तुम प्रेमी क्यों नहीं: भाग 2

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लेखक- परशीश

मुझे याद है, एक बार मैं फ्लू की चपेट में आ गई थी. शेखर ने बिना देर किए दवा मंगा दी थी, पर मैं जानबूझ कर अपने को बीमार दिखा कर बिस्तर पर ही पड़ी रही थी. शेखर ने तुरंत मायके से मेरी छोटी बहन सुलू को बुला लिया था. मैं चाहती थी कि शेखर नीरू के रवि की तरह ही मेरी तीमारदारी करे, मेरे स्वास्थ्य के बारे में बारबार पूछे, मनाए, हंसाए, मगर ऐसा कुछ न हुआ. बीमारी आई और भाग गई.

इतना ही नहीं, शेखर स्वयं बीमार पड़ता तो इस बात की मुझ से कभी अपेक्षा नहीं करता कि मैं उस की सेवाटहल में लगी रहूं. मैं जानबूझ कर उस के पास बैठ भी जाऊं तो मुझे जबरन उठा कर किसी काम में लगवा देता या अपने दफ्तरी हिसाब के जोड़तोड़ में लग जाता. ऐसी स्थिति में मैं गुस्से से उबल पड़ती. अगर कभी रवि बीमार होता तो उस की डाक्टर सिर्फ नीरू होती.

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‘‘मैं रवि को पा कर कभी निराश नहीं होऊंगी, दीदी,’’ नीरू अकसर कहती, ‘‘उसे हमेशा मेरी चिंता सताती रहती है. मैं अगर चाहूं तो भी लापरवाह नहीं हो सकती. पहले ही वह टोक देगा. कभीकभी उस की याददाश्त पर मैं दंग हो जाती हूं. लगता है, जैसे वह डायरी या कैलेंडर हो.’’

याददाश्त के मामले में भी शेखर बिलकुल कोरा है. अगर कहीं जाने का कार्यक्रम बने तो वह अधिकतर भूल ही जाता है. सोचती हूं कि किसी दिन वह कहीं मुझे ही न भूल जाए.

एक दिन मैं ने शादी वाली साड़ी पहनी थी. शेखर ने देखा और एक हलकी सी मिठास से वह घुल भी गया, पर वह बात नहीं आई जो नीरू के रवि में पैदा होती. मुझे इतना गुस्सा आया कि मुंह फुला कर बैठ गई. घंटों उस से कुछ न बोली. शेखर को किसी भी चीज की जरूरत पड़ी तो गुड्डी के हाथों भिजवा दी. शेखर ने रूठ कर कहा, ‘‘अगर गुड्डी न होती तो आप हमें ये चीजें किस तरह से देतीं?’’

‘‘डाक से भेज देती,’’ मैं ने ताव खा कर कहा. शेखर हंसने लगा, ‘‘इतनी सी बात पर इतना गुस्सा. हमें पता होता कि बीवियों की हर बात की प्रशंसा करनी पड़ती है तो शादी से पहले हम कुछ ऐसीवैसी किताबें जरूर पढ़ लेते.’’

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मैं ने भन्ना कर शेखर को देखा और बिलकुल रोनेरोने को हो आई, ‘‘प्रेमी होना हर किसी के बस की बात नहीं होती. तुम कभी प्रेमी न बन पाओगे. रवि को तो तुम ने देखा होगा?’’

‘‘कौन रवि?’’ शेखर चौंका, ‘‘कहीं वह नीरू का प्रेमी तो नहीं?’’

‘‘जी हां, वही,’’ मैं ने नमकमिर्च लगाते हुए कहा, ‘‘नीरू की एकएक बात की तारीफ हजार शब्दों में करता है. तुम्हारी तरह हर समय चुप्पी साधे नहीं रहता. बातचीत में भी इतनी कंजूसी अच्छी नहीं होती.’’

‘‘अरे, तो मैं क्या करूं. बिना प्रेम का पाठ पढ़े ही ब्याह के खूंटे से बांध दिए गए. वैसे एक बात है, प्रेमी बनना बड़ा आसान काम है समझीं, मगर पति बनना बहुत मुश्किल है.

‘‘जाने कितनी योग्यताएं चाहिए पति बनने के लिए. पहले तो उत्तम वेतन वाली नौकरी जिस से लड़की का गुजारा भलीभांति हो सके. सिर पर अपनी छत है या नहीं, घर कैसा है, उस के घर के लोग कैसे हैं, घर में कितने लोग हैं. लड़के में कोई बुराई तो नहीं, उस के अच्छे चालचलन के लिए पासपड़ोसियों का प्रमाणपत्र आदि चाहिए और जब पूरी तरह पति बन जाओ तो अपनी सुंदर पत्नी की बुराइयों को दूर करने का प्रयत्न करो. अपनेआप को ही लो. तुम्हें सोना, सजनासंवरना, गपें मारना, फिल्में देखना आदि यही सब तो आता था. नकचढ़ी भी कितनी थीं तुम. हमारे घर की सीमित सुविधाओं में तुम्हारा दम घुटता था.’’

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अब शेखर बिलकुल गंभीर हो गया था, ‘‘तुम जानती ही हो कैसे मैं ने धीरेधीरे तुम्हें बिलकुल बदल दिया. व्यर्थ गपें मारना, फिल्में देखना सब तुम ने बंद कर दिया. फिर तुम ने मुझे भी तो बदला है,’’ शेखर ने रुक कर पूछा, ‘‘अब कहो, तुम्हें शेखर की भूमिका पसंद है या रवि की?’’

‘‘रवि की,’’ मैं दृढ़ता से बोली, ‘‘प्रेम ही जिंदगी है, यह तुम क्यों भूल जाते हो?’’

‘‘क्यों, मैं क्या तुम से प्रेम नहीं करता. हर तरह से तुम्हारा खयाल रखता हूं. जो बना कर देती हो, खा लेता हूं. दफ्तर से छुट्टी मिलते ही फालतू गपशप में उलझने के बजाय सीधा घर आता हूं. तुम्हें जरा सी छींक भी आए तो फौरन डाक्टर हाजिर कर देता हूं. क्या यह प्रेम नहीं है?’’

‘‘यह प्रेम है या कद्दू की सब्जी?’’ मैं बिलकुल झल्ला गई, ‘‘तुम्हें प्रेम करना रवि से सीखना पड़ेगा. दिनरात नीरू से जाने क्याक्या बातें करता रहता है. उस की तो बातें ही खत्म नहीं होतीं. नीरू कुछ भी ओढ़ेपहने, खाएपकाए रवि उस की प्रशंसा करते नहीं थकता. नीरू तो उसे पा कर किसी और चीज की तमन्ना ही नहीं रखती.’’

‘‘अच्छा तो यह बात है. तब तुम ने नीरू से कभी यह क्यों नहीं कहा कि वह रवि से शादी कर ले.’’

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‘‘कहा तो है…’’

‘‘फिर वह विवाह उस से क्यों नहीं करता?’’

‘‘रवि का कहना है कि जब तक उस के अंदर की कविता शेष न हो जाए तब तक वह विवाह नहीं करना चाहता. विवाह से प्रेम खत्म हो जाता है.’’

‘‘सब बकवास है,’’ शेखर उत्तेजित हो कर बोला, ‘‘आदमी की कविता भी कभी मरती है? जिस व्यक्ति ने सभ्यता को विनाशकारी अणुबम दिया, उस के अंदर की भी कविता खत्म नहीं हुई थी. ऐसा होता तो वह कभी अपने अपराधबोध के कारण आत्महत्या नहीं करता, समझीं. असल में रवि कभी भी नीरू से शादी नहीं करेगा. यह सब उस का एक खेल है, धोखा है.’’

