Neha Kakkar ने रोमांटिक वीडियो शेयर कर बताया, ‘कैसे होगी पति रोहनप्रीत के बिना जिंदगी’

बॉलीवुड की मशहूर सिंगर नेहा कक्कड़ (Neha Kakkar) इन सुर्खियों में छाई रहती है. आए दिन वह सोशल मीडिया पर फोटोज और वीडियो शेयर करती रहती हैं. हाल ही में नेहा और उनके पति रोहनप्रित का एक वीडियो आया था, जिसमें दोनों के बीच हाथापाई हो रही थी. यह वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. तो अब नेहा ने एक वीडियो शेयर कर बताया है कि रोहनप्रीत के बिना उनकी जिंदगी कैसी होगी.

जी हां, नेहा कक्कड़ ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर किया है. वीडियों में नेहा और रोहनप्रित के कुछ रोमांटिक पल नजर आ रहे हैं. इस वीडियो के कैप्शन में नेहा ने लिखा है कि प्यार! खढ़ तैनू मैं दसा’ 18 मई को आपका हो जाएगा. रोहनप्रीत तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी ऐसी है जैसे मैं बिना म्यूजिक के जी रही हूं. फैंस इस वीडियो को खूब पसंद कर रहे हैं.

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तो वहीं रोहनप्रीत ने भी रोमाटिक वीडियो शेयर कर बताया कि  नेहा के बिना उनकी लाइफ ऐसे होगी मानो आत्मा के बिना कोई शरीर हो.

 

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आपको बता दें कि हाल ही में नेहा  और रोहनप्रीत का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें दोनों  हाथापाई करते नजर आ रहे थे. दरअसल कपल ने यह वीडियो अपने आने वाले गाने ‘खढ़ तैनू मैं दसा’ के प्रमोशन के लिए बनाया था.

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नेहा कक्कड़ और रोहनप्रित सिंह 24 अक्टूबर 2020 को शादी के बंधन में बंधे थे. पहली बार दोनों की मुलाकाता म्यूजिक वीडियो ‘नेहू दा व्याह’ के शूट के दौरान हुई थी. साथ में शूट करते वक्त नेहा कक्कड़ और रोहनप्रीत को प्यार हुआ और फिर दोनों ने शादी कर ली.

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Serial Story: मासूम कातिल- भाग 3

लेखक- गजाला जलील

‘‘रजा साहब बाकायदा मेरा रिश्ता ले कर तुम्हारी अम्मा के पास जाएंगे. तुम्हारी अम्मा को राजी कर लेंगे, पर पहले तुम्हारी मंजूरी जरूरी है.’’

मैं उन के कदमों में झुक गई. उन्होंने मुझे उठा कर सीने से लगा लिया. मेरे तड़पते दिल व प्यासी रूह को जैसे सुकून मिल गया. हम दोनों रोज मिलने लगे पर दुनिया से छिप कर. मैं तो अपने महबूब को पा कर जैसे पागल हो गई थी. सब से बड़ी खुशी की बात यह थी कि उन्होंने अपनी मोहब्बत का इजहार शादी के पैगाम के बाद किया था. वह कहते थे, ‘‘सुहाना, मैं तुम्हें दुनिया की हर खुशी देना चाहता हूं.’’

और मैं कहती, ‘‘बस थोड़ा सा इंतजार मेरे महबूब.’’

‘‘जैसी तुम्हारी मरजी.’’ कह कर वह चुप हो जाते.

अब हालात बदल गए थे. मैं औफिस में उन के करीब रहती, हमारे बीच में बहुत से फैसले हो गए थे. मां की आंखों की रोशनी चली गई थी. हमारी मोहब्बत तूफान की तरह बढ़ रही थी. मैं अपनी मां की नसीहत, अपनी मर्यादा भूल कर सारी हदें पार कर गई. औफिस के बाद हम काफी वक्त साथ गुजारते. इमरान साहब ने मुझे कीमती जेवर, महंगे तोहफे और कार देनी चाही, पर मैं ने यह कह कर इनकार कर दिया कि ये सब मैं शादी के बाद कबूल करूंगी.

मैं ने उन पर अपना सब कुछ निछावर कर दिया. एक गरीब लड़की को ऐसा खूबसूरत और चाहने वाला मर्द मिले तो वह कहां खुद पर काबू रख सकती है. मैं शमा की तरह पिघलती रही, लोकलाज सब भुला बैठी.

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अली रजा साहब उन दिनों छुट्टी पर गए हुए थे. मैं ने इमरान हसन से कहा, ‘‘अब आप अम्मा से मेरे रिश्ते के लिए बात कर लीजिए. आप अम्मा के पास कब जाएंगे?’’

‘‘जब तुम कहोगी, तब चले जाएंगे.’’

‘‘अच्छा, परसों चले जाइएगा.’’

‘‘जानेमन, अभी अली रजा साहब छुट्टी पर हैं. वह आ जाएं, कोई बुजुर्ग भी तो साथ होना चाहिए.’’

मैं खामोश हो गई. अब वही मेरी जिंदगी थे. दिन गुजरते रहे वह अम्मा के पास न गए. अली रजा साहब भी पता नहीं कितनी लंबी छुट्टी पर गए थे. धीरेधीरे इमरान साहब का रवैया मेरे साथ बदलता जा रहा था. अली रजा साहब छुट्टी से वापस आ गए. मैं ने इमरान साहब से कहा, ‘‘आप कुछ उलझेउलझे से नजर आते हैं. क्या बात है?’’

‘‘कुछ बिजनैस की परेशानियां हैं. लाखों का घपला हो गया है. मुझे देखने के लिए बाहर जाना पड़ेगा.’’

‘‘आप अम्मा से मिल लेते तो बेहतर था.’’

‘‘हां, उन से भी मिल लेंगे, पहले ये मसला तो देख लें. लाखों का नुकसान हो गया है.’’

उन का लहजा रूखा और सर्द था. उन्होंने मुझ से कभी इस तरह बात नहीं की थी. मैं परेशान हो गई. रात भर बेचैन रही. मैं ने फैसला कर लिया कि सवेरे अली रजा साहब से कहूंगी कि वह इमरान साहब को ले कर अम्मा के पास मेरे रिश्ते के लिए जाएं. वह मुझे बहुत मानते हैं, वह जरूर ले जाएंगे.

दूसरे दिन मैं इमरान के औफिस में बैठी उन का इंतजार कर रही थी. 12 बजे तक वह नहीं आए, मैं अली रजा साहब के पास गई और उन से पूछा, ‘‘सर, अभी तक बौस नहीं आए?’’

अली रजा साहब बोले, ‘‘वह तो कल रात को फ्लाइट से स्वीडन चले गए.’’

मेरे पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. वह मुझे बिना बताए बाहर चले गए. मुझ से मिले भी नहीं.

