खुशी कपूर ने पर्पल बिकिनी में दिखाया ग्लैमरस अंदाज, बहन जाह्नवी कपूर को दी मात

बॉलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) की छोटी बहन खुशी कपूर (Khushi Kapoor) ने अपनी ग्लैमरस तस्वीरों से फैंस को दीवाना बना रही हैं. एक्ट्रेस ने हाल ही में सोशल मीडिया पर अपनी बिकिनी तस्वीरें शेयर की है.

इन तस्वीरों में एक्ट्रेस बेहद हॉट नजर आ रही हैं. इन तस्वीरों को फैंस खूब पसंद कर रहे हैं. खुशी कपूर की इन तस्वीरों ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है.

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जाह्नवी कपूर की बहन खुशी कपूर बेहद हॉट एंड ग्लैमरस नजर आ रही हैं. आप तस्वीर में देख सकते हैं कि एक्ट्रेस पर्पल बिकनी में अपना परफेक्ट फिगर फ्लॉन्ट करती दिखाई दे रही हैं.

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आपको बता दें कि अभी कुछ ही दिन पहले जाह्नवी कपूर ने भी सोशल मीडिया पर अपनी बिकिनी फोटोज शेयर की थी. इन दोने बहन की तस्वीरों को देखकर कहा जा सकता है कि खुशी कपूर अपनी बड़ी बहन जह्नावी  को टक्कर दे रही हैं.

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 देखें जाह्नवी कपूर की बोल्ड तस्वीरें

 

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‘पंड्या स्टोर’ के देव पंड्या करेंगे शादी, सामने आई हल्दी सेरेमनी की तस्वीर

स्टार प्लस का सीरियल पंड्या स्टोर’ फेम देव पंड्या यानी अक्षय खरोडिया (Akshay Kharodia) जल्द ही शादी के बंधन में बंधने जा रहे हैं. अक्षय खरोडिया 19 जून यानी आज गर्लफ्रेंड संग सात फेरे लेंगे.

दरअसल अक्षय खरोडिया ने कोरोना के दूसरी लहर के कारण अपनी शादी कैंसिल कर दी थी. लेकिन कोरोना का कहर कम होते ही एक्टर ने शादी करने का फैसला लिया.

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आपको बता दें कि अक्षय खरोडिया अपनी गर्लफ्रेंड दिव्या पुनेथा से शादी करने जा रहे हैं. अक्षय खरोडिया ने अपनी हल्दी की रस्मों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैंस के साथ शेयर की है. जी हां, इन तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि अक्षय खरोडिया खुशी से खिलखिलाते नजर आ रहे हैं.

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इन तस्वीरों में अक्षय खरोडिया घर की महिलाओं ने घिरे हुए है. बता दें कि अक्षय खरोडिया राजस्थान के कोटा के रहने वाले हैं. रिपोर्ट के अनुसार, अक्षय खरोडिया ने कहा है कि मेरी शादी का सही समय आ चुका है. अब कोरोना के हालात पहले से बेहतर है.

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खबरों के अनुसार अक्षय खरोडिया ने ये भी बताया कि  हमारी शादी में केवल 10 बाराती शामिल होंगे. 5 लोग मेरी तरफ से और 5 लोग मेरी गर्लफ्रेंड की तरफ से. मैंने अपनी शादी को काफी प्राइवेट रखा है.

 

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क्यों होती है ऐसी बेरहमी

लेखक-  डा. पुलकित शर्मा

हर किसी के मन में यह सोच घर कर चुकी है कि बच्चे अपने घरों में महफूज रहते हैं. चूंकि मांबाप उन के आदर्श होते हैं, इसलिए वे उन पर सब से ज्यादा यकीन करते हैं, पर यह भी कड़वी हकीकत है कि बहुत से मांबाप अपने बच्चों को निजी जायदाद समझ लेते हैं. वे मान लेते हैं कि बच्चा पैदा कर दिया है, तो वे किसी भी रूप में उस का इस्तेमाल कर सकते हैं.

हम कितनी ही खबरें सुनते हैं कि किसी मांबाप ने अपनी बेटी को किसी जानपहचान वाले या अजनबी को पैसों की खातिर बेच दिया. इतना ही नहीं, धर्म से जुड़े वाहियात अंधविश्वास के चलते बच्चों की बलि दे दी जाती है.

भारत के कुछ हिस्सों में तो जोगिनी या आदिवासी जैसी गलत प्रथाओं के नाम पर देवीदेवताओं को बच्चों को सौंप दिया जाता है. घर में बच्चों की पिटाई होना तो देश में जैसे एक आम बात हो गई है.

इस सिलसिले में मनोवैज्ञानिक डाक्टर पुलकित शर्मा ने बताया, ‘‘आजकल ऐसे केस बहुत आते हैं, जब मांबाप अपने बच्चों के बेवजह गुस्सा होने की बात कहते हैं. पर जब बच्चों से बात की जाती है, तो वे अकेले में अपने मांबाप पर भड़ास निकालते हैं.

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‘‘वे बताते हैं कि किस तरह घर पर उन के साथ बहुत ज्यादा गलत बरताव होता है. वे पूरी खुंदक निकालते हैं, गालियां देने तक से भी नहीं चूकते हैं.

‘‘जहां तक किसी मां के बेरहम होने की बात है, तो बहुत बार वह पिता से ज्यादा गुस्सैल हो सकती है. ठाणे वाले केस में हीना शेख को अपने बच्चे या पति से कोई मतलब नहीं है. उसे किसी  भी कीमत पर अपनी जिंदगी सुख से भरी देखनी है.