‘‘क्यों?’’ मैं ने घबरा कर पूछा.

‘‘असल में बात तो प्रेमी और पति बनने के अंतर की है, यह रवि का चौथा प्रेम है. इस से पहले भी उस ने 3 लड़कियों से प्रेम किया था.

‘‘जब पति बनने का अवसर आया, वह भाग निकला. प्रेमी बनना बड़ा आसान है. कुछ हुस्नइश्क के शेर रट लो. कुछ विशेष आदतें पाल लो…और सब से बड़ी बात अपने सामने बैठी महिला की जी भर कर तारीफ करो. बस, आप सफल प्रेमी बन गए.

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‘‘जब भी शादी की बात आएगी, देखना कैसे दुम दबा कर भाग निकलेगा.

‘‘तुम देखती चलो, आगेआगे होता है क्या? अब भी तुम्हें शिकायत है कि मैं रवि जैसा प्रेमी क्यों नहीं हूं? और अगर है तो ठीक है, कल से मैं भी कवितागजल की पुस्तकें ला कर तैयारी करूंगा. कल से मेरी नौकरी बंद. गुड्डी की देखभाल बंद, तुम्हारे शिकवेशिकायतें सुनना बंद, बाजारघर का काम बंद. बस, दिनरात तुम्हारे हुस्न की तारीफ करता रहूंगा.’’

शेखर के भोलेपन पर मेरी हंसी छूट गई. अब मैं कहती भी क्या क्योंकि यथार्थ की जमीन पर आ कर मेरे पैर जो टिक गए थे.

‘‘सपोर्ट सिस्टम बहुत जरुरी है..’’ -रकुल प्रीत सिंह

दिल्ली निवासी रकुल प्रीत सिंह नें तमिल व तेलगू फिल्मों में दस वर्षाे से काम करते हुए अपनी एक अलग पहचान बना ली है. 2014 में उन्होने ‘‘यारियां’’ से बौलीवुड में कदम रखा था. मगर फिर वह दक्षिण भारत मे ही व्यस्त हो गयीं थी. पर पिछले दो वर्षो से वह लगातार बौलीवुड में काम कर रही हैं. 2018 में ‘अय्यारी’ के बाद 2019 में अजय देवगन के साथ फिल्म ‘दे दे प्यार दे’ में नजर आयीं थी. अब 15 नवंबर को प्रदर्शित हो रही मिलाप झवेरी प्रदर्शित फिल्म ‘‘मरजावां’’ में वह तारा सुतारिया, सिद्धार्थ मल्होत्रा व रितेश देशमुख के साथ नजर आएंगी.

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प्रस्तुत है उनसे हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश:

2009 से 2019 दस साल का आपका कैरियर है. इस कैरियर को किस रूप में देखती हैं?

– अरे मैं पंडित थोड़े ही हूं. लेकिन जिस मुकाम पर भी हूं, उससे खुश हूं. देखिए, जब मैने अभिनय में कदम रखा, तो मेरे पास खोने को कुछ नहीं था. मेरी पहली फिल्म तेलगू भाषा में थी, जो कि मेरी अपनी भाषा नही है. तेलगू भाषा की फिल्में करते हुए वहां के फिल्मकारों, कलाकारों व दर्शकों का मुझे जो प्यार मिला है, वह मेरे लिए बहुत खास है. फिर बौलीवुड में मैने टीसीरीज की फिल्म ‘‘यारियां’’ से कदम रखा था. जिसके चलते ‘टीसीरीज’ से मेरा खास संबंध बन गया. फिर मुझे अजय देवगन के साथ फिल्म ‘‘दे दे प्यार दे’’ करने का अवसर मिला. मैं इससे अच्छी फिल्म की मांग नहीं कर सकती थी. यह फिल्म ‘शो रील’ की तरह है. जहां सब कुछ देखने को मिला. लोगो ने फिल्म को सराहा. मेरे काम को भी सराहा. उसके बाद अब मैने ‘मरजावां’ में बहुत अलग तरह का किरदार निभाया है. दो तीन दूसरी हिंदी फिल्में साइन की है, जिनमे मेरे किरदार बहुत ही अलग तरह के हैं. तो मैं खुश हूं. मै बहुत ज्यादा सोचती नहीं हूं. मेरे लिए मेरी जिंदगी में महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं खुशी खुशी काम करुं.

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दक्षिण भारत व बौलीवुड में आपको सबसे बड़ा फर्क क्या नजर आता है?

– फिल्मों में कोई फर्क नहीं. वहां भी बौलीवुड की तरह कंटेंट प्रधान और मासी फिल्में हैं. ‘मरजावां’ बौलीवुड की मसाला फिल्म है. हां! फर्क यह है कि वहां पर शाम को छह बजे शूटिंग का पैकअप हो जाता है. जबकि सुबह आठ बजे हम शूटिंग करने के लिए तैयार रहते हैं. वहां पर छह से छह की शिफ्ट होती है, जबकि यहां पर नौ से नौ की शिफ्ट होती है, तो रात के दस ग्यारह बज जाते हैं. परिणामतः पूरा दिन चला जाता है. पर शाम को छह बजे शूटिंग खत्म हो जाए, तो हमें घर जाकर दूसरे दिन के लिए फ्रेश होने का वक्त मिल जाता है.

फिल्म ‘‘मरजावां’’ क्या है?

– यह एक एक्षन ड्रामा फिल्म है, जिसमें प्यार में जो दर्द होता है, उसका चित्रण है.

‘‘मरजावां’’ में आपका किरदार हीरोईन का नहीं है. फिर आपने इसे क्यों किया?

– जब मैं अजय देवगन के साथ फिल्म ‘दे दे पर दे’ की शूटिंग कर रही थी, तब मिलाप झवेरी मेरे पास इस फिल्म का औफर लेकर आए थे. उन्होने कहा कि यह एक पावरफुल किरदार है. फिल्म में स्पेशल किरदार है. इसमें मेरा किरदार दमदार है, जैसा कि फिल्म ‘‘मुकद्दर का सिकंदर’’ में रेखा जी का किरदार था. मैने कहानी व किरदार सुना, तो अच्छा लगा. इस तरह के किरदार नब्बे के दषक में हुआ करते थे, जहां नजाकत, शेरो शायरी होती थी. इसमें मेरा तवायफ का किरदार है, मगर बहुत स्ट्रांग है. मुझे अच्छा लगा. मुझे लगा कि इसमे अलग तरह का स्कोप मेरे अभिनय में नजर आएगा, इसलिए मैने यह फिल्म की.

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अपने किरदार को कैसे परिभाषित करेंगी?

– मैने इसमें आरजू का किरदार निभाया है, जो कि एक वेष्या/तवायफ है. जिसके कई लोग दीवाने हेैं. जबकि आरजू खुद रघू की दीवानी है. उनकी नजाकत, बात करने का अंदाज, शेरो शायरी के चलते उसके किरदार में एक ग्रेस है.

तारा सुतारिया और मिलाप झवेरी के साथ यह आपकी पहली फिल्म है. इनके साथ क्या अनुभव रहे?

– बहुत ही अच्छे अनुभव रहे. मुझे लगता है कि मिलाप का सबसे स्ट्रांग प्वाइंट है उनके द्वारा लिखे गए संवाद और विषय को लेकर उनका कंविक्शन है. वह बहुत ही अच्छे इंसान हैं. तारा भी बहुत अच्छी हैं. उनके साथ काम करके मजा आया. हम लोगों के साथ में ज्यादा सीन नहीं है. हमने 4 से 5 दिन एक साथ शूटिंग की. सिद्धार्थ मल्होत्रा के साथ यह मेरी दूसरी फिल्म है. इससे पहले मैंने उनके साथ फिल्म ‘अय्यारी’ की थी.

