Mother’s Day Special: मोह का बंधन- भाग 1

लेखक- वनश्री अग्रवाल

वह अपने बेटे सुशांत के पास पहली बार जा रही थीं. 3 महीने पहले ही सुशांत का विवाह अमृता से हुआ था. दोनों बंगलौर में नौकरी करते थे और शादी के बाद से ही मां को बुलाने की रट लगाए हुए थे. एक हफ्ते पहले सुशांत ने अपने प्रोमोशन की खबर देते हुए मां को हवाई टिकट भेजा और कहा कि मां, अब तो आ जाओ. इस पर बीना उस का आग्रह न टाल सकीं. विमान में पहुंचने पर एअर होस्टेस ने सीट तक जाने में बीना की मदद की और सीटबेल्ट लगाने का उन से आग्रह किया. नियत समय पर विमान ने उड़ान भरी तो नीचे का दृश्य बीना को अत्यंत मोहक लग रहा था. छोटेछोटे भवन, कहीं जंगल तो कहीं घुमावदार सड़क और इमारतें…सभी खिलौने जैसे दिख रहे थे. कुछ देर बाद विमान बादलों को चीरता हुआ बहुत ऊपर पहुंच गया.

थोड़ी देर तक तो बीना बाहर देखती रहीं, फिर ऊब कर एक पत्रिका उठा ली और उस के पन्ने पलटने लगीं. तभी उन की नजर एक विज्ञापन पर पड़ी जो उन के ही बैंक की आवासीय ऋण योजना का था. साथ ही उस में छपे एक खुशहाल परिवार का चित्र देख कर उन्हें अपने घरसंसार का खयाल आ गया.

उसे बैंक में नौकरी करते हुए अब 15 साल बीत चुके हैं. परिवार में वह और उस के 3 बेटे हैं और अब तो 2 बहुएं भी आ गई हैं. बड़ा बेटा प्रशांत अमेरिका में कंप्यूटर इंजीनियर है. मंझला सुशांत बंगलौर में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में कार्यरत है. निशांत सब से छोटा है और लखनऊ में डाक्टरी की पढ़ाई कर रहा है.

आज जब वह बच्चों की सफलता के बारे में सोचती हैं तो उन्हें अपने पति आनंद की कमी सहसा महसूस हो उठती है. आज वह जिंदा होते तो कितने खुश होते, अकसर यही खयाल मन में आता है. हृदयाघात ने 12 साल पहले आनंद को उन से छीन लिया था. बैंक की नौकरी, बच्चों की परवरिश और घर की जिम्मेदारी के बीच पति आनंद की कमी बीना को हमेशा महसूस होती रही पर अब जब बच्चे सक्षम हो कर उन से दूर चले गए हैं तब अकेलेपन का एहसास उन्हें अधिक सालने लगा है.

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कुछ साल पहले तक बीना यही सोच कर आश्वस्त हो जाया करती थीं कि यह स्थिति हमेशा के लिए थोड़े ही रहने वाली है. आफिस के सहकर्मी, नातेरिश्तेदार सभी सलाह देते कि अब तो बेटों की शादियां कर के भरेपूरे परिवार का आनंद उठाएं. इच्छा तो बीना की भी यही होती थी पर उन्हीं लोगों के अनुभवों के कारण उन की सोच बदलने लगी.

आफिस के मेहताजी का उदाहरण बीना को भीतर तक हिला गया था. अपने बेटे की शादी तय होने पर पूरे आफिस में मिठाई बांटते हुए उन्होंने कहा था कि अब वह रिटायरमेंट ले कर गृहस्थी का सुख भोगेंगे. बड़े चाव से उन्होंने सब को शादी का न्योता दिया और महल्ले भर में दिल खोल कर मिठाई बांटी पर महीना बीततेबीतते मेहताजी के चेहरे की चमक जा चुकी थी. पता चला कि अपना मकान उन्होंने उपहारस्वरूप जिस बेटेबहू के नाम कर दिया था, उन्होेंने ही अपने मातापिता को घर से निकालने में ज्यादा समय नहीं लगाया था.

उन की अपनी ननद सरिता की कहानी भी कम दुखदायी नहीं थी. उन के बेटे अमन को उच्च शिक्षा के लिए लंदन भेजते समय बीना ने ही अपने बैंक  से ऋण की व्यवस्था करवाई थी. अमन जो एक बार गया तो अपनी बहन अमिता की शादी पर भी न आ सका. अमिता ने अपने गहनों के शौक के आगे मातापिता की तंग आर्थिक स्थिति की बिलकुल परवा न की. बीना ने सरिता जीजी को चेताने की दबी हुई सी कोशिश की थी पर बेटी के मोह के कारण उन्होंने अपनी हैसियत से बढ़ कर शादी में खर्च किया.

2 महीने बाद जीजाजी को अचानक दिल का दौरा पड़ा और डाक्टर ने तुरंत आपरेशन की सलाह दी. जीजी ने बच्चों को बुलावा भेजा, अमन तो आफिस से छुट्टी नहीं ले पाया और अमिता ने अपने विदेश भ्रमण के कार्यक्रम को आगे बढ़ाना जरूरी न समझा. बीमार पिता तो कुछ दिनों में ठीक होने लगे पर जीजी को जो आघात मोह के बंधन के टूटने से लगा, उस से वह कभी उबर न सकीं.

आएदिन रिश्तों में आती कड़वाहट के किस्सों के चलते बीना ने मन ही मन एक निर्णय ले लिया कि चाहे जो हो जाए, वह मोह के बंधनों में नहीं बंधेंगी. न होगा बंधन, न रहेगा उस के टूटने का भय और उस के नतीजे में होने वाली वेदना. यद्यपि बीना जानती थीं कि उन के बेटे उन्हें बहुत प्यार करते हैं पर कल किस ने देखा है. एक अनजान भविष्य के अनचाहे डर ने धीरेधीरे उन्हें स्वयं में एक तटस्थ नीरवता लाना सिखला दिया.

पारिवारिक बिखराव का एहसास बीना को पहली बार तब हुआ जब प्रशांत के लिए दिल्ली के एक संभ्रांत परिवार का रिश्ता आया. बीना के मन में नई उमंगें जागने लगीं पर प्रशांत की न्यूयार्क जा कर पढ़ाई करने की जिद के आगे उन्होंने सिर झुका दिया. वह मान तो गईं पर मन में कुछ बुझ सा गया.