‘‘पति से पैसों की डिमांड बढ़वाने के लिए उस ने बच्चे को पीटने का वीडियो तक बना डाला. इस से पता चलता है कि उसे अपने सुख से मतलब है.

‘‘इतना ही नहीं, लोगों में सहने की ताकत भी कम होती जा रही है. पहले मांबाप अपने बच्चों को मारते थे, तो उन में दया का भाव भी बहुत ज्यादा होता था. लेकिन अब नई पीढ़ी में यह दया भाव कम होता जा रहा है.

‘‘मां भी इस से अछूती नहीं है. बच्चे ने जरा सा कुछ गलत किया नहीं कि हाथ उठा दिया जाता है. फिर यह धीरेधीरे आदत बन जाती है.

‘‘इस का नतीजा बहुत बार भयंकर होता है. बच्चे ढीठ हो जाते हैं. वे अपने मांबाप से नफरत करने लगते हैं. कभीकभार तो जुर्म के रास्ते पर चल  देते हैं.

‘‘ऐसे हालात से बचने के लिए खुद पर काबू रखना बहुत जरूरी है. बच्चे  की गलती पर उन्हें समझाएं या जरूरत पड़ने पर डांट दें, पर उन पर हाथ उठाने से बचें.’’

दिल्ली यूनिवर्सिटी में हिंदी की लैक्चरर डाक्टर जया शर्मा ने इस मुद्दे की परतें खोलते हुए बताया, ‘‘इस समस्या के कई सामाजिक और सांस्कृतिक पहलू हैं.

‘‘भौतिकवाद के बढ़ते पंजे ने लोगों को रुपएपैसे के लालच में इतना जकड़ लिया है कि पैसे के आगे सारे रिश्ते फीके लगने लगते हैं. फिर आप किसी के लिए इतना ज्यादा नफरत का भाव रखने लगते हैं कि मांबच्चे का रिश्ता भी तारतार होते देर नहीं लगती है.

‘‘कई बार घर में अपना दबदबा बनाने के लिए भी बच्चों के साथ मारपिटाई के किस्से होते रहते हैं. अगर औरत पढ़ीलिखी नहीं है तो उस में कमतर होने का भाव जाग जाता है. खूबसूरत न होना भी उस में कुंठा भर देती है.

‘‘अगर बच्चा पढ़ाई को ले कर ज्यादा जागरूक रहता है तो कई बार मां को वह बात भी सहन नहीं होती है. इस का नतीजा बच्चे की पिटाई होता है.

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‘‘जहां तक सौतेलेपन का बरताव है, तो इस समस्या को एक उदाहरण से समझते हैं. एक आईएएस अफसर की पहली पत्नी की बेटी को उन की वर्तमान पत्नी देखना तक पसंद नहीं करती है. वह लड़की अपनी नानी के घर रहती है. उस की नई मां अपने पति से भी उसे मिलने नहीं देती है.

‘‘नफरत का आलम यह है कि जब नई मां के बेटी हुई और उस का नामकरण था तो पति महोदय को यह सख्त हिदायत दे दी गई थी कि उस के नाम में इंगलिश का ‘एन’ अक्षर नहीं आना चाहिए, क्योंकि उस लड़की का नाम ‘एन’ से शुरू होता था.

‘‘यहां भी यह बात साबित होती है कि वह नई मां उस बच्ची को घर से इसलिए दूर रखना चाहती है, ताकि भविष्य में उस की पढ़ाईलिखाई, शादी के खर्चे वगैरह न उठाने पड़ें.’’

Manohar Kahaniya: पूर्व उपमुख्यमंत्री के घर हुआ खूनी तांडव, रास न आई दौलत- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

छत्तीसगढ़ के औद्योगिक कोरबा जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है गांव भैंसमा. यह गांव छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के गृहग्राम के रूप में जाना जाता है. कांग्रेस के महत्त्वपूर्ण आदिवासी क्षत्रप होने के कारण प्यारेलाल कंवर अविभाजित मध्य प्रदेश के दौरान सत्तर के दशक में पहली बार कांग्रेस सरकार में आदिम जाति कल्याण विभाग मंत्री बने. आगे राजस्व मंत्री के अलावा अस्सी के दशक में मध्य प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष और 90 के दशक में वह दिग्विजय सिंह मंत्रिमंडल में उपमुख्यमंत्री भी रहे.

21 अप्रैल, 2021 की सुबह की बात है. कोरबा के एसपी अभिषेक सिंह मीणा अभी सोए हुए ही थे कि उन का मोबाइल फोन बारबार बजने लगा. उन्होंने फोन रिसीव किया तो देखा कोई अज्ञात नंबर था. उधर से आवाज आई, ‘‘सर, मैं गांव भैंसमा से बोल रहा हूं. यहां प्यारेलाल कंवर जी के बेटे और उन के परिवार के सदस्यों का मर्डर कर दिया गया है.’’ और फोन कट गया.

एसपी अभिषेक सिंह मीणा को कोरबा जिले में पदस्थ हुए लगभग 2 साल हो चुके थे, इसलिए वह कोरबा के राजनीतिक और सामाजिक वातावरण को भलीभांति जानतेसमझते थे.

वह जानते थे कि स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर अविभाजित मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा नाम हुआ करते थे. उन के परिवार में हत्या की बात सुन उन्होंने मामले की गंभीरता को समझ कर अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों को फोन किया. सारी जानकारी ले कर तत्काल घटनास्थल पर पहुंचने की हिदायत देते हुए कहा कि वह स्वयं भी 15 मिनट में घटनास्थल पर पहुंच रहे हैं.

