क्यों दूर चले गए: भाग 1

परिस्थितियां कभीकभी इनसान को इतना विवश कर देती हैं कि वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पाता. सामाजिक मान्यताएं, संस्कार और परंपराएं व्यक्ति को अपने मकड़जाल में उलझाए रखती हैं. ऐसे में या तो वह विद्रोह कर के सब का कोपभाजन बने या फिर परिस्थितियों से समझौता कर के खुद को नियति के हाल पर छोड़ दे. किंतु यह जरूरी नहीं कि वह सुखी रह सके.

मैं भी जीवन के एक ऐसे दोराहे पर उस मकड़जाल में फंस गया कि जिस से निकलना शायद मेरे लिए संभव नहीं था. कोई मेरी मजबूरी नहीं समझना चाहता था. बस, अपनाअपना स्वार्थ भरा आदेश और निर्णय वे थोपते रहे और मैं अपने ही दिल के हाथों मजबूरी का पर्याय बन चुका था.

मैं जानता हूं कि पिछले कई दिनों से खुशी मेरे फोन का इंतजार कर रही थी. उस ने कई बार मेरा फैसला सुनने के लिए फोन भी किया था मगर मेरे पास वह साहस नहीं था कि उस का फोन उठा सकूं. वैसे हमारे बीच कोई अनबन नहीं थी और न ही कोई मतभेद था फिर भी मैं उस का फोन सुनने का साहस नहीं जुटा सका.

मैं ने कई बार यह कोशिश की कि खुशी को फोन पर सबकुछ साफसाफ बता दूं पर मेरा फोन पर हाथ जातेजाते रुक जाता और दिल तेजी से धड़कने लगता. मैं घबरा कर फोन रख देता.

खुशी मेरी प्रेमिका थी, मेरी जान थी, मेरी मंजिल थी. थोडे़ में कहूं तो वह मेरी सबकुछ थी. पिछले 4 सालों में हमारे बीच संबंध इतने गहरे बनते चले गए कि हम ने एकदूसरे की जिंदगी में आने का फैसला कर लिया था और आज जो समाचार मैं उसे देने जा रहा था वह किसी भी तरह से मनोनुकूल नहीं था. न मेरे लिए, न उस के लिए. फिर भी उसे बताना तो था ही.

मैं आफिस में बैठा घड़ी की तरफ देख रहा था. जैसे ही 2 बजेंगे वह फिर फोन करेगी क्योंकि इसी समय हम दोनों बातें किया करते थे. मैं भी अपने काम से फ्री हो जाता और वह भी. बाकी आफिस के लोग लंच में व्यस्त हो जाते.

मैं ने हिम्मत जुटा कर फोन किया, ‘‘खुशी.’’

‘‘अरे, कहां हो तुम? इतने दिन हो गए, न कोई फोन न कोई एसएमएस. मैं ने तुम्हें कितने फोेन किए, क्या बात है सब ठीक तो है न?’’

‘‘हां, ठीक ही है. बस, तुम से मिलना चाहता हूं,’’ मैं ने बडे़ अनमने मन से कहा.

‘‘क्या बात है, तुम ऐसे क्यों बोल रहे हो? न डार्लिंग कहा, न जानू बोले. बस, सीधेसीधे औपचारिकता निभाने लग गए. घर पर कोई बात हुई है क्या?’’

‘‘हां, हुई तो थी पर फोन पर नहीं बता सकता. तुम मिलो तो सारी बात बताऊंगा.’’

‘‘देखो, कुछ ऐसीवैसी बात मत बताना. मैं सह नहीं पाऊंगी,’’ वह एकदम घबरा कर बोली, ‘‘डार्लिंग, आई लव यू. मैं तुम्हारे बिना नहीं रह पाऊंगी.’’

‘‘आई लव यू टू, पर खुशी, लगता है हम इस जन्म में नहीं मिल पाएंगे.’’

 

अपने पराए: संकट की घड़ी में किसने दिया अमिता का साथ

Anupamaa: तोषु को माफ करेगी किंजल! अधिक के जाल में फंसेगी पाखी

टीवी सीरियल अनुपमा में लगातार हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिल रहा है. जिससे दर्शकों का फुल एंटरटेनमेंट हो रहा है. शो का ट्रैक इन दिनों किंजल, अनुपमा, वनराज और तोषु के इर्द-गिर्द घुम रहा है. गरबा के दौरान पारितोष अपनी बेटी को लेकर चला जाता है ऐसे में अनुपमा उसे पकड़ लेती है. और उसके हाथ से परी को ले लेती है. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब हंगामा होने वाला है.

