Mother’s Day Special- मां: आखिर मां तो मां ही होती है

हर साँस को संजीदगी से सहेजने की कोशिश में लगी उत्तर प्रदेश सरकार

लखनऊ . मार्च/अप्रैल में कोरोना की आयी दूसरी लहर की संक्रमण दर पहले की तुलना में 30 से 50 गुना संक्रामक थी. इसी अनुपात में ऑक्सीजन (सांस) की चौतरफा मांग भी निकली. मांग में अभूतपूर्व वृद्धि के नाते ऑक्सीजन की कमी को लेकर देश के अधिकांश राज्यों को परेशान होना पड़ा. उत्तर पदेश में भी ऑक्सीजन की कमी को लेकर हाहाकार मचा. लोग ऑक्सीजन के सिलिंडर को पाने के लिए परेशान हुए. और कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले अस्पताल भी मरीजों की साँस को सहेजने के लिए सरकार से ऑक्सीजन उपलब्ध कराने की मांग करने लगे.

ऑक्सीजन रीफिलर के पास ऑक्सीजन के सिलिंडर लेने वालों की भीड़ लगने लगी तो ऑक्सीजन की इस भयावह कमी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दूर करने का बीड़ा उठाया. उन्होंने कोरोना संक्रमित हर मरीज की सांसों को सहेजने के लिए अपनी बीमारी की भी परवाह ना करते हुए ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए जो योजना तैयार की, उसके चलते आज यूपी में ऑक्सीजन की कहीं कोई कमी नहीं है. राज्य के हर जिले में मरीजों की सांसों को सहेजने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन के सिलेंडर मौजूद हैं.

ऑक्सीजन की इस उपलब्धता के चलते अब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने होम आइसोलेशन में कोरोना संक्रमण का इलाज कर रहे लोगों को भी ऑक्सीजन सिलेंडर मुहैया कराये जाने का निर्देश दिया. यह काम शुरू भी हो गया और बीते 24 घंटे के दौरान होम आइसोलेशन में 3471 कोरोना संक्रमितों को 26.44 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई.

ऑक्सीजन को लेकर चंद दिनों पहले ऐसा सकारात्मक माहौल नहीं था. अभी भी प्रदेश से सटी दिल्ली में ऑक्सीजन कमी बनी हुई है. फिर उत्तर प्रदेश ने ऑक्सीजन की कमी को कैसे दूर किया? तो इसका जवाब है, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की देखरेख में चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह पर टीम -9 के अफसरों का एक सैनिक की तरह अपने टास्क को पूरा करने का जुनून. जिसके चलते आज यूपी में ना सिर्फ ऑक्सीजन की कमी खत्म हुई है बल्कि अब ऐसी व्यवस्था की जा रही है, जिसके चलते यूपी में कभी भी किसी अस्पताल को ऑक्सीजन की कमी होने ही नहीं पायेगी.

आखिर वह क्या योजना थी, जिसके चलते यूपी में ऑक्सीजन की कमी खत्म हुई. इस बारे चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सबसे पहले यह जाना कि ऑक्सीजन की कमी क्यों हो रही है और इसे कैसे दूर करने के लिए क्या -क्या किया जाए? इस पर उन्हें बताया गया कि मेडिकल ऑक्सीजन विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल है. कोरोना वायरस मरीजों के फेफड़ों को क्षति पहुंचाता है, जिससे बॉडी में ऑक्सीजन लेवल गिर जाता है. तब जान बचाने के लिए पेशेंट को ऑक्सीजन देने की जरूरत पड़ती है.

कोरोना की दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की मांग बहुत ज्यादा बढ़ी है और खपत भी. लेकिन आपूर्ति में बाधा से कई अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी सामने आ रही है. ऑक्सीजन के वितरण की व्यवस्था की कमी इसकी कमी का सबसे प्रमुख कारण है.

यह जानने के बाद मुख्यमंत्री ने भविष्य की जरूरतों को  ध्यान में रखते हुए सभी जिलों में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने का फैसला किया है. इसके लिए बजट भी सरकार ने जारी कर दिया है. इसके साथ ही भारत सरकार, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र द्वारा प्रदेश में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित करने की कार्यवाही भी शुरू की गई है. विभिन्न पीएसयू भी अपने स्तर पर प्लांट स्थापित करा रही हैं. इसके साथ ही गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग और आबकारी विभाग द्वारा ऑक्सीजन जनरेशन की दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. यह विभाग प्रदेश के सभी 75 जिलों में ऑक्सीजन जनरेटर लगाएगा. एमएसएमई इकाइयों की ओर से भी ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के मामले में सहयोग मिल रहा है. इसके अलावा सरकार ने सीएचसी स्तर से लेकर बड़े अस्पतालों तक में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर उपलब्ध कराए हैं. यह सभी क्रियाशील रहें, इसे सुनिश्चित किया गया. और जिलों की जरूरतों के अनुसार और ऑक्सीजन कंसंट्रेटर खरीदे जाने की अनुमति भी दी गई है. इसके अलावा उन्होंने तकनीक का इस्तेमाल कर ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में संतुलन बनाने का निर्देश दिया. और  ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए 24 घंटे साफ्टवेयर आधारित कंट्रोल रूम, ऑक्सीजन टैंकरों में जीपीएस और ऑक्सीजन के वेस्टेज को रोकने के लिए सात प्रतिष्ठित संस्थाओं से ऑडिट की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा दूसरे राज्यों से ऑक्सीजन मंगाने के लिए ऑक्सीजन एक्सप्रेस और वायु सेना के जहाजों की भी सहायता ली.

