने पर मृतक की जेब में एक मोबाइल फोन मिला. उस मोबाइल की काल हिस्ट्री देखी गई तो पता चला कि 10 अगस्त को उस ने एक नंबर पर आखिरी बार बात की थी. जिस नंबर पर आखिरी बार बात हुई थी, टीआई वीरेंद्र सिंह ने उस नंबर पर बात की.

वह नंबर उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले के बसेला गांव में रहने वाले ताहिर खान का निकला. ताहिर खान ने टीआई को बताया कि यह नंबर उस के पिता आशिक अली का है, जो इन दिनोें पन्ना जिले के धरमपुर में रहते हैं.

यह जानने के बाद टीआई सिंह ने बरामद शव का फोटो खींच कर ताहिर के वाट्सऐप पर भेजा. फोटो देखते ही ताहिर ने शव की पहचान अपने पिता आशिक अली के रूप में कर दी. टीआई ने ताहिर को चंदला थाने पहुंचने को कहा और जरूरी काररवाई कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

अगले दिन ताहिर अपने रिश्तेदारों के साथ मध्य प्रदेश के चंदला थाने पहुंच गया. पुलिस ने मोर्चरी में रखी लाश ताहिर और उस के घर वालों को दिखाई तो वे सभी लाश देखते ही रोने लगे. उन्होंने उस की शिनाख्त आशिक अली के रूप में की.

इस के बाद टीआई ने ताहिर खान से उस के पिता और परिवार के बारे में विस्तार से बात की तो कई चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं.

पता चला कि मरने वाला आशिक अली दूध का धुला नहीं था. वह हमीरपुर का तड़ीपार बदमाश था, जो जिलाबदर होने के बाद पन्ना जिले के धरमपुर कस्बे में आ कर रहने लगा था. कहावत है कि चोर चोरी करना भले ही छोड़ दे लेकिन हेराफेरी से बाज नहीं आता.

साफ था कि आशिक अली ने धरमपुर आ कर अपने पुराने कामों से पूरी तरह संन्यास नहीं लिया होगा, धरमपुर में भी उस की कुछ तो आपराधिक गतिविधियां जरूर रही होंगी. इसलिए एसपी छतरपुर को मृतक के संबंध में पूरी जानकारी देने के बाद उन के निर्देश पर टीआई वीरेंद्र सिंह मामले की जांच करने के लिए पुलिस टीम ले कर धरमपुर पहुंच गए.

धरमपुर पन्ना जिले का छोटा सा मुसलिम बाहुल्य कस्बा है. कुछ समय पहले वीरेंद्र सिंह इस जिले में तैनात रह चुके थे, इसलिए उन्हें उस क्षेत्र की अच्छी जानकारी थी. धरमपुर पहुंच कर उन्होंने अपने तरीके से आशिक अली के बारे में जानकारी जुटाई तो जल्दी ही उस की पूरी जन्मकुंडली उन के सामने आ गई.

हमीरपुर से जिलाबदर कर दिए जाने के बाद अपने समाज के लोगों की बहुतायत देख कर आशिक अली धरमपुर आ कर बस गया था, जहां उसी के समाज के कुछ लोगों ने उस की मदद की.

दोनों बदमाशों की मिली कुंडली

वहां पैर जमने के बाद आशिक अली ठेके और बंटाई पर जमीन ले कर खेतीकिसानी करने लगा. उस ने कुछ घोड़े भी पाल लिए थे, जिन का उपयोग वह शादीविवाह में करता था. फिर वह घोड़ों की खरीदबिक्री का काम भी करने लगा था. यहां आ कर वह सीधे तौर पर तो किसी अपराध से नहीं जुड़ा था, लेकिन पुराना अपराधी होने की ठसक उस के अंदर से पूरी तरह से गई नहीं थी. जिले के अलावा आसपास के दूसरे कई बदमाशों से उस की दोस्ती हो गई थी.

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लोगों ने बताया कि लगभग 3-4 महीने से आशिक अली ने अपने घर पर छतरपुर जिले के लवकुश नगर निवासी बफाती पहलवान को पनाह दी हुई थी. दोनों की कुंडली मिलने का बड़ा कारण यह था कि बफाती भी आशिक अली की तरह छतरपुर का जिलाबदर बदमाश था. इसलिए बफाती के आ जाने के बाद दोनों मिल कर बदमाशी के क्षेत्र में उठापटक करने लगे थे.