देखते ही देखते कोरबा जिले से निकल कर संपूर्ण छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश  में यह खबर आग की तरह फैल गई कि प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेता प्यारेलाल कंवर के बेटे हरीश कंवर (36), उन की पत्नी सुमित्रा कंवर (32) और बेटी आशी (4 वर्ष) की अज्ञात लोगों ने नृशंस हत्या कर दी है.

पुलिस विभाग के अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे. इसी समय लोगों का हुजूम घटनास्थल के मकान के बाहर लगा हुआ था और लोग बड़े ही चिंतित घटना के संदर्भ में कयास लगा रहे थे.

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सूचना मिलते ही सुबह करीब 6 बजे राजनीति में प्यारेलाल कंवर के शिष्य रहे जय सिंह अग्रवाल,जो वर्तमान में कांग्रेस की भूपेश बघेल सरकार में राजस्व एवं आपदा कैबिनेट मंत्री हैं, घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने परिजनों से बातचीत कर के मामले की गंभीरता को समझने के बाद पुलिस अधिकारियों से बातचीत की.

एसपी अभिषेक सिंह मीणा घटनास्थल पर आ चुके थे. उन्होंने तत्काल डौग स्क्वायड टीम बुलवाई और पुलिस टीम को निर्देश दिया  कि जितनी जल्दी हो सके इस संवेदनशील हत्याकांड के दोषियों को पकड़ कर कानून के हवाले करना होगा. एडिशनल एसपी कीर्तन राठौड़ की अगुवाई में एक पुलिस टीम बनाई  गई, जो मामले की जांच में जुट गई.

मौके पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया गया. पुलिस ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. हत्यारों ने हरीश कंवर, उन की पत्नी सुमित्रा और बेटी आशी की हत्या किसी धारदार हथियार से की थी, इसलिए घर में खून ही खून बिखरा था.

पुलिस अधिकारियों ने हरीश कंवर के भाइयों व परिवार के अन्य सदस्यों से बात की. परिवार के सभी लोग राजनीति में ऊंची पहुंच रखते थे और समाज में उन की प्रतिष्ठा थी, इसलिए पुलिस अधिकारियों को इस बात का भी अंदेशा था कि कहीं इस घटना को ले कर लोगों का आक्रोश न फूट जाए. इसलिए पुलिस अधिकारी बड़ी ही तत्परता से इस तिहरे हत्याकांड की जांच में जुट गए.

पुलिस ने मौके की काररवाई करनी शुरू की. एसपी अभिषेक सिंह मीणा के निर्देश पर कई पुलिस टीमें अलगअलग ऐंगल से इस मामले की जांच में जुट गईं. जांच के दौरान खोजी कुत्ता घटनास्थल से करीब 100 मीटर दूर भैंसमा बाजार स्थल पर मौजूद एक पेड़ के पास जा कर ठहरा और वहां से चीतापाली की ओर जाने वाले मार्ग की ओर आगे बढ़ा.

सीसीटीवी से मिला सुराग

इस संकेत का पुलिस ने पीछा किया और कुत्ते का पीछा करते हुए पुलिस गांव ढोंगदरहा होते हुए सलिहाभाठा-नोनबिर्रा मार्ग तक पहुंची. आगे सलिहाभाठा डैम के पास जले हुए कपड़ों के अवशेष के पास जा कर कुत्ता रुक गया. पुलिस ने वह अवशेष जब्त कर लिए.

पुलिस की एक टीम घटनास्थल के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों को तलाशने लगी. पड़ोसी के घर के बाहर लगे सीसीटीवी की फुटेज देखी तो उस में 2 संदिग्ध लोग हरीश कंवर के घर में घुसते दिखाई दिए.

पुलिस की दूसरी टीम को जांच में यह भी पता चला कि आज ही किसी ने डायल 112 नंबर पर फोन कर के इस मार्ग पर सड़क दुर्घटना की सूचना दी थी. मौके पर पहुंची एंबुलेंस ने परमेश्वर कंवर नामक युवक को करतला अस्पताल में भरती कराया है.

यह जानकारी मिलने पर पुलिस ने आसपास के लोगों से पूछताछ की तो पुलिस को वहां कोई सड़क हादसा न होने की जानकारी मिली.

इस के बाद पुलिस अस्पताल में भरती परमेश्वर कंवर के पास पहुंची. पमेश्वर कंवर मृतक हरीश कंवर के बड़े भाई हरभजन कंवर का साला था, जो ग्रैजुएशन की पढ़ाई कर रहा था. जांच में पुलिस को उस की आंख और चेहरे के आसपास जख्म दिखे, जो दुर्घटना के नहीं लग रहे थे. लग रहा था जैसे वह किसी धारदार हथियार के हों.

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पुलिस ने उस से पूछताछ की तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका. इस से पुलिस को उस पर शक हो गया. उस से तिहरे हत्याकांड के बारे में पूछताछ की तो वह पुलिस को इधरउधर की बातें कर के खुद को बचाने की कोशिश करता रहा, मगर जब कड़ी पूछताछ हुई तो उस ने सच स्वीकार कर लिया. उस ने बताया कि अपने दोस्त सुरेंद्र कंवर की सलाह पर रामप्रसाद के साथ मिल कर उस ने यह वारदात की. उस से पूछताछ में पता चला कि यह कांड किसी और ने नहीं बल्कि हरीश कंवर के बड़े भाई हरभजन कंवर और उस की पत्नी धनकंवर ने कराया है.

