‘अच्छे दिन’ का सपना देखने वाले बेरोजगार नौजवानों ने भारतीय जनता पार्टी सरकार को इस उम्मीद के साथ चुना था कि पढ़ेलिखे नौजवानों को रोजगार मिलेगा, मगर करोड़ों नौजवान आज भी बेकारी की वजह से खाली बैठे हैं.

देश के अलगअलग राज्यों में शिक्षा विभाग के स्कूलकालेजों में संविदा पर बतौर अतिथि शिक्षक और शिक्षा मित्र काम कर रहे नौजवान रोजीरोटी के  लिए जद्दोजेहद कर रहे हैं, पर शायद सरकार की मंशा नहीं है कि पढ़ेलिखे लड़केलड़कियां नौकरियां करें.

वह तो चाहती है कि पढ़लिख कर नौजवान कांवड़ यात्रा निकालें, मंदिर बनाने के काम में अपनी ताकत ?ांक दें, पार्टी की रैलियों में ?ांडेबैनर लगाने का काम करें, गौरक्षा के नाम पर मौब लिंचिंग करें और हिंदूमुसलिम के नाम पर दंगेफसाद करें. बहुत हद तक धर्म  की हिमायती सरकार इस में कामयाब भी हुई है.

देश के जो पढ़ेलिखे नौजवान सरकारी नौकरी की तलाश में अपना समय बरबाद कर रहे हैं, उन को यह बात अच्छी तरह समझ लेनी चाहिए कि सरकार उन्हें कोई रोजगार देने वाली  नहीं है.

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चुनाव के समय ऐलान किया गया था कि हर साल 2 करोड़ लोगों को नौकरी दी जाएगी, पर चुनाव होते ही नौकरी देने का वादा करने वाली सरकार अब नौजवानों को आत्मनिर्भर होने का ?ान?ाना पकड़ा रही है.

नई शिक्षा नीति में व्यावसायिक पाठ्यक्रम लाने की वकालत तो सरकार कर रही है, पर जो व्यावसायिक संस्थान पहले से चल रहे हैं, उन में पढ़ाने के लिए शिक्षकों की भरती तक नहीं कर पाई है.

मध्य प्रदेश के कई स्कूलों में 9वीं से 12वीं तक वोकेशनल ऐजूकेशन दी जा रही है, मगर इन स्कूलों में वोकेशनल की ट्रेनिंग देने वाले शिक्षक ही नहीं हैं. ऐसे में सरकार केवल डिगरी बांट कर वाहवाही लूट रही है.

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