Crime Story: फंस ही गई कातिल बीवी- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

रिंकू फोटोग्राफी का काम करता था, इसलिए उसे अकसर बाहर रहना पड़ता था. अब से करीब 8 साल पहले रिंकू दिल्ली में किसी शादी में फोटोशूट के लिए गया हुआ था. उसी दौरान उस की मुलाकात निशा से हुई. निशा देखनेभालने में ठीकठाक थी.

शादी में फोटोशूट के दौरान वह रिंकू से इंप्रैस हुई तो उस ने रिंकू का फोन नंबर ले लिया. उस शादी के बाद रिंकू अपने घर आ गया. रिंकू के घर आने के एकदो दिन बाद ही रिंकू के पास  निशा के फोन आने लगे.

फोन पर बात होने के दौरान ही निशा ने बताया कि हल्द्वानी और रुद्रपुर में उस की बहनें रहती हैं. वह उन के घर भी आतीजाती है. समय गुजरते निशा और रिंकू के बीच प्रेम अंकुरित हुआ और दोनों ही एकदूसरे के साथ जिंदगी बिताने के सपने देखने लगे.

उस दौरान निशा कई बार अपनी बहन के घर आई तो उस ने रिंकू को मिलने के लिए अपनी बहन के घर बुलाया. उसी दौरान रिंकू के परिवार वालों को भी पता चल गया था कि वह निशा नाम की किसी लड़की से प्यार करता है.

उस के परिवार वालों ने उसे समझाने की कोशिश की कि शादी के मामले इतने आसान नहीं होते. ऐसे मौके इंसान की जिंदगी में बारबार नहीं आते. किसी की लड़की घर में लाने से पहले उस के परिवार के बारे में जानकारी जुटाना बहुत जरूरी होता है.

लेकिन रिंकू अपने परिवार वालों की एक भी बात मानने को तैयार न था. वह निशा के प्यार में इस कदर पागल हो चुका था कि किसी भी कीमत पर उसे छोड़ने को तैयार न था. परिवार के इसी विरोध के चलते रिंकू ने परिवार वालों को बिना बताए निशा से कोर्टमैरिज कर ली.

निशा से शादी कर के रिंकू ने शहर में ही उसे किराए का एक कमरा दिला दिया. वह भी उसी के साथ रहने लगा. जब घर वालों को उस की हकीकत पता चली तो उन्होंने उस की मजबूरी समझ कर निशा को घर लाने को कहा.

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ससुराल में शुरू की कलह

निशा रिंकू के घर वालों के रहमोकरम पर बहू बन कर परिवार के बीच रहने लगी. शादी के कुछ समय बाद तक निशा ठीकठाक रही. लेकिन कुछ ही दिनों में उस का व्यवहार बदलने लगा.

वह रिंकू के घर वालों के साथ गलत व्यवहार करने लगी. उस के घर वाले उसे बोझ लगने लगे. जिस के चलते वह रिंकू पर घर वालों से अलग रहने का दबाव बनाने लगी. यहां तक वह परिवार वालों का खाना बनाने के लिए भी तैयार नहीं थी.

रिंकू का छोटा भाई विपिन उस वक्त कुंवारा था. घर में आई बहू की हालत देख उस के घर वालों ने अपने छोटे बेटे विपिन की शादी करने का फैसला कर लिया.

विपिन की शादी की बात चली तो उस के योग्य एक लड़की मिल गई. विपिन की शादी उत्तर प्रदेश के बिलासपुर कस्बे से हुई. विपिन की शादी होते ही घर में दूसरी बहू आई तो घर वालों को कुछ राहत मिली.

विपिन की शादी होते ही रिंकू अपनी पत्नी निशा को ले कर अलग रहने लगा. खानापीना घर परिवार से अलग बनने लगा, लेकिन रहनसहन उसी घर में था. भाई तो भाई होते हैं लेकिन एक ही छत के नीचे चार बहुओं का रहना किसी मुसीबत से कम नहीं था. यही कारण था कि परिवार में आए दिन किसी न किसी बात पर मनमुटाव होता रहता था.

जिस घर में कलह होने लगे तो वहां शांति के लिए कोई जगह नहीं रह जाती. वही इस परिवार में भी हुआ.

सन 2017 में रिंकू की मां द्रौपदी अपने 2 बेटों भारत यादव और सुनील यादव के साथ किसी काम से बरेली गई हुई थी. वहां से घर लौटते समय उन की बाइक किसी गाड़ी की चपेट में आ गई, जिस से उन तीनों की मौत हो गई.

घर में एक साथ 3 मौतें हो जाने के कारण रिंकू को जबरदस्त झटका लगा. उस के बावजूद उस ने जैसेतैसे अपने परिवार को संभालने की कोशिश की. दोनों भाइयों की विधवा बीवी और बच्चों की जिम्मेदारी भी उसी ने संभाली. लेकिन यह सब निशा को पसंद नहीं था. निशा शुरू से ही तेजतर्रार थी. पैसे से उसे कुछ ज्यादा ही प्यार था.

उसी दौरान निशा को पता चला कि उस की सास द्रौपदी का जीवनबीमा था, जिस का क्लेम उन के नौमिनी को मिलना था. रिंकू के सभी परिवार वाले यह बात जानते थे कि अगर पैसा रिंकू के हाथ में चला गया तो उस की बीवी सारे पैसे पर अपना कब्जा जमा लेगी.

दूसरे रिंकू के घर अभिषेक यादव का बहुत आनाजाना था. अभिषेक यादव आवारा युवक था, जिस का घर में आना उस के परिवार वालों को बिलकुल पसंद नहीं था. अभिषेक का घर आनाजाना रिंकू को भी खलता था. लेकिन निशा को बुरा न लगे, इसलिए वह अपनी जुबान बंद रखता था.

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रिंकू के भाई विपिन और उस के रिश्तेदारों ने पूरी कोशिश की कि पैसा किसी भी हाल में रिंकू या उस की बीवी के हाथ में न जाने पाए. जब यह जानकारी निशा को हुई तो उस ने घर में बवाल खड़ा कर दिया.

