हर्ष ना था हर्षिता के ससुराल में: भाग 1

उस दिन जुलाई 2019 की 6 तारीख थी. सुबह के 10 बज चुके थे. कानपुर शहर के जानेमाने कागज व्यापारी पदम अग्रवाल अपनी 80 फुटा रोड स्थित दुकान पर कारोबार में व्यस्त थे. कागज खरीदने वालों और कर्मचारियों की चहलपहल शुरू हो गई थी. तभी 11 बज कर 21 मिनट पर पदम अग्रवाल के मोबाइल पर काल आई. उन्होंने मोबाइल स्क्रीन पर नजर डाली तो काल उन की बेटी हर्षिता की थी. काल रिसीव कर पदम अग्रवाल ने पूछा, ‘‘कैसी हो बेटी? ससुराल में सब ठीक तो है?’’

हर्षिता रुंधे गले से बोली, ‘‘पापाजी, यहां कुछ भी ठीक नहीं है. सासू मां झगड़ा कर रही हैं और मुझे प्रताडि़त कर रही हैं. उन्होंने मेरे गाल पर कई थप्पड़ मारे और झाडू से भी पीटा. पापा, मुझे ऐसा लग रहा है कि ये लोग मुझे जान से मारना चाहते हैं. इस षड्यंत्र में मेरी ननद परिधि और उस का पति आशीष भी शामिल हैं. सासू मां ने मुझ से कार की चाबी छीन ली है और दरवाजा लाक कर दिया है. पापा, आप जल्दी से मेरी ससुराल आ जाइए.’’

बेटी हर्षिता की व्यथा सुन कर पदम अग्रवाल का मन व्यथित हो उठा, गुस्सा भी आया. उन्होंने तुरंत अपने दामाद उत्कर्ष को फोन मिलाया, लेकिन उस का फोन व्यस्त था, बात नहीं हो सकी. तब उन्होंने अपने समधी सुशील अग्रवाल को फोन कर के हर्षिता के साथ उस की सास रानू अग्रवाल द्वारा मारपीट की जानकारी दी और मध्यस्तता की बात कही.

दुकान पर चूंकि भीड़ थी. इसलिए पदम अग्रवाल को कुछ देर रुकना पड़ा. अभी वह हर्षिता की ससुराल एलेनगंज स्थित एल्डोराडो अपार्टमेंट जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि 12 बज कर 42 मिनट पर उन के मोबाइल पर पुन: काल आई. इस बार काल उन के समधी सुशील अग्रवाल की थी.

उन्होंने काल रिसीव की तो सुशील कांपती आवाज में बोले, ‘‘पदम जी, आप जल्दी घर आ जाइए.’’ पदम उन से कुछ पूछते, उस के पहले ही उन्होंने फोन का स्विच औफ कर दिया.

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समधी की बात सुन कर पदम अग्रवाल बेचैन हो गए. उन के मन में विभिन्न आशंकाएं उमड़नेघुमड़ने लगीं. वह कार से पहले घर  पहुंचे फिर वहां से पत्नी संतोष व बेटी गीतिका को साथ ले कर हर्षिता की ससुराल के लिए निकल पड़े. हर्षिता की ससुराल कानपुर शहर के कोहना थाने के अंतर्गत आने वाले क्षेत्र एलेनगंज में थी. सुशील अग्रवाल का परिवार एलेनगंज के एल्डोराडो अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल के फ्लैट नं. 706 में रहता था.

क्षतविक्षत मिला हर्षिता का शव

पदम अग्रवाल सर्वोदय नगर में रहते थे. सर्वोदय नगर से हर्षिता की ससुराल की दूरी 5 कि.मी. से भी कम थी. उन्हें कार से वहां पहुंचने में ज्यादा समय नहीं लगा. वह कार से उतर कर आगे बढे़ तो वहां का दृश्य देख कर वह अवाक रह गए.

अपार्टमेंट के बाहर फर्श पर उन की बेटी हर्षिता का क्षतविक्षत शव पड़ा था और सामने गैलरी में हर्षिता का पति उत्कर्ष, सास रानू, ससुर सुशील तथा ननद परिधि मुंह झुकाए खडे़ थे. पदम के पूछने पर उन लोगों ने बताया कि हर्षिता ने सातवीं मंजिल की खिड़की से कूद कर जान दे दी.

उन लोगों की बात सुन कर पदम अग्रवाल गुस्से से बोले, ‘‘मेरी बेटी हर्षिता ने स्वयं कूद कर जान नहीं दी. तुम लोगों ने दहेज के लिए उसे सुनियोजित ढंग से मार डाला है. मैं तुम लोगों को किसी भी हालत में नहीं छोड़ूंगा.

इसी के साथ उन्होंने मोबाइल फोन द्वारा थाना कोहना पुलिस को घटना की सूचना दे दी. उन्होंने अपने परिवार तथा सगे संबंधियों को भी घटना के बारे में बता दिया. खबर मिलते ही पदम के भाई मदन लाल, मनीष अग्रवाल, भतीजा गोपाल और साला मनोज घटनास्थल पर आ गए.

हर्षिता का क्षतविक्षत शव देख कर मां संतोष दहाड़ मार कर रोने लगी थीं. रोतेरोते वह अर्धमूर्छित हो गईं. परिवार की महिलाओं ने उन्हें संभाला और मुंह पर पानी के छींटे मार कर होश में लाईं. गीतिका भी छोटी बहन की लाश देख कर फफक रही थी. रोतेरोते वह मां को भी संभाल रही थी. मां बेटी का करूण रुदन देख कर परिवार की अन्य महिलाओं की आंखों में भी अश्रुधारा बहने लगी.

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इधर जैसे ही कोहना थानाप्रभारी प्रभुकांत को हर्षिता की मौत की सूचना मिली, वह पुलिस टीम के साथ एल्डोराडो अपार्टमेंट आ गए. आते ही उन्होंने घटनास्थल को कवर कर दिया, ताकि कोई सबूतों से छेड़छाड़ न कर सके. मामला चूूंकि 2 धनाढ्य परिवारों का था. इसलिए उन्होंने तत्काल घटना की खबर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दे दी.