पुलिस जांच में यह स्पष्ट हो गया कि हत्या हरीश के बड़े भाई हरभजन के सहयोग से  उस के साले मुख्य अभियुक्त परमेश्वर कंवर द्वारा अंजाम दी गई है. धीरेधीरे सारे तथ्य एकदूसरे से मिलते चले गए और उसी रोज शाम होतेहोते हरीश कंवर परिवार हत्याकांड से परदा उठ गया.

परमेश्वर कंवर से पूछताछ करने के बाद पुलिस टीम ने उसी समय मृतक के भाई हरभजन कंवर, उस की पत्नी धनकंवर व नाबालिग बेटी रंजना को भी हिरासत में ले लिया. इन सभी से पूछताछ के बाद इस तिहरे हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

स्वर्गीय प्यारेलाल कंवर के 4 बेटे और 3 बेटियां थीं. सब से बड़े बेटे हरबंश कंवर, दूसरे हरदयाल कंवर, तीसरे हरभजन कंवर और चौथे सब से छोटे थे हरीश कंवर. एक बेटी हरेश कंवर वर्तमान में जिला पंचायत, कोरबा की अध्यक्ष हैं. बाकी 2 बड़ी बेटियां शासकीय नौकरी में हैं.

प्यारेलाल कंवर के दूसरे नंबर के पुत्र हरदयाल कंवर जो अधिवक्ता थे, का लगभग 5 साल पहले निधन हो चुका है. वर्तमान में हरवंश, हरभजन और हरीश कंवर प्यारेलाल के 3 बेटे जीवित थे. हरीश कंवर प्यारेलाल कंवर के रहते उन की विरासत को संभालते हुए कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय हुए और सन 2010 में जिला पंचायत का चुनाव लड़ा मगर पराजित हो गए.

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उन्होंने प्यारेलाल कंवर के संरक्षण में राजनीति की शुरुआत की. आगे पूर्व मुख्यमंत्री अजीत कुमार जोगी के साथ अपनी तालमेल बिठा ली. अजीत जोगी का हरीश को पुत्रवत स्नेह मिलता था और हरीश ने अपने रामपुर विधानसभा क्षेत्र में अजीत जोगी और उन के बेटे अमित जोगी को बुला कर कुछ राजनीतिक कार्यक्रम किए थे. उन्होंने एक बहुचर्चित लैंको पावर प्लांट के खिलाफ आंदोलन कर स्थानीय भूविस्थापितों के लिए बिगुल फूंका था.

आगे स्थितियां ऐसी बनती चली गईं कि कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर पहुंच गई थी. ऐसे में जहां अजीत जोगी ने अपना एक अलग खेमा पूरे प्रदेश में तैयार कर लिया था, वहीं उन के 36 के संबंध स्थानीय बड़े नेताओं के साथ बने हुए थे. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डा. चरणदास महंत, भूपेश बघेल, जयसिंह अग्रवाल वगैरह अपने एक अलग खेमे में थे.

अगले भाग में पढ़ेंधनकंवर भाई के साथ रची साजिश

Manohar Kahaniya: जब थाना प्रभारी को मिला प्यार में धोखा- भाग 3

सौजन्य- मनोहर कहानियां

घटना से एकदो दिन पहले ही अस्पताल से डिस्चार्ज हुए थे. रूपा तिर्की से मुलाकात की बातें सरासर गलत हैं. पुलिस चाहे तो काल डिटेल निकलवा कर जांच करा सकती है.

भारी राजनैतिक दबाव पड़ने पर पुलिस ने मामले की तेज गति से जांच शुरू कर दी. एसपी ने इस के लिए डीएसपी (मुख्यालय) संजय कुमार के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया. एसआईटी में बरहड़वा एसडीपीओ पी.के. मिश्रा, इंसपेक्टर (राजमहल ) राजेश कुमार और 2 महिला पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया. जांच अधिकारी जिरवाबाड़ी थाने की एसआई स्नेहलता सुरीन को बनाया गया.

मौके के हालात देख कर पुलिस इसे आत्महत्या मान रही थी, लेकिन रूपा के परिवार वाले इसे हत्या बता रहे थे. सोशल मीडिया पर भी मामला बढ़ रहा था. 2 महिला सबइंसपेक्टरों और एक नेता पर लगे आरोपों को देखते हुए सभी बिंदुओं पर जांच करना जरूरी थी.

फोरैंसिक टीम ने 5 मई, 2021 को साहिबगंज पहुंच कर रूपा के क्वार्टर की जांचपड़ताल की और साक्ष्य जुटाए. मौके पर मिली पानी से भरी बोतल व गिलास से अंगुलियों के निशान लिए. कई दूसरी जगहों से भी फिंगरप्रिंट लिए.

पुलिस जांचपड़ताल में जुटी थी, इसी बीच एक औडियो वायरल हो गया. चर्चा रही कि इस औडियो में रूपा तिर्की के पिता और एक युवक की बातचीत थी. यह कोई और नहीं रूपा का बैचमेट एसआई शिवकुमार कनौजिया बताया गया.

यह औडियो सामने आने से पता चला कि रूपा का शिवकुमार से अफेयर चल रहा था. औडियो में रूपा के पिता उस युवक से रूपा की शादी के संबंध में बात कर रहे थे. युवक बाचतीत में रूपा को समझाने की बात कह रहा था ताकि वह कोई गलत कदम न उठा ले. औडियो सामने आने के बाद यह मामला ज्यादा उलझ गया.