बफाती अपने साथ लगभग 14 साल की निहायत ही खूबसूरत लड़की सलमा खातून को ले कर आया था. पहले तो लोगों का अनुमान यही था कि सलमा खातून बफाती की बेटी होगी, लेकिन ऐसा नहीं था. सलमा बफाती की बेटी की उम्र की थी. वह सलमा को भगा कर लाया था. यह बात वहां के लोगों को अच्छी नहीं लगी, पर बफाती का विरोध करने की हिम्मत कोई नहीं कर सका. अलबत्ता कुछ लोगों ने आशिक अली से जरूर इस बारे में समाज की नापसंद जाहिर कर दी.

इतनी जानकारी टीआई वीरेंद्र सिंह को यह समझने के लिए काफी थी कि आशिक की हत्या की कहानी इसी प्रेम कहानी में कहीं छिपी हो सकती है. लेकिन इस के लिए यह जानना जरूरी था कि बफाती के साथ आई किशोर उम्र की सलमा खातून आखिर कौन थी और वह बफाती के हाथ कैसे लगी. इस बारे में जानकारी जुटाने पर पता चला कि आशिक, बफाती और सलमा खातून के गांव से एक साथ गायब होने से कुछ दिन पहले महोबा थाने का एक सिपाही सलमा खातून के बारे में पूछताछ करता हुआ धरमपुर आया था.

इस पर टीआई वीरेंद्र सिंह ने महोबा पुलिस से संपर्क किया, जिस में पता चला कि छतरपुर से जिलाबदर होने के बाद बफाती महोबा की कांशीराम कालोनी में बिच्छू पहाड़ी के पास किराए के मकान में रह रहा था.

सलमा खातून उस के पड़ोसी परिवार की बेटी थी. बफाती ने सलमा खातून को अपने जाल में फांस लिया था, जिस के बाद जून महीने में वह उसे महोबा से ले कर लापता होने के बाद धरमपुर में आशिक अली के साथ रह रहा था.

टीआई सिंह ने सलमा खातून की मां मुबीन और पिता मकबूल हुसैन से भी पूछताछ की, जिस में उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले एक अज्ञात आदमी ने उन्हें फोन कर हमारी बेटी के धरमपुर में होने की खबर दी थी. यह जानकारी हम ने महोबा पुलिस को दे दी थी.

कहीं वह अज्ञात व्यक्ति आशिक अली ही तो नहीं था, जिस ने सलमा के मातापिता को खबर दी थी? क्योंकि बफाती और सलमा को ले कर गांव के लोग आशिक अली से अपना विरोध जता चुके थे.

अब पुलिस को बफाती पर शक होने लगा. गांव के कुछ लोगों ने बताया कि घटना वाले दिन 11 अगस्त को सुबह 4-5 बजे बफाती, आशिक और सलमा एक ही बाइक से कहीं जाते हुए देखे गए थे. इस से बफाती पर शक और गहरा गया. टीआई वीरेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ बफाती की तलाश में जुट गए.

इस के लिए उन्होंने बफाती के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई, जिस से पता चला कि आशिक अली की लाश मिलने के बाद बफाती ने अपने नंबर से सलमा खातून की मां और उस के बाप को फोन किया था. इस के बाद उस का मोबाइल बंद हो गया था. टीआई ने इन दोनों से पूछताछ की, जिस में उन्होंने चौंका देने वाली बात बताई.

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सलमा खातून की मां मुबीन और बाप मकबूल हुसैन ने बताया कि उन्हें बफाती ने फोन पर बताया था कि आशिक अली ने हमारी मुखबिरी कर के अपनी मौत को बुलावा दिया है. इसलिए मैं ने उस का कत्ल कर दिया है. अब तुम भी अपनी बेटी सलमा को भूल जाओ वरना तुम्हें भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा.