खबर पाते ही एडीजी प्रेम प्रकाश, आईजी मोहित अग्रवाल, एसएसपी अनंत देव तिवारी, सीओ (कर्नलगंज) जनार्दन दुबे और सीओ (स्वरूप नगर) अजीत सिंह चौहान घटनास्थल पर आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक टीम को भी बुलवा लिया. साथ ही उपद्रव की आशंका से थाना काकादेव, स्वरूप नगर तथा कर्नलगंज से पुलिस फोर्स मंगवा ली.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया तो वह भी दहल उठे. हर्षिता  अपार्टमेंट की सातवीं मंजिल की खिड़की से गिरी थी. अधिक ऊंचाई से गिरने के कारण उस के सिर की हड्डियां चकनाचूर हो गई थीं और चेहरा विकृत हो गया था. शरीर के अन्य हिस्सों की भी हड्डियां टूट गई थीं.

हर्षिता का रंग गोरा था और उस की उम्र 27 वर्ष के आसपास थी. पुलिस अधिकारियों ने फ्लैट नं. 706 की किचन के बराबर वाली उस खिड़की का भी मुआयना किया जहां से हर्षिता कूदी थी या फिर उसे फेंका गया था.

फ्लैट से पुलिस को कोई ऐसी संदिग्ध वस्तु नहीं मिली जिस से साबित होता कि हर्षिता की हत्या की गई थी. फोरैंसिक टीम ने भी एक घंटे तक जांच कर के साक्ष्य जुटाए. निरीक्षण के बाद पुलिस अधिकारियों ने हर्षिता के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपत राय चिकित्सालय भिजवा दिया.

घटनास्थल पर अन्य लोगों के अलावा हर्षिता का पति उत्कर्ष तथा उस के माता पिता मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने सब से पहले मृतका के पति उत्कर्ष से पूछताछ की. उसने बताया कि वह हर्षिता से बहुत प्यार करता था, लेकिन उस के जाने से सब कुछ खत्म हो गया है. शादी के बाद वह दोनों बेहद खुश थे. मम्मीपापा भी उसे काफी प्यार करते थे. उसे अपना फोटोग्राफी का व्यवसाय शुरू कराने वाले थे, आनेजाने के लिए उसे कार भी दे रखी थी. कहीं आनेजाने पर कोई रोकटोक नहीं थी.

28 मई से 16 जून 2019 तक वे दोनों अमेरिका में रहे, तब भी भविष्य को ले कर सपने बुने लेकिन क्या पता था कि सारे सपने टूट जाएंगे. आज मैं और पापा फैक्ट्री में थे तभी मम्मी का फोन आया. हम लोग तुरंत घर आए. हर्षिता खिड़की से नीचे कैसे गिरी उसे पता नहीं है.

हर्षिता के ससुर सुशील कुमार अग्रवाल ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि उन्हें अपनी फैक्ट्री मंधना से तांतियागंज में शिफ्ट करनी थी. माल ढुलाई के लिए वह आज सुबह 9 बजे ही फैक्ट्री पहुंच गए थे. उस समय घर में सबकुछ ठीकठाक था.

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दोपहर 12.35 बजे पत्नी रानू ने फोन कर बताया कि बहू हर्षिता अपार्टमेंट की खिड़की से गिर गई है. यह पता चलते ही उन्होंने हर्षिता के पिता को फोन किया और फौरन घर आने को कहा. फिर बेटे उत्कर्ष को साथ ले कर घर के लिए चल दिए. घर पहुंचे तो वहां बहू हर्षिता की लाश नीचे पड़ी मिली.

मृतका हर्षिता की सास रानू अग्रवाल ने बताया कि सुबह 9 बजे के लगभग उत्कर्ष अपने पापा के साथ मंधना स्थित फैक्ट्री चला गया था. बरसात थमने के बाद नौकरानी आ गई. उस के आने के बाद वह एक जरूरी कुरियर करने जाने लगी. उस वक्त बहू हर्षिता सफाई कर रही थी. शायद वह खिड़की के पास कबूतरों द्वारा फैलाई गई गंदगी को साफ कर रही थी.

नौकरानी ने खोला भेद

वह कुरियर का पैकेट ले कर फ्लैट के दरवाजे के पास ही पहुंची थी कि नौकरानी के चिल्लाने की आवाज आई. वह वहां पहुंची तो देखा कि हर्षिता खिड़की से नीचे गिर गई है. नौकरानी ने उसे खींचने की कोशिश की लेकिन वह उसे बचा नहीं पाई. इस पर उस ने शेर मचाया और नीचे जा कर देखा. बहू की मौत हो चुकी थी. फिर उस ने जानकारी फोन पर पति को दी.

फ्लैट पर नौकरानी शकुंतला मौजूद थी. पुलिस अधिकारियों ने उस से पूछताछ की. उस ने मालकिन रानू अग्रवाल के झूठ का परदाफाश कर दिया और सारी सच्चाई बता दी. शकुंतला ने बताया कि वह सुबह साढे़ 9 बजे फ्लैट पर पहुंची थी.

उस समय भैया (उत्कर्ष) और उन के पापा (सुशील) फैक्ट्री जा चुके  थे. भाभी (हर्षिता) और मालकिन रानू ही फ्लैट में मौजूद थी. किसी बात पर उन में विवाद हो रहा था.

मालकिन भाभी से कह रही थीं कि नौकरानी को 8 हजार रुपए दिए जाते हैं और तुम कमरे में पड़ी रहती हो. घर का काम नहीं कर सकतीं. इस के बाद दोनों में नौकझोंक होने लगी. इसी नौकझोंक में मालकिन ने भाभी को 2-3 थप्पड़ जड ़दिए और फिर झाडू उठा कर मारने लगीं. तब भाभी कार की चाबी ले कर बाहर जाने लगीं. पर मालकिन गेट पर खड़ी हो गईं.

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मेनगेट बंद कर ताला लगा लिया और चाबी अपने पास रख ली. गुस्से में भाभी ने सिर दीवार से टकराने की कोशिश की तो मैं ने मना किया. फिर वह खिड़की से नीचे कूदने लगीं तो मैं ने उन का हाथ पकड़ कर खींच लिया और कमरे में ले आई.

जानें आगे क्या हुआ कहानी के अगले भाग में…

कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां

पत्नी की डिलीवरी के पैसे नहीं चुकाए तो ससुराल वालों ने बच्चे को रख लिया गिरवी

जी हां हाल ही में ये अजीबो-गरीब खबर सामने आई की पत्नी की डिलीवरी के डेढ़ लाख रुपये पति नहीं चुका पाया तो उसके ससुराल वालों ने उसके डेढ़ साल के बच्चे को उसे देने से इंकार कर दिया कहा कि पहले पैसे चुकाओ फिर बच्चा ले जाओ. अब आप ही सोचिए ये कैसा जमाना है या ये कहें की यही कलयुग है.