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एक पुलिस एसआई की संदिग्ध मौत का मामला होने के कारण झारखंड पुलिस एसोसिएशन ने भी इस की जांच शुरू कर दी. रांची से एसोसिएशन के प्रांतीय उपाध्यक्ष अरविंद्र प्रसाद यादव, संताल परगना प्रक्षेत्र मंत्री हरेंद्र कुमार, रविंद्र कुमार, पप्पू सिंह, जिला उपाध्यक्ष सुखदेव महतो, सचिव सहमंत्री शमशाद अहमद आदि ने साहिबगंज पहुंच कर मामले की जांच की. इन पदाधिकारियों ने प्रताड़ना के आरोपों से घिरी रूपा की बैचमेट एसआई मनीषा कुमारी और ज्योत्सना से भी कई घंटे तक पूछताछ की.

सामने आया बौयफ्रैंड का नाम

पुलिस ने मामले की तह में जाने के लिए रूपा के मोबाइल फोन की जांच कर काल डिटेल्स निकलवाई और उस के वाट्सऐप मैसेज, चैटिंग, एसएमएस और वीडियो वगैरह देखे. इस में पता चला कि उस ने आखिरी बातचीत अपने बौयफ्रैंड शिवकुमार कनौजिया से की थी. रूपा ने शिवकुमार को कई मैसेज भी भेजे थे. शिवकुमार झारखंड के चाइबासा जिले में टोकलो पुलिस थाने में तैनात था.

शिवकुमार से पूछताछ करनी जरूरी थी. इसलिए एसआईटी ने उसे साहिबगंज बुलाया. इस बीच, रूपा के परिवार वालों की मांग पर जांच अधिकारी स्नेहलता सुरीन को बदल कर राजमहल इंसपेक्टर राजेश कुमार को इस मामले की जांच सौंप दी गई.

आदिवासी समाज की प्रतिभाशाली महिला पुलिस एसआई रूपा तिर्की की संदिग्ध मौत की उच्चस्तरीय जांच की मांग को ले कर पूरे झारखंड में लोग आंदोलन करने लगे. छात्र संगठन, महिला संगठन और आदिवासी संगठनों के अलावा सत्ताधारी दल कांग्रेस सहित विपक्षी दल भाजपा, जनता दल (यू) आजसू आदि ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग सरकार से की.

सत्ताधारी विधायकों ने कहा कि इस घटना से आदिवासी समुदाय में आक्रोश है. सोशल मीडिया पर रूपा को इंसाफ दिलाने के लिए अभियान चल रहे हैं. इस से सरकार की छवि धूमिल हो रही है. लोग हम से सवाल पूछ रहे हैं कि इस की जांच होगी या नहीं. ऐसी हालत में सरकार को सीबीआई जांच से पीछे नहीं हटना चाहिए.

झारखंड प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश ने रांची के पास रातू गांव में रूपा के घर पहुंच कर पूरे मामले की जानकारी ली. बाद में उन्होंने कहा कि यह हाईप्रोफाइल मामला है. इस में मुख्यमंत्री के संरक्षण प्राप्त लोगों का हाथ है. इसलिए झारखंड पुलिस से न्याय की उम्मीद नहीं है.

रूपा होनहार लड़की थी, उसे धोखे में रख कर मार डाला गया. झारखंड में आगे किसी आदिवासी बेटी के साथ ऐसी घटना नहीं हो, इसलिए इस घटना से परदा उठना जरूरी है.

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आंदोलन बढ़ते जा रहे थे. रूपा को न्याय दिलाने के लिए महिलाएं प्रदर्शन कर रही थीं. कैंडल मार्च निकाल रही थीं. वहीं, पुलिस की जांच में नईनई बातें सामने आने से मामला उलझता जा रहा था. साहिबगंज पुलिस और झारखंड सरकार की बदनामी हो रही थी.

रूपा के बौयफ्रैंड शिवकुमार कनौजिया को 8 मई को साहिबगंज थाने बुला कर एसआईटी में शामिल अफसरों ने पूछताछ की. उस से रूपा से मुलाकात होने से ले कर अफेयर और शादी की बातों के बारे में सवाल पूछे. उस से रूपा से मुलाकातों और मोबाइल पर चैटिंग वगैरह के संबंध में भी पूछताछ की गई. करीब 8 घंटे तक पुलिस अधिकारी उस से लगातार पूछताछ करते रहे.

बौयफ्रैंड एसआई को भेजा जेल

शिवकुमार से पूछताछ के बाद एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट एसपी को सौंप दी. इस रिपोर्ट के आधार पर साहिबगंज पुलिस ने 9 मई को एसआई शिवकुमार कनौजिया को रूपा की खुदकुशी का जिम्मेदार मानते हुए गिरफ्तार कर लिया.

जांच में सामने आए तथ्यों के आधार पर पुलिस ने पहले दर्ज किए केस को आत्महत्या के लिए उकसाने में परिवर्तित कर शिवकुमार कनौजिया के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. बाद में शिवकुमार को पुलिस ने उसी दिन अदालत के समक्ष पेश कर जेल भेज दिया.

एसपी अनुरंजन किस्पोट्टा का कहना था कि एसआईटी ने जो जांच रिपोर्ट सौंपी, उस में कहा गया कि शिवकुमार ने रूपा की भावनाओं को आहत किया. इस कारण रूपा ने खुदकुशी की. जांच में पुलिस को एक औडियो भी मिला था. इस औडियो में रूपा तिर्की और उस के प्रेमी एसआई शिवकुमार कनौजिया के बीच बातचीत थी.