इस बार कलाकार के तौर पर आपने सिद्धार्थ में क्या बदलाव महसूस किया?

– सिद्धार्थ ने इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत की है. उन्होंने अपनी बौडी से लेकर बौडी लैंग्वेज पर काफी काम किया है. जिस तरह से वह संवाद बोल रहे है, वह चुनौतीपूर्ण है.जब हम लोग इतने बड़े-बड़े संवाद बोलते हैं, तो जरुरी होता है कि वह नकली न लगे. ऐसा करना काफी कठिन होता है. पर उनके संवाद आपको यकीन दिलाएंगे.

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आपको अपने किरदार के लिए कुछ तैयारी करनी पड़ी?

– जी हां! एक अलग तरह की बौडी लैंग्वेज है. मेरा आरजू का किरदार तारा सुतारिया के किरदार आएशा की तरह बात नही कर सकती. मैने होमवर्क के तहत डांस बार में जाकर देखा कि बार गर्ल की बैडी लैंग्वेज क्या होती है. वह किस अंदाज में खड़ी होती हैं.उनका हाथ हमेशा किस तरह से रहता है.

आप अब तक 30 फिल्में कर चुकी हैं. किस फिल्म के किस किरदार ने आपकी निजी जिंदगी पर असर किया?

– किसी ने नहीं किया. मैं हमेशा इस बात को ध्यान में रखती हूं कि काम को काम की तरह करना है. पैकअप बोलने के बाद दिमाग से एकदम से उस किरदार का पैकअप हो जाना बहुत जरूरी है. अन्यथा निजी जिंदगी खत्म हो जाती है. कलाकार डिप्रेशन में चले जाते हैं. मुझे लगता है कि जब आपके पास कोई सपोर्ट सिस्टम होता है, फिर चाहे परिवार हो या दोस्त हो, तो काम करने के बाद उनके साथ बातें करने से आप भूल सकते है कि आप किस तरह से किरदार को निभाकर आयी हैं. और कलाकार एकदम फ्रेश हो जाता है.

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आपने अब तक हिंदी में जितनी भी फिल्में की, उनमें आप सोलो हीरोईन नहीं हैं?

– ऐसा न कहें. फिल्म ‘दे दे प्यार दे’ में तो तब्बू जी इंटरवल के बाद आई थी. इस फिल्म में मेरा किरदार ही अहम था.

आपने दक्षिण की भाषाएं सीखी हैं?

– नहीं..मगर मैं तेलगू बहुत अच्छी बोल लेती हूं. मैंने कन्नड़ में दस साल पहले एक फिल्म की थी. उसके बाद नहीं की. कन्नड़ फिल्म पौकेटमनी के लिए की थी. उसके बाद मैंने कौलेज की पढ़ाई खत्म करने के बाद तेलगू फिल्म से शुरूआत की. मुझे तमिल समझ में आ जाती है. टूटी फूटी तमिल बोल भी लेती हूं.

सोशल मीडिया पर कितना व्यस्त है और क्या लिखना पसंद करती हैं?

– बहुत कम. अगर आप मेरा इंस्टाग्राम देखेंगे, तो मैं बहुत कम उसमें पोस्ट करती हूं. कुछ नृत्य व जिम में वर्क आउट की तस्वीरें पोस्ट करती हूं. जब छुट्टियां मनाने जाती हूं, तो उसकी तस्वीरे डालती हूं. फिल्म को प्रमोट करती हूं. मुझे लगता है कि मैं क्या हूं, यह बात मेरे सोशल मीडिया के फैंस को पता होना चाहिए. लोगों को कई बार लगता है कि कलाकार की जिंदगी तो बहुत ज्यादा ग्लैमरस है. उनको लगता है कि हम लोग उन पर ध्यान नहीं देते हैं. इसलिए मुझे लगता है कि उनको असलियत दिखाना बहुत जरूरी है. क्योंकि हमारे भी बुरे दिन हो सकते हैं. मेरा भी चेहरा एक दिन खराब दिख सकता है. मेरे भी एक दिन दांत खराब हो सकते हैं. क्योंकि हम लोग भी एक आम इंसान ही हैं. कई लोगों को लगता है कि यह गोरे हैं. और हम इनकी तरह नहीं है. पर ऐसा नहीं है. सभी के अच्छे व बुरे दिन होते हैं. मुझे लगता है कि सोशल मीडिया बहुत ही अच्छा जरिया है लोगों के साथ जुड़ने का. जब आप लोगों को इनफ्लुएंस कर लेते हैं, तो आप उनसे सामाजिक मुद्दों पर भी बात कर सकते हैं. प्रदूषण को लेकर बात कर सकते हैं.

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आपकी आने वाली फिल्में कौन- कौन सी हैं?

– दो तमिल फिल्में है. तीन हिंदी फिल्में साइन की है, उनकी घोषणा जल्दी होगी.

Bigg Boss 13: इस कंटेस्टेंट नें बोला सिद्धार्थ शुक्ला को ‘नामर्द’, भड़क उठीं नताशा सिंह

बिग बौस सीजन 13 के घर में इन दिनों काफी गरम माहौल दर्शकों को नजर आ रहा है. सभी सदस्य कंटेस्टेंट सिद्धार्थ शुक्ला को टारगेट करते दिखाई दे रहे हैं, और ये सिलसिला तब से ज्यादा बढ़ गया जब से घर की बहुएं यानी कि देबोलीना भट्टाचार्जी और रश्मि देसाई नें घर के अंदर दोबारा एंट्री मारी. रश्मि देसाई देसाई तो शो की शुरूआत से ही सिद्धार्थ के पीछे हाथ धो के पड़ी हुईं थी ते वहीं आब दूसरी तरफ जब से वे दोबारा शो के अंदर आईं है तब से इस काम में उनका साथ पारस छाबड़ा और माहिरा शर्मा दे रहे हैं.

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रश्मि देसाई नें सिद्धार्थ शुक्ला को कहा ‘नामर्द’

सिद्धार्थ को प्रोवोक करने के लिए और उन्हें हर बार पर टारगेट करने के चलते रश्मि देसाई नें सिद्धार्थ शुक्ला को नामर्द कह दिया तो वहीं दूसरी तरफ माहिरा शर्मा नें उन्हें बूढ़ा कह कर बुलाया. इस दौरान सिद्धार्थ शुक्ला की दोस्त नताशा सिंह काफी गुस्से में आ गईं. जी हां एक इंटरव्यू के चलते नताशा सिंह नें कहा कि, “बिग बौस के घर में लगातार सिद्धार्थ शुक्ला के लिए भद्दे शब्दों का इस्तेमाल किया जा रहा है. ऐसे में किसी भी इंसान को गुस्सा तो आएगा ही.”

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सिद्धार्थ और रश्मि के रिश्ते की बात करते हुए बताया कि…

नताशा सिंह नें आगे कहा कि, “पिछले कुछ दिनों में सिद्धार्थ शुक्ला पर काफी घटिया कमेंट्स किए गए हैं. इसके बाद भी वह चुप रहने की कोशिश करता है. ये बात अलग है कि उसकी तिलमिहालट गुस्से में साफ झलकती है.” नताशा सिंह नें सिद्धार्थ शुक्ला और रश्मि देसाई के रिश्ते की बात करते हुए बताया कि “मुझे इस दोनों की पर्रसनल लाइफ के बारे में ज्यादा नहीं पता लेकिन अगर सिद्धार्थ शुक्ला इतना ही बुरा था तो रश्मि देसाई उसके इतने करीब क्यों आई. सीरियल ‘दिल से दिल तक’ खत्म होने के बाद भी ये दोनों काफी अच्छे दोस्त थे और अब रश्मि देसाई सिद्धार्थ को नामर्द बताती है.”