बफाती छंटा हुआ पुराना बदमाश था. पुलिस से बचने के लिए उस ने अपना मोबाइल बंद कर रखा था, इसलिए टीआई उस तक पहुंचने के दूसरे रास्तों की निगरानी करने लगे. जिस के चलते पुलिस को जल्द ही बफाती द्वारा एटीएम से पैसे निकालने की जानकारी मिली. यह छोटा सा सुराग बड़ी सफलता का साधन बन सकता था.

पुलिस को पता कि बफाती ने जिस एटीएम से पैसे निकाले हैं, वह पन्ना जिले में छानी गांव के पास है. टीम छानी पहुंच गई. वहां के लोगों को पुलिस ने बफाती का फोटो दिखा कर पूछताछ की तो वहां के एक दुकानदार ने बताया कि यह आदमी कुछ दिन पहले उस की दुकान पर आया था. लोगों से उस की मोटरसाइकिल का नंबर भी मिल गया. आरटीओ से जानकारी ली गई तो पता चल गया कि मोटरसाइकिल बफाती खान के नाम से रजिस्टर्ड है.

पुलिस को देख कर डरा नहीं बफाती

बफाती छानी में था, इसलिए टीआई वीरेंद्र सिंह भी वहां पहुंच गए. जिस के बाद एकएक कदम बढ़ाते हुए वह गांव के बाहर खेत में बने अल्ताफ के टपरे तक जा पहुंचे, जहां एक कोने में बफाती बेसुध सो रहा था. आहट होने पर उस की आंखें खुल गईं.

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कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

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पहलवान का वार: भाग 2

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

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अपने सामने पुलिस देख वह चौंका तो लेकिन डरा नहीं. उस ने पास में छिपा कर रखा हथियार निकालने की कोशिश की तो टीआई ने उसे कब्जे में ले लिया. सलमा भी यहीं थी. पुलिस ने उसे भी हिरासत में ले लिया. बफाती की तलाशी ली गई तो उस के पास 315 बोर का देशी कट्टा और 6 जिंदा कारतूस बरामद हुए. पुलिस उसे गिरफ्तार कर थाने ले आई.

थाने ला कर टीआई वीरेंद्र सिंह ने बफाती से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने आशिक की हत्या करने की बात कबूल कर ली. बफाती ने यह भी बताया कि आशिक अली ने सलमा के मामले में उस की मुखबिरी सलमा के मातापिता से की थी. इसी वजह से उस ने उस का कत्ल कर दिया. बफाती के एक नामी पहलवान से कातिल बनने की कहानी इस प्रकार सामने आई.

बफाती मूलरूप से छतरपुर जिले के लवकुश नगर कस्बे का रहने वाला था. मजबूत कदकाठी का होने के कारण उसे छोटी सी उम्र में ही पहलवानी का शौक लग गया था. कहते हैं कि 16 साल की उम्र में आतेआते वह पहलवानी में इतना माहिर हो गया कि अपने से डेढ़ गुना बड़ी उम्र के पहलवान को पलक झपकते धूल चटा देता था. इस से जल्द ही पूरे जिले में उस के नाम की तूती बोलने लगी. लंगोट कस कर बफाती अखाड़े में उतरता तो लोग तालियों और शोरशराबे से उस का स्वागत करते थे.

लेकिन वह पहलवानी के दांवपेंच में जितना पक्का था, लंगोट का उतना ही कच्चा. उस के संबंध कई कमसिन उम्र की लड़कियों से थे. गांव में एक तो ऐसे मामले खुल कर सामने नहीं आ पाते, दूसरे किसी को भनक लगती तो वह उस की पहलवानी की ताकत के डर से मुंह नहीं खोलता था. इस से कुछ समय बाद बफाती को अपनी ताकत पर घमंड हो गया.

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धीरेधीरे बफाती का डंका पूरे इलाके में बजने लगा तो कुछ राजनीतिक लोग बाहुबल के लिए बफाती का इस्तेमाल करने लगे. जिस का फायदा उठा कर वह गैरकानूनी कामों से पैसा बनाने लगा. फिर जल्द ही वह इलाके में अवैध शराब के कारोबार का सरगना बन गया. ऐसे में दूसरे बदमाशों से उस का टकराव हुआ भी तो बफाती ने अपने बाहुबल पर सब को किनारे लगा दिया.

