दिल में अरमान, आंखों में आंसू : सुहागरात के बजाय दूल्हे जेल में बदलते रहे करवटें

चीन से आया हौआ कोरोना से हम पूरी तरह वाकिफ भी न हुए थे, वहीं चीन के युन्नान प्रोविंस से ही आया नया वायरस हंता जो कि जिंदा चूहा और गिलहरी के खाने से होता है तहलका मचा रहा है. हंता वायरस से एक की मौत भी हो गई है.

भारत में कोरोना को ले कर बहुत से लोग अभी भी जागरूक नहीं हैं, पर सरकार ने लोगों को जागरूक करने का बीड़ा उठाया है, बीड़ा है कि लोग अपने घरों में ही रहें. घर से बाहर न जाएं.

हैरानी इस बात की है कि लोग सजग नहीं हैं, बेपरवाह सड़कों पर घूम रहे हैं, बहाना बना रहे हैं, सरकार के नियमों की बेखौफ धज्जियां उड़ा रहे हैं. जब पुलिस पूछताछ कर रही है तो कोई ठोस जवाब तक नहीं दे पा रहे.

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इसी को ध्यान में रख कर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राष्ट्र के नाम सम्बोधन में लॉक डाउन की समय सीमा 31 मार्च से बढ़ा कर 14 अप्रैल कर दी. वहीं पुलिस को भी सख्ती से निबटने का फरमान जारी कर दिया.

इधर सरकारी फरमान जारी हुआ, उधर इस फरमान से बेखबर सरकारी प्रतिबंधों की अनदेखी कर शादी करना अलग अलग जगह पर इन दूल्हों  को भारी पड़ गया.

एक दूल्हा नहीं, बल्कि 2 दूल्हे थे. ये दूल्हे न सिर्फ गिरफ्तार हुए, बल्कि अपने परिवार वालों को भी सलाखों के पीछे पहुंचवा दिया.

शादी के बाद सुहागरात मनाने का इन का सपना चकनाचूर हो गया. दोनों दूल्हों ने जेल में करवटें बदलते हुए रातें काटीं. अब कब तक काटनी पड़ेगी, कुछ कह नहीं सकते.

ओडिशा पुलिस ने कंधमाल जिले में ही 2 दूल्हों को सरकारी आदेश का उल्लंघन कर शादी समारोह आयोजित करने के आरोप में गिरफ्तार किया है.

सरकार ने कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर 5 लोगों से ज्यादा के एक जगह पर जमा होने पर रोक लगा रखी है, लेकिन इन दोनों दूल्हों ने शादी के जश्न में सरकारी आदेश की परवाह नहीं की.

ओडिशा पुलिस ने कंधमाल जिले के नौपद गांव के परमेश्वर भोक्ता को गिरफ्तार किया है. उस ने अपनी शादी की खुशी में पार्टी दी थी, जिस में  70-80 लोग शामिल हुए थे.

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वहीं दूसरी घटना खजूरीगांव की है. यहां के आदिवासी युवक बिजू कन्हार को भी गिरफ्तार किया गया है. बिजू कन्हार ने अपनी शादी में बरात निकाली थी, जिस में कई लोग शामिल हुए थे.

पुलिस ने दूल्हे के भाई को भी गिरफ्तार किया है जिस ने बारात में आने के लिए लोगों को न्योता दिया था.

शादी का सपना पाले इन फूल से नाजुक लाडलों ने किस तरह  जेल में अपनी रातें काटी होंगी, यह तो इन्हें जिंदगी भर सालता रहेगा, पर थोड़ी नासमझी के चलते ऐसा हुआ. यदि आप भी शादी करने का सपना पाल रहे हैं तो थोड़ा रुक जाएं. कहीं ऐसा न हो, जेल भुगतनी पड़े.

सावधान रहें, समयसमय पर सरकार अपने आदेश में साफसाफ बता रही है कि कोरोना महामारी है. इस से बचना ही एकमात्र उपाय है तो कोई रोड पर न निकले. घर में ही रहे, अपने को लॉक करें. पुलिस की मार से बचें. जब बहुत ही जरूरी हो, तभी जाएं. दूध सब्जियां, दवा वगैरह लेने जाएं अन्यथा अन्यत्र न जाएं. वरना पुलिस भी अब बेवजह घूमने वालों पर लाठी भांजने से चूक नहीं रही.

कोरोना के खौफ के बीच निकाह, अनोखे अंदाज में एक-दूजे का हुआ यह जोड़ा

– ज्योति गुप्ता

शादी लगभग हर लड़की का सुनहरा सपना होता है. जैसै-जैसे वह बड़ी होती है उसके ख्यालों की दुनिया भी बड़ी होने लगती है. शादी की बात होने पर वह भले ही वह शर्मा जाती हो लेकिन मन ही मन में हजारों ख्वाहिशें बुनती रहती है. जरूरी नहीं कि उसके सपने बहुत बड़े हों लेकिन अपनी शादी में सजना-सवरना, सखियों के साथ चहकना और गानों पर थिरकना भला किस लड़की को अच्छा नहीं लगता. लेकिन अब जब कोरोना वायरस के चलते देश को लौक डाउन कर दिया गया है तो कई जोड़ों की शादी पोस्टपोन हो गई है. वहीं एक बेटी ने अनोखे अंदाज में शादी करके कोरोना के खिलाफ लड़ाई जारी रखी है, क्योंकि जब बात देश की सुरक्षा की होती है बेटियां भी किसी से पीछे नहीं रहतीं, अब चारों तरफ इस जोड़े की तारीफ हो रही है.