‘‘मेरे लिए कुछ कह गए हैं?’’

‘‘हां, इमरान साहब की वापसी का कोई यकीन नहीं है. 7-8 महीने या साल-2 साल भी लग सकते हैं. कारोबार वहीं से चलता है. उन्हें वहां का बिगड़ा हुआ इंतजाम संभालना है. आप अपनी सीट पर वापस आ जाइए.’’ अली रजा साहब ने सपाट लहजे में कहा.

मुझे चक्कर सा आ गया. मैं ने एक हफ्ते की छुट्टी ली और घर आ गई.

कुदरत के भी अजीब खेल हैं. मां की रोशनी इसलिए छिन गई थी ताकि वह मेरी यह हालत न देख सकें. मैं अपने कमरे में पड़ी रहती, रोती रहती. मुझे एक पल का चैन नहीं था. पलपल मर रही थी मैं.

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एक हफ्ते बाद एक उम्मीद ले कर औफिस पहुंची. शायद कोई अच्छी खबर आई हो. मैं ने अली रजा साहब से पूछा, ‘‘इमरान साहब की कोई खबर आई?’’

‘‘हां आई, ठीक हैं. औफिस के बारे में डिसकस करते रहे. क्या तुम्हें उन का इंतजार है?’’

‘‘जी, मैं उन की राह देख रही हूं.’’

‘‘बेकार है, जब वे आएंगे तो तुम्हें भूल चुके होंगे.’’

मेरी आंखों से आंसू बह निकले. उन्होंने दुख से कहा, ‘‘मेरी समझ में नहीं आता तुम्हें क्या कहूं? तुम जैसी मासूम व बेवकूफ लड़कियां आंखें बंद कर के भेडि़ए के सामने पहुंच जाती हैं. तुम्हारे घर वाले लड़कियों को अक्ल व दुनियादारी की बात क्यों नहीं सिखाते? तुम्हें यह क्यों नहीं समझाया गया, जहां तुम जा रही हो, वे लोग कैसे हैं. उन का स्टाइल क्या है. वहां तुम जैसी लड़कियों की क्या कीमत है. सब जानते हैं, ये अमीरजादे साथ नहीं निभाते, बस कुछ दिन ऐश करते हैं. पर तुम लोग उन्हें जीवनसाथी समझ कर खुद को लुटा देती हो.’’

मैं सिसकने लगी, ‘‘रजा साहब, मैं ने ये सब जानबूझ कर नहीं किया, दिल के हाथों मजबूर थी. उन की झूठी मोहब्बत को सच्चाई समझ बैठी.’’ मैं ने धीरे से कहा.

‘‘सुहाना, अगर तुम अपनी इज्जत गंवा चुकी हो तो चुप हो जाओ, चिल्लाने से कुछ हासिल नहीं होगा. वह लौट कर नहीं आएगा, ऐसा वह कई लड़कियों के साथ पहले भी कर चुका है. अब तुम अपने फ्यूचर की फिक्र करो. बाकी सब भूल जाओ.’’

सुहाना अपनी कहानी सुनाते हुए बोली, ‘‘मैं ने सब समझ लिया. वक्त से पहले अपनी बरबादी को स्वीकार कर लिया. मेरे पास सिवा पछताने के और कुछ नहीं बचा था. मैं ने औफिस जाना छोड़ दिया. मां से बहाना कर दिया. उन्होंने ज्यादा पूछताछ की तो झिड़क दिया.’’

वक्त गुजरता रहा. मां चुप सी हो गईं. गुजरबसर जैसेतैसे हो रही थी. चंद माह गुजर गए और फिर पड़ोसियों ने मां से कह दिया. अम्मा ने मुझे टटोल कर देखा और एक दर्दभरी चीख के साथ बेहोश हो कर नीचे गिर गई. सदमा इतना बड़ा था कि वह बरदाश्त न कर सकी और फिर कभी नहीं उठ सकीं.

Ghum Hai KisiKey Pyaar Meiin: क्या शुरू होने से पहले ही खत्म होगी विराट और सई की लव स्टोरी

टीआरपी चार्ट में शामिल होने वाला सीरियल ‘गुम है किसी के प्यार में’ में खूब ट्विस्ट एंड टर्न देखने को मिल रहे हैं. इस सीरियल से दर्शकों  को एंटरटेनमेंट का डबल डोज मिल रहा है. अब मेंकर्स ने सीरियल का नया प्रोमो रिलीज किया है. जिससे अपकमिंग एपिसोड में दिलचस्प मोड़ आने वाला है. आइए आपको बताते हैं, शो के अपकमिंग एपिसोड में क्या होने वाला है.

शो के नए प्रोमो में विराट और सई के बीच दमदार केमिस्ट्री देखने को मिल रही है. जी हां, लेकिन अगले ही पल सई कुछ ऐसा कहती है कि विराट का दिल टूट जाता है. दरअसल सई घर छोड़ने की बात कहती है और ये भी कहती है कि विराट को कभी उससे प्यार हो ही नहीं सकता.

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सई की बातों को सुनकर विराट काफी हैरान हो जाता है. इस प्रोमो से साफ हो चुका है कि आने वाले दिनों में भी सई और विराट का मिलन आसानी से नहीं होगा. और ये देखना भी दिलचस्प होगा कि पाखी, सई और विराट को अलग करने के लिए क्या प्लान बनाती है?

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सीरियल के बीते एपिसोड में आपने देखा कि  विराट और सई चौहान हाउस में वापस आ गए हैं. पूरा चौहान परिवार सई और विराट का स्वागत किया. घर आने के बाद विराट सबसे पहले भवानी को चेतावनी दिया कि सई उसकी पत्नी है. किसी को भी ये हक नहीं है कि वो सई की बेज्जती करे. ये बात सुनकर भवानी के होश उड़ गए.

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Imlie: आदित्य पर जानलेवा हमला करेगा सत्यकाम, पढ़ें खबर

स्टार प्लस का सीरियल ‘इमली’ के अपकमिंग एपिसोड काफी धमाकेदार ट्विस्ट आने वाला है. जी हां, शो के बीते एपिसोड में आपने देखा कि मालिनी की मां अनु, इमली पर रॉड से वार करती है,  जिसके बाद वो काफी टूट जाती है. आइए आपको बताते है, शो के अपकमिंग एपिसोड के बारे में.

सीरियल में ये दिखाया जाएगा कि आदित्य, मालिनी से सारी बातें बता देगा. वह मालिनी से ये भी कहेगा कि वो इमली से प्यार करता है. आदित्ये की बात सुनकर मालिनी शॉक्ड हो जाएगी. और ऐसे में वह आदित्य को केस की धमकी देगी. आदित्य बताएगा कि इमली उसकी पहली पत्नी है.

