इधर-उधर- भाग 3: अंबर को छोड़ आकाश से शादी के लिए क्यों तैयार हो गई तनु?

Writer- Rajesh Kumar Ranga

आकाश ने वेटर को बिल लाने को कहा तो मैनेजर ने बिल लाने से इनकार कर दिया, ‘‘यह हमारी तरफ से.’’

‘‘नहीं मैनेजर साहब, अभी हम इस होटल के मालिक नहीं बने हैं और बन भी जाएं तो भी मैं नहीं चाहूंगा कि हमें या किसी और को कुछ भी मुफ्त में दिया जाए. मेरा मानना है कि मुफ्त में सिर्फ खैरात बांटी जाती है और खैरात इंसान की अगली नस्ल तक को बरबाद करने के लिए काफी होती है.’’

होटल के बाहर निकल कर आकाश ने तनु की ओर नजर डाली और कहा,

‘‘बहुत दिनों से लोकल में सफर करने की इच्छा थी, आज छुट्टी का दिन है भीड़भाड़ भी कम होगी. क्यों न हम यहां से लोकल ट्रेन में चलें फिर वहां से टैक्सी.’’

तनु ने अविश्वास से आकाश की ओर देखा और फिर दोनों स्टेशन की तरफ चल पड़े.

‘‘आप तो अकसर विदेश जाते रहते होंगे. क्या फर्क लगता है हमारे देश में और विदेशों में?’’

‘‘सच कहूं तो लंदन स्कूल औफ इकौनोमिक्स से डिगरी लेने के बाद मैं विदेश बहुत कम गया हूं. आजकल के जमाने में इंटरनैट पर सबकुछ मिल जाता है और जहां तक घूमने की बात है यूरोप की छोटीमोटी भुतहा इमारतें जिन्हें वे कैशल कहते हैं और किले मुझे ज्यादा भव्य लगते हैं… स्विटजरलैंड से कहीं अच्छा हमारा कश्मीर है, सिक्किम है, अरुणाचल है, बस जरूरत है सफाई की, सुविधाओं की और ईमानदारी की…’’

‘‘जो हमारे यहां नहीं है… है न?’’ तनु ने प्रश्न किया.

‘‘आप इनकार नहीं कर सकतीं कि बदलाव आया है और अच्छी रफ्तार से आया है. जागरूकता बढ़ी है, देश की प्रतिष्ठा बढ़ी है, हमारे पासपोर्ट की इज्जत होनी शुरू हो गई है. आज का भारत कल के भारत से कहीं अच्छा है और कल का भारत आज के भारत से लाख गुना अच्छा होगा.’’

‘‘आप तो नेताओं जैसी बातें करने लगे आकाशजी,’’ तनु को उस की बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी.

गेटवे के किनारे तनु ने फिर नारियल पानी पीने की इच्छा जाहिर कर दी. दोनों ने नारियल पानी पीया.

सही कहा गया है कि इंसान के हालात का और मुंबई की बरसात का कोई भरोसा नहीं. एक बार फिर बादलों ने पूरे माहौल को अपने आगोश में ले कर लिया और चारों ओर रात जैसा अंधेरा छा गया. अगले ही पल मोटीमोटी बूंदों ने दोनों को भिगोना शुरू कर दिया. दोनों भाग कर पास की एक छप्परनुमा दुकान में घुस कर गरमगरम भुट्टे खाने लगे.

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आकाश ने जेब से पैसे निकाले और भुट्टे वाली बुजुर्ग महिला के हाथ में थमा दिए. उस की नजर उमड़ते बादलों पर ही थी. प्रश्नवाचक दृष्टि से उस ने तनु की ओर देखा और दोनों बाहर निकल गए. टैक्सी लेने की तमाम कोशिशें नाकामयाब होने के बाद दोनों स्टेशन की ओर पैदल ही निकल पड़े. रास्ते में आकाश ने ड्राइवर को फोन कर के कामा होटल से गाड़ी ले कर स्टेशन आने को कह दिया.

घर पहुंचतेपहुंचते रात हो चुकी थी. आकाश और उस के परिवार वालों ने इजाजत

मांगी. उन के जाते ही जयनाथजी कुछ कहने के लिए मानो तैयार ही थे, ‘‘कितने पैसे वाले लोग हैं, मगर कोई मिजाज नहीं, कोई घमंड नहीं, हम जैसे मध्यवर्ग वालों की लड़की लेना चाहते हैं. कोई दहेज की मांग नहीं, यहां तक कि…’’

‘‘तो मुझे क्या करना चाहिए अंबर कि बजाय आकाश को पसंद कर लेना चाहिए, क्योंकि आकाश करोड़पति है, उस के मातापिता घमंडी नहीं हैं. वे धरातल से जुड़े हैं और सब से बड़ी बात कि उन्हें हम, हमारा परिवार, हमारी सादगी पसंद है. अपनी पसंद मैं भाभी को सुबह ही बता चुकी हूं, आकाश से मिलने के बाद उस में कोई तबदीली नहीं आई है…’’

‘‘ठीक है इस बारे में हम बाकी बातें कल करेंगे…’’ जयनाथजी ने लगभग पीछा छुड़ाते हुए कहा.