दरअसल, बिहार के पटना में रहने वाली सादिया नसरीन की शादी यूपी के साहिबाबाद में रहने वाले दानिश से तय हुई थी. घराती और बराती दोनों पक्ष धून-धाम से शादी की तैयारी कर रहे थे. इसी बीच कोरोना वायरस के चलते देश को लौक डाउन करने की खबर मिली. फिर क्या था अब दोनों पक्ष को यह चिंता सताने लगी कि अब निकाह करना कैसे संभव है. लेकिन दूल्हा और दुल्हन की समझदारी ने इस मुश्किल को आसान बना दिया.

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शादी के दिन सादिया नसरीन ने सुर्ख जोड़ा पहना, श्रृंगार कर दुल्हन की तरह तैयार हुई, वहीं यूपी में मौजूद दानिश रजा ने भी दूल्हे की पोशान पहनी और दोनों ने डिजिटल इंडिया का उदाहरण देते हुए वीडियो कौन्फ्रेंसिंग के जरिए निकाह कबूल किया. काजी साहब ने पहले सादिया से दानिश से निकाह करने की इजाजत ली इसके बाद उन्होंने दानिश का निकाह पढ़ाया. निकाह के बाद एक वीडियो सामने आया है. जिसमें दुल्हन के घरवाले स्क्रीन के सामने हैं और दूसरी तरफ दूल्हा तरफ बैठा है. काजी पूछने पर दोनों ने निकाह कबूल किया है. अनोखे निकाह की बात जिस किसी ने भी सुनी अनोखे जोड़े की तारीफ की. एक तरफ जहां लोग अफवाहें फैला रहे हैं और सरकार के आदेश का पालन नहीं कर रहें वहीं इस कपल ने अनोखे अंदाज में कोराना को मात दिया है और लोगों के लिए मिसाल बना है.

दरअसल, कोरोना वायरस की वजह से पूर देश को 14 अप्रैल तक के लिए लौकडाउन कर दिया गया है. इस वजह से सामाजिक आयोजनों और लोगों के जुटने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है. ऐसे समय में इस जोड़ों सकारात्मक उदाहरण दिया है और डिजिटल इंडिया का औप्शन चुनकर कोरोना से लड़ाई का नया रास्ता सुझाया है.

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Lockdown के दौरान ऐसे टाइम बिता रहे हैं Amitabh Bachchan, घर में ही बना डाला जिम

जैसा कि हम सब जानते हैं कि पूरे विश्व में कोरोना वायरस (Corona Virus) को लेकर बडा हंगामा हो रहा है. यहां तक की भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने 21 दिन तक भारत बंद करने की घोषणा कर दी है. यानि की अब 14 अप्रैल कर पूरा भारत लौकडाउन (Lockdown) रहेगा. 21 दिन के कर्फ्यू की वजह से सभी लोग अपने-अपने घरों में कैद हैं. इस बीच बौलीवुड (Bollywood) के महानायक कहे जाने वाले एक्टर अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) सोशल मीडिया पर अपनी कई फोटोज शेयर कर रहे हैं और सबसे ये विनती कर रहे हैं कि सभी को अपने घरों के अंदर रहना चाहिए जब तक की ये कोरोना वायरस भारत से चला नहीं जाता.

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21 दिन तक घर से ही करेंगे वर्क-आउट…

 

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Keep the gym going .. build resistance .. fight fight fight !!! 🏋️‍♂️🏋️💪💪

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पिछले दिनों अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) ने अपने औफिशियल इंस्टाग्राम पर एक फोटो शेयर की थी जिसमें वे अपने घर पर ही वर्क-आउट करते दिखाई दे रहे थे. इस फोटो को देख ऐसा लग रहा है कि उन्होनें अपने घर पर ही एक छोटा सा जिम बनाया हुआ है और अब वे बिना बाहर जाए उसी जिम में वर्क-आउट करेंगे. इसी के साथ ही उन्होनें इस फोटो के कैप्शन में लिखा कि,- “Keep the gym going .. build resistance .. fight fight fight !!!”

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हाथ जोड़ते हुए शेयर की फोटो…

ये बात तो हम सब जानते हैं कि अमिताभ बच्चन समय समय पर लोगों को नसीहत देते रहते हैं और तो और वे सभी को इंस्पायर भी करते हैं. वर्क-आउट वाली फोटो के बाद उन्होनें अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक और फोटो शेयर की जिसमें वे हाथ जोड़ कर खड़े हैं और साथ ही भारत के तिरंगे की भी फोटो है जिसके ऊपर एक जंजीर बंधी हुई है. इस फोटो के कैप्शन में अमिताभ लिखते हैं कि,- “हाथ हैं जोड़ते विनम्रता से आज हम, सुनें आदेश प्रधान का , सदा तुम और हम ; ये बंदिश जो लगी है , जीवदायी बनेगी , 21 दिनों का संकल्प निश्चित Corona  दफ़नाएगी ” !!! ~ अमिताभ बच्चन”.

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डौक्टर्स का किया धन्यवाद…

 

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Respect and honour .. to them that work to save us 💕🙏🙏

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कुछ दिनो पहले उन्होनें एक ऐसी फोटो भी शेयर की थी जिसे देख शायद भारत का हर नागरिक इमोश्नल हो जाए. इस फोटो में एक डौक्टर की बाहों में भारत का तिरंगा है जिससे साफ पता चल रहा है कि इस समय भारत को सिर्फ और सिर्फ डौक्टर्स की टीम ही बचाने में लगी हुई है. इस फोटो के कैप्शन में लिखा है कि,- “Respect and honour .. to them that work to save us”

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पड़ोसी देश पाकिस्तान भी बेबस, सरकारी कोशिशों के बावजूद चल रहा है अंधविश्वास का करोबार

पूरे विश्व में जहां कोरोना वायरस लोगों के लिए दहशत का माहौल बन चुका है, लाखों मरीज पीङित हैं और हजारों मौत के मुंह में समा चुके हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो पाखंड और अंधविश्वास की दुकान खोल कर मौत के आंकड़ों को बढ़ाने का गंदा खेल खेलने में लगे हैं.