शो में आप देखेंगे कि पारितोष किंजल और घरवालों से माफी मांगने के लिए जबरदस्त ड्रामा करेगा. वह शाह परिवार के सामने कॉफी गिड़गिड़ाएगा. लेकिन किसी पर कोई असर नहीं होगा.  हालांकि किंजल का मन पसीज जाएगा.

 

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दरअसल पारितोष रो-रोकर किंजल को मनाता है और कहता है कि वह अपनी बेटी के लिए जान भी दे सकता है. वह किंजल से आखिरी मौका मांगता है.  इसी बीच  किंजल का दिल पसीज जाता है. वह अपने तलाक के फैसले पर दोबारा सोचने का फैसला कर सकती है.

 

ये तो शो के आने वाले एपिसोड में पता चलेगा कि पारितोष वाकई बदल गया या कोई ड्रामा कर रहा है. तो  दूसरी ओर पाखी- अधिक की नजदीकीयां बढ़ रही है. अधिक अपने स्वार्थ पूरे करने के लिए पाखी के करीब आने की कोशिश कर रहा है. शो में दिखाया जा रहा है कि पाखी अधिक पर भरोसा करके बहक जाती है. तो वहीं अधिक पाखी से शादी करना चाहता है ताकि अनुपमा और अनुज की प्रॉपर्टी में हिस्सा ले सके.

 

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एक तरफा प्यार में जिंदा जल गई अंकिता

जागरूकता: गर्भपात तुरंत कराएं, वजह चाहे जो भी हो

अगर किसी लड़की के सैक्स संबंध के चलते बच्चा ठहर जाए, तो गर्भपात तुरंत कराना चाहिए. कई वजहों से गर्भपात कराना पड़ जाता है. कई बार अनचाहे गर्भधारण के चलते भी ऐसे कदम उठाने पड़ जाते हैं.

वजह चाहे जो भी हो, गर्भपात कराने से लड़की पर मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से गहरा असर पड़ता है. बच्चे होने से अच्छा गर्भपात कराना ही सुरक्षित है. हर मामले में गर्भपात कराने के बाद लड़की राहत की सांस लेती है.

गर्भपात कराने के बाद शारीरिक साइड इफैक्ट्स से कहीं ज्यादा भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक

असर देखा गया है और इस में मामूली दुख से

ले कर डिप्रैशन तक जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं.

गर्भपात कराने के बाद किसी ऐसी अनुभवी बड़ी लड़की से सभी खतरों के बारे में हर तरह की चर्चा कर लेना बहुत जरूरी है, जो आप के सभी सवालों और इन से जुड़े उसी का जवाब दे सके.

नकारात्मक, भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक असर से जुड़ा एक सब से बड़ा फैक्टर यह है कि आप के शरीर को यही लगता रहता है कि आप के अंदर अभी भी बच्चा पल रहा है.

कुछ लड़कियों में नैगेटिव फीलिंग ज्यादा होती है, क्योंकि गर्भधारण को ले कर उन का नजरिया बिलकुल अलग रहता है और वे सम?ाती हैं कि भ्रूण एक अविकसित जीव था, जो गया सो गया, पर कुछ लड़कियां गर्भपात कराने के बाद ज्यादा तनाव महसूस करती हैं.

खानपान में डिसऔर्डर, बेचैनी, गुस्सा, अपराधबोध, शर्म, आपसी संबंध की समस्याएं, अकेलापन या अलगथलग रहने का अहसास, आत्मविश्वास में कमी, अनिद्रा, आत्महत्या का विचार इस के साइड इफैक्ट्स में शामिल है.

गर्भपात कराने के बाद मुमकिन है कि किसी को भी अनचाहे भावनात्मक या मानसिक साइड इफैक्ट्स का अनुभव हो. आमतौर पर लड़कियों का अनुभव बताता है कि गर्भपात कराने को ले कर जितना वे उम्मीद कर रही थीं, उस से कहीं ज्यादा उन्हें इस प्रक्रिया से ?ोलना पड़ा.

जिन लड़कियों पर नैगेटिव भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक साइड इफैक्ट्स पड़ने की उम्मीद ज्यादा रहती है, उन में निम्न लड़कियां शामिल हैं :

* जो लड़कियां पहले से ही किसी दूसरी भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक परेशानी से जू?ा रही हैं.

* जो लड़कियां गर्भपात कराने

के लिए बहकाई गई हों और प्रेमी ने

शादी से इनकार कर दिया हो.

* गर्भपात को ले कर जिन लड़कियों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हों.

* जिन लड़कियों को लगता हो कि गर्भपात कराना पाप या अनैतिक है.