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पढ़ाई के बाद प्रशांत ने वहीं की एक फर्म में नौकरी का प्रस्ताव भी स्वीकार कर लिया. आफिस में ही उस की मुलाकात जूही से हुई थी और उस ने विवाह करने का मन बना लिया. बीना ने भी स्वीकृति देने में देर नहीं की थी. शादी दिल्ली में हुई पर वीसा की बंदिशों के चलते 2 दिन बाद ही दोनों अमेरिका लौट गए. बीना के सारे अरमान उस के दिल में ही रह गए.

इस के साल भर बाद सुशांत ने एक दिन बताया कि उसे बंगलौर में नौकरी मिल गई है. सुन कर बीना थोड़ी अनमनी तो हुईं पर शीघ्र ही खुद को संयत कर के सुशांत को विदा कर दिया.

दीवाली पर सुशांत घर आया. बातोंबातों में उस ने अमृता का जिक्र किया कि दोनों ने मुंबई में एमबीए की पढ़ाई साथ में की थी और अब शादी करना चाहते हैं. बीना ने सहर्ष हामी भर दी.

भोजपुरी एक्टर रितेश पांडे ने की सगाई, जानें कौन हैं उनकी दुल्हनिया

आजकल शादी ब्याह का सीजन अपने शिखर पर है.ऐसे में करोड़ों दिलों पर राज कर रहे भोजपुरी अभिनेता रितेश पांडे ने डॉक्टर वैशाली पांडे के संग सगाई कर ली है और जल्द ही वह शादी के पवित्र बंधन में बंधने वाले हैं.जी हाॅ!रितेश पांडे की मंगनी हो चुकी है,जिससे उनके प्रशंसकोे के बीच खुशी की लहर छा गई है.

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में रितेश व डाॅ.वैशाली की  गाई की पूरी रस्म बडे़ ही धूमधाम से सम्पन्न हुई, जिसमें दोनो परिवार के सगे सम्बन्धी मौजूद थे. रितेश पांडे और वैशाली पांडे ने अपने परिवार और सगे-संबंधियों की उपस्थिति में एक दूसरे को अंगूठी पहनाकर सगाई की रस्में पूरी की.कोरोना संकट खत्म होनेपर दोनों विवाह के बंधन में बंधेंगेें.

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RITESH-PANDEY-WITH-VAISHALI

रितेश पांडे को उनके चाहने वालों की तरफ से ढ़ेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएं मिल रही हैं. रितेश पांडे की होने वाली पत्नी डाॅ. वैशाली पांडे सैदपुर, गाजीपुर की रहने वाली हैं.फिलहाल वह सिविल सर्विस की तैयारी कर रही हैं.वैसे अभिनेता रितेश पांडे ने संगीत में स्नातक की भी डिग्री हासिल की है.उन्होंने संगीत की भी बाकायदा तालीम हासिल की है.

रितेश पांडे की गिनती भोजपुरी सिनेमा के सफलतम कलाकारों में होती है.उनकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर कमाल करती हैं. रानी चटर्जी, अक्षरा सिंह, आम्रपाली दुबे, काजल राघवानी सहित इंडस्ट्री की सभी बड़ी अभिनेत्रियों के साथ फिल्मे कर चुके हैं.उनके म्यूजिक वीडियो भी अक्सर वायरल होते रहते हैं और उनके गानों को मिलियंस में व्यूज मिलते हैं.

RITESH-PANDEY

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उन्हें सिनेमा और म्यूजिक वीडियो दोनों में दर्शक खूब पसंद करते हैं. उनके कई गाने 100 – 200 मिलियन से अधिक व्यूज हासिल कर चुके हैं.तो वहीं हैलो कौन गाने ने अब तक यूट्यूब पर लगभग 800 मिलियन व्यूज का आंकड़ा  छू लिया है. फिलहाल रितेश पांडे को पेपर ब्वॉय, हल्दी कुमकुम, फुलवा, मेरे मीत रे सहित कई फिल्मों के प्रदर्षन का इंतजार है.

Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah फेम टप्पू के पिता का कोरोना से हुआ निधन, पढ़ें खबर

कोरोन की दूसरी लहर से देश में तबाही मच गई है. इस वायसर का कहर हर जगह छाया हुआ है. अब यह खबर आ रही है कि मशहूर शो ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ (Taarak Mehta Ka Ooltah Chashmah) फेम भव्य गांधी (Bhavya Gandhi)  के पिता का भी कोरोना से निधन हो गया है.

तारक मेहता में भव्य गांधी टप्पू के रोल से मशहूर हुए. खबरों के अनुसार भव्य गांधी के पिता विनोद गांधी को कोरोना था और वे बीते 10 दिनों से वेंटिलेटर पर थे. पिता के निधन की वजह से भव्य गांधी पूरी तरह टूट चुके हैं.

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बताया जा रहा है कि  तीन दिन पहले ही यानी 9 मई को उनके को-स्टार गोगी यानी कि समय शाह की बहन की शादी थी. पिता की नाजुक हालत की वजह से भव्य ने वर्चुअली ही शादी अटेंड की थी.

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भव्य गांधी के परिवार में केवल मां यशोदा गांधी और भाई निश्चित गांधी बचे हैं.  इस खबर से फैंस सोशल मीडिया पर अपना दुख जाहिर कर रहे हैं. पिता की मौत के बाद से भव्य समेत पूरा परिवार ही सदमे में है

बता दें कि भव्य गांधी तारक मेहता शो में टप्पू का किरदार निभाते थे. इस शो में वे जेठालाल और दया बेन के बेटा बनते थे. उन्होंने 2017 में इस शो के छोड़ दिया था. उनकी दमदार एक्टिंग की वजह से दर्शकों के दिल में जगह बनाई.

Ghum Hai KisiKey Pyaar Meiin: विराट और सई के बीच बढ़ी नजदीकियां तो पाखी का हुआ बुरा हाल

स्टार प्लस का सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ लगातार नए-नए ट्विस्ट दर्शकों को देखने को मिल रहा है. जिससे दर्शकों को एंटरटेनमेंट का डबल डोज मिल रहा है. शो के बीते एपिसोड में दिखाया गया कि विराट ने अस्पताल में सई के सामने ही पाखी को खरी-खोटी सुनाई.

शो में दिखाया जा रहा है कि अस्पताल में विराट और सई एक साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड कर रहे हैं और उनके बीच नजदीकियां बढ़ेंगी. तो दूसरी तरफ पाखी अपने चाल में कामयाब न होने की वजह से परेशान है. और ऐसे में वह घर पहुंचेगी तो उसे अश्विनी के ताने भी सुनने पड़ेंगे.