पैसे ने भाइयों में डाली फूट

अपने भाई की मजबूरी और अपनी भाभी के चरित्र और व्यवहार को देखते हुए विपिन ने एलआईसी से मिलने वाली मां की पौलिसी की रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा ली. यह जानकारी निशा को हुई तो घर में तूफान आ गया. निशा ने घर में जम कर हंगामा किया.

उस ने रिंकू का भी जीना हराम कर दिया. वह बातबात पर उस से लड़नेझगड़ने लगी. इस बीच अभिषेक यादव का भी आनाजाना बढ़ गया था, जिस से उस के परिवार वाले बुरी तरह चिढ़ते थे.

विपिन के खाते में रुपए जाने के बाद निशा उस से बुरी तरह चिढ़ने लगी थी. उस ने पति रिंकू से साफ शब्दों में कह दिया कि इस घर में या तो मैं और मेरा परिवार रहेगा या फिर विपिन. रिंकू निशा की जिद से परेशान था. उस ने कह दिया कि जैसा तुम चाहोगी वैसा ही होगा.

अगले भाग में पढ़ें-  निशा ने रची साजिश

Crime Story: फंस ही गई कातिल बीवी- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

28फरवरी, 2021 को अपने भाई को घर आया देख निशा की खुशी का ठिकाना नहीं था. उस का भाई काफी समय बाद उसे ससुराल से लेने आया था. उस वक्त निशा और उस का पति रिंकू घरगृहस्थी में आए उतारचढ़ाव को ले कर काफी परेशान चल रहे थे. जिस के चलते उन का घर चिंता और परेशानियों से घिरा हुआ था. इस दौरान निशा ने कई बार अपने मायके जाने की सोची भी, लेकिन वह रिंकू को ऐसी स्थिति में छोड़ कर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाई थी.

रिंकू की परेशानी का कारण यह था कि सन 2017 में उस के परिवार में एक ऐसी अनहोनी हो गई थी, जिस में उस की मां और उस के 2 भाइयों की मौत हो गई थी. उस की मां की एक जीवनबीमा पौलिसी थी.

मां की मौत के बाद बीमा की रकम मिली तो उस के छोटे भाई विपिन ने चालाकी से सारी रकम हड़प ली. भाई के विश्वासघात से रिंकू को जबरदस्त झटका लगा था. बाद में उस का छोटा भाई विपिन उस की जान का दुश्मन बन गया था.

अपने साले दीपक के आने के बाद रिंकू ने निशा को समझाबुझा कर उसी दिन उस के साथ मायके भेज दिया. मायके पहुंचने के बाद भी निशा बारबार अपने पति को फोन कर के उस की खैरखबर लेती रही.

28 फरवरी को रात करीब 10 बजे निशा की रिंकू से फोन पर आखिरी बार बात हुई. रिंकू ने निशा को बताया था कि उस का भाई विपिन कुछ लोगों के साथ उस के पास आया था और उस ने गालीगलौज की थी. उस के बाद से उस का मोबाइल बंद हो गया था.

अगले दिन पहली मार्च, 2021 को सुबह निशा ने फिर से रिंकू को फोन मिलाया तो उस समय भी उस का मोबाइल बंद आ रहा था. रात से लगातार रिंकू का फोन बंद आने से निशा परेशान हो उठी.

जब उस से नहीं रहा गया तो वह भाई दीपक को साथ ले कर ससुराल जा पहुंची. लेकिन वहां उस के घर का दरवाजा अंदर से बंद था, जिसे देख निशा और उस का भाई दीपक परेशान हो उठे.

उन्होंने तुरंत इस बात की जानकारी पड़ोसियों को दी, जिस के बाद कालोनी के कुछ लोग दीवार फांद कर घर के अंदर पहुंचे तो अंदर रिंकू की खून से लथपथ लाश पड़ी हुई थी.

पति की लाश देखते ही निशा चक्कर खा कर गिर पड़ी. रिंकू की हत्या की बात सुन कर पूरे मोहल्ले में सनसनी फैल गई. इस बात की सूचना तुरंत पुलिस को दी गई.

बंद घर में एक युवक की हत्या की बात सुनते ही पुलिस आननफानन में घटनास्थल पर पहुंच गई. यह घटना रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर से सटे भदईपुरा इलाके की है.

वह जगह रमपुरा चौकी के अंतर्गत आता था. इसलिए जानकारी मिलते ही रमपुरा चौकीप्रभारी अनिल जोशी ने इस घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी और खुद घटनास्थल की ओर रवाना हो गए. सूचना मिलते ही रुद्रपुर कोतवाल एन.एन. पंत, सीओ (सिटी) अमित कुमार, एसपी (क्राइम) मिथिलेश सिंह और एसएसपी दलीप सिंह कुंवर भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

रिंकू की लाश बंद घर के अंदर मिली थी. किसी ने रिंकू के सिर में सटा कर गोली मारी थी, जिस से उस की मौके पर ही मौत हो गई थी. इस हत्या की जांचपड़ताल करते हुए पुलिस ने सब से पहले मृतक की बीवी निशा से पूछताछ शुरू की.

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निशा ने बताया कि वह एक दिन पहले ही अपने भाई के साथ मायके चली गई थी. जहां पर उसे पति द्वारा ही पता चला था कि उस के भाई विपिन ने उस के साथ गालीगलौज की थी.

उस के बयान के आधार पर पुलिस ने मृतक के भाई विपिन और उस के एक सहयोगी को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया. एसएसपी ने केस की तह तक जाने के लिए एसओजी समेत 3 टीमों को लगाया.

लाश को देख कर लग रहा था कि रिंकू की हत्या कई घंटे पहले की गई थी. पुलिस ने पड़ोसियों से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने गोली की कोई आवाज नहीं सुनी थी. हालांकि मृतक की बीवी ने अपने ही देवर पर रिंकू की हत्या का आरोप लगाया था. लेकिन पुलिस के लिए इस तरह के सबूत तब तक मायने नहीं रखते जब तक पुलिस हत्या से सबंधित कोई तथ्य न जुटा ले.