बेबस है मुल्क

पाकिस्तान के स्थानीय अखबार ने वहां की सरकार को चेताया है और मांग की है कि वहां की जनता को बचाने के लिए सरकार कङे कदम उठाए.

मालूम हो कि जब पूरा विश्व इस आपदा से जूझ रहा है, पाकिस्तानी सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोना इलाज के लिए लोग झाङफूंक और ओझाओं के गिरफ्त में जा रहे हैं. लाजिम है इस अंधविश्वास की वजह से पाकिस्तान की स्थिति बेहद भयावह होने वाली है.

पाखंड छोङ वैज्ञानिक सोच जरूरी

वहां पाखंड का बोलबाला ऐसा है कि मौलवियों और ओझाओं ने करोना वायरस से लोगों को बचाने के लिए रूहानी इलाज करवाने को बोल रहे हैं. अव्वल तो यह कि इस इलाज के लिए आत्माओं को वश में कर इलाज कराने का दावा किया जा रहा. कबूतर और मुरगे से, इंसानी बालों से और ऊंटों से शर्तिया इलाज का दावा कर करोड़ों लोगों की जान से खेल रहे हैं.

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समय रहते अगर वहां की सरकार नहीं चेती तो मईजून तक वहां डेढ से 2 करोङ लोग करोना वायरस की चपेट में होंगे.

आम जरूरतें की चीजें हो गई हैं महंगी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार पाकिस्तान में फिलहाल 1 हजार के करीब लोग कोरोना वायरस से पीङित हो चुके हैं और वहां की सरकार इस के रोकथाम के लिए पूरी तरह बेबस दिखती है. यह खबर वहां के एक अखबार में ही प्रकाशित हुई है कि सरकार को अब सख्त उपाय करने चाहिए ताकि इस आपदा से लोगों की जान बच सके.

आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान में कोरोना ने देश की कमर तोङ दी है और आम जरूरतों की चीजें आसमान छू रही हैं. दूध, सब्जियों, राशन की तमाम जरूरतों की चीजें वहां महंगी हो चुकी हैं और लोगों में उसे इकट्ठा करने की होङ मची हुई है. हालांकि वहां की सरकार जनता को भरोसा दिला रही है कि इस संकट से पाकिस्तान जल्द ही बाहर आ जाएगा.

सार्क ने मदद देने से किया इनकार

उधर, पाकिस्तान के लिए बुरी खबर यह भी है कि दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) देशों द्वारा तैयार ‘कोविड आपात कोष’ ने पाकिस्तान सरकार को मदद देने से इनकार कर दिया है.

पाकिस्तान का प्रमुख अखबार द डौन में छपी खबर के मुताबिक, कोविड-19 पूरी दुनिया को अपने चपेट में ले रहा है और अगर यही हाल रहा तो पाकिस्तान के लिए इसे रोकना मुश्किल हो जाएगा. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिस रफ्तार से इस के मरीजों की संख्या बढ़ रही है, संभावना है कि पाकिस्तान में 2 करोङ यानी 20 मिलियन लोग इस की चपेट में होंगे साथ ही 2020 के अंत तक विश्व में 6 अरब लोग इस की गिरफ्त में आ चुके होंगे.

रिपोर्ट में कितनी सचाई

मालूम हो कि कोरोना वायरस संक्रमण से फैलने वाली बीमारी है जिस पर जागरूक और वैज्ञानिक तरीके से ही नियंत्रण पाया जा सकता है, बावजूद वहां भी कुछ पाखंडी लोगों द्वारा इसे व्यापार बनाना चिंता की बात जरूर है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना से निबटने के लिए पाकिस्तान को बङे पैमाने पर ऐक्शन लेना होगा और यह तभी संभव है जब तक सरकार से ले कर वहां की जनता की भी इस में अपनी भागीदारी दे.

पाकिस्तान में कोरोना से पीङित लोगों  की संख्या 1 हजार के करीब है और सब से बुरी स्थिति सिंध प्रांत की है जहां लगभग 400 लोग इस की चपेट में आ चुके हैं और पूरे देश में बहुत तेजी से पीङितों की संख्या बढ रही है.

भारत भी अछूता नहीं

भारत में भी कुछ जगहों पर पाखंड की दुकान चलाने वाले कुछ बाबाओं की तसवीरें वायरल हुई हैं, जिस में इस के शर्तिया इलाज का दावा किया जा रहा.

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सरकार को चाहिए कि ऐसे बाबाओं पर तुरंत काररवाई करे. लोगों को भी चाहिए कि वे इन पाखंडियों पर विश्वास न करें और वही तरीका अपनाएं जो सरकार कह रही है अथवा स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ बता रहे हैं.

बता दें कि पूरे विश्व में अभी तक कोरोना वायरस से लगभग साढे 3 लाख लोग पीङित हैं और लगभग 15 हजार की मौत हो चुकी है.

इसलिए बेहतर होगा कि अभी न तो मंदिरमसजिद, न गुरूद्वारा और न ही गिरिजाघर से ही लोगों को बचा पाने की ताकत रखते हैं.

लोगों को खुद को जिंदा रखना है तो वे अंधविश्वास छोङ साफसफाई का ध्यान रखें, भीङभाङ वाली जगहों पर जाने से बचें, बारबार हाथ धोते रहें और सरकार के निर्देशों का पालन करें.

#coronavirus: कोरोना कहर में भी बुजुर्ग क्यों नहीं टिक रहे घर में?

कोरोना बीमारी के बेतहाशा बढ़ने के चलते जब से लोगों को घर में रहने की सलाह दी गई है, मेरे 70 साल के पापा की बेचैनी बढ़ गई है. वे अब घर से मानो फरार होने के बहाने ढूंढ़ते हैं. कभी कहते हैं कि दूध ले आता हूं तो कभी अपनी दवा का बहाना बना कर मेडिकल स्टोर तक जाने की बात करते हैं. शाम होते ही उन के भीतर पार्क जाने की हूक उठ जाती है.