किसी के साथ भी मारपीट करना उस के लिए आम बात हो गई थी, जिस के चलते धीरेधीरे बफाती के खिलाफ लवकुश नगर थाने में दर्ज मामलों की गिनती बढ़ने लगी. साथ ही उस के अपराध भी गंभीर होते गए.

बफाती के आपराधिक रिकौर्ड के कारण मध्य प्रदेश में 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले उसे छतरपुर से जिलाबदर कर दिया गया. इस के बाद वह पास ही उत्तर प्रदेश के मुसलिम बाहुल्य महोबा शहर में जा कर वहां की कांशीराम कालोनी में किराए पर रहने लगा.

नाबालिग लड़कियों का शौकीन था बफाती

महोबा के बफाती के घर के ठीक सामने 14 वर्षीय सलमा खातून अपने मातापिता के साथ रहती थी. बफाती कमसिन उम्र की लड़कियों को अपने जाल में फांसने में एक्सपर्ट था. खूबसूरत सलमा को देख कर वह उस का दीवाना हो गया. सलमा के मातापिता गरीब थे और बफाती के पास अवैध कमाई की दौलत थी. उस ने सलमा के पिता मकबूल हुसैन को दूल्हाभाई कहते हुए सलमा का मामू बन कर उस के घर में पैठ बना ली.

इस दौरान वह सलमा खातून के घर पर काफी पैसा लुटाते हुए उस पर डोरे डालता रहा, जिस से सलमा जल्द ही उस के जाल में फंस गई. इस के बाद वह जबतब उस के घर जाने लगा. मौका मिलने पर वह सलमा को अपने कमरे पर भी बुला लेता. फिर एक दिन वह उसे ले कर महोबा से फरार हो गया.

सलमा के लापता हो जाने से मोहल्ले में हल्ला मच गया. रिपोर्ट हुई तो पुलिस ने मोहल्ले के कई लड़कों को शक के आधार पर कई दिनों तक थाने में बैठाए रखा. सलमा खातून को बफाती ले कर भागा है, यह बात काफी दिनों बाद लोगों की समझ में आई.

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इधर सलमा खातून को ले कर बफाती सीधे पन्ना के धरमपुर में रहने वाले आशिक अली के पास पहुंचा. आशिक खुद भी जिलाबदर होने के कारण धरमपुर में रह रहा था. बफाती से उस की पुरानी दोस्ती थी, इसलिए उस ने उसे अपने घर में शरण दे दी.

धरमपुर मुसलिम बाहुल्य कस्बा है, जिस से वहां के लोगों ने जिस तरह कभी आशिक को हाथोंहाथ लिया था, वैसे ही बफाती की भी मदद की. दरअसल वे सलमा खातून को बफाती की बेटी समझे थे. लेकिन जब उन्होंने सलमा के साथ उस की हरकतें देखीं तो उन्हें बफाती संदिग्ध लगा.

गांव में सलमा खातून की उम्र की कई लड़कियां थीं, जिन से उस की दोस्ती भी हो गई थी. गांव वालों को लगा कि अपने बाप की उम्र के मर्द के साथ रखैल के रूप में रहने वाली सलमा की संगत का असर उन के बच्चों पर भी हो सकता है, इसलिए उन्होंने अपनी बेटियों के उस से मिलने पर पाबंदी लगा दी.

चूंकि आशिक ने बफाती को शरण दी थी, इसलिए गांव वाले इस स्थिति के लिए आशिक को दोषी मानने लगे. उन्होंने इस की शिकायत आशिक से की. उन्होंने कहा कि वह अपने इस दोस्त को यहां से रवाना करे.

दोस्त बना दुश्मन

आशिक खुद भी बफाती की इस हरकत से परेशान था. क्योंकि वह कभी भी कहीं भी सलमा के साथ अय्याशी करने लगता था. इस के लिए वह किसी की शर्मलिहाज नहीं करता था. हालांकि बफाती के आने से आशिक को कई फायदे हुए थे. उस के मजबूत कसरती बदन के कारण लोग आशिक अली से भी डरने लगे थे.