पुलिस ने अपनी काररवाई को आगे बढ़ाते हुए रिंकू की लाश पोस्टमार्टम हेतु जिला अस्पताल भिजवा दी. लेकिन पोस्टमार्टम होने से पहले ही मृतक के ससुराल वालों ने पोस्टमार्टम का विरोध करते हुए हंगामा करना शुरू कर दिया.

उन का कहना था कि पहले इस हत्या केस का खुलासा करो, बाद में पोस्टमार्टम कराना. पुलिस के काफी समझाने के बाद भी वे लोग मानने को तैयार नहीं हुए थे. रिंकू के ससुराल वाले उस के छोटे भाई समेत अन्य कई रिश्तेदारों पर उस की मां के एक्सीडेंट क्लेम के रुपए हड़पने के लिए हत्या का आरोप लगा रहे थे.

तफ्तीश में जुटी पुलिस

इस मामले में रिंकू ने कोर्ट के माध्यम से 22 फरवरी, 2020 को रुद्रपुर कोतवाली में अपने छोटे भाई विपिन के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था. यह बात पुलिस के संज्ञान में थी. उन्हीं तथ्यों के आधार पर पहली मार्च को निशा यादव की ओर से देवर विपिन यादव, सचिन यादव और दीपक यादव के खिलाफ कोतवाली में रिंकू की हत्या की नामजद रिपोर्ट दर्ज कर ली गई. मुकदमा भादंवि की धारा 302 के तहत दर्ज किया गया.

पुलिस ने इस केस की तहकीकात शुरू करते हुए सर्विलांस की मदद से रिंकू के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरे खंगालने शुरू कर दिए. उसी दौरान पुलिस ने रिंकू के घर के पास स्थित दुकानदार पुष्पेंद्र से पूछताछ की तो उस ने बताया कि 28 फरवरी की शाम रिंकू उस की दुकान से सिगरेट लेने आया था.

उस वक्त उस के साथ 3 अन्य लोग भी थे, जिन्हें वह नहीं जानता. इस बात की जानकारी मिलते ही पुलिस ने रिंकू के मोबाइल की कालडिटेल्स खंगाली, जिस से पता चला कि उस वक्त उस की पत्नी ने ही उस से बात की थी.

पुलिस ने निशा से पूछताछ की तो निशा ने अपनी सफाई देते हुए अपनी तरफ से अपने 2 गवाह पेश कर के साबित करने की कोशिश की कि उस के भाई और बहन ने विपिन और उस के साथियों को घर से तमंचा ले कर भागते हुए देखा था.

पुलिस ने उस के भाई और बहन के बारे में जांचपड़ताल की तो पता चला कि उस के भाईबहन भदईपुरा में रहते ही नहीं तो उन्होंने उन को भागते हुए कैसे देख लिया. निशा का बिछाया यही जाल उस के लिए जी का जंजाल बन गया.

पुलिस को संदेह हो गया कि जरूर रिंकू की हत्या करने में निशा की ही भूमिका रही होगी. हालांकि पुलिस ने इस केस को पारिवारिक विवाद से जोड़ कर 2 संदिग्धों को हिरासत में ले कर पूछताछ भी शुरू कर दी थी, लेकिन जब पुलिस को निशा ही संदिग्ध लगी तो पुलिस ने उसे भी पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया.

निशा को हिरासत में ले कर पुलिस ने उस की कालडिटेल्स निकाली तो उस के नंबर पर सब से ज्यादा बात भदईपुरा निवासी उस के पड़ोसी अभिषेक यादव से होती पाई गई.  28 फरवरी, 2021 को भी निशा और अभिषेक यादव के बीच कई बार बात हुई थी.

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पुलिस ने निशा से कड़ी पूछताछ की तो वह पुलिस के दांवपेंच में फंसती चली गई. आखिरकार उस ने स्वीकार कर लिया कि उस ने ही अभिषेक से मिल कर अपने पति की हत्या कराई है.

उस ने पुलिस को बताया कि अभिषेक यादव और उस के बीच काफी समय से अवैध संबंध थे. इस बात का शक उस के पति रिंकू को हो गया था. उस ने एक दिन हम दोनों को रंगेहाथों घर में ही पकड़ लिया था, जिस के बाद उस का पति से मनमुटाव हो गया था. उसी मनमुटाव के चलते उस ने अभिषेक से मिल कर उस की हत्या करा दी.

नाजायज फायदा उठाया

उस के बाद उस ने अपने पारिवारिक संबंधों का नाजायज फायदा उठाते हुए इस केस में अपने ही परिवार वालों को घसीटने की कोशिश की.

निशा तेजतर्रार महिला थी. उस ने रिंकू के साथ कोर्टमैरिज की थी. रिंकू से कोर्टमैरिज करने के बाद उस ने रिंकू को कैसे अपनी अंगुलियों के इशारे पर नचाया, यह रोमांचक कहानी है.

रुद्रपुर, ऊधमसिंह नगर से लगभग एक किलोमीटर दूर किच्छा मार्ग पर एक कालोनी है भदईपुरा. इसी कालोनी में भान सिंह यादव का परिवार रहता था.

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भान सिंह के 4 बेटे थे. समय के साथ चारों बेटे जवान हुए तो वे भी कामों में अपने पिता का सहयोग करने लगे. चारों बेटों ने मिलजुल कर काम करना शुरू किया तो भान सिंह के परिवार की स्थिति इतनी मजबूत हो गई कि उसी कमाई के सहारे उस ने मकान भी बनवा लिया.

भान सिंह ने समय से 2 बेटों की शादी कर दी थी. रिंकू तीसरे नंबर का था. रिंकू ने किसी फोटोग्राफर के यहां रह कर फोटोग्राफी का काम सीखा और वह शादीविवाह में फोटोशूट का काम करने लगा. उसी दौरान किसी बीमारी के चलते भान सिंह की मृत्यु हो गई.

भान सिंह के निधन से घर की जिम्मेदारी चारों बेटों पर आ गई. चारों बेटे पहले की तरह ही एकमत हो कर घर की सारी जिम्मेदारी निभाते रहे. रिंकू भी शादी लायक हो गया था.