* जिन लड़कियों को इस के लिए अपने पार्टनर का सहयोग नहीं मिल रहा हो.

लड़कियों के लिए सु?ाव

मदद लें : अनियोजित यानी शादी से पहले गर्भ से डर, विवाह के बाद जल्दी या दूसरेतीसरे बच्चों के चलते गर्भधारण की समस्या से निबटने के लिए शायद सब से जरूरी चीज होती है, ऐसे प्रशिक्षित प्रोफैशनल्स से सलाह देना, जो आप के सवालों का जवाब दे सके और आप की पर्स या पोजीशन पर चर्चा कर सके.

यदि आप बेचैनी का अनुभव कर रही हैं, तो सलाह ले सकती हैं. एकांत में रहने से बचें. अगर आप अनियोजित गर्भधारण की समस्या से जू?ा रही हैं, तो हो सकता है कि आप इस समस्या को राज रखने के लिए दूसरों से कटने लगेंगी या अकेले ही इस समस्या का सामना करने की सोचेंगी.

हालांकि यह मुश्किल हो सकता है, लेकिन इस बारे में अपने परिवार वालों और दोस्तों को बताने की कोशिश करें, जो आप को सहयोग कर सकें. ऐसे हालात में खुद को अलगथलग रखने से आप डिप्रैशन की शिकार हो सकती हैं.

अपने हालात का जायजा लें : उन लड़कियों की समस्याओं पर गौर करें, जिन्हें एक या ज्यादा साइड इफैक्ट्स का अनुभव हुआ हो. अपनी समस्या के बारे में किसी ऐसे करीबी को बताएं, जो आप के नजरिए में आप का सहयोग कर सके और आप को सम?ा सके.

तनाव से बचें : ऐसे लोगों से बचें, जो आप पर इस तरह का दबाव बना रहे हों कि वे जो सोचते हैं, वही सब से अच्छा है. आप चाहे मां बनना चाहें, बच्चे गोद लेना चाहें या गर्भपात कराना चाहें, आप अपनी पसंद के साथ जीने के लिए आजाद हैं यानी कोई भी फैसला 100 फीसदी आप का ही होना चाहिए.

दूसरों से चर्चा करें : किसी ऐसी लड़की से मिलें, जो गर्भपात करा चुकी हो, ताकि पता चल सके कि कैसा अनुभव होता है.

गर्भपात के बाद लड़कियों में अलगअलग शारीरिक साइड इफैक्ट्स हो सकते हैं. गर्भपात के बाद संभावित विस्तृत साइड इफैक्ट्स के बारे में किसी अनुभवी हैल्थ प्रोफैशनल और डाक्टर से जानकारी पाना जरूरी है.

यह भी जरूरी है कि गर्भपात के 4-6 हफ्ते बाद आप की मासिक क्रिया सही हो जाए और गर्भपात कराने के बाद आप दोबारा मां बनने लायक हो जाएं. इंफैक्शन से बचने के लिए अपने डाक्टर की सलाह के मुताबिक ही दवाओं का सेवन करना जरूरी है.

एक बात याद रखें कि अगर आप ने गर्भपात कराया है तो भी होने वाले पति को कभी पता नहीं चलेगा कि आप उस से गुजर चुकी हैं, इसलिए शादी से पहले कराए गए गर्भपात के बारे में कभी पति को या पति के सामने डाक्टर को न बताएं.

क्या लॉग डिस्टैंस रिलेशनशिप का भविष्य होता है?

सवाल

मैं 26 वर्षीय युवती हूं. डेटिंग ऐप के जरिए मेरी एक लड़के से फ्रैंडशिप हुई. वह ग्वालियर का रहने वाला है. मैं लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप के चक्कर में पड़ना नहीं चाहती थी लेकिन हम दोनों के बीच बातचीत का इतना अच्छा सिलसिला चल पड़ा कि अब जब तक दिन में एक बार बात न हो तो चैन नहीं होता. सोचती हूं क्या हमारे बीच इस रिश्ते का कोई भविष्य हो पाएगा, कुछ समझ नहीं पा रही. राय दें.

जवाब

लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप से एकदूसरे के प्रति समर्पण बढ़ता है. आप को अपने पार्टनर की अहमियत सम झ में आ जाती है. यह रिलेशनशिप शारीरिक रिश्तों से ऊपर होती है क्योंकि जो रिश्ता सालोंसाल एकदूसरे को बिना देखे, बिना मिले टिक गया, सम झो वह आगे भी टिक जाएगा क्योंकि वह रिश्ता इमोशनल कंनैक्ट के जरिए जुड़ा होता है.