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मालिनी को लगेगा कि इमली ने हर किसी को धोखा दिया है लेकिन जल्द ही वो इस बात को स्वीकार कर लेगी कि इमली और आदित्य के बीच वो आई है. तो दूसरी ओर इमली शहर छोड़कर पगडंडिया जाने का फैसला करेगी.

 

तो उधर आदित्य फैसल  लेगा कि उसे इमली के साथ अपनी पूरी जिंदगी गुजारनी है. वहीं इमली की मां को आदित्य की सच्चाई पता चल चुकी है. और वह आदित्य को सबक सिखाने के लिए ही सत्यकाम के साथ दिल्ली जाएगी. शो के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि सत्यकाम, आदित्य से कैसे बदला लेता है.

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सरकारी नीतियों से परेशान बेरोजगार नौजवान

‘अच्छे दिन’ का सपना देखने वाले बेरोजगार नौजवानों ने भारतीय जनता पार्टी सरकार को इस उम्मीद के साथ चुना था कि पढ़ेलिखे नौजवानों को रोजगार मिलेगा, मगर करोड़ों नौजवान आज भी बेकारी की वजह से खाली बैठे हैं.

देश के अलगअलग राज्यों में शिक्षा विभाग के स्कूलकालेजों में संविदा पर बतौर अतिथि शिक्षक और शिक्षा मित्र काम कर रहे नौजवान रोजीरोटी के  लिए जद्दोजेहद कर रहे हैं, पर शायद सरकार की मंशा नहीं है कि पढ़ेलिखे लड़केलड़कियां नौकरियां करें.

वह तो चाहती है कि पढ़लिख कर नौजवान कांवड़ यात्रा निकालें, मंदिर बनाने के काम में अपनी ताकत ?ांक दें, पार्टी की रैलियों में ?ांडेबैनर लगाने का काम करें, गौरक्षा के नाम पर मौब लिंचिंग करें और हिंदूमुसलिम के नाम पर दंगेफसाद करें. बहुत हद तक धर्म  की हिमायती सरकार इस में कामयाब भी हुई है.

देश के जो पढ़ेलिखे नौजवान सरकारी नौकरी की तलाश में अपना समय बरबाद कर रहे हैं, उन को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि सरकार उन्हें कोई रोजगार देने वाली  नहीं है.

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चुनाव के समय ऐलान किया गया था कि हर साल 2 करोड़ लोगों को नौकरी दी जाएगी, पर चुनाव होते ही नौकरी देने का वादा करने वाली सरकार अब नौजवानों को आत्मनिर्भर होने का ?ान?ाना पकड़ा रही है.

नई शिक्षा नीति में व्यावसायिक पाठ्यक्रम लाने की वकालत तो सरकार कर रही है, पर जो व्यावसायिक संस्थान पहले से चल रहे हैं, उन में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भरती तक नहीं कर पाई है.

मध्य प्रदेश के कई स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक वोकेशनल ऐजूकेशन दी जा रही है, मगर इन स्कूलों में वोकेशनल की ट्रेनिंग देने वाले शिक्षक ही नहीं हैं. ऐसे में सरकार केवल डिगरी बांट कर वाहवाही लूट रही है.

बेरोजगारी खेल रहे नौजवानों को यह बात मालूम होनी चाहिए कि जिन क्षेत्रों में नौकरियां अफरात में भरी पड़ी रहती थीं, उन्हें सरकार निजी हाथों को सौंप रही है.

रेलवे बोर्ड, बैंकिंग संस्थान और सरकारी स्कूलकालेजों में नौकरियों के मौके ज्यादा होते थे. इन्हीं क्षेत्रों को सरकार घाटे का सौदा मान कर निजी हाथों में दे कर अपना पल्ला ?ाड़  रही है.

देश में बेरोजगारी का आलम यह है कि किसी वैकेंसी के आते ही लाखों की तादाद में बेरोजगार अर्जी देने के लिए मारेमारे फिरते हैं.

साल 2021 के फरवरी महीने में हरियाणा के पानीपत शहर की अदालत में चपरासी के 13 पदों के लिए नौकरी का इश्तिहार निकला, तो बेरोजगारों की 27,671 अर्जियां जमा हो गईं.

अर्जियों की जांच के बाद जब इंटरव्यू के लिए बुलाया गया, तो दिलचस्प बात सामने आई कि 8वीं पास उम्मीदवार को नौकरी में लिया जाना

था, पर बड़ी तादाद में एमबीए, एमए, बीए, बीएससी, बीटैक डिगरीधारी लड़केलड़कियां चपरासी बनने की खातिर धक्कामुक्की करते नजर आए.

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देश में बेलगाम हो रही बेरोजगारी का सच यही है कि करोड़ों की तादाद में पढ़ेलिखे नौजवान अपनी काबिलीयत को दरकिनार कर नौकरी पाने के लिए चपरासी बनने के लिए भी तैयार हैं, मगर सरकार उन के साथ केवल छल ही कर रही है.

एक साल में दोगुनी बेरोजगारी

उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से सा?ा की गई एक जानकारी में यह बात सरकार ने खुद स्वीकार की है कि पिछले एक साल में बेरोजगारी दोगुनी हो गई है.

कांग्रेस विधायक और कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार ‘लल्लू’ ने बेरोजगारी पर विधानसभा में उत्तर प्रदेश के लेबर और रोजगार मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्या से सवाल किया था, जिस का संबंधित महकमे की तरफ से जवाब दे कर बेरोजगारी के जो आंकड़े दिए गए हैं, वे चौंकाने वाले हैं.

इस जवाब में बताया गया है कि सीएमआईई की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में बेरोजगारी दर साल 2018 में 5.92 फीसदी थी, जबकि साल 2019 में  9.97 फीसदी रही यानी 2018 से तुलना की जाए तो साल 2019 में उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी दर तकरीबन दोगुनी हो गई है.

ये आंकड़े इसलिए भी ज्यादा चौंकाने वाले हैं, क्योंकि ये कोरोना काल से पहले के हैं. देश में कोरोना वायरस महामारी के चलते साल 2020 के मार्च महीने से लौकडाउन लागू किया गया था, जिस का अर्थव्यवस्था से ले कर रोजगार पर बड़ा असर पड़ा, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने बेरोजगारी की दर के जो आंकड़े शेयर किए हैं, वे इस से काफी पहले के हैं. उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराधों की वजह बेरोजगारी का होना भी है.

बेरोजगार ‘जन स्वास्थ्य रक्षक’

मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ राज्यों के गांवकसबों में ‘जन स्वास्थ्य रक्षक’ बनाए गए लाखों नौजवान भी इन दिनों अपनी रोजीरोटी के लिए जद्दोजेहद कर रहे हैं.