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माहिरा को अपनी जुबान पर लगाम लगानी चाहिए…

नताशा सिंह नें अपनी नाराजगी माहिरा शर्मा की ओर भी जताते हुए कहा कि, “40 साल का होने का मतलब ये नहीं है कि, इसांन बूढ़ा हो गया है. माहिरा को अपनी जुबान पर लगाम लगानी चाहिए”. नताशा नें आगे बताया कि इनकी इमेज सबके सामने एक प्ले बौय की तरह बनी हुई है पर सिद्धार्थ ऐसा बिल्कुल नहीं है. इन सब के चलते इतना तो तय है कि घर के अंदर भले ही सब सिद्धार्थ के खिलाफ हों पर बाहर के लोग उन्हें सपोर्ट भी कर रहे हैं.

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प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस को शाहिद कपूर ने दी ये सलाह

शाहिद कपूर हाल ही में नेहा धूपिया के शो में पहुंचे. इस दौरान दोनों ने खूब बातचीत की. शो के दौरान नेहा ने जब शाहिद से कहा कि वो प्रियंका को परफ़ेक्ट रिलेशनशिप एडवाइस देना चाहेंगे तो शाहिद ने कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर देसी गर्ल को जरूर अपने एक्स बौयफ्रेंड पर नाज होगा.

क्या बोले शाहिद….

प्रियंका और निक को रिलेशनशिप एडवाइस देते हुए शाहिद ने कहा- दोनों को एक दूसरे के बैकग्राउंड को अच्छे से समझना चाहिए क्योंकि दोनों अलग-अलग बैकग्राउंड से आते हैं. अब शाहिद की एडवाइस पर प्रियंका का क्या रिएक्शन आता है ये देखना होगा.

वैसे बता दें कि प्रियंका और शाहिद ने ‘कमीने’ और ‘तेरी मेरी कहानी’ जैसी फिल्मों में साथ काम किया था. लेकिन कुछ साल की डेटिंग के बाद दोनों अलग हो गए.

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लाइव कॉन्सर्ट के बीच निक ने प्रियंका को किया Kiss, वीडियो हुआ वायरल

प्रियंका इन दिनों पति निक के साथ टाइम स्पेंड कर रही हैं. इसके साथ ही वो निक के कॉन्सर्ट में भी जाती रहती हैं. अब हाल ही में ऐसे ही लाइव कॉन्सर्ट के बीच निक ने प्रियंका को किस किया जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.

वीडियो में आप देखेंगे कि प्रियंका और निक के भाई केविन की पत्नी डेनियल ऑडिटोरियम के वीआईपी एरिया में खड़ी हैं और फिर वहां से तीनों भाई परफॉर्म करते हुए जाते हैं. इस दौरान निक, प्रियंका को किस करते हैं. दोनों जैसे ही एक दूसरे को किस करते हैं तो फ़ैन्स भी ज़ोर से चिल्लाने लगते हैं.

साथ में मनाया करवा चौथ…

अभी कुछ दिनों पहले प्रियंका और निक ने साथ में पहला करवा चौथ मनाया. प्रियंका ने अमेरिका में करवा चौथ मनाया. इस दौरान प्रियंका ने रेड कलर की साड़ी पहनी थी. वहीं निक ने भी कुर्ता पजामा पहना था. इसके साथ ही उस दिन निक का कॉन्सर्ट भी था तो प्रियंका उसमें चूड़ा पहनकर गई थीं.

प्रियंका की प्रोफेशनल लाइफ़ की बात करें तो वो लास्ट फिल्म ‘द स्काई इज पिंक’ में नज़र आई थीं. प्रियंका ने 3 साल बाद इस फ़िल्म से बॉलीवुड में वापसी की है. हालांकि, फिल्म को अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला. फ़िल्म बॉक्स ऑफिस पर फ़्लॉप साबित हुई.

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महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की दूरदर्शिता ने बचा ली ठाकरे परिवार की सियासी जमीन

समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता…सियासत के ऊपर अज्ञात का शेर मौजूदा महाराष्ट्र की राजनीति पर बिल्कुल सटीक बैठता है. एक पखवाड़ा बीत जाने के बाद भी अब तक महाराष्ट्र की जम्हूरियत को उनका निजाम नहीं मिला. जनता ने अपने मौलिक अधिकार का प्रयोग कर मतदान तो किया लेकिन सरकार का गठन अब तक नहीं हो पाया.

आखिरकार 30 साल की घनिष्ठ दोस्ती महज सीएम पद की लड़ाई कैसे टूट गई. इसके पीछे काफी लंबी सोची समझी रणनीति है. जरा गौर कीजिए 2014 विधानसभा चुनावों में. शिवसेना और बीजेपी दोनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था लेकिन बहुमत किसी को नहीं मिला जिसके बाद दोनों ने मिलकर सरकार बनी और देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया है.

2019 लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह, सीएम देवेंद्र फडणवीस उद्धव ठाकरे से मिलने मातोश्री पहुंचे थे. तब तीनों नेताओं ने मिलकर प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ऐलान किया था शिवसेना और बीजेपी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव दोनों मिलकर लड़ेंगे और सरकार में 50-50 प्रतिशत की भागीदारी होगी. लेकिन अब रिजल्ट आने के बाद पेंच फंस गया. शिवसेना स्टेट में अपना सीएम बनाना चाहती है. इसी रणनीति के तहत ही पहली बार ठाकरे परिवार को कोई सदस्त जनता की अदालत में उतरा था.

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क्यों महाराष्ट्र में शिवसेना चाह रही है मुख्यमंत्री पद
केंद्र में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद बीजेपी का देश में ग्राफ बढ़ा है. भारत के उत्तर से लेकर दक्षिण और पूर्वोत्तर से लेकर पश्चिम के कई राज्यों में बीजेपी अपने दम पर सरकार बनाने में सफल रही है. उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जिस पर बीजेपी की नजर है. 2014 से पहले तक महाराष्ट्र में शिवसेना बड़े भाई तो बीजेपी छोटे भाई की भूमिका में थी.

बीजेपी 2014 में अकेले दम पर चुनावी मैदान में उतरकर 120 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. महाराष्ट्र में शिवसेना उग्र हिंदुत्व, मुसलमान विरोध और पाकिस्तान पर हमलावर विचारधारा को लेकर चली थी, बीजेपी उससे ज्यादा उग्र तेवर अपनाकर और नरेंद्र मोदी और अमित शाह जैसे नेताओं को आगे करके शिवसेना के सामने बड़ी लकीर खींच चुकी है. महाराष्ट्र में शिवसेना का बालासाहेब ठाकरे के दिनों वाला जलवा खत्म हो चुका है. इसी का नतीजा था कि 2019 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन में बीजेपी को 164 और शिवसेना को 124 सीटों पर किस्मत आजमानी पड़ी.

बीजेपी को महाराष्ट्र की सत्ता में अपने दमपर आने के लिए एक न एक दिन शिवसेना को पीछे छोड़ना था. ऐसे में शिवसेना सीएम की कुर्सी के लिए खुद ही बीजेपी का साथ छोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के साथ हाथ मिलने जा रही है. ऐसे में बीजेपी की मन की मुराद पूरी होती नजर आ रही है, क्योंकि शिवसेना के साथ उसका 1989 से गठबंधन चल रहा था. ऐसे में बीजेपी ने यह महायुति खुद न तोड़कर गेंद शिवसेना के पाले में डाल दी थी.