दरअसल ये मामला हरियाणा के फतेहाबाद जिले का है. जिस व्यक्ति ने शिकायत की है उसका नाम सूरज है. उसकी पत्नी की डिलीवरी उसके ससुराल राजस्थान, गंगानगर में हुई थी और सूरज की पत्नी की डिलीवरी पर करीब डेढ़ लाख रुपये खर्च हुए थे. जो सूरज नहीं चुका पाया था और इसी कारण ससुराल वालों ने उसके बेटे को अपने यहां गिरवी रख लिया और डेढ़ लाख रुपये की मांग करने लगे.

सूरज ने इसकी शिकायत एसडीएम को भी की थी और एसडीएम ने इस बात की पुलिस से रिर्पोट भी मांगी थी. एसडीएम ने बताया कि जब सूरज की शादी हुई थी तब दोनों नाबालिक थे और इसलिए इस पर कार्रवाई करने में दिक्कत आ रही है. अब सूरज एसडीएम के गेट पर धरने पर बैठा है. सूरज ने बताया की मैं अपनी पत्नी के कहने पर बेटे को लेने  तो गया था लेकिन वहां मेरे साथ मारपीट की गई और मेरा बेटा देने से इंकार कर दिया कहा कि पहले पैसे लाओ फिर बेटा ले जाओ.

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यहां तक की जब पुलिस से शिकायत की तब पुलिस वाले भी कार्रवाई के लिए दस हजार रुपये की मांग कर रहे हैं. इस बात की शिकायत एसडीएम से की फिर भी कहीं से मदद नहीं मिल रही है और इसी कारण से सूरज एसडीएम के गेट पर धरने पर बैठे हुए हैं. हालांकि एसडीएम ने कहा की शादी के वक्त दोनों के नाबालिक होने के कारण हमें बच्चा दिलाने में कानूनी दिक्कतें आ रही हैं लेकिन हम पूरा प्रयास करेंगे की सूरज और उनकी पत्नी को उनका बच्चा जल्दी वापस मिल जाए.

जरा सोचिए ऐसा भी कोई परिवार होगा जो पैसों के लिए अपनी ही बेटी के बच्चे को उससे और उसके पिता से दूर रखेंगा,लेकिन ये तो पूरा का पूरा कलयुगी परिवार निकला जिसने डेढ़ लाख में डिलीवरी क्या करवाई बच्चे को पैसों के लिए खुद के पास गिरवी रख लिया. जरा सोचिए की डेढ़ साल का बच्चा जिसे अपने मां की जरूरत होती है उसे उसकी मां से दूर कर लिया गया. बच्चे के पिता सूरज अपने बच्चे के लिए तरस रहें हैं लेकिन उसके ससुराल वालों को तनिक भी दया नहीं आई. इस तरह के मामले पर भला अब क्या राय दी जाए. आप स्वयं विचार कर लें.

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सावधान! कहीं आप भी न हो जाए औनलाइन ठगी का शिकार

आज के इस डिजिटल युग में आपको अतिरिक्त सतर्कता बरतने की आवश्यकता है क्योंकि एक बार ठगे जाने के बाद आप चहूं और मानसिक तनाव और परेशानियों से घिर जाते हैं. ऐसे मे आपका पैसा और समय दोनों ही नष्ट होता है.

आइए आज इस महत्वपूर्ण लेख में आपको कुछ महत्वपूर्ण घटनाक्रम से अवगत कराएं ताकि आप डिजिटल क्रांति के इस युग मेंअतिरिक्त रुप से सावधान हो जाएं. यह इसलिए और भी ज्यादा जरूरी हो जाता है क्योंकि शिक्षित वर्ग कहे जाने वाले डौक्टर भी औनलाइन ठगी के शिकार होकर सुर्खियां बन रहे हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि आम आदमी की क्या बिसात है अगर वह ठगा जाएगा तो उसकी क्या बुरी गत होगी, यह बात आसानी से समझी जा सकती है-

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डॉक्टर साहब बने ठगी के शिकार

छत्तीसगढ़ के सरगुजा एक असाधारण व्यक्ति से औनलाइन ठगी का मामला सामने आया है, जी हां यहां आरोपियों ने एक डौक्टर को ठगी का शिकार बानया है. मामला सरगुजा जिला मुख्यालय अम्बिकापुर में रहने वाले एक नामचीन डौक्टर का है.

डौक्टर अपने माता पिता के इलाज के लिए बैंगलोर गए थे. वहां से लौटने के बाद आरोपियों ने डॉक्टर से 5 लाख रुपये की औनलाइन ठगी की. डॉक्टर ने इसकी रिपोर्ट अम्बिकापुर के कोतवाली पुलिस में दे दी है. पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई है.

दरअसल इसी महीने डा. फैजल फिरदोसी अपने माता-पिता के इलाज के लिए बैंगलोर गए हुए थे, जहां उन्होंने एटीएम (ATM) से ही सारे भुगतान किए थे. उसके बाद 13 सितंबर को डा. फैजल के पास एक मैसेज आया, जिसमें उन्हें अपने केवाईसी के लिए इस लिंक को क्लिक कर जन्म तारीख और एटीएम नंबर डालने को कहा गया था, जिसके बाद डा. फैजल फिरदोसी ने उस मैसेज को फुलफिल करने के लिए जानकारी भी भर दी.

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शिकायत के मुताबिक फिर 16 तारीख को ठगी करने वाले ने कौल कर पूछा कि डौक्टर साहब आपका केवाईसी हो गया है. एक रिफ्रेंस नंबर मोबाइल फोन पर आएगा उसे बता दीजिए. डौक्टर ने वो नंबर ठगों को बता दिया. फिर कुछ ही देर बाद दो बार करके पांच लाख रुपये निकाल लिए गए.

इसकी जानकारी लगते ही डौक्टर ने कोतवाली थाने पहुंच कर शिकायत की है. इधर पुलिस ने धारा 420 के तहत मामला दर्ज कर आरोपियों की तलाश करने के लिए साइबर सेल की मदद ली जा रही है. पुलिस बैंगलोर के अस्पताल से जुड़े लोगों से भी पूछताछ की तैयारी कर रही है.

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दोस्त दोस्त ना रहा!