ये लम्हा कहां था मेरा- भाग 1

‘‘हमारी बात मान लो न निकिता… मिल तो लो आज अभिनव से. मैनेजर है मल्टीनैशनल कंपनी में और फोटो में भी अच्छा दिख रहा है. तुम्हें पसंद आए तभी हां करना… उस के घर से फोन आया है. पापा पूछ रहे हैं क्या कहना है उन्हें?’’ मीनाक्षी अपनी बेटी से मनुहार करते हुए बोलीं.

‘‘मम्मी, शादी करने के लिए नहीं करता मेरा मन… सोचा भी नहीं जाता मुझ से शादी के बारे में… आप तो जानती हैं सब,’’ निकिता का स्वर निराशा में डूबा था.

‘‘कब तक तुम्हारी दुनिया को अंधेरे में रखेगा वह हादसा? पापा अपनेआप को कुसूरवार समझ दिनरात गमगीन रहते हैं… निकाल दो बेटा अपने दिमाग से वे सब बातें.’’

‘‘मेरी तो कुछ समझ नहीं आता कि क्या करूं मम्मी? आप जो ठीक समझें कर लें,’’ कह कर निकिता गुमसुम सी फिर लैपटौप में खो गई.

‘‘तुम कितनी समझदार हो… ठीक है बेटा, फिर बुला लेते हैं आज उन लोगों को,’’ निकिता के सिर पर प्यार से हाथ फेर मीनाक्षी उस के कमरे से निकल गईं.

अपना काम निबटा निकिता न चाहते हुए भी आज शाम पहनने के लिए कपड़ों का चुनाव करने चल दी. शादी के लिए किसी रिश्ते की बात शुरू होते ही वह अनमनी सी हो जाती थी.

मेहमानों के लिए हो रही तैयारी से घर में रौनक दिख रही थी. उसी रौनक की छाया सुदीप पर भी पड़ रही थी वरना 2 सालों से बेटी निकिता का दर्द उन्हें चैन से सोने नहीं दे रहा था.

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शाम को आ गए वे लोग. औसत कदकाठी और आकर्षक व्यक्तित्व के स्वामी अभिनव की सादगी मीनाक्षी और सुदीप के मन में अंदर तक उतर गई. अभिनव और निकिता के बीच औपचारिक बातचीत हुई. एक नामी पब्लिशिंग हाउस में कंटैट राइटर की पोस्ट पर कार्य कर रही निकिता का गोरा रंग और खूबसूरत नैननक्श देख अभिनव के मम्मीपापा रिश्ता जोड़ने को बेताब हो रहे थे. डिनर के बाद जाते समय दोनों के मातापिता ने जल्द ही बच्चों से पूछ कर रिश्ता पक्का करने की बात कह खुशीखुशी एकदूसरे से बिदा ली.

उन के चले जाने के बाद मीनाक्षी और सुदीप अभिनव के विषय में निकिता की राय जानने को आतुर थे. निकिता सोच कर जवाब देने की बात कह अपने कमरे में चली गई. बिस्तर पर लेटते ही नींद की जगह विचारों का कारवां उसे घेरने लगा कि क्या करूं अब मना करती हूं शादी के लिए तो मम्मीपापा की परेशानी कम न कर पाने की गुनहगार बन जाती हूं. हां भी कैसे करूं? सोच कर ही सिहर उठती हूं कि अपना तन किसी को सौंप रही हूं.

मम्मीपापा का कहना है कि अभिनव समझदार लग रहा है. मैं खुश रह सकूंगी उस के साथ. पर क्या होगा अगर हर रात मुझे उस में राजन अंकल… नहीं… दरिंदा राजन दिखाई देने लगेगा… निकिता के दिमाग को एक बार फिर झकझोर गया वह दिन…

दिल्ली के नामी कालेज से एमए करने के बाद जब निकिता की प्लेसमैंट पुणे हुई तो मम्मी उस के दूर जाने की बात से चिंतित हो उठी थीं. तब पापा ने याद दिलाया कि उन के एक कुलीग राजन, जो पिछले साल नौकरी छोड़ गए थे, वहीं रह रहे हैं तो मीनाक्षी की सांस में सांस आ गई.

पुणे में निकिता के रहने की व्यवस्था एक पीजी में करवाने के बाद सुदीप निकिता को साथ ले राजन के घर पहुंच गए. राजन का इकलौता बेटा यूके में रह रहा था. राजन की पत्नी भी उन दिनों वहीं गई हुई थी. राजन ने कहा कि निकिता इसे अपना घर समझ कभी भी यहां आ सकती है. पूरा आश्वासन भी दिया था कि उस के रहते निकिता को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं उठानी पड़ेगी.

निकिता और राजन की फोन पर कभीकभी बात हो जाती थी, लेकिन निकिता की व्यस्तता के कारण दोबारा मिलना नहीं हुआ था उन का. एक दिन निकिता के पास राजन का फोन आया कि पत्नी की तबीयत अचानक खराब हो जाने के कारण उसे यूके जाना पड़ रहा है, अत: जाने से पहले एक बार वह निकिता से मिलना चाहता है. निकिता शाम को राजन के घर चली गई.