 

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अश्विनी, पाखी से कहेगी कि वह विराट और सई को दोबारा शुरुआत करने का मौका दे और खुद को इन सारी चीजों से अलग कर ले. इतना ही नहीं, अश्विनी उसे ताना भी मारेगी और कहेगी कि तुम विराट और सई के एक होने की खुशियां मनाओ. जिसे सुनकर पाखी की आंखें में आंसू आ जाएंगे.

 

शो के अपकमिंग एपिसोड में ये दिखाया जाएगा कि अश्विनी पाखी से कहेगी कि वो इस बात की दुआ मनाए कि समर्थ जल्द से जल्द घर लौट आए. समर्थ के वापस आने से पाखी की जिंदगी भी खुशियों से भर जाएगी. अश्विनी की बातों के बीच पाखी का ध्यान विराट-सई पर ही लगा रहेगा.

 

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अश्विनी की बातों से पाखी ज्यादा निगेटिव हो जाएगी. उसके मन में सई के लिए और भी जहर भर जाएगा. वह फिर से सई के खिलाफ नई चाल चलेगी.

Crime Story: एंटीलिया को दहलाने में हिल गई सरकार- भाग 2

सौजन्य- मनोहर कहानियां

एनआईए और महाराष्ट्र एटीएस की जांच में रोजाना नई बातें सामने आने लगीं. एटीएस ने हिरेन की मौत के मामले में 2 दिन तक वाझे से लगातार पूछताछ की. वहीं, एनआईए की जांच शुरू होते ही 11 मार्च को गृहमंत्री अनिल देशमुख ने वाझे के मुंबई से बाहर तबादले का ऐलान कर दिया.

स्कौर्पियो वाझे ने खड़ी की थी

एनआईए को शुरुआती जांच में कई महत्त्वपूर्ण तथ्य और सबूत मिले. एनआईए ने अंबानी के आवास को जानेवाले रास्तों पर लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखी, तो पता चला कि 24-25 फरवरी की दरम्यानी रात वाझे वह स्कौर्पियो ले कर अंबानी के आवास के बाहर पहुंचा था.

स्कौर्पियो के पीछे मुंबई पुलिस की एक इनोवा चल रही थी. स्कौर्पियो गाड़ी वहां लावारिस छोड़ने के बाद वाझे उस इनोवा कार में बैठ कर चला गया.

वाझे को शायद एनआईए और एटीएस की जांच अपने खिलाफ जाने का अहसास हो गया था. ठाणे की सत्र अदालत से अग्रिम जमानत की अरजी खारिज होने के दूसरे दिन उस ने 13 मार्च को अपना वाट्सऐप स्टेटस अपडेट करते हुए लिखा, ‘दुनिया को अलविदा कहने का समय नजदीक आ रहा है.’

उसी दिन एनआईए ने वाझे को हिरासत में ले कर कई घंटे तक पूछताछ की. फिर 13 मार्च की रात उसे गिरफ्तार कर लिया. एनआईए ने वाझे के मोबाइल और आईपैड अपने कब्जे में ले लिए. उस के औफिस पर भी छापेमारी की गई.

सीसीटीवी फुटेज की जांच में सामने आया कि अंबानी के आवास एंटीलिया के सामने मिली मनसुख हिरेन की स्कौर्पियो चोरी नहीं हुई थी, बल्कि यह गाड़ी 18 से 24 फरवरी के बीच कई बार वाझे के आवास की सोसायटी में दिखाई दी थी.

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एनआईए की जांच में यह बात भी सामने आई कि वाझे और हिरेन एकदूसरे से अच्छी तरह परिचित थे. हिरेन ने अपनी हलके हरे रंग की महिंद्रा स्कौर्पियो गाड़ी नवंबर 2020 में वाझे को किसी काम के लिए दी थी. वाझे ने स्कौर्पियो में कोई खराबी आने पर 5 फरवरी, 2021 को यह गाड़ी हिरेन को वापस लौटा दी थी.

हिरेन ने रिश्तेदार के पास जाते समय 17 फरवरी को स्टीयरिंग जाम हो जाने पर अपनी स्कौर्पियो विक्रोली में ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे पर छोड़ दी थी. अगले दिन वह विक्रोली पहुंचा, तो वहां गाड़ी नहीं मिली.

तब उस ने विक्रोली थाने में शिकायत दी. पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की, तो वाझे ने विक्रोली थाने फोन कर शिकायत दर्ज करने को कहा था.

जांच के दौरान एनआईए ने मुंबई पुलिस कमिश्नरेट के पास क्राफोर्ड मार्केट की एक पार्किंग से वाझे की काली मर्सिडीज बरामद की, जिस में 5 लाख रुपए नकद और नोट गिनने की मशीन के अलावा मनसुख हिरेन की उस स्कौर्पियो की असली नंबर प्लेट भी रखी मिली, जिस में अंबानी के आवास के सामने से जिलेटिन की छड़ें बरामद हुई थीं. इस के बाद वाझे के साकेत स्थित मकान से एक और लग्जरी कार लैंड क्रूजर बरामद की गई.

इस बीच, महाराष्ट्र सरकार ने 17 मार्च को मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का तबादला होमगार्ड्स में कर दिया. सिंह के तबादले पर गृहमंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि परमबीर सिंह को इसलिए हटाया गया, क्योंकि अंबानी मामले की जांच में गंभीर लापरवाहियां पाई गई थीं.

परमबीर सिंह को हटाने पर मुंबई पुलिस कमिश्नरेट के 146 साल के इतिहास में सब से गंभीर संकट पैदा हो गया.

तबादले से तिलमिलाए परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया. उन्होंने 20 मार्च को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में यह सनसनीखेज आरोप लगाया कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने वाझे जैसे पुलिस अधिकारियों को मुंबई के 1750 बार, रेस्तरां और दूसरे स्रोतों से हर महीने सौ करोड़ रुपए की उगाही करने के लिए कहा था.

इस सनसनीखेज धमाके से महाराष्ट्र सरकार हिल जरूर गई, लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कोटे वाले गृहमंत्री अनिल देशमुख को अपनी पार्टी के मुखिया शरद पवार से राजनीतिक अभयदान मिल गया.

मुख्यमंत्री की ओर से कोई काररवाई नहीं किए जाने पर परमबीर सिंह ने 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की.

भारत के लोकतांत्रिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि एक पूर्व पुलिस कमिश्नर अपने राज्य के गृहमंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई से जांच के लिए सब से बड़ी अदालत पहुंचा था.