चूंकि मैं उन्हें कड़े शब्दों में झिड़क देता हूं तो वे मुझ से कटेकटे से रहते हैं. बच्चे एक बार भी बाहर निकलने की जिद नहीं करते, पर उन के दादा को कौन समझाए.

इस कोरोना कांड में यह तकरीबन हर घर की कहानी है. महल्ले का एक राउंड काट लीजिए, हर आंगन में बुढ़ाते सिर बाहर की ओर ऐसे ताकते दिख जाएंगे, जैसे वे घर के भीतर तिहाड़ जेल के कैदी हैं.

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मेरी एक फेसबुक फ्रेंड जन्या दीप्ति सिंह के पापा का भी यही हाल है. बाहर निकलने के लिए मना करो तो एकदम बेचारे से बन जाते हैं, पर उस लड़की की हिम्मत है कि उस ने अपने पापा पर लगाम लगा रखी है.

जन्या ने बताया, ‘पापा आज अपनी छत पर ही टहल कर आए हैं. कल मैं ने और भाई ने उन्हें भयंकर डांट लगाई थी. उस का असर है अब से बिलकुल बाहर नहीं जाना.

‘आज पापा कह रहे थे कि अपनी छत तो काफी बड़ी है. वे वहां उगाए टमाटर तोड़ कर लाए हैं. आगे बोले कि शाम को छत की सफाई करनी है. मैट ले कर ऊपर जाना है और चेयर और टेबल भी. कल से मैं अपनी चाय छत पर ही बनाऊंगा.’

चलो, हम तो आम आदमी हैं, साधारण परिवार के, जो अपने बुजुगों को एक हद तक समझा सकते हैं, पर अगर नामचीन लोगों के बड़े ऐसी बचकानी हरकतें करें तो वे क्या उपाय करेंगे?

फिल्म कलाकार अली फजल को तो आप सभी जानते ही होंगे. फिल्म ‘फुकरे’ की टीम के मजबूत खंभे. फिल्म ‘हैप्पी भाग जाएगी’ वाले शर्मीले गुड्डू. उन के साथ भी यही दिक्कत हो सकती है. पर उन्हें अपने मातापिता को आइसोलेट करने का एक शानदार आइडिया मिल गया है.

हुआ कुछ ऐसे था कि ब्रिटिश ऐक्टर रिज अहमद ने ट्विटर पर एक सवाल किया था कि उन्हें अपने बुजुर्गों को कैसे समझाना चाहिए कि वे घर के भीतर ही रहें, जबकि उन के मातापिता कई सारे सवाल कर रहे हैं.

अली फजल ने इस का तोड़ निकाला और ट्वीट किया कि मैं तो उन से कहूंगा कि यह ‘वर्ल्ड वार 3’ है.

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हो सकता है यह बात मजाकिया लहजे में कह दी गई होगी, पर सच तो यह है कि अभी फिलहाल कोरोना वायरस का जो खौफ लोगों के मन में धीरेधीरे घर कर रहा है, उस की गंभीरता को देखते हुए इस बीमारी को सच में वर्ल्ड वार के रूप में देखना चाहिए. और हां, इस से बचाव ही इस का इलाज है. बेवजह घर से बाहर न निकलें.

यही वजह है कि अली फजल और रिचा चड्ढा ने अपनी शादी की तारीख को फिलहाल टाल दिया है. कोरोना महामारी ही इस की एकलौती वजह है.

#coronavirus: कोरोना का ताबीज बाला बाबा

पूरे देश और दुनिया में फैली कोरोना वायरस की दहशत पर देश भर में काटने बालों ने तबीयत से चांदी काटी और खूब अंधविश्वास भी फैलाये किसी ने गौ मूत्र को इसका बेहतर इलाज बताया तो कई तुलसी ,कपूर , लहसुन बगैरह के सेवन की सलाह देते रहे लेकिन इन गीदड़ भभकियों से कोरोना को नहीं डरना था सो वह नहीं डरा . गलती इन ठगों के साथ साथ हर आपदा और मर्ज का इलाज धार्मिक पाखंडों में ढूँढने बालों की भी है जिनके दिलो दिमाग में अंधविश्वासों और चमत्कारों के किस्से कहानियाँ इतने ठूंस ठूंस कर भर दिये गए हैं कि वे भेड़चाल चलते इन्हें ही सच मानते रहते हैं .

लोगों के डर और दिमागी दिवलियेपन का फायदा उठाने बालों में एक नाम लखनऊ के डालीगंज के बाबा अहमद सिद्दीकी का भी है जो महज 11 रु में एक ताबीज बेचते कोरोना वायरस दूर होने का दावा कर रहा था . इस बाबा ने बाकायदा अपनी दुकान के बाहर एक बोर्ड भी लगा रखा था जिस पर मोटे मोटे अक्षरों में लिखा कि,  कोरोना से बचने के लिए सिद्ध किया हुआ ताबीज यहाँ मिलता है . बक़ौल बाबा सिद्दीकी जो लोग मास्क नहीं पहन सकते वे इस ताबीज को पहन लें तो कोरोना उनके पास फटकेगा भी नहीं.

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दुकान चल निकली लेकिन बात पुलिस तक पहुंची तो उसने इस बाबा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया . बक़ौल अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक विकास त्रिपाठी आरोपी खुद को कोरोना बाले बाबा बताता था और मासूम लोगों को धोखा दे रहा था उसे धोखाधड़ी और जालसाजी के आरोप में गिरफ्तार किया गया है.