प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए उन्होंने टैंकरों की संख्या में इजाफा करने का भी फैसला किया. यूपी में ऑक्सीजन लाने के लिए 64 ऑक्सीजन टैंकर थे, जो अब बढ़कर 89 ऑक्सीजन टैंकर हो गए हैं. केंद्र सरकार ने भी प्रदेश को 400 मीट्रिक टन के 14 टैंकर दिए हैं. मुख्यमंत्री के प्रयासों से रिलायंस और अडानी जैसे निजी औद्योगिक समूहों की ओर से भी टैंकर उपलब्ध कराए गए हैं. इसे बाद भी ऑक्सीजन की उपलब्धता को लेकर चिकित्सा विशेषज्ञों ने टैंकरों की संख्या बढ़ाने की सलाह दी. तो सरकार ने क्रायोजेनिक टैंकरों के संबंध में ग्लोबल टेंडर करने की कार्यवाही ही है. जिसके चलते अब ऑक्सीजन की और बेहतर उपलब्धता के लिए देश में क्रायोजेनिक टैंकरों के लिए ग्लोबल टेंडर करने वाला पहला राज्य यूपी बन गया है.

अब यूपी में ऑक्सीजन की कमी को पूरी तरह दूर कर दिया गया है. बीती 11 मई को 1011 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया. इसमें रीफिलर को 632 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 301 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई. जबकि 12 मई को प्रदेश में 1014.53 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया. जिसके तहत रीफिलर को 619.59 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 302.62 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई. और होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे 4105 कोरोना संक्रमितों को 27.9 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई. इसी प्रकार 13 मई को प्रदेश में 1031.43 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का वितरण किया गया. जिसके तहत रीफिलर को 623.11 मीट्रिक टन ऑक्सीजन और मेडिकल कालेजों तथा चिकित्सालयों को 313.02 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई. और होम आइसोलेशन में इलाज कर रहे 3471 कोरोना संक्रमितों को 26.44 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई. प्राइवेट अस्पतालों को 95.29 मीट्रिक टन ऑक्सीजन दी गई है.

जाहिर है कि लोगों की सांसों को संजीदगी से सहेजने को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ऑक्सीजन उपलब्धता की रणनीति कारगर साबित हो रही है.

Ravi Kishan ने लगवाई कोरोना वैक्सिन की दूसरी डोज, यूजर ने पूछा ये सवाल

कोरोना वायरस की दूसरी लहर का प्रकोप देश में छाया हुआ है. और ऐसे में इस संकट पर काबू पाने के लिए सरकार ने 18 से 45 साल के उम्र के लोगों के लिए टीकाकरण शुरू कर दिया है. भोजपुरी इंडस्ट्री के मशहूर एक्टर रवि किशन (Ravi Kishan) ने भी कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज लगवा ली है. जी हां, यह जानकारी सोशल मीडिया से मिली.

दरअसल रवि किशन ने खुद दूसरी डोज लगवाते हुए सोशल मीडिया एक फोटो शेयर की है. इस फोटो के कैप्शन में उन्होंने लिखा है कि  ‘दूसरा डोज आज लगा #गोरखपुर.  इस फोटो में रवि किशन ब्लू शर्ट और फॉर्मल पैंट में दिखाई दे रहे हैं.

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रवि किशन की इस फोटो पर यूजर्स जमकर कमेंट कर रहे हैं. एख यूजर ने लिखा, ‘कितने घंटे लाइन में खड़े थे विधायक जी आप, तो वहीं दूसरे यूजर ने लिखा, ‘बहुत अच्छा किया भैयाजी. रवि किशन लगातार सोशल मीडिया पर अपने फैंस को प्रोटोकॉल और मास्क पहनने के लिए प्रेरित करते हैं.

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वर्कफ्रंट की बात करें तो रवि किशन फिल्म ‘मेरा भारत महान’  में नजर आएंगे. इस फिल्म में पवन सिंह भी लीड रोल में दिखाई देंगे. बता दें कि इससे पहले रवि किशन और पवन सिंह एक साथ फिल्म ‘देश भक्त’ में नजर आ चुके हैं.

Ghum Hai KisiKey Pyaar Meiin: चौहान हाउस में सई का स्वागत करेगी पाखी, आएगा नया ट्विस्ट

स्टार प्लस का सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहा है जिससे  दर्शकों का भरपूर मनोरंजन हो रहा है. कहानी में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है. शो के बीते एपिसोड में दिखाया गया कि सई और विराट एक-दूसरे के करीब आ चुके है. तो पाखी का गुस्सा सातवें आसमान पर है. आइए आपको बताते है शो के लेटेस्ट ट्रैक के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि विराट और सई एक-दूसरे के करीब आ रहे हैं. सई ने चौहान हाउस लौटने का फैसला कर लिया है. ये बात जानकर पाखी भड़क गई है. और वह सई और विराट को एक-दूसरे से दूर करने के लिए कुछ भी करने को तैयार है. वह फिर से दोनों को अलग करने के लिए नई चाल चलने वाली है.