कांग्रेस-एनसीपी के साथ जाने के बाद शिवसेना को अपने उग्र हिंदुत्व की राजनीति और मुस्लिम विरोधी सियासत से भी समझौता करना पड़ेगा. ऐसे में यह फैसला हो गया कि महाराष्ट्र में उग्र हिंदुत्व की प्रतिनिधि पार्टी अब शिवसेना नहीं बल्कि बीजेपी रहेगी. अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला राममंदिर के पक्ष में आ चुका है और मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर से धारा 370 को हटाकर बड़ा दांव चल चुकी है, जिससे उसे अपना सियासी आधार बढ़ाने और अपने दम पर सत्ता में आने की उम्मीद नजर आ रही है.

उद्धव ठाकरे का ये फैसला उनकी राजनीति के हिसाब से बिल्कुल सटीक बैठता है. अगर उद्धव इस बार भी 2014 के माफ़िक बीजेपी के हाथों सरेंडर हो जाते तो ठाकरे परिवार की राजनीति खत्म होने की कगार पर आ जाती. उद्धव ठाकरे की राजनीति जिन मुद्दों पर टिकी थी, भाजपा ने उसको भी खींच लिया. उद्धव ठाकरे की दूरदर्शिता यहां पर उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर बिल्कुल सटीक थी. वो भांप गए थे कि अगर अब बीजेपी ने दोबारा शासन किया तो राज्य में उनका प्रभुत्व स्थापित हो जाएगा.

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वहीं एक बात और भी गौर करने वाली है. चुनाव के पहले तक जितने भी न्यूज चैनल एग्जिट पोल दिखा रहे थे. उसमें बीजेपी को पूर्ण बहुमत मिलता दिख रहा था. हरियाणा में तो कुछ चैनल्स 70 सीटों तक बीजेपी को दे रहे थे लेकिन दोनों की जगह सारे अनुमानों पर पानी फिर गया. बीजेपी हरियाणा में 40 सीटों तक ही सिमट गई और महाराष्ट्र में 105 पर. ये चुनाव तब हुआ था जब कि जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटाया गया था. इससे एक बात तो साफ हो गई कि जनता चुनावों में लोकल मुद्दों को नजर अंदाज नहीं कर रही. बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दोनों ही चुनावों में ताकत झोंक दी थी. जबकि कांग्रेस ने हरियाणा में चुनावी कैंपन के नाम पर कुछ खास नहीं किया था.

अब देखना दिलचस्प होगा कि महाराष्ट्र की सियासत किस ओर जाती है. शिवसेना के लिए एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाना भी एक बड़ा चैलेंज होगा क्योंकि दोनों पार्टियों की आइडियोलॉजी बिल्कुल विपरीत है. और इतिहास गवाह है कि जब-जब दो विपरीत विचारधारा की पार्टियों ने सरकार बनाई है वो सरकार पांच साल पूरे नहीं कर पाई है.

T-20 फौर्मेट में गेंदबाजों के आगे फीके पड़े बल्लेबाजों के तेवर, देखें दिलचस्प रिकॉर्ड

17 फरवरी 2005 को पहला टी-20 मैच खेला गया. ये मैच ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया था. याद आता है जब इस फॉर्मेट की शुरूआत हो रही थी तो कई बड़े दिग्गजों ने इसे हानिकारक बताया था. तब कहा गया था कि इस खेल से गेंदबाजों का दमन हो जाएगा. वास्तव में हम सब कुछ ऐसा ही सोचते थे. मैदान पर हर गेंद पर बढ़ता रोमांच. दर्शकों को भी खूब आनंद आता है. 20 ओवर का खेल होता है. 10 विकेट हाथ में होतें हैं. इस फॉर्मेट में बस एक सिद्धांत लागू  होता है वो है बस हिटिंग. ऐसा हमने कई बार देखा भी.

पहला आधिकारिक टी-20 मैच 17 फरवरी, 2005 को ऑकलैंड में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच खेला गया था. उस मैच में बल्लेबाजों ने अपनी चमक बिखेरते हुए 40 ओवरों में 384 रन बनाए थे लेकिन उसी मैच में ऑस्ट्रेलिया के माइकल कास्प्रोविच ने चार ओवर में 29 रन देकर चार विकेट लेकर साबित कर दिया था कि क्रिकेट के इस सबसे तेज फॉरमेट में गेंदबाजों की अहमियत हमेशा बरकरार रहेगी.

इसी तरह का एक वाक्या रविवार को नागपुर में हुआ, जहां भारत के तेज गेंदबाज दीपक चहर ने हैट्रिक के साथ सात रन देकर छह विकेट लिए और बल्लेबाजों की चमक फीकी करते हुए न सिर्फ भारत को बांग्लादेश पर बड़ी जीत दिलाई बल्कि विश्व रिकार्ड भी कायम किया.

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युवा गेंदबाज दीपक चाहर किसी एक टी-20 मैच में सबसे अच्छी गेंदबाजी करने वाले खिलाड़ी बने. दीपक के अलावा श्रीलंका के अजंता मेंडिस (8-6 और 16-6) तथा भारत के युजवेंद्र चहल (25-6) ने ही टी-20 में छह विकेट लिए हैं लेकिन चाहर की कामयाबी इसलिए खास है क्योंकि उन्होंने हैट्रिक के साथ यह सफलता हासिल की और सबसे कम रन देकर छह विकेट हासिल किए.

चहर की कामयाबी शानदार है लेकिन इस फॉरमेट के 14 साल के इतिहास में कई ऐसे मौके आए हैं, जब गेंदबाजों ने अपने प्रदर्शन से लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर किया है. मेंडिस और चहल के अलावा अफगानिस्तान के राशिद खान का भी नाम इनमें शामिल है. राशिद ने 2017 में ग्रेटर नोएडा में आयरलैंड के खिलाफ दो ओवर में एक मेडन सहित तीन रन देकर पांच विकेट लिए थे. यह हैरान कर देने वाला प्रदर्शन है.

टी-20 इतिहास में अब तक कुल नौ गेंदबाज ऐसे हुए हैं, जिन्होंने दहाई की संख्या तक पहुंचे बिना विपक्षी टीम के पांच या उससे अधिक खिलाड़ियों को आउट किया है. इनमें चाहर, मेंडिस (दो बार), श्रीलंका के रंगना हेराथ (3-5), राशिद, अर्जेटीना के पी. अरीघी ( 4-5), पाकिस्तान के उमर गुल (दो मौकों पर 6-5), लक्जमबर्ग के ए, नंदा (6-5), श्रीलंका के लसिथ मलिगा (6-5) और नामीबिया के सी. विल्जोन (9-5) शामिल हैं.

टी-20 क्रिकेट में अब तक करीब 41 बार गेंदबाजों ने पांच या उससे अधिक विकेट लिए हैं लेकिन सिर्फ नौ मौके ऐसे आए हैं जब इन गेंदबाजों ने मेडन डाले हैं. यह फॉर्मेट पूरी तरह बल्लेबाजों को सपोर्ट करता है और ऐसे में मेडन डालना विकेट लेने से कम नहीं. भारत की ओर से यह सौभाग्य अब तक किसी गेंदबाज को नहीं मिला है जबकि मेंडिस, हेराथ, राशिद, आराघी, मलिंगा यह कारनामा कर चुके हैं. 2014 में चटगांव में न्यूजीलैंड के खिलाफ हेराथ ने तो 3.3 ओवर की गेंदबाजी में दो ओवर मेडन डाले थे और तीन रन देकर पांच विकेट विकेट लिए थे.