अगले भाग में पढ़ें- ससुराल में शुरू की कलह

Crime Story: फंस ही गई कातिल बीवी- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

इस तरह निशा ने रिंकू को अपने भाई के सामने खड़ा करा कर दोनों में मनमुटाव करा दिया, साथ ही उस के नाम मां की एलआईसी के रुपए हड़पने का आरोप लगा कर रुद्रपुर कोतवाली में एक एफआईआर भी दर्ज करा दी. विपिन ने अपने कुछ रिश्तेदारों के सहयोग से पुलिस से मिल कर जैसेतैसे वह मामला निपटाया.

इस से विपिन को लगा कि अब उस घर में अपने भाई के साथ रहना उस की सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है. वह अपना घर छोड़ कर अपनी ससुराल बिलासपुर में जा कर रहने लगा. तब से वह वहीं पर रह रहा था.

विपिन के घर छोड़ते ही निशा के सारे बंद रास्ते खुल गए. सुबह होते ही रिंकू अपने काम पर निकल जाता. उस के बाद वह अभिषेक को फोन कर के अपने घर बुला लेती थी. रिंकू के अभी 2 ही बच्चे थे, जिन में बड़ी बेटी मानवी 5 वर्ष की थी और उस से छोटा बेटा मानव 3 वर्ष का था.

मानवी तो स्कूल जाने लगी थी. लेकिन बेटा अभी छोटा था, जिस से निशा को कोई खास परेशानी नहीं होती थी. वह रिंकू की अनुपस्थिति का लाभ उठाते हुए आए दिन अभिषेक यादव के साथ मस्ती करती थी. अभिषेक का आनाजाना बढ़ गया तो मोहल्ले वालों को भी अखरने लगा. चलतेचलते यह बात रिंकू के सामने भी जा पहुंची.

रिंकू ने निशा को समझाने की कोशिश की. लेकिन निशा ने उलटे उसे ही समझाते हुए कहा कि अभिषेक उस का दूर का रिश्तेदार है. वह उस के घर पर आने पर रोक नहीं लगा सकती. निशा के सामने रिंकू की एक न चली.

रिंकू का आए दिन बाहर आनाजाना लगा रहता था. उसी दौरान एक दिन रिंकू ने अभिषेक और निशा को अपने घर में ही आपत्तिजनक स्थिति में रंगेहाथों पकड़ लिया. अभिषेक तो छत की सीढि़यों से पीछे कूद कर भाग गया.

उस रात रिंकू और निशा के बीच खूब गालीगलौज हुई. रिंकू ने निशा को बहुत भलाबुरा कहा. लेकिन निशा को जैसे सांप सूंघ गया था.

उस ने रिंकू के सामने माफी मांगते हुए भविष्य में ऐसी गलती न करने की कसम भी खाई. रिंकू जानता था कि बात ज्यादा बढ़ाने से उसी की बेइज्जती होगी, लिहाजा वह सहन कर गया.

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निशा जानती थी कि अब रिंकू को अभिषेक के बारे में सब कुछ पता चल चुका है, वह आगे किसी भी कीमत पर अभिषेक को सहन नहीं करेगा. उस दिन से अभिषेक काफी दिनों तक उस गली से नहीं गुजरा. लेकिन वह मोबाइल पर हमेशा निशा के संपर्क में रहता था. जब रिंकू कहीं काम से बाहर जाता तो वह घंटों तक अभिषेक से मोबाइल पर बात करती रहती. मोबाइल पर उस ने अभिषेक यादव से कहा कि अगर तुम मुझे सच्चा प्यार करते हो तो मुझे इस नर्क से निकाल कर कहीं दूसरी जगह ले चलो. लेकिन अभिष्ेक यादव जानता था कि उस के छोटेछोटे 2 बच्चे हैं, वह उन का क्या करेगा.

निशा ने रची साजिश

अंतत: निशा ने अभिषेक के साथ मिल कर रिंकू से पीछा छुड़ाने के लिए एक साजिश रच डाली. साजिश के तहत निशा ने अभिषेक को बताया कि वह 28 फरवरी, 2021 को अपनी बहन के घर हल्द्वानी जा रही है. अगर तुम मुझे सच्चा प्यार करते हो तो मेरे आने से पहले रिंकू को दुनिया से विदा कर दो. फिर हम दोनों इसी घर में मौजमस्ती करेंगे.

अभिषेक यादव निशा के प्यार में पागल था. वह उसे पाने के लिए कुछ भी करने को तैयार था. वह उस की साजिश का हिस्सा बन गया. रिंकू की हत्या करने के लिए उस ने अपने दोस्त आकाश यादव, साहिल व सूरज को भी शामिल कर लिया. निशा और अभिषेक यादव ने आकाश को 20 हजार रुपए देने के साथ ही एक तमंचा भी दिला दिया था.

योजना के तहत निशा ने अपने भाई को अपने घर बुलाया और 28 फरवरी को वह उस के साथ चली गई. निशा के जाने के बाद रिंकू घर पर अकेला रह गया था. 28 फरवरी की शाम को पूर्व योजनानुसार आकाश यादव उर्फ बांडा निवासी भदईपुरा, साहिल निवासी भूत बंगला ने रिंकू के घर पर पार्टी करने की योजना बनाई, जिस में शराब के साथ मुर्गा भी बनाया गया.

पार्टी में तीनों ने रिंकू को ज्यादा शराब पिलाई. उस शाम रिंकू के घर के पास एक शादी भी थी, जिस में डीजे बज रहा था. डीजे की आवाज में कुछ सुनाई नहीं दे रहा था. देर रात तक चली पार्टी में जब रिंकू बेहोशी की हालत में हो गया तो मौका पाते ही तीनों ने गोली मार कर उस की हत्या कर दी.

रिंकू की हत्या करने के बाद उन्होंने उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ कर दिया था. उस के बाद तीनों घर के दरवाजे पर अंदर से ताला लगा कर छत के रास्ते नीचे कूद कर चले गए. रिंकू की हत्या के बाद आकाश ने अभिषेक को बता दिया कि उस का काम हो गया है. उस के आगे का काम स्वयं निशा ने संभाला.

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योजनानुसार निशा ने इस केस में रिंकू के छोटे भाई विपिन और उस के रिश्तेदारों को फंसाने की योजना बना रखी थी. लेकिन उस का यह दांव चल नहीं सका और वह खुद ही अपने जाल में उलझ गई.