रात के करीब 2 बजे तनु ने भाभी को फोन मिलाया, ‘‘भाभी मुझे आप से मिलना है. भैया तो बाहर गए हैं. जाहिर है आप भी जग रही होंगी, मुझे अंबर के बारे में कुछ बातें करनी हैं, मैं आ जाऊं?’’

‘‘तनु मैं गहरी नींद में हूं… हम सुबह मिलें?’’

‘‘मैं तो आप के दरवाजे पर ही हूं… गेट खोलेंगी या खिड़की से आना पड़ेगा?’’

अगले ही पल तनु अंदर थी. बातों का सिलसिला शुरू करते हुए भाभी ने तनु से पूछा, ‘‘तुम मुझे अपना फैसला सुना चुकी हो. अब इतनी रात मेरी नींद क्यों खराब कर रही हो?’’

‘‘भाभी, अंबर को फोन कर के कहना है कि मैं उस से शादी नहीं कर सकती.’’

‘‘क्या?’’ भाभी को लगा कि वह अभी भी नींद में ही है.

पलक झपकते ही तनु ने अंबर को फोन लगा दिया, ‘‘हैलो अंबर मैं तनु बोल रही हूं… मैं इधरउधर की बात करने के बजाय सीधा मुद्दे पर आना चाहती हूं…’’

‘‘ठीक है… जल्दी बता दो मैं इधर हूं या उधर…’’

‘‘इधरउधर की छोड़ो और सुनो सौरी यार मैं तुम से शादी नहीं कर सकती…’’

‘‘ठीक है मगर इतनी रात को क्यों बता रही हो… सुबह तक…’’

‘‘सुबह तक मेरा दिमाग बदल गया तो? तुम चीज ही ऐसी हो कि तुम्हें मना करना बहुत मुश्किल है…’’

‘‘अच्छा औल द बैस्ट, अब सो जाओ और मुझे भी सोने दो, किसी उधर वाले से शादी तय हो जाए तो जगह, तारीख वगैरह बता देना मैं आ जाऊंगा, मुफ्त का खा कर चला जाऊंगा…’’

‘‘मुफ्ती साहब, गिफ्ट लाना पड़ेगा. शादी में खाली लिफाफे देने का रिवाज दिल्ली में होगा, मुंबई में नहीं…’’

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‘‘ठीक है 2-4 फूल ले आऊंगा. अब मुझे सोने दो… सुबह मेरी फ्लाइट है…’’

भाभी बिलकुल सकते में थी, ‘‘ये सब क्या है तनु? तुम तो अंबर पर फिदा हो गई थी… क्या आकाश का पैसा तुम्हें आकर्षित कर गया? क्या उस की बड़ी गाड़ी अंबर की मोटरसाइकिल से आगे निकल गई?’’

‘‘भाभी अंबर पर फिदा होना स्वाभाविक है. ऐसे लड़के के साथ घूमनाफिरना,

मजे करना, अच्छा लगेगा मगर शादी एक ऐसा बंधन है, जिस में एक गंभीर, संजीदा इंसान चाहिए न कि कालेज से निकला हुआ एक हीरोनुमा लड़का.

‘‘हम घर से बाहर निकले तो आकाश ने पूरे शिद्दत से ट्रैफिक के सारे नियमों का पालन किया, मेरे लाख कहने के बावजूद उस ने गाड़ी नो ऐंट्री में नहीं घुमाई, अपने देश के बारे में उस के विचार सकारात्मक थे. उसे देश से कोई शिकायत न थी, रेस्तरां में वेटर से इज्जत से बात की न कि उसे वेटर कह कर आवाज दी, मुफ्त का खाने के बजाय उस ने पैसे देने में अपनी खुद्दारी समझ.

‘‘बड़ी गाड़ी छोड़ कर लोकल ट्रेन में जाने में उसे कोई परहेज नहीं, नारियल पानी पी कर उस ने नारियल एक ओर उछाला नहीं, बल्कि डस्टबिन की तलाश की, भुट्टे वाली माई को उस ने जब मुट्ठीभर पैसे दिए तो उस का सारा ध्यान इस पर था कि मैं कहीं देख न लूं.

‘‘इतने पैसे उस भुट्टे वाली ने एकसाथ कभी नहीं देखे होंगे… इतने संवेदनशील व्यक्तित्व के मालिक के सामने मैं एक प्यारे से हीरो को चुन कर जीवनसाथी बनाऊं? इतनी बेवकूफ मैं लगती जरूर हूं, मगर हूं नहीं.’’

भाभी सिर पर हाथ रख कर बैठ गई.

‘‘क्या सर दर्द हो रहा है.’’

‘‘नहीं बस चक्कर से आ रहे हैं…’’

‘‘रुको, अभी सिरदर्द दूर हो जाएगा…’’ तनु ने कहा.

भाभी बोल पड़ी, ‘‘अब क्या बाकी है?’’

तनु ने फोन उठाया और एक नंबर मिलाया, ‘‘हैलो आकाश, मैं ने फैसला कर लिया है… मुझे आप पसंद हैं. मैं आप से शादी करने को तैयार हूं. मुझे पूरा यकीन है कि मैं भी आप को पसंद हूं.’’

‘‘तुम ने फैसला ले कर मुझे बताने का जो समय चुना वह वाकई काबिलेतारीफ है,’’ दूसरी ओर से आवाज आई.