 

सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि  विराट और सई चौहान हाउस में वापस आ जाएंगे. पूरा चौहान परिवार सई और विराट का स्वागत करेगा. घर आने के बाद विराट सबसे पहले भवानी को चेतावनी देगा.विराट भवानी को समझाएगा कि सई उसकी पत्नी है. किसी को भी ये हक नहीं है कि वो सई की बेज्जती करे. ये बात सुनकर भवानी के होश उड़ जाएंगे.

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तो उधर पाखी भवानी के साथ मिलकर सई के खिलाफ चाल चलेगी. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि सई, पाखी की चाल से खुद को कैसे बचाएगी.

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Imlie पर रॉड से वार करेगी मालिनी की मां अब क्या करेगा आदित्य

स्टार प्लस का फेमस सीरियल ‘इमली’ में इन दिनों हाई वोल्टेज ड्रामा चल रहा है. जिससे फैंस को मनोरंजन का जबरदस्त तड़का मिल रहा है. शो के बीते एपिसोड में आपने देखा कि मालिनी की मां लगातार इमली को परेशान कर रही है तो इमली का भी सब्र का बांध टुटता जा रहा है. आइए बताते है, शो के नए अपडेट्स के बारे में.

शो में दिखाया जा रहा है कि आदित्य के घरवाले उसे और मालिनी की कोशिश कर रहे हैं. तो वहीं आदित्य और मालिनी ने अपने हनीमून को कैंसिल भी कर दिया है.

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‘इमली’ (Imlie) के अपकमिंग एपिसोड में आप देखेंगे कि मालिनी की मां फिर से आदित्य के घर जाकर हंगामा करेगी. तो इस बीच इमली भी आएगी और उसे देखकर हर कोई शॉक्ड हो जाएगा. अनु (Jyoti Gauba) सभी के सामने आदित्य को खूब सुनाएगी.

 

मालिनी की मां इमली पर फिर से हाथ उठाएगी. इतना ही नहीं, उसके मां को भी खरी-खोटी सुनाएगी. इस बार इमली चुप नहीं रहेगी. इमली अनु को करारा जवाब देगी.

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इमली का जवाब सुनकर अनु आग-बबूला हो जाएगी और ऐसे में वह इमली पर रॉड से वार करेगी. इमली के सिर पर गंभीर चोट लगेगी. अपकमिंग एपिसोड में आप ये भी देखेंगे कि तो आदित्य, मालिनी को अपनी और इमली की शादी के बारे में सब कुछ बता देगा.

कोरोना: अंधेरे में रौशनी हैं… एक्टिव टीम !

देर रात का वक़्त है. अचानक मोबाइल की घंटी बजती है…  “भैया …भैया..! मैं बहुत बीमार हूं… मुझे.”और वह खांसने लगता है.

-“क्या हुआ है भाई तुझे बता… कैसा लग रहा है…. यह बताओ कहां पर हो…!”

थोड़ी देर में बीमार खांसते हुए शख्स के पास 4-5 युवा पहुंच जाते हैं. कोरोना संक्रमण के इस भयावह समय में यह सब आश्चर्यचकित करने वाली बात एक सच्ची घटना है.

दरअसल, कोरोनावायरस कोविड 19 के इस समय काल में जहां चारों तरफ बदहवासी का माहौल है, हर आमो ख़ास, जिम्मेदार आदमी अपनी जान बचाना चाहता है और घरों में  लाकडाउन  कर बैठा हुआ है….  ऐसे में कुछ युवा ऐसे भी हैं जो मानवीयता की डोर  को बांधे हुए हैं और मानवीय संवेदना का परिचय दे रहे हैं…

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रात का वक्त है. एंबुलेंस मुख्य मार्ग से होती हुई गोपालपुर  कोविद अस्पताल जहां खुद प्राइवट ऐम्ब्युलेन्स  सीधा वहां जाकर रुकती है एंबुलेंस से एक शख्स को बाहर निकाला जाता है. जो  कमजोर और बीमार दिखाई दे रहा है युवा उन्हें सहारा देकर के हॉस्पिटल की ओर आगे बढ़ते हैं. कोविड का समय है उन्हें लापरवाह देख कोई कहता है- प्रोटोकॉल का पालन करो! तब वह लोग सतर्क होते हैं.

हॉस्पिटल से किट मिल जाता है उसे पहन कर के यह लोग बीमार शख्स को सहारा देते हुए आगे बढ़ते हैं और चिकित्सालय में भर्ती करके उसे आक्सीजन की कमी का पता चलते ही बमुश्किल ऑक्सीजन की व्यवस्था करके उसकी जान बचाने का प्रयास कर रहे हैं .

यह “एक्टिव टीम” है अमित नवरंग लाल की जिसमें वे स्वयं अनिल द्विवेदी, युगल शर्मा , संदीप अग्रवाल और अनिल वरंदानी जैसे कुछ युवा कोरोना कोविड-19 के इस त्रासद समय में लोगों की जान बचाने का स्तुत्य प्रयास कर रहे हैं.