फिर भी आशिक अली को उस का सलमा के साथ रहना अखरने लगा था. उस ने इस बात का बफाती से सीधे विरोध करने के बजाय दूसरा रास्ता निकाला. सलमा खातून आशिक को मामू कहती थी, इस बात का फायदा उठा कर उस ने धीरेधीरे सलमा से उस के घर का पता पूछ लिया. साथ ही उस ने बफाती के कुछ पुराने कर्मों की जानकारी भी सलमा को दी ताकि वह बफाती से नफरत करने लगे.

यह जानने के बाद आशिक ने अपने महोबा  के एक दोस्त द्वारा सलमा खातून के धरमपुर में होने की जानकारी उस के मातापिता को भिजवा दी. खबर पा कर कुछ रोज पहले महोबा पुलिस का एक सिपाही धरमपुर आ कर सलमा खातून से पूछताछ करने लगा.

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इस बात की जानकारी मिलने पर बफाती चौंका. क्योंकि सलमा कहां की रहने वाली है, यह बात उस ने आशिक को भी नहीं बताई थी. इसलिए उस ने खुद सलमा से गुप्त तरीके से जानकारी ली, जिस में उस ने बता दिया कि आशिक मामू ने उस से पूछा था इसलिए उस ने बता दिया कि वह महोबा के कांशीराम कालोनी की रहने वाली है.

यहीं से बफाती को शक हो गया कि आशिक ने ही उस की मुखबिरी की है. संयोग से इसी बीच सलमा ने बफाती से पहले उस की प्रेमिका रही एक दूसरी नाबालिग लड़की के बारे में पूछा तो बफाती को पूरा भरोसा हो गया कि आशिक उसे डबलक्रौस कर रहा है.

बफाती ने दुश्मन को माफ करना सीखा ही नहीं था. इसलिए सलमा को अपनी रखैल बनाए रखने के लिए उस ने धरमपुर छोड़ने के साथसाथ आशिक को भी ठिकाने लगाने की ठान ली.

इस काम को अंजाम देने के लिए बफाती ने आशिक को जरा भी शक नहीं होने दिया कि उस ने उसे सबक सिखाने के लिए क्या योजना बना रखी है. 11 अगस्त, 2019 को उस ने आशिक से कहा कि महोबा पुलिस को मेरी जानकारी लग चुकी है, इसलिए अब इस गांव में रहना ठीक नहीं है. उस ने गांव छोड़ने की बात कहते हुए दोस्ती के नाते आशिक को भी साथ चलने को कहा.

बफाती के गांव से जाने की बात सुन कर आशिक खुश हो गया. लेकिन बफाती अपना इरादा न बदल दे, इसलिए उस के साथ गांव छोड़ने को राजी भी हो गया. उस का विचार था कि बफाती कहीं और जम जाएगा तो वह खुद धरपुर वापस आ जाएगा, लेकिन बफाती ने कुछ और ही सोच रखा था. 11 अगस्त को सुबह लगभग 4-5 बजे बफाती अपनी बाइक पर सलमा और आशिक को ले कर गांव से निकल पड़ा.

लगभग एक घंटे के बाद बसंतपुर तिगेला आ कर बफाती ने गुटखा खाने के बहाने बाइक रोक दी, जिस के बाद बाइक से नीचे उतरते ही कमर में खोंस कर रखे देशी कट्टे से आशिक के ऊपर एक के बाद एक 3 गोलियां दागीं, जिस से उस की मौत हो गई. उस की लाश को वहीं पड़ा छोड़ कर वह सलमा के साथ पन्ना के छानी गांव में रहने वाले अपने दोस्त अल्ताफ के पास चला गया.

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पुलिस ने बफाती की मदद करने के आरोप में अल्ताफ के खिलाफ भी भादंवि की धारा 212 एवं 216 के तहत काररवाई की. पुलिस ने बफाती से पूछताछ के बाद उसे व उस के दोस्त अल्ताफ को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. कथा लिखने तक महोबा पुलिस भी बलात्कार, अपहरण एवं पोक्सो एक्ट के तहत बफाती को अदालत से रिमांड पर ले कर महोबा ले जाने की काररवाई कर रही थी. – कथा में सलमा खातून परिवर्तित नाम है

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

2 करोड़ की प्रीत: भाग 1

(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

25 सितंबर, 2019 तक मध्यप्रदेश में उजागर हुए सेक्स स्कैंडल जिसे मीडिया ने हनीट्रैप नाम दिया था, का मुकम्मल बवाल मच चुका था. हर दिन इस स्कैंडल से जुड़ी कोई खबर सनसनी पैदा कर रही थी. राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में काम कम इस देशव्यापी स्कैंडल और उस से जुड़े अधिकारियों और नेताओं की चर्चा ज्यादा हो रही थी कि इस में कौनकौन फंस सकते हैं.