इस रिश्ते का सब से बड़ा फायदा यह है कि इस में पार्टनर्स को अपने लिए समय मिल जाता है और वे अपनी पसंद का हर काम कर सकते हैं. जबकि आमतौर पर लोगों को वक्त नहीं मिल पाता और वे इसी बात की शिकायत करते हैं कि वे यह काम नहीं कर पाए या इस चीज के लिए वक्त नहीं निकाल पाए, जबकि लौंग डिस्टैंस रिलेशनशिप में इस चीज की कोई परेशानी ही नहीं.

इसलिए आप बेफिक्र रहिए. आप दोनों को जब लगता है कि वक्त आ गया है कि इस रिश्ते को मजबूत रिलेशन में बदलना चाहिए तो आपस में मिलें और बात कीजिए, दिक्कत क्या है.

अगर आपकी भी ऐसी ही कोई समस्या है तो हमें इस ईमेल आईडी पर भेजें- submit.rachna@delhipress.biz
 
सब्जेक्ट में लिखे…  सरस सलिल- व्यक्तिगत समस्याएं/ Personal Problem

मेरी पत्नी ने मुझ पर झूठा केस कर दिया है, क्या करूं?

सवाल

मैं 25 साल का शादीशुदा नौजवान हूं. मेरे 2 बच्चे हैं. मेरा बायां हाथ नहीं?है. इस वजह से घर में क्लेश रहता था. मेरी पत्नी ने मुझ पर झूठा केस कर दिया है. क्या मुझे अपनी पत्नी के साथ रहना चाहिए?

जवाब

जब आप की पत्नी ही साथ रहने को तैयार नहीं और आप पर झूठा केस दायर कर चुकी है, तो आप उस के साथ कैसे रहेंगे? इस फसाद की असली जड़ आप की विकलांगता लगती है जो हालांकि कोई बहुत बड़ी खामी नहीं है, पर मुमकिन है कि पत्नी शादी कर के अब पछता रही हो.

आप डट कर मुकदमे का सामना करें और अदालत में सुलह की कोशिश करें. अगर सुलह न हो तो परेशान होने से कोई फायदा नहीं. बच्चों को जरूर दिक्कत होगी. यह बात रिश्तेदारों के जरीए अपनी पत्नी तक पहुंचाएं और अदालत में भी कहें.

Anupamaa और किंजल से बदला लेने के लिए तोषू करेगा दूसरी शादी? आएगा ये ट्विस्ट

टीमवी शो अनुपमा में लगातार ट्विस्ट देखने को मिल रहा है. जिससे दर्शकों को एंटरटेनमेंट का डबल डोज मिल रहा है. शो में अब तक आपने देखा कि किंजल शाह हाउस में रहते हुए भी वह खुद और अपनी बेटी परी को तोषु से दूर रखती है. ऐसे में  परितोष  का गुस्सा बढ़ता जाता है. वह अब किंजल और अनुपमा से बदला लेना चाहता है.

शो के आने वाले एपिसोड में आप देखेंगे कि परितोष गरबा इवेंट में जबरदस्ती घुस जाएगा और परी को किडनैप करने की कोशिश करेगा. जैसे ही अनुपमा को  इस बारे में पता चलेगा वह तुरंत परी को बचाने आएगी. और उसे लेकर चली जाएगी.

 

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शो में आप देखेंगे कि वह बदला लेने के लिए उस लड़की का इस्तेमाल करेगा.  वह वापस अपनी गर्लफ्रेंड के पास चला जाएगा. एक रिपोर्ट के अनुसार तोषु अपनी गर्लफ्रेंड से शादी कर शाह हाउस लाएगा. वह वही करेगा जैसा उसके पिता वनराज ने किया था.

 

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अब परितोष के ऐसा करने पर किंजल, वनराज और अनुपमा का क्या रिएक्शन होता है  ये तो अपकमिंग एपिसोड में पता चलेगा. दूसरी तरफ पाखी, छिपकर अधिक की चाल में फंसती जा रही है. अधिक, पाखी के करीब आने की कोशिश करता है. अधिक अब समझ गया है कि पाखी उसके प्यार के जाल में फंस गई है और वह जानता है कि अनुपमा का ध्यान भी उन पर नहीं है तो वह अब इस सिचुएशन का फायदा उठाने वाला है.

 

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शर्मनाक: पिटाई से दलित छात्र की मौत, घिनौना जातिवाद

राजस्थान से एक झकझोर देने वाली खबर आई है. वहां के जालोर जिले के सायला ब्लौक के गांव सुराणा में सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल की तीसरी जमात का 9 साल का एक दलित छात्र इंद्रकुमार मेघवाल भारत के जातिवाद की भेंट चढ़ गया.