एक छोटा सा प्रयास छत्तीसगढ़ के औद्योगिक नगर कोरबा में चल रहा है यहां यह बताना भी लाज़मी है कि टीम द्वारा लोगों से सहयोग लेकर oximiter themamiter Cylender इत्यादि चिकित्सकीय सामग्री भी उपलब्ध कराई जा रही है.

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और जेल भेजने की तैयारी!

और एक  दिन हुआ यह की जब एक्टिव टीम एक पॉजिटिव मरीज को लेकर के  नगर के हॉस्पिटल पहुंची तो वहां गेट बंद था रात हो चुकी थी और गेट नहीं खुल रहा था ऐसे में जब युवा टीम ने वहां हंगामा खड़ा किया तो डॉक्टर बाहर आ गए और बात पहुंच गई थाना पुलिस तक. आनन-फानन में पुलिस आई और एक्टिव टीम को थाने में बैठा दिया गया . गिरफ्तारी की कवायद शुरू हो गई. जैसे ही शहर में एक्टिव टीम की गिरफ्तारी की बात फैलने लगी पुलिस ने चिकित्सक के साथ समझौता करा कर अमित की एकटिव टीम को रिहा कर दिया.

अभी तक सेवा भावना से प्रेरित  टीम  तीन एयर कंडीशन और आक्सीजन गैस  युक्त एंबुलेंस शहरवासियों के लिए उपलब्ध करवा चुकी है जो कोरोना कोविड 19 पीड़ितों को पूर्णता निशुल्क सेवा दे रही है.

अमित नवरंग लाल द्वारा कोरोना से ग्रसित दुखी लोगों की जब सहायता की जाने लगी तो लोगों के हाथ सहयोग के लिए उठ खड़े हुए. देखते ही देखते किसी ने उन्हें  आक्सीजन तो किसी ने उन्हें दूसरे तरीके से मदद करने का काम किया.एक एक बुजुर्ग कोरोना निगेटिव महिला जिसका इलाज चल रहा था. उसने इस युवा टीम की सेवा भावना को देख कर के उस बुजुर्ग महिला ने अपने पास रखे हुए पचास हजार रुपए देते हुए कहा कि यह पैसे कोरोना से ग्रसित लोगों की सेवा में लगा दो. एक तरफ जहां चारों तरफ लोग आज कोरोना संक्रमण को देखकर के भयभीत हैं. वहीं छत्तीसगढ़ के कोरबा की एक्टिव टीम यह संदेश दे रही है कि  मानव सेवा  से बड़ी कोई चीज नहीं होती, और  कोई जब मन में ठान कर के सेवा के लिए  निकल पड़ता है तो वह बड़ी सी बड़ी त्रासदी और बीमारी को भी हराकर एक संदेश दे जाता है.

Short Story: कोरोना और अमिताभ

मैं मॉर्निंग वॉक करके आया तो वाशबेसिन में हाथ धोने खड़ा हो गया, साबुन लगाया… हाथ धोने लगा, आंखों के आगे अचानक  अमिताभ बच्चन आकर खड़े हो गए… मुस्कुरा कर देख रहे थे.. मैं चौका और संभल कर,  दिखाने के लिए, तन्मय हाथ धोते रहा, मैं सोच रहा था अमिताभ जी सामने खड़े हैं और देख रहे हैं कि मैं हाथ ठीक से, उनके कथनानुसार  धो रहा हूं कि नहीं , मैं जरा सकपकाया, भाई! सदी के महानायक हैं! कह रहे हैं 20 सेकंड हाथ धोना है, तो धो लो!!

अमिताभ बच्चन मेरी ओर देख रहे हैं, मैं हाथ धो रहा हूं उनके चेहरे पर गंभीर भाव था बोले- ” हूं…बीस सेकेंड हाथ धोना है , दो गज की दूरी बनाए रखना, मास्क पहनना है, ओके.”

मैंने कहा-” अमिताभ जी! देखो, मैं तो आपका कहना मान रहा हूं आपने कहा है तो पालन तो करना ही है, मगर एक  बात अभी अभी मेरे दिमाग में आई है, कृपया उसका जवाब दीजिए.”

अमिताभ बच्चन के चेहरे पर स्मित मुस्कुराहट खेलने लगी, बोले-” हां हां भाई, पूछो.”

यह उन्होंने अपने खास अंदाज में कहा जैसे अक्सर कहते हैं, मैंने गला साफ करते हुए कहा-” आपने कहा है 20 सेकंड हाथ धोना है, है ना! यह आपको कैसे पता कि 20 सेकंड हाथ धोना है, इससे कोरोना संक्रमण खत्म हो जाता है.”