‘जन स्वास्थ्य रक्षक योजना’ को इसलिए शुरू किया गया था, ताकि गांवकसबों के लोगों को प्राथमिक उपचार की सुविधा आसानी से मिल सके. इस के लिए बाकायदा हर गांव के एक पढ़ेलिखे नौजवान को ट्रेनिंग दे कर बीमार लोगों को शुरुआती इलाज करने की सुविधा दी गई थी.

आज भी देश के कई इलाकों में डाक्टर, नर्स नहीं पहुंच पाते हैं, ऐसे में ‘जन स्वास्थ्य रक्षक’ बनाए गए यही लोग गांव के लोगों के लिए प्राथमिक उपचार की सुविधा मुहैया कराते हैं.

नरसिंहपुर जिले के बांसखेड़ा गांव में ‘जन स्वास्थ्य रक्षक’ रहे प्रवेश तिवारी   कहते हैं, ‘90 के दशक में शुरू की गई ‘जन स्वास्थ्य रक्षक योजना’ का मकसद गांवगांव मरीजों को तत्काल इलाज सुविधा उपलब्ध कराना था. इस के लिए इन्हें अनुभवी डाक्टरों से प्रशिक्षण दिलाया गया. प्रशिक्षण देने वाले एमबीबीएस, एमडी डाक्टर थे, जिन्होंने ट्रेनिंग दे कर और फिर काम ले कर इन्हें काबिल बनाया था.’

लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा लिखित परीक्षा ले कर इन की योग्यता को जांचापरखा गया. जो ‘जन स्वास्थ्य रक्षक’ इस में कामयाब हुए, शासन द्वारा प्रमाणपत्र दे कर उन के गांव में नियुक्त कर दिया गया.

गांवों में पदस्थ इन ‘जन स्वास्थ्य रक्षकों’ को प्राथमिक उपचार करने के लिए अधिकृत कर दिया गया. साथ ही, राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों जैसे कुष्ठ निवारण, मलेरिया, फाइलेरिया, टीबी, बच्चों के टीकाकरण, पल्स पोलियो और नसबंदी अभियान में सहभागिता का अनुबंध किया गया.

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योजना के मुताबिक, इन्हें 20 तरह की दवाएं रखने की छूट दी गई, ताकि मरीज को स्वास्थ्य लाभ मिल जाए और उसे जराजरा सी बीमारी के लिए बड़े अस्पताल की ओर न भटकना पड़े. ‘पल्स पोलियो’ जैसे अभियान में भी ‘जन स्वास्थ्य रक्षक’ का अहम रोल रखा गया और इन लोगों ने गांवगांव और घरघर जा कर पोलिया की दवा का वितरण किया.

‘जन स्वास्थ्य रक्षकों’ ने छोटेछोटे गांवों की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को मजबूत किया और ?ालाछाप डाक्टरों को गांवों में पनपने का मौका ही नहीं दिया.

‘जन स्वास्थ्य रक्षक’ योजना में मध्य प्रदेश सरकार ने कई सौ करोड़ रुपए खर्च किए, ताकि गांवदेहात के क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा सकें और डाक्टरों की कमी को कुछ हद तक पूरा किया जा सके.

मध्य प्रदेश में ‘जन स्वास्थ्य रक्षकों’ का काम साल 2003 तक बखूबी चलता रहा, पर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनते ही इन ‘जन स्वास्थ्य रक्षकों’ को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया.

यही हाल अतिथि शिक्षकों का मध्य प्रदेश के स्कूलकालेजों में लंबे समय से बच्चों को पढ़ा रहे अतिथि शिक्षकों को भी कोरोना काल में बेरोजगार रह कर दो वक्त की रोटी के लिए मुहताज रहना पड़ा.

गाडरवारा पीजी कालेज में फिजिक्स पढ़ाने वाले अतिथि विद्वान डाक्टर सुनील शर्मा कहते हैं कि सरकार कम पैसों में ज्यादा काम ले रही है. इसी वजह से रैगुलर प्रोफैसर भरती करने के बजाय अतिथि शिक्षकों से काम लिया जा रहा है.

मध्य प्रदेश में शिक्षक भरती के नाम पर पढ़ेलिखे डिगरीधारी नौजवानों की परीक्षा ले कर मोटी फीस वसूली गई और परीक्षा पास करने वाले नौजवानों को नौकरी देने में आनाकानी की जा  रही है.

चयन परीक्षा में 150 में से 113 अंक पाने वाले सचिन नेमा पिछले एक साल से शिक्षक बनने की राह देख  रहे हैं, मगर सरकारी आश्वासन ही अभी तक उन के हाथ लगे हैं.

क्यों है सरकारी नौकरी का मोह

लोगों की सोच यही है कि एक बार सरकारी नौकरी मिल जाए तो जिंदगीभर आराम से बैठ कर खाया जा सकता है. सरकारी नौकरी में जहां काम के घंटे कम और तनख्वाह ज्यादा होती है, वहीं रिटायर्ड होने के बाद पैंशन और कई तरह की सुविधाएं मिलती हैं.

बहुत से नौजवानों की सोच है कि निजी सैक्टर में नौकरी मिलने से दिनभर काम करना पड़ता है और बाद में पैंशन वगैरह न मिलने से गुजरबसर करना मुश्किल होता है.

नौजवान खुद निकालें रास्ता

धार्मिक पाखंड में डूबी सरकार नौजवानों को नौकरी तो देने से रही. ऐसे में बेरोजगारों को खुद ही कोई रास्ता निकालना होगा. सरकारी नौकरी न मिलने से निराश होने के बजाय नौजवान छोटेमोटे काम कर के या अपना खुद का रोजगार शुरू कर अपने पैरों पर खड़े हो सकते हैं.

खेतीकिसानी के बैकग्राउंड वाले नौजवान परंपरागत खेती छोड़ वैज्ञानिक ढंग से खेती के तौरतरीके अपना कर अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं.

नरसिंहपुर जिले के डोभी गांव के नौजवान श्रीराम किरार ने केसर की खेती, सिंहपुर बड़ा के वैभव शर्मा ने मशरूम की खेती, गाडरवारा के उमाशंकर कुशवाहा ने फूलों की खेती,  बनखेड़ी के मान सिंह गूजर ने जैविक खेती, करताज के राकेश दुबे ने गन्ने से जैविक गुड़ बना कर लाखों की आमदनी के साथ एक नया मुकाम हासिल कर के इस बात को सही साबित भी किया है.

आजकल सरकारी स्कूलों से लोगों का मोह दूर होने लगा है. ऐसे में जो नौजवान सरकारी स्कूलों में शिक्षक बनने की सोच रहे हैं, वे अपना खुद का स्कूल खोल कर दूसरे नौजवानों को रोजगार भी दे सकते हैं.