हिरेन की हत्या में गिरफ्तारी

इस से एक दिन पहले 21 मार्च को एटीएस ने हिरेन की मौत की गुत्थी सुलझाने का दावा करते हुए एक पूर्व पुलिस कांस्टेबल विनायक शिंदे और एक क्रिकेट सटोरिए नरेश गोरे को गिरफ्तार कर लिया. एटीएस ने इस मामले में वाझे को मुख्य संदिग्ध बताया. बाद में एनआईए ने अदालत के जरिए हिरेन हत्या मामले की जांच भी अपने हाथ में ले ली.

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एनआईए की जांच जैसेजैसे आगे बढ़ती गई, वैसेवैसे नएनए राज सामने आते गए. इन में एंटीलिया के सामने विस्फोटकों से भरी स्कौर्पियो खड़ी करने और मनसुख हिरेन की हत्या की परतें खुलती गईं.

सचिन वाझे 13 मार्च से 27 दिन तक एनआईए की हिरासत में रहा. एनआईए अदालत ने 9 अप्रैल को उसे न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया. इस के बाद वाझे का नया ठिकाना मुंबई की तालोजा जेल की बैरक बन गई.

एनआईए की जांच में खुली परतों और सामने आए सबूतों के आधार पर जो कहानी उभर कर सामने आई, वह सचिन वाझे की ओर से शतरंज की बिसात पर सब से बड़ा खिलाड़ी बनने के लिए पासा फेंकने की थी, जिस में दांव उलटा पड़ने से वह मात खा गया था.

अपराधियों में खौफ का पर्याय माने जाने वाले मुंबई क्राइम ब्रांच के सब से तेजतर्रार अफसर सचिन वाझे की दोस्ती सभी तरह के लोगों से थी. इन में शरीफ भी थे और बदमाश भी. ठाणे इलाके में कार डेकोरेशन का काम करने वाला मनसुख हिरेन भी वाझे के दोस्तों में था.

हिरेन कोई गुंडाबदमाश नहीं था. न ही वह कोई गैरकानूनी काम करता था. वह तो वाझे की दिलेरी का प्रशंसक था. इसीलिए वाझे से उस की दोस्ती थी. वाझे कभीकभार कुछ दिनों के लिए उस की गाड़ी ले लेता था. हिरेन को इस से कोई फर्क नहीं पड़ता था.

वाझे ने 16 साल तक निलंबित रहने के बाद 6 जून, 2020 को ही मुंबई पुलिस में अपनी दूसरी पारी शुरू की थी. वह अपनी पहली पारी में एनकाउंटर स्पैशलिस्ट के रूप में 63 बदमाशों को मौत की नींद सुला चुका था.

दोबारा खाकी वर्दी और सरकारी पिस्तौल मिलने पर वाझे ने मुंबई क्राइम ब्रांच की सीआईयू का मुखिया बन कर जल्दी ही अपना खौफ कायम कर लिया. वाझे की एक खासियत यह थी कि वह छोटेमोटे केस में हाथ नहीं डालता था. उसे बड़े अपराधियों, फिल्म वालों और दौलत वालों के केसों की जांच करने में ज्यादा आनंद आता था.

अगले भाग में पढ़ें- सचिन वाझे: मोहरा या बड़ा खिलाड़ी बनने की तमन्ना

Crime Story: एंटीलिया को दहलाने में हिल गई सरकार- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को चिट्ठी लिख कर मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने 20 मार्च को जब आरोप लगाया कि गृहमंत्री अनिल देशमुख ने सचिन वाझे को हर महीने बार, रेस्तरां और दूसरे स्रोतों से 100 करोड़ रुपए उगाहने के निर्देश दिए थे, तो आम लोगों को भले ही खाकी और खादी की ऐसी लूटखसोट पर हैरानी हुई हो, लेकिन राजनीति करने वालों और नौकरशाहों को इस पर कतई आश्चर्य नहीं हुआ था.

करीब एक करोड़ 20 लाख लोगों की आबादी वाले मुंबई महानगर की जान फिल्म इंडस्ट्री तो है ही, साथ ही डेढ़ हजार से ज्यादा बार, रेस्तरां और नाइट क्लब भी हैं. कहा जाता है कि मुंबई कभी नहीं सोती. यह सच भी है. दुनिया का ऐसा कोई कालासफेद धंधा नहीं है, जो मुंबई में न होता हो. जो मुंबई को समझ गया, उसे मुंबई ने गले लगा लिया और वह मालामाल होता चला गया.

शायद इसीलिए मुंबई में अपराधी गिरोह पनपते रहे. संगठित अपराधियों ने बेताज बादशाह बनने के लिए एक से बढ़ कर एक अपराध किए. आजादी के बाद सब से पहले कुख्यात तस्कर के रूप में हाजी मस्तान का नाम उभर कर सामने आया था.

बाद में अंडरवर्ल्ड के अपराधियों के आने से गैंगवार और खूनखराबा होने लगा. बड़े उद्योगपतियों, कारोबारियों और फिल्म वालों से वसूली की जाने लगी. यह लगभग 21वीं सदी की शुरुआत तक चलता रहा.

इस के बाद सरकारों की सख्ती से अंडरवर्ल्ड के सरगनाओं ने पड़ोसी देशों में अपने ठिकाने बना लिए, लेकिन उन के गुर्गे मुंबई में लोगों को डरातेधमकाते और वही तमाम अपराध करते रहे, जो पहले होते थे. फर्क इतना था कि इन अपराधों में कुछ पुलिस वाले भी शामिल होते चले गए. इस के भयानक रूप कई बार सामने आए हैं. अब एक नया रूप निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे के कारनामों से सामने आया है.

सचिन वाझे महाराष्ट्र पुलिस का कोई बहुत बड़ा अफसर नहीं है. वह सहायक पुलिस निरीक्षक है. दूसरे राज्यों में यह पद एक थानेदार के बराबर होता है. एक थानेदार की हैसियत वाला सचिन वाझे मुंबई पुलिस में सब से ज्यादा रुतबेदार और ताकतवर था.

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पुलिस महकमे के प्रोटोकाल के हिसाब से उसे अपराध शाखा में अपने वरिष्ठ अधिकारियों एसीपी, डीसीपी, एडिशनल सीपी और जौइंट सीपी को रिपोर्ट करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार के वरदहस्त से वह इन अफसरों को कुछ नहीं समझता था. पुलिस में तत्कालीन कमिश्नर परमबीर सिंह उस के बौस थे और उद्धव सरकार में गृहमंत्री अनिल देशमुख उस के संरक्षक.

सचिन वाझे ‘खलनायक’ है या ‘मोहरा’ या फिर ‘सब से बड़ा खिलाड़ी’, यह बात मुंबई पुलिस के अलावा देश की प्रमुख सुरक्षा एजेंसियों एनआईए और सीबीआई की जांच से भी अभी तक साफ नहीं हुई, लेकिन जो परतें खुली हैं, उन से जरूर सामने आ गया है कि वह मंझा हुआ खिलाड़ी है.