बाबा तो छोटी मछली था इसलिए धरा गया लेकिन उन लोगों पर पुलिस कोई काररवाई नहीं कर पा रही जो समारोहपूर्वक कोरोना वायरस से बचने गौ मूत्र पार्टियां तक आयोजित कर रहे हैं . विज्ञान या कानून की किसी किताब में नहीं लिखा कि गौ मूत्र कोरोना वायरस का इलाज है फिर घेरे में ताबीज बेचने बाला बाबा ही क्यों , वे हिन्दूवादी क्यों नहीं जो अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प तक को कोरोना से बचने गौ मूत्र पीने की न केवल सलाह दे रहे थे बल्कि भेजने की भी पेशकश भी कर रहे थे मानों अमेरिका की गायों की पेशाव में वो दम नहीं रहता जो भारतीय गायों के मूत्र में रहता है . बात साफ है कि सरकार हिंदुवादियों की है जो कुछ भी करें उनके गुनाह माफ हैं लेकिन मुस्लिम बाबा की दुकान नहीं चलने दी जाएगी जो रिश्ते में लगता तो इनका मौसेरा भाई ही है.

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#coronavirus: कोरोना पर हीलिंग से भी ठगी

कोरोना वायरस पहली आपदा है जिस पर भगवान और पंडे पुजारियों, ज्योतिषियों और तांत्रिकों वगैरह का भी जोर नहीं चल रहा है लिहाजा ये सभी फौरीतौर पर अपनी अपनी दुकानों के शटर गिराकर अंडर ग्राउंड हो गए हैं जिससे भक्तों मूर्खों और अंधविश्वासियों से मुंह छिपाया जा सके. जिस मर्ज का इलाज धर्म स्थलों में न हो और जिस पर कोई चमत्कार कारगर साबित न हो रहा हो बिलाशक उसने धर्म के दूकानदारों की पोल खोलकर रख दी है .

इसके बाद भी कुछ ठग कोशिश कर रहे हैं कि जैसे भी हो लोगों को बेवकूफ बनाने की कोशिशें न छोड़ी जाएँ . जब गौ मूत्र , गोबर , कपूर , लहसुन ,अदरक , गायत्री मंत्र , घंटे घड़ियाल ,तुलसी और गुड़हल के फूल जैसे टोटके नाकाम हो गए तो एक नई थेरेपी से दुकान चमकाने की कोशिश की जा रही है इस का प्राचीलित नाम हीलिंग है . यह उस वर्ग के लोगों में ज्यादा लोकप्रिय है जो शिक्षित और आभिजात्य है . पैसे बाले इस तबके के लोग नीबू मिर्ची जैसे परंपरागत टोटकों को गंवारपना करार देते हैं लेकिन हीलिंग के नाम पर ठगाए जाने एक पैर पर तैयार रहते हैं.

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हीलिंग कोई ऐसी वैसी थेरेपी नहीं है क्योंकि इसका संबंध सीधे आदि शक्ति से है इसलिए इसमें आध्यात्म का तड़का ठगों ने लगा रखा है . यह एक विचित्र सी प्रक्रिया है और फिर दोहराना जरूरी है कि पढ़े लिखे मूर्खों के लिए है . संक्षेप में समझें तो थ्योरी यह है कि आपके शरीर में ऊर्जा का एक ऐसा भंडार है जिसका कनेकशन भगवान , ॐ और ब्रह्मांड में बिखरी ऊर्जा से है . इसमें साधकों को यह बताया जाता है कि आपके शरीर में सात चक्र हैं अगर आपने इन्हें काबू कर लिया तो समझो आप दुनिया जीतकर सिकंदर बन गए फिर तुच्छ कोरोना वायरस की हैसियत क्या .

ऐसी ही एक आध्यात्मिक हीलर प्रिया कौल नाम की महमानव हैं जो सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते अपनी दुकान चमका रही हैं . जिस वायरस से बचने और बचाने दुनिया भर के वैज्ञानिक दिन रात एक कर रिसर्च कर रहे हैं उन्हें प्रिया कौल की थेरेपी को ध्यान में रखते बेफिक्र हो जाना चाहिए . बक़ौल प्रिया कोरोना ने कोरोना ने हमारे सहस्त्र चक्र जो सिर के शिखर पर मौजूद रहता है को प्रभावित कर हमें आध्यात्मिक रूप से अवरुद्ध कर दिया है .

अपने इलाज में यह महिला बड़े अजीबोगरीब शब्दों का इस्तेमाल करते हुये कहती है कि आप 10 सेकंड सांस रोककर अपने मष्तिष्क के पीछे बिना किसी तकलीफ के गिनना शुरू करते हैं तो आप इससे प्रभावित नहीं हैं या नहीं होते हैं . ऐसा करने के लिए आप आँख बंद कर किसी शांत जगह पर बैठ जाएँ और कल्पना करें कि एक दिव्य शक्ति से प्रकाश आ रहा है जो आपके दिमाग से होता हुआ पूरे शरीर में फैल रहा है . अब आप इस दिव्य प्रकाश को अपने पैरों से बाहर निकलने दें और अपने चारों और खुद को घेर लें.

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अगर आप उच्च कोटि की इस मूर्खता और ठगी को सरलता से समझना चाहते हैं तो किसी हिन्दी फिल्म का ऐसा सीन याद करें जिसमें कोई हैरान परेशान आदमी मंदिर में आकर गिड़गिड़ा रहा है कि हे प्रभु तू अगर है तो चमत्कार दिखा और अस्पताल में मौत से जूझ रहे मेरे बेटे को बचा . बस इतना कहना होता है कि मूर्ति की हथेली या आँखों से एक रोशनी निकलकर सीधे अस्पताल जा पहुँचती है और दम तोड़ता बेटा हिलडुल कर कहता है माँ …. और फिर सारे पात्रों के मुंह से एक ही बात निकलती है … तेरा लाख लाख शुक्र है भगवान .