आज भी गांवशहर, कसबे में बिजली मेकैनिक, प्लंबर, मोटर मेकैनिक, वैल्डर, राजमिस्त्री आसानी से नहीं मिलते हैं. नौजवानों को इन कामों की ट्रेनिंग ले कर अपना खुद  का रोजगार शुरू करने पर जोर देना चाहिए.

कंप्यूटर की पढ़ाई करने वाले पढ़ेलिखे नौजवान खुद का कंप्यूटर सैंटर या औनलाइन केंद्र खोल कर महीने में अच्छीखासी आमदनी हासिल कर सकते हैं, क्योंकि आज के डिजिटल युग में  हर काम औनलाइन होने का चलन बढ़  गया है.

Crime Story: बहुचर्चित जाह्नवी कुकरेजा हत्याकांड- मौत की पार्टी भाग 2

सौजन्य: मनोहर कहानियाां

मांबाप की लाडली बेटी जाह्नवी इस दुनिया में नहीं रही. बेटी की मौत की खबर सुनते ही मानो उन पर बज्रपात हुआ हो. वे दोनों दहाड़ मारमार कर रो रहे थे. रोतेरोते दोनों बारबार एक ही बात कह रहे थे कि श्री जोगधनकर और दीया पडनकर ने ही मेरी बेटी की हत्या की है. वही दोनों बेटी को पार्टी के बहाने घर से बुला कर ले गए थे.

मौके पर मौजूद खार थाने के इंसपेक्टर दिलीप उरेकर और जोन 9 के डीसीपी अभिषेक त्रिमुख उन्हें दिलासा दे रहे थे.

जांचपड़ताल में पाया गया कि जाह्नवी के सिर में सब से ज्यादा चोटें आई थीं. देखने से ऐसा लगता था जैसे हत्यारों ने उस का सिर किसी चीज से टकराटकरा कर उसे मौत के घाट उतार दिया हो. उस का सिर आगे और पीछे दोनों ओर से फूटा हुआ था. साथ ही उस के घुटनों, हाथ, हथेली, पीठ, कोहनी और दोनों पांवों पर भी खुरचने के निशान मौजूद थे. जख्म बता रहे थे कि जाह्नवी के शरीर पर जुल्म की बेइंतहा कहानी लिखी गई थी.

पुलिस जिस वक्त जाह्नवी को घायल अवस्था में ले कर अस्पताल आई थी, ज्यादा खून बहने से उस की मौत हो चुकी थी. डाक्टरों का कहना था कि अगर जाह्नवी को आधा घंटा पहले हौस्पिटल लाया गया होता तो शायद उस की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन उसे यहां लाने में देर कर दी गई थी.

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नामजद लिखाई रिपोर्ट

फिलहाल हर घड़ी मस्त रहने वाली जाह्नवी कुकरेजा इस दुनिया से रुखसत हो गई थी. पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सिर के जख्म को मौत की वजह बताया गया था. मृतका जाह्नवी के पिता प्रकाश कुकरेजा की नामजद तहरीर पर पुलिस ने श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के खिलाफ धारा 302, 34 भादंवि के तहत मुकदमा दर्ज कर दोनों की तेजी से तलाश जारी कर दी थी.

जाह्नवी कोई छोटीमोटी हैसियत वाले घर की बेटी नहीं थी. वह एक बड़े बिजनैसमैन परिवार की बेटी थी, जिन की मुंबई की राजनीति में ऊंची पहुंच थी. जाह्नवी की मौत हाईप्रोफाइल थी. इसलिए जाह्नवी स्थानीय अखबारों की सुर्खियां बनी हुई थी.

आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए खार पुलिस पर दबाव बना हुआ था. 2 जनवरी को पुलिस ने श्री जोगधनकर को सायन हौस्पिटल और दीया पडनकर को हिंदुजा हौस्पिटल से गिरफ्तार कर लिया. श्री जोगधनकर के हाथ और चेहरे पर चोटें आई थीं तो दीया के चेहरे पर चोट थी. दोनों इलाज कराने के लिए हौस्पिटल में भरती हुए थे.

श्री जोगधनकर और दीया को खार पुलिस गिरफ्तार कर के थाने ले आई और जाह्नवी की हत्या के संबंध में उन से गहन पूछताछ शुरू की. दोनों आरोपी जाह्नवी की हत्या करने से साफ मुकर गए. दोनों आरोपियों ने एक साथ एक सुर में एक ही बात कही कि भगवती हाइट्स बिल्डिंग के 15वें माले पर न्यू ईयर की पार्टी चल रही थी. सभी लोग नशे में चूर थे. जाह्नवी के साथ कब और कैसे हादसा हुआ, पता ही नहीं चला. उन्हें कुछ याद नहीं है, उस रोज पार्टी में क्या हुआ था.

पूछताछ के बाद पुलिस ने बांद्रा अदालत में दोनों आरोपितों को पेश कर जेल भेज दिया.

श्री जोगधनकर और दीया के बयान के बाद पार्टी की स्थिति स्पष्ट हुई थी कि पार्टी में शामिल सभी नशे में चूर थे. पुलिस ने जब पता लगाया तो जानकारी मिली कि पार्टी बिल्ंिडग के दूसरे माले पर रहने वाले यश आहूजा ने नए साल पर आयोजित की थी. पार्टी में कुल 15 लोग शामिल थे, जिन में 5 महिलाएं और 10 पुरुष थे. अधिकांशत: टीनएजर थे.

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आर्गनाइजर यश आहूजा के माध्यम से पुलिस ने पार्टी में शामिल सभी टीनएजर को घटनास्थल भगवती हाइट्स बुलवाया और सभी के ब्लड सैंपल, यूरिन और बाल के सैंपल ले कर उन्हें जांच के लिए फोरैंसिक लैब भिजवा दिया ताकि यह पता चल सके की घटना वाली रात पार्टी में किस ने किस तरह के नशे का सेवन किया था? उस में कहीं प्रतिबंधित ड्रग्स का तो सेवन नहीं किया था? उसी के हिसाब से उन पर कानूनी काररवाई सुनिश्चित की जा सके.

हालांकि नए साल पर पार्टी आयोजित करना मुंबई में पूरी तरह से मना था, बावजूद इस के नए साल की पार्टी मनाई गई? पुलिस इस बात की जांच करने लगी कि यश आहूजा ने इस के लिए किस से परमिशन ली थी, ताकि उसी अनुरूप उस पर कानूनी शिकंजा कसा जा सके.

ऐसे खुला हत्या का राज

बहरहाल, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के गोलमोल जवाब से जाह्नवी की हत्या की गुत्थी रहस्यमयी बन गई थी. हत्या के रहस्य से परदा उठाने के लिए जाह्नवी के घर वाले सोशल ऐक्टीविस्ट आसिफ भमला से मिले.

आसिफ भमला मृतका के मांबाप को ले कर तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के पास पहुंच गए. कुकरेजा दंपति ने पुलिस कमिश्नर को उन के दफ्तर जा कर एक ज्ञापन सौंपा और न्याय की मांग की.