‘‘हूं… मगर भाभी इस बात को मानती ही नहीं… देखो मुझे धक्के मार कर अपने कमरे से बाहर निकालने पर उतारू है…’’

‘‘आकाश ने जेब से पैसे निकाले और भुट्टे वाली बुजुर्ग महिला के हाथ में थमा दिए.

उसकी नजर उमड़ते बादलों पर ही थी. प्रश्नवाचक दृष्टि से उस ने तनु की ओर देखा और दोनों बाहर निकल गए…’’

Crime Story in Hindi: बहुरुपिया- भाग 1: दोस्ती की आड़ में क्या थे हर्ष के खतरनाक मंसूबे?

हर्ष से मेरी मुलाकात एक आर्ट गैलरी में हुई थी. 5 मिनट की उस मुलाकात में बिजनैस कार्ड्स का आदानप्रदान भी हो गया.

‘‘मेरी खुद की वैबसाइट भी है, जिस में मैं ने अपनी सारी पेंटिंग्स की तसवीरें डाल रखी हैं, उन के विक्रय मूल्य के साथ,’’ मैं ने अपने बिजनैस कार्ड पर अपनी वैबसाइट के लिंक पर उंगली रखते हुए हर्ष से कहा.

‘‘जी, बिलकुल, मैं जरूर आप की पेंटिंग देखूंगा. फिर आप को टैक्स मैसेज भेज कर फीडबैक भी दे दूंगा. आर्ट गैलरी तो मैं अपनी जिंदगी में बहुत बार गया हूं पर आप के जैसी कलाकार से कभी नहीं मिला. योर ऐवरी पेंटिंग इज सेइंग थाउजैंड वर्ड्स,’’ हर्ष ने मेरी पेंटिंग पर गहरी नजर डालते हुए कहा.

‘‘हर्ष आप से मिल कर बड़ा हर्ष हुआ, स्टे इन टच,’’ मैं ने उस वक्त बड़े हर्ष के साथ हर्ष से कहा था. इस संक्षिप्त मुलाकात में मुझे वह कला का अद्वितीय पुजारी लगा था.

बात तो 5 मिनट ही हुई थी पर मैं आधे घंटे से दूर से उस की गतिविधियां देख रही थी. वह हर पेंटिंग के पास रुकरुक कर समय दे रहा था, साथ ही एक छोटी सी डायरी में कुछ नोट्स भी लेता जा रहा था.

‘लगता है यह कोई बड़ा कलापारखी है,’ उस वक्त उसे देख कर मैं ने सोचा था.

हर्ष से हुई इस मुलाकात को 6 महीने बीत चुके थे. इस दौरान न उस ने मुझ से कौंटैक्ट करने की कोशिश की न ही मैं ने उस से. मेरी वैबसाइट से मेरी पेंटिंग्स की बिक्री न के बराबर हो रही थी. मैं हर तरह से उन के प्रचार की कोशिश कर रही थी. मैं ज्यादा से ज्यादा लोगों को अपनी वैबसाइट का लिंक भेज रही थी. मुझे मतलब नहीं था कि वे मुझे ज्यादा जानते हैं या कम. मुझे तो बस एक जनून था कला जगत में एक पहचान बनाने और नाम कमाने का. इस जनून के चलते मैं ने एक टैक्स मैसेज हर्ष को भी भेज दिया.

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‘‘क्या आज मेरे साथ कौफी पीने आ सकती हो?’’ तत्काल ही उस का जवाब आया.

मेरी हैरानी का ठिकाना नहीं था. 5 मिनट की संक्षिप्त मुलाकात के बाद कोई 6 महीने तक गायब था और जब किसी वजह से मैं ने उसे एक मैसेज भेजा तो सीधे मेरे साथ कौफी पीना चाहता है.

‘अजीब दुनिया है यह,’ मैं मन ही भुनभुनाई और फिर टैक्स मैसेज का कोई जवाब नहीं दिया. 2 दिन यों ही आने वाली कला प्रदर्शनी की तैयारी में निकल गए और बाद में भी मैं हर्ष के मैसेज को भुला कर अपने स्तर पर अपनी कला को बढ़ावा देने में जुटी रही. कुछ दिनों के बाद अचानक उस का फोन आया फिर से मेरे साथ कौफी पीने के आग्रह के साथ.

‘‘न तुम मुझे जानते हो और न ही मैं तुम्हें, फिर यह बेवजह कौफी पीने का क्या मतलब है? मैं ने तुम्हें किसी वजह से एक मैसेज भेज दिया, इस का यह अर्थ बिलकुल नहीं है कि मैं फालतू में तुम्हारे साथ टाइम पास करने के लिए इच्छुक हूं,’’ मेरा दो टूक जवाब था.

‘‘मैं ने तुम्हारी कला और उस की गहराई को समझा है और उस जरीए से तुम्हें भी जाना है. मैं तुम्हारी उतनी ही इज्जत करता हूं जितनी दुनिया एमएफ हुसैन की करती है. मैं ने जब तुम्हारा नाम पहली बार अपने मोबाइल में डाला था तो उस के आगे पेंटर सफिक्स लिख कर डाला था. अभी भी तुम मानो या न मानो एक दिन तुम कला के क्षेत्र में एमएफ हुसैन को मात दे दोगी. रही बात हमारी जानपहचान की तो वह तो बढ़ाने से ही बढ़ेगी न?’’