अमिताभ बच्चन की आंखें बड़ी बड़ी हो गई वक्र दृष्टि से देखने लगे फिर शांत भाव से अपने ही अंदाज में बोले,- “भाई! यह तो सामान्य बात है, मुझे स्क्रिप्ट दी गई, मैंने अपने अंदाज में पढ़ दी है… और हां, याद आया, यह डब्ल्यूएचओ का कहना है उसका मार्गदर्शन है, मेरी कोई कोरी कल्पना नहीं है भाई.”अमिताभ निश्चल हंसी हंसने लगे

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अमिताभ ने मुझे बड़ी अच्छी तरह समझाया था और शांत भाव से मेरे चेहरे की ओर देखने लगे मानो पढ़ रहे हो कि मैं संतुष्ट हुआ कि नहीं, मैंने चेहरे पर कोई भी भाव लाय बिना सहजता से पुनः सवाल किया-” अमिताभ जी, आप तो महानायक हैं, मैं तो आपका फैन हूं आप की फिल्में देखता हूं , आप जो कहते हैं मैं मान लूंगा मगर…”

” फिर मगर, भाई!” अमिताभ बोले

“यह कोरोना 20 सेकंड में मर जाएगा, इसकी क्या गारंटी है.” मैंने डरते डरते पूछा

“यह तो गलत बात है, भाई! जब हम कह रहे हैं.” उन्होंने अधिकार पूर्वक  कहा

“नहीं! मैं यह सोच रहा हूं, मान लो कोरोना का स्टैंन अब बढ़ गया हो, आपने यह बात तो बहुत पहले कही थी, अभी स्टैंन    बदल गया हो, फिर क्या करूं…”

“क्या मतलब?”

“देखिए, माफ करिए अमिताभ जी! मैं आपका बहुत बहुत बड़ा फैन हूं मगर मेरे दिमाग में पता नहीं यह सवाल क्यों उठ रहा है कि मान लीजिए अब कोरोनावायरस 20 सेकंड में ही नहीं मरता हो ! अब हो सकता है उसकी ऊर्जा बढ़ गई हो 21 या 22 सेकंड हाथ धोने पर मरे, तब क्या होगा!”

अमिताभ बच्चन मेरी बाल बुद्धि पर  हंसे, फिर कहा,-” तो भाई! 22 सेकंड हाथ धो लो 25 सेकंड हाथ धो लो, अच्छी बात है.. ”

“अच्छा, हो सकता है 25 सेकंड में  वायरस नहीं मरता हो 30 सेकंड हाथ धोने पर खत्म हो तब…” मैंने बड़ी मासूमियत से कहा

” अरे! यह क्या बात है! तुम तो…”

” हो सकता है, अब 60 सेकंड यानी 1 मिनट हाथ धोने पर ही वायरस खत्म हो रहा हो, फिर क्या करूं.”

अमिताभ बच्चन बोले-” हां तो ठीक है, पूरे 60 सेकंड हाथ धो लो.”

“मगर मुझे पता नहीं क्यों लग रहा है वायरस की शक्ति बढ़ गई होगी, जिस तरह प्रकोप मचा हुआ है, लोग मर रहे हैं 2 मिनट हाथ धोना चाहिए तब ही कोरोनावायरस खत्म होगा.” मैंने भोलेपन से कहा

“देखो भाई…” अमिताभ बच्चन अपनी शैली में समझाते हुए बोले,-” अभी कुछ अनुसंधान चल रहे हैं, वैज्ञानिक शोध में लगे हुए हैं, यह ध्यान में रखते हुए बस हाथ धोते रहो, मैं तो बस यही कहूंगा.”

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“मगर? ”

“अरे भाई, तुम तो हमारा दिमाग ही चट कर जाओगे , मुझे और भी फ्रेंड के पास जाना है, तुम अपनी समझदारी से हाथ धोते रहो… जब तक तसल्ली ना हो जाए… बस धोते रहो, ठीक है .” और अमिताभ बच्चन मेरी आंखों के सामने से अचानक अदृश्य हो गए.

नक्सली गलत हैं या सही

3 अप्रैल, 2021. भारतीय जनता पार्टी समेत दूसरे दलों के नेता 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के प्रचार में मशगूल थे. तब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को अपना असम का दौरा रद्द कर शाम के समय छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर हवाईजहाज से उड़ कर आने को मजबूर होना पड़ा था, क्योंकि बात थी ही कुछ ऐसी कि उन के और केंद्र सरकार के होश फाख्ता हो गए थे.

इस दिन सुबह 11 बजे राज्य के बीजापुर और सुकमा जिलों के बौर्डर के एक गांव टेकलगुडा के नजदीक नक्सलियों और अर्धसैनिक बलों की एक जबरदस्त मुठभेड़ में नक्सलियों ने 24 जवानों को मार गिराया था, जिस से केंद्र सरकार सकते में आ गई थी.

इन जिलों में तैनात अर्धसैनिक बलों को खबर मिली थी कि बड़ी तादाद में नक्सली इस बौर्डर के एक गांव में छिपे हुए हैं, जिन में 50 लाख रुपए का एक इनामी नक्सली नेता मडावी हिडमा भी शामिल था.

सुबह से ही तकरीबन 2,000 जवानों ने इस इलाके को घेर लिया और नक्सलियों की टोह ड्रोन के जरीए लेने लगे. जैसे ही यह बात नक्सलियों को पता चली, तो उन्होंने अपना रास्ता बदल दिया, जिस से जवान चकमा खा गए. यही नक्सली चाहते थे, जो ऊपर पहाड़ी पर छिपे हुए थे. उन्होंने मौका ताड़ते हुए जवानों पर हमला कर दिया.

इस से सकपकाए छिपतेछिपाते जवानों ने जवाबी हमला किया, लेकिन नक्सलियों ने उन्हें 3 तरफ से घेर रखा था. दोनों तरफ से तकरीबन 5 घंटे फायरिंग हुई, जिस में अर्धसैनिक बलों के 24 जवान मारे गए.