इस के बाद खार पुलिस ने जाह्नवी की हत्या का राज उगलवाने के लिए अदालत में दोनों आरोपियों के रिमांड की मांग की. अदालत ने श्री जोगधनकर और दीया को 7 दिनों के रिमांड पर पुलिस को सौंप दिया.

पूछताछ में पहले तो दोनों फिर वही पुराना राग अलापते रहे, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे आखिरकार दोनों आरोपी टूट गए और अपना जुर्म कबूल लिया कि जाह्नवी की हत्या उन्हीं दोनों ने मिल कर की थी. आखिर दोनों की ऐसी क्या मजबूरी थी, जो जाह्नवी की जान लेना उन की मजबूरी बन गई थी. पुलिस पूछताछ में कहानी कुछ ऐसे सामने आई—

19 वर्षीय जाह्नवी कुकरेजा मूलरूप से मुंबई (ठाणे) के सांताक्रुज की रहने वाली थी. प्रकाश कुकरेजा और निधि कुकरेजा के 2 बच्चों में जाह्नवी बड़ी थी. जाह्नवी से छोटी एक और बेटी है. होनहार और कर्मठी जाह्नवी पढ़ने में अव्वल थी. ह्यूमन साइकोलौजी की वह छात्रा थी. बेटी की पढ़ाई देख कर मांबाप उसे आस्ट्रेलिया भेजने की तैयारी करने लगे थे. मांबाप ने उस के पासपोर्ट और वीजा भी बनवा लिए थे. बस उसे विदेश जाने भर की देरी थी.

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जाह्नवी कुकरेजा के पड़ोस में रहने वाले समीर पडनकर की बेटी दीया पडनकर उस की बेस्ट फ्रैंड थी. दोनों ही हमउम्र थीं और उन की पढ़ाई के विषय भी एक ही थे. दीया पडनकर जाह्नवी के नोट्स बनवाने में दिल खोल कर मदद करती थी. घंटों दोनों साथ बैठ कर पढ़ती थीं. उस दौरान अपने दिल का हाल भी एकदूसरे से शेयर करती थीं.

22 वर्षीय श्री जोगधनकर मुंबई के वडाला के न्यू कफे परेड स्थित टावर-7 ए-विंग का रहने वाला था. अंबादास जोगधनकर का वह एकलौता बेटा था. अपनी लच्छेदार बातों से वह किसी को भी अपनी ओर आकर्षित कर लेता था. वह बौक्सिंग में भी चैंपियन था.

श्री जोगधनकर और जाह्नवी कुकरेजा एक ही कालेज में पढ़ते थे. इस वजह से 3 साल से दोनों एकदूसरे को जानते थे और दोनों गहरे दोस्त भी थे. यहीं नहीं दोनों एकदूसरे के घर भी आतेजाते थे. यह बात उन के घर वालों से छिपी नहीं थी.

दोस्ती बदली प्यार में

दोनों ही हाई सोसाइटी के रहने वाले थे. उन के मांबाप रसूखदार थे, इसलिए वे अपने बच्चों पर अंधा विश्वास करते थे कि उन के बच्चे कोई गलत काम नहीं कर सकते हैं. बच्चों पर अंधे विश्वास के कारण ही उन्हें कहीं भी, कभी भी, जानेआने की खुली छूट मिली हुई थी. इसलिए वे दोनों अपनेअपने तरीके से जीते थे.

बहरहाल, श्री जोगधनकर और जाह्नवी कुकरेजा दोस्त से कब एकदूसरे को दिल दे बैठे, उन्हें पता ही नहीं चला. उन्हें अपने प्यार का एहसास तो तब हुआ जब दोनों एकदूसरे से अलग होते और मिलने के लिए बेताब हो जाते थे. जब तक वे मिल नहीं लेते थे या एक दूसरे से फोन पर बातें नहीं कर लेते थे तब तक वे बेचैन रहते थे.

जाह्नवी के घर वाले बेटी के प्यार वाली बात नहीं जानते थे. वे बस इतना ही जानते थे कि दोनों गहरे दोस्त हैं, इस के अलावा इन के बीच कोई और रिश्ता नहीं है.

जाह्नवी के पड़ोस में दीया पडनकर रहती थी. दीया अकसर जाह्नवी से मिलने और उसे नोट्स बनाने के लिए शाम के समय उस के घर आ जाया करती थी. यह इत्तफाक ही होता था कि जब दीया जाह्नवी से मिलने उस के घर आती, उसी समय श्री जोगधनकर भी जाह्नवी से मिलने वहां आ जाया करता था. फिर तीनों मिल घंटों बातें करते थे. इस बीच कनखियों से श्री जोगधनकर दीया को देखा करता था.

दूध जैसी रंगत वाली गोरीचिट्टी दीया थी तो बेहद खूबसूरत, उतनी ही प्यारी भी थी कि कोई भी उस की ओर सहज ही आकर्षित हो जाए. दीया पर वह फिदा हो गया था. दीया के मन के किसी कोने में श्री के लिए जगह बन गई थी. वह उसे चाहने लगी थी.

धीरेधीरे श्री जोगधनकर और दीया जाह्नवी से छिप कर मिलने लगे. दोनों ने अपने प्यार का इजहार एकदूसरे से कर भी दिया था. जान से प्यारी सहेली दीया उस के प्यार को उस से छीन लेगी, यह बात जाह्नवी ने सपने में भी नहीं सोची होगी. अब यहां मामला त्रिकोण प्रेम का बन गया था. श्री जोगधनकर को जाह्नवी टूट कर चाहती थी जबकि वह दीया को चाहने लगा था.

दीया जब से श्री जोगधनकर की जिंदगी में आई थी, वह जाह्नवी से कटाकटा रहने लगा था. यह बात जाह्नवी ने महसूस की थी, लेकिन वह यह नहीं समझ पा रही थी कि आखिर उस से ऐसा क्या हो गया जो उस का प्यार उस से कटाकटा सा रहने लगा था. मिलने पर उस में पहले जैसी फीलिंग नहीं आ रही थी. यह सोचसोच कर जाह्नवी परेशान रहती थी.

सहेली ने लगाई प्यार में सेंध

जल्द ही उसे यह पता चल गया कि श्री जोगधनकर और उस की बेस्ट सहेली दीया के बीच कुछ चल रहा है. वह हरगिज यह बरदाश्त करने के लिए तैयार नहीं थी कि कोई और उस का प्यार उस से छीने. पुलिस के अनुसार, जाह्नवी ने जोगधनकर को समझाया भी था कि वह दीया से नजदीकियां बढ़ाना छोड़ दे, नहीं तो इस का अंजाम बहुत बुरा होगा. यह बात जाह्नवी ने गुस्से में कही थी. उस समय जोगधनकर को उस की यह बात बहुत बुरी लगी थी. वह नहीं चाहता था कोई दीया को ले कर उसे कुछ कहे. उस समय उस ने कुछ नहीें कहा लेकिन यह बात उस ने दीया को फोन कर के बता दी कि जाह्नवी को उन के बारे में जानकारी हो गई है.