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टी-20 में कुल 10 खिलाड़ियों ने हैट्रिक पूरी की है. मलिंगा यह कारनामा दो बार कर चुके हैं. इनमें ऑस्ट्रेलिया के ब्रेट ली, न्यूजीलैंड के जैकब ओरम और टिम साउदी, श्रीलंका के थिसिरा परेरा और मलिंगा, पाकिस्तान के मोहम्मद हसनैन और फहीम अशरफ, ओमान के खावर अली, पापुआ न्यू गिनी के एन. वानुआ और चाहर शामिल हैं. राशिद और मलिंगा के नाम एक खास रिकार्ड दर्ज है. इन दोनों ने इस फॉरमेट में चार गेंदों पर चार विकेट लिए हैं.

अब बात चहर की करते हैं. किसी खिलाड़ी को पता नहीं होता कि उसका करियर कितना लम्बा है और यही कारण है कि वह अपने प्रदर्शन के दम पर अपना नाम खेलों की दुनिया में अमर कर लेना चाहता है. चहर के लिए रविवार को मौका भी था और दस्तूर भी था. साथ ही किस्मत भी उनके साथ थी. चहर ने 7 रन देकर हैट्रिक सहित 6 विकेट लिए, जो एक विश्व रिकॉर्ड है. वह टी-20 में हैट्रिक लेने वाले भारत के पहले पुरुष खिलाड़ी बने. भारत के लिए महिला खिलाड़ी एकता बिष्ट ने हैट्रिक लिया है.

चाहर की सफलता ने भारतीय टीम को सफलता के नए मुकाम पर पहुंचा दिया. भारत इस साल एकमात्र ऐसी टीम बनी, जिसके खिलाड़ियों ने क्रिकेट के तीनों फारमेट में हैट्रिक ली है. चहर ने टी-20 में तो जसप्रीत बुमराह ने वनडे और मोहम्मद समी ने टेस्ट मैच में हैट्रिक पूरी की. शमी ने इस साल टेस्ट के अलावा वनडे में भी हैट्रिक ली थी और यह हैट्रिक विश्व कप में आई थी। इस साल वैसे कुल छह हैट्रिक बने.

लाजवंती: भाग 2

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लेखक- रतनलाल शर्मा ‘मेनारिया’

दीपक के आते ही लाजवंती ने थाली में खाना रख दिया. इस के बाद वह सोने के लिए जाने लगी कि तभी दीपक ने लाजवंती का हाथ पकड़ कर कहा, ‘लाजवंती, रुको. मुझे तुम से एक बात कहनी है.’

लाजवंती सम झ गई कि आज इस का नया नाटक है, फिर भी उस ने पूछा, ‘क्या बात है?’

दीपक ने कहा, ‘तुम मेरे पास तो आओ.’

लाजवंती उस के पास आ कर बोली, ‘मु झे बहुत नींद आ रही है. क्या बात करनी है, जल्दी कहो.’

दीपक ने लाजवंती का हाथ पकड़ कर बड़े प्यार से कहा, ‘मैं जो तुम से मांगना चाहता हूं, वह मु झे दोगी क्या?’

लाजवंती ने कहा, ‘क्या चाहिए आप को? मेरे पास देने लायक ऐसा कुछ भी नहीं है.’

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दीपक ने लाजवंती को सम झाते हुए कहा, ‘मैं आज 10,000 रुपए जुए में हार गया हूं. वे रुपए मैं दोबारा जीतना चाहता हूं इसलिए मु झे तुम्हारी खास चीज की जरूरत है.’

लाजवंती ने कहा, ‘इस में मैं क्या कर सकती हूं? आप ने तो जुए व शराब में सबकुछ बेच दिया है. अब क्या बचा है? मु झे बेचना चाहते हो क्या?’

दीपक ने बड़े प्यार से कहा, ‘तुम भी कैसी बातें करती हो? मैं तुम्हें कैसे बेच सकता हूं, तुम तो मेरी धर्मपत्नी हो. मु झे तो तुम्हारा मंगलसूत्र चाहिए.’

लाजवंती ने गुस्सा जताते हुए कहा, ‘आप को कुछ शर्म आती है कि नहीं. यह मंगलसूत्र सुहाग की निशानी है. कुछ दिन पहले आप ने मेरे सोने के कंगन बेच दिए, मैं ने कुछ नहीं कहा, अब मंगलसूत्र बेच रहे हो, कुछ तो शर्म करो, आप कुछ भी कर लो, मैं मंगलसूत्र नहीं दूंगी.’

जब लाजवंती ने मंगलसूत्र देने से साफ मना कर दिया, तो दीपक को बहुत गुस्सा आया. वह बोला, ‘मैं तेरी फालतू बकवास नहीं सुनना चाहता हूं, इस समय मु झे केवल तुम्हारा मंगलसूत्र चाहिए. मु झे मंगलसूत्र दे दे.’

लाजवंती ने कहा, ‘मैं नहीं दूंगी मंगलसूत्र, यह मेरी आखिरी निशानी बची है.’

दीपक ने लाजवंती का हाथ पकड़ कर अपने पास खींचा और जलती हुई सिगरेट से उस के हाथ को दाग दिया. लाजवंती को बहुत दर्द हुआ.

लाजवंती ने दर्द से कराहते हुए कहा, ‘आप चाहे मु झे मार डालो, लेकिन मैं मंगलसूत्र नहीं दूंगी.’

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इस के बाद दीपक ने लाजवंती का हाथ पकड़ कर उस के बदन को जलती हुई सिगरेट से जगहजगह दाग दिया. लाजवंती जोरजोर से चिल्लाने लगी.

लाजवंती के चिल्लाने से महल्ले वाले वहां इकट्ठा हो गए तो दीपक उन सब के सामने लाजवंती पर बदचलन होने का आरोप लगाने लगा.

लाजवंती ने रोते हुए कहा, ‘आप को  झूठ बोलते हुए शर्म नहीं आती. मेरे बदन को आप ने छलनी कर दिया. मु झे जलती हुई सिगरेट से दागा. मेरा कुसूर इतना सा था कि मैं ने अपना मंगलसूत्र आप को नहीं दिया और मैं यह मंगलसूत्र आप को नहीं दूंगी क्योंकि यह मेरी आखिरी निशानी है.’

लाजवंती की ऐसी हालत देख कर महल्ले वालों की आंखों में आंसू आ गए. सभी दीपक को भलाबुरा कहने लगे. दीपक ने उन्हें गालियां देते हुए दरवाजा बंद कर लिया और दोबारा लाजवंती को पीटने लगा.

लाजवंती ने अपने पापा को फोन लगाया, तो दीपक ने उस के हाथ से मोबाइल छीन कर फर्श पर फेंक दिया जिस से मोबाइल फोन टूट गया.

दीपक ने लाजवंती को फिर बुरी तरह से मारा, जिस से वह बेहोश हो गई.

दीपक उस के गले से मंगलसूत्र खींच कर रात को ही घर से गायब हो गया.

जब अचानक रात को लाजवंती के बच्चे की नींद खुली तो मां को अपने पास न पा कर वह रोने लगा और बरामदे में चला आया और उस के पास बैठ गया. जब लाजवंती को होश आया तो उस ने अपने बेटे को गले से लगा लिया.

लाजवंती ने पाया कि उस के गले से मंगलसूत्र गायब था. वह सम झ गई थी कि दीपक ले गया है. उस ने घड़ी की तरफ देखा. सुबह के 5 बज चुके थे.

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लाजवंती ने कुछ सोचते हुए अपने बेटे को साथ लिया और घर से निकल गई. पड़ोस की एक औरत से मोबाइल मांग कर अपने पापा को फोन लगा दिया.

पापा से बात कर के लाजो सीधी रेलवे स्टेशन की तरफ भागी. वह प्लेटफार्म के फ्लाईओवर की सीढि़यों पर अपने पापा का इंतजार करने लगी.