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अपनी तारीफ सुनना किसे अच्छा नहीं लगता? हर्ष के शब्दों का मुझ पर असर होने लगा. अपनी तारीफों के सम्मोहन में जकड़ी हुई मैं अब उस से घंटों फोन पर बातें करती. हर बार वह मेरी और मेरी कला की जम कर प्रशंसा करता. उस की बातें मेरे ख्वाबों को पंख दे रही थीं. मन में बरसों से पड़े शोहरत की चाहत के बीज में अंकुर फूटने लगा था.

‘‘मैं तुम्हारी इतनी इज्जत करता हूं, जितनी कि हिंदुस्तान के सवा करोड़ हिंदुस्तानी मिल कर भी नहीं कर सकते. महीनों हो गए तुम्हें कौफी पर आने के लिए कहतेकहते… इतने पर तो कोई पत्थर भी चला आता,’’ एक दिन हर्ष ने कहा.

Manohar Kahaniya: पुलिस अधिकारी का हनीट्रैप गैंग- भाग 1

सौजन्य- मनोहर कहानियां

35साल की उम्र, गोरा रंग, तीखे नाकनक्श और गठीले बदन की सुनीता ठाकुर भोपाल के औद्योगिक क्षेत्र मंडीदीप की निवासी थी. अपनी अदाओं से वह लड़कों को दीवाना बना देती थी. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उस के हुस्न के चर्चे मंडीदीप की गलियों में होने लगे थे.

सुनीता के रंगढंग देख कर उस के पिता मानसिंह ठाकुर ने उस की शादी होशंगाबाद के पास के गांव में रहने वाले गणेश राजपूत से कर दी. सुनीता और गणेश के 3 बेटे और एक बेटी थी.

सन 2013 में सुनीता अपने पति गणेश और बच्चों के साथ गांव से आ कर होशंगाबाद के बालागंज में किराए के मकान में रहने लगी. उस की खूबसूरती देख कर कोई यकीन नहीं कर सकता था कि सुनीता 4 बच्चों की मां भी है.

गणेश की माली हालत अच्छी नहीं थी, मगर सुनीता हालात से समझौता करने वाली लड़की नहीं थी. फैशनपरस्त और मौडर्न खयालों की बिंदास युवती को घरपरिवार की बंदिशें ज्यादा दिनों तक रोक नहीं पाईं और एक दिन पति का घर छोड़ वह वापस मंडीदीप में आ कर रहने लगी.

सुनीता अब तितली की भांति तरहतरह के फूलों की महक लेने लगी. उस ने अपनी ख्वाहिशें पूरी करने के लिए लोगों को अपने प्रेमजाल में फंसा कर ब्लैकमेलिंग का धंधा शुरू कर दिया था. देखते ही देखते वह कार में चलने लगी और उस के हाथों में महंगे स्मार्टफोन रहने लगे.

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सुनीता पहले फेसबुक और सोशल मीडिया के जरिए होशंगाबाद जिले के नौजवानों से दोस्ती करती थी.

नजदीकियां बढ़ने पर वह दोस्तों को होटल में ले जा कर उन के साथ अंतरंग संबंध बना कर मोबाइल फोन में वीडियो बना लेती. फिर ब्लैकमेलिंग का खेल खेल कर युवकों से पैसा वसूल करने लगी.

उस ने इसी तरह से होशंगाबाद जिले के सोहागपुर के एक युवा व्यापारी विनोद रघुवंशी को भी फांस लिया था. 17 मार्च, 2021 की बात है. विनोद रघुवंशी के मोबाइल पर सुनीता ने फोन किया, ‘‘विनोदजी, मुझे आप से जरूरी बात करनी है और आप फोन तक नहीं उठा रहे.’’

‘‘हां बताइए, क्या कहना चाहती हैं आप?’’ विनोद रघुवंशी ने पूछा.

‘‘देखो, इस समय मेरे पास 2-3 लड़कियां हैं. एक रात के 2 हजार रुपए लगेंगे.’’ सुनीता बोली.

विनोद ने सुनीता को डांटते हुए कहा, ‘‘नहीं, मुझे किसी की जरूरत नहीं है, अब मुझे कभी फोन मत करना.’’ विनोद ने फोन कट कर के उस के नंबर को ब्लौक लिस्ट में डाल दिया.

सुनीता ने फांसा विनोद रघुवंशी को

सुनीता तो जैसे विनोद के पीछे ही पड़ गई थी. 21 मार्च को सुनीता ठाकुर सोहागपुर पहुंची और दूसरे नंबर से विनोद रघुवंशी को फोन कर के उस से एक बार मिलने को कहा. सुनीता के बारबार के फोन काल से परेशान हो कर विनोद ने उस से मिलने का फैसला किया और सुनीता से मिलने पहुंच गया. सोहागपुर में नए थाने के सामने एक कार में सुनीता ठाकुर के साथ एक महिला और एक युवक भी था.

जब विनोद रघुवंशी सुनीता ठाकुर से मिला तो सुनीता ने कहा, ‘‘देखो, मेरे पास जो 2 लड़कियां हैं, वो एकदम मस्त हैं. उन से मिलोगे तो खुश हो जाओगे. चाहो तो अभी उन्हें हमारे साथ चल कर देख सकते हो.’’

