दिल्ली निवासी रकुल प्रीत सिंह नें तमिल व तेलगू फिल्मों में दस वर्षाे से काम करते हुए अपनी एक अलग पहचान बना ली है. 2014 में उन्होने ‘‘यारियां’’ से बौलीवुड में कदम रखा था. मगर फिर वह दक्षिण भारत मे ही व्यस्त हो गयीं थी. पर पिछले दो वर्षो से वह लगातार बौलीवुड में काम कर रही हैं. 2018 में ‘अय्यारी’ के बाद 2019 में अजय देवगन के साथ फिल्म ‘दे दे प्यार दे’ में नजर आयीं थी. अब 15 नवंबर को प्रदर्शित हो रही मिलाप झवेरी प्रदर्शित फिल्म ‘‘मरजावां’’ में वह तारा सुतारिया, सिद्धार्थ मल्होत्रा व रितेश देशमुख के साथ नजर आएंगी.

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प्रस्तुत है उनसे हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश:

2009 से 2019 दस साल का आपका कैरियर है. इस कैरियर को किस रूप में देखती हैं?

- अरे मैं पंडित थोड़े ही हूं. लेकिन जिस मुकाम पर भी हूं, उससे खुश हूं. देखिए, जब मैने अभिनय में कदम रखा, तो मेरे पास खोने को कुछ नहीं था. मेरी पहली फिल्म तेलगू भाषा में थी, जो कि मेरी अपनी भाषा नही है. तेलगू भाषा की फिल्में करते हुए वहां के फिल्मकारों, कलाकारों व दर्शकों का मुझे जो प्यार मिला है, वह मेरे लिए बहुत खास है. फिर बौलीवुड में मैने टीसीरीज की फिल्म ‘‘यारियां’’ से कदम रखा था. जिसके चलते ‘टीसीरीज’ से मेरा खास संबंध बन गया. फिर मुझे अजय देवगन के साथ फिल्म ‘‘दे दे प्यार दे’’ करने का अवसर मिला. मैं इससे अच्छी फिल्म की मांग नहीं कर सकती थी. यह फिल्म ‘शो रील’ की तरह है. जहां सब कुछ देखने को मिला. लोगो ने फिल्म को सराहा. मेरे काम को भी सराहा. उसके बाद अब मैने ‘मरजावां’ में बहुत अलग तरह का किरदार निभाया है. दो तीन दूसरी हिंदी फिल्में साइन की है, जिनमे मेरे किरदार बहुत ही अलग तरह के हैं. तो मैं खुश हूं. मै बहुत ज्यादा सोचती नहीं हूं. मेरे लिए मेरी जिंदगी में महत्वपूर्ण बात यह है कि मैं खुशी खुशी काम करुं.

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