लेकिन जब सरकार ने इस स्कैंडल की जांच के बाबत विशेष जांच दल का गठन कर दिया तो चर्चाएं और खबरें धीरेधीरे कम होने लगीं और दीवाली आतेआते लोगों की जिज्ञासा भी खत्म होने लगी.

जो लोग यह जानने को उत्सुक थे, उन नेताओं और अधिकारियों के असल चेहरे और नाम उजागर होंगे, जिन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा था, उन की उत्सुकता भी ठंडी पड़ गई थी.

लोगों ने मान लिया कि इस कांड का हाल भी व्यापमं घोटाले जैसा होना तय है, जिस में कोई नहीं फंसा था और जो फंसे थे वे सीबीआई जांच के बाद दोषमुक्त हो गए थे.

अगर यही होना था तो इतना बवंडर क्यों मचा, इस सवाल का सीधा सा जवाब यही निकलता है कि मकसद चूंकि इस में फंसे शौकीन रंगीनमिजाज राजनेताओं और अधिकारियों को और ज्यादा ब्लैकमेलिंग से बचाना था, इसलिए इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर हरभजन सिंह को बलि का बकरा बनाया गया और आरोपियों को जेल भेज कर बाकियों को कुछ इस तरह बचा लिया गया कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

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इस सेक्स स्कैंडल की सनसनी का इकलौता फायदा यह हुआ कि जो दूसरे मर्द इस तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रहे थे, उन में से कुछ को हिम्मत बंधी कि अगर पुलिस में रिपोर्ट लिखाई जाए तो ब्लैकमेलिंग से छुटकारा मिल सकता है. क्योंकि इंदौर भोपाल के सेक्स स्कैंडल में काररवाई ब्लैकमेल करने वाली बालाओं के खिलाफ हुई थी और पीडि़त पुरुष साफ बच गए थे.

मुमकिन है कि आने वाले वक्त में कुछ बड़े नाम सामने आएं, लेकिन यह अंजाम कांड के आगाज जैसा हाहाकारी तो कतई नहीं होगा.

ऐसे ही एक शख्स हैं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के युवा हार्डवेयर व्यापारी चेतन शाह, जिन्हें मध्य प्रदेश की सनसनी से लगा कि अगर पुलिस की मदद ली जाए तो ब्लैकमेलिंग से मुक्ति मिल जाएगी. शर्त बस इतनी सी है कि पहले पुलिस को ईमानदारी से सच बता दिया जाए कि वे प्रीति तिवारी नाम की खूबसूरत बला के बिछाए प्रीत जाल में कैसे फंसे थे और अब तक कितना पैसा उस पर उड़ा चुके थे या फिर ब्लैकमेल हो कर मजबूरी में दे चुके थे.

अक्ल आई तो चेतन पहुंचे एसपी के पास

रायपुर के पौश इलाके वीआईपी एस्टेट तिराहा के पास पाम बेलाजियो बी-201, मोहबा पंढरी में रहने वाले चेतन की दुकान का नाम बाथ स्टूडियो है जो देवेंद्र नगर में है.

25 सितंबर की शाम कोई पांच साढ़े पांच बजे चेतन मन में उम्मीदें और आशंकाएं दोनों लिए रायपुर के सिटी एडीशनल एसपी के औफिस पहुंचे. चेतन की रायपुर में अपनी एक अलग साख और पहचान है, जिस से हर कोई वाकिफ है.

बीते 5 सालों से उन पर क्या गुजर रही थी, इस का अंदाजा किसी को नहीं था. यह दास्तां सिलसिलेवार उन्होंने एडीशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर को सुनाई तो उन की आंखें चमक उठीं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रीति के तार भी मध्य प्रदेश के सेक्स स्कैंडल और गिरोह से जुड़े हों.