यह मामला है छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिला के पिथौरा थाना अंतर्गत ग्राम किशनपुर का. कैसा आश्चर्य है कि जिस मित्र के साथ नित्य का उठना बैठना था, घर आना जाना था, इंसान उसी की हत्या कर देता है आखिर ऐसा क्या हुआ? क्यों एक शख्स ने अपने ही मित्र की शराब पिलाकर हत्या कर दी आइए, आज आपको इस दर्दनाक घटनाक्रम से अवगत कराते हैं कि आखिर इस अपराध कथा में ऐसा क्या हो गया मशहूर गीतकार शैलेंद्र के लिखा गीत दोस्त दोस्त ना रहा …(फिल्म संगम) जीव॔त हो उठा .

दोस्त की पत्नी को छेड़ना पड़ा महंगा…

घटना के सम्बंध में पिथोरा थाना प्रभारी दीपेश जायसवाल ने हमारे संवाददाता को बताया कि मृतक दुर्गेश पिता कन्हैया यादव एवम आरोपी मनहरण उर्फ मोनो अच्छे दोस्त थे.मृतक दुर्गेश का मोनो के घर अक्सर आना जाना रहता था. परंतु दुर्गेश दोस्त की पत्नी को ही बुरी नजर से देखता था. एक दिन आरोपी की पत्नी सरोजा (काल्पनिक नाम) ने मोनो को उसके दोस्त दुर्गेश द्वारा उससे छेड़छाड़ करने की बात बताई. इसके बाद मोनो ने अपने दोस्त को ऐसा नही करने की नसीहत देते हुए समझाया था.

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परंतु विगत सप्ताह दुर्गेश पुनः मोनो के घर पहुच कर उससे छेड़छाड़ कर ही रहा था कि मोनो ने देख लिया.आरोपी मनहरण उर्फ मोनो द्वारा पुलिस को दिए बयान में बताया कि उक्त घटना के बाद से ही उसने दुर्गेश को ठिकाने लगाने की ठान ली थी और योजना बना कर विगत शनिवार को मोनो ने पहले ग्राम के समीप कन्टरा नाले में महुआ शराब बनाई और मृतक दुर्गेश यादव को शराब पीने नाला बुला लिया .जानकारी के अनुसार दुर्गेश के साथ उसका एक नाबालिग साथी सूरज भी आ धमका .

सभी शराब पीने के पहले मवेशियों के लिए चारा लेने निकले थे.चारा लेकर दोनों दोस्त दुर्गेश मोनो और नाबालिग सूरज ने मिल कर महुआ शराब पी.

इसके बाद सब वापस ग्राम जाने के लिए निकले. नाबालिग सूरज साइकल में चारा पीछे लेकर जा रहा था परंतु वह रास्ते मे ही अत्यधिक नशा होने के कारण गिर पड़ा। पीछे चल रहा दुर्गेश भी नशे में धुत्त था।वह भी सूरज को उठाते उठाते स्वयं भी वही गिर पड़ा. थोड़ी देर बाद ही दुर्गेश उठा और नशे की हालत में जिधर से वे आये थे वापस उसी दिशा में चल पड़ा और रास्ते मे पड़ने वाले तिरिथ राम के खेत मे ही गिर पड़ा. इसी स्थान पर मोनो ने पहले दुर्गेश को उसकी हत्या क्यो कर रहा है इसके बारे में बताया और उसका गला दबाकर उसकी हत्या कर दी.

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अपने दोस्त की हत्या करने के बाद वह घर आ पहुंचा और पत्नी को सारी घटना क्रम बयान कर नित्य के कामों में लग गया.

अंततः हत्या करना स्वीकारा

और जब दूसरे दिन गांव के एक व्यक्ति तीरथराम को अपने खेत में दुर्गेश की लाश मिली तो उसने पुलिस को इत्तला दी. पुलिस ने पंचनामा करने के बाद जांच प्रारंभ की और जांच प्रक्रिया पूछताछ में आरोपी मोनो ज्यादा देर टिक नही पाया और अंततः उसने अपना अपराध कबूल कर लिया.

और पुलिस इकबालिया बयान में बताया कि उसने अपने मित्र की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी, क्योंकि वह उसकी पत्नी सरोजा पर बुरी निगाह रखने लगा था,छेड़छाड़ करने लगा था. उसने उसे एक दफे समझाया भी था. बहरहाल स्थानीय पुलिस मनहरण उर्फ मोनो को रिमांड में जेल भेज दिया है.

सेक्स और नाते रिश्तों का टूटना

समाज में आज दिनोंदिन अपराधिक घटनाएं बढ़ती चली जा रही है. अक्सर हम देखते हैं की हत्या का कारण जर जोरू जमीन के इस ट्रायंगल में जोरू अधिकांश रहता है.पत्नी अथवा प्रेमिका के कारण अपराध निरंतर घटित हो रहे हैं. समाज का कोई ऐसा तंतु नहीं है जो इसे रोक सके थाम सके.

इस संदर्भ में सच्चाई यह है कि उपरोक्त हत्याकांड में अपराध घटित होने का सबसे अहम कारण है दुर्गेश का शराब पीकर अपने मित्र मनहरण की पत्नी को पाने का प्रयास करना और जब सरोजा ने सारा घटनाक्रम पति के समक्ष उजागर कर दिया और मनहरण ने दुर्गेश को समझाइश दी इसके बावजूद दुर्गेश अपनी हरकतों से बाज नहीं आया तो अंततः अपने सम्मान और पत्नी की इज्जत बचाने के लिए मनहरण ने अपने ही बचपन के मित्र दुर्गेश की गला घोटकर हत्या कर दी.

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ऐसी अनेक घटनाएं हमारे आसपास समाज में घटित हो रही हैं अगर कोई व्यक्ति बहक जाता है उसके पांव बहक जाते हैं उसका भी अंजाम अंततः ऐसे ही घटनाक्रम में जाकर समाप्त होता है. अच्छा होता मृतक अपनी मर्यादा में रहता, तो संभवतः यह घटनाक्रम घटित ही नहीं होता . जब जब कोई मित्र दुर्गेश की तरह आचरण करता है तो वह मौत का सामना करता है या फिर चौराहे पर पीटा जाता है.

शर्मनाक: रिमांड होम अय्याशी के अड्डे

समाजसेवा के नाम पर चलाए जा रहे आश्रयगृहों यानी रिमांड होम को सरकारी अफसरों और सफेदपोशों ने एक तरह का चकलाघर बना कर रख दिया है. इस के चलते अपनों से बिछड़ी और भटकी मासूम बच्चियां और आपराधिक मामलों में फंसी महिलाएं बंदी समाज के रसूखदारों की घिनौनी हरकतों की वजह से जिस्मफरोशी के दलदल में फंस कर रह जाती हैं.