12 नक्सलियों के मरने की खबर भी आई, पर हमेशा की तरह बड़ा नुकसान अर्धसैनिक बलों का ही हुआ.  घायल जवानों को बीजापुर और रायपुर के अस्पतालों में इलाज के लिए भरती कराया गया और नक्सली भी अपने घायल साथियों को 2 ट्रैक्टरों में भर कर अपने ठिकानों की तरफ ले गए.

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जातेजाते उन्होंने हर बार की तरह मारे गए जवानों के हथियार, जूते वगैरह अपने कब्जे में ले लिए. वे सीआरपीएफ के एक कोबरा कमांडर राकेश्वर सिंह मन्हास को बंधक बना कर अपने साथ ले गए, जिसे 8 अप्रैल, 2021 को एक गिरफ्तार आदिवासी के बदले रिहा भी कर दिया.

खोखली दहाड़

रायपुर और जगदलपुर आए अमित शाह घायल जवानों से मिले और नक्सलियों पर खूब गरजेबरसे कि जवानों की शहादत बेकार नहीं दी जाने जाएगी और जल्द ही नक्सलियों का सफाया कर दिया जाएगा.

वैसे, इस के कुछ दिन पहले ही नक्सलियों ने नारायणपुर में एक और वारदात को अंजाम देते हुए 5 जवानों को मार गिराया था. इस से भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन के हौसले कितने बुलंद हैं.

यह कोई पहला या आखिरी मौका नहीं था, जब नक्सलियों ने सरकार को अपनी ताकत और पहुंच का एहसास कराया हो. इस के पहले भी वे जवानों की हत्या कर के यह जताते रहे हैं कि जब तक सरकार उन की बात नहीं सुनेगी और बातचीत के लिए तैयार नहीं होगी, तब तक उन की 50 साल से चल रही मुहिम से वे कोई सम?ाता नहीं करेंगे.

क्या है नक्सली मुहिम

3 अप्रैल, 2021 की मुठभेड़ के बाद फिर एक बार नक्सलियों और उन की मुहिम की चर्चा जोरशोर से शुरू हुई है कि आखिर वे चाहते क्या हैं और क्यों सरकार लाख कोशिशों के बाद भी उन का खात्मा नहीं कर पा रही है?

नक्सली मुहिम साल 1967 में पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले के एक गांव नक्सलबाड़ी से हुई थी, जिसे 2 कम्यूनिस्ट नौजवान नेताओं चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने शुरू किया था.

इन लोगों की बात गलत कहीं से नहीं थी कि सत्ता पर रसूखदारों और पूंजीपतियों का कब्जा है, जो किसानों और गरीबों का शोषण करते हैं. सरकार इन्हीं के इशारे पर नाचते हुए इन के भले के लिए ही सरकारी नीतियां बनाती है.

धीरेधीरे कई और ऐसे नौजवान इन से जुड़ने लगे, जो यह मानते थे कि जमीन उसी की होनी चाहिए जो उस पर खेती कर रहा है, न कि उस की जो अपनी हवेलियों में बैठ कर मुजरे सुनता है, शराब के नशे में धुत्त रहते हुए रंगरलियां मनाता है और गरीबों, जो आमतौर पर दलित, आदिवासी और पिछड़े होते हैं, से खेत में गुलामी कराता है.

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पैदावार के समय ये जमींदार उपज का एक बड़ा हिस्सा हंटर और कोड़ों के दम पर खुद रख लेते हैं और मजदूर को गुजारे लायक ही देते हैं, जिस से वह जिंदा रहे और खेतों में काम करते हुए इन के गोदाम अनाज से भरता रहे.

जल्द ही ऐसे लोगों ने इंसाफ के लिए हथियार उठा लिए और अमीरों का कत्लेआम शुरू कर दिया. जमींदारों, सूदखोरों और साहूकारों से तंग आए किसानमजदूरों ने इन का साथ दिया और देखते ही देखते नक्सली मुहिम आंध्र प्रदेश, ओडिशा, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश के इलाकों में तेजी से फैल गई.

जब बड़े पैमाने पर हिंसा होने लगी, तब सरकार को होश आया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. अब आलम यह है कि नक्सली कहीं भी हत्याएं कर देते हैं, लेकिन ज्यादातर उन के निशाने पर रहते तो अर्धसैनिक बल ही हैं, जिन्हें उन के सफाए के लिए नक्सली इलाकों में तैनात किया गया है.

हल क्या है

50 साल में नक्सली खुद कई गुटों में बंट गए हैं, लेकिन उन का मकसद नहीं बदला है. हाल यह है कि आज 11 राज्यों के 90 जिलों में इन की हुकूमत चलती है, जिस को ‘रैड कौरीडोर’ कहा जाता है. ये सभी इलाके आदिवासी बाहुल्य हैं और घने जंगलों वाले भी हैं.

हर मुठभेड़ के बाद यह सवाल मुंहबाए खड़ा हो जाता है कि आखिर नक्सली गलत कहां हैं और सही कहां हैं? यह ठीक है कि अब जमींदार, साहूकार और सूदखोर पहले से नहीं रहे हैं, लेकिन वे पूरी तरह खत्म हो गए हैं, यह कहने की भी कोई वजह नहीं.