लाजवंती अपने खयालों में खोई थी कि उस के बेटे ने देखा कि कई छोटेछोटे बच्चे हाथ में कटोरा ले कर भीख मांग रहे थे. वह भी अपने छोटेछोटे हाथ आगे कर के भीख मांगने लगा.

इधर जब राधेश्याम की नींद खुली, तो वह उदयपुर पहुंच गया था.

उदयपुर स्टेशन पर उतर कर राधेश्याम जाने लगा, तभी अचानक कोई पीछे से उस की धोती पकड़ कर खींचने लगा.

राधेश्याम ने पीछे मुड़ कर देखा कि एक नन्हा बच्चा उन की धोती पकड़ कर हाथ आगे कर के भीख मांग रहा था.

राधेश्याम ने उस बच्चे को दुत्कारते हुए धक्का दिया, तो बच्चा दूर जा गिरा और रोने लगा.

बच्चे के रोने की आवाज सुन कर लाजवंती वहां आई. वह अपने बच्चे के पास जा कर उसे उठाने लगी.

राधेश्याम की नजर बेटी लाजो पर पड़ी. वह बोला, ‘‘लाजो, तुम यहां… ऐसी हालत में… तुम्हारी यह हालत किस ने बनाई?’’

लाजवंती ने देखा कि इस अनजान शहर में कौन लाजो कह कर पुकार रहा है. जब उस ने नजर उठा कर देखा तो सामने पापा खड़े हैं. वह जल्दी से दौड़ते हुए अपने पापा के गले लग कर रोने लगी.

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राधेश्याम ने हिम्मत से काम लेते हुए अपने आंसुओं पर काबू पाते हुए कहा, ‘‘बेटी लाजो, आंसू मत बहा. मैं तु झे लेने ही आया हूं. चल, घर चलते हैं.’’

उस समय प्लेफार्म पर दूसरे मुसाफिरों ने पिता व बेटी को इस तरह आंसू बहाते हुए अनमोल मिलन व अनोखा प्यार देखा तो सभी भावुक हो गए.

राधेश्याम अपनी बेटी व नाती को ले कर गांव आ गया.

लाजवंती के साथ दीपक ने जो जोरजुल्म किए थे, लाजवंती ने अपनी मां व पिता को साफसाफ बता दिया.

लाजवंती ने कुछ महीनों बाद ही दीपक से तलाक ले लिया और नई जिंदगी की शुरुआत की.

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मनोज आर पांडे की फिल्म ‘देवरा सुपरस्टार’ का फर्स्ट लुक जारी

भोजपुरी फिल्मों के एक्शन सम्राट मनोज आर पांडे अपनी हाजि‍र जवाबी के लिए मशहूर हैं. ट्रोलर्स हों चाहे सेलिब्रिटी मनोज पांडे कभी भी किसी को जवाब देने से पीछे नहीं हटते. उनकी एक नयी फिल्म का पोस्टर पिछले दिनों रिलीज हुआ जो सोशल मीडिया में खुब चर्चा का विषय बना है. इस पोस्टर पर आरहे कमेंट पर मनोज आर पांडे अपने प्रशसकों को जबाब भी खुद दे रहे हैं. इस फिल्म का नाम है देवरा सुपरस्टार जिसका निर्माण प्रेमचंद साहू फिल्म प्रोडक्शन के बैनर तले किया गया है.

देवरा सुपरस्टार फिल्म को अगले साल 2020 में रिलीज किया जायेगा लेकिन,फिल्म के चर्चे अभी ही जोरों पर हैं.कारण फिल्म का आकर्षक पोस्टर सोशल मीडिया में शेयर किया गया हैं.जिसके बाद से ही फिल्म के बारें में लोग बातें करने लगे है. पोस्टर में फिल्म के नायक मनोज आर पांडेय नायिका के होठों को काटते नजर आ रहे हैं.वहीं अकेले मोटर साईकल पर भी सवार हैं.इसी दृश्य को लेकर पोस्टर के चर्चे हो रहे हैं.फिल्म के निर्देशक अनिल एस मेहता ने फिल्म से जुड़ी कई जानकारियां दी.उन्होंने कहा कि भोजपुरी फिल्म देवरा सुपरस्टार एक फैमिली ड्रामा मूवी हैं जो देवर और भाभी के रिश्तों पर आधारित हैं. समाज में देवर और भाभी के रिश्तों को लेकर के दो बातें की जाती हैं.

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पहला कोई देवर अपनी भाभी को मां का दर्जा देता हैं तो कोई देवर अपनी भाभी के साथ हँसी मजाक करता हैं. ऐसी ही कहानी को लेकर देवरा सुपरस्टार का निर्माण किया गया हैं.  जिसमें देवर भाभी के सकारात्मक रिश्तें को फिल्माया गया हैं. फिल्म में भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के एक्शन सम्राट मनोज आर पाण्डेय ने देवर का किरदार निभाया हैंजबकि,बड़े भाई के रूप में अभिनेता व निमार्ता प्रेमचंद साहू पर्दे पर नजर आयेंगे.अभिनेत्री पलक सिंह ने भाभी के किरदार में दिखेंगी.

फिल्म की नायिका हैं एश्वर्या झा और नीतू मौर्या. भोजपुरी फिल्मों में पहली बार प्रतिभा पाण्डेय का आइटम डांस देखने को मिलेगा. मुख्य खलनायक की भूमिका में दिवाकर तिवारी नजर आने वाले हैं. फिल्म की पूरी शूटिंग झारखण्ड में  की गयी हैं. इस फिल्म को लेकर अनिल एस मेहता ने बताया कि इस फिल्म को भारत के कई राज्यों में रीलिज की जायेगी.

फिल्म के निमार्ता प्रेमचंद साहू,निर्देशक अनिल एस मेहता,कैमरामैन शंकर शर्मा,लेखक प्रेम,संगीतकार रवि तिवारी और आनंद मिश्रा व फाइट मास्टर मंगल फौजी हैं. फिल्म के डांस डायरेक्टर संजय चौधरी व अशोक हैं. इस फिल्म को बिहार बंगाल कलकत्ता नेपाल मुम्बई गुजरात पंजाब यूपी दिल्ली सहित कई राज्यों में रिलीज की जायेगी.अनिल एस मेहता ने यह भी कहा कि यह फिल्म साल की सबसे बड़ी म्यूजिकल हिट फिल्म साबित होगी.क्योंकि,इस फिल्म का म्यूजिक बहुत ही जबरदस्त हैं. इस फिल्म को लेकर मनोज आर पांडे कहते हैं यह फिल्म दुसरी फिल्मों से काफी हटकर है और लोगों का खुब मनोरंजन करेगी.