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‘‘मुझे इस की कोई जरूरत नहीं है.’’ विनोद ने कहा.

सुनीता विनोद पर काफी दबाब बनाती रही, लेकिन उस ने उस की एक न सुनी. उस से जल्द ही पीछा छुड़ा कर वह अपने खेत की तरफ चला गया.

दूसरे दिन 22 मार्च को सुनीता ने दोबारा किसी नए नंबर से विनोद को फोन किया और धमकी दे क र कहने लगी, ‘‘मैं तुम्हारे घर पुलिस ले कर आ रही हूं.’’

यह सुन कर विनोद चौंक गया, ‘‘पुलिस… मैं ने ऐसा क्या कर दिया?’’

विनोद के इतना कहने के बाद सुनीता ने उसे वाट्सऐप से एक शिकायती पत्र की कौपी भेजी. उस पर 22 मार्च की ही होशंगाबाद के सिटी थाने की मोहर भी लगी हुई थी.

थानाप्रभारी को दिए गए उस पत्र में सुनीता ठाकुर ने आरोप लगाया था कि विनोद रघुवंशी ने मेरे साथ शादी का झांसा दे कर 4 दिन

तक गलत काम किया और पचमढ़ी घुमाने ले गया था.

इसे देख कर विनोद डर गया. उस ने सुनीता को फोन लगा कर कहा, ‘‘मैडम, मैं ने ऐसा क्या कर दिया जो तुम ने मेरे खिलाफ पुलिस में यह शिकायत की है.’’

‘‘यह बात तो तुम कोर्ट में कहना. पुलिस जब तुम्हें कूट कर जेल भेज देगी तब कोर्ट में तुम्हें अपनी बात कहने का मौका मिलेगा.’’ सुनीता ने धमकाया.

‘‘मैडम, इस शिकायत को वापस ले लो और इस के बदले में जो चाहती हो बता दो.’’ विनोद गिड़गिड़ाते हुए बोला.

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‘‘अगर तुम पुलिसकचहरी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहते तो 2 लाख रुपए दे दो.’’

‘‘2 लाख तो अभी मेरे पास नहीं हैं. अभी मेरे पास 20-25 हजार हैं,’’ वह बोला.

‘‘ठीक है, अभी यह दे दो. बाकी बाद में दे देना.’’ सुनीता ने कहा.

30 मार्च को विनोद सुनीता ठाकुर के बताए स्थान पर पैसे पहुंचाने के लिए सोहागपुर से होशंगाबाद चला गया. वहां पहुंच कर उस ने सुनीता ठाकुर को फोन किया, तो उस का फोन बंद मिला.

काफी देर बाद भी जब उस का फोन नहीं मिला तो विनोद वापस लौट आया. लेकिन उस के मन में सुनीता की उस शिकायत का डर बैठा हुआ था.

रुपए के लेनदेन से मामला हुआ उजागर

इस के बाद वह डरी हुई हालत में विधायक सीताशरण शर्मा से मिलने पहुंच गया. विनोद ने अपने साथ हुई ब्लैकमेलिंग की पूरी कहानी विधायक को बताई. विधायक सीताशरण शर्मा ने विनोद से पूछा, ‘‘तुम ने उस महिला के साथ कोई गलत काम तो नहीं किया?’’

अगले भाग में पढ़ें- वीडियो से हुई ब्लैकमेलिंग

Satyakatha: रिश्तों का कत्ल- भाग 2

सौजन्य- सत्यकथा

7 जून को पुलिस को मृतक शैलेंद्र की काल डिटेल्स मिल गई थी. विवेचनाधिकारी सिंह ने काल डिटेल्स का अध्ययन किया तो उस में एक नंबर ऐसा भी मिला, जिस से काफी बातचीत हुई थी. पुलिस ने मृतक की पत्नी से उस नंबर के बारे में जानकारी मांगी तो वह नंबर मृतक के दामाद पवन कुमार का निकला.

विवेचनाधिकारी सिंह की नजरों में पता नहीं क्यों पवन संदिग्ध रूप में चढ़ गया था. फिर उन्होंने पवन के बारे में सरिता देवी से जानकारी ली. सास सरिता देवी ने उन्हें दामाद पवन के बारे में जो जानकारी दी, सुन कर वह चौंक गए थे.

पता चला कि पवन ने अपनी पत्नी सृष्टि के होते हुए अपने बड़े साले पीयूष की पत्नी निभा से प्रेम विवाह कर लिया था. यही नहीं, एक मोटी रकम को ले कर ससुर शैलेंद्र और दामाद पवन के बीच कई महीनों से रस्साकशी चल रही थी.

दरअसल, बिहारशरीफ रेलवे स्टेशन के पास एक 5 कट्ठे की जमीन थी. वह जमीन शैलेंद्र कुमार को पसंद आ गई थी. दामाद पवन ने उन्हें वह जमीन दिलवाने की हामी भी भर दी थी. दामाद के जरिए 60 लाख में जमीन का सौदा भी पक्का हो गया था.