इंद्रकुमार मेघवाल को पानी पीने की मटकी छूने के चलते बेरहमी से पीटा गया था. यह घटना 20 जुलाई, 2022 की है. तकरीबन 25 दिन के इलाज के बाद बच्चे ने अहमदाबाद में दम तोड़ दिया था. आरोपी शिक्षक छैल सिंह भौमिया को गिरफ्तार कर हिरासत में ले लिया गया.

‘एक टीचर ने बकाया फीस की वजह से पीटपीट कर बच्चे को मार डाला’, ‘एक शिक्षिका ने बच्चे के मुंह में डंडा घुसेड़ कर उसे अधमरा कर दिया’… इस तरह की आसपास हिंसा की ऐसी ही और भी वारदातें हो रही हैं.

दुख और शर्म की बात यह है कि यह देश सदियों से जाति और जैंडर आधारित हिंसा झेल रहा है और लोग जाति और धर्म का झूठा गौरवगान कर रहे हैं.

इंद्रकुमार मेघवाल की हत्या पर इंसाफ मांग रहे लोगों पर फिर दमन की लाठियां चलीं और कुछ दलितों का भी खून बहाया गया. मारे गए छात्र के शोक में डूबे परिवार वालों को भी लाठियों का शिकार होना पड़ा.

सिस्टम इतना असंवेदनशील है कि सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार के विधायक पानाचंद मेघवाल ने अपनी विधायकी से इस्तीफा देना उचित समझा.

आरोपी शिक्षक छैल सिंह भौमिया राजपूत समुदाय से ताल्लुक रखता है. वह अपने एक पार्टनर के साथ इस स्कूल का संचालक और हैडमास्टर भी था.

गांव सुराणा के इस सरस्वती विद्या मंदिर में सभी जातियों के तकरीबन 350 छात्र पढ़ रहे हैं. यह गांव भौमिया राजपूत समुदाय की बहुलता वाला है, पर स्कूल में दलित विद्यार्थियों के साथसाथ दलित व आदिवासी शिक्षक भी नियुक्त हैं और इस स्कूल का एक पार्टनर तो जीनगर है, जो दलित समुदाय का ही है.

इंद्रकुमार मेघवाल ने स्कूल के हैडमास्टर छैल सिंह भौमिया के लिए रखी पानी पीने की मटकी से पानी पी

लिया था और इस से आगबबूला हैडमास्टर ने मासूम बच्चे के साथ मारपीट की. जिस से उस के दाएं कान और आंख पर गंभीर चोट आई और उस की नस फट गई.

शिक्षक छैल सिंह भौमिया के गिरफ्तार होते ही शिक्षक की जाति के लोग संगठित और सक्रिय हुए और उन्होंने यह कहते हुए कि ‘पानी की मटकी छूने और मारपीट करने की बात झूठ है’.

अब सोशल मीडिया पर जातिवादी संगठन अपने बचाव में तरहतरह की बातें लिख रहे हैं जैसे कि उस विद्यालय में कोई मटकी थी ही नहीं, सब लोग पानी की टंकी से ही पानी पीते थे. पानी की बात, मटकी की बात, छुआछूत की बात और यहां तक कि मारपीट की बात भी सच नहीं है. लड़का पहले से ही बीमार था, बच्चे आपस में झगड़े होंगे, जिस से उसे चोट लग गई होगी.

उसी स्कूल के एक अध्यापक गटाराम मेघवाल और कुछ विद्यार्थियों को मीडिया के सामने पेश किया गया कि पानी की मटकी की बात सही नहीं है. इस स्कूल में कोई भेदभाव नहीं है और न ही बच्चे के साथ मारपीट की गई.

जालोर के भाजपा विधायक जोगेश्वर गर्ग ने भी अपना सुर मिलाया और खुलेआम आरोपी शिक्षक को बचाने की कोशिश करते हुए वीडियो जारी किया. पुलिस ने भी बिना इंवैस्टिगेशन पूरा किए ही मीडिया को बयान दे दिया कि मटकी का एंगल नहीं लग रहा है.

इतने बड़े कांड को 23 दिन तक छिपा कर रख दिया गया. अगर दलित इंद्रकुमार की मौत नहीं होती, तो पूरा मामला मैनेज ही किया जा चुका होता.

‘मानवतावादी विश्व समाज’ के संरक्षक आईपीएस किशन सहाय ने इस मुद्दे पर कहा, ‘‘भारत सरकार और राज्य सरकारें आजादी के 75 साल पूरे होने पर आजादी का ‘अमृत महोत्सव’ मना  रही हैं, वहीं दूसरी तरफ दलितों को ऊंची जातियों के साथ पानी पीने तक का अधिकार नहीं है.