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हर मोर्चे पर विफल हो रही टीम इंडिया, क्या पूरा हो पाएंगा टी-20 विश्व कप जीतने का सपना

राजकोट में हुए दूसरे टी-20 मैच में टीम इंडिया में एक तरफा मुकाबला जीत लिया. लेकिन इस जीत के साथ-साथ कई सवाल टीम इंडिया के प्रदर्शन पर खड़े हुए हैं. कार्यवाहक कप्तान रोहित शर्मा की तूफानी पारी ने मैच को वनसाइडेड बना दिया. यहां आपको ध्यान देना चाहिए कि अगले साल यानी 2020 में टी-20 विश्व कप खेला जाना है. उससे पहले टीम लगातार प्रयोग के दौर से गुजर रही है. भारत बनाम बांग्लादेश पहला टी-20 मैच दिल्ली के अरूण जेटली स्टेडियम में खेला गया. भारत ये मुकाबला हार गया. अक्सर ये देखा जाता है कि जब टीम हार जाती है तो उसकी कई खामियां गिनीं जाती है लेकिन जब टीम जीत जाती है तो वो खामियां छिप जाती है. दूसरे T-20 मैच में भी ऐसा ही हुआ. पहले T-20 की अगर हम बात करें तो टीम इंडिया हर मोर्चे पर विफल रही. बल्लेबाजी की बात करें तो टीम इंडिया के ओपनर शिखर धवन का बल्ला शांत है. शिखर विश्व कप के दौरान घायल हो गए थे. उसके बाद मैदान पर आए. लेकिन लगा नहीं कि शिखर अपनी फॉर्म में हैं. रोहित शर्मा लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल एक खिलाड़ी के प्रदर्शन पर ही पूरी टीम डिपेंड रहे. युवा खिलाड़ी श्रेयस अय्यर ने जरूर कुछ रन बनाएं लेकिन उसके बाद पंत, शिवम दुबे, केएल राहुल इन सभी ने निराश किया. इन खिलाड़ियों को मौका था कि ये टीम में जगह पक्की कर पाते लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. पंत की कीपरिंग को लेकर भी तमाम सवाल उठे. पंत को अभी रिव्यू का भी सही आंकलन नहीं था.

पहले टी20 में, मैच का दसवां ओवर था जबकि डीआरएस को लेकर फैसले भारत के खिलाफ गये और आखिर में यह गलती टीम को महंगी पड़ी और उसे पहली बार बांग्लादेश से हार का सामना करना पड़ा. लेग स्पिनर युजवेंद्र चहल के इस ओवर की तीसरी गेंद पर मुशफिकुर रहीम पगबाधा आउट थे लेकिन भारत ने रिव्यू नहीं लिया. गेंदबाज या विकेटकीपर पंत ने इसके लिये कप्तान को कोई सलाह भी नहीं दी। रहीम तब छह रन पर खेल रहे थे और बाद में वह 60 रन बनाकर नाबाद रहे. जबकि पगबाधा आउट का सही अंदाजा या तो गेंदबाज को होता है या फिर विकेटकीपर को. गेंदबाज को सही सलाह देने का काम विकेटकीपर को होता है.

इसी ओवर की आखिरी गेंद पर सौम्या सरकार के खिलाफ पंत ने विकेट के पीछे कैच की अपील की जिसे अंपायर ने ठुकरा दिया. पंत ने रोहित पर  डीआरएस  के लिये दबाव बनाया लेकिन  रिव्यू  से स्पष्ट हो गया कि गेंद बल्ले से लगकर नहीं गयी थी. दर्शकों ने भी  धोनी—धोनी  की गूंज से पंत को गलती का अहसास कराया. रोहित ने बाद में स्वीकार किया कि इस तरह के रिव्यू  में कप्तान पूरी तरह से गेंदबाज और विकेटकीपर पर निर्भर होता है लेकिन उन्होंने भरोसा जताया कि पंत अभी युवा है और वह समय के साथ बेहतर फैसले करना सीख जाएगा.

अब बात दूसरे टी-20 मैच की

यहां भी भारतीय टीम ने गलतियों का पहाड़ खड़ा कर दिया. वो तो सही रहा कि कप्तान रोहित शर्मा का बल्ला खूब गरजा और उन्होंने 43 गेंदों पर 85 रन ठोंक डाले. शिखर धवन ने भी उनका साथ दिया. जिससे ये मुकाबला टीम इंडिया ने जीत लिया. लेकिन जब टीम इंडिया की फील्डिंग कर रही थी तो खुद कप्तान रोहित शर्मा ने ही एक कैच छोड़ दिया. कैच के बाद कई बार मिसफिल्डिंग भी हुई. इधर ओवर थ्रो से रन दिए गए. टीम इंडिया की ये फील्डिंग देखकर लग नहीं रहा था कि ये टीम कुछ महीनों बाद टी-20 विश्व कप खेलने वाली हैं. ये बात सही है कि इस टीम में कोहली,बुमरहा और भुवनेश्वर कुमार नहीं है लेकिन जो टीम बांग्लादेश के खिलाफ उतरी थी वो खिलाड़ी भी कम नहीं है. यहां बात करते हैं दूसरे मैच की…

दरअसल, चार ओवर का मैच समाप्त हो गया था. पांचवां ओवर युजवेंद्र चहल (Yuzvendra Chahal) लेकर आए. चहल के सामने बांग्लादेश के ओपनर लिट्टन दास (Litton Das) थे. पहली गेंद पर दो रन लिए. दूसरी गेंद ड्रॉप हो गई. तीसरी गेंद पर जबरदस्त ड्रामा देखने को मिला. टीम इंडिया काफी वक्त से विकेट की तलाश में थी. चहल ने ओवर की तीसरी गेंद फेंकी और विकेट कीपर पंत ने स्टंपिंग कर लिटन दास को आउट भी कर दिया.थर्ड अंपायर को इसमें कुछ गड़बड़ नजर आया और उन्होंने कई बार रिप्ले देखा. लिटन दास क्रीज से बाहर थे, चहल का पैर भी बिल्कुल ठीक था इसके बावजूद जब निर्णय में देर लगी तो मैदान में खड़े खिलाड़ी भी आपस में बातचीत करने लगे. उसके बाद थर्ड अंपायर ने इसको नो बॉल करार दी साथ में फ्री हिट भी दी गई. इस फैसले से सबसे ज्यादा निराश चहल दिखे और कप्तान रोहित शर्मा भी नाखुश नजर आए.

लेकिन यह उन अजीब घटनाओं में से एक थी जो आपको क्रिकेट में देखने को मिलती हैं. चहल की फ्लाइट होती गेंद पर लिटन दास ललचा गए और क्रीज से आगे बढ़कर शॉट खेलने लगे लेकिन लेग ब्रेक पर टर्न से पूरी तरह पिट गए. पंत के लिए स्टंपिंग करना सबसे आसान था, जो अपनी उत्तेजना में गेंद को स्टंप के आगे से ही पकड़ लिया. पंत की यह बहुत छोटी गलती है लेकिन टीम को इसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है.

अब बात करते कुछ आकंड़ों की

पिछले 12 महीने से टीम इंडिया टी-20 में खस्ता हाल प्रदर्शन कर रही है. टी-20 में टीम इंडिया लगातार प्रयोग कर रही है और इन प्रयोगों का खराब असर टीम इंडिया के प्रदर्शन पर साफ नजर आ रहा है. टी-20 में टीम इंडिया फिसड्डी साबित हो रही है. पिछले एक साल में टीम इंडिया टी-20 की 5 में से सिर्फ 1 सीरीज अपने नाम कर पाई. इस दौरान भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया में 3 मैच की सीरीज 1-1 से ड्रॉ कर पाई. फिर न्यूजीलैंड में टीम इंडिया 3 मैच की टी-20 सीरीज में 1-2 से हारी.

फरवरी में ही ऑस्ट्रेलिया ने भारत में आकर टीम इंडिया को 2-0 से हराया. सिर्फ वेस्टइंडीज के खिलाफ टीम इंडिया टी-20 सीरीज जीती. सितंबर में द. अफ्रीका ने भारत में टी-20 सीरीज 1-1 की बराबरी पर खत्म की. टीम इंडिया पिछले 10 में से 5 मैच हारी, जबकि 4 मैच जीती. एक मैच बेनतीजा रहा. पहले बल्लेबाजी करते हुए तो टीम इंडिया की स्थिति और खराब है. पहले बल्लेबाजी करते हुए टीम इंडिया ने इस साल 5 में से 4 मैच गंवाए हैं.

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