जमीन मालिक को कुछ पैसे एडवांस दिए जा चुके थे और 17 जून को जमीन का बैनामा छोटे बेटे मनीष के नाम होना तय हो गया था. इसी दौरान शैलेंद्र की हत्या हो गई.

खैर, पुलिस ने पवन के मोबाइल नंबर को सर्विलांस में लगा दिया और मुखबिरों को भी उस के पीछे लगा दिया ताकि उस की गतिविधियों के बारे में सहीसही पता लग सके.

अंतत: पवन वह गलती कर ही बैठा, जिस की संभावना पुलिस को बनी हुई थी. उस गलती के बिना पर पुलिस ने पवन को उस के रामकृष्णनगर स्थित घर से धर दबोचा और उसे पूछताछ के लिए थाने ले आई.

पुलिस ने पवन से कड़ाई से पूछताछ करनी शुरू की तो पवन एकदम से टूट गया और ससुर की हत्या का जुर्म कुबूल करते हुए कहा, ‘‘हां सर, मैं ने ही सुपारी दे कर ससुर की हत्या कराई थी. मुझे माफ कर दीजिए सर, मैं पैसों के लालच में अंधा हो गया था.’’ कह कर वह रोने लगा.

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‘‘तुम्हारे इस काम में और कौनकौन थे या फिर तुम ने यह सब अकेले ही किया?’’ विवेचनाधिकारी मनोज कुमार ने सवाल किया.

‘‘साहब, मेरे इस काम में मेरी दूसरी पत्नी निभा, छोटा भाई टिंकू और शूटर अमर शामिल थे.’’ उस ने बताया.

‘‘ठीक है तो ले चलो सभी गुनहगारों के पास.’’

इस के बाद पुलिस पवन को कस्टडी में ले कर रामकृष्णनगर पहुंची और उस की पत्नी निभा तथा छोटे भाई टिंकू को गिरफ्तार कर लिया. उसी दिन कंकड़बाग के अशोकनगर कालोनी से शूटर अमर को भी गिरफ्तार कर लिया गया.

तीनों आरोपियों ने भी अपने जुर्म कुबूल कर लिए. उस के बाद इस हत्या की जो कहानी सामने आई, बेहद चौंकाने वाली थी, जहां पैसों के लालच में अंधे हुए दामाद ने कई रिश्तों का कत्ल कर दिया था. पढ़ते हैं इस कहानी को—

60 वर्षीय शैलेंद्र कुमार सिन्हा मूलत: बिहार के नालंदा जिले के गड़पर प्रोफेसर कालोनी के रहने वाले थे. उन के परिवार में कुल 5 सदस्य थे. पत्नी सरिता देवी और 2 बेटे पीयूष व मनीष और एक बेटी सृष्टि. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी.

भौतिक सुखसुविधाओं की ऐसी कोई चीज नहीं थी, जो उन के घर में मौजूद न हो. उस पर से वह खुद भारतीय स्टेट बैंक के मैनेजर थे. उन की अच्छीभली तनख्वाह थी, इसलिए जिंदगी बड़े मजे से कट रही थी.

शैलेंद्र का बड़ा बेटा पीयूष दिव्यांग था. वह पूरी तरह से चलफिर नहीं सकता था. बेटे की हालत देख कर उन के कलेजे में टीस उठती थी.

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छोटा बेटा मनीष हृष्टपुष्ट और तंदुरुस्त था, शरीर से भी और दिमाग से भी. पढ़ने में वह अव्वल था. अपनी योग्यता और काबिलियत की बदौलत मनीष की बैंक में नौकरी लग गई थी और वह असम के गुवाहाटी में तैनात था.

शैलेंद्र ने समय रहते दोनों बेटों की शादी कर दी थी. जिम्मेदारी के तौर पर एक बेटी बची थी शादी करने के लिए, सो उस के लिए भी वह योग्य वर की तलाश कर रहे थे. उन्होंने रिश्तेदारों के बीच में बात चला दी कि बेटी के योग्य कोई अच्छा वर मिले तो बताएं. रिश्तेदारों के बीच से पटना का रहने वाला पवन कुमार का रिश्ता आया.

पवन राजधानी पटना की पौश कालोनी में कोचिंग सेंटर चलाता था. कोचिंग से उस की अच्छीखाई कमाई हो जाया करती थी. बैंक मैनेजर शैलेंद्र को यह रिश्ता पसंद आ गया. उन्होंने बेटी सृष्टि की शादी पवन से कर के अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर दिया.

पवन कुमार 2 भाई थे. दोनों भाइयों में पवन बड़ा था और टिंकू कुमार छोटा. दोनों में पवन सुंदर और बेहद समझदार था. वह कोचिंग से इतना कमा लेता था कि अपना खर्च निकालने के बाद कुछ बैंक बैलेंस बना लिया था.

खैर, शैलेंद्र को यह रिश्ता पसंद आ गया और उन्होंने बेटी सृष्टि की शादी पवन से कर दी. एक प्रकार से पवन के कंधों पर ससुराल की देखरेख की जिम्मेदारी भी आ गई थी.

वह ऐसे कि बड़ा साला पीयूष दिव्यांग था. छोटा साला मनीष परिवार ले कर नौकरी पर गुवाहाटी में रहता था. घर पर बचे सासससुर. उन की देखरेख के लिए एक व्यक्ति की जरूरत रहती थी, सो दामाद पवन सास और ससुर की सेवा के लिए सदैव तत्पर रहता था.