वाझे ‘खलनायक’ कैसे बना, यह कहानी बहुत लंबी है. जबकि नई कहानी की शुरुआत इसी साल 25 फरवरी को हुई.

अंबानी परिवार था निशाना

उस दिन दक्षिण मुंबई के पैडर रोड पर एशिया के सब से अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी के 27 मंजिला आवास ‘एंटीलिया’ के सामने लावारिस हालत में एक स्कौर्पियो गाड़ी खड़ी मिली थी. उस गाड़ी के ड्राइवर या मालिक का पता नहीं लगने पर अंबानी के सुरक्षाकर्मियों ने गामदेवी पुलिस को सूचना दी.

पुलिस ने पहुंच कर गाड़ी का एक शीशा तोड़ कर अंदर देखा. गाड़ी के अंदर जिलेटिन की छड़ें थीं. तलाशी ली गई तो उस में जिलेटिन की 2 किलो 600 ग्राम वजन की 20 छड़ें मिलीं.

जिलेटिन की छड़ें विस्फोट करने के काम आती हैं, लेकिन धमाके के लिए इन छड़ों के साथ कोई डेटोनेटर नहीं था. इन छड़ों के साथ पुलिस को कागज का एक पुर्जा भी मिला. टाइप किए हुए इस पुर्जे पर हिंदी में लिखा था, ‘ये तो सिर्फ एक ट्रेलर है. नीता भाभी, मुकेश भैया फैमिली, ये तो सिर्फ एक झलक है. अगली बार ये सामान पूरा हो कर तुम्हारे पास आएगा.’

पुलिस ने स्कौर्पियो सहित जिलेटिन की छड़ें और धमकी भरा पत्र जब्त कर लिया. अंबानी के आवास की सुरक्षा सीआरपीएफ संभालती है. मुकेश अंबानी को जेड प्लस और उन की पत्नी नीता को वाई श्रेणी की सुरक्षा मिली हुई है.

अंबानी की सुरक्षा से जुड़ा मामला होने के कारण आला अफसरों ने इस की जांच मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच की इंटेलिजेंस यूनिट के प्रमुख सचिन वाझे को सौंप दी. जांचपड़ताल में उस स्कौर्पियो पर लगी नंबर प्लेट नकली निकली. उस पर लिखा नंबर अंबानी परिवार के सुरक्षा काफिले में शामिल गाडि़यों जैसा था.

दूसरे दिन ही पुलिस को पता लग गया कि स्कौर्पियो का मालिक मनसुख हिरेन है. पुलिस ने हिरेन को तलब किया. उस ने बताया कि 18 फरवरी को उस की गाड़ी चोरी हो गई थी. उस ने पुलिस में इस की शिकायत भी दर्ज करा दी थी. बाद में हिरेन ने वाझे के कहने पर मुंबई पुलिस के आला अफसरों को पत्र लिख कर आरोप लगाया कि पुलिस उसे एंटीलिया मामले में बेवजह परेशान कर रही है, क्योंकि उस की गाड़ी चोरी हो गई थी.

इसी दौरान पहली मार्च को सोशल मीडिया ऐप टेलीग्राम के एक चैनल के पोस्ट में अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक रखने के लिए जैश उल हिंद नामक आतंकी संगठन ने खुद को जिम्मेदार बताया. लेकिन इस के अगले ही दिन दिल्ली पुलिस ने कहा कि जैश उल हिंद नाम का कोई आतंकी संगठन है ही नहीं.

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पुलिस इस मामले की जांच कर ही रही थी कि 4 मार्च को मनसुख हिरेन लापता हो गए. हिरेन घर पर अपनी पत्नी विमला से कह कर गए थे कि तावड़े नाम के किसी पुलिस वाले का फोन आया है, उस ने पूछताछ के लिए बुलाया है.

इस के बाद हिरेन वापस घर नहीं लौटे. पत्नी विमला ने रात को उन्हें फोन किया, तो उन का मोबाइल बंद मिला.

इस के अगले ही दिन 5 मार्च को हिरेन की लाश उत्तरपश्चिम मुंबई के रेतीबंदर की मुंब्रा खाड़ी में तैरती हुई मिली. उन के हाथ बंधे हुए थे और मुंह में कई रुमाल ठूंसे हुए थे. इसे ले कर ठाणे पुलिस ने दुर्घटना में मौत का मामला दर्ज किया.

हिरेन की पत्नी विमला ने अपने पति की हत्या करवाने का आरोप वाझे पर लगाया. करीब 49 साल के मनसुख हिरेन कार डेकोरेशन का काम करते थे. हिरेन की पत्नी की शिकायत पर पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर लिया.

हिरेन की हत्या हो जाने से यह मामला और पेचीदा हो गया. इस के बाद महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले की जांच पुलिस के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को सौंप दी. दूसरी ओर, अंबानी परिवार को धमकी देने के मामले में आतंकी संगठन का नाम आने के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 8 मार्च को इस मामले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी.

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Crime Story: एंटीलिया को दहलाने में हिल गई सरकार- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

दूसरी पारी में वाझे ने जब खाकी वर्दी पहनी, तभी सोच लिया था कि इस बार बड़े काम करेगा. उस ने दिलीप छाबडि़या और रिपब्लिक भारत टीवी चैनल के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी जैसे बड़े लोगों पर हाथ डाले, तो मुंबई में फिर से उस के चर्चे होने लगे.

वाझे इस बार ‘बड़े खेल’ करना चाहता था. इसीलिए उस ने अंबानी परिवार को धमकाने के मकसद से उन के आवास के सामने जिलेटिन की छड़ों से भरी गाड़ी रखने की साजिश रची. इस साजिश में उस ने हिरेन के अलावा अपने महकमे के कुछ नएपुराने लोगों को भी शामिल किया. वाझे ने हिरेन को मोटी रकम देने का वादा किया था.

इसी साजिश के तहत 17 फरवरी को हिरेन की स्कौर्पियो चोरी होने का नाटक रचा गया. जिलेटिन की छड़ें रखने के बाद इस स्कौर्पियो को 24-25 फरवरी की दरम्यानी रात अंबानी के आवास एंटीलिया के बाहर लावारिस हालत में छोड़ दिया गया.

अपने उच्चाधिकारियों से कह कर वाझे ने एंटीलिया केस की जांच खुद अपने हाथ में ले ली. उस ने हिरेन और साजिश में शामिल दूसरे लोगों को यह भरोसा दिलाया कि जांच में वह किसी पर भी आंच नहीं आने देगा. लेकिन बाद में यह मामला विपक्ष ने गरमा दिया, जिस से हालात विपरीत होते चले गए.