‘‘राजस्थान में ऊंची जाति के शिक्षक की मटकी से पानी पीने पर मौत की सजा इसलिए दी गई, क्योंकि वहां मनुवाद और पति की मौत पर सती बनने वाली फूलकुंवर की सोच अभी जिंदा है.

‘‘पौराणिक ग्रंथों की दकियानूसी मान्यताओं, शोषित  समाज की इज्जत के साथ खिलवाड़ और औरतों के आत्मसम्मान पर थोपी गई नैतिकता का रिवाज धर्म के आवरण में छिपा हुआ है. पापाचार, कुरीति, आडंबर और छुआछूत को कुचलने में कामयाबी इसलिए नहीं मिल पा रही है, क्योंकि कुछ राजनीतिक दलों के लिए मनुवाद ब्रह्मास्त्र की तरह है.’’

राजस्थान हाईकोर्ट परिसर में 28 जुलाई, 1989 को उच्च न्यायिक सेवा एसोसिएशन ने लायंस क्लब के सहयोग से लगवाई गई मनु की प्रतिमा विवाद का जिक्र करते हुए किशन सहाय ने कहा, ‘‘मनु के विवादित स्टैच्यू को हटाने के लिए हाईकोर्ट ने निर्देश भी दिया, लेकिन भाजपा के अनुषांगिक संगठन विश्व हिंदू परिषद के नेता आचार्य धर्मेंद्र ने इस फैसले को चुनौती देते हुए इस पर अंतरिम रोक का आदेश हासिल कर लिया था. बाद में कोई भी सरकार मनु की प्रतिमा हटवाने की हिम्मत नहीं दिखा सकी.

‘‘साल 2015 में हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई तो हुई, लेकिन 3 दशक गुजर जाने के बावजूद जातिवाद और छुआछूत को बढ़ावा देने वाली मनु संस्कृति के कलंक को मिटाया नहीं जा सका.’’

बीते दिनों वाराणसी, उत्तर प्रदेश के एक गांव सुइलरा में विजय गौतम नामक दलित बच्चे पर 4 किलो चावल चुराने का झूठा इलजाम लगा कर दबंगों ने बुरी तरह पीटा था, जिस से उस की मौत हो गई थी, जबकि पुलिस ने आरोपियों पर ऐक्शन लेने के बजाय पीडि़त पक्ष के लोगों को ही धारा 151 में जेल भेज दिया था.

सामाजिक चिंतक भंवर मेघवंशी का कहना है, ‘‘सिर्फ राजस्थान में ही नहीं, बल्कि पूरे देश में जाति के आधार पर शोषण के उदाहरण हर जगह देखने को मिल जाते हैं. समाज में ऊंचनीच की दरार अभी भी मौजूद है. चतुर लोगों ने जाति और वर्ण का भेद जानबूझ कर पैदा किया है. इस में वे लोग सब से आगे हैं, जो सुविधाभोगी हैं.

‘‘आजाद देश में हर कोई इज्जत के साथ जीना चाहता है, लेकिन मनुवाद के पोषक नहीं चाहते हैं कि उन के नाम के आगे जातिसूचक नाम लगा रहे. जब तक राष्ट्र में एक नियम, समान आर्थिक सुविधा, समान समाज नीति, एक भाषा का पालन नहीं कराया जाएगा, तब तक छुआछूत की दहशत बनी रहेगी.

‘‘इंद्रकुमार के मुद्दे पर दलित समाज गुस्सा हो कर आंदोलन की राह पकड़ रहा है, तो इस के लिए कोई और नहीं सिर्फ सरकार ही जिम्मेदार है.’’

आज भी देश के ज्यादातर गांवों के दूसरे छोर पर अछूतों की बस्ती अपने बंधे हाथ और पिघलती आंखों से गूंगे की तरह अपने मालिकों के आदेश का पालन करने के लिए मजबूर है. अपने हक के लिए वे लोग अपनी आवाज नहीं उठा सकते हैं. अपनी हिफाजत के लिए अपनी भुजाओं का इस्तेमाल करना जैसे वे भूल गए.

दलितों को अस्पृश्य में बराबरी मानने पर संविधान व कानून में दंड का प्रावधान है. इस के बावजूद इंद्रकुमार मेघवाल जैसे तमाम मासूम रोज कहीं न कहीं अछूतपन और बेइज्जती के शिकार हो रहे हैं, पर क्या मजाल कि संविधान और उस का कानून अपने सजा देने के हक का इस्तेमाल कर सके.