अगले भाग में पढ़ें- बातों में कैसे फंसा कर ले गए थे आरोपी

Crime Story: बहुचर्चित जाह्नवी कुकरेजा हत्याकांड- मौत की पार्टी भाग 1

सौजन्य: मनोहर कहानियाां

मुंबई के सांताकु्रज स्थित एक आलीशान फ्लैट के बड़े से कमरे में पार्टी चल रही थी. यह पार्टी बिजनैसमैन प्रकाश कुकरेजा के जन्मदिन के अवसर पर आयोजित थी. इस पार्टी में उन की पत्नी निधि कुकरेजा और एकलौती बेटी जाह्नवी कुकरेजा के अलावा परिवार के और भी लोग शामिल थे. उस दिन 31 दिसंबर, 2020 की तारीख थी और रात के साढ़े 11 बज रहे थे.

सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं. बड़े से कमरे में एक वर्गाकार मेज पर बड़ा सा केक रखा था. पापा के जन्मदिन पर उन की लाडली बेटी जाह्नवी बेहद खुश थी. बारबार जाह्नवी की नजर मुख्यद्वार की ओर दौड़ जाती थी. लग रहा था कि जैसे उसे किसी के आने का बेसब्री से इंतजार हो. तभी उस का चेहरा खिल उठा था. उसे जिस का इतंजार था, वह पार्टी में आ गए थे. वह कोई और नहीं बल्कि जाह्नवी के पड़ोस में रहने वाली उस की बेस्ट फ्रैंड दीया पडनकर और बौयफ्रैंड श्री जोगधनकर थे.

मुसकराते हुए श्री जोगधनकर और दीया पडनकर जाह्नवी के पापा प्रकाश कुकरेजा के करीब पहुंचे और उन्हें दोनों ने जन्मदिन की बधाइयां दीं तो उन्होंने दोनों को ‘धन्यवाद’ कहा. इस के बाद दीया पडनकर जाह्नवी की मां निधि के पास आई और मुसकराते हुए बोली, ‘‘आंटी, जाह्नवी को कुछ देर के लिए अपने साथ ले जा रही हूं, आधे घंटे में हम घर लौट आएंगे.’’

इस पर निधि ने कहा, ‘‘इस वक्त घर पर पार्टी चल रही है और फिर केक कटने जा रहा है. जाह्नवी अभी कहीं नहीं जा सकती.’’

‘‘मां प्लीज,’’ तुनक कर जाह्नवी मां से बोली, ‘‘थोड़ी देर की तो बात है. नए साल के मौके पर दोस्तों ने पार्टी दी है, एंजौय कर के लौट आऊंगी. फिर मैं वहां अकेली थोड़ी न जा रही हूं और भी लड़कियां पार्टी में जा रही हैं. प्लीज मां, जाने की परमिशन दे दो.’’

जाह्नवी मां के सामने दोस्तों के साथ पार्टी में जाने के लिए जिद करने लगी तो श्री जोगधनकर और दीया पडनकर भी जाह्नवी के समर्थन में उतर आए थे. हार कर निधि ने बेटी को जाने की अनुमति दे दी. मां की इजाजत मिलते ही जाह्नवी उछल पड़ी. हंसते मुसकराते तीनों घर की पार्टी बीच में छोड़ कर नए साल की पार्टी मनाने चल दिए थे.

घर से जाह्नवी कुकरेजा को निकले करीब 3 घंटे बीत गए थे. न तो वह घर लौटी थी और न ही फोन कर के घर वालों को बताया कि कब तक घर वापस लौटेगी. और तो और जाह्नवी का फोन भी बंद आ रहा था. बेटी को ले कर मां निधि और पिता प्रकाश कुकरेजा को चिंता सताने लगी थी.

निधि कुकरेजा की चिंता तब और बढ़ गई थी जब बेटी के साथसाथ श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के फोन भी स्विच्ड औफ आ रहे थे. ऐसा पहली बार हुआ था, जब निधि ने तीनों के पास फोन मिलाया था और तीनों में से किसी का फोन नहीं लगा था. सभी के फोन स्विच्ड औफ आ रहे थे.

किसी अनहोनी की आशंका से निधि और प्रकाश कुकरेजा की धड़कनें बढ़ गई थीं. बेटी के घर लौटने की आस में मांबाप ने पूरी रात आंखों में काट दी थी.

अस्पताल से मिली सूचना

अगली सुबह यानी पहली जनवरी, 2021 की सुबह 5 बजे के करीब निधि कुकरेजा के फोन की घंटी बजी तो उन्होंने झट से फोन उठा लिया. स्क्रीन पर उभर रहा नंबर अज्ञात था. निधि कुकरेजा ने काल रिसीव की तो दूसरी ओर से एक अंजान व्यक्ति की आवाज आई, ‘‘क्या मैं जाह्नवी के घर वालों से बात कर रहा हूं?’’

‘‘हां…हां… मैं जाह्नवी की मां निधि बोल रही हूं. आप कौन बोल रहे हैं?’’ निधि ने जवाब दिया.

‘‘मैं भाभा हौस्पिटल से बोल रहा हूं. आप की बेटी की हालत सीरियस है, आ कर मिल लें.’’

दूसरी ओर से अंजान व्यक्ति ने इतना कहा था कि मानो निधि कुकरेजा के हाथों से मोबाइल फोन छूट कर फर्श पर गिर जाता. निधि खुद घबरा कर सोफे पर जा बैठी. उन का दिल जोरजोर से धड़कने लगा था. खैर, कुछ देर में जब वह थोड़ी सामान्य हुई तो उन्होंने पति को आवाज दी. वह दूसरे कमरे में जा कर सो गए थे. पत्नी के साथ उन्होंने पूरी रात आंखों में काट दी थी.

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जम्हाई लेते दूसरे कमरे से प्रकाश कुकरेजा पत्नी के पास पहुंचे तो रोती हुई पत्नी उन के सीने से लिपट गई और जोरजोर से रोने लगी.

पत्नी को रोते देख प्रकाश की नींद गायब हो गई. उन्होंने रोने का कारण पूछा. इस पर निधि ने फोन वाली बात पति से बता दी. वह पत्नी की बात सुन कर अवाक रह गए और उसी समय दोनों जिस हालत में थे, वैसे ही हौस्पिटल के लिए निकल गए.