कई लड़कियों ने बताया कि उन्हें नशे की हालत में ही जहांतहां भेजा जाता था. बेहोशी की हालत में उन के साथ क्याक्या किया जाता था, इस बारे में उन्हें कुछ पता नहीं चलता था. उन्हें बस इतना ही पता चलता था कि उन के पूरे बदन में भयानक दर्द और जलन होती थी.

पटना के गायघाट इलाके में बने महिला रिमांड होम (उत्तर रक्षा गृह) में कुल 136 बंदी हैं. उन के नहाने और कपड़े धोने की बात तो दूर, पीने के पानी का भी ठीक से इंतजाम नहीं है. कमरों में रोशनी और हवा का आना मुहाल है. तन ढकने के लिए ढंग के कपड़े तक मुहैया नहीं किए जाते हैं. इलाज का कोई इंतजाम नहीं होने की वजह से बीमार संवासिनें तड़पतड़प कर जान दे देती हैं.

पिछले साल टाटा इंस्टीट्यूट औफ सोशल साइंसेज, मुंबई की रीजनल यूनिट ने बिहार के 110 सुधारगृहों और सुधार केंद्रों का सर्वे किया था. उस सर्वे में इस बात का खुलासा हुआ था कि 3 केंद्र मानवाधिकार का उल्लंघन कर रहे थे, जिस में मुजफ्फरपुर का बालिका सुधारगृह भी शामिल था. इस के अलावा मोतिहारी और कैमूर सुधार केंद्रों में भी मानवाधिकार के उल्लंघन का मामला सामने आया था.

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ताजा मामला यह है कि पटना के उत्तर रक्षा महिला सुधारगृह, गायघाट में बंगलादेश की 2 लड़कियां पिछले 4 सालों से बंद हैं. ढाका की रहने वाली मरियम परवीन और मौसमी को रेलवे पुलिस ने पटना जंक्शन पर गिरफ्तार किया था. वे मानव तस्करों के चंगुल में फंस गई थीं और किसी तरह भाग निकली थीं. बिहार सरकार की ओर से अब तक उन्हें वापस उन के देश भेजने का कोई इंतजाम नहीं किया गया है.

मरियम परवीन ने बताया कि बंगलादेश की ही लैला नाम की एक औरत नौकरी दिलाने का झांसा दे कर उसे नेपाल ले गई थी. बाद में पता चला कि वह दलालों के चंगुल में फंस चुकी है. एक दिन मौका लगते ही वह भाग निकली. इन दोनों लड़कियों के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं है, इस के बाद भी ये पिछले 4 सालों से रिमांड होम में रहने के लिए मजबूर हैं.

समाज कल्याण विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, रिमांड होम के गेट के भीतर पुरानी और दबंग कैदियों का राज चलता है. उन की बात न मानने वाली कैदियों की थप्पड़ों, लातघूंसों और डंडों से पिटाई तक की जाती है, तो कभी खाना बंद करने का फरमान सुना दिया जाता है.

कुछ साल पहले एक ऐसी ही संवासिन पिंकी ने तो गले में फंदा लगा कर खुदकुशी कर ली थी. पिंकी की चीख रिमांड होम के अंधेरे कमरों की दीवारों में घुट कर रह गई थी. आज तक उस की मौत के गुनाहगारों का पता ही नहीं चल सका है.

गौरतलब है कि पटना के रिमांड होम में प्रेम प्रसंग के मामलों में 34 लड़कियां बंद हैं. बिहार के किशनगंज जिले की रहने वाली लड़की बेबी पिछले 22 महीने से रिमांड होम में कैद है. उस का गुनाह इतना ही है कि उस ने दूसरे धर्म के लड़के से प्यार किया. उस के घर वालों ने पहले तो उसे समझाया, पर वह अपने प्यार को पाने की जिद पर अड़ी रही तो आखिरकार गुस्से में आ कर बेबी के घर वालों ने उस के प्रेमी को मार डाला. उस के बाद लड़के के परिवार ने बेबी समेत उस के समूचे परिवार को हत्या का आरोपी बना दिया.

बेबी सिसकते हुए कहती है कि जिस से मुहब्बत की और साथ जीनेमरने की कसमें खाई थीं, उसे वह कैसे मार सकती है?

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पिछले साल बिहार के मुजफ्फरपुर शहर के बालिका बाल सुधारगृह में बच्चियों के जिस्मानी शोषण के मामले का भंडाफोड़ हुआ था. सेवा, संकल्प एवं विकास समिति नाम की संस्था की ओट में जिस्मफरोशी का धंधा चलता था.

इस संस्था के संचालक ब्रजेश ठाकुर ने अपने घर, प्रिंटिंग प्रैस और बालिकागृह के बीच राज भरी दुनिया बना रखी थी. सीबीआई की टीम जब मुजफ्फरपुर के साहू रोड पर बने उस के घर पर पहुंची तो सीढि़यों की बनावट देख कर हैरान रह गई.

बालिकागृह में 4 सीढि़यां मिलीं और सभी बालिकागृह के मेन भवन तक पहुंचती हैं. एक सीढ़ी प्रिंटिंग प्रैस वाले कमरे में निकलती थी, एक उस के घर की ओर निकलती थी. मकान की तीसरी मंजिल को बालिका सुधारगृह बनाया गया था.

सांसद रह चुके पप्पू यादव साफतौर पर कहते हैं कि मुजफ्फरपुर के बालिका सुधारगृह की मासूम बच्चियों को रसूखदार लोगों के पास ‘मनोरंजन’ के लिए भेजा जाता था. छापेमारी के बाद पता चला कि पीडि़त लड़कियों की उम्र 6 से 15 साल के बीच है, जिन में से 13 लड़कियों की दिमागी हालत ठीक नहीं है.

पुलिस सूत्रों की मानें तो जांच के दौरान यह खुलासा होने लगा है कि कई बच्चियों को नेताओं और अफसरों के पास भेजा जाता था. बालिकागृह में भी हर शुक्रवार को महफिल सजती थी, जिस में कई सफेदफोश और वरदीधारी शामिल होते थे.