राजन का व्यवहार उस दिन निकिता को बदलाबदला सा लग रहा था. उस के नमस्ते करने पर राजन ने उस के हाथों को अपने दोनों हाथों में ले कर चूम लिया. निकिता को यह बहुत अखर रहा था. कुछ देर बातचीत करने के बाद निकिता जाने लगी तो राजन ने कौफी पी कर जाने का आग्रह किया. फिर उसे कमरे में बैठने को कह कौफी बनाने चल दिया. कामवाली के बारे में निकिता के पूछने पर बोला कि वह आज जल्दी छुट्टी ले कर चली गई है.

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कुछ देर बाद कौफी ला कर टेबल पर रख राजन निकिता के सामने बैठ गया. निकिता को चुपचाप कौफी पीते देख हंसता हुआ बोला, ‘‘अरे, कुछ तो बात करो… अच्छा बताओ, मैं कैसा लगता हूं तुम्हें?’’

निकिता को कौफी का घूंट हलक से उतारना मुश्किल हो गया.

‘‘आप अच्छे लगते हैं, अंकल,’’ कह कर वह जल्दीजल्दी कौफी पीने लगी ताकि वहां से निकल पाए. मगर तभी बैठेबैठे उसे चक्कर सा आने लगा. ‘कहीं कौफी में कुछ नशीला तो नहीं?’ सोच कर आधा भरा हुआ मग टेबल पर रख वह उठने लगी तो राजन उस के पास आ कर खड़ा हो गया.

‘‘पता नहीं तुम क्यों मुझे अंकल कह कर बुला रही हो? लोग तो कहते हैं मैं अभी भी किसी बौलीवुड हीरो से कम नहीं लगता.’’

‘‘जी… अच्छा है अगर लोग ऐसा कहते हैं, आप ने फिट रखा हुआ है अपने को,’’ घबराई हुई सी निकिता खुद को सामान्य दिखाने की कोशिश कर रही थी.

‘‘तो फिर जी नहीं चाहता मेरे पास आने का?’’ कहते हुए राजन निकिता से सट कर बैठ गया.

निकिता भीतर तक कांप उठी. इस से पहले कि हिम्मत जुटा वह उठ भागती राजन उसे अपनी गिरफ्त में ले चुका था. निकिता ने खुद को छुड़ाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन कौफी में मिलाए गए नशीले पदार्थ के असर से वह लड़खड़ा रही थी.

‘‘पता है मुझे, तुम भी यही चाहती हो… पर झिझकती हो कहने में. तभी तो एक बार बुलाते ही दौड़ी चली आई मिलने.’’

‘‘नहीं अंकल…’’ चीख उठी थी निकिता.

‘‘औरत की न का मतलब हां होता है,’’ कहते हुए अपना वहशियाना रूप दिखा दिया राजन ने.

अपनी हवस मिटा कर राजन सोफे पर ही औधे मुंह गिर गया. निकिता अपने कपड़े व्यवस्थित कर गिरतीपड़ती पीजी लौटी तो कुछ सोचनेसमझने की स्थिति में नहीं थी. उस की सहेली अदीबा ने मीनाक्षी को फोन किया. अगले दिन सुदीप और मीनाक्षी वहां पहुंच गए. निकिता से सब सुन कर वे अवाक रह गए. क्रोध से तमतमाया सुदीप राजन के घर पहुंचा, पर वह तो यूके निकल चुका था. पुलिस में शिकायत करने से भी तब कोई लाभ नहीं था. निकिता को साथ ले दोनों टूटेबिखरे से वापस आ गए.

सुदीप और मीनाक्षी निकिता का सहारा बन उसे दिनरात समझाते रहते. लगभग 2 महीने बाद वह इस हादसे से कुछ दूर हुई तो नई नौकरी की तलाश में जुट गई.

अदीबा के भाई की दिल्ली में अच्छी जानपहचान थी. उस की मदद से

कई जगह उसे रिक्त पदों के विषय में जानकारी मिली. अंतत: एक पब्लिशिंग हाउस में बतौर कंटैंट राइटर चुन लिया गया. फिर वहां काम संभालते हुए वह खुद को व्यस्त रखने लगी.

कुछ माह बाद सुदीप और मीनाक्षी ने विवाह की बात छेड़ी तो निकिता ने साफ मना कर दिया. उस का व्यथित मन किसी को भी अपना मानने को तैयार नहीं था, पर मम्मीपापा चाहते थे कि वह सब भूल कर नई जिंदगी शुरू करे.

आज भी तो नहीं मिलना चाह रही थी निकिता अभिनव से, लेकिन पापा की निराशा भी नहीं देखी जाती थी उस से. अभिनव से मिल कर उसे बुरा भी नहीं लगता था, परंतु पतिपत्नी संबंध के विषय में सोचते ही लगने लगता था कि अपनी देह कहां छिपा लूं कि किसी पुरुष की नजर ही न पड़े उस पर. अतीत के काले दलदल में फंसी निकिता रातभर बिस्तर पर करवटें बदलती रही.

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सुबह औफिस जाने लगी तो मीनाक्षी उस के जवाब के इंतजार में थीं. ‘‘अभी देर हो रही है, बाद में बात करते हैं,’’ कहते हुए वह भारी मन से औफिस चली गई.

औफिस में उस के पास अलगअलग विषयों पर लिखने के लिए कई मेल आए हुए थे, लेकिन काम में मन ही नहीं लग रहा था उस का. किसी तरह मन बना कर एक टौपिक पर सोच लिखना शुरू ही किया था कि मोबाइल बज उठा.