इस केस के खुलते ही पुलिस ने पांचों आरोपियों को कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया. इस हत्याकांड का खुलासा करने वाली टीम में शामिल कोतवाल एन.एन. पंत, एसएसआई सतीश कापड़ी, एसआई पूरनी सिंह, रमपुरा चौकीप्रभारी मनोज जोशी, एसओजी प्रभारी उमेश मलिक, कांस्टेबल प्रकाश भगत

और राजेंद्र कश्यप को आईजी ने 5 हजार, एसएसपी ने ढाई हजार रुपए का ईनाम देने की घोषणा की.

कोरोना के दौर में बिहार में एक बार फिर शुरू हुआ चमकी बुखार का कहर

राइटर- सोनाली 

कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच बिहार में चमकी बुखार का प्रकोप एक बार फिर शुरू हो गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक लगभग 200 से ज्यादा बच्चों की मौत इस बीमारी की वजह से हो चुकी है. एक बार फिर मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने एक 12 वर्षीय बच्चे की जिंदगी छीन ली है. चमकी बुखार से इस साल जिले में यह पहली मौत है, लेकिन इस मौत के बाद ये साफ है कि एक बार फिर बिहार में चमकी बुखार का आगमन हो चुका है. राज्य में पहले से ही कम संसाधनों और छोटी टीम के साथ कोरोना से जूझ रहा स्वास्थ्य विभाग बच्चों के लिए जानलेवा इस बीमारी से कितना मुकाबला कर पायेगा, यह गंभीर सवाल है.

ताजा मामले में मुजफ्फरपुर के एसकेएमसीएच में चमकी बुखार से एक बच्चे की मौत का है. मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने पीआईसीयू वार्ड में जमकर हंगामा मचाया. इस दौरान वार्ड में अफरातफरी मच गई. सुरक्षाकर्मियों के आने के बाद ही आक्रोशित परिजनों को समझा-बुझाकर शांत कराया गया. परिजनों का आरोप है कि इलाज के अभाव में बच्चे ने दम तोड़ दिया. हंगामा के दौरान बच्चे की मां बार-बार बेहोश होती रही, अस्पताल कर्मियों ने उसे बाहर निकाल दिया. मृतक की पहचान कांटी गोसाईटोला के कमलेश सहनी के पुत्र नंदन कुमार (10 साल) के रूप में की गई है. मृतक के पिता कमलेश ने बताया कि 2 बजे कांटी पीएचसी के डॉक्टर ने नंदन को चमकी बुखार से पीड़ित बताया और एसकेएमसीएच रेफर कर दिया. यहां आने पर भर्ती करने के बाद कोई डॉक्टर बच्चे का इलाज नहीं कर सकें, जिसके बाद बच्चे की मौत हो गई. इधर, डॉक्टर ने बताया कि बच्चे का ग्लुकोज लेवल 106 था. इसलिए मर्ज के अनुसार इलाज किया जा रहा था. इलाज के दौरान मौत हुई है. इधर, अस्पताल अधीक्षक डॉ. बाबू साहब झा ने बताया कि चमकी से बच्चे की मौत हुई है. इसके लिए अस्पताल में पूरी व्यवस्था की जा रही है. एसकेएमसीएच में इससे पहले चमकी से एक और बच्चे की मौत हो चुकी है.

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उत्तर बिहार के 11 जिलों में बच्चों के लिए जानलेवा साबित होने वाली यह बीमारी AES, जिसे स्थानीय भाषा में चमकी बुखार भी कहते हैं, हर साल गर्मियों में फैलती है और बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो जाती है. 2019 में भी इस बीमारी से 600 से अधिक बच्चे पीड़ित हुए थे और इनमें 185 की मौत हो गई थी. उस वक्त इन बच्चों की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया था. राज्य के स्वास्थ्य संसाधनों को लेकर तब बड़े सवाल उठे थे.

उस वक्त बीमार होने वाले बच्चों के सामाजिक आर्थिक स्थितियों का आकलन करने के लिए सरकार और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा बीमार बच्चों के परिवार वालों का सर्वेक्षण किया गया था. सरकारी सर्वेक्षण तो सार्वजनिक नहीं हुआ, मगर सेंटर फॉर रिसर्च एंड डायलॉग द्वारा किए गए सर्वेक्षण से पता चला कि बीमार होने वाले बच्चों में से 95 फीसदी से अधिक अत्यंत गरीब और दलित-पिछड़ी जाति के बच्चे हैं. वे कुपोषण का शिकार हैं. उनमें से ज्यादातर का टीकाकरण नहीं हुआ है. 70 फीसदी से अधिक परिवार वालों में चमकी बुखार को लेकर जागरूकता न के बराबर है. उनके इलाकों में आंगनबाड़ी की स्थिति ठीक नहीं है. न उन्हें समुचित पोषाहार मिलता है, न ही उनका वजन और बांह का माप लिया जाता है.

इस बीमारी के अब तक सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है. बता दें कि 1995 से ही उत्तर बिहार के जिलों में इस बीमारी से बच्चों की मौत होती रही है. पहले यह माना जाता था कि चूंकि लीची के मौसम में बच्चों की मौत होती है, इसलिए इस रोग से लीची का कोई न कोई संबंध है. पिछले साल यह बताया गया कि तेज गर्मी के मौसम में खेलने से बच्चे इस बीमारी के चपेट में आ रहे हैं. दिलचस्प है कि इस साल अभी तक न लीची का मौसम शुरू हुआ है, न कोई गर्मी का ही कोई प्रकोप है, इसके बावजूद बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हो रहे हैं.

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ऐसे में प्रभावित क्षेत्र की गरीब आबादी के बीच जागरूकता, बच्चों को कुपोषण से बचाना, उन्हें भूखे पेट न सोने देना, बीमारी के लक्षण दिखते ही उन्हें पास के अस्पताल में तत्काल पहुंचा और ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर और कारगर बनाना ही इस रोग से बच्चों को बचाने का सबसे प्रभावी उपाय माना जा रहा है.