वाझे ने अपने हाथ से बाजी निकलते देखी, तो उसे डर हुआ कि हिरेन उस का भांडा फोड़ सकता है. एंटीलिया मामले की साजिश की सब से कमजोर कड़ी हिरेन ही था. इसलिए वाझे ने एक अपराध पर परदा डालने के लिए दूसरा अपराध करने की साजिश रची. उस ने हिरेन को ही ठिकाने लगाने का फैसला किया ताकि न रहे बांस और न बजे बांसुरी.

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करा दी हिरेन की हत्या

सचिन वाझे ने पूर्व कांस्टेबल विनायक शिंदे और क्रिकेट सटोरिए नरेश गोरे सहित कुछ दूसरे लोगों के सहयोग से 4 मार्च की रात हिरेन की हत्या करवा दी. वाझे के कहने पर शिंदे ने पुलिस अधिकारी तावड़े के नाम से हिरेन को फोन कर के पूछताछ के लिए बुलाया. उसी रात हिरेन को मार कर मुंब्रा खाड़ी में फेंक दिया गया. हिरेन को ठिकाने लगवाने के बाद वाझे जानबूझ कर एक डांस बार की जांच करने गया था.

एंटीलिया केस और हिरेन की हत्या के मामले में बाद में एनआईए ने 10 अप्रैल को वाझे के सब से करीबी सहायक पुलिस निरीक्षक रियाजुद्दीन काजी को गिरफ्तार कर लिया. काजी से एनआईए ने मार्च के महीने में दसियों बार पूछताछ की थी. उस के खिलाफ कई अहम सबूत मिले. उस ने वाझे के आपराधिक सबूतों को नष्ट किया था. उस की सोसायटी में कई बार खड़ी रही वाझे की स्कौर्पियो के फुटेज निकाल कर उसी ने नष्ट किए थे.

एनआईए ने वाझे की महिला मित्र मीना जार्ज को भी जांच के दायरे में रख कर कई बार पूछताछ की. कहा जाता है कि वह वाझे की काली कमाई का हिसाबकिताब रखती थी. वाझे एक होटल में बैठ कर अपने काले कारनामों की योजना बनाता था. इसी होटल में वह अपने विश्वस्त लोगों से मिलता भी था.

पता चला कि वाझे 16 से 20 फरवरी के बीच नरीमन पौइंट के सब से आलीशान होटल ट्राइडेंट में रुका था. वाझे ने इस होटल में फरजी आधार कार्ड से बुकिंग कराई थी.

महाराष्ट्र एटीएस और एनआईए ने वाझे की 8 लग्जरी कारों के अलावा बैंकों में लाखों रुपए के लेनदेन के सबूत हासिल किए हैं. एक बैंक खाते में डेढ़ करोड़ रुपए जमा होने का पता चला है. उसे सर्विस रिवौल्वर के लिए दी गई 25 गोलियां कम मिलीं, जबकि 62 बेनामी कारतूस मिले. एक डायरी भी बरामद की गई है, जिस में अवैध वसूली और बड़े लोगों को ‘नजराना’ देने का हिसाबकिताब था.

अब इस मामले की जांच में सीबीआई भी जुड़ गई है. बौंबे हाईकोर्ट ने पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की याचिका पर महाराष्ट्र के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ सीबीआई को जांच करने के आदेश दिए हैं. हाईकोर्ट का आदेश होने पर देशमुख ने 5 अप्रैल को गृहमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था.

एंटीलिया केस से शुरू हुए मामलों की जांच सीबीआई और एनआईए कर रही है. जबकि महाराष्ट्र एटीएस ने भी अपनी जांच बंद नहीं की है. हिरेन की स्कौर्पियो चोरी के मामले की जांच मुंबई पुलिस अलग से कर रही है.

एनआईए की पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि अंबानी के आवास के सामने विस्फोटकों से भरी स्कौर्पियो खड़ी करने के बाद वाझे ने एक बड़े एनकाउंटर की योजना बनाई थी. इस में वाझे कुछ लोगों का एनकाउंटर कर पूरे मामले को उन के सिर मढ़ने वाला था.

इस के लिए औरंगाबाद से चोरी एक मारुति ईको कार का उपयोग किया जाना था. आतंकी संगठन जैश उल हिंद के जिम्मेदारी लेने का मामला भी वाझे की ही चाल थी. वाझे को यह उम्मीद नहीं थी कि एनआईए की एंट्री इतनी जल्दी हो जाएगी. एनआईए की एंट्री के साथ ही वाझे का खेल बिगड़ने लग गया था.

इस कहानी में 3 मुख्य किरदार हैं— अनिल देशमुख, परमबीर सिंह और सचिन वाझे. इन में सब से अहम सचिन वाझे और उस की मित्र मंडली है. अब तीनों ही संकट में फंसे हुए हैं और तीनों की ही अलगअलग स्तरों पर जांच चल रही है. वाझे को नौकरी से बर्खास्त करने की प्रक्रिया चल रही है.

सचिन वाझे: मोहरा या बड़ा खिलाड़ी बनने की तमन्ना

करीब 2 महीने की जांचपड़ताल के बाद भी इस सवाल का जवाब सामने नहीं आया कि वाझे का अंबानी परिवार को धमकाने का मकसद अवैध रूप से धन वसूली था या कुछ और?

माना यही जा रहा है कि वाझे ने यह खेल अवैध वसूली के लिए खेला था. इस खेल के पीछे किसी पुलिस अधिकारी या नेता का हाथ था या फिर वाझे खुद अपने लिए वसूली करना चाहता था, यह पहेली भी नहीं सुलझी है.

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Crime Story: एंटीलिया को दहलाने में हिल गई सरकार- भाग 4

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जांच अभी चल रही है. जांच का ऊंट किस करवट बैठेगा, अभी कहना मुश्किल है. जांच में महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार की सांसें अटकी हुई हैं. पता नहीं, कब चूलें हिल जाएं? भाजपा भी मौके की तलाश में गिद्धदृष्टि जमाए हुए है.

अभी सचिन वाझे ही खलनायक और सब से बड़े खिलाड़ी के रूप में सामने आया है. करीब 52 साल के पतलेदुबले सचिन वाझे को पहली नजर में देख कर कोई यकीन नहीं कर सकता कि इस आदमी ने दाऊद इब्राहिम के 3 दरजन शूटरों को मौत के घाट उतारा होगा.