हुआ इतना भर है कि उन की शक्लसूरत बदल गई है. अब उन के साथसाथ सरकारी मुलाजिम भी गरीबों का शोषण करने लगे हैं, जो बिना घूस लिए अनपढ़ आदिवासियों का कोई काम नहीं करते और सरकारी योजनाओं में जम कर घपलेघोटाले करते हैं.

लेकिन नक्सलियों की नजर में इस से भी बड़ी समस्या पूंजीपतियों का आदिवासी इलाकों में बढ़ता दखल है, जिस का जिम्मेदार वे सरकार को मानते हैं.

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आदिवासी इलाकों को कुदरत ने कीमती तोहफों से जीभर कर नवाजा है. मसलन खनिज, जंगली उपज, उपजाऊ जमीन, पानी और मेहनतकश मजदूर, इसलिए इन इलाकों पर देशभर के धन्ना सेठों की नजर रहती है, जिन का मकसद यहां फैक्टरियां और कारखाने लगा कर पैसा बनाना है.

जल, जंगल और जमीन पर सब से पहला हक आदिवासी का है, यह बात सरकार सम?ा और मान ले तो नक्सलियों का रुख कुछ तो नरम होगा. इस के अलावा सरकार को सम?ाना यह भी होगा कि हिंसा और मुठभेड़ इस समस्या का हल नहीं है. जब तक सरकार नक्सलियों से मिलबैठ कर बात नहीं करेगी, तब तक जवान मरते रहेंगे.

Serial Story: उल्टी पड़ी चाल- भाग 4

लेखक- एडवोकेट अमजद बेग

‘‘क्या आप की बेटी और फुरकान की लव मैरिज है?’’

‘‘जी हां.’’ उस ने धीरे से कहा.

‘‘क्या आप ने फुरकान के मांबाप को खबर की?’’

‘‘जी हां, उन्हें खबर मिल गई है, पर उन का कहना है कि जब फुरकान ने घर छोड़ा था तभी वह हमारे लिए मर गया था. हमारा उस से कोई ताल्लुक नहीं है.’’ बाद में अली मुराद मुझे फुरकान, असमत और वहीद काजी के बारे में तफसील से बताता रहा. उस का खुलासा यह था.

फुरकान ने यूनिवर्सिटी से कौमर्स में मार्स्ट्स किया था और बैकिंग लाइन जौइन कर ली थी. उस का बाप भी बैंक से रिटायर हुआ था. फुरकान का एक भाई और एक बहन और थे. फुरकान की मुलाकात असमत से अली मुराद के घर पर हुई थी. वह असमत की बड़ी बहन नादिया के साथ पढ़ता था. पहली मुलाकात में ही दोनों के बीच मोहब्बत की नींव पड़ गई थी.

जब यह बात फुरकान के मांबाप को मालूम हुई तो वे बहुत नाराज हुए. फुरकान की मां उस की शादी अपनी भतीजी से करना चाहती थी. काफी दिन तक इस बात पर बहस चलती रही. नतीजा यह निकला कि उस के मांबाप ने उस से कह दिया, ‘‘यह शादी हमारे घर में नहीं होगी. अगर तुम्हें शादी करनी है तो हमारे घर से निकल जाओ.’’

यह सारी बातें फुरकान ने अली मुराद को बताईं. फिर एक प्लान के तहत अली मुराद ने फुरकान को अस्पताल के आईसीयू में भर्ती करवा दिया और मांबाप को इमोशनली ब्लैकमेल कर के यह शादी अंजाम तक पहुंचाई. पर लाख कोशिश के बाद भी वो अपने घर में 3 महीने ही रह सका.

जाते समय उस के बाप ने कहा, ‘‘तुम मेरी औलाद हो पर तुम ने हमारा मान नहीं रखा. याद रखना इस घर के दरवाजे तुम्हारे लिए हमेशा खुले रहेंगे पर तुम्हारी बीवी के लिए नहीं.’’

इस के बाद मायूस फुरकान बीवी को ले कर अली मुराद के घर पहुंचा और सारा माजरा कह सुनाया. अली मुराद ने कहा, ‘‘अल्लाह ने मुझे 2 बेटियां दी हैं. उन की मां पहले ही मर चुकी है. मैं तन्हा रहता हूं. तुम लोग मेरे साथ रह सकते हो.’’ फुरकान के पास कोई और रास्ता नहीं था. वह वहीं रहने लगा. अली मुराद ने उस पर घर दामाद बनने का दबाव नहीं डाला.

काजी वहीद सिर्फ नाम से काजी था, धंधा वह प्रौपर्टी डीलिंग का करता था. फुरकान ने उसे अपनी जरूरत के बारे में बताया और एक छोटे से फ्लैट की मांग की. काजी ने कहा, ‘‘छोटा फ्लैट तो नहीं है. क्या तुम किसी फैमिली के साथ रह सकते हो? सौ गज के एक घर में आप की ही तरह एक छोटी फैमिली और रहती है. उन के पास एक कमरा खाली है. तुम उन के साथ शेयर कर सकते हो. खर्च कम होगा और तन्हाई भी नहीं रहेगी.’’

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जवाब में फुरकान ने कहा, ‘‘आइडिया तो अच्छा है, पर वो फैमिली किस की है?’’ इस पर काजी वहीद हंसते हुए बोला, ‘‘वो फैमिली हमारी ही है. हम मियांबीवी हैं, हमारे बच्चे नहीं हैं. क्योंकि मेरी बीवी बांझ है.’’