कुछ ऐसा ही धंधा पटना की ‘पेज थ्री क्वीन’ कही जाने वाली मनीषा दयाल और उस का पार्टनर चितरंजन भी चला रहा था. मनीषा दयाल की एनजीओ अनुमाया ह्यूमन रिसर्च फाउंडेशन को आसरा होम के संचालन का जिम्मा कैसे मिला, इस के पीछे भी बड़ी कहानी है. आसरा होम का काम मिलने से पहले मनीषा ने बदनाम ब्रजेश ठाकुर द्वारा चलाए जा रहे शैल्टर होम का मुआयना किया था. ब्रजेश ठाकुर की पैरवी से ही मनीषा दयाल को आसरा होम चलाने की जिम्मेदारी समाज कल्याण विभाग ने दी थी.

पटना के राजीव नगर की चंद्रविहार कालोनी के नेपाली नगर में मनीषा दयाल का आसरा होम चलता था. आसरा होम को मिलने वाली सरकारी मदद की रकम में चितरंजन और मनीषा दयाल बड़े पैमाने पर हेराफेरी करते थे.

आसरा होम को चलाने के लिए सरकार की ओर से हर साल 76 लाख, 80 हजार, 400 रुपए देने का करार किया गया था. साल 2018-19 के लिए अब तक 67 लाख रुपए मिल चुके थे.

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आसरा होम के नाम पर करोड़ों रुपए जुटाने वाली मनीषा दयाल इतनी बेदर्द थी कि वह आसरा होम में रहने वाली औरतों और लड़कियों को ठीक से खाना तक नहीं देती थी. उस की गिरफ्तारी के बाद आसरा होम में रहने वाली संवासिनों की मैडिकल जांच की गई तो वे सभी कुपोषण की शिकार निकलीं.

डाक्टरों का कहना है कि इन संवासिनों की नाजुक हालत को देख कर यही लगता है कि इन्हें सही तरीके से खाना और पानी भी नहीं दिया जाता था.

महिला बंदियों को ले कर सोच बदलें :

सुषमा साहू राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य सुषमा साहू कहती हैं कि औरतों को सताने के मामलों में कहीं कोई कमी नहीं आई है. जेल और रिमांड होम की अंदर की बात तो दूर घरों में औरतों के साथ अच्छा रवैया नहीं अपनाया जाता है. वे मानती हैं कि जेलों और रिमांड होम में बंद कैदियों को दोबारा बसाने की सब से बड़ी समस्या है. ऐसी कैदियों को ले कर समाज की सोच बदलने की जरूरत है. उन्हें हुनरमंद बनाना होगा, तभी वे अपने पैरों पर खड़ी हो सकेंगी. इस के लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं और जल्दी ही इस का असर भी दिखाई देने लगेगा.

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कहानी सौजन्य– मनोहर कहानियां

एक शेख की छठी पत्नी आखिर लापता क्यों हो गई

खाड़ी देशों के शेख राजशाही जीवन जीने के लिए खासा मशहूर है. महंगी गाड़ियां, ऐशो-आराम की जिंदगी और यहां तक कि शान की खातिर कुत्ते-बिल्ली नहीं बल्कि खूंखार टाइगर को पालने का शौक रखते हैं. लग्जरी जीवन जीना और अधिक से अधिक रानियों को रखना भी इनका पुराना शौक रहा है.

दुबई के शासक शेख मुहम्मद बिन राशिद अल मखदूम को भी रानियों का शौक रहा है. इन्होंने 5वीं शादी करने के बाद छठी शादी जौर्डन के किंग अब्दुल्ला की सौतेली बहन हया से की. हया न सिर्फ बला की खूबसूरत थी, बल्कि औक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़ी-लिखी व आधुनिक ख्याल की महिला रही है.

शेख मुहम्मद बिन राशिद से शादी के बाद वह दुबई में रहने तो लगी पर उन्हें हद से ज्यादा धार्मिक पाबंदियों से चिढ़ होने लगी थी.

करोड़ों रूपए के साथ हुई लापता…

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पाबंदियों से उकता कर दुबई के अरबपति शासक की छठी बीवी रानी हया करोड़ों रूपए और बच्चों के साथ लापता हो गईं. खबर है कि वे अपने साथ करीब 31 मिलियन पाउंड लगभग 271 करोङ रूपए भी साथ ले गई हैं.

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आधुनिकता पर हावी कट्टरता

तेल के कुओं से अरबपति शेखों और पैसे के बल पर आज सऊदी अरब में गगनचुंबी इमारतें हैं, साफ-सुथरी सड़के हैं और वह सब है जो एक अमीर देश की पहचान होती है पर इन सब चकाचौंध के पीछे यहां धार्मिक पाबंदियां आधुनिकता पर बुरी तरह हावी हैं.

दरअसल, उच्च शिक्षा प्राप्त हया जो पश्चिमी संस्कृति में पलीबङी थीं, धार्मिक कट्टरता और रहनसहन से सामंजस्य नहीं बैठा पा रही थीं.

जौर्डन के किंग अब्दुल्ला की सौतेली बहन हया को बंदिशों से चिढ़ थी. शेख के साथ उस के रिश्ते भी अच्छे नहीं चल रहे थे. हया ने फिर एक कठोर फैसला लिया और बच्चों सहित किसी सुरक्षित स्थान की ओर चल दीं. हया अब शौहर से तलाक लेना चाहती हैं और जरमनी में बसना चाहती हैं.

किसने की मदद

अरब देशों की मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो हया को दुबई से निकलने में जरमनी के राजनयिकों ने मदद की है, क्योंकि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और पाबंदियों को धता बता कर बेशुमार दौलत के साथ भागना यों भी आसान नहीं था.

क्या कूटनीतिक संबंधों पर असर पड़ेगा

हया को देश से निकालने को ले कर जरमनी और यूएई में राजनीतिक संबंधों पर असर पङ सकता है, यह तय है क्योंकि इस के तुरंत बाद शेख मुहम्मद बिन राशिद ने जरमनी के राजनयिकों से बात कर हया को सौंपने की मांग तक कर डाली पर जरमनी ने इस के लिए किसी तरह की मदद देने से इनकार कर दिया.

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इनकी कौन सुनेगा

वहीं, सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बंगलादेश जैसे गरीब देशों से बड़ी संख्या में लड़किया पैसा कमाने के लिए खाड़ी देशों की ओर रूख करती हैं. कुछ जो कबूतरबाजी की शिकार हो कर वहां पहुंचती हैं उन की जिंदगी तो इतनी नारकीय होती है कि जान कर ही रौंगटे खड़े हो जाएं. यहां तक कि पढ़ी-लिखी व आधुनिक खयाल की महिलाएं भी, जो चकाचौंध भरी जिंदगी से आकर्षित हो कर वहीं रह कर नाम और पैसा कमाना चाहती हैं, कभीकभी धोखे का शिकार हो जाती हैं और फिर शुरू हो जाता है उन पर जुल्म और सितम ढाने की इंतहा.