लगभग इसी थ्योरी पर आध्यात्मिक हीलिंग थेरेपी काम करती है जो कोरोना को मिनटों में भगा सकती है .

दिक्कत तो यह है कि इन शिक्षित आभिजात्य नीम हकीमों पर कोई काररवाई नहीं होती.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आदेश दे रहे हैं कि जो लाक डाउन के नियम तोड़ता पाया जाये उसके खिलाफ एक्शन लिया जाये और राज्य सरकारें व पुलिस मुस्तैदी से ऐसा कर भी रहे हैं लेकिन इन हीलरों के खिलाफ कुछ नहीं हो रहा जो सरासर विज्ञान को तोड़मरोड़ कर चाँदी काट रहे हैं.

इस अजीब से कथित विज्ञान में अगर किसी को ( मनोरोगियों को छोडकर ) कोई दम नजर आता हो तो उसे सरकार से अपील करना चाहिए कि छोड़ो आइसोलेशन , सेनेटाइजेशन , सोशल डिस्टेडिंग और लाक डाउन बगैरह बस सब को हीलिंग दिलबा दो कोरोना भाग जाएगा और सरकार के करोड़ों अरबों रु बच जाएँगे , अर्थ व्यवस्था पटरी पर आ जाएगी  , दहशत खत्म हो जाएगी , ज़िंदगी रूटीन पर आ जाएगी . उधर ऊपर तरफ की ऊर्जा व्यर्थ जा रही है और नीचे किसी को समझ नहीं आ रहा कि यह अटेक श्वसन तंत्र पर नहीं बल्कि क्राउन चक्र पर किया है और इसका भी तोड़ है आध्यात्मिक हीलिंग . अब जरूरत और इंतजार जनता हीलिंग का है या फिर ऐसे ठगों के खिलाफ कानूनी काररवाई का आप खुद तय कर लें.

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#coronavirus: भूख से तड़पते बच्चे

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड में क्षेत्र में लौकडाऊन का असर साफतौर पर देखने को मिल रहा है. यहां में देशभर से आए लोग अपने परिवार सहित छतरपुर में फंस गए हैं. गाड़ियां न चलने की वजह से अपने बीबी-बच्चों के साथ छतरपुर के श्यामाप्रसाद मुखर्जी अन्तर्राजीय बस स्टैंड पर खुले में डेरा डाले हैं.

भूखे-प्यासे बच्चे, महिलायें, युवा, वृद्धजनों का बुरा हाल है यहां जनता कर्फ़्यू में बंद की वजह से लोगों को पानी, चाय, दूध, बिस्किट, फल, अन्य खाद्य सामग्री नहीं मिल पा रही है जिससे बच्चों का भूख से बुरा हाल है.

बस स्टैंड पर यात्री बच्चों की माँ रामकली और जानकी की मानें यहां तक तो तड़के सुबह आ गए पर अब गाड़ियां ने चलने की वजह से वह गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. और पिछले 12 घंटों से भूखे प्यासे हैं यहां पीने तक का पानी भी उपलब्ध नहीं है. जिससे इनके अबोध 2 दर्जन बच्चों का बुरा हाल है वह भूख से व्याकुल रो रहे हैं. कई बच्चे तो भूख से तड़फ रहे हैं जिससे उनकी माँओं की आंखों से आंसू निकल पड़े हैं.

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वहीं दूसरी ओर कुछ महिलाओं (पार्वती आटा मढ़ती खानां बनाने वाली) महिलाओं से बात की तो उन्होंने बताया कि अपने साथ लिये आटे को गूंथकर बस स्टैंड पर ही ईंटों का चूल्हा बना फलों की पेटियों की लकड़ियां जलाकर रोटी बनाई और नमक रोटी खाई.

भूख से तड़फती और मानवता को झकझोर देने वाली इन तस्वीरों से वहां मौजूद लोगों की आंखें भर आईं. तो वहीं कुछ लोगों/बच्चों के बीमार होने पर उन्हें अस्पताल भी ले जाया गया.

यहां शासन ने बंद का यो ऐलान कर दिया पर जरूरत के इंतजाम नहीं किये यहां लोगों को भूखे-प्यासे तड़फना पड़ा. यहां से जिले के आला अधिकारी विचतं करते रहे पट इनके दर्द को किसी ने जाना. जो इनकीं व्यवस्था की पोल खोलता है.

लोगों से बात करने पर और भी कई खुलासे हुए. वहीं लोगों का कहना है कि वह कोरोना के डर से बड़े शहरों (दिल्ली, नोएडा, हरियाणा, पंजाब, चंड़ीगढ़ जम्मू, राजस्थान, जयपुर, आगरा, बनारस, इंदौर, भोपाल, कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद, सहित कई जगहों से अपने गृहनगर, गांव, घरों को वापस आए हैं. बड़े शहरों में कोरोनो के खौफ से काम बंद है. हम लोग रोज कमाते और खाते थे जिससे हम लोग भूखों मरने के कगार पर आ गए थे.

साथ ही कोरोना का डर भी सता रहा था तो हम लोग हर हाल में अपने घर, गांव, शहर वापस लौटना चाहते थे. वापस आने को हुए तो गाड़ियों में 4 गुना ज्यादा किराया देकर जानवरों से बदतर हालात में आए हैं. जहां बसों में 50-60 सवारियां बनती हैं. वहां 200 सवारियां आई हैं 2 लोगों के स्लीपर पर 10 लोग बैठकर आए हैं. अंदर नहीं बने तो बसों की छत पर बैठकर आए हैं. क्या करते हर हाल में हमें जाना जो था. इतना ही नहीं जब देर रात और तड़के सुबह यहां पहुंचे तो अब छतरपुर में आकर फंस गए हैं.