चेतन ने प्रफुल्ल ठाकुर को जो बताया, वह भोपाल इंदौर के मामलों से मेल खाता हुआ था, जिन में सैक्सी सुंदरियों ने पूरी दबंगई से अच्छेअच्छे अफसरों और रसूखदार नेताओं को अपनी अंगुलियों पर नचाया था, क्योंकि उन के पास वे वीडियो थे जिनमें ये नेता, अधिकारी उन्मुक्त हो कर रंगरलियां मना रहे थे. ये वीडियो अगर उजागर हो जाते तो ये लोग समाज में कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाते.

यही हाल चेतन का था, 6 साल पहले जिन की दोस्ती प्रीति तिवारी से फेसबुक पर हुई थी. 28 वर्षीय चेतन का करोड़ों का कारोबार था और घर में या जिंदगी में किसी चीज की कमी नहीं थी. वे दिनरात अपने कारोबार में डूबे रहते थे और बचा वक्त पत्नी और नन्ही बेटी के साथ गुजारते थे.

आमतौर पर ऐसा होता है कि जब आदमी कामयाबियों की सीढि़यां चढ़ रहा होता है तो उस के सामने कई तरह के प्रलोभन आते हैं, जिन से समझदार आदमी तो बच कर आगे बढ़ जाता है, जबकि नासमझ इस में फंस कर अपना सब कुछ गंवा बैठते हैं. यही चेतन के साथ भी हुआ था.

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20 वर्षीय प्रीति तिवारी मूलत: अनूपपुर की रहने वाली है, जहां उस के पिता कांट्रेक्टर हैं. उन की बड़ी इच्छा थी कि बेटी डाक्टर बने लेकिन प्रीति पढ़ाईलिखाई में औसत थी. इसलिए वह मैडिकल की एंट्रेस परीक्षा पास नहीं कर सकी.

पिता ने भागादौड़ी कर यह सोचते हुए उसे बिलासपुर के एक डेंटल कालेज में दाखिला दिला दिया था कि चलो डेंटिस्ट ही बन जाएगी तो प्रीति के नाम के आगे डाक्टर तो लग जाएगा. फिर उस की शादी भी किसी डाक्टर या दूसरे काबिल लड़के से कर वह अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेंगे.

जिस माहौल में प्रीति की परवरिश हुई थी, उस में कोई खास बंदिशें नहीं थीं और नसीहतें भी उतनी ही थीं जितनी आम मध्यमवर्गीय लड़कियों को हर घर में मिलती हैं. उसे कभी पैसे की कमी भी महसूस नहीं हुई थी. अनूपपुर में तो वह सलीके से रही लेकिन जब बिलासपुर आई तो न केवल खुद बदल गई बल्कि उस की जिंदगी भी बदल गई.

पिता ने पैसे और पहुंच के दम पर उसे डेंटल कालेज में दाखिला तो दिला दिया था, लेकिन प्रीति का मन पढ़ाई में बिलकुल नहीं लगता था. वह दिनरात सोशल मीडिया पर व्यस्त रहती थी, नतीजतन फेल होने लगी. चैटिंग के दौरान उस ने कई पुरुष मित्र बना डाले थे. इन की दीवानगी और बेताबी देख प्रीति को मजा आने लगा था. हर कोई उस से अंतरंग यानी सैक्सी बातें करना चाहता था.

अब तक उस का इरादा केवल टाइम पास करना और मजे लूटना था, इसलिए वह किसी के साथ हद से ज्यादा नहीं बढ़ी थी लेकिन 4 साल फेल होतेहोते जब यह तय हो गया कि वह और आगे पढ़ाई नहीं कर पाएगी तो वह घबरा उठी. इस घबराहट की पहली वजह उस आजादी का छिन जाना था जो बिलासपुर आ कर उसे मिली थी, दूसरा थोड़ा डर या लिहाज मातापिता का था कि उन्हें कैसे बताएगी कि लगातार सब्जेक्ट ड्राप लेतेलेते उसे कालेज से बाहर किया जा रहा है.