फोन मीनाक्षी का था. उन की आवाज में मनुहार की जगह आज बेबसी झलक रही थी, ‘‘बेटा, तुम्हारे मन में क्या चल रहा है, मैं समझ सकती हूं पर ऐसे कैसे अकेली रहोगी जिंदगीभर? इसी सोच में पापा दिनरात घुलते रहते हैं… कैसे समझाऊं तुम्हें कि मेरी तबीयत भी अब…’’ और बात पूरी होने से पहले ही मीनाक्षी के सिसकने की आवाजें आने लगीं.

हक्कीबक्की सी निकिता बिना कुछ सोचे बोल उठी, ‘‘मम्मी मैं आप को अभी फोन करने ही वाली थी… मुझे अभिनव पसंद है,’’ और फिर फोन काट धम्म से कुरसी पर बैठ गई. ‘शायद मुझे यही करना चाहिए था… इस के अलावा और कोईर् ऐसा रास्ता भी तो नहीं है जो मम्मीपापा को खुशियां दे पाए.’

भोजपुरी गीत ‘बाबुल की शिक्षा-कन्या के वचन’ हुआ वायरल, देखें Video

सामाजिक व पारिवारिक भोजपुरी गीतों को नए सिरे से लेकर आने वाली भोजपुरी संगीत कंपनी ‘‘विजय लक्ष्मी म्यूजिक’’ ने आज एक और पारंपरिक भोजपुरी विवाह गीत ‘बाबुल की शिक्षा – कन्या के वचन‘ रिलीज किया, जो कि रिलीज होते ही वायरल हो गया.

यह विवाह गीत बेहद खूबसूरत है और एक संदेश देने वाला गीत है. इसमें शादी के वक्त माता पिता की तरफ से उनकी अपनी बेटी को जो संदेश दिया जाता है और उस वक्त बेटी जो वचन देती है, उसी को इस गीत में बखूबी चित्रित गया है.यह गीत हर इंसान के दिल को छू रहा है.तभी तो इसे काफी पसंद
किया जा रहा है.

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विवाह गीत ‘बाबुल की शिक्षा – कन्या के वचन’ से पहले भी विजय लक्ष्मी म्यूजिक ने एक से बढ़ कर एक हिट गाने दिए हैं.अब वह फिर से एक बार नए गाने के साथ हाजिर हैं. इस खूबसूरत गाने को अपनी आवाज में स्वरबद्ध करने वाली गायिका काजल श्री कहती हैं- ‘‘यह गाना मेरे दिल के करीब है. इस गाने में हमारे देश के वैवाहिक संस्कार और शिष्टाचार निहित हैं. मुझे पूरा भरोसा है कि लोग इस गाने को भरपूर प्यार
और आशीर्वाद देंगे, क्योंकि यह गाना कहीं न कहीं हर इंसान के दिल को छू लेने वाला व सभी कोको जोड़ने वाला है.

इस गाने की संगीत की धुन भी बेहद शानदार है.’’ काजल श्री इससे पहले कई विवाह गीत के अलावा ‘‘‘कईसे मिले आइहो’,‘हमहू हली आई..’चुप रहू चुप रहू’जैसे कई गीत गाकर भोजपुरी श्रोताओं व दर्शकों के बीच अपनी एक अलग पहचान बना चुकी हैं.

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विवाह गीत ‘बाबुल की शिक्षा – कन्या के वचन‘ विजय लक्ष्मी भोजपुरी ट्यून के यूट्यूब चैनल से रिलीज हुआ है.इस गीत के गीतकार रवि चोपड़ा,संगीतकार प्रियांशु सिंह, वीडियो निर्देशक रंजीत कुमार
सिंह और एडिटर प्रशांत कुमार सिंह हैं.

Imlie को जोरदार थप्पड़ मारेगी आदित्य की मां, क्या टूट जाएगा विश्वास?

टीआरपी चार्ट में इस हफ्ते चौथे नम्बर पर जगह बनाने वाला सीरियल ‘इमली’ ( Imlie) में इन दिनों लगातार महाट्विस्ट देखने को मिल रहा है. शो के मेकर्स कहानी में जल्द ही नया मोड़ लाने वाले हैं. शो के बिते एपिसोड में आपने देखा कि इमली ने आदित्य से प्यार का इजहार कर दिया है. और ये बात पूरे घरवाले को पता चल गई है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. आइए बताते हैं शो के आगे की कहानी.

शो के पिछले एपिसोड में दिखाया गया था कि आदित्य इमली से केवल इंग्लिश में बात करने के लिए कहता है. ऐसे में इमली ने इंग्लिश सीख लिखा है. और उसने इंग्लिश में ही आदित्य से अपने दिल की बात भी कह दी.

 

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इमली जैसे ही आदित्य को आई लव यू कहेगी, अपर्णा समेत पूरे परिवार को पता चल जाएगा. वह गुस्से से तिलमिला उठेगी इमली को जोरदार तमाचा मारेगी. अपर्णा के अलावा राधा भी इमली पर हाथ उठाएगी. अब शो के अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि आदित्य अपने परिवार को कैसे मनाता है.

 

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इमली के अपकमिंग एपिसोड में आप ये भी देखेंगे कि इमली निशांत और पल्लवी को एक कमरे में बंद कर देगी. उन दोनों को आपस में बात करने का मौका मिल जाएगा.

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खबरों के अनुसार शो के अपकमिंग एपिसोड्स में पल्लवी त्रिपाठी परिवार के बीच अपनी पकड़ बना लेगी और हर किसी की जुबान पर अब पल्लवी का ही नाम होगा. अब अपकमिंग एपिसोड में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या त्रिपाठी परिवार से इमली का पत्ता साफ हो जाएगा.

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