तेंदुए के दो मादा शावकों में एक को भवानी तो दूसरे को चंडी नाम दिया मुख्यमंत्री योगी ने

आदित्यनाथ ने कहा कि रामराज की भावना के अनुरूप मानव कल्याण के साथ प्रत्येक प्राणी की रक्षा व संरक्षण में सभी को अपना योगदान देना चाहिए. इसकी प्रेरणा हमें रामायण से भी मिलती है. रामायण की गाथा में अरण्य कांड जीव जंतुओं के संरक्षण, प्रकृति के प्रति दायित्वों, जीवों के प्रति व्यवहार की सीख देता है. अरण्य कांड में एक प्रकार से पूरी भारतीय ज्ञान संपदा समाहित है.

सीएम योगी बुधवार को शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान (गोरखपुर चिड़ियाघर) में तेंदुए के दो मादा शावकों को दूध पिलाकर उनका नामकरण (भवानी और चंडी) करने, व्हाइट टाइगर (सफेद बाघिन गीता) को क्रॉल से बाड़ा प्रवेश कराने, चिड़ियाघर के हाल में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन करने के बाद यहां आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने रामचरित मानस की पंक्तियों ‘हित अनहित पसु पच्छिउ जाना, मानुष तनु गुन ग्यान निधाना’ का स्मरण करते हुए कहा कि कौन हितैषी है और कौन हानि पहुंचाने वाला पशुओं में इसका स्पंदन होता है.

इस उद्धरण को और स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम वन में माता सीता व अपने अनुज लक्ष्मण के साथ ही गए थे लेकिन वनवास काल में उनकी मदद वनवासियों, भालू, वानर, गिद्ध यहां तक कि पेड़, पौधों, व जंगल के नदी नालों ने की.

मुख्यमंत्री ने कहा कि मनुष्य भी तभी संरक्षित रहेगा जब वह प्रकृति के प्रति और जीव-जंतुओं के संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर सजग रहेगा. उन्होंने वन्यजीवों के संरक्षण हेतु सभी लोगों के योगदान की अपील की.

लखनऊ में शुरू होने जा रहा यूपी का पहला नाइट सफारी :

सीएम योगी ने वन्यजीव संरक्षण तथा ईको टूरिज्म को लेकर प्रदेश सरकार के प्रयासों का उल्लेख करते हुए कहा कि लखनऊ में प्रदेश का पहला नाइट सफारी शुरू करने की प्रक्रिया को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है. इससे ईको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, वन्यजीवों के प्रति सम्मान की भावना जागृत होगी, मनोरंजन के साथ बच्चों का ज्ञानवर्धन भी होगा. उन्होंने कहा कि चित्रकूट के रानीपुर में टाइगर रिजर्व बनाए जाने की भी घोषणा हो चुकी है.

भगवान राम ने अपने वनवास काल का सर्वाधिक समय चित्रकूट में ही व्यतीत किया था. बिजनौर व रामनगर में भी ईको टूरिज्म से जुड़े प्रस्ताव मंजूर हो चुके हैं. सरकार वन्यजीवों के लिए महाराजगंज, मेरठ, चित्रकूट, पीलीभीत आदि जगहों पर रेस्क्यू सेंटर बना रही है. महाराजगंज के सोहगीबरवा क्षेत्र में गिद्ध संरक्षण केंद्र बनाया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने कहा कि वन्यजीवों से होने वाली हानि को सरकार ने आपदा की श्रेणी में रखा है.

नमामि गंगे परियोजना से हो रहा जलीय जीवों का संरक्षण :

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार जलीय जीवों के संरक्षण को लेकर भी संवेदनशील है. उन्होंने कहा कि नमामि गंगे परियोजना से इसमें काफी मदद मिल रही है. सीएम ने कहा कि कानपुर के सीसामऊ में पहले गंगा नदी में प्रतिदिन 14 करोड़ लीटर सीवर गिरता था, नमामि गंगे परियोजना के कार्यों से अब एक बूंद भी नहीं गिरता. अब सीवर गिरने वाला स्थान सेल्फी प्वाइंट बन चुका है. इसी तरह जाजमऊ में चमड़ा उद्योग का कचरा गिरने से जलीय जीव समाप्त प्राय हो गए थे. वहां अब जलीय जीवों को पुनर्जीवन मिला है और बड़ी संख्या में जलीय जीव नदी में दिखने लगे हैं.

गंगा नदी में पाई जाने वाली डॉल्फिन की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि डॉल्फिन संरक्षण के लिए सरकार ने भगवान श्रीराम के प्रिय मित्र निषादराज के क्षेत्र को चुना है. विगत वर्ष अपने काशी के एक दौरे का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि कि अब वहां भी गंगा नदी में डॉल्फिन दिखाई देने लगी हैं. उन्होंने आश्वस्त किया कि सरकार डॉल्फिन संरक्षण के लिए हर संभव कदम उठाएगी.