ऐसे में उस के दिमाग में एक खतरनाक खयाल आया और आया तो उस ने इस पर अमल भी कर डाला. इसी दौरान उस से चेतन की दोस्ती हुई थी. दोनों हल्कीफुल्की चैटिंग भी करते थे. इसी बातचीत में प्रीति को पता चला कि चेतन करोड़ों की आसामी है. तब उस ने सिर्फ इतना भर सोचा कि अगर चेतन उस के हुस्न जाल में फंस जाए तो जिंदगी ऐशोआराम से कटेगी.

प्रीति थी भी ऐसी कि उसे देख कर कोई भी उस पर न्यौछावर हो जाता. भरेपूरे गदराए बदन की मालकिन, तीखे नैननक्श, गोरा रंग, रहने का अपना शाही स्टाइल और माशाअल्लाह अदाएं. वह अकसर इतने टाइट कपड़े पहनती थी कि उस के उन्नत उभार बरबस हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींच ही लेते थे.

कुल जमा प्रीति नए जमाने की एक ऐसी तितली थी जिस ने बिलासपुर में रहते कोर्स को तो न के बराबर पढ़ा लेकिन औनलाइन प्यार और सेक्स का सिलेबस इतना पढ़ डाला था कि अगर कोई यूनिवर्सिटी इस में डाक्टरेट की उपाधि देती होती तो प्रीति का नाम उस की लिस्ट में सब से ऊपर होता.

फेसबुक से हुई शुरुआत

प्रीति ने मौजमस्ती की जिंदगी गुजारने का जो प्लान तैयार किया था, उस में चेतन उस के निशाने पर थे. प्रीति से चैट करतेकरते उन्हें नएपन और रोमांस की जो फीलिंग आती थी, वैसी तो शायद जवानी में और शादी के पहले भी नहीं आती थी.

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धीरेधीरे दोनों सोशल मीडिया पर खुलने लगे तो चेतन को भी मजा आने लगा कि एक निहायत खूबसूरत मैडिकल स्टूडेंट उन्हें प्यार करने लगी है और वह भी इतने उतावलेपन से कि उन पर अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार है.

जब चैटिंग से बजाय सुकून मिलने के बेकरारी बढ़ने लगी तो दोनों का दिल मिलने को मचलने लगा. चेतन उस से बातें तो हर तरह की कर रहे थे लेकिन यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे कि जानू और मत तड़पाओ अब ये दूरियां बरदाश्त नहीं होतीं, मन तो मिल ही चुके हैं अब तन भी मिल जाएं तो इश्क मुकम्मल हो जाए.

ऐसा शायद इसलिए था कि चेतन पर कारोबारी और पारिवारिक दबाव था और वे प्रीति के सामने अपनी इमेज पाकसाफ रखना चाहते थे. लेकिन स्क्रीन पर उस की कसी और गदराई देह देख खुद को जब्त भी नहीं कर पा रहे थे.

फिर एक दिन प्रीति ने उन की कशमकश यह कहते दूर कर दी कि आ जाओ बिलासपुर. इस खुली पेशकश पर वे और घबरा उठे. शायद यही नहीं तय है कि चेतन की हिम्मत अपनी प्रतिष्ठा, मर्यादा और संस्कार तोड़ने की नहीं हो रही थी और प्रीति इस कमजोरी को बखूबी समझ रही थी.

चेतन की इस कमजोरी में ही उसे अपना सुनहरा भविष्य नजर आ रहा था, क्योंकि कोई और छिछोरा, लंपट या मजनूं टाइप का आयटम होता तो पैरों के बल दौड़ता, लार टपकाता बिलासपुर आता और अपनी जरूरत या हवस पूरी कर चला जाता.

इस समीकरण को भांपते खुद प्रीति ही एक दिन रायपुर पहुंच गई और वहां के एक महंगे नामी होटल में रूम ले कर ठहरी. चेतन को जब उस ने फोन किया तो उन की बांछें खिल गईं और दिल में नएनए प्रेमियों जैसा डर भी बैठ गया कि न जाने क्या होगा पहली मुलाकात में. शाम को जब वे प्रीति के होटल पहुंचे तो आलीशान और भव्य कमरे में जो हुआ वह उन की कल्पना से परे था. प्रीति केवल बेपनाह खूबसूरत ही नहीं थी, बल्कि सेक्स के खेल में भी उतनी ही उन्मुक्त थी, जितनी कि रहनसहन में थी.

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कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

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