2019 में इतनी मौतों को बाद राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग की कमियों पर गंभीर सवाल उठने पर बिहार सरकार ने फैसला किया था कि अगले साल ऐसी तैयारी की जाएगी कि बच्चों की कम से कम मौत हो. मगर कुछ तो सरकारी तैयारी में हुए विलंब और कुछ कोरोना के प्रकोप की वजह से जिस तैयारी की बात की गई थी, वह पिछले साल भी नही दिखी और शायद इस साल भी वहीं हाल है.

बता दें कि मुजफ्फरपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एसकेएमसीएच में 515 करोड़ की लागत पहला एक सौ दो बेड के पीकू (शिशु गहन चिकित्सा यूनिट) और 60 बेड का इंसेफ्लाइटिस वार्ड बनाया गया, जिससे की राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था और बेहतर हो सकें और लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े.

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पिछले साल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बार-बार घोषणा की जा रही थी कि कोरोना की वजह से बच्चों को मरने नहीं दिया जाएगा. हर मौत के बाद जांच हो रही है और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी हो रहा था. यह भी कहा गया है कि कोरोना संक्रमण के लिए चल रहे घर-घर सर्वे में चमकी बुखार से संबंधित जानकारी भी ली जाए. मगर इसके बावजूद जमीनी हालात इतने जटिल थे कि बच्चों का मरना लगातार जारी था. इन सबके बाद ऐसा लग रहा था मानों सरकार अब इस बीमारी को थोड़ा गंभीर रूप से लेंगे और आने वाले सालों में इस बीमारी से जूझने के लिए पूरी तरीकें से तैयार रहेंगे. लेकिन इस साल भी बच्चे की मौत और कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों के बीच एक बार फिर राज्य के स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठ रहे हैं.

आम्रपाली दुबे के बाद निरहुआ भी हुए कोरोना के शिकार, सरकारी नियमों को तोड़ना पड़ा भारी

Nrahua Tests Covid 19 Positive: बॉलीवुड और टीवी इंडस्ट्री के बाद कोरोनावायरस ने  भोजपुरी इंडस्ट्री को भी चपेट में ले लिया है. हाल ही में खबर आई थी कि फेमस भोजपुरी एक्ट्रेस आम्रपाली दुबे (Amrapali Dubey) कोरोना पॉजिटिव हो गई हैं. आम्रपाली दुबे के बाद अब मशहूर भोजपुरी एक्टर दिनेश लाल यादव यानी निरहुआ (Dinesh Lal Yadav Niraua) भी कोरोना वायरस के शिकार हो गए हैं.

दो स्टाफ मेंबर्स को भी हुआ कोरोना…

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, निरहुआ बांद्र जिले के एक गांव में अपनी अपकमिंग फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. इसी दौरान उन्हें कोरोना ने अपना शिकार बनाया है. वो अपनी अपकमिंग फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, जिस दौरान उन्हें और उनके दो स्टाफ मेंबर्स को कोरोना हो गया है.

 

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शूटिंग के दौरान कोरोना नियमों की अनदेखी…

निरहुआ की फिल्म की शूटिंग के दौरान कोरोना के नियमों को भी नजरअंदाज किया जा रहा था. निरहुआ ने फिल्म के सेट से कुछ दिनों पहले ही एक वीडियो जारी किया था, जिसमें सभी कलाकार बिना मास्क के एक-दूसरे के करीब बैठे दिख रहे थे. वीडियो में साफ दिख रहा है कि सेट पर सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल नहीं रखा जा रहा था.

 

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लोगों ने किए ऐसे कमेंट…

इस वीडियो पर कुछ फैंस ने कमेंट करके उन्हें कोरोना नियमों का पालन करने की सलाह भी दी थी. बता दे कि निरहुआ यहां जिस फिल्म की शूटिंग कर रहे थे, उसका नाम ‘सबका बाप अंगूठा छाप’ है.

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आम्रपाली दुबे ने किया था ये पोस्ट

इसके पहले आम्रपाली ने अपने कोरोना पॉजिटव होने की बात खुद फैंस के साथ शेयर की थी. आम्रपाली ने अपने इंस्टा अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया. जिसमें एक्ट्रेस ने लिखा, ‘सभी को नमस्ते, मैं आप सबको यह बताना चाहती हूं कि आज सुबह मेरी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. मैं और मेरा परिवार पूरी सावधानी बरतते हुए मेडिकल केयर ले रहे हैं.

उन्होंने आगे लिखा, आप लोग चिंता ना करें, हम सब एकदम ठीक हैं. बस केवल मुझे और मेरे परिवार को दुआओं में याद रखिएगा.

एक्ट्रेस के पोस्ट पर मोनालिसा, काजल राघवानी, दिनेश लाल यादव और रानी चटर्जी समेत कई भोजपुरी सेलेब्स ने कमेंट कर स्टार के जल्दी स्वस्थ होने की कामना की.

उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव: विधानसभा चुनाव का सैमीफाइनल

योगी सरकार आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पंचायत चुनाव को देख रही है, तो विपक्ष पूरा जोर लगा कर अपना दबदबा दिखाना चाहेगा.

इस बार उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव इतने खास हैं कि इन्हें ले कर तमाम तरह के लोकगीत बन चुके हैं. इन में से सब से मशहूर गीत ‘जब नौकरी न मिली जवानी में, तो कूद पड़े परधानी में…’ है. गांव के बेरोजगार नौजवानों के लिए यह एक सुनहरे मौके की तरह से दिख रहा है. इस की वजह यह है कि एक गांव को साल में विकास के लिए कम से कम 5 लाख से 10 लाख रुपए की सरकारी योजना मिलती है. ऐसे में 5 साल में अच्छीखासी रकम हो जाती है. इस के अलावा सड़क, खड़ंजा वगैरह बनाने का ठेका मिल जाता है और राजनीतिक ताकत बन कर बिचौलिए के रूप में काम करने का मौका भी मिल जाता है. इस वजह से प्रधान का पद बेहद खास हो जाता है.