वन्यजीवों के इलाज के लिए बनेगा डॉक्टरों का अलग कैडर :

कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वन्यजीवों के उपचार व संरक्षण के लिए पशु चिकित्सा अधिकारियों का अलग कैडर निर्धारित करने का निर्देश वन विभाग के जिम्मेदारों को दिया. उन्होंने कहा कि वन्यजीवों के इलाज के लिए अभी चिकित्सक पशुपालन विभाग से लाए जाते हैं. पर, अब वन्यजीवों के रेस्क्यू व उनके उपचार हेतु पशु चिकित्सा अधिकारियों का अलग कैडर तैयार करना होगा.

एक-एक पेड़ का होना चाहिए संरक्षण :

पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिकाधिक वृक्षारोपण की अपील करते हुए सीएम योगी ने कहा कि एक एक पेड़ की कीमत को समझते हुए उनका संरक्षण होना चाहिए. उन्होंने बताया कि विगत 5 वर्ष में उत्तर प्रदेश में100 करोड़ पेड़ लगाए गए. यह दुनिया में सर्वाधिक है. इस बार 35 करोड़ वृक्ष लगाए गए हैं, इसे और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है पर्यावरण अनुकूल होगा तो स्वास्थ्य की रक्षा के साथ ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से भी बचा जा सकेगा. बुधवार को हो रही बारिश का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा ऐसी बारिश सावन में होती है. अक्टूबर माह में यदि इस तरह की बारिश हो रही है तो हमें इसके बारे में सोचना होगा. उन्होंने कहा कि प्रकृत से छेड़छाड़ होगी तो उसके दुष्परिणाम सामने आएंगे ही.

कार्यक्रम के दौरान सीएम योगी ने गंगा डॉल्फिन संबधी पोस्टर रिलीज करने के साथ प्रदेश के जलीय जीवों पर डाक विभाग के स्पेशल कवर का भी अनावरण किया. साथ ही चिड़ियाघर के निदेशक डॉ एच राजमोहन, पशु चिकित्साधिकारी डॉ योगेश सिंह, उप क्षेत्रीय वनाधिकारी.रोहित सिंह को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. उन्होंने वन्यजीव सप्ताह के अंतर्गत आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार भी प्रदान किया.

सोहगीबरवा में शुरू होगी जंगल सफारी : वन मंत्री

कार्यक्रम में वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ अरुण कुमार सक्सेना ने कहा कि महाराजगंज के सोगीबरवा में सरकार जल्द ही जंगल सफारी की सुविधा शुरू करेगी. जंगल सफारी से ईको टूरिज्म बढ़ेगा, लोगों को रोजगार मिलेगा. दूसरे प्रदेशों के लोग पर्यटन के साथ ही अब उत्तर प्रदेश में रोजगार के लिए भी आएंगे.

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पर्यावरण प्रेम व वन्यजीवों से लगाव का उल्लेख करते हुए वन मंत्री ने कहा कि सीएम योगी ने अपने जन्मदिन पर सुबह उठते ही सबसे पहला काम पौधरोपण का किया था. उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित बच्चों से अपील की कि वे अपने जन्मदिन पर पौधरोपण अवश्य करें.

कार्यक्रम के दौरान डॉल्फिन दिवस पर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन, जैव विविधिता के सलाहकार डॉ संदीप बेहरा ने आधारभूत व्याख्यान देते हुए डॉल्फिन संरक्षण में सबकी सहभागिता की अपील की. वन एवं पर्यावरण विभाग के अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह ने वन्य जीव सप्ताह के कार्यक्रमों के साथ प्रदेश सरकार द्वारा ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी. आभार ज्ञापन प्रधान वन संरक्षक वन्यजीव केपी दूबे ने किया.

इस अवसर पर वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के राज्यमंत्री केपी मलिक, सांसद रविकिशन, महापौर सीताराम जायसवाल, भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष एवं एमएलसी डॉ धमेंद्र सिंह, विधायक विपिन सिंह, प्रदीप शुक्ल, महेंद्रपाल सिंह, प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं विभागध्यक्ष श्रीमती ममता संजीव दूबे, गोरखपुर क्षेत्र के मुख्य वन संरक्षक भीमसेन प्रभागीय वनाधिकारी विकास यादव, प्राणी उद्यान के निदेशक डॉ एच. राजा मोहन, पशु चिकित्साधिकारी डॉ योगेश सिंह आदि मौजूद रहे.

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