‘‘आप ने दूसरी शादी के बारे में नहीं सोचा?’’

‘‘मेरी बीवी ने तो कई बार कहा पर मेरे दिल ने ऐसा जुल्म करने की इजाजत नहीं दी. अब तो हमारी शादी को 25 साल गुजर चुके हैं.’’

फुरकान काजी की बात से प्रभावित हुआ और वह उस के साथ रहने लगा. काजी की बीवी अकसर बीमार रहती थी, इसलिए बहुत कम खाना पकाती थी. ज्यादातर खाना होटल से आता था. फुरकान और असमत के आने से  उन को भी खाने का आराम हो गया. 3 माह में आपस में इतने घुलमिल गए कि हर कोई उन्हें एक ही फैमिली का मेंबर समझता था.

फिर काजी ने फुरकान से कहा, ‘‘अगले कुछ दिनों में अगर कोई अपना घर बना ले तो बहुत फायदे में रहेगा. फुरकान तुम क्यों नहीं कोशिश करते, बहुत फायदा रहेगा.’’ फुरकान ने बेबसी से कहा, ‘‘काजी साहब, 2-4 लाख मेरे लिए सोचना भी नामुमकिन है.’’

काफी देर बहस के बाद काजी ने कहा, ‘‘अगर तुम 50-60 हजार का बंदोबस्त कर दो तो बाकी मैं मिला दूंगा. मेरी ऊपर की छत पर 2 कमरे बन जाएंगे. फिर तुम ऊपर शिफ्ट हो जाना. बाद में किसी अच्छे वकील की मदद से ऊपर की मंजिल तुम्हारे नाम कर दी जाएगी.’’

फुरकान ने सोचते हुए कहा, ‘‘कमरे के लिए मैं खर्च करूंगा पर छत तो आप की होगी.’’ इस पर काजी ने आंखों में आंसू भर के कहा, ‘‘फुरकान, मैं तुम्हें अपना बेटा समझता हूं और असमत को बेटी. मैं अपने बेटे से छत के पैसे कैसे ले सकता हूं. बस तुम लोग मांबाप की तरह हमारा खयाल रखना. इस के लिए कोई एग्रीमेंट नहीं होगा. बस जुबानी मुहायदा होगा.’’

‘‘पर मैं आप को रकम एक साथ नहीं दे सकता.’’

दरअसल, फुरकान बैंक से लोन लेना चाहता था. पर पहले ही वह बाइक के लिए लोन ले चुका था. जिस की एक किस्त बाकी थी. वह सोच रहा था कि यह किस्त पूरी होने के बाद नया लोन ले कर काजी को दे देगा और फिर ऊपर की मंजिल पर 2 कमरे बन जाएंगे. उस के दिल में भी लालच आ गया था कि एक लाख में उस के सिर पर छत आ जाएगी.

उस ने काजी से कहा, ‘‘मैं 2 महीने में आप को 75 हजार दे सकता हूं.’’ काजी ने सोचते हुए कहा, ‘‘मगर 2 माह के अंदर तो बिल्डिंग मैटेरियल के दाम बहुत ऊपर चढ़ जाएंगे. सरिया, सीमेंट रेत के दाम डबल हो जाएंगे. खैर, चलो तुम्हारे लिए मैं अपनी पहचान के सप्लायर्स से सामान अभी बुक कर लेता हूं. पैसे 2 माह बाद माल उठाने पर देंगे.’’

दोनों के बीच में सारे मामलात जुबानी तय हो गए. क्योंकि फुरकान के दिल में काजी के लिए बाप जैसी मोहब्बत थी. अप्रैल में यह मामला तय हुआ. जून के पहले हफ्ते में फुरकान ने बैंक से एक लाख का कर्जा उठाया. 75 हजार उस ने वहीद काजी को दे दिए, बाकी के 25 हजार घर की मेंटनेंस और लकड़ी के काम पर लगा दिए. इस तरह एक लाख में घर बन गया. जुलाई में वो लोग ऊपर के हिस्से में शिफ्ट हो गए.

मियांबीवी जीजान से काजी और उस की बीवी की खिदमत करते, खाना खिलाते और खुश रहते. 2-3 महीने बड़े आराम से गुजरे. वक्त गुजरता रहा. 8-10 महीने बाद काजी जो फुरकान के लिए एक फरिश्ता था, शैतान के रूप में सामने आ गया. अपनी मक्कारी और चालाकी से पहले उस ने फुरकान को घर से बेदखल किया और फिर अपनी बीवी के कत्ल के इलजाम में फंसा दिया.

रिमांड की मुद्दत पूरी होने के बाद पुलिस ने अदालत में चालान पेश कर दिया. मैं ने फुरकान के वकील की हैसियत से अपना वकालतनामा अदालत में पेश कर दिया. मैं ने अपने मुवक्किल के पक्ष में जमानत की अपील करते हुए कहा, ‘‘जनाब, मेरा मुवक्किल एक शरीफ और सीधा सच्चा इंसान है. वह काजी की मक्कारी को समझ नहीं सका और उस की मीठीमीठी बातों के झांसे में आ गया.

Mother’s Day Special: मोह का बंधन

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