पंचायत चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवार हर तरह के दांव आजमा रहे हैं. जो सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हैं उन पर प्रधानी का सपना देखने वालों ने अपनी पत्नी, मां या दूसरी महिला रिश्तेदार को चुनाव मैदान में उतारा है. महिला उम्मीदवारों में से 90 फीसदी ऐसी हैं जो मुखौटाभर हैं. उन के नाम पर घर के मर्द काम करेंगे. यही वजह है कि बहुत सी कोशिशों के बाद भी महिलाओं को रिजर्व सीट का फायदा नहीं मिल सका है.

पैसे और दबदबे वाले लोग पंचायत चुनाव के जरीए सत्ता में अपना दखल बनाए रखना चाहते हैं. नौजवान तबका अपने राजनीतिक कैरियर के लिए पंचायत चुनाव को अहम मान कर चुनाव मैदान में है. राजनीतिक दलों को इस बहाने नए कार्यकर्ता भी मिल रहे हैं.

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अहम है यह दांव

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के बहाने राजनीतिक दल अपनी पैठ गांवगांव तक बना लेना चाहते हैं. साल 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों की नजर से देखें तो इन्हें विधानसभा चुनाव का सैमीफाइनल माना जा रहा है. इस की वजह यह है कि पंचायत चुनाव के जरीए ब्लौक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष को भी चुना जाना है. इन 2 पदों के लिए सभी राजनीतिक दलों ने अपनेअपने उम्मीदवार को चुनाव मैदान में उतार दिया है.

ब्लौक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए उम्मीदवार को बीडीसी यानी क्षेत्र पंचायत सदस्य और डीडीसी यानी जिला पंचायत सदस्य बनना जरूरी होता है. बीडीसी सदस्य 1800 वोटर पर और डीडीसी 50000 वोटर पर एक पद स्वीकृत होता है. हर पार्टी ज्यादा से ज्यादा ब्लौक प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष जितवाना चाहती है. इस राजनीतिक ताकत को हासिल करने के लिए पंचायत के चुनाव बेहद खास हो गए हैं.

उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में 3051 पद जिला पंचायत सदस्य, 826 पद ब्लौक प्रमुख, 75,855 पद क्षेत्र पंचायत सदस्य, 58,194 पद ग्राम प्रधान और 7,31,813 पद ग्राम पंचायत सदस्यों के हैं. इन में से एक फीसदी सीटें अनुसूचित जनजाति, 21 फीसदी सीटें अनुसूचित जाति और 27 फीसदी सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए रिजर्व की जाएंगी, बाकी 51 फीसदी सीटें सामान्य वर्ग के लिए होंगी. सभी वर्गों में एकतिहाई सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व रखी गई हैं.

ये चुनाव ऐसे हैं जिन के जरीए गांवगांव तक पार्टी का प्रचार किया जा सकता है. यही वजह है कि राजनीतिक दल इन चुनावों को साल 2022 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों के लिए सब से मुफीद मान रहे हैं.

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महंगे हो गए पंचायत चुनाव

चुनाव जीतने के लिए उम्मीदवारों ने धनबल और बाहुबल का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है. चुनाव प्रचार के लिए बीडीसी और डीडीसी उम्मीदवारों को अपने गांव से दूर भी प्रचार के लिए जाना पड़ रहा है. ऐसे में गाड़ी, पैट्रोल और खानेपीने का खर्च करना पड़ रहा है. एक उम्मीदवार के साथ 5 से 10 लोगों की टीम चलती है. इस का पूरा खर्च उम्मीदवार को उठाना पड़ता है. चुनाव लड़ने की फीस भले ही कम लगती हो, पर वोट मांगने में लाखों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं.

पंचायत चुनाव के दौरान पुलिस शराब की धरपकड़ भी कर रही है. साल 2021 के पंचायत चुनाव में चुनाव खर्च की सीमा भी बढ़ा दी गई है. चुनाव में ग्राम पंचायत सदस्य 10,000, ग्राम प्रधान 75,000, क्षेत्र पंचायत सदस्य 75,000, जिला पंचायत सदस्य डेढ़ लाख रुपए अधिकतम खर्च कर सकता है.

नेताओं की नर्सरी बने

प्रशासन के साथसाथ राजनीतिक दलों ने भी इन चुनावों की तैयारी शुरू कर दी है. राजनीतिक दलों खासकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पहली बार दलीय आधार पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. भाजपा को लगता है कि साल 2022 के विधानसभा चुनाव जीतने के लिए पंचायत चुनाव में अपनी पकड़ बनानी जरूरी है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा का सब से ज्यादा फोकस गांव पर है. ‘मोदीयोगी’ की राज्य और केंद्र सरकारों के काम गिनाते हुए भाजपा अपना प्रचार कर रही है. प्रचार के लिए भाजपा किसान क्रेडिट कार्ड, पीएम फसल बीमा योजना, गांव के शौचालय, उज्ज्वला योजना, प्रधानमंत्री आवास और मनरेगा जौब कार्ड योजना का सहारा ले रही है.

इस बार के पंचायत चुनाव में बड़ी तादाद में बेरोजगार नौजवान चुनाव मैदान में उतर रहे हैं. इस की वजह यह है कि सरकार गांवों के लिए बड़ेबड़े बजट ले कर आ रही है. इस के जरीए किसानों के गुस्से को कम करने की कोशिश की जाएगी. इन योजनाओं के संचालन में बड़े पैमाने पर पैसे की बंदरबांट होती है.

इस के साथ ही विधानसभा और लोकसभा चुनाव में वोटरों को जोड़ने में गांव के प्रधान की ज्यादा अहमियत होती है. इस वजह बड़ी तादाद में नौजवान ग्राम पंचायत के चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं.

वरिष्ठ पत्रकार विमल पाठक कहते हैं, ‘पहले जो काम छात्रसंघ के चुनाव करते थे, अब वही काम पंचायत और निकाय के चुनाव कर रहे हैं. वे नौजवानों को राजनीति की तरफ जोड़ रहे हैं. यहां से वे आगे बढ़ेंगे और देशप्रदेश की राजनीति में काम करेंगे.’