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अन्तर्राज्यीय बस स्टैंड पर कई सैकड़ों की संख्या में खुले में पड़े लोगों की हालत खराब है. उनका कहना है कि जैसे- तैसे छतरपुर तक तो पहुंच गए पर अपने घरों/गंतव्य तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. यहां से गाड़ियां, टैक्सी, ऑटो, लोडर, वाहन, कुछ भी नहीं चल रहे. कुछ ऑटो वाले हैं जो 40 से 50 किलोमीटर दूरी तय करने का 10 गुना किराया वसूल रहे हैं. पूर्व किराए के मुताबिक 10 गुना पैसा लग रहा है. हम करें भी तो क्या हमें देना पड़ रहा है घर जो जाना है. जान से बड़ी कीमत तो नहीं है पैसों की. हमनें बाहर रहकर मेहनत मजदूरी कर जितना कमाया वह वापस आने में किराए में ही चला गया.

छतरपुर से अन्य शहरों पन्ना सतना, रीवा, दमोह, टीकमगढ़, महोबा, सागर, झांसी, जाने के लिये लोग इंतज़ार में है कि कोई वाहन किसी भी कीमत पर मिल जाये जिससे आने घर, शहर, नगर, जा सकें. पर बंद की वजह से नहीं मिल पा रहा.

मामला चाहे जो भी हो पर इतना तो तय है कि देश भर में लॉक डाउन लोगों की जान बचाने के लिए किया गया पर यहां शासन और उनके नुमाइंदों की बदइंतजामी की वजह से बच्चों की जान पर बन आई थी. वह तो गनीमत रही कि अब तक कोई अनहोनी नहीं हुई.

हालांकि अब देखना यह होगा कि शासन प्रशासन के जिम्मेदार इस गैरजिम्मेदाराना हरकत पर क्या सख़्त कदम उठाता है.

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(राजेश चौरसिया)

#coronavirus: जनता कर्फ्यू नहीं , मूर्खों का जश्न

प्रधानमंत्री मोदी के आह्वान पर जनता कर्फ्यू के दिन शाम को शंखनाद , घंटे , तालियां , सबकी मधुर झंकार से जनता भावुक होकर एक श्रेष्ठ भारत के साक्षात दर्शन कर रही थी ,सबको लगा , वे सब सब साथ साथ कोरोना से जंग कर रहे हैं. जिन लोगों का आभार प्रकट करने के लिए यह करने का आदेश था , वही लोग जो अपनी जान की बाजी लगाकर इस इमरजेंसी में अपने रात दिन दे रहे हैं ,अपना सर पकड़ बैठ गए .मूर्ख , अंधभक्तों ने अति उत्साह में जश्न , शक्ति प्रदर्शन करते हुए जनता कर्फ्यू की इस पूरी संकल्पना का मजाक बना कर रख दिया , इस तरह संक्रमण बुरी तरह फ़ैल सकता है , क्या पता फैला भी हो .एक जगह तो डी  एम साहब भीड़ लेकर जुलूस की शकल में गाजे बाजे के साथ निकल पड़े , लोग थाली पीट रहे थे , कुत्ते , बिल्लियां घबराकर  यहाँ वहां भाग रहे थे , कुछ डर से दुबके पड़े थे .

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जनता अपनी मूर्खता का शिकार बेजुबानो को भी बना रही थी . लोगों ने घातक बीमारी को भी मनोरंजक समझकर जश्न मना लिया , कितनी मूर्खता , कितने बेतुके तर्क बुद्दिजीवी देते रहे . देश को तालियों , थालियों की इतनी जरुरत नहीं है जितनी टेस्टिंग किट्स, वेंटिलेटर्स , आइसोलेशन वार्डस और फ्री इलाज की है . पता नहीं कितने वीडियो देखने को मिले जिसमे लोग शाम को जश्न मनाने निकले . अहमदाबाद खादिया से  भी एक वीडियो सामने आया , उसमे भी इस कर्फ्यू का मजाक उड़ा कर रख दिया गया, भीड़ सड़कों पर उतर आयी , गाना बजाना हुआ , गरबा हुआ  और यह हुआ भी पी एम और एच एम के होम स्टेट में , इन मूर्खों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए . ये लोग खुद  समाज के ऐसे वायरस हैं जिनका इलाज बहुत जरुरी है , नहीं तो मेडिकल स्टाफ और डौक्टर्स की सारी मेहनत बेकार चली जाएगी .एक वीडियो में फिल्म  स्टार अक्षय कुमार अपनी पत्नी के साथ चीयर अप कर रहे हैं और लोग उनका वीडियो बना रहे हैं , सेलिब्रिटी को देखकर तो लोग वैसे ही पागल हो उठते हैं , यह सबको पता है , लोग इकठ्ठा न होते , ऐसा ही कुछ किया जाना था , पर बिलकुल उल्टा हुआ .

कितने ही बुद्धिजीवियों ने सोशल मीडिया पर बताया कि वे कितने भावुक हो गए थे , वे भारतीय संस्कृति पर गर्व कर रहे थे , उनकी आँखें भर आयी थी , और जो लोग इसे तमाशा कह रहे हैं , वे कितने पत्थरदिल हैं , उनके अंदर भावनाएं हैं ही नहीं  , उन्हें  देश की परम्पराओं , संस्कृति  पर गर्व नहीं , वे कैसे भारतीय हैं ! महामारी के समय देश को इस तमाशे और पागलपन में धकेलने के लिए देश से माफ़ी मांगी जानी चाहिए और फिर राष्ट्र को सम्बोधित करके बताना चाहिए कि इस बेवकूफी से , अंधभक्ति से कितना भारी नुकसान हुआ है.

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#coronavirus: कोरोना-अंधविश्वास और जागृति

अंधविश्वास हमारे देश में सबसे बड़ी समस्या है, अब जब देश और दुनिया में कोरोना को लेकर विज्ञान सम्मत जानकारी देने की आवश्यकता है, ऐसे में चंद लोग अंधविश्वास प्रसारित करने का अपराध कर रहे हैं. जिसे समझने  और बचने की समझदारी भरी आवश्यकता है. अन्यथा होगा यह की इन अंधविश्वासों में पड़कर आप अपना और अपने आसपास के लोगों का जीवन मुसीबत में डाल देंगे.