हाल ही में केरल की कई नर्सें वहां उंचे ख्वाब ले कर गई थीं, जिन्हें बाद में सरकार के हस्तक्षेप के बाद वतन लाया गया. इन नर्सों को वहां बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता था.

हया के साथ चूंकि हाई प्रोफाइल मामला है, इसलिए संभव है इन की सुध कोई न कोई लेगा पर उन महिलाओं की आखिर कौन सुनेगा, जो ऊंचे सपने ले कर खाड़ी देशों में चली तो गईं पर वहां गुलाम सी बदतर जिंदगी जीने को आज भी विवश हैं?

शर्मनाक: राजस्थान बन रहा रेपिस्थान

राजस्थान में जिस तरह से रेप के मामले सामने आ रहे हैं, उस से राज्य की नईनवेली सरकार की कलई खुल गई है. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत एक महीने तक अपने बेटे को चुनाव जिताने में लगे रहे और प्रदेश की इज्जत लुट गई. इस दौरान सरकार तो सो ही रही थी, जिस राजस्थान पुलिस के जिम्मे प्रदेश की सुरक्षा है, वह भी पूरी तरह से नकारा निकली.

चुनाव का सहारा ले कर कोई केस दर्ज नहीं किया गया. थानागाजी में हुए गैंगरेप और वीडियो बना कर वायरल करने जैसी खौफनाक वारदातों को भी गंभीरता से नहीं लिया गया.

आंकड़ों की बात की जाए तो अप्रैलमई महीने में ही राज्य में गैंगरेप के 12 बड़े मामले सामने आए, जिन में अबलाओं के साथ कई दरिंदों ने एकसाथ दरिंदगी की. लेकिन राजस्थान सरकार और उस की पुलिस की नाकामी का आलम यह रहा कि केवल 3 मामलों में ही कार्यवाही हुई.

12 अप्रैल, 2019. बाड़मेर में एक महिला स्वास्थ्य कर्मचारी (एएनएम) के साथ रेप करने का मामला सामने आया, लेकिन चुनाव के चलते इस को दबा दिया गया और मुकदमा ही दर्ज नहीं किया गया.

12 अप्रैल, 2019. गुजरात से अजमेर घूमने आई एक औरत को रात में एक आटोरिकशा वाला रामगंज में अपने घर ले गया और उस के साथ गैंगरेप किया. इस मामले में शामिल 8 दरिंदों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई.

18 अप्रैल, 2019. जैसलमेर के नोखा कसबे के पांचू थाना इलाके में 18 साल की एक लड़की को चाकू दिखा कर उठा लिया गया और उस का गैंगरेप कर डाला.

19 अप्रैल, 2019. नागौर की एक गौशाला के मालिक पर रेप का मामला दर्ज हुआ. बताया गया कि रेप के चलते पीडि़ता ने सुसाइड करने की कोशिश की. 26 अप्रैल, 2019. अलवर के थानागाजी में एक विवाहिता का उस के पति के सामने

5 दरिंदों ने गैंगरेप कर उस के 11 वीडियो वायरल किए गए. 6 दिन बाद मामला दर्ज हुआ और 6 मई, 2019 को वहां चुनाव निबटने के बाद राज्य सरकार को होश आया.

29 अप्रैल, 2019. जैसलमेर के ही नोखा कसबे में परिवार वाले वोट देने गए हुए थे कि एक 14 साल की नाबालिग से दरिंदों ने गैंगरेप कर डाला.

29 अप्रैल, 2019. दौसा जिले में महज 7 साल

की एक बच्ची को टौफी देने के नाम पर ले जा कर रेप

किया गया.

1 मई, 2019. चित्तौड़गढ़ में एक 5 साल की मासूम बच्ची को झाडि़यों में ले जा कर उस का रेप कर डाला.

1 मई, 2019. जोधपुर में बोरानाडा इलाके में

16 साल की एक किशोरी का सुनसान इलाके में रेप कर दिया.

2 मई, 2019. जोधपुर के बोरानाडा इलाके में एक विवाहिता से रेप किया गया. उस की बेटी से छेड़छाड़ की गई और बेटे का धर्म बदलने की कोशिश की गई.

7 मई, 2019. सीकर में रात को छत पर सो रही एक नवविवाहिता से उसी मकान में रंगरोगन करने वालों ने गैंगरेप कर डाला.

7 मई, 2019. जोधपुर में करवड़ इलाके में एक नाबालिग को घर से भगा कर ले गए और उस का देह शोषण किया गया.

7 मई, 2019. जयपुर के बगरू थाना क्षेत्र में छीतरोली में 14 साल की नाबालिग से रेप किया गया और उस का वीडियो बना कर ब्लैकमेल किया गया.

7 मई, 2019. जयपुर की एक लड़की, जो पुष्कर घूमने गई थी, के साथ गाइड ने ही होटल में ले जा कर रेप किया.

7 मई, 2019. नागौर जिले के मकराना क्षेत्र में कूकड़ोद में औरत के घर पहुंच कर 2 नौजवानों ने गैंगरेप किया. वीडियो भी बनाया गया. वायरल करने के बाद इस का खुलासा हुआ.

9 मई, 2019. जैसलमेर की नोखा तहसील में शौच करने के बाद लौट रही एक विवाहिता को कुछ दरिंदे उठा ले गए और उस के साथ सामूहिक बलात्कार कर डाला. उस के साथ कई शहरों में 4 दिनों तक गैंगरेप करने के बाद उस के पिता के घर पर पटक दिया गया.

10 मई, 2019. श्रीगंगानगर में स्कूल की गाड़ी चलाने वाले ने ही 6 साल की मासूम के साथ रेप करने की कोशिश की. बच्ची ने स्कूल जाने से मना किया, तब मामला सामने आया.

10 मई, 2019. प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले जोधपुर में रातानाड़ा में एक औरत के साथ एक आदमी ने रेप कर डाला. पुलिस ने मामला दर्ज ही नहीं किया.