वाझे से दाऊद तो दबता ही था, मुंबई के सट्टेबाज, ड्रग तस्कर, डांस बार मालिक और बड़ेबड़े बिल्डर भी घबराते थे. अपराधियों और पैसे वालों में उस का खौफ था. खौफ का कारण उस का दिमाग, तीन सितारों वाली खाकी वर्दी और हाथ में भरी रहने वाली पिस्तौल थी.

इसी खौफ के पीछे वाझे और उस की मंडली की मुठभेड़ों के झूठेसच्चे किस्से भी थे, जो दुर्दांत अपराधियों के चेहरे पर पसीने ला देते थे. इसी कारण उस ने अपने अफसरों और सरकार में दबदबा बना लिया था. वाझे के पुलिस महकमे में इतना पावरफुल बनने की कहानी काफी लंबी है.

महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के एक स्थानीय नेता का बेटा सचिन क्रिकेटर और कालेज टीम का विकेटकीपर था. वह महाराष्ट्र पुलिस में भरती हुए 1990 बैच के पुलिस सबइंसपेक्टरों में से एक था. वाझे की पहली पोस्टिंग गढ़ चिरौली के माओवाद प्रभावित इलाके में हुई थी. 2 साल बाद उसे ठाणे शहर पुलिस में शिफ्ट कर दिया गया.

2000 के दशक में वह सीनियर पुलिस इंस्पेक्टर प्रदीप शर्मा के संपर्क में आया. प्रदीप को तब ‘एनकाउंटर स्पैशलिस्ट’ के रूप में जाना जाता था. ये स्पैशलिस्ट मुंबई पुलिस की अपराध शाखा के क्रिमिनल इंटेलिजेंस यूनिट (सीआईयू) के सदस्य थे, जो सीधे पुलिस कमिश्नर और संयुक्त पुलिस कमिश्नर (अपराध) को रिपोर्ट करते थे.

सीआईयू को तब अंडरवर्ल्ड की बढ़ती ताकत और उन के अपराधों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. साथ आने के बाद वाझे प्रदीप शर्मा का बेहद करीबी बन गया. प्रदीप की टीम में एक एनकाउंटर स्पैशलिस्ट दया नायक पहले से थे. दया नायक के जीवन पर रामगोपाल वर्मा ने फिल्म ‘अब तक छप्पन’ बनाई थी.

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मुंबई पुलिस में सब से ज्यादा 113 एनकाउंटर प्रदीप शर्मा ने किए हैं. वाझे और उस की टीम ने 63 से ज्यादा एनकाउंटर किए. मुन्ना नेपाली जैसे कुख्यात गैंगस्टर को ठिकाने लगाने के बाद वह शोहरत की बुलंदियों पर पहुंच गया था. सन 2002 में मुंबई के घाटकोपर में बेस्ट की बस में हुए बम विस्फोट मामले के संदिग्ध आरोपी सौफ्टवेयर इंजीनियर ख्वाजा यूनुस की पुलिस हिरासत में हुई मौत को ले कर पुलिस टीम का नेतृत्व करने वाला सचिन वाझे फंस गया था.

चर्चा रही कि यूनुस को हिरासत में मार दिया गया और उस की लाश नाले में फेंक दी गई थी. इस मामले में वाझे को 2004 में निलंबित कर दिया गया. उस ने 2006 में इस्तीफा दे दिया लेकिन जांच लंबित होने के कारण इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया.

वाझे ने 2008 में दशहरा रैली के मौके पर बड़ी धूमधाम के साथ शिवसेना का दामन थाम लिया था. तब शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने निवास मातोश्री पर उस का स्वागत किया था.

वाझे का शिवसेना से नाता

वाझे जब पुलिस की नौकरी की पहली पारी खेल रहा था, तभी से उस के महाराष्ट्र की सब से ताकतवर शख्सियत बाला साहेब ठाकरे से अच्छे संबंध थे. इसीलिए वाझे की शिवसेना में एंट्री पर लोगों को आश्चर्य नहीं हुआ.

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शिवसेना ने उसे प्रवक्ता बना दिया. वाझे भले ही शिवसेना में शामिल हो गया था, लेकिन सपने बहुत ऊंचे होने के कारण उस का मन पार्टी में नहीं लगा. इसलिए उसने पार्टी की सदस्यता का नवीनीकरण भी नहीं कराया.

शिवसेना से मोहभंग होने के बाद उस ने किताबें लिखीं और खुद को सौफ्टवेयर का हुनरमंद बनाया. सन 2010 में उस ने एक मराठी सोशल मीडिया ऐप लाइ भारी लौंच किया. इस के अलावा कई सौफ्टवेयर फर्मों की शुरुआत की. ये फर्में कुछ साल में बंद हो गईं.

वाझे शिवसेना में सक्रिय नहीं था. इस के बावजूद शिवसेना प्रमुख ठाकरे उस से इतने प्रभावित थे कि जब 2014 में भाजपाशिवसेना ने महाराष्ट्र में सत्ता संभाली, तो ठाकरे ने वाझे को पुलिस में फिर से लेने की सिफारिश की थी, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एडवोकेट जनरल की सलाह पर ऐसा नहीं करने का फैसला किया था.

उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री बनने के बाद जून 2020 में वाझे को मुंबई पुलिस में फिर से शामिल कर लिया. उस समय कहा गया था कि मुंबई पुलिस में अफसरों की कमी के कारण वाझे को वापस लिया जा रहा है. मुंबई के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह की अध्यक्षता वाली विशेष समिति की सिफारिश पर वाझे को दोबारा पुलिस में शामिल किया गया.

अगले भाग में पढ़ें- देशमुख सीबीआई की जांच में बचें य फंसें ?

Crime Story: एंटीलिया को दहलाने में हिल गई सरकार- भाग 6

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मुंबई पुलिस के इंसपेक्टर अनूप डांगे के अनुसार, परमबीर सिंह भी दूध के धुले नहीं हैं. इस बारे में डांगे ने महाराष्ट्र के अतिरिक्त गृह सचिव को एक पत्र भी लिखा था.

पत्र में डांगे ने कहा था 22 नवंबर 2019 की रात जब वह ब्रीच कैंडी इलाके के एक क्लब को बंद कराने पहुंचा, तो उस के मालिक जीतू नवलानी ने धमकी दी और परमबीर सिंह से अपने संपर्कों की बात कही. वहीं पर फिल्म फाइनेंसर भरत शाह के नाती ने एक कांस्टेबल से बदसलूकी की.