दरअसल, हमें बहुत समझदारी से यह समझ लेना होगा कि कोरोना जैसी महामारी से बचाव सिर्फ “दो और दो पांच” करके नहीं किया जा सकता, इसके लिए ठोस पहल और समझदारी की आवश्यकता है. हमारा देश धर्म भीरु रहा है, परिणाम स्वरूप हर समस्या का हल धार्मिक आस्था के साथ जोड़कर, किये जाने की परंपरा रही है. यह तत्कालिक रूप से तो अच्छी लगती है मगर दीर्घकाल में जाकर नासूर बन जाती है. इस आलेख के माध्यम से हम आपको यह बताना चाहते हैं कि अब समय आंखें खोलने का और खुले दिमाग से सोचने का है. चाहे वह हमारे राष्ट्र नायक हों अथवा हमारे हाथ के मोबाइल में विभिन्न सोशल मीडिया, यहां जो भी तथ्य सामने आता है उसे हमें विज्ञान के कसौटी पर कस कर ही समझना और प्रयोग में लाना होगा, यही हमारे लिए हितकर है. अब जैसे प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने 22 मार्च रविवार को “जनता कर्फ्यू” के दरमियान शाम को 5 बजे, घंटी ताली बजाने की बात इस भाव से रखी थी कि यह आम जनता का कोरोना के मोर्चे पर डटे हुए, डॉक्टर वैज्ञानिक एवं अन्य लोगों के लिए उत्साहवर्धक होगा. मगर इसे भी धर्म और रूढ़िवादीता  से जोड़कर झूठ फैलाया गया कि घंटी और ताली बजाने से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा. यह कहना सीधे-सीधे सफेद झूठ के अलावा कुछ भी नहीं है.

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गोमूत्र और कोरोना

देश में गोमूत्र को लेकर खूब सलाह दी जाने लगी है जैसे ही कोरोना वायरस का संक्रमण काल हमारे देश में शुरू हुआ है, अंधविश्वास का पाखंड फैलाने वाले चंद लोग अपनी दुकान खोल कर बैठ गए हैं. और विभिन्न तरह के झूठ फैला रहे हैं जिनमें सबसे प्रमुख है गोमूत्र का सेवन करने से कोरोना वायरस के प्रभाव की समाप्ति. ऐसे झूठे दावों को सोशल मीडिया में पढ़कर बहुतेरे सहज सरल स्वभाव के लोग, अपना समय ही खोटा करते हैं.

गौमूत्र पहले से वायरस से संक्रमित लोगों को भी ठीक कर सकता है.  ऐसे में इस दावे पर भरोसा करते हुए एक नागरिक स्वयंसेवक ने भी गौमूत्र का सेवन कर लिया और वह बीमार पड़ गया. जिसके बाद उस शख़्स के विरुद्ध  पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई. गौमूत्र को कोरोना वायरस का रामबाण इलाज बताना दिमागी  दिवालियेपन की  निशानी  है. कई हिंदुत्ववादी संगठनों और बीजेपी के लोगों द्वारा दावा किया गया कि गौमूत्र के सेवन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है. लेकिन ये दावे  बेबुनियाद हैं, इसकी एक बानगी देश को देखने को मिली है.  कोलकाता में गौमूत्र पीने से एक नागरिक स्वयंसेवक बीमार पड़ गया. जिसके बाद गौमूत्र पिलाने वाले एक पार्टी के  कार्यकर्ता को गिरफ्तार कर लिया गया.

दरअसल,  उत्तरी कोलकाता में बीजेपी के एक कार्यकर्ता  ने एक गौशाला में गौमूत्र पार्टी का आयोजन किया.इस दौरान  कई लोगों को गोमूत्र ये कहकर पिलाया था कि इसके सेवन से कोरोना वायरस से बचा जा सकता है.

सरसों के तेल!

सोशल मीडिया मे सरसों तेल,नीम पत्ती के प्रयोग  भी बताए जा रहे हैं. अफवाह फैलाई जा रही है की सरसों का तेल किसी भी वायरस को नष्ट करने में समर्थ हैं.कोरोना वायरस एक श्वसन संबंधित बीमारी है जो नाक से सांस लेने पर किसी व्यक्ति की खांसी,छींक के साथ पानी के जो कण बाहर आकर वायु में मिलते हैं उन में वायरस मिला होता है उसी कोरोना प्रदूषित वायु को हम सांस के द्वारा नाक से अंदर लेते हैं और कोरोनावायरस से संक्रमित हो जाते हैं. यदि सुबह नहाने से पहले नाक के दोनों नथुनों के अंदर सरसों का तेल लगाने से कम-से-कम आठ घण्टे तक कोरोना. वायरस से बचाव हो सकता है क्योंकि सरसों तेल एक वायरस रोधी तेल है जिसमें वायरस नाक की दीवारों से चिपक कर मर,नष्ट हो जाता है और हमारे फेफड़ों को नुक्सान नहीं पहुंचा पाता है.आगे अपील है कि- सभी बंधुओं से दरख्वास्त है कि इस उपाय को फ़ौरन अपनायें और कोरोना वायरस से खुद को बचायें! मित्रों रिश्तेदारों को भी अवश्य बताएं!!

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अब ऐसे  दिमागी कसरत करने वाले जो घर बैठे  सलाह देते हैं  से अगर  आप  बचकर  नहीं  रहेंगे तो  निश्चित रूप से  अपना  नुकसान  करेंगे.शासन के लिए भी चुनोती बने ऐसे लोगों की पहचान व सख्त कार्यवाई निरापद है.

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