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दामाद के इस व्यवहार से सासससुर दोनों बहुत खुश रहते थे. वैसे भी बिहार की यह परंपरा है कि बेटी और दामाद घर के मालिक की तरह होते हैं. सास और ससुर बेटी और दामाद की सलाहमशविरा के बिना कोई काम नहीं करते थे.

कोई भी काम होता तो वे दामाद से रायमशविरा लिए बिना नहीं करते थे. बारबार ससुराल आनेजाने से बड़े साले पीयूष की पत्नी निभा, जो रिश्ते में पवन की सलहज लगती थी, दोनों के बीच खूब हंसीठिठोली होती थी.

हंसीठिठोली होती भी कैसे नहीं, उन का तो रिश्ता था ही मजाक का. मजाक का यह रिश्ता दोनों के बीच में कब प्रेम के रिश्ते में बदल गया, न तो पवन जान सका और न ही निभा.

यह रिश्ता प्रेम तक ही कायम नहीं रहा, बल्कि यह जिस्मानी रिश्ते में बदल गया था और पहली पत्नी के रहते पवन ने सलहज निभा से कोर्टमैरिज कर ली और उसे ले कर पटना में रहने लगा था.

अगले भाग में पढ़ें- पवन सलहज से पत्नी बनी निभा को साथ ले कर पटना में रहने लगा था

‘थपकी प्यार की’ फेम Sheena Bajaj ने इस खास मौके पर मेहंदी में लिखा रोहित का नाम, देखें Photos

कई टीवी सीरियलों और फिल्मों में अभिनय कर शोहरत बटोर चुकी अभिनेत्री शीना बजाज ने पूरे चार वर्ष तक टीवी कलाकार रोहित पुरोहित संग डेटिंग करने के बाद 22 जनवरी 2019 को जयपुर के एक रिसोर्ट में विवाह किया था.

वह अभी भी रोहित पुरोहित के ही प्यार में दीवानी रहती है.तभी तो दो दिन पहले तीज का त्योहार मनाते हुए उन्होने जब अपने हाथों में मेंहदी लगवायी, तो मेंहदी में अपने पति रोहित का नाम भी लिखवाया. शीना बजाज और रोहित पुरोहित की पहली मुलाकात सीरियल ‘‘अर्जुन’’के सेट पर हुई थी, जिसमें शीना बजाज ने सिमरन और रोहित पुरोहित ने करण का किरदार निभाया था.

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Sheena Bajaj gets Rohit s name inked in Mehendi-01

इस सीरियल में अभिनय करते हुए ही दोनो एक दूसरे को दिल दे बैठे थे.पूरे चार वर्ष शीना बजाज और रोहित पुरोहित ने डेटिंग करके अपने रिश्ते को परखा और 2019 में विवाह के बंधन में बंध गए.

इस बार तीज मनाने और अपने हाथ पर मेंहदी में अपने पति रोहित का नाम लिखवाने पर अभिनेत्री शीना बजाज कहती हैं- मैंने तीज का त्योहार काफी धूमधाम व खुषी के साथ मनाया.मेहंदी लगाई.नए कपड़े और सहायक उपकरण पहने और प्रार्थना भी की.

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Sheena Bajaj gets Rohit s name inked in Mehendi-0

मेरी माँ ने मुझे घेवर भेजा,जो राजस्थान की विशेषता है.मैं तीज का ससुराल वालों के साथ जश्न मनाती थी.लेकिन यह कोविड का समय है, इसलिए मैं इसे अपने परिवार के साथ मनाया.मेहंदी का मुझे बेहद शौक है. मुझे पूरे साल मेहंदी लगाना अच्छा लगता है, जब भी कोई विशेष अवसर होता है.

वह आगे कहती हैं, ‘‘मैंने मेहंदी में अपने पति रोहित नाम की स्याही लगवा ली थी.उनके नाम पर स्याही लगवाकर अच्छा अहसास होता है.त्योहार हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं.महामारी ने हमारे सोचने और जीने के तरीके को बदल दिया है. त्योहार हमें अच्छा महसूस कराते हैं.हमारे अंदर एक सकारात्मक उर्जा का संचार करते हैं.

मुंबई में 16 जून 1992 को जन्मी शीना बजाज ने महज ग्यारह वर्ष की उम्र में बाल कलाकार के रूप में फिल्म‘‘फुटपाथ’’से अभिनय की शुरुआत की थी.इसके बाद 12 साल की उम्र में उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ बाल कलाकार के रूप में ‘क्यों हो गया ना (2004)’की.फिर ‘रक्त’ (2004),‘कलयुग’ (2005), ‘भूत अंकल’ (2006),‘फैशन’ (2008) और शागिर्द जैसी फिल्में की.वह फिल्मों के साथ साथ टीवी सीरियल भी करती रही.

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बाल कलाकार के रूप में ही 2003 में शीना बजाज ने सबसे पहले सोनी टीवी के सीरियल‘‘जस्सी जैसी कोई नही’’में अभिनय किया था.फिर 2008 में पोगों टीवी पर ‘कम्बाला इन्वैस्टिगेशन एजेंसी’ नामक कार्यक्रम में निक्की मेहरा का किरदार निभाया.