इतना ही नहीं, इसी दौरान प्रदेश में ऐसे 40 मामले सामने आए, जिन में औरतों की इज्जत तारतार हो गई. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जब अपने बेटे के लिए प्रचार कर ‘वैभव’ बचाने में लगे थे, तब थानागाजी में एक औरत की जिंदगी का ‘वैभव’ ही सरेराह लुट रहा था.

गंभीर बात यह है कि प्रदेश में पहले चरण की वोटिंग 29 अप्रैल को होने वाली थी, इसलिए पुलिस ने गैंगरेप की घटना में एफआईआर भी दर्ज नहीं की.

नेता हनुमान बेनीवाल और पूर्व आईपीएस पंकज चौधरी का दावा है कि गैंगरेप के जो मामले एसपी तक पहुंचते हैं, वे डीजीपी के भी ध्यान में होते हैं. इन दोनों ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से इस्तीफा देने की मांग की.

सब से बड़ी बात यह है कि रेप, गैंगरेप और अपहरण की सब से ज्यादा वारदातें प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अशोक गहलोत के गृह राज्य में हुई हैं. महज एक पखवारे में बलात्कार की 40 घटनाएं.

जिस तरह ऐसी चौतरफा घटनाएं हुई हैं, उस के हिसाब से लग रहा है कि प्रदेश पर वहशी दरिंदों का कब्जा हो गया है. सरकार बस नाम की है.

एक पखवारे में प्रदेश की 40 बेटियों की इज्जत लूटी गई तो क्या इस बारे में राजस्थान के मुख्यमंत्री की कोई नैतिकता नहीं बनती है? गृह मंत्रालय उन के पास है और नीचे से ऊपर तक पूरा तंत्र है जो हर घटना की रिपोर्टिंग करता है. साथ ही, सरकारी खुफिया तंत्र है जो गृह मंत्री व मुख्यमंत्री तक सूचनाएं पहुंचाता है. मामला गंभीर है और नीचे से ऊपर तक पूरी सरकार सवालों के घेरे में है.

दरअसल, अनुभव व ऊंची पढ़ाई के नाम पर इस देश के नौजवानों के साथ बहुत बड़ा खेल खेला गया है. सामाजिक तानेबाने के जानकार, जमीनी हकीकत की पहचान रखने वाले व रोजरोज

की समस्याओं से जूझ कर तपे हुए व व्यवस्था में बदलाव लाने का जोश रखने वाले नौजवानों को कभी सत्ता में नहीं आने दिया गया, इसलिए हजारों सालों से चली आ रही गुलामी की सोच में कोई बड़ा बदलाव नहीं आ सका है.

हमारे धर्मग्रंथ भी बलात्कारों से भरे पड़े हैं, मगर वे बहुतों के आदर्श भी हैं, क्योंकि उन को श्राप, नियोग वगैरह अलग नाम दिए गए थे और संविधान में हम ने बलात्कार लिख कर बहुत बड़ी क्रांति कर दी. ऐसा हमें सत्ता पर कब्जा कर के बैठे एलीट क्लास वालों ने बताया है इसलिए हम भी इस भ्रांति को क्रांति समझ बैठे हैं और जब भी ऐसी घटनाएं घटती हैं तो हम इन के सामने गिड़गिड़ाते नजर आते हैं और हमारे बीच से ही कुछ लोग इंसाफ दिलवाने की दुकान खोल कर इसी ग्रुप में जा कर शामिल हो जाते हैं.

हर जज, सांसद, विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल समेत तमाम बड़े पदों पर बैठे लोगों के चरित्र की अगर ईमानदारी के साथ जांच की जाए तो जिस तरह आजकल बाबा जेलों में जा रहे हैं, उसी तरह से ऐसे 90 फीसदी लोग यौन शोषण करने या संरक्षण देने की एवज में जेलों की तरफ जाते नजर आएंगे.

भांग लोटे में नहीं, बल्कि पूरे कुएं में घुली हुई है और चंद ईमानदार लोगों को देख कर जनता खुश हो रही है कि इस देश में बराबरी का समाज बनाने की जंग लड़ी जा रही है.

देश के चीफ जस्टिस पर यौन शोषण के आरोप लगे और उसी पीठ ने महिला को बिना निष्पक्ष जांच के झूठा करार दे दिया और आप उम्मीद कर रहे हैं कि इन घटनाओं में इंसाफ मिलेगा.

भारत का पूरा इतिहास खंगाल कर देख लीजिए, राजशाही, धर्मशाही, लोकशाही वगैरह में कुछ हट कर नजर नहीं आएगा. पहले मंदिरों में देवदासियों के नाम पर शोषण होता था और अब जिस तरह इन धर्मगुरुओं की करतूतें सामने आ रही हैं, उस के हिसाब से तो अब गुफाओं में आशीर्वाद के नाम से शोषण हो रहा है.

एक आसाराम के खिलाफ बोलने या गवाही देने वाले कितने लोगों की हत्या कर दी गई, आप जानते ही होंगे. हर डाल पर आसाराम बैठा है, हर गांव में अपराध का टापू बना हुआ है. एक टापू या एक अपराध को ले कर इतने क्रांतिकारी मत बनिए कि सारी ताकत एक पर ही खत्म हो जाए. हमें बीचबीच में ऐसी इंसाफ वाली क्रांतियां करते रहना है, इसलिए पुलिस कौंस्टेबल व एसआई को कोस कर आगे बढि़ए.

अपने जुल्मी व गुलाम इतिहास को हम गौरवशाली बताते हैं. अपने कलंकित वर्तमान पर हमें शर्म आती नहीं है. हम पुरानी व्यवस्था को रौंद कर नई व्यवस्था खड़ी करने का माद्दा नहीं रखते हैं. हम रोज जलालत भरी जिंदगी जी रहे हैं. इनसान कीड़ेमकोड़ों की तरह मर रहे हैं.

3 साल की, 5 साल की, 8 साल तक की बच्चियों के साथ दरिंदगी होती है, मगर हमारा खून नहीं खौलता है. हम आजादी के 72 साल तक व्यवस्था के बदलाव को रोक कर बैठे सत्ताधारियों के सामने गिड़गिड़ाते रहे हैं.

पूरे सिस्टम को ही जंग लगा हुआ है. चेहरे बदलने से कुछ नहीं होने वाला. जवाबदेही व पारदर्शिता के नारे के साथ सुशासन का पिटारा ले कर अशोक गहलोत मुख्यमंत्री की कुरसी पर बैठे हैं. आप खुद देख लीजिए इन की जवाबदेही व पारदर्शिता.

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