हौस्पिटल पहुंच कर दोनों ने देखा वहां परिसर में पुलिस के बड़ेबड़े अधिकारी खड़े थे. परिसर पुलिस छावनी में तब्दील था. इतनी बड़ी तादाद में पुलिस को देख कर पतिपत्नी के मन में बेटी को ले कर तरहतरह की आशंकाएं होने लगीं. आखिरकार उन्हें जिस बात का डर था, वही हो गया था.

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Crime Story: बहुचर्चित जाह्नवी कुकरेजा हत्याकांड- मौत की पार्टी भाग 3

सौजन्य: मनोहर कहानियाां

दीया उस की बात सुन कर सजग हो गई. फिर दोनों ने मिल कर योजना बनाई कि कुछ ऐसा किया जाए कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

31 दिसंबर, 2020 को जाह्नवी के पिता प्रकाश कुकरेजा का जन्मदिन था. वे धूमधाम से जन्मदिन की पार्टी मनाने में जुटे हुए थे. घर के अलावा उन के खास मेहमान उस पार्टी में आए हुए थे. पापा की बर्थडे पार्टी पर जाह्नवी सब से ज्यादा खुश थी. खुश हो भी क्यों न, प्रकाश कुकरेजा ने यह पार्टी बेटी के विदेश जाने से पहले आयोजित की थी.

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अभी केक कटने वाला ही था कि उसी बीच जाह्नवी का बौयफ्रैंड श्री जोगधनकर और उस की बेस्ट फ्रैंड दीया पडनकर वहां आ गई. दोनों कुछ देर पार्टी में रुके. फिर दोनों ने जाह्नवी से कहा कि नए साल की खुशी में भगवती हाइट्स में पार्टी रखी गई है, चलो मजे करेंगे वहां मिल कर. और भी फ्रैंड्स आ रहे हैं वहां. जाह्नवी घर की पार्टी बीच में छोड़ कर बाहर की पार्टी में जाने के लिए तैयार हो गई.

बातों में फंसा कर ले गए थे आरोपी

जाह्नवी जानती थी कि आज उसे घर से बाहर जाने की परमिशन नहीं मिलेगी तो उस ने श्री जोगधनकर और दीया को समझाया कि वे पार्टी में चलने के लिए मेरे मम्मीपापा से बात करें. दोनों ने वैसा ही किया, जैसा जाह्नवी ने कहा था. जाह्नवी की मां ने उसे पार्टी में जाने की इजाजत दे दी. तीनों खुश हुए और पार्टी एंजौय करने मस्तानी चाल में भगवती हाइट्स की ओर चल दिए.

भगवती हाइट्स के 15वें फ्लोर पर पार्टी चल रही थी. पार्टी इसी बिल्डिंग में दूसरे माले पर रहने वाले यश आहूजा ने आयोजित की थी. डीजे जोरजोर से बज रहा था. सभी नशे में चूर हो, मस्ती में झूम रहे थे, डांस कर रहे थे. जोगधनकर, दीया और जाह्नवी भी डांस करने लगे. डांस करतेकरते अचानक से जोगधनकर और दीया पार्टी से गायब हो गए थे.

जाह्नवी को अचानक होश आया तो वह दोनों को ढूंढने लगी. वहां न तो जोगधनकर था और न ही दीया. वह सोचने लगी कि अचानक दोनों कहां जा सकते हैं. तभी उस के दिमाग की घंटी बजी कि कहीं दोनों कोई गुल तो नहीं खिला रहे हैं. मन में यह खयाल आते ही जाह्नवी पागल हो गई और डांस छोड़ कर दोनों को खोजने में जुट गई.

वह सीढि़यों से कई मंजिल नीचे उतरी, लेकिन दोनों वहां नहीं थे. फिर वह उन्हें खोजते हुए ऊपर 16वें फ्लोर पर आई. वह छत पर खोजते हुए वहां बनी पानी के टंकी के पास पहुंची तो वहां का नजारा देख कर सन्न रह गई.

श्री जोगधनकर और दीया पडनकर दोनों एकदूसरे में खोए हुए थे. उन्हें इस अवस्था में देख कर जाह्नवी जोर से चीखी. उस की चीख सुन कर दोनों सकपका गए और अपनेअपने कपड़े दुरुस्त कर जाह्नवी के सामने हाथ जोड़ कर किसी से न बताने की विनती करने लगे.

जाह्नवी ने उन की एक न सुनी. तीनों के बीच खूब झगड़ा हुआ. एकदूसरे से हाथापाई भी हो गई. उस के बाद जाह्नवी रोती हुई सीढि़यों से नीचे उतरने लगी. उधर पार्टी में म्यूजिक जोर से बजने के कारण उन के झगड़े की आवाज किसी को सुनाई नहीं दी. दोनों की पोल जाह्नवी किसी के सामने खोल न दे, यह सोच कर दोनों उस के पीछेपीछे हो लिए.

सीसीटीवी में हो गए थे कैद

जाह्नवी, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर के सीढि़यों से नीचे उतरने की फुटेज सीसीटीवी में कैद हो गई थी. उस समय रात के साढ़े 12 बज रहे थे. अपनी करतूत छिपाने के लिए श्री जोगधनकर और दीया ने पांचवें फ्लोर से दूसरे फ्लोर तक जाह्नवी का सिर सीढि़यों की रेलिंग से लड़ा कर मौत के घाट उतार दिया. उस के बाद उसे दूसरे फ्लोर से उठा कर नीचे फेंक दिया. इस झगड़े में जाह्नवी अपने बचाव के लिए श्री और दीया से लड़ी थी, जिस में उन दोनों को भी चोटें आई थीं.

जाह्नवी को मौत के घाट उतारने के बाद दोनों पुलिस से बचने के लिए अस्पताल में जा कर भरती हो गए थे. लेकिन मुंबई पुलिस और फोरैंसिक जांच ने उन की कलई खोल दी थी. मारपीट के दौरान जाह्नवी के शरीर पर कुल 48 चोटें पाई गई थीं. फोरैंसिक जांच में जोगधनकर और दीया के कपड़ों पर जाह्नवी के खून के धब्बे भी पाए गए थे.

बहरहाल, श्री जोगधनकर और दीया पडनकर जाह्नवी की हत्या के जुर्म में सलाखों के पीछे कैद थे. पुलिस ने दोनों आरोपितों के खिलाफ 30 मार्च, 2021 को अदालत में 600 पेज का आरोप पत्र दाखिल कर दिया था.

इस बीच श्री जोगधनकर और दीया के वकीलों ने दोनों की जमानत के लिए बांद्रा अदालत में याचिका दायर की थी, लेकिन जाह्नवी के तेजतर्रार वकील त्रिमुखे ने उन की याचिका खारिज करा दी. कथा लिखे जाने तक दोनों आरोपी जेल में बंद थे.

—कथा जाह्नवी के वकील और पुलिस सूत्रों पर आधार

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