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मुद्दा बना किसान आंदोलन

गांवों में भाजपा के प्रचार करने वालों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है. किसान कृषि कानून और किसान उत्पीड़न की बात कर रहे हैं. विरोधी उम्मीदवार इस बात का प्रचार कर रहे हैं कि भाजपा की ‘डबल इंजन’ सरकार विकास नहीं कर रही है. महंगाई और बेरोजगारी बढ़ा रही है. किसान आंदोलन जो पहले दिल्ली की सीमा तक सीमित था, उस में पंजाब और हरियाणा के किसान ज्यादा थे, पर जैसे ही किसान आंदोलन में उत्तर प्रदेश के किसानों की भागीदारी हुई, तो यह भाजपा पर भारी पड़ने लगा. अब पंचायत चुनावों में कृषि कानून मुद्दा बन रहे हैं.

भाजपा के लोग इस के असर को कम करने के लिए किसान सम्मान निधि, केंद्र सरकार की आवास योजना, उज्ज्वला योजना का जिक्र कर रहे हैं. कुछ क्षेत्रों में धार्मिक धुव्रीकरण की कोशिश भी हो रही है.

टीवी और फिल्म के बाद भोजपुरी इंडस्ट्री में भी छाया कोरोना का कहर, Aamrapali Dubey हुईं वायरस का शिकार

टीवी और फिल्म इंडस्ट्री के बाद भोजपुरी इंडस्ट्री में कोरोना का कहर छाया हुआ है.  इसकी शुरुआत भोजपुरी क्विन आम्रपाली दुबे  से हुई. रविवार को आम्रपाली दुबे (Aamrapali Dubey) कोरोना पॉजिटिव पाई गईं.

दरअसल इसकी जानकारी आम्रपाली ने खुद फैंस के साथ शेयर की है. आम्रपाली ने अपने इंस्टा अकाउंट पर एक पोस्ट शेयर किया. जिसमें एक्ट्रेस ने लिखा, ‘सभी को नमस्ते, मैं आप सबको यह बताना चाहती हूं कि आज सुबह मेरी कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. मैं और मेरा परिवार पूरी सावधानी बरतते हुए मेडिकल केयर ले रहे हैं.

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उन्होंने आगे लिखा, आप लोग चिंता ना करें, हम सब एकदम ठीक हैं. बस केवल मुझे और मेरे परिवार को दुआओं में याद रखिएगा.

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एक्ट्रेस के पोस्ट पर मोनालिसा, काजल राघवानी, दिनेश लाल यादव और रानी चटर्जी समेत कई भोजपुरी सेलेब्स ने कमेंट कर स्टार के जल्दी स्वस्थ होने की कामना की. वहीं अगर बात करें कोरोना की तो बीते एक ही महीने में करीब 50 से अधिक स्टार्स को कोरोना ने अपनी चपेट में ले लिया है. टीवी इंडस्ट्री के कुछ शोज पर कोरोना अटैक हुआ है. इनमें अनुपमा, इंडियन आइडल 12 और भी कई सारे शोज शामिल हैं.

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मलाइका अरोड़ा के हाथ में दिखी ये रिंग, क्या कर ली हैं Arjun Kapoor से सगाई?

बॉलीवुड एक्टर आर्जुन कपूर और मलाइका अरोड़ा अपनी लव लाइफ को लेकर खूब सुर्खियां बटोरते हैं. ये कपल अक्सर अपनी फोटोज सोशल मीडिया पर फैंस के साथ शेयर करते हैं. अब फैंस को इनके शादी का बेसब्री से इंतजार है आखिर ये कपल कब शादी करेंगे.

तो अब मलाइका अरोड़ा ने अपनी एक खूबसूरत तस्वीर शेयर कर फैंस को चौंका दिया है. दरअसल इस तस्वीर में मलाइका रिंग फ्लॉन्ट करती हुई नजर आ रही हैं. इस तस्वीर को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि लगा रहे हैं कि कपल ने सगाई कर ली है.

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इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कि मलाइका अरोड़ा बेहद खूबसूरत क्रीम कलर की डिजाइनर साड़ी में नजर आ रही हैं. इस फोटो में एक्ट्रेस ने एक बेहद खूबसूरत इंगेजमेंट रिंग पहनी हुई है. तो दूसरी तस्वीर में एक्ट्रेस ने हाथों में शैंपेन का ग्लास लिए हुए फोटो शेयर की है.

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अगर आपको भी लगता है कि एक्ट्रेस ने सगाई कर ली है तो हम आपको बता दें कि मलाइका अरोड़ा एक नामी रिंग ब्रांड को एंडोर्स कर रही हैं. ये तस्वीर उनके इसी कैंपेन का हिस्सा हैं.

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Ghum hai kisikey pyaar meiin: सई ने छोड़ा चौहान हाउस, भवानी की चाल हुई कामयाब

स्टार प्लस का सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ इन दिनों नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहा है, जिससे सीरियल  का अपकमिंग एपिसोड काफी धमाकेदार होने वाला है.

जी हां, इस सीरियल के बिते एपिसोड में आपने देखा कि विराट ने भवानी से वादा किया है कि वो सई को उसकी औकात दिखाकर ही दम लेगा. उसने सई से ये भी कहा कि वह उससे नफरत करता है और उसके घर में उसके लिए कोई भी जगह नहीं है.

 

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दरअसल पुलकित और देवयानी की शादी की वजह से विराट और सई के बीच जंग जारी है. तो वहीं शो के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि सई चौहान हाउस का दरवाजा खटखटाती रहेगी लेकिन कोई भी दरवाजा नहीं खोलेगा.

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इसके बाद सई आसापास को लोगों से ,कहेगी कि उसके घरवाले उसके साथ बुरा व्यवहार कर रहे हैं और दरवाजा नहीं खोल रहे हैं. तो दूसरी तरफ विराट ये सब देखकर और भी गुस्सा हो जाएगा. और सई को खूब खरी-खोटी सुनाएगा.

विराट की बातें को सुनकर सई चौहान हाउस की चौखट से ही वापस लौट जाएगी. सई और विराट के बीच बढ़ती हुई दूरियों को देखकर पाखी और भवानी काफी खुश होंगे. अब सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या सई भवानी का पर्दाफाश कर पाएगी.

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