बाद में फरवरी, 2020 में जब परमबीर सिंह पुलिस कमिश्नर बने, तो उन्होंने नवलानी के खिलाफ आरोपपत्र दायर नहीं करने के आदेश दिए. नवलानी को अंडरवर्ल्ड डौन इकबाल मिर्ची के मनी लांड्रिंग मामले में ईडी ने गिरफ्तार किया था.

सचिन वाझे अप्रैल के पहले सप्ताह में जब एनआईए की हिरासत में था, तब उस का एक लिखित बयान मीडिया में सामने आया. इस में उस ने पूर्व गृहमंत्री देशमुख के साथ शिवसेना के वरिष्ठ नेता और महाराष्ट्र के परिवहन मंत्री अनिल परब पर भी वसूली के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया था. साथ ही कहा था कि वसूली मामले की पूरी जानकारी देशमुख के पीए कुंदन को थी.

वाझे ने इस बयान में कहा था कि एनसीपी चीफ शरद पवार ने उन की बहाली का विरोध किया था. वह चाहते थे कि वाझे की बहाली रद्द कर दी जाए. पवार ने मुझे दोबारा निलंबित करने के लिए देशमुख से कहा था.

मुझे यह बात देशमुख ने ही बताई थी और पवार साहब को मनाने के लिए 2 करोड़ रुपए मांगे थे. इतनी बड़ी रकम देना मेरे लिए मुमकिन नहीं था. इस पर देशमुख ने यह रकम बाद में चुकाने को कहा था. इसी के बाद मुझे सीआईयू में नियुक्ति दी गई थी.

वाझे ने पत्र में कहा कि अनिल परब ने पिछले साल जुलाई, अगस्त, अक्टूबर और इस साल जनवरी में मुझे बुलाया और कुछ शिकायतों के आधार पर बीएमसी के कौन्ट्रैक्टरों पर दबाव बना कर अवैध वसूली करने को कहा.

देशमुख ने इस साल जनवरी में अपने सरकारी बंगले पर बुला कर पब व बार आदि से वसूली करने को कहा. ये सब बातें मैं ने तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह को बता दी थीं और कहा था कि भविष्य में ये लोग मुझे किसी कंट्रोवर्सी में फंसा सकते हैं.

इस पर परमबीर सिंह ने मुझे किसी भी तरह की अवैध वसूली करने से मना कर दिया था. वाझे ने पत्र के आखिर में लिखा कि जज साहब, मैं न्याय चाहता हूं, इसलिए ये सब बातें लिख रहा हूं. इस लेटर बम परभाजपा और शिवसेना ने आरोपप्रत्यारोप लगाए.

महिला मित्र रखती थी हिसाब

निलंबित सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाझे की एक महिला मित्र है, जिस का नाम मीना जार्ज है. वह ठाणे के मीरा रोड पर एक कौंप्लेक्स के फ्लैट में रहती है. मीना के फ्लैट से एनआईए को वाझे से जुड़े कई दस्तावेज मिले हैं.

कहा जाता है कि मीना ब्लैक मनी को वाइट करने में वाझे की मदद करती थी. उस के पास नोट गिनने की कई मशीनें भी मिली हैं. वह वाझे से मिलने के लिए दक्षिण मुंबई के ट्राइडेंट होटल गई थी. इस होटल की सीसीटीवी फुटेज के आधार पर ही एनआईए ने उस की तलाश शुरू की थी. मीना इस होटल में नोट गिनने की मशीन ले कर वाझे से मिलने गई थी.

कहा जा रहा है कि मूलरूप से गुजरात की रहने वाली मीना जार्ज ने आटो पार्ट्स की कई फरजी कंपनियां बना रखी थीं. बैंकों में भी उस के करीब एक दरजन खाते सामने आए हैं.

चर्चा है कि वाझे अपनी अवैध वसूली का पैसा मीना को देता था. वह उसे अपनी आटो पार्ट्स कंपनियों की कमाई बता कर बैंकों के सीसी खातों में जमा कराती थी. फिर इन पैसों से शेयर खरीदे जाते थे.

चर्चा है कि वाझे ने सरकारी नौकरी की दूसरी पारी शुरू करने के बाद से करोड़ों रुपए शेयर बाजार में निवेश किए. अंदेशा है कि मीना ही वाझे की काली कमाई का हिसाबकिताब रखती थी.

मीना जार्ज को वाझे कई सालों से जानता है. 2016 में उस की लग्जरी बाइक से वह एक बार मनाली गया था. यह बाइक एनआईए ने जब्त की है. एनआईए ने मीना से कई बार पूछताछ की है.

वाझे की 3 कंपनियां हैं. इन में मल्टीबिल्ड इंफ्रा प्रोजैक्ट, टकलीगल सोल्यूशंस और डीजी नेक्स्ट मल्टीमीडिया शामिल हैं. शिवसेना के नेता संजय माशेलकर और विजय गवई उन के बिजनैस पार्टनर हैं.

वाझे के पास 8 लग्जरी गाडि़यां हैं. इस के अलावा इटालियन बेनेली कंपनी की स्पोर्ट्स बाइक है, जिस की कीमत 7-8 लाख रुपए है. ठाणे में उस के फ्लैट की कीमत एक करोड़ रुपए के आसपास है. जबकि वाझे का मासिक वेतन कुल करीब 70 हजार रुपए है.

जांच में पता चला कि वाझे ने अंबानी के घर के सामने स्कौर्पियो में रखने के लिए जिलेटिन के छड़ें खरीदी थीं. उस ने ही क्रिकेट सटोरिए नरेश गोरे के जरिए अहमदाबाद से 11 सिमकार्ड मंगाए थे.

इन सिम का उपयोग शिंदे, नरेश और वाझे आदि ने पूरी साजिश की बातचीत में किया. वाझे के घर से एक अज्ञात व्यक्ति का पासपोर्ट मिला था. आशंका थी कि इस व्यक्ति को किसी फरजी मुठभेड़ में मारा जाना था.

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अंबानी के घर के सामने स्कौर्पियो में मिला धमकीभरा पत्र शिंदे के घर कंप्यूटर पर टाइप किया गया था, पुलिस ने उस के घर से प्रिंटर बरामद किया. इस पूरे मामले में वाझे का सहयोगी सहायक पुलिस निरीक्षक प्रकाश ओवल भी जांच के दायरे में है. उस से भी पूछताछ की गई है.

सीबीआई ने पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख, उन के पीए कुंदन शिंदे और निजी सचिव संजीव पलांडे सहित परमबीर सिंह और सचिन वाझे से पूछताछ की है. वहीं एनआईए ने भी परमबीर सिंह, वाझे, पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा, वकील जयश्री पाटिल और कुछ मौजूदा पुलिस अधिकारियों से पूछताछ की गई है.

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