2010 में इन्होंने डिज्नी इंडिया में ‘ईशान’नामक धारावाहिक में हिमानी का किरदार निभाया.उसके बाद ‘बेस्ट ऑफ लक निक्की’,‘कुछ तो लोग कहेंगे’,‘प्यार तूने क्या किया’,,‘अर्जुन’,‘थपकी प्यार की’,‘खटमल ए इश्क’,‘सावित्री देवी कॉलेज एंड हॉस्पिटल’,‘मरियम खान रिपोर्टिंग लाइव’,‘तुझसे है राब्टा’और ‘लाल इश्क’’जैसे सीरियलों में अभिनय करते हुए अपनी एक अलग पहचान बनायी.

Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin के सेट पर खूब चिल्लाई पाखी, मेकअप रूम में हुआ बुरा हाल

गुम है किसी के प्यार में (Ghum Hai Kisikey Pyaar Meiin) की पाखी यानी ऐश्वर्या शर्मा सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहती हैं. वह आए दिन फोटोज और वीडियो फैंस के साथ शेयर करती रहती हैं. एक्ट्रेस अपने फैंस को अच्छी तरह एंटरटेन करना जानती हैं.

अब उन्होंने मेकअप रूम से एक फनी वीडियो शेयर किया है जो फैंस को काफी पसंद आ रहा है. इस वीडियो में ऐश्वर्या शर्मा (Aishwarya Sharma) अपने एक्सप्रेशन से फैंस का खूब एंटरटेन कर रही हैं. एक्ट्रेस वायरल वीडियो के ऑडियो पर लिपसिंक करती हुई नजर आ रही हैं.

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इस वीडियो में ऐश्वर्या शर्मा (पाखी) के एक्सप्रेशन देखते ही बन रहे हैं. शो की बात करे तो पाखी किसी भी तरह विराट को पाना चाहती है. विराट और सई ट्रिप पर गये हैं, इस वजह से पाखी परेशान है. अश्विनी उसकी हालत देखकर जमकर ताने मारती है. तो वही भवानी भी अश्विनी को कुछ नहीं बोल पाती है.

 

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सीरियल में सम्राट की वापसी हो चुकी है. सम्राट के आने से पाखी की जिंदगी में बड़ा बदलाव आने वाला है तो उधर सई भी विराट से नाराज है. वह समझती है कि उसकी शादी एक डील है तो ऐसे में विराट शादी का सालगिरह सेलिब्रेट नहीं कर सकता है. सई कहती है उसे एक दिन विराट से अलग होना ही है. शो में ये देखना दिलचस्प होगा कि सम्राट के आने विराट, सई और पाखी की जिंदगी कैसे बदलती है.

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अनुपमा ने ‘बाजरे दा सिट्टा’ पर किया धमाल, देखें वायरल Video

रूपाली गांगुली (Rupali Ganguly), सुधांशु पांडे (Sudhanshu Pandey) स्टारर सीरियल अनुपमा में इन दिनों लगातार नए-नए ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. जिससे दर्शकों का भरपूर एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो में दिखाया जा रहा है अनुपमा का परिवार पूरी तरह बिखर चुका है. पहले पाखी के कारण शाह परिवार में तमाशा हुआ तो अब तोशु ने नया ड्रामा शुरू किया है, उसे अपनी फैमिली से ही दिक्क्त है. इसी बीच से रूपाली गांगुली यानी अनुपमा का एक वीडियो वायरल हो रहा है. आइए बताते हैं क्या है इस वीडियो में.

अनुपमा यानी रूपाली गांगुली इन दिनों अपने नए ट्विस्ट के चलते खूब सुर्खियों में छायी हुई  हैं. रूपाली गांगुली का एक नया वीडियो सामने आया है, इसमें अनुपमा ‘बाजरे दा सिट्टा’ के पुराने ट्रेंड को फॉलो कर रही हैं. अनुपमा ने इस वीडियो के इंस्टाग्राम पर शेयर किया है.

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अनुपमा ने ‘बाजरे दा सिट्टा’ के पुराने ट्रेंड को किया फॉलो

इस वीडियो के शेयर करते हुए अनुपमा ने कैप्शन में लिखा है ‘बाजरे दा सिट्टा, थोड़ा लेट पर ट्रेंड तो ट्रेंड होता है ना! रूपाली गांगुली का ये वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है. फैंस इसे खूब पसंद कर रहे हैं. अनुपमा इस वीडियो में ब्लैक साड़ी में नजर आ रही हैं. एक्ट्रेस बेहद खूबसूरत लग रही हैं.

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अनुपमा अपनी फैक्ट्री को रखेगी गिरवी

अनुपमा सीरियल के अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अपकमिंग एपिसोड में दिखाया जाएगा कि अनुपमा को 20लाख का टैक्स चुकाने के लिए अपनी ही फैक्ट्री को गिरवी रखना होगा. अनुपमा अपनी फैक्ट्री बचाने के लिए ये रिस्क लेने को तैयार हो जाएगी लेकिन काव्या अपनी आदतों से बाज नहीं आएगी. वह अनुपमा को ताना मारेगी  शो में अब देखना ये होगा कि कैसे अनुपमा और वनराज 20 लाख का टैक्स चुकाएंगे?

 

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